MP Board Class 12th Hindi Swati Solutions गद्य Chapter 3 नये मेहमान (एकांकी, उदयशंकर भट्ट)
नये मेहमान अभ्यास
नये मेहमान अति लघु उत्तरीय प्रश्न
नए मेहमान MP Board Class 12th प्रश्न 1.
रेवती अपने घर को जेलखाना क्यों कहती है? (2015)
उत्तर:
चूँकि उसका घर छोटा, घुटन वाला तथा जीवन की सुविधाओं से रहित,जेलखाने की किसी कोठरी जैसा है। अत: वह घर को जेलखाने की संज्ञा प्रदान करती है।
नए मेहमान एकांकी के प्रश्न उत्तर MP Board Class 12th प्रश्न 2.
मकान छोटा होने के कारण विश्वनाथ किस बात से आशंकित हैं? (2014)
उत्तर:
छोटा मकान व भयंकर गर्मी के कारण विश्वनाथ इस बात से आशंकित हैं कि ऐसे में कहीं कोई मेहमान न आ जाये।
Naye Mehman Story In Hindi MP Board Class 12th प्रश्न 3.
“हे भगवान! कोई मुसीबत न आ जाए।” रेवती के इस कथन का आशय बताइए।
उत्तर:
रेवती गर्मी से परेशान है। साथ ही,घर में सोने के स्थान का भी अभाव है। किसी मेहमान के आने की सम्भावना की आशंका से ग्रसित हो वह कहती है कि ऐसे में कोई मेहमान न आ जाये।
प्रश्न 4.
नये मेहमान किस शहर से आये थे?
उत्तर:
नए मेहमान बिजनौर शहर से आये थे।
प्रश्न 5.
नन्हेमल और बाबूलाल किसके घर जाना चाहते थे? (2016)
उत्तर:
नन्हेमल और बाबूलाल कविराज रामलाल वैद्य के घर जाना चाहते थे।
नये मेहमान लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
गर्मी से बेहाल विश्वनाथ और रेवती के संवाद को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
गर्मी से बेहाल विश्वनाथ कहते हैं कि बड़ी गर्मी है। बंद कमरों में रहना कठिन है, मकान भंट्टी बना हुआ है। रेवती कहती है कि पत्ता भी नहीं हिलता। घड़े का पानी ठण्डा नहीं होता। वह घर को जेलखाना कहती है। पति से बर्फ लाने के लिए कहती है। पति का कथन है कि नया मकान मिलता ही नहीं है। पड़ोसी छत को छूने तक नहीं देते। दोनों आँगन में सोने के लिए बहस के साथ आशंकित हैं कि ऐसे में कोई मेहमान न आ जाये। इस गर्मी ने उनके लिए अनेक चिन्ताएँ और मुसीबतें खड़ी कर दी हैं।
प्रश्न 2.
नन्हेमल और बाबूलाल स्टेशन से सीधे विश्वनाथ के घर क्यों पहुँचे?
उत्तर:
नन्हेमल और बाबूलाल अपना परिचय इधर-उधर की बातों से जोड़कर बताते हैं। इस घटना से झुंझलाकर विश्वनाथ पूछते हैं कि क्या आप कोई चिट्ठी-विट्ठी लाये हैं। तब नन्हेमल कहते हैं कि संपतराम ने कहा था कि स्टेशन से उतरकर सीधे रेलवे रोड चले जाना,वहाँ कृष्णगली में वह रहते हैं। अतः उन्होंने वैसा ही किया और बिना नाम पूछे दरवाजा खटखटा दिया। गृहस्वामी ने दरवाजा खोला तो वे लोग उनके पीछे-पीछे घर में घुस आये।
प्रश्न 3.
नन्हेमल ने बिजनौर के किन सन्दर्भो का उल्लेख विश्वनाथ से किया?
उत्तर:
अपना परिचय देते हुए नन्हेमल ने कहा कि बिजनौर निवासी लाला संपतराम, जो उनके चाचा हैं, वे विश्वनाथ के बड़े प्रशंसक हैं तथा विश्वनाथ से कई बार मिल चुके हैं। दूसरे, नन्हेमल नजीबाबाद में सेठ जगदीश प्रसाद के यहाँ मिले थे। जगदीश प्रसाद बिजनौर में एक चीनी की मिल खोलने जा रहे हैं। इस प्रकार मेहमान अपरिचय के सेतु के दोनों सिरों को परिचय के सन्दर्भ में जोड़ने का व्यर्थ प्रयास करते हैं।
प्रश्न 4.
नन्हेमल और बाबूलाल के सही स्थान पर न पहुँचने का भेद कब खुला?
उत्तर:
विश्वनाथ नन्हेमल और बाबूलाल से पूछते हैं कि जिसके यहाँ आपको जाना है, संपतराम ने उसका नाम तो बताया होगा। तब वे दोनों कविराज का नाम बताते हैं। इस पर विश्वनाथ कहते हैं कि मैं कविराज नहीं हूँ, कहीं आप कविराज रामलाल वैद्य के यहाँ तो नहीं आये हैं। दोनों एक साथ चिल्लाते हैं, हाँ वही तो। हम कविराज रामलाल वैद्य के यहाँ आये थे। इस प्रकार सही स्थान पर न पहुँचने का भेद खुल जाता है।
प्रश्न 5.
आगन्तुक के आते ही रेवती के विचारों में क्या परिवर्तन हुआ और क्यों?
उत्तर:
आगन्तुक के आते ही रेवती के विचारों में परिवर्तन आया क्योंकि आगन्तुक अपरिचित नया मेहमान न होकर उसका अपना सगा भाई था। भाई के देखते ही रेवती के चेहरे पर खुशी आ जाती है। वह भाई से कपड़े उतारने के लिए कहती है। पंखा झलने लगती है और प्रमोद से ठण्डा पानी पिलाने के लिए कहती है। हलवाई के यहाँ से मिठाई लाने को कहती है। तेज गर्मी होने पर भी भाई के लिए खाना बनाना आरम्भ करती है।
नये मेहमान दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
एकांकी के आधार पर महानगरीय आवास समस्या पर विचार व्यक्त कीजिए।
अथवा
‘नये मेहमान’ एकांकी के आधार पर महानगरों की आवास की समस्या पर प्रकाश डालिए। (2009, 13)
उत्तर:
‘नये मेहमान’ एकांकी में लेखक उदयशंकर भट्ट ने महानगरों के मध्यम वर्ग की ‘आवास समस्या’ को प्रस्तुत किया है। विश्वनाथ तथा रेवती जैसी स्थिति के लोगों की दशा बहुत ही दयनीय है। आवास छोटा होने के कारण स्वयं उनको सोने के लिए स्थान का अभाव है, उस पर किसी मेहमान का आना अच्छी-खासी चिन्ता व चर्चा का विषय बन जाता है। पानी की समस्या हारी-बीमारी इत्यादि समस्याओं से आज के निम्न-मध्यमवर्गीय समाज को जूझना पड़ रहा है। इन समस्याओं के साथ पड़ोसियों के साथ ताल-मेल बैठाना और भी चिन्ता का विषय है। एकांकीकार ने इस यथार्थ स्थिति का चित्र उभारने में व्यंग्य-विनोद का सहारा, सरल व बोलचाल की भाषा के माध्यम से लिया है।
प्रश्न 2.
क्या नन्हेमल और बाबूलाल ने अपने वाक्चातुर्य से विश्वनाथ को प्रभावित किया? उनके कछ महत्त्वपर्ण संवाद लिखिए।
उत्तर:
नये मेहमान एकांकी को विकास की चरम सीमा पर ले जाने वाले पात्र तो वास्तव में नन्हेमल और बाबूलाल ही हैं, जिनके प्रत्येक वाक्य में बोलने की चतुराई है। अपने इसी गुण के चलते वे प्रत्येक घटना को घुमा-फिरा कर विश्वनाथ के समक्ष खड़ा कर देते हैं, जैसे बिजनौर के संपतराम को चचेरा भाई बताकर विश्वनाथ से मिलने की बात कहते हैं-“नजीबाबाद में भानामल की लड़की की शादी में आपसे मिले थे।” तथा “मुरादाबाद में जगदीश प्रसाद के यहाँ विश्वनाथ को देखा था।” दोनों वाचालता के साथ-साथ बेशर्म बनकर लेमन की बोतल की चर्चा करते हैं। बीच-बीच में गृहस्वामी की प्रशंसा करते जाते हैं।
इस प्रकार दोनों अपनी वाक्पटुता से अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं। विश्वनाथ उनकी चातुर्यपूर्ण बातों से प्रारम्भ में तो प्रभावित हुए से जान पड़ते हैं किन्तु वस्तुस्थिति को समझते ही वह उनसे प्रभावित नहीं होते हैं। अन्त में विश्वनाथ पूछ बैठते हैं कि उनके पास कोई चिट्ठी-विट्ठी है अथवा नहीं? भेजने वाले ने उनका नाम तो बताया होगा ? दोनों कहते हैं कि शायद कविराज बताया था। विश्वनाथ कहते हैं, “मैं तो कविराज नहीं हूँ।” अतः यह कहा जा सकता है कि दोनों वाक्पटुता में निपुण होने के बाद भी विश्वनाथ को प्रभावित करने में पूर्ण असफल रहते हैं।
प्रश्न 3.
रेवती का चरित्र-चित्रण कीजिए।
अथवा
रेघती के चरित्र की दो विशेषताएँ लिखिए। (2017)
उत्तर:
‘उदयशंकर भट्ट’ द्वारा रचित एकांकी ‘नये मेहमान’ की एक प्रमुख पात्र रिवती’ है जो इस एकांकी का एकल नारी पात्र है। साथ ही, वह मध्यमवर्गीय परिवार की गृहस्वामिनी का प्रतिनिधित्व भी करती है।
(1) पतिव्रता :
अनेक अभावों के मध्य तथा गर्मी के कारण झुंझलाते हुए भी वह पति की सुख-सुविधाओं का पूरा ध्यान रखती है। वह पति की आज्ञा का पालन करना भी जानती है। भीषण गर्मी में स्वयं आँगन में सोने के लिए कहती है तथा पति को ऊपर छत पर भेज देती है। सोचती है-रात में नींद न आयेगी,सबेरे काम पर जाना है। मेरा क्या है? पड़ी रहूँगी; इस प्रकार पति से बहुत प्रेम करती है।
(2) श्रेष्ठ गृहिणी :
रेवती में मध्यमवर्गीय परिवारों की गृहिणी के गुण स्पष्ट परिलक्षित होते हैं। वह मन से सबका आदर करना चाहती है परन्तु परिवार की परेशानियाँ, स्वभाव में शुष्कता पैदा कर देती है। पड़ोसी स्त्रियों, उनके अंधविश्वासों, पति और बच्चों की चिन्ता से परेशानी है। इस प्रकार रेवती भारतीय नारी का यथार्थ रूप प्रकट करती है।
(3) परिवार की समस्याओं से खिन्न :
एक ओर भीषण गर्मी है तो दूसरी ओर मकान का छोटा व घुटनवाला होना। बच्चों की बीमारी तथा बिजली के पंखे का न चलना,न नल में पानी का आना। ये सब परेशानियाँ रेवती को खिन्न स्वभाव वाला बना देती हैं। तब वह कह उठती है-“जाने कब तक इस जेलखाने में सड़ना होगा।”
(4) आतिथ्य-सेवा भाव से रहित :
अपरिचित मेहमान के आने पर अँझला जाती है तथा खाना बनाने की बात पर तुनक जाती है। खिसियाकर पति से कहती है कि “दर्द के मारे सिर फटा जा रहा है, फिर खाना बनाना इनके लिए और इस समय, आखिर वे आये कहाँ से हैं?” इस प्रकार रेवती आतिथ्य-सेवा भाव से रहित है। इसे मुसीबत समझकर तुनकमिजाज बन जाती है।
(5) पड़ोसियों के अशिष्ट व्यवहार से दुःखी :
रेवती के पड़ोस की स्त्रियों का व्यवहार अच्छा नहीं था। विशेष रूप से लाला की पत्नी बहुत लड़ाकू थी। वह पति से कहती है, क्या फायदा? अगर लाला मान भी लें तो वह दुष्टा नहीं मानेगी …… बड़ी डायन औरत है।”
(6) अपने पराये में भेद :
अपरिचित मेहमान के आने पर उसके सिर में दर्द होता है और वह खाना नहीं बना सकती। लेकिन जैसे ही उसका भाई आता है, उसमें उत्साह की लहर भर जाती है, सिर का दर्द ठीक हो जाता है, भाई को बिना खाये सोने नहीं देती है, बर्फ और मिठाई मँगवाती है। वह अपने तथा पराये के मध्य भेद रखती है।
(7) अंधविश्वासी :
रेवती संकुचित विचारधारा की स्त्री है। बच्चों को पड़ोसी की छत पर सोने देना नहीं चाहती है। उसके बजाए बच्चों को गर्मी में ही सुलाती है।
इस प्रकार रेवती में एक ओर कुछ अच्छाइयाँ हैं तो दूसरी ओर कुछ कमियाँ भी हैं। समग्र रूप में रेवती एक मध्यमवर्गीय नारी के गुणों से युक्त है।
प्रश्न 4.
एकांकी के तत्वों के नाम लिखते हए ‘नये मेहमान’ एकांकी के किसी एक तत्त्व पर अपने विचार लिखिए।
अथवा
एकाकी के तत्वों के आधार पर ‘नये मेहमान’ की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
नये मेहमान’ उदयशंकर भट्ट का एक यथार्थवादी एकांकी है, जिसमें आवास-समस्या को प्रधान रखा गया है। एकांकी के निम्नलिखित छ: तत्व होते हैं। उनके आधार पर इस एकांकी की समीक्षा निम्नलिखित है-
(1) कथावस्तु :
इस एकांकी की कथावस्तु पूर्णतः शृंखलाबद्ध है। प्रत्येक घटना क्रमबद्धता के धागे में पिरोई गई है। विश्वनाथ के संकोच,रेवती के नाक-भौं सिकोड़ने और नये मेहमानों की बेहयाई के त्रिकोण में हास्य-विनोद के साथ कथा आगे बढ़ती है। एकांकी में संकलनत्रय का पूर्ण निर्वाह हुआ है। पूरा एकांकी एक कमरे में घटित है। पूरे समय कौतूहल बना रहता है। कथानक सामाजिक है, जिसमें मध्यमवर्ग की आवास-समस्या को उठाया गया है।
(2) पात्र या चरित्र :
चित्रण-सफल एकांकी की दृष्टि से पात्रों की संख्या उचित है। मुख्य तीन पुरुष पात्र तथा एक नारी पात्र है। प्रथम, गृहस्वामी विश्वनाथ अपनी उदारता और दया के कारण कष्ट उठाता है। अन्य दो पुरुष पात्र नन्हेलाल तथा बाबूलाल हैं। दोनों बेशर्म तथा वाचाल हैं। दूसरों की परेशानी की उन्हें कोई चिन्ता नहीं। बिना उचित पते के अजनबी के मेहमान बन जाते हैं। उनका चरित्र एक विदूषक के समान है। रेवती अकेली नारी पात्र है जो पतिव्रता, तुनकमिजाज,श्रेष्ठ गृहिणी के साथ अनुदार व अंधविश्वासी विचारधारा की है। उसके साथ दो लड़के हैं-प्रमोद और किरण। अन्त में एक अन्य पुरुष पात्र आता है जो रेवती का भाई तथा वास्तविक मेहमान है। इसे आगन्तुक के नाम से सम्बोधित किया गया है।
(3) संवाद :
संवाद एकांकी के प्राण होते हैं जो कलेवर को सौन्दर्य प्रदान कर आकार देते हैं। संवाद छोटे-छोटे हैं परन्तु सारगर्भित हैं जो काव्य का-सा स्वाद व आनन्द देते हैं, देखिएबाबूलाल-उतना ही मैं भी। (दोनों गट-गट पानी पीते हैं किरण-(विश्वनाथ से धीरे से) फिर खाना। विश्वनाथ (इशारे से) ठहर जा जरा। नन्हेमल-कितने सीधे लड़के हैं। बाबूलाल-शहर के हैं न।
(4) भाषा-शैली :
भाषा साधारण खड़ी बोली है, जिसमें बोलचाल के शब्द हैं, जैसेकुर्सी इधर खिसका दो। उर्दू के शब्द भी हैं तारीफ, खूब,जरा। संस्कृत के तत्सम शब्द-क्षमा, साहित्यिक, मित्र। “चने की तरह भाड़ में भुनना” जैसे मुहावरों का प्रयोग है। भाषा में प्रवाह के साथ बोधगम्यता है। शैली सरल पर साधारण है। क्लिष्टता कहीं भी देखने को नहीं मिलती है।
(5) देश काल तथा वातावरण :
एकांकी में महानगरों के मध्यम वर्ग की आवास समस्या को प्रस्तुत किया गया है। उनके अपने बैठने-सोने को तो जगह होती नहीं, उस पर मेहमानों का सत्कार कैसे करें ? तंग गलियों में सटे मकान की छतों के पास-पास होने से पड़ोसियों के मध्य झगड़ने का दृश्य है। नलों में पानी का न आना। भीषण गर्मी का समय है।
(6) उद्देश्य बड़े :
बड़े नगरों की आवासीय समस्या को सहज ही उजागर करने की क्षमता इस एकांकी का उद्देश्य है। त्रस्त रेवती कह उठती है-“जाने कब तक इस जेल खाने में सड़ना पड़ेगा।” उधर विश्वनाथ भी परेशान हैं, क्योंकि नया मकान मिलता ही नहीं। लेखक ने इस समस्या का समाधान नहीं बताया है। एकांकी को रोचक बनाने के लिए व्यंग्य-विनोद का सहारा लिया गया है। मेहमानों का आना एक समस्या है। इसी उद्देश्य को चित्रित करने में नाटककार सफल हुआ है।
(7) अभिनेयता :
एकांकी के छ: तत्वों में इसकी गणना नहीं होती,क्योंकि अभिनेयता तो एकांकी की प्राण है। यह एकांकी प्रहसन की श्रेणी में सहज भाव से आ जाता है। मंचन की दृष्टि से यह एकांकी सफल है। पात्रों की गिनती का कम होना, भाषा सरल, वाक्य छोटे-छोटे होना, हास्य-व्यंग्य विनोद का होना इस एकांकी की अभिनेयता की नींव रखना है। इसका अभिनय और प्रसारण दोनों ही सफलतापूर्वक किये जा सकते हैं।
प्रश्न 5.
अपने मेहमान और पराये मेहमान के प्रति रेवती के व्यवहार में क्या अन्तर है? लिखिए।
अथवा
आगन्तुक के प्रति रेवती के आत्मीय व्यवहार से आप कहाँ तक सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए। (2009)
उत्तर:
अपने मेहमान तथा पराये मेहमान के प्रति रेवती के व्यवहार में जमीन-आसमान का अन्तर है। रेवती को पराये मेहमान बोझ जैसे प्रतीत होते हैं जबकि अपने मेहमान,जो उसका भाई है,को देखकर वह एकदम खिल उठती है और भोजन बनाने में जुट जाती है। मिठाई व बर्फ मँगाती है। उसकी प्रत्येक सुख-सुविधा का पूरा-पूरा ध्यान रखती है। उसके सिर का दर्द भी गायब हो जाता है। इस प्रकार अपने मेहमान (आगन्तुक) के प्रति रेवती की आत्मीयता से हम सहमत हैं।
नये मेहमान भाषा अध्ययन
प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
आग बरसना, चौपट हो जाना, पेट में चूहे कूदना, खून का घूट पीना।
उत्तर:
(i) शब्द – आग बरसना।
वाक्य प्रयोग :
ज्येष्ठ मास की दोपहरी में आसमान से आग बरसने लगती है।
(ii) शब्द – चौपट हो जाना।
वाक्य प्रयोग :
शहर में बाढ़ आने से लोगों के काम-धन्धे चौपट हो गये।
(iii) शब्द – पेट में चूहे कूदना।
वाक्य प्रयोग :
राजा ने सुबह से कुछ भी नहीं खाया। शाम होते-होते उसके पेट में चूहे कूदने लगे।
(iv) शब्द-खून का घूट पीना।।
वाक्य प्रयोग :
वह अपने पिताजी का अपमान होता देखकर भी खून के चूंट पीकर रह गया।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों के लिए एक शब्द लिखिए-
- यात्रियों के ठहरने का स्थान।
- जिसके आने की तिथि न मालूम हो।
- आयुर्वेदिक औषधियों से इलाज करने वाला।
- कविताएँ रचने वाला।
उत्तर:
- धर्मशाला
- अतिथि
- वैद्य
- कवि।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों में अशुद्ध वर्तनी वाले शब्दों की सही वर्तनी लिखिए
- जिवन में तुम्हें कोई सुख न दे सका।
- शायद वहाँ कोई साहितयिक मित्र हो।
- वह पड़ोसी की इसत्री चिल्ला रही है।
- मैं यह बरदाश नहीं कर सकता।
उत्तर:
- जीवन
- साहित्यिक
- स्त्री
- बर्दाश्त।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित गद्यांश में उचित विराम चिह्नों का प्रयोग कीजिए-
खाना तो खिलाना ही होगा तुम भी खूब हो भला इस तरह कैसे काम चलेगा दर्द के मारे तो सिर फटा जा रहा है फिर खाना बनाना इनके लिए और इस समय आखिर ये आए कहाँ से हैं
उत्तर:
खाना तो खिलाना ही होगा-तुम भी खूब हो। भला इस तरह कैसे काम चलेगा? दर्द के मारे तो सिर फटा जा रहा है, फिर खाना बनाना इनके लिए; और इस समय ‘आखिर ये आए कहाँ से हैं?
प्रश्न 5.
पाठ में चिट्ठी-पत्री और तार शब्दों का प्रयोग हआ है। आप भी अपने आने की सूचना पत्र द्वारा अपने रिश्तेदार को दीजिए।
उत्तर:
74-B, शालीमार एन्कलेव,
भोपाल
दिनांक : 30 मार्च,……
आदरणीय चाचाजी,
सादर चरण स्पर्श।
मैं यहाँ कुशलतापूर्वक हूँ। आपके पत्र द्वारा आपकी कुशलक्षेम भी ज्ञात हुई। आपने अपने पत्र में पूछा था कि मेरा गर्मियों की छुट्टियों का क्या कार्यक्रम है? सो मैं आपको सचित करना चाहता हूँ कि मैं अपनी अन्तिम परीक्षा देने के उपरान्त 5 अप्रैल को मालवा एक्सप्रेस से ग्वालियर पहुँचूँगा। शेष बातें आपसे मिलने पर होंगी।
मेरी ओर से पूज्य चाचीजी को सादर चरण स्पर्श। छोटी बहन शुभा तथा अनुज शुभम को हार्दिक स्नेह।
शेष शुभ ….
आपका भतीजा
क ख ग
नये मेहमान पाठ का सारांश
देश के शीर्षस्थ एकांकीकार ‘उदयशंकर भट्ट’ की प्रबल लेखनी से लिखित प्रस्तुत एकांकी ‘नये मेहमान’ में लेखक ने सामाजिक जीवन का यथार्थवादी व सशक्त चित्र प्रस्तुत किया है। प्रस्तुत एकांकी में आधुनिक महानगरों में रहने वाले निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों की कठिनाइयों का एक सरल-सी घटना के माध्यम से प्रभावी वर्णन किया गया है।
गृहस्वामी विश्वनाथ किसी बड़े नगर में अपने बच्चों के साथ किराये के मकान में रहते हैं। गर्मी का मौसम है, छोटा बेटा बीमार है, उसे खुली हवा वाला सोने का स्थान भी नहीं मिलता। उसी समय पहर रात गये दो मेहमान-बाबूलाल और नन्हेमल घर पर आ जाते हैं। संकोची स्वभाव वाले विश्वनाथ जी मेहमानों से सही ठिकाना जाने बिना उनकी आवभगत में लग जाते हैं, परन्तु उनकी पत्नी मेहमानों के लिए खाना भी नहीं बनाना चाहती है, उसका कारण वह अपने सिर का दर्द बताती है। मेहमान स्वयं को बिजनौर का निवासी बताकर जबरदस्ती विश्वनाथ से रिश्ता जोड़कर अपनी खातिर करवाने में लगे हैं। “मान न मान, मैं तेरा मेहमान” वाला मुहावरा चरितार्थ करने में रत हैं। अन्त में रहस्य खुलता है कि वे इसी मौहल्ले में रहने वाले कविराज वैद्य के यहाँ आये हैं। अतः विश्वनाथ को उन्हें उनके असली गन्तव्य तक पहुँचाना पड़ता है। इस अप्रत्याशित कष्ट से छुटकारा मिला ही था कि अचानक विश्वनाथ जी का साला वहाँ आ टपकता है। उसका स्वागत अभावों में भी आत्मीयता के साथ होता है। गृहस्वामिनी सिर में दर्द होने पर भी भाई के लिए प्रेमपूर्वक भोजन बनाती है, ठण्डे पानी का प्रबन्ध करती है और नहाने के लिए बार-बार कहती है।
एकांकी की कथावस्तु परिचित व यथार्थवादी है। संकलनत्रय का पूरा निर्वाह हुआ है। पूरा एकांकी एक कमरे में आधे घण्टे में घटित हुआ है। एकांकी हास्य को प्रकट करता है, तो जीवन की सच्चाई को भी प्रदर्शित करता है। नाटक का शिल्प,रंगमंच और रेडियो-रूपक दोनों के अनुकूल है। भाषा सामान्य जीवन के निकट और सरल है। संवाद छोटे-छोटे व सरल वाक्यों वाले हैं, जिनमें देशज व तद्भव शब्दों का प्रयोग हुआ है। इस प्रकार सम्पूर्ण एकांकी सामाजिक और मनोवैज्ञानिक सत्य का प्रदर्शन यथार्थ रूप में करने में सफल हुआ है।
नये मेहमान कठिन शब्दार्थ
बेहद = बहुत। निर्दयी = जिसके हृदय में दया न हो। हर्ज = हानि। सम्पन्न = अमीर। आगंतुक = आने वाला। कारोबार = व्यवसाय। वजह = कारण। चौपट होना = बरबाद होना। तुनककर = रूठकर।
नये मेहमान संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या
(1) वे तो हमें मसीबत में देखकर प्रसन्न होते हैं। उस दिन मैंने कहा तो लाला की औरत बोली: ‘क्या छत तुम्हारे लिए है? नकद पचास देते हैं, तब चार खाटों की जगह मिली है। न, बाबा, यह नहीं हो सकेगा। मैं खाट नहीं बिछाने दूंगी। सब हवा रुक जाएगी। उन्हें और किसी को सोता देखकर नींद नहीं आती।’
सन्दर्भ :
प्रस्तुत गद्य अवतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘नये मेहमान’ नामक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक देश के शीर्षस्थ एकांकीकार ‘उदयशंकर भट्ट’ हैं।
प्रसंग :
बड़े नगरों में किराये के मकान में रहने वालों के मध्यमवर्गीय समाज की परेशानियों का चित्रण अति सरल व सामान्य बोलचाल के माध्यम से किया गया है।
व्याख्या :
गर्मी का मौसम है। सोने के लिए खुली जगह की कमी है. परन्तु पडोसी की छत खाली होने पर भी कोई पड़ोसी उसे उपयोग में नहीं ला सकता है। रेवती पति से कहती है कि पड़ोसी-पड़ोसी को दुःखी देखकर प्रसन्न होते हैं। छत पर बच्चों को सुलाने की पूछने पर कहती है कि ऊँचा किराया देने पर ही ऐसा मकान मिला है, जिसमें खुली छत है। यह छत दूसरों के प्रयोग के लिए न होकर अपने प्रयोग के लिए है। दूसरों की खाट डालने से हवा रुक जायेगी तथा लाला को नींद भी नहीं आती है। मूल में भावना है कि यह छत किसी को नहीं दी जायेगी।
विशेष :
- पड़ोसी के स्वार्थी स्वभाव का चित्रण है।
- भाषा सामान्य बोलचाल की है, जिसमें देशज शब्द, जैसे-खाट तथा उर्दू शब्द, जैसे-मुसीबत का प्रयोग हुआ है।
- वाक्य अति संक्षिप्त किन्तु प्रभावशाली हैं।
(2) अरे खाने की भली चलाई, पेट ही भरना है। शहर में आए हैं तो किसी को तकलीफ थोड़े ही देंगे। देखिए पंडित जी, जिसमें आपको आराम हो, हम तो रोटी भी खा लेंगे कल फिर देखी जाएगी।
सन्दर्भ :
पूर्ववत्।
प्रसंग :
विश्वनाथ बाबूलाल और नन्हेमल से खाने के लिए पूछते हैं, तो वे तुरन्त तैयार हो जाते हैं।
व्याख्या :
बाबूलाल विश्वनाथ से कहते हैं कि खाना तो खायेंगे ही चाहे रोटी ही क्यों न हो। खाने को तो बहुत कुछ खा लेंगे। इस समय तो पेट भरने से मतलब है। यहाँ आप लोगों को तकलीफ देने थोड़े ही आये हैं। खाना तो पेट भरने के लिए चाहिए। भले ही पूड़ी-सब्जी हो या दाल-रोटी। कल की कल देखी जायेगी। वे बातों की चालाकी से न सिर्फ अपनी पसन्द बता रहे हैं बल्कि दूसरे दिन के खाने का प्रबन्ध भी कर रहे हैं।
विशेष :
- बाबूलाल की वाक्पटुता का प्रदर्शन है।
- वाक्यांशों के द्वारा कविता का आनन्द व भावों की गहराई परिलक्षित होती है।
- बोलचाल की भाषा से युक्त खड़ी बोली है।
- भाषा में सम्प्रेषणीयता है।