MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति

खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मानव कल्याण में पशुपालन की भूमिका की संक्षेप में व्याख्यो दीजिए।
उत्तर
पशुपालन, पशुप्रजनन तथा पशुधन वृद्धि की एक कृषि पद्धति है। पशुपालन का संबंध पशुधन जैसे- भैंस, गाय, सूअर, घोड़ा, भेड़, ऊँट, बकरी आदि के प्रजनन तथा उनकी देखभाल से होता है जो मानव के लिए लाभप्रद हैं । इसमें कुक्कुट तथा मत्स्य पालन भी शामिल है। अति प्राचीन काल से मानव द्वारा जैसे-मधुमक्खी, रेशमकीट, झींगा, केकड़ा, मछलियाँ, पक्षी, सूअर, भेड़, ऊँट आदि का प्रयोग उनके उत्पादों जैसे-दूध, अंडे, माँस, ऊन, रेशम, शहद आदि प्राप्त करने के लिए किया जाता रहा है। विश्व की बढ़ती जनसंख्या के साथ खाद्य उत्पादन की वृद्धि एक प्रमुख आवश्यकता है।

पशुपालन खाद्य उत्पादन बढ़ाने के हमारे प्रयासों में मुख्य भूमिका निभाता है। शहद का उच्च पोषक मान तथा इसके औषधीय महत्व को ध्यान में रखते हुए मधुमक्खी पालन अथवा मौन पालन पद्धति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। डेरी उद्योग से मानव खपत के लिए दुग्ध तथा इसके उत्पाद प्राप्त होते हैं । कुक्कुट का प्रयोग भोजन के लिए अथवा उनके अंडों को प्राप्त करने के लिए किया जाता है। हमारी जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग आहार के रूप में मछली, मछली उत्पादों तथा अन्य जलीय जन्तुओं पर आश्रित है। हमारे देश की 70 प्रतिशत जनसंख्या पशुपालन उद्योग से किसी-न-किसी रूप में जुड़ी हुई है। पशुपालन हमारी अर्थव्यवस्था का आधार है। अत: मानव कल्याण में पशुपालन की बहुत बड़ी भूमिका है।

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प्रश्न 2.
यदि आपके परिवार के पास एक डेयरी फार्म है तब आप दुग्ध उत्पादन में उसकी गुणवत्ता तथा मात्रा में सुधार लाने के लिए कौन-कौन से उपाय करेंगे ?
उत्तर
डेयरी फार्म वह फार्म है जहाँ दुग्ध उत्पादों को प्राप्त करने के लिए दुग्ध उत्पादन करने वाले पशुओं जैसे-गाय, भैंस, ऊँट तथा बकरी आदि का पालन-पोषण किया जाता है। ऐसे कार्य जहाँ दूध का उत्पादन हो, उसे डेयरी प्रबंधन कहते हैं । डेयरी फार्म प्रबंधन में हम उन संसाधनों तथा तन्त्रों के विषय में अध्ययन करते हैं जिनसे दुग्ध की गुणवत्ता में सुधार तथा उसका उत्पादन बढ़ता है। दुग्ध उत्पादन मूल रूप से फार्म में रहने वाले पशुओं की नस्ल की गुणवत्ता पर निर्भर करता है।

अच्छी नस्ल का चयन तथा उनकी अच्छी उत्पादन क्षमता प्राप्त करने के लिए पशुओं की अच्छी देखभाल जिसमें उसके रहने के लिए अच्छा घर तथा पर्याप्त जल तथा रोगाणु मुक्त वातावरण होना चाहिए। पशुओं को भोजन प्रदान करने का तरीका वैज्ञानिक होना चाहिए। इसमें विशेषकर चारे की गुणवत्ता तथा मात्रा पर बल दिया जाना चाहिए। इसके अलावा दुग्धीकरण, दुग्ध उत्पादों का भण्डारण तथा परिवहन के दौरान सफाई तथा पशु एवं पशुपालकों का कार्य सर्वोपरि है। पशु चिकित्सकों से पशुओं की नियमित जाँच होनी चाहिए जिससे उनकी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ दूर कराई जा सकें।

प्रश्न 3.
नस्ल शब्द का क्या अर्थ है ? पशु प्रजनन के क्या उद्देश्य हैं ?
उत्तर
नस्ल (Breed)-जन्तुओं का वह समूह जिसके सदस्य कद-काठी,रंग-रूप व अन्य आकारिकी लक्षणों में समान तथा समान पूर्वज परम्परा के हों, नस्ल कहलाते हैं।
पशु प्रजनन के उद्देश्य-

  • पशु उत्पादन को बढ़ाना
  • पशु उत्पाद के वांछित गुणों में सुधार
  • रोग प्रतिरोधी पशुओं का विकास
  • अधिक व्यापक क्षेत्र हेतु अनुकूलन के लिए।

प्रश्न 4.
पशु प्रजनन में प्रयोग में लायी जाने वाली विधियों के नाम बताइये।आपके अनुसार कौनसी विधि सर्वोत्तम
है ? क्यों?
उत्तर
पशु प्रजनन की विभिन्न विधियाँ हैं-अंत:प्रजनन (inbreeding), बहि-प्रजनन (outbreeding), बहि:संकरण (outcrossing), संकरण (cross breeding) तथा अन्तःप्रजाति संकरण (interspecific Hybridization)। इन सब विधियों में संकरण सर्वोत्तम प्रजनन विधि है । इस विधि में दो भिन्न नस्लों के वांछित गुणों का बनने वाले संकर में संयोजन होता है। इस प्रकार बनने वाला संकर हेटेरोसिस (Heterosis) प्रदर्शित करता है। पशुओं की अनेक उन्नत-नस्लें इस विधि से विकसित की गई है, जैसे-करन स्विस व सुनन्दिनी गाय।

प्रश्न.5.
मौन (मधुमक्खी पालन) से आप क्या समझते हैं ? हमारे जीवन में इसका क्या महत्व है?
उत्तर
मधुमक्खी पालन-शहद के उत्पादन के लिए मधुमक्खियों के छत्तों का रख-रखाव ही मधुमक्खी पालन अथवा मौन पालन है। महत्व-मधुमक्खी पालन का हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है

  • शहद उच्च पोषक महत्व का आहार है तथा औषधियों में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
  • मधुमक्खियाँ मोम भी पैदा करती हैं जिसका कांतिवर्धक वस्तुओं की तैयारी तथा विभिन्न प्रकार के पॉलिश वाले उद्योगों में प्रयोग किया जाता है।
  • मधुमक्खियाँ हमारे बहुत से फसलों जैसे-सूर्यमुखी, सरसों, सेब तथा नाशपाती के लिए परागणक है। पुष्पीकरण के समय यदि इनके छत्तों को खेतों के बीच रख दिया जाये तो इससे पौधों की परागण क्षमता बढ़ जाती है और इस प्रकार फसल तथा शहद दोनों के उत्पादन में सुधार हो जाता है।

प्रश्न 6.
खाद्य उत्पादन को बढ़ाने में मत्स्यकी की भूमिका की विवेचना कीजिए।
उत्तर
मत्स्यकी एक प्रकार का उद्योग है जिसका संबंध मछली अथवा अन्य जलीय जीवों को पकड़ना, उनका प्रसंस्करण तथा उन्हें बेचने से होता है। हमारी जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग आहार के रूप में मछली, मछली उत्पादों तथा अन्य जलीय जन्तुओं आदि पर आश्रित है। भारतीय अर्थव्यवस्था में मत्स्यकी का महत्वपूर्ण स्थान है। यह तटीय राज्यों में विशेषकर लाखों मछुआरों तथा किसानों को आय तथा रोजगार प्रदान करती है।

बहुत से लोगों के लिए यही जीविका का एक मात्र साधन है। मत्स्यकी की बढ़ती हुई माँग को देखते हुए इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार की तकनीकें अपनाई जा रही हैं। मत्स्यकी उद्योग विकसित हुआ है तथा फला-फूला है, जिससे सामान्यत: देश को तथा विशेषत: किसानों को काफी आमदनी हुई। इसकी प्रगति को देखते हुए अब हम ‘हरित क्रांति’ की भाँति ‘नील क्रांति’ की बात करने लगे हैं।

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प्रश्न 7.
पादप प्रजनन में शामिल विभिन्न चरणों का संक्षेप में वर्णन कीजिये। .
उत्तर
पादप प्रजनन के विभिन्न चरण-विभिन्नताओं का संग्रह (Collection of variability), जनकों का मूल्यांकन तथा चयन (Evaluation and selection of parents), चयनित जनकों के बीच संकरण (cross hybridization among selected parents)। श्रेष्ठ पुनर्योजन का चयन तथा परीक्षण (selection and testing of superior recombinants), नये कृषकों का परीक्षण, नियुक्ति तथा व्यवसायीकरण (testing, release and commercialization of new cultivars)

प्रश्न 8.
जैव प्रबलीकरण का क्या अर्थ है ? व्याख्या कीजिये।
उत्तर
जैव प्रबलीकरण (Biofortification)-पोषक मान (Nutritional valye) बढ़ाने के उद्देश्य को लेकर किया पादप प्रजनन जैव प्रबलीकरण कहलाता है। पोषक मान से यहाँ तात्पर्य सूक्ष्म पोषक तत्व जैसेविटामिन्स या खनिज, अथवा वांछित अमीनो अम्ल अथवा स्वास्थ्यकारी वसा का स्तर है।
खाद्य पदार्थों में इन पोषक पदार्थों का स्तर बढ़ाकर जन स्वास्थ्य को सुधारने का सार्थक प्रयास किया जा सकता है।
पोषक गुणवत्ता के उन्नयन हेतु किया गया पादप प्रजनन निम्नलिखित को सुधारने के उद्देश्य से किया जाता है

  • प्रोटीन की मात्रा व गुणवत्ता (Protein content and quality)
  • तेल की मात्रा व गुणवत्ता (Oil content and quality)
  • विटामिन्स की मात्रा (Vitamin content)
  • सूक्ष्म पोषक व खनिज मात्रा (Micronutrient and mineral content)

सन् 2000 में मक्का की ऐसी संकर किस्म का विकास किया गया जिसमें महत्वपूर्ण अमीनो अम्ल लाइसिन (lysine) व ट्रिप्टोफेन (tryptophan) की मात्रा मक्का के उपलब्ध संकरों में इन अमीनो अम्लों की मात्रा से दोगुनी थी। शक्ति, रतन व प्रोटीन किस्में लाइसिन से भरपूर हैं।

प्रश्न 9.
विषाणु मुक्त पादप तैयार करने के लिए पादपों का कौन-सा भाग सर्वाधिक उपयुक्त है तथा क्यों?
उत्तर
पौधे के शीर्षस्थ व कक्षस्थ विभज्योतक (Apical and axillary meristem) विषाणुरहित होते हैं। अतः पौधों का शीर्षस्थ (apical) भाग विषाणुमुक्त पादप तैयार करने के लिए उपयुक्त है।

प्रश्न 10.
सूक्ष्म प्रवर्धन द्वारा पादप उत्पादन के मुख्य लाभ क्या हैं ?
उत्तर
सूक्ष्म प्रवर्धन (Micropropagation) द्वारा पादप उत्पादन के निम्न लाभ हैं

  • कम समय में बड़ी मात्रा में पौधे-तैयार किये जा सकते हैं।
  • इस प्रकार बने पौधे विषाणु रहित व स्वस्थ होते हैं।
  • पौधे एक वर्ष में तैयार हो जाते हैं। अनुकूल मौसम आने का इंतजार नहीं करना पड़ता।
  • जो पादप बीज बनाने में असमर्थ हैं उनका उत्पादन इस विधि से करना संभव है।

प्रश्न 11.
पत्ती में कौतक पादप के प्रवर्धन में जिस माध्यम का प्रयोग किया गया है, उसमें विभिन्न घटकों का पता लगाओ।
उत्तर
संवर्धन माध्यम के निम्न प्रमुख घटक होते हैं

  • कार्बन स्रोत-सुक्रोज या अन्य शर्करा।
  • अन्य कार्बनिक पदार्थ-अमीनो अम्ल, विटामिन।
  • अकार्बनिक लवण-पोटैशियम, फॉस्फोरस, कैल्सियम, सल्फर आदि के लवण।
  • वृद्धि नियामक (Growth regulator) हॉर्मोन्स-ऑक्सिन तथा साइटोकाइनिन।
  • जल।
  • अगर-अगर-माध्यम को ठोस बनाने हेतु।

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प्रश्न 12.
शस्य पादपों की किन्हीं पाँच संकर किस्मों के नाम बताइए जिनका विकास भारत वर्ष में हुआ है। .
उत्तर

  • धान-IR-36, पूसा, बासमती-1, जया, पदमा, रत्ना।
  • गेहूँ-सोनालिका, कल्यान, सोना, (HD-3090 पूसा अमूल्या 2013 में, (HD-3086 पूसा गौतमी 2013 में)।
  • मक्का -गंगा – 5, रंजीत नवजोत।
  • भिण्डी-पूस आवनी।
  • बैंगन-पूसा बैंगनी, पूसा क्रांति और मुक्तवेशी।

खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

1. पशुओं में गिल्टी रोग या एन्थ्रेक्स फैलता है
(a) जीवाणु द्वारा
(b) फफूंद द्वारा
(c) विषाणु द्वारा
(d) किलनी द्वारा।
उत्तर
(b) फफूंद द्वारा

प्रश्न 2.
गायों के गलघोटू रोग का जनक है
(a) ब्रुसेला एट्सि
(b) बेसीलस प्रजाति
(c) पाश्चुरेला बोवीसेप्टिका
(d) क्लॉस्ट्रीडियम।
उत्तर
(b) बेसीलस प्रजाति

प्रश्न 3.
खुरपका या मुंहपका रोग का रोगजनक जीव है
(a) कवक
(b) जवाणु
(c) विषाणु
(d) माइकोप्लाज्मा।
उत्तर
(a) कवक

प्रश्न 4.
वर्षा ऋतु के पश्चात् पशुओं में फैलने वाला प्रमुख रोग है
(a) काला ज्वर
(b) गलघो
(c) पोकनी
(d) एन्थ्रेक्स।
उत्तर
(b) गलघो

प्रश्न 5.
गलघोटू के टीके लगाये जाते हैं
(a) जनवरी-फरवरी में
(b) मार्च-अप्रैल में
(c) मई-जून में
(d) अक्टूबर-नवम्बर में।
उत्तर
(a) जनवरी-फरवरी में

प्रश्न 6.
पशुओं में प्लेग रोग का कारक है
(a) कवक
(b) जीवाणु
(c) विषाणु
(d) माइकोप्लाज्मा।
उत्तर
(b) जीवाणु

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प्रश्न 7.
धान्य पौधे का उदाहरण है
(a) गेहूँ
(b) धान
(c) मक्का
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 8.
सामान्य गेहूँ का वानस्पतिक नाम है
(a) ट्रिटिकम एस्टाइवम
(b) ट्रि.वल्गेर
(c) ट्रि.ड्यूरम
(d) ट्रि.मोनोकोक्कम।
उत्तर
(b) ट्रि.वल्गेर

प्रश्न 9.
धान किस कुल का सदस्य है
(a) ग्रैमिनी
(b) पैपिलियोनेसी
(c) यूफोर्बिएसी
(d) कम्पोजिटी।
उत्तर
(a) ग्रैमिनी

प्रश्न 10.
पद्मा एवं जया है
(a) गेहूँ
(b) धान
(c) चना
(d) मूंगफली।
उत्तर
(b) धान

प्रश्न 11.
रतनजोत का वानस्पतिक नाम
(a) पोंगेमिया पिन्नाटा
(b) रिसीनस कम्यूनिस
(c) जैट्रोफा करकस
(d) ब्रेसिका कम्पेस्ट्रिस।
उत्तर
(c) जैट्रोफा करकस

प्रश्न 12.
गेहूँ है एक
(a) फल
(b) बीज
(c) भ्रूण
(d) ग्लूम।
उत्तर
(b) बीज

प्रश्न 13.
कॉल्चीसीन निम्न में से कौन-सा प्रभाव डालता है
(a) D.N.A. द्विगुणन
(b) गुणसूत्रों का द्विगुणन
(c) स्पिण्डिल तन्तुओं का बनना
(d) मध्य पटलिका के बनने में अवरोधन।
उत्तर
(b) गुणसूत्रों का द्विगुणन

प्रश्न 14.
वह पौधा जिसमें बीज बनता है फिर भी वर्धी प्रजनन द्वारा उगाया जाता है
(a) आलू
(b) नीम
(c) आभ
(d) सेवन्ती।
उत्तर
(a) आलू

प्रश्न 15.
मानव निर्मित अन्न है
(a) ट्रिटिकम
(b) ट्रिटिकेल
(c) पाइसम
(d) गन्ना
उत्तर
(b) ट्रिटिकेल

प्रश्न 16.
सोनेरा 64 और लौरोजा 64A किस पादप की प्रजातियाँ हैं
(a) गेहूँ
(b) धान
(c) मटर
(d) मक्का ।
उत्तर
(a) गेहूँ

प्रश्न 17.
अगुणित नर पौधे किसके संवर्धन से तैयार किये जा सकते हैं
(a) पुतन्तु
(b) परागकण
(c) पुंकेसर
(d) पुमंग।
उत्तर
(b) परागकण

प्रश्न 18.
संकरण के समय फूल की कली से पुंकेसरों को हटाने की क्रिया कहलाती है
(a) कृप्स करवाना
(b) स्वनिषेचन
(c) विपुंसन
(d) टोपपिन।
उत्तर
(c) विपुंसन

प्रश्न 19.
बीज बुआई निर्भर करती है
(a) तापमान पर
(b) प्रकाश अवधि पर
(c) भूमि की नमी पर
(d) उपर्युक्त सभी पर।
उत्तर
(d) उपर्युक्त सभी पर।

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प्रश्न 20.
संकर ज्यादातर जनक से ओजस्वी होते हैं क्योंकि
(a) समयुग्मजता
(b) संकर ओज
(c) जनक ज्यादातर कमजोर होते हैं
(d) उपर्युक्त में से कोई भी नहीं ।
उत्तर
उत्तर

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. अच्छे गुणों वाले पशुओं को प्रजनन हेतु चुनना ………………. कहलाता है।
2. दो भिन्न आनुवंशिक गुणों वाले पशुओं के मध्य संकरण ……. कहलाता है।
3. मुर्गियों का रानीखेत रोग सर्वप्रथम उ.प्र. के ………………. जिले में देखा गया।
4. पाउल पॉक्स रोग ………………. के द्वारा होता है।
5. पशुओं का खुरपका-मुँहपका रोग ………………. के द्वारा होता है।
6. कोशिकाओं के अविभाजित एवं असंगठित समूहों को ………………. कहते हैं।
7. पुष्पों से पुंकेसर या परागकोषों को हटाना ………………. कहलाता है।
8. ऊतक संवर्धन हेतु चयनित पौधों को ……………… कहते हैं।
9. टोटीपोटेन्सी की खोज ……………… ने की थी।
10. गेहूँ का वानस्पतिक नाम ……………… है।
11. कोशिका की पुनर्जनन क्षमता को ……………… कहते हैं।
12. कैलस कोशिकाओं का अन्य कोशिकाओं में विभेदन …………. कहलाता है।
13. स्केलिंग ………………. युक्त पौधों में वर्धी प्रसारण की महत्वपूर्ण विधि है।
14. ट्रिटिकम वल्गेर में गुणसूत्र की कुल संख्या ……………… होती है।
15. मूंगफली …………….. कुल की सदस्य है।
16. करंज का वानस्पतिक नाम ………………. है।
17. ………………. प्रथम GM फसल है।’
18. ………………. को देश का धान का कटोरा कहते हैं।
19. कोशिका की पुनर्जनन क्षमता को …………….. कहते हैं।
20. कैलस कोशिकाओं का अन्य कोशिकाओं में विभेदन ………………. कहलाता है।
21. निकट संबंधी में प्रजनन ………………. कहलाता है।
22. किसी पादप को प्राकृतिक आवास से निकालकर नई जलवायु वाले आवास में स्थापित करना …………… कहलाता है।
23. विभिन्न नस्ल के शुद्ध जन्तुओं के नर-मादा के मध्य होने वाले सहवास को …………….. कहते हैं ।
उत्तर

  1. वरण या चयन
  2. बहिः प्रजनन
  3. कुमायूँ
  4. विषाणु
  5. विषाणु
  6. कैलस
  7. विपुंसन
  8. एलीट
  9. स्टीवर्ड
  10. ट्रिटिकम वल्गेर
  11. पूर्णशक्तता
  12. कोशिका विभेदन
  13. शल्ककंद
  14. 42
  15. पैपिलिओनेसी
  16. पोंगेमिया पिन्नाटा
  17. फ्लेवर-सेवर टमाटर
  18. छत्तीसगढ़
  19. पूर्णशक्तता
  20. कोशिका विभेदन
  21. समप्रजनन
  22. पुरःस्थापन
  23.  संकरण।

3. सही जोड़ी बनाइये

I. ‘A’ -‘B’

1. विष ज्वर (एन्थ्रेक्स) – (a) विषाणु
2. क्लॉस्ट्रीडियम स्कर्वी – (b) वैसिलरी सफेद दस्त
3. रानीखेत रोग – (c) मुर्गियों का खूनी दस्त
4. कॉक्सीडिया – (d) गाय
5. साल्मोनेला पुलोरम – (e) लंगड़ी ज्वर।
उत्तर
1. (d), 2. (e), 3. (a), 4. (c), 5. (b)

II. ‘A’ – ‘B’

1. ट्रिटिकेल – (a) हेक्साप्लॉइड
2. ऊतक संवर्धन – (b) परागकोषों को हटाना
3. ट्रिटिकम एस्टीवम – (c) एलीट
4. टोटीपोटेन्सी – (d) गेहूँ एवं राई
5. विपुंसन – (e) स्टीवर्ड।
उत्तर
1. (d), 2. (c), 3. (e), 4. (a), 5. (b)

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III. ‘A’ – ‘B’

1. सोनालिका 5308 – (a) जैव ईंधन
2. जिया मेज – (b) जैव पीड़कनाशी
3. जैट्रोफा (रतनजोत) – (c) संवर्धन
4. आक – (d) मक्का
5. अगर – (e) गेहूँ।
उत्तर
1. (e), 2. (d), 3. (a), 4. (b), 5. (c).

4. एक शब्द में उत्तर दीजिए

1. भारतवर्ष में हरित क्रांति का प्रारंभ कब हुआ था ?
2. बल्ब (शल्ककन्द) वाले पौधों में वर्धी प्रसारण को क्या कहते हैं ?
3. किन्हीं दो धान्य के नाम लिखिए।
4. किसी मानवनिर्मित फसल का नाम लिखिए।
5. दो भिन्न जातियों के संकरण से उत्पन्न जीव को क्या कहते हैं ?
6. पुष्प से अपरिपक्व परागकोषों को हटाने को क्या कहते हैं ?
7. संकर प्रोजेनी का अपने जनकों से ओजस्वी होना क्या कहलाता है ?
8. मधुमक्खी पालन को क्या कहते हैं ?
9. मछलीपालन को क्या कहते हैं ?
10. कोशिकाओं के अविभाजित एवं असंगठित समूह को कहते हैं ?
उत्तर

  1. 1960
  2. कृत्रिम पादप प्रसारण
  3. गेहूँ, चावल
  4. ट्रिटिकेल
  5. संकर
  6. विपुंसन
  7. संकर ओज,
  8. एपीकल्चर
  9. फिशरी
  10. कैलस।

खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हिसारडैल क्या है ?
उत्तर
हिसारडैल भेड़ की एक नस्ल है।

प्रश्न 2.
पारजीनी गाय रोजी से उत्पन्न दूध की क्या विशेषता है ?
उत्तर
पारजीनी गाय रोजी के दूध में वसा की मात्रा कम तथा प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है।

प्रश्न 3.
मधुमक्खी की उस प्रजाति का नाम लिखिए जिन्हें पाला जा सकता है ।
उत्तर
एपिस इंडिका।

प्रश्न 4.
पुष्पीकरण के समय मधुमक्खी के छत्तों को खेत के बीच रखने पर पौधे पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर
पौधों की परागण क्षमता बढ़ जायेगी।

प्रश्न 5.
अन्तःप्रजनन किसे कहते हैं ?
उत्तर
एक ही नस्ल के पशुओं के मध्य होने वाले प्रजनन को अन्तःप्रजनन कहते हैं।

प्रश्न 6.
पशु प्रजनन का उद्देश्य बताइये।
उत्तर
पशुओं के उत्पादन को बढ़ाना तथा उनके उत्पादों की वांछित गुणवत्ता में सुधार करना है।

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प्रश्न 7.
बर्ड-फ्लू के रोगकारक का नाम लिखिए।
उत्तर
बर्ड-फ्लू के रोगकारक का नाम इन्फ्लूएन्जा-A विषाणु या H,N, विषाणु है।

प्रश्न 8.
आनुवंशिक रूपान्तरित पादपों के कोई दो नाम लिखिये।
उत्तर

  • गोल्डन राइस
  • फ्लेवर सेवर।

प्रश्न 9.
ऐसे दो पौधों के नाम लिखिए, जो कृत्रिम वरण द्वारा उत्पन्न किये गये हैं।
उत्तर

  • कल्याण सोना
  • शाइनिंग मूंग।

प्रश्न 10.
इस जीव का नाम लिखिए जिसका प्रयोग एकल कोशिका प्रोटीन के व्यापारिक उत्पादन में किया जाता है।
उत्तर
स्पाइरुलाइना का प्रयोग एकल प्रोटीन के व्यापारिक उत्पादन में किया जाता है।

प्रश्न 11.
डेयरी उद्योग किसका प्रबंधन है ?
उत्तर
पशु प्रबंधन।

प्रश्न 12.
पशुपालन किसे कहते हैं ?
उत्तर
मानव कल्याण के लिए पशुओं की देखभाल को पशुपालन कहते हैं।

प्रश्न 13.
अर्द्धवामन धान की किस्मों को किससे व्युत्पन्न किया जाता है ?
उत्तर
अर्द्धवामन धान की किस्मों को IR-8 तथा थाइचुंग नेटिव-1 से व्युत्पन्न किया गया।

प्रश्न 14.
पोमैटो का निर्माण कैसे होता है ?
उत्तर
पोमैटो का निर्माण टमाटर के प्रोटोप्लास्ट व आलू के प्रोटोप्लास्ट के युग्मन से होता है।

प्रश्न 15.
पादपों में विषाणु द्वारा उत्पन्न होने वाले किन्हीं दो रोगों के नाम लिखिये।
उत्तर

  • तंबाकू मोजैक
  • शलजम मोजैक।

प्रश्न 16.
एस.टी.पी. का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर
“एकल प्रोटीन कोशिका” एस.टी.पी. का शब्द विस्तार है।

प्रश्न 17.
अलवण जल में पाई जाने वाली किन्हीं दो मछलियों के नाम लिखिए।
उत्तर

  • कतला
  • रोहू।

प्रश्न 18.
स्पाइरुलाइना का आर्थिक महत्व क्या है ?
उत्तर
यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत है तथा प्रदूषण को कम करता है।

प्रश्न 19.
निकट संबंधी पशुओं के मध्य प्रजनन को कहते हैं।
उत्तर
अंतःप्रजनन।

प्रश्न 20.
गायों के विष ज्वर रोग के रोग कारक का नाम लिखिए।
उत्तर
बैसिलस एन्थ्रेसिस।

प्रश्न 21.
रानीखेत किनका प्रमुख रोग है ?
उत्तर
मुर्गियों का।

प्रश्न 22.
पशुओं में वर्षा ऋतु के पश्चात् होने वाला प्रमुख रोग है।
उत्तर
एन्थ्रेक्स।

प्रश्न 23.
कुत्तों के दो प्रमुख रोगों के नाम लिखो।
उत्तर
डर्मेटाइटिस और रेबीज।

प्रश्न 24.
दो भिन्न जातियों के संकरण से उत्पन्न जीव को क्या कहते हैं?
उत्तर
संकर।

प्रश्न 25.
मानव निर्मित प्रथम फसल का नाम लिखिए।
उत्तर
ट्रिटिकेल।

प्रश्न 26.
मिलेट का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर
राई।

प्रश्न 27.
ऊतक संवर्धन के जनक का नाम बताइये।
उत्तर
हैबरलैंड।

प्रश्न 28.
मूंगफली का वानस्पतिक नाम लिखिए।
उत्तर
अरेकिस हाइपोजिया

प्रश्न 29.
साहीवाल किसकी उन्नत नस्ल है ?
उत्तर
गाय की।

खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
स्केलिंग क्या है, इसका क्या महत्व होता है ?
उत्तर
स्केलिंग वर्धी प्रसारण की विधि है, जो कि बल्ब (शल्क कंद) वाले पौधे के लिए उपयोगी है। इस विधि में सभी बल्ब पृथक कर लिये जाते हैं तथा उन्हें ऐसी भूमि में रोपित किया जाता है जहाँ उनकी वृद्धि के लिए सभी आवश्यक परिस्थितियाँ उपस्थित होती हैं। इससे शल्क वृद्धि करके अपने आधार पर छोटे-छोटे बल्ब बना लेता है। 3-5 बल्ब (छोटे-छोटे) विकसित होते हैं। यह लिलियेसी कुल के पौधे जैसे लहसुन, लिलियम के लिए उपयोगी है।

प्रश्न 2.
ऊतक संवर्धन क्या है ? इसके उद्देश्य लिखिए।
उत्तर
ऊतक संवर्धन में अलग की गई कोशिका या ऊतक अथवा अंग जैसे परागकोष या परागकण, भ्रूण या भ्रूणिका आदि से संवर्धन माध्यम पर नियंत्रित तथा अजीकृत अवस्था में अत्यधिक संख्या में पौधे विकसित किये जाते हैं।
उद्देश्य

  • इसके द्वारा फसल किसी भी अवस्था से नये पौधे के लिए विकास को सुनिश्चित करता है।
  • अभूतपूर्व संकर किस्मों को उत्पन्न करना।
  • रोगी पौधों से रोगमुक्त पौधों का विकास करना।
  • अगुणित पौधों का संवर्धन।
  • आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण पौधों का कम समय में अत्यधिक संख्या में निर्मित करना।

प्रश्न 3.
कैलस संवर्धन क्या है ? इसकी तकनीक लिखिए।
उत्तर
पादप ऊतक संवर्धन के क्रम में संरोप (Explant) के कोशिकाओं द्वारा ऑक्सिन तथा सायटोकायनिन की उपस्थिति में तथा अजर्म स्थिति के होने पर कोशिकाओं के असंगठित समूह के रूप में कैलस का निर्माण होता है यह प्रक्रिया संवर्धन कहलाती है। तकनीक-सोडियम हाइपोक्लोराइड से विसंक्रमणित करते हैं। विसंक्रमणित पौधे को कई बार आसुत जल से धोते हैं। इसे विसंक्रमणित माध्यम में छोटे-छोटे टुकड़ों में विभक्त कर स्थानान्तरित कर देते हैं। संरोपण पश्चात् संवर्धन माध्यम को नियंत्रित प्रकाश व ताप पर ऊष्मायन (Autoclave) के माध्यम में स्थानान्तरित कर देते हैं। कैलस निर्माण हेतु संवर्धन के लिए पोषण माध्यम में ऑक्सिन तथा सायटोकाइनिन समान अनुपात में मिलाया जाता है।

प्रश्न 4.
ऊतक संवर्धन की प्रक्रिया में वातायन क्यों आवश्यक होता है ?
उत्तर
किसी भी जीवन के लिए श्वसन एक प्रमुख लक्षण है। श्वसन के द्वारा ही जीव अपने सभी प्रकार्यात्मक लक्षणों को सुचारू रूप से चलायमान रख पाता है। श्वसन के लिए वायु (ऑक्सीजन) बहुत जरूरी है। ऊतक संवर्धन की प्रक्रिया में ऊतकों को उपयुक्त वायु प्राप्त होनी चाहिए तभी वे ठीक से विकसित हो पायेंगे। वायु की उपलब्धता हेतु किया गया प्रबंध वातायन कहलाता है, अतः ऊतक संवर्धन की प्रक्रिया की सफलता के लिए वातायन बहुत जरूरी है।

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प्रश्न 5.
अन्तःप्रजनन किसे कहते हैं ? इससे क्या लाभ होते हैं ?
उत्तर
अन्तःप्रजनन (Inbreeding)-निकट सम्बन्धित या समान प्रजातियों के बीच होने वाले प्रजनन को अन्तःप्रजनन कहते हैं। इस तकनीक के द्वारा जन्तु नस्लों में सुधार किया जाता है। इस प्रजनन से शुद्ध नस्लों के जन्तुओं को पैदा किया जाता है। लेकिन इस प्रजनन के कारण विकास की संभावनाएँ कम होती जाती हैं। प्राचीनकाल से ही इस तकनीक का प्रयोग जन्तुओं के सुधार के लिए किया जा रहा है। उदाहरण-स्पेन में उत्तम ऊन प्राप्त करने के लिए मेरिनो भेड़ों में 170 सालों तक अन्तःप्रजनन किया गया। हमारे देश में उन साँड़ों का प्रयोग अन्तःप्रजनन के लिए चरागाहों में किया जाता है जो बोझ ढोने में उत्तम होते हैं, शेष का जनननाशन (Castration) करके उन्हें बैल बना दिया जाता है।

प्रश्न 6.
पशुओं में खुरपका एवं मुंहपका रोग कैसे फैलता है ? रोग के लक्षण व रोग जनक का नाम लिखिए।
उत्तर
पशुओं में खुरपका एवं मुँहपका रोग रोगी पशुओं के पास रहने से संक्रमण से होता है। यह गाय, भैंस, भेड़, बकरी एवं सुअर में होता है।
लक्षण-

  • पशु के शरीर का ताप काफी बढ़ जाता है। वह सुस्त हो जाता है तथा जुगाली करना बंद कर देता है।
  • पशु के मुँह, पैरों के खुरों, अयन व थनों पर छाले बनकर फूट जाते हैं जिसमें घाव बन जाता है।
  • पशु बार-बार जमीन पर पैर को पटकता है और लंगड़ाकर चलता है।

प्रश्न 7.
शहद में उपस्थित पदार्थों को सूचीबद्ध कीजिये।
अथवा
मधुमक्खी की तीन प्रजातियों के नाम तथा शहद का रासायनिक संगठन लिखिए।
अथवा
मधुमक्खी की तीन प्रजातियों के नाम तथा शहद के दो उपयोग लिखिए।
उत्तर
मधुमक्खी की तीन

प्रजाति

  • ऐपिस इण्डिका
  • ट्राइगोना स्पी.
  • मेलिनोपा स्पी.।

शहद के दो उपयोग

  • इसका उपयोग दवा के रूप में किया जाता है।
  • इसका उपयोग पोषक पदार्थ के रूप में किया जाता है।

प्रोटीन

  • शहद का रासायनिक संघटन
  • फ्रक्टोज (41%)
  • प्रोटीन (0.18%)
  • ग्लूकोज (35%)
  • खनिज लवण (3:3%)
  • सुक्रोज (1.9%)
  • जल (17.25%).
  • डेक्सट्रीन (1.5%).

थोड़ी मात्रायें विटामिन B1, B6, कोलीन, विटामिन C और D होता है।

प्रश्न 8.
अण्डजोत्पत्ति में कौन-कौन-सी सावधानियाँ रखनी चाहिए? उत्तर-मुर्गियों में अण्डजोत्पत्ति 21 दिन में होती है इसके लिए निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिए

  • अण्डजोत्पत्ति के लिए उत्तम किस्म के अण्डों का चयन करना चाहिए।
  • मध्यम माप वाले अण्डे होने चाहिए।
  • चयनित अण्डे का रंग सफेद होना चाहिए।
  • अण्डों को जल से धोना चाहिए ।
  • अण्डों को अधिक हिलाना नहीं चाहिए।
  • गर्मियों में अण्डों को तीन दिन से अधिक नहीं रखना चाहिए।
  • अण्डों का सेचन देशी मुर्गी से कराना चाहिए।
  • रात्रि में मुर्गी को अण्डों पर बैठाने से पहले अच्छा भोजन एवं जल देना चाहिए।

प्रश्न 9.
मुर्गीपालन के चार महत्व लिखिए।
उत्तर
महत्व-

  • इससे हमें मांस तथा अण्डे प्राप्त होते हैं।
  • इस व्यवसाय से कम समय में ही आय होने लगती है।
  • इस व्यवसाय में कम पूँजी लगती है इस कारण यह बेरोजगारी की समस्या का समाधान करता है।

प्रश्न 10.
अण्डे देने वाली कुक्कुट नस्लों की विशेषताएँ बताइए तथा दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर
अण्डे देने वाली कुक्कुट नस्लों में निम्नलिखित विशेषताएँ पायी जाती हैं-

  • अण्डे देने वाली कुक्कुटों की त्वचा कोमल होती है और प्यूबिक अस्थि तथा कील के बीच 3-4 उँगलियों का स्थान होता है।
  • अण्डे देने वाले कुक्कुटों का शरीर बड़ा तथा भारी भरकम होता है ।
  • जो कुक्कुट नर के समान दिखाई देते हैं वे अधिक अण्डे नहीं देते ।
  • अण्डे देने वाले कुक्कुटों का निकास (vent) कोमल तथा भीगा हुआ होता है।
  • अण्डे देने वाले कुक्कुटों की कलगी पूर्ण विकसित, उष्ण, गहरे लाल रंग की व मुलायम होती है।

अण्डे देने वाली मुर्गियों के उदाहरण-

  • लेगहार्न
  • मिनोरका
  • एनकोना
  • कैम्पियन

प्रश्न 11.
मांस प्रदान करने वाली कुक्कुट नस्लों की विशेषताएँ बताइए तथा चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर
मांस प्रदान करने वाली कुक्कुटों के निम्नलिखित लक्षण होते हैं

  • आकार में बड़ी होती हैं
  • ये आहार अधिक मात्रा में ग्रहण करती हैं।
  • इनके पंख ढीले होते हैं, जिससे ये गोलाकार दिखाई देती हैं।
  • इनकी वृद्धि दर धीमी होती है।
    उदाहरण-असील, ससैक्स, आस्ट्रोलोप्स, कड़कनाथ।

प्रश्न 12.
मीठे जल एवं खारे जल में पाई जाने वाली तीन-तीन मछलियों के नाम लिखिए।
अथवा
निम्नलिखित के वैज्ञानिक नाम लिखकर उनका उपयोग लिखिए।
1. रोहू
2. कतला
3. सिंधारा
4. मृगल।
उत्तर
(a) मीठे जल में पाई जाने वाली मछलियाँ

1. रोहू-लेबियो रोहिता (Labeo rohita)
उपयोग-रोहू के मस्तिष्क में फॉस्फो-प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा रहने के कारण इसके सेवन से आँख की रोशनी बढ़ती है।

2. कतला-कतला कतला (Catla catla)
उपयोग-कंतला के मस्तिष्क में फॉस्फो-प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा रहने के कारण इसके सेवन से आँख की रोशनी बढ़ती है।

3. सिंधारा-मिस्ट्रिस सिन्धाला (Mystrus seenghala)
उपयोग-सिंघारा मछली में लोहे व ताँबे की काफी मात्रा रहने के कारण रक्त संबंधी विकार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

4. मृगल-सिरेहीनस मृगल (Cirrhinus mrigala)।
उपयोग-मृगल मछली में लोहे व ताँबे की काफी मात्रा रहने के कारण रक्त संबंधी विकार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

(b) खारे जल में पाई जाने वाली मछलियाँ

  • हिल्सा-इलिसा जाति (Ilisa species)
  • पामहर्ट-स्ट्रोमेटस (Stromatus)
  • बाम्बेडक-हार्पोडान (Harpodon)

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प्रश्न 13.
मछली का मांस अन्य जन्तुओं के मांस की तुलना में सर्वोत्तम क्यों होता है ?
उत्तर

  • मछली का मांस सर्वोत्तम माना जाता है, क्योंकि इसमें प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा पायी जाती है।
  • इसमें आयोडीन पाया जाता है जो ग्वायटर रोग से बचाव करता है ।
  • इसमें वसा की मात्रा कम होती है, जिससे हृदय संबंधी बीमारी नहीं होती।
  • इसमें वसा में विलेय विटामिन A एवं D की पर्याप्त मात्रा पायी जाती है।
  • इसे आसानी से पचाया जा सकता है। इस कारण यह बच्चों का अच्छा भोजन है।

प्रश्न 14.
गाय एवं भैंस की उन्नत किस्मों के नाम लिखिए।गाय की तुलना में भैंस का दूध सर्वोत्तम क्यों है ?
उत्तर
(a) गाय की उन्नत किस्म-

  • होल्सटीन फ्रीसियन
  • जर्सी
  • आयर शायर
  • ब्रॉउन स्विस।

(b) भैंस की उन्नत किस्म-

  • मुर्रा
  • सूरती
  • भदावरी
  • नागपुरी।

गाय की तुलना में भैंस का दूध सर्वोत्तम है, क्योंकि

  • गाय की तुलना में भैंस के दूध की मात्रा तिगुनी होती है।
  • भैंस के दूध में वसा की मात्रा अधिक होती है।
  • भैंस का दूध गाय की तुलना में अधिक रोग प्रतिरोधी होता है।

प्रश्न 15.
भेड़ एवं बकरी का महत्वपूर्ण उपयोग क्या होता है ? प्रत्येक के तीन-तीन भारतीय प्रजातियों के नाम लिखिए।
उत्तर
भेड़ का जन्तु वैज्ञानिक नाम क्विस एरीस (Quis aries) है। इसे ऊन, मांस एवं चमड़े के लिए पाला जाता है। भेड़ की महत्वपूर्ण तीन प्रजातियाँ निम्नलिखित हैं

  • लोही-उच्च श्रेणी का ऊन प्राप्त होता है।
  • भाकरावल
  • पटनावड़ी।

बकरी का जन्तु वैज्ञानिक नाम काप्राहिरकस (Caprahircus) है। इसका पालन दूध एवं मांस दोनों के लिए किया जाता है। बकरी की महत्वपूर्ण तीन प्रजातियाँ निम्नलिखित हैं

  • कश्मीरी बकरी
  • कच्छी
  • सिरोही।

प्रश्न 16.
उत्तम किस्म की पाँच मुर्गी प्रजातियों के नाम लिखिए।
उत्तर

  • रोड आइसलैण्ड रेड (Rhode Island Red)
  • न्यू हैम्पशायर (New Hampshires)
  • लाइट ससैक्स (Light Sussex)
  • आस्ट्रेलोप्स (Australops)
  • व्हाइट लैगहान (White Laghorn)

प्रश्न 17.
मुर्गियों में होने वाले पाँच संक्रामक रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति 1

प्रश्न 18.
एकल कोशिका संवर्धन क्या है ? इसकी पेपर राफ्ट तकनीक तथा उसके महत्व लिखिए।
उत्तर
नियंत्रित वातावरण में अजीकृत, पृथक्कृत एक कोशिका को उचित पोषण माध्यम पर परिवर्धित कराये जाने की प्रक्रिया एकल कोशिका संवर्धन
(Single Cell Culture) कहलाती है।
(1) सर्वप्रथम माइक्रोपिपेट या माइक्रोस्पेचुला की सहायता से अजीकृत पौधे के भाग से अलग किये, एकल कोशिका को लिया जाता है या सस्पेंशन कल्चर से एक कोशिका को पृथक्कृत किया जाता है।

(2) पोषण माध्यम पर एक पुराने कैलस को रखा जाता है, जिसके ऊपर 8 mm x 8 mm साइज के फिल्टर पेपर को कुछ दिनों तक रखकर नम तथा पोषक पदार्थ-युक्त बना लेते हैं, जिसे पेपर राफ्ट कहा जाता है।

(3) अलग किये गये एकल कोशिका को अजीकृत अवस्था में पेपर राफ्ट पर स्थानान्तरित कर दिया जाता है।

(4) समस्त पोषण माध्यम युक्त कोशिका, अर्थात् संवर्धन को 16 घण्टे तक 25°C अंधकार में या श्वेत प्रकाश (3,000 लक्स) में ऊष्मायित (Incubate) कराया जाता है।

(5) पृथक्कृत कोशिका (Isolated cell) क्रमिक विभाजन के फलस्वरूप कोशिका समूह में परिणित हो जाता है, जिसे नये पोषक माध्यम पर स्थानान्तरित कर दिया जाता है, जहाँ इससे कैलस विकसित होता है।

(6) कैलस से सामान्य ऊतक संवर्धन विधि से नये पौधे का तथा अन्ततः विकसित पौधे का परिवर्धन होता
इसकी दूसरी विधि कोशिका सस्पेंशन तकनीक के बारे में भी इसे शोध के आधार पर जानकारी प्राप्त हुई, इससे हर पौधे के छोटे हिस्से से भी एक पूर्ण विकसित पौधे प्राप्त कर सकते हैं।

खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कुक्कुटों के रानीखेत रोग के लक्षण, रोकथाम व उपचार लिखिए।
उत्तर
रानीखेत रोग वाइरस से होता है। इसके निम्न लक्षण हैं

  • श्वास लेने में तकलीफ होती है, इसलिये मुर्गियों का मुँह खुला होता है।
  • मुर्गियों को दस्त लग जाते हैं।
  • सिर, गर्दन तथा टाँगों को लकवा मार जाता है।
  • मुर्गी को भूख नहीं लगती एवं कमजोर हो जाती है।
  • पहले उनका तापक्रम बढ़ता है एवं कुछ समय पश्चात् सामान्य से भी कम हो जाता है।
  • मुँह एवं नासिका रन्ध्रों में से एक लसलसा पदार्थ निकलता है।
  • मुर्गकेश का रंग गहरा बैंगनी हो जाता है।
  • अण्डा देने वाली मुर्गियों में अण्डा तेजी से फटने लगता है एवं रोगी मुर्गी अण्डा देना बिल्कुल बन्द : कर देती है।इस रोग के लक्षण पाचन संस्थान, श्वसन-संस्थान एवं रक्त परिवहन संस्थान पर स्पष्ट दिखायी देने लगते हैं।

रोकथाम एवं उपचार (Control and treatment)

  • रोगी मुर्गियों को तुरंत ही स्वस्थ मुर्गियों से अलग बाड़े में रखना चाहिए।
  • रोग से मरी हुई मुर्गियों को गाड़ देना चाहिए अथवा जला देना चाहिए।
  • पानी में कीटाणुनाशक घोल तैयार करना चाहिए।
  • बीमार मुर्गियों के बर्तन फिनाइल से साफ करके रखना चाहिए।
  • 6 से 8 सप्ताह के बच्चों को रानीखेत का टीका लगवाना चाहिए।
  • रोग से मरी मुर्गी की तिल्ली को थर्मस में (बर्फ के साथ ग्लिसरीन एवं नमक 111 के घोल में) सुरक्षित रखकर प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेजना चाहिए।

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प्रश्न 2.
कृत्रिम गर्भाधान क्या है ? उसका महत्व समझाइए।
उत्तर
संकरण या बहि:प्रजनन दो भिन्न आनुवंशिक गुणों वाले जीवों को जनन की दृष्टि से संयोग कराके नयी संतानों को प्राप्त करने के ढंग को संकरण कहते हैं। जन्तुओं में संकरण कराना पादपों की अपेक्षा थोड़ा कठिन होता है। जन्तुओं के गुणों में सुधार के लिए दो प्रकार का संकरण होता है

1. प्राकृतिक संकरण (Natural hybridization)-इस संकरण में नर तथा मादा प्राकृतिक रूप से आपस में संयोग करते हैं । यह दो भिन्न प्रजातियों में होता है। भारत में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए गाय की कई प्रजातियाँ जैसे-जर्सी (इंग्लैण्ड), ब्राउनस्विस (स्विटजरलैण्ड), होल्स्टीन प्रिंसियन (हॉलैण्ड) विदेशों से मँगायी गयी हैं। इन प्रजातियों तथा देशी प्रजातियों के संकरण से करनस्विस और सुनन्दिनी नामक गाय की प्रजातियाँ क्रमशः राष्ट्रीय दुग्ध अनुसंधान संस्थान करनाल और केरल में विकसित की गयी है। कई दूसरे जन्तुओं की भी अति उत्पादक जातियाँ प्राकृतिक संकरण के द्वारा तैयार की गयी हैं।

2. कृत्रिम संकरण या कृत्रिम गर्भाधान (Artificial hybridization)-कृत्रिम संकरण, संकरण की वह विधि है जिसमें नर के शुक्राणुओं को एकत्र करके मादा के जनन मार्ग में पहुँचा दिया जाता है जो निषेचन करके नयी सन्तति को बनाता है। इस संकरण में निम्न चरण होते हैं

(1) जनकों का चुनाव (Selection of parents)-यह संकरण का पहला चरण है जिसमें इच्छित गुणों वाले नर तथा मादा का चुनाव किया जाता है। इसके लिए स्वस्थ तथा उच्च गुणों वाले जनकों का चुनाव किया जाता है।

(2) वीर्य को एकत्र करना (Collection of semen)-इस चरण में यान्त्रिक या विद्युतीय आवेश द्वारा नर को उत्तेजित किया जाता है और स्खलित होने वाले वीर्य को एकत्र कर लिया जाता है।

(3) वीर्य का संरक्षण (Preservation of semen)-वीर्य को तनु बनाकर फ्रिजों में या विशिष्ट रसायनों के द्वारा परिरक्षित करके जीवित अवस्था में ही रखा जाता है।

(4) वीर्य का जनन मार्ग में प्रवेश (Introduction of semen)-इस चरण में अनुरक्षित वीर्य को मादा पशु के गर्म होने पर उसके योनि मार्ग में डाला जाता है। इस तकनीक का सर्वप्रथम प्रयोग स्प्लैन्जेनी(Spallanzani) ने 1970 में कुत्तों के ऊपर किया। भारत में इसका सर्वप्रथम उपयोग सन् 1944 में पशु अनुसंधान संस्थान एटा नगर, उत्तर प्रदेश में किया गया। आज की लगभग 10%-70% उपयोगी जन्तु प्रजातियों का आविष्कार इसी विधि के द्वारा किया गया है। इस संकरण के समय निम्न सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए

  • वीर्य का मादा में प्रवेश उपर्युक्त समय पर करवाना चाहिए।
  • उच्च कोटि के नर के वीर्य को ही लेना चाहिए।
  • वीर्य प्रवेश के लिए सही तकनीक का प्रयोग करना चाहिए।
  • मादा का स्वास्थ्य वीर्गीकरण के समय ठीक होना चाहिए। कृत्रिम संकरण के लाभ

(महत्व)-

  • स्वस्थ नर के थोड़े से वीर्यन से बहुत अधिक मादाओं में निषेचन कराया जा सकता है।
  • वीर्यन को एम्पुलों में दूर तक बिना किसी असुविधा के ले जाया जाता है।
  • नर की उपलब्धता की कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं और हर जगह अच्छे नर के वीर्य का प्रयोग किया जा सकता है।
  • इच्छित गुणों वाले पशुओं को प्राप्त किया जा सकता है।

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प्रश्न 3.
एक्वाकल्चर किसे कहते हैं ? एक्वाकल्चर में उपयोग की जाने वाली प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर
उपयोगी जलीय पौधे एवं अन्य प्राणियों के उत्पादन को एक्वाकल्चर कहते हैं। एक्वाकल्चर में मछलियों के अतिरिक्त झींगा एवं समुद्री केकड़ा का भी उत्पादन किया जाता है। एक्वाकल्चर के विभिन्न चरण
(Steps Involved in Aquaculture)

  • मत्स्य पालन केन्द्रों से मत्स्य बीज एवं अण्डों को प्राप्त किया जाता है। मछलियों के पीयूष ग्रन्थि से हॉर्मोन्स निकालकर अण्डे देने वाली मछलियों में इन्जेक्शन द्वारा प्रविष्ट कराने से अण्डोत्सर्ग शीघ्र होता है। पीयूष हॉर्मोन को ऐल्कोहॉल में संरक्षित किया जाता है।
  • अण्डों को हेचरी या नर्सरी में डाल दिया जाता है। इसका तापक्रम 27°C से 31°C होता है। 15-18 घण्टे पश्चात् शिशु निकलते हैं, जिसे हैचलिंग कहते हैं।
  • है चलिंग को पानी में रखा जाता है जिससे 4-5 दिनों के बाद यह छोटी मछली में रूपान्तरित हो जाता है, जिसे फ्राई (Fry) कहते हैं।
  • फ्राई 12-14 दिनों में 20-25 cm की हो जाती है इसे फिंगरलिंग कहते हैं।
  • फिंगरलिंग को पोषक तालाबों में स्थानान्तरित किया जाता है। यह फाइटोप्लैंक्टॉन को खाता है।
  • अन्त में इसे उत्पादक तालाबों या जलाशयों में स्थानान्तरित किया जाता है, जहाँ पर इनका वजन बढ़ता है।
  • पूर्ण विकसित मछली का वजन 5-6 किलोग्राम हो जाता है एवं 4 वर्ष के पश्चात् अण्डे देने लगती है।
  • मत्स्याखेट द्वारा इन्हें निकालकर निर्यात किया जाता है। इसका शीत भण्डारण किया जाता है, क्योंकि इसका मांस शीघ्र सड़ जाता है।

प्रश्न 4.
मुर्गीपालन के लिए आप आदर्श आवास का प्रबंध कैसे करेंगे?
उत्तर
मुर्गीपालन व्यवसाय में कुक्कुट भवनों (आवासों) का अपना अलग-अलग महत्व होता है। कुक्कुट भवन आधुनिक एवं महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले होने चाहिए। अच्छे भवन, वही समझे जाते हैं, जिनमें निम्न महत्वपूर्ण बातें हों, जैसे-

  1. सुरक्षा
  2. पर्याप्त स्थान
  3. उचित सुविधा
  4. सस्ते एवं आरामदायक
  5. स्वच्छ
  6. पानी एवं रोशनी का प्रबन्ध
  7. बाजार की निकटता तथा
  8. परजीवी व अन्य कीड़ों से सुरक्षा।

आवासों (भवनों) को बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि ये कम लागत में तैयार किये जायें और जिनमें निम्नलिखित बातों का होना भी अनिवार्य है-

  1. आवासों में नमी न रहे तथा इनसे पानी निकास की उत्तम व्यवस्था हो
  2. आवास ऐसे स्थानों पर हो जहाँ सूर्य की रोशनी दिन भर पड़ती रहे क्योंकि वह सूक्ष्म जीवों के विकास को रोकती है।
  3. वायु संचार की पर्याप्त व्यवस्था हो, क्योंकि मुर्गियों में पसीने की ग्रन्थियाँ नहीं पायी जाती इस कारण ये श्वास द्वारा ही नमी को निकालती हैं।
  4. आवास के सफाई की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए।
  5. मुर्गी एक कमजोर पक्षी है, जिसके बहुत अधिक शत्रु हैं इस कारण इसकी सुरक्षा व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए।

प्रश्न 5.
छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में जलीय संवर्धन के माध्यम से उन्नति के अवसर हैं। विवेचना कीजिए।
उत्तर
छत्तीसगढ़ में जल संवर्धन हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों, डबरों के निर्माण की परम्परा रही है तथा आज भी समस्त ग्रामों एवं इसके विकसित शहरों में चप्पे-चप्पे पर तालाब देखे जा सकते हैं । विकास के आयामों में नहर, बाँध तथा अन्य जल संग्रहण क्षेत्र विकसित हुए हैं। इन सभी जल संग्रहण क्षेत्रों को वैज्ञानिक तकनीक से प्रबंधित किए जल संवर्धन क्षेत्र में उपयोग किया जाये तो ये उन्नति के द्वार खोलने वाले हैं तथा इसमें छत्तीसगढ़ के विकास के अवसर सन्निहित हैं।

उपयोगी जलीय जीवों को उत्पादित करने की विधि को जलीय संवर्धन कहते हैं । जलीय संवर्धन में कई उपयोगी शैवालों के अलावा जलीय जन्तुओं जैसे—मछली, झींगा, केकड़ा, मोलस्का (खाने वाले और मोती वाले) इत्यादि को पालते या संवर्धित करते हैं । वैसे तो कई जलीय जन्तुओं का संवर्धन किया जाता है, लेकिन इनमें से मत्स्य संवर्धन (Pisciculture), प्रॉन संवर्धन (Prawn culture) तथा मोती संवर्धन (Pearl culture) प्रमुख हैं । मत्स्य संवर्धन में मछलियों का, प्रॉन संवर्धन में झींगों को भोजन के लिए तथा मोती संवर्धन में मुक्ता सीपियों (Pearl oyster) को मोतियों के लिए संवर्धित किया जाता है।

प्रश्न 6.
पादपों में रोग प्रतिरोधकता से आप क्या समझते हैं ? पादपों की कुछ प्रमुख रोग प्रतिरोधी प्रजातियों के नाम बताइये। इसे किस प्रकार उत्पन्न किया जाता है ?
उत्तर
अनेक प्रकार के रोगकारक जैसे-कवक, जीवाणु तथा विषाणु उष्णकटिबन्धीय जलवायु की फसल जातियों को व्यापक रूप से प्रभावित करते हैं । इन कारकों के कारण फसलों को 20-30% तक हानि या कभी-कभी पूर्ण हानि भी हो जाती है। ऐसी परिस्थितियों में रोग के प्रति प्रतिरोधी खेतिहर जातियों में प्रजनन एवं विकास से खाद्य उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। इन्हें उगाने से जीवाणु एवं कवकनाशी पदार्थों का प्रयोग भी कम हो जाता है तथा उन पर निर्भरता भी कम हो जाती है। पोषी पदार्थों की प्रतिरोधकता उसकी रोगजनकों को रोग उत्पन्न करने से रोकने की क्षमता है तथा इसका निर्धारण पोषी पादप के आनुवंशिक ढाँचे द्वारा किया जाता है। प्रजनन की क्रिया अपनाने से पहले रोगकारक जीव के बारे में जानकारी तथा उसके प्रसार की क्रियाविधि की जानकारी महत्वपूर्ण है।

कवकों द्वारा उत्पन्न कुछ रोग हैं-गेहूँ का भूरा किट्ट, गन्ने का रेड रोट रोग तथा आलू में पछेती अंगमारी। विषाणु तथा जीवाणु द्वारा उत्पन्न होने वाले रोग हैं-तम्बाकू मोजैक, शलजम मोजैक, टमाटर का पर्ण बेलन, तथा जीवाणु द्वारा उत्पन्न रोग सिट्रस कैंकर, चावल का किट्ट ।

रोग प्रतिरोधकता के लिए प्रजनन विधियाँ (Methods of Breeding for Disease Resistance)
रोग प्रतिरोधकता उत्पन्न करने की परम्परागत विधियाँ निम्न हैं

  • संकर (Hybridization)
  • चयन (Selection)

इसके अन्तर्गत निम्न पदों को अपनाते हैं

  • प्रतिरोधकता स्रोतों के जनन द्रव्य को छानना।
  • चयनित जनकों का संकरण।
  • संकरों का चयन।
  • मूल्यांकन।
  • नयी किस्मों का परीक्षण तथा उसका उत्पादन।

संकरण तथा चयन द्वारा प्रजनित कुछ शस्य कवकों, जीवाणुओं तथा विषाणुओं के प्रति रोग प्रतिरोधकता होती है। ये शस्य प्रजाति नीचे तालिका में दी गई हैं
तालिका-प्रमुख फसलों की रोग प्रतिरोधक प्रजातियाँ
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति 2
रोग प्रतिरोधी जीन जो विभिन्न फसलों की प्रजातियों अथवा उनकी जंग प्रजातियों में उपलब्ध रहती है। लेकिन इनकी सीमित संख्या में उपलब्धि के कारण पारम्परिक प्रजनन प्रायः निरुद्ध होता है। पादपों में विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा उत्परिवर्तन (Mutation) को प्रेरित किया जाता है तथा बाद में प्रतिरोधकता के लिए पादप पदार्थों की स्क्रीनिंग द्वारा वांछनीय जीन की पहचान की जाती है। वांछनीय लक्षण वाले पौधों को सीधे ही गुणित किया जाता है अतः इसका प्रयोग प्रजनन के लिए किया जाता है।

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प्रश्न 7.
पीड़कों (नाशी कीट) के प्रति प्रतिरोधकता के विकास के लिए पादप प्रजनन किस प्रकार सहायक है ? व्याख्या कीजिये।
उत्तर
पीड़कों के प्रति प्रतिरोधकता के विकास के लिए पादप प्रजनन (Plant breeding for the development of resistance to insect pests)
पोषी पादप फसलों से कीट प्रतिरोधकता, आकारिकी जैव रसायन या शरीर क्रियात्मक अभिलक्षणों के कारण होती है। अधिकांश पादपों में रोमिल पत्तियाँ पीड़कों के प्रति प्रतिरोधकता से सम्बन्ध रखती है। जैसे कपास में जैसिड तथा गेहूँ में धान्य पर्ण शृंग। इसी प्रकार गेहूँ के विशेष प्रकार के तने के कारण

स्टेमसॉफ्लाई उनके पास नहीं आती तथा चिकनी पत्तियों वाली तथा मकरंद विहीन कपास की प्रजातियाँ बालवर्म को अपनी ओर आकर्षित नहीं करती। उच्च एस्पार्टिक अम्ल, कम नाइट्रोजन तथा शर्करा अंश मक्का में तना छेदक के प्रति प्रतिरोधकता उत्पन्न करते हैं। पीड़क प्रतिरोधकता के लिए प्रजनन विधियों के वही क्रम लागू होते हैं, जो अन्य शस्य संबंधी विशेषकों में पाये जाते हैं । जैसे उत्पादन, गुणवत्ता आदि जिनका वर्णन ऊपर किया जा चुका है। कृषि तथा इसकी जंगली प्रजातियों के प्रतिरोधक जीन का स्रोत कृषक किस्में तथा जनन द्रव्य संग्रहण है।

नाशी कीटों के प्रति प्रतिरोधकता विकसित करने के लिए संकरण तथा चयन द्वारा प्रजनित फसलों की कुछ विमुक्त प्रजातियाँ इस प्रकार हैं
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति 3

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