MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 5 भारत : जलवायु

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 5 भारत : जलवायु

MP Board Class 9th Social Science Chapter 5 पाठान्त अभ्यास

MP Board Class 9th Social Science Chapter 5 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून का समय है (2010)
(i) जुलाई से अक्टूबर तक
(ii) जून से सितम्बर तक
(iii) मार्च से मई तक
(iv) दिसम्बर से फरवरी तक।
उत्तर:
(iii) मार्च से मई तक

प्रश्न 2.
किस राज्य में दक्षिण-पश्चिम मानसून से वर्षा बहुत कम होती है?
(i) राजस्थान
(ii) तमिलनाडु
(iii) कर्नाटक
(iv) पंजाब।
उत्तर:
(i) राजस्थान

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प्रश्न 3.
भारत के कारोमण्डल तट पर सर्वाधिक वर्षा होती है (2008, 09)
(i) जनवरी-फरवरी में
(ii) जून-सितम्बर में
(iii) मार्च-मई में
(iv) अक्टूबर-नवम्बर में।
उत्तर:
(i) जनवरी-फरवरी में

प्रश्न 4.
वर्षा की मात्रा में सर्वाधिक परिवर्तनशीलता कहाँ पाई जाती है? (2009, 18)
(i) महाराष्ट्र
(ii) असम
(iii) आन्ध्र प्रदेश
(iv) राजस्थान।
उत्तर:
(ii) असम

सही जोड़ी मिलाइए
MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 5 भारत जलवायु - 1
उत्तर:

  1. → (घ)
  2. → (ग)
  3. → (ख)
  4. → (क)।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 5 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जलवायु से क्या आशय है?
उत्तर:
किसी स्थान के मौसम की दीर्घकालिक औसत वायुमण्डलीय दशाओं को जलवायु कहते हैं।

प्रश्न 2.
भारत को कौन-सी जलवायु का प्रदेश कहते हैं? (2016)
उत्तर:
मानसूनी जलवायु।

प्रश्न 3.
मानसून से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
‘मानसून’ शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के मौसिम (Mausim) से हुई है, इसका आशय है-मौसम या मौसम के अनुसार हवाओं में होने वाला परिवर्तन, जिसके अनुसार वर्ष में छ: माह तक एक दिशा में तथा छः माह तक विपरीत दिशा में हवाएँ चला करती हैं। इस प्रकार मौसम के परिवर्तन के अनुसार चलने वाली हवाओं को ‘मानसून’ कहते हैं।

प्रश्न 4.
वर्षा ऋतु में मानसून की प्रमुख शाखाएँ कौन-कौन सी हैं? (2016)
उत्तर:
भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून की दो शाखाएँ होती हैं-

  1. अरब सागर की मानसून शाखा, जो प्रायद्वीप के अधिकतर भागों में वर्षा करती है, और
  2. बंगाल की खाड़ी की शाखा जो निम्न वायुदाब की ओर गंगा के मैदान में वर्षा करती हैं।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 5 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत की भू-रचना जलवायु को कैसे प्रभावित करती है?
उत्तर:
यहाँ की भू-रचना न केवल तापमान अपितु वर्षा को भी प्रभावित करती है। देश के उत्तरी भाग में पूरब से पश्चिम तक फैला हुआ विशाल हिमालय पर्वत शीत ऋतु में उत्तर से आने वाली अति ठण्डी हवाओं को रोककर भारत को अत्यधिक शीतल होने से बचाता है। यह पर्वत मानसून पवनों को रोककर वर्षा में भी सहायता करता है।

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प्रश्न 2.
भारत के उत्तरी मैदान की जलवायु विषम क्यों है?
उत्तर:
कर्क रेखा भारत को उष्ण तथा उपोष्ण दो कटिबन्धों में बाँटती है, लेकिन भारत के तापमान के वितरण पर समुद्र से दूरी का स्पष्ट प्रभाव देखा जाता है। भारत के तटीय भागों में समुद्र का समकारी प्रभाव पड़ने से सम जलवायु है, जबकि उत्तरी मैदान समुद्र से दूर होने के कारण यहाँ गर्मी में अधिक गर्मी और सर्दी में अधिक सर्दी पड़ती है। भारत के उत्तरी मैदान में विषम जलवायु (महाद्वीपीय प्रकार) होने का यही कारण है।

प्रश्न 3.
शीत ऋतु में तमिलनाडु तट पर वर्षा क्यों होती है?
उत्तर:
तमिलनाडु राज्य भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है। यहाँ शीतकाल में चलने वाली उत्तर-पूर्वी मानसून पवनें अधिक वर्षा करती है जबकि ग्रीष्मकालीन दक्षिण-पश्चिमी मानसून पवनें कम वर्षा करती हैं। इसका कारण यह है कि ग्रीष्मकाल में मानसून पवनें दक्षिण-पश्चिम दिशा से चलती हैं। अतः यह क्षेत्र पश्चिमी घाट पर्वत की वृष्टि छाया में पड़ता है जिससे कम वर्षा होती है। शीतकाल में लौटती हुई मानसून पवनें बंगाल की खाड़ी को पार करके नमी ग्रहण कर लेती हैं। ये पवनें पूर्वी घाट की पहाड़ियों से टकराकर तमिलनाडु के तटीय प्रदेश में वर्षा करती हैं। इस प्रकार जाड़े के मौसम में यह प्रदेश आर्द्र पवनों के सम्मुख होने के कारण अधिक वर्षा प्राप्त करता है।

प्रश्न 4.
भारत में अधिक वर्षा वाले क्षेत्र कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
अधिक वर्षा वाले क्षेत्र-इसमें वे क्षेत्र हैं, जहाँ 200 सेमी से अधिक वर्षा होती है। इसके अन्तर्गत पश्चिमी घाट (केरल, गोवा, तटीय कर्नाटक और तटीय महाराष्ट्र) असम, मेघालय तथा पूर्वी हिमालय के क्षेत्र आते हैं।

प्रश्न 5.
भारतीय कृषि को मानसून का जुआ क्यों कहते हैं? (2015)
उत्तर:
भारतीय कृषि मानसूनी वर्षा पर निर्भर करती है। भारत में वर्षा प्रायः अनिश्चित एवं अनियमित होती है। कभी मानसून जल्दी शुरू हो जाता है तो कभी देर से। वर्षा का वितरण भी असमान है। कहीं अधिक वर्षा से बाढ़ आती हैं तो कहीं सूखा पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप कृषि को भारी हानि होती है। वर्षा की मात्रा सामान्य हो, तो कृषि उपज अच्छी होती है। मानसूनी पवनों द्वारा कम या अधिक मात्रा में वर्षा होने से कृषि को भारी क्षति पहुँचती है। अतः भारतीय कृषि को ‘मानसून का जुआ’ कहा जाता है।

प्रश्न 6.
जलवायु स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव डालती है?
उत्तर:
जलवायु स्वास्थ्य पर निम्न प्रकार से प्रभाव डालती है –

  1. भारत में उपलब्ध जलवायु दशाओं के कारण सामान्यतः वर्ष भर कृषि हो सकती है। विभिन्न फसलों के लिये यहाँ का तापमान वर्ष भर उपयुक्त है।
  2. जलवायु की विविधता विविध फसलों के उत्पादन के लिये अनुकूल वातावरण उपस्थित करती है, जैसे-उत्तर प्रदेश की जलवायु गेहूँ के लिये, पश्चिम बंगाल की जलवायु पटसन एवं चावल के लिये तथा मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र की जलवायु कपास के लिये उपयुक्त है।
  3. जून, जुलाई तथा अगस्त के महीनों की वर्षा जल्दी पकने वाली फसलों, जैसे- ज्वार, बाजरा, मक्का आदि के लिये लाभदायक होती है।
  4. वर्षा के कारण चारा भी उपलब्ध होता है जिससे पशुपालन को बल मिलता है।
  5. गर्मी के बाद होने वाली वर्षा कई रोगों को जन्म देती है। गड्ढों और तालाबों में जल एकत्र हो जाता है। जिससे मच्छरों का जन्म होता है और रोगों का प्रसार होता है।

प्रश्न 7.
मानसून पवनों की उत्पत्ति कैसे होती है?
उत्तर:
मानसून पवनें बड़े पैमाने पर स्थलीय एवं सामुद्रिक पवनें हैं। जिस प्रकार स्थल भाग एवं समुद्री सतह पर तापमान की सापेक्ष भिन्नता के कारण पवनें दिन में समुद्र से स्थल की ओर तथा रात्रि में स्थल से समुद्र की ओर चलती हैं, उसी प्रकार ग्रीष्म ऋतु में पवनें सागरीय उच्च दाब से स्थलीय निम्न दाब की ओर तथा शीत ऋतु में इसके विपरीत स्थलीय उच्च दाब से सागरीय निम्न दाब की ओर चलती हैं, जिन्हें मानसून कहा जाता है।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 5 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौनसे हैं?
उत्तर:
भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले अग्रलिखित कारक हैं –

  • स्थिति :
    भारत की जलवायु को प्रभावित करने में देश की अक्षांशीय स्थिति महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत उत्तरी गोलार्द्ध में एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित है। कर्क रेखा इसके मध्य से होकर गुजरती है। भारत की इस विशिष्ट स्थिति के कारण इसके दक्षिणी भाग में उष्ण कटिबन्धीय जलवायु तथा उत्तरी भाग में महाद्वीपीय जलवायु पायी जाती है।
  • समुद्र से दूरी :
    भारत के तटीय भागों में समुद्र का समकारी प्रभाव पड़ने से सम जलवायु है, जबकि उत्तरी मैदान समुद्र से दूर होने के कारण वहाँ गर्मी में अधिक गर्मी और सर्दी में अधिक सर्दी पड़ती है। फलस्वरूप वहाँ महाद्वीपीय जलवायु पायी जाती है।
  • भू-रचना :
    भारत की भू-रचना न केवल तापमान अपितु वर्षा को भी प्रभावित करती है। देश के उत्तरी भाग में पूरब से पश्चिम को फैला हुआ विशाल हिमालय पर्वत शीत ऋतु में उत्तर से आने वाली अति ठण्डी हवाओं को रोककर भारत को अत्यधिक शीतल होने से बचाता है। यह पर्वत मानसून पवनों को रोककर वर्षा में मदद करता है।
  • जल और थल का वितरण :
    भारत को तीन ओर से समुद्र घेरता है-पश्चिम में अरब सागर, दक्षिण में हिन्द महासागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी। उत्तर में विशाल मैदान स्थित है। ग्रीष्म काल में इसका पश्चिमी भाग अत्यधिक गर्म हो जाता है और वहाँ निम्न वायुदाब स्थापित हो जाता है जिससे समुद्र की ओर से हवाएँ चलने लगती हैं। ये हवाएँ दो शाखाओं-अरब सागरीय मानसून शाखा और बंगाल की खाड़ी मानसून शाखा में विभाजित हो जाती हैं, इनसे पूर्वी, उत्तर-पूर्वी और दक्षिण भारत में वर्षा होती है।
  • उपरितन वायुधाराएँ :
    वायुधाराएँ हवाओं से भिन्न होती हैं क्योंकि वे भू-पृष्ठ से बहुत ऊँचाई पर चलती हैं। भारत की जलवायु जेट वायुधाराओं की गति से भी प्रभावित होती है। ऊपरी वायुमण्डल में बहुत तीव्र गति से चलने वाली हवाओं को जेट वायुधाराएँ कहते हैं। शीतकाल में पश्चिमी विक्षोभों को भारतीय उपमहाद्वीप तक लाने में जेट प्रवाह मददगार होते हैं। इस प्रकार उपरितन वायुधाराएँ भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाला महत्त्वपूर्ण कारक है।
  • मानसूनी पवनें :
    हमारा देश व्यापारिक पवनों के प्रवाह क्षेत्र में आता है, किन्तु यहाँ की जलवायु पर मानसूनी पवनों का व्यापक प्रभाव देखा जाता है। ये पवनें हमारे देश में ग्रीष्म ऋतु में समुद्र से स्थल की ओर तथा शीत ऋतु में स्थल से समुद्र की ओर चला करती हैं। मानसूनी हवाओं के इस परिवर्तन के साथ भारत में मौसम और ऋतुओं में परिवर्तन हो जाता है।

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प्रश्न 2.
मानसून की प्रमुख विशेषताएँ बताते हुए विभिन्न ऋतुओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानसून की विशेषताएँ

  1. मानसूनी हवाएँ मौसमी हवाएँ हैं। ये मौसम के अनुसार प्रवाहित होती हैं।
  2. ग्रीष्मकाल में चलने वाली मौसमी हवाओं को ग्रीष्मकालीन मानसून एवं शीतकाल में चलने वाली मौसमी हवाओं को शीतकालीन मानसून कहते हैं।
  3. ग्रीष्मकालीन मानसूनी हवाएँ भारत की प्रायद्वीपीय स्थिति के कारण दो भागों में बँट जाती हैं- पहली अरब सागरीय मानसून एवं दूसरी बंगाल की खाड़ी का मानसून।
  4. भारत में ग्रीष्म ऋतु में इन हवाओं की दिशा दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर एवं शीत ऋतु में उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिमी होती है।
  5. ग्रीष्म ऋतु में ये हवाएँ समुद्र से थल भाग की ओर चलने के कारण उष्ण व आर्द्र होती हैं जबकि शीत ऋतु में ये हवाएँ स्थल से समुद्र की ओर चलने के कारण ठण्डी व शुष्क होती हैं।
  6. वर्षा का अधिकांश भाग दक्षिणी-पश्चिमी मानसून हवाओं से प्राप्त होता है।
  7. भारत में मानसूनी वर्षा समय के अनुसार निश्चित नहीं होती। कभी मानसूनी पवनें जल्दी और कभी बहुत देर में आती है अर्थात् कई बार मानसून के समय एवं उसकी मात्रा में अन्तर भी आ जाता है।

भारत की ऋतुएँ :
मानसूनी विभिन्नता के आधार पर चार ऋतुओं में बाँटा गया है :

i. उत्तर-पूर्वी मानसून की ऋतुएँ :

  1. शीत ऋतु-दिसम्बर से फरवरी तक,
  2. ग्रीष्म ऋतु-मार्च से मई तक।

ii. दक्षिण-पश्चिमी मानसून की ऋतुएँ :

  1. वर्षा ऋतु-जून से सितम्बर तक,
  2. पीछे हटते मानसून की ऋतु-अक्टूबर से नवम्बर तक।

i.
1. शीत ऋतु :
शीत ऋतु लगभग दिसम्बर से फरवरी तक सम्पूर्ण भारत में रहती है। जनवरी सबसे ठण्डा महीना है। इस ऋतु में उत्तरी मैदानों में उच्च वायुदाब रहता है। इस ऋतु में देश के ऊपर उत्तर-पूर्वी व्यापारिक हवाएँ चलती हैं। हमारे देश के अधिकांश भागों में ये स्थल से समुद्र की ओर चलती हैं। परिणामस्वरूप शीत ऋतु शुष्क रहती है। चेन्नई और कालीकट का जनवरी का औसत तापमान लगभग 25° सेल्सियस रहता है तथा उत्तरी मैदानों में औसत तापमान 10° से 15° सेल्सियस रहता है। शीत ऋतु में दिन सामान्यत: उष्ण तथा रातें ठण्डी होती हैं। कुछ ऊँचे स्थानों पर पाला भी पड़ता है।

उत्तर-पूर्वी मानसून शीत ऋतु में बंगाल की खाड़ी में आर्द्रता ग्रहण कर तमिलनाडु के कारोमण्डल तट पर वर्षा करता है। इसे लौटती हुई मानसून की वर्षा कहते हैं।

2. ग्रीष्म ऋतु :
मानसूनी हवाएँ मौसमी हवाएँ हैं। ये मौसम के अनुसार प्रवाहित होती हैं। ग्रीष्मकाल में चलने वाली मौसमी हवाओं को ग्रीष्मकालीन मानसून एवं शीतकाल में चलने वाली मौसमी हवाओं को शीतकालीन मानसून कहते हैं। ग्रीष्मकालीन मानसूनी हवाएँ भारत की प्रायद्वीपीय स्थिति के कारण दो भागों में बँट जाती हैं- पहली अरब सागरीय मानसून एवं दूसरी बंगाल की खाड़ी का मानसून। भारत में ग्रीष्म ऋतु में इन हवाओं की दिशा दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर एवं शीत ऋतु में उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिमी होती है। ग्रीष्म ऋतु में ये हवाएँ समुद्र से थल भाग की ओर चलने के कारण उष्ण व आर्द्र होती हैं जबकि शीत ऋतु में ये हवाएँ स्थल से समुद्र की ओर चलने के कारण ठण्डी व शुष्क होती हैं।

ii.
1. वर्षा ऋतु :
भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में तेजी से बढ़ते तापमान के परिणामस्वरूप शीत ऋतु का उच्च दाब अत्यन्त निम्न दाब में बदल जाता है। इस निम्न दाब के क्षेत्र की ओर बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से वायु खिंच जाती है। दक्षिण गोलार्द्ध की व्यापारिक पवनें इनके साथ मिलकर दक्षिण-पश्चिम मानसून का निर्माण करती हैं। यह धीरे-धीरे दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ता है और जून के अन्त तक देश के अधिकांश भागों में फैल जाता है।

2. पीछे हटते मानसून की ऋतु :
उत्तर-पश्चिम भारत में बना निम्न वायुदाब का क्षेत्र सूर्य की स्थिति बदलने के कारण कमजोर होकर दक्षिण की ओर खिसकने लगता है। सितम्बर के प्रथम सप्ताह में यह राजस्थान से पीछे हट जाता है। नवम्बर में यह कर्नाटक और तमिलनाडु के ऊपर चला जाता है। दिसम्बर के मध्य तक यह प्रायद्वीप से पूरी तरह हट जाता है। इस पीछे हटते हुए मानसून की ऋतु में प्रायद्वीप के पूर्वी भाग-प्रमुख रूप से तमिलनाडु में व्यापक वर्षा होती है।

प्रश्न 3.
भारत में वर्षा के वितरण को मानचित्र पर दर्शाइए और विभिन्न क्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
वार्षिक वर्षा के आधार पर भारतवर्ष को चार भागों में बाँटा जा सकता है। :

  1. अधिक वर्षा वाले क्षेत्र-लघु उत्तरीय प्रश्न 4 का उत्तर देखें।
  2. मध्यम वर्षा वाले क्षेत्र-इसके अन्तर्गत बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा, पूर्वी उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु तथा पश्चिम बंगाल आते हैं। यहाँ औसत वर्षा 100 से 200 सेमी होती है।
  3. साधारण वर्षा वाले क्षेत्र-इसमें 50 सेमी से 100 सेमी तक वर्षा वाले क्षेत्र आते हैं। इसके अन्तर्गत मध्य प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु पंजाब तथा हरियाणा आते हैं।
  4. अल्प वर्षा वाले क्षेत्र-इन क्षेत्रों में औसत वर्षा 50 सेमी से कम रहती है। सबसे कम वर्षा वाले क्षेत्रों में राजस्थान का अधिकांश भाग, लद्दाख का पठार तथा दक्षिणी पठार का वृष्टि छाया प्रदेश आता है।
    MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 5 भारत जलवायु - 2

प्रश्न 4.
भारत की जलवायु का मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जलवायु का मानव जीवन पर प्रभाव

  1. गर्मी में उच्च तापमान और ग्रीष्मकालीन वर्षा के कारण भारतीय उपमहाद्वीप में कुछ विशिष्ट फसलों की खेती होती है; जैसे-धान, जूट और चाय। ये फसलें मानसूनी जलवायु की उपज हैं।
  2. मानसूनी वर्षा की मात्रा कृषि कार्य के लिए उपयुक्त है।
  3. धान की खेती से अधिकाधिक लोगों का भरण-पोषण सम्भव है, अतः ऐसे क्षेत्र घने आबाद होते हैं।
  4. अधिक गर्मी पड़ने के कारण लोग सुस्त हुआ करते हैं जो आर्थिक विकास के लिए बाधक हैं।
  5. वर्षा के असमान वितरण के कारण सिंचाई व्यवस्था करनी पड़ती है।
  6. पश्चिमोत्तर भारत में शीतकालीन वर्षा के कारण गेहूँ, जौ आदि की अच्छी उपज होती है।
  7. वर्षा के कारण चारा भी उपलब्ध हो जाता है जिससे पशुपालन को बल मिलता है। कहा जाता है कि प्राचीनकाल में भारत में दूध व घी की नदियाँ बहती थीं। यह चारे की पर्याप्त उपलब्धि से ही सम्भव था। लेकिन वर्तमान में वर्ष के कुछ महीनों को छोड़कर शेष महीने शुष्क होते हैं। वर्षाकाल में उगने वाली घास शुष्क महीनों में सूख जाती है, इसलिए यहाँ सदाबहार चरागाह भूमि का अभाव है।
  8. वर्षा की अनिश्चितता का प्रभाव कृषि पर पड़ता है। वर्षा यदि समय पर और पर्याप्त मात्रा में हो जाती है तो कृषि उत्पादन ठीक होता है, लेकिन यदि मानसून आने में देरी हो जाए या पर्याप्त वर्षा न हो तो कृषि उत्पादन पर उसका विपरीत प्रभाव पड़ता है, इसलिए भारतीय कृषि को मानसून का जुआ कहते हैं।
  9. कभी-कभी वर्षा की अधिकता से भयंकर बाढ़ें आती हैं।
  10. चक्रवाती या तूफानी वर्षा से फसलों, पशुओं और निर्धन लोगों को बहुत नुकसान पहुँचता है। ओलों से खड़ी फसल मारी जाती है।

इस प्रकार जलवायु की भिन्नता के फलस्वरूप वन सम्पदा, पशु सम्पदा, परिवहन एवं मानव जीवन में भी विभिन्नता है। ये हमारे आर्थिक जीवन का महत्त्वपूर्ण तत्व है।

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MP Board Class 9th Social Science Chapter 5 अन्य परीक्षोपयोगी प्रश्न

MP Board Class 9th Social Science Chapter 5 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अधिक वर्षा वाले राज्य (2011)
(i) बिहार, उड़ीसा
(ii) मेघालय असम
(iii) मध्य प्रदेश, गुजरात
(iv) राजस्थान, पंजाब।
उत्तर:
(iii) मध्य प्रदेश, गुजरात

प्रश्न 2.
मानसूनी हवाओं का सम्बन्ध है (2008)
(i) मौसम
(ii) जलवायु
(iii) ऋतु
(iv) उक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(i) मौसम

रिक्त स्थान पूर्ति

  1. भारत की वर्षा का वार्षिक औसत …………. है। (2008)
  2. जिस क्षेत्र में औसतन तापमान 18° से. से ऊपर रहता है उसे ………… जलवायु कहते हैं। (2009)
  3. ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली हवाओं को …………. कहते हैं। (2015)
  4. अल्प वर्षा वाले क्षेत्रों में औसत वर्षा ………… वार्षिक से कम रहती है।
  5. भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून की अनियमितता तथा अनिश्चितता का कारण …………. का उत्तर और दक्षिण की ओर खिसकना है।

उत्तर:

  1. 105 सेमी,
  2. उष्ण कटिबन्धीय,
  3. लू,
  4. 50 सेमी.
  5. जेट स्ट्रीम।

सत्य/असत्य

प्रश्न 1.
आम्रवृष्टि मध्य प्रदेश में होती है। (2008, 09)
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 2.
भारतीय मानसून में होने वाली वर्षा अनिश्चित है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 3.
मानसूनी हवाएँ अपनी दिशाएँ नहीं बदलती हैं।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 4.
शीत ऋतु दिसम्बर से शुरू होती है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 5.
ग्रीष्म ऋतु में उत्तर भारत में चलने वाली हवा को लू कहते हैं।
उत्तर:
सत्य

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सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 9th Social Science Solutions Chapter 5 भारत जलवायु - 3

उत्तर:

  1. → (ख)
  2. -→ (क)
  3. → (घ)
  4. → (ङ)
  5. → (ग)।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

प्रश्न 1.
पर्वतीय वायु विमुख क्षेत्र जहाँ वर्षा नहीं होती।
उत्तर:
वृष्टि छाया क्षेत्र

प्रश्न 2.
जहाँ गर्मी में अधिक गर्मी तथा सर्दी में अधिक सर्दी हो, वह जलवायु कहलाती है।
उत्तर:
महाद्वीपीय जलवायु

प्रश्न 3.
हवाएँ छः माह की अवधि में अपनी दिशा बदलती हैं।
उत्तर:
मानसून मौसम सम्बन्धी हवाएँ

प्रश्न 4.
किसी स्थान की दीर्घ अवधि की वायुमण्डलीय दशा कहलाती है।
उत्तर:
जलवायु

प्रश्न 5.
भारत के कोरोमण्डल तट पर सर्वाधिक वर्षा कब होती है? (2014)
उत्तर:
जनवरी-फरवरी में।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 5 अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मौसम से क्या आशय है?
उत्तर:
मौसम का आशय किसी स्थान विशेष के किसी निर्दिष्ट समय की वायुमण्डलीय दशाओं, तापमान, वायुदाब, हवा, आर्द्रता एवं वर्षा से होता है। वायुमण्डल की उपर्युक्त दशाओं को ही जलवायु और मौसम के तत्व कहते हैं।

प्रश्न 2.
जेट वायु धाराएँ (प्रवाह) किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
ऊपरी वायुमण्डल में तीव्र गति से चलने वाली पवनों को जेट वायुधाराएँ कहते हैं। ये बहुत ही सँकरी पट्टी में चलती हैं।

प्रश्न 3.
मैंगो शावर (आम्रवृष्टि) क्या है?
उत्तर:
मानसून के आने से पूर्व प्रायद्वीपीय पठार में वर्षा होती है जिसे मैंगो शावर (आम्रवृष्टि) कहते हैं। केरल में इसे फूलों वाली बौछार कहा जाता है, क्योंकि इस वर्षा से कहवा उत्पादन वाले क्षेत्रों में फूल खिलने लगते हैं।

प्रश्न 4.
व्यापारिक पवनें किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
भूमध्यरेखीय निम्न वायुदाब कटिबन्ध की ओर दोनों ही गोलार्डों के उपोष्ण उच्च वायुदाब कटिबन्धों से निरन्तर बहने वाली पवन को व्यापारिक पवन कहते हैं।

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प्रश्न 5.
वृष्टि छाया प्रदेश क्या है?
उत्तर:
पर्वतीय वायु विमुख ढाल क्षेत्र जहाँ वर्षा नहीं हो पाती और वह क्षेत्र शुष्क रह जाता है, वृष्टि छाया क्षेत्र की श्रेणी में आता है।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 5 लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दक्षिण-पश्चिमी मानसून की उत्पत्ति का क्या कारण है ?
उत्तर:
ग्रीष्म ऋतु में तापमान बढ़ जाने के कारण भारत के उत्तर-पश्चिमी मैदानों में निम्न वायुदाब का क्षेत्र बन जाता है। इस समय हिन्द महासागर पर अपेक्षाकृत उच्च वायुदाब का क्षेत्र होता है जिसके कारण हिन्द महासागर में दक्षिण-पूर्वी व्यापारिक हवाओं की उत्पत्ति होती है और जहाँ से ये अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी में आ जाती हैं। इसके पश्चात् ये भारत के वायुमण्डल की संरचना का अंग बन जाती हैं। विषुवतीय गर्म धाराओं के ऊपर से गुजरने के कारण ये भारी मात्रा में आर्द्रता ग्रहण कर लेती हैं। विषुवत् वृत्त को पार करते ही इनकी दिशा दक्षिण-पश्चिम हो जाती है। इसीलिए इन्हें दक्षिण-पश्चिमी मानसून कहा जाता है।

प्रश्न 2.
मानसून के रचना-तन्त्र की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मानसून शब्द अरबी भाषा के ‘मौसिम’ शब्द से बना है जिसका अर्थ है ऋतु या मौसम। इस प्रकार मानसून का अर्थ उन मौसमी हवाओं से है जो मौसमी परिवर्तन के साथ अपनी दिशा पूर्णतया बदल देती हैं। शुष्क और गर्म स्थलीय हवाएँ समुद्री और वाष्पकणों से भरी हुई हवाओं में बदल जाती हैं। ये मानसून हवाएँ हिन्द महासागर में भूमध्य रेखा को पार करते ही दक्षिण-पश्चिम दिशा अपना लेती हैं। जब कभी उत्तरी गोलार्द्ध में प्रशान्त महासागर के विषुवतीय भागों में उच्च दाब होता है तब हिन्द महासागर के दक्षिणी भागों में दबाव कम होता है और यह परिवर्तन का क्रम चलता रहता है। इस प्रकार भूमध्य रेखा के आस-पास की हवाएँ विभिन्न दिशाओं में आती जाती रहती हैं। इन हवाओं की अदला-बदली का मानसून हवाओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 3.
पश्चिमी चक्रवाती विक्षोभ क्या है?
उत्तर:
पश्चिमी चक्रवाती विक्षोभ :
शीत ऋतु के महीनों में उत्पन्न होने वाला पश्चिमी चक्रवाती विक्षोभ भूमध्य सागरीय क्षेत्र से आने वाले पश्चिमी जेट स्ट्रीम पवनों के कारण होता है। ये प्रायः भारत के उत्तर एवं उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र को प्रभावित करते हैं। उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात मानसूनी महीनों के अलावा अक्टूबर एवं नवम्बर के महीनों में भी आते हैं एवं देश के तटीय क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं। शीत ऋतु में पश्चिमी चक्रवाती विक्षोभों के आने से उत्तरी भारत में हल्की वर्षा होती है। इन्हीं विक्षोभों के कारण कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में भारी हिमपात होता है।

MP Board Class 9th Social Science Chapter 5 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में ग्रीष्म ऋतु में जलवायु की दशाओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
ग्रीष्म ऋतु में उत्तरी भारत में तापमान अधिक रहने से वायुदाब कम रहता है। मई माह तक थार मरुस्थल से लेकर छोटा नागपुर पठार तक न्यून वायुदाब क्षेत्र बन जाता है। हिन्द महासागर में उच्च वायुदाब रहता है। पवनें उच्चदाब से न्यूनदाब की ओर चलती हैं। ग्रीष्मकाल में स्थानीय पवनें-लू, वैशाखी (धूल भरी आँधियाँ) सक्रिय हो जाती हैं।

कर्क रेखा भारत के लगभग मध्य भाग से गुजरती है। 21 जून को कर्क रेखा पर सूर्य की किरणें लम्बवत् गिरती हैं, अत: उत्तरी भारत का तापमान बढ़ने लगता है। देश के उत्तर-पश्चिम भाग में तापमान 45° से 48° सेल्सियस तक हो जाता है। दक्षिण भारत में समुद्र के समकारी प्रभाव के कारण तापमान अधिक नहीं हो पाता है। यह 27° से 30° सेल्सियस तक रहता है। ग्रीष्म ऋतु के अन्त में केरल तथा कर्नाटक के तटीय भागों में मानसून से पूर्व की वर्षा होती है, जिसका स्थानीय नाम आम्रवृष्टि है। इस समय दक्कन के पठार पर अपेक्षाकृत उच्चदाब होने के कारण मानसून से पूर्व की वर्षा का क्षेत्र आगे नहीं बढ़ पाता है। इस ऋतु में बंगाल और असम में भी उत्तर-पश्चिमी तथा उत्तरी पवनों द्वारा वर्षा की तेज बौछारें पड़ती हैं।

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