MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 11 झाँसी की रानी

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MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 11 झाँसी की रानी

MP Board Class 6th Hindi Bhasha Bharti Chapter 11 पाठ का अभ्यास

प्रश्न 1.
दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर लिखिए

(क) रानी के बचपन की सहेलियाँ थीं
(i) चाकू, छुरी
(ii) तोप, बन्दूक,
(iii) बरछी, ढाल
(iv) तीर कमान।
उत्तर
(iii) बरछी, ढाल

(ख) रानी लक्ष्मीबाई बचपन में ही सीख गई थी
(i) गायन कला
(ii) नृत्य कला
(iii) शस्त्र कला
(iv) पाक कला।
उत्तर
(ii) नृत्य कला

(ग) रानी की सखियाँ साथ आई थीं
(i) कुन्ती और सुनीता
(ii) मीना और कांति,
(iii) काना और मुंदरा
(iv) मुन्द्रा और कान्हा।
उत्तर
(iii) काना और मुंदरा

(घ) रानी की तलवार से घायल होकर रण क्षेत्र से भागा था
(i) लार्ड डलहौजी
(ii) लेफ्टिनेंट वॉकर
(iii) जनरल स्मिथ
(iv) रोज।
उत्तर
(ii) लेफ्टिनेंट वॉकर

(ङ) बलिदान के समय वीरांगना लक्ष्मीबाई की उम्र थी
(i) तेईस वर्ष
(ii) बीस वर्ष
(iii) चौबीस वर्ष
(iv) पच्चीस वर्ष।
उत्तर
(i) तेईस वर्ष

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) वीर शिवाजी की ……… उनको याद जवानी थी।
(ख) हुई वीरता की ………. के साथ सगाई झाँसी में।
(ग) रानी एक …….. बहुतेरे होने लगे वार पर वार।
(घ) गुमी हुई …………. की कीमत सबने पहचानी थी।
उत्तर
(क) गाथाएँ
(ख) वैभव
(ग) शत्रु
(घ) आजादी।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) लक्ष्मीबाई ने बचपन में कौन-कौन से शस्त्रों को चलाना सीख लिया था ?
उत्तर
लक्ष्मीबाई ने अपने बचपन में ही बरछी, ढाल, कृपाण और कटारी चलाना सीख लिया था।

(ख) झाँसी के राजा की मृत्यु होने पर डलहौजी प्रसन्न क्यों हुआ था ?
उत्तर
झाँसी के राजा की मृत्यु होने पर डलहौजी इसलिए प्रसन्न हुआ था क्योंकि राजा नि:सन्तान ही मर गए थे। लावारिस राज्य का अंग्रेजी शासन वारिस बन जाता था। ऐसा नियम उस समय के डलहौजी ब्रिटिश शासक ने बनाया था। यह नियम ब्रिटिश शासकों की राज्य-हड़प नीति कहलाई। डलहौजी इस कारण प्रसन्न हुआ कि अब झाँसी का राज्य भी ब्रिटिश शासन में शामिल हो जाएगा।

(ग) अंग्रेजों ने भारतीय राज्यों पर किस प्रकार अधिकार किया?
उत्तर
अंग्रेजों ने भारतीय राज्यों को अपने अधिकार में कर लिया क्योंकि भारतीय राज्यों के बहुत से शासक नि:सन्तान थे और उन्हें दत्तक पुत्र लेकर राज्य का वारिस बनाने का कोई अधिकार नहीं है, ऐसा नियम बनाकर राज्य हड़प नीति के अन्तर्गत भारतीय राज्यों को अपने अधीन कर लिया।

(घ) ‘हमको जीवित करने आई, बन स्वतंत्रता नारी थी,’ से कवयित्री का आशय क्या है ?
उत्तर
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने झाँसी को आजाद बनाए रखने के लिए कुल तेईस वर्ष की उम्र में ही अपना बलिदान कर दिया। वह अत्यन्त तेजस्वी थी। उन्होंने स्वतंत्रता की नारी के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने हम सभी भारतीयों को ‘स्वतंत्रता ही जीवन था इस तरह शिक्षा देने के लिए अवतार लिया था। उन्होंने हमें आजादी का मार्ग दिखाने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उन्हें जो भी हम भारतीयों को सिखाना था, वह अपने बलिदान से सिखा दिया। वह स्वतंत्रता की साक्षात् देवी थी।

(ङ)’झाँसी की रानी’ कविता से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर
‘झाँसी की रानी’ कविता से हमें प्रेरणा मिलती है कि हम अपनी मातृभूमि की आजादी की रक्षा अपने प्राणों की बलि चढ़ा कर भी करें। अन्याय के आगे नझुकें। साथ ही, हमारे अन्दर राष्ट्र प्रेम और राष्ट्रीयता की भावना पुष्ट होती है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए

(क) हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में।
(ख) जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई, मर्द बनी मर्दानों में।
(ग) घायल होकर गिरी सिंहनी, उसे वीरगति पानी थी।
(घ) मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी।
उत्तर
‘सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या’ शीर्षक के अन्तर्गत पद्यांश संख्या 3,7, 10 व 11 की व्याख्या देखिए।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिएभृकुटी, कृपाण, वैभव, वज्र, अश्रुपूर्ण।
उत्तर
कक्षा में अध्यापक महोदय के सहयोग से शुद्ध रूप से उच्चारण सीखिए और अभ्यास कीजिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों में सही मात्रा लगाकर उनके शुद्ध रूप लिखिए
(i) किमत,
(ii) फीरंगी
(iii) झांसि
(iv) उदीत
(v) खुब
(vi) बून्देले
(vii) शत्रु
(viii) मनूज।
उत्तर-(i) कीमत, (ii) फिरंगी, (ii) झाँसी, (iv) उदित, (v) खूब, (vi) बुन्देले, (vii) शत्रु, (vii) मनुज।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों में तत्सम और तद्भव शब्द छाँटकर लिखिए
कृपाण, बूढ़ा, मुंह, चिन्ता, पिता, सौभाग्य, शोक, सौख, शत्रु, मनुजा
उत्तर
तत्सम – कृपाण, चिन्ता, सौभाग्य, शोक, शत्रु।
तद्भव – बूढ़ा, मुँह, पिता, सीख, मनुज।

प्रश्न 4.
सु, वि, सम् उपसर्ग लगाकर तीन-तीन शब्द बनाइए
उत्तर
(क)
(i) सु + भट = सुभट
(ii) सु + मति = सुमति,
(iii) सु + लेख = सुलेख
(iv) सु + मुखी = सुमुखी।

(खा)
(i) वि + राट – विराट
(ii) वि + रूप – विरूप
(iii) वि + जय – विजय
(iv) वि + ख्यात – विख्यात।

(ग)
(i) सम् + मुख – सम्मुख
(ii) सम् + वृद्धि – सम्वृद्धि
(iii) सम् + मिलित – सम्मिलित्
(iv) सम् + ऋद्धि- समृद्धि।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
(i) सिंहासन, (ii) गाथा, (iii) मैदान, (iv) वीरगति (v) स्वतंत्रता।
उत्तर-
(i) राजसभा में सिंहासन पर राजा विराजमान है।
(ii) लक्ष्मीबाई की वीरता की गाथा बुन्देलखण्ड का बच्चा-बच्चा गाता है।
(iii) लड़ाई के मैदान में वीरों ने युद्ध किया।
(iv) अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध करते हुए अपने वीरों ने वीरगति पाई थी।
(v) स्वतंत्रता के दीवाने फाँसी के फंदों को चूमते हुए शहीद हो गए।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ स्पष्ट करते हुए वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
(i) स्वर्ग सिधारना
(ii) मुँह की खाना।
उत्तर
(i) स्वर्ग सिधारना – मृत्यु प्राप्त करना।
प्रयोग-आजादी की रक्षा के लिए युद्ध करते हुए अनेक वीर स्वर्ग सिधार गए।
(ii) मुंह की खाना- बुरी तरह पराजित होना।
प्रयोग-पाक सेना को भारत की सेना से हर युद्ध में मुँह की खानी पड़ी है।

झाँसी की रानी सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या

(1) ‘सिंहासन हिल छ’, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी।
बूढ़े भारत में भी आई, फिर से नई जवानी थी।
गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी।
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन् सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।1।

शब्दार्थ-राजवंशों ने = राजा-महाराजाओं ने। भृकुटी = भौंहें (क्रोध में भर उठे थे)। गुमी हुई = खोई हुई। फिरंगी = अंग्रेजों ने।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘भाषा-भारती’ के ‘झाँसी की रानी’ नामक पाठ से ली गई हैं। इसकी रचयिता ‘श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान’ हैं।

प्रसंग-यहाँ पर कवयित्री ने झाँसी की रानी की वीरता का उल्लेख किया है। जब रानी झाँसी के सिंहासन पर बैठी तो उन्होंने अंग्रेजों से अपने देश को आजाद कराने के लिए उनसे युद्ध किया।

व्याख्या-जब लक्ष्मीबाई झाँसी की रानी बनी तो उन्होंने भारतीय जनता में आजादी का मन्त्र फूंक दिया। अंग्रेजों के द्वारा गुलाम बनाये गये राजाओं ने भी अंग्रेजों से युद्ध करने का संकल्प लिया। क्रोध में उनकी भौहें तन उठी और देश में उथल-पुथल मच गई। भारत जो आजादी की आशा ही छोड़ चुका था उसमें एक नई आशा जागी। अब सबको लग रहा था कि अपनी आजादी जो उन्होंने खो दी थी वह अत्यन्त कीमती थी। अब सबने भारत से अंग्रेजों को खदेड़ने का निश्चय कर लिया। इस प्रकार सन् 1857 में फिर से अतीत के गौरव की वह तलवार युद्ध में चमक उठी। इस कहानी को बुन्देलखण्ड के हरबोले (गवैये) गाते हैं कि झाँसी की रानी ने अंग्रेजों के साथ पुरुषों की भांति जमकर युद्ध किया था।

(2) कानपुर के नाना की मुंह बोली बहिन छबीली थी।
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी।
नाना के संग पढ़ती थी वह, नाना के संग खेली थी।
बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी, उसकी यही सहेली थी।
वीर शिवाजी की गाथाएँ, उसको याद जबानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।2।

शब्दार्थ-सन्तान = पुत्र-पुत्री। गाथाएँ = कहानियाँ । कृपाण = तलवार।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में लक्ष्मीबाई के साहस और वीरता का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-लक्ष्मीबाई कानपुर के नाना साहब की मुंहबोली बहिन थीं। उन्होंने बचपन में उनका नाम छबीली रखा था। लक्ष्मीबाई अपने पिता की इकलौती सन्तान थीं। वह बचपन में नाना के साथ पढ़ती थीं और उन्हें के साथ खेलती थीं। बचपन में उनके प्रिय खेल थे बरछी, बाल, तलवार और कटारों से खेलना। यही उनके खिलौने थे और यही उन्हें अपनी सहेलियों की तरह प्रिय थे। लक्ष्मीबाई बचपन से साहसी थीं। वीर शिवाजी की वीरता की कहानियाँ उन्हें बचपन से ही याद थीं। यह कहानी बुन्देलखण्ड के हरबोले बड़े जोर-शोर से गाते हैं कि लक्ष्मीबाई मदों की तरह अंग्रेजों से खूब लड़ी थीं।

(3) हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में।
ब्याह हुआ, रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में।
राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छाई झाँसी में।
सुभट-बुन्देलों की विरुदावलि-सी वह आईझाँसी में।
चित्रा ने अर्जुन को पाया शिव से मिली भवानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।3।

शब्दार्थ-वैभव = सम्पन्नता। विरुदावलि – प्रशंसा के गीत। भवानी = पार्वती जी।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-इन पंक्तियों में लक्ष्मीबाई के विवाह का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-लक्ष्मीबाई वीरता की साकार मूर्ति थी। उनकी सगाई झाँसी के राजा के साथ हो गई और वे विवाह करके झाँसी की रानी बन गई। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वीरता का विवाह सम्पन्नता के साथ हुआ हो। राजभवन में बधाइयाँ बर्जी, खूब खुशियाँ मनाई गई। भाट लोग उनकी प्रशंसा के गीत गाते थे। उन्होंने झाँसी के राजा को उसी प्रकार प्राप्त किया था जैसे चित्रा ने अर्जुन को और पार्वती ने शंकर जी को प्राप्त किया था। यह कहानी बुन्देलखण्ड के हरबोले गाते हैं। झाँसी की रानी पुरुषों के समान बड़ी वीरता से लड़ी थी।

(4) उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजियालीछाई।
किन्तु काल-गति चुपके चुपके, काली घटा घेर लाई।
तीर चलाने वाले कर में, उसे चूड़ियाँ कब भाई।
रानी विधवा हुई हाय ! विधि को भी नहीं दया आई।
निःसंतान मरे राजाजी, रानी शोक समानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।4।

शब्दार्थ-उदित = उदय। मुदित = प्रसन्न। उजियाली = चमक,खुशियाँ । कालगति = मृत्यु की गति । काली घटा = दु:ख के बादल। कर हाथ। विधि=विधाता। शोक= दुःख।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-इन पंक्तियों में लक्ष्मीबाई के जीवन में आये दुःखों का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-रानी जब विवाह करके झाँसी आई तो ऐसा लग रहा था मानो सौभाग्य उदय हो गया है। महल में प्रसन्नता का वातावरण था किन्तु काल की गति को कोई नहीं जान सकता। वहाँ दु:ख के बादल कब छा गए किसी को कुछ भी पता न चला। विधाता को भी रानी के तीर चलाने वाले हाथों में चूड़ियाँ नहीं सुहाई। राजा की असमय मृत्यु से रानी विधवा हो गई। उनके कोई सन्तान भी नहीं थी। अब रानी के शोक का ठिकाना नहीं था। ऐसा बुन्देलखण्ड हरबोले गाते हैं। झाँसी की रानी ने अंग्रेजों से पुरुषों की भाँति वीरता से युद्ध किया।

(5) बुङ्गमा दीप झाँसी का तब डलहौजी मन में हर्षाया।
राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया।
फौरन फौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया।
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज झाँसी आया।
अश्रुपूर्ण रानी ने देखा, झाँसी हुई विरानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।5।

शब्दार्थ-हर्षाया = प्रसन्न हुआ। दुर्ग = किला। लावारिस = जिसका कोई उत्तराधिकारी न हो। वारिस = उत्तराधिकारी। वीरानी = परायी।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में अंग्रेजों के खिलाफ रानी के द्वारा युद्ध करने का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-जब राजा की मृत्यु हो गई तो अंग्रेज गवर्नर डलहौजी बड़ा प्रसन्न हुआ। उसने सोचा कि अब झाँसी का राज्य हड़पने का अच्छा मौका है। उसने अपनी फौजें झाँसी की ओर भेज दर्दी और किले पर अपना झण्डा फहरा दिया। वह लावारिस झाँसी का वारिस (मालिक) बन बैठा। रानी को इससे बड़ी भारी पीड़ा हुई। आँखों में आँसू भर कर उसने देखा कि झाँसी परायी हुई जा रही है। बुन्देलखण्ड के हरबोले गाते हैं कि झाँसी वाली रानी ने मर्दो की भाँति अंग्रेजों से वीरतापूर्वक युद्ध किया।

(6) छिनी राजधानी देहली की, लिया लखनऊ बातोंबात।
कैद पेशवा था बिठूर में, हुआ नागपुर पर भी घात।
उदैपुर, तंजौर, सतारा, कर्नाटक की कौन बिसात।
जबकि सिंध, पंजाब, ब्रह्म पर,अभी हुआ था बजनिपात।
बंगाल, मद्रास आदि की, भी तो यही कहानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।6।

शब्दार्थ-घात = निशाना लगाना। विसात – ताकत। बज-निपात = बिजली टूटना।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में अंग्रेजों द्वारा भारत में अपने शासन को किस तरह स्थापित किया गया। इसका वर्णन किया गया है।

व्याख्या-अंग्रेजों ने दिल्ली, लखनऊ को बड़ी आसानी से अपने कब्जे में कर लिया, उन्होंने पेशवा को बिठूर में कैद कर लिया। नागपुर, उदयपुर, तंजौर, सतारा, कर्नाटक आदि का तो कहना ही क्या उन्होंने सिंध, पंजाब, ब्रह्मपुत्र, बंगाल, मद्रास आदि नगरों समेत पूरे भारत को अपने अधीन कर लिया। बुन्देलखण्ड के हरबोले इसी कहानी को गाते हैं कि झाँसी वाली रानी ने मर्दो की तरह साहस से अंग्रेजों से खूब डटकर युद्ध किया था।

(7) इनकी गाथा छोड़ चलें हम, झांसी के मैदानों में।
जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई, मर्द बनी मर्दानों में।
लेफ्टिनेंट वॉकर आ पहुँचा, आगे बढ़ा जवानों में।
रानी ने तलवार खींच ली, हुआ द्वन्द्व असमानों में।
जख्मी होकर वॉकर भागा उसे अजब हैरानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।7।

शब्दार्थ-गाथा = कथा, कहानी। द्वन्द्व = दो व्यक्तियों का परस्पर युद्ध। असमान = बराबर नहीं। अजब = अनोखा।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में रानी लक्ष्मीबाई के युद्ध कौशल का सजीव वर्णन किया गया है।

व्याख्या-रानी लक्ष्मीबाई की वीरता और उनके अद्भुत युद्ध कौशल की कहानियाँ झाँसी के मैदानों में बिखरी पड़ी हैं। युद्ध के दौरान वे पुरुष रूप धारण कर कहर बरपाती थी। अंग्रेजों से छिड़े भीषण युद्ध में अंग्रेजों की सेना का लेफ्टिनेंट वॉकर रानी से युद्ध करने के लिए आगे आया। रानी ने अपनी चमचमाती तलवार खींच ली और इसके साथ ही दो बिना बराबरी के योद्धाओं (एक पुरुष व एक महिला) में युद्ध प्रारम्भ हो गया किन्तु रानी लक्ष्मीबाई के रण-कौशल के आगे उसकी एक न चली और वह शीघ्र ही घायल होकर मैदान से भाग गया। उसे एक महिला के यूँ वीरता-प्रदर्शन पर काफी आश्चर्य था। बुन्देलखण्ड के हरबोले इसी कहानी को गाते हैं कि झाँसी वाली रानी ने मदों की तरह साहस से अंग्रेजों से खूब डटकर युद्ध किया था।

(8) रानी बढ़ी कालपी आई, कर सौ मील निरंतर पार।
घोड़ा थककर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार।
यमुना तट पर अंग्रेजों ने, फिर खाई रानी से हार।
विजयी रानी आगे चल दी किया ग्वालियर पर अधिकार।
अंग्रेजों के मित्र, सिंधिया ने छोड़ी रजधानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुंह, हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।।8।

शब्दार्थ-निरंतर = लगातार । तत्काल = तुरन्त, जल्दी ही। सिधार = मरकर। रजधानी = राजधानी।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने रानी लक्ष्मीबाई के अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष की अमर गाथा का सुन्दर वर्णन किया है।

व्याख्या-झाँसी पर जब अंग्रेजों ने अपना शासन स्थापित कर लिया तो रानी लक्ष्मीबाई ने उनके विरुद्ध युद्ध का बिगुल बजा दिया। इसी क्रम में वह अपनी एक छोटी-सी टुकड़ी के साथ लगभग सौ मील का लम्बा सफर तय करके कालपी आ पहुँची। इतनी लम्बी दूरी और वह भी लगातार, अत्यधिक थकान के कारण रानी का प्रिय घोड़ा बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़ा और अगले ही पल उसकी मृत्यु हो चुकी थी। घोड़े की मृत्यु से रानी को झटका लगा किन्तु उसने हिम्मत नहीं हारी। इस बीच अंग्रेजों को रानी के कालपी पहुँचने की सूचना मिल चुकी थी।

यमुना के किनारे अंग्रेजों और रानी के मध्य युद्ध हुआ। फिर से रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ाए और उन्हें पराजय का मुँह देखने के लिए मजबूर कर दिया। अंग्रेजों को धूल चटाने के पश्चात् बड़े मनोबल व आत्मविश्वास के साथ रानी लक्ष्मीबाई ने कालपी से ग्वालियर की ओर कूच किया और ग्वालियर पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। रानी के हाथों परास्त ग्वालियर के पूर्व राजा सिंधिया, जो अंग्रेजों का मित्र भी था को अपनी राजधानी छोड़कर भाग जाना पड़ा था। बुन्देलखण्ड के हरबोले इसी कहानी को गाते हैं कि झाँसी वाली रानी ने मर्दो की तरह साहस से अंग्रेजों से खूब डटकर युद्ध किया था।

(9) विजय मिली पर अंग्रेजों की फिर सेना घिर आई थी।
अब जनरल स्मिथ सम्मुख था, उसने मुंह की खाई थी।
काना और मुंदरा सखियाँ रानी के संग आई थीं।
युद्ध क्षेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी।
पर पीछे छूरोज आ गया, हाय ! घिरी अब रानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।91

शब्दार्थ-विजय = जीत। सम्मुख = सामने। मुँह की खाना = पराजित होना।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियों में रानी और उसकी सहेलियों द्वारा अंग्रेजों के दाँत खट्टे करने व रानी के दुश्मनों के मध्य घिर जाने का वर्णन किया गया है।

व्याख्या-रानी लक्ष्मीबाई से मिली करारी हार से बौखलाकर अंग्रेजों ने अब बहुत बड़ी सेना लड़ने के लिए भेजी। इस बार अंग्रेजी सेना का प्रमुख जनरल स्मिथ था, किन्तु उसकी एक न चली और रानी लक्ष्मीबाई और उनकी दो सहेलियों काना और मुन्दरा ने युद्ध के मैदान में अंग्रेजी सेना पर कहर बरपाते हुए जनरल स्मिथ को पराजित कर दिया। पर देखते ही देखते एक नये दल-बल के साथ पीछे से यूरोज लड़ने के लिए युद्ध-मैदान पर आ पहुँचा। रानी और उसकी छोटी-सी सेना अब बुरी तरह घिर चुकी थी। बुन्देलखण्ड के हरबोले इसी कहानी को गाते हैं कि झाँसी वाली रानी ने मदों की तरह साहस से अंग्रेजों से खूब डटकर युद्ध किया।

(10) तो भी रानी मार काटकर चलती बनी सैन्य के पार।
किन्तु सामने नाला आया, था वह संकट विषम अपार।
घोड़ा अड़ा नया घोड़ा था, इतने में आ गये सवार।
रानी एक शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार पर वार।
घायल होकर गिरी सिंहनी, उसे वीरगति पानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।10।

शब्दार्थ-सैन्य = सेना। विषम = भयानक। सवार = घुड़सवार सैनिक । वीरगति = युद्ध में बहादुरी से लड़ते हुए मृत्यु को प्राप्त हो जाना।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-झाँसी पर जब अंग्रेजों ने आक्रमण किया तो रानी | लक्ष्मीबाई ने उनका बड़ी बहादुरी से मुकाबला किया। रानी का घोड़ा कालपी में आकर मर गया तब उन्होंने नया घोड़ा लिया और अंग्रेजों की सेना में मार-काट मचा दी।

व्याख्या-रानी शत्रुओं से घिरी हुई थी किन्तु वह बड़ी वीरता से उन्हें मारकर अपने लिये रास्ता निकाल लेती थी किन्तु, एक नाले के पास घोड़े के अड़ जाने से शत्रुओं ने उसे फिर से घेरने का मौका पा लिया। युद्ध में रानी बुरी तरह घायल हो गई। इस प्रकार वह बहादुर सिंहनी लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गई। बुन्देले हरबोले आज भी उसकी गौरव गाथा गाकर बताते हैं कि रानी लक्ष्मीबाई ने बड़ी बहादुरी से युद्ध किया था।

(11) रानी गई सिधार, चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी।
मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी।
अभी अ कुल तेईस की थी, मनुज नहीं अवतारी थी।
हमको जीवित करने आई, बन स्वतंत्रता नारी थी।
दिखा गई पथ सिखा गई, हमको जो सीख सिखानी थी।
बुन्देले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी। 11।

शब्दार्थ-सिधार = स्वर्ग सिधार गई। दिव्य = अलौकिक, दैवीय। तेज = प्रकाश (आत्मा का प्रकाश परमात्मा के प्रकाश से मिल गया)। मनुज = मनुष्य। अवतारी = अवतार लेने वाली देवी। स्वतन्त्रता नारी= स्वतन्त्रता की देवी। पथ-रास्ता। सीख = शिक्षा।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-इन पंक्तियों में कवयित्री ने झाँसी की रानी की वीरता का वर्णन बड़ी भावपूर्ण शैली में किया है।

व्याख्या-झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई स्वर्ग सिधार गई। अब उसकी अलौकिक सवारी स्वर्ग का विमान था। उसकी आत्मा का तेज परमात्मा के तेज से मिल गया। रानी ने मोक्ष प्राप्त किया। वह इसकी सच्ची अधिकारिणी भी थीं। तेईस साल की उम्र में उसकी वीरता को देखकर ऐसा लगता था कि वह कोई मनुष्य नहीं थी बल्कि अवतार लेकर कोई देवी आई थी। वह स्वतन्त्रता की देवी हमें एक नया जीवन देने आई थीं। वह हमें स्वतन्त्रता का रास्ता दिखा गई और अपने देश को स्वतन्त्र कराने का पाठ पढ़ा गई। बुन्देलखण्ड के हरबोले इस कहानी को गाते हैं कि वह मर्दो जैसे युद्ध करने वाली रानी जो बड़ी वीरता से लड़ी थी, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ही थी।