MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 20 योगी अरविंद

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MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 20 योगी अरविंद (संकलित)

योगी अरविंद पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

योगी अरविंद लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अरविंद का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर
अरविंद का जन्म 15 अगस्त, 1872 को कलकत्ता के एक शिक्षित परिवार में हुआ था।

प्रश्न 2.
अरविंद ने कौन-कौन-सी भाषाएँ सीखीं?
उत्तर
अरविंद ने संस्कृत, बंगला, लैटिन, इटेलियन, जर्मन, स्पेनिश और फ्रेंच भाषाएँ सीखीं।

प्रश्न 3.
अरविंद ने बड़ौदा क्यों छोड़ दिया था?
उत्तर
अरविंद ने सन् 1905 में बंग-भंग आंदोलन छिड़ने के कारण बड़ीदा छोड़ दिया था।

प्रश्न 4.
फ्रांसीसी महिला अरविंद से मिलने पांडिचेरी क्यों आई थी?
उत्तर
श्री अरविंद की योग-साधना से प्रभावित होकर ही मीरा अल्फांसा नामक एक फ्रांसीसी महिला मार्च 1914 में उनसे मिलने के लिए पांडिचेरी आई।

प्रश्न 5.
अरविंद ने किस प्रकार की साधना की थी।
उत्तर
अरविंद ने सनातन सत्य चेतन पुरुष को जीवन में उतारने की साधना की।

योगी अरविंद दीर्य-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बंग-भंग आंदोलन का अरविंद पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर
बंग-भंग आंदोलन का अरविंद पर व्यापक प्रभाव पड़ा। इस आंदोलन से वे लगातार जुड़े रहे। इस तरह पाँच साल तक वे सक्रिय राजनीति में सक्रिय भाग लेते रहे। यह सच है कि उन्होंने राजनीति को आध्यात्मिक शक्ति से सफल करना चाहा था।

प्रश्न 2.
‘सादा जीवन उच्च विचार’ का आशय समझाइए।
उत्तर
‘सादा जीवन उच्च विचार’ का आशय है-प्रदर्शन और आडंबरहित अपने कार्य-कलापों को करते हुए नैतिक और पवित्र भावनाओं को बनाए रखना । इस प्रकार के जीवन-स्वरूप न केवल स्वयं हौसला को बढ़ाते हैं, अपितु औरों को किसी हद तक प्रभावित और प्रेरित भी करते हैं।

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प्रश्न 3.
पत्नी की निराशा को दूर करने के लिए अरविंद ने पत्र में किस प्रकार समझाया?
उत्तर
पत्नी की निराशा को दूर करने के लिए अरविंद ने पत्र में समझाया कि मेरा दृढ़ विश्वास है कि भगवान ने जो गुण, प्रतिभा, उच्च शिक्षा तथा धन दिया है, वह सब उन्हीं का है, जो कुछ परिवार के भरण-पोषण में लगता है और जो नितांत आवश्यक है। उसी को अपने लिए खर्च करने का अधिकार है, उसके बाद जो कुछ बाकी रह जाता है, उसे भगवान को लौटा देना उचित है। यदि मैं सब कुछ अपने सुख और विलास के लिए करूँ तो मैं चोर कहलाऊँगा। इस दुर्दिन में सारा देश मेरे द्वार पर आश्रित है, मेरे तीस कोटि भाई और बहिन हैं, उनमें से बहुतेरे अन्न न होने पर मर रहे हैं, उनका हित करना होगा।

प्रश्न 4.
‘अरविंद दिव्य संस्कारों के धनी थे’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
‘अरविंद दिव्य संस्कारों के धनी थे। उनके मुख पर दिव्य तेज उस अवस्था में भी था जब वे बड़ौदा में साधनामय जीवन की ओर लगने जा रहे थे और गुरु की खोज में थे। एक बार की बात है, वे नर्मदा के किनारे रंगनाथ में गंगा मठ के स्वामी ब्रह्मानंद का दर्शन करने गए। स्वामी जी का नियम था कि वे किसी की ओर देखते नहीं थे, पर जब अरविंद इनके सामने आए, स्वामी जी उन्हें एकटक देखने लगे और बहुत देर तक देखते ही रह गए।

योगी अरविंद भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए
पराधीन, स्वदेश, प्रेम, उच्च, विश्वास।
उत्तर
शब्द – विलोम शब्द
पराधीन – स्वाधीन
स्वदेश – परदेश
प्रेम – द्वेष
उच्च – नीच
विश्वास – अविश्वास।

प्रश्न 2.
पर्यायवाची शब्द लिखिए
नश्वर, देवता, पृथ्वी, सृष्टि, ज्योति।
उत्तर
नश्वर – अनित्य, क्षणभंगुर
देवता – सुर, देव
पृथ्वी-धरा, धरती
सृष्टि-संसार, दुनिया।

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए
(क) अरविंद ने परीक्षा में सफलता प्राप्त की। (प्रश्नवाचक वाक्य में)
(ख) वे कलकत्ता आए। (निषेधवाचक वाक्य में)
(ग) अरविंद ने आर्य नामक पत्र निकाला। (इच्छावाचक वाक्य में)
(घ) सब कुछ अपने सुख और विलास के लिए करने पर मैं चोर कहलाऊँगा। (संकेतवाचक वाक्य में)
(ड) अरविंद योग मानव थे। (विस्मयवाचक वाक्य में)
उत्तर
(क) क्या अरविंद ने परीक्षा में सफलता प्राप्त की।
(ख) वे कलकत्ता नहीं आए।
(ग) अरविंद आर्य नामक पत्र निकाल लाए!
(घ) सब कुछ अपने सुख और विलास के लिए करता तो चोर कहलाता।
(ड) आह! अरविंद योग मानव थे।

योगी अरविंद योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1. पांडिचेरी आश्रम के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।
प्रश्न 1. बंग-भंग आंदोलन क्यों हुआ और इसके क्या परिणाम हुए। जानकारी एकत्र कीजिए।
प्रश्न 3. ऐसे और महापुरुषों के नाम बताइए जिन्होंने ‘आश्रम’ बनाकर समाज एवं राष्ट्र-सेवा के लिए कार्य किया।
उत्तर
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

योगी अरविंद परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘योगी अरविंद’ निबंध का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
‘योगी अरविंद’ निबंध में महापुरुषों और महायोगी अरविंद के अत्यधिक महत्त्वपूर्ण जीवन पक्षों पर प्रकाश डाला गया है। लेखक के अनुसार विदेश में विद्या अध्ययन के दौरान उनका विद्रोही व्यक्तित्व तेज हो लगा था। वे भारत माता को गुलामी के बंधनों से मुक्त करने के लिए क्रियाशील रहे। अनेक पत्रों के संपादक रहते हुए राजनीति में भी सक्रिय रहे। प्रत्येक व्यक्तित्व के भीतर किसी-न-किसी क्षेत्र विशेष की प्रतिभा छिपी होती है। आवश्यकता है इसको पहचानने की। योगी अरविंद ने अपनी इस प्रतिभा को पहचानकर आने वाले समय में अध्यात्म और योग का मार्ग चुना। किंतु अपने देश और राष्ट्रीयता के भाव को ये भुला नहीं सके, वे देश के विकास में हरसंभव प्रयासरत थे। अपनी पत्नी को लिखे पत्र में उन्होंने स्पष्ट किया है कि अपने देशवासियों को उन्नत और विकसित बनाना ही उनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य है। उनके द्वारा रचित गद्य साहित्य भी महत्त्वपूर्ण हैं। योगी अरविंद एक विशिष्ट लोक अनुभूति थे।

प्रश्न 2.
योगी अरविंद के गुरु कौन और कैसे घे? ‘
उत्तर
योगी अरविंद के गुरु हंसस्वरूप स्वामी और सद्गुरु ब्रह्मानंद थे। वे उच्च कोटि के योगी थे। उनकी अवस्था बहुतं लंबी थी। केवल अस्सी साल तक वे नर्मदा के किनारे ही विचरते रहे।

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प्रश्न 3.
योगी अरविंद की समाधि पर कौन-से शब्द अंकित हैं?
उत्तर
योगी अरविंद की समाधि पर निम्नलिखित शब्द अंकित हैं-हमारे देवता की भीम समाधि, हम आपको अपनी अनंत कृतज्ञता अर्पित करते हैं। आपके सामने, जिन्होंने हमारे लिए इतना किया, जिन्होंने हमारे लिए कर्म, संघर्ष, तप और आशा तथा सहनशीलता का निर्वाह किया, जिन्होंने हमारे लिए समस्त संकल्प-संपादन प्रयल, प्रस्तुति और सारी उपलब्धि का व्रत अनुष्ठान किया, हम नतमस्तक होते हैं और विनम्र निवेदन करते हैं कि एक क्षण के लिए भी हम आपका अनुग्रह न भूलें।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित कथनों के लिए दिए गए विकल्पों में सही विकल्पों का चयन कीजिए
1. अरविंद का जन्म हुआ था
1. 26 जनवरी को
2. 2 अक्टूबर को
3. 15 अगस्त को
4. 30 जनवरी को
उत्तर
(3) 15 अगस्त

2. अरविंद की उच्च शिक्षा हुई
1. अमेरिका में
2. जापान में
3. इंग्लैंड में
4. फ्रांस में।
उत्तर
(3) इंग्लैंड में

3. अरविंद का जन्म हुआ था
1.पांडिचेरी में
2. कलकत्ता में
3. बड़ौदा में
4. गायकवाड़ में।
उत्तर
(2) कलकत्ता में

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4. योगी अरविंद का निधन हुआ था
1 दिसबंर को
2. 30 दिसबंर को
3. 15 अगस्त को
4. 15 दिसबंर को।
उत्तर
(1) 4 दिसंबर
5. योगी अरविंद जन्मजात वे
1. योगी
2. विद्रोही
3. देश
4. राजनीतिज्ञ ।
उत्तर
(2) विद्रोही।

प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों में से उचित शब्दों के चयन से कीजिए।
1. अरविंद ……………… थे। (महामानव, योगमानव)
2. अरविंद ने योग की साधना में ……………… का दर्शन किया था। (दिव्य प्रकाश, आत्मप्रकाश)
3. ……में अरविंद-आश्रम का शुभारंभ हुआ। (पांडिचेरी, कलकत्ता)
4. ……………… उस समय फ्रांसीसियों के अधीन था। (बड़ीदा, पांडिचेरी)
5. अरविंद ने ‘सादा जीवन उच्च विचार’ के ……………… पर जोर दिया। (कहावत, सिद्धांत)
उत्तर
1. योगमानव
2. आत्मप्रकाश
3. पांडिचेरी
4. पांडिचेरी
5. सिद्धांत।

प्रश्न 6.
सही जोड़ी का मिलान कीजिए
रामचरित मानस – वासुदेवशरण अग्रवाल
भगवान महावीर – मीराबाई
वर्षा गीत – डॉ. प्रेम भारती
कला और संस्कृति – सरदारपूर्ण सिंह
कन्यादान – तुलसीदास।
उत्तर
रामचरित मानस – तुलसीदास
भगवान महावीर – डॉ. प्रेम भारती
वर्षा गीत – मीराबाई
कला और संस्कृति – डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल
कन्यादान – सरदारपूर्ण सिंह।

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्य सत्य हैं या असत्य? बाक्य के आगे लिखिए।
1. योगी अरविंद ने एकता, प्रेम अमरता और आत्मचेतना की ज्योति दी।
2. 1906 में बंग-भंग आंदोलन छिड़ा।
3. एक फ्रांसीसी महिला अरविंद से मिलने कलकत्ता आई।
4. अरबिंद संस्कारों को धनी थे।
5. जब अरविंद स्वामीजी के सामने आए तो स्वामी जी ने उन्हें देखा नहीं।
उत्तर
1. सत्य
2. असत्य
3. असत्य
4. सत्य
5. असत्य

प्रश्न 8.
निम्नलिखित कवनों के उत्तर एक शब्द में दीजिए
1. अरविंद के पिता क्या थे?
2. विद का जन्म कब हुआ था?
3. अरविंद का निधन कब हुआ था?
4. फ्रांसीसी महिला का क्या नाम था?
5. अरविंद के समय भारत की आबादी क्या थी?
उत्तर
1. सिविल सर्जन
2. 1872 में
3. 1950 में
4. मीरा अल्फांसा
5. तीस करोड़।

योगी अरविंद लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अरविंद ने किस परीक्षा में सफलता प्राप्त की और किसमें नहीं?
उत्तर
अरविंद ने इंडियन सिविल सर्विस की परीक्षा में सफलता प्राप्त की और घुड़सवारी में असफलता प्राप्त की।

प्रश्न 2.
अरविंद ने किन पत्रों का संपादन किया?
उत्तर
अरविंद ने ‘वंदेमातरम्’ ‘कर्मयोगी’ और ‘धर्म’ नाम के पत्रों का संपादन किया।

प्रश्न 3.
योगी अरविंद ने अपनी साधना की महत्त्वपूर्ण स्थिति कब प्राप्त की?
उत्तर
योगी अरविंद ने अपनी साधना की महत्त्वपूर्ण स्थिति 24 नवंबर, सन् 1926 में प्राप्त की।

प्रश्न 4.
‘योगी अरविंद की चार साल की कठिन योगाभ्यास का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर
योगी अरविंद की चार साल की कठिन योगाभ्यास का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा। धीरे-धीरे उनके अनुयायियों और प्रशंसकों की संख्या बढ़ने लगी। लोग आश्रम में रहकर योग-साधना करने लगे।

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योगी अरविंद निबंध का सारांश

प्रस्तुत निबंध में महापुरुष योगी अरविंद के जीवन के कुछ महत्त्वपूर्ण स्वरूपों पर प्रकाश डाला गया है। लेखक के अनुसार अरविंद योगमानव थे। इससे वे आत्म-प्रकाश का दर्शन किया था। इसके द्वारा उन्होंने पराधीन भारत को एकता, और आत्मचेतना की दिव्य ज्योति प्रदान की थी। उनका जन्म 15 अगस्त, 1872 को कलकत्ता के एक शिक्षित परिवार में हुआ था। अपने पिता की इच्छानुसार वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए। वहाँ से उन्होंने इटेलियन, जर्मन, फ्रेंच और स्पेनिश भाषाएँ सीखीं। स्वदेश लौटकर उन्होंने बड़ौदा में नौकरी कर ली। वहाँ उनकी आध्यात्मिक और साहित्यिक प्रतिभा को निखरने और अवसर मिला। 1905 बंग-भंग आंदोलन में भाग लेने के कारण वे बड़ौदा छोड़कर कलकत्ता आ गए। उस समय उन्होंने ‘वंदे मातरम्’, ‘कर्मयोगी’ और ‘धर्म’ नामक पत्रों का संपादन किया। वे धीरे-धीरे सक्रिय राजनीति से हटकर योग साधना में जुट गए।

पांडिचेरी के आश्रम में माता-फ्रेंच योगिनी के आने से अरविंद की योग साधना को बड़ा बल मिला। अरविंद ने ‘सादा जीवन और उच्च विचार’ के सिद्धांत पर बल दिया। पांडिचेरी आश्रम में उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ने लगी। उन्होंने उपनिषद् और गीता पर भाष्य और निबंध लिखे। 24 नवंबर, 1926 को उन्होंने अपनी साधना की महत्त्वपूर्ण स्थिति प्राप्त की। . बड़ौदा में नौकरी करते समय उन्हें उनकी पत्नी ने उनके प्रतिघोर निराशा की भावना व्यक्त किया था। उसे समझाते हुए अरविंद ने देश-प्रेम और परोपकार करने का सुझाव दिया। 4 दिसम्बर, 1950 को रात एक बजकर छब्बीस मिनट पर अरविंद ने भौतिक शरीर का परित्याग कर दिया। 9 दिसम्बर को पांडिचेरी आश्रम के आंगन में शाम बजे उनको समाधि दी गई। समाधि पर लिखा हुआ है-हमारे देवता की भौम समाधि हम आपको अपनी अनंत कृतज्ञता अर्पित करते हैं और विनम्र निवेदन करते हैं कि एक क्षण के लिए भी हम आपका अनुग्रह न भूलें।”

योगी अरविंद संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

1. मेरा दृढ़ विश्वास है कि भगवान ने जो गुण, प्रतिभा, उच्च शिक्षा तथा धन दिया है वह सब उन्हीं का है, जो कुछ परिवार के भरण-पोषण में लगता है और जो नितांत आवश्यक है उसी को अपने लिए खर्च करने का अधिकार है, उसके बाद जो कुछ बाकी रह जाता है उसे भगवान को लौटा देना उचित है। यदि मैं सब कुछ अपने सुख और विलास के लिए करूँ तो मैं चोर कहलाऊँगा। इस दुर्दिन में सारा देश मेरे द्वार पर आश्रित है, मेरे तीस कोटि भाई और बहिन हैं, उनमें से बहुतेरे अन्न न होने से मर रहे हैं, उनका हित करना होगा।

शब्दार्थ-विलास-सुख। आश्रित-निर्भर। कोटि-करोड़।

संदर्भ-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी सामान्य’ 10वीं, में संकलित निबंध ‘योगी अरविंद’ से है।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश में लेखक के योगी अरविंद के महान विचारों का उल्लेख किया है। अरविंद ने अपनी पत्नी को समझाते हुए कहा है कि

व्याख्या-मेरा यह दृढ़ मात है कि ईश्वर ने किसी को जो योग्यता, क्षमता, प्रतिभा, उच्च शिक्षा, धन, बल आदि दिया है, वह सब कुछ उसी का है उसे अगर वह अपने परिवार की देख-रेख और सुख के लिए लगाता है। यह उसके लिए बिलकुल और बेहद जरूरी भी होता है। उसको ही यह सब कुछ खर्च करने का पूरा-पूरा अधिकार भी है। खर्च करने पर अगर कुछ बच जाए तो उसे चाहिए कि वह उसे भगवान को अर्पित कर दे। अगर मैं केवल अपने ही आराम और आनंद के लिए कुछ करूँ तो तो इससे मैं चोर कहा जाऊँगा। पर ध्यान देने की बात है कि सारा देश मेरे ऊपर निर्भर हो रहा है। इस देश की पूरी आबादी तीस करोड़ है। इसे मैं अपने भाई और बहिन के ही रूप में देखता और समझता हूँ। दुख की बात यह है कि इनमें से अधिकांश अन्नाभाव के कारण काल के गाल में जा रहे हैं। शेष बचे हुए को आज हमें बचाने की कोई-न-कोई कोशिश अवश्य करनी होगी।

विशेष-

  1. आध्यात्मिक विचार है।
  2. देश-प्रेम की प्रेरणा मिल रही है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
अरविंद का क्या दृढ़ विश्वास है?
उत्तर
अरविंद का दृढ़ विश्वास है कि ईश्वर के दिये हुए गुण, प्रतिभा, ऊँची शिक्षा, और धन को परिवार के सुख-शांति में लगाना चाहिए। अपने लिए खर्च किए गए धन के बचने पर उसे ईश्वर को समर्पित कर देना चाहिए।

प्रश्न 2.
तीस करोड़ लोगों में से अधिकांश क्यों मर रहे हैं?
उत्तर
तीस करोड़ लोगों में से अधिकांश अन्नाभाव से मर रहे हैं।

विषय-वस्तु पर आधारित बोध प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उपर्युक्त गद्यांश का मुख्य भाव लिखिए।
उत्तर
उपर्युक्त गद्यांश में लेखक ने योग अरविंद के जीवनोपयोगी नैतिक विचारों को प्रस्तुत किया है। ये विचार कर्त्तव्य-परायणता का जहाँ पाठ पढ़ा रहे हैं, वहीं देश-दयनीय स्थिति का प्रकाशन कर रहे हैं। इस प्रकार इस गद्यांश के द्वारा लेखक ने हमें अपने कर्तव्यों के प्रति सचेष्ट रहने का सुझाव दिया है।