MP Board Class 9th Hindi Vasanti Solutions Chapter 6 टेलीफोन

MP Board Class 9th Hindi Vasanti Solutions Chapter 6 टेलीफोन (हरिशंकर परसाई)

टेलीफोन अभ्यास-प्रश्न

टेलीफोन लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
हरिशंकर परसाई के अनुसार टेलीफोन के आविष्कार के क्या कारण हैं?
उत्तर
हरिशंकर परसाई के अनुसार टेलीफोन के आविष्कार के कारण हैं कि पहले आदमी की सूरत देखे बिना उससे बातचीत करने की कला की खोज नहीं हुई थी।

प्रश्न 2.
प्रतिष्ठित व्यक्ति फोन उठाने के लिए नौकर क्यों रखते हैं?
उत्तर
प्रतिष्ठित व्यक्ति फोन उठाने के लिए नौकर रखते हैं। यह इसलिए कि वे झूठ बोल सकें। वे यह समझ जाएँ कि किससे अपना स्वार्थ पूरा होगा और किससे नहीं।

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प्रश्न 3.
व्यंग्यकार ने टेलीफोन के क्या-क्या लाभ बताए हैं? फोन के रिसीवर में दो भाग कौन-कौन से होते हैं?
उत्तर
व्यंग्यकार ने टेलीफोन के अनेक लाभ बताए हैं, जैसे-फोन पर सच और झूठ दोनों ही अधिक सच्चाई से बोले जा सकते हैं। टेलीफोन से संसार में सत्य-भाषण लगभग 67 प्रतिशत बढ़ा है। इससे मनुष्य जाति इतनी वीर बनी है कि जिसकी छाया से भी डर लगता था, उसे गाली दी जा सकती है। उसकी पकड़ में आने से पहले फरार हुआ जा सकता है। फोन के रिसवीर के दो भाग होते हैं-एक कान पर लगाकर सुनने के लिए और दूसरा बोलने के लिए।

प्रश्न 4.
लिफाफे में कोरा कागज भेजकर पत्र-व्यवहार किस प्रकार के लोगों को किया जाता है?
उत्तर
लिफाफे में कोरा कागज भेजकर पत्र-व्यवहार उन लोगों को किया जाता है जिनसे बोल-चाल बन्द हो गई है।

टेलीफोन दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
फोन आने पर पहले अपना नाम नहीं बताने के लिए लेखक ने क्या तर्क दिए हैं?
उत्तर
फोन आने पर पहले अपना नाम नहीं बताने के लिए लेखक ने यह तर्क दिए हैं कि इसमें खतरा है। वह यह कि दूसरे सिरे पर आपसे उधारी के पैसे माँगने वाला हआ, तो आप पकड़ में आ जाएंगे।

प्रश्न 2.
‘मनुष्य जाति के मुँह तीन आकारों के होते हैं’ इसका क्या आशय है?
उत्तर
‘मनुष्य जाति के मुँह तीन आकारों के होते हैं। इसका यह आशय है कि मनुष्य किस मुँह से कब क्या कह दे, कुछ कहा नहीं जा सकता है।

प्रश्न 3.
‘फोन से मुफ्त बात करने में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
‘फोन से मुफ्त बात करने में निहित व्यंग्य यह है कि मुफ्त फोन करने वाले बड़े ही चतुर और चापलूस होते हैं। वे मुफ्त में फोन करने के अनेक प्रकार के बहाने बनाने की कला में माहिर होते हैं।

प्रश्न 4.
‘वर्तमान समय में आधुनिक सुविधाओं का दुरुपयोग हो रहा है। इस विषय पर अपने विचार दीजिए।
उत्तर
वर्तमान समय में आधुनिक सुविधाओं का दुरुपयोग हो रहा है। यह इसलिए कि लोग वर्तमान सुख-सुविधाओं के महत्त्व नहीं समझे हैं। सुविधाओं की मौजूदगी को इसलिए अनदेखा कर रहे हैं।

टेलीफोन भाषा-अध्ययन

(क) निम्नलिखित शब्दों में से तत्सम, तद्भव, देशज और विदेशी शब्दों को अलग-अलग छाँटकर लिखिए
कान, टेलीफोन, हैलो, फोकट, सूरत, ऊब, फिट, कॉल, नफरत, जवाब, गृह, काम, सत्य, मुख, मुँह, हफ्ता , रेट।
तत्सम – …………….
तद्भ व – ……………
देशज – …………….
विदेशी – ……………

(ख) निम्नलिखित अनेकार्थी शब्दों के अलग-अलग अर्थ लिखते हुए दो-दो वाक्य बनाइए।
अर्थ, कल, कर, पत्र, वार।
उत्तर
(क) तत्सम शब्द-गृह, सत्य, मुख।
तद्भव शब्द-कान, काम, मुँह।
देशज शब्द-सूरत, फोकट, ऊब।
विदेशी शब्द-टेलीफोन, हैलो, फिट, कॉल, नफरत, जवाब, हफ्ता, रेट ।

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टेलीफोन योग्यता-विस्तार

(क) टेलीफोन का आविष्कार किसने किया, कब किया लिखिए तथा विज्ञान के अन्य आविष्कारों और उनकी खोज करने वाले वैज्ञानिकों की सूची तैयार कीजिए।
(ख) टेलीफोन के आज के विविध उपयोगों को ध्यान में रखकर एक निबंध लिखिए।
(ग) चलित टेलीफोन के पक्ष-विपक्ष में अपने विचार लिखिए।
उत्तर
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्राएँ अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

टेलीफोन परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वैज्ञानिक ने क्या देखा?
उत्तर
वैज्ञानिक ने यह देखा कि दुनिया के आधे लोग बाकी आधे लोगों की सूरत से नफरत करते हैं, लेकिन उनसे जरूर बात करना चाहते हैं।

प्रश्न 2.
हमारे पास फोन है, यह दिखाने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर
हमारे पास फोन है, यह दिखाने के लिए हमें घंटी बजते ही चोंगा नहीं उठाना चाहिए। जब घंटी थक जाए और आराम करने लगे, तब फोन उठाना चाहिए।

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प्रश्न 3.
जिसे रिंग किया जाए, उसे पहले अपना नाम बताने में क्या खतरा है?
उत्तर
जिसे रिंग किया जाए, उसे पहले अपना नाम बताने में खतरा है। वह यह कि दूसरे सिरे पर आपसे उधारी के पैसे माँगने वाला हआ, तो आप पकड़ में आ जाएँगे।

प्रश्न 4.
कॉल रेट न होने का लोग क्या फायदे उठाते हैं?
उत्तर
कॉल रेट न होने का लोग बहुत फायदा उठाते हैं। वे खूब बातें करते हैं। फिजूल की बातें करते हैं। खूब डींगें मारते हैं। इस तरह वे कॉल रेट का अनुचित फायदे ‘उठाते हैं।

टेलीफोन दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
टेलीफोन की खोज किस प्रकार हुई?
उत्तर
टेलीफोन की खोज करने वाले वैज्ञानिक ने दो तार लिये। उसटे दोनों सिरों पर एक-एक चोंगा लगा दिया। एक को उसने अपनी प्रयोगशाला में रखा दूसरे को अपने दुश्मन के घर में। फिर वह कई सालों तक अपने चोंगे में कहता रहा,’तुम बदमाश हो। उधर से कोई उत्तर नहीं आता था। लेकिन इससे वह निराश नहीं हुआ। एक दिन उधर से क्रोध भरा उत्तर आया, “तुम भी बदमाश हो।” इस पर वह वैज्ञानिक खुशी से उछल पड़ा। इस तरह टेलीफोन का आविष्कार हुआ।

प्रश्न 2.
मुँहवाला चोंगा कैसा होता है?
उत्तर
मुँहवाला चोंगा कानवाले चोंगे से अलग प्रकार का होता है। यह सबके मुँह पर ठीक से फिट नहीं होता है। इसलिए अलग-अलग आकार वाले मुँह होते हैं-चोंगे से बड़ा मुँह, चोंगे से छोटा मुँह और चोंगे के बराबर मुँह । इन तीनों प्रकार के लिए इसे प्रयोग में लाने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाने पड़ते हैं। अगर मैंह चोंगे से बड़ा है, तो चोंगे को मुँह में घुसेड़ देना चाहिए। अगर दोनों बराबर हैं तो, चोंगे को मुँह पर बिल्कुल फिट कर देना चाहिए। चोंगे के बराबर के मुँह को चोंगा कहा जा सकता है।

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प्रश्न 3.
‘टेलीफोन’ निबंध का प्रतिपाय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
श्री हरिशंकर परसाई लिखित ‘टेलीफोन’ निबंध एक व्यंग्यात्मक निबंध है। परसाई जी ने इस निबंध में टेलीफोन के बारे में वैज्ञानिक जानकारी देना ही पर्याप्त नहीं समझा है, अपितु मनुष्य की कमजोरियों पर हँसते-हँसते फायदे की दो-तीन बातें सूचित कर देना भी अपना मकसद समझा है। इस प्रकार फोन के निरर्थक उपयोग के प्रकार बताकर अंत में फोन से क्या लाभ और हानियाँ हैं, मानवीय जीवन में परसाई जी ने इसे चुटीले अंदाज में प्रस्तुत किया है।

टेलीफोन लेखक-परिचय

प्रश्न
श्री हरिशंकर परसाई का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनके साहित्य के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
जीवन-परिचय-हरिशंकर परसाई का जन्म जिला होशंगाबाद के जामानी गाँव में 22 अगस्त, 1922 ई. में हुआ था। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए. किया था। कुछ वर्ष उन्होंने अध्यापन-कार्य किया। सन् 1947 में नौकरी छोड़कर उन्होंने स्वतन्त्र लेखन को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। उन्होंने ‘वसुधा’ नामक मासिक पत्रिका निकाली थी। इसे वे घाटे के बावजूद कई वर्ष तक चलाते रहे। कई वर्षों से निरंतर वे नियमित रूप से व्यंग्य रचनाएँ लिखने में लगे रहे।

व्यंग्य लेखक-परसाई जी मुख्यतः व्यंग्य लेखक हैं। उनका व्यंग्य लेखन मनोरंजन के लिए नहीं है। वे अपने व्यंग्य के द्वारा बार-बार पाठकों का ध्यान व्यक्ति और समाज की कमजोरियों और विसंगतियों की ओर दिलाते हैं और दूर करने के लिए प्रेरित करते हैं। इन्हीं बुराइयों और कमजोरियों के कारण हमारा जीवन दूभर हो रहा है। उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार और शोषण पर भी करारा व्यंग्य किया है।

रचनाएँ-परसाई जी ने दो दर्जन के लगभग पुस्तकों की रचना की है। इन रचनाओं में प्रमुख हँसते हैं, रोते हैं, जैसे उनके दिन फिरे कहानी-संग्रह हैं। रानी नागफनी की कहानी, तट की खोज उनके उपन्यास हैं और तब की बात और थी, भूत के पाँव पीछे, बेईमानी की परत पगडंडियों का जमाना, सदाचार की ताबीज शिकायत मुझे भी है और अन्त में उनके निबंध संग्रह हैं। वैष्णव की फिसलन, तिरछी रेखाएँ, ठिठुरता हुआ गणतन्त्र, विकलांग श्रद्धा का दौर उनके व्यंग्य निबंध-संग्रह हैं। सन् 1955 में उनका निधन हो गया था।

महत्त्व-हरिशंकर परसाई का हास्य-व्यंग्यकारों में प्रतिष्ठित स्थान है। वे हिन्दी व्यंग्य विधा के समर्थ रचनाकार हैं। उन्होंने व्यंग्य के माध्यम से अपनी समूची समकालीनता को खंगालते हुए पाठकों के मस्तिष्क को जगाने का अद्भुत प्रयास किया है।

टेलीफोन व्यंग्य का सारांश

प्रश्न
श्री हरिशंकर परसाई लिखित व्यंग्य ‘टेलीफोन’ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
श्री हरिशंकर परसाई लिखित ‘टेलीफोन’ हास्य-व्यंग्यात्मक निबंध है। इस निबंध का सारांश इस प्रकार है किसी वैज्ञानिक ने एक ऐसी कला की खोज की, जिससे एक आदमी दूसरे आदमी को बिना देखे बातचीत कर सकता है। इसके लिए उसने एक तार के दोनों सिरों पर एक-एक चोंगा लगा दिया। फिर उसने एक चोंगे को अपनी प्रयोगशाला और दूसरे को अपने शत्रु के घर में लगाकर वर्षों कहता रहा कि वह बदमाश है। लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आता। एक दिन उसके ऐसा कहने पर दूसरी ओर से जवाब आया कि वह भी बदमाश है। यह सुनकर उस वैज्ञानिक के खुशी का ठिकाना नहीं रहा। टेलीफोन की इस खोज से सच बोलने की मनुष्य जाति की नैतिकता का स्तर करीब-करीब 67 प्रतिशत बढ़ गया है।

इससे किसी को गाली देने की वीरता इतना अधिक बढ़ गई है कि उसे सुनकर पिटाई करने आए हुओं से भागकर बचा जा सकता है। भारत के पिछड़ेपन का एक यह भी कारण है कि यहाँ के लोग फोन पर बात करना तो नहीं जानते हैं, लेकिन देर तक घंटी बजने के बाद ही चोंगा उठाते हैं, ताकि लोगबाग यह जान जाएँ कि उनके पास फोन आते हैं। चोंगा उठाकर बहुत जोर से है लो’ अलग-अलग कहना चाहिए। चोंगा के दो भाग होते हैं-कान पर लगाकर सुनने के लिए और मुँह पर रखकर बोलने के लिए। कान पर लगाकर सुनने के लिए चोंगा तो कान पर ठीक से फिट हो जाता है, जबकि मुँह पर रखकर बोलने के लिए चोंगे का आकार छोटे-बड़े मुँह के आकार के कारण सब पर ठीक फिट नहीं हो पाता है। अनफिट होने की दशा में चोंगे में मुँह डालकर जोर से बोलना चाहिए।

फोन की घंटी बजने पर सोच-विचार कर फोन उठाना चाहिए। किसी प्रकार की झंझट की आशंका के कारण व्यवसायी-नेता स्वयं फोन नहीं उठाते हैं। वे अपने नौकरों से फोन उठवाकर पूछवाते हैं कि किसका फोन है। जिसे कुछ देना, उसे वे कहलवा देते हैं कि घर पर नहीं हैं, लेकिन जिससे कुछ लेना है, उसके लिए कहलवा देते हैं कि घर पर हैं। चतुर और सयाने लोग अपना नाम नहीं बताते हैं, वे दूसरे के नाम और पता पूछते हैं। ऐसे लोग काल रेट वाले फोन नहीं करते हैं। वे तो मुफ्त वाले फोन करते हैं। इसके लिए वे किसी अपने परिचित के पास पहुँचकर कहते हैं-“घर से निकलने पर अमुक को जरूरी फोन करना है, याद आया।

फोन करने के बाद वे अपने उस परिचित को काल रेट का पैसा देने के लिए हाथ बढ़ाते हैं, तो बाइज़्जत उनसे पैसे जेब में रखने के लिए कहता है। इस प्रकार मुक्त फोन कई बार किए जा सकते हैं। मफ्त के फोन का मजा कुछ और ही होता है। जब चाहे, जो चाहे बातें की जा सकती हैं-आँखें बन्दकर, लेटकर, टॉगें फैलाकर, उठकर, बैठकर आदि। इस प्रकार मुफ्त फोन से मजा-ही-मजा है। खासतौर से युवा पीढ़ी को इससे बड़ा और क्या मजा मिल सकता है।

टेलीफोन संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या अर्थग्रहण व विषय-वस्तु से संबंधी प्रश्नोत्तर

1. वैज्ञानिक अनुसंधान के सबसे महान क्षण में भी पुलिस को नहीं भूलता, यह मानव स्वतन्त्रता के लिए शुभ लक्षण है। इस आविष्कार से मानवीय सम्बन्धों में क्रान्ति हो गई है। अब दुश्मन से बोलचाल बन्द करने की आवश्यकता नहीं रह गई। उसकी सूरत बिना देखे उससे बात की जा सकती है। यह वैज्ञानिक उतना ही महान हुआ, जितना वह विचारक, जिसने यह सूत्र बताया था कि किसी से बोलचाल बंद हो तो उससे लिफाफे में कोरा कागज भेजकर पत्र व्यवहार किया जा सकता है।

शब्दार्थ-शुभ लक्षण-अच्छा संकेत । आविष्कार-खोज। मानवीय-मनुष्य के।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘वासंती हिंदी सामान्य’ में संकलित तथा श्री हरिशंकर परसाई लिखित ‘टेलीफोन’ व्यंग्य निबंध से है। इसमें लेखक ने टेलीफोन के आविष्कार के विषय में प्रकाश डालते हुए कहा है कि

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व्याख्या-टेलीफोन की खोज करने वाला वैज्ञानिक अपने खुशी को खुलेआम प्रकट करना चाहता था, लेकिन उसे पुलिस के अनुचित और अमानवीय कदम की याद आ गई। उसे आशंका हुई कि उसके प्रति कहीं वह अत्याचार न कर बैठे। इस प्रकार वह इस सुखद समय में भी मानवीय स्वतन्त्रता को भूल गया। टेलीफोन के उस आविष्कार (खोज) से मानवीय सम्बन्धों और चरित्रों में बहुत बड़ा उलट-फेर हुआ है। उस खोज से मित्र से ही नहीं, अपितु दुश्मन से भी आराम से बातें करने में एक अद्भुत अनुभव होता है। उस खोज के कारण ही वह वैज्ञानिक प्रसिद्ध हो गया। एक महान वैज्ञानिक के ही रूप में नहीं, अपितु एक महान विचारक के भी रूप में उसे बहुत बड़ी लोकप्रियता प्राप्त हुई। उस वैज्ञानिक और विचारक ने ही लोगों को यह सुझाव दिया था कि जब किसी से बातचीत बन्द हो जाए, तो उससे निफाफे में कोरा कागज भेजकर उससे बातचीत शुरू की जा सकती है।

विशेष-

  1. व्यंग्यात्मक शैली है।
  2. पुलिस-दमन पर सीधा व्यंग्य-प्रहार है।
  3. भाषा में गति और ओज है।

1. गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
(i) वैज्ञानिक अनुसंधान के महान क्षण में भी पुलिस को क्यों नहीं भलता?
(ii) किस आविष्कार से मानवीय संबंधों में क्रान्ति हुई?
उत्तर
(i) वैज्ञानिक अनुसंधान के महान क्षण में भी पुलिस को नहीं भूलता है। यह इसलिए कि पुलिस किसी के प्रति भी अति अमानवीय और निरंकुश कदम उठाकर उसकी स्वतंत्रता पर रोक लगा देती है।
(ii) टेलीफोन के आविष्कार से मानवीय-संबंधों में क्रान्ति आ गई।

2. गद्यांश पर आधारित विषय-वस्त से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न
(i) टेलीफोन से पहले संपर्क का माध्यम क्या था?
(ii) टेलीफोन से क्या सुविधा है?
उत्तर
(i) टेलीफोन से पहले संपर्क का माध्यम पत्र-व्यवहार था।
(ii) टेलीफोन से दुश्मन से बन्द हुई बोलचाल को शुरू किया जा सकता है।

2. टेलीफोन के आविष्कार से मनुष्य जाति का नैतिक स्तर उठ गया। फोन पर सच और झूठ दोनों अधिक सफाई से बोले जा सकते हैं। आदमी आमने-सामने तो बेखटके झूठ बोल जाता है, पर सच बोलने में झेंपता है। टेलीफोन के कारण संसार में सत्य भाषण लगभग 67 प्रतिशत बढ़ा है। इससे मनुष्य जाति अधिक वीर भी बनी है। जिसकी छाया से भी डर लगता था, उसी आदमी को फोन पर गाली भी दी जा सकती है और जब तक वह पता लगाकर आपको मारने आए, आप भागकर बच सकते हैं।

शब्दार्थ-बेखटके-तुरन्त। झेंपता-संकोच करता।

प्रसंग-पूर्ववत् । इसमें लेखक ने टेलीफोन के महत्त्व को बतलाते हुए कहा है कि

व्याख्या-टेलीफोन की खोज ने मनुष्य जाति के जीवन-स्तर को अधिक नैतिक और ऊँचा बनाने में अहम भूमिका निभाई है। टेलीफोन से यह एक बहुत बड़ी सुविधा हुई है कि इससे किसी को अपनी इच्छानुसार कुछ भी झूठ-सच या मनगढ़त कोई बात सुनाई जा सकती है। इस पर कोई विश्वास करे या न करे, यह दूसरी बात है। झूठ बोलने में आदमी किसी के सामने संकोच नहीं करता है, लेकिन सच बोलने के लिए कई बार सोचता है और संकोच करता है। टेलीफोन ने सच्ची बात करने के वातावरण को बहुत बढ़ा दिया है। इस आधार पर हम यह कह सकते हैं कि मनुष्य जाति ने बहुत बड़ी वीरता दिखाई है। उसकी वीरता सचमुच में काबिलेतारीफ है। इस प्रकार यह सच्चाई सामने आई है कि जिसके नाम, काम और रूप को याद करने से भय होता था, उसे फोन पर ललकारा जा सकता है। और उसे कुछ भी अपशब्द कहकर उसे नीचा दिखाया जा सकता है। यह साहसी कदम उसके पास आने से पहले उठकर कहीं भी लापता होकर उसके क्रोध का शिकार होने से बचा जा सकता है।

विशेष-

  1. भाषा में प्रवाह है।
  2. शैली व्यंग्यात्मक है।
  3. व्यंजना शब्द-शक्ति है।
  4. फोन का महत्त्वांकन किया गया है।

1. गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न
(i) टेलीफोन के आविष्कार से मनुष्य जाति पर क्या प्रभाव पड़ा है?
(ii) आदमी सच बोलने में क्यों झेंपता है?
उत्तर
(i) टेलीफोन के आविष्कार से मनुष्य जाति की नैतिकता पूर्वापेक्षा बढ़ गई
(ii) आदमी सच बोलने में झेंपता है। यह इसलिए कि वह स्वयं सच से कतरातां है। फिर उसे दूसरों के सामने कहने में और कठिनाई व आशंका होती है।

2. गद्यांश पर आधारित विषय-वस्त से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न
(i) टेलीफोन से क्या-क्या लाभ हैं?
(ii) उपर्युक्त गयांश का मुख्य भाव क्या है?
उत्तर
(i) टेलीफोन से कई लाभ हैं, जैसे-सच बोलने का विस्तार, मनुष्य जाति की वीरता, अपने विरोधियों को नीचा दिखाने की सुविधा आदि।
(ii) उपर्युक्त गद्यांश का मुख्य भाव है-टेलीफोन की सुविधा और लाभ को बतलाना।

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