Students get through the MP Board Class 12th Hindi Important Questions General Hindi Chapter 10 निष्ठामूर्ति कस्तूरबा which are most likely to be asked in the exam.
MP Board Class 12th General Hindi Important Questions Chapter 10 निष्ठामूर्ति कस्तूरबा
ससंदर्भ व्याख्या कीजिए – काका कालेलकर
1. “दुनिया में दो अमोघ शक्तियाँ हैं – शब्द और कृति। इसमें कोई शक नहीं कि ‘शब्दों’ ने सारी पृथ्वी को हिला दिया है। किन्तु अंतिम शक्ति तो स्मृति’ की है। महात्मा जी ने इन दोनों शक्तियों की असाधारण उपासना की है। कस्तूरबा ने इन दोनों शक्तियों से ही अधिक श्रेष्ठ कृति की नम्रता के साथ उपासना करके संतोष माना और जीवन सिद्धि प्राप्त की।” (म. प्र. 2011)
शब्दार्थ:
अमोघ = अचक, कति = रचना, स्मति = स्मरण, उपासना = पूजा। संदर्भ-प्रस्तुत गद्यांश ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ से उद्धृत किया गया है, जिसके लेखक काका कालेलकर हैं।
प्रसंग:
लेखक के अनुसार कस्तूरबा ने महात्मा गांधी की सेवा से अपना जीवन सफल बनाया।
व्याख्या:
लेखक के अनुसार इस संसार में शब्द एवं रचना नामक दो अचूक शक्तियाँ हैं। शब्दों में ताकत होती है। शब्दों से सारा संसार हिल जाता है। स्मृति या याददाश्त की भी अपनी सत्ता है एवं महत्व है।
महात्मा गांधी के जीवन में भी शब्द एवं स्मृति का विशेष महत्व था। महात्मा गांधी के व्यक्तित्व में शब्द एवं स्मृति की सत्ता समाहित थी। कस्तूरबा ने विनम्रता पूर्वक गांधी जी की सेवा कर जीवन सफल बनाया। गांधी जी की सेवा के बहाने उन्होंने भी शब्द एवं स्मृति पर अधिकार स्थापित किया।
विशेष:
- व्यक्ति सेवा की महत्ता का प्रकटीकरण है।
- भाषा तत्सम प्रधान है।
2. “कस्तूरबा ने अपनी कृति निष्ठा के द्वारा यह दिखा दिया कि शुद्ध और रोचक साहित्य के पहाड़ों की अपेक्षा कृति का एक क्षण अधिक मूल्यवान एवं आबदार होता है। शब्द शास्त्र में जो लोग निपुण होते हैं, उनको कर्तव्य अकर्त्तव्य की हमेशा ही विचिकित्सा करनी पड़ती है। कृतिनिष्ठा लोगों को ऐसी दुविधा कभी परेशान नहीं कर पाती।”
शब्दार्थ:
रोचक = मजेदार, कृति = रचना, आबदार = चमकदार, निपुण = पारंगत, विचिकित्सा = संदेह।
संदर्भ:
पूर्ववत्।
प्रसंग:
लेखक ने कस्तूरबा की कृतिनिष्ठा पर प्रकाश डाला है।
व्याख्या:
लेखक के अनुसार कस्तरबा ने कति निष्ठा अर्थात महात्मा गांधी की सेवा एवं उनके प्रति श्रद्धा और आस्था के द्वारा यह प्रमाणित कर दिया कि शुद्ध और मजेदार साहित्य के विशाल भण्डार की अपेक्षा सृष्टि की रचना का एक क्षण अधिक कीमती और स्वाभिमान परक होता है। जो लोग शब्द ज्ञान में पारंगत होते हैं, वे हमेशा कर्तव्य एवं अकर्तव्य के बीच दुविधा में हिचकोले खाते रहते हैं। किसी व्यक्तित्व के प्रति निष्ठा से ऐसी दुविधाएँ नहीं पैदा होती। कस्तूरबा के द्वारा अपनाई गई पद्धति अनुकरणीय है।
विशेष:
- कस्तूरबा की व्यक्तिनिष्ठा का प्रकटीकरण है।
- तत्सम एवं उर्दू भाषा-शैली।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
लेखक ने राष्ट्रमाता किसे कहा है?
उत्तर:
लेखक ने ‘कस्तूरबा’ को राष्ट्रमाता कहा है।
प्रश्न 2.
राष्ट्र ‘कस्तूरबा’ को किस आदर्श की जीवित प्रतिमा मानता है? (म. प्र. 2014, 16)
उत्तर:
राष्ट्र कस्तूरबा को प्राचीन आर्य सती नारी के आदर्श की जीवित प्रतिमा मानता है।
प्रश्न 3.
कस्तूरबा भाषा का सामान्य ज्ञान होने पर भी कैसे अपना काम चला लेती थीं?
उत्तर:
अंग्रेजी के सीखे हुए पच्चीस-तीस शब्दों से कस्तूरबा अपना काम चला लेती थी।
प्रश्न 4.
कस्तूरबा को किन ग्रंथों पर असाधारण श्रद्धा थी?
उत्तर:
कस्तूरबा को ‘गीता’ और ‘तुलसी रामायण’ पर असाधारण श्रद्धा थी।
प्रश्न 5.
महात्मा जी और कस्तूरबा को पहली बार देखकर लेखक ने क्या अनुभव किया?
उत्तर:
लेखक ने अनुभव किया कि उसके आध्यात्मिक माँ-बाप मिल गये।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
दुनिया में कौन-सी दो अमोघ शक्तियाँ मानी गई हैं? कस्तूरबा की निष्ठा किसमें अधिक थी? (म. प्र. 2009, 10, 13, 17, 18)
उत्तर:
‘शब्द और कृति’ दो अमोघ शक्तियाँ हैं। ‘शब्द’ में सारी दुनिया को हिलाने की शक्ति होती है। ‘कृति’ में स्मृति सुरक्षित रहती है। कस्तूरबा की निष्ठा कृति की नम्रता के साथ उपासना करके सन्तोष और जीवन सिद्धि में थी।
प्रश्न 2.
कस्तूरबा को तेजस्वी महिला क्यों कहा गया है? (म. प्र. 2012, 13, 14, 16)
उत्तर:
दक्षिण अफ्रीका में कस्तूरबा ने जेल भेजे जाते समय कहा था – “मुझे तो वह कानून तोड़ना ही है, जो यह कहता है कि मैं महात्मा जी की पत्नी नहीं हूँ।” उनकी तेजस्विता को देखकर दक्षिण अफ्रीकी सरकार की जिद टूट गई। कस्तूरबा ने न तो अपना कोई बचाव किया और न कोई निवेदन किया। इन्हीं कारणों से उन्हें तेजस्वी महिला कहा गया है।
प्रश्न 3.
“सभा में जाने का मेरा निश्चय पक्का है मैं जाऊँगी ही” यह कथन किसका है और किस प्रसंग में कहा गया है?
उत्तर:
उपर्युक्त कथन कस्तूरबा ने सरकारी अमलदारों को लक्ष्य करके कहा था। अंग्रेजों ने गाँधी जी को सभा में जाते हुए गिरफ्तार कर लिया था। वे उन्हें भाषण देने से रोकना चाहते थे, तब कस्तूरबा ने सभा को सम्बोधित करने का निर्णय लिया। यह कथन उसी प्रसंग का है।
प्रश्न 4.
“मुझे यहाँ का वैभव कतई नहीं चाहिए मुझे तो सेवाश्रम की कुटिया ही पसंद है।” कस्तूरबा के इस कथन के आशय को स्पष्ट कीजिए। (महत्वपूर्ण)
उत्तर:
कस्तूरबा को आगा खाँ महल में कैद कर दिया गया। उनके साथ गाँधी जी भी थे। वहाँ उन्हें सम्पूर्ण सख-सविधा प्राप्त थी किन्तु कैदी होने का बोध कस्तरबा को सताता था। उन्हें महल की सख सुविधाओं से कोई मतलब नहीं था। वे सेवाग्राम में रहते हुए दीन-दुःखियों की सेवा करने में ही अपने जीवन को सार्थक मानती थीं।
प्रश्न 5.
कस्तूरबा ने अपनी तेजस्विता और कृति निष्ठा से क्या सिद्ध कर दिखाया? (महत्वपूर्ण)
उत्तर:
धर्मनिष्ठा, मितभाषी, कर्मनिष्ठा, पतिभक्ति, वात्सल्य, चारित्रिक तेजस्विता आदि गुणों से कस्तूरबा समृद्ध थीं। इन्हीं गुणों के बल पर उन्होंने देश के लिए बहुत कुछ किया। सेवाश्रम में भोजन पकाना, सबकी चिन्ता करना, सभाओं की अध्यक्षता एवं भाषण आदि के दायित्व निर्वहन में भी वे कभी पीछे नहीं रहीं।
जीवन में वे सदैव कर्तव्यनिष्ठ रहीं।
प्रश्न 6.
बदलते आदर्शों के इस युग में कस्तूरबा के प्रति श्रद्धा प्रकट कर किस बात का प्रमाण दिया गया है? (म. प्र. 2015)
उत्तर:
कस्तूरबा के जीवन की गतिविधियों के आधार पर उन्हें एक साधारण महिला कहा जा सकता है। वे शिक्षित, सरल और सादगी प्रिय थी। वे प्राचीन आदर्शों की कसौटी पर खरी उतरती हैं। प्राचीन भारतीय आर्य सती नारी की वे प्रतिमूर्ति थीं। राष्ट्र आज भी उनका सम्मान एवं श्रद्धा करता है।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित कथन का भाव विस्तार कीजिए “हमारी संस्कृति की जड़ें आज भी काफी मजबूत हैं।” (महत्वपूर्ण)
उत्तर:
हमारी भारतीय संस्कृति के जीवन मूल्य और आदर्श आज के बदलते आदर्शों के युग में भी महत्व रखते हैं भारतीय समाज में आज भी उन आदर्शों को श्रद्धा और विश्वास की वृद्धि से देखा जाता है। इससे प्रमाणित होता है कि हमारी संस्कृति की जड़ें भी काफी मजबूत है। संस्कृति के आदर्शों और मूल्यों को सरलता से समाप्त नहीं किया जा सकता। भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में एक है, आज भी इसकी अस्मिता लोगों की आत्मा एवं मन में बसी है। धर्म, भाषा, आचार-विचार, दर्शन सब इसके आन्तरिक पहलू में निहित है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
सही जोड़ी बनाइए –
उत्तर:
1. (ख)
2. (ग)
3. (घ)
4. (ङ)
5. (क)।
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति विकल्पों के आधार पर कीजिए –
- कस्तूरबा गाँधी, महात्मा गाँधी ………… थी। (समकालीन / सहधर्मिणी)
- निष्ठामूर्ति कस्तूरबा …………… है। (संस्मरण / कहानी) (म. प्र. 2018)
- ‘निष्ठामूर्ति कस्तूरबा’ पाठ के लेखक …………… हैं। (महात्मा गाँधी / काका कालेलकर) (म. प्र. 2014)
उत्तर:
- सहधर्मिणी
- संस्मरण
- काका कालेलकर।