MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 9 बरखा गीत

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MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 9 बरखा गीत (रमानाथ अवस्थी)

बरखा गीत पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

बरखा गीत लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

Class 10 Hindi Chapter 9 Mp Board प्रश्न 1.
वर्षा के आगमन पर धरती में क्या-क्या परिवर्तन होता है?
उत्तर-
वर्षा के आगमन पर मुरझाई धरती हरी हो जाती है। खाली गगरी भर जाती है। आकाश में बादल छा जाते हैं। झूले पर कजली लहराने लगती है।

Mp Board Class 10th Hindi Chapter 9 प्रश्न 2.
पीड़ा दुलारने वाला किसे कहा गया है?
उत्तर-
पीड़ा दुलारने वाला घनश्याम को कहा गया है।

बरखा गीत दीर्घ-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वर्षा की प्रतीक्षा सभी प्राणियों को क्यों रहती है?
उत्तर-
वर्षा की प्रतीक्षा सभी प्राणियों को रहती है। यह इसलिए कि उससे नया जीवन मिलता है। नीसरता सरसता में बदल जाती है। चारों ओर आनंद और सुख का वातावरण फैल जाता है।

प्रश्न 2.
गीत में कवि ने वियोगजन्य पीड़ा को किस प्रकार चित्रित किया है?
उत्तर-
गीत में कवि ने वियोगजन्य पीड़ा को इस प्रकार चित्रित किया है बरखा के भय से डरी-डरी बजती है दूर कहीं बाँसुरी जागी फिर से सोई पीड़ा फिर विकल हुई कोई मीरा जो पीड़ा को दुलरा सकता,
ऐसा घनश्याम नहीं आया।

प्रश्न 3.
‘जागी फिर से सोई पीड़ा’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर-
‘जागी फिर से सोई पीड़ा’ से कवि का आशय है-कवि का वियोग स्थाई है। यह इसलिए उसकी पीड़ा का प्रेम करने वाला अभी तक कोई घनश्याम उसके पास नहीं आया है।

बरखा गीत भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
पेड़, अम्बर, प्रहरी, वादल।
उत्तर-
पेड़ – वृक्ष, तरु
अम्बर – गगन, आसमान
प्रहरी – पहरेदार, रक्षक
बादल – जलद, नीरद।

प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों के समास-विग्रह कीजिए
घनश्याम, मधुवन, बरखागीत, पीताम्बर।
उत्तर-
शब्द – समास-विग्रह
घनश्याम – घन के समान श्याम
मधुवन – मधु है जो वन
बरखागीत – बरखा का गीत
पीताम्बर – पीत है अम्बर (वस्त्र) जिसका।

प्रश्न 3.
‘बादल टूटे, बरसा जीवन’ पंक्ति का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘बादल टूटे, बरसा जीवन’ काव्य-पंक्ति की भाव-योजना सरस और स्वाभाविक है। वर्षा के आने पर चारों ओर ऐसा उल्लास छा जाता है, मानो जीवन बरस रहा है। इससे भावों का आकर्षण स्पष्ट झलक रहा है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए-
बरखा, रीति, धरती, दिन, बाँसुरी।
उत्तर-
तद्भव शब्द – तत्सम रूप
बरखा – वर्षा
रीति – रिक्त
धरती – धरा
दिन – दिवस
बाँसुरी – बंशी।

बरखा गीत योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
ऋतु-वर्णन से संबंधित अन्य कवियों की रचनाओं का संकलन कर कक्षा में सुनाइए।

प्रश्न 2.
छः ऋतुओं के नाम क्रमानुसार लिखिए और जो भी ऋतु आपको पसंद है, उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

बरखा गीत परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

बरखा गीत अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘बरखा गीत’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत गीत में कवि ने वर्षा-वर्णन के संदर्भ में अपनी अनुभूति को ही विस्तार दिया है। हमेशा ही एक अपूर्णता का भाव गीतकार के अंतर्मन में क्रियाशील है। इस अपूर्णता को वर्षा का उल्लास और वर्षा की प्रकृति-संवेदना भी पूर्ण नहीं कर पाती है। वर्षा ने यद्यपि पृथ्वी को हरा-भरा बना दिया, मरुस्थल भी वर्षा से गीला हुआ, वृक्षों के पल्लवों में सघनता आई, बांसुरी ने तान छेड़ी, लेकिन इससे कवि की वेदना को विराम नहीं मिल पाया है। वर्षा के आगमन के बीच वियोगजन्य अनुभूतियों का प्रभावशाली वर्णन इस गीत को विरुद्ध अनुभूतियों के संयोगपरक सौंदर्य में बदल देता है।

प्रश्न 2.
वर्षा आगमन से पहले धरती कैसी थी?
उत्तर-
वर्षा आगमन से पहले धरती की दशा दुखद थी। गर्मी और प्यास से लोग आकुल-व्याकुल थे। धरती मुरझा गई थी। गागर खाली पड़ी हुई थी। आसमान बिल्कुल साफ था।

प्रश्न 3. वर्षा के आगमन से धरती में होने वाले परिवर्तनों को कवि ने किन पंक्तियों में चित्रित किया है?
उत्तर-
वर्षा के आगमन से धरती में होने वाले परिवर्तनों को कवि ने निम्नलिखित पंक्तियों में चित्रित किया है-
बादल टूटे, बरसा जीवन
भीगा मरुस्थल, महका मधुवन।
पेड़ों की छाँह हुई गहरी,
इसका साथी दिनका प्रहरी॥

प्रश्न 4.
रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों में से उचित शब्दों के चयन से कीजिए।
1. वर्षा के अभाव में धरती ……………… हुई थी। (हरी, मुरझाई)
2. वर्षा के आगमन से ……………… पर बादल छा जाते हैं। (धरती, आकाश)
3. पीड़ा को दुलरा सकता है ………………। (प्रेमी, घनश्याम)
4. वर्षा के भय ……………… डरी-डरी है। (पीड़ा, बँसुरी)
5. झूले पर ……………… लहरा रही है। (बच्ची, कजली)
उत्तर-
1. मुरझाई,
2. आकाश,
3. घनश्याम,
4. बंसुरी,
5. कजली।

प्रश्न 5.
दिए गए कथनों के लिए सही विकल्प चुनिए।
1. बरखा गीत में है
1. वियोग का चित्रण,
2. संयोग का चित्रण,
3. संयोग-वियोग का चित्रण,
4. वर्षा का चित्रण।
उत्तर-
4. वर्षा का चित्रण।

2. प्राकृतिक उल्लास के बीच कवि की वेदना है-
1. अधिक बढ़ी हुई,
2. ज्यों का त्यों,
3. बदली हुई,
4. नई।
उत्तर-
2. ज्यों का त्यों,

3. वर्षा के अभाव में रहता है
1. अपूर्णता का भाव,
2. पूर्णता का भाव,
3. अपूर्णता-पूर्णता का भाव,
4. उपर्युक्त कोई नहीं।
उत्तर-
1. अपूर्णता का भाव,

4. बरखा गीत में अनुभूति है-
1. समाज की,
2. मनुष्य,
3. पशु-पक्षी की,
4. ईश्वर,
5. कवि की।
उत्तर-
5. कवि की।

5. रमानाथ अवस्थी का जन्म हुआ था
1. 1920 में,
2. 1924 में,
3. 1932 में,
4. 1933 में।
उत्तर-
2. 1924 में,

प्रश्न 4.
सही जोड़ी मिलाइए
कालिदास की समालोचना – कबीरदास
गीतांजलि – जैनेन्द्र कुमार
रमैनी – महावीर प्रसाद द्विवेदी
वैदेही बनवास – रवीन्द्रनाथ ठाकुर
अपना-अपना भाग्य – ‘हरिऔध’।
उत्तर-
कालिदास की समालोचना – महावीर प्रसाद द्विवेदी
गीतांजलि – रवीन्द्रनाथ ठाकुर
रमैनी – कबीरदास
वैदेही वनवास – ‘हरिऔध’
अपना-अपना भाग्य – जैनेन्द्र कुमार।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्य सत्य हैं या असत्य? वाक्य के आगे लिखिए।
1. मरुस्थल वर्षा में गीला हो जाता है।
2. वर्षा से मनुष्य में नहीं प्रकृति में उल्लास होता है।
3. बरखा गीत लयात्मक है।
4. वर्षाकाल में पेड़ों के पल्लव गिर जाते हैं।
5. वर्षा के आगमन से वियोगियों की पीड़ा बढ़ जाती है।
उत्तर-
1. सत्य,
2. असत्य,
3. सत्य,
4. असत्य,
5. सत्य।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित कथनों का उत्तर एक शब्द में दीजिए।
1. किसकी प्यास समझने वाला बादल नहीं आया?
2. आसमान पर क्या बौराई?
3. किसके टूटने से जीवन बरस गया?
4. फिर से कौन विकल हुई है?
5. पीड़ा को कौन दुलरा सकता है?
उत्तर-
1. कवि की,
2. बादल,
3. बादल के,
4. मीरा,
5. घनश्याम।

बरखा गीत लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कवि के लिए कौन-सा गीत अनगाया है?
उत्तर-
कवि के लिए उसके मन पर लहराने वाला गीत अनगाया है।

प्रश्न 2.
कवि को किस बादल की प्रतीक्षा है?
उत्तर-
कवि को उसकी प्यास समझने वाले बादल की प्रतीक्षा है।

प्रश्न 3.
मीरा फिर विकल क्यों हुई?
उत्तर-
मीरा फिर विकल हुई। यह इसलिए उसकी सोई हुई पीड़ा फिर से जाग गई थी।

बरखा गीत कवि-परिचय

जीवन-परिचय-कविवर रमानाथ अवस्थी का आधुनिक हिंदी के नवगीतकारों अधिक उल्लेखनीय स्थान है। आपका जन्म उत्तर-प्रदेश के फतेहपुर जिला में 8 नवंबर, सन् 1924 को हुआ था। आपने अपनी शिक्षा प्राप्ति के दौरान गीत-रचना संसार में प्रवेश कर लिया था। धीरे-धीरे आप आधुनिक हिंदी गीत-रचना की एक अधिक मजबूत कड़ी के रूप में बनकर साहित्यकाश पर छा गए। इस तरह आपका नाम राष्ट्रीय स्तर के मंचीय कवियों में बड़े ही आदर के साथ लिया जाता है। अगर हम आपके रचनाओं के विषय में चर्चा करें, तो हम यह अवश्य कह सकते हैं कि आपके गीतों में न केवल प्रकृति का मनमोहक दृश्य है, अपितु उनमें सामाजिक, वास्तविकता और मानवीय संवेदनाओं का उफनता हुआ सागर भी है।

रचनाएँ-रमानाथ अवस्थी की निम्नलिखित रचनाएँ हैं’रात और सहनाई’, ‘आग और पराग’ ‘बंदन करना द्वार’ आदि हैं।

भाव पक्ष-कविवर रमानाथ अवस्थी की कविताओं का भाव पक्ष सरल-सरस और स्वाभाविक है। उसमें यथार्थ और विश्वसनीयता का भरपूर भण्डार है। उनका भावपक्ष जाना-पहचाना और सुपरिचित है। इसलिए उसमें कल्पना की उड़ान नहीं है, अपितु यथार्थ का सपाट मैदान है।

कला पक्ष-कविवर रमानाथ अवस्थी की कलापक्षीय विशेषताएँ आकर्षक हैं। उसमें कलागत श्रेष्ठता सर्वत्र देखी जा सकती है। इस दृष्टि से आपका कला पक्ष सरल और प्रचलित शब्दों पर आधारित भाषा से पुष्ट है। प्रभायता के लिए चित्रात्मकता और भावात्मकता जैसी शैलियों को प्रस्तुत करने का प्रयास काबिले तारीफ़ है।

साहित्य में स्थान-हिदी के नवगीतकारों में कविवर रमानाथ अवस्थी अधिक चर्चित हैं। हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद द्वारा सन् 1900 में इन्हें ‘साहित्य महोपाध्याय’ की उपाधि से विभूषित किया गया। हिंदी की नवपीढ़ी पर आपकी कविताओं का व्यापक और स्थायी प्रभाव है।

बरखा गीत कविता का सारांश

प्रस्तुत कविता गीत काव्य पद्धति पर आधारित भावपूर्ण कविता है। इसमें ग्रामीण वातावरण के अंतर्गत वर्षाकालीन दशा का चित्रण है। वर्षा का स्वरूप, स्थित, दिशा और उसके प्रभाव को दर्शाने का प्रयास किया गया है। वर्षा से मुरझाई धरती हरी हो जाती है। खाली गगरी भर जाती है। आकाश पर बादल दौड़ने लगते हैं। झूलों पर कजली लहराने लगती है। वर्षा से मरुस्थल सरस हो गया। मधुवन महक उठा। पेड़ों की छाँह गहरा गई। इससे कहीं दूर बाँसुरी की जो ध्वनि सुनाई दे रही है, उससे सोई हुई पीड़ा जग जाती है। मानो कोई फिर से मीरा व्याकुल होने लगी है लेकिन अफ़सोस है कि उस पीड़ा को दुलारने वाला कोई कृष्ण नहीं आ रहा है।

बरखा गीत संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

जो मेरी प्यास समझ पाता,
वह बादल अभी नहीं आया।
मुरझाई धरती हरी हुई,
रीती गागरियाँ भरी हुई,
अम्बर पर बौराई बदली,
झूले पर लहराई कजली,
जो मेरे मन पर लहराता,
वह गीत अभी तक अनगाया।

शब्दार्थ-रीति-खाली। अम्बर-आकाश।

संदर्भ-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी सामान्य’ में संकलित कवि श्री रमानाथ अवस्थी विरचित ‘बरखा गीत’ कविता से है।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने वर्षा होने से पहले की दशा-दिशा का चित्र खींचते हुए कहा है कि

व्याख्या-अब तक मैं जिस प्रकार से प्यासा रहा, उस प्यास को बुझाने वाला अभी तक कोई बादल दिखाई नहीं दे रहा है। हम देख रहे हैं कि इस समय सारी धरती रुखी-सूखी पड़ी है। ठंडे जल की गगरी इस समय खाली पड़ी हुई दिखाई दे रही है। आकाश पर बादल पूरी तरह से उमड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। चारों ओर कजली की बहार झूले पर दिखाई दे रही है। इस प्रकार मेरे पर लहराने वाला जो सुंदर गीत है, वह अभी तक अनगाया ही रह गया है।

विशेष-
1. भाषा बिल्कुल सरल और सपाट है।
2. वर्षा के स्वरूप और उसके अभाव के प्रभाव को रेखांकित किया गया है।

सौंदर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर भाव-सौंदर्य

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौंदर्य वर्षा अभाव के स्वरूप पर आधारित है। वर्षा के बिना चारों ओर बेजान की स्थिति हो गई है। धरती मुरझाई हुई है। गगरी खाली पड़ी है। इस प्रकार के दृश्यों का यथार्थपूर्ण चित्रांकन भावों को सजीव और वास्तविक बनाने के लिए सटीक रूप में है। शिल्प-सौंदर्य

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश के शिल्प-सौंदर्य पर प्रकार डालिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश का शिल्प-सौंदर्य अत्यधिक सरल, सपाट, प्रचलित और आम शब्दों से तैयार भाषा पर आधारित है। इसके लिए चित्रमयी शैली मन को छू रही है। लय और संगीत का अच्छा तालमेल दिखाई दे रहा है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश का मुख्य भाव वर्षा के अभाव से उत्पन्न हुई दशा और दिशा को सामने रखना है। इसके माध्यम से कवि ने वर्षा की आवश्यकता को सुखद दशा की प्राप्ति का एक साधन बतलाने का प्रयास किया है।

2. बादल टूटे, बरसा जीवन,
भीगा मरुथल, महका मधुवन,
पेड़ों की छाँह हुई गहरी,
इसका साथी दिन का प्रहरी,
जो मेरा साथी बन पाता,
वह रूप कहीं है भरमाया।

शब्दार्थ-मरुथल-रेगिस्तान प्रहरी,-पहरेवाला।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने वर्षा के बाद की स्थिति का चित्र खींचते हुए कहा है कि-

व्याख्या-वर्षा होने पर आकाश में उमड़ते हुए बादल अब बरसने लगे। इससे ऐसा लगने लगा है कि मानो जीवन ही बरस गया है। उजाड़, सूखा और निर्जीव रेगिस्तान भी सरस हो गया है। मधुवन की उदासी कट गई है। वह अब महकने लगा है। पेड़ों के पत्ते और फूल-फल अधिक हो गए हैं। इससे पेड़ों की छाया भी बड़ी गहरी होने लगी है। अब तो इसका साथ देने वाला दिन का प्रहरी सूरज ही है। मेरा साथी बन पायेगा, उसका स्वरूप और अधिक भ्रम में डालने वाला है।

विशेष-
1. वर्षा के बाद की दशा और दिशा का वर्णन है।
2. स्वभावोक्ति अलंकार है।

सौंदर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर भाव-सौंदर्य

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश के भाव वर्षा के बाद के स्वरूप को दर्शा रहा है। वर्षा होने से नीरसता और उदासी की स्थिति का नामोनिशान नहीं रह जाता है। उसके स्थान पर सरसता का साम्राज्य स्थापित हो जाता है। ऐसी दशा के अनुकूल भावों की योजना बड़ी ही सटीक और उपयुक्त रूप में है।

शिल्प-सौंदर्य

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश के शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश की शिल्प-योजना सरल और सपाट शब्दों की है। ये शब्द आम प्रचलित और सुपरिचित हैं। इनसे बनी हुई भाषा बोधगम्य और हृदयस्पर्शी है। शैली-विधान लयात्मक और संगीतात्मक दोनों ही है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश के द्वारा कवि ने यह आशय व्यक्त करना चाहा है कि सूखे की दुखद स्थिति बीत गई तो वर्षा की सुखद स्थिति आई है। दूसरे शब्दों में, दुख के बाद सुख आता है। इससे दुख का घाव भर जाता है और सुख का संसार संवरने-बढ़ने लगता है।

3. बरखा के भय की डरी-डरी,
बजती है दूर कहीं बँसुरी,
जागी फिर से सोई पीड़ा,
फिर विकल हुई कोई मीरा,
जो पीड़ा को दुलरा सकता,
ऐसा घनश्याम नहीं आया।

शब्दार्थ-बरखा-वर्षा। विकल-व्याकुल। घनश्याम-काले बादल, श्रीकृष्ण। दुलरा-स्नेह-प्रेम करना।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने वर्षा के सुखद वातावरण के बावजूद अपनी पीड़ा के शांत न होने का चित्र खींचते हुए कहा है कि

व्याख्या-वर्षा के भयंकर रूप को समझकर कहीं दूर पड़ी बांसुरी अब खुलकर नहीं बज रही है। वह तो वर्षा से डरकर रुक-रुककर बज रही है। इससे सोई पीड़ा अब जाग गई है। इस तरह मानो श्रीकृष्ण की वंशी की ध्वनि सुनकर व्याकुल और अस्थिर हो गई है। अफसोस की बात यह है कि जो व्याकुल कर देने वाली पीड़ा को सहलाने वाला है। वह घनश्याम अभी तक नहीं आया है।

विशेष-
1. वियोग शृंगार रस का प्रवाह है।
2. ‘डरी-डरी’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

सौंदर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर भाव-सौंदर्य

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौंदर्य लिखिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश की भाव-योजना मार्मिक है। उसमें हृदय की कसक और अस्थिरता साफ झलक रही है। इस तरह भावों की निरंतरता है। इसके साथ क्रमबद्धता है। ये सभी स्वाभाविक और सहज हैं।

शिल्प-सौंदर्य
प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश के शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश का शिल्प-सौंदर्य सरल और सहज शब्दों पर आधारित भाषा-शैली है। भाषा की शब्दावली तद्भव प्रधान शब्दों की है जिसे वियोग शृंगार रस में डूबोकर चित्रात्मक शैली से चमकाने का प्रयास किया गया है। इसे प्रभावशाली बनाने के लिए पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार (डरी-डरी) को लिया गया है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त पद्यांश का मुख्य भाव लिखिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश में वियोगावस्था का चित्रांकन किया गया है। इसे स्वाभाविक और विश्वसनीय रूप में रखने का प्रयास करके प्रेरक रूप दिया गया है। वियोग पीड़ित मनोदशा को वियोगभोगी ही समझ सकता है, इस ओर भी अप्रत्यक्ष संकेत है, इसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता है।