Students get through the MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 3 नाभिक which are most likely to be asked in the exam.
MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 3 विद्युत धारा
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
विद्युत धारा की दिशा क्या होती है ?
उत्तर-
इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह की दिशा के विपरीत।
प्रश्न 2.
विशिष्ट प्रतिरोध का मात्रक क्या है ?
उत्तर-
ओम × मीटर।
प्रश्न 3.
किरचॉफ का प्रथम नियम किस नियम पर आधारित है ?
उत्तर-
आवेश संरक्षण का नियम।
प्रश्न 4.
किरचॉफ का द्वितीय नियम किस नियम के अनुकूल है ?
उत्तर-
ऊर्जा संरक्षण के नियम।
प्रश्न 5.
मीटर सेतु किस सिद्धांत पर आधारित है ?
उत्तर-
व्हीटस्टोन सेतु के सिद्धान्त पर।
प्रश्न 6.
दो बलों पर 25 W तथा 100 W अंकित है किसका प्रतिरोध अधिक होगा?
उत्तर
R ∝ \(\frac{1}{P}\) (V= नियत है) अतः 25 W बल्ब का प्रतिरोध अधिक होगा।
प्रश्न 7.
कार्बन प्रतिरोध पर अंकित बैंडों के क्रम निम्न हैं-हरा, बैंगनी, लाल एवं चाँदी। इसका प्रतिरोध कितना होगा?
उत्तर-
57 × 102 +10% ओम।
प्रश्न 8.
विद्युत शक्ति किसे कहते हैं ? इसका SI मात्रक लिखिए।
उत्तर-
किसी विद्युत परिपथ में ऊर्जा क्षय होने के दर को विद्युत शक्ति कहते हैं। इसका SI मात्रक वाट है।
प्रश्न 9.
1kWh एवं जूल में क्या संबंध है ?
उत्तर-
1 kWh=3.6 x 106 जूल।
प्रश्न 10.
विभवमापी की संतुलन की स्थिति में उसका प्रतिरोध कितना होता है ?
उत्तर-
अनंत।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
अनुगमन वेग क्या है ? धारा घनत्व को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
किसी चालक में इलेक्ट्रॉन विद्युत् क्षेत्र के प्रभाव में एक औसत वेग से प्रवाहित होते हैं । इस नियत औसत वेग को अनुगमन वेग कहते हैं।
किसी चालक के प्रति एकांक अनुप्रस्थ काट से प्रति सेकण्ड प्रवाहित होने वाली धारा को धारा घनत्व कहते हैं। ।
प्रश्न 2.
ओम का नियम लिखिए।
उत्तर-
ओम का नियम-यदि किसी चालक की भौतिक अवस्था (जैसे-लम्बाई, ताप आदि) में परिवर्तन न हो तो उसमें प्रवाहित होने वाली विद्युत् धारा उसके सिरों पर लगाये गये विभवान्तर के अनुक्रमानुपाती होती है। यदि चालक के सिरों पर लगाया गया विभवान्तर V और उसमें बहने वाली धारा I हो, तो
V∝ I या V=R.I
यहाँ R एक नियतांक है, जिसे उस चालक का प्रतिरोध कहते हैं।
प्रश्न 3.
क्या ओम का नियम सभी चालकों के लिए सत्य है ? ओम का नियम लागू होने की क्या अनिवार्यता है ?
उत्तर-
ओम का नियम केवल धातु चालकों के लिए सत्य है। ओम का नियम लागू होने के लिए अनिवार्यता यह है कि चालक की भौतिक अवस्था (जैसे-लम्बाई, ताप आदि) में परिवर्तन न हो।
प्रश्न 4.
उन दो परिस्थितियों को लिखिए जिनमें ओम का नियम लागू नहीं होता है ?
उत्तर-
- ताप परिवर्तित हो,
- तार की लम्बाई परिवर्तित हो।
प्रश्न 5.
विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता की परिभाषा लिखिए एवं इसका विमीय सूत्र तथा मात्रक बताइये।
उत्तर-
किसी पदार्थ के एकांक अनुप्रस्थ-काट वाले एकांक लम्बाई के तार के प्रतिरोध को उसका विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता कहते हैं।
इसका मात्रक ओम × मीटर है। इसका विमीय सूत्र [ML3T-3A-2] है।
प्रश्न 6.
आपको एक ही धातु के समान लम्बाई के, किन्तु विभिन्न व्यास के दो तार दिये गये हैं। किसका प्रतिरोध अधिक होगा ? किस तार का विशिष्ट प्रतिरोध अधिक होगा?
उत्तर-
पतले तार (जिसका व्यास कम है) का प्रतिरोध अधिक होगा, क्योंकि R∝ \(\frac{1}{\mathrm{~A}}\) दोनों तार का विशिष्ट प्रतिरोध समान होगा, क्योंकि दोनों एक ही धातु के बने हैं।
प्रश्न 7.
किसी चालक की चालकता को परिभाषित कीजिए। इसका S.I. मात्रक बताइये।
उत्तर-
किसी चालक के प्रतिरोध के व्युत्क्रम को उसकी चालकता कहते हैं।
इसका मात्रक म्हो या साइमन है।
प्रश्न 8.
प्रतिरोध ताप गुणांक किसे कहते हैं ? इसके मात्रक लिखिए।
उत्तर-
0°C पर 1 ओम प्रतिरोध वाले तार को 1°C बढ़ाने पर उसके प्रतिरोध में जो वृद्धि होती है उसे तार की धातु का प्रतिरोध ताप गुणांक कहते हैं।
यदि 0°C ताप पर किसी तार का प्रतिरोध R, तथा t°C पर R हो, तो
प्रतिरोध ताप गुणांक α = \(\frac{R-R_{0}}{R_{0} \times t}\)
इसका मात्रक प्रति °C है।
प्रश्न 9.
मैंगनीन के दो गुण लिखिए, जिनके कारण इसे प्रामाणिक प्रतिरोध बनाने में प्रयुक्त किया जाता है।
उत्तर-
- मैंगनीन का विशिष्ट प्रतिरोध अधिक होता है।
- इसका प्रतिरोध ताप गुणांक बहुत कम होता है अर्थात् ताप बढ़ाने से प्रतिरोध में नगण्य वृद्धि होती है।
प्रश्न 10.
ठण्डे दिनों की तुलना में गर्म दिनों में कार इंजन को चालू करना आसान होता है, क्यों ?
उत्तर-
ठण्डे दिनों में बैटरी का आन्तरिक प्रतिरोध अधिक तथा गर्म दिनों में कम होता है। इस प्रकार ठण्डे दिनों की तुलना में गर्म दिनों में बैटरी से अधिक धारा प्राप्त होती है। अत: कार इंजन को चालू करना आसान हो जाता है।
प्रश्न 11.
क्या कारण है कि उच्च सामर्थ्य का विद्युत् हीटर मेन्स में लगाने पर घर में जल रहे अन्य बल्बों की रोशनी कुछ मन्द पड़ जाती है ?
उत्तर-
घर में सभी विद्युत् उपकरण समान्तर क्रम में लगे होते हैं। अत: उच्च सामर्थ्य का विद्युत् हीटर मेन्स में लगाने पर हीटर में उच्च धारा प्रवाहित होती है, जिससे मेन्स से आने वाले तारों में अत्यधिक विभव पतन हो जाता है। फलस्वरूप बल्ब के सिरों पर विभवान्तर का मान कम हो जाता है अत: बल्बों की रोशनी कुछ कम हो जाती है।
प्रश्न 12.
यदि व्हीटस्टोन सेतु में धारामापी और सेल का स्थान परस्पर बदल दिया जाये तो सेतु की सन्तुलन अवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर-
सन्तुलन अवस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
प्रश्न 13.
मीटर सेतु से क्या नापा जाता है ? इसकी सुग्राहिता कब सर्वाधिक होती है ?
उत्तर-
मीटर सेतु की सहायता से प्रतिरोध नापा जाता है। जब सन्तुलन बिन्दु सेतु के तार के मध्य बिन्दु पर प्राप्त होता है तो इसकी सुग्राहिता सर्वाधिक होती है।
प्रश्न 14.
मीटर सेतु का तार किस पदार्थ का बना होता है व क्यों?
उत्तर-
मैंगनीन, नाइक्रोम या कान्स्टेण्टन का, क्योंकि इनकी प्रतिरोधकता अधिक व प्रतिरोध ताप गुणांक निम्न (10W) होता है।
प्रश्न 15.
विभवमापी की सुग्राहिता कैसे बढ़ाई जा सकती है?
उत्तर-
ऐसा तार प्रयुक्त करें जिसका व्यास सर्वत्र एकसमान हो, तार की लम्बाई अधिक हो तथा प्राथमिक परिपथ में बहने वाली धारा का मान कम हो (प्राथमिक परिपथ का प्रतिरोध अधिक हो) तब सुग्राहिता अधिकतम होगी।
प्रश्न 16.
विभवमापी में विक्षेप एक ही ओर प्राप्त होने के दो संभावित कारण लिखिए।
उत्तर-
- प्राथमिक परिपथ में लगे बैटरी का विद्युत् वाहक बल, प्रायोगिक सेल के विद्युत् वाहक बल से कम होने पर।
- प्राथमिक सेल में लगे बैटरी और प्रायोगिक सेलों के धनात्मक सिरे विभवमापी के एक ही सिरे से न जुड़े होने पर ।
- विभवमापी के तार का विशिष्ट प्रतिरोध निम्न (10W) होने पर।
प्रश्न 17.
विभवमापी की विभव प्रवणता से आप क्या समझते हैं ? इसका मात्रक भी बताइये।
उत्तर-
विभवमापी के तार की प्रति एकांक लम्बाई पर विभव के पतन को विभव प्रवणता कहते हैं। यदि विभवमापी के तार की लम्बाई L तथा उसके सिरों का विभवान्तर V हो, तो विभव
ρ = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{L}}\)
इसका मात्रक वोल्ट/मीटर है।
प्रश्न 18.
विभवमापी के तार में विभव प्रवणता दुगुनी करने पर शून्य विक्षेप की स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर-
यदि सेल का वि. वा. बल E हो तथा उच्च विभव के सिरे से सन्तुलन बिन्दु की दूरी l हो, तो E = ρl, [जहाँ ρ= विभव प्रवणता]
या l = \(\frac{\mathrm{E}}{\rho}\)
या l ∝ \(\frac{1}{\rho}\)
अतः विभव प्रवणता को दुगुनी करने पर सन्तुलन बिन्दु (शून्य विक्षेप) की लम्बाई आधी हो जायेगी।
प्रश्न 19.
विभवमापी में तारों की संख्या अधिक क्यों रखी जाती है ?
अथवा
विभवमापी के तार की लम्बाई अधिक क्यों होती है ?
उत्तर-
विभवमापी में तारों की संख्या अधिक रखने या तार की लम्बाई अधिक होने से सूत्र ρ=\(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{L}}\) के अनुसार विभव प्रवणता का मान कम हो जाता है।
विभव प्रवणता ρ का मान कम होने से सूत्र E = ρl या l = \(\frac{E}{\rho}\) के अनुसार सन्तुलन बिन्दु की लम्बाई बढ़ जाती है, जिसे अधिक शुद्धतापूर्वक और यथार्थतापूर्वक ज्ञात किया जा सकता है।
प्रश्न 20.
विभवमापी वोल्टमीटर से किस प्रकार श्रेष्ठ है?
अथवा
समझाइये कि विभवमापी एक आदर्श वोल्टमीटर है।
उत्तर-
वोल्टमीटर की सहायता से विद्युत् परिपथ के किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर नापते समय कुछ विद्युत् धारा वोल्टमीटर से प्रवाहित होने लगती है। अत: वोल्टमीटर से नापा गया विभवान्तर वास्तविक विभवान्तर से कुछ कम होता है, किन्तु विभवमापी की सहायता से उन्हीं दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर नापते समय सन्तुलन की स्थिति में उसके द्वारा तनिक भी विद्युत् धारा नहीं ली जाती है। अतः विभवमापी द्वारा विभवान्तर या वि. वा. बल का सही मान प्राप्त हो जाता है।
स्पष्ट है कि विभवमापी एक आदर्श वोल्टमीटर है।
प्रश्न 21.
विद्युत् धारा की परिभाषा लिखिए तथा इसका मात्रक बताइए। यह सदिश राशि है या अदिश राशि?
उत्तर-
किसी चालक में आवेश प्रवाह की दर को विद्युत् धारा कहते हैं।
सूत्र के रूप में,
यह एक अदिश राशि है। इसका मात्रक ऐम्पियर है।
प्रश्न 22.
विद्युत् धारा और अनुगमन वेग में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
अथवा
अनुगमन वेग और धारा घनत्व में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
उत्तर-
मानलो किसी चालक तार के अनुप्रस्थ-काट का क्षेत्रफल A है। उनके प्रति एकांक आयतन में इलेक्ट्रॉनों की संख्या n है। यदि इलेक्ट्रॉनों का अनुगमन वेग vd हो, तो
1 सेकण्ड में तार के अनुप्रस्थ-काट से गुजरने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या = nA. vd
∴ t सेकण्ड में तार के अनुप्रस्थ-काट से गुजरने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या = nA. vdt
यदि प्रत्येक इलेक्ट्रॉन पर e आवेश हो, तो । सेकण्ड में तार के किसी अनुप्रस्थ-काट से गुजरने वाला आवेश
Q=nAvdte
परन्तु I = \(\frac{\mathrm{Q}}{t}\)
∴ I = neAvd
यही विद्युत् धारा और अनुगमन वेग में सम्बन्ध है।
या धारा घनत्व J= \(\frac{I}{A}\) = nevd.
प्रश्न 23.
प्रतिरोध और विशिष्ट प्रतिरोध में अन्तर लिखिए।
उत्तर-
विशिष्ट प्रतिरोध (प्रतिरोधकता) और प्रतिरोध में अन्तर
विशिष्ट प्रतिरोध | प्रतिरोध |
1. किसी पदार्थ के एकांक अनुप्रस्थ-काट वाले एकांक लम्बाई के तार के प्रतिरोध को उसका उत्पन्न करता है, | कोई चालक तार धारा के मार्ग में जो अवरोध उसे उसका प्रतिरोध कहते विशिष्ट प्रतिरोध कहते हैं। |
2. इसका मात्रक ओम x मीटर है। | इसका मात्रक ओम है। |
3. यह तार के अनुप्रस्थ-काट और लम्बाई पर निर्भर नहीं करता। | यह तार के अनुप्रस्थ-काट और लम्बाई पर निर्भर करता है। |
प्रश्न 24.
किसी तार का प्रतिरोध किन-किन कारकों पर निर्भर करता है और किस प्रकार ? विशिष्ट प्रतिरोध की परिभाषा लिखकर मात्रक ज्ञात कीजिए। इनका मान किन-किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर-
किसी चालक का प्रतिरोध निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है
(i) लम्बाई पर-किसी तार का प्रतिरोध R उसकी लम्बाई । के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात्
R∝l
(ii) अनुप्रस्थ-काट के क्षेत्रफल पर-किसी तार का प्रतिरोध R उसके अनुप्रस्थ-काट के क्षेत्रफल A के व्युत्क्रमानुपाती होता है अर्थात्
R∝\(\frac{1}{\mathrm{~A}}\)
(iii) ताप पर-ताप बढ़ाने पर किसी चालक का प्रतिरोध बढ़ जाता है।
(iv) चालक के पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है। क्रमांक (i) और (ii) को मिलाने पर,
R ∝ \(\frac{1}{\mathrm{~A}}\)
या R = ρ .\(\frac{1}{\mathrm{~A}}\)
जहाँ p एक नियतांक है, जिसे तार के पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता कहते हैं।
उपर्युक्त सूत्र में यदि ! = 1 तथा A = 1 हो, तो R = p. अत: किसी पदार्थ के एकांक अनुप्रस्थ-काट वाले एकांक लम्बाई के तार के प्रतिरोध को उसका विशिष्ट प्रतिरोध कहते हैं।
इसका मात्रक ओम × सेमी है। यह चालक के पदार्थ एवं उसके ताप पर निर्भर करता है।
प्रश्न 25.
प्रतिरोधकता किसे कहते हैं ? इसका मात्रक लिखिए। धातुओं एवं अर्द्धचालकों की प्रतिरोधकता पर ताप का क्या प्रभाव पड़ता है ?
अथवा
किसी चालक की प्रतिरोधकता से आप क्या समझते हैं ? निम्न के लिए ताप निर्भरता बताइये-
(i) चालक,
(ii) अर्द्धचालक,
(ii) विद्युत्-अपघट्य।
उत्तर-
प्रतिरोधकता-लघु उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 5 देखिए।
(i) चालक-ताप बढ़ाने पर चालक की प्रतिरोधकता बढ़ जाती है।
(ii) अर्द्धचालक-ताप बढ़ाने पर अर्द्धचालक की प्रतिरोधकता कम हो जाती है।
(iii) विद्युत्-अपघट्य-ताप बढ़ाने पर विद्युत्-अपघट्य की प्रतिरोधकता कम हो जाती है।
प्रश्न 26.
(a) मिश्रधातु के तारों का उपयोग प्रतिरोध बॉक्स बनाने में क्यों किया जाता है ?
(b) संयोजक तार ताँबे या ऐल्युमिनियम के बनाये जाते हैं तथा मोटे होते हैं, क्यों?
उत्तर-
(a) मिश्रधातु के तारों की प्रतिरोधकता अधिक होती है, किन्तु प्रतिरोध ताप गुणांक कम होता है अर्थात् ताप बढ़ाने से इनके प्रतिरोध में बहुत ही कम वृद्धि होती है। अतः प्रामाणिक प्रतिरोध के रूप में प्रतिरोध बॉक्स बनाने में इनका उपयोग किया जाता है।
(b) ताँबे या ऐल्युमिनियम का विशिष्ट प्रतिरोध कम होता है। इसके अतिरिक्त मोटा तार लेने पर उसका प्रतिरोध और कम हो जाता है।
प्रश्न 27.
अतिचालकता क्या है ? इसके उपयोग बताइए।
उत्तर-
अतिचालकता-कम ताप पर किसी पदार्थ की प्रतिरोधकता के एकदम शून्य हो जाने की घटना को अतिचालकता कहते हैं। जिन पदार्थों में यह घटना होती है, उन्हें अतिचालक कहते हैं।
उपयोग–यदि किसी ऐसे परिपथ में, जो अतिचालकता की अवस्था में हो, एक बार किसी विद्युत् स्रोत से विद्युत् धारा प्रवाहित कर दें तो विद्युत् स्रोत को हटा लेने पर भी घण्टों, दिनों तथा महीनों तक उस परिपथ में विद्युत् धारा प्रवाहित होती रहेगी।
प्रश्न 28.
कार्बन प्रतिरोध के वर्ण कोड को उदाहरण द्वारा समझाइये।
उत्तर-
कार्बन प्रतिरोध में सामान्यतया चार विभिन्न रंगों के संकेन्द्रीय रिंग या बैण्ड A,B,C और D होते हैं। सिरे से पहले दो बैण्ड A और B ओम में प्रतिरोध के सार्थक अंकों को व्यक्त करते हैं। तीसरा बैण्ड C द्वितीय सार्थक अंक के बाद आने वाले शून्यों की संख्या को निर्धारित करता है। अन्तिम बैण्ड D टि सीमा को प्रतिशत में व्यक्त करता है।
नीचे सारिणी में कार्बन प्रतिरोधों के वर्ण कोड दिये गये हैं
उदाहरण
चित्र-कार्बन प्रतिरोध का वर्ण कोड चित्र में कार्बन प्रतिरोध प्रदर्शित किया गया है, जिसका मान निम्नानुसार होगा-
अतः कार्बन प्रतिरोध का मान 2200 ओम +10% होगा।
प्रश्न 29.
तीन प्रतिरोध R1, R2, और R3, श्रेणीक्रम में जोड़े गये हैं। तुल्य प्रतिरोध की गणना कीजिए।
उत्तर:
चित्र में तीन प्रतिरोध R1, R2, और R3, प्रदर्शित किये गये हैं जो श्रेणीक्रम में जोड़े गये हैं। मानलो इस संयोग में सेल E जोड़ने पर उसमें I धारा प्रवाहित होती है।
यदि प्रतिरोध R1, R2, और R3, के बीच विभवान्तर क्रमशः V1, V2, और V3, हों, तो ओम के नियम से,
V1 = IR1, V2 = IR2, तथा V3 = IR3
यदि A और B के बीच विभवान्तर V हो, तो
V=V1 + V2 + V3
या V=IR1 + IR2 + IR3
V= I (R1 + R2+ R3) ………………………….. (1)
यदि इन प्रतिरोधों का तुल्य प्रतिरोध R हो, तो ओम के नियम से,
V=IR …………………….. (2)
समी. (1) और (2) से, IR = I (R1 + R2 + R3)
या R= R1+R2+R3.
यही अभीष्ट व्यंजक है।
प्रश्न 30.
तीन प्रतिरोध R1,R2 और R3 समान्तर क्रम में जोड़े गये हैं। तुल्य प्रतिरोध के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
चित्र में R1,R2 और R3 तीन प्रतिरोध समान्तर क्रम में जोड़े गये हैं। प्रत्येक प्रतिरोध का एक सिरा बिन्दु A से तथा दूसरा सिरा बिन्दु B से जोड़ा गया है।
मानलो A और B के बीच एक सेल Eजोड़ने पर उसमें धारा I प्रवाहित होती है।
बिन्दु A पर यह धारा I तीन भागों में बँट जाती है। मानलो प्रतिरोधों R1, R2 और R3 से क्रमशः I1, I2 और I3 धाराएँ प्रवाहित होती हैं। तब, I= I1 + I2 + I3 ………………… (1)
मानलो A और B के बीच विभवान्तर V है। अतः ओम के नियम से,
I1 = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{1}}\), I2 = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{2}}\) तथा I3 = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{3}}\)
यदि इन प्रतिरोधों का तुल्य प्रतिरोध R हो, तो
I= \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
अतः \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\) = V \(\left(\frac{1}{R_{1}}+\frac{1}{R_{2}}+\frac{1}{R_{3}}\right)\)
या \(\frac{1}{\mathrm{R}}\) = \(\frac{1}{R_{1}}+\frac{1}{R_{2}}+\frac{1}{R_{3}} \)
यही अभीष्ट व्यंजक है।
प्रश्न 31.
विद्युत् वाहक बल और विभवान्तर में कोई चार अन्तर लिखिए।
उत्तर-
विद्युत् वाहक बल और विभवान्तर में अन्तर|
विद्युत् वाहक बल | विभवान्तर |
1. यह सेल के दोनों ध्रुवों के बीच का अधिकतम विभवान्तर होता है, जबकि सेल खुले परिपथ में हो। | यह किसी विद्युत् परिपथ के किन्हीं दो बिन्दुओं के विभवों का अन्तर होता है। |
2. इस शब्द का उपयोग विद्युत् स्रोतों, जैसे-जनरेटर, सेलं, बैटरी, डायनेमो इत्यादि के लिए किया जाता है। | इस शब्द का उपयोग परिपथ के किन्हीं दो बिन्दुओं के लिए किया जाता है। |
3. विद्युत् परिपथ भंग होने पर भी इसका अस्तित्व रहता है। | विद्युत् परिपथ भंग होने पर इसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है। |
4. किसी सेल का वि. वा. बल परिपथ के प्रतिरोध पर निर्भर नहीं करता। | परिपथ के किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच का विभवान्तर उन दोनों बिन्दुओं के बीच लगे प्रतिरोध के मान पर निर्भर करता है। |
प्रश्न 32.
सेल के आन्तरिक प्रतिरोध की परिभाषा देते हुए बताइए कि यह किन-किन कारकों पर निर्भर करता है और किस प्रकार ?
अथवा
किसी सेल के आन्तरिक प्रतिरोध से आप क्या समझते हैं ? आन्तरिक प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है ? वर्णन कीजिये।
उत्तर-
आन्तरिक प्रतिरोध-जब विद्युत् धारा सेल के अन्दर प्रवाहित होती है, तो विद्युत्-अपघट्य के कारण सेल भी धारा के मार्ग में अवरोध उत्पन्न करता है। सेल द्वारा विद्युत् धारा के मार्ग में आरोपित बल को सेल का आन्तरिक प्रतिरोध कहते हैं।
किसी सेल का आन्तरिक प्रतिरोध निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है –
- दोनों इलेक्ट्रोडों के बीच की दूरी पर-इलेक्ट्रोडों के बीच की दूरी बढ़ाने पर सेल का आन्तरिक प्रतिरोध बढ़ जाता है।
- विद्युत्-अपघट्य में इलेक्ट्रोडों के डूबे भाग के क्षेत्रफल पर-यदि इलेक्ट्रोडों का अधिक क्षेत्रफल विद्युत्-अपघट्य में डूबा हो, तो उसका आन्तरिक प्रतिरोध कम होता है।
- विद्युत्-अपघट्य की सान्द्रता पर-विद्युत्-अपघट्य की सान्द्रता अधिक होने पर सेल का आन्तरिक प्रतिरोध अधिक होता है।
- ताप पर-ताप बढ़ाने पर आन्तरिक प्रतिरोध का मान कम हो जाता है।
प्रश्न 33.
किसी सेल के आन्तरिक प्रतिरोध, वि. वा. बल और बाह्य प्रतिरोध में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
उत्तर-
मानलो किसी सेल का वि. वा. बल E तथा आन्तरिक प्रतिरोध है। यह बाह्य प्रतिरोध R में विभवान्तर V पर धारा I भेजती है। अतः ओम के नियम से,
I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\) ………………… (1)
परिपथ का कुल वि. वा. बल = E और कुल प्रतिरोध = R+r
∴ I= \(\frac{E}{R+r}\) …………………………………….. (2)
समी. (1) और (2) से,
\(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}} \)
या
\(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\) = \(\frac{E}{R+r}\)
या VR + Vr = ER
या Vr = ER – VR
या r = \(\frac{\mathrm{R}(\mathrm{E}-\mathrm{V})}{\mathrm{V}}\) ………………….. (3)
या r = R\(\left(\frac{E}{V}-1\right)\)
यही अभीष्ट सम्बन्ध है।
प्रश्न 34.
(a) यदि हम किसी सेल से अधिक धारा लेते जायें तो उसके टर्मिनल वोल्टेज और वि. वा. बल पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
(b) मोटर गाड़ी को स्टार्ट करते समय उसकी हैडलाइट कुछ मंद पड़ जाती है, क्यों ?
उत्तर-
(a) वि. वा. बल E पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
धारा I =\(\frac{E}{R+r}\) से, E = IR+Ir
या E= V+Ir
⇒ V=E-Ir
उपर्युक्त सूत्र से स्पष्ट है कि धारा I का मान बढ़ने पर टर्मिनल वोल्टेज V का मान कम हो जायेगा।
(b) जब मोटरगाड़ी को स्टार्ट किया जाता है, तो स्टार्टर द्वारा बैटरी से अधिक धारा ली जाती है, जिससे सूत्र
V= E-Ir
के अनुसार बैटरी की प्लेटों के बीच का विभवान्तर कम हो जाता है। फलस्वरूप हैडलाइट कुछ मन्द पड़ जाती है।
प्रश्न 35.
विभिन्न चालकों के बीच विद्युत् धारा के वितरण को ज्ञात करने के लिए किरचॉफ के नियमों को लिखिए तथा इन्हें समझाइए।
उत्तर-
किरचॉफ के नियम निम्नलिखित हैं
(i) किसी विद्युत् परिपथ के किसी भी सन्धि पर मिलने वाली सभी विद्युत् धाराओं का बीजगणितीय योग शून्य होता है।
इस नियम के अन्तर्गत सन्धि की ओर आने वाली विद्युत् धाराएँ धनात्मक तथा दूर जाने वाली विद्युत् धाराएँ ऋणात्मक ली जाती हैं।
चित्र में किसी विद्युत् परिपथ के किसी सन्धि O पर चित्र-विद्युत् परिपथ की एक सन्धि में तीर की दिशा में विद्युत् धाराएँ प्रवाहित हो रही हैं । अतः इस मिलने वाली धाराएँ नियम के अनुसार, I1-I2-I3 +I4 -I5 = 0
या I1 +I4 = I2 +I3+I5
(ii) किसी बन्द विद्युत् परिपथ के विभिन्न भागों में प्रवाहित होने वाली विद्युत् धाराओं एवं संगत प्रतिरोधों के । गुणनफलों का बीजगणितीय योग उस बन्द परिपथ में उपस्थित कुल वि. वा. बलों के बीजगणितीय योग के बराबर । होता है।
चित्र में ABCD और CDEF दो बन्द परिपथ हैं। E + प्रथम बन्द परिपथ ABCD के लिए, I1R1 – I2R2 = E1 – E 2
चित्र-दो भागों वाला बन्द विद्युत् परिपथ
I2 R2 – I2R2 = E1 – E 2,
तथा द्वितीय बन्द परिपथ CDEF के लिए,
I2 R2 + (I1+I2)R3 = E2
प्रश्न 36.
किरचॉफ के नियमों के आधार पर व्हीटस्टोन सेतु का सिद्धान्त समझाइये।
अथवा
किरचॉफ के नियमों की सहायता से व्हीटस्टोन सेतु के सन्तुलन के लिए शर्त ज्ञात कीजिए।
अथवा
व्हीटस्ट्रोन सेतु के संतुलन की शर्त का निगमन कीजिए। .
उत्तर-
व्हीटस्टोन सेतु का सिद्धान्त-1842 में प्रोफेसर व्हीटस्टोन ने चार प्रतिरोधों की व्यवस्था से किसी चालक का प्रतिरोध ज्ञात करने के लिए अपना सिद्धांत दिया, जिसके अनुसार “सेतु के संतुलन की स्थिति में किन्हीं दो संलग्न भुजाओं के प्रतिरोधों का अनुपात, शेष अन्य दो संलग्न भुजाओं के प्रतिरोधों के अनुपात के बराबर होता है।” चित्र में P, Q, R और S चार प्रतिरोध है जो चतुर्भुज ABCD की चार भुजाओं से जोड़े गये हैं । एक विकर्ण AC में सेल E व कुंजी K1 तथा दूसरे विकर्ण BD में धारामापी G व कुंजी K2 जुड़े हुये हैं। अब इसमें इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि धारामापी में कोई विक्षेप न हो तो, सेतु संतुलन में कहा जायेगा। तब व्हीटस्टोन के सिद्धांत से, \(\frac{\mathrm{P}}{\mathrm{Q}}\) = \(\frac{\mathrm{R}}{\mathrm{S}}\)
सूत्र की स्थापना चित्र में कुंजी K1 और K2 को दबाने पर व्हीटस्टोन सेतु के विद्युत् परिपथ के विभिन्न भागों में बहने वाली धाराओं को तीर के चिन्ह से प्रदर्शित किया गया है। प्रारम्भ में धारामापी G में Ig धारा प्रवाहित होती है, , फलस्वरूप उसमें विक्षेप होता है। P, Q, R और S के मानों को इस प्रकार । व्यवस्थित करते हैं कि धारामापी में कोई विक्षेप न हो। इस स्थिति में B और D के विभव एकसमान होते हैं और सेतु सन्तुलित अवस्था में होता है। बिन्दु B पर किरचॉफ के प्रथम नियम से,
I1-I2-Ig =0
या I =I2+Ig
सन्तुलन की अवस्था में Ig = 0 अतः . I1 =I2 …………………… (1)
बिन्दु D पर किरचॉफ के प्रथम नियम से,
I3 + Ig -I4 =0
या I3+Ig = I4
सन्तुलन की अवस्था में Ig = 0 अतः
I3=I4 …………………………….. (2)
किरचॉफ के द्वितीय नियम से बन्द परिपथ ABDA में,
I1P+IgG -I3R=0, जहाँ G धारामापी का प्रतिरोध है।
सन्तुलन की अवस्था में,
Ig = 0
अतः
I1P= I3R ……………………….. (3)
पुनः किरचॉफ के द्वितीय नियम से बन्द परिपथ BCDB में,
I2Q-IgG-I4 S = 0
सन्तुलन की अवस्था में,
Ig =0
अतः
I2 Q = I4S ………………………….. (4)
समी. (3) में (4) का भाग देने पर,
\(\frac{\mathrm{I}_{1} \mathrm{P}}{\mathrm{I}_{2} \mathrm{Q}}\) = \(\frac{\mathrm{I}_{3} \mathrm{R}}{\mathrm{I}_{4} \mathrm{~S}}\)
समी. (1) और (2) से मान रखने पर,
\(\frac{\mathrm{I}_{1} \mathrm{P}}{\mathrm{I}_{1} \mathrm{Q}}\) = \(\frac{\mathrm{I}_{3} \mathrm{R}}{\mathrm{I}_{3} \mathrm{~S}}\)
\(\frac{\mathrm{P}}{\mathrm{Q}}\) = \(\frac{\mathbf{R}}{\mathrm{S}}\)
यही व्हीटस्टोन सेतु का सिद्धान्त है।
प्रश्न 37.
किरचॉफ के नियम लिखिए।संलग्न परिपथ (a) में धारा I1 व I2 की गणना कीजिए।
उत्तर-
किरचॉफ के नियम-प्रश्न क्रमांक 35 देखिए। I1 व I2 की गणना-चित्र
(a) का तुल्य चित्र
(b) है। बन्द परिपथ BEFC में किरचॉफ के द्वितीय नियम से,
2I1-6I2 = 0
या I1 = 3I2
अब बन्द परिपथ ABCD में,
2I1 +1(I1+I2)= 10
या 3I1 +I2 = 10
समी. (1) से मान रखने पर,
3 × 3I2 + I2 = 10
या 9I2 +I2 = 10
या I2 = 1 ऐम्पियर
I2 का मान समी. (1) में रखने पर.
I1 = 3 ऐम्पियर।
प्रश्न 38.
विभवमापी का सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर-
मानलो AB विभवमापी का तार है, जिसकी लम्बाई L है। इसके साथ श्रेणीक्रम में संचायक सेल C, कुंजी K तथा धारा नियंत्रक Rh जोड़ा गया है।
कुंजी K के प्लग को लगाने पर AB में विद्युत् धारा प्रवाहित होने लगती है। फलस्वरूप उसमें विभवान्तर उत्पन्न हो जाता है। मानलो विभवमापी के तार AB के सिरों के बीच का विभवान्तर v है।
अतः विभव प्रवणता ρ=\(\frac{v}{L}\)
अब मानलो प्रायोगिक सेल E के धन सिरे को बिन्दु A से तथा ऋण सिरे को धारामापी G तथा जॉकी J से जोड़ दिया जाता है। जब जॉकी को A के पास स्पर्श कराते हैं, तो विक्षेप एक दिशा में तथा जब B के पास स्पर्श कराते हैं, तो विक्षेप विपरीत दिशा में प्राप्त होता है। इन दोनों बिन्दुओं के मध्य एक ऐसा बिन्दु J प्राप्त करते हैं, जिस पर जॉकी को स्पर्श कराने पर धारामापी में कोई विक्षेप नहीं होता। इस स्थिति में धारामापी से कोई धारा प्रवाहित नहीं होती, फलस्वरूप सेल खुले परिपथ में होता है। इस बिन्दु J को सन्तुलन बिन्दु कहते हैं।
इस स्थिति में AJ के बीच विभवान्तर, सेल के वि. वा. बल के बराबर होता है। मानलो उच्च विभव के बिन्दु A से सन्तुलन बिन्दुJ की दूरी । है।
अतः सेल का वि. वा. बल = AJ के बीच विभवान्तर या
E=ρl
इस प्रकार ρ और l के मान ज्ञात होने पर E का मान ज्ञात किया जा सकता है।
प्रश्न 39.
सेलों को श्रेणीक्रम में किस प्रकार जोड़ा जाता है ? बाह्य परिपथ में बहने वाली धारा के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए। यह संयोजन कब लाभप्रद होता है ?
अथवा
सेलों के श्रेणी समूहन हेतु विद्युत् परिपथ खींचिए तथा प्राप्त धारा के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
सेलों को श्रेणीक्रम में जोड़ने के लिए प्रत्येक सेल के ऋण ध्रुव को दूसरे सेल के धन ध्रुव से तथा दूसरे सेल के ऋण ध्रुव को तीसरे सेल के धन ध्रुव से और इसी प्रकार अन्य सेलों को जोड़ते
जाते हैं। अन्त में प्रथम सेल के धन ध्रुव और अन्तिम सेल के ऋण ध्रुव को बाह्य परिपथ में जोड़ देते हैं।
मानलो n सेल श्रेणीक्रम में जोड़े गये हैं। प्रत्येक सेल का वि. वा. बल E तथा आन्तरिक r प्रतिरोध है।
तब समूहन का कुल वि. वा. बल = nE तथा कुल आन्तरिक प्रतिरोध = nr
यदि बाह्य प्रतिरोध R हो, तो परिपथ का कुल प्रतिरोध = R + nr
∴ I = \(\frac{n \mathrm{E}}{\mathrm{R}+n r}\)
यदि r<< R हो तो उपर्युक्त समीकरण से,
I=\(\frac{n \mathrm{E}}{\mathrm{R}}\) = n × \(\frac{\mathrm{E}}{\mathrm{R}}\) =n × एक सेल से बहने वाली धारा
अत: जब सेल का आन्तरिक प्रतिरोध बाह्य प्रतिरोध की तुलना में नगण्य होता है तो समूहन में बहने वाली धारा एक सेल से बहने वाली धारा की n गुनी होती है अर्थात् इस स्थिति में बहने वाली धारा अधिकतम होती है। अतः इस स्थिति में सेलों का श्रेणीक्रम समूहन लाभप्रद होता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
मुक्त इलेक्ट्रॉन सिद्धांत के आधार पर ओम का नियम स्थापित कीजिए।
अथवा
एक चालक के विशिष्ट प्रतिरोध हेतु मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या घनत्व श्रांतिकाल के पदों में व्यंजक ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
मानलो किसी चालक की लम्बाई l तथा उसके अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल A है। उसके प्रति एकांक आयतन में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या n है। चालक के सिरों में v विभवान्तर आरोपित करने पर उसमें I धारा प्रवाहित होती है।
चालक के भीतर प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता E=\(\frac{\mathrm{V}}{l}\)
इस विद्युत् क्षेत्र के कारण चालक के प्रत्येक मुक्त इलेक्ट्रॉन पर लगने वाला बल
F= eE=e\(\frac{\mathrm{V}}{l}\), (जहाँ e इलेक्ट्रॉन का आवेश है)
यदि इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान m हो, तो इलेक्ट्रॉन में उत्पन्न त्वरण
a = \(\frac{\mathrm{F}}{m}\) = \(\frac{e \mathrm{~V}}{\mathrm{ml}}\)
यदि चालक के भीतर इलेक्ट्रॉन का श्रांतिकाल τ हो तो इलेक्ट्रॉन द्वारा प्राप्त अधिकतम वेग
v=0+\(\frac{\mathrm{eV}}{\mathrm{ml}}\)τ =\(\frac{e V}{m l}\) τ (∵ v=u+at ) ………………… (1)
धनायनों से टक्कर के पश्चात् इलेक्ट्रॉन का वेग पुनः शून्य हो जाता है। अत: मुक्त इलेक्ट्रॉन का अनुगमन वेग
vd = \( \frac{0+\frac{e V_{\tau}}{m l}}{2}\) = \(\frac{e V}{2 m l} \tau\) …………………. (2)
परन्तु धारा
I = neAvd
समी. (2) से v, का मान रखने पर,
I = neA\(\left(\frac{e V \tau}{2 m l}\right)\) = \(\frac{n e^{2} \tau}{2 m} \frac{\mathrm{A}}{l} \mathrm{~V}\)
या \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}\) = \(\left(\frac{2 m}{n e^{2} \tau}\right) \frac{l}{A}\) ………………… (3)
यदि चालक का ताप नियत रहे तो \(\left(\frac{2 m}{n e^{2} \tau}\right) \frac{l}{A}\) एक नियतांक के बराबर होगा। इस नियतांक को R से प्रदर्शित करते हैं। इसे चालक का प्रतिरोध कहते हैं।
अतः समी. (3) से, \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}\) = R, यही ओम का नियम है।
स्पष्टतः R = \(\left(\frac{2 m}{n e^{2} \tau}\right) \frac{l}{\mathrm{~A}}\) ……………………… (4)
परन्तु R = ρ\(\frac{l}{\mathrm{~A}}\) …………………… (5)
जहाँ, ρ चालक का विशिष्ट प्रतिरोध है। समी. (4) एवं (5) की तुलना करने पर चालक का विशिष्ट प्रतिरोध,
ρ = \(\frac{2 m}{n e^{2} \tau}\)
यही अभीष्ट व्यंजक है।
प्रश्न 2.
मीटर सेतु की सहायता से अज्ञात प्रतिरोध ज्ञात करने की विधि का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों के आधार पर कीजिए
(i) उपकरण का नामांकित रेखाचित्र,
(ii) सूत्र की स्थापना,
(iii) प्रेक्षण सारिणी,
(iv) सावधानियाँ।
उत्तर-
(ii) सूत्र की स्थापना-वास्तव में मीटर सेतु का विद्युत् परिपथ व्हीटस्टोन सेतु के परिपथ के ही समान है। तार AC के AB भाग का प्रतिरोध P तथा BC भाग का प्रतिरोध Q होता है । AD के बीच प्रतिरोध बॉक्स का प्रतिरोध R तथा CD के बीच अज्ञात प्रतिरोध S होता है।
इस प्रकार मीटर सेतु में भी चार प्रतिरोध PQ, R और S होते हैं। AC के बीच सेल E तथा BD के बीच धारामापी G संयोजित करते हैं। मानलो सिरे A से सन्तुलन बिन्दु B की दूरी
AB = l सेमी
∴ BC = (100-l) सेमी
अत:P = lx तथा Q= (100-l).x
जहाँ, x = तार AC के प्रति सेमी लम्बाई का प्रतिरोध
अब व्हीटस्टोन सेतु के सिद्धान्त से,
\(\frac{\mathrm{P}}{\mathrm{Q}}\) = \(\frac{\mathrm{R}}{\mathrm{S}}\)
∴ \(\frac{l x}{(100-l) x}\) = \(\frac{\mathrm{R}}{\mathrm{S}}\)
या \(\frac{\mathrm{R}}{\mathrm{S}}\) = \(\frac{l}{100-l}\)
या \(\frac{R(100-l)}{l}\)
(iii) प्रेक्षण सारिणी
(iv) सावधानियाँ-
(1) सभी संयोजक पेंच अच्छी तरहं कसे हों।
(2) प्रतिरोध बॉक्स के सभी पेच कसे रहने चाहिए।
(3) विद्युत् धारा तभी प्रवाहित करें, जब प्रेक्षण लेना हो।
(4) जॉकी को तार पर रगड़कर नहीं चलाना चाहिए।
प्रश्न 3.
विभवमापी द्वारा दो सेलों के वि. वा. बलों की तुलना करने के प्रयोग का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत कीजिए
(i) विद्युत् परिपथ का नामांकित रेखाचित्र,
(ii) सूत्र की स्थापना,
(iii) प्रेक्षण सारिणी/दो प्रमुख सावधानियाँ।
उत्तर-
(i) उपकरण का नामांकित रेखाचित्र-चित्र में, AB → विभवमापी का तार, C → संचायक सेल, K1 → प्लग कुंजी, Rh → धारा नियन्त्रक, E1, E2,→ प्रायोगिक सेल, K1 → द्विमार्गी कुंजी, G → धारामापी, J→ जॉकी।
(ii) सूत्र की स्थापना-मानलो पहले सेल का वि. वा. बल E1 है। उसके लिए सिरे A से सन्तुलन बिन्दु की दूरी l1 है। तब विभवमापी के सिद्धान्त से.
E1= ρl1 …………………. (1)
मानलो दूसरे सेल का वि. वा. बल E2 तथा उसके सिरे A से सन्तुलन बिन्दु की दूरी l2 है।
अतः E2 = ρl2 …………………………….. (2)
समी. (1) में समी. (2) का भाग देने पर,
\(\frac{E_{1}}{E_{2}}\) = \(\frac{\rho l_{1}}{\rho l_{2}}\)
या \(\frac{E_{1}}{E_{2}}\) = \(\frac{l_{1}}{l_{2}}\)
यही अभीष्ट सूत्र है। जहाँ, E1 और E2 पहले और दूसरे सेल के वि. वा. बल हैं। l1 और l2 क्रमशः पहले और दूसरे सेल के लिए सन्तुलन बिन्दु की दूरियाँ हैं।
(iii) प्रेक्षण सारिणी
(iv) सावधानियाँ-
1. संचायक सेल के विद्युत् वाहक बल को प्रत्येक प्रायोगिक सेल के वि. वा. बल से अधिक होना चाहिए अन्यथा सन्तुलन बिन्दु प्राप्त नहीं होगा।
2. सभी सेलों के धन सिरे को एक ही सिरे से जोड़ा जाना चाहिए अन्यथा सन्तुलन बिन्दु प्राप्त नहीं होगा।
प्रश्न 4.
विभवमापी द्वारा किसी सेल का आन्तरिक प्रतिरोध ज्ञात करने के प्रयोग का वर्णन निम्नलिखित शीर्षकों में कीजिए
(i) विद्युत् परिपथ का नामांकित रेखाचित्र,
(ii) सूत्र की स्थापना,
(iii) प्रेक्षण सारिणी,
(iv) दो महत्वपूर्ण सावधानियाँ।
उत्तर-
(i) विद्युत् परिपथ का नामांकित रेखाचित्र-चित्र में AB → विभवमापी का तार, C → संचायक सेल, K + एकमार्गी कुंजी, R. B. → प्रतिरोध बॉक्स, E→ प्रायोगिक सेल, G → धारामापी, J→ जॉकी तथा Rh →धारा नियन्त्रक है।
(ii) सूत्र की स्थापना-मानलो एक सेल का वि. वा. बल E तथा आन्तरिक प्रतिरोध r है। यदि सेल के साथ R प्रतिरोध जोड़ने पर सेल v विभवान्तर पर कोई धारा भेजता हो, तो
r = R \(\left(\frac{E}{V}-1\right)\) …………………… (1)
यदि सेल का वि. वा. बल E उच्च विभव वाले सिरे A से l1 दूरी पर सन्तुलित होता हो, तो
E=ρl1 ………………………….. (2)
जहाँ, ρ विभव प्रवणता है। इसी प्रकार, यदि विभवान्तर V सिरे A से l2 दूरी पर सन्तुलित होता हो, तो
V=ρl2
समी. (1) में E और v के मान रखने पर..
r = R\(\left(\frac{\rho l_{1}}{\rho l_{2}}-1\right)\)
या r = R \(\left(\frac{l_{1}}{l_{2}}-1\right)\) यही अभीष्ट सूत्र है।
जहाँ, r= सेल का आन्तरिक प्रतिरोध, R= सेल के साथ जुड़ा बाह्य प्रतिरोध, l1 = सन्तुलन बिन्दु की दूरी, जबकि बाह्य प्रतिरोध R अनुपस्थित हो तथा l2 = सन्तुलन बिन्दु की दूरी, जबकि सेल के साथ बाह्य प्रतिरोध R
जुड़ा हो।
(iii) प्रेक्षण सारिणी
(iv) सावधानियाँ-
1. संचायक सेल के वि. वा. बल को प्रायोगिक सेल के वि. वा. बल से अधिक होना चाहिए।
2. सभी सेलों के धन सिरे को एक ही बिन्दु से जोड़ा जाना चाहिए।
प्रश्न 5.
विद्युत् वाहक बल \(\varepsilon_{1}\) एवं \(\varepsilon_{2}\) तथा आंतरिक प्रतिरोध एवं के दो सेल को श्रेणीक्रम में संयोजित किया जाता है, इस स्थिति में तुल्य विद्युत वाहक बल एवं तुल्य आंतरिक प्रतिरोध के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
मानलो दो सेल, जिनके वि. वा. बल \(\varepsilon_{1}\) व \(\varepsilon_{2}\) तथा जिनके आंतरिक प्रतिरोध क्रमशःr1 व r2 हैं, श्रेणीक्रम में A और C के बीच संयोजित हैं।
मानलो बिंदुओं A, B और C के विभव क्रमश: VA, VB और VC तथा सेलों से बहने वाली धारा l है । तब पहले सेल के ध्रुवों के बीच विभवांतर ,
VAB =VA -VB = \(\varepsilon_{1}-I r_{1}\)
तथा दूसरे सेल के ध्रुवों के बीच विभवांतर
VBC =VB – VC = \(\varepsilon_{2}-I r_{2}\)
अब A और C के बीच विभवांतर
VAC =VA -VC = (VA -VB) + (VB -VC) .
= \(\varepsilon_{1}-I r_{1}\) + \(\varepsilon_{2}-I r_{2}\)
= \(\varepsilon_{1}\) +\(\varepsilon_{2}\) – l(r1+r2) ………………………. (1)
यदि श्रेणीक्रम में संयोजित इन सेलों को एक अकेले सेल द्वारा जिसका तुल्य वि. वा. बल तथा \(\varepsilon_{e q}\) आंतरिक प्रतिरोध req हो तो
VAC = \(\varepsilon_{e q}\) – Ireq ……………………… (2)
समी. (1) और (2) से,
\(\varepsilon_{e q}\) – Ireq= \(\varepsilon_{1}\)+\(\varepsilon_{2}\) -l(r1+r2) ……………………… (3)
समी. (3) से स्पष्ट है कि
\(\varepsilon_{e q}\) = \(\varepsilon_{1}\)+ \(\varepsilon_{2}\) …………………….. (4)
तथा req = r1+r2 …………………………. (5)
समी. (4) और (5) को n सेलों के लिए विस्तारित किया जा सकता है। इस प्रकार यदि n सेलों को, जिनके वि. वा. बल क्रमशः \(\varepsilon_{1}, \mathcal{E}_{2}, \ldots . \varepsilon_{n}\) तथा आंतरिक प्रतिरोध क्रमशःr1,r2 ……………. rn हैं, श्रेणीक्रम से संयोजित किया जाए तो उनका तुल्य वि. वा. बल
\(\varepsilon_{e q}\) = \(\varepsilon_{1}+\varepsilon_{2}+\ldots+\varepsilon_{n}\) ………………………. (6)
तथा तुल्य आंतरिक प्रतिरोध
req = r1+r2+…………………. +rn ……………………. (7)
समी. (6) और (7) से निम्न निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं सेलों को श्रेणीक्रम में संयोजित करने पर
तुल्य वि. वा. बल प्रत्येक सेल के वि. वा. बल के योगफल के तुल्य तथा
(ii) उनका तुल्य आंतरिक प्रतिरोध प्रत्येक सेल के आंतरिक प्रतिरोध के योगफल के बराबर होता है।
प्रश्न 6.
विद्युत् वाहक बल \(\varepsilon_{1}\) एवं \(\varepsilon_{2}\) तथा आंतरिक प्रतिरोध r1 एवं r2 के दो को समान्तर क्रम में संयोजित किया जाता है, इस स्थिति में तुल्य विद्युत् वाहक बल एवं तुल्य आंतरिक प्रतिरोध के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
सेलों के समांतर क्रम संयोजन में समस्त सेलों के धनात्मक इलेक्ट्रोडों को एक बिंदु A से तथा ऋणात्मक इलेक्ट्रोडों को दूसरे बिंदु से जोड़ते हैं।
मानलों दो सेल जिनके वि. वा. बल क्रमशः \(\varepsilon_{1}\) और \(\varepsilon_{2}\) तथा आंतरिक प्रतिरोध क्रमशःr1 और r2है, समांतर क्रम में संयोजित हैं। मानलो पहले सेल से बहने वाली धारा l1 तथा दूसरे सेल से बहने वाली धारा l2 है। यदि दोनों सेलों के कारण बहने वाली धारा । हो तो
I=l1 +l2 ……………………. (1)
मानलो बिंदु B का विभव V1 तथा बिंदु Bका विभव V2 है। तब पहले सेल के लिए
V=V1 -V2
V = \(\varepsilon_{1}\)– l1r1 या l1r1 = \(\varepsilon_{1}\)-V
या l1 = \(\frac{\varepsilon_{1}-V}{r_{1}}\)
तथा दूसरे सेल के लिए V=V1 -V2
=\(\varepsilon_{2}\) – l2r2 या l2r2 = \(\varepsilon_{2}\) -V
या l2 = \(\frac{\varepsilon_{2}-V}{r_{2}}\)
l1 और l2 के मान समी. (1) में रखने पर,
अब यदि सेलों के इस समांतर क्रम संयोजन को B1 और B2 के बीच एक अकेले सेल, जिसका तुल्य वि. वा. बल \(\varepsilon_{e q}\) तथा तुल्य आंतरिक प्रतिरोध req हो, से प्रतिस्थापित कर दिया जाए तो
V = \(\varepsilon_{e q}\) – Ireq …………………… (3)
समी. (2) और (3) की तुलना करने पर,
यदि n सेलों को, जिनके वि. वा. बल क्रमशः \(\varepsilon_{1}, \varepsilon_{2}, \ldots, \varepsilon_{n}\) तथा आंतरिक प्रतिरोध क्रमशः r1,r2 ……………. rn हों, समांतर क्रम में संयोजित कर दिया जाए एवं उनके तुल्य वि. वा. बल \(\varepsilon_{e q}\) तथा तुल्य आंतरिक प्रतिरोध req हों तो
मूल्य आधारित प्रश्न
प्रश्न 1.
रुचि के पिताजी नया हीटर खरीदकर घर लाये। जब उसे चालू किया गया तो पास जल रहे बल्ब का प्रकाश कुछ मंद पड़ गया। रुचि ने अपने पिताजी से इसका कारण जानना चाहा पिताजी ने अनभिज्ञता प्रकट की। किंतु पास बैठे प्रोफेसर चाचा ने समझाया कि घर में सभी विद्युत उपकरण समांतर क्रम में जुड़े होते हैं। हीटर को चालू करने पर सामर्थ्य अधिक होने के कारण उसमें अधिक धारा प्रवाहित होती है जिससे मेंस (Mains) से आने वाले तारों में अत्यधिक विभव पतन हो जाता है। फलस्वरूप सूत्र V = \(\varepsilon\) -Ir के अनुसार बल्ब के सिरों पर विभवांतर कम हो जाता है। अतः बल्ब की रोशनी कुछ कम हो जाती है। उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(i) प्रोफेसर चाचा ने किन मूल्यों का प्रदर्शन किया ?
(ii) घरों में सभी विद्युत उपकरण समांतर क्रम में क्यों जुड़े होते हैं ?
(iii) 60 W और 100 W के दो बल्बों को श्रेणीक्रम में जोड़ने पर कौन-सा बल्ब अधिक चमकेगा? यदि उन्हें समांतर क्रम में जोड़े तो अब कौन-सा बल्ब अधिक चमकेगा?
(iv) दैनिक जीवन में घटने वाला ऐसा ही कोई अन्य उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
(i) प्रोफेसर चाचा को विषय की व्यावहारिक जानकारी थी। उसने सहायता करने की प्रवृत्ति, दयाभाव आदि मूल्यों का प्रदर्शन किया।
(ii) घरों में सभी विद्युत उपकरण समांतर क्रम में जुड़े होते हैं ताकि समस्त उपकरणों को एकसमान वोल्टता पर विद्युत संभरण दिया जा सके।
(iii) 60 W और 100 W के बल्बों को श्रेणीक्रम में जोड़ने पर 60 W का बल्ब अधिक चमकेगा। यदि उन्हें समांतर क्रम में जोड़ें तो 100 W का बल्ब अधिक चमकेगा।
(iv) जब मोटर कार को चालू किया जाता है तो उसकी हेडलाइट कुछ मंद पड़ जाती है।
आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
किसी कार की संचायक बैटरी का विद्युत वाहक बल 12v है। यदि बैटरी का आंतरिक प्रतिरोध0.4Ω हो, तो बैटरी से ली जाने वाली अधिकतम धारा का मान क्या है ?
उत्तर-
हल-दिया है- \(\varepsilon\)=12V; r = 0.4Ω
सूत्र-धारा I = \(\frac{\varepsilon}{R+r}\)
अधिकतम धारा के लिए, R= 0
Imax = \(\frac{\varepsilon}{r}\) =\(\frac{12}{0.4} \) = 30A.
प्रश्न 2.
10v विद्युत वाहक बल वाली बैटरी जिसका आंतरिक प्रतिरोध 3Ω है, किसी प्रतिरोधक से संयोजित है। यदि परिपथ में धारा का मान 0.5A हो, तो प्रतिरोधक का प्रतिरोध क्या है ? जब परिपथ बंद है तो सेल की टर्मिनल वोल्टता क्या होगी?
उत्तर-
हल-दिया है- \(\varepsilon\) = 10v; r = 3Ω ; I = 0.5A
I = \(\frac{\varepsilon}{R+r}\)
या R+r = \(\frac{\varepsilon}{I}\)
या R = \(\frac{\varepsilon}{I}-r\) = \(\frac{10}{0.5}-3\) = 20 – 3Ω
अब V=\(\varepsilon\)-Ir = 10-0.5 × 3 = 8.5V.
प्रश्न 3.
(a) 1Ω, 2Ω और 3Ω के तीन प्रतिरोधक श्रेणी में संयोजित हैं। प्रतिरोधकों के संयोजन का कुल प्रतिरोध क्या है ?
(b) यदि प्रतिरोधकों का संयोजन किसी 12V की बैटरी जिसका आंतरिक प्रतिरोध नगण्य है, से संबद्ध है, तो प्रत्येक प्रतिरोधक के सिरों पर वोल्टता पात ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
हल-
(a) दिया है- R1 = 1Ω; R2 = 2Ω; R3 = 3Ω
सूत्र-R= R1 + R2 + R3 = 1+2+3 = 6Ω.
(b) दिया है- \(\varepsilon\) = 12V; r = 0
धारा I =\(\frac{\varepsilon}{R}\) = \(\frac{12}{6}\) = 2A
∴ R1 के सिरों पर वोल्टता V1 = IR1 = 2 × 1 = 2V.
R2 के सिरों पर वोल्टता V2 = IR2 = 2 × 2 = 4V.
R3 के सिरों पर वोल्टता V3 = IR3 = 2 ×3 = 6V.
प्रश्न 4.
(a) 2Ω, 4Ω और 5Ω के तीन प्रतिरोधक पार्श्व में संयोजित हैं।संयोजन का कुल प्रतिरोध क्या होगा?
(b) यदि संयोजन को 20v के विद्युत वाहक बल की बैटरी जिसका आंतरिक प्रतिरोध नगण्य है, से संबद्ध किया जाता है, तो प्रत्येक प्रतिरोधक से प्रवाहित होने वाली धारा तथा बैटरी से ली गई कुल धारा का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
हल-
(a) दिया है- R1 = 2Ω; R2 = 4Ω; R3 = 5Ω
सूत्र \(\frac{1}{R_{p}}\) = \(\frac{1}{R_{1}}+\frac{1}{R_{2}}+\frac{1}{R_{3}}\) = \(\frac{1}{2}+\frac{1}{4}+\frac{1}{5}\)
= \(\frac{10+5+4}{20} \) = \(\frac{19}{20}\)
∴Rp = \(\frac{20}{19}\)
(b) दिया है- \(\varepsilon\)= 20V; r=0
यदि R1, R2, एवं R3 प्रतिरोधों से बहने वाली धारा क्रमशः l1, l2 एवं l3 हो तो
अतः कुल धारा I = l1 + l2+l3 = 10 + 5 + 4 = 19A.
प्रश्न 5.
कमरे के ताप (27.0 °C) पर किसी तापन-अवयव का प्रतिरोध 100Ω है। यदि तापनअवयव का प्रतिरोध 117Ω हो तो अवयव का ताप क्या होगा ? प्रतिरोधक के पदार्थ का ताप-गुणांक 1.70 × 10-4 °C-1 है।
उत्तर-
हल-दिया है- T1 = 27°C; R1 = 100Ω; R2 =117Ω;
α = 1.70 x 10-4 °C-1
सूत्र- R2 = R1[1+ α(T2-T1)]
या R2 -R1 = R1α(T1 -T2)
या T1,-T2, =\(\frac{R_{2}-R_{1}}{R_{1} \alpha}\)
या T2 = \(\frac{R_{2}-R_{1}}{R_{1} \alpha}\) +T1
= \(\frac{117-100}{100 \times 1 \cdot 7 \times 10^{-4}}\) + 27
= \(\frac{1700}{1.7}\) +27 = 1027 °C
प्रश्न 6.
15 मीटर लंबे एवं 6.0 × 10-7 m2अनुप्रस्थ काट वाले तार से उपेक्षणीय धारा प्रवाहित की गई और इसका प्रतिरोध 5.0Ω मापा गया। प्रायोगिक ताप पर तार के पदार्थ की प्रतिरोधकता क्या होगी?
उत्तर-
हल–दिया है-l=15m; A = 6.0 × 10-7m2; R=5.0Ω
सूत्र- ρ=\(\frac{R A}{l}\) =\(\frac{5 \times 6 \times 10^{-7}}{15}\) = 20 × 10-7m.
प्रश्न 7. चित्र में दर्शाए नेटवर्क की प्रत्येक शाखा में प्रवाहित धारा ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
हल –\(\frac{P}{Q}\) = \(\frac{10}{5}\) = 2;
\(\frac{R}{S}\) = \(\frac{5}{10}\) = \(\frac{1}{2}\)
\(\frac{P}{Q}\) ≠ \(\frac{R}{S}\)
अतः सेतु संतुलित नहीं है।
माना नेटवर्क की विभिन्न शाखाओं में चित्रानुसार धारा प्रवाहित हो रही है।
बंद पाश ABDA में किरखोफ के द्वितीय नियम से,
10I1 +5I2-5(I-I1)= 0
3I1 +I2-I=0 ………………………….. (1)
बंद पाश BCDB में,
5(I1-I2)-10(I -I1 + I2)-5I2 = 0
अब बंद पाशं ADCA में,
5(I-I1)-10(1-I1 +I2)+10I = 10
समी. (3) से,
I1 = \(\frac{2}{5} \times \frac{10}{17}\) = \(\frac{4}{17}\) A
समी. (2) से,
I2 = \(-\frac{1}{5}\left(\frac{10}{17}\right)\)= \(-\frac{2}{17}\)A
∴ शाखा AB में धारा = I1 =\(\frac{4}{17}\) A
शाखा BC में धारा = I1 – I2 = \(\frac{4}{17}+\frac{2}{17}=\frac{6}{17}\)A
शाखा BD में धारा =I2\(-\frac{2}{17}\)A
शाखा AD में धारा = I-I1 = \(\frac{10}{17}-\frac{4}{17}-\frac{2}{17}\) = \(\frac{6}{17}\)A
शाखा DC में धारा =I – I1+I2 = \(\frac{10}{17}-\frac{4}{17}-\frac{2}{17}\) = \(\frac{4}{17}\) A
तथा शाखा CD में धारा =-\(\frac{4}{17}\) A
प्रश्न 8.
(a) किसी मीटर-सेतु में जब प्रतिरोधक S = 12.5 Ω हो तो संतुलन बिंदु, सिरे A से 39.5 cm की लंबाई पर प्राप्त होता है। R का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।व्हीटस्टोन सेतु या मीटर सेतु में प्रतिरोधकों के संयोजन के लिए मोटी कॉपर की पत्तियाँ क्यों प्रयोग में लाते हैं ? .
(b) R तथा S को अंतर्बदल करने पर उपरोक्त सेतु का संतुलन बिंदु ज्ञात कीजिए।
(c) यदि सेतु के संतुलन की अवस्था में गैल्वेनोमीटर और सेल को अंतर्बदल कर दिया जाए तब क्या गैल्वेनोमीटर कोई धारा दर्शाएगा? ..
उत्तर-
हल-
(a) दिया है- S =12.5Ω; l = 39.5 cm,
\(\frac{R}{S}\) = \(\frac{1}{100-1}\)
R = \(\frac{I S}{100-l}\)
= \(\frac{39 \cdot 5 \times 12.5}{100-39 \cdot 5}\) = 81.2 Ω
संबंधन (Connection) के प्रतिरोध को न्यूनतम करने के लिए कॉपर की मोटी पत्तियों का उपयोग किया जाता है। मोटी पत्तियों का प्रतिरोध न्यूनतम होता है। (b) R और S को अंतर्बदल करने पर बिंदु A से संतुलन बिंदु की दूरी = 100-39.5 = 60.5 cm.
(c) यदि सेतु के संतुलन की अवस्था में गैल्वेनोमीटर और सेल को अंतर्बदल कर दिया जाए तो संतुलन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। अतः गैल्वेनोमीटर कोई धारा नहीं दर्शाएगा।
प्रश्न 9.
किसी पोटेंशियोमीटर व्यवस्था में, 1.25V विद्युत वाहक बल के एक सेल का संतुलन बिंदु तार के 35.0cm लंबाई पर प्राप्त होता है। यदि इस सेल को किसी अन्य सेल द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया जाए तो संतुलन बिंदु 63.0cm पर स्थानांतरित हो जाता है। दूसरे सेल का विद्युत वाहक बल क्या है ?
उत्तर-
हल- दिया हैं- \(\varepsilon_{1}\) = 125V; l1 = 35cm; l2 = 63 cm
सूत्र \(\frac{\varepsilon_{1}}{\mathcal{E}_{2}}\) = \(\frac{l_{1}}{l_{2}}\)
या \(\varepsilon_{2}\) = \(\varepsilon_{1}\) × \(\frac{l_{2}}{l_{1}}\) = 125 × \(\frac{63}{35} \) = 225v.
प्रश्न 10.
किसी ताँबे के चालक में मुक्त इलेक्ट्रॉनों का संख्या घनत्व 8.5 × 1028m-3 आकलित किया गया है। 3m लंबे.तार के एक सिरे से दूसरे सिरे तक अपवाह करने में इलेक्ट्रॉन कितना समय लेता है ? तार की अनुप्रस्थ-काट 2.0 × 10-6m2 है और इसमें 3.0 A धारा प्रवाहित हो रही है।
उत्तर-
हल-दिया है-n=8.5 × 1028m-3, l = 3m;
A = 2.0 x10-6m2
I = 3.0A; e = 1.6 × 10-19C
सूत्र- I = neAVd
∴ I = neA\(\frac{l}{t}\)
या t = \(\frac{n e A l}{I}\) = \(\frac{8 \cdot 5 \times 10^{28} \times 1 \cdot 6 \times 10^{-19} \times 2 \times 10^{-6} \times 3}{3 \cdot 0}\)
= 27.2 ×103 = 2.72 ×104s
= 27.2 × 104s.
प्रश्न 11.
एक तार के पदार्थ का विशिष्ट प्रतिरोध 100 माइक्रो ओम-सेमी है। 0.4 मिमी व्यास वाले तार से 10 ओम प्रतिरोध की कुंडली बनाने के लिए कितना लम्बा तार लेना पड़ेगा?
उत्तर-
हलः सूत्र : ρ= \(\frac{\mathrm{RA}}{l}\) से,
l = \(\frac{\mathrm{RA}}{\rho}\)
दिया है : R = 10Ω , A = π × 0.02 × 0.02 वर्ग सेमी, ρ = 100 × 10-6 ओम-सेमी।
∴ l = \(\frac{10 \times 3 \cdot 14 \times 0.02 \times 0.02}{100 \times 10^{-6}}\) = \(\frac{0-01256}{10^{-4}} \)
=125.6 सेमी।
प्रश्न 12.
एक तार का प्रतिरोध 4.0Ω है। यदि इसे खींचकर दुगुना किया जाय तो इसका प्रतिरोध कितना होगा? .
उत्तर
हल : सूत्र : \(\frac{\mathrm{R}_{1}}{\mathrm{R}_{2}}\) = \(\frac{l_{1}^{2}}{l_{2}^{2}}\) से
दिया है : l2 = 2l2,R1 = 4.0Ω
सूत्र में मान रखने पर, .
\(\frac{4}{\mathrm{R}_{2}}\) = \(\left(\frac{l_{1}}{2 l_{1}}\right)^{2}\)
या R2 = 4 × \(\frac{4 l_{1}^{2}}{l_{1}^{2}}\)
या R2 = 16Ω
R, = 162.
प्रश्न 13.
एक तार को खींचकर उसकी लम्बाई 0.1% बढ़ा दी जाती है। इसके प्रतिरोध में कितने प्रतिशत परिवर्तन होगा?
उत्तर
हल : सूत्र : \(\frac{\mathrm{R}_{1}}{\mathrm{R}_{2}}\) = \(\left(\frac{l_{1}}{l_{2}}\right)^{2}\) से
\(\frac{R_{2}}{R_{1}}\) = \(\left(\frac{l_{2}}{l_{1}}\right)^{2}\)
⇒ \(\frac{\mathrm{R}_{2}}{\mathrm{R}_{1}}\) = \(\left[\frac{l_{1}+\frac{0 \cdot 1}{100} l_{1}}{l_{1}}\right]^{2} \) = \(\left(1+\frac{0.1}{100}\right)^{2}\)
या \(\frac{\mathrm{R}_{2}}{\mathrm{R}_{1}}\) = (1+0.001)2 = 1.002 लगभग
अतः प्रतिरोध में प्रतिशत परिवर्तन = \(\left(\frac{\mathrm{R}_{2}-\mathrm{R}_{1}}{\mathrm{R}_{1}}\right)\) ×100
= \(\left(\frac{1 \cdot 002-1}{1}\right)\) × 100 = 0.002 × 100 = 2%
प्रश्न 14.
बिन्दु A से B तक 109 इलेक्ट्रॉन 10-3 सेकंड में प्रवाहित हो रहे हैं। विद्युत् धारा की गणना कीजिये एवं इसकी दिशा बताइये।
उत्तर
हल : दिया है : इलेक्ट्रॉनों की संख्या n = 109
∴ कुल आवेश q=ne
= 109 × 1.6 × 10-19 = 1.6 × 10-10 कूलॉम
समय t = 10-3 सेकंड
∴ विद्युत् धारा I = \(\frac{q}{t}\)
= \(\frac{1.6 \times 10^{-10}}{10^{-3}}\) =16 × 10-7 ऐम्पियर
विद्युत् धारा की दिशा B से A की ओर होगी।
प्रश्न 15.
तीन प्रतिरोधों जिनका प्रत्येक का प्रतिरोध 2 ओम है, को आप कैसे संयोजित करेंगे जिससे कि परिणामी प्रतिरोध 3 ओम हो ? अपने उत्तर की पुष्टि गणना द्वारा कीजिये।
उत्तर
हल : दो प्रतिरोधों को समांतर क्रम में जोड़ने पर उनका परिणामी प्रतिरोध
R’= \(\frac{\mathrm{R}_{1} \mathrm{R}_{2}}{\mathrm{R}_{1}+\mathrm{R}_{2}}\)
∵ R1 = 2 Ω एवं R2 = 2Ω
∴R’= \(\frac{2 \times 2}{2+2}\) = \(\frac{4}{4}\) = 1 ओम
इस संयोजन को R3 = 2 Ω के प्रतिरोध के साथ श्रेणीक्रम में जोड़ने पर संयोजन का तुल्य प्रतिरोध
R = R’+R3
= 1+2=3 ओम
∴ R = 3Ω
प्रश्न 16.संलग्न चित्र में किरचॉफ के नियमों का उपयोग करते हुए P और के बीच विभवान्तर ज्ञात कीजिए तथा बताइये विभिन्न प्रतिरोधों में से कितनी विद्युत् धारा प्रवाहित होती है ?
उत्तर
हल : मानलो 1Ω,2Ω और 3Ω के प्रतिरोधों में i1 विद्युत् धारा तथा 4Ω के प्रतिरोध से , विद्युत् धारा प्रवाहित होती है।
अत: किरचॉफ के प्रथम नियम से,
2-i1-i2 = 0
या i1+i2 = 2 ……………………. (1)
किरचॉफ के द्वितीय नियम से,
i1 का मान समीकरण (1) में रखने पर,
\(\frac{2}{3} i_{2}\) + i2 = 2
या 5i2 = 6
∴ i2 = \(\frac{6}{5}\) = 1.2 ऐम्पियर।
समीकरण (1) में मान रखने पर,
i1= 0.8 ऐम्पियर।
अत: P और Q के बीच विभवान्तर = 4 × 1.2 = 4.8 वोल्ट।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. सही विकल्प चुनकर लिखिए
प्रश्न 1.
‘ऐम्पियर’ मात्रक है
(a) विभवांतर का
(b) आवेश का
(c) प्रतिरोध का
(d) धारा का।
उत्तर-
(d) धारा का।
प्रश्न 2.
किसी चालक में धारा का प्रवाह है
(a) अणुओं का प्रवाह
(b) मुक्त इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह
(c) धनावेशों का प्रवाह
(d) आयनों का प्रवाह।
उत्तर-
(b) मुक्त इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह
प्रश्न 3.
वे पदार्थ जो निम्नतर तापों में अपनी प्रतिरोधकता खो देते हैं, कहलाते हैं.
(a) सुचालक
(b) अर्द्धचालक
(c) अतिचालक
(d) परावैद्युत।
उत्तर-
(c) अतिचालक
प्रश्न 4.
सेल का आंतरिक प्रतिरोध निर्भर करता है
(a) प्लेटों के क्षेत्रफल पर
(b) प्लेटों के बीच की दूरी पर
(c) विद्युत् अपघट्य की सांद्रता पर
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 5.
ताप में वृद्धि के साथ निम्नलिखित में से किसका प्रतिरोध कम होता है
(a) ताँबा
(b) टंगस्टन
(c) जर्मेनियम
(d) ऐल्युमिनियम।
उत्तर-
(c) जर्मेनियम
प्रश्न 6.
किसी परिपथ का विभवांतर मापने के लिये विभवमापी, वोल्टमीटर की अपेक्षा ज्यादा श्रेष्ठ होता है क्योंकि
(a) विभवमापी ज्यादा सुग्राही होता है
(b) विभवमापी का प्रतिरोध कम होता है
(c) विभवमापी सस्ता होता है
(d) शून्य विक्षेप की स्थिति में विभवमापी से कोई धारा प्रवाहित नहीं होती।
उत्तर-
(d) शून्य विक्षेप की स्थिति में विभवमापी से कोई धारा प्रवाहित नहीं होती।
प्रश्न 7.
किरचॉफ के प्रथम एवं द्वितीय नियम क्रमशः प्रदर्शित करते हैं
(a) रैखिक संवेग संरक्षण एवं कोणीय संवेग संरक्षण के नियम
(b) आवेश संरक्षण एवं ऊर्जा संरक्षण के नियम
(c) द्रव्यमान संरक्षण एवं ऊर्जा संरक्षण के नियम
(d) आवेश संरक्षण एवं रैखिक संवेग संरक्षण के नियम।
उत्तर-
(b) आवेश संरक्षण एवं ऊर्जा संरक्षण के नियम
प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से किसका विद्युत् प्रतिरोध ताप वृद्धि के साथ घटता है
(a) धातुओं का
(b) अर्द्धचालकों का
(c) सोने का
(d) चाँदी का।
उत्तर-
(b) अर्द्धचालकों का
प्रश्न 9.
विद्युत् सेल स्रोत है
(a) इलेक्ट्रॉनों का
(b) विद्युत् ऊर्जा का
(c) चुंबकीय ऊर्जा का
(d) विद्युत् धारा का।
उत्तर-
(b) विद्युत् ऊर्जा का
प्रश्न 10.
किसी स्त्रोत का वोल्टेज मापने के लिए सबसे श्रेष्ठ युक्ति है
(a) वोल्टमीटर
(b) वोल्टामीटर
(c) धारामापी
(d) विभवमापी।
उत्तर-
(d) विभवमापी।
प्रश्न 11.
धातुओं में इलेक्ट्रॉनों का श्रांतिकाल
(a) ताप में वृद्धि के साथ बढ़ता है
(b) ताप में वृद्धि के साथ घटता है
(c) ताप पर निर्भर नहीं करता है
(d) 400 K पर एकाएक परिवर्तित होता है।
उत्तर-
(b) ताप में वृद्धि के साथ घटता है
प्रश्न 12.
यदि P, Q, RAS व्हीटस्टोन सेतु की भुजाओं के प्रतिरोध हैं तो निम्नलिखित में से किस स्थिति में सेतु सर्वाधिक सुग्राही होगा
(a) P+ Q> R+S
(b)P-Q
(c)P = Q एवं R=S
(d) P=Q=R=S.
उत्तर-
(d) P=Q=R=S.
प्रश्न 13.
ओमीय प्रतिरोध है
(a) संधि डायोड
(b) प्रकाश उत्सर्जक डायोड
(c) ट्रांजिस्टर
(d) ताँबे का तार।
उत्तर-
(d) ताँबे का तार।
प्रश्न 14.
अतिचालक पदार्थ की चालकता होती है
(a) अनंत
(b) बहुत अधिक
(c) बहुत कम
(d) शून्य।
उत्तर-
(a) अनंत
प्रश्न 15.
तीन समान प्रतिरोध जिनमें से प्रत्येक का मान R है, चित्रानुसार जोड़े गये हैं। M और N के बीच तुल्य प्रतिरोध है RLR
(a)R
(b) 2R
(c) \(\frac{\mathrm{R}}{2}\)
(d) \(\frac{\mathrm{R}}{3}\)
उत्तर-
(d) \(\frac{\mathrm{R}}{3}\)
प्रश्न 16.
निम्न में से कौन-सा उपकरण व्हीटस्टोन सेतु के सिद्धान्त पर कार्य करता है
(a) मीटर सेतु
(b) विभवमापी
(c) धारामापी
(d) मोटर ।
उत्तर-
(a) मीटर सेतु
प्रश्न 17.
इलेक्ट्रॉनों का अनुगमन वेग सेमी/सेकण्ड में होता है
(a) 1010
(b) 104
(c) 10-7
(d) 10-2.
उत्तर-
(d) 10-2.
प्रश्न 18.
एक तार का प्रतिरोध 10Ω है। इसे एक वृत्त के रूप में मोड़ा गया है इसके किसी भी व्यास के सिरों के बीच तुल्य प्रतिरोध होगा
(a) \(\frac{1}{2}\) Ω
(b) \( \frac{3}{2} \) Ω
(c) \(\frac{5}{2}\) Ω
(d) \(\frac{5}{2}\) Ω
उत्तर-
(c) \(\frac{5}{2}\) Ω
प्रश्न 19.
यदि किसी तार को खींचकर उसकी लंबाई चार गुनी कर दी जाय, तो उसका विशिष्ट प्रतिरोध , होगा- ..
(a) सोलह गुना
(b) अपरिवर्तित
(c) चार गुना
(d) एक चौथाई।
उत्तर-
(b) अपरिवर्तित
प्रश्न 20.
3 ओम के प्रतिरोधों को समान्तर क्रम में जोड़ा गया है, तुल्य प्रतिरोध का मान होगा
(a) 90
(b) 10
(c) 32
(d) \(\frac{4}{3}\) Ω
उत्तर-
(b) 10
2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. ठोसों में विद्युत् धारा की दिशा इलेक्ट्रॉन के प्रवाह की ………….. में होती है।
उत्तर-
विपरीत दिशा
2. अनुप्रस्थ-काट का क्षेत्रफल कम करने पर धारा घनत्व का मान ………. होता है।
उत्तर-
बढ़ता
3. ………. के नियमानुसार किसी चालक की भौतिक अवस्था में परिवर्तन न हो तो उसमें प्रवाहित विद्युत् धारा उसके सिरों में आरोपित विभवान्तर के अनुक्रमानुपाती होता है।
उत्तर-
ओम
4. किसी चालक का प्रतिरोध उसकी लम्बाई बढ़ाने पर ……….. होता है।
उत्तर-
अधिक
5. किसी चालक के अनुप्रस्थ-काट का क्षेत्रफल कम करने पर उसका प्रतिरोध …………. है।
उत्तर-
बढ़ता
6. धात्वीय चालक का ताप बढ़ाने पर उसका प्रतिरोध …………. है।
उत्तर-
बढ़ता
7. किरचॉफ का प्रथम नियम ………… के संरक्षण नियम पर आधारित है।
उत्तर-
आवेश
8. प्रतिरोधों को श्रेणी क्रम में जोड़ने पर समूहन का प्रतिरोध ………….. है, किन्तु समान्तर क्रम में जोड़ने पर समूहन का प्रतिरोध में ………….. है।
उत्तर-
बढ़ता, कमी
9. विभवमापी के तार की लम्बाई बढ़ाने पर उसकी सुग्राहिता …………. है।
उत्तर-
बढ़ती
10. मीटर सेतु ……….. के सिद्धान्त पर कार्य करता है।
उत्तर-
व्हीटस्टोन ब्रीज
11. मिश्र धातुओं का विशिष्ट प्रतिरोध ……….. तथा प्रतिरोध ताप गुणांक ……….. होता है।
उत्तर-
अधिक, कम
12. विद्युत् परिपथ संबंधी किरचॉफ का प्रथम नियम ……… संरक्षण के अनुकूल है जबकि द्वितीय नियम ………….. संरक्षण के अनुकूल है।
उत्तर-
आवेश, ऊर्जा
13. सेल का आंतरिक प्रतिरोध इलेक्ट्रोड़ो के बीच दूरी बढ़ाने पर …….. है, जबकि क्षेत्रफल बढ़ाने पर ………… है।
उत्तर-
बढ़ता, कम होता
14. कम ताप पर किसी पदार्थ की प्रतिरोधकता के एकाएक शून्य हो जाने की घटना को ……कहते हैं।
उत्तर-
अतिचालकता
15. ओम के नियम का V – I ग्राफ एक …………… होती है।
उत्तर-
सरल रेखा।
3. उचित संबंध जोडिए
(A)
स्तम्भ’अ’ | स्तम्भ ‘ब’ |
1. ओम का नियम | (a) ΣIR = ΣE |
2. किरचॉफ का प्रथम नियम | (b) \(\frac{\mathrm{P}}{\mathrm{Q}}\) = \(\frac{\mathrm{R}}{\mathrm{S}}\) |
3. किरचॉफ का द्वितीय नियम | (c) \(\frac{\mathrm{E}_{\mathrm{l}}}{\mathrm{E}_{2}}\) =\(\frac{l_{1}}{l_{2}}\) |
4. व्हीटस्टोन सेतु का सिद्धान्त | (d) V = IR |
5. विभवमापी द्वारा दो सेलों में विद्युत् वाहक बलों की तुलन | (e) ΣI= 0. |
उत्तर-
1. (d) V = IR
2. (e) ΣI= 0.
3. (a) ΣIR = ΣE
4. (b) \(\frac{\mathrm{P}}{\mathrm{Q}}\) = \(\frac{\mathrm{R}}{\mathrm{S}}\)
5. (c) \(\frac{\mathrm{E}_{\mathrm{l}}}{\mathrm{E}_{2}}\) =\(\frac{l_{1}}{l_{2}}\).
(B)
स्तम्भ ‘अ’ | स्तम्भ ‘ब’ |
1. विशिष्ट प्रतिरोध | (a) मुक्त इलेक्ट्रॉन |
2. आंतरिक प्रतिरोध | (b) चालक |
3. प्रतिरोध | (c) सेल |
4. अनुगमन वेग | (d) पदार्थ |
5. वि. वा. बल क्या हाता है ? | (e) परिपथ के प्रतिरोध से मुक्त। |
उत्तर-
1. (d) पदार्थ
2. (c) सेल
3. (b) चालक
4. (a) मुक्त इलेक्ट्रॉन
5. (e) परिपथ के प्रतिरोध से मुक्त।