MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

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MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रकाश विद्युत प्रभाव की खोज किसने की थी ?
उत्तर:
हर्दज ने।

प्रश्न 2.
इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की थी?
उत्तर:
जे.जे. थॉमसन ने।

प्रश्न 3.
विकिरण की कण प्रकृति को प्रदर्शित करने वाले परिघटनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
कॉम्पटन प्रभाव व प्रकाश विद्युत प्रभाव।

प्रश्न 4.
उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉनों का अधिकतम वेग किन कारकों पर निर्भर करता है ?
उत्तर:
आपतित विकिरण की आवृत्ति व धातु के कार्यफलन पर।

प्रश्न 5.
प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या सर्वप्रथम किसने की थी ?
उत्तर:
अल्बर्ट आइंस्टीन ने।

प्रश्न 6.
एक इलेक्ट्रॉन वोल्ट का मान जूल में निकालिए।
उत्तर:
1 इलेक्ट्रॉन वोल्ट = 1.602 x 10-19 जूल।

प्रश्न 7.
डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
λ = \(\frac{h}{m V}\)

प्रश्न 8.
फोटॉन का विराम द्रव्यमान कितना होता है ?
उत्तर:
शून्य।

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प्रश्न 9.
υ आवृत्ति वाले फोटॉन का द्रव्यमान कितना होता है ?
उत्तर:
E = mc2 = hυ से,
m = \(\frac{h v}{c^{2}}\)

प्रश्न 10.
क्या विरामावस्था में फोटॉन का अस्तित्व होता है ?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 11.
प्रकाश विद्युत उत्सर्जन के लिए सामान्यत: कौन-सी धातुएँ प्रयुक्त की जाती हैं ?
उत्तर:
क्षारीय धातुएँ, क्योंकि इनका कार्यफलन कम होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
(a) प्रकाश की फोटॉन प्रकृति क्या है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रकाश ऊर्जा के छोटे-छोटे बण्डलों से मिलकर बना होता है। प्रत्येक बण्डल को क्वाण्टा या फोटॉन कहते हैं । प्रत्येक फोटॉन में एक निश्चित ऊर्जा होती है, जिसे समीकरण E = hυ द्वारा व्यक्त किया जाता है, जहाँ h प्लांक नियतांक तथा υ आवृत्ति है।

(b) डी-ब्रॉग्ली तरंगें क्या हैं ? डी-ब्रॉग्ली का तरंग समीकरण लिखिए।
उत्तर:
प्रत्येक गतिमान कण के साथ तरंग संलग्न होती है, इस तरंग को डी-ब्रॉग्ली तरंग या द्रव्य तरंग कहते हैं।
डी-ब्रॉग्ली तरंग का समीकरण निम्न है-
λ = \(\frac{h}{m v}\)

(c) द्रव्य का तरंग सिद्धान्त दैनिक जीवन में क्यों दृष्टिगोचर नहीं होता है ?
उत्तर:
डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य λ = h/mν अत: λ ∝ 1/m. दैनिक जीवन में द्रव्य का द्रव्यमान अधिक होने से λ काफी कम होता है। अतः द्रव्य का तरंग सिद्धान्त दैनिक जीवन में दृष्टिगोचर नहीं होता।

प्रश्न 2.
सोडियम धातु की प्रकाश विद्युत् देहली तरंगदैर्घ्य 6800Å है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
6800Å की तरंगदैर्घ्य का प्रकाश आपतित होने पर सोडियम प्रकाश इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित करेगा तथा इससे अधिक प्रकाश पर प्रकाश इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित नहीं करेगा।

प्रश्न 3.
प्रकाश-विद्युत् प्रभाव में निरोधी विभव का अर्थ समझाइए। यह आपतित प्रकाश की आवृत्ति व तीव्रता पर किस प्रकार निर्भर करता है ?
उत्तर:
संग्राहक प्लेट P के उस ऋणात्मक विभव को जिस पर प्रकाश-विद्युत् धारा का मान शून्य होता है, निरोधी विभव (Stopping potential) या संस्तब्ध विभव (Cut off potential) कहते हैं।

वास्तव में, निरोधी विभव प्रकाश-इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम ऊर्जा का माप होता है, क्योंकि इस विभव के कारण अधिकतम ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन भी संग्राहक प्लेट तक नहीं पहुँच पाते।

मानलो इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान m, अधिकतम वेग νmax तथा आवेश e है। तब,
इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा = \(\frac{1}{2}\) mν2max
∴ \(\frac{1}{2}\) mν2max = eV0, जहाँ V0 निरोधी विभव है।

प्रश्न 4.
द्रव्य तरंगों की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  1. द्रव्य तरंगों की प्रकृति विद्युत् चुम्बकीय नहीं होती, क्योंकि विद्युत् – चुम्बकीय तरंगें आवेशित कणों से ही उत्पन्न होती हैं।
  2. द्रव्य तरंग का तरंगदैर्घ्य कण की प्रकृति या आवेश से स्वतन्त्र रहता है।

प्रश्न 5.
प्रकाश-विद्युत् प्रभाव की व्याख्या प्रकाश के तरंग सिद्धान्त के आधार पर नहीं की जा सकती है, क्यों?
उत्तर:
(i) यदि प्रकाश तरंगों के रूप में हो तो उसकी तीव्रता बढ़ाने पर आयाम बढ़ेगी फलस्वरूप ऊर्जा बढ़ेगी। यह ऊर्जा धातु के इलेक्ट्रॉनों को प्राप्त होगी, जिससे उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा बढ़ेगी। किन्तु पाया गया है कि प्रकाश की तीव्रता को बढ़ाने पर उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा नहीं बढ़ती।

(ii) यदि आपतित प्रकाश की तीव्रता इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन के लिए पर्याप्त है तो उसकी आवृत्ति कुछ भी हो, धातु सतह से इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन होना चाहिए। किन्तु पाया गया है कि इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन के लिए आपतित प्रकाश की आवृत्ति को देहली-आवृत्ति से अधिक होना चाहिये।

(iii) यदि प्रकाश तरंगों के रूप में संचरित होता है तो उसकी ऊर्जा एक इलेक्ट्रॉन को न मिलकर प्रकाशित क्षेत्रफल में फैले समस्त इलेक्ट्रॉनों को स्थानान्तरित होगी। अतः इलेक्ट्रॉनों को उत्सर्जन के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त करने में कुछ समय लगेगा। किन्तु पाया गया है कि प्रकाश के आपतित होते ही धातु सतह से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने लगते हैं।

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प्रश्न 6.
विकिरण की द्वैती प्रकृति क्या है ?
उत्तर:
विकिरण कुछ परिघटनाओं में तरंग की भाँति तथा कुछ परिघटनाओं में कण की भाँति व्यवहार करती है। विकिरण की इस प्रवृत्ति को उसकी द्वैती प्रकृति कहते हैं।

प्रश्न 7.
h प्लांक नियतांक तथा फोटॉन की आवृत्ति हो, तो आइन्सटीन का प्रकाश विद्युत् समीकरण लिखिए।
उत्तर:
यदि h प्लांक नियतांक, υ फोटॉन की आवृत्ति हो, तो आइन्सटीन का प्रकाश-विद्युत् समीकरण
h(υ – υ0) = \(\frac{1}{2}\) mν2max

प्रश्न 8.
इलेक्ट्रॉन का विशिष्ट आवेश कितना होता है ?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन का विशिष्ट आवेश 1.76 × 1011 कूलॉम/किलोग्राम होता है।

प्रश्न 9.
सस्तब्ध (निरोधी) विभव क्या है ?
उत्तर:
एनोड का वह ऋणात्मक विभव जिस पर प्रकाश विद्युत् धारा का मान शून्य हो जाता है, सस्तब्ध या निरोधी विभव कहलाता है।

प्रश्न 10.
किसी आवेशित कण के विशिष्ट आवेश से क्या तात्पर्य है ? इलेक्ट्रॉन के लिए इसका मान कितना होता है ?
उत्तर:
किसी आवेशित कण के आवेश और द्रव्यमान के अनुपात को उस आवेशित कण का विशिष्ट आवेश,कहते हैं। सूत्र के रूप में,
विशिष्ट आवेश = MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति 1
इलेक्ट्रॉन के लिए इसका मान 1.76 × 1011 कूलॉम/किग्रा होता है।

प्रश्न 11.
प्लांक नियतांक का अर्थ आवश्यक सूत्र देते हुए समझाइए। इसका मान भी लिखिए।
उत्तर:
प्लांक नियतांक – क्वाण्टम सिद्धान्त के अनुसार विकिरण के एक फोटॉन की ऊर्जा उसके विकिरण की आवृत्ति के अनुक्रमानुपाती होती है अर्थात्
Ε ∝ υ
या Ε = hυ
जहाँ h एक अनुपाती नियतांक है, जिसे प्लांक नियतांक कहते हैं।
इस प्रकार, h = \(\frac{E}{v}\)
अत: फोटॉन की ऊर्जा और इसके विकिरण की आवृत्ति के अनुपात को प्लांक नियतांक कहते हैं।
इसका मान 6.6 × 10-34 जूल-सेकण्ड होता है।

प्रश्न 12.
एक इलेक्ट्रॉन-वोल्ट ऊर्जा से आपका क्या तात्पर्य है ? इसका मान जूल में प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
कोई इलेक्ट्रॉन 1 वोल्ट के विभवान्तर द्वारा त्वरित करने पर जो ऊर्जा प्राप्त करता है, उसे । इलेक्ट्रॉन – वोल्ट कहते हैं।
यदि इलेक्ट्रॉन पर आवेश की मात्रा e हो, तो V विभवान्तर द्वारा त्वरित किये जाने में किया गया कार्य
= eV [∵ V = \frac{\mathrm{W}}{e}]
अतः इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा = eV
∴ 1 इलेक्ट्रॉन – वोल्ट = 1.6 x 10-19 x 1 = 1.6 x 10-19 जूल।

प्रश्न 13.
कार्य फलन क्या है ? लीथियम तथा ताँबे के कार्य फलन क्रमश 2.3eV तथा 4eV हैं। दृश्य प्रकाश में कार्य करने के लिए कौन-सी धातु उपयोगी रहेगी?
उत्तर:
किसी धातु की सतह से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा को उस धातु का कार्य फलन कहते हैं।
लीथियम धातु उपयोगी रहेगी, क्योंकि उसका कार्य फलन कम है।

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प्रश्न 14.
तापायनिक उत्सर्जन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
किसी धातु को गर्म करने पर उसमें से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने की घटना को तापायनिक उत्सर्जन कहते हैं।

प्रश्न 15.
तापायनिक उत्सर्जन हेतु प्रयुक्त धातु में कौन-से गुण होने चाहिए?
उत्तर:
तपायनिक उत्सर्जन हेतु प्रयुक्त धानु में निम्न गुण होने चाहिए-

  1. धातु का कार्य फलन कम हो ताकि कम ताप पर ही अधिक संख्या में इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित हो सके।
  2. धातु का गलनांक अधिक हो जिससे गर्म होने पर वह पिघल न सके।

प्रश्न 16.
क्या कारण है कि किसी धातु के लिए एक निश्चित मान से अधिक तरंगदैर्घ्य के प्रकाश से प्रकाश-विद्युत् उत्सर्जन नहीं होता है ?
उत्तर:
किसी धातु से प्रकाश-विद्युत् उत्सर्जन के लिए एक न्यूनतम ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जिसे कार्य फलन कहते हैं।
कार्य फलन Φ = hυ0 = \(\frac{h c}{\lambda_{0}}\)
यदि प्रकाश का तरंगदैर्घ्य देहली तरंगदैर्घ्य λ0 से अधिक है, तो विकिरण की ऊर्जा धातु के कार्य फलन से कम होगी। फलस्वरूप प्रकाश-विद्युत् उत्सर्जन अधिक सम्भव नहीं होगा।

प्रश्न 17.
देहली आवृत्ति क्या है ? समझाइये।
उत्तर:
देहली आवृत्ति वह न्यूनतम आवृत्ति है जिससे कम आवृत्ति के प्रकाश से धातु सतह से प्रकाश इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित नहीं हो सकते, चाहे प्रकाश की तीव्रता कितनी भी क्यों न हो। इसे υ0 से दर्शाते हैं। कार्यफलन और देहली आवृत्ति में अग्रलिखित संबंध होता है।
Φ = hυ0
जहाँ Φ = कार्यफलन, h = प्लांक नियतांक।

प्रश्न 18.
दो प्रकाश स्रोतों A और B में से एक स्रोत A से उत्सर्जित प्रकाश की तीव्रता अधिक तथा दूसरे स्रोत B से उत्सर्जित प्रकाश की आवृत्ति अधिक है। किस स्त्रोत से प्रकाश-विद्युत् सेल अधिक धारा उत्पन्न करेगा?

अथवा

दो प्रकाश स्रोतों में से एक की तीव्रता अधिक है तथा दूसरे की आवृत्ति अधिक है। प्रकाश – विद्युत् सेल, किसके प्रकाश से अधिक धारा उत्पन्न करेगा ?
उत्तर:
अधिक तीव्रता वाले प्रकाश स्रोत से फोटो – सेल (प्रकाश – विद्युत् सेल) अधिक धारा उत्पन्न करेगा, क्योंकि उत्सर्जित होने वाले प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की संख्या आपतित प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर करती है न कि आवृत्ति पर।

प्रश्न 19.
प्रकाश-विद्युत् प्रभाव क्या है ? आइन्स्टीन द्वारा इसकी व्याख्या किस प्रकार की गयी ?
उत्तर:
प्रकाश-विद्युत् प्रभाव-जब कुछ पदार्थों पर उचित तरंगदैर्ध्य का प्रकाश डाला जाता है तो उनकी सतह से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने लगते हैं, इन इलेक्ट्रॉनों को प्रकाश इलेक्ट्रॉन कहते हैं। यह क्रिया प्रकाश-विद्युत् प्रभाव कहलाती है।

आइन्स्टीन ने समीकरण Emax = hυ – Φ0 द्वारा प्रकाश-विद्युत् प्रभाव के नियमों की व्याख्या निम्न प्रकार से की-

  • यदि निश्चित आवृत्ति वाले आपतित प्रकाश की तीव्रता बढ़ायी जाय तो धातु सतह पर प्रति सेकण्ड आपतित फोटॉनों की संख्या बढ़ेगी परन्तु प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा hυ ही होगी, अत: उत्सर्जित फोटो इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ जायेगी किन्तु उनकी ऊर्जा नियत (= hυ) ही रहेगी।
  • आइन्स्टीन समीकरण से E ∝ υ अतः उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा, आपतित फोटॉनों की आवृत्ति बढ़ाने पर बढ़ जाती है।
  • आपतित फोटॉनों की आवृत्ति यदि देहली आवृत्ति से कम हो तो इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित ही नहीं होंगे चाहे तीव्रता कितनी भी अधिक हो।

प्रश्न 20.
प्रकाश – विद्युत् प्रभाव में देहली आवृत्ति का होना फोटॉन सिद्धान्त को तरंग सिद्धान्त से । अधिक महत्व देता है। व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
तरंग सिद्धान्त के अनुसार, प्रकाश-विद्युत् प्रभाव सभी आवृत्ति के प्रकाश पर सम्भव होना चाहिए, यदि प्रकाश की तीव्रता अधिक है, परन्तु आइन्स्टीन के प्रकाश-विद्युत् समीकरण से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा = \(\frac{1}{2}\)mν2 = h(υ – υ0)। यदि आपतित फोटॉन की आवृत्ति υ देहली आवृत्ति υ0 से कम है, तो इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा ऋणात्मक होगी, जो कि सम्भव नहीं है। अतः देहली आवृत्ति से कम आवृत्ति पर प्रकाश इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन सम्भव नहीं है। इस प्रकार प्रकाश-विद्युत् प्रभाव से देहली आवृत्ति का होना फोटॉन सिद्धान्त को तरंग सिद्धान्त से अधिक महत्व देता है।

प्रश्न 21.
यदि किसी धातु की प्लेट पर एक ही आवृत्ति का प्रकाश डाला जाये तो भी उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जाएँ भिन्न-भिन्न होती हैं। क्यों?
उत्तर:
जो इलेक्ट्रॉन धातु की सतह पर होते हैं उन पर धन आयनों का आकर्षण बल कम होता है, किन्तु जो इलेक्ट्रॉन धातु के अन्दर होते हैं उन पर धन आयनों का आकर्षण बल अधिक होता है। अतः धातु के अन्दर के इलेक्ट्रॉनों को बाहर निकलने के लिए अधिक कार्य करना पड़ेगा। इस प्रकार जब धातु के अन्दर से इलेक्ट्रॉनों को फोटॉनों के द्वारा ऊर्जा दी जाती है, तो उसका एक भाग आकर्षण बल के विरुद्ध कार्य करने में व्यय हो जाता है जिसके कारण इन इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा कम हो जाती है। जबकि धातु की सतह पर स्थित इलेक्ट्रॉनों को बाहर निकलने के लिए आकर्षण बल के विरुद्ध कम कार्य करना पड़ता है। अत: इन इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा अपेक्षाकृत अधिक होती है।
इस प्रकार किसी धातु की प्लेट से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा भिन्न-भिन्न होती है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित को समझाइये-
(i) तापायनिक उत्सर्जन
(ii) देहली आवृत्ति
(iii) कार्यफलन
(iv) द्रव्य तरंगें।
उत्तर:
(i) तापायनिक उत्सर्जन – किसी धातु को गर्म करने पर उसकी सतह से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन होने की क्रिया को तापायनिक उत्सर्जन कहते हैं तथा उत्सर्जित होने वाले इलेक्ट्रॉनों को तापायन कहते हैं।

(ii) देहली आवृत्ति – वह न्यूनतम आवृत्ति, जिससे कम आवृत्ति के प्रकाश के आपतित होने पर किसी धातु से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन सम्भव नहीं है, देहली आवृत्ति कहलाती है।

(iii) कार्यफलन – उस न्यूनतम ऊर्जा को, जो इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन के लिए आवश्यक है, कार्यफलन कहते हैं। किसी धातु का कार्यफलन उसकी प्रकृति एवं उसकी सतह की अवस्था पर निर्भर करता है। इसे इलेक्ट्रॉन वोल्ट में मापा जाता है।

(iv) द्रव्य तरंगें – डी-ब्रॉग्ली के अनुसार, प्रत्येक गतिशील कण के साथ तरंग संलग्न होती है, इस तरंग को डी-ब्रॉग्ली तरंग या तरंग कहते हैं।

प्रश्न 2.
प्रकाश – विद्युत् उत्सर्जन सम्बन्धी आइन्स्टीन समीकरण की स्थापना कीजिए।

अथवा

प्रकाश-विद्युत् प्रभाव क्या है ? आइन्स्टीन के प्रकाश-विद्युत् समीकरण की स्थापना कीजिए।

अथवा

प्रकाश-विद्युत् उत्सर्जन सम्बन्धी आइन्स्टीन के समीकरण \(\frac{1}{2}\)mν2 = hυ – υ0 की स्थापना कीजिए।
उत्तर:
प्रकाश – विद्युत् प्रभाव-लघु उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 19 देखिए।
आइन्स्टीन समीकरण की स्थापना-आइन्स्टीन ने प्रकाश-विद्युत् प्रभाव की व्याख्या प्लांक द्वारा प्रतिपादित क्वाण्टम सिद्धान्त के आधार पर की। प्लांक के अनुसार प्रकाश, ऊर्जा के छोटे-छोटे पैकेटों अथवा बण्डलों के रूप में प्रकाश के वेग से एक-स्थान से दूसरे स्थान तक गमन करता है। प्रत्येक पैकेट या बण्डल को फोटॉन कहते हैं। प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा hυ तथा संवेग \(\frac{h}{\lambda}\) होता है, जहाँ h प्लांक नियतांक, υ आवृत्ति तथा λ तरंगदैर्घ्य है।

जब hυ ऊर्जा वाला फोटॉन किसी धातु की सतह पर आपतित होता है, तो यह ऊर्जा दो प्रकार से व्यय होती है-

(i) ऊर्जा का कुछ भाग धातु की सतह से इलेक्ट्रॉनों को उत्सर्जित करने में व्यय होता है। इसे कार्यफलन कहते हैं तथा से प्रदर्शित करते हैं। इसका मान भिन्न-भिन्न धातुओं के लिए भिन्न-भिन्न होता है।

(ii) ऊर्जा का शेष भाग उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन को ऊर्जा प्रदान करने में व्यय होता है। इस प्रकार,
hυ = Φ + Ek …..(1)
जहाँ Ek उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा है। यदि देहली आवृत्ति υ0तथा उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन का अधिकतम वेग νmax हो, तो Φ = hυ0 तथा Ek = \(\frac{1}{2}\) mν2max
अत: समी. (1) में मान रखने पर,
hυ = hυ0 + \(\frac{1}{2}\) mν2max
या \(\frac{1}{2}\) mν2max = h(υ – υ0)
इसे आइन्स्टीन का प्रकाश-विद्युत् समीकरण कहते हैं।

प्रश्न 3.
प्रकाश-विद्युत् प्रभाव क्या है ? इसके नियम लिखिए।

अथवा

प्रकाश-विद्युत् प्रभाव के चार नियम लिखिए।

अथवा

प्रकाश-विद्युत् प्रभाव के नियम लिखिए।
उत्तर:
जब कुछ पदार्थों पर उचित तरंगदैर्घ्य का प्रकाश डाला जाता है तो उनकी सतह से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने लगते हैं। इन इलेक्ट्रॉनों को प्रकाश इलेक्ट्रॉन कहते हैं। यह क्रिया प्रकाश-विद्युत् प्रभाव कहलाती है।

प्रकाश-विद्युत् प्रभाव के निम्नलिखित नियम हैं-

  • प्रत्येक धातु के लिए एक निश्चित (देहली) आवृत्ति होती है, जिसके नीचे इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन सम्भव नहीं है, चाहे प्रकाश की तीव्रता कितनी भी हो।
  • उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की संख्या आपतित विकिरण की तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होती है ।
  • उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा आपतित विकिरण की आवृत्ति के समानुपाती होती है।
  • प्रायोगिक यथार्थता की सीमा में धातु पर विकिरण के पहुँचने और प्रकाश इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन के मध्य कोई समय पश्चता नहीं होती (धातु पर विकिरण के आपतित होते ही इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने लगते हैं)।

प्रश्न 4.
इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के विषय में निम्नलिखित बिन्दुओं पर विस्तृत जानकारियाँ दीजिए
(अ) रासायनिक संकेत, (ब) आवेश, (स) आविष्कारक का नाम।
उत्तर:
(अ) रासायनिक संकेत-
(i) इलेक्ट्रॉन – -1e0
(ii) प्रोटॉन – 1H1
(iii) न्यूट्रॉन – 0n1

(ब) आवेश-
(i) इलेक्ट्रॉन – -1.6x 10-19 कूलॉम
(ii) प्रोटॉन – +1.6 x 10-19 कूलॉम
(iii) न्यूट्रॉन – 0

(स) आविष्कारक का नाम
(i) इलेक्ट्रॉन – जोसेफ जान थॉमसन (1897)
(ii) प्रोटॉन – गोल्डस्टीन (1896)
(iii) न्यूट्रॉन – जेम्स चैडविक (1932)।

प्रश्न 5.
डी-ब्रॉग्ली का तरंग समीकरण ज्ञात कीजिए।

अथवा

डी-ब्रॉग्ली का डी-ब्रॉग्ली सम्बन्ध ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
विकिरण के क्वाण्टम सिद्धान्त के अनुसार, एक फोटॉन की ऊर्जा निम्नलिखित समीकरण द्वारा दी जाती है
E = hυ ….(1)
जहाँ h = प्लांक नियतांक तथा υ = प्रकाश की आवृत्ति।
यदि फोटॉन को m द्रव्यमान का एक कण मान लिया जाये, तो आइन्स्टीन के द्रव्यमान-ऊर्जा तुल्यता सम्बन्ध से,
E = mc2 …..(2)
जहाँ c = प्रकाश की चाल।
अत: समी. (1) और (2) से,
mc2 = hυ
या m = \(\frac{h v}{c^{2}}\) ….(3)
या m = \(\frac{h c / \lambda}{c^{2}}\) [∵ c = υλ]
या m = \(\frac{h}{c \lambda}\) ……(4)
चूँकि फोटॉन प्रकाश की चाल से चलता है तथा फोटॉन का संवेग
p = mc
या p = \(\frac{h}{c \lambda}\) × c [समी. (4) से]
या p = \(\frac{h}{\lambda}\)
अतः फोटॉन की तरंगदैर्घ्य λ \(=\frac{h}{p}\) ……(5)
इसे डी-ब्रॉग्ली का तरंग समीकरण कहते हैं।
डी-ब्रॉग्ली के अनुसार, समी. (5) सामान्य सूत्र है, जो फोटॉनों के साथ-साथ द्रव्य कणों के लिए भी सत्य
यदि m द्रव्यमान का कण v वेग से गतिशील है तो कण का संवेग p = mν
समी. (5) में मान रखने पर,
λ = \(\frac{h}{m v}\) ……(6)
समी. (6) को डी-ब्रॉग्ली का डी-ब्रॉग्ली सम्बन्ध कहते हैं।

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प्रश्न 6.
सिद्ध कीजिए कि ऊर्जा E के द्रव्य कण का डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य λ निम्न सूत्र द्वारा दिया जाता है-
λ = \(\frac{h}{\sqrt{2 m E}}\)

अथवा

डी-ब्रॉग्ली के द्रव्यतरंग को परिभाषित करते हुए डी-ब्रॉग्ली के तरंगदैर्घ्य λ = \(\frac{h}{\sqrt{2 m E}}\)
का व्यंजक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
डी-ब्रॉग्ली तरंगें – प्रत्येक गतिशील कण से सम्बद्ध तरंग को डी-ब्रॉग्ली तरंग या द्रव्यतरंग कहते हैं।
यदि m द्रव्यमान का कण ν वेग से गतिशील है। तो कण की गतिज ऊर्जा
E = \(\frac{1}{2}\) mν2
दोनों पक्षों में 2m का गुणा करने पर,
या 2mE = m2ν2 = (mν)2 = p2
जहाँ p = mν = कण का संवेग
∴ p = \(\sqrt{2 m E}\)
अतः द्रव्य कण से सम्बन्धित डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य
λ = \(\frac{h}{p}\)
∴ λ = \(\frac{h}{\sqrt{2 m E}}\)

प्रश्न 7.
एक इलेक्ट्रॉन को Vवोल्ट विभवान्तर से त्वरित किया जाता है। इससे सम्बद्ध डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य का व्यंजक निगमित कीजिए।

अथवा

दिखाइये कि विभवान्तर से त्वरित करने पर एक इलेक्ट्रॉन के लिए डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य का मान λ = \(\frac{12 \cdot 27}{\sqrt{\mathbf{V}}}\) Å द्वारा दिया जाता है।
उत्तर:
माना इलेक्ट्रॉन पर आवेश e तथा द्रव्यमान m है। इसे V वोल्ट विभवान्तर से त्वरित करने पर इलेक्ट्रॉन द्वारा प्राप्त ऊर्जा
E = eV …….(1)
यदि त्वरित होने के पश्चात् कम का वेग हो, तो इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा
= \(\frac{1}{2}\) mν2 …….(2)
चूँकि प्रारम्भ में इलेक्ट्रॉन का वेग शून्य था अतः सम्पूर्ण गतिज ऊर्जा ही eV के बराबर होगी-
\(\frac{1}{2}\) mν2 = eV
या mν2 = 2eV
m2ν2 = 2meV
अथवा संवेग p = mν = \(\sqrt{2 m e V}\)
अतः इलेक्ट्रॉन से सम्बन्धित डी-ब्रोग्ली तरंगदैर्घ्य
λ = \(\frac{h}{p}\)
या λ = \(\frac{h}{\sqrt{2 m e V}}\)
चूँकि h = 6.6 × 10-34 जूल × सेकण्ड, e = 1.6 × 10-19 कूलॉम, m = 9.1 × 10-31 kg.
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प्रश्न 8.
प्रकाश – विद्युत् प्रभाव में कार्यफलन का अर्थ समीकरण देते हुए समझाइये।
उत्तर:
यदि प्रकाश-विद्युत् प्रभाव में उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा \(\frac{1}{2}\) mν2max ; आपतित प्रकाश की ऊर्जा hυ तथा कार्यफलन Φ हो, तो इनमें सम्बन्ध निम्न समीकरण द्वारा दिया जाता है-
\(\frac{1}{2}\) mν2max = hυ – Φ
इस समीकरण में यदि hυ = Φ + हो, तो \(\frac{1}{2}\) mν2max = 0 अर्थात् νmax = 0 होगा। स्पष्ट है कि यदि आपतित प्रकाश की ऊर्जा कार्यफलन के बराबर है तो उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन का वेग शून्य होगा।
पुनः यदि Φ >hυ हो, तो = \(\frac{1}{2}\) mν2max ऋणात्मक होगा जो कि सम्भव नहीं है।
अतः कार्यफलन वह न्यूनतम ऊर्जा है जो फोटो इलेक्ट्रॉन के उत्सर्जन के लिए आवश्यक है।

आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
1.25 किलोवोल्ट विभव से त्वरित इलेक्ट्रॉन की डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य की गणना कीजिए।
उत्तर:
V वोल्ट से त्वरित इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा = eV
एवं संवेग p = \(\sqrt{2 \mathrm{MeV}}\)
∴ डी ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य λ = \(\frac{h}{p}=\frac{h}{\sqrt{2 \mathrm{MeV}}}\)
दिया है : V = 1.25 kV = 1.25 × 103V,h = 6.6 × 10-34Js
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λ = 3.46 × 10-11 मीटर
या λ = 0.346Å.

प्रश्न 2.
4000 Å तरंगदैर्घ्य वाले फोटॉन की ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है : λ = 4000Å = 4000 × 10-10 मी.।
ऊर्जा E = hλ. या \(\frac{h c}{\lambda}\)
λ = प्लांक नियतांक है।
h = 6.6 × 10-34Js, c = 3 × 108 मी./से.
मान रखने पर,
E = \(\frac{6.6 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^{8}}{4000 \times 10^{-10}}\)
∴ BE = 4.97 × 10-19 जूल

प्रश्न 3.
एक इलेक्ट्रॉन 1000 वोल्ट तक त्वरित किया जाता है। इसकी गतिज ऊर्जा क्या होगी?
उत्तर:
दिया है : e = 1.6 × 10-19 कूलॉम, V = 1000 वोल्ट।
∴ गतिज ऊर्जा = eV
= 1.6 × 10-19 × 1000 जूल = 1000 ev.

प्रश्न 4.
एक इलेक्ट्रॉन 1000 वोल्ट के विभवान्तर द्वारा त्वरित होता है। उसका वेग क्या होगा?
उत्तर:
दिया है : e = 1.6 × 10-19 कूलॉम, V = 1000 वोल्ट, m = 9 × 10-31 किग्रा।
सूत्र- ν = \(\sqrt{\frac{2 e \mathrm{~V}}{m}}\) में मान रखने पर,
ν = \(\sqrt{\frac{2 \times 1.6 \times 10^{-19} \times 1000}{9 \times 10^{-31}}}\) = \(\sqrt{\frac{32 \times 10^{14}}{9}}\)
या ν = \(\frac{4 \sqrt{2} \times 10^{7}}{3}\) = 1.89 × 107 मीटर/ सेकण्ड।

MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
इलेक्ट्रॉन के आवेश को सर्वप्रथम निम्न ने ज्ञात किया था-
(a) थॉमसन
(b) मिलिकॉन
(c) रोंटजन
(d) फैराडे।
उत्तर:
(b) मिलिकॉन

प्रश्न 2.
प्रकाश विद्युत् प्रभाव की खोज की थी
(a) हॉलवाच ने
(b) लेनार्ड ने
(c) आइंस्टीन ने
(d) हने।
उत्तर:
(d) हने।

प्रश्न 3.
प्रकाश विद्युत् प्रभाव में, प्रकाश विद्युत् धारा-
(a) आपतित फोटॉन की आवृत्ति बढ़ने के साथ बढ़ती है।
(b) आपतित फोटॉन की आवृत्ति बढ़ने के साथ घटती है
(c) आपतित प्रकाश की आवृत्ति पर निर्भर नहीं करती है, किन्तु आपतित प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर करती है
(d) आपतित प्रकाश की तीव्रता एवं आवृत्ति दोनों पर निर्भर करती है।
उत्तर:
(c) आपतित प्रकाश की आवृत्ति पर निर्भर नहीं करती है, किन्तु आपतित प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर करती है

प्रश्न 4.
आइंस्टीन के प्रकाश विद्युत् समीकरण के अनुसार Ek = hυ – hυ0 जहाँ Ek है-
(a) समस्त उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा
(b) उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की माध्य गतिज ऊर्जा
(c) उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की न्यूनतम गतिज ऊर्जा
(d) उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा।
उत्तर:
(d) उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा।

प्रश्न 5.
एक परमाणु से इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जित करने के लिए आवश्यक न्यूनतम ऊर्जा कहलाती है.
(a) गतिज ऊर्जा
(b) विद्युत् ऊर्जा
(c) रासायनिक ऊर्जा
(d) कार्य फलन।
उत्तर:
(d) कार्य फलन।

प्रश्न 6.
V विभवांतर से त्वरित होने वाले इलेक्ट्रॉन द्वारा प्राप्त ऊर्जा होती है-
(a) \(\sqrt{\frac{2 e V}{m}}\)
(b) \(\sqrt{2 m e V}\)
(c) \(\sqrt{\frac{m}{2 e V}}\)
(d) \(\sqrt{\frac{e V}{2 m}}\)
उत्तर:
(a) \(\sqrt{\frac{2 e V}{m}}\)

प्रश्न 7.
प्रकाश विद्युत् प्रभाव क्वाण्टम सिद्धांत के पक्ष में प्रमाण देता है, क्योंकि-
(a) एक निश्चित न्यूनतम आवृत्ति के प्रकाश द्वारा ही प्रकाश इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित किये जा सकते हैं इससे नीचे की आवृत्ति पर नहीं
(b) उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा, आपतित प्रकाश की आवृत्ति पर निर्भर करती है न कि इसकी तीव्रता पर
(c) जब धात्विक सतह को प्रकाशित किया जाता है तो सतह से तुरन्त ही इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने लगता है
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।

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प्रश्न 8.
प्रकाश की द्वैती प्रकृति प्रदर्शित होती है-
(a) विवर्तन एवं परावर्तन द्वारा
(b) अपवर्तन एवं विवर्तन द्वारा
(c) प्रकाश विद्युत् प्रभाव के द्वारा
(d) प्रकाश विद्युत् प्रभाव एवं विवर्तन द्वारा।
उत्तर:
(c) प्रकाश विद्युत् प्रभाव के द्वारा

प्रश्न 9.
धातु को गर्म किया जाता है, तो इससे निम्न उत्सर्जित होता है-
(a) प्रोटॉन
(b) न्यूट्रॉन
(c) इलेक्ट्रॉन
(d) α – कण।
उत्तर:
(c) इलेक्ट्रॉन

प्रश्न 10.
किसी धातु के पृष्ठ से प्रति सेकण्ड उत्सर्जित प्रकाश- इलेक्ट्रॉनों की संख्या आपतित फोटॉन की ………………… बढ़ाने पर बढ़ जाती है-
(a) संख्या
(b) आवृत्ति
(c) तरंगदैर्घ्य
(d) गति।
उत्तर:
(a) संख्या

प्रश्न 11.
प्रकाश-इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम ऊर्जा निर्भर करती है-
(a) प्रकाश की तीव्रता पर
(b) प्रकाश की आवृत्ति पर
(c) प्रकाश की आवृत्ति और तीव्रता पर
(d) प्रकाश के ध्रुवीकरण पर।
उत्तर:
(b) प्रकाश की आवृत्ति पर

प्रश्न 12.
प्रकाश-विद्युत् सेल में विद्युत्धारा-
(a) आपतित फोटॉन की आवृत्ति के बढ़ाने पर घटती है
(b) आपतित फोटॉन की आवृत्ति बढ़ाने पर बढ़ती है
(c) आपतित फोटॉन की तीव्रता बढ़ाने पर घटती है
(d) आपतित फोटॉन की तीव्रता बढ़ाने पर बढ़ती है।
उत्तर:
(d) आपतित फोटॉन की तीव्रता बढ़ाने पर बढ़ती है।

प्रश्न 13.
निम्न में से कौन-सा कथन फोटॉन से संबंधित नहीं है-
(a) इसकी ऊर्जा, आवृत्ति पर निर्भर नहीं करती
(b) इसकी ऊर्जा, आवृत्ति पर निर्भर करती है
(c) यह सदैव प्रकाश के वेग से गति करता है
(d) इसकी तरंग विद्युत-चुम्बकीय होती है।
उत्तर:
(a) इसकी ऊर्जा, आवृत्ति पर निर्भर नहीं करती

प्रश्न 14.
प्रकाश-विद्युत प्रभाव उत्पन्न किया जा सकता है-
(a) पराबैंगनी प्रकाश, X – किरणें, γ – किरणों द्वारा
(b) γ – किरणों द्वारा किन्तु x – किरणों द्वारा नहीं
(c) दृश्य प्रकाश द्वारा किन्तु x – किरणों द्वारा नहीं
(d) दृश्य प्रकाश, पराबैंगनी प्रकाश तथा γ – किरणों द्वारा भी।
उत्तर:
(a) पराबैंगनी प्रकाश, X – किरणें, γ – किरणों द्वारा

प्रश्न 15.
एक स्रोत से ऊर्जा निम्न रूप में निकलती है-
(a) परमाणु
(b) इलेक्ट्रॉन
(c) फोटॉन
(d) ड्यूट्रॉन।
उत्तर:
(c) फोटॉन

प्रश्न 16.
प्रकाश – विद्युत् सेल एक युक्ति है-
(a) फोटॉनों को जमा करने की
(b) फोटॉन ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलने की
(c) प्रकाश ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदलने की
(d) विद्युतीय ऊर्जा को संचित कर संचायक बैटरियों को प्रतिस्थापित करने की।
उत्तर:
(c) प्रकाश ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदलने की

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प्रश्न 17.
किसी प्रकाश-विद्युत् सेल में ऊर्जा का रूपान्तरण होता है-
(a) रासायनिक से विद्युतीय
(b) चुम्बकीय से विद्युतीय
(c) प्रकाशीय से विद्युतीय
(d) यांत्रिव. से विद्युतीय।
उत्तर:
(c) प्रकाशीय से विद्युतीय

प्रश्न 18.
जैसे – जैसे इलेक्ट्रॉन का वेग बढ़ता जाता है, इसके विशिष्ट आवेश का मान-
(a) बढ़ता है
(b) घटता है
(c) अपरिवर्तित रहता है
(d) पहले बढ़ता है फिर स्थिर रहता है।
उत्तर:
(b) घटता है

प्रश्न 19.
विभवान्तर V त्वरित इलेक्ट्रॉनों द्वारा उत्पन्न X – किरणों का न्यूनतम तरंगदैर्घ्य होगा-
(a) \(\frac{e V}{h c}\)
(b) \(\frac{h c}{e V}\)
(c) \(\frac{h e}{\mathrm{CV}}\)
(d) \(\frac{\mathrm{CV}}{\mathrm{he}}\)
उत्तर:
(b) \(\frac{h c}{e V}\)

प्रश्न 20.
इलेक्ट्रॉन – वोल्ट निम्न में से किस भौतिक राशि की इकाई है-
(a) विभव
(b) ऊर्जा
(c) आवेश
(d) शक्ति ।
उत्तर:
(b) ऊर्जा

प्रश्न 21.
इलेक्ट्रॉन वोल्ट मात्रक है-
(a) विभव का
(b) आवेश का
(c) शक्ति का
(d) ऊर्जा का।
उत्तर:
(d) ऊर्जा का।

प्रश्न 22.
ν वेग से गतिशील एक प्रोटॉन पर विद्युत् क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathbf{E}}\) और चुम्बकीय क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathbf{ B}}\) लगाया जाता है। प्रोटॉन बिना किसी विक्षेप के गतिशील रहेगा यदि-
(a) \(\overrightarrow{\mathrm{E}}, \overrightarrow{\mathrm{B}}\) के लम्बवत् हो
(b) \(\overrightarrow{\mathbf{E}}\),ν के समान्तर तथा \(\overrightarrow{\mathbf{B}}\) के लम्बवत् हो
(c) \(\overrightarrow{\mathrm{E}}, \overrightarrow{\mathrm{B}}\) और ν तीनों एक-दूसरे के लम्बवत् हो और ν = \(\frac{\mathbf{E}}{\mathbf{B}}\)
(d) \(\overrightarrow{\mathbf{E}}\) और \(\overrightarrow{\mathbf{B}}\) दोनों के समान्तर हो।
उत्तर:
(c) \(\overrightarrow{\mathrm{E}}, \overrightarrow{\mathrm{B}}\) और ν तीनों एक-दूसरे के लम्बवत् हो और ν = \(\frac{\mathbf{E}}{\mathbf{B}}\)

प्रश्न 23.
एक इलेक्ट्रॉन जिसका द्रव्यमान m तथा जिस पर आवेश e है को विश्रामावस्था से विभवान्तर V में से निर्वात् में त्वरित किया जाता है। इलेक्ट्रॉन का अंतिम चाल होगी-
(a) \(\mathbf{V} \sqrt{\frac{e}{m}}\)
(b) \(\sqrt{\frac{2 e V}{m}}\)
(c) \(\frac{\boldsymbol{e V}}{2 \mathrm{~m}}\)
(d) \(\frac{2 e V}{m}\)
उत्तर:
(b) \(\sqrt{\frac{2 e V}{m}}\)

प्रश्न 24.
m किलोग्राम द्रव्यमान का एक इलेक्ट्रॉन जिस पर e कूलॉम आवेश V विभवान्तर पर त्वरित
किया जाता है इसकी अंतिम ऊर्जा होगी
(a) meV जूल
(b) \(\frac{e}{\mathrm{~V}}\) जूल
(c) eV जूल
(d) \(\frac{e V}{m}\)जूल।
उत्तर:
(c) eV जूल

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2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. धातु की सतह से इलेक्ट्रॉन निकलने की क्रिया को …………………. कहते हैं।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन

2. उस न्यूनतम ऊर्जा को, जो इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन के लिए आवश्यक है ………………… कहते हैं।
उत्तर:
कार्यफलन

3. किसी धातु को गर्म करने पर उसकी सतह से इलेक्ट्रॉन निकलने की क्रिया को ………………… कहते हैं।
उत्तर:
तापायनिक उत्सर्जन

4. प्रकाश के प्रभाव से किसी धातु से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने की घटना को ………………… कहते हैं।
उत्तर:
प्रकाश विद्युत् प्रभाव

5. लेनार्ड के प्रयोग में प्रकाश विद्युत् धारा के अधिकतम मान को ………………कहते हैं।
उत्तर:
संतृप्त धारा

6. लेनार्ड के प्रयोग में संग्राहक प्लेट के उस ऋणात्मक विभव को जिस पर प्रकाश विद्युत् धारा का मान शून्य होता है ………………… कहते हैं।
उत्तर:
निरोधी विभव या संस्तब्ध विभव

7. …………………. वह न्यूनतम आवृत्ति है जिससे कम आवृत्ति के प्रकाश से धातु सतह से प्रकाश इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित नहीं होते, चाहे प्रकाश की तीव्रता कितनी भी हो।
उत्तर:
देहली आवृत्ति

8. आपतित प्रकाश की वह न्यूनतम ऊर्जा, जो किसी धातु से प्रकाश इलेक्ट्रॉन के उत्सर्जन के लिए आवश्यक होती है, उस धातु का ………………… कहलाता है।
उत्तर:
कार्यफलन

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9. विकिरण में कण प्रकृति तथा तरंग प्रकृति दोनों होती है, उसकी इस प्रकृति को उसकी …………… कहते हैं।
उत्तर:
द्वैती प्रकृति

10. प्रत्येक गतिशील कण के साथ तरंग सम्बद्ध होती है, जिसे ………………. कहते हैं।
उत्तर:
डीब्रॉग्ली तरंग या द्रव्य तरंग

11. 1eV = ……………….. जूल।
1.6 × 10-19 जूल

12. इलेक्ट्रॉन का विराम द्रव्यमान ……………… होता है।
उत्तर:
9.1 × 10-31 किग्रा

13. उस न्यूनतम आवृत्ति को जिसके द्वारा किसी धातु की सतह से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन संभव होता है उसे ……………… कहते हैं।
उत्तर:
देहली आवृत्ति

14. द्रव्य तरंगों की खोज ……………… ने की थी।
उत्तर:
डी-ब्रॉग्ली

15. प्रकाश इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा आपतित प्रकाश की ……………… पर निर्भर करती है।
उत्तर
आवृत्ति

3. उचित संबंध जोडिए

(A)

स्तम्भ ‘अ’ स्तम्भ ‘ब’
1. प्लांक (a) इलेक्ट्रॉन
2. आइंस्टीन (b) द्रव्य तरंग की प्रायोगिक पुष्टि
3. डी-ब्रॉग्ली (c) प्रकाश-विद्युत् प्रभाव की व्याख्या
4. डेविसन एवं जर्मर (d) फोटॉन
5. थॉमसन (e) द्रव्य तरंग

उत्तर:
1. (d) फोटॉन
2. (c) प्रकाश-विद्युत् प्रभाव की व्याख्या
3. (e) द्रव्य तरंग
4. (b) द्रव्य तरंग की प्रायोगिक पुष्टि
5. (a) इलेक्ट्रॉन

(B)

स्तम्भ ‘अ’ स्तम्भ ‘ब’
1. आवृत्ति का प्रभाव (a) ऊर्जा का पैकेट
2. तीव्रता का प्रभाव (b) न्यूनतम ऊर्जा जिससे इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन संभव है
3. देहली आवृत्ति (c) प्रकाश-इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा
4. कार्यफलन (d) न्यूनतम आवृत्ति जिससे कम पर इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन नहीं होता है
5. फोटॉन (e) उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉन की संख्या

उत्तर:
1. (c) प्रकाश-इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा
2. (e) उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉन की संख्या
3. (d) न्यूनतम आवृत्ति जिससे कम पर इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन नहीं होता है
4. (b) न्यूनतम ऊर्जा जिससे इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन संभव है
5. (a) ऊर्जा का पैकेट

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(C)

स्तम्भ ‘अ’ स्तम्भ ‘ब’
1.  प्रकाश की तीव्रता (a) फोटॉन की आवृत्ति
2. प्रकाश की आवृत्ति (b) गतिशील कण
3. देहली आवृत्ति (c) इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन हेतु न्यूनतम ऊर्जा
4. कार्यफलन (d) प्रकाश इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन के लिए न्यूनतम आवृत्ति
5. द्रव्य तरंग (e) फोटॉन की संख्या

उत्तर:
1. (e) फोटॉन की संख्या
2. (a) फोटॉन की आवृत्ति
3. (d) प्रकाश इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन के लिए न्यूनतम आवृत्ति
4. (c) इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन हेतु न्यूनतम ऊर्जा
5. (b) गतिशील कण

(D)

स्तम्भ ‘अ’ स्तम्भ ‘ब’
1. इलेक्ट्रॉन की खोज (a) मिलिकॉन
2. इलेक्ट्रॉन का विशिष्ट आवेश (b) डी-ब्रॉग्ली
3. प्रकाश-विद्युत् प्रभाव (c) मैक्स प्लांक
4. द्रव्य तरंगें (d) जे. जे. थॉमसन
5. क्वाण्टम सिद्धांत (e) आइन्स्टीन

उत्तर:
1. (d) जे. जे. थॉमसन
2. (a) मिलिकॉन
3. (e) आइन्स्टीन
4. (b) डी-ब्रॉग्ली
5. (c) मैक्स प्लांक