MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण

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MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चुम्बकीय फ्लक्स का मात्रक लिखिए।
उत्तर-
वेबर।

प्रश्न 2.
किसी बंद परिपथ में प्रेरित धारा कब प्रवाहित होती है ?
उत्तर-
जब परिपथ से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन हो।

प्रश्न 3.
लेंज का नियम किस नियम के अनुकूल है ?
उत्तर-
ऊर्जा संरक्षण के नियम।

प्रश्न 4.
स्वप्रेरकत्व का मात्रक क्या है ?
उत्तर-
हेनरी।

प्रश्न 5.
चुम्बकीय फ्लक्स का मान कब अधिकतम एवं कब न्यूनतम होता है ?
उत्तर-
जब चुम्बकीय क्षेत्र तल के लम्बवत् हो, तब चुम्बकीय फ्लक्स का मान अधिकतम एवं जब चुम्बकीय क्षेत्र तल के समानांतर हो, तो इसका मान न्यूनतम होता है।

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प्रश्न 6.
‘l’ लम्बाई का एक सीधा चालक तार एकसमान वेग ‘v’ से एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र ‘B’ में लम्बवत् गति करता है। तार में प्रेरित विद्युत वाहक बल के लिए व्यंजक लिखिए।
उत्तर-
e= Blv.

प्रश्न 7.
एक हेनरी एवं माइक्रो हेनरी में संबंध लिखिए।
उत्तर-
1H = 106 gH.

प्रश्न 8.
प्रत्यावर्ती धारा जनित्र का सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर-
विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चुम्बकीय फ्लक्स क्या है ? इसका SI मात्रक लिखिए।
उत्तर-
चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित किसी तल से लम्बवत् गुजरने वाली कुल बल रेखाओं की संख्या को चुम्बकीय फ्लक्स कहते हैं।
इसका SI मात्रक वेबर है।

प्रश्न 2.
एक कुण्डली को चुम्बकीय क्षेत्र में से
(i) तेजी से,
(ii) धीरे से हटाया जाता है। क्या दोनों अवस्थाओं में प्रेरित विद्युत् वाहक बल तथा किया गया कार्य बराबर है या नहीं।
उत्तर-
कुण्डली को चुम्बकीय क्षेत्र में से
(i) तेजी से,
(ii) धीरे-धीरे हटाने पर प्रेरित विद्युत् वाहक बल तथा किया गया कार्य बराबर नहीं होंगे क्योंकि
(a) कुण्डली के तेजी से हटाने पर फ्लक्स तेजी से परिवर्तित होगा। अत: उच्च विद्युत् वाहक बल प्रेरित होगा,
(b) धीरे-धीरे हटाने पर फ्लक्स कम दर से बदलेगा, इसलिए कम विद्युत् वाहक बल प्रेरित होगा।

प्रश्न 3.
स्वप्रेरण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जब किसी कुण्डली में बहने वाली धारा के मान में परिवर्तन किया जाता है, तो उसी कुण्डली में प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है। इस घटना को स्वप्रेरण कहते हैं।
धारा के मान को बढ़ाने पर प्रेरित धारा मुख्य धारा की विपरीत दिशा में तथा धारा के मान को कम करने पर मुख्य धारा की दिशा में ही प्रवाहित होती है।

प्रश्न 4.
मीटर सेतु से प्रयोग करते समय सेल परिपथ चालू करने के बाद ही धारामापी परिपथ चालू किया जाना चाहिए। क्यों?
उत्तर-
यदि धारामापी कुंजी को पहले दबायेंगे, तो सन्तुलन की स्थिति प्राप्त हो जाने पर भी स्वप्रेरण के कारण धारामापी में विक्षेप होगा, जिससे हमें सन्देह हो सकता है।

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प्रश्न 5.
प्रतिरोध बॉक्स के भीतर लगे प्रतिरोध की कुण्डली बनाने के लिए तार को दुहरा क्यों मोड़ा जाता है ?
उत्तर-
ऐसा करने से तार के आधे भाग में विद्युत् धारा एक दिशा में तथा आधे भाग में विपरीत दिशा में प्रवाहित होती है। अत: दोनों भाग एक-दूसरे के चुम्बकीय क्षेत्र को समाप्त कर देते हैं, जिससे प्रेरित धारा उत्पन्न नहीं होती है।

प्रश्न 6.
विद्युत् परिपथ बन्द करते समय स्विच में विद्युत् चिंगारी क्यों दिखाई पड़ती है ?
उत्तर-
विद्युत् परिपथ बन्द करते समय परिपथ से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में शीघ्रता से परिवर्तन होता है, फलस्वरूप उसमें प्रबल प्रेरित विद्युत् वाहक बल उत्पन्न हो जाता है। परिणामस्वरूप स्विच के सिरों पर इतना उच्च विभवान्तर उत्पन्न हो जाता है कि मध्य में स्थित वायु का रोधन टूट जाता है।

प्रश्न 7.
अन्योन्य प्रेरण क्या है ?
उत्तर-
जब एक कुण्डली में बहने वाली धारा के मान में परिवर्तन किया जाता है, तो पास रखी दूसरी कुण्डली से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन हो जाता है । फलस्वरूप उस कुण्डली में प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है। इस घटना को अन्योन्य प्रेरण कहते हैं।

प्रश्न 8.
एक चल कुण्डली धारामापी को रुद्ध दोलन किस प्रकार बनाया जाता है ?
उत्तर-
धारामापी की कुण्डली ताँबे के विद्युत्रोधी तार को ऐल्युमिनियम के फ्रेम पर लपेटकर बनाई जाती है। जब कुण्डली विक्षेपित होती है, तो फ्रेम में भँवर धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं, जो कुण्डली की गति का विरोध करती हैं । अतः कुण्डली विक्षेपित होकर इधर-उधर बिना हिले उपर्युक्त स्थिति में शीघ्र ही रुक जाती है।

प्रश्न 9.
उच्च वोल्टेज पर धारा ले जाने वाले तार में धारा चालू करते ही तार पर बैठी चिड़िया उड़ जाती है। कारण बताइए।
उत्तर-
धारा चालू करते ही चिड़िया के शरीर में प्रेरित धारा बहने लगती है। उसके दोनों पंख विपरीत धाराओं के कारण परस्पर प्रतिकर्षित होकर फैल जाते हैं। अत: चिड़िया विद्युत् धारा चालू करते ही उड़ जाती है।

प्रश्न 10.
विस्फोटक पदार्थ ले जाने वाले ट्रक से एक जंजीर बँधी रहती है, जो जमीन को छूती रहती है, क्यों?
उत्तर-
ट्रक की गति के दरम्यान उसकी धुरी पृथ्वी की चुम्बकीय बल रेखाओं को काटती रहती है, जिसके कारण उसके सिरों के बीच विद्युत् वाहक बल प्रेरित हो जाता है। प्रेरित आवेश का जंजीर के द्वारा पृथ्वी में क्षरण होता रहता है, जिससे विस्फोट पदार्थ सुरक्षित बने रहते हैं।

प्रश्न 11.
दोलन करते हुए चुम्बक के नीचे धातु की प्लेट रखने पर उसके दोलन शीघ्र समाप्त हो जाते हैं, क्यों?
उत्तर-
दोलन करते हुए चुम्बक के नीचे धातु की प्लेट रखने पर धातु की प्लेट में भँवर धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं। ये भँवर धाराएँ लेंज के नियमानुसार चुम्बक के दोलन का विरोध करती हैं। अत: चुम्बक के दोलन शीघ्र समाप्त हो जाते हैं।

प्रश्न 12.
दिए गए चित्रानुसार एक धारावाही परिनालिका वृत्ताकार कुण्डली की ओर ५ वेग से गति कर रहा है। कुण्डली के दूसरी ओर से प्रेक्षक द्वारा देखने पर वृत्ताकार कुण्डली में प्रेरित धारा की दिशा क्या होगी?
उत्तर-
MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण 1

प्रश्न 13.
विद्युत्-चुम्बकीय प्रेरण से आप क्या समझते हैं ? फैराडे के विद्युत्-चुम्बकीय प्रेरण के नियम लिखिए।
अथवा
विद्युत्-चुम्बकीय प्रेरण से आप क्या समझते हैं ? फैराडे के विद्युत्-चुम्बकीय प्रेरण के नियम लिखिए तथा प्रेरित विद्युत् वाहक बल के लिए सूत्र प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर-
विद्युत्-चुम्बकीय प्रेरण-जब कभी एक चुम्बक और एक कुण्डली के मध्य आपेक्षिक गति होती है तो उस कुण्डली में वि. वा. बल उत्पन्न हो जाता है और यदि कुण्डली बन्द है तो उसमें धारा प्रवाहित होने लगती है। कुण्डली में उत्पन्न वि. वा. बल को प्रेरित वि. वा. बल तथा धारा को प्रेरित धारा कहते हैं। यह घटना विद्युत्-चुम्बकीय प्रेरण कहलाती है।।
फैराडे के विद्युत्-चुम्बकीय प्रेरण के निम्नलिखित दो नियम हैं
(i) जब किसी बन्द परिपथ से गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है तो परिपथ में एक प्रेरित विद्युत् वाहक बल उत्पन्न हो जाता है, जिसके कारण परिपथ में प्रेरित धारा प्रवाहित होने लगती है। यह धारा केवल तब तक बहती है, जब तक कि चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता रहता है।

(ii) प्रेरित विद्युत् वाहक बल का मान चुम्बकीय फ्लक्स के परिवर्तन की दर के अनुक्रमानुपाती होता है। यदि फ्लक्स परिवर्तन की दर एकसमान बनी रहती है, तो उत्पन्न विद्युत् वाहक बल स्थिर होता है।
प्रेरित वि. वा. बल के लिए सूत्र-मानलो किसी क्षण किसी परिपथ से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स का Φ1 है तथा t सेकण्ड बाद उससे बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स का मान Φ2 हो जाता है।
∴ चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन की दर = \(\frac{\phi_{2}-\phi_{1}}{t}\)
अतः प्रेरित वि. वा. बल e ∝ \(\frac{\phi_{2}-\phi_{1}}{t}\)
या e =-K \(\left(\frac{\phi_{2}-\phi_{1}}{t}\right)\)

जहाँ, K एक नियतांक है। S.I. पद्धति में इसका मान 1 होता है।
अतः e = – \(\left(\frac{\phi_{2}-\phi_{1}}{t}\right)\)
यदि Δt समय में चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन ΔΦ हो, तो उपर्युक्त सूत्र को निम्नानुसार लिखा जा सकता है
e=-\(\frac{\Delta \phi}{\Delta t}\) .
यही अभीष्ट सूत्र है।
ऋण चिह्न इस बात का द्योतक है कि प्रेरित वि. वा. बल चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन का विरोध करता है।

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प्रश्न 14.
लेंज का नियम लिखिए एवं समझाइये कि इस नियम की सहायता से प्रेरित धारा की दिशा किस प्रकार ज्ञात की जा सकती है ?
उत्तर-
लेंज का नियम-इस नियम के अनुसार, विद्युत्-चुम्बकीय प्रेरण की प्रत्येक अवस्था में प्रेरित विद्युत् धारा की दिशा इस प्रकार होती है कि वह उस कारण का विरोध करती है जिसके कारण वह स्वयं उत्पन्न हुई है। इस नियम की सहायता से प्रेरित धारा । की दिशा निम्नानुसार ज्ञात की जा सकती है
(i) जब चुम्बक के N-ध्रुव को कुण्डली के पास लाते हैं तो कुण्डली में प्रेरित विद्युत् धारा उत्पन्न हो जाती है। इस प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होगी कि वह चुम्बक के N-ध्रुव को कुण्डली के पास लाने का NE विरोध कर सके। यह तभी सम्भव है जब चुम्बक की ओर का कुण्डली का तल N-ध्रुव की भाँति कार्य करें।
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(b) अतः कुण्डली में प्रेरित धारा की दिशा वामावर्त होगी। [चित्र (a)]
(ii) जब चुम्बक के N-ध्रुव को कुण्डली से दूर लाते जाते हैं तो पुनः कुण्डली में विद्युत् धारा प्रेरित हो जाती है। इस प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होगी कि वह चुम्बक के दूर जाने का विरोध कर सके। यह तभी सम्भव है जब चुम्बक की ओर का कुण्डली का तल S-ध्रुव की भाँति कार्य करे, अत: कुण्डली में प्रेरित धारा की दिशा दक्षिणावर्त होगी। [चित्र (b

प्रश्न 15.
समझाइए कि लेंज का नियम ऊर्जा-संरक्षण नियम के अनुकूल है।
उत्तर-
जब चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को कुण्डली के किसी तल के पास लाते हैं, तो लेंज के नियम के अनुसार, कुण्डली का वह तल उत्तरी ध्रुव बन जाता है। अतः चुम्बक और कुण्डली के मध्य प्रतिकर्षण बल कार्य करने लगता है। इस प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध चुम्बक को कुण्डली के पास लाने में कार्य करना पड़ता है। यही यान्त्रिक कार्य विद्युत् ऊर्जा अर्थात् प्रेरित धारा के रूप में परिवर्तित हो जाता है, किन्तु जब उत्तरी ध्रुव को कुण्डली से दूर ले जाते हैं, तो कुण्डली का वह तल दक्षिणी ध्रुव बन जाता है। अतः चुम्बक और कुण्डली के मध्य आकर्षण बल कार्य करने लगता है। इस आकर्षण बल के विरुद्ध चुम्बक को दूर ले जाने में चुम्बक को पुनः कार्य करना पड़ता है। यही यान्त्रिक कार्य प्रेरित धारा के रूप में परिवर्तित हो जाता है। अतः लेंज का नियम ऊर्जासंरक्षण नियम के अनुकूल है।

प्रश्न 16.
स्वप्रेरण का अर्थ समझाइये। एक ऐसे प्रयोग का वर्णन कीजिए, जिससे स्वप्रेरण प्रभाव प्रदर्शित हो।
उत्तर-
स्वप्रेरण-लघु उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 3 देखिए। स्वप्रेरित धारा उत्पन्न होने का प्रयोग-इसके लिए चित्रानुसार एक विद्युत् परिपथ तैयार करते हैं, जिसमें L एक कुण्डली है जो मुलायम लोहे के टुकड़े पर ताँबे के विद्युत्रोधी तार को लपेटकर बनायी जाती है। E एक सेल, Rh परिवर्ती प्रतिरोध, K दाब कुंजी तथा B एक 7E बल्ब है। K को दबाने पर B मन्द प्रकाश से जलने लगता है। दाब कुंजी को हटा देने पर बल्ब कुछ क्षण के लिए तेज प्रकाश से जलकर बुझ जाता है। परिपथ को भंग करने पर L से गुजरने वाली बल रेखाओं की संख्या में एकाएक कमी होती है। अत: उसमें मुख्य धारा की दिशा में ही प्रबल प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है, जिससे बल्ब कुछ क्षण के लिए तेज प्रकाश से जलता है और फिर बुझ जाता है।
MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण 3

प्रश्न 17.
स्वप्रेरकत्व को समझाइए। इसका मात्रक लिखते हुए बताइए कि किसी कुण्डली का स्वप्रेरकत्व किन बातों पर निर्भर करता है ?
अथवा
स्वप्रेरण का अर्थ समझाइए। किसी कुण्डली के स्वप्रेरकत्व से क्या तात्पर्य है ? समझाइए। इसका मात्रक लिखिए।
उत्तर-
स्वप्रेरण-लघु उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 3 देखिए।
स्वप्रेरकत्व-पहली परिभाषा-यदि किसी कुण्डली में I धारा प्रवाहित करने पर उससे बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स Φ हो, तो
Φ ∝ I
या Φ = LI ……………………………….. (1)
जहाँ L = एक नियतांक है, जिसे कुण्डली का स्वप्रेरकत्व कहते हैं।
यदि I = 1 हो, तो समी. (1) से,
Φ = L

अतः किसी कुण्डली का स्वप्रेरकत्व आंकिक रूप से कुण्डली से बद्ध उस चुम्बकीय फ्लक्स के बराबर होता है, जो कुण्डली में एकांक धारा प्रवाहित करने पर उत्पन्न होता है।
दूसरी परिभाषा-फैराडे के विद्युत्-चुम्बकीय प्रेरण के नियम से,
e = –\(\frac{d \phi}{d t}\)
समी. (1) से मान रखने पर,
e = –\(\frac{d(\mathrm{LI})}{d t}\)
या e = -L\(\frac{d \mathrm{I}}{d t}\) ………………………….. (2)
यदि \(\frac{d I}{d t}\) = 1 हो, तो समी. (2) से,
e=-L

अतः किसी कुण्डली का स्वप्रेरकत्व आंकिक रूप से उस प्रेरित वि. वा. बल के तुल्य होता है, जो कुण्डली में धारा परिवर्तन की दर इकाई होने पर उत्पन्न होता है।
मात्रक-स्वप्रेरकत्व का मात्रक हेनरी है। किसी कुण्डली का स्वप्रेरकत्व निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है
(i) कुण्डली के अनुप्रस्थ-काट के क्षेत्रफल पर-कुण्डली के अनुप्रस्थ-काट का क्षेत्रफल बढ़ाने पर स्वप्रेरकत्व का मान बढ़ जाता है।
(ii) फेरों की संख्या पर-फेरों की संख्या बढ़ाने पर स्वप्रेरकत्व का मान बढ़ जाता है।
(iii) क्रोड की आपेक्षिक चुम्बकशीलता पर-नर्म लोहे की क्रोड वाली कुण्डली का स्वप्रेरकत्व वायु क्रोड वाली कुण्डली के स्वप्रेरकत्व से अधिक होता है।

प्रश्न 18.
किसी लम्बी परिनालिका के स्वप्रेरकत्व हेतु व्यंजक ज्ञात कीजिए एवं बताइये कि यह किन-किन कारकों पर निर्भर करता है ?
उत्तर-
मानलो किसी परिनालिका की लम्बाई l, त्रिज्या r तथा उसकी प्रति एकांक लम्बाई पर फेरों की संख्या n है तब परिनालिका में कुल फेरों की संख्या N = nl तथा उसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A = πr² होगा।
MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण 4
यदि परिनालिका में I धारा प्रवाहित हो रही हो, तो परिनालिका के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता B = μ0nI, जहाँ, μ0 निर्वात् की चुम्बकशीलता है।

यदि त्रिज्या की तुलना में परिनालिका की लम्बाई बहुत अधिक (l>>r) हो, तो उसके अन्दर प्रत्येक बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता को एकसमान माना जा सकता है।
अतः परिनालिका से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स Φ = NBA
या Φ = nl0nIA = 0n2lIA

परन्तु स्वप्रेरकत्व L = \(\frac{\phi}{I}\)
∴ L = \(\frac{\mu_{0} n^{2} \text { IIA }}{\text { I }}\) …………………………………… (1)
या L = μ0 \(\left(\frac{N}{l}\right)^{2} l A\) (∵N = nl)
या L = μ0\(\frac{\mathrm{N}^{2} \mathrm{~A}}{l}\) …………………………………. (2)
यदि परिनालिका के अन्दर क्रोड की चुम्बकशीलता , हो, तो L = \(\frac{\mu \mathrm{N}^{2} \mathrm{~A}}{l}\) ……………………………… (3)
यही लम्बी परिनालिका के स्वप्रेरकत्व के लिए व्यंजक है।

समी. (3) से स्पष्ट है कि किसी परिनालिका का स्वप्रेरकत्व निम्न बातों पर निर्भर करता है
(i) परिनालिका के अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर ( अर्थात् त्रिज्या पर)-परिनालिका के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल बढ़ाने पर उसका स्वप्रेरकत्व बढ़ जाता है।
(ii) फेरों की संख्या पर-परिनालिका में फेरों की संख्या बढ़ाने पर उसका स्वप्रेरकत्व बढ़ जाता है।
(iii) परिनालिका की लम्बाई पर-परिनालिका की लम्बाई बढ़ाने पर उसका स्वप्रेरकत्व कम हो जाता है।
(iv) परिनालिका के क्रोड की चुम्बकशीलता पर-परिनालिका के अन्दर अधिक चुम्बकशीलता का क्रोड रखने पर उसका स्वप्रेरकत्व बढ़ जाता है। यही कारण है कि नर्म लोहे की क्रोड वाली परिनालिका का स्वप्रेरकत्व वायु क्रोड वाली परिनालिका के स्वप्रेरकत्व से अधिक होता है।
त्रिज्या के पद में समी. (3) को निम्न प्रकार से लिखा जा सकता है
L= \(\frac{\mu_{0} N^{2} \pi r^{2}}{l}\)

प्रश्न 19.
एक समतल वृत्तीय कुण्डली के स्वप्रेरकत्व हेतु व्यंजक ज्ञात कीजिए तथा बताइये कि यह किन-किन कारकों पर निर्भर करता है ?
उत्तर-
मानलो एक समतल वृत्तीय कुण्डली की त्रिज्या r तथा उसमें फेरों की संख्या n है। यदि उसमें विद्युत्धारा I प्रवाहित की जाये तो उसके केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता
B= \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \cdot \frac{2 \pi n I}{r}\) = \(\frac{\mu_{0} n \mathrm{I}}{2 r}\)
इसकी दिशा कुण्डली के तल के लम्बवत् होती है।
अब यदि मान लिया जाये कि चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता कुण्डली के सम्पूर्ण तल में एकसमान है तो वृत्तीय कुण्डली से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स
Φ= nBA = n.\(\frac{\mu_{0} n \mathrm{I}}{2 r}\) πr² = \(\frac{\mu_{0} \pi n^{2} r I}{2}\) …………………… (1)
किन्तु Φ = LI …………………………….. (2)

समी. (1) और (2) से,
LI = \(\frac{\mu_{0} \pi n^{2} r \mathbf{I}}{2}\)
या L = \(\frac{\mu_{0} \pi n^{2} r}{2}\) …………………… (3)
यदि कुण्डली में वायु या निर्वात् के स्थान पर μ निरपेक्ष चुम्बकशीलता का कोई माध्यम हो तो कुण्डली का स्वप्रेरकत्व
L = \(\frac{\mu \pi n^{2} r}{2}\)
यही अभीष्ट व्यंजक है।

समतल वृत्तीय कुण्डली का स्वप्रेरकत्व निम्न कारकों पर निर्भर करता है-

  • माध्यम की निरपेक्ष चुम्बकशीलता,
  • फेरों की संख्या तथा
  • कुण्डली की त्रिज्या।

प्रश्न 20.
अन्योन्य प्रेरकत्व की परिभाषा, मात्रक एवं विमीय सूत्र लिखिए।
अथवा
अन्योन्य प्रेरकत्व को समझाइये। इसका मात्रक लिखते हुए बतलाइये कि यह किन-किन बातों पर निर्भर करता है ?
उत्तर-
अन्योन्य प्रेरकत्व-पहली परिभाषा-यदि प्राथमिक कुण्डली में धारा I प्रवाहित करने से द्वितीयक कुण्डली से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स Φ हो, तो
Φ ∝Ι
या Φ = MI ………………… (1)
जहाँ, M एक नियतांक है, जो दोनों कुण्डलियों में फेरों की संख्या, द्वितीय कुण्डली के क्षेत्रफल तथा माध्यम पर निर्भर करता है। इसे दोनों कुण्डलियों का अन्योन्य प्रेरकत्व या अन्योन्य प्रेरण गुणांक कहते हैं।

यदि I = 1 हो, तो समी. (1) से, .
Φ = M
अत: किन्हीं दो कुण्डलियों के अन्योन्य प्रेरकत्व का आंकिक मान द्वितीयक कुण्डली से बद्ध उस चुम्बकीय फ्लक्स के बराबर होता है, जो उस समय उत्पन्न होता है जब प्राथमिक कुण्डली में एकांक धारा प्रवाहित की जाती है।
दूसरी परिभाषा-अब यदि कुण्डली में बहने वाली धारा के मान में परिवर्तन किया जाये तो द्वितीयक कुण्डली से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में भी परिवर्तन होगा। अत: फैराडे के विद्युत्-चुम्बकीय प्रेरण के द्वितीय नियम से,

प्रेरित विद्युत् वाहक बल e = –\(\frac{d \phi}{d t}\)
या e = –\(\frac{d(\mathrm{MI})}{d t}\), [समी. (1) से]
या e=-M\(\frac{d \mathrm{I}}{d t}\) …………………………… (2)
यदि \(\frac{d \mathrm{I}}{d t}\) = 1 हो, तो समी. (2) से,
e=-M

अतः दो कण्डलियों का अन्योन्य प्रेरकत्व आंकिक रूप से द्वितीयक कुण्डली में प्रेरित उस विद्युत् वाहक बल के बराबर होता है जो प्राथमिक कुण्डली में धारा परिवर्तन की दर इकाई होने पर उत्पन्न होता है।
मात्रक-SI पद्धति में अन्योन्य प्रेरकत्व का मात्रक हेनरी है। विमीय सूत्र-अन्योन्य प्रेरकत्व = [ML2T-2A-2].

अन्योन्य प्रेरकत्व की निर्भरता-अन्योन्य प्रेरकत्व निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है
(a) दोनों कुण्डलियों में फेरों की संख्या पर-फेरों की संख्या अधिक होने पर अन्योन्य प्रेरकत्व का मान अधिक होता है।
(b) कुण्डलियों के अनुप्रस्थ-काट के क्षेत्रफल पर-कुण्डलियों के अनुप्रस्थ-काट का क्षेत्रफल अधिक होने पर अन्योन्य प्रेरकत्व का मान अधिक होता है।
(c) क्रोड के पदार्थ पर-वायु क्रोड की अपेक्षा नर्म लोहे का क्रोड होने पर अन्योन्य प्रेरकत्व का मान अधिक होता है।

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प्रश्न 21.
स्वप्रेरण एवं अन्योन्य प्रेरण में अन्तर लिखिए।
उत्तर-
स्वप्रेरण और अन्योन्य प्रेरण में अन्तर

स्वप्रेरण अन्योन्य प्रेरण
1. कुण्डली में बहने वाली धारा के मान में परिवर्तन करने पर उसी कुण्डली में ही धारा प्रेरित हो जाती है। इस घटना को स्वप्रेरण कहते हैं। कुण्डली में बहने वाली धारा के मान में परिवर्तन करने पर पास रखी दूसरी कुण्डली में धारा प्रेरित हो जाती है, यही अन्योन्य प्रेरण है।
2. इसमें एक कुण्डली होती है। इसमें दो कुण्डलियाँ होती हैं।
3. प्रेरित धारा मुख्य धारा को प्रभावित करती है। प्रेरित धारा दूसरी कुण्डली में बहती है, अत: मुख्य धारा को प्रत्यक्षतः प्रभावित नहीं करती ।

प्रश्न 22.
भँवर धाराएँ क्या हैं ? भंवर धाराओं को प्रदर्शित करने के लिए एक प्रयोग का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
भंवर धाराएँ-जब किसी भी आकृति या आकार के चालक को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में चलाया जाता है या उसे परिवर्तनशील चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है, तो उस चालक से बद्ध चुम्बकीय फलक्स में परिवर्तन होता है। अतः उस चालक में प्रेरित धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं, जो जल में उत्पन्न भँवर के समान चक्करदार होती हैं। अतः इन धाराओं को भँवर धाराएँ कहते हैं।
MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण 5

भँवर-धाराओं का प्रदर्शन-चित्रानुसार ताँबे की एक आयताकार प्लेट लेते हैं जो O में जाने वाले क्षैतिज अक्ष पर विद्युत्-चुम्बक NS के ध्रुव खण्डों के मध्य स्वतन्त्रतापूर्वक गति कर सकती है। जब विद्युत्चुम्बक में कोई विद्युत् धारा प्रवाहित नहीं की जाती, तो ताँबे की प्लेट स्वतन्त्रतापूर्वक गति करती है। हवा के घर्षण के कारण इसका आयाम धीरे-धीरे कम होने लगता है और अन्त में कुछ समय के पश्चात् यह रुक जाती है, किन्तु जब ताँबे की प्लेट गति कर रही हो उस समय विद्युत्- L. चुम्बक में विद्युत् धारा प्रवाहित की जाये, तो ताँबे की प्लेट तुरन्त ही रुक जाती है।

इसका कारण यह है कि जब प्लेट चुम्बकीय क्षेत्र में गति करती है, तो उससे बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है। अतः उसमें भँवर-धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं जो प्लेट की गति का विरोध करती हैं । फलस्वरूप प्लेट तुरन्त ही रुक जाती है।

प्रश्न 23.
भंवर धाराएँ क्या हैं ? ये क्यों उत्पन्न होती हैं ? भँवर धाराओं से क्या हानियाँ हैं इन धाराओं के कोई दो उपयोग लिखिए।
उत्तर-
वर धाराएँ-लघु उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 22 देखिए।
भँवर धाराओं से हानियाँ-भंवर धाराओं के कारण विद्युत् ऊर्जा का ऊष्मा ऊर्जा में अपव्यय होने लगता है।
उपयोग-

  • धारामापी को रुद्ध दोलन बनाने में,
  • प्रेरण भट्टी में,
  • विद्युत् ब्रेक में,
  • प्रेरण मोटर में।

प्रश्न 24.
दो परिनालिकाओं के स्वप्रेरकत्व तथा अन्योन्य प्रेरकत्व में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
अथवा
दो कुण्डलियों P व S के स्वप्रेरकत्व क्रमशः L1 एव L2 हैं। यदि इनके मध्य आदर्श फ्लक्स युग्मन है तो सिद्ध कीजिए कि इन कुण्डलियों के मध्य अन्योन्य प्रेरकत्व M = \(\sqrt{\mathbf{L}_{\mathbf{1}} \mathbf{L}_{\mathbf{2}}}\) होगा।
उत्तर-
माना कि एक परिनालिका में फेरों की संख्या N1 हैं। परिनालिका की लम्बाई l है तथा इसका अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A है।
इसमें धारा I बहाने पर परिनालिका से सम्बन्ध चुम्बकीय फ्लक्स
Φ = (चुम्बकीय क्षेत्र) × (प्रभाव क्षेत्रफल)
या Φ = \(\frac{\mu_{0} \mathrm{NI}}{l}\left(\mathrm{~N}_{1} \mathrm{~A}\right)\)
∴ परिनालिका का स्वप्रेरकत्व L1 = \(\frac{\phi_{1}}{\mathrm{I}}\) = \(\frac{\mu_{0} \mathrm{~N}_{1}^{2} \mathrm{~A}}{l}\) ……………………….. (1)

इसी प्रकार, यदि दूसरी परिनालिका S में फेरों की संख्या N, है तथा कुण्डली का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A तथा लम्बाई । है, l तो दूसरी परिनालिका S का स्वप्रेरकत्व
L2 = \(\frac{\mu_{0} \mathrm{~N}_{2}^{2} \mathrm{~A}}{l}\) …………………………………… (2)
आदर्श युग्मन की स्थिति में प्राथमिक परिनालिका P में धारा I बहने से द्वितीयक परिनालिका S से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स
Φs = \(\frac{\mu_{0} \mathrm{~N}_{1} \mathrm{I}}{l} \times\left(\mathrm{N}_{2} \mathrm{~A}\right) \)

अत: दोनों परिनालिकाओं के मध्य अन्योन्य प्रेरकत्व
M = \(\frac{\phi_{S}}{I}\) = \(\frac{\mu_{0} \mathrm{~N}_{1} \mathrm{~N}_{2}}{l} \times \mathrm{A}\) ……………………………… (3)
समी. (1) व (2) से,
\(\sqrt{L_{1} L_{2}}\) = \(\sqrt{\frac{\mu_{0} N_{1}^{2} \mathrm{~A}}{f} \times \frac{\mu_{0} \mathrm{~N}_{2}^{2} \mathrm{~A}}{I}}\)
= \(\frac{\mu_{0} \mathrm{~N}_{1} \mathrm{~N}_{2} \mathrm{~A}}{l}\) ………………………………….. (4)
MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण 6

समी. (3) व (4) से,
M = \(\sqrt{\mathrm{L}_{1} \mathrm{~L}_{2}}\)
यही अभीष्ट सम्बन्ध है।

प्रश्न 25.
सिद्ध कीजिए कि स्वप्रेरकत्व L में धारा I0 स्थापित करने के लिए आवश्यक चुम्बकीय ऊर्जा \(\frac{1}{2} L I_{0}^{2}\) से दी जाती है।
उत्तर-
जब किसी कुडंली में बैटरी से धारा प्रवाहित की जाती है तो धारा को स्थायी मान I0 प्राप्त करने में कुछ समय लगता है। अतः कुंडली में प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है, जो कुंडली में धारा के मान में वृद्धि का विरोध करता है। बैटरी द्वारा धारा के मान को O से स्थायी मान I0 तक बढ़ाने के लिए प्रेरित विद्युत वाहक बल के विरुद्ध कार्य किया जाता है । यह कार्य कुंडली में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है।
मानलो किसी क्षण सूक्ष्म आवेश dq को परिपथ में चलाने के लिए बैटरी द्वारा किया गया कार्य dw है।

तब
dW =(-ε )da
जहाँ ε प्रेरित विद्युत वाहक बल है।
या dw =-\(\left(-L \frac{d I}{d t}\right)\).dq [∵ε = -L \(\frac{d I}{d t}\) ]
= L.dl. \(\frac{d I}{d t}\)
= LIdI, [∵ I = \(\frac{d I}{d t}\) ]
अतः कुंडली में धारा के मान को 0 से 16 तक बढ़ाने में किया गया कार्य
MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण 7
यही कार्य कुंडली में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है। अत: कुंडली में संचित ऊर्जा
U = \(\frac{1}{2} L I_{0}^{2}\)

प्रश्न 26.
दो लम्बी परिनालिकाओं के मध्य अन्योन्य प्रेरकत्व के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
मानलो S1 और S2 दो समाक्षीय परिनालिकाएँ हैं जिनमें फेरों की संख्याएँ क्रमश: N1 और N2 हैं। मानलो परिनालिका S1 की लम्बाई l1 तथा परिनालिका S2 के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A2 है।
यदि प्राथमिक कुण्डली S1 में बहने वाली धारा I हो तो उसके । अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता
B=\( \mu_{0} \frac{\mathrm{N}_{1}}{l_{1}}\).I [∵ B = µ0nI]
इस चुम्बकीय क्षेत्र के कारण द्वितीयक परिनालिका से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स Φ = N2BA2
या
Φ = N2 \(\frac{\mu_{0} \mathrm{~N}}{l_{\mathrm{l}}}\)I.A2
= \(\frac{\mu_{0} \mathrm{~N}_{1} \mathrm{~N}_{2} \mathrm{~A}_{2} \mathrm{I}}{l_{1}}\) ……………………… (1)
किन्तु Φ = MI …………………………….. (2)
समी. (1) और (2) से,
MI = \(\frac{\mu_{0} \mathrm{~N}_{1} \mathrm{~N}_{2} \mathrm{~A}_{2} \mathrm{I}}{l_{1}}\)
M = \(\frac{\mu_{0} \mathrm{~N}_{1} \mathrm{~N}_{2} \mathrm{~A}_{2}}{l_{1}}\)
MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण 8

यदि दोनों परिनालिकाओं के मध्य उपस्थित माध्यम की निरपेक्ष चुम्बकशीलता । हो, तो
M = \(\frac{\mu \mathrm{N}_{1} \mathrm{~N}_{2} \mathrm{~A}_{2}}{l}\)
यही अभीष्ट व्यंजक है।
स्पष्ट है कि दो परिनालिकाओं के मध्य अन्योन्य प्रेरकत्व-

  • माध्यम की निरपेक्ष चुम्बकशीलता,
  • दोनों परिनालिकाओं में फेरों की संख्या,
  • प्राथमिक परिनालिका की लम्बाई तथा
  • द्वितीयक परिनालिका के अनुप्रस्थकाट के क्षेत्रफल पर निर्भर करता है।

प्रश्न 27.
दो समतल वृत्ताकार कुण्डलियों के मध्य अन्योन्य प्रेरकत्व हेतु व्यंजक ज्ञात कीजिये एवं उनके मध्य अन्योन्य प्रेरकत्व को प्रभावित करने वाले कारक को लिखिये।
उत्तर-
मानलो प्राथमिक कुण्डली P और द्वितीयक कुण्डली S एक-दूसरे के निकट समाक्ष रखी हुई हैं। प्राथमिक कुण्डली P की त्रिज्या r1 तथा फेरों की संख्या n1 है। इसी प्रकार, द्वितीयक कुण्डली S की त्रिज्या r2 तथा फेरों की संख्या n2 है।
यदि प्राथमिक कुण्डली में प्रवाहित होने वाली धारा I हो, तो इस कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र
B= \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \cdot \frac{2 \pi n_{1} \mathrm{I}}{r_{1}}\) = \(\frac{\mu_{0} n_{1} \mathrm{I}}{2 r_{1}}\)

इस चुम्बकीय क्षेत्र को द्वितीयक कुण्डली s के तल के लिये एकसमान माना जा सकता है। अतः द्वितीयक कुण्डली से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स .
Φ = nBA
=n2\(\frac{\mu_{0} n_{1} I}{2 r_{1}}\).πr² ………………………………… (1)
किन्तु Φ = MI ………………………………….. (2)
समी. (1) और (2) से,
M = \(\frac{\mu_{0} n_{1} n_{2}}{2 r_{1}}\).πr²

यदि कुण्डलियों के मध्य µ चुम्बकशीलता का कोई माध्यम हो, तो
M =µ \(\frac{n_{1} n_{2}}{2 r_{1}}\) ×πr²
यही दो समतल वृत्ताकार कुण्डलियों के बीच अन्योन्य प्रेरकत्व के लिये व्यंजक है।
अन्योन्य प्रेरकत्व की निर्भरता

  • प्राथमिक कुण्डली में फेरों की संख्या n1 का मान बढ़ाने पर अन्योन्य प्रेरकत्व का मान बढ़ जाता है।
  • द्वितीयक कुण्डली में फेरों की संख्या n2 का मान बढ़ाने पर अन्योन्य प्रेरकत्व का मान बढ़ जाता है।
  • प्राथमिक कुण्डली की त्रिज्या r1 का मान बढ़ाने पर अन्योन्य प्रेरकत्व का मान कम हो जाता है।
  • द्वितीयक कुण्डली का क्षेत्रफल ( πr22) का मान बढ़ाने पर अन्योन्य प्रेरकत्व का मान बढ़ जाता है।
  • दोनों कुण्डलियों के बीच अधिक चुम्बकशीलता का माध्यम रखने पर अन्योन्य प्रेरकत्व का मान बढ़ जाता है।

MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वप्रेरण किसे कहते हैं ? किसी लम्बी परिनालिका के स्वप्रेरकत्व हेतु व्यंजक ज्ञात कीजिए एवं बताइये कि यह किन-किन कारकों पर निर्भर करता है ?
उत्तर-
लघु उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 3 एवं प्रश्न क्रमांक 18 देखिए।

प्रश्न 2.
अन्योन्य प्रेरण किसे कहते हैं ? दो परिनालिकाओं के अन्योन्य प्रेरकत्व हेतु व्यंजक ज्ञात कीजिए। बताइये यह किन-किन कारकों पर निर्भर करता हैं ?
उत्तर-
लघु उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 7 एवं प्रश्न क्रमांक 26 देखिए।

प्रश्न 3.
प्रत्यावर्ती धारा डायनेमो का वर्णन निम्नांकित शीर्षकों में कीजिए
(i) नामांकित चित्र,
(ii) संरचना,
(iii) कार्य विधि।
अथवा
प्रत्यावर्ती धारा डायनेमो का सिद्धान्त, संरचना व नामांकित रेखाचित्र सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर-
नामांकित रेखाचित्र
MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण 9
NS→ क्षेत्र चुम्बक, ABCD-> आर्मेचर, S1S2→ सी वलय, B1B2→ कार्बन ब्रुश।
रचना-इसमें एक क्षेत्र चुम्बक NS होता है । यह सामान्यतः एक नाल चुम्बक होता है जो या तो एक स्थायी चुम्बक होता है अथवा विद्युत् चुम्बक । आर्मेचर ABCD वस्तुतः एक कुण्डली होती है, जो नर्म लोहे के क्रोड पर ताँबे के पृथक्कृत (insulated) तार को लपेटकर बनाई जाती है। इसे क्षेत्र चुम्बक के मध्य एक धुरी पर किसी साधन से घुमाया जाता है। S1S2 सी वलय हैं, जिनसे कुण्डली के सिरे जुड़े होते हैं। B1B2 कार्बन पत्तियों से बने ब्रुश हैं, जो सी वलय को स्पर्श करते हैं। ये स्थिर होते हैं तथा बाह्य परिपथ से जोड़ दिये जाते हैं।

सिद्धान्त-किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखी कुण्डली को घुमाने पर उससे सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है, फलतः उसमें प्रेरित वि. वा. बल उत्पन्न हो जाता है, जिसका प्रत्यावर्ती अथवा दिष्ट होना उपकरण की रचना पर निर्भर करता है।
कार्य-विधि-जब आर्मेचर ABCD को ध्रुव खण्ड NS के मध्य घुमाया जाता है, तो कुण्डली से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है। अतः कुण्डली में प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है। प्रथम अर्द्ध-चक्र में धारा की दिशा ABCD होती है। अत: बाह्य परिपथ में विद्युत् धारा ब्रुश B1 से B2 की ओर प्रवाहित होती है।

द्वितीय अर्द्ध-चक्र में कुण्डली की धारा की दिशा DCBA होती है। अतः बाह्य परिपथ में विद्युत् धारा ब्रुश B1 से B2 की ओर प्रवाहित होती है।
जब कुण्डली का तल बल रेखाओं के लम्बवत् होता है, तो प्रेरित धारा का मान शून्य और जब उसका तल बल रेखाओं के समान्तर होता है, तो प्रेरित धारा का मान अधिकतम होता है। इस प्रकार बाह्य प्रतिरोध में बहने वाली धारा प्रत्यावर्ती धारा होती है, जिसकी आवृत्ति आर्मेचर की आवृत्ति के बराबर होती है।

मूल्य आधारित प्रश्न

प्रश्न 1.
अरुण अपने दोस्तों के साथ टहलने गया था। वहाँ से एक ट्रक गुजरी जिसमें लिखा था”सावधान, विस्फोटक सामग्री।” ट्रक से एक जंजीर बँधी थी, जो जमीन को स्पर्श कर रही थी। अरुण ने अपने दोस्तों को समझाया कि ट्रक की गति के दौरान उसकी धुरी पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाओं को काटती है, फलस्वरूप उसके सिरों पर विद्युत वाहक बल प्रेरित हो जाता है। प्रेरित आवेश का जंजीर के द्वारा क्षरण होता रहता है जिससे विस्फोटक पदार्थ सुरक्षित बने रहते हैं।
निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(i) अरुण ने किन मूल्यों का प्रदर्शन किया ?
(ii) प्रेरित विद्युत वाहक बल कब उत्पन्न होता है ?
(iii) प्रेरित धारा की दिशा बतलाने वाले नियम का नाम एवं कथन लिखिए।
(iv) एक पक्षी 10 मीटर/सेकंड की चाल से पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र (B = 4 x 10-5टेस्ला) में उड़ रही है। उसके शरीर में 2 सेमी की दूरी पर स्थित दो विशिष्ट बिंदुओं पर प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान क्या होगा?
उत्तर-
(i) प्रत्युन्मति बुद्धि (Presence of mind), जागरुकता, वैज्ञानिक सोच, दोस्तों के साथ विचार का आदान-प्रदान आदि मूल्यों का प्रदर्शन किया।
(ii) जब किसी चालक से बद्ध चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है तो उसके सिरों के बीच विभवांतर उत्पन्न हो जाता है।
(iii) लेंज का नियम, इस नियमानुसार प्रेरित विद्युत वाहक बल की ध्रुवता इस प्रकार होती है कि वह उस दिशा में धारा भेज सके जो चुंबकीय फ्लक्स में होने वाले परिवर्तन का विरोध करे।
(iv) ε = Bvl = 4 × 10-5 × 10 × 2 × 10-2
=8 × 10-6 वोल्ट।

MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण

आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
50 फेरों वाली एक कुण्डली से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स 1 सेकण्ड में 0.3 वेबर से घटकर शून्य रह जाता है। कुण्डली के सिरों पर प्रेरित विभवान्तर का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
हल -सूत्र: e = –\(\frac{d \phi}{d t}\) = -n \(\left(\frac{\phi_{2}-\phi_{1}}{\Delta t}\right)\)
दिया है : n = 50 , Φ1 = 0.3 वेबर, Φ2 = 0 तथा dt = 1 सेकण्ड।
अतः e = -50 \(\left(\frac{0-0 \cdot 3}{1}\right)\)
= 15 वोल्ट।

प्रश्न 2.
एक लूप से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स Φ = 6t2 +7t+1 है, जहाँ Φ का मान मिलीवेबर में तथा t का मान सेकण्ड में है। समय t =2 सेकण्ड पर लूप में कितना विद्युत् वाहक बल प्रेरित होगा?
उत्तर-
हल-दिया है : Φ = 6t2 + 7t+1
सूत्र : e = – \(\frac{d \phi}{d t}\) से, e = \(\frac{-d\left(6 t^{2}+7 t+1\right)}{d t}\)
= -(6 ×2t +7 +0) = -12 t -7
t= 2 सेकण्ड पर,
e = -12(2)-7
=-24-7 = -31 मिली वोल्ट।

प्रश्न 3.
0.5 मीटर लंबी एक धात्विक छड़ चित्र में दिखाए अनुसार परिपथ को पूर्ण करती है। परिपथ का तल 0.15 टेस्ला फ्लक्स घनत्व के चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत है। यदि परिपथ का कुल प्रतिरोध 3Ω हो, तो छड़ को निर्दिष्ट दिशा में 2 मीटर/सेकंड की चाल से चलाने के लिए आवश्यक बल की गणना कीजिए।
MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण 10
उत्तर-
हल-दिया है- l = 0.5 मीटर; B = 0.15 टेस्ला; v = 2 मीटर/सेकंड; R = 3Ω
I = \(\frac{B l v}{R}\) = \(\frac{0 \cdot 15 \times 0 \cdot 5 \times 2}{3}\) = 0.05 ऐम्पियर
बल F = IIB = 0.05 × 0.5 × 0.15
= 0.00375 = 3.75 × 10-3 न्यूटन।

प्रश्न 4.
एक लंबी परिनालिका के इकाई सेंटीमीटर लंबाई में 15 फेरे हैं। उसके अंदर 2.0 cm2 का एक छोटा-सा लूप परिनालिका की अक्ष के लंबवत रखा गया है। यदि परिनालिका में बहने वाली धारा का मान 2.0A से 4.0A तक 0.1 s कर दिया जाए तो धारा परिवर्तन के समय प्रेरित विद्युत वाहक बल कितना होगा?
उत्तर-
हल-दिया है- n=15 फेरे/सेमी = 1500 फेरे/मीटर,
\(\frac{d I}{d t}\) = \(\frac{4 \cdot 0-2 \cdot 0}{0 \cdot 1}\) = 20 A/s
A = 2.0 cm2 = 2.0 (10-2m)2 = 2.0 × 10-4m2
MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण 11
= 4π × 10-7 × 1500 × 2.0 × 10-4 × 20
= 753600 × 10-11 = 7.5 × 10-6v.

प्रश्न 5.
एक आयताकार लूप जिसकी भुजाएँ 8 cm एवं 2 cm हैं, एक स्थान पर थोड़ा कटा हुआ है। यह लूप अपने तल के अभिलंबवत 0.3 T के एकसमान चुंबकीय क्षेत्र से बाहर की ओर निकल रहा है। यदि लूप के बाहर निकलने का वेग 1 cms-1 है तो कटे भाग के सिरों पर उत्पन्न विद्युत वाहक बल कितना होगा, जब लूप की गति अभिलंबवत हो
(a) लूप की लंबी भुजा के
(b) लूप की छोटी भुजा के। प्रत्येक स्थिति में उत्पन्न प्रेरित वोल्टता कितने समय तक टिकेगी?
उत्तर-
हल-दिया है- B = 0.3T; v = 1cm s-1 = 10-2 ms-1;
लूप की लंबाई l = 8 cm = 0.08m; चौड़ाई b = 2cm = 0.02m
(a) लूप की लंबी भुजा के अभिलंबवत गति-इस स्थिति में l = 8 cm = 0.08 m
विद्युत वाहक बल ε = Blv
= 0.3 × 0.08 × 10-2 = 0.024 × 10-2
= 2.4 × 10-4v
इस स्थिति में लूप को चुंबकीय क्षेत्र से पूर्णतः हटाने के लिए 2 सेमी (0.02m) की दूरी तक चलाना होगा।
MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण 12
(b) लूप की छोटी भुजा के अभिलंबवत गति–इस स्थिति में l = 2 cm = 0.02 m
ε = Blv = 0.3 × 0.02 ×10-2
= 0.006 × 10-2
V = 6.0 × 10-5
V = 0.6 × 10-4 v.
समय t = \(\frac{l}{v}\) =\( \frac{0 \cdot 08}{10^{-2}}\) =8s.

प्रश्न 6.
1.0 m लंबी धातु की छड़ उसके एक सिरे से जाने वाले अभिलंबवत अक्ष के परितः 400rad s-1 की कोणीय आवृत्ति से घूर्णन कर रही है। छड़ का दूसरा सिरा एक धात्विक वलय से संपर्कित है। अक्ष के अनुदिश सभी जगह 0.5 T का एकसमान चुंबकीय क्षेत्र उपस्थित है। वलय तथा अक्ष के बीच स्थापित विद्युत वाहक बल की गणना कीजिए।
उत्तर-
हल-दिया है- l = 1.0m; ω = 400 rads-1; B = 0.5T
सूत्र- ε = \(\frac{1}{2}\) Bωl2 =\(\frac{1}{2}\) × 0.5 × 400 × (1.0)2 = 100v.

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प्रश्न 7.
एक वृत्ताकार कुंडली जिसकी त्रिज्या 8.0 cm तथा फेरों की संख्या 20 है अपने ऊर्ध्वाधर व्यासकेपरित: 50rads-1की कोणीय आवृत्ति से 3.0 × 10-2T के एकसमान चुंबकीय क्षेत्र में घूम रही है। कुंडली में उत्पन्न अधिकतम तथा औसत प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान ज्ञात कीजिए। यदि कुंडली 10Ω प्रतिरोध का एक बंद लूप बनाए तो कुडंली में धारा के अधिकतम मान की गणना कीजिए। जूल ऊष्मन के कारण क्षयित औसत शक्ति की गणना कीजिए। यह शक्ति कहाँ से प्राप्त होती है ?
उत्तर-
हल-r=8.0 सेमी =8.0 × 10-2m; ω = 50rad s-1;
N = 20; B = 3.0 × 10-2T
ε =NBAωsin ωt
εmax = NBAω = NBπr²ω
= 20 × 3.0 × 10-2 × 3.14 × (8.0 × 10-2)2 x 50
= 602880 × 10-6 = 0.603v.
प्रति चक्र औसत प्रेरित विद्युत वाहक बल शून्य होता है।
दिया है : R = 10Ω
∴ Imax = \(\frac{\varepsilon_{\max }}{R}\) = \(\frac{0.603}{10}\) = 0.0603A
क्षयित औसत शक्ति P=\(\frac{1}{2} \varepsilon_{\max } \times I_{\max }\)
=\(\frac{1}{2}\) × 0.603 × 0.0603 = 0.018 W
बाह्य स्रोत के द्वारा, जो कुंडली को घुमाता है, शक्ति प्राप्त होती है।

प्रश्न 8.
पूर्व से पश्चिम दिशा में विस्तृत एक 10 m लंबा क्षैतिज सीधा तार 0.30 × 104Wb m-2 तीव्रता वाले पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक से लंबवत 5.0ms-1 की चाल से गिर रहा है।
(a) तार में प्रेरित विद्युत वाहक बल का तात्क्षणिक मान क्या होगा?
(b) विद्युत वाहक बल की दिशा क्या है ?
(c) तार का कौन-सा सिरा उच्च विद्युत विभव पर है ?
उत्तर-
हल-दिया है- l = 10 m; HE = 0.30 × 10-4Wbm-2; v = 5.0m s-1
(a) ε = HE.lv = 0.30 x 10-4 x 10 x 5.0
= 15 × 10-4v
= 1.5 × 10-3v.
(b) फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियमानुसार प्रेरित विद्युत वाहक बल की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर होगी।
(c) तार नीचे की ओर गिरा रहा है। अत: उसमें विद्यमान मुक्त इलेक्ट्रॉन उसके साथ नीचे की ओर गति कर रहे हैं । फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियमानुसार इलेक्ट्रॉनों पर लोरेंज बल पूर्वी सिरा से पश्चिमी सिरा की ओर लगेगा। अतः पूर्वी सिरा उच्च विभव (इलेक्ट्रॉनों की कमी) पर होगा।

प्रश्न 9.
किसी परिपथ में 0.1s में धारा 5.0 A से 0.0 A तक गिरती है। यदिऔसत प्रेरित विद्युत वाहक बल 200v है तो परिपथ में स्वप्रेरकत्व का आकलन कीजिए।
उत्तर-
हल-दिया है
ε = 200V; I1 = 5.0 A; I2 = 0.0A; dt = 0.1 s
सूत्र- ε= -L\(\frac{d I}{d t}\) से,
200 = -L \(\left(\frac{0 \cdot 0-5 \cdot 0}{0 \cdot 1}\right)\)
या
50L = 200
⇒ L= 4H.

प्रश्न 10.
पास-पास रखे कुंडलियों के एक युग्म का अन्योन्य प्रेरकत्व 1.5H है। यदि एक कुंडली में 0.5 s में धारा 0 से 20A परिवर्तित हो, तो दूसरी कुंडली की फ्लक्स बंधता में कितना परिवर्तन होगा?
उत्तर-
हल-दिया है- M = 1.5 H;
Φ2 = MI
ΔΦ2= MΔl1 = 1.5(20.0) = 30 Wb.

प्रश्न 11.
कमला एक स्थिर साइकिल के पैडल को घुमाती है। पैडल का संबंध 100 फेरों तथा 0.10m2 क्षेत्रफल वाली एक कुंडली से है। कुंडली प्रति सेकंड आधा परिक्रमण कर पाती है तथा यह 0.01 T तीव्रता वाले एकसमान चुंबकीय क्षेत्र में, जो कुंडली के घूर्णन अक्ष के लंबवत है, रखी है। कुंडली में उत्पन्न होने वाली अधिकतम वोल्टता क्या होगी?
उत्तर-
हल- दिया है-N = 100; A = 0.10m2; B = 0.01 T, υ = 0.5 Hz
εo = NBAω = NBA2πυ = 100 × 0.01×0.10 ×2 × 3.14 × 0.5
=0:314V.

प्रश्न 12.
एक प्रत्यावर्ती धारा जनित्र की कुंडली में 100 फेरे हैं तथा उसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 3 मीटर2 है। यह 0.04 टेस्ला के एकसमान चुंबकीय क्षेत्र में 60 रेडियन प्रति सेकंड की कोणीय चाल से घूम रही है। यदि कुंडली का प्रतिरोध 500 ओम हो, तो निम्न की गणना कीजिए
(i) जनित्र से प्राप्त अधिकतम धारा,
(ii) कुंडली में व्यय अधिकतम शक्ति।
उत्तर-
हल-दिया है-N = 100 ; A = 3 मीटर2 T= 0.04 टेस्ला,
ω= 60 रेडियन प्रति सेकंड, R = 500 ओम
(i) I0 = \(\frac{\varepsilon_{0}}{R}\) = \(\frac{N B A \omega}{R}\) = \(\frac{100 \times 0.04 \times 3 \times 60}{500}\)
= 1.44 ऐम्पियर।
(ii) व्यय अधिकतम शक्ति
Pav = εoIo = IoR × Io
= Io2 × R = (1.44)2 × 500
= 1036.8 वॉट।

MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
लेंज का नियम निम्न संरक्षण का परिणाम है
(a) आवेश
(b) संवेग
(c) द्रव्यमान
(d) ऊर्जा।
उत्तर-
(d) ऊर्जा।

प्रश्न 2.
प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात की जाती है
(a) फैराडे के नियम से ।
(b) लेंज के नियम से
(c) मैक्सवेल के नियम से
(d) ऐम्पियर के नियम से।
उत्तर-
(b) लेंज के नियम से

प्रश्न 3.
एक इलेक्ट्रॉन क्षैतिज रेखा AB में गति कर रहा है जो उसी तल में है जिसमें एक सुचालक वृत्तीय लूप भी है। लूप में प्रेरित धारा की दिशा होगी
MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण 13
(a) कोई धारा प्रेरित नहीं होगी
(b) दक्षिणावर्त
(c) वामावर्त
(d) जैसे-जैसे इलेक्ट्रॉन गुजरेगा, प्रेरित धारा की दिशा बदलती जायेगी।
उत्तर-
(c) वामावर्त

प्रश्न 4.
विद्युत्-चुम्बकीय प्रेरण में प्रेरित वि. वा. बल निम्न से स्वतन्त्र होता है
(a) फ्लक्स में परिवर्तन
(b) समय
(c) फेरों की संख्या
(d) कुण्डली का प्रतिरोध।
उत्तर-
(d) कुण्डली का प्रतिरोध।

प्रश्न 5.
A क्षेत्रफल वाली कुण्डली चुम्बकीय क्षेत्र B के लम्बवत् रखी जाती है। कुण्डली को 180° के कोण से घुमाया जाता है। चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होगा
(a) BA
(b) 0
(c) 2BA
(d) 4 BA.
उत्तर-
(c) 2BA

प्रश्न 6.
दो परिपथों के बीच अन्योन्य प्रेरकत्व दूसरे परिपथ में प्रेरित वि. वा. बल के बराबर होता है जबकि पहले परिपथ में धारा
(a) एक ऐम्पियर पर नियत रखी जाती है
(b) एक ऐम्पियर से शून्य कर दी जाती है
(c) एक ऐम्पियर/सेकण्ड की दर से परिवर्तित की जाती है
(d) 1 ऐम्पियर से 2 ऐम्पियर तक परिवर्तित की जाती है।
उत्तर-
(c) एक ऐम्पियर/सेकण्ड की दर से परिवर्तित की जाती है

MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण

प्रश्न 7.
हेनरी मात्रक है
(a) धारिता का
(b) चुम्बकीय क्षेत्र का
(c) चुम्बकीय फ्लक्स का
(d) प्रेरकत्व का।
उत्तर-
(d) प्रेरकत्व का।

प्रश्न 8.
किसी कुण्डली से निर्गत चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन के फलस्वरूप उसमें उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल का सूत्र है
(a) e = -A\(\frac{d \mathrm{~B}}{d t}\)
(b) e = – B\(\frac{d \mathrm{~A}}{d t}\)
(c) e=-\(\frac{d}{d t}(\overrightarrow{\mathrm{A}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{B}})\)
(d) e = –\(\frac{d}{d t}(\overrightarrow{\mathrm{A}} \times \overrightarrow{\mathrm{B}})\)
(जहाँ A = कुण्डली का क्षेत्रफल तथा B = चुम्बकीय क्षेत्र]
उत्तर-
(c) e=-\(\frac{d}{d t}(\overrightarrow{\mathrm{A}} \cdot \overrightarrow{\mathrm{B}})\)

प्रश्न 9.
किसी शुद्ध प्रेरकत्व L में धारा प्रवाहित होने पर औसत संचित ऊर्जा होती है
(a) Li2
(b) 2Li2
(c) \(\frac{1}{4}\) Li2
(d) \(\frac{1}{2}\) Li2
उत्तर-
(d) \(\frac{1}{2}\) Li2

प्रश्न 10.
लम्बाई का एक चालक चुम्बकीय क्षेत्र B के समान्तर ” मीटर प्रति सेकण्ड के वेग से गतिशील है। प्रेरित वि. वा. बल होगा
(a) Bvl वोल्ट
(b) शून्य
(c) \(\frac{\mathrm{B} v l}{2}\) वोल्ट
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) \(\frac{\mathrm{B} v l}{2}\) वोल्ट

प्रश्न 11.
ताँबे और ऐल्युमिनियम के दो सर्वसम चालक हैं। दोनों को समान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है। ऐल्युमिनियम में प्रेरित आवेश का परिणाम होगा
(a) ताँबे से कम
(b) ताँबे से अधिक
(c) ताँबे के समान
(d) ताँबे से कोई निश्चित सम्बन्ध नहीं है।
उत्तर-
(a) ताँबे से कम

प्रश्न 12.
यदि एक कुण्डली की कुल लम्बाई को अपरिवर्तित रखकर उस कुण्डली के फेरों की संख्या दुगुनी कर दी जाती है तो उसका स्वप्रेरकत्व हो जायेगा
(a) चार गुना
(b) दुगुना
(c) आधा
(d) वर्ग के बराबर।
उत्तर-
(a) चार गुना

प्रश्न 13.
एक कुण्डली के साथ संयुक्त चुम्बकीय फ्लक्स + (वेबर) = 8t + 3t + 5 समीकरण द्वारा दर्शाया जाता है। चौथे सेकण्ड में प्रेरित वि. वा. बल होगा
(a) 16 इकाई
(b) 139 इकाई
(c) 67 इकाई
(d) 145 इकाई।
उत्तर-
(c) 67 इकाई

MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण

प्रश्न 14.
ताँबे के एक छल्ले को क्षैतिज रखा गया है तथा एक दण्ड चुम्बक को उसकी लम्बाई के सहारे छल्ले के अक्ष की दिशा में गिराया जाता है। गिरते हुए चुम्बक का त्वरण होगा
(a) गुरुत्वीय त्वरण के बराबर
(b) गुरुत्वीय त्वरण से कम
(c) गुरुत्वीय त्वरण से अधिक
(d) छल्ले के व्यास और चुम्बक की लम्बाई पर निर्भर करता है।
उत्तर-
(b) गुरुत्वीय त्वरण से कम

प्रश्न 15.
किसी चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को चित्रानुसार एक धातु के वलय के समीप लाया जाता है। वलय में प्रेरित धारा की दिशा होगी
MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण 14
(a) वामावर्त
(b) दक्षिणावर्त
(c) पहले वामावर्त फिर दक्षिणावर्त
(d) पहले दक्षिणावर्त फिर वामावर्त।
उत्तर-
(a) वामावर्त.

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण की खोज …………. ने की थी।
उत्तर-
फैराडे

2. प्रेरित वि. वा. बल का मान …………. में परिवर्तन की दर के अनुक्रमानुपाती होती है।
उत्तर-
फ्लक्स

3. प्रेरित विद्युत् धारा की दिशा फ्लेमिंग के …………. हाथ के नियम से दी जाती है।
उत्तर-
दायें

4. लेंज के नियमानुसार …………. की दिशा ज्ञात की जा सकती है।
उत्तर-
प्रेरित विद्युत् धारा

5. स्वप्रेरकत्व का S.I. पद्धति में मात्रक …………. है।
उत्तर-
हेनरी

6. समतल वृत्ताकार कुण्डली का स्वप्रेरकत्व कुण्डली की त्रिज्या के …………. होती है।
उत्तर-
अनुक्रमानुपाती

7. समतल वृत्ताकार कुण्डली का स्वप्रेरकत्व फेरों की संख्या के …………. होती है।
उत्तर-
वर्ग के अनुक्रमानुपाती

8. भँवर धारा को …………. धारा भी कहते हैं।
उत्तर-
फोको

9. प्रेरण भट्टी तथा विद्युत् ब्रेक …………. पर आधारित है।
उत्तर-
भँवर धारा

10. चुम्बकीय फ्लक्स का S.I. मात्रक …………. है।
उत्तर-
वेबर।

MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण

3. उचित संबंध जोड़िए

स्तम्भ ‘अ’ स्तम्भ ‘ब’
1. डायनेमो की खोज (a) लेंज का नियम
2. भँवर धारा (b) एक कुण्डली
3. स्वप्रेरण (c) फैराडे
4. अन्योन्य प्रेरण (d) फोको धारा
5. प्रेरित धारा की दिशा (e) दो कुण्डली।

उत्तर-
1. (c) फैराडे
2.  (d) फोको धारा
3. (b) एक कुण्डली
4. (e) दो कुण्डली।
5. (a) लेंज का नियम.