Students get through the MP Board Class 11th Physics Important Questions Chapter 12 ऊष्मागतिकी which are most likely to be asked in the exam.
MP Board Class 11th Physics Important Questions Chapter 12 ऊष्मागतिकी
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
ऊष्मागतिकी निकाय से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
किसी सीमा पृष्ठ से घिरी ऐसी वस्तु जिस पर ऊष्मा का प्रभाव पड़ता है ऊष्मागतिकी निकाय कहलाता है। थर्मस फ्लास्क में भरा द्रव, किसी सिलिका में भरी गैस आदि।
प्रश्न 2. ऊष्मागतिक चर का अर्थ समझाइये।
उत्तर:
किसी निकाय के ऐसे गुण जो उस निकाय की ऊष्मागतिक अवस्था निर्धारित करते हैं, ऊष्मागतिक चर कहलाते हैं। गैस के लिए दाब (P), आयतन (V), ताप (T) ऊष्मागतिक चर हैं।
प्रश्न 3.
अवस्था समीकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी निकाय की ऊष्मागतिक अवस्था को व्यक्त करने वाले ऊष्मागतिक चरों में सम्बन्ध बताने वाले समीकरण को अवस्था समीकरण कहते हैं। आदर्श गैस का अवस्था समीकरण PV = RT है।
प्रश्न 4.
धनात्मक तथा ऋणात्मक कार्य से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
जब कार्य निकाय द्वारा किया जाता है तो धनात्मक एवं जब कार्य निकाय पर किया जाता है तो ऋणात्मक कार्य कहलाता है।
प्रश्न 5.
कार्य तथा आन्तरिक ऊर्जा में से कौन-सी राशि पथ पर निर्भर करती है तथा कौन-सी राशि पथ पर निर्भर नहीं करती है ?
उत्तर:
कार्य पथ पर निर्भर करता है जबकि आन्तरिक ऊर्जा पथ पर निर्भर नहीं करती है।
प्रश्न 6.
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम लिखिए।
उत्तर:
इस नियमानुसार- “जब ऐसे निकाय को जो बाहरी कार्य करने में सक्षम हो, ऊष्मा दी जाती है तो निकाय द्वारा अवशोषित ऊष्मा उसके द्वारा किये गये बाह्य कार्य और उसके आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि के योग के बराबर होती है।”
यदि निकाय को ΔQ ऊष्मा दी जाये जिससे उसके द्वारा ΔW कार्य किया जाता है और उसकी आन्तरिक ऊर्जा में ΔU वृद्धि होती है।
तब ΔQ = ΔW+ ΔU.
प्रश्न 7.
उत्क्रमणीय प्रक्रम से आप क्या समझते हैं ? इसके कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
वह प्रक्रम जिसके पश्चात् प्रक्रम में भाग लेने वाली समस्त वस्तुएँ (निकाय तथा प्रतिवेश) शेष ब्रह्माण्ड को प्रभावित किये बिना अपनी प्रारंभिक अवस्थाओं में वापिस लायी जा सकें, उत्क्रमणीय प्रक्रम कहलाती है।
उदाहरण- बर्फ से पानी तथा पुनः पानी से बर्फ का बनना उत्क्रमणीय प्रक्रम है।
प्रश्न 8.
उत्क्रमणीय तथा अनुत्क्रमणीय प्रक्रम में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
उत्क्रमणीय तथा अनुत्क्रमणीय प्रक्रम में अन्तर-
उत्क्रमणीय प्रक्रम | अनुत्क्रमणीय प्रक्रम |
1. इसे विपरीत क्रम में सम्पन्न किया जा सकता है। | 1. इसे विपरीत क्रम में सम्पन्न नहीं किया जा सकता है। |
2. इसमें भाग लेने वाली समस्त वस्तुएँ अपनी पूर्वावस्था में नहीं आ सकती। | 2. इसमें भाग लेने वाली समस्त वस्तुएँ अपनी पूर्वावस्था में आ जाती हैं। |
प्रश्न 9.
चक्रीय प्रक्रम क्या है ?
उत्तर:
जब कोई निकाय विभिन्न अवस्थाओं से गुजरता हुआ अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाए तो इस प्रक्रम को चक्रीय प्रक्रम कहते हैं।
प्रश्न 10.
समतापी प्रक्रम किसे कहते हैं ? इस प्रक्रम में किये गये कार्य का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
यदि कोई निकाय में कोई भौतिक परिवर्तन इस प्रकार हो कि सम्पूर्ण प्रक्रिया में निकाय का ताप स्थिर रहे तो ऐसा प्रक्रम समतापी प्रक्रम कहलाता है। उदाहरण- बर्फ का गलनांक पर पिघलना।
समतापी प्रक्रम में गैस द्वारा किया गया कार्य
W = 2.3026RTlog10\(\frac{\mathrm{P}_{1}}{\mathrm{P}_{2}}\)
P1 = प्रारंभिक दाब, P2 =अंतिम दाब, T = नियतं परम ताप, R = सार्वत्रिक गैस नियतांक है।
प्रश्न 11.
रुद्धोष्म प्रक्रम किसे कहते हैं ? इस प्रक्रम में किये गये कार्य के लिए सूत्र लिखिए।
उत्तर:
वह प्रक्रम जिसमें निकाय की ऊष्मा न तो बाहर जा सके और न बाहर से ऊष्मा अंदर आ सके रुद्धोष्म प्रक्रम कहलाता है।
इस प्रक्रम में गैस द्वारा किया गया कार्य
W = \(\frac{\mathrm{R}}{\gamma-1}\) (T1 – T2.)
जहाँ R = गैस नियतांक, γ = दो विशिष्ट ऊष्माओं का अनुपात, T1 = प्रारंभिक ताप एवं T2 = अंतिम ताप है।
प्रश्न 12.
आन्तरिक ऊर्जा क्या है ? आदर्श गैस की आन्तरिक ऊर्जा किन-किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर:
किसी निकाय द्वारा कार्य करने की स्वयं की क्षमता को उसकी आन्तरिक ऊर्जा कहते हैं तथा यह आन्तरिक स्थितिज ऊर्जा एवं आन्तरिक गतिज ऊर्जा के योग के बराबर होती है। आदर्श गैस की आन्तरिक ऊर्जा केवल उसके ताप पर निर्भर करती है।
प्रश्न 13.
ऊष्मा के यान्त्रिक तुल्यांक की परिभाषा दीजिये तथा इसके C.G.S. एवं M.K.S. पद्धति में मात्रक लिखिये।
उत्तर:
1 कैलोरी ऊष्मा उत्पन्न करने के लिए किए गए कार्य को ऊष्मा का यान्त्रिक तुल्यांक कहते हैं। इसका C.G.S. मात्रक अर्ग / कैलोरी तथा M.K.S. पद्धति में मात्रक जूल / कैलोरी है।
प्रश्न 14.
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम क्या है ?
उत्तर:
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम ऊर्जा संरक्षण का नियम है। जब ऊर्जा के अन्य रूप को ऊष्मा में बदला जाता है तो ऊर्जा की कोई हानि नहीं होती है। यदि W यान्त्रिक ऊर्जा से Q ऊष्मा प्राप्त होती है तो W = Q (यदि W एवं Q एक ही मात्रक में हैं)।
प्रश्न 15.
जब हम अपने हाथों को आपस में रगड़ते हैं तो वे गर्म हो जाते हैं, परन्तु केवल एक अधिकतम ताप तक क्यों ?
उत्तर:
हाथों को रगड़ने में किया गया कार्य ऊष्मा में बदलता है परन्तु कुछ देर बाद जब हाथों का ताप एक निश्चित ताप के बराबर हो जाता है तो जितनी ऊष्मा हाथों को रगड़ने से मिलती है उतनी ही ऊष्मा बाहर वायुमंडल में चली जाती है तथा हाथों का ताप और अधिक नहीं बढ़ पाता है।
प्रश्न 16.
समतापी तथा रुद्धोष्म प्रक्रम में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
समतापी तथा रुद्धोष्म प्रक्रम में अन्तर-
समतापी प्रक्रम | रुद्धोष्म प्रक्रम |
1. इस प्रक्रम में ताप स्थिर रहता है। | 1. इस प्रक्रम में ऊष्मा का मान स्थिर रहता है। |
2. इसमें गैस की आन्तरिक ऊर्जा नियत रहती है। | 2. इसमें गैस की आन्तरिक ऊर्जा नियत नहीं रहती है। |
3. यह मंद प्रक्रम है। | 3. यह तीव्र प्रक्रम है। |
4. इसमें वातावरण के साथ ऊष्मा का विनिमय होता है। | 4. इसमें वातावरण के साथ ऊष्मा का विनिमय नहीं होता है। |
प्रश्न 17.
रुद्धोष्म प्रसार में प्रशीतन क्यों संभव है ?
उत्तर:
रुद्धोष्म प्रसार में गैस द्वारा कार्य किया जाता है जिससे उसकी आन्तरिक ऊर्जा कम हो जाती है अतः प्रशीतन उत्पन्न हो जाती है अर्थात् उसका ताप कम हो जाता है।
प्रश्न 18.
साइकिल ट्यूब के फट जाने के तुरन्त बाद स्पर्श करने पर वायु शीतल लगती है, क्यों ?
उत्तर:
साइकिल ट्यूब के फट जाने पर अन्दर की वायु का रुद्धोष्म प्रसार होता है अत: वायु द्वारा कार्य “किया जाता है। उसकी आन्तरिक ऊर्जा कम हो जाती है जिससे उसका ताप कम हो जाता है।
प्रश्न 19.
बन्दूक की गोली लक्ष्य से टकराने के बाद गर्म क्यों हो जाती है ?
उत्तर:
लक्ष्य से टकराने से पहले गोली में गतिज ऊर्जा होती है। गोली के लक्ष्य से टकराने पर गतिज ऊर्जा का अधिकांश भाग ऊष्मा में परिवर्तित हो जाता है। अतः गोली गर्म हो जाती है।
प्रश्न 20.
एक थर्मस फ्लास्क में जल भरा हुआ है। थर्मस के जल को कुछ समय तक हिलाना, कारण सहित बताइये कि क्या जल का ताप बढ़ जायेगा?
उत्तर:
जल को हिलाने पर किया गया कार्य ऊष्मा के रूप में परिवर्तित होकर जल के ताप को बढ़ा देगा।
प्रश्न 21.
साइकिल में हवा भरते समय पम्प गर्म हो जाता है, क्यों? ; .
उत्तर:
क्योंकि हवा भरते समय किये गये कार्य का कुछ भाग पम्प एवं वाल्व में घर्षण के कारण ऊष्मा में बदल जाता है।
प्रश्न 22.
ठण्डे जल की बाल्टी में गर्म लोहे का टुकड़ा डाला जाता है। क्या जल की आन्तरिक ऊर्जा बढ़ेगी? क्या लोहे का टुकड़ा कुछ कार्य करेगा?
उत्तर:
जल की आन्तरिक ऊर्जा बढ़ेगी (लोहे के टुकड़े से जल में ऊष्मा स्थानान्तरण द्वारा) लोहे का टुकड़ा कुछ कार्य नहीं करेगा।
प्रश्न 23.
समतापी प्रक्रम किसे कहते हैं ? इसके लिए अवस्था समीकरण लिखिए।
उत्तर:
वह प्रक्रम जिसमें ताप नियत रहता है, समतापी प्रक्रम कहलाता है। इस प्रक्रम में दाब-आयतन आरेख एक आयताकार अतिपरवलय होता है तथा गैस बॉयल के नियम का पालन करती है। इस प्रक्रम में अवस्था समीकरण PV = नियतांक।
प्रश्न 24.
समदाबी प्रक्रम क्या है ? इसके लिए अवस्था समीकरण लिखिए।
उत्तर:
वह प्रक्रम जिसमें दाब स्थिर रहता है, समदाबी प्रक्रम कहलाता है। इस प्रक्रम के लिए दाब :आयतन आरेख, आयतन अक्ष के समान्तर सरल रेखा होती है।
समदाबी प्रक्रम के लिए अवस्था समीकरण है : \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{T}}\) = नियतांक या V ∝ T.
प्रश्न 25.
समआयतनिक प्रक्रम क्या है ? इस प्रक्रम में कितना कार्य किया जाता है ?
उत्तर:
वह प्रक्रम जिसमें निकाय का आयतन नियत रहता है, समआयतनिक प्रक्रम कहलाता है। इस प्रक्रम में किया गया कार्य शून्य होता है।
प्रश्न 26.
चक्रीय प्रक्रम क्या है ? इस प्रक्रम में आन्तरिक ऊर्जा में कितना परिवर्तन होता है ?
उत्तर:
वह प्रक्रम जिसमें निकाय विभिन्न अवस्थाओं से होता हुआ अपनी प्रारंभिक अवस्था में वापिस आ जाता है, चक्रीय प्रक्रम कहलाता है । इस प्रक्रम में निकाय की आन्तरिक ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
प्रश्न 27.
क्या समतापी परिवर्तन में आदर्श गैस की आन्तरिक ऊर्जा में कोई परिवर्तन होता है ? अपने उत्तर की कारण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
समतापी परिवर्तन में आदर्श गैस की आन्तरिक ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता है, क्योंकि आदर्श गैस की कुल आन्तरिक ऊर्जा उसकी आन्तरिक गतिज ऊर्जा होती है जो केवल गैस के ताप पर निर्भर करती है समतापी परिवर्तन में चूँकि ताप नियत रहता है। अतः आदर्श गैस की आन्तरिक ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
प्रश्न 28.
किसी गैस के रुद्धोष्म प्रसार में गैस को न तो ऊष्मा दी जाती है और न उससे ऊष्मा ली जाती है। क्या इस प्रक्रिया में गैस की आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन होता है ? अपने उत्तर का कारण बताइए।
उत्तर:
हाँ, रुद्धोष्म प्रसार में गैस की आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन होता है। रुद्धोष्म प्रसार में ΔQ = 0 अतः ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम से,
ΔQ = ΔU + ΔW से
ΔU = -ΔW
अत: गैस द्वारा किये गये कार्य के बराबर आन्तरिक ऊर्जा में कमी हो जाती है।
प्रश्न 29.
क्या दो समतापी वक्र एक-दूसरे को काट सकते हैं ?
उत्तर:
नहीं, अन्यथा कटान बिन्दु पर दाब P, आयतन V के किन्हीं मानों के लिए ताप T के दो मान होंगे जो कि असंभव है।
प्रश्न 30.
वायुमंडल की वायु ऊपर उठने पर ठंडी क्यों हो जाती है ?
उत्तर:
ऊपर वायुमंडलीय दाब कम होता है अतः ऊपर जाने पर वायु का रुद्धोष्म प्रसार होता है। रुद्धोष्म प्रसार में गैस द्वारा कार्य किया जाता है जिससे आन्तरिक ऊर्जा घटती है, अतः वायु ठण्डी हो जाती है।
प्रश्न 31.
क्या किसी इंजन की क्षमता 100% हो सकती है ? कारण सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
कार्नो इंजन की क्षमता η = 1 – \(\frac{\mathrm{T}_{2}}{\mathrm{~T}_{1}}\)
यदि T2 = 0 हो, तो η = 1 या 100% .
अर्थात् यदि सिंक का ताप 0 है तो इंजन की क्षमता 100% होगी, किन्तु सिंक का ताप कभी-भी शून्य नहीं हो सकता अत: किसी भी इंजन की क्षमता 100% नहीं हो सकती।
प्रश्न 32.
ऊष्मा इंजन क्या है ? इसके प्रमुख अंगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
वह युक्ति जिसमें ऊष्मा को कार्य (यान्त्रिक ऊर्जा) में सतत् रूप से बदला जा सकता है, ऊष्मा इंजन कहलाती है। इसके प्रमुख भाग निम्न हैं-
- उच्च ताप पर ऊष्मा स्रोत,
- निम्न ताप पर ऊष्मा सिंक तथा
- कार्यकारी पदार्थ।
प्रश्न 33.
किसी इंजन की दक्षता से क्या अभिप्राय है ? सूत्र लिखिये।
उत्तर:
ऊष्मा इंजन, ऊष्मा को कार्य में बदलता है। इंजन से एक चक्र में प्राप्त कार्य W तथा इसके द्वारा हती गई ऊष्मा Q1 की निष्पत्ति को ऊष्मा इंजन की दक्षता कहते हैं।
η = \(\frac{\mathrm{Q}_{1}-\mathrm{Q}_{2}}{\mathrm{Q}_{1}}\) = 1 – \(\frac{\mathrm{Q}_{2}}{\mathrm{Q}_{1}}\)
प्रश्न 34.
कार्नो इंजन क्या है ? क्या यह व्यवहार में संभव है ?
उत्तर:
कार्नो इंजन एक ऐसा आदर्श उत्क्रमणीय इंजन है जिसकी दक्षता केवल स्रोत एवं सिंक के तापों पर निर्भर करती है तथा इन्हीं तापों के लिए इसकी दक्षता किसी भी वास्तविक इंजन की दक्षता से अधिक होती है। व्यवहार में का! इंजन संभव नहीं है।
प्रश्न 35.
आन्तरिक दहन तथा बाह्य दहन इंजन में कार्यकारी पदार्थों के नाम लिखिए।
उत्तर:
आन्तरिक दहन इंजन में कार्यकारी पदार्थ वायु है जबकि बाह्य दहन इंजन में कार्यकारी पदार्थ जलवाष्प है।
प्रश्न 36.
समान ताप पर समान द्रव्यमान के ठोस, द्रव तथा गैस में किसकी आन्तरिक ऊर्जा अधिक होती है, और क्यों?
उत्तर:
गैस की आन्तरिक ऊर्जा सबसे अधिक होती है क्योंकि इसके अणुओं की (ऋणात्मक) स्थितिज ऊर्जा बहुत कम होती है। ठोस के अणुओं की (ऋणात्मक) स्थितिज ऊर्जा बहुत अधिक होती है अत: आन्तरिक ऊर्जा बहुत कम होती है।
प्रश्न 37.
यदि गर्म वायु ऊपर उठती है तो पहाड़ों की ऊँचाई पर समुद्र तल की अपेक्षा ठण्डक क्यों होती है ?
उत्तर:
समुद्र तल से ऊँचाई पर जाने पर वायुमंडलीय दाब घटता है । गर्म हवा के ऊपर उठने पर रुद्धोष्म प्रसार होता है।
ऊष्मगतिकी के प्रथम नियम से,
dU + dW = 0
या dW = – dU.
अतः वायु के प्रसार में कार्य धनात्मक होने के कारण dU ऋणात्मक होता है अर्थात् वायु की आन्तरिक ऊर्जा घटती है जिससे ताप कम हो जाता है।
प्रश्न 38.
क्या किसी गैस को ऊष्मा दिये बिना ही उसका ताप बढ़ाया जा सकता है यदि हाँ तो समझाइये कैसे?
उत्तर:
रुद्धोष्म परिवर्तन में ऊष्मागतिकी के प्रथम नियमानुसार,
dU + dW = 0
अथवा dW = – dU
यदि dU धनात्मक है तो गैस का ताप बढ़ेगा। इसके लिए dW ऋणात्मक होना चाहिये। अतः रुद्धोष्म संपीडन द्वारा बिना ऊष्मा दिये गैस का ताप बढ़ाया जा सकता है।
प्रश्न 39.
परम शून्य ताप शून्य ऊर्जा का ताप नहीं होता, समझाइये।
उत्तर:
अणुओं की केवल स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा ही ताप द्वारा प्रदर्शित की जाती है, ऊर्जा के अन्य रूप जैसे-अन्तराणविक स्थितिज ऊर्जा, आणविक ऊर्जा आदि ताप द्वारा प्रदर्शित नहीं की जाती हैं । अतः परम शून्य ताप पर पदार्थ में अणुओं की स्थानान्तरीय गति तो समाप्त हो जाती है परन्तु आणविक ऊर्जा के अन्य रूप शून्य नहीं होते। अतः परम शून्य ताप, शून्य ऊर्जा ताप नहीं होता।
प्रश्न 40.
ऊष्मागतिकी के शून्य कोटि का नियम लिखिए।
उत्तर:
इस नियम के अनुसार यदि कोई दो निकाय, तीसरे निकाय के साथ ऊष्मीय संतुलन में हो, तो वे एक-दूसरे के साथ भी ऊष्मीय संतुलन में होते हैं।
प्रश्न 41.
कार को चलाते-चलाते उसके टायरों में वायुदाब बढ़ जाता है क्यों?
उत्तर:
कार को चलाते समय टायर एवं सड़क के मध्य घर्षण के कारण टायर एवं उसमें भरी वायु क ताप बढ़ जाता है। चूंकि टायर के आयतन में कोई परिवर्तन नहीं होता अतः दाब के नियम P ∝ T के अनुसा दाब बढ़ जाता है।
प्रश्न 42.
भिन्न-भिन्न तापों T1 एवं T2 के दो पिण्डों को यदि ऊष्मीय संपर्क में लाया जाए तो यह आवश्यक नहीं कि उनका अंतिम ताप \(\left(\frac{T_{1}+T_{2}}{2}\right)\) ही हो। क्यों ?
उत्तर:
क्योंकि दोनों पिण्डों के उष्यमान एवं विशिष्ट ऊष्माएँ भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। औसत ताप \(\frac{\mathrm{T}_{1}+\mathrm{T}_{2}}{2}\) तभी संभव है जब दोनों की द्रव्यमान धारिताएँ समान हो।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
बाह्य दाब के विरुद्ध गैस के प्रसार में किए गये कार्य की गणना कीजिए।
उत्तर:
माना चित्र में पिस्टन के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A है तथा गैस का प्रारम्भिक दाब P है अर्थात् गैस द्वारा पिस्टन पर लगने वाला बल = दाब × क्षेत्रफल
F = P × A
अब यदि पिस्टन पर से बाट हटाकर गैस का प्रसार किया जाता है तो गैस पिस्टन पर कार्य करके उसे ऊपर विस्थापित करती है।
माना पिस्टन स्थिति A से स्थिति B में आता है तो पिस्टन का विस्थापन Δx होता है अत: गैस के आयतन में वृद्धि
ΔV = A.Δx
तथा इस प्रसार में गैस द्वारा किया गया कार्य
ΔW = बल × विस्थापन
ΔW = F x Δx
या ΔW = PA.Δx
ΔW = P.ΔV.
यदि दाब P पर गैस का आयतन V1 से बढ़कर V2 हो जाता है तो गैस द्वारा किया गया कार्य
W = \(\int_{V_{t}}^{V_{2}} \Delta W=\int_{V_{1}}^{V_{2}} P \cdot \Delta V\).
प्रश्न 2.
उत्क्रमणीय प्रक्रम की आवश्यक शर्ते लिखिए।
उत्तर:
(1) उत्क्रमणीय प्रक्रम अत्यधिक धीरे-धीरे सम्पन्न किया जाये जिससे प्रत्येक अवस्था में निम्नलिखित शर्तों की पूर्ति हो-
(a) निकाय यान्त्रिक साम्यावस्था में हो अर्थात् इसके अभ्यन्तर में निकाय और इसके चारों ओर के वातावरण के मध्य कोई असंतुलित बल कार्य न करे।
(b) निकाय तापीय संतुलन में हो अर्थात् निकाय और उसके चारों ओर के वातावरण में कोई तापान्तर न हो।
(c) निकाय रासायनिक साम्यावस्था में हो अर्थात् क्रिया के फलस्वरूप कोई नया उत्पाद न बने।
(2) इस क्रिया में क्षयकारी प्रभाव जैसे-घर्षण के कारण हानि, विद्युत प्रतिरोध, श्यानता इत्यादि अनुपस्थित हो।
प्रश्न 3.
समान धारिता वाले दो सिलिंडर A तथा B एक-दूसरे से स्टॉप-कॉक के द्वारा जुड़े हैं। A पर मानक ताप एवं दाब पर गैस भरी है जबकि B पूर्णतः निर्वातित है। स्टॉप-कॉक यकायक खोल दी जाती है। अग्रलिखित का उत्तर दीजिए-
(a) सिलिंडर A तथा B में अंतिम दाब क्या होगा?
(b) गैस की आंतरिक ऊर्जा में कितना परिवर्तन होगा?
(c) गैस के ताप में क्या परिवर्तन होगा?
उत्तर:
(a) चूँकि गैस का आयतन दुगुना हो जाता है अत: दाब घटकर आधा हो जायेगा।
(b) चूँकि ताप स्थिर है अतः आन्तरिक ऊर्जा में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
(c) गैस के ताप में कोई परिवर्तन नहीं होगा क्योंकि यह मुक्त प्रसार है।
प्रश्न 4.
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के आधार पर-
(1) समतापी प्रक्रम,
(2) रुद्धोष्म प्रक्रम,
(3) चक्रीय प्रक्रम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
(1) समतापी प्रक्रम – आदर्श गैस के समतापी प्रक्रम में ताप स्थिर है इसलिए आन्तरिक ऊर्जा में, परिवर्तन ΔU = 0
अतः ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम से ΔQ = AW
अतः समतापी प्रसार में,
निकाय द्वारा अवशोषित ऊष्मा = निकाय द्वारा किया गया कार्य।
(2) रुद्धोष्म प्रक्रम – रुद्धोष्म प्रक्रम में ऊष्मा का न तो अवशोषण होता है और न ही निष्कासन होता है, इसलिए
ΔQ = 0 अतः ΔU = -ΔW
इसलिए रुद्धोष्म प्रसार में,
आन्तरिक ऊर्जा में कमी = निकाय द्वारा किया गया कार्य।
(3) चक्रीय प्रक्रम – चक्रीय प्रक्रम में निकाय की प्रारम्भिक व अन्तिम अवस्थाएँ वही होती हैं, इसलिए आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन ΔU = 0
अतः ΔQ = ΔW
अतः निकाय द्वारा अवशोषित ऊष्मा = निकाय द्वारा किया गया कार्य।
प्रश्न 5.
समतापी प्रसार में गैस द्वारा किये गये कार्य के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना दाब P पर गैस की निश्चित मात्रा के आयतन में सूक्ष्म परिवर्तन ΔV होता है। अतः दाब P के विरुद्ध गैस द्वारा किया गया कार्य
dW = PΔV.
यदि समतापी परिवर्तन के कारण गैसका आयतन V1 से V2 हो जाता है तो गैस द्वारा किया गया कार्य
W = \(\int_{V_{1}}^{V_{2}}\)PdV …(1)
यदि किसी गैस का एक मोल लिया जाये तो गैस समीकरण से,
PV= RT या P = \(\frac{\mathrm{RT}}{\mathrm{V}}\)
समी. (1) में मान रखने पर,
परन्तु गैस समीकरण P1V1 = P2V2 से,
या \(\frac{V_{2}}{V_{1}}=\frac{P_{1}}{P_{2}}\)
अतः W = 2.3026RTlog10\(\left(\frac{P_{1}}{P_{2}}\right)\)
यही अभीष्ट व्यंजक है।
प्रश्न 6.
रुद्धोष्म प्रसार में गैस द्वारा किये गये कार्य के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना किसी गैस के 1 मोल में रुद्धोष्म प्रसार होता है जिससे उसका आयतन V1 से V2 हो जाता है। अतः इस प्रसार के दौरान गैस द्वारा किया गया कार्य ।
W = \(\int_{V_{1}}^{V_{2}}\) PdV ….(1)
किन्तु रुद्धोष्म प्रसार में PVγ = K
∴ P = \(\frac{\mathrm{K}}{\mathrm{V}^{\gamma}}\)
समी. (1) में मान रखने पर,
प्रश्न 7.
किसी पदार्थ की आन्तरिक ऊर्जा का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
प्रत्येक पदार्थ छोटे-छोटे अणुओं से मिलकर बना है। इन अणुओं की गतिज ऊर्जा, उस पदार्थ के ताप पर तथा स्थितिज ऊर्जा अणुओं के मध्य दूरी तथा आकर्षण बल पर निर्भर करती है। समस्त अणुओं की कुल गतिज ऊर्जा को उस पदार्थ की आन्तरिक गतिज ऊर्जा कहते हैं तथा कुल स्थितिज ऊर्जा को आन्तरिक स्थितिज ऊर्जा कहते हैं। किसी पदार्थ की आन्तरिक ऊर्जा उस पदार्थ की आन्तरिक गतिज ऊर्जा तथा आन्तरिक स्थितिज ऊर्जा के योग के बराबर होती है। आन्तरिक ऊर्जा को U से प्रदर्शित करते हैं।
प्रश्न 8.
समदाबी एवं समतापी प्रक्रिया क्या है ? इनके अवस्था समीकरण लिखिए।
उत्तर:
समदाबी प्रक्रिया – वह प्रक्रिया जिसमें दाब स्थिर रहता हो, समदाबी प्रक्रिया कहलाती है। इस प्रक्रिया के लिए दाब-आयतन आरेख, आयतन अक्ष के समान्तर सरल रेखा होता है।
आदर्श गैस समीकरण PV = RT से समदाबी प्रक्रिया के लिए अवस्था समीकरण है- \(\frac{\mathrm{v}}{\mathrm{T}}\) = नियतांक या (V ∝ T)
समतापी प्रक्रिया – वह प्रक्रिया जिसमें ताप नियत रहता है, समतापी प्रक्रिया कहलाती है। इस प्रक्रिया में दाब-आयतन आरेख एक आयताकार अतिपरवलय होता है तथा गैस बॉयल के नियम का पालन करती है। समतापी प्रक्रिया में अवस्था समीकरण है।
PV = नियतांक।
प्रश्न 9.
ऊष्मा इंजन क्या है ? इसके प्रमुख भाग तथा कार्य सिद्धांत बताते हुए दक्षता के लिए सूत्र निगमित कीजिए।
उत्तर:
सिद्धांत – इसमें आदर्श गैस कार्यकारी पदार्थ होता है। प्रत्येत चक्र में कार्यकारी पदार्थ ऊष्मा स्रोत से Q1 ऊष्मा लेता है। इसमें से W कार्य करके शेष ऊष्मा की मात्रा को सिंक को वापस लौटा देता है।
कार्नो इंजन के प्रमुख भाग निम्नलिखित हैं-\
- ऊष्मा स्रोत-यह कार्यकारी पदार्थ को ऊष्मा प्रदान करता है।
- सिंक-यह कार्यकारी पदार्थों से शेष ऊष्मा अवशोषित करता है।
- सिलिण्डर और पिस्टन-पिस्टन सिलिण्डर के अन्दर घर्षण गति करता है जिससे कार्यकारी पदार्थ में प्रसार तथा संपीडन होता है।
- पूर्ण कुचालक प्लेटफॉर्म-सिलिण्डर को इस पर रखकर आदर्श गैस में रुद्धोष्म परिवर्तन किया जाता है।
- कार्यकारी पदार्थ – कार्यकारी पदार्थ (आदर्श गैस) ऊष्मा स्रोत से ऊष्मा अवशोषित करता है, कुछ भाग को कार्य के रूप में परिवर्तित करके शेष भाग को सिंक को वापिस लौटा देता है।
प्रश्न 10.
रुद्धोष्म प्रक्रम तथा समतापी प्रक्रम में कोई चार अन्तर लिखिए।
उत्तर:
रुद्धोष्म प्रक्रम तथा समतापी प्रक्रम में अन्तर-
रुद्धोष्म प्रक्रम | समतापी प्रक्रम |
1. इसमें ऊष्मा न तो निकाय के अन्दर आ सकती है और न निकाय से बाहर जा सकती है। | 1. इसमें निकाय का ताप नियत रहता है। |
2. ΔQ = 0 अत: आदर्श गैस के लिए ΔU = – ΔW | 2. ΔU = 0 अतः आदर्श गैस के लिए ΔQ = ΔW |
3. यह प्रक्रम निकाय को पूर्ण कुचालक के संपर्क में रखकर तेजी से किया जाता है। | 3. यह प्रक्रम निकाय को पूर्ण सुचालक के संपर्क में रखकर धीरे-धीरे किया जाता है। |
4. इसमें गैसें रुद्धोष्म नियम PVγ = नियतांक का पालन करती है।( जहाँ V= \(\frac{\mathrm{C}_{p}}{\mathrm{C}_{v}}\)) | 4. इसमें गैसें बॉयल के नियम PV = नियतांक का पालन करती हैं। |
प्रश्न 11.
सम आयतनिक प्रक्रम का अर्थ समझाते हुए इसके लिए सूचक-आरेख खींचिए तथा , इसकी ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम द्वारा व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
समआयतनिक प्रक्रम में निकाय का आयतन स्थिर रहता है (अर्थात् ΔV= 0) अत: इस प्रक्रम में निकाय द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है, क्योंकि,
ΔW = PΔV = 0
अतः ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम से समआयतनिक प्रक्रम में ΔQ = ΔU अर्थात् सम आयतनिक प्रक्रम में निकाय को दी गई समस्त ऊष्मा निकाय की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि करने में व्यय हो जाती है अथवा निकाय की आन्तरिक ऊर्जा में कमी, पूर्णत: निकाय द्वारा निष्कासित ऊष्मा के बराबर होती है।
समआयतनिक प्रक्रम में दाब-आयतन-आरेख, दाब-अक्ष के समान्तर एक सरल रेखा होता है।
प्रश्न 12.
समदाबिक प्रक्रम का अर्थ समझाइये तथा इसके लिए सूचक आरेख खींचकर ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम द्वारा व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
समदाबिक प्रक्रम में निकाय का दाब स्थिर रहता है। उदाहरण के लिए, भाप इंजन के बॉयलर में पानी का उबलना, भाप का बनना, पानी का बर्फ में बदलना इत्यादि समदाबिक प्रक्रम है। इस प्रक्रम में दाब-आयतन आरेख, आयतन अक्ष के समान्तर एक सरल रेखा होता है। चित्र में सूचक आरेख प्रदर्शित है। नियत दाब P पर यदि गैस का आयतन V1 से आयतन V2 तक प्रसार होता है तो गैस द्वारा किया गया कार्य
W = P (V2 – V1)
अतः ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम से समदाबी प्रक्रम में,
ΔQ = ΔU + P(V2 – V1).
प्रश्न 13.
कार्नों इंजन क्या है ? इसके मुख्य भाग दर्शाइये तथा इसमें स्त्रोत व सिंक के कार्य बताइये।
उत्तर:
कार्नो इंजन एक आदर्श इंजन की कल्पना है जो ऊष्मा को सतत् कार्य में बदलता है। इसके प्रमुख निम्नलिखित भाग हैं
- ऊष्मा का स्रोत,
- ऊष्मा सिंक,
- पूर्ण कुचालक प्लेटफॉर्म,
- आदर्श गैस से भरा पिस्टन युक्त सिलिण्डर।
ऊष्मा स्त्रोत के कार्य – ऊष्मा स्रोत को एक नियत उच्च ताप T1 पर रखा जाता है। इसका ताप बिना बदले इससे अपार ऊष्मा ली जा सकती है।
सिंक का कार्य – सिंक को एक नियत निम्न ताप T2 पर रखा जाता है इसका ताप बिना बदले इसे अपार ऊष्मा दी जा सकती है।
प्रश्न 14.
कार्नो इंजन का सिद्धांत क्या है ?
उत्तर:
कार्नो इंजन एक आदर्श इंजन है। इसमें कार्यकारी पदार्थ आदर्श गैस है। एक चक्र में गैस उच्चताप T1 पर ऊष्मा स्रोत से Q1 ऊष्मा अवशोषित करती है, इसके कुछ भाग W को कार्य में बदलती है तथा शेष ऊष्मा Q2 = Q1– W को निम्न ताप T2 पर ऊष्मा सिंक पर निष्कासित करती है। इसमें ऊष्मा का क्षय नहीं होता है। इस प्रकार कानों इंजन के एक चक्र में
ऊष्मा स्रोत से अवशोषित ऊष्मा = Q1
तथा इससे प्राप्त कार्य W= Q1 – Q2
चूँकि कार्नो इंजन में स्रोत से अवशोषित ऊष्मा तथा सिंक पर निष्कासित ऊष्मा की निष्पत्ति स्रोत व सिंक के तापों की निष्पत्ति के बराबर होती है अर्थात्
\(\frac{\mathrm{Q}_{1}}{\mathrm{Q}_{2}}=\frac{\mathrm{T}_{1}}{\mathrm{~T}_{2}}\)
∴ कार्नो इंजन की दक्षता η = 1 – \(\frac{\mathrm{T}_{2}}{\mathrm{~T}_{1}}\)
प्रश्न 15.
कार्नो इंजन को व्यवहार में प्राप्त नहीं किया जा सकता, क्यों ?
उत्तर:
इसके निम्न कारण हैं-
- कार्नो इंजन में कार्यकारी पदार्थ आदर्श गैस मानी जाती है लेकिन कोई भी गैस पूर्ण आदर्श गैस नहीं होती है।
- कार्नो इंजन में यह माना जाता है कि सिलिण्डर की दीवारें पूर्ण कुचालक हैं तथा इसका आधार पूर्ण सुचालक है, जोकि व्यवहार में संभव नहीं है क्योंकि कोई भी पदार्थ पूर्ण कुचालक या पूर्ण सुचालक नहीं होता है।
- कार्नो इंजन में यह माना जाता है कि सिलिण्डर में पिस्टन की गति घर्षण गति होती है, जो कि असंभव
प्रश्न 16.
क्या किसी इंजन की दक्षता 100% हो सकती है ? कारण सहित उत्तर दीजिये।
उत्तर:
चूँकि कार्नो इंजन की दक्षता η = 1 – \(\frac{\mathrm{T}_{2}}{\mathrm{~T}_{1}}\)
यदि T2 = 0 हो तो η = 1 = 100%
अर्थात् यदि सिंक का ताप 0 (शून्य) है तो इंजन की क्षमता 100% होगी परन्तु सिंक का ताप कभी-भ शून्य नहीं हो सकता। अतः किसी भी इंजन की दक्षता 100% नहीं हो सकती।
प्रश्न 17.
ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम समझाकर इसके विभिन्न कथन लिखिए।
उत्तर:
ऊष्मागतिकी के द्वितीय नियम के विभिन्न कथन निम्नानुसार हैं-
(1) क्लासियस का कथन -“कोई भी ऐसी स्वचालित मशीन बनाना असंभव है जो किसी बाहरी स्रो की सहायता लिए बिना कम ताप की वस्तु से अधिक ताप की वस्तु को ऊष्मा स्थानान्तरित कर सके।”
(2) केल्विन का कथन -“किसी वस्तु को वातावरण की न्यूनतम ताप की वस्तु के ताप से अधिक शीतलन करके कार्य की निरन्तर प्राप्ति असंभव है।”
(3) केल्विन-प्लांक का कथन – “इस प्रकार की किसी भी मशीन का निर्माण असंभव है जो चक्रीय प्रक्रम में कार्यरत होकर किसी स्रोत से ऊष्मा अवशोषित करने तथा उसे पूर्णतः कार्य में बदलने के अतिरिक्त अन्य कोई प्रभाव उत्पन्न न करे।”
प्रश्न 18.
उत्क्रमणीय इंजन (रेफ्रिजरेटर) के कार्य गुणांक एवं दक्षता में संबंध निगमित कीजिए।
उत्तर:
माना रेफ्रिजरेटर एवं चक्र में सिंक (निम्न ताप) से ऊष्मा Q2 अवशोषित करता है तथा स्रोत (उच्च ताप) पर ऊष्मा Q1 देता है।
जबकि इस पर बाह्य कार्य W = Q1 – Q2 किया जाता है तो
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
आदर्श गैस के कार्नो इंजन का सूचक आरेख खींचकर प्रत्येक परिवर्तन को समझाइये।
उत्तर:
कार्नो चक्र – कार्नो के इंजन से निरन्तर कार्य की, प्राप्ति के लिए उसे एक निश्चित क्रम में चलाया जाता है। कार्यकारी पदार्थ (आदर्श गैस) के ताप, दाब व आयतन में कुछ परिवर्तन करके उसे प्रारंभिक अवस्था में लाया जाता है। कार्नो के इंजन में कार्यकारी आदर्श गैस को प्रारंभिक अवस्था में लाने के लिए दी गयी संपूर्ण क्रियाओं को कार्नो चक्र कहते हैं।
प्रत्येक चक्र में होने वाली क्रियाओं को सूचक आरेख पर चित्र में प्रदर्शित किया गया है। प्रत्येक कार्नो चक्र में निम्न चार क्रियाएँ की जाती हैं-
(1) समतापी प्रसार-माना कार्यकारी आदर्श गैस का एक ग्राम अणु T1K ताप पर सिलिण्डर में भरा हुआ है। इसका दाब P तथा आयतन V1 है इस स्थिति को सूचक आरेख पर बिन्दु A से दर्शाया गया है। अब मानलो सिलिण्डर को ऊष्मा स्रोत (T1K ताप) पर रखा जाता है तथा गैस का समतापी प्रसार होने दिया जाता है। इस परिवर्तन को सूचक आरेख पर वक्र AB से दर्शाया गया है। इस प्रसार के बाद गैस के दाब और आयतन क्रमशः P2 तथा V2 हो जाते हैं। यह स्थिति सूचक आरेख पर बिन्दु B से प्रदर्शित की गयी है।
इस प्रक्रम में गैस द्वारा किया गया कार्य W1 स्रोत से अवशोषित ऊष्मा Q1 के बराबर होता है।
(2) रुद्धोष्म प्रसार – समतापी प्रसार के बाद सिलिण्डर को ऊष्मा स्रोत से हटाकर पूर्ण कुचालक प्लेटफॉर्म पर रखकर धीरे-धीरे गैस का रुद्धोष्म प्रसार होने दिया जाता है। इसे वक्र BC से दर्शाया गया है। इसमें ता T1 K से गिरकर T2 K हो जाता है तथा दाब एवं आयतन क्रमश: P3 तथा V3 हो जाते हैं। यह स्थिति सूचक आरेख पर बिन्दु C से प्रदर्शित की गयी है।
(3) समतापी संपीडन – जब बिन्दु पर गैस का ताप T2K हो जाता है तो सिलिण्डर को उठाकर सिंक (तत T2K) पर रख दिया जाता है और पिस्टन को धीरे-धीरे दबाते हुए गैस को समतापी विधि से आयतन V3 से तक संपीडित किया जाता है, जिससे उसका दाब P3 से P4 हो जाता है इस प्रक्रम में उत्पन्न ऊष्मा Q2 सिंक को दे दी जाती है जिससे कार्यकारी गैस का ताप T2K पर स्थिर बना रहता है। समतापी संपीडन के सूचक आरेख पर CD से प्रदर्शित किया गया है।
इस प्रक्रम में किया गया कार्य W3 सिंक को दी गयी ऊष्मा Q2के बराबर होता हैं।
(4) रुद्धोष्म संपीडन-अन्त में सिलिण्डर को एक बार पुनः पूर्ण कुचालक प्लेटफॉर्म पर रख दिया जाता है और पिस्टन को अत्यधिक धीरे-धीरे दबाते हुए कार्यकारी गैस का रुद्धोष्म संपीडन किया जाता है जिससे गैस अपनी प्रारम्भिक अवस्था A पर पहुँच जाती है इसे सूचक आरेख पर DA से प्रदर्शित किया गया है। A पर गैस का ताप T1 K1 दाब P1 तथा आयतन V1 हो जाता है।
इस प्रकार गैस पुनः उसी प्रकार कार्य करने के लिए तैयार हो जाती है।
प्रश्न 2.
कार्नो इंजन की दक्षता का सूत्र स्थापित कीजिए।
उत्तर:
कार्नो इंजन का सूचक आरेख-प्रश्न क्रमांक 1 देखिये।
A से B तक समतापी प्रसार, B से C तक रुद्धोष्म प्रसार, C से D तक समतापी संपीडन तथा D से A तक रुद्धोष्म संपीडन होता है।
(1) समतापी प्रसार में आदर्श गैस द्वारा किया गया कार्य, स्रोत से अवशोषित ऊष्मा के बराबर होगा अर्थात्
W1 = Q1 = RT1 log\(\left(\frac{\mathrm{V}_{2}}{\mathrm{~V}_{1}}\right)\)
(2) रुद्धोष्म प्रसार में आदर्श गैस द्वारा किया गया कार्य
W2 = \(\frac{\mathrm{R}}{\gamma-1}\) (T1 – T2)
(3) समतापी संपीडन में आदर्श गैस पर किया गया कार्य सिंक को दी गयी ऊष्मा के बराबर होगा अर्थात्
W3 = Q2 = RT2 log \(\left(\frac{\mathrm{V}_{3}}{\mathrm{~V}_{4}}\right)\)
(4) रुद्धोष्म संपीडन में आदर्श गैस पर किया गया कार्य
W4 = \(\frac{\mathrm{R}}{\gamma-1}\)(T1 – T2)
अतः एक चक्र में गैस द्वारा किया गया कुल कार्य
W =W1 + W2 – W3 – W4
चूँकि W2 = W4
W = W1 – W3
W = Q1 – Q2
अतः कार्नो इंजन की दक्षता η = \(\frac{Q_{1}-Q_{2}}{Q_{1}}=1-\frac{Q_{2}}{Q_{1}}\)
चूँकि B तथा C एक ही रुद्धोष्म वक्र पर स्थित हैं-
T1V2γ-1 = T2V3γ-1
या \(\frac{\mathrm{T}_{1}}{\mathrm{~T}_{2}}=\left(\frac{\mathrm{V}_{3}}{\mathrm{~V}_{2}}\right)^{\gamma-1}\) …(2)
इसी प्रकार चूँकि A तथा C एक ही रुद्धोष्म वक्र पर स्थित हैं-
T1V1γ-1 = T2V4γ-1
या \(\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{l}}}{\mathrm{T}_{2}}=\left(\frac{\mathrm{V}_{4}}{\mathrm{~V}_{1}}\right)^{\gamma-1}\) …(3)
अत: समी. (2) तथा (3) से,
समी. (1) में मान रखने पर,
η = 1 – \(\frac{\mathrm{T}_{2}}{\mathrm{~T}_{1}}\). यही अभीष्ट व्यंजक है।
प्रश्न 3.
सिद्ध कीजिए – CP – Cv =R.
उत्तर:
माना कि स्थिर आयतन पर किसी गैस के एक मोल को ΔQ ऊष्मा दी जाती है। जिससे उसके ताप में वृद्धि ΔT होती है।
ΔQ = 1CVΔT
ΔQ = CVΔT …(1)
∴ गैस का आयतन स्थिर होने पर कोई बाह्य कार्य नहीं होता है।
ΔW = 0
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम से,
ΔQ = ΔU + ΔW
ΔQ = ΔU …(2)
समी. (1) से ΔQ का मान रखने पर,
ΔU =CVΔT
स्थिर दाब पर गैस के 1 मोल को दी गई ऊष्मा ΔQ हो जिससे गैस के ताप में वृद्धि ΔT होती है।
ΔQ = 1CPΔT
या ΔQ =CPΔT
परन्तु स्थिर दाब पर किया गया कार्य ΔW = PΔV होता है।
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम से,
ΔQ = ΔU+ΔW …(3)
ΔQ, ΔU,ΔW का मान समी. (3) में रखने पर,
CpΔT = CVΔT + PΔV
या CpΔT – CVΔT = PΔV
या (Cp – CV)ΔT = PΔV
परन्तु यदि ΔT ताप पर गैस के आयतन में परिवर्तन ΔV हो, तो
PΔV = RΔT
या (Cp – CV)ΔT = RΔT
या Cp – CV = R. सिद्ध हुआ।
आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
स्थिर दाब पर 2.0 x 10-2kg नाइट्रोजन (कमरे के ताप पर) के ताप में 45°C वृद्धि करने के लिए कितनी ऊष्मा की आपूर्ति की जानी चाहिए? (N2 का अणुभार = 28,R=8.3Jmol-1K-1)
उत्तर:
स्थिर दाब पर दी गयी ऊष्मा
Q = nCpΔt (Cp = \(\frac{7}{2}\) R द्विपरमाणुक गैस के लिए)
मोल संख्या n = \(\frac{2 \times 10^{-2}}{28 \times 10^{-3}}=\frac{20}{28}=\frac{10}{14}=\frac{5}{7}\)
अतः Q = \(\frac{5}{7} \times \frac{7}{2}\)R × 45
Q = \(\frac{5 \times 7 \times 45}{14}\) × 8.3 = 933.75 जूल।
प्रश्न 2.
रुद्धोष्म विधि द्वारा किसी गैस की अवस्था परिवर्तन करते समय उसकी साम्यावस्था A से दूसरी साम्यावस्था B तक ले जाने में निकाय पर कार्य 22.3J किया जाता है। यदि गैस को दूसरी प्रक्रिया द्वारा अवस्था A से अवस्था B में लाने में निकाय द्वारा अवशोषित नेट ऊष्मा 9.35 cal है तो बाद के प्रकरण में निकाय द्वारा किया गया नेट कार्य कितना है ? (1 cal = 4.19J)
उत्तर:
प्रथम स्थिति में गैस में परिवर्तन रुद्धोष्म विधि से होता है,
अतः ΔQ = 0
ऊष्मागतिकी के प्रथम नियमानुसार,
ΔQ = ΔU + ΔW
0 = ΔU + (-22.3)
या ΔU = 22.3J.
द्वितीय स्थिति में,
ΔQ = 9.35 cal
9.35 × 4.19J
= 39.18J
अत: ΔQ = ΔU + ΔW से,
39.18 = 22.3+ ΔW.
ΔW =39.18 – 22.3 = 16.88J.
प्रश्न 3.
एक वाष्प इंजन अपने बॉयलर से प्रतिमिनट 3.6 × 109J ऊर्जा प्रदान करता है जो प्रति मिनट 5.4 × 108J कार्य देता है। इंजन की दक्षता कितनी है ? प्रति मिनट कितनी ऊष्मा अपशिष्ट होगी?
उत्तर:
इंजन की दक्षता η = \(\frac{\mathrm{W}}{\mathrm{Q}_{1}}\)
η = \(\frac{5 \cdot 4 \times 10^{8}}{3 \cdot 6 \times 10^{9}}\) = 0.15 = 15%
प्रति मिनट अपशिष्ट ऊष्मा की मात्रा
Q2 = Q1 – W
Q2 = 3.6 × 109 – 5.4 × 108
Q2 = 109 (3.6 – 0.54)
= 3.06 × 109J.
प्रश्न 4.
खाद्य पदार्थ को एक प्रशीतक के अंदर रखने पर वह उसे 9°C पर बनाए रखता है। यदि कमरे का तापमान 36°C है, तो प्रशीतक के निष्पादन गुणांक का आकलन कीजिए।
उत्तर:
प्रशीतक का निष्पादन गुणांक β = \(\frac{\mathrm{T}_{2}}{\mathrm{~T}_{1}-\mathrm{T}_{2}}\)
T1 = 36 + 273 = 309K
T2 = 9 + 273 = 282K
β = \(\frac{282}{309-282}=\frac{282}{27}\) = 10.44
प्रश्न 5.
किसी ऊष्मागतिकीय निकाय को मूल अवस्था से मध्यवर्ती अवस्था तक चित्र में दर्शाये अनुसार एक रेखीय प्रकम द्वारा ले जाया गया है-
एक समंदाबी प्रक्रम द्वारा इसके आयतन को E से F तक ले जाकर मूलमान तक कम कर देते हैं। गैस द्वारा D से E तथा वहाँ से F तक कुल किए गए कार्य का आकलन कीजिए।
उत्तर:
गैस द्वारा D से E तथा E से F तक किया गया कार्य = ΔDEF का क्षेत्रफल
W = \(\frac{1}{2}\)EF × DF
W = \(\frac{1}{2}\)(5 – 2)(600 – 300)
w = \(\frac{1}{2}\) × 3 × 300 = 450J.
प्रश्न 6.
दाब बढ़ाकर किसी गैस का आयतन घटाने के लिए उस पर 400 जूल कार्य किया गया है। यदि यह परिवर्तन रुद्धोष्म दशा में किया गया हो तो गैस की आन्तरिक ऊर्जा में कितना परिवर्तन हुआ? गैस ने कितनी ऊष्मा अवशोषित की?
उत्तर:
रुद्धोष्म प्रक्रम में Q = 0
∴ ΔU = -W = – (-400 जूल)
= 400 जूल (वृद्धि)
अर्थात् गैस की आन्तरिक ऊर्जा में 400 जूल की वृद्धि होती है तथा गैस द्वारा अवशोषित ऊष्मा शून्य है।
प्रश्न 7.
एक कार्नो इंजन 427°C तथा 27°C के मध्य कार्य करता है। इसकी दक्षता ज्ञात कीजिये।
उत्तर:
प्रश्नानुसार, T1 = 427°C = 427 + 273 = 700K
T2 = 27°C = 27 + 273 = 300K
दक्षता η = 1 – \(\frac{\mathrm{T}_{2}}{\mathrm{~T}_{1}}\) = 1 – \(\frac{300}{700}=\frac{400}{700}=\frac{4}{7}\) = 0.57
या η = 0.57 या 57%.
प्रश्न 8.
का! इंजन की दक्षता क्या होगी, यदि स्त्रोत और सिंक के तापक्रमश: 300°C और 15°C हों। यदि इंजन, उच्च ताप पर 100 कैलोरी ऊष्मा अवशोषित करता है तो उससे प्राप्त कार्य की गणना कीजिये।
उत्तर:
प्रश्नानुसार, T1 = 273 + 300 = 573K
T2 = 273 + 15 = 288K
Q1 = 100 कैलोरी
दक्षता η = 1 – \(\frac{\mathrm{T}_{2}}{\mathrm{~T}_{1}}\) = 1 – \(\frac{288}{573}\)
∴ η = 0.50 या 50%
पुन: η = 1 – \(\frac{\mathrm{Q}_{2}}{\mathrm{Q}_{1}}\)
∴ 0.50 = 1 – \(\frac{\mathrm{Q}_{2}}{100}\) या \(\frac{\mathrm{Q}_{2}}{100}\) = 0.50
Q2 = 50
अत: W = Q1 – Q2 = 100 – 50 = 50 कैलोरी।
प्रश्न 9.
यदि किसी निकाय को 40 जूल ऊष्मा देने पर किया गया कार्य-8 जूल हो तो निकाय की आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन की गणना कीजिए।
उत्तर:
दिया है- ΔQ = 40 जूल, ΔV=-8 जूल
सूत्र ΔQ = ΔW + AU से,
40 = -8 + ΔU
∴ ΔU = 48 जूल।
प्रश्न 10.
एक कार्नो इंजन 300 कैलोरी ऊष्मा, 500K पर प्राप्त करता है और 150 कैलोरी ऊष्मा सिंक को निष्कासित करता है। सिंक के ताप की गणना कीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार Q1 = 300 कैलोरी, T1 = 500K, Q2 = 150 कैलोरी, T2 = ?
सूत्र – \(\frac{\mathrm{Q}_{1}}{\mathrm{Q}_{2}}=\frac{\mathrm{T}_{1}}{\mathrm{~T}_{2}}\) से
या \(\frac{300}{150}=\frac{500}{\mathrm{~T}_{2}}\)
∴ T2 = \(\frac{500}{2}\) = 250K
प्रश्न 11.
एक रेफ्रिजरेटर 250K वाली वस्तु से ऊष्मा लेकर 310K वाले वातावरण में निष्कासित कर देता है। रेफ्रिजरेटर का कार्य गुणांक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार, T1 = 310K,T2 = 250K
∴ कार्य गुणांक β = \(\frac{\mathrm{T}_{2}}{\mathrm{~T}_{1}-\mathrm{T}_{2}}\)
∴ β = \(\frac{250}{310-250}=\frac{250}{60}\)
⇒ β = 4.16.
प्रश्न 12.
एक का! इंजन की दक्षता 50% है जबकि सिंक का ताप 7°C है। इसकी दक्षता 70% करने के लिये ज्ञात कीजिए कि
(1) स्त्रोत का ताप कितना बढ़ाना होगा ?
(2) सिंक का ताप कितना घटाना होगा?
उत्तर:
प्रारम्भ में सिंक का ताप T2 = 7°C = 273 + 7 = 280K
दक्षता η = 50% = 0.5
माना स्रोत का ताप T1K है।
सूत्र η = \(\frac{\mathrm{T}_{2}}{\mathrm{~T}_{1}}\) से,
0.5 = 1 – \(\frac{280}{\mathrm{~T}_{1}}\)
∴ T1 \(\frac{280}{0 \cdot 5}\) 560K
(1) अब यदि स्रोत का ताप बढ़ाकर T1, करना पड़ता है। जबकि दक्षता η = 70% = 0.7 है तो
0.7 = 1 – \(\frac{280}{\mathrm{~T}_{1}}\)
या T’1\(\frac{280}{0 \cdot 3}\) = 933.3K.
अतः स्रोत के ताप में वृद्धि = 933.3 – 560 = 373.3K = 373.3°C.
(क्योंकि केल्विन पैमाने तथा सेल्सियस पैमाने पर तापान्तर समान होता है)
अर्थात् इंजन की दक्षता 70% करने के लिए स्रोत का ताप 373.3°C बढ़ाना होगा।
(2) अब यदि सिंक का ताप T’2 है जबकि दक्षता η’ = 0.7 है तो
0.7 = 1 – \(\frac{\mathrm{T}_{2}^{\prime}}{560}\)
T’2 = 560 × 0.3 = 168K
अत: सिंक के ताप में कमी = T2 -T’2
= 280 – 168 = 112K = 112°C
अर्थात् इंजन की दक्षता 70% करने के लिए सिंक का ताप 112°C घटाना पड़ेगा।
प्रश्न 13.
वायुमंडलीय दाब पर शुष्क वायु को अचानक दबाकर उसका आयतन एक-चौथाई कर दिया जाता है। उसका दाब क्या होगा ? (γ = 1.5)
उत्तर:
या P2 = 8 वायुमंडलीय दाब।
प्रश्न 14.
एक उत्क्रमणीय इंजन ऊष्मा स्त्रोत से 746 जूल ऊष्मा अवशोषित करता है तथा सिंक पर 546 जूल ऊष्मा निष्कासित करता है। यदि स्रोत तथा सिंक के तापों में अंतर 100°C है तो ज्ञात कीजिए-
(1) इंजन से प्राप्त कार्य,
(2) इंजन की दक्षता,
(3) स्त्रोत व सिंक के ताप।
उत्तर:
प्रश्नानुसार, Q1 = 746जूल, Q2 = 546 जूल, T1 – T2 = 100°C = 100K
(1) इंजन से प्राप्त कार्य = Q1 – Q2.
= 746 – 546
= 200 जूल।
(2) इंजन की दक्षता η = 1 – \(\frac{Q_{2}}{Q_{1}}\)
अब चूंकि T1 – T2. = 100
सिंक का ताप T2 = 373.13 – 100
या T2 = 273. 13K.
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
सही विकल्प चुनकर लिखिए-
प्रश्न 1.
समतापी प्रक्रम में आदर्श गैस की आन्तरिक ऊर्जा निर्भर करती है केवल-
(a) दाब पर
(b) आयतन पर
(c) ताप पर
(d) अणुओं के आयतन पर।
उत्तर:
(c) ताप पर
प्रश्न 2.
किसी रुद्धोष्म प्रक्रम के लिए कौन-सा कथन सत्य है-
(a) ΔQ = ΔU+ ΔW
(b) ΔQ = 0 + ΔW
(c) ΔQ = ΔU + 0
(d) 0 = ΔU + ΔW.
उत्तर:
(d) 0 = ΔU + ΔW.
प्रश्न 3.
समतापी प्रक्रम में आदर्श गैस की आन्तरिक ऊर्जा-
(a) बढ़ती है
(b) घटती है
(c) नहीं बदलती है
(d) प्रसार के साथ बढ़ती है।
उत्तर:
(c) नहीं बदलती है
प्रश्न 4.
रुद्धोष्म प्रक्रम में नियत रहता है-
(a) ताप
(b) दाब
(c) आयतन
(d) ऊष्मा की मात्रा।
उत्तर:
(d) ऊष्मा की मात्रा।
प्रश्न 5.
समतापी अवस्था में आदर्श गैस को दी गई ऊष्मा काम आती है-
(a) ताप बढ़ाने में
(b) बाह्य कार्य करने में
(c) ताप बढ़ाने एवं बाह्य कार्य करने में
(d) आन्तरिक ऊर्जा बढ़ाने में।
उत्तर:
(b) बाह्य कार्य करने में
प्रश्न 6.
एक निकाय को 300 कैलोरी ऊष्मा दी जाती है और उसके द्वारा 600 जूल कार्य किया जाता है। निकाय की आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन होगा-
(a) 654 जूल
(b) 156.5 जूल
(c) – 300 जूल
(d)- 528.2 जूल।
उत्तर:
(a) 654 जूल
प्रश्न 7.
कार्नो इंजन की दक्षता का सूत्र है
(a) η = 1 – \(\frac{\mathrm{Q}_{1}}{\mathrm{Q}_{2}}\)
(b) η =1 – \(\frac{\mathrm{Q}_{1}}{\mathrm{Q}_{2}}\)
(c) η = 1 – \(\frac{\mathrm{T}_{1}}{\mathrm{T}_{2}}\)
(d) η = \(\frac{\mathrm{T}_{1}}{\mathrm{T}_{2}}\) – 1.
उत्तर:
(b) η =1 – \(\frac{\mathrm{Q}_{1}}{\mathrm{Q}_{2}}\)
प्रश्न 8.
घरों में प्रयोग में आने वाले रेफ्रिजरेटरों में अधिकांशतः कौन-सी गैस प्रयुक्त करते हैं
(a) अमोनिया
(b) फ्रियॉन
(c) क्लोरीन
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) फ्रियॉन
प्रश्न 9.
0°C तथा 27°C तापों के बीच कार्य कर रहे आदर्श प्रशीतक का कार्य गुणांक होगा-
(a) \(\frac{273}{27}\)
(b) \(\frac{300}{273}\)
(c) \(\frac{273}{300}\)
(d) 1 – \(\frac{273}{300}\)
उत्तर:
(a) \(\frac{273}{27}\)
प्रश्न 10.
एक घर्षण रहित ऊष्मा इंजन की दक्षता किस ताप पर 100% हो सकती है, यदि सिंक का ताप हो-
(a) 0°C
(b) 0 K
(c) स्रोत के ताप के बराबर
(d) स्रोत के ताप का आधा।
उत्तर:
(b) 0 K
प्रश्न 11.
30°C तथा 0°C के बीच कार्य करने वाले कार्नो रेफ्रिजरेटर का कार्य गुणांक होगा-
(a) 0
(b) 0.1
(c) 9
(d) 10.
उत्तर:
(c) 9
प्रश्न 12.
सिंक का ताप कम करने पर कार्नो इंजन की दक्षता-
(a) पहले बढ़ती है फिर घटती है
(b) बढ़ती है
(c) घटती है
(d) अपरिवर्तित रहती है।
उत्तर:
(b) बढ़ती है
प्रश्न 13.
यदि एक कमरे की सभी खिड़कियाँ व दरवाजे पूर्ण रूप से बंद करके पंखा चालू कर दिया जाये तो कमरे का ताप
(a) घट जायेगा
(b) बढ़ जायेगा
(c) शून्य होगा
(d) स्थिर रहेगा।
उत्तर:
(b) बढ़ जायेगा
2. सही जोड़ियाँ बनाइए
खण्ड ‘अ’ | खण्ड ‘ब’ |
1. समतापीय परिवर्तन में किया गया कार्य | (a) \(\frac{1-\eta}{\eta}\) |
2. रुद्धोष्म प्रक्रम में किया गया कार्य | (b) ΔQ = ΔU + ΔW |
3. कार्नो इंजन की दक्षता का सूत्र | (c) \(\frac{\mathrm{R}\left(\mathrm{T}_{1}-\mathrm{T}_{2}\right)}{\gamma-1}\) |
4. रेफ्रिजरेटर के कार्य गुणांक का सूत्र | (d) 1 – \(\frac{\mathrm{T}_{2}}{\mathrm{~T}_{1}}\) |
5. ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम | (e) RTlog\(\left(\frac{\mathrm{V}_{2}}{\mathrm{~V}_{1}}\right)\) |
उत्तर:
1. (e) RTlog\(\left(\frac{\mathrm{V}_{2}}{\mathrm{~V}_{1}}\right)\)
2. (c) \(\frac{\mathrm{R}\left(\mathrm{T}_{1}-\mathrm{T}_{2}\right)}{\gamma-1}\)
3. (d) 1 – \(\frac{\mathrm{T}_{2}}{\mathrm{~T}_{1}}\)
4. (a) \(\frac{1-\eta}{\eta}\)
5. (b) ΔQ = ΔU + ΔW
3. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. समतापी परिवर्तन में किये गये कार्य का मान W = ………….. है।
उत्तर:
RTlogy\(\left(\frac{\mathrm{V}_{2}}{\mathrm{~V}_{1}}\right)\)
2. ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम ΔQ =…………….. + ……….. है।
उत्तर:
ΔU + ΔW
3.. समतापी परिवर्तन में ……………. नियत रहता है।
उत्तर:
ताप
4. रुद्धोष्म परिवर्तन में …………….. नियत रहता है।
उत्तर:
ऊष्मा
5. रुद्धोष्म परिवर्तन में किये गये कार्य का सूत्र …………….. है।
उत्तर:
W=\(\frac{\mathrm{R}\left(\mathrm{T}_{1}-\mathrm{T}_{2}\right)}{\gamma-1}\)
6. का! इंजन की दक्षता का सूत्र …………….. है।
उत्तर:
η = 1 – \(\frac{\mathrm{T}_{2}}{\mathrm{~T}_{1}}\)
7. M.K.S. पद्धति में J (जूल नियतांक) का मान …………….. है।
उत्तर:
4.18 जूल/कैलोरी
8. आदर्श गैस का रुद्धोष्म समीकरण ……………. है।
उत्तर:
PVγ = नियत्तांक
9. आरेख में आयतन अक्ष से घिरा हुआ क्षेत्रफल किये गये ……………. को व्यक्त करता है।
उत्तर:
कार्य
10. समदाबी प्रक्रम में ΔP = …………….. होता है।
उत्तर:
0
4. सत्य/असत्य बताइए
1. किसी ऊष्मागतिकी निकाय द्वारा किया गया कार्य प्रक्रिया के पथ पर निर्भर नहीं करता है।
उत्तर:
असत्य
2. किसी आदर्श गैस की आन्तरिक ऊर्जा, केवल उसके ताप पर निर्भर करती है।
उत्तर:
सत्य
3. किसी गैस के एक अणु की औसत गतिज ऊर्जा, केवल गैस के दाब पर निर्भर करती है।
उत्तर:
असत्य
4. समतापी परिवर्तन के लिए PV = नियतांक है।
उत्तर:
सत्य
5. समतापी क्रिया में आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन, किये गये कार्य के बराबर होता है।
उत्तर:
असत्य
6. रुद्धोष्म क्रिया में किया गया बाह्य कार्य, उसमें प्रवेश करने वाली ऊष्मा के बराबर होता है।
उत्तर:
असत्य
7. ऊष्मा इंजन किसी निश्चित ताप पर ऊष्मा ग्रहण करके उसे पूरा कार्य में बदल देता है।
उत्तर:
असत्य
8. ऊष्मा गतिकी का प्रथम नियम वास्तव में ऊर्जा संरक्षण का नियम है।
उत्तर:
सत्य
9. किसी आदर्श इंजन द्वारा किया गया कार्य, केवल उस ताप पर निर्भर करता है जिस पर वह ऊष्मा ग्रहण करता है।
उत्तर:
असत्य
10. कार्नो इंजन एक अनुत्क्रमणीय इंजन है।
उत्तर:
असत्य
11. कार्नो इंजन की दक्षता, कार्यकारी पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करती है।
उत्तर:
असत्य
12. आदर्श गैस की आन्तरिक ऊर्जा अणुओं के आकार पर निर्भर करती है।
उत्तर:
असत्य