MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 6 शौर्य गाथा

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MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 6 शौर्य गाथा (कविता, महाकवि-भूषण)

शौर्य गाथा पाठ्य-पुस्तक पर आधारित प्रश्न

शौर्य गाथा लघु उत्तरीय प्रश्न

Shaurya Gatha Class 12 MP Board Chapter 6 प्रश्न 1.
किस प्रकार की सेना को चतुंरगिनी सेना कहा गया है?
उत्तर:
हाथी, घोड़े, रथ और पैदल सेना को चतुरंगिणी सेना कहा गया है।

Shauryagatha Class 12th MP Board Chapter 6 प्रश्न 2.
युद्ध के समय किसकी आवाज़ दूर-दूर तक सुनाई पड़ती थी?
उत्तर:
युद्ध के समय सेना में उत्साह उत्पन्न करने वाले नगाड़ों की आवाज़ दूर-दूर तक सुनाई पड़ती थी।

Hindi Makrand Class 12th MP Board Chapter 6 प्रश्न 3.
शत्रु-सैनिक किसकी आड़ लेकर शस्त्र चला रहे थे?
उत्तर:
शत्रु सैनिक मोर्चाबंदी की आड़ लेकर शस्त्र चला रहे थे।

प्रश्न 4.
कौन-कौन से शस्त्र शत्रु-सैनिक चला रहे थे?
उत्तर:
शत्रु सैनिक तोप, बंदूक और कोकबान जैसे शस्त्र चला रहे.थे।

प्रश्न 5.
कवि ने शेषनाग और उसकी संगिनी किसे कहा है?
उत्तर:
कवि ने छत्रसाल की भुजाओं को शेषनाग और उनकी बरछी को उसकी संगिनी कहा गया है।

प्रश्न 6.
कवि ने किन राजाओं के शौर्य का वर्णन किया है?
उत्तर:
छत्रपति महाराज शिवाजी और छत्रसाल के शौर्य का वर्णन किया है।

शौर्य गाथा दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
शिवाजी के युद्ध-अभियान का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
शिवाजी चतुरंगिणी सेना को अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित होकर, विजय प्राप्त करने के उद्देश्य से युद्ध-क्षेत्र की ओर प्रस्थान करते हैं। युद्ध-अभियान पर जाते समय युद्ध के परिचायक नगाड़े बड़े जोर-जोर से बजते हैं, जिससे सैनिक में साहस और उत्साह उत्पन्न होता है। हाथियों के गंडस्थल से अत्यधिक मद बहने लगता है। सेना के युद्ध अभियान पर जाने के कारण अत्यधिक धूल आकाश में छा जाती है। फलस्वरूपं सूर्य तारे के समान दिखाई देता है। हाथियों के परस्पर टकराने से ऐसा लगता है, मानो पर्वत उखड़े चले जा रहे हैं। विशाल सेना के युद्ध-अभियान के बढ़ते कदमों का दबाव इतना अधिक था कि समुद्र का जल थाली में पड़े पारे की तरह हिलता है।

प्रश्न 2.
शिवाजी की सेना ने किस प्रकार शत्रुओं पर आक्रमण किया?
उत्तर:
शिवाजी की सेना ने मोर्चाबंदी की ओट में छिपे शत्रुओं पर तोप, बंदूक और कोकबान से आक्रमण किया। इस आक्रमण से शत्रुओं की सेना में घबराहट उत्पन्न हो गई।

प्रश्न 3.
छत्रसाल की बरछी की विशेषताएँ लिखिए। (M.P. 2009, 2010)
उत्तर:
छत्रसाल की बरछी नागिन की भाँति शत्रुओं को चुन-चुनकर मारती है। वह शत्रुओं के शरीर. के कवचों, हाथी पर पड़ी लोहे के जाल में मछली की तरह सीधी घुसकर चीर देती है।

प्रश्न 4.
छत्रसाल की तलवार को प्रलयकालीन सूर्य के समान क्यों कहा है? (M.P. 2009; 2010)
उत्तर:
छत्रसाल की तलवार को प्रलयकालीन सूर्य समान कहा गया है, क्योंकि यह तलवार प्रलयकालीन सूर्य की महाज्वाला के समान चमकती है जो शत्रुओं के समूह रूपी अंधकार को चीरकर रख देती है।

प्रश्न 5.
‘कालिका-सी किलकि कलेऊ देति काल को’ का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शिवाजी की तलवार किलकारियाँ भरती हुई महाकाली के समान अति शक्तिशाली शत्रुओं को काट-काट कर यमराज को नाश्ते के रूप में भेंट करती है। भाव यह है कि शिवाजी की तलवार शत्रुओं को यमलोक पहुँचा देती है।

शौर्य गाथा भाव-विस्तार/पल्लवन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव विस्तार कीजिए –

  1. भुज-भुजगेस की वै संगिनी भुजंगिनी-सी, खेदि-खेदि खाती दीह, दारुन दलन के।
  2. बखतर पाखरन बीच धसि जाति मीन, पैरि पार जात परवाह ज्यौं जलन के।

उत्तर:

1. छत्रसाल की विशाल भुजाएँ शेषनाग के समान हैं जिनमें तलवार शेषनाग की नागिन की तरह है। जिस प्रकार नागिन अपने शत्रुओं को ढूँढकर डस लेती है उसी प्रकार छत्रसाल की नागिन रूपी तलवार अपने शत्रुओं को खोज-खोजकर मार डालती है। उनका वध कर देती है।

2. जिस प्रकार मछली पानी के तीव्र से तीव्र प्रवाह में सीधे घुसकर उसे चीरती हुई अंदर प्रवेश कर जाती है, उसी प्रकार छत्रसाल की बरछी शत्रुओं के सुरक्षा कवच और हाथी पर पड़ी लोहे की झूल (कवच) में सीधे अंदर घुसकर उन्हें चीर डालती है अर्थात् शत्रुओं को मार डालती है।

शौर्य गाथा भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित समोच्चरित शब्द युग्मों में अंतर स्पष्ट कीजिए –

  • तरणि – तरणी (M.P. 2010)
  • जाति. – जाती (M.P. 2010)
  • कांति – क्रांति
  • अगम – आगम

उत्तर:

  • तरणि – काले-काले बादलों ने तरणि को ढंक लिया।
    तरणी – इस लघु तरणी से यह सागर नहीं तरा जा सकता है।
  • जाति – संतों से उनकी जाति नहीं पूछना चाहिए।
    जाती – शांति स्कूल जाती है।
  • कांति – महर्षि का मुख अद्भुत कांति से दीप्त था।
    क्रांति – क्रांति की ज्वाला चारों ओर फैल गई है।
  • अगम – ईश्वर अगम, अगोचर है।
    आगम – आगम विविध प्रकार के ज्ञान के कोश होते हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित के समास-विग्रह कर उनके नाम लिखिए –
भटझोट, अरिमुख, तम तोम, मुंड माल, क्षितिपाल, प्रतिभट, धूरि धारा।
उत्तर:
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 6 शौर्य गाथा img-1

प्रश्न 3.
नीचे कुछ अनेकार्थी शब्द दिए गए हैं। उनको इस प्रकार के वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए ताकि उनके भिन्न-भिन्न अर्थ स्पष्ट हो जाएँ:
भूषण, काल, दल, मीन, पर, अर्क।
उत्तर:

  • भूषण – भूषण वीररस के कवि हैं।
    भूषण धारण करने से नारी की शोभा बढ़ जाती है।
  • काल – काल के ग्रास से कोई नहीं बच सकता।
    ऋतओं का काल चक्र बदल रहा है।
  • दल – वानर दल ने लंका पर हमला बोल दिया।
    इस पौधे के दल को कीड़े ने खा लिया है।
  • मीन – जल ही मीन का जीवन है।
    मीन राशिवालों के लिए आज का दिन शुभ है।
  • पर – शिकारी ने पक्षियों के पर काट दिए हैं।
    तुम तो आ गए, पर मुख्य अतिथि नहीं आए।
  • अर्क – पीपल पर अर्क चढ़ा दो।
    जंगली अर्क भी औषधि के काम आता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध कीजिए –

  1. आपसे मेरी केवल मात्र इतनी अपेक्षा है कि आप समय पर कार्यक्रम में पधारें।
  2. आपका भवदीय।
  3. शीला के मस्तक में भारी सर दर्द है।
  4. हमारे देश में गुलामी की दासता कई शताब्दियों तक छाई रही।
  5. आप सादर पूर्वक आमंत्रित हैं।

उत्तर:

  1. आपसे मेरी मात्र इतनी अपेक्षा है कि आप समय पर कार्यक्रम में पधारें।
  2. भवदीय।
  3. शीला के मस्तक में बहुत दर्द है।
  4. हमारे देश में गुलामी कई शताब्दियों तक छाई रही।
  5. आप सादर आमंत्रित हैं।

शौर्य गाथा योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
वीररस से ओतप्रोत कविताओं का संकलन कीजिए और उन्हें याद कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
सन् 1857 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के चित्रों का एलबम बनाइए।
उत्तर:
छात्र रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, नाना साहब, मंगल पांडे, बहादुरशाह जफर आदि के चित्रों के एलबम बनाएँ।

प्रश्न 3.
महाकवि भूषण के अन्य कविताओं को खोजिए तथा उन्हें शिवाजी जयंती एवं छत्रसाल जयंती के अवसर पर बालसभा में सुनाइए।
उत्तर:
छात्र अपने स्कूल के पुस्तकालय से भूपण द्वारा रचित पुस्तकें लेकर ऐसा कर सकते हैं।

शौर्य गाथा परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर –

प्रश्न 1.
शत्रु युद्ध भूमि में ऐसे पड़े हैं जैसे –
(क) पंख कटे निस्सहाय पक्षी पड़े हों
(ख) सर कटे हाथी पड़े हों
(ग) पैर कटे निस्सहाय पशु पड़े हों
(घ) सर कटे शव पड़े हों
उत्तर:
(क) पंख कटे निस्सहाय पक्षी पड़े हों।

प्रश्न 2.
नगाड़ों के बजने का कोलाहल…………है।
(क) बेसुरा
(ख) सीमाहीन
(ग) कानफोडू
(घ) अंतहीन
उत्तर:
(ख) सीमाहीन।

प्रश्न 3.
‘भुज भुजगेस……” कवित्त में मुख्य रूप से किसका वर्णन किया गया है?
(क) छत्रसाल के शौर्य का
(ख) छत्रसाल की बरछी का
(ग) छत्रसाल के साहस का
(घ) छत्रसाल द्वारा लड़े गए मयान व युद्ध।
उत्तर:
(ख) छत्रसाल की बरछी का।

प्रश्न 4.
छत्रसाल की बरछी की तुलना की गई है –
(क) मछली से
(ख) साँपिन से
(ग) काल से
(घ) यमराज से
उत्तर:
(क) मछली से।

प्रश्न 5.
‘सरजा’ किसे कहा गया है?
(क) शिवाजी को
(ख) छत्रसाल को
(ग) शत्रुओं को
(घ) हाथ को
उत्तर:
(क) शिवाजी को।

प्रश्न 6.
भुजंगिनी-सी में………..है –
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) उत्प्रेक्षा अलंकार
(ग) उपमा अलंकार
(घ) रूपक अलंकार
उत्तर:
(ग) उपमा अलंकार

प्रश्न 7.
‘खेदि-खेदि खाती दीह दारुन दलन के’ में प्रयुक्त………..अलंकार है।
(क) अनुप्रास
(ख) श्लेष
(ग) यमक
(घ) उपमा
उत्तर:
(क) अनुप्रास

प्रश्न 8.
शौर्य-गाथा में वर्णन किया गया है –
(क) देशी राजाओं की वीरता का
(ख) वीरतापूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं का
(ग) शिवाजी के शौर्य का
(घ) छत्रसाल के शौर्य का
(ङ) शिवाजी और छत्रसाल के शौर्य का
उत्तर:
(ङ) शिवाजी और छत्रसाल के शौर्य का।

II. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों के आधार पर करें –

  1. खेदि-खेदि खाती दी दारुन दलन ………. अलंकार का उदाहरण है। (उपमा/अनुप्रास)
  2. भूषण ………. के महान कवि हैं। (शृंगार रस वीररस)
  3. शिवा-शौर्य में ………. के वीरता के वर्णन किया गया है। (छत्रसाल शिवाजी)
  4. शौर्य-गाथा की भाषा ………. है। (ब्रजभाषा/अवधी)
  5. भूषण ………. के कवि हैं। (वीरगाथाकाल/रीतिकाल)

उत्तर:

  1. अनुप्रास
  2. वीररस
  3. शिवाजी
  4. ब्रजभाषा
  5. रीतिकाल।

III. निम्नलिखित कथनों में सत्य असत्य छाँटिए –

  1. भूषण शिवाजी के राज्याश्रित थे।
  2. कोकवान एक हथियार है।
  3. भूषण भक्तिरस के कवि हैं।
  4. भूषण रीतिकाल के कवि हैं।
  5. भूषण की भाषा अवधी है।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. सत्य
  5. असत्य।

IV. सही जोड़े मिलाइए –

प्रश्न 1.
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 6 शौर्य गाथा img-2
उत्तर:

(i) (ङ)
(ii) (ग)
(iii) (घ)
(iv) (ख)
(v) (क)।

V. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दीजिए –

प्रश्न 1.
चतुरंगिणी सेना किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस’ सेना में हाथी, रथ, घोड़े अर्थात् घुड़सवार, पैदल सेना सम्मिलित होती है, उसे चतुरंगिणी सेना कहते हैं।

प्रश्न 2.
सेना की उड़ती हुई धूल से आकाश में सूर्य कैसा दिखाई देता है?
उत्तर:
सेना की उड़ती हुई धूल से आकाश में सूर्य तारे के समान दिखाई देता है।

प्रश्न 3.
किसमें प्राण-रक्षा कठिन हो रही थी?
उत्तर:
मचानों की ओट में प्राण-रक्षा कठिन हो रही थी।

प्रश्न 4.
शिवाजी के आक्रमण से शत्रुओं की सेना में क्या उत्पन्न हो गई?
उत्तर:
शिवाजी के आक्रमण से शत्रुओं की सेना में घबराहट उत्पन्न हो गई।

प्रश्न 5.
छत्रसाल की तलवार को किसके समान कहा गया है?
उत्तर:
छत्रसाल की तलवार को प्रलयकालीन सूर्य की किरणों के समान कहा गया है।

शौर्य गाथा लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जोर-जोर से नगाड़े क्यों बजाए जाते हैं?
उत्तर:
सैनिकों में उत्साह भरने के लिए नगाड़े जोर-जोर से बजाए जाते हैं।

प्रश्न 2.
सेना के युद्ध के लिए प्रस्थान करने से सूर्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
सेना के युद्ध के लिए प्रस्थान करने से इतनी धूल उड़ती है कि सूर्य तारे जैसा दिखाई देता है।

प्रश्न 3.
कोकबान किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक विशेष प्रकार का तीर, जिसके चलने से एक विशेष ध्वनि निकलती है।

प्रश्न 4.
छत्रसाल की बरछी शत्रुओं के प्राण कैसे हरती है?
उत्तर:
छत्रसाल की बरछी शत्रुओं के प्राण नागिन की भाँति हरती है।

प्रश्न 5.
‘पच्छी परछीने ऐसे परे पर छीरे वीर’ का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
युद्धभूमि में वीर शत्रु ऐसे पड़े हैं जैसे पंख कटे निस्सहाय पक्षी।

प्रश्न 6.
युद्ध के समय किसकी आवाज दूर-दूर तक सुनाई पड़ती थी?
उत्तर:
युद्ध के समय नगाड़ों की आवाज दूर-दूर तक सुनाई पड़ती थी।

प्रश्न 7.
शत्रु सैनिक किसकी आड़ में शस्त्र चला रहे थे?
उत्तर:
शत्रु सैनिक मोर्चे की आड़ में शस्त्र चला रहे थे।

प्रश्न 8.
कवि ने शेषनाग और उसकी संगिनी किसे कहा है?
उत्तर:
कवि ने छत्रसाल की भुजा को शेषनाग और वरछी को उसकी संगिनी कहा है।

शौर्य गाथा दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
महाराज शिवाजी किस प्रकार और कहाँ जा रहे हैं?
उत्तर:
महाराज शिवाजी अपनी विशाल चुतरंगिणी सेना अर्थात् हाथी, घोड़े, रथ और पैदल सैनिकों को अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित करके शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के उद्देश्य से युद्धभूमि की ओर जा रहे हैं।

प्रश्न 2.
छत्रसाल की बरछी और भुजंगिनी में क्या साम्य है?
उत्तर:
जिस प्रकार नागिन सदैव शेषनाग के साथ रहती है और अपने शत्रुओं को खोज-खोजकर डसती है अर्थात् उनके प्राण ले लेती है, उसी प्रकार छत्रसाल की बरछी सदा उनकी भुजा के साथ रहती है और वह भी शत्रुओं को खोज-खोजकर संहार करती है। नागिन और बरछी दोनों शत्रुओं का संहार करती हैं। दोनों में यही साम्य है।

प्रश्न 3.
शिवाजी के वीर सैनिक किले पर कैसे कब्जा करते हैं?
उत्तर:
शिवाजी के वीर सैनिक खाई में छिपकर हमला करते हैं और शत्रुपक्ष के सैनिकों पर मिलकर धावा बोलते हैं। वे अपनी मूंछों को ताव देते हुए किले के कंगूरों पर पाँव टिकाते हुए शत्रुओं को घायल कर उनके किले के अंदर कूद पड़ते हैं और इस तरह शत्रु के किले पर कब्जा कर लेते हैं।

प्रश्न 4.
“कालिका-सी किलकि कलेऊ देती काल कों” का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शिवाजी की तलवार किलकारी भरती हुई महाकाली के समान विकट शत्रुओं को मार-काटकर महाकाल यमराज को भोग लगाने के लिए प्रस्तुत कर देती है। इस प्रकार शिवाजी की तलवार से बचना असंभव है।

प्रश्न 5.
छत्रसाल की बरछी की विशेषताएँ लिखिए। (M.P. 2009-10)
उत्तर:
छत्रसाल की बरछी नागिन के समान है। वह अपने शत्रुओं को चुन-चुनकर मारती है। वह अपने शत्रुओं के बख्तरों को फाड़कर उनके शरीर में इस प्रकार घुस जाती है, जैसे मछली जल की धारा को चीरती हुई आगे बढ़ जाती है।

शौर्य गाथा कवि-परिचय

प्रश्न 1.
महाकवि भूषण का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय:
वीररस के सुप्रसिद्ध महाकवि भूषण का जन्म उत्तर प्रदेश के जिला कानपुर के तिकवाँपुर गाँव में सन् 1613 ई० में हुआ था। इनके पिता का नाम पंडित रत्नाकर त्रिपाठी और भाई का नाम मतिराम था। इन्हें ‘भूषण’ की उपाधि चित्रकूट के. महाराज सोलंकी राजा रुद्रदेव से प्राप्त हुई थी। यह उपाधि इतनी प्रसिद्ध हुई कि लोग इस कवि का असली नाम भूल गए और भूषण के नाम से जानने लगे। ‘भूषण’ मध्य युग के वीररस के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं। इनकी कविताओं में ओज के साथ-साथ राष्ट्रीयता का स्वर भी है। ये कई राजाओं के आश्रय में रहे परन्तु महाराज शिवाजी और वीर केसरी. छत्रसाल के यहाँ अधिक समय थे। सन् 1715 में इनका देहांत हो गया।

साहित्यिक विशेषताएँ:
भूषण अपने समय के वीररस के सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाते हैं। उनके काव्य में तत्कालीन परिस्थितियों-समस्याओं का उल्लेख ही नहीं अपितु समाधान भी मिलता है। उनके काव्य में हिंदू नरेशों की असमर्थता, अविवेकशीलता और किंकर्तव्यविमूढ़ता का उल्लेख करके उनका समाधान और निराकरण दिखाया गया है। छत्रसाल की युद्धवीरता, दानशीलता, दयालुता एवं धर्म-परायणता का कविताओं में भूषण ने व्यापक वर्णन किया है, वीर रस की जैसी प्रबलता इनके काव्य में मिलती है, वैसी हिंदी अन्यत्र दुर्लभ है।

भाषा-शैली:
भूषण ने अपने काव्य में ब्रजभाषा का प्रयोग किया है। कहीं-कहीं इन्होंने अरबी, फारसी के शब्दों का भी निःसंकोच प्रयोग किया है। यद्यपि ब्रजभाषा में माधुर्य होता है किंतु इनकी कविता की भाषा में ओजगुण की प्रधानता है। इनकी भाषा में प्रवाह है। ‘भूषण’ ने विषयानुरूप शैली का प्रयोग किया है। अनुप्रास, रूपक और उपमा, उत्प्रेक्षा इनके प्रिय अलंकार हैं। इन्होंने मनहरण, छप्पय, हरिगीतिका आदि छंदों को अपनाया है।

रचनाएँ:
‘भूषण’ द्वारा रचित तीन ग्रंथ उपलब्ध हैं-शिवाभूषण, शिवाबावनी और छत्रसाल दशक। उन्हें हिंदी का प्रथम राष्ट्रीय कवि माना जाता है।

महत्त्व:
रीतिकालीन कवियों को मुख्य रूप से श्रृंगार रस का ही कवि स्वीकार किया जाता है किंतु ‘भूषण’ ने वीररस को अपनी कविता का मुख्य आधार बनाकर अपना विशिष्ट स्थान बनाया है। वीररस के कवियों में उनका महत्त्वपूर्ण स्थान है।

शौर्य गाथा पाठ का सारांश

प्रश्न 1.
‘शौर्य-गाथा’ कविता का सार लिखिए।
उत्तर:
‘शौर्य-गाथा’ कविता महाकवि भूषण’ द्वारा रचित है। इस कविता के पहले दो पदों में छत्रपति महाराज शिवाजी के शौर्य की प्रशंसा की गई है। ‘शिवा-शौर्य’ के दोनों छंदों को कवि द्वारा रचित ‘शिवाबावनी’ से लिया गया है। शिवा पराक्रम की प्रशंसा में रचे गए इन छंदों में कवि ने विभिन्न उपमाओं के माध्यम शिवाजी के ओजस्वीस्वरूप और उनके वीरतापूर्ण कार्यों का वर्णन किया है। शिवाजी जब अपनी चतुरंगिनी सेना सजाकर उसका नेतृत्व करते हुए आक्रमण हेतु प्रस्थान करते हैं, तब यह पृथ्वी उनकी सेना के संचालन से डोलने लगती है। जब यह सेना शस्त्र- संचालन करती है, तो शत्रु घायल होकर किले पर गिरने लगते हैं। कवि कहता है कि शिवाजी के साहस का वर्णन नहीं किया जा सकता है।

अगले दो छंदों में कवि ने वीर छत्रसाल के शौर्य का वर्णन किया है। वे छत्रसालकी वीरता की चर्चा करते हुए उनकी तलवार की शक्ति को अनेक उपमाओं से व्यक्त करते हैं। उनकी बरछी की भी तीक्ष्णता में कमी नहीं है। उनकी बरछी साँपिन की तरह अपने शत्रुओं को दौड़ा-दौड़ाकर खाती है।

शौर्य गाथा संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

प्रश्न 1.
साजि चतुरंग सैन अंग मैं उमंग धारि, सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत हैं।
भूषन भनत नांद बिहद नगारन के, नदी नद मद गैबरन के रलत हैं।
ऐलफैल खैलभैल खलक में गैल मैल, गजन की छैलपैल सैल उसलत हैं।
तारा सो तरनि धूरिधारा में लगत जिमि, थारा पर पारा पारावार यों हलतहैं॥1॥ (Page 22)

शब्दार्थ:

  • साजि – सजाकर।
  • चतुरंग सैन – चतुरंगिणी सेना (हाथी, अश्व, रथ औरपैदल)।
  • सरजा – शिवाजी की उपाधि।
  • जंग – युद्ध।
  • जीतन – जीतने, विजय प्राप्त करने।
  • नाद – अवाज़, ध्वनि।
  • बिहद – बेहद, सीमाहीन।
  • मद – हाथी के गंडस्थल से निकलने वाला मद, जल।
  • गैबरन – हाथी, गज।
  • रलत – बहना।
  • ऐलफैल – कोलाहल, शोर।
  • खैलभैल – समूह की हलचल।
  • गैल-गैल – गली-गली में।
  • खलक – संसार।
  • गजन – हाथी।
  • छैलपैल-भीड़ – भाड़।
  • सैल – पर्वत।
  • उसलत – उखड़ते हैं।
  • तरनि – सूर्य।
  • धूरि – धूल।
  • जिमि – जैसे।
  • थारा – थाली।
  • पारावार – समुद्र।

प्रसंग:
प्रस्तुत कविता वीररस के सुप्रसिद्ध कवि ‘भूषण’ द्वारा रचित शिवा-शौर्य, से उद्धृत है। इस कविता में शिवाजी की चतुरंगिणी, विशेषकर गज-सेना के युद्ध-क्षेत्र , की ओर प्रस्थान करने पर होने वाली हलचल का जीवंत चित्रण किया गया है।

व्याख्या:
कवि ‘भूषण’ कहते हैं कि जब सरताज शिवाजी अपनी चतुरंगिणी सेना (हाथी, घोड़े, रथ और पैदल सेना) को सजाकर और भुजाओं में उत्साह लेकर युद्ध विजय के लिए जाते हैं, तो उस समय नगाड़ों का भीषण स्वर सुनाई देता है। उनका शोर, कोलाहल सीमाहीन होने लगता है। सेना के हाथियों की कनपटियों से बहुत अधिक मद या जल बहने लगता है, जो नदी, नाले जैसा रूप धारण करता प्रतीत होता अर्थात् हाथियों की सेना अत्यधिक मस्ती और उत्साह में भरकर युद्ध के लिए आगे बढ़ रही हैं।

शिवाजी की विशाल अजेय सेना के युद्ध क्षेत्र की ओर प्रस्थान करने पर संसार की गली-गली में खलबली मच जाती है! अर्थात् शिवाजी की सेना संसार में खलबली मचाती हुई आगे बढ़ रही है। अत्यधिक भीड़-भाड़ के कारण हाथी परस्पर टकराते हुए एक-दूसरे को धकेलते हुए आगे बढ़ते हैं, तो ऐसा लगता है, मानो पर्वत अपनी जड़ों से उखड़कर धराशायी हो रहे हों। शिवाजी की इस विशाल सेना के युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए प्रस्थान करने से इतनी धूल उड़ रही है कि धूल से ढंके हुए आकाश में सूर्य तारे जैसा दिखाई दे रहा है। सेना के पैरों के प्रहार से समुद्र इस प्रकार हिलता है, जैसे थाली में पड़ा पारा हिलता है।

विशेष:

  1. युद्ध क्षेत्र की ओर प्रस्थान करती हुई सेना का सौन्दर्य अति बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है।
  2. गज-सेना के युद्ध-क्षेत्र की ओर प्रस्थान करने से होने वाली हलचल का जीवंत चित्रण किया गया है।
  3. अनुप्रास अलंकार की छटा प्रत्येक पंक्ति में है।
  4. ‘तारा सों तरनि’ में उपमा अलंकार है।
  5. ‘गैल-गैल’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
  6. सेना के प्रस्थान का अत्यंत बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन करने के कारण अतिशयोक्ति अलंकार है।
  7. भाषा वीररस के अनुकूल ओजस्वी प्रवाहमयी है।
  8. ब्रजभाषा है, वीररस और कवित्त छंद है।

काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
चतरंगिनी सेना में कौन-कौन-सी सेना सम्मिलित होती है?
उत्तर:
चतुरंगिनी सेना में हाथी, रथ, घोड़े ,अर्धात् घुड़सवार और पैदल सेना सम्मिलित होती है।

प्रश्न (ii)
शिवाजी अपनी चतुरंगिनी सेना सजाकर कहाँ जा रहे हैं?
उत्तर:
शिवाजी अपनी चतुरंगिनी सेना को अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित करके विजय प्राप्त करने के लिए युद्ध क्षेत्र की ओर जा रहे हैं।

प्रश्न (iii)
शिवाजी के सेना सहित युद्ध क्षेत्र की ओर प्रस्थान करने से पृथ्वी पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
शिवाजी जब सेना का नेतृत्व करते हुए शत्रु पर विजय प्राप्त करने के उद्देश्य से, क्षेत्र की ओर प्रस्थान करते हैं, तो यह पृथ्वी, सेना की हलचल से हिलने लगती है।

काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
‘साजि चतुरंग… यों हलत है’ पद का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाव-सौंदर्य:
प्रस्तुत पद में शिवाजी के पराक्रम और उनकी चतुरंगिनी सेना का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन किया गया है। कवि ने विभिन्न उपमाओं के द्वारा शिवाजी के ओजस्वी स्वरूप और उनकी सेना की हलचल के प्रभाव का चमत्कारी वर्णन किया है। उनकी सेना के प्रस्थान से हर ओर खलबली मच जाती है।

प्रश्न (ii)
प्रस्तुत पद का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शिल्प-सौंदर्य:
युद्ध क्षेत्र की ओर प्रस्थान करती हुई सेना का वीररस पूर्ण सौन्दर्य अति बढ़ा-चढ़ा कर वर्णन करने से अतिशयोक्ति अलंकार है। प्रस्थान करती सेना का जीवंत चित्रण है। अनुप्रास की छटा प्रत्येक पंक्ति में है। ‘तारा सों तरनि’ में उपमा अलंकार है। ‘गैल-गैल’ में पुनुरुक्ति प्रकाश अलंकार है। भाषा वीररस के अनुकूल ओजस्वी और प्रवाहमयी है। ब्रजभाषा है। काव्यांश में वीररस और कवित्त छंद है।

प्रश्न 2.
छूटत कमान बान बंदूक अरु कोकबान, मुसकिल होत मुरचानहूँ की ओटमें।
ताही समै सिवराज हुकुम कै हल्ला कियो, दावा बाँधि द्वेषिन पै बीरन लै जोसें।
भूषण भनत तेरी हिम्मति कहाँ लौ कहाँ, किम्मति इहाँ लगि है जाकि भट झोमें॥
ताव दै दै मूछन कंगूरन पे पाँव दै दै, घाव दै दै अरि मुख कूदि परै कोट में॥ (Page 23)

शब्दार्थ:

  • कमान – तोप।
  • कोकबान – एक विशेष प्रकार का तीर, जिसके चलने से एक विशेष ध्वनि निकलती है।
  • मुरचान – मोर्चाबंदी, युद्ध में सेना के रक्षार्थ खोदी हुई खाई।
  • ओट – आड़।
  • हुकुम – आज्ञा।
  • दावा – अधिकार।
  • द्वेषिन – शत्रुपक्ष।
  • हिम्मति – साहस, पराक्रम।
  • किम्मति – बहादुरी, महत्त्व।
  • भट – योद्धा।
  • झोट – समूह, झुंड।
  • अरि – शत्रु।
  • कोट – किला।

प्रसंग:
प्रस्तुत कवित्त वीररस के सुप्रसिद्ध कवि भूषण द्वारा रचित ‘शिवा शौर्य’ से लिया गया है। इसमें शिवाजी की विशाल बलशाली सेना के सैनिकों की वीरता और साहस का वर्णन किया गया है।

व्याख्या:
कवि भूषण कहते हैं कि युद्ध के मैदान में तोप, गोली और एक विशेष प्रकार की ध्वनि करने वाले बाणों की बौछार हो रही है। मचानों की ओट में भी प्राण-रक्षा करनी कठिन हो रही है। उस समय मराठे वीरों ने शिवाजी की आज्ञा से हिम्मत बाँधकर ऐसा प्रबल प्रत्याक्रमण किया कि शव वीरों के समूह में भी शोर पड़ गया है। हे शिवाजी! आपकी हिम्मत या साहस का कहाँ तक बखान किया जाए। आपकी वीरों के समूह में भी बड़ी प्रतिष्ठा है। आपके वीर सिपाही मूंछों पर ताव देते हुए शत्रु के मुखों पर घाव बना-बनाकर; अर्थात् उनको घायल कर वे उनके किलों में ही कूद पड़ते हैं।

विशेष:

  1. इसमें विभावना और अनुप्रास अलंकार है। ताव, पाव, घाव में अन्त्यानुप्रास अलंकार है।
  2. इसमें शिवाजी के असाधारण साहस का वर्णन किया गया है। जो केवल उनमें ही नहीं, बल्कि उनके साथियों में भी है। युद्ध प्रवीण शिवाजी के नेतृत्व में मराठों की भीषण प्रत्याक्रमण शक्ति का ओजमय शैली में वर्णन किया गया है। इसी कारण उनकी सदा विजय होती थी। – यहाँ पर शिवाजी का कुशल-योद्धा-रूप का वर्णन हुआ है।
  3. कथांश में वीररस है।

शौर्य-गाथा काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोतर

प्रश्न (i)
शत्रु सैनिक कहाँ से अस्त्र-शस्त्र चला रहे हैं?
उत्तर:
शत्रु सैनिक मचानों की ओर से विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र चला रहे हैं परंतु मचानों की ओट में भी प्राणरक्षा कठिन हो रहा है।

प्रश्न (ii)
इस कवित्त में किसका वर्णन किया गया है?
उत्तर:
इस पद में युद्ध स्थल का जीवंत चित्रण करने के साथ-साथ शिवाजी की विशाल बलशाली सेना के सैनिकों की वीरता और साहस का वर्णन किया गया है।

प्रश्न (iii)
शिवाजी के सैनिक किले पर किस प्रकार कब्जा करते हैं?
उत्तर:
शिवाजी के सैनिक मूंछों पर ताव देते हुए किले के कंगूरों पर पाँव टिकाते हुए और शत्रु सैनिकों को मारते, घायल करते हुए उनके किले में कूद पड़ते हैं। इस प्रकार वे शत्रु को हराकर उनके किले पर कब्जा कर लेते हैं।

काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
प्रस्तुत कवित्व का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाव-सौंदर्य:
इस कवित्व में कवि ने शिवाजी की बलशाली सेना के सैनिकों की वीरता और साहस का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन किया है। युद्ध स्थल की हलचलों, अस्त्र-शस्त्रों के चलने, विपक्षी सैनिकों पर आक्रमण, किले पर कब्जे संबंधी युद्ध दृश्यों का जीवंत चित्रण किया गया है।

प्रश्न (ii)
प्रस्तुत कवित्व का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शिल्प-सौंदर्य:
इसमें युद्ध क्षेत्र का सजीव चित्रण किया गया है। इसमें प्रत्येक पंक्ति में अनुप्रास अलंकार की छटा है। ताव, पाव, घाव में अन्त्यानुप्रास अलंकार है। ब्रजभाषा का ओजस्वी रूपं सामने आया है। वीर रस है। कवित्त छंद है।

प्रश्न 3.
निकसत म्यान, तें मयूखें प्रलैभानु कैसी, फारें तमतोम से गयंदन के जाल कों।
लागति लपटि कंठ बैरिन के नागिनी. सी, रुदहि रिझावै दै दै मुंडन के माल कों
लाल क्षितिपाल छत्रसाल महाबाहु बली, कहाँ लौं बखान करौं तेरी करवाल कों।
प्रतिभट कटक कटीले केते काटि-काटि, कालिका-सी किलकि कलेऊ देति कात्कों॥ (Page 23) (M.P. 2009)

शब्दार्थ:

  • निकसत – निकलते।
  • म्यान – तलवार की खोल।
  • प्रलै – प्रलय।
  • गयंदन के जाल – शत्रुओं के जाल।
  • भानु – सूर्य।
  • फार – फाड़कर।
  • तम – अंधकार।
  • लागत – लगती हैं।
  • लपटि – ज्वाला।
  • बैरिन – शत्रुओं की।
  • गयंदन – शत्रु।
  • जाल – समूह।
  • प्रतिभट – बहादुर।
  • कटक – सेना।
  • किलकि – किलकारी।
  • कलेऊ – भेंट।

प्रसंग:
प्रस्तुत कवित्त वीररस के सुप्रसिद्ध कवि भूषण द्वारा रचित ‘छत्रसाल-प्रशस्ति’ से लिया गया है। महाराज छत्रसाल की तलवार की शक्ति अवर्णनीय है। रूपकों और उपमाओं से छत्रसाल की तलवार की शक्ति को व्यक्त किया गया है।

व्याख्या:
महाराज छत्रसाल जब युद्ध करने लगते हैं, तब उनके म्यान से निकलती हुई तलवार की चमक प्रलयकालीन सूर्य-सी महाज्वाला के समान लगती है। यह चमकती हुई तलवार अपने शत्रुओं के समूह (जाल) रूपी घने अंधकार को चीरकर रख देने वाली है। उसकी लपट उनके शत्रुओं के कंठों में नागिनों के समान लपट जाने वाली दिखाई देती है। इस प्रकार से अपने शत्रु के मुंडों (सरों) की मालाओं को रखती हुई भगवान शंकर के गले में पड़ी हुई मुंडों की मालाओं को रिझाती हैं। महाराजाधिराज छत्रसाल महाबलवान हैं। इनकी वीरता की प्रशंसा कहाँ तक की जाए। ये तो अपने शत्रुओं की सेना को काट-काटकर काली के समान किलकारी देते हुए काल को भेंट चढ़ाते हैं।

विशेष:

  1. वीररस का सुंदर प्रवाह है।
  2. भाव सरस तथा प्रौढ़ है।
  3. चित्रोपमता नामक काव्य गुण है।
  4. प्रत्येक पंक्ति में अनुप्रास अलंकार की छटा है।
  5. उपमा और रूपक अलंकार है।
  6. कवित्त छंद में ब्रजभाषा में रचित है।

काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
‘निकसत म्यान… देति काल कों’ में किसका वर्णन किया गया है?
उत्तर:
इस कवित्त में छत्रसाल के शौर्य की चर्चा करते हुए उनकी तलवार की शक्ति का वर्णन किया गया है।

प्रश्न (ii)
छत्रसाल की तलवार शत्रुओं का संहार किन-किन के समान करती है?
उत्तर:
छत्रसाल की तलवार नागिन के समान, काली के समान अपने शत्रुओं का संहार करती है।

काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
प्रस्तुत कवित्त का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाव-सौंदर्य:
महाराज छत्रसाल के शौर्य और उनकी तलवार की शक्ति का बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया है। उनकी तलवारको अनेक उपमाओं द्वारा मंडित किया गया है। तलवार की शत्रुओं का संहार करने की शक्ति का वर्णन किया गया है।

शिल्प-सौंदर्य:
कवित्त की शैली ओजस्वी है। वीररस है। प्रत्येक पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है। उपमा और रूपक अलंकार है। कवित्त छंद ब्रजभाषा में रचित है।

प्रश्न 4.
भुज भुजगेस की वै संगिनी भुजगिनी-सी खेदि-खेदि खाती दीह दारुनदलन के।
बखतर पाखरन बीच धंसि जाति मीन, पैरि पार जात परवाह ज्यों जलन के॥
रैयाराव चंपति के छत्रसाल महाराज, भूषन सकै करि बखान को बलन के।
पच्छी पर छीने ऐसे परे पर छीने बीर, तेरी बरछी ने बर छीने हैं खलन के॥2॥ (Page 23)

शब्दार्थ:

  • भुज-भुजगेस – भुजा रूपी नाग, शेषनाग।
  • संगिनी – साथिन।
  • खेदि-खेदिखदेड़ – खदेड़कर, पीछा करती हुई।
  • दीह – दीर्घ, बड़ा।
  • बखतर – कवच।
  • पखारिन – हाथी के ऊपर पड़ी हुई लोहे की जाली।
  • मीन – मछली।
  • दारुन – भयंकर।
  • दलन – कुचलना।
  • पैरि – तैरकर।
  • परवाह – प्रवाह।
  • जलन – पानी।
  • बखान – कहना।
  • बलन – बलों।
  • पच्छी – पक्षी।
  • परछीने – पर-कटे।
  • बर – प्राण।
  • खलन – दुष्टों।

प्रसंग:
प्रस्तुत काव्यांश भूषण द्वारा रचित कविता ‘छत्रशाल शौर्य’ से उद्धृत · है। इसमें कवि भूषण ने वीर राजा छत्रसाल के पराक्रम की प्रशंसा की है।

व्याख्या:
हे राजा चंपतराय के सुपुत्र महाराज छत्रसाल! आपकी बर्थी आपकी भुजाओं रूपी शेषनाग की साथिन नागिन के समान है। यह बरछी भयंकर एवं क्रूर शत्रुओं के बड़े-बड़े समूहों का पीछा करती हुई उनके प्राणों को चुन-चुनकर खा जाती है। आपकी बरछी तो शत्रुओं के शरीर के कवचों और हाथी के ऊपर पड़ी लोहे की जाली में इस प्रकार सीधी घुस जाती है, जिस प्रकार कोई मछली पानी के प्रबल प्रवाह को चीरती हुई पार हो जाती है। भूषण कहते हैं-हे महाराज छत्रसाल ! आपकी शक्ति का मैं तो क्या कोई भी वर्णन नहीं कर सकता। आपकी बरछी से कट-कटकर शत्रु सिपाही धरती पर गिरकर इस प्रकार छटपटा रहे हैं, जैसे पर-कटे पक्षी छटपटाते हैं । हे वीर! आपकी बरछी ने आज दुष्टों (शत्रुओं) के प्राणों को छीन लिया है।

भावार्थ:
महाराज छत्रसाल! आपकी बरेली में अद्भुत बल है। वह शत्रुओं का संहार करने में निपुण है। आपकी बरछी इतनी तीक्ष्ण है कि शत्रुओं के कवच को भेदकर शरीर में फँस जाती है। उस बरछी, के कारण शत्रु आपसे भयभीत रहते हैं।

विशेष:

  1. बरछी की शक्ति और कार्य-क्षमता का बखान हुआ है।
  2. भुजंगिनी-सी, भुज-भुजगेस और परवाह ज्यों जलन में उपमा अलंकार है। ‘परछी, परछीने’ तथा ‘बरछी ने बरछीने’ में यमक अलंकार है।
  3. अनुप्रास अलंकार प्रत्येक पद में है।

काव्यांश पर आधारित विषय-वस्तु संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
कवि ने इस कवित्त में किस की प्रशंसा की है?
उत्तर:
कवि ने इस कवित्त में छत्रसाल की बरछी की तीक्ष्णता की प्रशंसा की है।

प्रश्न (ii)
छत्रसाल की बरछी का वर्णन किस प्रकार किया गया है?
उत्तर:
महाराज छत्रसाल की बरछी में अद्भुत बल है। वह अत्यंत तीक्ष्ण है। वह शत्रुओं का संहार करने में निपुण है। यह शत्रुओं के कवच को भेदकर शत्रुओं के प्राण हर लेती है। उस बरछी के कारण शत्रु छत्रसाल से भयभीत रहते हैं।

काव्यांश पर आधारित सौंदर्य-बोध संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न (i)
प्रस्तुत कविता का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाव-सौंदर्य:
कवि ने महाराज छत्रसाल की बरछी की बढ़ा-चढ़ाकर प्रशंसा की है। उनकी बरछी नागिन के समान शत्रुओं का चुन-चुनकर संहार करती है। वह शत्रुओं के कवच को भेदकर इस प्रकार घुस जाती है, जैसे मछली पानी में प्रवेश करती है। उनकी बरछी से शत्रु सैनिक कटकर ऐसे गिरते हैं, जैसे परकटे पक्षी गिरते हैं।

प्रश्न (ii)
प्रस्तुत कवित्त का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शिल्प-सौंदर्य:
छत्रसाल की बरछी का शक्ति और कार्य-क्षमता अति बढ़ा-चढ़ाकर करने से अतिशयोक्ति अलंकार है। उत्प्रेक्षा, उपमा और यमक अलंकार है। प्रत्येक पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है। ब्रजभाषा है। ओजस्वी शैली है। वीररस है। कवित्त छंद है।