Students get through the MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य which are most likely to be asked in the exam.
MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
चुम्बकीय आघूर्ण की दिशा क्या होती हैं ?
उत्तर-
S- ध्रुव से N- ध्रुव की ओर।
प्रश्न 2.
चुम्बकीय बल रेखाएँ बंद वक्र होती है या खुलावक्र।
उत्तर-
बंद वक्र।
प्रश्न 3.
क्या बिना ध्रुवों का कोई चुम्बक हो सकता है ?
उत्तर-
हाँ, टोरॉइट (Toroid).
प्रश्न 4.
किसी पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृत्ति 4/5 है। यह कैसा पदार्थ है ?
उत्तर-
अनुचुंबकीय पदार्थ।
प्रश्न 5.
किसी पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृत्ति – 0.5 है। यह कैसा पदार्थ है ?
उत्तर-
प्रतिचुम्बकीय पदार्थ।
प्रश्न 6.
कौन-सा पदार्थ क्यूरी नियम का पालन नहीं करता?
उत्तर-
प्रतिचुम्बकीय पदार्थ।
प्रश्न 7.
विद्युत् चुम्बक किस पदार्थ से बनाये जाते हैं ?
उत्तर-
नर्म लोहे का।
प्रश्न 8.
विषुवत् रेखा पर नमन कोण का मान कितना होता है ?
उत्तर-
0° (शून्य).
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
चुम्बक की प्रभावकारी लम्बाई को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
किसी चुम्बक के दोनों ध्रुवों के बीच की दूरी को उसकी प्रभावकारी लम्बाई कहते हैं।
प्रश्न 2.
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता से आप क्या समझते हैं ? SI पद्धति में इसका मात्रक लिखिए।
उत्तर-
चुम्बकीय क्षेत्र में किसी बिन्दु पर रखा एकांक उत्तरी ध्रुव (परीक्षण ध्रुव) जितने बल का अनुभव करता है, उसे उस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता कहते हैं। इसका SI मात्रक “टेस्ला” है।
प्रश्न 3.
चुम्बकीय बल रेखाओं की परिभाषा लिखकर उनकी दिशाएँ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
किसी चुम्बकीय क्षेत्र की बल रेखा वह वक्र है जिसके किसी भी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर परिणामी बल की दिशा को प्रदर्शित करती है।
ये बल रेखाएँ चुम्बक के बाहर उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर जाती हुई तथा चुम्बक के अन्दर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर जाती हुई मानी जाती हैं।
प्रश्न 4.
दो बल रेखाएँ एक-दूसरे को नहीं काटती, क्यों ?
उत्तर-
यदि दो बल रेखाएँ एक-दूसरे को काटेंगी तो कटान बिन्दु पर दो स्पर्श रेखाएँ खींची जा सकेंगी जिसका अर्थ यह होगा कि कटान बिन्दु पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र की दो दिशाएँ होंगी जबकि किसी भी बिन्दु पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र की केवल एक ही दिशा होती है। अत: दो बल रेखाएँ एक-दूसरे को कभी नहीं काटतीं।
प्रश्न 5.
चुम्बक के चुम्बकीय आघूर्ण की परिभाषा लिखिए तथा SI पद्धति में इसका मात्रक लिखिए।
उत्तर-
सूत्र 1 = MB sinθ में यदि B = 1 और sinθ = 1 अर्थात् θ = 90° हो तो τ = M
अतः किसी चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण उस प्रत्यानयन बलयुग्म के आघूर्ण के बराबर होता है जो चुम्बक पर उस समय कार्य करता है, जब चुम्बक को एकांक तीव्रता के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् रखा जाता है।
इसका SI पद्धति में मात्रक ऐम्पियर × मीटर2 है।
प्रश्न 6.
अनुचुम्बकीय पदार्थ किसे कहते हैं ? उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
अनुचुम्बकीय पदार्थ वे पदार्थ होते हैं जो चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर क्षेत्र के समान्तर होकर क्षीण चुम्बकत्व धारण कर लेते हैं तथा किसी शक्तिशाली चुम्बक के सिरों के पास लाने पर उसकी ओर आकर्षित होते हैं।
उदाहरण-मैंगनीज, प्लैटिनम, ऐल्युमिनियम, ऑक्सीजन इत्यादि।
प्रश्न 7.
प्रतिचुम्बकीय पदार्थ किसे कहते हैं ? उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
प्रतिचुम्बकीय पदार्थ वे होते हैं जो किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर क्षेत्र की विपरीत दिशा में थोड़ा-सा चुम्बकीय हो जाते हैं तथा शक्तिशाली चुम्बक के सिरों के पास लाने पर कुछ प्रतिकर्षित होते हैं।
उदाहरण-बिस्मथ, फॉस्फोरस, वायु, हाइड्रोजन इत्यादि।
प्रश्न 8.
लौह-चुम्बकीय पदार्थ किसे कहते हैं ? उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
लौह-चुम्बकीय पदार्थ वे पदार्थ होते हैं जो किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर क्षेत्र की दिशा में ही प्रबल रूप से चुम्बकित हो जाते हैं तथा किसी चुम्बक के सिरों के पास रखे जाने पर तेजी से उसकी ओर आकर्षित होते हैं।
उदाहरण-लोहा, इस्पात, निकिल, कोबाल्ट इत्यादि।
प्रश्न 9.
प्रतिचुम्बकीय और अनुचुम्बकीय पदार्थों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या किस प्रकार होती है ?
उत्तर-
प्रतिचुम्बकीय पदार्थ के परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या सम होती है जबकि अनुचुम्बकीय पदार्थ के परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या विषम होती है।
प्रश्न 10.
(क) चुम्बकीय प्रवृत्ति से आप क्या समझते हैं ?
(ख) एक अनुचुम्बकीय पदार्थ ज्यादा चुम्बकत्व प्रदर्शित करता है जब उसे समान तीव्रता के चुम्बकीय क्षेत्र में ठंडा किया जाता है। क्यों ?
उत्तर-
(क) किसी पदार्थ में उत्पन्न चुम्बकन तीव्रता I और चुम्बकन क्षेत्र H के अनुपात को उस पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृत्ति कहते हैं । इसे ✗ से प्रदर्शित करते हैं।
I अतः चुम्बकीय प्रवृत्ति ✗= \(\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{H}}\)
यह शुद्ध निष्पत्ति है अतः इसका कोई मात्रक नहीं होता है वास्तव में चुम्बकीय प्रवृत्ति एक प्राचल है जिससे यह पता चलता है कि यदि पदार्थ को एक चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाय तो वह कितने जल्दी (तेजी से) चुम्बकित होगा।
(ख) जब किसी अनुचुम्बकीय पदार्थ को बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो इसके प्रत्येक परमाणवीय चुम्बक पर एक बलयुग्म कार्य करता है जो उन्हें क्षेत्र की दिशा के समांतर लाने का प्रयास करता है किन्तु ऊष्मीय कंपन इसका विरोध करते हैं । यदि तापमान कम किया जाता है तो ऊष्मीय कंपन कम होने लगते हैं जिससे यह कुछ ज्यादा चुम्बकत्व प्रदर्शित करता है।
प्रश्न 11.
(क) क्या अनुचुम्बकीय लवण का चुम्बकत्व ताप पर निर्भर करता है ? अपने उत्तर का कारण दीजिये।
(ख) क्या होगा यदि लोहे के एक दंड चुम्बक को पिघलाया जाये ? क्या उसका चुम्बकत्व बना रहेगा?
उत्तर-
(क) हाँ, ताप बढ़ाने पर अनुचुम्बकीय लवणों का अनुचुम्बकत्व कम होने लगता है। जब किसी अनुचुम्बकीय लवण जो किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो उस पर एक बलयुग्म कार्य करने लगता है जो उसे क्षेत्र के समांतर लाने का प्रयास करता है। जब इनका ताप बढ़ाया जाता है तो परमाणुओं का ऊष्मीय विक्षोभ इसका विरोध करता है जिससे उसका अनुचुम्बकत्व कम हो जाता है।
(ख) लोहे का क्यूरी ताप 770°C होता है। लोहे का गलनांक उसके क्यूरी ताप से अधिक होता है। अतः लोहे का दंड चुम्बक पिघलाने पर वह लौह चुम्बक नहीं रह पायेगा अतः उसका चुम्बकत्व नष्ट हो जायेगा।
प्रश्न 12.
(क) क्यूरी ताप क्या है ? (ख) किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखी अनुचुम्बकीय व प्रतिचुम्बकीय छड़ों में अंतर कैसे करेंगे?
उत्तर-
(क) लौह चुम्बक का ताप बढ़ाने पर इसका चुम्बकत्व कम होने लगता है। एक निश्चित ताप के ऊपर लौह चुम्बकीय पदार्थ अनुचुम्बकीय हो जाता है। यह निश्चित ताप क्यूरी ताप कहलाता है।
(ख) जब एक अनुचुम्बकीय रॉड को चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो यह स्वयं को चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर समंजित कर लेती है किन्तु प्रतिचुम्बकीय रॉड को क्षेत्र में रखने पर यह चुम्बकीय क्षेत्र के लंबवत् समंजित हो जाती है।
प्रश्न 13.
(क) चुम्बकशीलता को परिभाषित कीजिये एवं समझाइये।
(ख) अनुचुम्बकीय, प्रतिचुम्बकीय एवं लौह चुम्बकीय पदार्थों की चुम्बकीय प्रवृत्ति की तुलना कीजिये।
उत्तर-
(क) किसी पदार्थ को चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व B और चुम्बकीय क्षेत्र H के अनुपात को उस पदार्थ की निरपेक्ष चुम्बकशीलता कहते हैं उसे µ से प्रदर्शित करते हैं।
µ = \(\frac{\mathrm{B}}{\mathrm{H}}\)
(ख) प्रतिचुम्बकीय पदार्थों की चुम्बकीय प्रवृत्ति थोड़ी-सी ऋणात्मक किन्तु नियत होती है। जबकि अनुचुम्बकीय पदार्थों की चुम्बकीय प्रवृत्ति अल्प धनात्मक होती है। लौह चुम्बकीय पदार्थों की चुम्बकीय प्रवृत्ति उच्च तथा धनात्मक होती है।
प्रश्न 14.
अनुचुम्बकीय पदार्थों के गुण लिखिए।
उत्तर-
- अनुचुम्बकीय पदार्थ शक्तिशाली चुम्बकों द्वारा आकर्षित होते हैं।
- जब किसी अनुचुम्बकीय पदार्थ को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाया जाता है तो वह घूमकर चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर हो जाता है।
- जब किसी अनुचुम्बकीय पदार्थ को किसी असमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो वह कम तीव्रता वाले भाग से अधिक तीव्रता वाले भाग की ओर चलने लगता है।
- यदि किसी अनुचुम्बकीय द्रव को एक U नली में भरकर नली की एक भुजा को शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र में रख दें तो द्रव उस भुजा में थोड़ा ऊपर उठ जाता है।
- अनुचुम्बकीय पदार्थों की आपेक्षिक चुम्बकशीलता 1 से थोड़ी अधिक होती है।
प्रश्न 15.
प्रतिचुम्बकीय पदार्थों के गुण लिखिए।
उत्तर-
- प्रतिचुम्बकीय पदार्थ शक्तिशाली चुम्बक से प्रतिकर्षित हो जाते हैं।
- जब किसी प्रतिचुम्बकीय पदार्थ को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाया जाता है तो वह घूमकर चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् हो जाता है।
- जब किसी प्रतिचुम्बकीय पदार्थ को किसी असमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो वह क्षेत्र के अधिक तीव्रता वाले भाग से कम तीव्रता वाले भाग की ओर चलने लगता है।
- यदि किसी प्रतिचुम्बकीय द्रव को U नली में भरकर उसकी भुजा को एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र में रख दें तो उस भुजा में द्रव थोड़ा-सा नीचे दब जाता है।
- प्रतिचुम्बकीय पदार्थ की आपेक्षिक चुम्बकशीलता 1 से थोड़ी कम होती है।
प्रश्न 16.
लौह-चुम्बकीय पदार्थों के गुण लिखिए।
उत्तर-
लौह-चुम्बकीय पदार्थों में निम्न गुण पाये जाते हैं
- लौह-चुम्बकीय पदार्थ दुर्बल चुम्बक की ओर भी आकर्षित हो जाते हैं।
- लौह-चुम्बकीय पदार्थ को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में लटकाने पर वह क्षेत्र के समान्तर हो जाता है।
- जब कभी किसी लौह-चुम्बकीय पदार्थ को किसी असमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो वह क्षेत्र के कम तीव्रता वाले भाग से अधिक तीव्रता वाले भाग की ओर चलने लगता है।
- लौह-चुम्बकीय पदार्थों की आपेक्षिक चुम्बकशीलता बहुत अधिक होती है।
- ताप बढ़ाने पर लौह-चुम्बकत्व कम होने लगता है तथा एक निश्चित ताप, जिसे क्यूरी ताप कहते हैं, के ऊपर लौह-चुम्बकीय पदार्थ अनुचुम्बकीय हो जाता है।
प्रश्न 17.
चुम्बकत्व के परमाण्वीय मॉडल के आधार पर अनुचुम्बकत्व की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
अनुचुम्बकीय पदार्थ ऐसे पदार्थ होते हैं जिनके परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या विषम होती है। इन पदार्थों के प्रत्येक परमाणु में ऐसे इलेक्ट्रॉनों की अधिकता होती है जिनका चक्रण एक ही दिशा में होता है। अतः प्रत्येक परमाणु का एक नेट चुम्बकीय आघूर्ण होता है। फलस्वरूप प्रत्येक परमाणु एक लघु चुम्बक की भाँति व्यवहार करता है जिसे परमाण्वीय.चुम्बक कहते हैं । बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में ये परमाण्वीय चुम्बक अनियमित रूप से अभिविन्यासित रहते हैं। फलस्वरूप पदार्थ का परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण शून्य होता है। अतः अनुचुम्बकीय पदार्थ चुम्बकीय गुण का प्रदर्शन नहीं करते।
बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति में प्रत्येक परमाण्वीय चुम्बक पर एक बलयुग्म कार्य करने लगता है जो परमाण्वीय चुम्बक को घुमाकर क्षेत्र के समान्तर लाने का प्रयास करता है। फलस्वरूप परमाण्वीय चुम्बक क्षेत्र के समान्तर होने लगते हैं और अनुचुम्बकीय पदार्थ चुम्बकीय गुण का प्रदर्शन करने लगते हैं।
प्रश्न 18.
चुम्बकत्व के परमाण्वीय मॉडल के आधार पर प्रतिचुम्बकत्व की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
प्रतिचुम्बकीय पदार्थ ऐसे पदार्थ होते हैं जिनके परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या सम होती है। प्रत्येक परमाणु में दो-दो इलेक्ट्रॉन एक-एक युग्म बनाते हैं। प्रत्येक युग्म के इलेक्ट्रॉनों के चक्रण की दिशा एकदूसरे के विपरीत होती है। अतः प्रत्येक युग्म के इलेक्ट्रॉन एक-दूसरे के चुम्बकीय आघूर्ण निरस्त कर देते हैं। फलस्वरूप प्रत्येक परमाणु का नेट चुम्बकीय आघूर्ण शून्य होता है। जब किसी प्रतिचुम्बकीय > पदार्थ को किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो इलेक्ट्रॉनों के चित्र नेट चम्बकीय आघर्ण शन्य प्रत्येक युग्म के इलेक्ट्रॉनों की चक्रण गति विपरीत होने के कारण एक इलेक्ट्रॉन का कोणीय वेग बढ़ जाता है तथा दूसरे का कोणीय वेग घट जाता है।
फलस्वरूप एक इलेक्ट्रॉन से सम्बद्ध धारा का मान बढ़ जाता है तथा दूसरे से सम्बद्ध धारा का मान घट जाता है । इस प्रकार प्रत्येक युग्म के इलेक्ट्रॉनों का परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण शून्य नहीं हो पाता। अतः प्रत्येक परमाणु में परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण प्रेरित हो जाता है जिसकी दिशा बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के विपरीत होती है। इस प्रकार प्रतिचुम्बकीय पदार्थ बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की विपरीत दिशा में थोड़ा-सा चुम्बकित हो जाता है।
प्रश्न 19.
चुम्बकत्व के परमाण्वीय मॉडल के आधार पर लौह-चुम्बकत्व की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
अनुचुम्बकीय पदार्थों की भाँति लौह-चुम्बकीय पदार्थों का प्रत्येक परमाणु एक छोटे चुम्बक (परमाण्वीय चुम्बक) की भाँति व्यवहार करता है जिसमें नेट चुम्बकीय आघूर्ण होता है। लौह-चुम्बकीय पदार्थों के परमाणुओं में ऐसी जटिल अन्योन्य क्रियाएँ होती हैं जिनके कारण अनेक परमाण्वीय चुम्बक मिलकर कई समूह बना लेते हैं। प्रत्येक समूह में परमाण्वीय चुम्बकों का चुम्बकीय आघूर्ण एक ही दिशा में सं रेखित रहता है।
परमाण्वीय चुम्बकों के इन समूहों को डोमेन कहते हैं। बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में भी प्रत्येक डोमेन चुम्बक की भाँति व्यवहार करता है। बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में विभिन्न डोमेन अनियमित रूप से अभिविन्यासित रहते हैं। फलस्वरूप सम्पूर्ण डोमेन का परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण शून्य होता है। अत: लौह-चुम्बकीय पदार्थ चुम्बक की भाँति व्यवहार नहीं करता।
जब किसी लौह-चुम्बकीय पदार्थ को किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो निम्न दो क्रियाएँ हो सकती हैं
(i) सभी डोमेन इस प्रकार घूमने लगते हैं कि उनके चुम्बकीय आघूर्णों की दिशाएँ बाह्य क्षेत्र के अनुदिश हो जायें। ज्यों-ज्यों बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता को बढ़ाया जाता है त्यों-त्यों अधिकाधिक डोमेन चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश संरेखित होने लगते हैं और लौह-चुम्बकत्व का मान बढ़ने लगता है। एक स्थिति ऐसी आती है
जबकि सम्पूर्ण डोमेन चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में सरेखित हो जाते हैं। इस स्थिति में लौह-चुम्बकत्व का मान सर्वाधिक होता है। इसे लौह-चुम्बकत्व की सन्तृप्तावस्था कहते हैं।
(ii) डोमेन की परिसीमायें विस्थापित होने लगती हैं। जिन डोमेनों का चुम्बकीय आघूर्ण बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर होता है, उन डोमेनों का आकार बढ़ने लगता है तथा जिन डोमेनों के चुम्बकीय आघूर्ण क्षेत्र से अन्य दिशा में होते हैं, उनका आकार घटने लगता है।
प्रश्न 20.
नर्म लोहे और फौलाद के चुम्बकीय गुणों में अन्तर लिखिए।
उत्तर-
नर्म लोहे और फौलाद के चुम्बकीय गुणों में अन्तर
नर्म लोहा | फौलाद |
1. नर्म लोहे में फौलाद की तुलना में अधिक चुम्ब- कत्व उत्पन्न किया जा सकता है क्योंकि इसकी चुम्बकीय प्रवृत्ति अधिक होती है। | फौलाद में नर्म लोहे की तुलना में कम चुम्बकत्व उत्पन्न होता है क्योंकि इसकी चुम्बकीय प्रवृत्ति कम होती है। |
2. नर्म लोहा अपने चुम्बकत्व को अधिक देर तक बनाये नहीं रख पाता अर्थात् नर्म लोहे की धारण- शीलता कम होती है। | फौलाद अपने चुम्बकत्व को अधिक देर तक बनाये रख सकता है अर्थात् उसकी धारणशीलता अधिक होती है। |
3. नर्म लोहे का चुम्बकन और विचुम्बकन दोनों सरल है। | फौलाद का चुम्बकन आर विचुम्बकन दोनों कठिन है |
4. अस्थायी चुम्बक नर्म लोहे के बनाये जाते हैं। | स्थायी चुम्बक फौलाद के बनाये जाते हैं। |
प्रश्न 21.
चुम्बकीय धारणशीलता (retentivity) एवं निग्राहिता (coercivity) को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
चुम्बकीय धारणशीलता-चुम्बकीय तीव्रता का मान शून्य होने पर इस पदार्थ में अवशेष चुम्बकीय प्रेरण को उस पदार्थ की चुम्बकीय धारणशीलता कहते हैं।
निग्राहिता-किसी पदार्थ की निग्राहिता चुम्बकीय तीव्रता का वह परिमाण होती है जो पदार्थ के अंदर अवशेष चुम्बकत्व को नष्ट कर देती है।
प्रश्न 22.
विद्युत् चुम्बक एवं स्थायी चुम्बक बनाने में प्रयुक्त पदार्थ में क्या गुण होनी चाहिए?
उत्तर-
विद्युत चुंबक के क्रोड बनाने में प्रयुक्त पदार्थ में निम्न गुण होने चाहिए
1. उच्च चुंबकशीलता-ताकि अल्प चुंबकन बल से भी अत्यधिक चुंबकत्व उत्पन्न हो सके।
2. कम निग्राहिता-ताकि विद्युत प्रवाह बंद करते ही शीघ्रता से विचुंबकित हो सके।
3. कम धारणशीलता-ताकि विद्युत प्रवाह बंद करते ही उसके अंदर तत्काल चुंबकीय क्षेत्र समाप्त हो सके।
4. कम शैथिल्य हानि-ताकि चुंबकन और विचुंबकन में ऊर्जा क्षय न्यूनतम हो।
स्थायी चुंबक बनाने के लिए प्रयुक्त पदार्थ में निम्न गुण होना चाहिए
- इसकी चुंबकशीलता अधिक हो।
- इसकी धारणशीलता अधिक हो ताकि यह प्रबल चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न कर सके।
- निग्राहिता अधिक हो ताकि गर्म करने या गिरने पर इसके चुंबकीय गुणों में परिवर्तन न हो।
- अन्य चुंबकीय क्षेत्रों की उपस्थिति से इसका चुंबकत्व नष्ट न हो।
उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए स्थायी चुंबक बनाने के लिए सामान्यतः स्टील का उपयोग किया जाता है। स्थायी चुंबक बनाने के लिए कई मिश्र धातुओं का भी उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 23.
चुम्बकत्व के लिए कूलॉम का व्युत्क्रम वर्ग का नियम लिखकर सूत्र स्थापित कीजिए एवं एकांक ध्रुव को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
किन्हीं दो ध्रुवों के मध्य लगने वाला बल उन ध्रुवों के ध्रुव-प्राबल्यों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती और उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
यदि m1 और m2 ध्रुव-प्राबल्य के दो ध्रुवों के बीच की दूरी d हो, तो इस नियमानुसार उनके बीच लगने वाला बल
F ∝ m1m2………………….. (1)
तथा
F ∝ \(\frac{1}{d^{2}}\) …………………………… (2)
समी. (1) व (2) को मिलाकर लिखने पर,
F ∝ \(\frac{m_{1} \cdot m_{2}}{d^{2}}\)
या F = K .\(\frac{m_{1} \cdot m_{2}}{d^{2}}\) ………………….. (3)
जहाँ k एक आनुपातिक नियतांक है, जिसका मान ध्रुवों के बीच के माध्यम और मात्रकों की पद्धति पर निर्भर करता है।
C.G.S. पद्धति में वायु या निर्वात् के लिए k = 1
∴
SI पद्धति में,
k = \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi}\)
जहाँ µ0 निर्वात् की निरपेक्ष चुम्बकशीलता या निरपेक्ष पारगम्यता (Absolute Permeability) है।
समी. (3) में k का मान रखने पर,
F= \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \cdot \frac{m_{1} m_{2}}{d^{2}}\) न्यूटन ………………………….. (5)
परन्तु µ0 = 4π x 10-7 हेनरी/मीटर या न्यूटन/ऐम्पियर2 होता है।
अतः F= 10-7\(\frac{m_{1} m_{2}}{d^{2}}\) न्यूटन …………………………….. (6)
एकांक ध्रुव- समी. (6) में यदि F = 10-7 न्यूटन, d = 1 मीटर
तथा m1 =m2 = m हो, तो
10-7 = 10-7 \(\frac{m \cdot m}{1^{2}}\)
या m2 = 1 या m = + 1.
अतः एकांक ध्रुव वह ध्रुव है जो वायु या निर्वात् में 1 मीटर की दूरी पर स्थित समरूप ध्रुव (Identical Pole) को 10M-7 न्यूटन के बल से प्रतिकर्षित करता है।
SI पद्धति में ध्रुव-प्राबल्य का मात्रक ऐम्पियर-मीटर (Am) है। इसे न्यूटन प्रति टेसला (NT-1) में भी व्यक्त किया जाता है।
प्रश्न 24.
एक दण्ड चुम्बक के सापेक्ष अक्षीय स्थिति में चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
मानलो NS एक दण्ड चुम्बक है, जिसकी प्रभावकारी लम्बाई 2l तथा ध्रुव प्राबल्य m है। इसके मध्य
बिन्दु O से d दूरी पर अक्षीय स्थिति में एक बिन्दु P है, जिस पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है।
उत्तरी ध्रुव N के कारण बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र चित्र-अक्षा की तीव्रता
B1 = \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \cdot \frac{m}{\mathrm{NP}^{2}}\) ………………………… (1)
परन्तु
NP NP = OP– ON = d -l
समी. (1) में मान रखने पर,
B1 = \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \cdot \frac{m}{(d-l)^{2}}\) (\(\overrightarrow{\mathrm{NS}}\) दिशा में) …………………………………… (2)
दक्षिणी ध्रुव S के कारण बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता
B2 = \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \cdot \frac{m}{\mathrm{SP}^{2}}\)…………………………….. (3)
परन्तु SP = OP+OS = d + l
समी. (3) में मान रखने पर,
B2 = \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \cdot \frac{m}{(d+l)^{2}}\) (\(\overrightarrow{\mathrm{PS}}\) दिशा में)
B1 और B2 एक ही रेखा में विपरीत दिशा में कार्य करते हैं तथा B1 > B2.
अतः बिन्दु P पर परिणामी तीव्रता B = B1 – B2
‘यही दण्ड चुम्बक के कारण अक्षीय स्थिति में किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का सूत्र है।
यदि चुम्बक छोटा हो तथा d का मान अधिक हो अर्थात् I<<d
अतः B = \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \cdot \frac{2 \mathrm{M}}{d^{3}}\)
इस परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा चुम्बकीय अक्ष के अनुदिश दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होती है।
प्रश्न 25.
एक दण्ड चुम्बक (चुम्बकीय द्विध्रुव) के सापेक्ष निरक्षीय स्थिति में चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए। इस क्षेत्र की दिशा भी बताइये।
अथवा
चुम्बकीय निरपेक्ष (उदासीन अक्ष) पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता हेतु व्यंजक स्थापित कीजिए।
उत्तर-
मानलो NS एक दण्ड चुम्बक है, जिसकी प्रभावकारी लम्बाई 2l तथा ध्रुव प्राबल्य m है। इसके मध्य बिन्दु O से निरक्षीय स्थिति में d दूरी पर एक बिन्दु P है, जिस पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है।
उत्तरी ध्रुव N के कारण बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता
B1 = \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \cdot \frac{m}{\mathrm{NP}^{2}}\) (\(\overrightarrow{\mathrm{NP}} \) दिशा में)
इसी प्रकार दक्षिणी ध्रुव S के कारण बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता
B2 = \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \cdot \frac{m}{\mathrm{SP}^{2}}\) (\(\overrightarrow{\mathrm{PS}} \) दिशा में)
चूँकि NP = SP तथा B1 और B2 परिमाण में बराबर होंगे।
अतः बिन्दु P पर परिणामी तीव्रता
B = 2B1 cos \(\left(\frac{2 \theta}{2}\right)\) = 2B1 cosθ
जहाँ 2θ,B1 और B2 के मध्य कोण है। B की दिशा B1 और B2 के मध्य कोण के अर्द्धक कोण के अनुदिश होगी।
परन्तु M = m × 2l = चुम्बकीय आघूर्ण
अतः B= \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \cdot \frac{\mathrm{M}}{\left(d^{2}+l^{2}\right)^{3 / 2}}\)
यदि चुम्बक छोटा हो तथा d का मान अधिक हो अर्थात् l <<d, तो d की तुलना में ! की उपेक्षा की जा सकती है।
∴ B = \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \cdot \frac{\mathrm{M}}{d^{3}}\)
इस क्षेत्र की दिशा चुम्बकीय अक्ष के समान्तर N-ध्रुव से S-ध्रुव की ओर होती है।
प्रश्न 26.
चुम्बकीय बल रेखा की परिभाषा लिखिए। इसके कोई तीन गुण लिखिए।
अथवा
चुम्बकीय बल रेखाएँ क्या हैं ? इनके गुण लिखिए।
उत्तर-
चुम्बकीय बल रेखाएँ-चुम्बकीय बल रेखाएँ वे वक्राकार पथ हैं, जिनके किसी भी बिन्दु पर खींची गयी स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा प्रदर्शित करती है।
चुम्बकीय बल रेखाओं के गुण निम्नलिखित हैं.
- ये रेखाएँ चुम्बक के बाहर उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव तक तथा चुम्बक के अन्दर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव तक जाती हैं अर्थात् बन्द वक्र बनाती हैं।
- इन बल रेखाओं के किसी भी बिन्दु पर खींची गयी स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर परिणामी क्षेत्र (बल) की दिशा को प्रदर्शित करती है।
- दो बल रेखाएँ एक-दूसरे को कभी नहीं काटती हैं।
- ये रेखाएँ जहाँ घनी होती हैं, चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता अधिक तथा जहाँ विरल होती हैं, वहाँ चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता कम होती है।
- ये रेखाएँ एक-दूसरे को लम्बाई के लम्बवत् प्रतिकर्षित करती हैं।
- ये बल रेखाएँ खींची हुई डोरी के समान लम्बाई में सिकुड़ने का प्रयास करती हैं।
प्रश्न 27.
एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में θ° के कोण पर स्थित दण्ड चुम्बक पर कार्य करने वाले बलयुग्म के आघूर्ण का व्यंजक प्राप्त कीजिए।
अथवा एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखे एक दण्ड चुम्बक (चुम्बकीय द्विध्रुव) पर कार्य करने वाले बलयुग्म के आघूर्ण का व्यंजक ज्ञात कीजिए। इस व्यंजक के आधार पर दण्ड चुम्बक के चुम्बकीय आघूर्ण को परिभाषित कीजिए तथा S.I. मात्रक लिखिए।
उत्तर-
मानलो NS एक दण्ड चुम्बक है जिसको प्रभावकारी लम्बाई 2l तथा ध्रुव प्राबल्य m है। यह B तीव्रता के समरूप चुम्बकीय क्षेत्र के साथ θ कोण बनाते हुए रखा गया है। इसके प्रत्येक ध्रुव पर mB बल कार्य करेगा। ये बल परिणाम में बराबर तथा दिशा में विपरीत होने के कारण बलयुग्म का निर्माण करेंगे। यह बलयुग्म चुम्बक को क्षेत्र के समान्तर लाने का प्रयास करता है। इसे प्रत्यानयन बलयुग्म कहते हैं। अतः प्रत्यानयन बलयुग्म का आघूर्ण = एक बल × उनके बीच की लम्बवत् दूरी
τ = mB × SP …………………………….. (1)
किन्तु ΔNPS में,
sinθ = \(\frac{\mathrm{SP}}{\mathrm{NS}}\)
या SP = NS sinθ = 2l sinθ
समी. (1) में मान रखने पर,
τ=m x 21. B sine ………………………… (2)
परन्तु m x 2l = M = चुम्बकीय आघूर्ण
समी. (2) में मान रखने पर,
τ= MBsinθ.
टीप : लघु उत्तरीय प्रश्न क्र. 5 भी देखें।
यही अभीष्ट व्यंजक है।
प्रश्न 28.
दण्ड चुम्बक और धारावाही परिनालिका की तुलना कीजिए।
उत्तर-
दण्ड चुम्बक और धारावाही परिनालिका की तुलना
प्रश्न 29.
एकसमान चुंबकीय क्षेत्र में स्थित दंड चुम्बक को घुमाने में किये गये कार्य का व्यंजक ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
माना कि M चुंबकीय आघूर्ण का एक दंड चुम्बक B तीव्रता के एकसमान चुंबकीय क्षेत्र में स्थित है। यदि M व B के मध्य θ कोण हो तब चुंबक पर कार्यरत प्रत्यानयन बलयुग्म आघूर्ण
τ = MBsinθ
∴ चुंबक को सूक्ष्म कोण dθ से घुमाने में किया जाने वाला कार्य
dW = τdθ = MB sinθdθ
∴ चुंबक को θ कोण से घुमाने में किया जाने वाला कार्य
W = \(\int_{0}^{\theta}\)dw = \(\int_{0}^{\theta}\) MB sinθdθ
प्रश्न 30.
एकसमान चुंबकीय क्षेत्र में स्थित दंड चुंबक की स्थितिज ऊर्जा के लिए व्यंजक स्थापित कीजिए।
उत्तर-
दंड चुंबक की स्थितिज ऊर्जा उसे किसी मानक स्थिति से वर्तमान स्थिति तक घुमाने में किये गये कार्य के तुल्य होती है। मानक स्थिति को θ =\(\frac{\pi}{2}\) = लेते हैं। चुंबक पर कार्यरत प्रत्यानयन बलयुग्म आघूर्ण
τ = MB sin θ
∴ चुंबक को सूक्ष्म कोण dθ घुमाने में किया गया कार्य dW = MBsin θdθ
∴ स्थितिज ऊर्जा U = W=\(\int_{\pi / 2}^{\theta}\) MBsinθdθ
प्रश्न 31.
किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन की कक्षीय गति के कारण उत्पन्न चुम्बकीय आघूर्ण के लिये व्यंजक ज्ञात कीजिये।
उत्तर-
बोर के हाइड्रोजन परमाणु के मॉडल के अनुसार ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन, धनावेशित नाभिक के चारों ओर परिक्रमा करता है।
इलेक्ट्रॉन की यह वृत्तीय गति एक धारा लूप के समतुल्य होती है जिसका एक चुम्बकीय आघूर्ण होता है (M = IA) जैसा कि संलग्न चित्र में प्रदर्शित है।
माना एक इलेक्ट्रॉन वामावर्त दिशा में नाभिक के चारों ओर चक्कर लगा रहा है। नाभिक के वृत्तीय मार्ग की त्रिज्या, इसका वेग v तथा आवर्तकाल T है।
लूप का क्षेत्रफल A = πr²
∴ इलेक्ट्रॉन का कक्षीय चुम्बकीय आघूर्ण
µ1 = IA = \(\frac{e v}{2 \pi r}\) πr² = \(\frac{e v r}{2}\)
चूँकि इलेक्ट्रॉन वामावर्त दिशा में घूम रहा है अतः धारा दक्षिणावर्त दिशा में होगी। अतः चुम्बकीय आघूर्ण की दिशा कक्ष (orbit) के तल के लम्बवत् नीचे की ओर होगी।
प्रश्न 32.
विद्युत् चुम्बक क्या है ? इसके गुण एवं उपयोग लिखिये।
उत्तर-
विद्युत् चुम्बक नर्म लोहे के बनाये जाते हैं। नर्म लोहे के क्रोड के ऊपर ताँबे के तार की कुंडली लपेट कर उसमें यदि विद्युत् धारा प्रवाहित की जाय तो नर्म लोहे का क्रोड चुम्बकित हो जाता है। यही विद्युत् चुम्बक कहलाता है। धारा की प्रबलता को घटाकर या बढ़ाकर, विद्युत् चुंबक की तीव्रता कम या ज्यादा की जा सकती है।
गुण-विद्युत् चुम्बक बनाने के लिये प्रयुक्त किये जाने वाले क्रोड में निम्नलिखित गुण होने चाहिए
- इसकी चुम्बकशीलता उच्च होनी चाहिये जिससे इसका चुम्बकन प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र या क्षीण चुम्बकीय क्षेत्र में भी हो सके।
- इसकी चुम्बकीय धारणशीलता कम होनी चाहिये ताकि धारा प्रवाह अवरुद्ध होने पर इसके चुम्बकत्व का शीघ्र विनाश हो सके।
उपयोग-
- विद्युत् चुम्बक का उपयोग विद्युत् घंटी, लाउडस्पीकर इत्यादि में किया जाता है।
- विद्युत् क्रेन में बड़े-बड़े विद्युत् चुम्बक प्रयुक्त किये जाते हैं।
प्रश्न 33.
चुम्बकीय पदार्थों के शैथिल्य वक्र का महत्व लिखिये।
उत्तर-
शैथिल्य वक्र के आकार एवं विमाओं द्वारा चुम्बकीय पदार्थों के चुम्बकीय गुणों का अध्ययन किया जाता है। .
- शैथिल्य हानि के कारण प्रति चुम्बकीय चक्र प्रति एकांक आयतन ऊर्जा में हानि, शैथिल्य वक्र के क्षेत्रफल के तुल्य होती है।
- नर्म लोहे की चुम्बकीय प्रवृत्ति, चुम्बकशीलता तथा धारणशीलता इस्पात की तुलना में अधिक होती है जबकि निग्राहिता तथा प्रति चक्र शैथिल्य हानि इस्पात की तुलना कम होती है।
प्रश्न 34.
भू-चुम्बकीय तत्व कौन-कौन से हैं ? समझाइये।
अथवा
निम्नलिखित की परिभाषा लिखिये
(i) नमन कोण,
(ii) दिक्पात का कोण,
(iii) पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की क्षैतिज तीव्रता।
उत्तर-
किसी भी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकन के अध्ययन के लिये जिन तत्वों की आवश्यकता होती है उन्हें भू-चुम्बकीय तत्व कहते हैं।
पृथ्वी के भू-चुम्बकीय तत्व निम्नलिखित हैं
(i) नमन या नति कोण-किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की परिणामी तीव्रता क्षैतिज के साथ जो कोण बनाती है, उसे उस स्थान का नमन या नति कोण कहते हैं। इसे 0 से प्रदर्शित करते हैं।
(ii) दिक्पात का कोण-किसी स्थान पर चुम्बकीय याम्योत्तर और भौगोलिक याम्योत्तर के बीच के कोण को उस स्थान का दिक्पात कोण कहते हैं। इसे a से प्रदर्शित किया जाता है। .
(ii) पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की क्षैतिज तीव्रता-पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक, पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की परिणामी तीव्रता का वह घटक है जो चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज दिशा में होता है। इसे H से व्यक्त करते हैं।
प्रश्न 35.
भू-चुम्बकत्व के विभिन्न घटकों में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
अथवा
सिद्ध कीजिए कि
(i) tanθ= \(\frac{\mathbf{V}}{\mathbf{H}}\) ,
(ii) I2 = H2 + V2 जहाँ संकेतों के सामान्य अर्थ हैं।
उत्तर-
मानलो किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की सम्पूर्ण तीव्रता या परिणामी तीव्रता I, क्षैतिज तीव्रता H, ऊर्ध्वाधर तीव्रता V तथा नमन कोण θ है। मानलो OACB समतल किसी स्थान पर चुम्बकीय याम्योत्तर को प्रदर्शित करता है।
तब I को दो लम्बवत् घटकों में वियोजित किया जा सकता है-
(i) क्षैतिज घटक H, OA दिशा में तथा
(ii) ऊर्ध्वाधर घटक V, OB दिशा में।
इस प्रकार I का OA दिशा में घटक
H= I cos θ ……………………………….. (1)
तथा OB दिशा में घटक V = I sin θ ……………………………. (2)
समी. (2) में समी. (1) का भाग देने पर,
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
भू-चुंबकत्व संबंधी निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(a) एक सदिश को पूर्ण रूप से व्यक्त करने के लिए तीन राशियों की आवश्यकता होती है। उन तीन स्वतंत्र राशियों के नाम लिखिए जो परंपरागत रूप से पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होती हैं।
(b) दक्षिण भारत में किसी स्थान पर नति कोण का मान लगभग 18° है। ब्रिटेन में आप इससे अधिक नति कोण की अपेक्षा करेंगे या कम की ?
(c) यदि आप ऑस्ट्रेलिया के मेल्बोर्न शहर में भू-चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं का नक्शा बनाएँ तो ये रेखाएँ पृथ्वी के अंदर जाएँगी या इससे बाहर आएँगी?
(d) एक चुंबकीय सुई जो ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतंत्र है, यदि भू-चुंबकीय उत्तर या दक्षिण ध्रुव पर रखी हो तो यह किस दिशा में संकेत करेगी?
(e) यह माना जाता है कि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र लगभग एक चुंबकीय द्विध्रुव के क्षेत्र जैसा है जो पृथ्वी के केंद्र पर रखा है और जिसका द्विध्रुव आघूर्ण 8 × 1022 JT-1 है। कोई ढंग सुझाइए जिससे इस संख्या के परिमाण की कोटि जाँची जा सके।
(f) भू-गर्भशास्त्रियों का मानना है कि मुख्य N-S चुंबकीय ध्रुवों के अतिरिक्त पृथ्वी की सतह पर कई अन्य स्थानीय ध्रुव भी हैं, जो विभिन्न दिशाओं में विन्यस्त हैं। ऐसा होना कैसे संभव है ?
उत्तर-
(a) एक सदिश को पूर्ण रूप से व्यक्त करने के लिए निम्न तीन राशियों की आवश्यकता होती
(i) चुंबकीय दिक्पात,
(ii) नति कोण और
(iii) पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक।
(b) ब्रिटेन चुंबकीय ध्रुव के समीप है । अतः ब्रिटेन में नति कोण का मान दक्षिण भारत के किसी स्थान पर नति कोण की तुलना में अधिक (लगभग 70°) होता है।
(c) ऑस्ट्रेलिया का मेल्बोर्न शहर दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित है। पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का N-ध्रुव दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित है। अत: मेल्बोर्न शहर से चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ बाहर आएँगी।
(d) भू-चुंबकीय उत्तर या दक्षिण ध्रुव पर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ठीक ऊर्ध्वाधर होती है। अतः ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतंत्र चुंबकीय सुई भू-चुंबकीय ध्रुवों पर सदैव ऊर्ध्वाधर दिशा में होती है।
(e) \(\vec{m}\) चुंबकीय आघूर्ण वाले चुंबकीय द्विध्रुव के कारण उसके लंब समद्विभाजक के किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र का परिमाण
B = \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \cdot \frac{m}{r^{3}}\)
= 0.030 × 10-3 = 0.3 × 10-4T
= 0.3 × 10-4T = 0.3G
चुंबकीय क्षेत्र का यह मान पृथ्वी पर प्रेक्षित चुंबकीय क्षेत्र के परिमाण की कोटि के बराबर है।
(f) पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र लगभग चुंबकीय द्विध्रुव क्षेत्र है। चुंबकित खनिज भंडारों के कारण स्थानीय ध्रुव हो सकते हैं।
प्रश्न 2.
प्रतिचुम्बकीय, अनुचुम्बकीय तथा लौह-चुम्बकीय पदार्थ किसे कहते हैं ? प्रत्येक का उदाहरण दीजिये।
अथवा
अनुचुम्बकीय, प्रतिचुम्बकीय एवं लौह-चुम्बकीय पदार्थों के चुम्बकीय गुणों की तुलना कीजिए।
उत्तर-
अनुचुम्बकीय, प्रतिचुम्बकीय एवं लौह-चुम्बकीय पदार्थों के गुणों की तुलना
आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
एक चुम्बकीय तार का चुम्बकीय आघूर्ण M है। उसे एक सिरे से एक तिहाई दूरी पर लम्बवत् L आकार में मोड़ दिया जाता है। अब उसका नया चुम्बकीय आघूर्ण कितना हो जायेगा?
उत्तर-
हल : मानलो चुम्बकीय तार की लम्बाई । है। तब,
M=m × l
या
m= \(\frac{\mathrm{M}}{l}\)
यदि तार को L के आकार में एक तिहाई दूरी पर मोड़ने पर दोनों ध्रुवों की दूरी l’ हो, तो चित्र से स्पष्ट है कि
l’ = \(\sqrt{\left(\frac{l}{3}\right)^{2}+\left(\frac{2 l}{3}\right)^{2}}\) = \(\frac{\sqrt{5}}{3}\) l
अतः नया चुम्बकीय आघूर्ण M’ = m × l’
= \(\frac{\mathrm{M}}{l} \times \frac{\sqrt{5}}{3}\) l = \(\frac{\sqrt{5} \mathrm{M}}{3}\)
प्रश्न 2.
किसी चुम्बकीय छड़ की लम्बाई L एवं चुम्बकीय आघूर्ण M है। इसे अर्द्धवृत्त में मोड़ देने पर इसका नया चुम्बकीय आघूर्ण क्या होगा?
उत्तर-
हल : मानलो चुम्बक का ध्रुव प्राबल्य m है।
तब M = mL
या m = \(\frac{\mathrm{M}}{\mathrm{L}}\) …………………….. (1)
यदि अर्द्ध वृत्ताकार आकृति में मोड़ने पर इसकी त्रिज्या । हो तो
πr=L [∵ अर्द्ध परिधि = πr]
या r = \(\frac{\mathrm{L}}{\pi}\)
मोड़ने के पश्चात् नया चुम्बकीय आघूर्ण
M’=m × 2r=m × \(\frac{2 \mathrm{~L}}{\pi}\)
समी. (1) से मान रखने पर,
M’ = \(\frac{\mathrm{M}}{\mathrm{L}} \times \frac{2 \mathrm{~L}}{\pi}\)
या। M’= \(\frac{2 \mathrm{M}}{\pi}\)
प्रश्न 3.
दो सजातीय ध्रुव जिसके ध्रुव प्राबल्य का अनुपात 1: 4 है तथा दोनों के मध्य की दूरी 3 मीटर है। दोनों के मध्य वह बिन्दु ज्ञात कीजिए जहाँ पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता शून्य होगी।
उत्तर-
हल : मानलो दो सजातीय ध्रुव जिनके ध्रुव प्राबल्य m और 4m हैं। एक-दूसरे से 3 मीटर की दूरी पर स्थित हैं। दोनों के मध्य m ध्रुव प्राबल्य वाले ध्रुव से x दूरी पर स्थित बिन्दु P में चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता शून्य है तो तीव्रता शून्य होने के लिए
B1 = B2
\(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \frac{m}{x^{2}}\) = \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \frac{4 m}{(3-x)^{2}}\)
या \(\frac{1}{x^{2}}\) = \(\frac{4}{(3-x)^{2}}\)
दोनों पक्षों का वर्गमूल लेने पर,
x = 1 मीटर अतः कम प्राबल्य के ध्रुव से 1 मीटर की दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता शून्य होगी।
प्रश्न 4.
एक छोटा छड़ चुंबक जो एकसमान बाह्य चुंबकीय क्षेत्र 0.25T के साथ 30° का कोण बनाता है, पर 4.5 × 10-2J का बल आघूर्ण लगता है।चुंबक के चुंबकीय आघूर्ण का परिमाण क्या है ?
उत्तर-
हल- दिया है- B= 0.25T;θ = 30°; 7 = 4.5 × 10-2J
सूत्र τ= mB sin θ
या m=\(\frac{\tau}{B \sin \theta}\) =\(\frac{4 \cdot 5 \times 10^{-2}}{0 \cdot 25 \times \sin 30^{\circ}}\)
= \(\frac{4 \cdot 5 \times 10^{-2}}{0 \cdot 25 \times 0 \cdot 5}\) = 36 × 10-2
= 0.36 JT-1.
प्रश्न 5.
चुंबकीय आघूर्ण m = 0.32 JT-1 वाला एक छोटा छड़ चुंबक, 0.15 T के एकसमान बाह्य चुंबकीय क्षेत्र में रखा है। यदि यह छड़ क्षेत्र के तल में घूमने के लिए स्वतंत्र हो, तो क्षेत्र के किस विन्यास में यह
(i) स्थायी संतुलन और
(ii) अस्थायी संतुलन में होगा ? प्रत्येक स्थिति में चुंबक की स्थितिज ऊर्जा का मान बताइए।
उत्तर-
हल- दिया है- m = 0.32 JT-1; B = 0.15T
(i) जब \(\vec{m}\) और \(\vec{B}\) परस्पर समांतर होते हैं तो चुंबक स्थायी संतुलन में होता है। इस स्थिति में θ = 0°
सूत्र- U =-mB cosθ = -mB cos0° = -mB
=-0.32 × 0.15 = -0.048 J
=-4.8 × 10-2J.
(ii) जब m और B प्रतिसमांतर होते हैं तो चुंबक अस्थायी संतुलन में होता है । इस स्थिति में θ = 180°
U = -mB cos180° = mB = 0.32 × 0.15
=4.8 × 10-2J.
प्रश्न 6.
एक पारिनालिका में पास-पास लपेटे गए 800 फेरे हैं तथा इसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 2.5 × 10-4 m2 है और इसमें 3.0 A धारा प्रवाहित हो रही है। समझाइए कि किस अर्थ में यह परिनालिका एक छड़ चुंबक की तरह व्यवहार करती है ? इसके साथ जुड़ा हुआ चुंबकीय आघूर्ण कितना है?
उत्तर-
हल-जिस प्रकार एक छड़ चुंबक का चुंबकीय आघूर्ण होता है उसी प्रकार धारावाही परिनालिका का भी चुंबकीय आघूर्ण होता है। इसके चुंबकीय आघूर्ण का व्यंजक है-m = NIA
N = 800; A = 2.5 × 10-4m2; I = 3.0A
m = NIA = 800 × 3.0 × 2.5 × 10-4 = 0.60 JT-1
इसकी दिशा परिनालिका के अक्ष के अनुदिश धारा प्रवाह की दिशा पर निर्भर करती है।
प्रश्न 7.
एक छड़ चुंबक जिसका चुंबकीय आघूर्ण 1.5 JT-4 है, 0.22 T के एक एकसमान चुंबकीय क्षेत्र के अनुदिश रखा है।
(a) एक बाह्य बल आघूर्ण कितना कार्य करेगा यदि यह चुंबक को चुंबकीय क्षेत्र के
(i) लंबवत,
(ii) विपरीत दिशा में संरेखित करने के लिए घुमा दे।
(b) स्थिति
(i) एवं
(ii) में चुंबक पर कितना बल आघूर्ण होता है ?
उत्तर-
हल- दिया है-m = 1.5 JT-1; B = 0.22T
(a)
(i) θ1 = 0°;θ2 = 90°
W = mB[cos θ1 -cos θ2]
= 1.5 × 0.22(cos0° -cos 90°)
= 0.33 J.
(ii) θ1 = 0°;θ2 = 180°
W = mB[cosθ1 – cosθ2]
= mB[cos 0° -cos180°]
= 1.5 × 0.22(1+1) = 0.66 J.
(b)
(i) τ = mB sine = 0.15 × 0.22sin 90° = 0.33 J.
(ii) x = mB sin180° = 0.
प्रश्न 8.
एक चुंबकीय सुई चुंबकीय याम्योत्तर के समांतर एक ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतंत्र है। इसका उत्तरी ध्रुव क्षैतिज से 22° के कोण पर नीचे की ओर झुका है। इस स्थान पर चुंबकीय क्षेत्र के क्षैतिज अवयव का मान 0.35G है। इस स्थान पर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का परिमाण ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
हल-दिया है- I= 22°; HE = 0.35G
सूत्र-HE = BE cos I से, .
BE = \(\frac{H_{E}}{\cos I}\) = \(\frac{0 \cdot 35}{\cos 22^{\circ}}\) = \(\frac{0.35}{0.9272}\)
= 0.38G.
प्रश्न 9.
दक्षिण अफ्रीका में किसी स्थान पर एक चुंबकीय सुई भौगोलिक उत्तर से 12° पश्चिम की ओर संकेत करती है। चुंबकीय याम्योत्तर में संरेखित नति-वृत्त की चुंबकीय सुई का उत्तरी ध्रुव क्षैतिज से 60° उत्तर की ओर संकेत करता है। पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का क्षैतिज अवयव मापने पर 0.16G पाया जाता है। इस स्थान पर पृथ्वी के क्षेत्र का परिमाण और दिशा बताइए।
उत्तर-
हल- दिया है- दिक्पात D = 12° पश्चिम
नति I = 60°; HE = 0.16G
HE = BE cos I
BE = \(\frac{H_{E}}{\cos I}\) = \(\frac{0 \cdot 16}{\cos 60^{\circ}}\) = \(\frac{0 \cdot 16}{0.50}\) = 0.32 G
पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का परिमाण 0.32 G है। यह भौगोलिक याम्योत्तर से पश्चिम की ओर 12° का कोण बनाते हुए ऊर्ध्वाधर तल में क्षैतिज से ऊपर की ओर 60° का कोण बनाता है।
प्रश्न 10.
किसी छोटे छड़ चुंबक का चुंबकीय आघूर्ण 0.48 JT-1 है। चुंबक के केंद्र से 10 cm की दूरी पर स्थित किसी बिंदु पर इसके चुंबकीय क्षेत्र का परिमाण एवं दिशा बताइए यदि यह बिंदु (i) चुंबक के अक्ष पर स्थित हो (ii) चुंबक के अभिलंब समद्विभाजक पर स्थित हो।
उत्तर-
हल-दिया है-m = 0.48JT-1; r = 10 cm = 0.10m
(i) B= \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \cdot \frac{2 m}{r^{3}}\)
= \(\frac{4 \pi \times 10^{-7}}{4 \pi} \times \frac{2 \times 0 \cdot 48}{(0 \cdot 1)^{3}}\) =
= 0.96G
इसकी दिशा S-ध्रुव से N-ध्रुव के अनुदिश होगी।
(ii) B = \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \cdot \frac{m}{r^{3}}\) = \(\frac{4 \pi \times 10^{-7}}{4 \pi} \times \frac{0 \cdot 48}{(0 \cdot 1)^{3}}\)
= 0.48 x 10-4T = 0.48G
इसकी दिशा N-ध्रुव से S-ध्रुव की ओर होगी।
प्रश्न 11.
किसी स्थान पर पृथ्वी के क्षेत्र का ऊर्ध्वाधर तथा क्षैतिज घटक क्रमश: 3 × 10-5 वेबर/मीटर2 तथा 4 × 10-5 वेबर/मीटर2 है। नतिकोण तथा पृथ्वी के क्षेत्र की कुल तीव्रता की गणना कीजिये।
उत्तर-
हल-दिया है: H = 4 × 10-5 वेबर/मीटर, V= 3 × 10-5 वेबर/मीटर2
यदि नमन कोण θ है तो
tanθ = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{H}}\) = \(\frac{3 \times 10^{-5}}{4 \times 10^{-5}}\)
अतः θ = tan-1 (0.75) = 36.87°
तथा पृथ्वी के क्षेत्र की कुल तीव्रता
I= \(\sqrt{\mathrm{H}^{2}+\mathrm{V}^{2}}\) = \(\sqrt{\left(3 \times 10^{-5}\right)^{2}+\left(4 \times 10^{-5}\right)^{2}}\) =\(\sqrt{9+16} \times 10^{-5}\)
= 5 ×10-5 वेबर/मीटर2।
प्रश्न 12.
किसी स्थान पर पृथ्वी के क्षेत्र का ऊर्ध्वाधर अवयव 0.16\(\sqrt{3}\) ओर्टेड है। यदि वहाँ पर नमन-कोण 30° हो, तो
(i) H और
(ii) I के मान ज्ञात कीजिए।
हल-दिया है : V = 0.16\(\sqrt{3}\) ओर्टेड, θ = 30°
(i) सूत्र : tanθ =\(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{H}}\) से,
H = \(\frac{V}{\tan \theta}\) = \(\frac{0 \cdot 16 \sqrt{3}}{\tan 30^{\circ}}\) = \(\frac{0 \cdot 16 \sqrt{3}}{1 / \sqrt{3}}\)
या H = 0. 16\(\sqrt{3}\) ×\(\sqrt{3}\) = 0.48 ओर्टेड।
(ii) अब सूत्र : V = I sin θ से,
I = \(\frac{\mathrm{V}}{\sin \theta}\) = \(\frac{0 \cdot 16 \sqrt{3}}{\sin 30^{\circ}}\) = \(\frac{0 \cdot 16 \sqrt{3}}{1 / 2}\)
= 0.16\(\sqrt{3}\) × 2 = 0.32\(\sqrt{3}\)ओर्टेड।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. सही विकल्प चुनकर लिखिए
प्रश्न 1.
वेबर/मीटर2 मात्रक है
(a) ध्रुव प्राबल्य का
(b) चुंबकीय क्षेत्र का
(c) चुंबकीय फ्लक्स का
(d) चुंबकीय आघूर्ण का।
उत्तर-
(b) चुंबकीय क्षेत्र का
प्रश्न 2.
चुंबकीय क्षेत्र का मात्रक है
(a) न्यूटन/मीटर
(b) ऐम्पियर मीटर
(c) न्यूटन/ऐम्पियर मीटर
(d) वेबर मीटर2।
उत्तर-
(c) न्यूटन/ऐम्पियर मीटर
प्रश्न 3.
एक चुंबकीय सुई को एक असमान चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है। वह अनुभव करती है
(a) एक बल और एक बल आघूर्ण ।
(b) एक बल किंतु बल आघूर्ण नहीं
(c) एक बल आघूर्ण किंतु बल नहीं
(d) न बल आघूर्ण और न ही बल।
उत्तर-
(a) एक बल और एक बल आघूर्ण ।
प्रश्न 4.
यदि चुंबकीय क्षेत्र B तथा एक चुंबक का चुंबकीय आघूर्ण m हो तो अधिकतम स्थितिज ऊर्जा है
(a) mB
(b) 2mB
(c)3 MB
(d) 4mB.
उत्तर-
(a) mB
प्रश्न 5.
एक धारावाही लूप चुंबकीय क्षेत्र में व्यवहार करता है
(a) चुंबकीय द्विध्रुव की भाँति
(b) चुंबकीय पदार्थ की भाँति
(c) चुंबकीय ध्रुव की भाँति
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(a) चुंबकीय द्विध्रुव की भाँति
प्रश्न 6.
एक स्थान पर नतिकोण का मान 30° है। यदि उस स्थान पर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक HE हो तो चुंबकीय क्षेत्र होगी
(a) \(\frac{H_{E}}{2}\)
(b) \(\frac{2 H_{E}}{\sqrt{3}}\)
(c) HE\(\sqrt{2}\)
(d) HE\(\sqrt{3}\)
उत्तर-
(b) \(\frac{2 H_{E}}{\sqrt{3}}\)
प्रश्न 7.
लौह चुंबकीय पदार्थ का उदाहरण है –
(a) ऐल्यूमीनियम
(b) निकल
(c) सोना
(d) बिस्मथ।
उत्तर-
(b) निकल
प्रश्न 8.
ध्रुवों पर नमन कोण का मान होता है
(a)45°
(b) 30°
(c)0°
(d)90°.
उत्तर-
(d)90°.
प्रश्न 9.
निम्नलिखित में से कौन-सा संबंध सही है
(a) BE = \(\sqrt{H_{E}^{2}+Z_{E}^{2}}\)
(b) BE = HE +ZE
(c) ZE = \(\sqrt{B_{E}^{2}+H_{E}^{2}}\)
(d) HE= \(\sqrt{B_{E}^{2}+Z_{E}^{2}}\) .
उत्तर-
(a) BE = \(\sqrt{H_{E}^{2}+Z_{E}^{2}}\)
प्रश्न 10.
निम्न की चुंबकीय प्रवृत्ति अल्प किंतु धनात्मक होती है
(a) प्रतिचुंबकीय पदार्थ
(b) अनुचुंबकीय पदार्थ
(c) लौह चुंबकीय पदार्थ
(d) अचुंबकीय पदार्थ।
उत्तर-
(b) अनुचुंबकीय पदार्थ
प्रश्न 11.
किसी स्थान पर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक ऊर्ध्वाधर घटक के बराबर है। नमन कोण का मान होगा
(a)0°
(b) 45°
(c) 60°
(d) 90°.
उत्तर-
(b) 45°
प्रश्न 12.
स्वतंत्रतापूर्वक लटका चुंबक भू-चुंबकीय ध्रुवों पर ठहरता है
(a) पूर्णतः ऊर्ध्वाधर
(b) पूर्णतः क्षैतिज
(c) किसी भी कोण पर
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) पूर्णतः ऊर्ध्वाधर.
2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. SI में ध्रुव प्राबल्य का मात्रक …………. है।
उत्तर-
ऐम्पियर x मीटर
2. चुंबकीय आघूर्ण की दिशा ………… से ……….. की ओर चुंबकीय अक्ष के अनुदिश होती है।
उत्तर-
S ध्रुव, N ध्रवु
3. चुंबकीय आघूर्ण का SI में मात्रक ………… है।
उत्तर-
ऐम्पियर x मीटर
4. धारावाही परिनालिका को स्वतंत्रतापूर्वक लटका दिया जाए तो वह …………. दिशा में ठहरता है।
उत्तर-
उत्तर-दक्षिण
5. अक्षीय स्थिति में निरक्षीय स्थिति की तुलना में चुंबक के मध्य बिंदु से उतनी ही दूरी पर चुंबकीय क्षेत्र ………….. होता है।
उत्तर-
दुगुनी
6. धारावाही परिनालिका …………. की तरह व्यवहार करती है।
उत्तर-
छड़ चुम्बक
7. चुंबकीय आघूर्ण वाले चुंबक को उसकी लंबाई के अनुदिश दो बराबर भागों में काटने पर प्रत्येक भाग का चुंबकीय आघूर्ण ………… हो जाता है।
उत्तर-
\(\frac{M}{2}\)
8. प्रतिचुंबकीय पदार्थ प्रबल चुंबक से ………….. होते हैं।
उत्तर-
प्रतिकर्षित
9. अनुचुंबकीय पदार्थ को चुंबकीय क्षेत्र में लटकाने पर क्षेत्र के …………. हो जाते हैं।
उत्तर-
समानांतर
10. भू-चुंबकीय ध्रुवों पर नमन कोण.का मान ………. होता है।
उत्तर-
90°
11. ‘किसी स्थान पर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के ऊर्ध्वाधर घटक और क्षैतिज घटक समान हैं। उस स्थान पर नमन कोण ………….. होगा।
उत्तर-
45°
12. किसी स्थान पर चुंबकीय याम्योत्तर में पृथ्वी का कुल चुंबकीय क्षेत्र क्षैतिज के साथ जो कोण बनाता है उसे ………….. कहते हैं।
उत्तर-
नमन कोण
13. किसी स्थान पर चुंबकीय याम्योत्तर और भौगोलिक याम्योत्तर के बीच के कोण को …………. कहते है।
उत्तर-
दिक्पात कोण।
3.उचित संबंध जोडिए
(A)
स्तम्भ ‘अ’ | स्तम्भ ‘ब’ |
1. चुंबकीय आघूर्ण | (a) \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \cdot \frac{m}{d^{3}}\) |
2 चुंबक की स्थितिज ऊर्जा | (b) mB (1-cosθ) |
3. चुंबक को घुमाने मे किया गया कार्य | (c) \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \cdot \frac{2 m}{d^{3}}\) |
4. अक्षीय स्थिति में चुंबकीय क्षेत्र | (d) nlA |
5. निरक्षीय स्थिति में चुंबकीय क्षेत्र | (e) -mBcose. |
उत्तर-
1. (d) nlA
2. (e) -mBcose.
3. (b) mB (1-cosθ)
4. (c) \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \cdot \frac{2 m}{d^{3}}\)
5. (a) \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \cdot \frac{m}{d^{3}}\).
(B)
स्तम्भ ‘अ’ | स्तम्भ’ब’ |
1. प्रतिचुंबकीय पदार्थ | (a) ऐलनिको |
2. अनुचुंबकीय पदार्थ | (b) ताँबा |
3. लौह चुंबकीय पदार्थ | (c) ऐल्यूमीनियम |
4. विद्युत चुंबक | (d) इस्पात |
5. स्थायी चुंबक | (e) नर्म लोहा। |
उत्तर-
1. (b) ताँबा
2. (c) ऐल्यूमीनियम
3. (d) इस्पात
4. (e) नर्म लोहा।
5. (a) ऐलनिको.