Students get through the MP Board Class 12th Hindi Important Questions General Hindi Chapter 5 दूध का मूल्य which are most likely to be asked in the exam.
MP Board Class 12th General Hindi Important Questions Chapter 5 दूध का मूल्य
ससंदर्भ व्याख्या कीजिए –
1. “इस दूध का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा।” बालक की बात को सुनकर महिला ने कहा – ‘इस दूध के लिए तुम्हें कुछ भी नहीं चुकाना होगा। हमारे बुजुर्गों ने सिखाया है कि सदाशयता के किसी काम के लिए किसी भी तरह की कीमत की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
कृतज्ञ बालक उस महिला को सश्रद्ध निहारता चला गया।”
शब्दार्थ:
मूल्य = कीमत, चुकाना = भुगतान, बुजुर्गों = बड़े लोगों ने, सदाशयता = सद्भाव, सश्रद्ध = श्रद्धा के साथ।
संदर्भ:
प्रस्तुत गद्यांश ‘लघु कथाएँ’ के अन्तर्गत संगृहीत ‘दूध का मूल्य’ पाठ से उद्धृत की गई है।
प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश में महिला एवं बालक के मध्य हुए भावुक वार्तालाप को प्रस्तुत किया गया है।
व्याख्या:
बालक ने महिला से पीने के लिए पानी माँगा। महिला ने भूखे-प्यासे बच्चे की दशा पर गौर किया। वह घर के भीतर गई और दूध का भरा हुआ गिलास लाकर बच्चे को थमा दिया। बच्चे ने दूध पीकर महिला से कहा कि इस एहसान की कीमत वह कैसे चुका पाएगा?
महिला ने बालक से कहा कि सद्भावना के लिए किए गए कार्यों की कीमत नहीं चुकाई जाती। बड़े-बूढों ने तो हमें यही सिखलाया है। बालक महिला के एहसान के बोझ तले दब गया। उसके मन में महिला के लिए श्रद्धा का भाव पैदा हुआ।
विशेष:
- भाषा संस्कृतनिष्ठ है।
- भावमय चित्रण है।
2. “शब्द तो माध्यम हैं। मुख्य बात तो अनुभव की है जिससे गुजरना होता है। केवल शब्द पर ठहरकर अनुभूति नहीं होती। इसलिए यात्रा के आरम्भ में शब्द अवश्य हैं पर अंत नहीं हो सकते।
अंत में अनुभव काम आएगा और यही सिद्धान्त जीवन के हर क्षेत्र में लागू होता है।” (संभावित)
शब्दार्थ:
अनुभूति = अनुभव।
संदर्भ:
प्रस्तुत गद्यांश ‘लघु कथाएँ’ के अन्तर्गत संगृहीत ‘शब्द और अनुभूति’ से उद्धृत किया गया है।
प्रसंग:
शब्द से सौन्दर्य का वास्तविक रूप प्रकट नहीं होता। वह अनुभवजन्य होता है।
व्याख्या:
रवीन्द्रनाथ टैगोर को अपने प्रश्न का उत्तर मिल चुका था। जैसे ही चाँदनी उनके कमरे में प्रविष्ट हई, उसकी अनुभूति उन्हें हई। शब्द उस अनुभूति का पूर्ण चित्रण करने में असमर्थ थे। वस्तुत:शब्द हमारी अनुभूतियों के चित्रण के माध्यम से हो सकते हैं, किन्तु पूर्णता के साथ नहीं।
शाब्दिक अनुभूति एवं अनुभवजन्य अनुभूति में जमीन-आसमान का अंतर होता है। अनुभूति भोगा हुआ यथार्थ है, जिसका चित्रण असंभव है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अनुभव की पूछ-परख शायद इसी कारण है।
विशेष:
- शाब्दिक सौन्दर्य एवं वास्तविक सौन्दर्यानुभूति में भेद स्थापित किया गया है।
- भाषा संस्कृतनिष्ठ है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
बालक ने दयालु महिला से क्या सवाल किया?
उत्तर:
बालक ने दयालु महिला से सवाल किया – “इस दूध का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा।”
प्रश्न 2.
रोगग्रस्त महिला को देखकर डॉक्टर की आँख में चमक सी क्यों आ गई? (म. प्र. 2015)
उत्तर:
रोगग्रस्त महिला कोई और नहीं बल्कि वह थी जिसने पानी माँगने पर दूध का भरा गिलास बच्चे को दिया था। दूध का कर्ज चुकाने का अवसर पाकर डॉक्टर की आँखें चमक उठी।
प्रश्न 3.
रवीन्द्रनाथ टैगोर क्या जानने के लिए उत्सुक थे? (म. प्र. 2016)
उत्तर:
रवीन्द्रनाथ टैगोर यह जानना चाहते थे कि -“सौन्दर्य क्या है?”
प्रश्न 4.
मोमबत्ती बुझने पर चाँदनी कहाँ-कहाँ फैल गई? (म. प्र. 2017)
उत्तर:
मोमबत्ती बुझने पर चाँदनी दरवाजों एवं खिड़कियों से प्रविष्ट होकर कमरे में फैल गई।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
दयालु महिला ने बालक को क्या उत्तर दिया?
उत्तर:
बालक ने सवाल किया -“इस दूध का मूल्य कैसे चुका पाऊँगा?” बालक की बात सुनकर महिला ने उत्तर दिया – “इस दूध के लिए तुम्हें कुछ भी नहीं चुकाना होगा।
हमारे बुजुर्गों ने सिखाया है कि सदाशयता के किसी काम के लिए किसी भी तरह की कीमत की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
प्रश्न 2.
डॉक्टर ने महिला को पत्र में क्या लिखा? (म. प्र. 2016)
उत्तर:
महिला ने अस्पताल के स्टॉफ से भुगतान के लिए बिल माँगा तो कुछ देर बाद उसके हाथ में एक लिफाफा आया। उसमें रखी चिट्ठी में लिखा था – “बिल का भुगतान बरसों पहले हो चुका, एक गिलास दूध”।. नीचे हस्ताक्षर थे-आपका दूधवाला बच्चा, जो आज डॉक्टर है।
प्रश्न 3.
मोमबत्ती बुझाने के बाद परिवेश में क्या परिवर्तन हुआ? (म. प्र. 2011, 18)
उत्तर:
रवीन्द्रनाथ टैगोर ने जैसे ही मोमबत्ती बुझाई, चाँदनी दरवाजों और खिड़की में से झाँकती हुई कमरे में घुस आई। सारा वातावरण ज्योतिर्मय हो उठा। खिड़की के पार से मानों चाँद ने कहा – “मैं तुम्हें बहुत देर से याद कर रहा था, पर तुम किताब में डूबे थे।”
प्रश्न 4.
रवीन्द्रनाथ टैगोर को सौन्दर्य की अनुभूति कैसे हुई? (महत्वपूर्ण)
उत्तर:
खिड़की:
दरवाजों से ठंडी हवा का झोंका आया और टैगोर जी का तन-बदन चाँदनी में नहा गया। इस प्राकृतिक मनोहारी सौन्दर्य को देख वे इतने अभिभूत हो गए कि उनके मुख से अकस्मात निकल पड़ा कि “यह है सौन्दर्य।
वस्तुतः सौन्दर्य को शब्दों के माध्यम से नहीं बल्कि अनुभव के माध्यम से समझा जा सकता है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
सत्य/असत्य कथन पहचानिए –
- महिला ने बालक को पानी पीने के लिए दिया।
- रवीन्द्रनाथ टैगोर सौन्दर्य शास्त्र की पुस्तक पढ़ रहे थे। (महत्वपूर्ण)
- अनुभव का सिद्धान्त जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में लागू होता है।
- महिला ने अस्पताल का सारा बिल चुकता किया।
- बालक ही आगे चलकर डॉक्टर बना।
उत्तर:
- असत्य
- सत्य
- सत्य
- असत्य
- सत्य।
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति विकल्पों के आधार पर कीजिए –
1. रवीन्द्रनाथ टैगोर ……… की पुस्तक पढ़ रहे थे। (सम्पत्ति शास्त्र / सौन्दर्य शास्त्र) (म. प्र. 2011)
उत्तर:
सौन्दर्य शास्त्र।