Students get through the MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 13 नाभिक which are most likely to be asked in the exam.
MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 13 नाभिक
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
A1 और A2 द्रव्यमान संख्या वाले दो नाभिकों की त्रिज्याओं का अनुपात क्या होगा?
(CBSE 1993, 95)
उत्तर:
सूत्र- R = R0A1/3 से,
R1 = R0A11/3 तथा R = R0A21/3
∴ \(\frac{R_{1}}{R_{2}}=\left(\frac{A_{1}}{A_{2}}\right)^{1 / 3}\)
प्रश्न 2.
10 मिलीग्राम के तुल्य ऊर्जा कितनी होगी? (CBSE 1992)
उत्तर:
E = mc2 = 10 × 10-6 × (3 × 108)2
= 9 × 1011 जूल।
प्रश्न 3.
मुक्त न्यूट्रॉन के क्षय को प्रदर्शित करने वाला समीकरण लिखिए। (CBSE 1992)
उत्तर:
on1 → 1H1 + -1β0 + \(\bar{v}\).
प्रश्न 4.
तापीय न्यूट्रॉन क्या हैं ? (CBSE 1993)
उत्तर:
नाभिकीय विखण्डन की नियंत्रित श्रृंखला में तीव्रगामी न्यूट्रॉनों को मंदकों की सहायता से मन्दित किया जाता है। इन मन्दगामी न्यूट्रॉनों को तापीय न्यूट्रॉन कहते हैं।
प्रश्न 5.
बीटा किरणों का ऊर्जा वितरण सतत् होता है, क्यों? (CBSE 1993)
उत्तर:
क्योंकि β -क्षय के दौरान प्रति-न्यूट्रिनों का उत्सर्जन होता है।
प्रश्न 6.
क्या एक अल्फा-कण के उत्सर्जन के पश्चात् नाभिक में न्यूट्रॉनों और प्रोट्रॉनों का अनुपात बढ़ता है, घटता है अथवा वही रहता है।
(CBSE 1994)
उत्तर:
बढ़ सकता है, घट सकता है अथवा वही रहेगा, यह नाभिक की प्रकृति पर निर्भर करता है।
प्रश्न 7
α – कणों और β – कणों में से किसकी आयनीकरण क्षमता अधिक होती है ? (CBSE 1996)
उत्तर:
α – कणों की।
प्रश्न 8.
α -कणों की आयनीकरण क्षमता बहुत अधिक क्यों होती है ? (CBSE 1998 पूरक)
उत्तर:
क्योंकि α -कणों का द्रव्यमान तथा आकार अधिक होते हैं तथा इनका वेग कम होता है।
प्रश्न 9.
γ – किरणों की वेधन क्षमता अधिक होती है, क्यों? (CBSE 1998 पूरक)
उत्तर:
क्योंकि γ – किरणों का वेग अत्यधिक होता है तथा इनमें कोई आवेश नहीं होता।
प्रश्न 10.
नाभिकीय संलयन को प्रदर्शित करने वाला कोई एक समीकरण लिखिए। (CBSE 1996)
उत्तर-
1H2 + 1H2 →2He4 + Q.
प्रश्न 11.
नाभिकीय संलयन प्रयोगशाला में सम्भव क्यों नहीं है ? (CBSE 1998 पूरक)
उत्तर:
नाभिकीय संलयन के उच्च ताप (≈107 K) और उच्च दाब की आवश्यकता होती है, जो प्रयोगशाला में सम्भव नहीं है।
प्रश्न 12.
विद्युत् – चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के किस भाग की वेधन-क्षमता सर्वाधिक होती है ? (CBSE 1999)
उत्तर:
γ – किरणों की।
प्रश्न 13.
क्या मुक्त न्यूट्रॉन एक स्थायी कण होता है ?
उत्तर:
नहीं। मुक्त न्यूट्रॉन, एक प्रोटॉन, इलेक्ट्रॉन तथा ऐंटीन्यूट्रिनो (D) में क्षय हो जाता है।
0n1 → 1p1 + -1e0 + \(\bar{v}\).
इस क्षय की अर्ध आयु लगभग 78 सेकण्ड होती है।
प्रश्न 14.
भारी नाभिक में प्रोटॉनों की अपेक्षा न्यूट्रॉनों की संख्या अधिक होती है, क्यों ?
उत्तर:
भारी नाभिक के स्थायित्व को बनाये रखने के लिए न्यूट्रॉनों की अधिक संख्या की जरूरत होती है। यदि प्रोटॉनों की संख्या भी अधिक हो जाय तो उनके बीच स्थिर वैद्युत प्रतिकर्षण बल भी अधिक हो जायेगा। इसलिए इस प्रकार का नाभिक अस्थायी होगा।
प्रश्न 15.
यदि रेडियोऐक्टिव पदार्थ से निकलने वाली α, β और γ किरणों के मार्ग में एक कागज की शीट रख दी जाये तो किसके रुक जाने की अधिक संभावना है ?
उत्तर:
α – किरणों के रोके जाने की अधिक संभावना है, क्योंकि उनका द्रव्यमान अधिक होता है।
प्रश्न 16.
नाभिकीय रियेक्टर में भारी जल एक उपयुक्त मन्दक है। क्यों ?
उत्तर:
भारी जल के नाभिक का द्रव्यमान न्यूट्रॉन के द्रव्यमान की कोटि का होता है। अत: न्यूट्रॉन भारी जल से टकराकर मन्द हो जाते हैं।
प्रश्न 17.
xA से प्रदर्शित एक परमाणुn, α – कण उत्सर्जित करता है। कितने प्रोटॉन शेष रहेंगे तथा नये परमाणु का परमाणु क्रमांक क्या होगा? उत्तर-
एक α – कण में 2 प्रोटॉन होते हैं । अत: n, α – कण निकलने से 2n प्रोटॉन कम हो जायेंगे।
∴ शेष प्रोटॉनों की संख्या = Z – 2n.
परमाणु क्रमांक = Y – 2n
प्रश्न 18.
β – कण, α – कण की तुलना में अधिक वेधन क्षमता रखते हैं जबकि इनकी किसी गैस के आयनीकरण की क्षमता कम होती है। ऐसा क्यों ?
उत्तर:
β – कणों का आकार छोटा तथा वेग अधिक होने के कारण इन कणों की α – कणों की तुलना में वेधन क्षमता अधिक होती है। साथ ही आकार छोटा और वेग अधिक होने के कारण गैस के अणुओं से टकराने की संभावना कम हो जाती है। अतः α – कणों की तुलना में β-कणों की आयनीकरण क्षमता कम होती है।
प्रश्न 19.
नाभिकीय संलयन अभी तक पृथ्वी पर एक प्रायोगिक तथा नियंत्रित ऊर्जा स्रोत के रूप में क्यों प्रयुक्त नहीं हुआ है ?
उत्तर:
नाभिकीय संलयन बहुत उच्च ताप पर संभव है। बहुत अधिक ताप पर होने के कारण इनका नियंत्रण संभव नहीं है।
प्रश्न 20.
नाभिकीय विखंडन के लिए केवल न्यूट्रॉन ही उपयुक्त होता है। क्यों ?
उत्तर:
न्यूट्रॉन पर कोई आवेश नहीं होता। अत: वह नाभिक के धनावेश से विक्षेपित नहीं होता। इस प्रकार न्यूट्रॉन नाभिक में सफलतापूर्वक प्रवेश कर सकता है।
प्रश्न 21.
β – किरणें नाभिक से निकलती हैं। ये किरणें तीव्रगामी इलेक्ट्रॉनों से मिलकर बनी होती हैं। परंतु नाभिक में इलेक्ट्रॉन नहीं होते। फिर ऐसा कैसे होता है ?
उत्तर:
नाभिक में इलेक्ट्रॉन नहीं होते। वास्तव में नाभिक में न्यूट्रॉन के प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन में विघटन के कारण B-कण उत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 22.
स्पष्ट कीजिए कि गामा किरणों की वेधन क्षमता अधिक होती है जबकि ऐल्फा किरणों की आयनीकरण क्षमता अधिक होती है।
उत्तर:
गामा किरणें विद्युत चुंबकीय तरंगें हैं। इनका वेग प्रकाश के वेग के बराबर होता है। अतः ये किरणे पदार्थ में अधिक अंदर तक प्रवेश कर जाती हैं। अतः इनकी वेधन क्षमता अधिक होती है। परंतु ऐल्फा किरणों का द्रव्यमान अधिक होता है, अतः गतिज ऊर्जा भी अधिक होती है। फलस्वरूप आयनीकरण क्षमता अधिक होती है।
प्रश्न 23.
नाभिक के आकार का क्रम कितना होता है ?
उत्तर:
10-15m.
प्रश्न 24.
क्या सभी नाभिकों का घनत्व एकसमान होता है ? यदि हाँ तो इसका क्रम बताइए।
उत्तर:
हाँ, 1017 प्रति घन मीटर।
प्रश्न 25.
नाभिक की त्रिज्या उसकी द्रव्यमान संख्या से किस प्रकार संबंधित है ? (All India 2011 C)
उत्तर:
R = R0A1/3
प्रश्न 26.
दो नाभिकों की द्रव्यमान संख्याएँ 1 : 2 के अनुपात में हैं। उसके नाभकीय घनत्वों का अनुपात क्या होगा?
उत्तर:
1 : 1, नाभिकीय घनत्व द्रव्यमान संख्या पर निर्भर नहीं करता है।
प्रश्न 27.
रेडियोऐक्टिवता पर ताप व दाब का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
प्रश्न 28.
a-कण के उत्सर्जन के पश्चात् नाभिक में न्यूट्रॉन और प्रोटॉन का अनुपात घटता है या बढ़ता है या अपरिवर्तित रहता है ?
उत्तर:
बढ़ता है, क्योंकि -कण के उत्सर्जन के पश्चात् प्रोटॉनों की संख्या 2 से कम हो जाती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
α – कणों के प्रकीर्णन सम्बन्धी रदरफोर्ड का प्रयोग नाभिक का साइज ज्ञात करने में किस प्रकार सहायक है ? व्याख्या कीजिए। (CBSE 1993)
उत्तर:
परमाणु के अन्दर नाभिक में सम्पूर्ण धनावेश केन्द्रित होता है। a -कणों में धनावेश होता है। अतः जब a-कण नाभिक के पास आता है तो उस पर प्रतिकर्षण बल लगता है। ज्यों-ज्यों a-कण नाभिक के स्थिर विद्युत्-क्षेत्र में नाभिक के नजदीक पहुँचता जाता है, प्रतिकर्षण बल के कारण उसकी गति मंद होती जाती है। फलस्वरूप उसकी स्थितिज ऊर्जा बढ़ती जाती है और गतिज ऊर्जा कम होती चली जाती है। जब a-कण विरामावस्था में आ जाता है तो उसकी सम्पूर्ण गतिज ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है।
नाभिक से वह कम से कम दूरी, जहाँ तक a-कण पहुँच सकता है, निकटतम पहुँच की दूरी कहलाती है। यही निकटतम पहुँच की दूरी नाभिक की त्रिज्या के बराबर होती है।
प्रश्न 2.
नाभिक में कौन-कौन से कण होते हैं ? zXA नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या क्या होगी?
उत्तर:
नाभिक में प्रोट्रॉन और न्यूट्रॉन होते हैं। नाभिक zXA में न्यूट्रॉनों की संख्या (A-Z)।
प्रश्न 3.
आपको दो नाभिक 3X7 और 3y4 दिये गये हैं।
(i) क्या वे एक ही तत्व के समस्थानिक हैं, क्यों ?
(ii) दोनों में से कौन सा अधिक स्थायी है ? कारण दीजिए। (CBSE 1995, 2000)
उत्तर:
(i) हाँ, वे एक ही तत्व के समस्थानिक हैं, क्योंकि उनका परमाणु क्रमांक समान है।
(ii) नाभिक 3X7 में प्रोट्रॉनों की संख्या 3 तथा न्यूट्रॉनों की संख्या 7 – 3 = 4 है।
नाभिक 3Y4 में प्रोट्रॉनों की संख्या 3 तथा न्यूट्रॉनों की संख्या 4 – 3 = 1 है।
नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या प्रोट्रॉन-प्रोट्रॉन के बीच लगने वाले प्रतिकर्षण बल को कम कर देती है। स्पष्ट है कि नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या अधिक होने पर वह नाभिक अधिक स्थायी होगा। अत: 3X7, 3Y4 की तुलना में अधिक स्थायी है।
प्रश्न 4.
नाभिकीय बलों के दो महत्त्वपूर्ण गुण लिखिए। (CBSE 1992)
उत्तर:
- नाभिकीय बल आकर्षण बल होते हैं।
- ये बल आवेश पर निर्भर नहीं करते।
- ये बल अत्यन्त लघु परास बल हैं।
- ये अत्यन्त तीव्र बल हैं।
- ये बल केन्द्रीय बल नहीं हैं।
प्रश्न 5.
नाभिकीय बलों के गुण लिखिए। सिद्ध कीजिए कि नाभिक में द्रव्य का घनत्व द्रव्यमान संख्या से स्वतंत्र होता है।
(CBSE 1997 पूरक)
उत्तर:
नाभिकीय बलों के गुण-उपर्युक्त प्रश्न देखिए। मानलो किसी नाभिक की द्रव्यमान संख्या A तथा त्रिज्या r है। तब नाभिक का आयतन
V = \(\frac{4}{3}\)πr3
∴ नाभिक का घनत्व ρ = \(\frac{M}{V}\)
= \(\frac{A}{\frac{4}{3} \pi r^{3}}\)
किन्तु r = r0A1/3
मान रखने पर, ρ \(=\frac{A}{\frac{4}{3} \pi r_{0}^{3} A}=\frac{3}{4 \pi r_{0}^{3}}\) = एक नियतांक
अत: नाभिक में द्रव्य का घनत्व उसके द्रव्यमान संख्या से स्वतंत्र होता है।
प्रश्न 6.
रेडियोऐक्टिव पदार्थ के क्षय नियतांक और औसत आयु की परिभाषा लिखिए और प्रत्येक का मात्रक बताइए। (CBSE 1997)
उत्तर:
क्षय नियतांक-लघु उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 12 देखिए । इसका मात्रक प्रति सेकण्ड है।
औसत आयु- किसी रेडियोऐक्टिव पदार्थ की औसत आयु समस्त परमाणुओं के आयु के योगफल और परमाणुओं की कुल संख्या के अनुपात के बराबर होती है।
औसत आयु = \(\frac{1}{\lambda}\)
इसका मात्रक सेकण्ड है।
प्रश्न 7.
विभिन्न नाभिकों की द्रव्यमान संख्या के साथ बंधन ऊर्जा प्रतिन्यूक्लिऑन में परिवर्तन को प्रदर्शित करने वाला ग्राफ खींचिए।
‘प्रायः हल्के नाभिकों में नाभिकीय संलयन की क्रिया होती है, क्यों? (CBSE 2001)
उत्तर:
पहले भाग के उत्तर के लिए उपर्युक्त प्रश्न देखिए।
हल्के नाभिकों की प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा कम होती है। अतः जब दो हल्के नाभिक मिलकर भारी नाभिक बना लेते हैं तो प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा बढ़ जाती है।
प्रश्न 8.
प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा और द्रव्यमान संख्या के मध्य ग्राफ खींचिए। इस ग्राफ के आधार पर समझाइये कि निम्न प्रक्रियाओं में ऊर्जा क्यों मुक्त होती है –
(i) नाभिकीय विखण्डन,
(ii) नाभिकीय संलयन। (CBSE 1990 पूरक)
उत्तर:
पहले भाग के उत्तर के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 2 देखिए।
(i) भारी नाभिकों की प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा कम होती है। अत: यदि किसी भारी नाभिक को दो बराबर भागों में किसी प्रकार विभाजित कर दिया जाये तो प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा बढ़ जायेगी, क्योंकि बीच वाले नाभिकों की प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा अधिक होती है। अत: इस प्रक्रिया में अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा मुक्त होगी। यही नाभिकीय विखण्डन है।
(ii) हल्के नाभिकों की प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा कम होती है। अत: यदि दो हल्के नाभिकों को किसी तरह मिलाकर भारी नाभिक बना दें तब भी प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा बढ़ जायेगी। अतः इस प्रक्रिया में भी अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा मुक्त होगी। यही नाभिकीय संलयन है।
प्रश्न 9.
प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा का तात्पर्य क्या है ?
ड्यूट्रॉन (1H2) और α-कण (2He4) की बंधन ऊर्जा क्रमश: 1.25 और 7.2 MeV प्रति न्यूक्लिऑन है। कौन-सा नाभिक अधिक स्थायी है ? (CBSE 2000 पूरक)
उत्तर:
बंधन ऊर्जा उस बाह्य ऊर्जा के बराबर होती है जो किसी नाभिक को उसके अवयवी न्यूक्लिऑनों में अपघटित करने के लिये आवश्यक होती है। नाभिक की बंधन ऊर्जा और नाभिक में न्यूक्लिऑनों की संख्या के अनुपात को प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा कहते हैं।
किसी नाभिक की प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा जितनी अधिक होती है, वह उतना ही अधिक स्थायी होता है। 2He4 की प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा 1H2 की प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा से अधिक है। अतः 2He4 अधिक स्थायी है।
प्रश्न 10.
रेडियोऐक्टिविटी क्या है ? रेडियोऐक्टिव पदार्थों से निकलने वाली विभिन्न किरणों के नाम लिखिए।
उत्तर:
किसी पदार्थ से स्वतः ही बैकरल किरणों के निकलने की घटना को रेडियो ऐक्टिविटी कहते हैं। रेडियोऐक्टिव पदार्थ से निम्न किरणें निकलती हैं
- α – किरणें,
- β – किरणें और
- γ – किरणें। ।
प्रश्न 11.
रेडियोऐक्टिव नाभिक A निम्नानुसार क्षय होती है –
यदि A2 की द्रव्यमान संख्या 176 और परमाणु क्रमांक x हो तो A1 और A की द्रव्यमान संख्या और परमाणु क्रमांक क्या हैं ? ये समभारिक हैं या समस्थानिक ? (CBSE 1999)
उत्तर:
A2 की द्रव्यमान संख्या = 176 तथा परमाणु क्रमांक = 71
एक α – कण के उत्सर्जित होने से द्रव्यमान संख्या 4 से तथा परमाणु क्रमांक 2 से कम हो जाता है।
∴ A1 की द्रव्यमान संख्या = 176 +4 = 180 तथा परमाणु क्रमांक = 71+ 2 = 73
इसी तरह A की द्रव्यमान संख्या = 180 + 1 = 181 तथा परमाणु क्रमांक = 73 + 0 =73
परमाणु क्रमांक समान होने के कारण A और A1 समस्थानिक हैं।
प्रश्न 12.
रेडियोऐक्टिव पदार्थ के क्षय नियतांक 2 को परिभाषित कीजिए। इसका अर्ध आयु के साथ सम्बन्ध बताइए। (CBSE 1992)
उत्तर:
किसी रेडियोऐक्टिव पदार्थ का क्षय नियतांक वह समय है जिसके पश्चात् रेडियोऐक्टिव पदार्थ में विघटन के कारण परमाणुओं की संख्या मूल मान का 1/e वाँ भाग रह जाती है।
T = \(\frac{0 \cdot 6931}{\lambda}\)
जहाँ, T = अर्ध आयु तथा λ = क्षय नियतांक।
प्रश्न 13.
नाभिकीय विखण्डन क्या है ? एक अभिक्रिया दीजिए। (CBSE 1992)
उत्तर:
जब किसी भारी नाभिक पर न्यूट्रॉनों की बमबारी की आती है तो वह लगभग समान आकार वाले नये तत्वों के नाभिकों में विभक्त हो जाता है। इस प्रक्रिया को नाभिकीय विखण्डन कहते हैं।
इस प्रक्रिया में अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा विमुक्त होती है ।
प्रश्न 14.
नाभिकीय संलयन क्या है ? एक अभिक्रिया दीजिए। (CBSE 1992)
उत्तर:
जब दो हल्के परमाणुओं के नाभिक संयुक्त होकर नया नाभिक बनाते हैं तो इस प्रक्रिया में अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा विमुक्त होती है। इस प्रक्रिया को नाभिकीय संलयन कहते हैं।
1H2 + 1H2 → 1He4 + 24MeV.
प्रश्न 15.
नाभिकीय विखण्डन और नाभिकीय संलयन में अंतर लिखिए। (CBSE 1992)
उत्तर:
नाभिकीय विखण्डन और नाभिकीय संलयन में अंतर –
नाभिकीय विखण्डन
- इस प्रक्रिया में एक भारी नाभिक लगभग समान द्रव्यमान के दो नाभिकों में विभक्त हो जाते हैं।
- यह प्रक्रिया सामान्य ताप पर सम्भव है। |
- प्रति विखण्डन विमुक्त ऊर्जा अधिक होती है | (200 Mev)
नाभिकीय संलयन
- इस प्रक्रिया में दो हल्के नाभिक संयुक्त होकर भारी नाभिक बनाते हैं।
- यह प्रक्रिया अत्यधिक ताप पर ही सम्भव है।
- प्रति संलयन विमुक्त ऊर्जा कम होती है (24 MeV)।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
इलेक्ट्रॉन-वोल्ट और परमाण्वीय द्रव्यमान मात्रक को परिभाषित कीजिए। एक प्रोटॉन के द्रव्यमान के तुल्य ऊर्जा का मान जूल में ज्ञात कीजिए। (CBSE 1996)
उत्तर-
इलेक्ट्रॉन वोल्ट-कोई इलेक्ट्रॉन एक वोल्ट के विभवान्तर द्वारा त्वरित होने पर जो ऊर्जा प्राप्त करता है, उसे इलेक्ट्रॉन वोल्ट कहते हैं। ..
1 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट = 1.6 × 10-19 जूल।
परमाण्वीय द्रव्यमान मात्रक-परमाण्वीय द्रव्यमान मात्रक कार्बन के समस्थानिक cl2के वास्तविक द्रव्यमान के – वें भाग के बराबर होता है।
परमाण्वीय द्रव्यमान मात्रक = 1.66 × 10-27 किग्रा
(1a. m. u. या केवल 1u)
प्रोट्रान का द्रव्यमान = 1.673 × 10-27 किग्रा
अतः सूत्र E = mc2 = 1.673× 10-27 (3 × 108)2
= 15.03 × 10-11जूल
=1.503 × 10-10 जूल।
अतः एक प्रोटॉन के द्रव्यमान के तुल्य ऊर्जा का मान-1.503 × 10-10 जूल होगा।
प्रश्न 2.
द्रव्यमान संख्या के साथ प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा में परिवर्तन को प्रदर्शित करने वाला ग्राफ खींचिये । ग्राफ से निकाले गये दो महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष लिखिए। (CBSE 1994)
अथवा
विभिन्न नाभिकों की द्रव्यमान संख्या के साथ प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा में परिवर्तन को प्रदर्शित करने वाला ग्राफ खींचिए। उस क्षेत्र को अंकित कीजिए जहाँ पर नाभिक सर्वाधिक स्थायी होते (CBSE 1996)
अथवा
विभिन्न नाभिकों की द्रव्यमान संख्या के साथ प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा को प्रदर्शित करने वाला ग्राफ खींचिये । उस क्षेत्र को अंकित कीजिए जहाँ नाभिकीय संलयन होता है। (CBSE 1996)
उत्तर:
नीचे दिये गये चित्र में विभिन्न नाभिकों की द्रव्यमान संख्या के साथ प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा को प्रदर्शित किया गया है –
ग्राफ से निकाले गये निष्कर्ष –
- प्रत्येक नाभिक की बंधन ऊर्जा धनात्मक होती है।
- 56 एवं उसके सन्निकट द्रव्यमान संख्या वाले नाभिकों की प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा अधिकतम होती है। अत: ये नाभिक अधिक स्थायी होते हैं।
- 56 से अधिक द्रव्यमान संख्या वाले नाभिकों की प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा धीरे-धीरे कम होने लगती है। अत: ये नाभिक कम स्थायी होते हैं।
- द्रव्यमान संख्या 4, 12, 16, 20 के संगत ग्राफ में शिखर बिन्दु प्राप्त होते हैं । अतः इन द्रव्यमान संख्या वाले नाभिक अपने सन्निकट नाभिकों की अपेक्षा अधिक स्थायी होते हैं।
- हल्के नाभिकों और भारी नाभिकों की प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा मध्य वाले नाभिकों की तुलना में कम होता है। नाभिक जो 92U238 से भारी होते हैं, कम स्थायी होने के कारण रेडियोधर्मी होते हैं।
A = 50 से A = 80 तक नाभिक सर्वाधिक स्थायी होते हैं। ग्राफ के बढ़ते हुए भाग में नाभिकीय संलयन होता है।
प्रश्न 3.
26Fe56 की प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा की गणना कीजिए।
[दिया है – m(26Fe56) = 55.934939 a.m.u.,m ( प्रोटॉन ) = 1.007825 a.m.u., m (न्यूट्रॉन) = 1.008665 a. m. u.] (CBSE 1993, 95, 2000 पूरक)
उत्तर:
26Fe56 में प्रोट्रॉनों की संख्या = 26 तथा न्यूट्रॉनों की संख्या = 56- 26 = 30
∴ 26 प्रोटॉनों का द्रव्यमान = 1:0077825× 26
= 26.20345 a.m.u.
30 न्यूट्रॉनों का द्रव्यमान = 1. 008665 × 30
= 30.25995 a. m. u.
न्यूक्लिऑनों का कुल द्रव्यमान = 26.20345 + 30.25995
= 56.4634 a. m. u.
नाभिक 26Fe56 का द्रव्यमान = 55.934939 a. m. u., (दिया है)
∴ द्रव्यमान क्षति Δm = 56.4634 – 55.934939
= 0.528461 a. m. u.
अतः नाभिक 26Fe56 की बंधन ऊर्जा = 0.528461 × 931
= 491.997191 Mev
∴प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा = \(\frac{491 \cdot 997191}{56}\)
= 8.7856 Mev.
प्रश्न 4.
अर्ध आयु को परिभाषित कीजिए। इसका क्षय नियतांक के साथ संबंध स्थापित कीजिए। (CBSE 1995, 2001)
उत्तर:
किसी रेडियोऐक्टिव पदार्थ की अर्ध आयु वह समय है जिसमें उसके परमाणुओं की संख्या विघटन के कारण घटकर प्रारम्भिक मान की आधी रह जाती है।
रेडियोऐक्टिव क्षय के नियमानुसार,
N = Noe-λt
यदि रेडियोऐक्टिव पदार्थ की अर्ध आयु T हो तो t = T पर,
प्रश्न 5.
रेडियोऐक्टिव क्षय का नियम तथा निम्न सम्बन्ध को व्युत्पन्न कीजिए
N = Noe-λt , जहाँ संकेतों के समान्य अर्थ हैं। . (CBSE 1997 पूरक)
उत्तर:
इस नियमानुसार, किसी भी क्षण रेडियोऐक्टिव पदार्थों के क्षय होने की दर उस क्षण उपस्थित परमाणुओं की संख्या के अनुक्रमानुपाती होती है।
मानलो किसी क्षण t पर रेडियोऐक्टिव पदार्थ में उपस्थित परमाणुओं की संख्या N है । क्षण t + dt पर परमाणुओं की संख्या घटकर N – dN रह जाती है।
तब इस नियमानुसार, \(-\frac{d \mathrm{~N}}{d t} \propto \mathrm{N}\)
या \(-\frac{d \mathrm{~N}}{d t}=\lambda \mathrm{N}\)
जहाँ, λ एक नियतांक (क्षय नियतांक) है।
∴ \(\frac{d \mathrm{~N}}{\mathrm{~N}}\) = -λdt ………….. (1)
समी. (1) का समाकलन करने पर,
\(\int \frac{d \mathrm{~N}}{\mathrm{~N}}=-\lambda \int d t\)
logeN= – λt + A …………………. (2)
जहाँ, A समाकलन नियतांक है ।
समय t = 0 पर N = N0
अतः समी. (2) से, A = loge N0
समी (7) में मान रखने पर, logeN = – λt + loge N0
या loge \(\left(\frac{\mathrm{N}}{\mathrm{N}_{0}}\right)\)= – λt
या \(\frac{\mathrm{N}}{\mathrm{N}_{0}}\) = e– λt
या N = N0e– λt यही सिद्ध करना था।
आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
नीचे एक काल्पनिक विखण्डन प्रक्रिया दी गई है –
\({ }_{92} \mathrm{X}^{236} \longrightarrow{ }_{a} \mathbf{Y}^{141}+36^{2}+3_{0} n^{1}\)
a और b के मान ज्ञात कीजिए। (CBSE 2001 पूरक)
उत्तर:
a + 36 + 0 = 92
∴ a = 56.
141 + b +3 = 236
∴ b = 92.
प्रश्न 2.
एक रेडियोऐक्टिव पदार्थ की अर्ध आयु 30 दिन है। 90 दिन के बाद रेडियोऐक्टिव परमाणुओं की संख्या कितनी होगी?
उत्तर:
दिया है, T = 30 दिन, 1 = 90 दिन
n = \(\frac{t}{T}=\frac{90}{30}\) = 3
सूत्र N = N0 \(\left(\frac{1}{2}\right)^{n}\)
= N0\(\left(\frac{1}{2}\right)^{3}=\frac{N_{0}}{8}\)
अतः रेडियोऐक्टिव परमाणुओं की संख्या प्रारम्भिक मान की – होगी।
प्रश्न 3.
एक ग्राम 92U238 में प्रति सेकण्ड कितने विखण्डन होंगे, यदि अल्फा क्षय के लिए इसकी अर्ध आयु 1.42x 117 सेकण्ड हो ? (CBSE 2001)
उत्तर:
सूत्र – \(\frac{d \mathrm{~N}}{d t}\) = λN
चूँकि. λ = \(\frac{0 \cdot 693}{\mathrm{~T}}=\frac{0 \cdot 693}{1 \cdot 42 \times 10^{17}}\) प्रति सेकण्ड
92U238 के एक ग्राम में परमाणुओं की संख्या
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. सही विकल्प चुनकर लिखिए
प्रश्न 1.
किसी रेडियोऐक्टिव पदार्थ की अर्ध-आयु T1/2 और क्षय नियतांक λ में संबंध होता है –
(a) T1/2 = \(\frac{\log _{e} 2}{\lambda}\)
(b) T1/2 = \(\frac{\log _{10} 2}{\lambda}\)
(c) T1/2 = \(\frac{\lambda}{\log _{e} 2}\)
(d) T1/2 = \(\frac{\lambda}{\log _{10} 2}\)
उत्तर:
(a) T1/2
प्रश्न 2.
दो अर्ध-आयुकालों में विघटित होने वाले रेडियोऐक्टिव नाभिकों का विखंडित भाग होगा –
(a) एक चौथाई
(b) आधा
(c) तीन चौथाई
(d) संपूर्ण भाग।
उत्तर:
(c) तीन चौथाई
प्रश्न 3.
α -कण निम्नलिखित परमाणु का नाभिक होता है
(a) हाइड्रोजन
(b) ड्यूटीरियम
(c) हीलियम
(d) ट्राइटियम।
उत्तर:
(c) हीलियम
प्रश्न 4.
नाभिकीय अभिक्रिया \({ }_{92}^{23 \dot{8}} \mathrm{U} \longrightarrow_{Z}^{A} T h+_{2}^{4} H e\) में A और Z के मान होंगे
(a) 234, 94.
(b) 234, 90
(c) 238, 94
(d) 238, 90.
उत्तर:
(b) 234, 90
प्रश्न 5.
सूर्य में ऊर्जा का स्रोत है –
(a) विखंडन प्रक्रिया
(b) संलयन प्रक्रिया
(c) रासायनिक अभिक्रिया
(d) प्रकाश-विद्युत प्रक्रिया।
उत्तर:
(b) संलयन प्रक्रिया
प्रश्न 6.
संलयन प्रक्रिया के लिए उपयुक्त है –
(a) भारी नाभिक
(b) हल्का नाभिक
(c) परमाणु बम
(d) रेडियोऐक्टिव क्षय।
उत्तर:
(b) हल्का नाभिक
प्रश्न 7.
संकेत \({ }_{\boldsymbol{Z}}^{\boldsymbol{A}} \mathbf{X}\) द्वारा प्रदर्शित नाभिक में होते हैं
(a) Zन्यूट्रॉन, (A – Z) प्रोटॉन
(b) Z प्रोटॉन, (A -Z) न्यूट्रॉन
(c) z प्रोटॉन, A न्यूट्रॉन
(d)A प्रोटॉन, न्यूट्रॉन।
उत्तर:
(b) Z प्रोटॉन, (A -Z) न्यूट्रॉन
प्रश्न 8.
एक नाभिक से गामा किरणों के उत्सर्जन में
(a) केवल प्रोटॉन संख्या परिवर्तित होती है
(b) प्रोटॉन संख्या और न्यूट्रॉन संख्या दोनों परिवर्तित होती है
(c) प्रोटॉन संख्या और न्यूट्रॉन संख्या में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता
(d) केवल न्यूट्रॉन संख्या परिवर्तित होती है।
उत्तर:
(c) प्रोटॉन संख्या और न्यूट्रॉन संख्या में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता
2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. नाभिकीय विखण्डन की नियंत्रित श्रृंखला में तीव्रगामी न्यूट्रॉनों को मंदकों की सहायता से मंदित किया
जाता है। इन मंदगामी न्यूट्रॉनों को ……… कहते हैं।
उत्तर:
तापीय न्यूट्रॉन
2. आइन्स्टीन का द्रव्यमान ऊर्जा तुल्यता समीकरण …………. है।
उत्तर:
E = mc2
3. कृत्रिम रेडियोएक्टिवता से प्राप्त अस्थायी नाभिक को ……………. कहते हैं।
उत्तर:
रेडियोएक्टिव समस्थानिक
4. नाभिक में न्यूट्रॉन का द्रव्यमान लगभग …………….. के द्रव्यमान के बराबर होता है।
उत्तर:
प्रोटॉन\
5. …… प्रक्रिया में हल्के नाभिक मिलकर भारी नाभिक बनाते हैं।
उत्तर:
संलयन
6. नाभिकीय रिएक्टर में भारी जल का उपयोग …………. के रूप में किया जाता है।
उत्तर:
मंदक
7. रेडियो सक्रियता का SI मात्रक …………….. है।
उत्तर:
बैकेरल (Bq)
8. A = 30 से लेकर A = 170 द्रव्यमान संख्या के परास में …………. का मान लगभग नियत रहता है। ‘
उत्तर:
प्रति न्यूक्लिऑन बंधन ऊर्जा।
3. उचित संबंध जोडिए
उत्तर:
1. (d),
2. (e),
3. (a),
4. (c),
5. (b).