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MP Board Class 12th General Hindi Important Questions Chapter 9 जागो फिर एक बार
ससंदर्भ व्याख्या कीजिए – सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
1. सिंही की गोद से
छीनता रे शिशु कौन?
मौन भी क्या रहती वह
रहते प्राण? रे अजान!
एक मेषमाता ही
रहती है निर्निमेष –
दुर्बल वह –
छिनती संतान जब
जन्म पर अपने अभिशप्त
तप्त आँसू बहाती है –
किन्तु क्या,
योग्य जन जीता है,
पश्चिम की उक्ति नहीं –
गीता है, गीता है –
स्मरण करो बार-बार
जागो फिर एक बार! (म. प्र. 2016)
शब्दार्थ:
सिंही = शेरनी, अजान = अज्ञानी, मेषमाता = भेड़ की माता, निर्निमेष = चुपचाप, दुर्बल = . कमजोर, अभिशप्त = शापित, उक्ति = कहावत।
संदर्भ:
प्रस्तुत पद्यांश ‘जागो फिर एक बार’ कविता से उद्धृत किया गया है, जिसके कवि सूर्यकांत त्रिपाती ‘निराला’ हैं।
प्रसंग:
कवि के अनुसार सबल को कोई नहीं सताता निर्बल हमेशा सताया जाता है।
व्याख्या:
कवि निराला कहते हैं कि शेरनी के शावक को उसकी गोद से छीनने की हिम्मत कोई नहीं कर पाता। सभी को मालूम है कि शेरनी शक्तिशाली एवं आक्रामक है। अपने बच्चे को छिनता देखकर वह कभी चुप नहीं रह सकती अपने प्राणों के अंतिम साँर तक.वह उसकी रक्षा करती है। वहीं दूसरी ओर भेड़ अपने शावक को छिनते हुए देखती रहती है और आँसू बहाती रहती है।
भेड़ की संतान जब छीनी जाती है तब अपने जन्म पर दुःखी होकर वह आँसू बहाती रहती है लेकिन क्या कभी कोई अपनी रक्षा में समर्थ व्यक्ति भी इस प्रकार आँसू बहाता चुपचाप रह सकता है? पश्चिमी देशों में यह कहावत प्रचलित है कि योग्य व्यक्ति ही इस संसार में जीता है। गीता में भी यही उपदेश प्रतिपादित किया गया है। इन सभी बातों को याद करो और देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में भिड़ जाओ। दुश्मनों को मार भगाओ।
विशेष:
- कवि ने इस पद्यांश के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना जाग्रत की है।
- अनुप्रास, पुनरुक्ति एवं उदाहरण अलंकार है।
2. “महामंत्र ऋषियों का
अणुओं परमाणुओं में फूंका हुआ –
“तुम हो महान्, तुम सदा हो महान्”
है नश्वर यह दीन भाव,
कायरता, कामपरता ब्रह्म हो तुम,
पद-रज भर भी है नहीं पूरा वह विश्व-भार
जागो फिर एक बार!
शब्दार्थ:
अणुओं:
परमाणुओं = कण-कण में, नश्वर = नष्ट, दीन = दीनता, कामपरता = काम के अधीन, पद – रज = चरणधूलि।
संदर्भ:
पूर्ववत्। प्रसंग-कवि निराला ने भारतवासियों को ब्रह्मा के समतुल्य एवं महान बतलाया है।
व्याख्या:
कवि निराला कहते हैं कि हमारे ऋषियों-मुनियों ने हमें सदैव ही महान् बतलाया है। भारत भूमि के कण-कण में भारतीयों की महानता प्रतिस्थापित है। दीनता का भाव नश्वर है। दीनता का भाव मन में आने ही न दो। कायरता का व्यवहार एवं काम भावना की ओर प्रवृत्ति ठीक नहीं है। तुम साक्षात ब्रह्मा हो। तुम्हारे लिए सम्पूर्ण संसार का भार चरण की धूल से ज्यादा भारी नहीं है। तुम सब कुछ कर सकने में समर्थ हो। आवश्यकता सिर्फ एक बार जागने की है।
विशेष:
- ‘अहं ब्रह्मास्त्रे’ का सूत्र प्रतिपादित किया गया है।
- अनुप्रास अलंकार है।
- ओज गुण है।
“जागो फिर एक बार।
समर में अमर कर प्राण, (म. प्र. 2017)
गान गाए महासिंधु से,
सिंधु-नद-तीरवासी,
सैंधव तुरंगो पर,
चतुरंग चमू संग,
सवा-सवा लाख पर,
एक को चढ़ाऊँगा गोविन्द सिंह निज,
नाम जब कहाऊँगा।”
शब्दार्थ:
समर = युद्ध, चतुरंग = चार तरह की, चमू = सेना, महासिंधु = महासागर, सैंधव = सिंधु (समुद्र)।
संदर्भ:
पूर्ववत्।
प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने गुरुगोविन्द सिंह की प्रशंसा करते हुए भारतवासियों को जाग्रत किया है कि वे अपने आलस भाव को त्याग कर शत्रु से डटकर मुकाबला करे एवं देश को स्वतंत्र कराएँ।
व्याख्या:
कवि कहता है कि हे भारतवासियों! तुम एक बार फिर जागो। इस देश के वीर की परम्परा रही है। उन्होंने माना कि युद्ध में शत्रुओं से लड़ते-लड़ते मर जाने पर व्यक्ति के प्राण अमर हो जाते हैं। ऐसे वीरों का गुणगान या अमर गाथा को महासागर ने गाया है।
सिंधु नदी के किनारे रहने वाले लोगों की वीरता आज तक याद की जाती है। सिंधु प्रांत के घोड़ों पर चढ़कर अपने साथ चतुरंगी सेना-अर्थात् अश्व सेना, गजसेना, रथ सेना तथा पैदल सिपाही के साथ जब शत्रुओं का आक्रमण करूँगा तो यह सवा-सवा लाख शत्रुओं को मारकर ही अपने एक सिपाही को चढ़ाऊँगा। ऐसा होने पर ही मैं अपना नाम गोविन्द सिंह कहलाऊँगा भाव यह है कि मेरी सेना का एक-एक वीर सिपाही शत्रु की सेना के सवा लाख सिपाहियों के लिए काफी है। यदि वह रण भूमि में मरा, तो शत्रुओं की सवा-लाख सेना का सफाया करके ही मरेगा।
विशेष:
- प्रस्तुत पद में गुरुगोविन्द सिंह की वीरता का वर्णन किया है। गुरु गोविन्द सिंह अपनी सेना का मनोबल किस प्रकार बढ़ाया करते हैं, का वर्णन किया है।
- इसमें वीर रस का वर्णन किया है।
- इसमें अनुप्रास एवं पुनरूक्ति प्रकाश अलंकार है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
‘सवा-सवा लाख पर’ एक को चढ़ाने की घोषणा किसने की थी? (म. प्र. 2013, 16)
उत्तर:
‘सवा-सवा लाख पर’ अर्थात् गुरु गोविन्द सिंह ने एक को चढ़ाने की घोषणा इसलिए कि क्योंकि वह यह बताना चाहते हैं कि मेरा एक सैनिक सवा-2 लाख शत्रु पर भारी है तथा वह उन शत्रुओं से लड़ सकता है या लड़ने की क्षमता रखता है।
प्रश्न 2.
गीता की उक्ति क्या है?
उत्तर:
जो योग्य होते हैं, वही जीते हैं। यह गीता में कहा गया है।
प्रश्न 3.
‘ताप-त्रय’ कौन-कौन से हैं? (म. प्र. 2014)
उत्तर:
दैहिक, दैविक और भौतिक ताप।
प्रश्न 4.
‘सिन्धु नद तीर वासी’ किसे कहा गया है?
उत्तर:
भारतवासियों को सिन्धु नदी के किनारे का निवासी कहा गया है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
मेषमाता तप्त आँसू क्यों बहाती है? (म. प्र. 2015)
उत्तर:
मेषमाता अत्यंत निर्बल होती है। संतान के छिनने पर भी वह चुप रहती है। उसकी रक्षा वह नहीं कर पाती। आँखों से असहाय आँसू बहाना उसकी नियति है।
प्रश्न 2.
ऋषियों का महामंत्र क्या है? (म. प्र. 2017)
उत्तर:
ऋषियों का महामंत्र है – ‘सच्चिदानंद’। सच्चिदानंद का अर्थ होता है–ब्रम्हा। ब्रम्हा सृष्टि के जड़-चेतन में व्याप्त है। मनुष्य भी ब्रम्हा का अंश है। संसार नश्वर है किन्तु ब्रम्हा अर्थात् आत्मा अनश्वर है।
प्रश्न 3.
कवि ‘जागो फिर एक बार में क्या उद्बोधन देते हैं? (म. प्र. 2012, 18)
उत्तर:
कवि ‘निराला’ कहते हैं कि स्वाधीनता की लड़ाई में हमें एक बार फिर जागना होगा। वीरता एवं पुरुषार्थ से हमें संग्राम जीतना होगा।
मानव शरीर नश्वर है किन्तु युद्ध क्षेत्र में इसे अमर कर देने का अवसर आ गया है। वीरों की गाथा एवं कीर्ति युगों-युगों तक गाई जाती है।
प्रश्न 4.
शिशु के छिनने पर सिंहनी और मेषमाता के व्यवहार में क्या अंतर है? (म. प्र. 2010, 13)
उत्तर:
सिंहनी से यदि कोई उसका शिशु छिनने की कोशिश करता है तो वह तुरंत आक्रमण कर उसे घायल कर देती है। सिंहनी की दहाड़ से आक्रमणकारी डरकर भाग जाता है। मेषमाता अपने बच्चे को छिनता हुआ, असहाय भाव से देखती रहती है। अपनी कमजोरी पर वह आँसू बहाती है। अंतत: वह अपने बच्चे की रक्षा नहीं कर पाती।
प्रश्न 5.
“जागो फिर एक बार” में सांस्कृतिक चेतना का उन्मेष क्यों किया गया है? (म. प्र. 2011)
उत्तर:
कविवर निराला की रचना “जागो फिर एक बार” ओजस्वी भाव से प्रभावित है जिसमें भारतीय संस्कृति के संदर्भ को एवं वीर पुरुषों के मूल मंत्रों को कवि ने याद किया है साथ ही नयी युवा पीढ़ी को सचेतन होने की सलाह दी है तथा कर्तव्यों का निर्वाह उचित ढंग से करें एवं भारतीय दर्शन, धर्म, कला एवं आध्यात्मिक ग्रंथों से प्रेरणा लेने की बात कही। “जागो फिर एक बार” कविता में मातृभूमि की रक्षा के लिए तन, मन, धन से समर्पित होने की बात दोहराई है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनिए –
1. प्रमुख छायावादी कवि हैं – (महत्वपूर्ण)
(क) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
(ख) भारतेन्दु
(ग) अज्ञेय
(घ) मुक्ति बोध।
उत्तर:
(क) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’।
2. राष्ट्रीय चेतना का प्रकटीकरण किस कविता में हुआ है –
(क) माँ
(ख) हम कहाँ जा रहे हैं
(ग) यशोधरा की व्यथा
(घ) जागो फिर एक बार।
उत्तर:
(घ) जागो फिर एक बार।
3. ‘जागो फिर एक बार’ कविता के रचयिता हैं – (म. प्र. 2010)
(क) श्री सुमित्रानन्दन पंत
(ख) सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’।
(ग) श्री बाल कवि ‘बैरागी’
(घ) श्री जयशंकर प्रसाद।
उत्तर:
(ख) सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’।
4. ‘जागो फिर एक बार’ कविता में ……………… का भाव निहित है – (म. प्र. 2012)
(क) राष्ट्रीय नव जागरण
(ख) राष्ट्रीय एकता
(ग) राष्ट्रीय भाषा
(घ) राष्ट्रीय भक्ति।
उत्तर:
(क) राष्ट्रीय नव जागरण।
5. सवा-सवा लाख पर एक को चढ़ाने की घोषणा की – (म. प्र. 2018)
(क) गुरूनानक
(ख) अर्जुन सिंह
(ग) गोविन्द सिंह
(घ) तेग बहादुर।
उत्तर:
(ग) गोविन्द सिंह।
प्रश्न 2.
एक शब्द /वाक्य में उत्तर दीजिए –
- निराला प्रमुखतः किस वाद के कवि हैं?
- ‘जूही की कली’ कविता किस सन् में लिखी गई?
- ‘कुकुरमुत्ता’ क्या है?
उत्तर:
- छायावाद
- 1916
- कविता।
प्रश्न 3.
उचित शब्दों का चयन कर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. ‘कुकुरमुत्ता’ ……………. की प्रमुख व्यंग्य रचना है। (सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला / जयशंकर प्रसाद) (म. प्र. 2016)
उत्तर:
सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला।
प्रश्न 4.
सत्य / असत्य कथन पहचानिए –
- ‘प्रभावती’ निराला का काव्य-संकलन है। (म. प्र. 2018)
- ‘मेषमाता’ बकरी को कहते हैं। (म. प्र. 2018)
उत्तर:
- असत्य
- सत्य।