भाषा भारती कक्षा 6 पाठ 1 विजयी विश्व तिरंगा प्यारा प्रश्न उत्तर हिंदी

In this article, we will share MP Board Class 6th Hindi Solutions Chapter 1 विजयी विश्व तिरंगा प्यारा PDF download, Class 6 Hindi Bhasha Bharti Chapter 1, these solutions are solved subject experts from the latest edition books.

Class 6th Hindi Bhasha Bharti Chapter 1 Vijayi Vishwa Tiranga Pyara Question Answer Solutions

MP Board Class 6th Hindi Chapter 1 Vijayi Vishwa Tiranga Pyara Questions and Answers

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा प्रश्न उत्तर MP Board Class 6th Hindi प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) सदा शक्ति …………… वाला।
(ख) प्रेम सुधा …………… वाला।
(ग) स्वतन्त्रता के …………..रण में।
(घ) मिट जाय भय …………… सारा।
(ङ) तब होवे प्रण …………… हमारा।
उत्तर
(क) बरसाने
(ख) सरसाने
(ग) भीषण
(घ) संकट
(ङ) पूर्ण।

भाषा भारती कक्षा 6 पाठ 1 MP Board Class 6th Hindi प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) कवि के अनुसार हमारा ध्येय क्या है?
उत्तर
कवि के अनुसार हमारा ध्येय पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त करना है।

(ख) झंडे को ऊँचा रखने से क्या तात्पर्य है?
उत्तर
हमारा देश हमेशा ही शक्ति का प्रेरणा स्रोत, प्रेमरूपी अमृत से संचित करने वाला, मातृभूमि के लिए वीरों के तन-मन से प्यारा है। इन्हीं कारणों से भारतवर्ष की विश्व में गौरवपूर्ण प्रतिष्ठा है। कवि चाहता है कि ऐसे गौरवशाली देश का राष्ट्रीय झण्डा ‘तिरंगा’ सदैव ऊँचा ही रहे।

(ग) कवि ने झंडे को ‘विजयी विश्व तिरंगा प्यारा’ क्यों कहा है?
उत्तर
कवि ने भारतीय झण्डे ‘तिरंगे’ को ‘विजयी विश्व तिरंगा प्यारा’ इसलिए कहा है क्योंकि कवि का मानना है कि ‘तिरंगा’ हमारी राष्ट्रीय भावनाओं का प्रमुख प्रेरणा स्रोत है। इसको देखकर प्रत्येक भारतीय स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता है।

(घ) कवि वीरों को क्यों बुला रहा है ?
उत्तर
कवि मातृभूमि को स्वतन्त्र कराने के उद्देश्य से स्वयं के प्राणों की आहुति के लिए वीरों का आह्वान कर रहा है।

(ङ) तिरंगे को देखकर वीरों के मन में कौन-से भाव जाग्रत होते हैं ? .
उत्तर
तिरंगा विश्व में हमारी शान एवं विजय का प्रतीक है। यह वीरों के मन में शक्ति, जोश, आनन्द एवं साहस के भावों का संचार करने वाला है। तिरंगा हमें अपने देश की रक्षार्थ अपनी जान तक बलिदान करने के लिए प्रतिपल प्रेरित करता रहता है।

(च) स्वतंत्रता संग्राम में शत्रु की दशा कैसी है ?
उत्तर
स्वतंत्रता संग्राम में माँ भारती के वीर सपूतों के साहस व पराक्रम को देखकर शत्रु काँपने लगते हैं।

Vijayi Vishwa Tiranga Pyara Question Answer MP Board Class 6th Hindi प्रश्न 3.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए

(क) मातृभूमि का तन-मन सारा।
झंडा ऊँचा रहे हमारा॥

(ख) स्वतंत्रता के भीषण रण में।
लखकर जोश बढ़े क्षण-क्षण में।

(ग) इस झंडे के नीचे निर्भय,
रहे स्वतंत्र यह अविचल निश्चय,

(घ) इसकी शान न जाने पाए.
चाहे जान भले ही जाए।

उत्तर
खण्ड ‘क’ : सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या देखें।

भाषा की बात

Mp Board Class 6 Hindi Chapter 1  प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए
स्वतन्त्रता, मातृभूमि, निर्भय, निश्चय, ध्येय, प्रण।
उत्तर
अपने अध्यापक महोदय की सहायता से अपनी कक्षा में शुद्ध उच्चारण कीजिए और अभ्यास कीजिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए
पूरण, सान, विरो, ऊंचा।
उत्तर
पूर्ण, शान, वीरो, ऊँचा।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए
सुधा, विश्व, झंडा, माता, शत्रु, तन।
उत्तर
सुधा – अमृत, अमिय
विश्व. – जगत, संसार
झंडा- ध्वज, पताका
माता – जननी, माँ
शत्रु – बैरी, अरि
तन – देह, शरीर।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिएस्वतंत्र, शत्रु, नीचे, विजय।
उत्तर
शब्द – विलोम
स्वतंत्र – परतंत्र
शत्रु – मित्र

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या

(1) विजयी विश्व तिरंगा प्यारा।
झण्डा ऊंचा रहे हमारा॥
सदा शक्ति बरसाने वाला,
प्रेम सुधा सरसाने वाला;
वीरों को हरषाने वाला,
मातृभूमि का तन-मन सारा।
झण्डा ऊंचा रहे हमारा॥

शब्दार्थ-विजय = जीत प्राप्त करने वाला। तिरंगा = तिरंगा झण्डा । सुधा = अमृत। सरस = सुन्दर। हरषाना = खुश करना। तन = शरीर। सदा = हमेशा।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘भाषा भारती’ के ‘विजयी विश्व तिरंगा प्यारा’ नामक पाठ से अवतरित है। यह श्री श्यामलाल ‘पार्षद’ द्वारा रचित है।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश में विश्व विजय के प्रतीक रूप में तिरंगे झण्डे के गौरव का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-कवि की यह हार्दिक इच्छा है कि सारी दुनिया में जीत प्राप्त करने वाला हमारा यह तिरंगा हमेशा सबसे ऊँचाई पर फहराता रहे। हमेशा शक्ति का प्रेरणास्रोत, प्रेम रूपी अमृत से संचित करने वाला, वीरों को प्रमुदित (प्रसन्न) करने वाला एवं मातृभूमि के लिए तन तथा मन के समान प्यारा यह तिरंगा सदा दुनिया में सबसे ऊँचाई पर शान से फहराता रहे।

(2) स्वतन्त्रता के भीषण रण में,
लखकर जोश बढ़े क्षण-क्षण में;
काँपे शत्रु देखकर मन में,
मिट जाये भय संकट सारा।
झण्डा ऊँचा रहे हमारा॥

शब्दार्थ-भीषण रण = भयंकर संग्राम लखकर = देखकर । क्षण-क्षण = प्रत्येक पल। संकट = मुसीबत।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने तिरंगे झण्डे को जोश तथा प्रेरणा का उद्गम स्थल ठहराया है।

व्याख्या-आजादी के संग्राम को देखकर देश में वीरों का जोश हर क्षण बढ़ता जाता है तथा उनके जोश को देखकर ही दुश्मन भयभीत होकर मन ही मन काँपने लगता है एवं जो सब प्रकार के डर तथा मुसीबतों को समाप्त करने वाला है। ऐसा हर क्षण हमारे मन में जोश तथा उमंग का संचार करने वाला प्रिय तिरंगा झण्डा सारी दुनिया में सबसे ऊँचाई पर हमेशा फहराता रहे।

(3) इस झण्डे के नीचे निर्भय,
रहे स्वतन्त्र यह अविचल निश्चय;
बोलो भारत माता की जय,
स्वतन्त्रता है ध्येय हमारा।
झण्डा ऊंचा रहे हमारा॥

शब्दार्थ-निर्भय = बिना डर के। संकल्प = प्रतिज्ञा। ध्येय = उद्देश्य, लक्ष्य।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने आजादी के लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाने का संकेत दिया है।

व्याख्या-इस झण्डे के नीचे रहते हुए निर्भय होकर हम स्वतन्त्रता प्राप्त करने के लक्ष्य पर डटे रहें। आओ भारत माता की जय बोलते हुए हम संकल्प (प्रतिज्ञा) करें कि स्वतन्त्रता प्राप्त करना ही हमारा सबसे ऊँचा उद्देश्य है। संगठन, हेलमेल तथा निडरता का प्रतीक तिरंगा सारी दुनिया में सबसे ऊँचाई पर लहराता रहे।

(4) आओ प्यारे वीरो, आओ,
देश धर्म पर बलि-बलि जाओ;
एक साथ सब मिलकर गाओ,
प्यारा भारत देश हमारा।
झण्डा ऊंचा रहे हमारा।’

शब्दार्थ-बलि = कुर्बान, बलिदान। सन्दर्भ=पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने वीरों (बहादुरों) को अपने देश की आजादी के लिए अपना बलिदान करने को कहा है।

व्याख्या-भारत के प्यारे वीरो! आओ तथा देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दो अथवा देश पर कुर्बान हो जाओ। सब समवेत स्वर में कहो कि भारत हमारा प्यारा देश है। समस्त विजय भावना का प्रतीक हमारा प्यारा झण्डा सबसे ऊँचाई पर लहराकर हमें जोश प्रदान करता रहे।

(5) इसकी शान न जाने पाये,
चाहे नान भले ही जाये;
विश्व विजय करके दिखलाएँ,
तब होवे प्रण पूर्ण हमारा।
झण्डा ऊंचा रहे हमारा॥

शब्दार्थ-शान = गौरव, प्रतिष्ठ। जान = प्राण। प्रण – प्रतिज्ञा। सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-कवि ने प्रस्तुत पद्यांश में तिरंगे के गौरव को चिरस्थायी बनाने का आह्वान किया है।

व्याख्या-भारत की शान एवं गौरव के प्रतीक इस तिरंगे की प्रतिष्ठा में तनिक भी कमी नहीं आनी चाहिए भले ही इसकी रक्षा के लिए हमें अपने प्राणों को कुर्बान करना पड़े। जब हम वास्तव में विजय प्राप्त कर लेंगे अर्थात् देश आजाद हो जायेगा तभी हमारा प्रण (प्रतिज्ञा) पूरा ठहराया जाएगा।

MP Board Class 6 Hindi Question Answer