MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 14 पत्र जो इतिहास बन गए

MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 14 पत्र जो इतिहास बन गए (पत्र, महात्मा गाँधी)

पत्र जो इतिहास बन गए पाठ्य-पुस्तक पर आधारित प्रश्न

पत्र जो इतिहास बन गए लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘बा’ का स्वास्थ्य सुधरने की जानकारी बापू को किसके द्वारा मिली?
उत्तर:
‘बा’ का स्वास्थ्य सुधरने की जानकारी डिप्टी गवर्नर (उपराज्यपाल) द्वारा मिली।

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प्रश्न 2.
बापूजी प्रातःकालीन स्वल्पाहार में किन पदार्थों को ग्रहण करने की सलाह देते थे?
उत्तर:
बापूजी प्रातःकालीन स्वल्पाहार में दूध और साबूदाना ग्रहण करने की सलाह देते थे।

प्रश्न 3.
गाँधी जी ने अक्षर ज्ञान में किन विषयों पर बल दिया है? और क्यों?
उत्तर:
गाँधी जी ने अक्षर ज्ञान में गणित और संस्कृत विषयों पर बल दिया है क्योंकि बड़ी आयु में इन्हें सीखना कठिन होता है।

प्रश्न 4.
गाँधी जी ने अपने पुत्र से व्यय के संबंध में कौन सी सावधानी रखने को कहा है?
उत्तर:
व्यय के एक-एक पैसे का हिसाब-किताब सावधानी से रखने को कहा है।

प्रश्न 5.
गाँधी जी के अनुसार ईश प्रार्थना करने का उपयुक्त समय क्या है?
उत्तर:
ईश प्रार्थना करने का सबसे उपयुक्त समय सूर्योदय से पहले है।

पत्र जो इतिहास बन गए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गाँधी जी का शिक्षा के प्रति क्या दृष्टिकोण था? (M.P. 2009)
उत्तर:
गाँधी जी का शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण था कि जो शिक्षा व्यक्ति में चरित्र-निर्माण की भावना और कर्तव्य की भावना उत्पन्न करे, वही सर्वश्रेष्ठ है। केवल अक्षरज्ञान शिक्षा नहीं है। सच्ची शिक्षा तो चरित्र-निर्माण और कर्तव्य-बोध है।

प्रश्न 2.
माँ की सेवा के माध्यम से अपने पुत्र को गाँधी जी क्या संदेश देना चाहते थे?
उत्तर:
माँ की सेवा के माध्यम से अपने पुत्र को गाँधी जी यह संदेश देना चाहते थे कि माँ की सेवा करना ही सच्ची शिक्षा है। यही तुम्हारा कर्तव्य है।

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प्रश्न 3.
गाँधी जी का ‘आधी शिक्षा’ से क्या अभिप्राय था?
उत्तर:
गाँधी जी का ‘आधी शिक्षा’ से अभिप्राय था-केवल अक्षरज्ञान प्राप्त करना या होना। उनके अनुसार जो शिक्षा व्यक्ति को केवल अक्षरज्ञान कराती हो और उसमें चारित्रिक सद्गुणों और कर्त्तव्य-बोध की भावना उत्पन्न नहीं करती है, वह आधी शिक्षा है।

प्रश्न 4.
गाँधी जी ने अपने पुत्र से अच्छा किसान बनने की अपेक्षा क्यों की?
उत्तर:
गाँधी जी की इच्छा थी कि उनके परिवार में एक किसान हो। वे भविष्य में खेती से ही अपना जीवन-निर्वाह करना चाहते थे इसीलिए उन्होंने अपने पुत्र से ‘अच्छा किसान बनने की अपेक्षा की है।

प्रश्न 5.
समय की पाबंदी के संबंध में गाँधी जी का क्या मत था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समय की पाबंदी के संबंध में गाँधी जी का मत था कि व्यक्ति को समय की पाबंदी रखनी चाहिए। समय की पाबंदी जीवन में आगे चलकर बड़ी सहायक सिद्ध होती है।

पत्र जो इतिहास बन गए भाव-विस्तार/पल्लवन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्ति का भाव-विस्तार कीजिए –

प्रश्न 1.
‘अमीरी की तुलना में गरीबी अधिक सुखद है।’
उत्तर:
अमीरी की तुलना में गरीबी व्यक्ति को अधिक सुख देती है। अमीरी में व्यक्ति में झूठे प्रदर्शन की भावना के साथ-साथ अभिमान की भावना घर कर जाती है। वह समाज से दूर हो जाता है। लोगों के मन में ईर्ष्या-द्वेष की भावना उत्पन्न हो जाती है। व्यक्ति अधिक से अधिक प्राप्त करने के चक्कर में लगा हुआ सदा असंतुष्ट रहता है। गरीबी में व्यक्ति संतुष्ट रहता है। उसके जीवन आवश्यकताएँ सीमित रहती हैं। वह सुख, शांति का अनुभव करता है। उसे धन की रक्षा की चिंता नहीं सताती।

प्रश्न 2.
‘मैं समझता हूँ कि केवल अक्षर ज्ञान ही शिक्षा नहीं है।’ उत्तर-गाँधी जी की दृष्टि में केवल अक्षरज्ञान प्राप्त करना शिक्षा नहीं है। सच्ची शिक्षा तो व्यक्ति में चारित्रिक सद्गुणों का विकास करती है। इसके साथ ही वह तो व्यक्ति में कर्तव्य पालन की भावना उत्पन्न करती है। उसे उत्तरदायित्व निभाने का बोध कराती है।

पत्र जो इतिहास बन गए भाषा-अनुशीलन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित का समास-विग्रह कर’ उनके नाम लिखिए –
प्रतिमास, अक्षर-ज्ञान, चरित्र-निर्माण, जीवन-निर्वाह, घर-खर्च।
उत्तर:
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 14 पत्र जो इतिहास बन गए img-2

प्रश्न 2.
क्या ‘सूर्योदय’ में संधि और समास दोनों हैं? यदि हाँ तो कैसे? इसी प्रकार के तीन अन्य शब्द लिखिए जिनमें संधि और समास दोनों हों।
उत्तर:
सूर्योदय में समास और संधि दोनों हैं।

सूर्योदय में संधि:
सूर्य + उदय। इसमें गुण संधि है। ‘अ’ स्वर के पश्चात् ह्रस्वः ‘उ’ है, अतः दोनों मिलकर ‘ओ’ हो गए हैं।

सूर्योदय में समास:
सूर्य का उदय। सूर्योदय में तत्पुरुष समास है। इसमें सूर्य और उदय मिलाकर समास बनाते हैं। इसमें ‘का’ विभक्ति का लोप हो जाता है।

तीन अन्य शब्द:
अछूतोद्धार, महोत्सव, हितोपदेश।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्यों का निर्देशानुसार रूपांतरण कीजिए –

  1. कुछ करने का अधिकार मुझे नहीं है। (प्रश्नवाचक)
  2. क्या वह फिर से चलने-फिरने लगी। (विधिवाचक)
  3. मैं पूर्ण रूप से शांति में हूँ। (निषेध वाचक)

उत्तर:

  1. मुझे कुछ करने का अधिकार क्यों नहीं है?
  2. वह फिर से चलने-फिरने लगी है।
  3. मैं पूर्ण रूप से शांति में नहीं हूँ।

प्रश्न 4.
नीचे लिखे वाक्यों के प्रकार बताइए –

  1. मैंने तुम्हें लिखना पसंद किया क्योंकि पढ़ने के समय तुम्हारा ही ध्यान मुझे बराबर रहता था।
  2. मुझे मालूम है कि तुम्हारे कुछ पत्र यहाँ आए हैं।
  3. गरीबी में ही सुख है।

उत्तर:

  1. संयुक्त वाक्य।
  2. मिश्र वाक्य।
  3. सरल वाक्य।

पत्र जो इतिहास बन गए योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
यदि आपके पिताजी ऐसा पत्र तुम्हें लिखें तो क्या उत्तर दोगे, सोचकर लिखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
आधुनिक कम्प्यूटर युग में ‘ई-पत्र’ लिखे जाते हैं। ज्ञात कीजिए कि उन्हें लिखने की क्या पद्धति है तथा उससे क्या फायदे हैं?
उत्तर:
छात्र अपने साइंस के अध्यापक से जानकारी प्राप्त करें या कंप्यूटर अध्यापक से पूछे।

प्रश्न 3.
विभिन्न महापुरुषों, साहित्यकारों, स्वतंत्रता सेनानियों और जेल यात्रियों ने अपनी संतानों या देशवासियों को प्रेरक पत्र लिखे हैं। उनकी जानकारी अपनी लघु पुस्तिका में लिखें और मनन करें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

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प्रश्न 4.
मध्य प्रदेश से प्रकाशित होने वाले हिंदी पत्रों और पत्रिकाओं की सूची बनाइए तथा उनके पतों पर लेख या कविता भेजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

पत्र जो इतिहास बन गए परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न –

प्रश्न 1.
गाँधी ने पत्र ……….. के नाम लिखा।
(क) कस्तूरबा
(ख) पंडित जवाहरलाल
(ग) पुत्र
(घ) डिप्टी गवर्नर
उत्तर:
(ग) पुत्र।

प्रश्न 2.
गाँधी जी ने अपने पुत्र के नाम पत्र में अपने संबंध में लिखा कि मैं……हूँ।
(क) पूर्णरूप से शांति में
(ख) पूर्णरूप से दुविधा में
(ग) पूर्णरूप से तनाव में
(घ) पूर्णरूप से मौन में।
उत्तर:
(क) पूर्णरूप से शांति में।

प्रश्न 3.
गाँधी जी को डिप्टी गवर्नर की उदारता से ज्ञात हुआ कि –
(क) ‘बा’ का स्वास्थ्य सुधर रहा है
(ख) पुत्र का स्वास्थ्य खराब है
(ग) पुत्र का स्वास्थ्य सुधर रहा है
(घ) पुत्र का स्वास्थ्य गिर रहा है
उत्तर:
(क) ‘बा’ का स्वास्थ्य सुधर रहा है।

प्रश्न 4.
गाँधी जी ने कहा कि ……….. ही शिक्षा नहीं है –
(क) आध्यात्मिक ज्ञान
(ख) पुस्तकीय ज्ञान
(ग) अक्षरज्ञान
(घ) धार्मिक ज्ञान
उत्तर:
(ग) अक्षरज्ञान।

प्रश्न 5.
जीवन में आगे चलकर बड़ी सहायक सिद्ध होगी यह ………..
(क) नियमितता
(ख) शिक्षा
(ग) ईश-प्रार्थना
(घ) आत्म-निर्भरता
उत्तर:
(क) नियमितता।

प्रश्न 6.
गाँधी जी ने अपने पुत्र से एक योग्य ……….. बनने की अपेक्षा की।
(क) डॉक्टर
(ख) सत्याग्रही
(ग) किसान
(घ) राजनेता
उत्तर:
(क) किसान।

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प्रश्न 7.
महात्मा गाँधी ने अपने पुत्र को पत्र तब लिखा, जब –
(क) वे आन्दोलन चला रहे थे
(ख) जब वे दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर थे
(ग) जब वे जेल में थे
(घ) जब वे दाण्डी यात्रा कर रहे थे।
उत्तर:
(ग) जब वे जेल में थे।

II. निम्नलिखित कथनों में सत्य/असत्य छाँटिए –

  1. गाँधीजी अक्षरज्ञान को ही शिक्षा समझते थे। (M.P. 2009)
  2. गाँधीजी को हर माह एक पत्र लिखने का अधिकार मिला था।
  3. गाँधीजी गरीबी की तुलना में अमीरी सुखद समझते थे।
  4. काम की अधिकता से मनुष्य को घबराना नहीं चाहिए।
  5. महात्मा गाँधी ने अपने पुत्र देवदास को पत्र लिखा।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. सत्य
  5. असत्य।

III. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों के आधार पर कीजिए – (M.P. 2012)

  1. गाँधीजी ने ………. को पत्र लिखा। (पुत्र/पत्नी)
  2. गाँधीजी अपने पुत्र को ………. बनाना चाहते थे। (किसान/वकील)
  3. पत्र में ………. की बीमारी का उल्लेख किया गया है। (बा/पुत्र)
  4. ‘बा’ के स्वास्थ्य की जानकारी ………. से हुई। (जेलर डिप्टी गवर्नर)
  5. ‘पत्र जो इतिहास बन गए’ के लेखक ………. हैं। (मणिलाल गाँधी/महात्मा गाँधी)

उत्तर:

  1. पुत्र
  2. किसान
  3. ‘बा’
  4. डिप्टी गवर्नर
  5. महात्मा गाँधी।

IV. निम्नलिखित के सही जोड़े मिलाइए –

प्रश्न 1.
MP Board Class 12th Hindi Makrand Solutions Chapter 14 पत्र जो इतिहास बन गए img-1
उत्तर:

(i) (ङ)
(ii) (ग)
(iii) (ख)
(iv) (घ)
(v) (क)।

V. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दीजिए –

प्रश्न 1.
रामदास और देवदास कौन थे?
उत्तर:
महात्मा गाँधी के सुपुत्र।

प्रश्न 2.
गाँधीजी ने किसको पत्र लिखा?
उत्तर:
अपने सुपुत्र मणिलाल गाँधी को।

प्रश्न 3.
‘बा’ कौन थी?
उत्तर:
महात्मा गाँधी की धर्मपत्नी।

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प्रश्न 4.
गाँधीजी ने पुत्र को क्या बनने के लिए कहा?
उत्तर:
किसान।

प्रश्न 5.
प्रार्थना नियमपूर्वक क्यों करनी चाहिए?
उत्तर:
प्रार्थना नियमपूर्वक करनी चाहिए, क्योंकि जीवन में यह बहुत सहायक सिद्ध होती है।

पत्र जो इतिहास बन गए लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
यह पत्र किसने किसको कहाँ से लिखा है?
उत्तर:
यह पत्र महात्मा गाँधी ने अपने पुत्र मणिलाल गाँधी को जेल से लिखा है।

प्रश्न 2.
महात्मा गाँधी ने पुत्र को ही पत्र लिखने का क्या कारण बताया है?
उत्तर:
महात्मा गाँधी को जेल में पढ़ते समय अपने पुत्र का ध्यान ही बराबर रहता था।

प्रश्न 3.
महात्मा गाँधी ने यह पत्र किस जेल से लिखा था?
उत्तर:
महात्मा गाँधी ने यह पत्र दक्षिण अफ्रीका की प्रिटोरिया जेल से लिखा था।

प्रश्न 4.
गाँधी जी को जेल में कितने पत्र लिखने और प्राप्त करने का अधिकार था?
उत्तर:
गाँधी जी को जेल में एक मास में एक पत्र लिखने और एक पत्र प्राप्त करने का अधिकार था।

प्रश्न 5.
गाँधी जी गरीबी में क्यों रहना चाहते थे?
उत्तर:
गाँधी जी को लगता था कि गरीबी में अधिक सुख है। इसलिए वे गरीबी में रहना चाहते थे।

प्रश्न 6.
गाँधीजी ने पत्र कहाँ से लिखा?
उत्तर:
गाँधीजी ने पत्र प्रिटोरिया जेल से लिखा।

प्रश्न 7.
गाँधीजी ने पत्र किसे और कब लिखा?
उत्तर:
गाँधीजी ने पत्र अपने सुपुत्र मणिलाल गाँधी को 15 मार्च, 1909 को लिखा।

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प्रश्न 8.
गणित और संस्कृत कब सीखनी चाहिए?
उत्तर:
गणित और संस्कृत छोटी उम्र में ही सीखनी चाहिए। बड़ी उम्र में ये विषय कम समझ में आते हैं।

पत्र जो इतिहास बन गए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गाँधी जी को अपने पुत्र से क्या आशा थी?
उत्तर:
गाँधी जी को अपने पुत्र से आशा थी कि उन्होंने जो जिम्मेदारी अपने पुत्र पर डाली है, वे उनके सर्वथा योग्य हैं और वह उस काम को अच्छी तरह से आनंद से निभा रहे होंगे।

प्रश्न 2.
गाँधी जी ने जेल जीवन में अध्ययन के द्वारा शिक्षा के संबंध में क्या निष्कर्ष निकाला?
उत्तर:
गाँधी जी ने जेल जीवन में अध्ययन के द्वारा शिक्षा के संबंध में निष्कर्ष निकाला कि अक्षर-ज्ञान ही शिक्षा नहीं है। सच्ची शिक्षा तो चरित्र-निर्माण और कर्तव्य का बोध है।

प्रश्न 3.
काम के संबंध में गाँधी जी का क्या दृष्टिकोण था?
उत्तर:
काम के संबंध में गाँधी जी का दृष्टिकोण था कि व्यक्ति को काम की अधिकता से नहीं घबराना चाहिए। उसे यह नहीं सोचना चाहिए कि यह काम कैसे होगा और पहले क्या करूँगा।

प्रश्न 4.
इस पत्र में गाँधी जी ने किन बातों पर बल दिया है?
उत्तर:
इस पत्र में गाँधी जी ने माँ की सेवा, शिक्षा में चरित्र-निर्माण की भावना, गरीबी की महत्ता, किसानी जीवन का महत्त्व, संस्कृत ज्ञान की उपयोगिता, मितव्ययता और ईश्वर की प्रार्थना पर विशेष बल दिया हैं।

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प्रश्न 5.
एक योग्य किसान बनने के लिए क्या-क्या आवश्यक है?
उत्तर:
एक योग्य किसान बनने के लिए यह आवश्यक है कि खेत में घास और गड्ढे खोदने में पूरा समय देना है। सभी औजारों को हमेशा साफ-सुथरा रखना चाहिए। यही नहीं उन्हें सुव्यवस्थित भी रखना चाहिए।

पत्र जो इतिहास बन गए लेखक-परिचय

प्रश्न 1.
महात्मा गाँधी का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय:
मोहनदास करमचंद गाँधी को विश्व महात्मा गाँधी के नाम से जानता है। प्रत्येक भारतवासी उनके नाम से परिचित है। भारतीय उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में जानते हैं। महात्मा गाँधी 20वीं शताब्दी के युगपुरुष हैं। उनका जन्म 2 अक्टबर, 1869 में गजरात के पोरबंदर में हआ था। आपके पिता का नाम करमचंद और माता का नाम पुतलीबाई था। आपकी माता बहुत धार्मिक प्रवृ 1 की थीं। उनका प्रभाव बेटे पर भी पड़ा।

उनकी प्रारंभिक शिक्षा भारत में हुई। उसके बाद बैरिस्टरी की शिक्षा प्राप्त करने के लिए वे इंग्लैंड चले गए। वे वहाँ से बैरिस्टरी की परीक्षा:पास करके भारत लौटे और वकालत करने लगे। तेरह वर्ष की आयु में कस्तूरबा से उनका विवाह हुआ। पोरबंदर के धनी व्यवसायी दादा अब्दुल्ला शेख के कुछ मुकदमे दक्षिण अफ्रीका में चल रहे थे। उन मुकदमों की पैरवी करने के लिए अब्दुल्ला शेख गाँधी जी को मई 1893 में अफ्रीका ले गए।

वहाँ गाँधी जी ने भारतीयों की दुर्दशा देखी। उन्होंने उनकी दुर्दशा देखकर उनके उद्धार के लिए आंदोलन चलाया। यह आंदोलन बिलकुल नए ढंग का था। यह आंदोलन ‘सत्याग्रह’ के नाम से जाना जाता है। इस आंदोलन के द्वारा उन्होंने भारतीयों के उद्धार करने में सफलता अर्जित की। अफ्रीका से भारतीयों को सत्याग्रह का मंत्र देकर वे भारत लौट आए। यहाँ आकर उन्होंने संपूर्ण भारत का भ्रमण किया और स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए चल रहे स्वतंत्रता आंदोलन की बागडोर सँभाली। सत्याग्रह आंदोलन, असहयोग आंदोलन तथा भारत छोड़ो आन्दोलन आदि चलाकर अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश किया।

इस तरह 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ। महात्मा गाँधी की मातृभाषा गुजराती थी। लेकिन उन्होंने अपनी दूरदृष्टि से हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया। उन्होंने हिंदी के महत्त्व को समझते हुए अपने अधिकांश भाषण हिंदी में दिए। वे सन् 1918 के हिंदी साहित्य सम्मेलन के अधिवेशन के सभापति बने। उन्होंने दक्षिण भारत में हिंदी-प्रचार की वृहद् योजना बनाई। वे हमेशा कहते थे, “स्वदेशाभिमान को स्थिर रखने के लिए हमें हिंदी सीखनी चाहिए।” महात्मा गाँधी, राम, कृष्ण, बुद्ध, ईसा, मुहम्मद आदि महान् विभूतियों की परंपरा में थे। 30 जनवरी, सन् 1948 ई० में एक धर्मांध ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।

रचनाएँ:
गाँधी जी के विपुल साहित्य को उनकी मृत्यु के बाद भारत सरकार के प्रकाशन विभाग ने ‘संपूर्ण गाँधी वाङ्मय’ नाम से प्रकाशित किया है। इसके अनेक – भाग अब तक प्रकाशित हो चुके हैं। आपकी आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ महत्त्वपूर्ण रचना है। आपने ‘हरिजन’ और ‘इंडिया’ नामक पत्र भी निकाले।

भाषा-शैली:
गाँधी जी की भाषा सरल हिंदी है। उन्होंने अपने विचारों को आम लोगों तक पहुँचाने के तत्सम, तद्भव, देशी-विदेशी शब्दों का निस्संकोच प्रयोग किया। उन्होंने अपने दार्शनिक विचारों को अत्यंत सरल भाषा में अभिव्यक्त किया।

पत्र जो इतिहास बन गए पाठ का सारांश

प्रश्न 1.
‘गाँधी जी का पुत्र के नाम पत्र’ का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
यह पत्र गाँधी जी ने 25 मार्च, 1909 को प्रिटोरिया जेल से अपने पुत्र मणिलाल गाँधी को लिखा था। गाँधी जी ने अपने पुत्र को बताया है कि उन्हें जेल में रहते हुए एक पत्र लिखने और एक पत्र प्राप्त करने का अधिकार मिला है। उन्होंने पुत्र को पत्र लिखने का कारण स्पष्ट करते हुए कहा कि पढ़ते समय उन्हें अपने पुत्र का ही ध्यान रहता है। उन्होंने अपने पुत्र को लिखा कि वह मेरे संबंध में चिंता न करे।

मैं पूर्णरूप से शांति में हूँ। आशा है कि ‘बा’ स्वस्थ हो गई होंगी। डिप्टी गवर्नर की उदारता से ही मुझे ज्ञात हो सका कि ‘बा’ का स्वास्थ्य सुधर रहा है। क्या वह फिर से चलने-फिरने लगी हैं? ‘बा’ और तुम्हें सुबह प्रतिदिन साबूदाने का प्रयोग करना चाहिए। मैंने तुम्हारे ऊपर जो उत्तरदायित्व डाला है, उसे तुम योग्यता से और आनंद से पूरा कर रहे होंगे।

वास्तविक शिक्षा अक्षर ज्ञान नहीं है। सच्ची शिक्षा तो चरित्र-निर्माण और कर्तव्य का बोध है। तुम्हें माँ की सेवा का अवसर मिला है। अपने दोनों भाइयों की भी देखभाल कर रहे हो। तुम्हारी अधूरी शिक्षा इसी से पूरी हो जाती है। तुम्हें याद रखना चाहिए कि हमें आगे गरीबी में रहना है; क्योंकि अमीरी की अपेक्षा गरीबी अधिक सुखद है। तुम्हें योग्य किसान बनना है और सभी औजारों को साफ-सुथरा और सुव्यवस्थित रखने हैं।

तुम्हें गणित, संस्कृत और संगीत में पूरा ध्यान देना चाहिए। तुम्हें हिंदी, गजराती और अंग्रेजी के चुने हुए भजनों एवं कविताओं का संग्रह करना है। काम की अधिकता से आदमी को घबराना नहीं चाहिए। घर-खर्च में जो भी व्यय करते हो, उसका पैसे-पैसे का हिसाब रखना चाहिए। गाँधी जी अपने पुत्र को नियमित प्रार्थना करने के संबंध में भी कहते हैं। उनका विचार है कि इस नियमितता से भविष्य में बड़ी सहायता मिलेगी। वे अपने पुत्र को लिखते हैं-मैं आशा करता हूँ कि पत्र को अच्छी प्रकार पढ़ने और समझने के बाद ही उत्तर दोगे।

पत्र जो इतिहास बन गए संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

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प्रश्न 1.
आशा है कि ‘बा’ अब अच्छी हो गई होंगी। मुझे मालूम है कि तुम्हारे कुलपत्र यहाँ आए हैं, लेकिन वह मुझे नहीं दिए गए। फिर भी डिप्टी गवर्नर की उदारता से मुझे मालूम हुआ है कि ‘बा’ का स्वास्थ्य सुधर रहा है। क्या वह फिर से चलने-फिरनेलगीं? ‘बा’ और तुम लोग सवेरे दूध के साथ साबूदाने बराबर ले रहे होंगे। (Page 66)
प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश महात्मा गाँधी द्वारा लिखित पाठ ‘पत्र जो इतिहास बन गए’ से उद्धृत है। यह पत्र महात्मा गाँधी जी ने अपने पुत्र मणिलाल गाँधी को 25 मार्च, 1909 को प्रिटोरिया जेल से लिखा था। वे इस गद्यांश में अस्वस्थ ‘बा’ के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, साथ ही उन्हें स्वस्थ रहने के लिए साबूदाना खाने की सलाह भी दे रहे हैं।

व्याख्या:
गाँधी जी इसमें आशा व्यक्त कर रहे हैं कि अब कस्तूरबा स्वस्थ हो गई होंगी। वे अपने पुत्र से कहते हैं-तुमने कई पत्र लिखे होंगे और वे पत्र जेल तक पहुँचे भी होंगे, परंतु दक्षिण अफ्रीका सरकार ने वे पत्र मुझे नहीं दिए। लेकिन यहाँ के डिप्टी गवर्नर की उदारता के कारण ही मुझे ज्ञात हो सका कि अब ‘बा’ के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है।

यदि वे उदारता न दिखाते तो मुझे ‘बा’ के स्वास्थ्य के संबंध में कछ पता ही नहीं चलता। गाँधी जी जानना चाहते हैं कि ‘बा’ फिर से चलने-फिरने लगी हैं या नहीं। वे अपनी पत्नी कस्तूरबा और पुत्र को सुबह प्रतिदिन दूध के साथ साबूदाना लेने का भी निर्देश दे रहे हैं। कहने का आशय यह है कि जेल में बंद गाँधी जी अपने पुत्र, पत्नी आदि के स्वास्थ्य के प्रति सचेत हैं। वे जेल में रहकर भी उन्हें खान-पान के संबंध में सचेत करते हैं।

विशेष:

  1. गाँधी जी की अपनी पत्नी कस्तूरबा के स्वास्थ्य संबंध में जानकारी प्राप्त करने की इच्छा व्यक्त हुई है।
  2. भाषा सरल खड़ी बोली है।

प्रश्न 2.
मैं यह जानता हूँ कि तुम्हें अपनी शि के प्रति असन्तोष है। जेल में मैंने यहाँ खूब पढ़ा है। इससे मैं समझता हूँ कि केवल अक्षर-ज्ञान ही शिक्षा नहीं है। सच्ची शिक्षा तो चरित्र-निर्माण और कर्तव्य का बोध है। यदि यह दृष्टिकोण सही है और मेरे विचार. से तो यह बिलकुल ठीक है, तो तुम सच्ची शिक्षा प्राप्त कर रहे हो। अपनी माँ की सेवा का तो अवसर तुम्हें मिला है और उसकी बीमारी के दुःख को जो तुम सहन कर रहे हो, इससे अच्छा और क्याहो सकता है। रामदास और देवदास को भी तुम सँभाल रहे हो। यदि यह काम तुम अच्छी तरह और आनंद से करते हो, तो तुम्हारी आधी शिक्षा तो इसी के द्वारा पूरी हो जातीहै। (Page 66)

शब्दार्थ:

  • असंतोष – संतुष्ट ने होना।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश महात्मा गाँधी द्वारा लिखित पाठ ‘पत्र जो इतिहास बन गए’ से उद्धृत है। महात्मा गाँधी ने यह पत्र अपने पुत्र को उस समय लिखा जब वे दक्षिण अफ्रीका की जेल में थे। इस गद्यांश में गाँधी जी ने माँ की सेवा, शिक्षा में चरित्र-निर्माण की भावना पर बल दिया है।

व्याख्या:
गाँधी जी अपने पत्र में पुत्र को लिखते हैं कि उन्हें ज्ञात है कि तुम्हारे मन में अपनी शिक्षा को लेकर असंतोष की भावना है। अर्थात् तुम्हें जो शिक्षा प्रदान की गई है अथवा दिलवाई गई है, उससे तुम संतुष्ट नहीं हो। गाँधी जी पत्र में लिखते हैं कि उन्होंने जेल में रहते हुए बहुत अध्ययन किया है। इस अध्ययन के आधार पर वे समझते हैं कि केवल अक्षर ज्ञान प्राप्त करना ही शिक्षा नहीं है। सच्ची शिक्षा तो वही होती है, जो व्यक्ति में चरित्र-निर्माण की भावना और कर्तव्य का पालन करने की भावना उत्पन्न करती है। भाव यह है कि गाँधी जी उसी शिक्षा को श्रेष्ठ मानते थे, जो व्यक्ति में चारित्रिक सद्गुणों का विकास करे और उसमें अपने कर्तव्यों को पहचानने और उनका पालन करने की भावना उत्पन्न करें।

गाँधी जी आगे पत्र में लिखते हैं कि यदि शिक्षा के प्रति मेरा यह दृष्टिकोण ठीक है और मेरे विचार में तो शिक्षा के प्रति यह दृष्टिकोण एकदम सही है तो इसमें कोई खराबी नहीं है। कुछ भी अनुचित नहीं है। इस दृष्टिकोण से देखा जाए, तो तुम सच्ची शिक्षा प्राप्त कर रहे हो। तुम्हें अपनी माँ की सेवा का अवसर (मौका) मिला है। तुम अपनी माँ की बीमारी का दुख सहन कर रहे हो, इससे अच्छा क्या हो सकता है? अर्थात् बीमारी में अपनी माँ की सेवा करना, उनके दुख का अनुभव करना, स्वयं दुखी होना और उनके प्रति अपने कर्तव्य का पालन करना सर्वश्रेष्ठ चारित्रिक गुण है। इसके साथ ही तुम अपने दोनों भाइयों रामदास और देवदास की भी देखभाल कर रहे हो। यदि यह काम तुम भली-भाँति कर रहे हो और प्रसन्नता के साथ निभा रहे हो, तो तुम्हारी आधी शिक्षा की पूर्ति, तो इससे ही हो जाती है।

विशेष:

  1. गाँधी जी ने भारतीय जीवन के मूल्यवान पक्षों का उल्लेख करते हुए शिक्षा के प्रति अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट किया है।
  2. भाषा सरल, स्पष्ट परिमार्जित खड़ी बोली है।
  3. विचारात्मक शैली है।

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प्रश्न 3.
अक्षर ज्ञान में गणित और संस्कृत में पूरा ध्यान देना। भविष्य में संस्कृत तुम्हारे लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगी। ये दोनों विषय बड़ी उम्र में सीखना कठिन हैं। संगीत में भी बराबर रुचि रखना। हिंदी, गुजराती और अंग्रेजी के चुने हुए भजनों एवं कविताओं का एक संग्रह तुम्हें तैयार करना चाहिए। वर्ष के अंत में, तुम्हें अपना यह संग्रह बहुत मूल्यवान प्रतीत होगा। काम की अधिकता से मनुष्य को घबराना नहीं चाहिए और न ही यही सोचना चाहिए कि वह कैसे होगा और पहले क्या करूँ। शांत चित्त से विचारपूर्वक तुमने यदि सभी सद्गुणों को प्राप्त करने की चेष्टा की, तो तुम्हारे लिए ये बहुत उपयोगी और मूल्यवान प्रमाणित होंगे। तुमसे मुझे यह भी आशा है कि घर-खर्च के लिए जो तुम खर्च करते हो, उसका पैसे-पैसे का हिसाब रखते रहो। (Page 66)

शब्दार्थ:

  • उपयोगी – लाभदायक।
  • उम्र – आयु।
  • मूल्यवान – कीमती।
  • चेष्टा – प्रयास।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश महात्मा गाँधी द्वारा रचित पाठ ‘पत्र जो इतिहास बन गए’ : से उद्धृत है। यह पत्र गाँधी जी ने जेल से अपने पुत्र मणिलाल गाँधी को लिखा है। इस गद्यांश में उन्होंने अपने पुत्र को गणित एवं संस्कृत के ज्ञान की उपयोगिता तथा चारित्रिक सद्गुणों को प्राप्त करने की महत्ता और मितव्ययता पर प्रकाश डालते हुए, इन्हें जीवन में अपनाने पर बल दिया है।

व्याख्या:
गाँधी जी अपने पत्र में अपने पुत्र को सलाह देते हैं कि अक्षर ज्ञान में गणित और संस्कृत विषय के अध्ययन पर पूरा ध्यान देना क्योंकि तुम्हारे आगामी जीवन में संस्कृत अत्यंत लाभदायक सिद्ध होगी। संस्कृत और गणित दोनों विषय ऐसे हैं जिन्हें बड़ी आयु में सीखना कठिन होता है। आयु बड़ी होने पर इन विषयों को नहीं सीखा जा सकता है। इन दोनों विषयों के साथ-साथ संगीत में भी अपनी रुचि बराबर बनाए रखना। तुम्हें हिंदी, गुजराती और अंग्रेजी के चुने हुए भजनों और कविताओं का एक संग्रह तैयार करना चाहिए।

वर्ष के अंत में यह संग्रह तुम्हें बहुत कीमती लगेगा। व्यक्ति को काम की अधिकता से कभी नहीं घबराना चाहिए। काम के संबंध में व्यक्ति को कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि यह काम या इतना काम कैसे होगा और पहले कौन-सा काम करूँ। भाव यह कि गाँधी जी पत्र में अपने पुत्र को सलाह देते हैं कि तुम्हें काम की अधिकता से नहीं घबराना चाहिए और नहीं यह सोचना चाहिए कि यह काम कैसे होगा और पहले कौन-सा काम प्रारंभ करूँ।

वे अपने पुत्र को कहते हैं कि तुमने शांत मन से अच्छी तरह सोच-विचार कर यदि सभी अच्छे गुणों को प्राप्त करने का प्रयास किया तो तुम्हारे लिए ये बहुत लाभदायक और कीमती सिद्ध होंगे। वे आगे लिखते हैं कि पुत्र! मुझे तुमसे यह भी उम्मीद है कि घर-खर्च; अर्थात् घर को सुव्यवस्थित ढंग से चलाने के लिए जो भी तुम व्यय करते हो, उसका भी पूरा हिसाब-किताब लिखते होगे। घर खर्च का पूरा ब्यौरा रखना उचित है।

विशेष:

  1. गाँधी जी ने अपने पुत्र को कई परामर्श दिए हैं उसके आगामी जीवन के लिए लाभदायक सिद्ध होंगे।
  2. भाषा सरल खड़ी बोली है।
  3. उपदेशात्मक शैली है।

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