Students get through the MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता which are most likely to be asked in the exam.
MP Board Class 12th Physics Important Questions Chapter 2 स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता
स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
वैद्युत विभव से क्या तात्पर्य है? किसी बिन्दु आवेश के कारण किसी बिन्दु पर वैद्युत विभव के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए। [2001, 02, 06, 15, 17]
अथवा
किसी बिन्दु आवेश के कारण उससे µ दूरी पर वैद्युत विभव के लिए सूत्र की गणना कीजिए। [2010]
उत्तर :
बिन्दु आवेश के कारण किसी बिन्दु पर वैद्युत विभव (Electric Potential at a Point due to a Point Charge) – माना +q कूलॉम का बिन्दु आवेश, K परावैद्युतांक वाले माध्यम में बिन्दु 0 पर स्थित है (चित्र-2.19)। बिन्दु आवेश + q के कारण उत्पन्न वैद्युत क्षेत्र में बिन्दु O से r मीटर दूरी पर कोई बिन्दु A है, जहाँ पर वैद्युत विभव ज्ञात करना है।।
माना रेखा OA पर, बिन्दु O से x मीटर की दूरी पर कोई बिन्दु B है, जिस पर परीक्षण आवेश +qp स्थित है। .. कूलॉम के नियमानुसार बिन्दु आवेश + q के कारण, परीक्षण आवेश +qo पर लगने वाला वैद्युत बल
\(F=\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0} K} \frac{q q_{0}}{x^{2}}\)
वैद्युत विभव-वैद्युत क्षेत्र में, किसी धन परीक्षण आवेश (+ qo) को अनन्त से किसी बिन्दु तक लाने में किए गए कार्य (W) तथा परीक्षण आवेश के अनुपात को उस बिन्दु पर वैद्युत विभव कहते हैं। इसे ‘V’ से प्रदर्शित करते हैं।
वैद्युत विभव V = \(\frac{W}{q_{0}}\)
इसका मात्रक ‘जूल/कूलॉम’ या ‘वोल्ट’ है। यह एक अदिश राशि हैं।
परीक्षण आवेश +qo को बल F के विरुद्ध, बिन्दु B से बिन्दु C तक अनन्त सूक्ष्म दूरी dx लाने में किया गया अल्पांश कार्य
प्रश्न 2.
बिन्दु आवेशों के निकाय के कारण किसी बिन्दु पर वैद्युत विभव का व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
बिन्दु आवेशों के निकाय के कारण किसी बिन्दु पर वैद्युत विभव-वैद्युत विभव अदिश राशि है। इसकी दिशा नहीं होती है; अत: किसी बिन्दु पर कई आवेशों के कारण विभव को बीजगणितीय विधि से जोड़कर प्राप्त कर सकते हैं। यदि कोई बिन्दु, + q1,-q2,- -q3 तथा + q4 कूलॉम के बिन्दु आवेशों से क्रमशः r1 , r2 , r3 तथा r4 मीटर की दूरी पर हों तो उस बिन्दु पर परिणामी वैद्युत विभव, पृथक्-पृथक् वैद्युत आवेशों के कारण उत्पन्न वैद्युत विभवों के बीजगणितीय योग के बराबर होगा।
प्रश्न 3.
वैद्युत द्विध्रुव से क्या तात्पर्य है? किसी वैद्युत द्विधुव के कारण अक्षीय स्थिति में उत्पन्न वैद्युत विभव के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए। [2007, 08, 14, 18]
अथवा
किसी वैद्युत द्विध्रुव की अक्ष (अनुदैर्ध्य स्थिति) पर स्थित किसी बिन्दु पर वैद्युत विभव का सूत्र स्थापित कीजिए। [2012, 14, 15, 16, 17]
उत्तर :
वैद्युत द्विध्रुव-दो समान परिमाण एवं विपरीत प्रकृति के बिन्दु आवेशों को अत्यन्त निकट रखने पर बना निकाय, वैद्युत द्विध्रुव कहलाता है।
उदाहरण-HCl का अणु, H2O का अणु आदि।
वैद्युत द्विध्रुव की अक्ष पर स्थित किसी बिन्दु पर वैद्युत विभव (Electric Potential at a Point on the . Axis of the Electric Dipole) (अक्षीय अथवा अनुदैर्ध्य स्थिति : End-on Position)-माना AB वैद्युत द्विध्रुव K परावैद्युतांक के माध्यम में स्थित है, जिसके A सिरे पर + q आवेश तथा B सिरे पर -q आवेश एक-दूसरे से 21 दूरी पर स्थित हैं (चित्र 2.20)। इस वैद्युत द्विध्रुव के मध्य-बिन्दु 0 से 7 मीटर की दूरी पर इसकी अक्षीय स्थिति में कोई बिन्दु P है, जहाँ पर वैद्युत विभव ज्ञात करना है। बिन्दु P की +q आवेश से दूरी (r – 1) तथा – q आवेश से दूरी (r + 1) है। यदि इनके संगत विभव क्रमश: V1 व V2 हों तो
चूँकि वैद्युत विभव एक अदिश राशि है; अत: वैद्युत द्विध्रुव के कारण बिन्दु P पर परिणामी वैद्युत विभव v; दोनों विभवों V, तथा V, के बीजगणितीय योग (चिह्न सहित) के बराबर होगा।
अतः बिन्दु P पर परिणामी वैद्युत विभव
परन्तु 2 ql = p (वैद्युत द्विध्रुव का आघूर्ण) रखने पर, V \(V=\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0} K} \frac{p}{\left(r^{2}-l^{2}\right)}\) वोल्ट
यदि l का मान r के सापेक्ष बहुत कम हो (l <<r) तो l2 का मान r2 की तुलना में नगण्य माना जा सकता है।
अत: वैद्युत द्विध्रुव के कारण बिन्दु P पर वैद्युत विभव \(V=\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0} K} \frac{p}{r^{2}}\) वोल्ट
यदि माध्यम वायु अथवा निर्वात हो तो K = 1; अत: वैद्युत द्विध्रुव के कारण बिन्दु P पर वैद्युत विभव
\(V=\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0} K} \frac{p}{r^{2}}\) वोल्ट।
प्रश्न 4.
वैद्युत द्विध्रुव-आघूर्ण से आप क्या समझते हैं? सिद्ध कीजिए कि किसी वैद्युत द्विध्रुव की अनुप्रस्थ (निरक्षीय) स्थिति में किसी बिन्दु पर वैद्युत विभव शून्य होता है।
[2012, 13, 16]
उत्तर :
वैद्युत द्विध्रुव-आघूर्ण-वैद्युत द्विध्रुव के किसी एक आवेश के परिमाण तथा आवेशों के बीच की दूरी के गुणनफल को वैद्युत द्विध्रुव-आघूर्ण कहते हैं। इसे ‘p से प्रदर्शित करते हैं।
\(\overrightarrow{\mathrm{p}}=q \times 2 \vec{l}\)
इसका मात्रक ‘कूलॉम-मीटर’ है। यह एक सदिश राशि है जिसकी दिशा ऋणावेश से धनावेश की ओर होती है।
वैद्युत द्विध्रुव की निरक्षीय रेखा पर स्थित किसी बिन्दु पर वैद्युत विभव (Electric Potential due to an Electric Dipole on Equatorial Line)-माना AB वैद्युत द्विध्रुव K परावैद्युतांक के माध्यम में स्थित है, जिसके A सिरे पर +q आवेश तथा B सिरे पर – q आवेश एक-दूसरे से 2l दूरी पर स्थित हैं (चित्र 2.21)। वैद्युत द्विध्रुव के मध्य-बिन्दु O से r मीटर की दूरी पर निरक्षीय स्थिति में कोई बिन्दु P है, जहाँ पर वैद्युत विभव ज्ञात करना है। संलग्न चित्र से स्पष्ट है कि बिन्दु P की + q व -q दोनों आवेशों से दूरी \(\sqrt{r^{2}+l^{2}}\) के बराबर है।
अतः वैद्युत द्विध्रुव के कारण निरक्षीय स्थिति में किसी बिन्दु पर वैद्युत विभव शून्य होता है (वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता शून्य नहीं होती है)।
प्रश्न 5.
किसी वैद्युत द्विध्रुव के कारण किसी व्यापक बिन्दु पर उत्पन्न वैद्युत विभव के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
किसी वैद्युत द्विध्रुव के कारण किसी व्यापक हिन्दु पर वैद्युत विभव-माना एक वैद्युत द्विध्रुव AB, दो बिन्दु आवेशों +q तथा -q से मिलकर बना है, जिनके बीच की दूरी 2l है। हमें वैद्युत द्विध्रुव के केन्द्र O से r दूरी पर स्थित बिन्दु P, जिसके ध्रुवीय निर्देशांक (r,θ) हैं, पर वैद्युत विभव ज्ञात करना है।
अत: OP = r तथा ∠AOP = θ
बिन्दु A से रेखा OP पर तथा बिन्दु B से बढ़ती हुई रेखा OP पर
लम्ब क्रमश: AM व BN डालते हैं (चित्र-2.22)।
Δ OMA तथा Δ ONB mem ,
OM = ON = I cosθ
अतः AP = MP = (r – l cos θ)
तथा BN = NP = (r + l cos तथा)
प्रश्न 6.
आवेश q को a तथा b (b > a) त्रिज्या वाले दो संकेन्द्री खोखले गोलों पर इस प्रकार वितरित किया .. गया है कि तलीय आवेश घनत्व समान हैं। इन दोनों गोलों के उभयनिष्ठ केन्द्र पर विभव की गणना कीजिए। [2012]
हल :
माना गोलों को दिया गया आवेश q उन पर क्रमशः q1 व q2 के रूप में वितरित हो जाता है।
अतः q= q1 + q2 ………………(1)
दोनों गोलों के पृष्ठीय आवेश घनत्व समान हैं।
q2 का मान समीकरण (1) में रखने पर,
प्रश्न 7.
विभव प्रवणता से क्या तात्पर्य है? वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता तथा विभव प्रवणता में सम्बन्ध स्थापित कीजिए। [2012]
उत्तर :
विभव प्रवणता (Potential Gradient)—किसी वैद्युत क्षेत्र में दूरी के सापेक्ष विभव परिवर्तन की दर को विभव प्रवणता कहते हैं। विभव प्रवणता का मात्रक वोल्ट/मीटर है। यह एक सदिश राशि है जिसकी दिशा उच्च विभव से निम्न विभव की ओर होती है।
माना बिन्दु 0 पर स्थित बिन्दु आवेश +q के कारण X-अक्ष के अनुदिश वैद्युत क्षेत्र E की दिशा में बिन्दु 0 से x तथा (x + Ax) दूरियों पर दो बिन्दु क्रमश: A तथा B स्थित हैं, जिन पर वैद्युत विभव क्रमश: V तथा (V-ΔV) हैं।
अतः विभव प्रवणता \(\frac{(V-\Delta V)-V}{(x+\Delta x)-x}=-\frac{\Delta V}{\Delta x}\)
वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता तथा विभव प्रवणता में सम्बन्ध (Relation between Intensity of Electric Field and Potential Gradient)—माना वैद्युत क्षेत्र E में, परीक्षण धन आवेश +qo को बिन्दु B से बिन्दु A तक लाया जाता है तथा इस परीक्षण आवेश +qo पर एक वैद्युत बल F वैद्युत क्षेत्र E की दिशा में कार्य करता है।
अतः F=qo x E ……………(1)
माना परीक्षण आवेश +qo को बिन्दु B से बिन्दु A तक ले जाने में बाह्य कर्ता द्वारा वैद्युत बल F के विरुद्ध किया गया कार्य ΔW है तो
समीकरण (2) तथा समीकरण (3) की तुलना करने पर,
– E x Δx = ΔV
अतः वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता E=-\frac{\Delta V}{\Delta x} वोल्ट/मीटर
ΔV/Δx को ही विभव प्रवणता कहते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता, ऋणात्मक विभव प्रवणता के बराबर होती है। यहाँ पर ऋण चिह्न यह प्रदर्शित करता है कि वैद्युत क्षेत्र की दिशा में वैद्युत विभव का मान घटता है।
प्रश्न 8.
एक आवेशित इलेक्ट्रॉन किसी एकसमान वैद्युत क्षेत्र में, क्षेत्र के लम्बवत् दिशा में गति करता हुआ प्रवेश करता है। दिखाइए कि वैद्युत क्षेत्र के भीतर इस इलेक्ट्रॉन का गमन पथ परवलयाकार होगा।
उत्तर :
एकसमान वैद्युत क्षेत्र में एक आवेशित इलेक्ट्रॉन का गमन-पथ (Path of a Charged Electron in an Uniform Electric Field) –
(i) जब इलेक्ट्रॉन का प्रारम्भिक वेग वैद्युत क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् है (When initial velocity of an electron is perpendicular to electric field)—mana धातु की दो समान्तर प्लेटें जिन पर विपरीत आवेश हैं, एक-दूसरे से कुछ दूरी पर स्थित हैं। इन प्लेटों के बीच के स्थान में वैद्युत क्षेत्र एकसमान है। माना ऊपरी प्लेटधनावेशित है, जबकि नीचे की प्लेट ऋणावेशित है; अतः वैद्युत क्षेत्र E कागज के तल में नीचे की ओर दिष्ट होगा (चित्र 2.25)।
माना एक इलेक्ट्रॉन जिस पर आवेश – e तथा द्रव्यमान m है जो X-अक्ष के अनुदिश गतिमान है तथा v वेग से वैद्युत क्षेत्र E में प्रवेश करता है। चूँकि वैद्युत क्षेत्र Y-अक्ष की ऋणात्मक दिशा में नीचे की ओर है; अत: इलेक्ट्रॉन पर Y-अक्ष के अनुदिश लगने वाला बल F = eE.
‘इलेक्ट्रॉन पर X-अक्ष के अनुदिश कोई बल कार्य नहीं करेगा।
इस बल के कारण इलेक्ट्रॉन की गति में उत्पन्न तवरण \(a=\frac{F}{m}=\frac{e E}{m}\)
चूँकि इलेक्ट्रॉन का X-अक्ष के अनुदिश प्रारम्भिक वेग v तथा त्वरण शून्य है; अत: X-अक्ष के अनुदिश t सेकण्ड में चली गई दूरी
x= vt
चूँकि इलेक्ट्रॉन का Y-अक्ष के अनुदिश प्रारम्भिक वेग शून्य तथा त्वरण a है; अत: Y-अक्ष के अनुदिश t सेकण्ड में चली गई दूरी
यह समीकरण y = cx2 के समरूप है तथा परवलय निरूपित करती है। अत: वैद्युत क्षेत्र में अभिलम्बवत् प्रवेश करने वाले आवेशित इलेक्ट्रॉन का गमन-पथ परवलयाकार होता है।
(ii) जब इलेक्ट्रॉन का प्रारम्भिक वेग वैद्युत क्षेत्र की दिशा के अनुदिश है-इस स्थिति में वैद्युत क्षेत्र द्वारा उत्पन्न त्वरण अथवा मन्दन इलेक्ट्रॉन के प्रारम्भिक वेग की ही दिशा में होता है; अत: आवेशित इलेक्ट्रॉन का गमन-पथ ऋजुरेखीय होता है।
प्रश्न 9.
वैद्युत स्थितिज ऊर्जा से क्या अभिप्राय है? q1 व q2 कूलॉम के दो आवेशों की स्थितिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए , जबकि उनके बीच की दूरी r मीटर है।
उत्तर :
वैद्युत स्थितिज ऊर्जा (Electric Potential Energy)—“किन्हीं दो अथवा दो से अधिक बिन्दु आवेशों को अनन्त से एक-दूसरे के समीप लाकर निकाय की रचना करने में कृत कार्य उन आवेशों से बने निकाय में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है। इस ऊर्जा को ही निकाय की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।” इसे प्रायः ‘U’ से प्रदर्शित करते हैं।
अत: “दो या दो से अधिक बिन्दु आवेशों के किसी निकाय की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा उस कार्य के बराबर होती है जो उन आवेशों को अनन्त दूरी से
परस्पर निकट लाकर निकाय की रचना करने में किया जाता है।
दो वैद्युत आवेशों से बने निकाय की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा का व्यंजक-माना एक आवेश निकाय AB दो बिन्दु आवेशों + q1 व + q2 से मिलकर बना है जो कि एक-दूसरे से । दूरी पर निर्वात अथवा वायु में स्थित हैं (चित्र 2.26)।
माना +q2 आवेश, बिन्दु B पर न होकर अनन्त पर स्थित है, तब आवेश + q1 के कारण बिन्दु B पर
वैद्युत विभव की परिभाषानुसार आवेश +q2 को अनन्त से बिन्दु B तक लाने में किया गया कार्य
W = आवेश × बिन्दु B का विभव
यह कार्य W ही +q1 व +q2 से बने वैद्युत निकाय की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा U है।
अत: निकाय (q1 + q2) की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा \(U=\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{q_{1} q_{2}}{r}\) जल। ……….(2)
यदि दोनों आवेश समान प्रकार के हों तो वे एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करेंगे; अत: उन्हें एक-दूसरे के समीप लाने में क्षेत्र के विरुद्ध कार्य करना पड़ेगा; अत: ऐसे निकाय की ऊर्जा धनात्मक होगी। इसके विपरीत विजातीय आवेशों को परस्पर समीप लाकर निकाय की रचना करने में, कार्य क्षेत्र के द्वारा किया जाएगा; अत: ऐसे निकाय की ऊर्जा ऋणात्मक होगी; अत: ऊर्जा का चिह्न सहित मान ज्ञात करने के लिए उपयुक्त सूत्र (2) में q1 व q2 के मान चिह्नसहित रखने चाहिए।
प्रश्न 10.
यदि किसी वैद्युत द्विध्रुव को एक समरूप वैद्युत क्षेत्र में 4 कोण से घुमाया जाता है तो इस क्रिया में किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
उत्तर :
एकसमान वैद्युत क्षेत्र में वैद्युत द्विध्रुव को घुमाने में कृत कार्य (Work Done in Rotating an Electric Dipole in an Uniform Electric Field)—माना p वैद्युत द्विध्रुव-आघूर्ण का एक वैद्युत द्विध्रुव AB किसी एकसमान वैद्युत क्षेत्र E में रखा है तथा वैद्युत द्विध्रुव को वैद्युत क्षेत्र के भीतर घुमाया जा रहा है (चित्र 2.27)। माना किसी क्षण वैद्युत द्विध्रुव-आघूर्ण p की दिशा वैद्युत क्षेत्र की दिशा से θ कोण बनाती है, तब वैद्युत द्विध्रुव पर वैद्युत क्षेत्र के कारण कार्य करने वाले बलयुग्म का आघूर्ण
t = pE sinθ
वैद्युत द्विध्रुव AB को इस स्थिति से आगे अल्पांश कोण dθ द्वारा घुमाने में वैद्युत क्षेत्र के विरुद्ध कृत कार्य
dw = बल-युग्म का आघूर्ण x कोणीय विस्थापन
= t x dθ = pE sin θ x dθ
अत: वैद्युत द्विध्रुव को प्रारम्भिक स्थिति θ = θ1 से अन्तिम स्थिति θ = θ2 तक घुमाने में कृत कार्य
यदि प्रारम्भ में वैद्युत द्विध्रुव बाह्य क्षेत्र की दिशा में अनुरेखित है अर्थात् θ1 = 0°,
तब वैद्युत द्विध्रुव को θ कोण से घुमाने में कृत कार्य W = pE (cos 0° – cosθ) [∵ θ2= θ]
अतः W = pE(1 – cos θ)
विशेष स्थितियाँ-1. यदि θ = 90° है अर्थात् वैद्युत द्विध्रुव को क्षेत्र की दिशा से 90° घुमाया जाए तो
W = pE (1 – cos 90°) = pE (1 – 0)= PE .
2. यदि θ = 180° है अर्थात् वैद्युत द्विध्रुव को क्षेत्र की दिशा से 180° घुमाया जाए तो
W = pE (1 – cos 180°) = pE [1 – (-1)] = 2pE.
प्रश्न 11.
एकसमान वैद्युत क्षेत्र में स्थित वैद्युत द्विध्रुव की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा की गणना कीजिए। वैद्युत द्विध्रुव को क्षेत्र के लम्बवत् रखने पर वैद्युत स्थितिज ऊर्जा क्या होगी?
उत्तर :
एकसमान वैद्युत क्षेत्र में वैद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy of an Electric Dipole in an Uniform Electric Field)—“वैद्युत क्षेत्र में किसी वैद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा उस कार्य के बराबर होती है जो कि वैद्युत द्विध्रुव को अनन्त से वैद्युत क्षेत्र के भीतर लाने में करना पड़ता है।”
माना AB वैद्युत द्विध्रुव + q तथा -q आवेशों से मिलकर बना है जिनके बीच की दूरी 2l है। इस वैद्युत द्विध्रुव को अनन्त से किसी एकसमान वैद्युत क्षेत्र E में इस प्रकार लाया जाता है कि वैद्युत द्विध्रुव के आघूर्ण p की दिशा सदैव वैद्युत क्षेत्र E की दिशा के समान्तर रहे (चित्र-2.28)। वैद्युत क्षेत्र E के कारण + q आवेश पर बल F = qE क्षेत्र की दिशा में तथा -q आवेश पर बल F = qE क्षेत्र की विपरीत दिशा में लगता है; अत: वैद्युत
द्विध्रुव को अनन्त से वैद्युत क्षेत्र में लाने के लिए +q आवेश पर बाह्य कर्ता द्वारा कार्य किया जाएगा, जबकि -q आवेश पर स्वयं वैद्युत क्षेत्र कार्य करेगा। वैद्युत द्विध्रुव को अनन्त से वैद्युत क्षेत्र के भीतर लाने में -q आवेश; + q आवेश से 2l दूरी अधिक चलता है। इस कारण -q आवेश पर वैद्युत क्षेत्र द्वारा किया गया कार्य अधिक होगा तथा इसका मान ऋणात्मक होगा; अत: वैद्युत द्विध्रुव को अनन्त से वैद्युत क्षेत्र के भीतर लाने में वैद्युत क्षेत्र द्वारा किया गया नैट कार्य
W1= आवेश (-q) पर बल.x आवेश द्वारा चली गई अतिरिक्त दूरी (AB)
= – qE x 2l = – pE
जहाँ q x 2l =p वैद्युत द्विध्रुव-आघूर्ण है। यह कार्य ही वैद्युत क्षेत्र में क्षेत्र के समान्तर रखे वैद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा है। इसे ‘U0‘ से प्रदर्शित करते हैं।
अतः Uo = – pE
वैद्युत द्विध्रुव की इस स्थिति को स्थायी सन्तुलन (stable equilibrium) की स्थिति कहते हैं।
यदि वैद्युत द्विध्रुव को वैद्युत क्षेत्र के भीतर θ कोण से घुमाएँ तो वैद्युत द्विध्रुव पर किया गया कार्य
W2 = pE (1 – cos θ)
इसके कारण वैद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा बढ़ जाएगी; अत: θ कोण की स्थिति में वैद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा .
Uθ = Uo + W2 = – pE + pE (1 – cos θ) = – pE cos θ
यह वैद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा का व्यापक समीकरण है।
विशेष स्थितियाँ-1. यदि θ = 0° है अर्थात् वैद्युत द्विध्रुव, वैद्युत क्षेत्र की दिशा में है, तब स्थितिज ऊर्जा
Uo = – pE
इस स्थिति में वैद्युत द्विध्रुव स्थायी सन्तुलन (stable equilibrium) में होगा; अत: स्थितिज ऊर्जा न्यूनतम होगी।
2. यदि θ = 90° है अर्थात् वैद्युत द्विध्रुव, वैद्युत क्षेत्र E के लम्बवत् है, तब स्थितिज ऊर्जा
U90°= – pE cos 90° = 0
अर्थात् यदि वैद्युत द्विध्रुव को वैद्युत क्षेत्र E के लम्बवत् रखकर अनन्त से लाएँ तो वैद्युत द्विध्रुव पर कोई कार्य नहीं करना पड़ेगा।
3. यदि θ = 180° है अर्थात् वैद्युत द्विध्रुव को स्थायी सन्तुलन से 180° घुमाने पर स्थितिज ऊर्जा
U180° = – pE cos 180° = + pE
इस स्थिति में, वैद्युत द्विध्रुव अस्थायी सन्तुलन (unstable equilibrium) में होगा।
प्रश्न 12.
किसी आवेशित चालक में संगृहीत स्थितिज ऊर्जा के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए।
अथवा
सिद्ध कीजिए कि किसी आवेशित चालक की स्थितिज ऊर्जा \(U=\frac{1}{2} C V^{2}\) अथवा \(\frac{1}{2} \frac{q^{2}}{C}\) होती है, जहाँ c चालक की धारिता, q चालक पर आवेश तथा V उसका विभव है। [2011]
उत्तर :
आवेशित चालक की स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy of a Charged Conductor)- “किसी चालक को आवेशित करने में किए गए सम्पूर्ण कार्य को आवेशित चालक की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।”
माना C धारिता वाले किसी चालक को आवेशित किया जा रहा है। माना आवेशन की क्रिया में किसी क्षण चालक . . पर उपस्थित आवेश की मात्रा 41 है तथा चालक का विभव V1 है, तब
सूत्र q1 = CV1 से, V1 = q1/C
अब अनन्त सूक्ष्म आवेश dq को अनन्त से लाकर, V1 विभव पर चालक को देने में किया गया कार्य
dW = V1 x dq = (q1/C) x dq
माना आवेशन की क्रिया में चालक को कुल q आवेश दिया जाता है, तब चालक को q1 = 0 से q1 = q
विशेष स्थितियाँ-1. चालक की स्थितिज ऊर्जा सदैव धनात्मक होती है चाहे चालक को धन आवेश देकर आवेशित किया जाए अथवा ऋण आवेश देकर।
2. यदि आवेशित चालक के सम्पूर्ण आवेश को किसी चालक तार अथवा प्रतिरोध में प्रवाहित करके इसे निरावेशित कर दिया जाए तो उसकी सम्पूर्ण वैद्युत स्थितिज ऊर्जा चालक तार में ऊष्मा में बदल जाती है।
प्रश्न 13.
(i) सिद्ध कीजिए कि दो आवेशित चालकों को परस्पर स्पर्श कराके अलग कर देने से उन पर आवेश, चालकों की धारिताओं के अनुपात में बँट जाएगा।. – (ii) सिद्ध कीजिए कि आवेशों के पुनर्वितरण में ऊर्जा का ह्रास होता है। यह ऊर्जा किस रूप में लुप्त होती है? अथवा दो आवेशित चालकों को तार द्वारा जोड़ने पर ऊर्जा हानि के सूत्र का निगमन कीजिए। [2008, 17]
अथवा सिद्ध कीजिए कि दो आवेशित चालकों को तार से जोड़ने पर आवेश के पूर्ण वितरण के दौरान सदैव ऊर्जा की हानि होती है तथा ऊर्जा-हानि का व्यंजक प्राप्त कीजिए। [2018]
उत्तर :
(i) आवेशों का पुनर्वितरण (Redistribution of Charges)- माना दो पृथक्कृत चालकों A तथा B की धारिताएँ क्रमश: C1 व C2 हैं। जब इन चालकों को q1 व q2 आवेश दिया जाता है तो इनके विभव क्रमश: V1 व V2 हो जाते हैं।
अत: चालक A पर आवेश q1 = C1V1 तथा चालक B पर आवेश q2 = C2V2
यदि इन चालकों को एक चालक तार द्वारा जोड़ दें तो धन आवेश उच्च विभव वाले चालक से निम्न विभव वाले चालक की ओर तब तक बहता है जब तक कि दोनों चालकों का विभव समान नहीं हो जाता है (चित्र 2.29)। इस विभव को उभयनिष्ठ विभव (V) कहते हैं। इस प्रकार दो आवेशित चालकों को आपस में जोड़ने पर आवेश का पुनर्वितरण होता है, यद्यपि आवेश की कुल मात्रा (q1 +q2) ही रहती है।
माना दोनों चालक एक-दूसरे से पर्याप्त दूरी पर हैं तथा जोड़ने वाले चालक तार की वैद्युत धारिता नगण्य है।
चूँकि q1= C1V1 तथा q2 = C2V2 अतः चालकों पर कुल आवेश q = q1 + q2 = C1V1 + C2V2 ………………(1)
माना चालकों को तार द्वारा जोड़ने के बाद उन पर आवेश क्रमशः q1‘ व q2‘ तथा दोनों का उभयनिष्ठ विभव V हो जाता है, तब
प्रथम च (क पर आवेश q’1 = C1V ………………(2)
तथा दूसरे चालक पर आवेश q’2 = C2V ………………(3)
समीकरण (2) को समीकरण (3) से भाग देने पर,
\(\frac{q_{1}^{\prime}}{q_{2}^{\prime}}=\frac{C_{1} V}{C_{2} V}=\frac{C_{1}}{C_{2}}\)
अर्थात् दो आवेशित चालकों को परस्पर जोड़ने पर, चालकों पर आवेश का पुनर्वितरण उनकी धारिताओं के अनुपात में होता है।
अब संयोजन पर कुल आवेशq = q’1 + q’2 = q1 + q2
अथवा C1V + C2V = C1V2 +C2V2
अथवा
V(C1 + C2) = C1V1 + C2V2
अतः उभयनिष्ठ विभव \(V=\frac{C_{1} V_{1}+C_{2} V_{2}}{C_{1}+C_{2}}=\frac{q_{1}+q_{2}}{C_{1}+C_{2}}\) ………….(4)
स्थानान्तरित आवेश की मात्रा (Quantity of Transferred Charge)-चूँकि चालकों को परस्पर जोड़ने से पहले, चालक A पर आवेश q1 है तथा चालक तार द्वारा जोड़ने के पश्चात् इस पर आवेश q’1 रह जाता है।
अत: चालक A से चालक B पर स्थानान्तरित आवेश की मात्रा
(ii) आवेशों के पुनर्वितरण में ऊर्जा का ह्रास (Loss of Energy in Redistribution of Charges)—आवेशों के पुनर्वितरण की प्रक्रिया में जब आवेश चालक तार में प्रवाहित होता है तो इस क्रिया में कुछ कार्य किया जाता है। यह कार्य ऊष्मा के रूप में क्षय होता है। इस प्रकार दोनों चालकों के आवेश की कुल मात्रा तो वही रहती है, परन्तु चालकों की कुल स्थितिज ऊर्जा कम हो जाती है। जोड़ने से पूर्व
पहले चालक A की स्थितिज ऊर्जा U1 = = \(\frac { 1 }{ 2 }\)C1V12
दूसरे चालक B की स्थितिज ऊर्जा U2 = = \(\frac { 1 }{ 2 }\)C2V22
अत: जोड़ने से पूर्व दोनों चालकों की कुल स्थितिज ऊर्जा U = U1 + U2 = \(\frac { 1 }{ 2 }\)C1V12 + \(\frac { 1 }{ 2 }\)C2V22)
इस समीकरण में C1 व C2 दोनों धनात्मक हैं तथा (V1~V2)2 पूर्ण वर्ग होने के कारण एक धनात्मक संख्या है; अत: ∆U = (U – U’) भी धनात्मक संख्या है। यह तभी सम्भव है जबकि U’
प्रश्न 14.
समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता के लिए सूत्र का निगमन कीजिए। इसकी धारिता को किस प्रकार बढ़ाया जा सकता है? [2013, 14, 15, 16, 17]
अथवा
किसी समान्तर प्लेट वायु संधारित्र की धारिता का व्यंजक व्युत्पन्न कीजिए। [2011, 18]
उत्तर :
समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता का व्यंजक (Expression for Capacitance of a Parallel Plate Capacitor)-दो समतल तथा समान्तर धातु की प्लेटों एवं उनके बीच स्थित वैद्युतरोधी माध्यम से बने संकाय को समान्तर प्लेट संधारित्र कहते हैं।
माना P1 व P2 धातु की दो समतल प्लेटें हैं, जिनके बीच की दूरी d तथा प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल A है। माना प्लेटों के बीच भरे माध्यम का परावैद्युतांक K है। जब प्लेट P1 को + q आवेश दिया जाता है तो प्लेट P2 पर प्रेरण के कारण -q आवेश उत्पन्न हो जाता है। चूंकि प्लेट P2 पृथ्वी से जुड़ी है इसीलिए इसके बाह्य तल का + q आवेश पृथ्वी से आने वाले इलेक्ट्रॉनों द्वारा निरावेशित हो जाता है। इस प्रकार प्लेटों P व P2 पर बराबर तथा विपरीत प्रकार के आवेश होंगे; अतः प्रत्येक प्लेट पर आवेश का पृष्ठ घनत्व
समीकरण (2) से स्पष्ट है कि समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती है –
1. प्लेटों के क्षेत्रफल A पर – C ∝ A अर्थात् धारिता प्लेटों के क्षेत्रफल के अनुक्रमानुपाती होती है; अत: संधारित्र की धारिता बढ़ाने के लिए प्लेटों का क्षेत्रफल A अधिक होना चाहिए अर्थात् प्लेटें बड़े क्षेत्रफल की लेनी चाहिए।
2. प्लेटों के बीच की दूरी d पर-C ∝ 1/d अर्थात् धारिता प्लेटों के बीच की दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होती है; अतः संधारित्र की धारिता बढ़ाने के लिए प्लेटों के बीच की दूरी d कम होनी चाहिए अर्थात् प्लेटें एक-दूसरे के समीप रखनी चाहिए।
3. प्लेटों के बीच के माध्यम पर-C ∝ K अर्थात् धारिता माध्यम के परावैद्युतांक के अनुक्रमानुपाती होती है; अतः संधारित्र की धारिता बढ़ाने के लिए प्लेटों के बीच ऐसा माध्यम अर्थात् पदार्थ रखना चाहिए जिसका परावैद्युतांक (K) अधिक हो।
समान्तर प्लेट वायु संधारित्र की धारिता–यदि प्लेटों के बीच निर्वात (अथवा वायु ) हो अर्थात् K = 1 तो संधारित्र की धारिता
\(C_{0}=\frac{\varepsilon_{0} A}{d}\)फैरड
संधारित्र की धारिता के पद में परावैद्युतांक की परिभाषा–जब समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के बीच परावैद्युत माध्यम भरा है तो संधारित्र की धारिता \(C_{0}=\frac{K\varepsilon_{0} A}{d}\) जब समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के बीच वायु अथवा निर्वात है तो संधारित्र की धारिता \(C_{0}=\frac{\varepsilon_{0} A}{d}\)
अत: \(\frac{C}{C_{0}}=\frac{K \varepsilon_{0} A / d}{\varepsilon_{0} A / d}=K\) अथवा C = KC0
अत: यदि प्लेटों के बीच निर्वात के स्थान पर परावैद्युत माध्यम हो तो संधारित्र की धारिता K गुना बढ़ जाएगी।
अतः “किसी माध्यम का परावैद्युतांक (dielectric constant) उस माध्यम से युक्त संधारित्र की धारिता तथा उसी आकार के निर्वात अथवा वायु. संधारित्र की धारिता के अनुपात के बराबर होता है (अर्थात् K = C/C0)
प्रश्न 15.
समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता के लिए सूत्र का निगमन कीजिए , जब इसकी प्लेटों के बीच आंशिक रूप से परावैद्युत पदार्थ रखा हो।[2013]]
अथवा
t मोटाई तथा K परावैद्युतांक वाले पदार्थ से आंशिक रूप से भरे एक समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता के लिए व्यंजक व्युत्पन्न कीजिए।[2005, 09]
उत्तर :
समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता, जब उसकी प्लेटों के बीच आंशिक रूप से परावैद्युतांक रखा हो (Capacity of Parallel Plate Capacitor when Partially Filled with Dielectric)-माना P1 व P2 समान्तर प्लेट संधारित्र की दो प्लेटें हैं, जिनके बीच की दूरी d है एवं प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल A है। माना t मोटाई की परावैद्युत पदार्थ की एक प्लेट संधारित्र की प्लेटों के बीच रखी है। इस प्रकार प्लेटों के बीच (d – t) मोटाई में वायु तथा t मोटाई में परावैद्युत माध्यम है। प्लेट P1 को +q आवेश देने पर प्रेरण के कारण प्लेट P2 पर -q आवेश उत्पन्न हो जाता है,
चूँकि K का मान सदैव 1 से अधिक होता है; अतः प्लेटों के बीच प्रभावी दूरी d से कुछ कम हो जाती है, जिससे संधारित्र की धारिता बढ़ जाती है।
विशेष स्थितियाँ-1. यदि प्लेटों के बीच पूरे स्थान में परावैद्युतांक भरा हो (अर्थात् t = d) तो
2. यदि प्लेटों के बीच पूरे स्थान में वायु अथवा निर्वात हो (अर्थात् t = 0) तो
3. यदि प्लेटों के बीच 1 मोटाई की धातु की पट्टी हो (K = ∞) तो
4. यदि प्लेटों के बीच K1, K2, K3,…., Kn परावैद्युतांकों की पट्टियाँ रखी हों, जिनकी मोटाइयाँ क्रमशः t1 , t2 , t3, ….. , tn हों तो
5. यदि प्लेटों के बीच पूरे स्थान में परावैद्युत की पट्टियाँ भरी हों तो d = t1 + t2 + t3 + …. + tn
प्रश्न 16.
श्रेणीक्रम में जुड़े तीन संधारित्रों की तुल्य धारिता के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
श्रेणीक्रम में (In Series) जुड़े संधारित्र—माना तीन संधारित्रों को, जिनकी धारिताएँ C1, C2 व C3 हैं, श्रेणीक्रम में चित्रानुसार जोड़ा गया है।
जब किसी वैद्युत स्रोत द्वारा संधारित्र C1की पहली प्लेट को +q आवेश देते हैं। प्रेरण द्वारा इसकी दूसरी प्लेट पर -q आवेश उत्पन्न हो जाता है तथा इस प्लेट का स्वतन्त्र आवेश + q; दूसरे संधारित्र C2 की पहली प्लेट पर चला जाता है और संधारित्र C2 की दूसरी प्लेट पर -q आवेश उत्पन्न हो जाता है।
अतः “श्रेणीक्रम में जुड़े संधारित्रों की तुल्य धारिता का व्युत्क्रम, उन संधारित्रों की अलग-अलग धारिताओं के व्युत्क्रमों के योग के बराबर होता है।” वास्तव में तुल्य धारिता का मान श्रेणीक्रम में जुड़े सबसे कम धारिता वाले संधारित्र की धारिता से भी कम होता है।
श्रेणीक्रम में जडे संधारित्रों के लिए-1. सभी संधारित्रों पर आवेश की मात्रा समान रहती है।
2. संयोजन के सिरों के बीच आरोपित कुल विभवान्तर, अलग-अलग संधारित्रों की प्लेटों के बीच उत्पन्न विभवान्तर के योग के बराबर होता है अर्थात् V = V1 + V2 +V3
इसीलिए श्रेणीक्रम संयोग का प्रयोग तब करते हैं, जबकि किसी ऊँचे वोल्टेज को (जिसे अकेला संधारित्र सहन न कर सके), अनेक संधारित्रों पर विभाजित करना होता है।
3. इस संयोजन में न्यूनतम धारिता वाले संधारित्र की प्लेटों के बीच विभवान्तर अधिकतम होता है।
प्रश्न 17.
समान्तर क्रम में जुड़े तीन संधारित्रों की तुल्य धारिता के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए। अथवा संधारित्रों के समान्तर संयोजन के तुल्य संधारित्र की धारिता के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए। [2004]
उत्तर :
समान्तर क्रम में (In Parallel) जुड़े संधारित्र-माना तीन संधारित्रों को, जिनकी धारिताएँ C1,C2 व C3 हैं, समान्तर क्रम में बिन्दु A व B के बीच जोड़ा गया है। इसमें सभी संधारित्रों की पहली प्लेटों को एक बिन्दु A से तथा दूसरी प्लेटों को दूसरे बिन्दु B से जोड़ते हैं और बिन्दु B को पृथ्वी से जोड़ देते हैं। यदि किसी वैद्युत स्रोत द्वारा बिन्दु A को + q आवेश दिया जाता है तो यह आवेश तीनों संधारित्रों पर उनकी धारिताओं के अनुपात में बँट जाता है। प्रेरण की क्रिया से संधारित्रों की दूसरी प्लेटों के अन्दर वाले तलों पर बराबर व विपरीत ऋण आवेश उत्पन्न हो जाता है तथा बाहरी तलों पर उत्पन्न धन आवेश पृथ्वी से आने वाले इलेक्ट्रॉनों द्वारा निरावेशित हो जाता है। चूँकि तीनों संधारित्र बिन्दुओं A व B के बीच जुड़े हैं; अत: प्रत्येक संधारित्र की प्लेटों के बीच विभवान्तर समान होगा। माना यह विभवान्तर V है तथा संधारित्रों पर आवेश क्रमश: q1; q2व q3 हैं, तब q1 = C1V, q2 = C2V तथा q3 = C3V तीनों संधारित्रों पर कुल आवेश
q= q1 + q2 + q3
= C1V + C2V + C3V
= V (C1 + C2+ C3)………..(1)
यदि इन तीनों संधारित्रों के स्थान पर एक ऐसा संधारित्र लगाया जाए जिसे 4 आवेश देने पर उसकी प्लेटों के बीच विभवान्तर V हो जाए, तो वह तुल्य संधारित्र होगा। यदि इस संधारित्र की धारिता C हो तो
समीकरण (1) व समीकरण (2) की तुलना करने पर,
VC = V(C1 + C2 + C3)
अतः C = C1 + C2 + C3
अत: “समान्तर क्रम में जुड़े संधारित्रों की तुल्य धारिता, उन संधारित्रों की अलग-अलग धारिताओं के योग के बराबर होती है।” इस प्रकार संधारित्रों को जोड़कर धारिता बढ़ाई जा सकती है।
समान्तर क्रम में जुड़े संधारित्रों के लिए –
1. सभी संधारित्रों की प्लेटों के बीच विभवान्तर (V) समान रहता है।
2. संधारित्रों के निकाय का कुल आवेश, उनके अलग-अलग आवेशों के योग के बराबर होता है।
अर्थात् q= q1 + q2 + q3
संधारित्रों पर अलग-अलग आवेश, उनकी धारिताओं के अनुपात में होता है।
4. समान्तर-संयोजन का प्रयोग तब करते हैं, जबकि कम विभव पर अधिक धारिता की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 18.
किसी आवेशित संधारित्र की ऊर्जा से क्या तात्पर्य है? किसी आवेशित संधारित्र की ऊर्जा के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए। यह ऊर्जा कहाँ रहती है?
अथवा
सिद्ध कीजिए कि आवेशित संधारित्र की स्थितिज ऊर्जा U = \(\frac { 1 }{ 2 }\)CV2जहाँ C संधारित्र की धारिता तथा V विभवान्तर हैं। [2016, 17]
उत्तर :
आवेशित संधारित्र की स्थितिज ऊर्जा का व्यंजक (Expression for Potential Energy of a Charged Capacitor)—किसी संधारित्र को आवेशित करने में जो कार्य करना पड़ता. है, वह संधारित्र में वैद्युत स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है, जब संधारित्र को किसी प्रतिरोध तार से जोड़ा जाता है तो आवेश का प्रवाह तार में हो जाता है, जिस कारण संधारित्र विसर्जित हो जाता है तथा संधारित्र द्वारा संचित ऊर्जा ऊष्मा के रूप में प्रकट होती है।
माना C धारिता के संधारित्र को आवेशित किया जा रहा है। माना किसी क्षण संधारित्र पर q1 आवेश है तथा इसकी प्लेटों के बीच विभवान्तर V1 है।
अत: संधारित्र की प्लेटों के बीच विभवान्तर V1 = q1/C
संधारित्र को और एक अनन्त सूक्ष्म आवेश dq देने में किया गया कार्य अर्थात् संधारित्र में संचित स्थितिज ऊर्जा
dU = V1 x dq = (q1/C) x dq
अतः संधारित्र को शून्य से q आवेश देने में संचित कुल ऊर्जा
अत: आवेशित संधारित्र की ऊर्जा उसकी प्लेटों के बीच स्थित माध्यम में उत्पन्न वैद्युत क्षेत्र में रहती है।
प्रश्न 19.
आवेशित संधारित्र के ऊर्जा घनत्व से क्या तात्पर्य है? समान्तर पट्ट संधारित्र के ऊर्जा घनत्व का सूत्र ज्ञात कीजिए।
अथवा
सिद्ध कीजिए कि संधारित्र का ऊर्जा घनत्व – \(\frac { 1 }{ 2 }\)ε0E2 के बराबर होता है जहाँ ε0 निर्वात की वैद्युतशीलता तथा E संधारित्र की दोनों प्लेटों के मध्य उत्पन्न वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता है। [2013]
अथवा
सिद्ध कीजिए कि एकांक आयतन में किसी समान्तर प्लेट संधारित्र में संचित ऊर्जा \(\frac { 1 }{ 2 }\)ε0E2 है। प्रतीकों के सामान्य अर्थ हैं।
उत्तर :
आवेशित संधारित्र का ऊर्जा घनत्व (Energy Density of a Charged Capacitor)-जब किसी
[2015] संधारित्र को आवेशित किया जाता है तो संधारित्र में ऊर्जा संचित हो जाती है जो प्लेटों के बीच के आयतन में वैद्युत क्षेत्र की ऊर्जा के रूप में संचित रहती है। अत: “संधारित्र के एकांक आयतन में संचित ऊर्जा को संधारित्र का ऊर्जा घनत्व कहते हैं।”
माना किसी समान्तर पट्ट संधारित्र का प्लेट क्षेत्रफल A तथा उनके बीच की दूरी d है, प्लेटों के बीच का स्थान परावैद्युत माध्यम K द्वारा भरा है तथा प्लेटों के बीच का विभवान्तर V है।
प्रश्न 20.
वान डे ग्राफ जनित्र का सिद्धान्त बताइए तथा चित्र की सहायता से इसकी रचना एवं कार्यविधि समझाइए। [2011, 15, 17]
अथवा
उपयुक्त चित्र की सहायता से वान डे ग्राफ जनित्र की कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। [2018]
अथवा
वान डे ग्राफ जेनरेटर का नामांकित चित्र बनाइए। इसके कार्य करने का सिद्धान्त बताइए। बताइए यह किस तरह से उच्च वोल्टेज उत्पन्न करता है?
[2018]
उत्तर :
वान डे ग्राफ जनित्र (Van de Graff Generator)—वैज्ञानिक रॉबर्ट जे० वान डे ग्राफ ने सन् 1931 ई० में एक स्थिर वैद्युत जनित्र की रचना की जिसकी सहायता से कुछ मिलियन वोल्ट के उच्च विभव को उत्पन्न किया जा सकता है। इस उच्च विभव से प्राप्त प्रबल वैद्युत क्षेत्र का प्रयोग आवेशित कणों जैसे इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन आदि को त्वरित कर उनकी ऊर्जा में वृद्धि करने में किया जाता है।
सिद्धान्त (Principle)-इस जनित्र का सिद्धान्त दो प्रमुख स्थिर वैद्युत घटनाओं पर आधारित है. –
(i) किसी खोखले चालक को दिया गया आवेश केवल उसके बाहरी पृष्ठ पर विद्यमान रहता है तथा एकसमान रूप से वितरित रहता है।
यदि r त्रिज्या के खोखले गोलीय चालक को q आवेश दिया जाए तब उसका वैद्युत विभव
\(V=\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{q}{r}\) वोल्ट
(ii) किसी आवेशित चालक से वायु में वैद्युत विसर्जन उसके तीक्ष्ण नुकीले सिरों (sharp points) से प्राथमिकता से होता है।
गोले का आवेश पृष्ठ घनत्व \(\sigma=\frac{q}{A}\)
तीक्ष्ण नुकीले सिरों का क्षेत्रफल बहुत कम होने के कारण वहाँ आवेश पृष्ठ घनत्व बहुत अधिक होता है, जिस कारण उनसे वायु में आवेश का क्षरण होने लगता है। .
संरचना (Construction)-इसमें एक धातु का एक बड़ा गोला S, दो अचालक स्तम्भों A व B पर सधा होता है तथा इसमें एक रबर अथवा सिल्क की सिरेहीन बैल्ट (endless string) होती है जो दो घिरनियों P1 व P2 द्वारा एक वैद्युत मोटर की सहायता से चलायी जा सकती है। घिरनी P1 पृथ्वी के तल में तथा घिरनी P2 गोले के केन्द्र से तल पर होती है। इसमें दो तीक्ष्ण नुकीले सिरों वाले धातु के चालक (conductor) होते हैं। निचला चालक (कंघा) C1 अति उच्च विभव वाले स्रोत (High Tension Source, HTS ) (≈ 104 वोल्ट) के धन टर्मिनल से तथा ऊपरी चालक (कंघा) C2 खोखले गोले S के आन्तरिक पृष्ठ से सम्बन्धित रहता है। इन्हें क्रमश: फुहार चालक (spray conductor) तथा संग्राहक चालक (collecting conductor) कहते हैं। एक विसर्जन नलिका गतिमान डोरी के समान्तर लगी होती है इस नलिका का ऊपरी सिरा गोले S के केन्द्र पर होता है, जहाँ आयन स्रोत स्थित होता है तथा नलिका का दूसरा सिरा पृथ्वी से सम्बन्धित रहता है।
कार्यविधि (Working)-जब चालक (कंघे) C1 को अति उच्च विभव (HTS) दिया जाता है तो तीक्ष्ण बिन्दुओं की क्रिया के फलस्वरूप यह अपने चारों ओर के स्थान में आयन उत्पन्न करता है। धन-आयनों व चालक (कंघे) C1 के बीच प्रतिकर्षण के कारण ये धन-आयन गति करती बैल्ट पर चले जाते हैं। गतिमान बैल्ट द्वारा ये आयन ऊपर ले जाए जाते हैं। चालक (कंघे) C2 के तीक्ष्ण सिरे बैल्ट को ठीक छूते हैं। इस प्रकार चालक(कंघा) C2 बैल्ट के धन आवेश को एकत्रित करता है। यह धन-आवेश शीघ्र ही गोले S के बाहरी पृष्ठ पर स्थानान्तरित हो जाता है। चूंकि बैल्ट घूमती रहती है। अत: यह धन आवेश को ऊपर की ओर ले जाती है जो चालक (कंघे) C2 द्वारा एकत्रित कर लिया जाता है तथा गोले S के बाहरी पृष्ठ पर स्थानान्तरित हो जाता है। इस प्रकार गोले S का बाहरी पृष्ठ निरन्तर धन आवेश प्राप्त करता है तथा इसका विभव अति उच्च हो जाता है।
जब गोले S का विभव बहुत अधिक (लगभग 3 x 106 वोल्ट/मीटर) हो जाता है, तो निकटवर्ती वायु की परावैद्युत तीव्रता (dielectric strength) टूट जाती है तथा आवेश का निकटवर्ती वायु में क्षरण (leakage) हो जाता है। अधिकतम विभव की स्थिति में आवेश के क्षरण होने की दर गोले पर स्थानान्तरित आवेश की दर के बराबर हो जाती है। गोले से आवेश का क्षरण रोकने के लिए, जनित्र को स्टील के आवरण से घिरे एक टैंक में रखा जाता है जिसमें उच्च दाब LED पर नाइट्रोजन अथवा मेथेन गैस भरी होती है।
वान डे ग्राफ जनित्र धन आवेशित कणों को अति उच्च वेग तक त्वरित करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
वैद्युत विभव से क्या तात्पर्य है? [2015]
उत्तर :
वैद्युत विभव-किसी बिन्दु आवेश q को अनन्त से वैद्युत क्षेत्र के भीतर किसी बिन्दु तक लाने में क्षेत्र के विरुद्ध किए गए कार्य W तथा बिन्दु आवेश q के अनुपात को उस बिन्दु का वैद्युत विभव कहते हैं, इसे ‘V’ से प्रदर्शित करते हैं।
अतः वैद्युत विभव V = \(\frac{W}{q}\) जूल/कूलॉम अथवा वोल्ट।
प्रश्न 2.
वैद्युत विभवान्तर को परिभाषित कीजिए।
उत्तर :
वैद्युत विभवान्तर–वैद्युत क्षेत्र में, किसी बिन्दु आवेश q को एक बिन्दु A से दूसरे बिन्दु B तक लाने में क्षेत्र के विरुद्ध किए गए कार्य (W) तथा बिन्दु आवेश के अनुपात को उन बिन्दुओं के बीच वैद्युत विभवान्तर कहते हैं।”
अतः बिन्दुओं A व B के बीच वैद्युत विभवान्तर VB – VA = \(\frac{W}{q}\) जूल/कूलॉम अथवा वोल्ट।
प्रश्न 3.
वैद्युत विभव तथा विभवान्तर का मात्रक बताइए तथा इसकी परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
वैद्युत विभव तथा विभवान्तर का मात्रक वोल्ट है।
सूत्र V = \(\frac{W}{q}\) से, यदि q= 1 कूलॉम तथा W = 1 जूल हो तो V = 1 वोल्ट।
वोल्ट की परिभाषा–यदि + 1 कूलॉम के आवेश को अनन्त से किसी बिन्दु तक लाने में 1 जूल कार्य करना पड़ता है तो उस बिन्दु का वैद्युत विभव 1 वोल्ट होगा।
प्रश्न 4.
समविभव पृष्ठ से क्या तात्पर्य है? [2015, 18]]
उत्तर :
समविभव पृष्ठ-किसी वैद्युत क्षेत्र में स्थित कोई ऐसा पृष्ठ, जिस पर स्थित किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच वैद्युत विभवान्तर शून्य है, समविभव पृष्ठ कहलाता है। परिभाषा से स्पष्ट है कि समविभव पृष्ठ पर स्थित सभी बिन्दु एक ही विभव पर होते हैं।
प्रश्न 5.
सिद्ध कीजिए कि विद्युत बल रेखाएँ समविभव सतह के लम्वबत् होती हैं। [2018]
उत्तर :
यदि, विद्युत क्षेत्र समविभव पृष्ठ के लम्बवत् नहीं है तो वैद्युत क्षेत्र का समविभव पृष्ठ के अनुदिश कोई शून्येतर (non-zero) घटक होगा। अतः किसी परीक्षण आवेश को समविभव पृष्ठ पर इस घटक के विरुद्ध गति कराने में कुछ कार्य करना होगा? जबकि समविभव पृष्ठ पर परीक्षण आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में किया गया कार्य शून्य होता है। अत: विद्युत क्षेत्र एवं विद्युत बल रेखाएँ समविभव सतह के लम्बवत् होती हैं।
प्रश्न 6.
दो समविभव पृष्ठ परस्पर काटते क्यों नहीं हैं?
उत्तर :
समविभव पृष्ठ पर वैद्युत क्षेत्र की दिशा पृष्ठ पर लम्ब होती है। यदि दो समविभव पृष्ठ एक-दूसरे को काटते हैं तो कटान बिन्दु पर दो लम्ब खींचे जा सकेंगे; अत: वैद्युत क्षेत्र की भी दो दिशाएँ होंगी, जोकि असम्भव है।
प्रश्न 7.
इलेक्ट्रॉन-वोल्ट किस भौतिक राशि का मात्रक है? इसकी परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
इलेक्ट्रॉन-वोल्ट, ऊर्जा का मात्रक है। 1 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट, ऊर्जा की उस मात्रा के बराबर होता है, जो एक इलेक्ट्रॉन, 1 वोल्ट के विभवान्तर से त्वरित किए जाने पर अर्जित करता है। .
प्रश्न 8.
आवेशों के निकाय की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
वैद्युत स्थितिज ऊर्जा-आवेशों के निकाय की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा आवेशों को परस्पर अनन्त दूरी से उनकी वर्तमान स्थिति में लाकर निकाय की रचना करने में बाह्य स्रोत द्वारा किए गए कार्य के बराबर होती है।
प्रश्न 9.
चित्र-2.35 में प्रदर्शित आवेशों के निकाय की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए। [2014]
हल :
निकाय की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा
प्रश्न 10.
1 MeV को जूल में व्यक्त कीजिए। [2007]
हल :
∵ 1eV = 1.6 x 10-19 जूल
अतः 1MeV = 106 eV = 106 x 1.6 x 10-19 जूल = 1.6 x 10-13जूल।
प्रश्न 11.
दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर 50 वोल्ट हैं। एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक 2 x 10-5 कूलॉम आवेश को ले जाने पर कितना कार्य करना होगा? [2011, 12]
हल :
दिया है, q= 2 x 10-5 कूलॉम, ∆V = 50 वोल्ट, W = ?
अतः कृत कार्य W = q∆V = 2 x 10-5 x 50 = 10-3 जूल।
प्रश्न 12.
5 सेमी की दूरी पर स्थित दो बिन्दुओं A व B के विभव +10 वोल्ट तथा -10 वोल्ट हैं। 1.0 कूलॉम आवेश को A से B तक ले जाने में कितना कार्य करना होगा? [2012]
हल :
दिया है, q= 1.0 कूलॉम, ∆V = 10-(-10) = 20 वोल्ट, W = ?
अतः किया गया कार्य W = q∆V = 1.0 x 20 = 20 जूल।
प्रश्न 13.
5 सेमी की दूरी पर दो बिन्दुओं A और B में से प्रत्येक 10 वोल्ट के विभव पर है। 10 कूलॉम के धन आवेश को बिन्दु A से बिन्दु B तक ले जाने में कितना कार्य करना होगा? [2010]
हल :
किया गया कार्य W = q (VB – VA) = q x 0 [∵ VB = VA = 10 वोल्ट]
प्रश्न 14.
निर्वात में किसी बिन्दु (x, Y, 2 सभी मीटर में) पर वैद्युत विभव V = 4x2 वोल्ट है। बिन्दु (1 मीटर, 0 मीटर,.2 मीटर) पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात कीजिए। [2012]
हल :
बिन्दु (x, y, 2) पर वैद्युत विभव V = 4x2
इससे स्पष्ट है कि विभव केवल x पर निर्भर करता है y अथवा z पर नहीं।
इसमें x = 1 मीटर, y = 0 मीटर, 2 = 2 मीटर रखने पर, बिन्दु (1 मीटर, 0 मीटर, 2 मीटर) पर
वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता E = -8 x 1 = -8 वोल्ट/मीटर।
ऋण चिह्न यह प्रदर्शित करता है कि वैद्युत क्षेत्र ऋण X-अक्ष की ओर दिष्ट है।
प्रश्न 15.
चित्र-2.36 के अनुसार दो प्लेटें A तथा B परस्पर 2 मिमी की दूरी पर रखी हैं। प्लेट A का विभव 10,000 वोल्ट है, प्लेट B पृथ्वी से सम्बन्धित है। इन प्लेटों के बीच वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात कीजिए।[2001]
हल :
दिया है, d = 2 मिमी = 2 x 10-3 मीटर,
VA = +10,000 वोल्ट, VB = 0, E = ?
सूत्र \(E=\frac{V_{A}-V_{B}}{d}\)
प्लेटों के बीच वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता \(E=\frac{10,000-0}{2 \times 10^{-3}}=5 \times 10^{6}\) वोल्ट/मीटर।
प्रश्न 16.
दो बिन्दुओं A तथा B के विभव क्रमशः +V तथा – V वोल्ट हैं। यदि उनके बीच की दूरीr मीटर है। तो ज्ञात कीजिए-
(i) A व B के बीच औसत वैद्युत क्षेत्र तथा
(ii) -q कूलॉम आवेश को A से B तक ले जाने में उसकी स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तन।
हल :
(i) A व B के बीच औसत वैद्युत क्षेत्र
(ii) स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि = 2qV जूल।
प्रश्न 17.
आवेश q को a तथा b(b> a) त्रिज्या वाले दो संकेन्द्री खोखले गोलों पर इस प्रकार वितरित किया गया है कि पृष्ठीय आवेश घनत्व समान हैं। इन दोनों गोलों के उभयनिष्ठ केन्द्र पर विभव की गणना कीजिए। [2012]
हल :
माना a तथा b त्रिज्याओं वाले संकेन्द्री खोखले गोलों पर आवेश q1 व q2 हैं।
अतः q= q1 + q2
प्रश्न 18.
यदि दो वैद्युत द्विध्रुवों के केन्द्रों के बीच की दूरी दोगुनी कर दी जाए तो
(i) उनके बीच लगने वाले बल तथा
(ii) उनकी स्थितिज ऊर्जा का मान कितने गुना परिवर्तित हो जाएँगे? [2005]
हल :
प्रश्न 19.
चित्र-2.37 में प्रदर्शित A व B बिन्दुओं के बीच विभवान्तर ज्ञात कीजिए।
हल :
सूत्र V = iR से,
VAB = 2 × 2 + 3+ 2 × 1- 2 + 2 × 1 ,
= 9 वोल्ट।
प्रश्न 20.
संधारित्र से क्या तात्पर्य है? [2004, 14, 16]
उत्तर :
संधारित्र-संधारित्र किसी भी प्रकार के दो ऐसे चालकों का युग्म है जो कि एक-दूसरे के समीप हों, जिन पर बराबर व विपरीत आवेश हों तथा जिसकी एक प्लेट पृथ्वी से जुड़ी हो।
प्रश्न 21.
संधारित्रों के उपयोग लिखिए। [2016]
उत्तर :
संधारित्रों के उपयोग-निम्नलिखित में संधारित्रों का उपयोग किया जाता है –
- आवेश का संचय करने में
- ऊर्जा का संचय करने में
- वैद्युत उपकरणों में
- इलेक्ट्रॉनिक परिपथों में
- वैज्ञानिक अध्ययन में
- प्रत्यावर्ती धारा नियन्त्रण में।
प्रश्न 22.
फैरड क्या है? एक फैरड में कितने पिकोफैरड होते हैं?
उत्तर :
फैरड की परिभाषा-सूत्र C = q/V में,q = 1 कूलॉम, V = 1 वोल्ट रखने पर, C=1 फैरड।
“1 फैरड उस चालक की धारिता है, जिसको 1 कूलॉम का आवेश देने पर उसके विभव में 1 वोल्ट की वृद्धि हो।”
1 पिकोफैरड = 10-12 फैरड; अत: 1 फैरड = 1012 पिकोफैरड।
प्रश्न 23.
परावैद्युत पदार्थ से आप क्या समझते हैं? (1) जर्मेनियम, (2) अभ्रक, (3) कार्बन में से कौन-सा परावैद्युत है? [2010, 12]
उत्तर :
परावैद्युत पदार्थ—“वे पदार्थ, जिनके अणुओं में इलेक्ट्रॉन नाभिक के साथ दृढ़तापूर्वक बँधे होते हैं, परावैद्युत पदार्थ कहलाते हैं।” जैसे-काँच, मोम, अभ्रक आदि। जर्मेनियम, अभ्रक तथा कार्बन में अभ्रक परावैद्युत पदार्थ है।
प्रश्न 24.
संधारित्र में परावैद्युत का क्या कार्य है? [2006]
उत्तर :
संधारित्र में परावैद्युत का कार्य-संधारित्र में परावैद्युत इसकी प्लेटों के बीच उपस्थित वैद्युत क्षेत्र की दिशा के विपरीत दिशा में ध्रुवित होकर प्लेटों के बीच के वैद्युत क्षेत्र को कम कर देता है, जिसके कारण प्लेटों के बीच विभवान्तर कम हो जाता है; अत: संधारित्र की धारिता बढ़ जाती है।
प्रश्न 25.
संधारित्र की प्लेटों के बीच परावैद्युत भरने अथवा उपयोग से धारिता क्यों बढ़ जाती है? [2000, 06]
अथवा
किसी संधारित्र की प्लेटों के बीच परावैद्युत पदार्थ भरने पर उसकी धारिता पर क्या प्रभाव पड़ता है? [2014, 17]
उत्तर :
आवेशित संधारित्र की प्लेटों के बीच परावैद्युत माध्यम भरने से उसके अणु ध्रुवित हो जाते हैं तथा माध्यम के अन्दर एक वैद्युत क्षेत्र, मुख्य वैद्युत क्षेत्र की विपरीत दिशा में उत्पन्न हो जाता है। इस कारण दोनों प्लेटों के बीच वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता कम हो जाती है। तीव्रता कम होने के कारण प्लेटों के बीच उत्पन्न विभवान्तर कम हो जाता है। विभवान्तर के कम होने से संधारित्र की धारिता बढ़ जाती है।
प्रश्न 26.
क्या आप एक फैरड धारिता वाले समान्तर प्लेट धारित्र को एक अलमारी में रख सकते हैं? स्पष्ट कीजिए। [2018]
उत्तर :
समान्तर प्लेट धारित्र की धारिता \(C=\frac{A \varepsilon_{0}}{d}\)
या \(\frac{A}{d}=\frac{C}{\varepsilon_{0}}=\frac{1}{8.85 \times 10^{-12}}\)
= 1.13 x 1011
सामान्य संधारित्रों के लिए d मिमी कोटि का होता है।
∴ A = 1.13 x 1011 x 10-3
= 113 x 108 मीटर2
इस आकार के संधारित्र को अलमारी में रख पाना सम्भव नहीं है।
प्रश्न 27.
एक आवेशित संधारित्र की प्लेटों को एक वोल्टमीटर से जोड़ा गया है। यदि संधारित्र की प्लेटों को परस्पर दूर हटाया जाए तो वोल्टमीटर के पाठ्यांक पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर :
सूत्र C ∝ 1/d से, प्लेटों के बीच की दूरी d बढ़ाने पर धारिता C घट जाएगी। निश्चित आवेश के लिए . प्लेटों के बीच विभवान्तर V ∝ 1/C से, धारिता C के घटने पर विभवान्तर V बढ़ जाएगा; अत: वोल्टमीटर का पाठ्यांक बढ़ जाएगा।
प्रश्न 28.
सिद्ध कीजिए कि कूलॉम /न्यूटन-मीटर तथा फैरड/मीटर एक ही भौतिक राशि के मात्रक हैं। [2010]
उत्तर :
प्रश्न 29.
C1 तथा C2 धारिता वाले दो संधारित्रों पर आवेश क्रमशः q1 व q2 हैं तथा विभव क्रमशः V1 व V2 हैं। इनको स्पर्श कराकर फिर अलग करने के पश्चात् संधारित्रों का आवेश q’1 व q’2 एवं विभव में परिवर्तन क्रमशः ΔV1 तथा ΔV2 हो जाता है। सिद्ध कीजिए – [2006]
(i) \(\frac{q^{\prime}_{1}}{q_{2}^{\prime}}=\frac{C_{1}}{C_{2}}\) तथा
(ii) C1ΔV1 = C2ΔV2
हल :
(i) पहले संधारित्र पर आवेश q1 = C1V1 तथा दूसरे संधारित्र पर आवेश q2 = C2V2
दोनों पर कुल आवेश q = q1 + q2 = C1V1 + C2V2
स्पर्श कराने के बाद माना दोनों का उभयनिष्ठ विभव V है तो
q’1=C1V तथा q’2 = C2V ।
अत: \(\frac{q_{1}^{\prime}}{q_{2}^{\prime}} \doteq \frac{C_{1} V}{C_{2} V}=\frac{C_{1}}{C_{2}}\)
(ii) जोड़ने से पहले कुल आवेश q = q1 + q2 = C1V1 + C2V2| चूँकि जोड़ने पर दोनों का विभव समान हो जाता है; अत: एक का विभव बढ़ेगा तथा दूसरे का घटेगा। इसलिए जोड़ने के बाद कुल आवेश
q = C1(V1 + ∆V1) + C2 (V2 – ∆V2)
चूँकि जोड़ने से पहले तथा बाद में कुल आवेश वही रहता है।
1. C1(V1 + ∆V1) + C2 (V2– ∆V2) = C1V1 + C2V2
अथवा [C1V1 + C1∆V1] + C2V2 – C2∆V2 = C1V1 + C2V2.
अथवा C1∆V1 – C2∆V2 = 0
अतः C1∆V1 = C2∆V2
प्रश्न 30.
C1 व C2 धारिताओं वाले दो संधारित्रों को समान्तर क्रम में जोड़कर q आवेश दिया गया है। प्रत्येक संधारित्र का विभवान्तर तथा आवेश बताइए।
हल :
समान्तर क्रम में जुड़े होने के कारण विभवान्तर समान होगा। प्रत्येक संधारित्र का विभवान्तर V = q/ (C1 + C2)
प्रश्न 31.
धातु की चार एकसमान प्लेटों में प्रत्येक की एक तरफ की सतह का क्षेत्रफल A है। ये प्लेटें वायु में एक-दूसरे से d दूरी पर रखी हैं। इन्हें चित्र 2.38 के अनुसार आपस में जोड़ दिया गया है। A तथा B के बीच तुल्य धारिता ज्ञात कीजिए। [2002]]
हल :
दिए गए परिपथ में प्लेटें 1 व 2 एक संधारित्र तथा प्लेटें 3 व 4 दूसरा संधारित्र बनाती हैं। इनके तुल्य परिपथ संलग्न चित्रों (2.38) में प्रदर्शित हैं। स्पष्ट है कि दोनों संधारित्र समान्तरक्रम में जुड़े हैं।
प्रत्येक संधारित्र की धारिता C1 = C2 = \(\frac{\varepsilon_{0} A}{d}\)
अतः बिन्दुओं A व B के बीच तुल्य धारिता C = C1 + C2
\(=\frac{\varepsilon_{0} A}{d}+\frac{\varepsilon_{0} A}{d}=\frac{2 \varepsilon_{0} A}{d}\)
प्रश्न 32.
संलग्न चित्र-2.40 में दिखाई गई चार प्लेटों में प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल A मीटर2 तथा संलग्न प्लेटों के बीच दूरी d मीटर है। एकान्तर प्लेटें पतले तारों से जोड़ी गई हैं। बिन्दुओं A व B के बीच तुल्य धारिता ज्ञात कीजिए। [2004]
हल :
यह तीन संधारित्रों (1, 2); (2, 3) व (3, 4) का समान्तर संयोजन है। प्लेट 2, पहले व दूसरे संधारित्रों की दूसरी उभयनिष्ठ प्लेट है तथा प्लेट 3, दूसरे व तीसरे संधारित्रों की पहली उभयनिष्ठ प्लेट है।
अतः बिन्दुओं A व B के बीच तुल्य धारिता C = C1 + C2 + C3
\(=\frac{\varepsilon_{0} A}{d}+\frac{\varepsilon_{0} A}{d}+\frac{\varepsilon_{0} A}{d}=\frac{3 \varepsilon_{0} A}{d}\) फैरड
प्रश्न 33.
एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल A तथा प्लेटों के बीच की दूरी d है। इसकी दोनों प्लेटों के बीच t मोटाई की एक धातु की प्लेट खिसकाई जाती है। इससे निकाय की धारिता पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर :
पट्टी रखने से पहले धारिता \(C_{0}=\frac{\varepsilon_{0} A}{d}\)
अत: निकाय की धारिता बढ़ जाएगी।
प्रश्न 34.
एक समान्तर पट्ट संधारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी d है। प्लेटों के बीच d/2 मोटाई की एक धातु की पट्टी रख दी जाती है। धारिता पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
हल :
t मोटाई की पट्टी रखने से पहले धारिता \(C_{0}=\frac{\varepsilon_{0} A}{d}\)
प्रश्न 35.
R1 व R2 त्रिज्याओं वाले दो गोलीय चालकों को आवेशित किया गया है। यदि इन्हें एक तार द्वारा जोड़ा जाए तो उनके पृष्ठ आवेश घनत्वों का अनुपात क्या होगा? किस गोले पर पृष्ठ आवेश घनत्व अधिक होगा? [2005, 06]
हल :
चूँकि दोनों गोलीय चालकों पर विभव V समान है; अत: गोलों के आवेशों का अनुपात
पृष्ठ आवेश घनत्व छोटे गोले (जिसकी त्रिज्या R2 है) पर अधिक होगा।
प्रश्न 36.
एक समान्तर प्लेट संधारित्र को बैटरी से आवेशित किया जाता है। बैटरी का सम्बन्ध संधारित्र से विच्छेदित करने के उपरान्त प्लेटों के बीच की दूरी दोगुनी करने पर संधारित्र की
(i) धारिता तथा (ii) संगृहीत ऊर्जा पर क्या प्रभाव पड़ेगा? [2012]
हल :
(i) माना d1 = d अत: d2 = 2d सूत्र C ∝ 1/ d से, संधारित्र की धारिता आधी हो जाएगी।
(ii) सूत्र U ∝ 1/C से, संगृहित ऊर्जा दोगुनी हो जाएगी।
प्रश्न 37.
स्थैतिक वैद्युत ऊर्जा में क्या परिवर्तन होगा तथा क्यों, जब एक आवेशित समान्तर प्लेट धारित्र की प्लेटों के बीच एक परावैद्युतांक K वाला परावैद्युतांक स्लैब डाला जाता है, जब धारित्र को बैटरी से अलग कर दिया जाता है? [2018]
हल :
धारित्र को बैटरी से अलग कर देने पर उसकी प्लेटों पर आवेश अपरिवर्तित रहेगा।
संधारित्र की धारिता \(C=\frac{A \varepsilon_{0}}{d}\)
संधारित्र में संचित स्थैतिक वैद्युत ऊर्जा \(U=\frac{1}{2} \frac{q^{2}}{C}\)
संधारित्र की प्लेटों के बीच परावैद्युतांक स्लैब रखने पर,
प्रश्न 38.
धातु का एक बड़ा गोला, एक दूसरे बाहरी छोटे गोले से तार द्वारा जुड़ा है। इस समायोजन को कुछ आवेश दिया जाता है। (i) किस गोले पर अधिक आवेश होगा? (ii) किस गोले पर पृष्ठ आवेश घनत्व अधिक होगा? [2006]
उत्तर :
(i) चूँकि बड़े गोले की त्रिज्या अधिक है; अत: इसकी धारिता भी अधिक होगी जिसके कारण बड़े गोले के पृष्ठ पर अधिक आवेश होगा।
(ii) पृष्ठ आवेश घनत्व छोटे गोले पर अधिक होगा।
प्रश्न 39.
दो विभिन्न धारिता वाले गोले भिन्न-भिन्न विभवों तक आवेशित किए जाते हैं। अब इन गोलों को एक तार द्वारा जोड़ दिया जाता है। बताइए कि उनकी कुल ऊर्जा पहली स्थिति से बढ़ेगी, घटेगी अथवा समान रहेगी। ऊर्जा में यह अन्तर किस रूप में होता है?
उत्तर :
आवेश के पुनर्वितरण से सदैव ऊर्जा का ह्रास होता है; अत: कुल ऊर्जा घटेगी। ऊर्जा में यह अन्तर संयोजक तार में ऊष्मा के रूप में क्षय होगा।
प्रश्न 40.
किसी आवेशित चालक के चारों ओर परावैद्युत पदार्थ रखने पर उसके विभव तथा धारिता पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर :
किसी आवेशित चालक के चारों ओर K परावैद्युतांक वाला पदार्थ रखने पर उसका विभव V से घटकर V/K रह जाता है तथा धारिता C से बढ़कर KC हो जाती है।
प्रश्न 41.
दिए गए ग्राफ में एक संधारित्र की कुल संचित ऊर्जा (U) तथा धारिता (C) का परिवर्तन प्रदर्शित है। संधारित्र की प्लेटों पर आवेश (q) तथा प्लेटों के बीच विभवान्तर (V) में से कौन-सी राशि नियत है? [2013]
उत्तर :
दिए गए ग्राफ से स्पष्ट है कि U ∝ 1/C
संधारित्र में संचित कुल ऊर्जा \(\frac{1}{2} \frac{q^{2}}{C}\)
U व C के बीच ग्राफ अतिपरवलय है।
यदि q नियत है तो U ∝ 1/C
अत: संधारित्र की प्लेटों पर आवेश (q) नियत है।
प्रश्न 42.
n समरूप संधारित्र (प्रत्येक की धारिता C) समान्तर क्रम में जुड़े हैं, जिन्हें V विभव तक आवेशित किया गया है। इस संयोजन का कुल आवेश, कुल विभवान्तर तथा कुल ऊर्जा बताइए। यदि इन्हें अलग-अलग करके श्रेणीक्रम में जोड़ें तब उपर्युक्त मान बताइए। [2013]
हल :
समान्तर क्रम में, प्रत्येक संधारित्र पर आवेश = CV
अतः कुल आवेश = n x CV = nCV
कुल विभवान्तर V है; अत: कुल ऊर्जा = \(\frac { 1 }{ 2 }\) (nC)V2 = \(\frac { 1 }{ 2 }\) nCV2
श्रेणीक्रम में, कुल आवेश = प्रत्येक संधारित्र पर आवेश = CV
कुल विभवान्तर = nv
कुल ऊर्जा = \(\frac{1}{2}\left(\frac{C}{n}\right)\)(nV)2 = InCV2
प्रश्न 43.
N समान आवेशित छोटी बूंदें मिलकर बड़ी बूँद बनाती हैं। बड़ी बूंद तथा छोटी बूंद के लिए निम्न का अनुपात ज्ञात कीजिए-(i) धारिता, (ii) विभव, (iii) आवेश, (iv) स्थैतिक वैद्युत ऊर्जा। [2018]
उत्तर :
माना प्रत्येक छोटी बूंद की त्रिज्या 7 व उस पर आवेश q है।
बड़ी बूंद पर आवेश (Q) = Nq
बड़ी बूंद का आयतन = N x छोटी बूंद का आयतन
प्रश्न 44.
यदि वायु की परावैद्युत सामर्थ्य 3.0 x 106 वोल्ट/मीटर हो तो दर्शाइए कि वान डे ग्राफ जनित्र के 0.1 मीटर त्रिज्या वाले गोले का विभव 3.0 x 105 वोल्ट से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता। [2018]
उत्तर :
किसी माध्यम का परावैद्युत सामर्थ्य, वैद्युत क्षेत्र का वह अधिकतम मान है जो वह अपना परावैद्युत भंजन हुए बिना सहन कर सकता है।
अतः Emax = 3.0 x 106 वोल्ट/मीटर, r = 0.1 मीटर
गोले के पृष्ठ पर वैद्युत क्षेत्र, \(E=\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \cdot \frac{q}{r^{2}}\)
गोले के पृष्ठ पर वैद्युत विभव, \(V=\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{q}{r}\)
∴ \(\frac{E}{V}=\frac{1}{r}\) या V= E.r
या Vmax = Emax.r = 3.0 x 106 x 0.1
= 3.0 x 105 वोल्ट।
अतः वान डे ग्राफ जनित्र के गोले का विभव 3.0 x 105 वोल्ट से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता है।
स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
S.I. पद्धति में वैद्युत विभव का मात्रक लिखिए।
उत्तर :
S.I. पद्धति में वैद्युत विभव का मात्रक वोल्ट है।
प्रश्न 2.
वैद्युत विभवान्तर तथा वैद्युत विभव की विमा लिखिए।
उत्तर :
वैद्युत विभवान्तर तथा वैद्युत विभव दोनों की विमा [ML2T-3A-1] है।
प्रश्न 3.
उस भौतिक राशि का नाम बताइए जिसका S.I. मात्रक ‘जूल/कूलॉम’ होता है। यह एक अदिश राशि है अथवा सदिश राशि?
उत्तर :
‘जूल/कूलॉम’ वैद्युत विभव अथवा विभवान्तर का मात्रक है। यह एक अदिश राशि है।
प्रश्न 4.
बताइए वैद्यत क्षेत्र तथा वैद्यत विभव सदिश राशियाँ हैं अथवा अदिश राशियाँ।
उत्तर :
वैद्युत क्षेत्र सदिश राशि है, जबकि वैद्युत विभव अदिश राशि है।
प्रश्न 5.
एक बिन्दु आवेश q सेr दूरी पर वैद्युत विभव के लिए सूत्र लिखिए।
हल :
वैद्युत विभव \(V=\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{q}{r}\)
प्रश्न 6.
एक वैद्युत द्विध्रुव के कारण उसकी अक्षीय एवं निरक्षीय स्थिति में वैद्युत विभव का व्यंजक लिखिए। [2018]
हल :
अक्षीय स्थिति में, \(V=\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{p}{r^{2}}\) तथा निरक्षीय स्थिति में, V = 0
प्रश्न 7.
विभव प्रवणता तथा वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता के बीच सम्बन्ध लिखिए। [2003, 05, 13]
उत्तर :
वैद्युत क्षेत्र की ताजता \(E=-\frac{d V}{d r}\)
अर्थात् वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता ऋणात्मक विभव प्रवणता के बराबर होती है।
प्रश्न 8.
यदि दो समान्तर प्लेटों के बीच की दूरी d हो तथा उनके बीच विभवान्तर V हो तो प्लेटों के बीच विभव प्रवणता एवं वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता कितनी होगी?
उत्तर :
विभव प्रवणता तथा वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता अर्थात् दोनों का आंकिक मान E =V/d होगा।
प्रश्न 9.
विभव प्रवणता का मात्रक क्या है?
उत्तर :
विभव प्रवणता का मात्रक वोल्ट/मीटर है।
प्रश्न 10.
किसी सम वैद्युत क्षेत्र में वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता तथा विभवान्तर में सम्बन्ध लिखिए। [2009]]
उत्तर :
वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता E = (V1 – V2)/d वोल्ट/मीटर।
प्रश्न 11.
दो बिन्दुओं A तथा B पर वैद्युत विभव क्रमशः +V वोल्ट तथा – V वोल्ट हैं। यदि उनके बीच की दूरी r मीटर हो तो A और B के बीच औसत वैद्युत क्षेत्र ज्ञात कीजिए। [2018]
हल :
बिन्दु A व B के बीच विभवान्तर = VB – VA = – V – (V) = – 2V
A व B के बीच वैद्यत क्षेत्र की तीव्रता \(E=\frac{-d V}{d r}=\frac{-(-2 V)}{r}=\frac{2 V}{r}\)
प्रश्न 12.
कोई आवेशित कण एकसमान स्थिर वैद्युत क्षेत्र में, क्षेत्र के लम्बवत् प्रवेश करता है। कण का पथ क्या होगा?
उत्तर :
आवेशित कण का पथ परवलयाकार होगा।
प्रश्न 13.
क्षैतिज दिशा में एकसमान वेग v से गति करती हुई कैथोड किरण एक ऊर्ध्वाधर वैद्युत क्षेत्र E से गुजर रही है। किरण के ऊर्ध्वाधर विक्षेप के लिए व्यंजक लिखिए।
उत्तर :
कैथोड किरण पर आवेश q= e है; अतः कैथोड किरण का ऊर्ध्वाधर दिशा में विक्षेप \(y=\left(\frac{e E}{2 m v^{2}}\right) x^{2}\) जहाँ x क्षैतिज दिशा में चली गई दूरी है।
प्रश्न 14.
वैद्युत क्षेत्र रेखा के अनुदिश वैद्युत विभव बढ़ता है अथवा घटता है?
उत्तर :
वैद्युत क्षेत्र रेखा के अनुदिश वैद्युत विभव घटता है।
प्रश्न 15.
एक प्रोटॉन को दूसरे प्रोटॉन की ओर लाने पर, निकाय की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा में क्या परिवर्तन होता है? [2006]
उत्तर :
निकाय की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा बढ़ जाएगी।
प्रश्न 16.
किसी समविभवी पृष्ठ के दो बिन्दुओं के बीच 500 माइक्रोकूलॉम आवेश को गति कराने में कितना कार्य किया जाता है? [2003, 13]
हल :
कार्य W = qΔV = q x 0 = 0 (∵ ΔV = 0)
प्रश्न 17.
वैद्युत क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन उच्च विभव से निम्न विभव की ओर अथवा निम्न विभव से उच्च विभव में से किस ओर गति करता है? इसी क्षेत्र में प्रोटॉन किस ओर गति करेगा?.
उत्तर :
इलेक्ट्रॉन निम्न विभव से उच्च विभव की ओर गति करता है, जबकि प्रोटॉन उच्च विभव से निम्न विभव की ओर गति करेगा।
प्रश्न 18.
क्या ऐसा सम्भव है कि किसी बिन्दु पर वैद्युत क्षेत्र शून्य हो परन्तु वैद्युत विभव शून्य न हो? उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
हाँ, किसी खोखले आवेशित चालक के अन्दर वैद्युत क्षेत्र शून्य होता है, परन्तु वैद्युत विभव शून्य नहीं होता
प्रश्न 19.
क्या ऐसा सम्भव है कि किसी बिन्दु पर वैद्युत विभव शून्य हो परन्तु वैद्युत क्षेत्र शून्य न हो? उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
हाँ, किसी वैद्युत द्विध्रव की निरक्ष पर वैद्युत विभव शून्य होता है, जबकि वैद्युत क्षेत्र शून्य नहीं होता
प्रश्न 20.
किसी बिन्दु आवेश q को एक अन्य आवेश Q के परितः r त्रिज्या के वृत्तीय पथ में घूर्णन कराया जाता है। किया गया कार्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
बिन्दु आवेश एक समविभव पृष्ठ पर गति करता है; अत: किया गया कार्य शून्य होगा।
प्रश्न 21.
किसी धन बिन्दु आवेश के लिए दो समविभव खींचिए। .
उत्तर :
चित्र 2.42 में प्रदर्शित गोलीय पृष्ठ S1 व S1 धन बिन्दु आवेश के समविभव पृष्ठ हैं।
प्रश्न 22.
एक खोखले आवेशित चालक के बाहरी पृष्ठ पर वैद्युत बल क्षेत्र लम्बवत् चित्र-2.42 क्यों होता है?
उत्तर :
आवेशित चालक का बाहरी पृष्ठ समविभव पृष्ठ होता है इसीलिए उसके बाहरी पृष्ठ पर वैद्युत बल क्षेत्र .. लम्बवत् होता है।
प्रश्न 23.
समविभव पृष्ठ के सापेक्ष वैद्युत बल रेखाओं की दिशा बताइए।
उत्तर :
समविभव पृष्ठ पर वैद्युत बल रेखाएँ अभिलम्बवत् होती हैं।
प्रश्न 24.
\([latex][latex]\overrightarrow{\mathbf{p}}\)[/latex][/latex] वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण वाला एक वैद्युत द्विध्रुव एकसमान वैद्युत क्षेत्र \([latex][latex]\overrightarrow{\mathbf{E}}\)[/latex][/latex] में स्थायी सन्तुलन में रखा हुआ है। वैद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा क्या होगी?
उत्तर :
स्थायी सन्तुलन की अवस्था में θ = 0°
अतः वैद्युत द्विध्रुव की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा U = – pE cos 0° = pE
प्रश्न 25.
p वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण वाले एक वैद्युत द्विध्रुव को E तीव्रता के एकसमान वैद्युत क्षेत्र में स्थायी सन्तुलन की स्थिति से 90° तथा 180° विक्षेपित करने में कितना कार्य करना पड़ेगा?
हल :
स्थायी सन्तुलन की स्थिति से 90° विक्षेपित करने में किया गया कार्य
W1 = pE (cos 0° – cos 90° ) = pE
स्थायी सन्तुलन की स्थिति से 180° विक्षेपित करने में किया गया कार्य
W2 = pE (cos 0° – cos 180°) = 2 pE
प्रश्न 26.
एक इलेक्ट्रॉन तथा एक प्रोटॉन परस्पर 1Å की दूरी पर हैं। इस निकाय की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है, q1 = -e तथा q2 = e, r = 1Å = 10-10 मीटर, U = ?
प्रश्न 27.
दो बिन्दु आवेशों के निकाय की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा के लिए सूत्र लिखिए।
उत्तर :
परस्पर r दूरी पर निर्वात या वायु में स्थित बिन्दु आवेशों q1 व q2 के निकाय की
वैद्युत स्थितिज ऊर्जा \(U=\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{q_{1} q_{2}}{r}\)
प्रश्न 28.
दो समान बिन्दु आवेश q प्रत्येक कूलॉम, परस्पर r मीटर की दूरी पर हैं। इनकी वैद्युत स्थितिज ऊर्जा कितनी होगी? [2004]
उत्तर :
वैद्युत स्थितिज ऊर्जा \(U=\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{q^{2}}{r}\)जूल
प्रश्न 29.
दिखाइए कि मात्रक वोल्ट/मीटर तथा न्यूटन/कूलॉम एक ही भौतिक राशि के मात्रक हैं। ये मात्रक किस भौतिक राशि से सम्बद्ध हैं?
उत्तर :
ये दोनों मात्रक वैद्यत क्षेत्र की तीव्रता के हैं।
प्रश्न 30.
बिन्दु आवेश के कारण वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता तथा वैद्युत विभव, दूरी r के साथ कैसे विचरण करते [2002]
उत्तर :
वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता E, दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है अर्थात् E ∝ 1/r2
वैद्युत विभव V, दूरी r के व्युत्क्रमानुपाती होता है अर्थात् V ∝ 1/r ; अत: वैद्युत विभव की तुलना में, वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता, दूरी r के बढ़ने पर तेजी से घटती है।
प्रश्न 31.
बिन्दु आवेश तथा रेखीय आवेश के कारण वैद्युत क्षेत्र दूरी के साथ कैसे परिवर्तित होता है? [2005]
उत्तर :
बिन्दु आवेश के लिए वैद्युत क्षेत्र E ∝ 1/r2 तथा रेखीय आवेश के लिए वैद्युत क्षेत्र E & 1/r होता है।
प्रश्न 32.
एकसमान वैद्युत क्षेत्र में क्षेत्र की दिशा से θ कोण पर संरेखित वैद्युत द्विध्रुव की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा के लिए, सूत्र लिखिए।
उत्तर :
एकसमान वैद्युत क्षेत्र \overrightarrow{\mathrm{E}} से θ कोण पर संरेखित द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा
Uθ = – \(\overrightarrow{\mathrm{P}}\).\(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) = – pE cosθ
प्रश्न 33.
1 सेमी त्रिज्या के गोले को 1 कूलॉम आवेश देने से गोले के पृष्ठ पर वैद्युत विभव ज्ञात कीजिए। [2016]
हल :
दिया है, r = 1 सेमी = 10-2 मीटर, q= 1 कूलॉम, V = ?
वैद्युत विभव V = 9 x 109 x \(\frac{q}{r}\) = 9 x 109 x \(\frac{1}{10^{-2}}\) = 9 x 1011 वोल्ट।
प्रश्न 34.
धारिता का विमीय सूत्र तथा मात्रक लिखिए। [2014]
उत्तर :
धारिता का विमीय सूत्र = [M-1L-2T4A2] तथा मात्रक फैरड है।
प्रश्न 35.
M.K.S.A. पद्धति में R त्रिज्या के धातु के खोखले गोले की धारिता का सूत्र लिखिए। अथवा विलगित गोलीय चालक की धारिता का सूत्र लिखिए।
[2001, 03]
उत्तर :
R त्रिज्या के धातु के खोखले गोले की धारिता C = 4 πε0R फैरड।
प्रश्न 36.
संधारित्र के श्रेणी संयोजन का सूत्र लिखिए।
उत्तर :
संधारित्र के श्रेणी संयोजन का सूत्र
\(\frac{1}{C}=\frac{1}{C_{1}}+\frac{1}{C_{2}}\)
प्रश्न 37.
किसी आवेशित संधारित्र की ऊर्जा के लिए सूत्र लिखिए।
उत्तर :
आवेशित संधारित्र की ऊर्जा = \(\frac{1}{2} \frac{q^{2}}{C}\) जूल अथवा \(\frac{1}{2} C V^{2}\) जूल।।
प्रश्न 38.
संधारित्र में साधारणतया प्रयुक्त होने वाले किन्हीं दो परावैद्युत पदार्थों के नाम लिखिए। [2002]
उत्तर :
अभ्रक, मोम, कागज।
प्रश्न 39.
समान्तर प्लेट संधारित्र में दूसरी प्लेट का क्या कार्य है?
उत्तर :
संधारित्र में दूसरी प्लेट का कार्य, प्लेटों का आकार स्थिर रखते हुए पहली प्लेट के विभव को कम करना है, जिससे कि उसे अधिक आवेश दिया जा सके तथा धारिता बढ़ाई जा सके।
प्रश्न 40.
किसी आवेशित चालक की धारिता C फैरड तथा आवेश q के कारण उसमें संचित स्थितिज ऊर्जा U जूल है। चालक पर उपस्थित आवेश का व्यंजक लिखिए।
उत्तर :
चालक की स्थितिज ऊर्जा U = q2/2C; अत: चालक पर आवेश \(q=\sqrt{2 U C}\)
प्रश्न 41.
एक नियत विभवान्तर के लिए कौन-सा संधारित्र अधिक आवेश संगृहीत करेगा? (i) परावैद्युत से भरा संधारित्र या (ii) वायु संधारित्र।
[2018] .
उत्तर :
संधारित्र में संगृहीत आवेश q= CV = \(\frac{K A \varepsilon_{0}}{d} V\)
अत: परावैद्युत से भरा संधारित्र अधिक आवेश संगृहीत करेगा।
प्रश्न 42.
एक आवेशित छड़ के निकट एक अनावेशित धातु की छड़ रखने पर प्रथम छड़ के विभव पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर :
प्रथम छड़ का विभव घट जाएगा।
प्रश्न 43.
सिद्ध कीजिए कि दो आवेशित चालकों को परस्पर स्पर्श कराके अलग कर देने से उन पर आवेश, चालकों की धारिताओं के अनुपात में बँट जाता है।
उत्तर :
दो आवेशित चालकों को स्पर्श कराने पर उनका विभव V समान हो जाएगा इसलिए उन पर आवेश क्रमशः
q1 = C1V व q2 = C2V हो जाएगा।
अतः .
\(\frac{q_{1}}{q_{2}}=\frac{C_{1}}{C_{2}}\)
प्रश्न 44.
एक अनावेशित वैद्युतरोधी चालक A एक-दूसरे आवेशित वैद्युतरोधी चालक B के समीप लाया जाता है तो चालक B के आवेश तथा विभव में क्या परिवर्तन होगा? [2010]
उत्तर :
चालक B पर आवेश में कोई परिवर्तन नहीं होगा परन्तु विभव कम हो जाएगा क्योंकि यह चालक A पर अपने से विपरीत आवेश प्रेरित करता है।
प्रश्न 45.
किसी आवेशित संधारित्र पर नैट आवेश कितना होता है?
उत्तर :
शून्य।
प्रश्न 46.
किसी माध्यम के परावैद्युतांक से क्या तात्पर्य है?[2010]
उत्तर :
परावैद्युतांक-“किसी माध्यम की निरपेक्ष वैद्युतशीलता ६ तथा निर्वात की वैद्युतशीलता ६० के अनुपात को उस माध्यम का परावैद्युतांक K कहते हैं।” अर्थात् ε/ε0 = K
प्रश्न 47.
किसी संधारित्र की धारिता को कैसे बढ़ाया जा सकता है? [2004]
उत्तर :
संधारित्र प्लेटों का क्षेत्रफल बढ़ाकर, प्लेटों के बीच की दूरी कम करके तथा प्लेटों के बीच परावैद्युत पदार्थ रखकर संधारित्र की धारिता को बढ़ाया जा सकता है।
प्रश्न 48.
आवेशित संधारित्र में ऊर्जा किस रूप में कहाँ संचित रहती है? [2002, 04]
उत्तर :
आवेशित संधारित्र की ऊर्जा, संधारित्र की प्लेटों के बीच स्थित परावैद्युत माध्यम में वैद्युत क्षेत्र की ऊर्जा के रूप में संचित रहती है।
प्रश्न 49.
यदि आवेशित संधारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी को बढ़ाया जाए तो उनके बीच विभवान्तर पर क्या प्रभाव पड़ेगा? [2005]
उत्तर :
सूत्र V ∝ d से, विभवान्तर बढ़ जाएगा।
प्रश्न 50.
यदि आवेशित समान्तर पट्ट संधारित्र की प्लेटों को परस्पर निकट लाया जाए तो उनके विभवान्तर में क्या परिवर्तन होगा? [2003]
उत्तर :
सूत्र C ∝ 1/d से, दूरी d के कम होने से धारिता C बढ़ जाएगी तथा सूत्र V ∝ 1/C से, धारिता C के बढ़ने से विभवान्तर V कम हो जाएगा।
प्रश्न 51.
किसी संधारित्र की धारिता की परिभाषा व मात्रक लिखिए। [2014, 15, 16]
उत्तर :
संधारित्र की धारिता–“संधारित्र की एक प्लेट को दिए गए आवेश तथा दोनों प्लेटों के बीच उत्पन्न विभवान्तर के अनुपात को संधारित्र की धारिता कहते हैं।” इसका मात्रक फैरड है।
प्रश्न 52.
किसी संधारित्र की धारिता किन-किन बातों पर निर्भर करती है?
उत्तर :
संधारित्र की धारिता प्लेटों के क्षेत्रफल, प्लेटों के बीच की दूरी तथा प्लेटों के बीच रखे परावैद्युत माध्यम पर निर्भर करती है।
प्रश्न 53.
तीन संधारित्रों के संयोग से अधिकतम तथा न्यूनतम धारिता कैसे प्राप्त करेंगे?
उत्तर :
तीनों संधारित्रों को समान्तर क्रम में जोड़कर अधिकतम धारिता तथा श्रेणीक्रम में जोड़कर न्यूनतम धारिता प्राप्त कर सकते हैं।
प्रश्न 54.
तीन समान धारिता C के संधारित्र श्रेणीक्रम में जुड़े हुए हैं। इनकी परिणामी धारिता कितनी होगी? यदि संधारित्र समान्तर क्रम में जुड़े हों, तब?
उत्तर :
श्रेणीक्रम में परिणामी धारिता = C/3 तथा समान्तर क्रम में परिणामी धारिता = 3C
प्रश्न 55.
किसी आवेशित चालक में संचित स्थितिज ऊर्जा का व्यंजक धारिता तथा विभव के पदों में लिखिए। [2001]
अथवा
किसी चालक का विभव V तथा धारिता C है, चालक की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा का सूत्र बताइए। [2004]
उत्तर :
संचित स्थितिज ऊर्जा \(U=\frac{1}{2} C V^{2}\) जूल; जहाँ C धारिता तथा V विभव है।
प्रश्न 56.
किसी संधारित्र की धारिता C है। यदि इस पर Q आवेश हो तो इस पर संगृहीत ऊर्जा कितनी होगी? [2004]
उत्तर :
संचित स्थितिज ऊर्जा \(U=\frac{1}{2} \frac{Q^{2}}{C}\) जूल।
प्रश्न 57.
C धारिता के संधारित्र को q आवेश देने पर संचित ऊर्जा U है। यदि आवेश बढ़ाकर 24 कर दिया जाए तो संचित ऊर्जा का मान क्या होगा? । [2006]
उत्तर :
सूत्र U ∝ q2 से, संचित ऊर्जा 4U होगी।
प्रश्न 58.
संधारित्रों के संयोजन की समतुल्य धारिता से क्या तात्पर्य है? [2004]
उत्तर :
संयोजन की समतुल्य धारिता-संयोजन की समतुल्य धारिता, उस एकल संधारित्र की धारिता के तुल्य होती है जो किसी बैटरी से जोड़े जाने पर उतना ही आवेश संचित करे, जितना कि उस बैटरी से जोड़े जाने पर संयोजन करता है।
प्रश्न 59.
यदि एक परिवर्ती वायु संधारित्र में n प्लेटें हों तथा दो समीपवर्ती प्लेटों के बीच की दूरी d हो तो संधारित्र की धारिता कितनी होगी? ।
उत्तर :
संधारित्र की धारिता \(C=\frac{(n-1) \varepsilon_{0} A}{d}[latex] फैरड होगी।
प्रश्न 60.
समान्तर पट्ट संधारित्र की धारिता का सूत्र लिखिए , जब उसकी प्लेटों के बीच आंशिक रूप से परावैद्युत पदार्थ रखा हो। .
उत्तर :
समान्तर पट्ट संधारित्र की धारिता C=\frac{\varepsilon_{0} A}{[(d-t)+t / K]} फैरड
प्रश्न 61.
समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता का सूत्र लिखिए। प्रयुक्त संकेतों का अर्थ स्पष्ट कीजिए। [2009]
उत्तर :
समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता [latex]C=\frac{K \varepsilon_{0} A}{d}\) फैरड।
जहाँ d प्लेटों के बीच की दूरी, A प्लेटों का क्षेत्रफल तथा K प्लेटों के बीच के माध्यम का परावैद्युतांक है।
प्रश्न 62.
निर्वात की वैद्युतशीलता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
सूत्र C = ε0A/d से, यदि A = 1 मीटर2, d = 1 मीटर है तो C = ε0
अतः निर्वात की वैद्युतशीलता उस समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता के तुल्य होती है जिसकी प्लेटों का क्षेत्रफल 1 मीटर2 तथा उनके बीच की दूरी 1 मीटर हो।
प्रश्न 63.
\(\frac{1}{2} \varepsilon_{0} E^{2}\) की विमा लिखिए, जहाँ , मुक्त स्थान की वैद्युतशीलता तथा E वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता है।
[2002]
उत्तर :
व्यंजक \(\frac{1}{2} \varepsilon_{0} E^{2}\), प्रति एकांक आयतन में संचित ऊर्जा अर्थात् ऊर्जा घनत्व को प्रदर्शित करता है।
प्रश्न 64.
किसी संधारित्र को एक सीमा से अधिक आवेश देना सम्भव क्यों नहीं है? [2000]
उत्तर :
संधारित्र को लगातार आवेश देते रहने से उसकी प्लेटों के बीच वैद्युत क्षेत्र बढ़ता जाएगा। अन्त में एक स्थिति ऐसी आ जाएगी जब संधारित्र की प्लेटों के बीच के माध्यम का रोधन (insulation) टूट जाएगा और संधारित्र चिनगारी देकर निरावेशित हो जाएगा।
प्रश्न 65.
दो आवेशित चालकों को तार द्वारा जोड़ने पर ऊर्जा-हानि के लिए सूत्र लिखिए। [2005]
उत्तर :
प्रश्न 66.
पृथ्वी के वैद्युत विभव को शून्य माना जाता है, क्यों?
[2003]
उत्तर :
क्योंकि पृथ्वी की धारिता अनन्त होती है; अत: सूत्र V = q/C से, पृथ्वी का वैद्युत विभव V = \(\frac{q}{\infty}\)= 0 (शून्य) होगा।
प्रश्न 67.
क्या कोई ऐसा चालक है जिसे असीमित आवेश दिया जा सके?
उत्तर :
हाँ, पृथ्वी।
प्रश्न 68.
एक आवेशित समान्तर प्लेट संधारित्र किसी पदार्थ, जिसका परावैद्युतांक 2 है, में पूर्ण रूप से डुबो , दिया जाता है। इस संधारित्र की प्लेटों के बीच वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता में क्या परिवर्तन होगा? [2001]
उत्तर :
सूत्र \(E=\frac{q}{K \varepsilon_{0} A}\) से, \(E \propto \frac{1}{K}\) अत: K= 2 रखने पर, वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता आधी हो जाएगी।
प्रश्न 69.
धातु का परावैद्युतांक कितना होता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
धातु का परावैद्युतांक अनन्त होता है; क्योंकि जब किसी धातु को वैद्युत क्षेत्र में रखते हैं तो धातु के भीतर वैद्युत क्षेत्र शून्य ही रहता है।
प्रश्न 70.
परावैद्युत सामर्थ्य से क्या अभिप्राय है? [2010, 13]
उत्तर :
परावैद्युत सामर्थ्य-किसी परावैद्युत पदार्थ के लिए वह महत्तम वैद्युत क्षेत्र जिसे वह बिना वैद्युत भंजन के सहन कर सकता है, परावैधत सामर्थ्य कहलाता है।
प्रश्न 71.
भंजक विभवान्तर से क्या तात्पर्य है? [2010, 13, 18]
उत्तर :
भंजक विभवान्तर—किसी संधारित्र की प्लेटों के बीच वह अधिकतम विभवान्तर जिस पर प्लेटों के बीच रखे परावैद्युत पदार्थ में वैद्युत भंजन होने लगता है, भंजक विभवान्तर कहलाता है।
प्रश्न 72.
एक आवेशित संधारित्र एवं एक वैद्युत सेल में मूल अन्तर क्या है?
उत्तर :
वैद्युत सेल से ली गई धारा नियत होती है जबकि आवेशित संधारित्र से ली गई धारा क्षीण होती जाती है।
प्रश्न 73.
किसी समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता पर, उसमें परावैद्युत पदार्थ भरने से क्या प्रभाव पड़ता है? [2004]
उत्तर :
ऐसा करने से संधारित्र की धारिता बढ़ जाएगी।
प्रश्न 74.
ऊर्जा घनत्व से क्या तात्पर्य है? अथवा आवेशित समान्तर पट्ट संधारित्र की प्लेटों के बीच वैद्युत क्षेत्र में ऊर्जा घनत्व का सूत्र लिखिए। [2013]
उत्तर :
ऊर्जा घनत्व-संधारित्र के एकांक आयतन में संचित ऊर्जा को संधारित्र का ऊर्जा घनत्व कहते हैं। इसे ‘u’ से प्रदर्शित करते हैं।
ऊर्जा घनत्व \(u=\frac{1}{2} \varepsilon_{0} E^{2}\)
यहाँ E प्लेटों के बीच वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता तथा ε0 निर्वात की वैद्युतशीलता है।
स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता आंकिक प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर 50 वोल्ट है। एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक 3 x 10-5 कूलॉम आवेश को ले जाने पर कितना कार्य करना होगा? [2018]
हल :
दिया है, विभवान्तर V = 50 वोल्ट, q= 3 x 10-5 कूलॉम, W = ?
किया गया कार्य (W)= qV
= 3 x 10-5 x 50
= 1.5 x 10-3 जूल।
प्रश्न 2.
किसी α-कण को 10 वोल्ट के विभवान्तर से ले जाया जाता है। किए गए कार्य की गणना जूल में कीजिए। [2005]
हल :
दिया है, α= a-कण = 3.2 x 10-19 कूलॉम, V = 10 वोल्ट, w = ?
किया गया कार्य W = q x V = 3.2 x 10-19 x 10 = 3.2 x 10-18 जूल।
प्रश्न 3.
5 कूलॉम वाले एक वैद्युत आवेश को एक वैद्युत क्षेत्र में एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में 25 जूल ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है। यदि पहले बिन्दु का विभव 10 वोल्ट हो तो दूसरे बिन्दु का विभव कितना होगा? [2010]
हल :
दिया है, q= 5 कूलॉम, W = 25 जूल, VA = 10 वोल्ट, VB = 0
सूत्र VB – VA = \(\frac{W}{q}\) से, VB – 10 = \(\frac{25}{5}\); अत: दूसरे बिन्दु का विभव VB = 15 वोल्ट।
प्रश्न 4.
+ 40 μC के दो आवेश परस्पर 0.4 मीटर की दूरी पर स्थित हैं। इनके मध्य-बिन्दु पर विभव की गणना कीजिए। माध्यम का परावैद्युतांक 2 है।
[2004, 14]
हल :
दिया है, q1 = q2 = q = + 40 μC = 40 x 10-6C, K = 2
मध्य-बिन्दु की प्रत्येक आवेश से दूरी r = 0.4/2 = 0.2 मीटर, V = ?
एक आवेश के कारण मध्य-बिन्दु पर वैद्युत विभव
प्रश्न 5.
दो बिन्दु आवेश +q तथा -2q एक-दूसरे से d दूरी पर स्थित हैं। दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा पर ऐसे बिन्दुओं की स्थिति ज्ञात कीजिए, जहाँ पर आवेशों के इस निकाय के कारण विभव शून्य हो। [2017]
उत्तर :
माना बिन्दु आवेशों को मिलाने वाली रेखा पर +q से आवेश – 2q की ओर x दूरी पर वैद्युत विभव शून्य है। विभव के सूत्र
इस प्रकार आवेशों को मिलाने वाली रेखा पर +q से -2q की ओर, +q से d 13 दूरी पर वैद्युत विभव शून्य है। यदि आवेशों को मिलाने वाले रेखा पर आवेशों के बाहर x दूरी पर वैद्युत विभव शून्य है, तो
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प्रश्न 6.
संलग्न चित्र 2.44 के अनुसार आवेशों को मिलाने वाली रेखा के किन बिन्दुओं पर (i) वैद्युत विभव तथा (ii) वैद्युत क्षेत्र शून्य होंगे? [2005]
(i) Step 1. माना + q आवेश से x सेमी दूरी पर वैद्युत विभव शून्य होगा।
सूत्र V = 9 x 109 q/r से,
Step 2.
अतः = 25 सेमी की दूरी पर दोनों आवेशों के बीच में वैद्युत विभव शून्य होगा।
(ii) Step 3 माना +q आवेश से बायीं ओर × सेमी पर वैद्युत क्षेत्र शून्य होगा; अत:
सूत्र E = 9 × 109 q/r2 से,
Step 4.
अत: +q आवेश से बाहर की ओर x = 136.6 सेमी की दूरी पर वैद्युत क्षेत्र शून्य होगा।
प्रश्न 7.
एक 9μC के बिन्दु आवेश से 5 मीटर की दूरी पर – 2μC का दूसरा बिन्दु आवेश वायु में रखा हुआ है। इन दोनों आवेशों से 3 मीटर की दूरी पर स्थित बिन्दु पर वैद्युत विभव के मान की गणना कीजिए। (दिया है, 1/4πεo = 9 × 109 न्यूटन-मीटर/कूलॉम2) [2000]
हल :
दिया है, q1 = 9 μC = 9 × 10-6 कूलॉम, r1 = 3 मीटर,
q2 = -2μC = – 2 x 10-6 कूलॉम, r2 = 3 मीटर, V = ?
चित्र-2.45 से दोनों आवेशों से समान दूरी r1 = r2 = 3 मीटर पर वैद्युत विभव
प्रश्न 8.
एक वर्ग की प्रत्येक भुजा 60 सेमी लम्बी है। इसके कोनों पर क्रमशः -2, 3, -4 तथा 5 माइक्रोकूलॉम के आवेश रखे हैं। वर्ग के केन्द्र पर विभव ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है, q1 = -2μ0 = – 2 × 10-6 कूलॉम, q2 = 3μC = 3 × 10-6 कूलॉम,
q3 = – 4μC = – 4 × 10-6 कूलॉम, q4 = 5μC = 5 × 10-6 कूलॉम
प्रश्न 9.
चार बिन्दु आवेश 1.0 मीटर लम्बाई की भुजा वाले वर्ग ABCD के कोनों पर चित्र-2.47 के अनुसार रखे हैं। यदि वर्ग के विकर्णों के कटान बिन्दु O तथा भुजा BC का मध्य-बिन्दु E हो तो ज्ञात कीजिए –
(i) बिन्दु O पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता का मान तथा दिशा,
(ii) बिन्दु O पर वैद्युत विभव का मान,
(iii) बिन्दु आवेश 1.0 C को बिन्दु O से बिन्दु E तक ले जाने के लिए आवश्यक ऊर्जा।
(दिया है, 1/4πεo = 9 × 109 न्यूटन-मीटर2/कूलॉम2) .
हल :
EXTRA SHOTS
- वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता एक सदिश राशि है, अत: किसी बिन्दु पर अनेक बिन्दु आवेशों के कारण उत्पन्न परिणामी . वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता, सभी आवेशों के कारण उत्पन्न वैद्युत क्षेत्र की तीव्रताओं के सदिश योग के बराबर होती है।
- वैद्युत विभव एक अदिश राशि है, अत: किसी बिन्दु पर परिणामी विभव, अनेक बिन्दु आवेशों के कारण उस
बिन्दु पर उत्पन्न वैद्युत विभवों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है।
बिन्दुओं A व C पर स्थित आवेशों के कारण बिन्दु O पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता
इसी प्रकार बिन्दुओं B व D पर स्थित आवेशों के कारण बिन्दु O पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता
अतः बिन्दु O पर परिणामी वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता
(ii) चारों कोनों पर स्थित आवेशों के कारण बिन्दु O पर परिणामी वैद्युत विभव
परन्तु A0 = CO = BO = DO; अतः V0 = 0 शून्य।
(iii) चारों कोनों पर स्थित आवेशों के कारण बिन्दु E पर परिणामी वैद्युत विभव
अत: बिन्दु O तथा बिन्दु E के बीच वैद्युत विभवान्तर ∆V = V0 – VE = 0 (शून्य)
अतः 1.0 कूलॉम आवेश को बिन्दु O से बिन्दु E तक ले जाने में किया गया कार्य
w= q × ∆V = 1.0 कूलॉम × 0 वोल्ट = 0 (शून्य)
अर्थात् 1.0 कूलॉम के आवेश को बिन्दु 0 से बिन्दु E तक ले जाने में किसी ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होगी।
प्रश्न 10.
किसी बिन्दु P पर वैद्युत विभव दिया गया है –
V(x, y, 2) = 6x- 8xy2 – 8y+ 6yz – 4z2 मूलबिन्दु पर स्थित 2 कूलॉम बिन्दु आवेश पर वैद्युत बल की गणना कीजिए। [2007]
हल :
V(x, y, 2) = 6x – 8xy2 – 8y + 6yz – 4z2
अत: 2 कूलॉम बिन्दु आवेश पर वैद्युत बल F = qE = 2 × 10 = 20 न्यूटन।
CLASSROOM EXPERIENCE
प्रश्न 11.
एक इलेक्ट्रॉन को 15 × 103 वोल्ट विभवान्तर से त्वरित किया जाता है। इसकी ऊर्जा में वृद्धि जूल तथा इलेक्ट्रॉन-वोल्ट में ज्ञात कीजिए। यह कितनी चाल प्राप्त करेगा? (e = 1.6 × 10-19 कूलॉम, m = 9.0 × 10-31 किग्रा)
[2001, 14] ..
हल :
Step 1. सर्वप्रथम प्रश्न में दिए गए आँकड़े नोट कर लेते हैं।
दिया है, V = 15 × 103 वोल्ट, q= e = 1.6 × 10-19 कूलॉम, K = ?, y = ?
Step 2. V विभवान्तर से त्वरित इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा वृद्धि
K = q × v = (1.6 × 10-19) × (15 × 103)= 2.4 × 10-15 जूल।
Step 3. परन्तु 1.6 × 10-19 जूल = 1 eV
∴ इलेक्ट्रॉन-वोल्ट में ऊर्जा वृद्धि K = \(\frac{2.4 \times 10^{-15}}{1.6 \times 10^{-19}}\) = 15 × 103eV
Step 4.
प्रश्न 12.
एक समबाहु त्रिभुज के प्रत्येक कोने पर + 250 μC के आवेश वायु में रखे हैं। इस त्रिभुज के परिकेन्द्र पर जिसकी प्रत्येक कोने से दूरी 18 सेमी है, परिणामी वैद्युत विभव की गणना कीजिए।
हल :
दिया है, q= + 250 μC = + 250 × 10-6 कूलॉम,
r = 18 सेमी = 18 × 10-2 मीटर, V = ?
चित्र-2.48 से तीनों कोनों पर स्थित आवेशों के कारण त्रिभुज के परिकेन्द्र O पर वैद्युत विभव
प्रश्न 13.
एक तार को 10 सेमी त्रिज्या के वृत्त में मोड़कर उसे 250 μC आवेश दिया जाता है जो उस पर समान रूप से फैल जाता है। इसके केन्द्र पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता तथा विभव ज्ञात कीजिए। –
हल :
दिया है, r = 10 सेमी = 10 × 10-2 मीटर = 0.1 मीटर,
q= 250μC = 250 × 10-6 कूलॉम, E = ?,V = ?
आवेश के वृत्त पर समान रूप से फैलने के कारण यह वृत्त एक सम विभव वृत्त होगा। चूँकि सम विभव के कारण वृत्त के भीतर प्रत्येक बिन्दु पर वैद्युत क्षेत्र शून्य होता है; अत: वृत्त के केन्द्र पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता E = 0 (शून्य) होगी।
तथा वृत्त के केन्द्र पर वैद्युत विभव V = 9 × 109\(\frac{q}{r}=\frac{9 \times 10^{9} \times 250 \times 10^{-6}}{0.1}\)
= 2.25 × 107 वोल्ट। ,
प्रश्न 14.
+10μC तथा -10μC के दो बिन्दु आवेशों के बीच की दूरी 1 मीटर है। इनके मध्य-बिन्दु पर वैद्युत विभव ज्ञात कीजिए। [2004, 10]
हल :
दिया है, q1 = + 10μC, q2 = – 10μC, r = 1 मीटर, V = ?
अत: मध्य-बिन्दु पर परिणामी वैद्युत विभव V = V1 + V2 = 0
प्रश्न 15.
+5.0 × 10-7 कूलॉम तथा – 5.0 × 10-7 कूलॉम के दो बिन्दु आवेशों के बीच की दूरी 1.0 सेमी है। इन आवेशों से बने द्विध्रुव की अक्ष पर केन्द्र से 50 सेमी की दूरी पर स्थित बिन्दु पर वैद्युत विभव की गणना कीजिए। [2007]
हल :
दिया है, q= 5.0 × 10-7 कूलॉम, 2l = 1.0 सेमी = 1.0 × 10-2 मीटर,
r= 50 सेमी = 50 × 10-2 मीटर, V= ?
प्रश्न 16.
दो समान्तर प्लेटें परस्पर 15 सेमी की दूरी पर हैं, उनके बीच 450 वोल्ट का विभवान्तर लगाने पर प्लेटों के बीच वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात कीजिए। हल :
विभवान्तर V = 450 वोल्ट, दूरी d = 15 सेमी = 0.15 मीटर, E = ?
वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता \(E=\frac{V}{d}=\frac{450}{0.15}=3000\) वोल्ट/मीटर।
प्रश्न 17.
एक वैद्युत क्षेत्र में किसी बिन्दु x पर विभव V = 5x2 – 2x + 10 वोल्ट है जहाँ x मीटर में है। बिन्दु x= 1 मीटर पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता तथा इसकी दिशा बताइए।
हल :
V = (5x2 – 2x + 10) वोल्ट
E =- \(\frac{d V}{d x}\) = –\(\frac{d}{d x}\) (5x2 – 2x + 10)
= – [5 × 2x – 2 × 1+ 0] = – 10x + 2 वोल्ट/मीटर
x = 1 मीटर रखने पर,
E = – 10 × 1+ 2 = – 8 वोल्ट/मीटर।
ऋण चिह्न प्रदर्शित करता है कि वैद्युत क्षेत्र ऋण X-अक्ष की ओर दिष्ट है।
प्रश्न 18.
U238 नाभिक में दो प्रोटॉन 6.0 × 10-15 मीटर की दूरी पर हैं। उनकी पारस्परिक वैद्युत स्थितिज ऊर्जा की गणना कीजिए।
हल :
दिया है, r = 6.0 × 10-15 मीटर, q1 = q2 = 1.6 × 10-19 जूल, U = ?
= 3:84 × 10-14 जूल।
प्रश्न 19.
6.0 × 10-8 कूलॉम का एक बिन्दु आवेश निर्देशांक मूलबिन्दु पर स्थित है। एक इलेक्ट्रॉन को बिन्दु x = 3 मीटर से x= 6 मीटर तक ले जाने में कितना कार्य करना होगा?
हल :
मूलबिन्दु पर स्थित आवेश के कारण x = 3 मीटर पर,
प्रश्न 20.
हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन व प्रोटॉन के बीच की दूरी 0.5A है। इनकी पारस्परिक वैद्युत स्थितिज ऊर्जा क्या होगी?
हल :
दिया है, q1 = +1.6 × 10-19 कूलॉम, q2 = -1.6 × 10-19 कूलॉम,
r = 0.5 Å = 5 × 10-11 मीटर, U = ?
प्रश्न 21.
+ 1 × 10-6 कूलॉम और – 1 × 10-6 कूलॉम के दो बिन्दु आवेश परस्पर 2.0 सेमी की दूरी पर स्थित हैं। यह वैद्युत द्विध्रुव 1 × 105 वोल्ट/मीटर के एक समान वैद्युत क्षेत्र में स्थित है। द्विधुव की स्थायी सन्तुलन की स्थिति में स्थितिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए। [2012, 18]
हल :
दिया है, q = 1 × 10-6 कूलॉम, 2l = 2.0 सेमी = 2.0 × 10-2 मीटर
E = 1 × 105 वोल्ट/मीटर
वैद्युत क्षेत्र में वैद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा U = – pE cos θ
स्थायी सन्तुलन की अवस्था में, θ = 0°
U = – pE = – (q × 2l) E –
= -1 × 10-6 × 2 × 10-2 × 1 × 105
= – 2 × 10-3 जूल।
प्रश्न 22.
एक गेंद जिसका द्रव्यमान 1 ग्राम है तथा जिस पर 10-8C आवेश है, एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु की ओर चलती है। यदि पहले बिन्दु का विभव 600 वोल्ट हो तथा दूसरे बिन्दु का विभव शून्य हो तथा दूसरे बिन्दु पर गेंद का वेग 20 सेमी/सेकण्ड हो तो पहले बिन्दु पर गेंद का वेग क्या होगा? [2009]
हल :
दिया है, m = 1 ग्राम = 10-3 किग्रा, q = 10-8C, V1 = 600 वोल्ट, V2 = 0,
V2 = 20 सेमी/सेकण्ड = 0.2 मीटर/सेकण्ड, V1 = ?
गतिज ऊर्जा में वृद्धि = किया गया कार्य
प्रश्न 23.
जब एक आवेशित कण को 100 वोल्ट विभव के बिन्दु से 200 वोल्ट विभव के बिन्दु तक ले जाया जाता है तो इसकी गतिज ऊर्जा 10 जूल कम हो जाती है। कण पर आवेश की गणना कीजिए।
हल :
दिया है, विभवान्तर V = (200-100) = 100 वोल्ट, K = 10 जूल, q= ?
सूत्र गतिज ऊर्जा K = qV से, कण पर आवेश \(q=\frac{K}{V}=\frac{10}{100}=0.1\) कूलॉम।
चूँकि उच्च विभव की ओर जाने में ऊर्जा में कमी होती है; अतः कण पर आवेश धनात्मक होगा।
प्रश्न 24.
एक प्रोटॉन 500 वोल्ट के विभवान्तर से त्वरित किया जाता है। प्रोटॉन का वेग ज्ञात कीजिए। [2018]
हल :
दिया है, V = 500 वोल्ट
प्रोटॉन का द्रव्यमान (m) = 1.66 × 10-24 kg, q = 1.6 × 10-19 कूलॉम
प्रश्न 25.
+ q, + 2q तथा + 4q आवेशों को a मीटर भुजा वाले एक समबाहु त्रिभुज के कोणों पर रखने में कितना कार्य करना होगा? निकाय की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा क्या होगी?
हल :
+q व + 2q के निकाय की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा
प्रश्न 26.
दो समान आवेश +q, 2 a दूरी पर रखे गए हैं। एक तीसरा आवेश – 2q इन दोनों के मध्य बिन्दु पर रखा जाता है। निकाय की स्थितिज ऊर्जा की गणना कीजिए। [2013]
हल :
माना q1 = q2 = q, 43 = – 2q
निकाय की स्थितिज ऊर्जा
प्रश्न 27.
दो समान आवेशों में प्रत्येक 2.0 × 10-7 कूलॉम है। दोनों आवेश परस्पर 20 सेमी की दूरी पर हैं। उसी परिमाण का एक तीसरा आवेश दोनों आवेशों के ठीक बीच में स्थित है। इसे दोनों आवेशों से 20 सेमी दूर एक बिन्दु तक ले जाया जाता है। इस प्रक्रिया में वैद्युत क्षेत्र द्वारा कितना कार्य किया जाता है?
हल :
चित्र-2.50 से A व B पर स्थित बिन्दु आवेशों के कारण इनके मध्य-बिन्दु O पर परिणामी वैद्युत विभव
P एक ऐसा बिन्दु है जो दोनों आवेशों से समान दूरी 20 सेमी पर है; अत: A तथा B आवेशों के कारण बिन्दु P पर परिणामी वैद्युत विभव
एक अन्य समान परिमाण के आवेश को बिन्दु O से बिन्दु P तक ले जाने में वैद्युत क्षेत्र के विरुद्ध किया गया कार्य
W = q × (Vp – Vo )
= 2.0 × 10-7 × (18 – 36) × 103 जूल
= -2.0 × 18 x 10-4
=-3.6 × 10-3 जूल।
ऋण चिह्न प्रदर्शित करता है कि कार्य वैद्युत क्षेत्र द्वारा किया गया है। अतः
अभीष्ट कार्य W = 3.6 × 10-3 जूल।
प्रश्न 28.
दो इलेक्ट्रॉन 106 मीटर/सेकण्ड के वेग से एक-दूसरे की ओर छोड़े गए। वे अधिक-से-अधिक एक-दूसरे के कितने समीप आ सकते हैं?
हल :
दिया है, q = 1.6 × 10-19 कूलॉम, v = 106 मीटर/सेकण्ड, m = 9.0 × 10-31 किग्रा, r = ?
दो इलेक्ट्रॉनों की कुल गतिज ऊर्जा = अधिकतम समीप की स्थितिज ऊर्जा
प्रश्न 29.
विभवमापी के 10 मीटर लम्बे तार के सिरों के बीच 1.0 वोल्ट का विभवान्तर लगाया जाता है। तार में विभव प्रवणता तथा वैद्युत क्षेत्र का मान लिखिए।।
[2003]
हल :
दिया है, Δx= 10 मीटर, ΔV = 1.0 वोल्ट, E = ? ..
चूँकि विभव प्रवणता = वैद्युत क्षेत्र = ΔV/Δ x = 1.0/10 = 0.1वोल्ट/मीटर।
प्रश्न 30.
धातु की दो प्लेटें एक-दूसरे से 5 सेमी की दूरी पर समान्तर स्थित हैं। इनके बीच 200 वोल्ट की एक बैटरी जुड़ी है। गणना कीजिए-(i) इन प्लेटों के बीच गुजरने वाले -कण पर कार्यरत बल तथा (ii) एक प्लेट से दूसरी प्लेट तक पहुँचने में α-कण की गतिज ऊर्जा में वृद्धि। [2007]
हल :
दिया है, d = 5 सेमी = 0.05 मीटर, V = 200 वोल्ट
α-कण का आवेश q= + 2e = 2 × 1.6 × 10-19 कूलॉम, F = ?, ΔK = ?
प्रश्न 31.
107 मीटर/सेकण्ड की चाल से गतिमान इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा, इलेक्ट्रॉन-वोल्ट (eV) में ज्ञात . कीजिए। (m = 9.1 × 10-31 किग्रा)।[2004]
हल :
दिया है, v = 107 मीटर/सेकण्ड, m = 9.1 × 10-31 किग्रा, K = ?
प्रश्न 32.
एक इलेक्ट्रॉन 500 वोल्ट के विभवान्तर पर त्वरित किया जाता है। उसकी गतिज ऊर्जा की गणना कीजिए। वह कितनी चाल प्राप्त कर लेगा?
हल :
दिया है, (q) = 1.6 × 10-19 कूलॉम, V = 500 वोल्ट, K = ?, v = ?
गतिज ऊर्जा K = Vq = 500 × 1.6 × 10-19 जूल = 8.0 × 10-17 जूल।
प्रश्न 33.
एक इलेक्ट्रॉन धारा में इलेक्ट्रॉन का वेग 2.0 × 107 मीटर/सेकण्ड, 1.6 × 103 वोल्ट/मीटर के वैद्युत क्षेत्र के लम्बवत् दिशा में 10 सेमी चलने में 3.4 मिमी विक्षेपित हो जाती है। इलेक्ट्रॉन का विशिष्ट आवेश (e/m) ज्ञात कीजिए। [2013]
हल :
दिया है, v = 2.0 × 107 मीटर/सेकण्ड, E = 1.6 × 103 वोल्ट/मीटर, e / m = ?
x = 10 सेमी = 10 × 10-2 मीटर, y = 3.4 मिमी = 3.4 × 10-3मीटर
प्रश्न 34.
आसुत जल की 64 छोटी बूंदें, प्रत्येक की त्रिज्या 0.1 मिमी तथा आवेश (2/3) × 10-12 कूलॉम है, मिलकर एक बड़ी बूंद बनाती हैं। बड़ी बूंद पर विभव ज्ञात कीजिए। [2007]
हल :
दिया है, r = 0.1 मिमी = 10-4 मीटर, q= (2/3) × 10-12 कूलॉम, V= ?
एक बड़ी बूंद का आयतन = 64 × छोटी बूंदों का आयतन
प्रश्न 35.
समान रूप से आवेशित तथा समान त्रिज्या वाली जल की 64 छोटी बूंदें मिलकर एक बड़ी बूंद बनाती हैं। बड़ी बूंद के लिए-(i) त्रिज्या, (ii) विभव तथा (iii) स्थितिज ऊर्जा के मान एक छोटी बूँद की तुलना में कितने-कितने होंगे?.
[2005]
हल :
माना छोटी बूंद की त्रिज्या r तथा बड़ी बूंद की त्रिज्या R है।
(i) एक बड़ी बूंद का आयतन = 64 × छोटी बूंदों का आयतन
(ii)
(iii)
प्रश्न 36.
एक संधारित्र को 1000 वोल्ट से आवेशित करने पर वह 2 माइक्रोकूलॉम आवेश ग्रहण करता है। संधारित्र की धारिता ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है, V = 1000 वोल्ट, q= 2 माइक्रोकूलॉम = 2 × 10-6 कूलॉम, C = ?
प्रश्न 37.
25 μF धारिता के संधारित्र की प्लेटों के बीच 250 वोल्ट का विभवान्तर लगाने से संधारित्र प्लेटों पर कितना आवेश एकत्रित होगा?
हल :
दिया है, C = 25 μF = 25 × 10-6 फैरड़, V = 250 वोल्ट, q = ?
प्लेटों पर आवेश q= CV = 25 × 10-6 × 250 = 6250 × 10-6 कूलॉम ।
= 6.250 × 10-3 कूलॉम।
अत: संधारित्र की पहली प्लेट पर + 6.250 × 10-3 कूलॉम तथा दूसरी प्लेट पर -6.250 × 10-3 कूलॉम आवेश होगा।
प्रश्न 38.
एक धातु के गोले को, जिसकी त्रिज्या 1 सेमी है, 1 कूलॉम का आवेश देने पर उसका विभव कितना हो जाएगा? [2001]
हल :
दिया है, q= 1 कूलॉम, R= 1 सेमी = 10-2 मीटर, V = ?
प्रश्न 39.
पृथ्वी को 1.28 × 104 किमी व्यास का गोलाकार चालक मानकर उसकी वैद्युत धारिता की गणना कीजिए। [2007]
हल :
दिया है, = 6.4 × 103 किमी = 6.4 × 106 मीटर, C = ?
गोलाकार चालक की धारिता C = 4 πεoR = \(\frac{1}{9 \times 10^{9}}\) × 6.4 × 106
= 711 × 10-6 फैरड = 711μF.
प्रश्न 40.
0.9 मीटर त्रिज्या के एक धनावेशित गोले का विभव 960 वोल्ट है। गोले पर कितने इलेक्ट्रॉनों की कमी है?
हल :
दिया है, R= 0.9 मीटर, V = 960 वोल्ट, n= ? . माना
गोले पर n इलेक्ट्रॉनों की कमी है।
गोले की धारिता C = 4 πεo R; अत: गोले पर आवेश q = CV = πεoRV
परन्तु q= ne अत: ne = 4 πεo RV
= 6.0 × 1011 इलेक्ट्रॉनों की कमी।
प्रश्न 41.
धातु के दो गोलों के व्यास 12 सेमी तथा 8 सेमी हैं। इन्हें समान विभव तक आवेशित किया गया है। इन पर आवेश के पृष्ठ घनत्वों का अनुपात बताइए।
[2012]
हल :
प्रश्न 42.
धातु के दो आवेशित गोलों की त्रिज्याएँ 5 सेमी तथा 10 सेमी हैं। दोनों पर अलग-अलग 75 μC का आवेश है। किसी चालक तार द्वारा दोनों गोलों को जोड़ दिया जाता है। गणना कीजिए- (i) जोड़ने के पश्चात् गोलों का उभयनिष्ठ विभव, (ii) प्रत्येक गोले पर आवेश की मात्रा, (iii) तार में से होकर स्थानान्तरित आवेश की मात्रा तथा (iv) जोड़ने के बाद ऊर्जा में ह्रास (क्षय)। [2004, 05]
हल :
दिया है, R1 = 5 सेमी = 5 × 10-2 मीटर, R2 = 10 सेमी = 10 × 10-2 मीटर,q1 = q2 = 75 μC = 75 × 10-6 कूलॉम
(i) दोनों गोलों को जोड़ने पर उभयनिष्ठ विभव
(ii) पहले गोले पर नया आवेश q’1 = C1V = \(\frac{5}{9}\) × 10-11 × 9.0 × 106 = 50 μC.
दूसरे गोले पर नया आवेश q’2 = C2V = \(\frac{10}{9}\) × 10-11 × 9.0 × 106 = 100 μC.
(iii) तार में होकर स्थानान्तरित आवेश की मात्रा = 75 – 50 = 25 μC छोटे गोले से।
(iv)
प्रश्न 43.
एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल 100 सेमी2 है तथा दोनों प्लेटों के बीच की दूरी 0.05 सेमी है। इनके बीच एक परावैद्युत पदार्थ भर देने पर संधारित्र की धारिता 3.54 × 1010 फैरड हो । जाती है। पंदार्थ के परावैद्युतांक की गणना कीजिए।
हल :
दिया है, A = 100 सेमी 2 = 1 × 10-2 मीटर2, d = 0.05 सेमी = 5 × 10-4 मीटर, C = 3.54 × 10-10 फैरड, K = ?
प्रश्न 44.
एक वायु संधारित्र की धारिता 2.0μF है। यदि इसकी प्लेटों के बीच कोई अन्य माध्यम रखने पर धारिता 12 μF हो जाए तो माध्यम के परावैद्युतांक की गणना कीजिए।
हल :
दिया है, Co = 2.0 μr, C = 12 μF, K = ?
अत: माध्यम का परावैद्युतांक K = \(\frac{C}{C_{0}}=\frac{12}{2}\) = 6
प्रश्न 45.
एक समान्तर प्लेट संधारित्र को 500 वोल्ट तक आवेशित किया जाता है, अब इसकी प्लेटों के बीच की . . दूरी को घटाकर आधा कर दिया जाता है। संधारित्र पर नए विभवान्तर की गणना कीजिए।
हल :
दिया है, V1 = 500 वोल्ट, d1 = d, d2 = d/2, V2 = ?
प्रश्न 46.
एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों का व्यास 8 सेमी है तथा उसमें परावैद्युत के रूप में वायु है। यदि इस संधारित्र की धारिता 100 सेमी त्रिज्या वाले गोले की धारिता के समान हो तो इसकी प्लेटों के बीच की दूरी ज्ञात कीजिए। [2010, 14]
हल :
दिया है, r = 4 सेमी = 4 × 10-2 मीटर, R = 100 सेमी = 1 मीटर, d = ?
प्लेट का क्षेत्रफल A = Tr2 = n × (4 × 10-2)2 = 16 n × 10-4 मीटर2
समान्तर प्लेटसंधारित्र की धारिता C = Aεo /d
तथा गोले की धारिता C = 4πεo R
प्रश्न 47.
एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के बीच की दूरी 1.0 सेमी तथा प्लेट क्षेत्रफल 0.01 मीटर2 है। इसको 150 वोल्ट विभवान्तर से आवेशित किया गया है। आवेशन बैटरी को हटाकर संधारित्र की प्लेटों के बीच में 7 परावैद्युत स्थिरांक का एक गुटका रख दिया जाता है। परावैद्युत माध्यम में वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता की गणना कीजिए।
[2007]
हल :
दिया है, V0 = 150 वोल्ट, d = 1.0 सेमी = 1.0 × 10-2 मीटर, A = 0.01 मीटर2, K = 7, E = ?
चूँकि बैटरी हटा ली गई है; अतः आवेश नियत रहेगा।
अर्थात् q= C0V0 = CV अथवा C0 V0 = KC0 V
[∵ C = KC0]
अत: नया विभवान्तर V=\frac{V_{0}}{K}=\frac{150}{7} = 21.43 वोल्ट।
परावैद्युत माध्यम में वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता
E=\frac{V}{d}=\frac{21.43}{10^{-2}}
= 2.143 × 103 वोल्ट/मीटर।
प्रश्न 48.
एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल 3.0 × 10-2 मीटर2 है तथा प्लेटों के बीच की दूरी 0.6 मिमी है। इसे 1000 वोल्ट विभवान्तर तक आवेशित किया जाता है। इसमें कितनी ऊर्जा संचित होगी? [2009]]
हल :
दिया है, A = 3.0 × 10-2 मीटर2, d = 0.6 मिमी = 6 × 10-4 मीटर, Vo = 1000 वोल्ट, U = ?
प्रश्न 49.
एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल 40 सेमी2 है तथा दोनों प्लेटों के बीच वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता 50 न्यूटन/कूलॉम है। प्रत्येक प्लेट पर कितना आवेश है? [2009, 14]
हल :
दिया है, A= 40 सेमी2 = 40 × 10-4 मीटर2, E = 50 न्यूटन/कूलॉम, q= ?
सूत्र E = q/εoA से, q= E× εoA .
अतः प्रत्येक प्लेट पर आवेश q= 50 × (8.85 × 10-12) × 40 × 10-4
= 1.77 × 10-12 कूलॉम।।
प्रश्न 50.
एक समान्तर प्लेट वायु संधारित्र की धारिता 2 μF है। जब इसकी प्लेटों के बीच, प्लेटों के बीच की दूरी की तीन-चौथाई मोटाई की K परावैद्युतांक की प्लेट रखी जाती है, तब संधारित्र की धारिता 4 μF हो जाती है। K का मान ज्ञात कीजिए जहाँ प्लेटों का तथा परावैद्युत प्लेट का क्षेत्रफल समान है। [2014]
हल :
दिया है, Co = 2μF, C = 4 μF, \(t=\frac{3}{4} d\)
समान्तर प्लेट वायु संधारित्र की धारिता \(C_{0}=\frac{A \varepsilon_{0}}{d}\)
t मोटाई तथा K परावैद्युतांक की प्लेट संधारित्र के बीच रखने पर संधारित्र की धारिता
प्रश्न 51.
100μF समान्तर प्लेट संधारित्र 400 वोल्ट तक आवेशित है। यदि इसकी प्लेटों के बीच की दूरी आधी कर दी जाए तो प्लेटों के बीच नया विभवान्तर क्या होगा तथा इसकी संचित ऊर्जा में क्या परिवर्तन होगा? [2004, 06, 14]
हल :
दिया है, C = 100 μF = 100 × 10-6 F = 10-4F, V1= 400 वोल्ट, d1=d, d2 = d/2, V2= ? ∆U = ?
प्रश्न 52.
एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल 100 सेमी है तथा दोनों प्लेटों के बीच अन्तराल 0.025 सेमी है। यदि संधारित्र को 3.54 μC आवेश दिया जाए, तो इसकी प्लेटों के बीच विभवान्तर कितना होगा? यदि प्लेटों के बीच अन्तराल बढ़ाकर 0.05 सेमी कर दिया जाए तो नया विभवान्तर कितना होगा? [2018]
हल :
A = 100 सेमी2 = 100 × 10-4 मीटर2, d = 0.025 सेमी = 2.5 × 10-4 मीटर
q = 3.54 μC= 3.54 × 10-6C, V= ?
प्रश्न 53.
एक समान्तर प्लेट संधारित्र 300pF है तथा इसकी दोनों प्लेटों के बीच 1 मिमी की दूरी है। प्लेटों के बीच वायु है—(i) यदि संधारित्र को 1200 वोल्ट तक आवेशित किया जाए तो इसकी ऊर्जा क्या होगी? (ii) यदि प्लेटों के बीच की दूरी दोगुनी कर दी जाए तो प्लेटों के बीच विभवान्तर कितना हो जाएगा? [2007]]
हल :
दिया है, C = 300pF = 300 × 10-12F, d = 1 मिमी = 10-3 मीटर,V = 1200 वोल्ट,U = ?,V = ?
प्रश्न 54.
20 μF के एक संधारित्र को, जिसे 500 वोल्ट तक आवेशित किया गया है, एक अन्य 10 uF के संधारित्र के साथ, जिसे 200 वोल्ट तक आवेशित किया गया है, समान्तर क्रम में जोड़ दिया जाता है। उनका उभयनिष्ठ विभव ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है, C1= 20 μF, V1 = 500 वोल्ट, C2 = 10 μr, V2 = 200 वोल्ट, V = ?
प्रश्न 55.
4 तथा 2 माइक्रोफैरड धारिता के दो संधारित्र 6 वोल्ट की बैटरी के समान्तर क्रम में जोड़ दिए गए हैं—
(i) प्रत्येक संधारित्र की प्लेटों के बीच विभवान्तर बताइए तथा
(ii) प्रत्येक संधारित्र पर आवेश ज्ञात कीजिए।
हल :
(i) चूँकि संधारित्र बैटरी के समान्तर क्रम में लगे हैं; अतः प्रत्येक संधारित्र की प्लेटों के बीच विभवान्तर बैटरी के विद्युत वाहक बल अर्थात् 6 वोल्ट के बराबर होगा।
(ii) 4μF धारिता वाले संधारित्र पर आवेश q1 = 4 μF × 6V = 24 μC.
2 μF धारिता वाले संधारित्र पर आवेश q2 = 2 μF × 6V = 12 μC.
प्रश्न 56.
दो संधारित्र, जिनकी धारिताएँ 4 μF तथा 12 μF हैं, 120 वोल्ट की लाइन से श्रेणीक्रम में जुड़े हैं। संयोजन की प्रभावी धारिता तथा प्रत्येक संधारित्र के विभवान्तर व आवेश की गणना कीजिए। ..
हल :
दिया है, C1 = 4 uF, C2 = 12 uF, V = 120 वोल्ट, C = ?, q= ?, V1 = ?, V2 = ?
प्रश्न 57.
तीन समरूप संधारित्र C1,C2तथा C3 जिनकी प्रत्येक की धारिता 6 μF है, 12 वोल्ट की बैटरी से जुड़े हैं जो कि चित्र में प्रदर्शित है।
ज्ञात कीजिए-(i) प्रत्येक संधारित्र का आवेश,
(ii) परिपथ की समतुल्य धारिता। – [2018]
हल :
(i) संधारित्र C1 व C2 परस्पर श्रेणीक्रम में हैं। अत: इनकी तुल्य धारिता,
(ii) संधारित्र C’ व C3 परस्पर समान्तर क्रम में हैं।
अतः इनकी समतुल्य धारिता C = C’ + C3 = 3+ 6 = 9μF
प्रश्न 58.
दो संधारित्र जिनकी धारिताएँ क्रमशः 2 व 3 माइक्रोफैरड हैं, श्रेणीक्रम में लगे हैं। पहले संधारित्र की बाहरी प्लेट 1000 वोल्ट पर है और दूसरे संधारित्र की बाहरी प्लेट पृथ्वी से जुड़ी है। प्रत्येक संधारित्र की भीतरी प्लेट का विभव तथा आवेश ज्ञात कीजिए।
हल :
इस संधारित्र की भीतरी प्लेट 1000 वोल्ट पर है; अत: बाहरी प्लेट (1000 – 600)
= 400 वोल्ट पर होगी।
∵ दूसरे संधारित्र की भीतरी प्लेट पहले संधारित्र की बाहरी प्लेट से जुड़ी है। अत: दूसरे संधारित्र की भीतरी प्लेट भी 400 वोल्ट पर होगी।
प्रश्न 59.
20 वोल्ट की एक बैटरी को एक वायु संधारित्र से जोड़ने पर संधारित्र पर 30 µC आवेश आ जाता है। यदि प्लेटों के बीच तेल भर दिया जाए तो प्लेटों पर 75µC आवेश आ जाता है-(i) तेल का परावैद्युतांक तथा (ii) तेल से भरे संधारित्र में संचित ऊर्जा की गणना कीजिए।
हल :
(i) दिया है, V = 20 वोल्ट तथा q= 30 µC
(ii)
प्रश्न 60.
किसी वायु संधारित्र को 5 वोल्ट के स्रोत से आवेशित करके स्रोत से अलग कर दिया गया। अब संधारित्र की प्लेटों के बीच एक परावैद्युत भर दिया गया जिसका परावैद्युतांक 2 है। यदि वायु संधारित्र की धारिता 10 uF हो तो परावैद्युत पदार्थ भरने के पश्चात् इस संधारित्र में संचित ऊर्जा की गणना कीजिए।
[2006]
हल :
दिया है, Vo = 5 वोल्ट, Co = 10 uF, K = 2, U = ?
प्रश्न 61.
एक समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता 50 पिकोफैरड व प्लेटों के बीच की दूरी 4 मिमी है। इसे बैटरी द्वारा 200 वोल्ट तक आवेशित करके बैटरी को हटा लिया जाता है। फिर प्लेटों के बीच 2 मिमी मोटी परावैद्युत की पट्टी (K = 4) रखी जाती है। ज्ञात कीजिए
(i) प्रत्येक प्लेट पर अन्तिम आवेश, (ii) प्लेटों के बीच अन्तिम विभवान्तर, (iii) ऊर्जा-हानि। [2018]
हल :
दिया है, C = 50 पिकोफैरड = 50 × 10-12 फैरड, d = 4 मिमी = 4 × 10-3 मीटर,
V= 200 वोल्ट, t = 2 मिमी = 2 × 10-3 मीटर, K = 4
(i) संधारित्र को आवेशित कर बैटरी हटा ली गई है; अतः प्लेटों पर प्रारिम्भक आवेश
= प्लेटों पर अन्तिम आवेश
q= CV = 50 × 10-12 × 200 कूलॉम
= 1 × 10-8 कूलॉम।
(ii)
(iii)
प्रश्न 62.
समान धारिता के चार संधारित्र समान्तर क्रम में जुड़े हैं। जब इन्हें 1.5 वोल्ट के सेल से जोड़ते हैं तो प्रत्येक पर 1.5µC आवेश संचित हो जाता है। यदि इन्हें श्रेणीक्रम में जोड़कर उसी सेल से आवेशित किया जाए तब उन संधारित्रों पर कितना आवेश संचित होगा? [2009, 16]]
हल :
दिया है, V = 1.5 वोल्ट, q= 1.5 µC, Q= ?
प्रत्येक संधारित्र की धारिता \(C=\frac{q}{V}=\frac{1.5}{1.5}\)= 1 µF
श्रेणीक्रम में जोड़ने पर तुल्य धारिता C1 = 0.25µF
अतः संधारित्रों पर आवेश Q = C1 V = 0.25 × 1.5 = 0.375µc
प्रश्न 63.
एक 100 pF धारिता के संधारित्र को 100 वोल्ट के विभवान्तर तक आवेशित किया गया है। इसे एक-दूसरे संधारित्र के समान्तर क्रम में जोड़ा गया है। यदि अन्तिम वोल्टेज 30 वोल्ट हो तो संधारित्र की धारिता क्या होगी? कितनी ऊर्जा का ह्रास होगा और उसका क्या होगा? .
हल :
दिया है, C= 100 pF = 100 × 10-12 F = 10-10 F, V1= 100 वोल्ट, .
V2= 0, V = 30 वोल्ट, C2 = ?
इस ऊर्जा का ऊष्मा के रूप में ह्रास होगा।
प्रश्न 64.
एक समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता 16 μF है तथा इस पर आवेश 3.2 × 10-4 कूलॉम है। आवेश को अपरिवर्तित रखते हुए प्लेटों के बीच की दूरी दोगुनी करने के लिए कितना कार्य करना होगा? [2012]
हल :
दिया है , C1 = 16 μF = 16 × 10-6 F, q= 3.2 × 10-4 कूलॉम,
d1 = d, d2 = 2 d, W = ?
प्रश्न 65.
एक 10 μF के संधारित्र का विभवान्तर 100 वोल्ट से 200 वोल्ट कर देने पर उसकी ऊर्जा में वृद्धि की गणना कीजिए।
[2007, 12, 13, 14]
हल :
दिया है, C = 10 μF = 10 × 10-6 F, V2 = 200 वोल्ट, V1 = 100 वोल्ट, ΔU = ?
प्रश्न 66.
एक 8 माइक्रोफैरड के संधारित्र का विभवान्तर 20 वोल्ट से बढ़कर 25 वोल्ट कर देने पर उसकी स्थितिज ऊर्जा में हुई वृद्धि की गणना कीजिए। [2018]]
हल :
दिया है, C = 8 माइक्रोफैरड = 8 × 10-6 फैरड, V1 = 20 वोल्ट, V2 = 25 वोल्ट
संधारित्र की स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि ΔU = \(\frac{1}{2} C V_{2}^{2}-\frac{1}{2} C V_{1}^{2}\)
= \(\frac{1}{2}\) C(V22 – V12
= \(\frac{1}{2}\) × 8 × 10-6 [(25)2 – (20)2] = 4 × 10-6 [625 – 400]
= 4 × 10-6 × 225
= 9.0 × 10-4 जूल।
प्रश्न 67.
0.5μF के संधारित्र को इतना आवेशित किया गया कि उसकी प्लेटों के बीच विभवान्तर 25 वोल्ट हो जाता है। संधारित्र में संचित ऊर्जा की गणना कीजिए।
[2005, 06, 09]
हल :
दिया है, C = 0.5μF = 5 × 10-7F, V = 25 वोल्ट, U = ?
संचित ऊर्जा U = \(\frac { 1 }{ 2 }\)CV2 ==\(\frac { 1 }{ 2 }\) × (5 x 10-7) × (25)2 = 1.5625 × 10-4 जूल।
प्रश्न 68.
4.0 μF तथा 6.0 μF के दो संधारित्र 20 V की बैटरी के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित हैं। 4.0 uF धारिता के संधारित्र में संगृहीत ऊर्जा तथा प्रति सेकण्ड बैटरी द्वारा दी गयी ऊर्जा का मान ज्ञात कीजिए। [2017]
हल :
4.0 μF व 6.0 μF श्रेणीक्रम में हैं।
प्रश्न 69.
एक आवेशित समान्तर प्लेट संधारित्र द्वारा संचित ऊर्जा घनत्व 17.70 जूल/मीटर3 है। संधारित्र की प्लेटों के बीच वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात कीजिए। (εo = 8.85 x 10-12 कूलॉम2/न्यूटन-मीटर2) [2000, 04]
हल :
दिया है, U = 17.70 जूल/मीटर3 εo = 8.85 × 10-12 कूलॉम2/न्यूटन-मीटर2, E = ?
प्रश्न 70.
3 μF, 3 μF और 6 μF धारिता के संधारित्रों को किस प्रकार संयुक्त करें कि तुल्य धारिता 5μF हो?
हल :
3 μF व 6 μF को श्रेणीक्रम में जोड़ने पर, तुल्य धारिता C = \(\frac{3 \times 6}{3+6}\) = 2 μF
2 μF व 3 μF को समान्तर क्रम में जोड़ने पर, तुल्य धारिता C = 2+ 3 = 5μF
प्रश्न 71.
दो संधारित्रों की तुल्य धारिता समान्तर क्रम में 24 μF तथा श्रेणीक्रम में 6μF है। उनकी अलग-अलग धारिताएँ क्या हैं?
हल :
समान्तर क्रम में, C = C1+C2; अतः 24 = C1 + C2 …………(1)
∴ C1C2 = 24 × 6 = 144
सूत्र (C1 – C2)2 = (C1+C2)2 – 4 C1C2 से,
(C1 – C2)2 = (24)2-4 × 144 = 576 – 576 = 0
अतः C1 = C2
अतः दोनों संधारित्रों की धारिताएँ C1 = C2 = 12 μF.
प्रश्न 72.
बिन्दुओं A तथा B के बीच तुल्य धारिता ज्ञात कीजिए। [2017]
हल :
दिए गए चित्र को निम्न रूप में व्यवस्थित करने पर
2 μF, 3 μF व 6 μF समान्तर क्रम में हैं। अतः तुल्य धारिता
C1 = 2+ 3+ 6 = 11 μF
4 μF व 5μF समान्तर-क्रम में हैं। अत: तुल्य धारिता ।
C2 = 4+ 5 = 9 μF
8 μF, 11 μF व 9 μF श्रेणीक्रम में हैं। अतः तुल्य धारिता
प्रश्न 73.
संलग्न परिपथ चित्र-2.54 में यदि A तथा B बिन्दुओं के बीच 150 वोल्ट विभवान्तर लगाया जाए तो 6 μF के संधारित्र के प्लेटों के बीच उत्पन्न विभवान्तर एवं संचित ऊर्जा की गणना कीजिए। [2015]
हल :
(i) 2 μF व 3 μF के संधारित्र श्रेणीक्रम में हैं, अत: इनकी
तुल्य धारिता C1 = \(\frac{2 \times 3}{2+3}\) = 1.2 μF
1.8uF व 1.2uF समान्तर क्रम में हैं, अत: इनकी तुल्य धारिता
C2 = 1.8+ 1.2 = 3 μF
अब 3 μF व 6μF के संधारित्र श्रेणीक्रम में हैं; अत: A व B के बीच तुल्य धारिता
C = \(\frac{3 \times 6}{3+6}\) = 2 μF
(ii) सम्पूर्ण निकाय पर आवेश Q = CV = 2μF × 150 = 300 μC
प्रश्न 74.
3 μF की धारिता वाले तीन संधारित्रों को किस प्रकार जोड़ा जाए कि उनकी सम्मिलित धारिता-(i) 4.5 μF तथा (ii) 9 μF हो जाए? प्रत्येक का परिपथ आरेख भी खींचिए। [2010]
हल :
(i) दो संधारित्रों को श्रेणीक्रम में जोड़कर तीसरा संधारित्र इनके साथ समान्तरक्रम में जोड़ने पर [चित्र-2.55],
चित्र-2.55
अतः तुल्य धारिता C = 1.5+ 3 = 4.5 μF
(ii) तीनों संधारित्रों को समान्तर-क्रम में जोड़ने पर [चित्र-2.55]
तुल्य धारिता C = 3 + 3 +3 = 9 μF.
प्रश्न 75.
चित्रानुसार संयोजन के समतुल्य संधारित्र की गणना कीजिए। [2018]
हल :
संधारित्र C1 व C2 परस्पर श्रेणीक्रम में हैं।
प्रश्न 76.
संलग्न चित्र में संधारित्रों के जालक्रम में A तथा B बिन्दुओं के बीच तुल्य धारिता 1μF है। संधारित्र C की धारिता का मान ज्ञात कीजिए।[2017]
हल :
6 μF व 1 μF श्रेणीक्रम में हैं, अतः तुल्य धारिता
प्रश्न 77.
दिए गए चित्र में A तथा B के मध्य विभवान्तर 100 वोल्ट का लगाया गया है। C व D के मध्य विभवान्तर ज्ञात कीजिए।
[2018]
हल :
बिन्दु E व F के बीच संधारित्र C2, C3 तथा C4 परस्पर श्रेणीक्रम में हैं।
संधारित्रों C2,C3 तथा C4 पर समान आवेश q = C’V = 2 × 100 = 200μC
C व D के मध्य विभवान्तर, V = \(\frac{q}{C_{3}}=\frac{200}{6}\) वोल्ट = 33. 3 वोल्ट।
प्रश्न 78.
संलग्न परिपथ चित्र-2.62 में स्थिर अवस्था में दोनों संधारित्रों पर संचित आवेशों तथा विभव की गणना कीजिए।
[2002, 14]
हल;
4 μF व 6 μF के संधारित्रों के आवेशित हो जाने पर इनमें कोई धारा नहीं बहेगी; अत: 4 μF व 6 μF कार्य नहीं करेंगे। 4Ω, 5Ω व 1Ω श्रेणीक्रम में हैं; अत: इनका तुल्य प्रतिरोध R = 4+ 5 + 1 = 10Ω
4Ω, 5Ω व 1Ω में बहने वाली धारा
4Ω व 5Ω श्रेणीक्रम में हैं; अत: इनका तुल्य प्रतिरोध
R= 4 + 5 = 9Ω
9Ω के सिरों के बीच विभवान्तर V = iR = 2 × 9 = 18 वोल्ट
4 μF व 6 μF श्रेणीक्रम में हैं; अत: इनकी तुल्य धारिता
अतः 4 μF व 6 μF के संधारित्रों पर संचित आवेश q= CV = 2.4 × 18 = 43.2 μC.
प्रश्न 79.
संलग्न परिपथ चित्र-2.63 में प्रदर्शित संधारित्र में संचित ऊर्जा ज्ञात कीजिए। [2008]
हल :
संधारित्र के आवेशित हो जाने पर इसमें कोई धारा नहीं बहेगी; अत: 2 μF कार्य नहीं करेगा।
2Ω, 3Ω व 5Ω श्रेणीक्रम में हैं; अत: इनका तुल्य प्रतिरोध
R= 2 + 3 + 5 = 10Ω
परिपथ का विभवान्तर V = iR = 2 × 10 = 20 वोल्ट
अतः संधारित्र में संचित ऊर्जा U = \(\frac { 1 }{ 2 }\) CV2
=\(\frac { 1 }{ 2 }\) × 2 x 10-6 × (20)2 = 4 × 10-4 जूल।
प्रश्न 80.
संलग्न परिपथ चित्र-2.64 में यदि B को पृथ्वी से जोड़ दिया जाए तथा A को 1500 वोल्ट विभव पर रखा जाए तो P पर विभव की गणना कीजिए।
हल :
5 μF व 5 μF श्रेणीक्रम में हैं; अत: इनकी तुल्य धारिता
2.5 μF व 1 μF समान्तर क्रम में हैं; अत: इनकी तुल्य धारिता
C2 = 1+ 2.5 = 3.5 μF
3.5μF व 3.5 μF श्रेणीक्रम में हैं; अत: A व B के बीच तुल्य धारिता
अतः संधारित्रों पर आवेश q= CV = 1.75 × 10-6 × 1500 = 2625 × 10-6 कूलॉम
∵ B पृथ्वी से जुड़ा है; अत: VB = 0 वोल्ट
अतः . बिन्दु P पर विभव VP = VB + 750 = 0+ 750 = 750 वोल्ट।
प्रश्न 81.
चित्र में प्रदर्शित संधारित्र C2 में विभवान्तर व संचित ऊर्जा की गणना कीजिए। बिन्दु A पर विभव 90 वोल्ट है। C1 = 20 μF, C2 = 30μF और C = 15μF हैं। [2018]
हल :
संयोजन के सिरों पर विभवान्तर = 90 – 0 = 90 वोल्ट
संधारित्र C1, C2 व C3 परस्पर श्रेणीक्रम में हैं। अत: इनकी तुल्य धारिता,
प्रश्न 82.
निम्नांकित परिपथ [चित्र-2.66 (a)] में प्रदर्शित परिपथ में बिन्दु A एवं B के बीच की कुल धारिता का मान इसका सरल समतुल्य परिपथ बनाकर ज्ञात कीजिए। [2000, 04, 06]]
हल :
चित्र-2.66 (a) में प्रत्येक संधारित्र की प्रथम प्लेट A बिन्दु से तथा द्वितीय प्लेट B बिन्दु से जुड़ी है। इस प्रकार तीनों संधारित्र समान्तर-क्रम में हैं चित्र-2.66 (b)। अतः इनकी तुल्य धारिता C = 3 + 4 + 5 = 12 μF.
प्रश्न 83.
निम्नांकित परिपथ चित्र-2.67 (a) में A व B के बीच तुल्य धारिता की गणना कीजिए। [2003]
हल:
सर्वप्रथम चित्र-2.67 (a) को चित्र-2.67 (b) के अनुसार प्रतिस्थापित करते हैं; अतः दिया गया परिपथ एक व्हीटस्टोन सेतु की व्यवस्था है। भुजाओं MN व NO की धारिताओं का अनुपात तथा भुजाओं MP व PO की धारिताओं का अनुपात समान है; अतः सेतु सन्तुलित है।
प्रत्येक श्रेणी की संयोजन की धारिता
प्रश्न 84.
निम्नांकित परिपथ चित्र-2.68 (a) में A और B बिन्दुओं के बीच तुल्य धारिता ज्ञात कीजिए। [2015]
हल :
सर्वप्रथम परिपथ-2.68 (a) को चित्र 2.64 (b) की भाँति व्यवस्थित करते हैं जो कि एक व्हीटस्टोन सेतु है। अत: 8 μF पर कोई आवेश संचित नहीं होगा। AC व CB के मध्य 3 μF व 6 μF श्रेणीक्रम में हैं तथा AD व DB के मध्य 3 μF व 6 μF श्रेणीक्रम में हैं।
प्रश्न 85.
तीन संधारित्र एक 30 वोल्ट की बैटरी से चित्र-2.69 के अनुसार जुड़े हैं। गणना कीजिए-
(i) संधारित्र की तुल्य धारिता तथा
(ii) 10 μF धारिता के संधारित्र द्वारा संचित ऊर्जा। [2011]
हल :
(i) 6 μF व 12 μF श्रेणीक्रम में हैं।
अत: इनकी तुल्य धारिता C1= \frac{6 \times 12}{6+12} = 4 μF
4 μF व 10 μF समान्तर क्रम में हैं।
अत: इनकी तुल्य धारिता C = 4+ 10 = 14 μF
(ii) 10 μF में संचित ऊर्जा U = = \(\frac { 1 }{ 2 }\)C’V2
=\(\frac { 1 }{ 2 }\) × 10 × 10-6 × (30)2 = 4.5 × 10-3 जूल।
प्रश्न 86.
संलग्न परिपथ चित्र-2.70 की सहायता से ज्ञात कीजिए –
C = 100 pF
(i) संयोजन की तुल्य धारिता
(ii) C1 संधारित्र पर आवेश तथा
(iii) संयोजन की कुल संचित ऊर्जा।[2008, 13]
हल :
(i) 200pF व 200pF श्रेणीक्रम में हैं; अत: इनकी तुल्य धारिता
100pF व 100pF समान्तर क्रम में हैं। अत: इनकी तुल्य धारिता
C” ‘ = 100 + 100 = 200pF
200pF श्रेणीक्रम में हैं; अत: A व B के बीच तुल्य धारिता
(ii) संयोजन पर कुल आवेश q = CV = 100 × 200 = 20000 pC
(iii)
प्रश्न 87.
किसी समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता 2 μ F है, जब इसकी प्लेटों के बीच निर्वात रहता है। प्लेटों के बीच के स्थान को दो परावैद्युतों की बराबर-बराबर मात्राओं से चित्र-2.71 में प्रदर्शित गई दो विधियों से भरा जाता है। यदि उनके परावैद्युतांक 3 व 6 हों तो दोनों स्थितियों में संधारित्र की धारिता की गणना कीजिए। [2006]
हल :
दिया है, K1 = 3, K2 = 6, εoA/d = 2 μF
(i) जब संधारित्र समान्तर क्रम में हैं तो क्षेत्रफल A/2 होगा।
अतः प्रथम स्थिति में संधारित्र की तुल्य धारिता
CI = C1+C2 = 3 + 6 = 9 μF
(ii) श्रेणीक्रम में दूरी d/2 होगी; अत:
प्रश्न 88.
किसी समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता 2 μF है। इसके आधे भाग को चित्रानुसार एक परावैद्युत पदार्थ से भरा जाता है तो इसकी धारिता 5 μF हो जाती है। परावैद्युतांक K का मान ज्ञात कीजिए। [2018]
हल :
माना समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों का क्षेत्रफल A तथा उनके बीच की दूरी d है।
स्थिरवैद्युत विभव तथा धारिता बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
निम्नलिखित प्रश्नों के चार विकल्प दिए गए हैं। सही विकल्प का चयन कीजिए –
प्रश्न 1.
वैद्युत विभव का मात्रक है [2011]
(a) जूल/कूलॉम
(b) जूल-कूलॉम
(c) कूलॉम/जूल
(d) न्यूटन/कूलॉम।
उत्तर :
(a) जूल/कूलॉम
प्रश्न 2.
वैद्युत विभव का मात्रक [2014]
(a) जूल/कूलॉम
(b) वोल्ट/मीटर
(c) जूल-कूलॉम
(d) जूल/कूलॉम-मीटर।
उत्तर :
(a) जूल/कूलॉम
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन वैद्युत विभव का मात्रक नहीं है [2013]
(a) वोल्ट
(b) जूल/कूलॉम
(c) न्यूटन/कूलॉम
(d) न्यूटन-मीटर/कूलॉम।
उत्तर :
(c) न्यूटन/कूलॉम
प्रश्न 4.
एक-दूसरे से 0.5 मीटर की दूरी पर स्थित दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर 50 वोल्ट है।2 कूलॉम आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में आवश्यक कार्य का मान होगा – [2004]
(a) 1 जूल
(b) 25 जूल
(c) 50 जूल
(d) 100 जूल।
उत्तर :
(d) 100 जूल।
प्रश्न 5.
0.45 मीटर त्रिज्या की एक अचालक वलय की परिधि पर एकसमान रूप से वितरित कुल आवेश 2 × 10-10कूलॉम है। 2 कूलॉम आवेश को अनन्त से वलय के केन्द्र तक ले जाने में आवश्यक कार्य होगा – [2005]
(a) 4 जूल
(b) 8 जूल
(c) – 4 जूल
(d) शून्य।
उत्तर :
(b) 8 जूल
प्रश्न 6.
दो प्लेटें एक-दूसरे से 1 सेमी दूरी पर हैं और उनमें विभवान्तर 10 वोल्ट है। प्लेटों के बीच वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता है – [2009]
(a) 10 न्यूटन/कूलॉम
(b) 500 न्यूटन/कूलॉम
(c) 1000 न्यूटन/कूलॉम
(d) 250 न्यूटन/कूलॉम।
उत्तर :
(c) 1000 न्यूटन/कूलॉम
प्रश्न 7.
1 वोल्ट विभवान्तर पर त्वरित करने पर इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा होती है [2007]
(a) 1 जूल
(b) 1 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
(c) 1 अर्ग
(d) 1 वाट।
उत्तर :
(b) 1 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
प्रश्न 8.
1 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट का मान होता है – [2004, 08, 13]
(a) 2 × 10-18 जूल
(b) 1.6 × 10-31 जूल
(c) 1.6 × 10-19 जूल
(d) 3.1 × 10-31 जूला
उत्तर :
(c) 1.6 × 10-19 जूल
प्रश्न 9.
1 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट (eV) मात्रक है [2005]
(a) ऊर्जा का
(b) वैद्युत विभव का
(c) वेग का
(d) कोणीय संवेग का।
उत्तर :
(a) ऊर्जा का
प्रश्न 10.
एक इलेक्ट्रॉन 5 वोल्ट विभवान्तर द्वारा त्वरित किया जाता है। इलेक्ट्रॉन द्वारा अर्जित ऊर्जा होगी- [2006, 07]
(a) 5 जूल
(b) 5 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
(c) 5 अर्ग
(d) 5 वाट।
उत्तर :
(b) 5 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
प्रश्न 11.
एक इलेक्ट्रॉन को दूसरे इलेक्ट्रॉन के अधिक समीप लाने पर निकाय की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा [2010]
(a) घटती है
(b) बढ़ती है
(c) उतनी ही रहती है
(d) शून्य हो जाती है।
उत्तर :
(b) बढ़ती है
प्रश्न 12.
दो समान धनावेशित बिन्दु आवेशों, जिनमें प्रत्येक पर 1 μC का आवेश है, को 1 मीटर की दूरी पर वायु में रखा
जाता है। इसकी स्थितिज ऊर्जा है –
(a) 1 जूल
(b) 1 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट
(c) 9 × 10-3 जूल
(d) शून्य।
उत्तर :
(c) 9 × 10-3 जूल
प्रश्न 13.
E = 0 तीव्रता वाले वैद्युत क्षेत्र में विभव V का दूरी r के साथ परिवर्तन होगा – [2012,17]
(a) V \propto \frac{1}{r}
(b) V ∝ r
(c) V \propto \frac{1}{r^{2}}
(d) V = नियत अर्थात् r पर निर्भर नहीं।
उत्तर :
(d) V = नियत अर्थात् r पर निर्भर नहीं।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से कौन-सा तथ्य समविभव पृष्ठ के लिए सत्य नहीं है – [2009]
(a) पृष्ठ पर किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर शून्य होता है
(b) वैद्युत बल रेखाएँ पृष्ठ के सर्वथा लम्बवत् होती हैं
(c) पृष्ठ पर किसी आवेश को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने पर कोई कार्य नहीं होता
(d) समविभव पृष्ठ सर्वदा गोलाकार होता है।
उत्तर :
(d) समविभव पृष्ठ सर्वदा गोलाकार होता है।
प्रश्न 15.
दूरी पर रखे वैद्युत द्विध्रुवों के बीच लगने वाला बल अनुक्रमानुपाती है – [2005]
(a) r2 के
(b) r4 के
(c) r-2के
(d) r-4 के।
उत्तर :
(d) r-4 के।
प्रश्न 16.
एक इलेक्ट्रॉन एक वैद्युत क्षेत्र में, क्षेत्र के अभिलम्बवत् प्रवेश करता है। इसका गमन पथ होगा – [2006]
(a) वृत्ताकार
(b) दीर्घवृत्ताकार
(c) कुण्डलिनी के आकार का
(d) परवलयाकार।
उत्तर :
(d) परवलयाकार।
प्रश्न 17.
क्षैतिज दिशा में गति करता हुआ इलेक्ट्रॉन एक ऐसे स्थान में प्रवेश करता है जहाँ ऊर्ध्वाधर दिशा में एकसमान वैद्युत क्षेत्र है। इस स्थान में इलेक्ट्रॉन का पथ होगा – [2008]
(a) क्षैतिज से 45° के कोण पर सीधी रेखा
(b) ऊर्ध्वाधर तल में एक वृत्त
(c) क्षैतिज तल में एक परवलय
(d) ऊर्ध्वाधर तल में एक परवलय।
उत्तर :
(d) ऊर्ध्वाधर तल में एक परवलय।
प्रश्न 18.
दो बिन्दु आवेश 8μC तथा 12μC एक-दूसरे से 10 सेमी की दूरी पर वायु में रखे गए हैं। इनके बीच की दूरी 6 सेमी परिवर्तित करने के लिए कार्य आवश्यक होगा – [2018]
(a) 5.8जूल
(b) 4.8जूल
(c) 3.8जूल
(d) 2.8 जूल।
उत्तर :
(a) 5.8जूल
प्रश्न 19.
एक समान वैद्युत क्षेत्र E में रखे वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण pवाले वैद्युत द्विध्रुव को 90° से घुमाने में कुल कार्य है- [2018]
(a) pE/2
(b) 2pE
(c) pE
(d) √2pE.
उत्तर :
(c) pE
प्रश्न 20.
एक धातु के गोले की धारिता 1.0 μF है। उसकी त्रिज्या लगभग होगी – [2011]
(a) 9 किमी
(b) 10 मीटर
(c) 1.11 मीटर
(d) 1.11 सेमी।
उत्तर :
(a) 9 किमी
प्रश्न 21.
एक गोलाकार चालक की त्रिज्या 9 मीटर है। इसकी विद्युत-धारिता है – [2018]
(a) 109 फैरड
(b) 9 × 109 फैरड
(c) 9 × 10-9 फैरड
(d) 10-9 फैरड।
उत्तर :
(d) 10-9 फैरड।
प्रश्न 22.
दो गोलीय चालक A1 तथा A2 व उनकी त्रिज्याएँ क्रमशः तथाr हैं। चालक A1 व A2 पर क्रमशः r1 तथा r2
आवेश हैं। चित्र के अनुसार चालकों को हवा में एक ताँबे के तार द्वारा जोड़ा जाता है।
इस निकाय की तुल्य धारिता होगी
[2018]
(a) 4πεor1r2/r1 – r2
(b) 4πεo1 + r2
(c) 4πεor1
(d) 4πεor2
उत्तर :
(b) 4πεo1 + r2
प्रश्न 23.
एक आवेशित वायुसंधारित्र में Uo ऊर्जा संचित है। एक परावैद्युत की पट्टी जिसका परावैद्युतांक K है, को इसमें प्रवेश कराने पर ऊर्जा U हो जाती है, तो – [2018]
(a) U = Uo.
(b) U = KUo.
(c) U = K2Uo.
(d) U = \(\frac{u_{0}}{K}\)
उत्तर :
(d) U = \(\frac{u_{0}}{K}\)
प्रश्न 24.
संलग्न परिपथ चित्र-2.74 में बिन्दुओं PवQ के बीच तुल्य धारिता होगी – [2004]
(a) 4 μF
(b) 3/4 μF
(c) 4/3 μF
(d) 1/2 μF.
उत्तर :
(c) 4/3 μF
प्रश्न 25.
श्रेणीक्रम में जोड़े गए पाँच समान संधारित्रों की परिणामी धारिता 4 μF है। यदि इनको समान्तरक्रम में जोड़कर 400 वोल्ट तक आवेशित करें तो इसमें संगृहीत कुल ऊर्जा होगी – [2005]
(a) 80 जूल
(b) 16 जूल
(c) 8 जूल
(d) 4 जूल।
उत्तर :
(c) 8 जूल
प्रश्न 26.
एक आवेशित संधारित्र बैटरी से जुड़ा है। यदि इसकी प्लेटों के बीच परावैद्युत पदार्थ की एक पट्टी रखी जाए तो निम्नलिखित में से कौन-सी मात्रा अपरिवर्तित रहेगी [2005, 10]]
(a) आवेश
(b) विभवान्तर
(c) धारिता
(d) ऊर्जा।
उत्तर :
(b) विभवान्तर
प्रश्न 27.
संलग्न परिपथ चित्र-2.75 में यदि A व B के बीच तुल्य धारिता 5uF हो तब संधारित्र C .
की धारिता होगी –
(a) 3μF
(b) 6μF
(c) 9μF
(d) 12 μF.
उत्तर :
(b) 6μF
प्रश्न 28.
संलग्न चित्र-2.76 में बिन्दुओं A व B के बीच तुल्य धारिता है- [2009]
(a) \(\frac{2}{3} \mu \mathrm{F}\)
(b) \(\frac{3}{2} \mu \mathrm{F}\)
(c) \(\frac{11}{3} \mu \mathrm{F}\)
(d) 1 µF
उत्तर :
(b) \(\frac{3}{2} \mu \mathrm{F}\)
प्रश्न 29.
100 μF धारिता वाले संधारित्र को 10 वोल्ट तक आवेशित करने पर उसमें संचित ऊर्जा होगी – [2009,16]
(a) 5.0 × 10-3 जूल
(b) 0.5 × 10-3 जूल
(c) 0.5 जूल
(d) 5.0 जूल।
उत्तर :
(a) 5.0 × 10-3 जूल
प्रश्न 30.
संलग्न चित्र-2.77 में बिन्दुओं A व B के बीच तुल्य धारिता है- [2009]
(a) 4 µF
(b) \(\frac{12}{7} \mu \mathrm{F}\)
(c) \(\frac{1}{4} \mu \mathrm{F}\)
(d) \(\frac{7}{12} \mu \mathrm{F}\)
उत्तर :
(a) 4 µF
प्रश्न 31.
60 μF धारिता वाले एक संधारित्र की प्रत्येक प्लेट पर 3 × 10-8C आवेश है। संधारित्र में संचित ऊर्जा होगी [2009]
(a) 2.5 × 10-15 जूल
(b) 1.5 × 10-14 जूल
(c) 3.5 × 10-13 जूल
(d) 7.5 × 10-12 जूल।
उत्तर :
(d) 7.5 × 10-12 जूल।
प्रश्न 32.
तीन बराबर धारिता वाले संधारित्रों को पहले समान्तर क्रम में तथा बाद में श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है। दोनों दशाओं में तुल्य धारिताओं का अनुपात होगा [2009]
(a) 9:1
(b) 6:1
(c) 3:1
(d) 1:9.
उत्तर :
(a) 9:1
प्रश्न 33.
एक संधारित्र जिसकी धारिता 100 μF है, 200 वोल्ट तक आवेशित किया जाता है। उसे 22 के प्रतिरोध द्वारा विसर्जित करने पर उत्पन्न हुई ऊष्मा है [2009]
(a) 1 जूल
(b) 2 जूल
(c) 3 जूल
(d) 4 जूल।
उत्तर :
(b) 2 जूल
प्रश्न 34.
संलग्न परिपथ चित्र-2.78 में प्रदर्शित संधारित्रों की तुल्य धारिता A व B के बीच है – [2015]
(a) 4 μF
(b) 2.5 μF
(c) 2 μF
(d) 0.25 μF.
उत्तर :
(b) 2.5 μF