MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti विविध प्रश्नावली 3

MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions विविध प्रश्नावली 3

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

(1) सही जोड़ी बनाइए
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उत्तर-
(क) → (4)
(ख) → (5)
(ग) → (1)
(घ) → (3)
(ङ) → (2)

(2) सही विकल्प चुनिए
(1) सिर घोट-मोट पर चुटिया थी लहराती, थी तोंद लटककर घुटनों को छू जाती। पंक्ति में कौन-सा रस है ?
(क) अद्भुत,
(ख) हास्य,
(ग) शान्त,
(घ) करुण।

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(2) ‘वन’ का पर्यायवाची शब्द है
(क) गिरि,
(ख) अरण्य,
(ग) तटिनी,
(घ) अचल।

(3) सूर्य की परिक्रमा लगभग ……………………………. दिनों में पूरी करती है
(क) 360 दिन
(ख) 306 दिन,
(ग) 365 दिन,
(घ) 365 दिन।

(4) इतिहास से सम्बन्धित शब्द के लिए प्रयुक्त होगा
(क) इतिहासिक,
(ख) ऐतिहासिक,
(ग) इतिहासिक,
(घ) येतिहासिक।
उत्तर-
(1) (ख) हास्य,
(2) (ख) अरण्य,
(3) (ग) 365 दिन,
(4) (ख) ऐतिहासिक।

(3) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए,,
(1) सम्राट विक्रमादित्य ने ……………………………. संवत् का प्रचलन प्रारम्भ किया था।
(2) महेश्वर को सूर्यवंश के राजा ……………………………. ने बसाया था।
(3) भगवान राम ……………………………. से ही विजय प्राप्त करने पर बल देते हैं।
(4) रौद्र रस का स्थायी भाव ……………………………. है।
(5) महाराजा की बातों से ………. विश्वास हो गया।
उत्तर-
(1) विक्रम,
(2) मान्धाता,
(3) धर्मरथ,
(4) क्रोध,
(5) पक्का

MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti अति लघु उत्तरीय प्रश्न

(1) धर्मरथ के चार घोड़े कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
पाठ-18 के (ख) अभ्यास के बोध प्रश्न प्रश्न 4 के खण्ड (घ) को देखिए।

(2) महेश्वर पर किन-किन सभ्यताओं का प्रभाव पड़ा
उत्तर-
महेश्वर पर मौर्य, सातवाहन और गुप्तकालीन सभ्यता का प्रभाव पड़ा है।

(3) ‘बुक ऑफ इण्डियन बर्ड्स’ पुस्तक के लेखक का नाम बताओ।
उत्तर-
‘बुक ऑफ इण्डियन बर्ड्स’ पुस्तक के लेखक का नाम सलीम अली है। सलीम अली का पूरा नाम सली भाईजुद्दीन अब्दुल अली था।

(4) मोहन ने गाँधीजी की किस बात पर चलने का प्रयास किया है?
उत्तर-
मोहन ने गाँधीजी की अन्याय के सामने सिर न झुकाने की बात पर चलने का प्रयास किया है।

MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti लघु उत्तरीय प्रश्न

(1) रावण की मृत्यु किस कारण हुई थी ?
उत्तर-
रावण लंका का राजा था। उसने अपने राज्य को धन-धान्य आदि से सुसम्पन्न बना दिया था। वह बहुत शक्तिशाली राजा था। उसकी सेना विशाल और सभी प्रकार के हथियार आदि से सुसज्जित थी। स्वयं रावण भी विद्वान एवं विज्ञानी था, परन्तु वह राम के विरुद्ध हुए युद्ध में मारा गया। इसका एकमात्र कारण था-उसमें घमण्ड और अभिमान की अधिकता। रावण में सत्य-शील, यम-नियम, दम, दया आदि का नामोनिशान नहीं था। इसी कारण वह युद्ध में मारा गया।

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(2) तलवार के पराक्रमी वीरों के नाम बताइए।
उत्तर-
भारतवर्ष में अनेक पराक्रमी वीर हुए हैं जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने पराक्रम को तलवार के द्वारा दिखाया। इन तलवार के पराक्रमी वीरों में महाराज शिवाजी और महाराणा प्रताप सिंह का नाम प्रसिद्ध है।

(3) पूर्णिमान्त और अमान्त किसे कहते हैं ?
उत्तर-
उत्तर भारत में माह का आरम्भ कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से होता है और पूर्णिमा से अन्त होता है, अतः इसे पूर्णिमान्त कहते हैं परन्तु दक्षिण भारत में माह का आरम्भ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से होता है और अन्त अमावस्या को होता है, अतः इसे अमान्त कहते हैं।

(4) शारदीय और बासन्तीय नवरात्रि किसे कहते हैं ?
उत्तर-
शरद ऋतु में आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक का समय शारदीय नवरात्रि का होता है जबकि बासन्तीय नवरात्रि का समय चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक का समय हुआ करता है।

(5) सुन्दरता की मृगतृष्णा किन दृश्यों से पता चलती है?
उत्तर-
दूर्वादल, सरिता और सरोवरों, पर्वतों, वनों तथा बावड़ियों और सुन्दर झरनों से सुन्दरता की मृगतृष्णा का पता चलता है।

(6) वसीयतनामे के न्याय को जाते समय मिली युवती ने राजा को अन्धा क्यों कहा?
उत्तर-
वसीयतनामे के न्याय को जाते समय मिली युवती ने राजा को अन्धा इसलिए कहा कि वह जवान हो गयी थी। वह विवाह करना भी चाहती थी परन्तु उसके विवाह के लिए किसी “वर’ की खोज नहीं कर पा रहा था।

(7) शेरसिंह ने मोहन और बच्चों से किस बात पर शर्मिंदगी व्यक्त की?
उत्तर-
शेरसिंह ने मोहन के ऊपर अकारण ही हाथ उठाकर, उस पर अत्याचार किया था। अपने इसी व्यवहार के लिए उसने मोहन और बच्चों से शर्मिंदगी व्यक्त की।

(8) निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए-
प्रथम, सफलता, अनुराग, माँग, सम्मुख।
उत्तर-
शब्द – विलोम
प्रथम – अन्तिम
सफलता – असफलता
अनुराग – विराग
माँग – पूर्ति
सम्मुख – विमुख

MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

(1) धर्मरथ के माध्यम से रचनाकार हमें क्या शिक्षा देना चाहता है ? समझाइए।
उत्तर-
धर्मरथ के माध्यम से रचनाकार हमें शिक्षा देना चाहता है कि हमारे अन्दर शौर्य, धैर्य, सत्य और शील के क्रमशः दो पहिए एवं ध्वजा-पताकाएँ हैं। रथ को खींचने वाले चार घोड़े-बल, विवेक, यम और परोपकार होते हैं। इन चार घोड़ों को क्षमा, दया, समता की रस्सी से जोता हुआ होता है। ईश्वर का भजन ही श्रेष्ठ ज्ञान से सम्पन्न सारथी होता है। संसार युद्ध में प्रयुक्त हथियार (ढाल, तलवार, फरसा, शक्ति, धनुष) के रूप में हमें वैराग्य, सन्तोष, दान, बुद्धि तथा श्रेष्ठ विज्ञान का प्रयोग करना चाहिए। तरकश रूपी निर्मल और अडिग मन तथा यम-नियम और संयम के बाण; ब्राह्मणों तथा गुरु की पूजा का कवच है, तो निश्चय ही हमें अपने बाहरी और आन्तरिक शत्रुओं पर विजय अवश्य मिलेगी। उपर्युक्त सद्गुण रूपी धर्मरथ मनुष्य को अपराजेय शक्ति देता है।

(2) गुड़ी पड़वा किस उपलक्ष्य में तथा किस प्रकार मनाया जाता है ?
उत्तर-
गुड़ी पड़वा का अर्थ ध्वज या झण्डी प्रतिपदा होता है। लोक परम्परा के अनुसार माना जाता है कि इसी दिन श्रीरामचन्द्रजी ने किष्किन्धा के राजा बाली का वध करके उसके स्वेच्छाचारी राज का अन्त किया था। बाली वध के पश्चात् वहाँ की प्रजा ने पताकाएँ फहराकर उत्सव मनाया था। इन पताकाओं को महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा कहते हैं। आजकल वहाँ आँगन में बाँस के सहारे गुड़ी खड़ी की जाती है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा कहते हैं।

(3) शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ पथिक से क्या कहना चाहते हैं ? समझाइए।
उत्तर-
शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ पथिक से कहना चाहते हैं कि उसे अपने मार्ग से कहीं भी भटक नहीं जाना चाहिए। उसके मार्ग में कठिनाइयों-बाधाओं के काँटे आ सकते हैं; अनेक सौन्दर्यपूर्ण दृश्य सामने आकर तुम्हें प्रलोभित कर सकते हैं, लेकिन वे वास्तविक रूप से वैसे नहीं हैं जो दीखते हैं। उनकी सुन्दरता मृगतृष्णा के समान है। भ्रम है।

पथिक को अपने कर्तव्य पालन के कठिन कर्म के मार्ग पर आगे ही आगे बढ़ते जाना चाहिए। अपनी कल्पनाओं को (स्वप्नों को) साकार करो। यदि तुम्हें प्रथम प्रयास में असफलता मिले भी तो निराश होकर मार्ग भटक मत जाना।

कर्त्तव्य पालन के मार्ग में हमारे शत्रु बाधक बन सकते हैं। उत्तरदायित्व के निर्वाह में कदम-कदम पर बाधाएँ आयेंगी। तुम्हें अपने छोड़ जायेंगे। अकेले रह सकते हो, लेकिन कर्त्तव्य पथ का त्याग मत करना।

उत्तरदायित्व के निर्वाह में प्रेम बाधक नहीं बन जाए, इसका तुम्हें ध्यान रखना होगा। स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए भारत माँ माँग कर रही है कि आहुति दो। उस समय तुम्हें दुविधा (असमंजस) में नहीं पड़ना चाहिए। अपने कर्त्तव्य पथ पर अग्रसर होते जाना ही परमधर्म है।

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(4) रूपक अलंकार को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर-
रूपक अलंकार-उपमेय और उपमान के अभेद वर्णन को रूपक अलंकार कहते हैं अर्थात् जब उपमेय को उपमान का रूप दे दिया जाता है, तो वहाँ रूपक अलंकार होता है।

उदाहरण-

“अति आनन्द उमगि अनुरागा।
चरन सरोज पखारन लागा॥”

इन पंक्तियों में ‘चरन सरोज’ उपमेय और उपमान हैं। इनमें । अभेद आरोप प्रस्तुत किया गया है, अतः यहाँ रूपक अलंकार है।

(5) निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ लिखिए-
“किसी लोलुप नजर ने यदि हमारी मुक्ति को देखा।
उठेगी तब प्रलय की आग जिस पर क्षार सोई है।”
उत्तर-
भारत देश के हम नागरिकों ने अपने देश की सीमा को विस्तृत करना कभी नहीं चाहा है। साथ ही, हमने किसी अन्य देश की धन सम्पत्ति पर भी अपना कब्जा जमाने की इच्छा नहीं की है, लेकिन बिना किसी चूक के यह बात करने से नहीं रुकेंगे तथा कभी रुके भी नहीं हैं कि हम खून दे सकते हैं, लेकिन अपने प्रिय राष्ट्र (भारत) की जमीन का एक टुकड़ा भी नहीं देंगे। यदि किसी लालच भरी दृष्टि वाले देश ने इस पर आक्रमण करने की अथवा हमारे देश की आजादी को कुचलने की कोशिश की भी तो तत्काल ही विनाश की आग फूट पड़ेगी यद्यपि युद्ध की आग राख के अन्दर छिपी हो सकती है। कहने का तात्पर्य यह है कि हमारे अपने प्रिय देश पर किसी लालची दृष्टि वाले शत्रु-देश ने आक्रमण करने की कुचेष्टा की तो उस समय विनाश लीला की अग चारों ओर फैल जायेगी यद्यपि हम युद्ध नहीं चाहते। हम तो सदैव से शान्ति दूत रहे हैं।

(6) निम्नलिखित पंक्ति को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए
“राधा का मुख मानो कमल समान अति सुन्दर”
(1) पंक्ति में उपमेय क्या है ?
(2) पंक्ति में उपमान क्या है ?
(3) वाचक शब्द क्या है ?
(4) प्रयुक्त अलंकार का नाम लिखिए।
उत्तर-
(1) पंक्ति में ‘राधा का मुख’ उपमेय है।
(2) पंक्ति में ‘कमल’ उपमान है।
(3) मानो समान अति सुन्दर’ वाचक शब्द है।
(4) पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार ‘उत्प्रेक्षा’ है।

(7) ‘अपना स्वरूप’ कहानी का सार अपने शब्दों में लिखिए। उक्त पाठ वर्तमान में पाठ्य-पुस्तक से हटा दिया गया है।
उत्तर-
कहानीकार विजय गुप्ता ने इस कहानी में बहुत सफलता से यह स्पष्ट करने की कोशिश की है कि मनुष्य अपने विचारों की छाया दूसरों में देखता है। अच्छे विचारों वाले व्यक्ति को सभी लोग अच्छे लगते हैं और बुरे विचार वाले आदमी को सभी आदमियों में अनेक बुराइयाँ दीखती हैं। अतः हमें अपने स्वभाव को उत्तम से उत्तम बनाना चाहिए। इस तरह हम पूर्ण रूप से गुणवान बन सकते हैं।

बीरबल नामक व्यक्ति अपने सुन्दर वातावरण वाले गाँव से किसी शहर में जाता है। शहर में घूमते-घूमते उसने एक दुकान पर कोई वस्तु ऐसी देखी जिसमें वहाँ से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति की परछाईं दिखाई पड़ती थी। दुकानदार ने उसको बताया कि यह दर्पण है। उस दर्पण को लेकर वह घर लौट पड़ता है। अपनी पत्नी के लिए माला भी लाता है। पत्नी माला को पहनती है। लालचवश वह दर्पण को देखती है। उसमें वह अपनी परछाईं देखकर अचम्भित हो उठती है और वह सोचती है कि उसका पति सौतन लेकर आया है। उसकी सास और ससुर भी अपनी आकृति देखकर बहू के कथन से सहमत नहीं होते हैं। अन्त में बीरबल सबको बताता है कि यह दर्पण है। इसमें प्रत्येक आदमी को परछाईं वैसी ही दीखती है जैसा वह होता है।
इसलिए हमें अपने विचारों से उत्तम बनना चाहिए, अच्छे से अच्छा दिखने के लिए।

(8) ‘नन्हा सत्याग्रही’ पाठ से क्या शिक्षा मिलती है ? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
इस पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी अन्याय और अत्याचार को चुपचाप सहन नहीं करना चाहिए बल्कि उसके विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए। यदि उसके लिए संघर्ष भी करना पड़े तो हमें पीछे नहीं हटना चाहिए। उक्त पाठ वर्तमान में पाठ्य-पुस्तक से हटा दिया गया है।

(9) शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ द्वारा रचित ‘पथिक से कविता के कम से कम दो पद्यांश लिखिए।
उत्तर-
पाठ 16 के ‘सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या’ शीर्षक के अन्तर्गत देखें।

(10) ‘वसीयतनामे का रहस्य’ कहानी से क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर-
पाठ 17 के आधार पर विद्यार्थी स्वयं लिखें।

(11) रेडक्रास संस्था के उद्देश्यों को लिखिए।
उत्तर-
रेडक्रास संस्था के कुछ प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1. युद्धकाल में घायल एवं बीमार सैनिकों को चिकित्सीय सहायता उपलब्ध कराना।
  2. नर्सिंग एवं एम्बूलैन्स कार्य।
  3. मातृत्व एवं शिशु देखभाल।
  4. विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के कारण विस्थापित लोगों को सहायता प्रदान करना।
  5. विभिन्न देशों के मध्य शान्ति की स्थापना करना एवं उसे बनाये रखना।

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(12) निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए
विद्यालय में छात्र का चरित्र निर्माण होता है। निष्कपट और नि:स्वार्थ भाव से सेवा करने का पाठ भी यहीं सीखता है। गुरु की आज्ञा का पालन और राष्ट्रप्रेम का सन्देश भी यहीं मिलता है। यथाशक्ति मानवता को पोषित करने का भाव भी यहीं मिलता है। वास्तव में विद्यालय व्यक्तित्व निर्माण की कार्यशाला और राष्ट्रधर्म को अंकुरित करने की पौधशाला है।
(1) गुरु की आज्ञा मानने का सन्देश कहाँ मिलता
(2) रेखांकित शब्दों की सन्धि-विच्छेद कीजिए।
(3) पंक्तियों में आए सामासिक पद छाँटकर विग्रह कीजिए।
(4) विद्यालय में छात्र क्या-क्या सीखता है ?
उत्तर-
(1) गुरु की आज्ञा मानने का सन्देश विद्यालय में ही मिलता है।
(2) विद्यालय- विद्या + आलय, निष्कपट-नि: + कपट, नि + स्वार्थ = निः + स्वार्थ, राष्ट्रप्रेम = राष्ट्र + प्रेम, यथाशक्ति = यथा + शक्ति, राष्ट्रधर्म = राष्ट्र + धर्म, पौधशाला = पौध + शाला।
(3) यथाशक्ति, कार्यशाला, राष्ट्रधर्म।

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