Students get through the MP Board Class 11th Physics Important Questions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति which are most likely to be asked in the exam.
MP Board Class 11th Physics Important Questions Chapter 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
घूर्णी गति किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जब कोई पिण्ड बल लगाये जाने पर अपने में से जाने वाले किसी अक्ष के परितः घूमने लगता है, तो इस गति को घूर्णी गति कहते हैं। उदाहरण-पंखे के ब्लेडों की गति, पहिये की गति।
प्रश्न 2.
दृढ़ पिण्ड किसे कहते हैं ?
उत्तर-
प्रत्येक पिण्ड अनेक छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना माना जा सकता है। यदि किसी पिण्ड पर कोई बाह्य बल आरोपित करने पर उसके कणों में परस्पर एक-दूसरे के सापेक्ष कोई विस्थापन न हो, तो ऐसे पिण्ड को दृढ़ पिण्ड कहते हैं।
प्रश्न 3.
घूर्णन गति तथा वृत्तीय गति में क्या अंतर है ?
उत्तर-
घूर्णन गति में घूर्णन अक्ष पिण्ड के किसी बिन्दु से होकर गुजरता है जबकि वृत्तीय गति में घूर्णन अक्ष पिण्ड के बाहर होता है। उदाहरण-पृथ्वी का अपने अक्ष के परितः घूमना घूर्णन गति है, जबकि पृथ्वी का सूर्य के परितः चक्कर लगाना वृत्तीय गति है।
प्रश्न 4.
बल आघूर्ण किसे कहते हैं ? इसका मात्रक तथा विमीय सूत्र क्या है ? बल आघूर्ण का मान कब अधिकतम होता है?
उत्तर-
किसी बल द्वारा किसी पिण्ड को किसी अक्ष के परितः घुमाने के प्रभाव को उस बल का घूर्णन अक्ष के परितः बल आघूर्ण कहते हैं।
बल आघूर्ण बल के परिमाण और घूर्णन अक्ष से बल की क्रियारेखा के बीच की लंबवत् दूरी पर निर्भर करता है। इसे τ (टाऊ) से प्रदर्शित करते हैं।
अतः बल आघूर्ण = बल × अक्ष से बल की क्रियारेखा के बीच की लंबवत् दूरी .
τ = बल × आघूर्ण भुजा
SI में इसका मात्रक न्यूटन मीटर तथा विमीय सूत्र [M1L2T-2] है।
प्रश्न 5.
कोणीय वेग तथा कोणीय त्वरण से क्या तात्पर्य है ? इनका मात्रक तथा विमीय सूत्र लिखिए।
उत्तर-
कोणीय वेग-किसी कण द्वारा घूर्णन अक्ष के परितः 1 सेकण्ड में घूमा हुआ कोण उस कण का कोणीय वेग कहलाता है।
इसका मात्रक रेडियन/सेकण्ड है, विमीय सूत्र [M°L°T-1] है।’ कोणीय त्वरण-घूर्णन गति में समय के साथ कोणीय वेग में परिवर्तन की दर को कोणीय त्वरण कहते हैं। इसका मात्रक रेडियन/सेकेण्ड है, विमीय सूत्र [M°L°T-2] है।
प्रश्न 6.
कोणीय संवेग से क्या तात्पर्य है ? यह सदिश राशि है या अदिश?
उत्तर-
किसी कण के रैखिक संवेग का किसी घूर्णन अक्ष के परितः आघूर्ण, कण का कोणीय संवेग कहलाता है।
अर्थात् कोणीय संवेग = रेखीय संवेग × घूर्णन अक्ष से लंबवत् दूरी
इसका SI मात्रक जूल-सेकण्ड है। यह एक सदिश राशि है।
प्रश्न 7.
जड़त्व आघूर्ण से क्या तात्पर्य है ? इसका SI मात्रक तथा विमीय सूत्र लिखिये।
उत्तर-
किसी पिण्ड का एक निश्चित घूर्णन अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण उसके विभिन्न कणों के द्रव्यमानों तथा घूर्णन अक्ष से उनकी संगत दूरियों के वर्गों के गुणनफलों के योग के बराबर होता है।
अर्थात् जड़त्व आघूर्ण I = Σmr2
इसका SI मात्रक किग्रा मीटर है तथा विमीय सूत्र [M1 L2 T°]है।
प्रश्न 8.
जड़त्व आघूर्ण का भौतिक महत्व लिखिये।
उत्तर-
घूर्णन गति में वस्तु का जड़त्व आघूर्ण जितना अधिक होता है, अवस्था परिवर्तन के लिए उतना ही अधिक बल आघूर्ण लगाना पड़ता है।
प्रश्न 9.
किसी पिण्ड का जड़त्व आघूर्ण किन-किन कारकों पर निर्भर करता है ?
उत्तर-
- पिण्ड के द्रव्यमान पर,
- घूर्णन अक्ष के सापेक्ष पिण्ड के द्रव्यमान के वितरण पर।
प्रश्न 10.
यदि किसी पिण्ड के घूमने की दिशा बदल दी जाये, तो जड़त्व आघूर्ण पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
प्रश्न 11.
घूर्णन (परिभ्रमण) त्रिज्या की परिभाषा, मात्रक एवं विमीय सूत्र लिखिए।
उत्तर-
किसी पिण्ड की घूर्णन त्रिज्या, घूर्णन अक्ष से उस बिन्दु की लंबवत् दूरी है, जिस पर पिण्ड के संपूर्ण द्रव्यमान को केन्द्रित मान लेने पर प्राप्त जड़त्व आघूर्ण वस्तु के वास्तविक जड़त्व आघूर्ण के बराबर होता है। इसे K से प्रदर्शित करते हैं। इसका मात्रक मीटर तथा विमीय सूत्र [M°L1 T°] है।
प्रश्न 12.
घूर्णन कर रहे पिण्ड पर कोई बल आघूर्ण लगना क्या आवश्यक है ? कारण सहित . समझाइये।
उत्तर-
बल आघूर्ण केवल पिण्ड में कोणीय त्वरण उत्पन्न करने के लिए आवश्यक होता है, अतः घूर्णन कर रहे पिण्ड पर कोई बल आघूर्ण लगना आवश्यक नहीं है।
प्रश्न 13.
छोटी डोरी के सिरे से पत्थर बाँधकर घुमाना, लंबी डोरी की तुलना में आसान है, क्यों?
उत्तर-
छोटी डोरी की बजाय, लंबी डोरी के सिरे पर पत्थर बाँधकर घुमाने पर पत्थर का जड़त्व आघूर्ण ( I = MR2) बढ़ जाता है, जिसके फलस्वरूप इसे घुमाने के लिए आवश्यक बल आघूर्ण t=la का मान बढ़ जाता है अर्थात् अब पत्थर के टुकड़े को घुमाने के लिए अधिक बल आघूर्ण लगाना पड़ता है।
प्रश्न 14.
कोणीय संवेग तथा बल आघूर्ण में संबंध लिखिए।
उत्तर-
बल आघूर्ण = कोणीय संवेग में परिवर्तन की दर अर्थात् τ = \(\frac{d J}{d t}\)
प्रश्न 15.
कोणीय संवेग तथा जड़त्व आघूर्ण में क्या संबंध है ?
उत्तर-
कोणीय संवेग = जड़त्व आघूर्ण × कोणीय वेग।
प्रश्न 16.
सायकिल के पहिये में स्पोक्स क्यों लगाये जाते हैं ?
उत्तर-
पहिये में स्पोक्स लगाने से उसका अधिकांश द्रव्यमान उसके सिरे पर केन्द्रित होता है, जिससे उसका जड़त्व आघूर्ण अधिक होता है। जड़त्व आघूर्ण अधिक होने के कारण पहिया एकसमान रफ्तार से घूमता है, फलस्वरूप झटके नहीं लगते।
प्रश्न 17.
दरवाजा खोलने का हैण्डिल दरवाजे से दूर लगा रहता है, क्यों?
उत्तर-
ऐसा होने से बल की क्रियारेखा की अक्ष से लंबवत् दूरी बढ़ जाती है, अतः कम बल लगाकर दरवाजे को आसानी से खोला या बंद किया जा सकता है।
प्रश्न 18.
घूर्णी गति में घूर्णन अक्ष पर स्थित किसी बिन्दु का वेग कितना होगा?
उत्तर-
घूर्णी गति में घूर्णन अक्ष पर स्थित किसी बिन्दु का वेग शून्य होता है।
प्रश्न 19.
कुम्हार के चाक को घुमाने के लिए लकड़ी फँसाने का गड्ढा परिधि के पास क्यों बनाया जाता है ?
उत्तर-
ऐसा करने से उत्तोलक भुजा का मान बढ़ जाता है, जिससे बल आघूर्ण का मान बढ़ जाता है, अतः थोड़ा सा भी बल लगाने पर चाक आसानी से घूमने लगता है।
प्रश्न 20.
जड़त्व तथा जड़त्व आघूर्ण में अन्तर लिखिए।
उत्तर-
जड़त्व तथा जड़त्व आघूर्ण में अन्तर
जड़त्व | जड़त्व आपूर्ण |
1. रैखिक गति में यह महत्वपूर्ण है। | 1. यह घूर्णी गति में महत्वपूर्ण होता है। |
2. यह वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर करता है। | 2. यह कण के द्रव्यमान तथा घूर्णन अक्ष से उसकी लंबवत् दूरी पर निर्भर करता है। |
3. किसी वस्तु का जड़त्व नियत होता है। | 3. भिन्न-भिन्न घूर्णन अक्षों के सापेक्ष किसी वस्तु का जड़त्व आघूर्ण भिन्न-भिन्न होता है। |
प्रश्न 21.
किसी निकाय के यांत्रिक संतुलन से क्या तात्पर्य है ? .
उत्तर-
जब निकाय पर कार्यरत कुल बलों का सदिश योग एवं कुल बल आघूर्णों का सदिश योग शून्य हो, तो वह यांत्रिक संतुलन में होगा।
प्रश्न 22.
आघूर्णों का सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर-
इस सिद्धांत के अनुसार, घूर्णी संतुलन में, अक्ष के परितः वामावर्त आघूर्णों एवं दक्षिणावर्त आघूर्णों का योग शून्य होता है । वामावर्त आघूर्णों को धनात्मक एवं दक्षिणावर्त आघूर्णों को ऋणात्मक लिया जाता
है।
प्रश्न 23.
बलयुग्म के आघूर्ण से क्या तात्पर्य है ? यह किन बातों पर निर्भर करता है ?
उत्तर-
जब किसी दृढ़ पिण्ड पर दो समान परिमाण के बल विपरीत दिशा में इस प्रकार लगाये जाते हैं कि उनकी क्रियारेखाएँ समान न हों तो बलों के इस युग्म को बलयुग्म कहते हैं। चित्र में बलयुग्म प्रदर्शित किया गया है।
बलयुग्म के दोनों बलों में से एक बल और उनकी क्रियारेखाओं के बीच की लंबवत् दूरी के गुणनफल को उस बलयुग्म का आघूर्ण कहते हैं।अर्थात् बलयुग्म का आघूर्ण = एक बल x बलयुग्म की भुजा∴ τ=F×d
इस सूत्र से स्पष्ट है कि बलयुग्म का आघूर्ण अधिक होगा यदि-
- बल का परिमाण अधिक हो
- बलयुग्म की भुजा लंबी हो अर्थात् दो बलों की क्रिया रेखाओं के बीच की लंबवत् दूरी अधिक हो।
प्रश्न 24. पेंचकस का हत्था चौड़ा क्यों बनाया जाता है ?
उत्तर-
क्योंकि ऐसा करने से आरोपित बल की क्रिया रेखा से अक्ष की लंबवत् दूरी बढ़ जाती है, जिसके फलस्वरूप बल आघूर्ण का मान बढ़ जाता है, अत: पेंच आसानी से घूमने लगता है।
प्रश्न 25.
जलपंप का हत्था लंबा क्यों होता है ?
उत्तर-
हत्था के लंबे होने से हत्थे की पिस्टन से लंबवत् दूरी अधिक हो जाती है। इस प्रकार बल की क्रियारेखा की अक्ष से लंबवत् दूरी अधिक होने के कारण बल आघूर्ण का मान बढ़ जाता है।
प्रश्न 26. पाने की सहायता से नट को खोलना आसान होता है, क्यों?
उत्तर-इस स्थिति में बल की क्रियारेखा को अक्ष से लंबवत् दूरी बढ़ जाती है, जिससे बल आघूर्ण का मान भी बढ़ जाता है, अत: नट आसानी से घूम जाता है।
प्रश्न 27.
कोणीय संवेग का भौतिक महत्व समझाइये।
उत्तर-
चूँकि बल आघूर्ण = बल × अक्ष से बल की क्रियारेखा की लंबवत् दूरी
तथा कोणीय संवेग = रेखीय संवेग × अक्ष से कण की लंबवत् दूरी
अत: जिस प्रकार बल आघूर्ण बल के घूर्णी प्रमाप को मापता है।
उसी प्रकार कोणीय संवेग किसी कण की घूर्णी गति की माप करता है।
प्रश्न 28.
जब एक नर्तकी अपने हाथ फैलाकर घूम रही हो, तब हाथों को नीचे कर लेने पर उसके घूमने की गति बढ़ जाती है, क्यों?
उत्तर-
इसका कारण यह है कि ऐसा करने से उसका जड़त्व आघूर्ण कम हो जाता है, चूँकि बाहरी बल आघूर्ण की अनुपस्थिति में कोणीय संवेग Iω का मान नियत रहता है। अत: 1 के कम हो जाने पर कोणीय वेग ω का मान बढ़ जाता है, अतः नर्तकी के घूमने की गति बढ़ जाती है।
प्रश्न 29.
गोताखोर कूदते समय अपने शरीर को मोड़ लेता है ?
उत्तर-
ऐसा करने से उसका जड़त्व आघूर्ण कम हो जाता है। अत: कोणीय संवेग संरक्षण नियमानुसार उसका कोणीय वेग बढ़ जाता है, जिससे उसे छलांग लगाने में आसानी होती है।
प्रश्न 30.
किसी पिण्ड के परितः घूमने वाले पिण्ड का जड़त्व आघूर्ण किन-किन बातों पर निर्भर ‘ करता है ?
उत्तर-चूँकि I = Σmr2
अतः जड़त्व आघूर्ण,
- द्रव्यमान के समानुपाती होता है,
- अक्ष से दूरी के वर्ग के समानुपाती होता है।
प्रश्न 31.
क्या स्थानान्तरीय तथा घूर्णन गति एकसाथ हो सकती है ?
उत्तर-
हाँ, स्थानान्तरीय तथा घूर्णन गति एक साथ संभव है, उदाहरण के लिए चलती हुई सायकिल में उसके पहिए की स्थानान्तरीय तथा घूर्णन गति साथ-साथ होती है।
प्रश्न 32.
एक द्रव्यमान रहित छड़ के दोनों सिरों पर m तथा 2m द्रव्यमान के कण लगे हैं। छड़ की लंबाई के परितः निकाय का जड़त्व आघूर्ण कितना होगा?
उत्तर-
निकाय के परितः जड़त्व आघूर्ण शून्य होगा, क्योंकि घूर्णन अक्ष से प्रत्येक द्रव्यमान की दूरी शून्य होगी।
प्रश्न 33.
हेलीकॉप्टर में दो नोदक होते हैं, क्यों ?
उत्तर-
हेलीकॉप्टर में दो नोदक इसलिए होते हैं क्योंकि यदि हेलीकॉप्टर में एक नोदक होता, तो कोणीय संवेग संरक्षण के नियमानुसार यह स्वयं नोदक के विपरीत दिशा में घूम जाता।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
सदिश गुणन को परिभाषित कर इसके गुणों को लिखिए।
उत्तर-
दो सदिशों \(\vec{a}\) एवं \(\vec{b}\) का सदिश गुणन एक सदिश राशि होती है, इसकी दिशा सदिश \(\vec{a}\) एवं \(\vec{b}\) के तल के लम्बवत् होती है। सदिश गुणन की गणितीय परिभाषा निम्न है
\(\vec{a}\) × \(\vec{b}\) = ab sinθ. \(\widehat{n}\)
\(\widehat{n}\) = इकाई सदिश जो सदिश ।
एवं । के तल के लम्बवत् होता है। गुण-
(i) दो सदिशों का सदिश गुणन एक सदिश राशि है।
(ii) यह क्रम-विनिमेय नियम का पालन नहीं करता
\(\vec{a}\)× \(\vec{b}\) ≠ \(\vec{b}\) × \(\vec{a}\).
(iii) यह साहचर्य नियम का पालन नहीं करता
\(\vec{a}\) × (\(\vec{b}\) × \(\vec{c}\) ) # (\(\vec{a}\) × \(\vec{b}\) ) × \(\vec{c}\) .
(iv) सदिश गुणन, सदिश योग पर वितरणशील होता है,
\(\vec{a}\) × (\(\vec{b}\) + \(\vec{c}\))= \(\vec{a}\) × \(\vec{b}\)+\(\vec{a}\) ×\(\vec{c}\).
(v) \(\vec{a}\) × \(\vec{a}\) = (शून्य सदिश)
प्रश्न 2.
दर्शाइये कि सदिश \(\vec{a}\) एवं \(\vec{b}\) से बने त्रिभुज के क्षेत्रफल का परिमाण \(\vec{a}\) ×\(\vec{b}\) के परिमाण का आधा होता है।
उत्तर-
माना सदिशों\(\vec{a}\) एवं \(\vec{b}\) के मध्य का कोण θ है तथा इसे क्रमशः \(\overrightarrow{O A}\) एवं \( \overrightarrow{O B}\) द्वारा प्रदर्शित किया गया है।
समान्तर चतुर्भुज OACB को पूर्ण कर OA पर एक लम्ब BN खींचा गया है। ΔONB में,
sin θ = \(\frac{B N}{O B}\)
⇒ sin θ = \(\frac{\mathrm{BN}}{b}\)
BN = b sinθ
ΔOAB का क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) (OA)(BN)
= \(\frac{1}{2}\) ab sinθ
∴ \(|\vec{a} \times \vec{b}|\) = ab sin θ
अतः ΔOAB क्षेत्रफल = \(\frac{1}{2}\) \(|\vec{a} \times \vec{b}|\)
प्रश्न 3.
एकसमान द्रव्यमान घनत्व के निम्नलिखित पिण्डों में प्रत्येक के द्रव्यमान केन्द्र की स्थिति लिखिए
(a) गोला,
(b) सिलिण्डर,
(c) छल्ला तथा
(d) घन।
उत्तर-
(a) गोला-गोले का केन्द्र।
(b) सिलिण्डर-सिलिण्डर के सममिति अक्ष का मध्य बिन्दु।
(c) छल्ला-छल्ले का केन्द्र।
(d) घन-विकर्णों के कटान बिन्दु पर।
प्रश्न 4. घूर्णी गति में कार्य को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
जिस प्रकार रैखिक गति में कण द्वारा किया गया कार्य, बल तथा बल की दिशा में विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है, ठीक उसी प्रकार घूर्णन गति में बल आघूर्ण द्वारा किया गया कार्य, बल आघूर्ण तथा कोणीय विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है, अर्थात् कार्य W = τ.dθ ………………..(1)
तथा घूर्णन गति में व्यय शक्ति P =\(\frac{\mathrm{W}}{t}\) =τ\(\frac{d \theta}{d t}\)
∴ P=τ.ω ………………… (2)
प्रश्न 5.
सिद्ध कीजिए कि कोणीय संवेग = जड़त्व आघूर्ण × कोणीय वेग
अथवा
सिद्ध कीजिए कि J = I × ω.
उत्तर-
माना कोई पिण्ड किसी अक्ष के परितः कोणीय वेग ω से घूर्णन गति कर रहा है। घूर्णन अक्ष से r1,r2,r3……दूरियों पर स्थित m1.m2.m3 …. द्रव्यमान के कणों के रेखीय वेग क्रमशः v1,v2,v3……. हैं । अतः
m1 द्रव्यमान के कण का रेखीय संवेग = m1v1
चूँकि v = r.ω
∴ रेखीय संवेग = m1r1. ω
अतः m1 द्रव्यमान के कण का घूर्णन अक्ष के परितः कोणीय संवेग
=m1r1ω × r1 = m1r12 ω
इसी प्रकार m2,m3… द्रव्यमान के कणों से घूर्णन अक्ष के परितः कोणीय संवेग क्रमशः m3r22 ω, m3r32 ω…. होंगे।
अतः संपूर्ण पिण्ड का घूर्णन अक्ष के परितः कोणीय संवेग .
अर्थात् कोणीय संवेग = जड़त्व आघूर्ण × कोणीय वेग
प्रश्न 6.
कोणीय संवेग से आप क्या समझते हैं ? कोणीय संवेग एवं घूर्णन गतिज ऊर्जा में संबंध स्थापित कीजिए।
उत्तर-
कोणीय संवेग-अति लघु उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 6 देखें।
घूर्णन गतिज ऊर्जा तथा कोणीय संवेग में संबंध-चूँकि हम जानते हैं कि घूर्णन गतिज ऊर्जा
Ek = \(\frac{1}{2}\)I.ω2 = \(\frac{1}{2}\)I.ω.ω
चूँकि Iω =J
∴ Ek = \(\frac{1}{2}\)I.ω
या J= \(\frac{2 \mathrm{E}_{k}}{\omega}\)
अर्थात् कोणीय वेग =
प्रश्न 7.
कोणीय संवेग संरक्षण नियम क्या है ? लिखकर सिद्ध कीजिए।
उत्तर-
इस नियमानुसार- “यदि किसी घूमते हुए पिण्ड या निकाय पर कोई बाह्य बल आघूर्ण न लगाया जाये, तो उसका कोणीय संवेग नियत रहता है।”
अर्थात् J = नियतांक या Iω = नियतांक
हम जानते हैं कि कोणीय संवेग में परिवर्तन की दर लगाये गये बाह्य बल आघूर्ण के बराबर होती है।
अर्थात् τ = \(\frac{d \mathrm{~J}}{d t}\)
यदि बाह्य बल आघूर्ण τ = 0 हो, तो τ =\(\frac{d \mathrm{~J}}{d t}\) = 0
या J = नियतांक
परन्तु J= Iω.
∴ lω = नियतांक ……………………. (1)
अर्थात् समीकरण (1) से स्पष्ट है कि यदि बाह्य बल आघूर्ण शून्य हो, तो किसी निकाय के जड़त्व आघूर्ण के घटने से उसका कोणीय वेग बढ़ने लगता है।
प्रश्न 8.
किसी पिण्ड के जड़त्व आघूर्ण से आप क्या समझते हैं ? इसका व्यंजक ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
जड़त्व आघूर्ण-अति लघु उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 7 देखें। .
माना कोई पिण्ड XY अक्ष के परितः घूर्णन कर रहा है। इस पिण्ड को m1, m2, m3…द्रव्यमान के कणों से मिलकर बना माना जा सकता है, जिनकी घूर्णन अक्ष से दूरियाँ r1r2r3 …हैं। तब घूर्णन अक्ष के परितः इन कणों के जड़त्व आघूर्ण m1r12, m2r22, m3r32… हैं।
तब इस पिण्ड का XY अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण
I= m1r12 + m2r22+ m3r32….
या I = Σmr2 ……………………. (1)
समीकरण (1) से स्पष्ट है कि किसी पिण्ड का जड़त्व आघूर्ण निम्न कारकों पर निर्भर करता है
- पिण्ड के द्रव्यमान पर,
- द्रव्यमान के वितरण पर,
- घूर्णन अक्ष की स्थिति पर।
प्रश्न 9.
बल आघूर्ण तथा जड़त्व आघूर्ण में सम्बन्ध बताइये।
उत्तर-
माना कोई पिण्ड किसी अक्ष के परितः कोणीय वेग ω से घूम रहा है। उस पर बाह्य बल आघूर्ण लगाने से उसमें कोणीय त्वरण α उत्पन्न हो जाता है।
माना घूर्णन अक्ष से r दूरी पर स्थित एक कण का रेखीय त्वरण α है। तब न्यूटन के गति के द्वितीय नियम से,
F=m.a परन्तु
a =r.α
∴ F = mr.α
इस कण का दिये गये अक्ष के परितः बल आघूर्ण
= बल × बल की क्रियारेखा के अक्ष से लंबवत् दूरी ।
या τ = F × r
या τ= mrα.r
= mr2α
अतः संपूर्ण पिण्ड में कोणीय त्वरण α उत्पन्न करने के लिए बल आघूर्ण
अर्थात् बल आघूर्ण = जड़त्व आघूर्ण × कोणीय त्वरण।
प्रश्न 10.
सिद्ध कीजिए कि कोणीय संवेग में परिवर्तन की दर, उस पिण्ड पर लगाये गये बाह्य बल आघूर्ण के बराबर होती है।.
उत्तर-
माना किसी पिण्ड पर बल आघूर्ण र लगाने पर उसमें कोणीय त्वरण उत्पन्न होता है।
तब τ = Iα ………………… (1)
परन्तु α = \(\frac{d \omega}{d t}\)
अत: τ = I.\(\frac{d \omega}{d t}\) ………………….. (2)
एवं पिण्ड का घूर्णन अक्ष के परितः कोणीय संवेग J = Iω
t के सापेक्ष अवकलन करने पर \(\frac{d J}{d t}\) = I. \(\frac{d J}{d t}\) ……………………. (3)
अतः समी. (2) तथा (3) से,
\(\frac{d J}{d t}\) = τ
समी. (4) से स्पष्ट है कि कोणीय संवेग में परिवर्तन की दर उस पिण्ड पर लगाये गये बाह्य बल आघूर्ण के बराबर होती है।
प्रश्न 11.
रेखीय तथा घूर्णी गति में विभिन्न व्यंजकों की तुलना कीजिए।
उत्तर-
रेखीय तथा घूर्णी गति में विभिन्न व्यंजकों की तुलना_
प्रश्न 12.
एक ग्रह सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्ताकार कक्षा में चक्कर लगा रहा है। कक्षा में इसका
(1) कोणीय वेग,
(2) रेखीय वेग किस प्रकार बदलेगा?
उत्तर-
सूर्य के चारों ओर ग्रह की गति सूर्य की ओर दिष्ट गुरुत्वाकर्षण बल के अन्तर्गत (अर्थात् केन्द्रीय बल के अन्तर्गत) होती है। अतः इसका कोणीय संवेग संरक्षित रहेगा।
- चूँकि कोणीय संवेग L =mr2 ωनियत है। अतः जब ग्रह सूर्य के पास पहुँचता है, तो दूरी rघटेगी, अतः कोणीय वेग ω बढ़ेगा तथा जब ग्रह, सूर्य से दूर जाता है, तो r के बढ़ने से कोणीय वेग ω घटेगा, क्योंकि
होता है। - चूँकि कोणीय संवेग L = mvr = नियतांक, अतः ग्रह सूर्य के पास आने पर r घटेगा, पर रेखीय वेग v बढ़ेगा तथा ग्रह के सूर्य से दूर जाने पर r बढ़ने पर रेखीय वेग v घटेगा, क्योंकि v ∝\(\frac{1}{r}\)
प्रश्न 13.
दीवार के सहारे झुकी सीढ़ी पर जैसे-जैसे आदमी ऊपर चढ़ता है, इसके फिसलने की संभावना बढ़ती जाती है, क्यों ?
उत्तर-
जैसे-जैसे आदमी सीढ़ी पर ऊपर चढ़ता जाता है, इसके भार की क्रिया रेखा, सीढ़ी के आधार से लंबवत् दूरी बढ़ती जाती है, जिसके फलस्वरूप सीढ़ी के आधार के परितः आदमी के भार का बल आघूर्ण बढ़ता जाता है तथा सीढ़ी के फिसलने की संभावना बढ़ती जाती है।
प्रश्न 14.
एक ही अक्ष के परितः घूर्णन कर रही दो वस्तुओं A तथा B के जड़त्व आघूर्ण क्रमशः I1 तथा I2, हैं।
(1) यदि इनके कोणीय संवेग समान हैं, तो इनकी घूर्णन गतिज ऊर्जाओं की तुलना कीजिए।
(2) यदि इनकी घूर्णन गतिज ऊर्जाएँ समान हैं तो इनके कोणीय संवेगों की तुलना कीजिए।
उत्तर-
हम जानते हैं कि यदि कोई वस्तु कोणीय वेग ω से किसी अक्ष के परितः घूर्णन कर रही है तथा
इसका जड़त्व आघूर्ण I है, तो घूर्णन गतिज ऊर्जा E =\(\frac{1}{2}\)Iω2 तथा कोणीय संवेग J = I.ω
उपर्युक्त संबंधों से, ω = \(\frac{\mathrm{J}}{\mathrm{I}}\)
अतः E = \(\frac{1}{2} \mathrm{I} \frac{\mathrm{J}^{2}}{\mathrm{f}^{2}}\) = \(\frac{\mathrm{J}^{2}}{2 \mathrm{I}}\)
या. J2 = 2IE.
1. यदि कोणीय संवेग समान है, तो E1 = \(\frac{\mathrm{J}^{2}}{2 \mathrm{I}_{1}}\)
एवं E2 = \(\frac{\mathrm{J}^{2}}{2 \mathrm{I}_{2}}\)
अतः \(\frac{\mathrm{E}_{1}}{\mathrm{E}_{2}}\) = \(\frac{\mathrm{I}_{2}}{\mathrm{I}_{1}}\)
अर्थात् अर्थात् कम जड़त्व आघूर्ण वाली वस्तु की घूर्णन ऊर्जा अधिक होगी।
2. यदि घूर्णन गतिज ऊर्जाएँ समान हैं, तो
अर्थात् अधिक जड़त्व आघूर्ण वाली वस्तु का कोणीय संवेग अधिक होगा।
प्रश्न 15. कोणीय संवेग से क्या तात्पर्य है ? इसका व्यंजक ज्ञात कीजिए ।
उत्तर-
कोणीय संवेग-अति लघु उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 6 देखें।
माना चित्र में m द्रव्यमान का एक कण P है, जिसका मूलबिन्दु O के सापेक्ष स्थिति सदिश \(\vec{r}\) है तथा कण का रेखीय संवेग \(\vec{p}\) (= \(\vec{mv}\)) है, तो कण का बिन्दु O के परितः कोणीय संवेग का परिमाण J = (कण का रेखीय संवेग p) × बिन्दु O से संवेग की क्रिया रेखा पर लंब की लंबाई (ON) = pr sinθ
चूँकि समकोण ΔOPN में,
ON = OP sin θ=r sin θ
या J= rpsin θ
यहाँ θ सदिश \(\vec{r}\) तथा \(\vec{p}\) के बीच का कोण है।
कोणीय संवेग एक सदिश राशि है। इसकी दिशा दोनों सदिशों \(\vec{r}\) तथा \(\vec{p}\) के सम्मिलित तल के लंबवत् होती है तथा यह दिशा सदिश गुणनफल के दायें हाथ के नियम द्वारा दी जाती है।
अतः सदिश रूप में कोणीय संवेग
प्रश्न 16.
कोणीय त्वरण से आप क्या समझते हैं ? सिद्ध कीजिए कि रेखीय त्वरण = कोणीय त्वरण – घूर्णन अक्ष से कण की दूरी।
उत्तर-
कोणीय त्वरण-कोणीय वेग में परिवर्तन की दर को कोणीय त्वरण कहते हैं।
अर्थात् कोणीय त्वरण =
यदि Δt समय में कोणीय वेग में परिवर्तन Δω हो, तो औसत कोणीय त्वरण = \(\frac{\Delta \omega}{\Delta t}\)
∴ तात्क्षणिक कोणीय त्वरण α =\(\lim _{\Delta t \rightarrow 0} \frac{\Delta \omega}{\Delta t}\) = \(\frac{\Delta \omega}{\Delta t}\) …………… (1)
परन्तु v = rω, जहाँ r कण की अक्ष से दूरी है।
अतः t के सापेक्ष अवकलन करने पर,
\(\frac{d v}{d t}\) = r .\(\frac{d \omega}{d t}\) = r.α
[समी. (1) से]
चूँकि \(\frac{d v}{d t}\) = a = रेखीय त्वरण
∴ a =r.α
अत: रेखीय त्वरण = कोणीय त्वरण × घूर्णन अक्ष से कण की दूरी। यही सिद्ध करना था।
प्रश्न 17.
घूर्णन त्रिज्या से क्या तात्पर्य है ? समांगी पिण्ड की घूर्णन त्रिज्या के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
घूर्णन त्रिज्या-अति लघु उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 11 देखें।
यदि M द्रव्यमान के पिण्ड की किसी घूर्णन अक्ष के परितः घूर्णन त्रिज्या K हो, तो I = MK2
परन्तु I = Σmr2
या MK2 = Σmr2 = m1r12 + m2r22+ m3r32….
∴ K = \(\sqrt{\frac{m_{1} r_{1}^{2}+m_{2} r_{2}^{2}+m_{3} r_{3}^{2}+\ldots .}{\mathrm{M}}}\)
समांगी पिण्ड के सभी कणों का द्रव्यमान एकसमान होगा। अर्थात्
m1 = m2 = m3 =…………..= m.
अतः MK2 = m(r12 +r22 +r32+…)
परन्तु M = m × N , जहाँ N = कणों की संख्या है।
अत: mNK2 = m(r12 +r22 +…)
∴ K2 = \(\frac{r_{1}^{2}+r_{2}^{2}+r_{3}^{2}+\ldots}{N}\)
या K=\(\sqrt{\frac{r_{1}^{2}+r_{2}^{2}+r_{3}^{2}+\ldots \ldots .}{N}} \)
स्पष्ट है कि किसी पिण्ड की घूर्णन त्रिज्या, पिण्ड के विभिन्न कणों की अक्ष से दूरियों के वर्ग-माध्य-मूल के बराबर होती है।
प्रश्न 18.
घूर्णन गतिज ऊर्जा का व्यंजक ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
माना कोई पिण्ड किसी घूर्णन अक्ष XY के परित: नियत कोणीय वेग ω से घूर्णी गति कर रहा है।
माना यह पिण्ड m1, m2, m3……. द्रव्यमान के कणों से मिलकर बना है, जिनकी घूर्णन अक्षों से दूरियाँ r1,r2 … हैं तथा इन कणों के रेखीय वेग क्रमश: v1,v2v3, …… हैं।
स्पष्ट है कि कणों की गतिज ऊर्जा \(\frac{1}{2}\)m1v12, \(\frac{1}{2}\)m2v22, \(\frac{1}{2}\)m3v3 2होंगी।
अतः पिण्ड की संपूर्ण गतिज ऊर्जा
Ek = \(\frac{1}{2}\)m1v12+\(\frac{1}{2}\)m2v22+…………………
चूँकि v=rω.
∴ Ek = \(\frac{1}{2}\)m1(r1ω)2 +\(\frac{1}{2}\)m2(r2ω)2 +…..
या Ek =\(\frac{1}{2}\)ω2\(m_{1} r_{1}^{2}+m_{2} r_{2}^{2}+m_{3} r_{3}^{2}+\ \) =\(\frac{1}{2}\)ω2Σmr2
चूँकि Σmr2 = I = जड़त्व आघूर्ण
∴ Ek = \(\frac{1}{2}\)Iω2
अर्थात् घूर्णन गतिज ऊर्जा = \(\frac{1}{2}\) × जड़त्व आघूर्ण × (कोणीय वेग)
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
जड़त्व आघूर्ण से सम्बन्धित लंब अक्ष प्रमेय समझाइये।
उत्तर-
इस प्रमेयानुसार, “किसी समतल पटल व उसके तल के लंबवत् अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण उसी के तल में स्थित दो लंबवत् अक्षों के परितः जड़त्व आघूर्णों के योग के बराबर होता है। ये दोनों अक्ष एक-दूसरे को उस बिन्दु पर । काटते हैं, जिसमें से होकर लंब अक्ष गुजरता है।”
अर्थात् यदि X-अक्ष के परितः पिण्ड का जड़त्व आघूर्ण Ix, Y- अक्ष के परितः Iy, तथा Z-अक्ष के परितःIz, हो तो Iz = Ix + Iy.
उपपत्ति- माना समतल पटल पर m द्रव्यमान का कोई कण P है, जिसकी X,Y तथा Z अक्षों से दूरियाँ क्रमशःx, y तथा r हैं, तब कण P का X-अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण = my2 .
तब संपूर्ण पटल का X-अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण
Ix = Σmy2 …………………. (1)
इसी प्रकार, पटल का Y-अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण
Iy = Σmx2 …………………… (2)
एवं संपूर्ण पटल का Z-अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण
Iz= Σmr2 …………………… (3)
किन्तु समकोण ΔPMO में,
OP2 = PM2 + OM2
r2 = x2 + y2 .
या mr2 = mx2 + my2
या Σmr2 = Σmx2 + Σmy2
समीकरण (1), (2) तथा (3) से मान रखने पर,
Iz = Iy+Ix
Iz = Ix + Iy.
यही लंब अक्ष प्रमेय है।
प्रश्न 2.
जड़त्व आघूर्ण से सम्बन्धित समान्तर अक्ष प्रमेय समझाइये।
उत्तर-
इस प्रमेयानुसार, “किसी अक्ष के परितः एक वस्तु का जड़त्व आघूर्ण उसके द्रव्यमान केन्द्र से गुजरने वाले समान्तर अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण और वस्तु के द्रव्यमान तथा दोनों अक्षों के बीच की दूरी के वर्ग के गुणनफल के योग के बराबर होता है।”
अर्थात् I = Ic + M.a2
जहाँ I = किसी अक्ष के परितः वस्तु का जड़त्व आघूर्ण,
Ic = वस्तु के द्रव्यमान केन्द्र से गुजरने वाले समान्तर अक्ष के परितः वस्तु का जड़त्व आघूर्ण
M = वस्तु का द्रव्यमान, a = दोनों अक्षों के बीच की दूरी
उपपत्ति-
मानों AB अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण ज्ञात करना है। ED एक दूसरा अक्ष है, जो वस्तु के द्रव्यमान केन्द्र से गुजरता है तथा AB के समान्तर है एवं दोनों अक्षों के बीच की दूरी BD a है।
पिण्ड को m द्रव्यमान के अनेक कणों से मिलकर बना हुआ मान सकते हैं। इनमें से एक कण P है, जिसकी ED अक्ष से दूरी x है। तब AB अक्ष से कण P की दूरी (a +x) होगी।
अत: AB अक्ष के परितः वस्तु का जड़त्व आघूर्ण
I= Σm(a +x) = Σm(a2+2ax+x2)
या = Σma2 +2aΣmx + Σmx2 = a2Σm + 2aΣmx + Σmx2 ………………. (1)
परन्तु Σm = M = पिण्ड का संपूर्ण द्रव्यमान
Σmx2 = Ic = ED अक्ष के परितः पिण्ड का जड़त्व आघूर्ण
Σmx = 0 = पिण्ड के भार व द्रव्यमान केन्द्र के परितः जड़त्व आघूर्ण
∴ I = M.a2 +2a.0 +lc= Ic + Ma2
यही समान्तर अक्ष प्रमेय है।
प्रश्न 3. घूर्णी गति के समीकरण की स्थापना कीजिए।
उत्तर-
(i) प्रथम समीकरण ω = ωo + αt
कोणीय त्वरण की परिभाषा से, α = \(\frac{d \omega}{d t}\) ……………………. (1)
dω = α dt
समीकरण (1) का उचित सीमा लेते हुए समाकलन करने पर,
(ii) द्वितीय समीकरण θ = ωot + \( αt2
कोणीय वेग ω = [latex]\frac{d \theta}{d t}\)
dθ = ωdt
dθ = (ωo+ αt) dt
dθ = ωodt + αt.dt …………………………. (2)
समीकरण (2) का उचित सीमा लेते हुए समाकलन करने पर,
(iii) तृतीय समीकरण ω2 = ωo2 +2αθ
कोणीय त्वरण α = \(\frac{d \omega}{d t}\)
कोणीय वेग ω =\(\frac{d \theta}{d t}\) =
या α.dθ = ω.dω …………………….. (3)
समीकरण (3) का उचित सीमा लेते हुए समाकलन करने पर,
α\(\int_{0}^{θ}\) dθ = \(\int_{omega{1}}^{\omega} \) ω.dω
प्रश्न 4.
लोटनिक गति के गतिज ऊर्जा के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
लोटनिक गति करते हुए पिण्ड की गतिज ऊर्जा स्थानान्तरण गतिज ऊर्जा एवं घूर्णी गतिज ऊर्जा के योग के बराबर होता है।
अर्थात् K = \(\frac{1}{2}\)Iω2 + \(\frac{1}{2}\)mvcm2
m = पिण्ड का द्रव्यमान
vcm = द्रव्यमान केन्द्र का वेग
∵ I= mK2
∴ K = \(\frac{1}{2}\) mK2ω2 + \(\frac{1}{2}\)mvcm2
या K = \(\frac{1}{2}\) mK2\(\left(\frac{v_{c m}}{\mathrm{R}}\right)^{2}\) + \(\frac{1}{2}\)mvcm2
या K = \(\frac{1}{2}\)mvcm2\(\left(1+\frac{K^{2}}{R^{2}}\right)\)
उपरोक्त सूत्र को चकती, बेलन, वलय एवं गोले के लिए लागू किया जा सकता है।
आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
समान द्रव्यमान तथा मोटाई की दो वृत्ताकार चकतियाँ A तथा B भिन्न-भिन्न धातुओं की बनी हैं, जिनके घनत्व dA तथा dB हैं (dA >dB)। यदि उनके तलों के लंबवत् केन्द्र से गुजरने वाले अक्षों के परितः उनके जड़त्व आघूर्ण क्रमशः IA तथा IB हों, तो बताइये कि IA तथा IB में कौन बड़ा होगा?
उत्तर-
हल- माना प्रत्येक चकती का द्रव्यमान m है। उनकी त्रिज्या rA तथा rB हैं।
तब IA = \(\frac{1}{2}\)mrA2 तथा IB = \(\frac{1}{2}\)mrB2
∴ \(\frac{\mathrm{I}_{A}}{\mathrm{I}_{B}}\) = \(\left(\frac{r_{A}}{r_{B}}\right)^{2}\)
यदि चकती की मोटाई t हो, तो
m= πrA2t × dA= πrB2t ×dB
अथवा \(\left(\frac{r_{A}}{r_{B}}\right)^{2}\) = \(\frac{d_{B}}{d_{A}}\)
∴ \(\frac{\mathrm{I}_{A}}{\mathrm{I}_{B}}\) = \(\frac{d \mathrm{~B}}{d \mathrm{~A}}\)
चूंकि dA >dB
अतः IA<IB.
प्रश्न 2.
M द्रव्यमान तथा R त्रिज्या का एक ठोस गोला । वेग से बिना फिसले क्षैतिज तल पर लुढ़क रहा है। इसकी गतिज ऊर्जा क्या होगी?
उत्तर-
हल- कुल गतिज ऊर्जा = घूर्णन गतिज ऊर्जा + रेखीय गतिज ऊर्जा
अतः K = \(\frac{1}{2}\)Iω2 +\(\frac{1}{2}\)Mv2 = \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{2}{5}\) MR2 × \(\left(\frac{v}{R}\right)^{2}\) +\(\frac{1}{2}\)Mv2
= \(\frac{2}{5}\)Mv2 + \(\frac{1}{2}\)Mv2
प्रश्न 3.
2, 3, 4 किग्रा द्रव्यमान वाले तीन कण 1 मीटर भुजा वाले समबाहु त्रिभुज के तीनों कोणों पर रखे हैं। निकाय का द्रव्यमान केन्द्र ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
हल- माना ΔABC का शीर्ष A मूलबिन्दु (0,0) पर तथा शीर्ष B, X-अक्ष पर है। अतः शीर्षों के निर्देशांक होंगे–
A (0.0), B (1.) तथा कि C\(\left(\frac{1}{2}, \frac{\sqrt{3}}{2}\right)\)
अत: निकाय के द्रव्यमान केन्द्र के निर्देशांक हैं
xcm = \(\frac{m_{1} x_{1}+m_{2} x_{2}+m_{3} x_{3}}{m_{1}+m_{2}+m_{3}} \)
= \(\frac{2 \times 0+3 \times 1+4 \times \frac{1}{2}}{2+3+4}\) = \(\frac{5}{9}\) मीटर
Ycm = \(\frac{m_{1} . y_{1}+m_{2} y_{2}+m_{3} y_{3}}{m_{1}+m_{2}+m_{3}}\)
Ycm = \(\frac{2 \times 0+3 \times 0+4 \times \frac{\sqrt{3}}{2}}{2+3+4}\) = \(\frac{2 \sqrt{3}}{9} \) मीटर
अतः निकाय के द्रव्यमान केन्द्र के निर्देशांक \(\left(\frac{5}{9}, \frac{2 \sqrt{3}}{9}\right)\) मीटर है।
प्रश्न 4.
(a) किसी गोले का इसके व्यास के परितः जड़त्व आघूर्ण \(\frac{2}{5}\) MR2 जहाँ M गोले का द्रव्यमान एवं R इसकी त्रिज्या है। गोले पर खींची गई स्पर्श रेखा के परितः इसका जड़त्व आघूर्ण ज्ञात कीजिए।
(b) M द्रव्यमान एवं R त्रिज्या वाली किसी चकती का इसके किसी व्यास के परितः जड़त्व आघूर्ण \(\frac{\mathrm{MR}^{2}}{4} \) है। चकती के लम्बवत् इसकी कोर से गुजरने वाले अक्ष के परितः इस चकती का जड़त्व आघूर्ण ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
हल-
(a) समानान्तर अक्ष के प्रमेय अनुसार,
I = Icm + Ma2
I = \(\frac{2}{5}\)MR2+MR2
I = \(\frac{7}{5}\)MR2
(b) चकती का केन्द्र से गुजरने वाली एवं उसके तल के लम्बवत् अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण, लम्ब अक्ष प्रमेय के अनुसार,
Iz = Ix+Iy,
Iz = Id + Id = 2Id= 2 × \(\frac{1}{4}\) MR2
= \(\frac{\mathrm{MR}^{2}}{2}\)
अब चकती का इसके कोर से लम्बवत् गुजरने वाले अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण, समानान्तर अक्ष प्रमेय अनुसार,
I = Icm+ Ma2
I = \(\frac{\mathrm{MR}^{2}}{2}\) + MR2 =\(\frac{3}{2}\) MR2.
प्रश्न 5.
0.5 किग्रा द्रव्यमान तथा 1 मीटर व्यास का ठोस गोला एक चिकने क्षैतिज तल पर नियत वेग 5 मी./से. से बिना फिसले लुढ़क रहा है। इसकी कुल ऊर्जा ज्ञात कीजिए। कुल ऊर्जा में घूर्णन गतिज ऊर्जा का प्रतिशत क्या है ?
उत्तर-
हल- m = 0.5 किग्रा, 21 = 1 मीटर, 7 = (0.5 मीटर, v = 5 मी./से.
घूर्णन गतिज ऊर्जा K1 =\(\frac{1}{2}\) Iω2
या K1 = \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{2}{5}\)mr2 × \(\frac{v^{2}}{r^{2}}\) = \(\frac{1}{5}\) mv2 ………………… (1)
रेखीय गतिज ऊर्जा K2 = \(\frac{1}{2}\)mv2
कुल गतिज ऊर्जा K = K1 +K2. …………….. (2)
= \(\frac{1}{5}\) mv2+ \(\frac{1}{2}\)mv2 = \(\frac{7}{10}\)mv2
= \(\frac{7}{10}\) × 0.5 × 25 = 8.75 जूल।
एवं \(\frac{\mathrm{K}_{1}}{\mathrm{~K}_{2}}\) = \(\frac{m v^{2} / 5^{4}}{7 m v^{2} / 10}\) = \(\frac{m v^{2}}{5} \times \frac{10}{7 m v^{2}}\)
∴ \(\frac{\mathrm{K}_{1}}{\mathrm{~K}_{2}}\) = \(\frac{2}{7}\) = 0.2857 = 28.57%
प्रश्न 6. यदि वे \(\vec{a}=3 \hat{i}-4 \hat{j}+\hat{k}\) तथा \(\vec{r}=5 \hat{i}-6 \hat{j}+6 \hat{k}\) हो, तो रेखीय वेग का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
हल
\(\vec{a}=3 \hat{i}-4 \hat{j}+\hat{k}\)
\(\vec{r}=5 \hat{i}-6 \hat{j}+6 \hat{k}\)
अतः
\(\vec{v}\) = \(\vec{a} \times \vec{r}\)
प्रश्न 7.
एक कार 54 किमी/घंटा की चाल से गतिमान है। इसके पहिये की त्रिज्या 0.35 मीटर तथा जड़त्व आघूर्ण 3 किग्रा मीटर2 है। कार को 15 सेकण्ड में रोकने के लिए ब्रेक द्वारा कितने बल आघूर्ण की आवश्यकता होगी?
उत्तर-
हल- y = 54 किमी/घंटा = \(\frac{54 \times 1000}{60 \times 60}\) मीटर/सेकण्ड = 15 मीटर/सेकण्ड,
r= 0.35 मीटर, I = 3 किग्रा मीटर2, t = 15 सेकण्ड
बल आघूर्ण τ = Iα = \(\frac{\mathrm{I} \omega}{t}\)
या τ = \(\frac{I \times v}{t \times r}\) = \(\frac{3 \times 15}{15 \times 0 \cdot 35}\) =\(\frac{300}{35} \)
= \(\frac{60}{7}\) = 8.58 न्यूटन मीटर ।
प्रश्न 8. एक गतिपालक चक्र का जड़त्व आघूर्ण 4 किग्रा/मीटर2 है। इस पर 10 न्यूटन मीटर का बल आघूर्ण लगाने पर इसमें कितना कोणीय त्वरण उत्पन्न होगा ?
उत्तर-
हल- I= 4 किग्रा मीटर, τ = 10 न्यूटन मीटर2
बल आघूर्ण τ = Iα
कोणीय त्वरण α=\(\frac{\tau}{\mathrm{I}}\) =\(\frac{10}{4}\) = 2.5 रेडियन/सेकण्ड2 ।
प्रश्न 9.
एक मीटर छड़ के केन्द्र के नीचे क्षुर-धार रखने पर वह इस पर संतुलित हो जाती है, जब दो सिक्के, जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान 5 ग्राम है, 12 सेमी के चिन्ह पर एक के ऊपर एक रखे जाते हैं, तो छड़ 45 सेमी चिन्ह पर संतुलित हो जाती है। मीटर छड़ का द्रव्यमान क्या है ?
उत्तर-
हल- माना मीटर छड़ का द्रव्यमान m है तथा ‘O’ इसका मध्य बिन्दु है, 5 ग्राम के दो सिक्के 12 सेमी के चिन्ह पर रखने पर छड़ का संतुलन बिन्दु O मर चला जाता है। आघूर्ण के सिद्धान्त अनुसार,
‘O’ के परितः 10 g का आघूर्ण = O’ के परितः
mg का आघूर्ण
10 g(45-12) = mg(50 – 45).
10 g × 33 = mg × 5
या m = \(\frac{10 \times 33}{5}\) = 66 ग्राम।
प्रश्न 10.
2 किग्रा द्रव्यमान तथा 0.5 मीटर त्रिज्या के एक वृत्तीय वलय का जड़त्व आघूर्ण ज्ञात कीजिए-
(1) उसकी ज्यामितीय अक्ष के परितः,
(2) उसके एक व्यास के परितः,
(3) उसकी परिधि पर स्पर्श रेखा के परितः।
उत्तर-
हल-m = 2 किग्रा, R = 0.5 मीटर
1. वलय का उसकी ज्यामितीय अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण
I = MR2 = 2 × (0.5) ⇒ I = 0.5 किग्रा मीटर2 ।
2. वलय का व्यास के परितः जड़त्व आघूर्ण
Id = \(\frac{1}{2}\)I = \(\frac{1}{2}\)MR2
= \(\frac{0 \cdot 5}{2}\) = 0.25 किग्रा मीटर2।
3. वलय का उसकी परिधि पर स्पर्श रेखा के परितः जड़त्व आघूर्ण
IT = Id + Ma2
= \(\frac{\mathrm{MR}^{2}}{2}\) + MR2 = \(\frac{3}{2}\)MR2
=\(\frac{3}{2}\) × 0.5 = 0.75 किग्रा मीटर2।
प्रश्न 11.
HCI अणु में दो परमाणुओं के नाभिकों के बीच की दूरी लगभग 1.27Å (1 Å = 10-10 m)। इस अणु के द्रव्यमान केन्द्र की लगभग स्थिति ज्ञात कीजिए। यह ज्ञात है कि क्लोरीन का परमाणु हाइड्रोजन के परमाणु की तुलना में 35.5 गुना भारी होता है तथा किसी परमाणु का समस्त द्रव्यमान उसके नाभिक पर केन्द्रित होता है।
उत्तर-
हल- माना हाइड्रोजन परमाणु की स्थिति मूलबिन्दु (0, 0) पर माना गया है।
हाइड्रोजन परमाणु का द्रव्यमान m1 = 1 (माना)
क्लोरीन परमाणु का द्रव्यमान m2 = 35.5 × 1
द्रव्यमान केन्द्र की स्थिति xcm = \(\frac{m_{1} x_{1}+m_{2} x_{2}}{m_{1}+m_{2}}\)
xcm = \(\frac{1 \times 0+35 \cdot 5 \times 1 \cdot 27 \times 10^{-10}}{1+35 \cdot 5}\)
xcm = 1.235 × 10-10m = 1.235 Å
प्रश्न 12.
एक रेलगाड़ी का पहिया 6 चक्कर प्रति सेकण्ड लगा रहा है।ब्रेक लगने पर वह 12 सेकण्ड में रुक जाता है, ब्रेक द्वारा उत्पन्न कोणीय त्वरण ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
हल- आवृत्ति n = 6 चक्कर/सेकण्ड, t = 12 सेकण्ड, ω = 0
तथा ω0 = 2πn= 120 रेडियन/सेकण्ड
सूत्र- ω = ω0 + α.t से,
0 = 12π- α × 12
∴ α = \(\frac{12 \pi}{12}\) = 3.14 रेडियन/सेकण्ड2।
प्रश्न 13.
गाड़ी के पहिये की त्रिज्या 0.4 मीटर है। गाड़ी विरामावस्था से 20 सेकण्ड तक 1.5 रेडियन/सेकण्ड2 के कोणीय त्वरण से त्वरित होती है। इस समयान्तराल में पहिया कितनी दूरी तय करता है तथा इसका रेखीय वेग कितना हो जाता है ?
उत्तर-
हल-= 0.4 मीटर, t = 20 सेकण्ड, α = 1.5 रेडियन/सेकण्ड2
सूत्र- θ = ω0t + \(\frac{1}{2}\) at2 से,
θ = 0+ \(\frac{1}{2}\) × 1.5 × 400
या θ = 300 रेडियन
परन्तु θ = \(\frac{x}{r}\)
∴ x = θ.r
अतः x = 300 × 0.4 = 120 मीटर।
एवं रेखीय वेग v = r.ω
परन्तु ω = ω0+ α. t से,
∴ ω = 0 + 1.5 × 20 = 30 रेडियन/सेकण्ड
अत: रेखीय वेग v = r.ω
v = 0.4 × 30 = 12 मीटर / सेकण्ड।
प्रश्न 14.
एक साइकिल में हैण्डिल की लंबाई 50 सेमी है। यदि साइकिल सवार इसके प्रत्येक सिरे पर 0.02 न्यूटन के बराबर, समान्तर एवं विपरीत दिशा में बल लगाते हुए इसे घुमाये तो उसके द्वारा लगाये गये बलयुग्म के आघूर्ण की गणना कीजिए।
उत्तर-
हल- दिया है- F = 0.02 न्यूटन, d = 50 सेमी = 0.5 मीटर
अतः सूत्र- τ = F.d से,
या τ = 0.02 × 0.5
∴ τ= 0.010 न्यूटन मीटर = 0.01 न्यूटन मीटर।
प्रश्न 15. यदि पृथ्वी का व्यास सिकुड़कर आधा हो जाये तो दिन कितने घंटे का हो जायेगा?
उत्तर-
हल- I1ω1 = I2ω2 से,
\(\frac{2}{5}\)MR2 × \(\frac{2 \pi}{\mathrm{T}_{1}}\) =\(\frac{2}{5}\)\( {\left.\frac{\mathrm{R}}{2}\right)^{2} \mathrm{M} \frac{2 \pi}{\mathrm{T}_{2}}\)
अतः \(\frac{1}{\mathrm{~T}_{1}}\) = \(\frac{1}{4 \mathrm{~T}_{2}}\)
∴ T2 = \(\frac{\mathrm{T}_{1}}{4}\) = \(\frac{24}{4}\) = 6 घंटे।
प्रश्न 16.
यदि किसी घूमती हुई चकती की त्रिज्या अचानक आधी कर दी जाये किन्तु द्रव्यमान उतना ही रहे तो उसका कोणीय वेग कितना हो जायेगा ?
उत्तर-
हल- I1ω1 = I2ω2 से,
⇒ MR2ω1 = M\(\left(\frac{\mathrm{R}}{2}\right)^{2}\)ω2
∴ ω2 = 4ω1
अर्थात् पहले से चार गुना हो जायेगा।
प्रश्न 17.
एक पिण्ड का कोणीय संवेग 10 सेकण्ड में 220 किग्रा मीटर/सेकण्ड से बढ़कर 340 किग्रा मीटर2/सेकण्ड हो जाता है। पिण्ड पर कितना बल आघूर्ण लग रहा है ?
उत्तर-
हल-सूत्र-τ=\(\frac{d J}{d t}\) से,
τ = \(\frac{340-220}{10}\) = \(\frac{120}{10}\) = 12 न्यूटन मीटर।
प्रश्न 18.
एक गतिपालक पहिये का द्रव्यमान 25 किग्रा तथा त्रिज्या 0.2 है। इसमें 2 रेडियन/ सेकण्ड2 का त्वरण उत्पन्न करने के लिए स्पर्श रेखा की दिशा में कितना बल लगाना पड़ेगा ?
उत्तर-
हल-दिया है- M = 25 किग्रा, R = 0.2 मीटर, α = 2 रेडियन/सेकण्ड2,
I = MR2 = 25 × (0.2)2
= 25 × 0.04 = 1 किग्रा मीटर
पुनः सूत्र- τ= lα में मान रखने पर,
τ=1 × 2 = 2 न्यूटन मीटर
एवं τ= F.d में मान रखने पर,
या 2 = F × 0.
∴ F=\(\frac{2}{0 \cdot 2}\) = 10 न्यूटन।
प्रश्न 19.
20 सेमी लंबी रस्सी के एक सिरे पर 1 किग्रा के पत्थर के टुकड़े को बाँधकर उसे क्षैतिज तल में इस प्रकार घुमाया जाता है कि वह प्रति सेकण्ड 8 चक्कर लगाता है। निम्न की गणना कीजिए
(i) कोणीय वेग,
(ii) रेखीय वेग,
(iii) हाथ में घूमाने वाले अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण,
(iv) कोणीय संवेग।
उत्तर-
हल-दिया है-r= 20 सेमी = 20 × 10-2 मीटर, m = 1 किग्रा, υ= 8 चक्कर/सेकण्ड
(i) कोणीय वेग ω= 2 πυ
या ω = 2.7 × 8 = 16π रेडियन/सेकण्ड।
(ii) रेखीय वेग v=r.ω
∴ = 16π × 20 × 10-2 = 3.2π मीटर/सेकण्ड2।
(iii) जड़त्व आघूर्ण I = mr2
I=1 × (20 × 10-2)2 = 0.04 किग्रा मीटर2।
(iv) कोणीय संवेग J = lω
या J= 0.04 × 16π = 0.647 किग्रा मीटर2/सेकण्ड।
प्रश्न 20.
डोरी से बँधी गेंद को क्षैतिज वृत्त में एक पूरा चक्कर लगाने में 4 सेकण्ड लगते हैं। यदि डोरी को खींचकर वृत्त की त्रिज्या पहले से आधी कर दी जाये तो अब गेंद के एक चक्कर में कितना समय लगेगा?
उत्तर-
हल- संवेग संरक्षण नियम से, I1ω1 = I2ω2
माना गेंद का द्रव्यमान m तथा वृत्त की त्रिज्या r है, तो I1 = mr2
या I2 = m\(\left(\frac{r}{2}\right)^{2}\)
अतः संवेग संरक्षण नियम से, mr2\(\frac{2 \pi}{\mathrm{T}_{1}}\) = m\(\left(\frac{r}{2}\right)^{2}\).\(\frac{2 \pi}{\mathrm{T}_{2}}\)
अतः T2 = \(\frac{\mathrm{T}_{1}}{4}\) = \(\frac{4}{4}\) = 1 सेकण्ड।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
सही विकल्प चुनकर लिखिए –
प्रश्न 1.
घूर्णी गति में जड़त्व आघूर्ण का वही महत्व है, जो रैखिक गति में है.
(a) वेग का
(b) त्वरण का
(c) द्रव्यमान का
(d) बल का।
उत्तर:
(c) द्रव्यमान का
प्रश्न 2.
जब कोई वस्तु गति करती है, तो उसका द्रव्यमान केन्द्र
(a) स्थिर रहता है
(b) आंतरिक बलों से बिल्कुल प्रभावित नहीं होता
(c) बाह्य बलों से बिल्कुल प्रभावित नहीं होता।
(d) न आंतरिक बलों से और न ही बाह्य बलों से प्रभावित होता है।
उत्तर:
(b) आंतरिक बलों से बिल्कुल प्रभावित नहीं होता
प्रश्न 3.
रेखीय संवेग के आघूर्ण को कहते हैं
(a) बलयुग्म
(b) बल आघूर्ण
(c) आवेग
(d) कोणीय संवेग।
उत्तर:
(d) कोणीय संवेग।
प्रश्न 4.
गलत संबंध है
(a) L = Iω
(b) I= MK2
(c) E=\(\frac{1}{2}\) Iω
(d) T = \(\frac{d \mathrm{~L}}{d t}\)
उत्तर:
(c) E=\(\frac{1}{2}\) Iω
प्रश्न 5.
जड़त्व आघूर्ण निम्नलिखित में से किस पर निर्भर करता है
(a) घनत्व
(b) द्रव्यमान
(c) बलयुग्म
(d) आवेग।
उत्तर:
(c) बलयुग्म
प्रश्न 6.
कोणीय वेग में परिवर्तन की दर को कहते हैं
(a) कोणीय विस्थापन
(b) कोणीय चाल
(c) कोणीय त्वरण
(d) कोणीय संवेग।
उत्तर:
(c) कोणीय त्वरण
प्रश्न 7.
किसी पिण्ड की घूर्णन गतिज ऊर्जा का सूत्र है
(a) घूर्णन गतिज ऊर्जा =\(\frac{1}{2}\) जड़त्व आघूर्ण × (कोणीय वेग)2
(b)
(c) घूर्णन गतिज ऊर्जा =
(d) घूर्णन गतिज ऊर्जा =
उत्तर:
(a) घूर्णन गतिज ऊर्जा =\(\frac{1}{2}\) जड़त्व आघूर्ण × (कोणीय वेग)2
प्रश्न 8.
किसी ठोस सिलिण्डर, जिसका द्रव्यमान M तथा त्रिज्या R है, का उसकी ज्यामिति अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण होता है
(a) \(\frac{2}{3}\)MR2
(b) \(\frac{4}{3}\)MR2
(c) \(\frac{5}{4}\)MR2
(d) \(\frac{1}{2}\)MR2.
उत्तर:
(d) \(\frac{1}{2}\)MR2.
प्रश्न 9.
एक चकती का द्रव्यमान M व त्रिज्या R है। चकती के किनारे को स्पर्श करती हुई और उसके तल में स्थित अक्ष के सापेक्ष उसका जड़त्व आघूर्ण है
(a) \(\frac{2}{3}\)MR2
(b) \(\frac{4}{3}\)MR2
(c) \(\frac{5}{4}\)MR2
(d) \(\frac{1}{2}\)MR2.
उत्तर:
(c) \(\frac{5}{4}\)MR2
प्रश्न 10.
केन्द्रीय बल के अन्तर्गत गतिमान पिण्ड का नहीं बदलता है
(a) स्थितिज ऊर्जा
(b) गतिज ऊर्जा
(c) रैखिक संवेग
(d) कोणीय संवेग।
उत्तर:
(d) कोणीय संवेग।
प्रश्न 11.
जड़त्व आघूर्ण का मात्रक होता है-
(a) किग्रा/मीटर
(b) किग्रा2 × मीटर
(c) किग्रा × मीटर
(d) किग्रा/मीटर।
उत्तर:
(c) किग्रा × मीटर.
2. सही जोड़ियाँ बनाइए
(1)
खण्ड ‘अ’ | खण्ड ‘ब’ |
1. द्विकण निकाय के द्रव्यमान केन्द्र का स्थिति सदिश(\(\overrightarrow{\mathbf{R}}\)) | (a) \(\frac{d \overrightarrow{\mathrm{R}}}{d t}\) |
2. द्रव्यमान केन्द्र का वेग \((\vec{v})\) | (b)\(\frac{m_{1}\overrightarrow{r_{1}}+m_{2} \overrightarrow{r_{2}}}{m_{1}+m_{2}}\) |
3. बल आघूर्ण \((\vec{\tau})\) | (c) Σmr2 |
4. जड़त्व गतिज ऊर्जा (I) | (d) \(\frac{1}{2}\)Iω2 |
5. घूर्णन गतिज ऊर्जा (K.E.) | (e) \(\vec{r} \times\overrightarrow{\mathrm{F}}\) |
उत्तर-
1. (b) \(\frac{m_{1} \overrightarrow{r_{1}}+m_{2} \overrightarrow{r_{2}}}{m_{1}+m_{2}}\)
2. (a) \(\frac{d \overrightarrow{\mathrm{R}}}{d t}\)
3. (e) \(\vec{r} \times \overrightarrow{\mathrm{F}}\)
4. (c) Σmr2
5. (d) \(\frac{1}{2}\)Iω2.
(II)
खण्ड ‘अ’ | खण्ड ‘ब’ |
1. जड़त्व आघूर्ण | (a) m/sec2 |
2. बल आघूर्ण | (b) \(\frac{5}{4}\)MR2 |
3. घूर्णन त्रिज्या | (c) F×r |
4. ठोस गोले का जड़त्व आघूर्ण | (d) MR2 |
5. त्वरण | (e) \(\sqrt{\frac{I}{M}}\) |
उत्तर-
1. (d) MR2
2. (c) F×r
3. (e) \(\sqrt{\frac{I}{M}}\)
4. (b) \(\frac{5}{4}\)MR2
5. (a) m/sec2.
3. सत्य / असत्य बताइए
1. यदि दो कणों के द्रव्यमान समान हों, तो उनका द्रव्यमान केन्द्र उनको मिलाने वाली रेखा के ठीक मध्य में होता है।
उत्तर:
सत्य
2. यदि किसी निकाय पर बाह्य बल शून्य हो, तो उसका संवेग शून्य होता है।
उत्तर:
असत्य
3. यदि किसी निकाय पर बाह्य बल न लगाया जाये, तो द्रव्यमान केन्द्र का वेग नियत होता है।
उत्तर:
सत्य
4. गति के दौरान दृढ़ पिण्ड के आकार या आयतन में परिवर्तन हो सकता है।
उत्तर:
असत्य
5. द्रव्यमान केन्द्र सदैव पिण्ड के अन्दर स्थित होता है।
उत्तर:
असत्य
6. जड़त्व आघूर्ण सम्बन्धी समान्तर अक्ष के प्रमेय के अनुसार I = I0+ ma2, जहाँ संकेतों के सामान्य अर्थ हैं।
उत्तर:
सत्य
7. द्रव्यमान M और R त्रिज्या की चकती के किनारे को स्पर्श करती हुई और उसके तल में स्थित अक्ष के सापेक्ष चकती का जड़त्व आघूर्ण =\(\frac{1}{2}\)MR2 होता है।
उत्तर:
असत्य।
4. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. कोणीय संवेग का सूत्र …………….. होता है।
उत्तर:
जड़त्व आघूर्ण x कोणीय वेग,
2. घूर्णी अक्ष बदल जाने से …………….. भी बदल जाता है।
उत्तर:
जड़त्व आघूर्ण
3. कोणीय वेग में परिवर्तन की दर को …………….. कहते हैं।
उत्तर:
कोणीय त्वरण
4. कोणीय संवेग पिण्ड की …………….. की माप है।
उत्तर:
घूर्णी गति
5. किसी पिण्ड का कोणीय संवेग उसके द्रव्यमान और क्षेत्रीय वेग के गुणनफल के ……………..बराबर होता है।
उत्तर:
दुगुने
6. एक ठोस गोला जिसका द्रव्यमान M, त्रिज्या R है, तो व्यास के परितः जड़त्व आघूर्ण …………. होता है।
उत्तर:
(d) \(\frac{2}{5}\)MR2.