MP Board Class 11th Physics Important Questions Chapter 14 दोलन

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MP Board Class 11th Physics Important Questions Chapter 14 दोलन

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आवर्ती गति को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
यदि कोई वस्तु एक निश्चित समय के बाद एक निश्चित मार्ग पर बार-बार अपनी गति को दोहराती है तो उसकी यह गति आवर्ती गति कहलाती है। उदाहरण-पृथ्वी की अपनी धुरी के परितः गति।

प्रश्न 2.
दोलन या काम्पनिक गति से क्या तात्पर्य है ? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जब कोई वस्तु आवर्ती गति में एक ही मार्ग पर किसी निश्चित बिन्दु के इधर-उधर गति करती है तो वस्तु की इस गति को दोलन या काम्पनिक गति कहते हैं। उदाहरण-सरल लोलक की गति।

प्रश्न 3.
किस प्रकार की गति के लिए पिण्ड का त्वरण उसके विस्थापन के अनुक्रमानुपाती एवं विपरीत दिशा में होता है।
उत्तर:
सरल आवर्त गति में पिण्ड का त्वरण उसके विस्थापन के अनुक्रमानुपाती एवं विपरीत दिशा में होता है।

प्रश्न 4.
सरल आवर्त गति करते हुए कण का आयाम a है। कण की किस स्थिति में त्वरण अधिकतम होगा?
उत्तर:
कण की अधिकतम विस्थापित स्थिति (y = ±a) पर कण पर त्वरण अधिकतम होगा।

प्रश्न 5.
सरल आवर्त गति करते हुए कण की किस स्थिति में कण का वेग अधिकतम होता है ?
उत्तर:
कण की साम्य स्थिति (y = 0) पर कण का वेग अधिकतम होता है।

प्रश्न 6.
सरल आवर्त गति करते हुए कण की स्थितिज ऊर्जा तथा गतिज ऊर्जा के व्यंजक लिखिए।
उत्तर:
स्थितिज ऊर्जा = \(\frac { 1 }{ 2 }\)mω2y2
गतिज ऊर्जा = \(\frac { 1 }{ 2 }\)mω2 (a2 – y2)
m = कण का द्रव्यमान, ω = कोणीय आवृत्ति, a = आयाम तथा y = माध्य स्थिति से कण का विस्थापन

प्रश्न 7.
सरल आवर्त गति करते हुए कण की किस स्थिति में गतिज ऊर्जा शून्य होती है तथा किस स्थिति में उसकी स्थितिज ऊर्जा शून्य होती है ?
उत्तर:
कण की अधिकतम विस्थापित स्थिति (अर्थात् y = ±a ) पर उसकी गतिज ऊर्जा शून्य होती है तथा साम्य स्थिति (y = 0) पर उसकी स्थितिज ऊर्जा शून्य होती है।

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प्रश्न 8.
सरल लोलक किसे कहते हैं ?
उत्तर:
एक आदर्श सरल लोलक वह निकाय है जिसमें एक भारी से भारी द्रव्यमान कण दृढ़ आधार से एक भाररहित, अवितान्य तथा प्रत्यास्थ डोरी से लटका होता है।

प्रश्न 9.
नीचे दिए गए किसी कण के त्वरण a तथा विस्थापन x के बीच संबंधों में से किससे सरल आवर्त गति संबंद्ध है
(a) a = 0.7x
(b) a =-200x2
(c) a =-10x
(d) a = -100x3.
उत्तर:
केवल संबंध (c) सरल आवर्त गति को प्रदर्शित करता है, क्योंकि त्वरण एवं विस्थापन एक-दूसरे के समानुपाती एवं विपरीत हैं एवं गति एक सरल रेखा के अनुदिश है।

प्रश्न 10.
कोई व्यक्ति कलाई घड़ी बाँधे किसी मीनार की चोटी से गिरता है। क्या मुक्त रूप से गिरते समय उसकी घड़ी यथार्थ समय बताती है ?
उत्तर:
कलाई घड़ी में स्प्रिंग का उपयोग होता है, उसमें संचित स्थितिज ऊर्जा का उपयोग होता है, जोकि गुरुत्वीय त्वरण से प्रभावित नहीं होता है। अतः मुक्त रूप से गिरते समय घड़ी यथार्थ समय बताती है।

प्रश्न 11.
गुरुत्वबल के अंतर्गत मुक्त रूप से गिरते किसी केबिन में लगे सरल लोलक के दोलन की आवृत्ति क्या होती है ?
उत्तर:
चूँकि T =2π\(\sqrt{\frac{l}{g-a}}\)        (a =g, मुक्त गति के लिए)
अतःT = ∞ (अनंत)
अतः आवृत्ति का मान शून्य होगा।

प्रश्न 12.
सेकण्डी लोलक किसे कहते हैं ? इसकी लंबाई का सूत्र स्थापित कीजिए।
उत्तर:
जिस सरल लोलक का आवर्तकाल 2 सेकण्ड होता है उसे सेकण्डी लोलक कहते हैं।
सूत्र T = 2π\(\sqrt{\frac{l}{g}}\) में, T = 2 सेकण्ड रखने पर सेकण्डी लोलक की लंबाई l = \(\frac{g}{\pi^{2}}\).

प्रश्न 13.
दोलनी गति के किस वस्तु में किन गुणों का होना आवश्यक है ?
उत्तर:

  • दोलन करती वस्तु में जड़त्व का गुण विद्यमान होना चाहिए, तभी वह अपनी माध्य स्थिति को पार करके दूसरी ओर चली जायेगी।
  • वस्तु में प्रत्यास्थता का गुण होना चाहिए तभी दोलन करती वस्तु में प्रत्यानयन बल उत्पन्न होगा।

प्रश्न 14.
आवर्तकाल और आवृत्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
आवर्तकाल – आवर्ती गति में वह न्यूनतम समय अन्तराल जिसके पश्चात् गति स्वयं को दोहराती है, आवर्तकाल कहलाता है।

अथवा

दोलन गति करने वाली वस्तु को एक दोलन या एक कम्पन पूरा करने में जितना समय लगता है उसे उसका आवर्तकाल T कहते हैं।
आवृत्ति-कोई वस्तु एक सेकण्ड में जितने कम्पन या दोलन पूर्ण कर लेती है उसे उसकी आवृत्ति । कहते हैं । इसका SI मात्रक ह है । इसे Hz से दर्शाते हैं।
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प्रश्न 15.
सरल आवर्त गति तथा एकसमान वृत्तीय गति में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर:
जब कोई कण किसी वृत्त की परिधि पर एकसमान चाल से गति करता है तो उस कण से वृत्त के . व्यास पर डाले गये लंब के पाद की रेखीय गति सरल आवर्त गति होती है।
निर्देश वृत्त के किसी एक व्यास के अनुदिश एकसमान वृत्तीय गति के प्रक्षेप को सरल आवर्त गति कहते हैं।

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प्रश्न 16.
स्प्रिंग नियतांक को परिभाषित कीजिये तथा SI मात्रक लिखिये।
उत्तर:
किसी स्प्रिंग की लंबाई में एकांक वृद्धि या एकांक संकुचन उत्पन्न करने के लिए आवश्यक बल को उस स्प्रिंग का स्प्रिंग नियतांक या बल नियतांक कहते हैं। इसे k से प्रदर्शित करते हैं। इसका SI मात्रक न्यूटन / मीटर तथा इसका विमीय सूत्र [M1L0T-2 ] है।

प्रश्न 17.
स्प्रिंग से लटके हुए द्रव्यमान के आवर्तकाल का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
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या T= 2π\(\sqrt{\frac{m}{k}}\) सेकण्ड।

प्रश्न 18.
सरल लोलक की प्रभावकारी लंबाई क्या होती है ? इसे गोलक के केन्द्र तक क्यों नापते हैं?
उत्तर:
निलंबन बिन्दु से गोलक के केन्द्र तक की लंबाई को सरल लोलक की प्रभावकारी लंबाई कहते हैं। चूँकि गोलक का गुरुत्व केन्द्र उसके केन्द्र पर होता है अतः इसे गोलक के केन्द्र तक नापते हैं।

प्रश्न 19.
सरल लोलक का आवर्तकाल उसकी प्रभावकारी लंबाई के साथ किस प्रकार बदलता है ?
उत्तर:
चूँकि आवर्तकाल T = 2π\(\sqrt{\frac{l}{g}}\) के अनुसार T ∝ √l अर्थात प्रभावकारी लंबाई बढ़ाने पर आवर्तकाल बढ़ जायेगा।

प्रश्न 20.
क्या कारण है कि गर्मी के दिनों में लोलक वाली घड़ी सुस्त हो जाती है जबकि जाड़े के दिनों में तेज हो जाती है ?
उत्तर:
गर्मी के दिनों में लोलक वाली घड़ी के लोलक की लंबाई ऊष्मीय प्रसार के कारण बढ़ जाती है। अत: उसका आवर्तकाल भी बढ़ जाता है फलत: घड़ी सुस्त हो जाती है। इसके विपरीत जाड़े के दिनों में लोलक की लंबाई सिकुड़ जाती है जिससे उसका आवर्तकाल घट जाता है तथा घड़ी तेज हो जाती है।

प्रश्न 21.
क्या किसी कृत्रिम उपग्रह के अन्दर लोलक वाली घड़ी प्रयुक्त की जा सकती है?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि उपग्रह के अन्दर प्रत्येक वस्तु भारहीनता की स्थिति में होती है अर्थात् g = 0 होता है। अत: T = ∞ होगा अर्थात् लोलक दोलन नहीं करेगा यही कारण है कि उपग्रह के अन्दर लोलक के स्थान पर स्प्रिंग वाली घड़ी का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 22.
एक लड़की झूला झूल रही है। यदि वह झूलते-झूलते खड़ी हो जाये तो झूले के आवर्तकाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
लड़की के खड़े हो जाने पर गुरुत्व केन्द्र ऊपर उठ जायेगा जिससे प्रभावकारी लंबाई घट जायेगी तथा आवर्तकाल कम हो जायेगा।

प्रश्न 23.
एक लड़की झूला झूल रही है यदि एक और लड़की उसके साथ आकर बैठ जाये तो झूले के आवर्तकाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
यदि एक और लड़की उसके पास आकर बैठ जाये तो आवर्तकाल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा यदि गुरुत्व केन्द्र की स्थिति अप्रभावित रहे क्योंकि आवर्तकाल का मान द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता।

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प्रश्न 24.
सरल लोलक को पहाड़ या खान पर ले जाने पर उसके आवर्तकाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा तथा क्यों?
उत्तर:
आवर्तकाल बढ़ जायेगा क्योंकि पहाड़ या खान में ले जाने से g का मान घटता है तथा सरल लोलक का आवर्तकाल T, गुरुत्वीय त्वरण g के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

प्रश्न 25.
पेण्डुलम वाली घड़ियों का थर्मामीटर में पारे के चढ़ने या उतरने से क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर:
थर्मामीटर में पारे के ऊपर चढ़ने का अर्थ है-ताप का बढ़ना तथा पारे के नीचे गिरने का अर्थ है-
ताप का घटना। ताप के घटने या बढ़ने से पेण्डुलम घड़ी के लोलक की प्रभावकारी लंबाई घटती या बढ़ती है जिससे उसका आवर्तकाल भी घटता या बढ़ता है तथा घड़ी सुस्त या तेज हो जाती है।

प्रश्न 26.
लोलक वाली घड़ी को ध्रुवों पर ले जाने पर वह तेज क्यों हो जाती है ?
उत्तर:
ध्रुवों पर गुरुत्वीय त्वरण g का मान अधिकतम होता है अत: T ∝ \(\sqrt{\frac{l}{g}}\) के अनुसार ध्रुवों पर T का मान कम हो जायेगा अर्थात् घड़ी को एक दोलन करने में समय कम लगेगा और वह तेज हो जायेगी।

प्रश्न 27.
कृत्रिम उपग्रह में लोलक घड़ी समय क्यों नहीं बताती ?
उत्तर:
कृत्रिम उपग्रह में g= 0 अत: लोलक के आवर्तकाल के सूत्र T ∝ \(\sqrt{\frac{l}{g}}\) से T ∝ \(\sqrt{\frac{l}{0}}\) = ∞
अतः लोलक का आवर्तकाल अनन्त हो जायेगा तथा घड़ी बन्द हो जायेगी।

प्रश्न 28.
मुक्त दोलन क्या है ?
उत्तर:
जब कोई वस्तु अपनी माध्य स्थिति के दोनों ओर सरल आवर्त गति करती है तथा बाहरी बल वस्तु की गति को प्रभावित नहीं करते हैं तो प्रत्येक वस्तु एक निश्चित आवृत्ति से ही कम्पन करती है। वस्तु की इस आवृत्ति को इसकी स्वाभाविक आवृत्ति कहते हैं तथा इस प्रकार के दोलन को मुक्त दोलन कहते हैं।

प्रश्न 29.
अवमन्दित दोलन क्या है ?
उत्तर:
जब किसी दोलन में घटती हुई वस्तु का आयाम गति विरोधी बाह्य बलों के कारण लगातार कम होता जाता है तो वस्तु के ऐसे दोलनों को अवमन्दित दोलन कहते हैं।
उदाहरण – वायु या अन्य माध्यम में लोलक का दोलन, स्वरित्र द्विभुज का कम्पन।

प्रश्न 30.
प्रणोदित दोलन क्या है ?
उत्तर:
जब दोलन करने वाले पिण्ड को एक बाह्य आवर्ती बल लगाकर दोलन कराया जाता है तो वह पिण्ड अपनी स्वाभाविक आवृत्ति से दोलन न करके आवर्ती बल की आवृत्ति से दोलन करता है। पिण्ड के इस दोलन को प्रणोदित दोलन कहते हैं।

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प्रश्न 31.
अनुनादी दोलन को परिभाषित कीजिये।
उत्तर:
जब किसी वस्तु पर एक ऐसा आवर्ती बल लगाया जाता है जिसकी आवृत्ति वस्तु की स्वाभाविक आवृत्ति के बराबर हो तो वस्तु बहुत अधिक आयाम वाले प्रणोदित दोलन करने लगती है। वस्तु के इन प्रणोदित दोलनों को अनुनादी दोलन कहते हैं तथा यह घटना अनुनाद कहलाती है।

उदाहरण – यदि किसी स्वरित्र द्विभुज को कंपन कराया जाये तो ध्वनि मंद सुनाई देती है परन्तु यदि स्वरित्र के दस्ते को ऐसे खोखले बॉक्स पर रख दें जिसका आकार इस प्रकार हो कि इसके अन्दर की वायु की स्वाभाविक आवृत्ति स्वरित्र द्विभुज की आवृत्ति के बराबर हो तो तेज ध्वनि सुनाई देती है।

प्रश्न 32.
क्या कारण है कि पुल पार करते समय सैनिकों को कदम तोड़ने का आदेश दिया जाता
उत्तर:
इसका कारण यह है कि यदि सभी सैनिकों के कदम पटकने की आवृत्ति पुल की स्वाभाविक आवृत्ति के बराबर हो जाये तो पुल बहुत बड़े आयाम से कम्पन करने लगेगा जिससे उसके गिरने का खतरा पैदा हो जायेगा।

प्रश्न 33.
अवमंदन का दोलनों के आयाम और आवृत्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
अवमंदन के कारण दोलन का आयाम लगातार कम होता रहता है तथा आवृत्ति, स्वाभाविक आवृत्ति से कम होती जाती है।

प्रश्न 34.
प्रणोदित दोलन कब अनुनादी दोलन बन जाते हैं ?
उत्तर:
जब पिण्ड की स्वाभाविक आवृत्ति, बाह्य आवर्ती बल की आवृत्ति के बराबर होती है तो प्रणोदित दोलन अनुनादी दोलन बन जाते हैं।

प्रश्न 35.
एक सरल लोलक स्थिर लिफ्ट में लटका है तथा उसका आवर्तकाल T है। लोलक के आवर्तकाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा यदि लिफ्ट त्वरण a से
(i) ऊपर चढ़ने लगे,
(ii) नीचे उतरने लगे?
उत्तर:
(i) यदि लिफ्ट त्वरण a से ऊपर चढ़ने लगती है तो लिफ्ट में लटके सरल लोलक का
आवर्तकाल घटेगा (क्योंकि T = 2π\(\sqrt{\frac{l}{g+a}}\))

(ii) यदि लिफ्ट त्वरण a से नीचे उतरने लगती है तो लिफ्ट में लटके सरल लोलक का आवर्तकाल बढ़ेगा
\(\left(T=2 \pi \sqrt{\frac{l}{g-a}}\right)\)

प्रश्न 36.
अनन्त लंबाई वाले सरल लोलक का आवर्तकाल कितना होता है ?
उत्तर:
84.6 मिनट।

प्रश्न 37.
पृथ्वी के केन्द्र पर सरल लोलक का आवर्तकाल क्या होगा तथा क्यों ?
उत्तर:
पृथ्वी के केन्द्र पर सरल लोलक का आवर्तकाल अनन्त होगा क्योंकि पृथ्वी के केन्द्र पर गुरुत्वीय त्वरण g का मान शून्य होता है।

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प्रश्न 38.
एक स्प्रिंग से लटके द्रव्यमान m के दोलनों का आवर्तकाल T है। स्प्रिंग को तीन बराबर भागों में काटकर उनमें से प्रत्येक पर पुनः वही द्रव्यमान लटकाने पर उसका आवर्तकाल क्या होगा?
उत्तर:
स्प्रिंग को तीन बराबर भागों में बाँटने पर प्रत्येक भाग का बल नियतांक 3k हो जायेगा अतः उसका आवर्तकाल \(\frac{T}{\sqrt{3}}\) हो जायेगा।

प्रश्न 39.
सरल आवर्त गति किस भौतिक राशि के संरक्षण पर आधारित है ?
उत्तर:
ऊर्जा संरक्षण नियम के सिद्धांत पर।

प्रश्न 40.
यदि पृथ्वी के गुरुत्व केन्द्र के आर-पार कोई नली डालना संभव हो, तो उसमें छोड़ी गयी किसी गोली के वेग तथा त्वरण के परिवर्तन किस प्रकार के होंगे? नली के माध्यम की उपेक्षा की जा सकती है?
उत्तर:
गोली पृथ्वी के केन्द्र के इधर-उधर सरल आवर्त गति करेगी। केन्द्र पर गोली का वेग अधिकतम तथा त्वरण शून्य और पृथ्वी तल पर वेग शून्य तथा त्वरण अधिकतम होगा।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक सरल लोलक का गोलक एक जल से भरी गेंद है। यदि गेंद की तली में एक बारीक छिद्र कर दें तो आवर्तकाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
जैसे-जैसे गेंद में से जल बाहर निकलता जाता है इसका आवर्तकाल पहले बढ़ता है तथा फिर घटने लगता है। प्रारंभ में जब गेंद जल से पूरी भरी है तब लोलक का गुरुत्व केन्द्र गेंद के केन्द्र पर ही है जैसेजैसे गेंद में से जल बाहर निकलता है लोलक का गुरुत्व केन्द्र गेंद के केन्द्र से नीचे की ओर खिसकने लगता है जिससे लोलक की प्रभावकारी लंबाई बढ़ने लगती है अतः लोलक का आवर्तकाल भी बढ़ने लगता है। जब गेंद आधे से अधिक खाली हो जाती है तब लोलक का गुरुत्व केन्द्र पुनः ऊपर उठने लगता है जिससे लोलक की प्रभावकारी लंबाई पुनः घटने लगती है। अतः आवर्तकाल भी घटने लगता है जब गेंद पूर्णतः खाली हो जाती है तब लोलक का गुरुत्व केन्द्र पुनः गेंद के केन्द्र पर आ जाता है अत: आवर्तकाल अपने प्रारंभिक मान पर आ जाता है।

प्रश्न 2.
सरल आवर्त गति किसे कहते हैं ? कोई चार उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
जब कोई पिण्ड अपनी साम्य स्थिति के दोनों ओर सरल रेखा में इस प्रकार आवर्त गति करता है कि इसका त्वरण प्रत्येक स्थिति में कण के विस्थापन के अनुक्रमानुपाती होता है तथा त्वरण की दिशा सदैव माध्य स्थिति की ओर होती है तब पिण्ड की गति सरल आवर्त गति कहलाती है।

उदाहरण – सरल लोलक की गति, स्प्रिंग से लटके पिण्ड की गति, स्वरित्र द्विभुज की गति, झूले की गति इत्यादि।
विशेषताएँ-

  • वस्तु अपनी मध्यमान स्थिति के दोनों ओर सरल रेखा में गति करती है।
  • वस्तु पर लगने वाला बल, मध्यमान स्थिति से विस्थापन के अनुक्रमानुपाती होता है तथा सदैव मध्यमान स्थिति की ओर होता है ।
  • यांत्रिक ऊर्जा सदैव संरक्षित रहती है। गतिज ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा में तथा स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा में बदलती रहती है।

प्रश्न 3.
सरल आवर्त गति में कण के त्वरण तथा विस्थापन में सम्बन्ध लिखिए तथा इसकी सहायता से आवर्तकाल का व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
सरल आवर्त गति में y विस्थापन पर कण का त्वरण f = ω2y
जहाँ ω कण का कोणीय वेग है यहाँ (-)ve चिन्ह केवल त्वरण की दिशा बतलाता है, अतः
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प्रश्न 4.
सरल आवर्त गति करते हुए कण के लिए विस्थापन, वेग तथा त्वरण के सूत्र लिखिए तथा बताइये कि
(i) कण का वेग कब अधिकतम तथा कब शून्य होगा ?
(ii) कण का त्वरण कब अधिकतम तथा कब शून्य होगा?
उत्तर:
विस्थापन y = a sin ωt
वेग u = aωcos ωt = ω\(\sqrt{a^{2}-y^{2}}\)
तथा त्वरण f = -ω2 a sin ωt = -ω2y
जहाँ a कण का आयाम तथा ω कोणीय आवृत्ति है।

(i) कण का वेग अधिकतम, माध्य स्थिति (y = 0) पर होगा।
umax = ω.a
कण का वेग शून्य, अधिकतम विस्थापित स्थिति (y = ±a) पर होगा।
u = 0 जब y = ±a.

(ii) कण का त्वरण अधिकतम, अधिकतम विस्थापित स्थिति (y = ±a) पर होगा।
fmax = ±ω2 जबकि y = ±a
कण का त्वरण शून्य, माध्य स्थिति पर होगा (f = 0 जबकि y = 0 )।

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प्रश्न 5.
सरल लोलक से क्या अभिप्राय है ? सरल लोलक को जब माध्य स्थिति से हटाया जाता है तो वह दोलन करने लगता है, क्यों ?
उत्तर:
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सरल लोलक-अति लघु उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 8 देखें।
जब लोलक को माध्य स्थिति A से विस्थापित करके स्थिति B पर पहुँचा दिया जाता है तो स्पष्ट है कि लोलक कुछ ऊपर उठ जाता है और उसकी स्थितिज ऊर्जा बढ़ जाती है। यदि लोलक को स्थिति B पर स्वतंत्र छोड़ दिया जाता है तो उसका गुरुत्व केन्द्र स्थायी संतुलन के लिए नीचे की ओर गिरता है और स्थिति A पर वापस पहुँचते-पहुँचते उसकी संपूर्ण स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा में बदल जाती है। स्थिति A पर आकर लोलक रुकता नहीं है बल्कि गति के जड़त्व के कारण आगे की ओर बढ़ जाता है और माध्य स्थिति A के दोनों ओर दोलन करता रहता है।

प्रश्न 6.
सरल लोलक के आवर्तकाल का सूत्र लिखिए तथा बताइए कि यह किन-किन कारकों पर तथा किस प्रकार निर्भर करता है ?
उत्तर:
सरल लोलक का आवर्तकाल T = 2π\(\sqrt{\frac{l}{g}}\)
उपर्युक्त सूत्र से स्पष्ट है कि सरल लोलक का उसके

(1) लंबाई पर निर्भरता – T ∝√l अर्थात् यदि लोलक की प्रभावकारी लंबाई बढ़ाकर चार गुनी कर दी जाये तो उसका आवर्तकाल दोगुना हो जायेगा।

(2) गुरुत्वीय त्वरण पर निर्भरता-सरल लोलक का आवर्तकाल T ∝ = \(\sqrt{\frac{l}{g}}\) अर्थात् g का मान बढ़ने पर आवर्तकाल घट जाता है तथा g का मान कम होने पर आवर्तकाल बढ़ जाता है।

प्रश्न 7.
सरल लोलक के नियम लिखिए। प्रत्येक नियम का क्या व्यावहारिक उपयोग है ?
उत्तर:
चूँकि सरल लोलक का आवर्तकाल T = 2π\(\sqrt{\frac{l}{g}}\)
उपर्युक्त सूत्र से सरल लोलक के निम्नलिखित चार नियम प्राप्त होते हैं-

  • लंबाई का नियम – सरल लोलक का आवर्तकाल उसकी प्रभावकारी लंबाई के वर्गमूल के समानुपाती होता है अर्थात् T ∝ √l.
    इस नियम का उपयोग लोलक वाली घड़ियों के सुस्त या तेज हो जाने पर उन्हें ठीक करने के लिए किया जाता है।
  • गुरुत्वीय त्वरण का नियम-सरल लोलक का आवर्तकाल उस स्थान पर गुरुत्वीय त्वरण के वर्गमूल के व्युत्क्रमानुपाती होता है अर्थात् T ∝ \(\sqrt{\frac{l}{g}}\) इसीलिए पहाड़ों या खान में जाने पर लोलक घड़ी सुस्त हो
    जाती है।
  • द्रव्यमान का नियम – सरल लोलक का आवर्तकाल, लोलक अथवा धागे के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है। अत: लोलक भारी या हल्का, यदि उसका गुरुत्व केन्द्र समान रहता है तो उसका आवर्तकाल भी समान रहता है।
  • समकालत्व का नियम-सरल लोलक का आवर्तकाल, आयाम पर निर्भर नहीं करता है (यदि आयाम कम हो) यही कारण है कि सरल लोलक के प्रयोग में लोलक का कोणीय आयाम कम रखा जाता है।

प्रश्न 8.
आवृत्ति तथा आवर्तकाल में सम्बन्ध ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना दोलन गति करने वाली वस्तु की आवृत्ति υ तथा आवर्तकाल T है चूँकि T सेकण्ड में दोलनों की संख्या = 1
अतः 1 सेकण्ड में दोलनों की संख्या = \(\frac{1}{T}\)
आवृत्ति की परिभाषा से,  υ = \(\frac{1}{T}\)
या υ.T = 1    यही अभीष्ट संबंध है।

प्रश्न 9.
सरल आवर्त गति के कण का विस्थापन समीकरण स्थापित कीजिए।
उत्तर:
माना XY X’Y’ एक वृत्त है जिसका केन्द्र 0 है तथा त्रिज्या A है।
माना इस वृत्त की परिधि पर एक कण एकसमान कोणीय वेग ω से घूम रहा है। माना समय t = 0 पर कण बिन्दुःX पर है तथा किसी समय t पर कण बिन्दु P पर है। बिन्दु P से व्यास YO Y’ पर डाले गये लंब PN का पाद N है। चूंकि कण को बिन्दु x से P तक जाने में सेकण्ड लगते हैं अतःt सेकण्ड में कण द्वारा घूमा हुआ कोण ∠POX = θ है।
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या ω = \(\frac{\theta}{t}\)
∴ θ = ω.t
t सेकण्ड में पाद का विस्थापन ON है।
माना कि ON = y है।
तब, ΔNPO में sin NPO = \(\frac{O N}{O P}\)
परन्तु, ∠NPO = ∠ POX = θ = ωt
ON = y,OP = A
अतः sin ωt = \(\frac{y}{A}\)
या y = A sin ωt.

प्रश्न 10.
सरल आवर्त गति करते हुए कण के वेग के लिए सूत्र स्थापित कीजिए।
उत्तर:
सरल आवर्त गति करने वाले कण का विस्थापन समीकरण निम्न द्वारा व्यक्त किया जाता है-
y = A sin(ωt + Φ) ….(1)
जहाँ A = आयाम तथा Φ कण की प्रारंभिक कला है।
चूँकि वेग ν = \(\frac{d y}{d t}\)
अतः समी. (1) का t के सापेक्ष अवकलन करने पर,
ν = \(\frac{d}{d t}\)[A sin(ωt + Φ)]
⇒ ν = A ωcos(ωt + p) = Aω\(\sqrt{1-\sin ^{2}(\omega t+\phi)}\)
⇒ ν =A ω\(\sqrt{1-\frac{y^{2}}{A^{2}}}\) [समी. (1) से मान रखने पर]
या ν = ω\(\sqrt{A^{2}-y^{2}}\) …..(2)
समी. (2) सरल आवर्त गति करने वाले कण का वेग समीकरण है।
स्थिति – (i) यदि y = 0 हो, तो समी. (2) से,
ν = ω\(\sqrt{A^{2}-0}\) = Aω(अधिकतम)
अतः जब कण साम्यावस्था से गुजरता है तो वेग अधिकतम होता है।

(ii) यदि y = ± A हो तो समी. (2) से,
ν = ω \(\sqrt{A^{2}-A^{2}}\)= 0

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प्रश्न 11.
सरल आवर्त गति करने वाले कण के त्वरण के लिए सूत्र व्युत्पन्न कीजिए और बताइये कि कण का त्वरण कब अधिकतम और कब न्यूनतम होता है ?
उत्तर:
सरल आवर्त गति करने वाले कण के विस्थापन को निम्न समी. द्वारा व्यक्त किया जाता है-
y = A sin(ωt + Φ) ….(1)
यदि कण का त्वरण α हो तो
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या α = – A ω2sin(ωt + Φ)
समी. (1) से मान रखने पर,
α = – A ω2.\(\frac{y}{A}\) = -ω2y ….(2)
या α = y
अतः सरल आवर्त गति करने वाले कण का त्वरण उसकी साम्य स्थिति से विस्थापन के अनुक्रमानुपाती होता है।
(-)ve चिन्ह दर्शाता है कि त्वरण की दिशा विस्थापन बढ़ने की दिशा के विपरीत अर्थात् साम्य स्थिति की ओर होती है।

स्थिति – (i) जब y = 0 हो तो समी. (2) से,
α = 0
अर्थात् जब कण साम्य स्थिति से गुजरता है तो उसका त्वरण 0 होता है।
स्थिति – (ii) जब y = A हो तो समी. (2) से,
α = -ω2A (अधिकतम)
अर्थात् जब कण का विस्थापन अधिकतम होता है तो उसका त्वरण भी अधिकतम होता है।

प्रश्न 12.
सरल आवर्त गति करने वाले कण के आवर्तकाल तथा आवृत्ति के व्यंजक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
सरल आवर्त गति करने वाले कण का त्वरण
α = ω2y (केवल परिमाण लेने पर)
ω2 = \(\frac{\alpha}{y}\)
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प्रश्न 13.
m द्रव्यमान का एक पिण्ड किसी आदर्श स्प्रिंग से लटका हुआ ऊपर-नीचे दोलन कर रहा है। यदि स्प्रिंग का बल नियतांक k हो तो सिद्ध कीजिए कि इसका आवर्तकाल T = 2π\(\sqrt{\frac{m}{k}}\)
हो
उत्तर:
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माना एक आदर्श स्प्रिंग दृढ़ आधार से लटकी है तथा इसके निचले सिरे पर m द्रव्यमान का एक पिण्ड लटका हुआ है पिण्ड की साम्य स्थिति A है। अब यदि पिण्ड पर एक बल लगाकर नीचे की ओर स्थिति B तक खींचकर उसे छोड़ते हैं तो पिण्ड ऊपर-नीचे सरल आवर्त गति करने लगता है।

माना स्थिति B पर साम्य स्थिति A से विस्थापन y है तो स्प्रिंग के द्वारा पिण्ड पर लगने वाला प्रत्यानयन बल F,
विस्थापन y के अनुक्रमानुपाती होता है तथा इस बल की दिशा साम्य स्थिति की ओर होती है। अर्थात्
F ∝ – y या F = -ky , जहाँ k स्प्रिंग का बल नियतांक है।
MP Board Class 11th Physics Important Questions Chapter 14 दोलन 10

प्रश्न 14.
यदि पृथ्वी के गुरुत्वीय केन्द्र के आर-पार कोई खोखली नली डालना सम्भव हो तो उसमें छोड़ी गयी किसी गोली की गति कैसी होगी ? गोली के वेग तथा त्वरण में किस प्रकार परिवर्तन होगा? गोली की गति का आवर्तकाल ज्ञात कीजिए। नली के माध्यम का प्रभाव उपेक्षणीय है।
उत्तर:
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गोली पृथ्वी के केन्द्र के दोनों ओर सरल आवर्त गति करेगी। पृथ्वी के केन्द्र पर गोली का वेग अधिकतम तथा त्वरण शून्य होगा जबकि पृथ्वी के तल पर गोली का वेग शून्य तथा त्वरण अधिकतम (पृथ्वी के केन्द्र की ओर) होगा।

चित्र में माना पृथ्वी की त्रिज्या R तथा केन्द्र O है । पृथ्वी तल पर बिन्दु A से पृथ्वी के व्यास के अनुदिश आर-पार खोखली नली में m द्रव्यमान की एक गोली बिन्दु A पर छोड़ी जाती है। किसी क्षण गोली की स्थिति बिन्दु P पर है जिसकी पृथ्वी के केन्द्र से दूरी x है। बिन्दु P पर गुरुत्वीय त्वरण g’ = g.\(\frac{x}{R}\) (केन्द्र O की ओर)
अर्थात्
त्वरण ∝ विस्थापन (माध्य स्थिति की ओर)
अत: गोली की गति, सरल आवर्त गति होगी जिसका
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यदि R = 6.4 × 106 मीटर तथा g = 9.8 मीटर/ सेकण्ड’2 है तो
T = 2π\(\sqrt{\frac{6 \cdot 4 \times 10^{6}}{9 \cdot 8}}\)
T = 5075 सेकण्ड
या T = 84.6 मिनट।

प्रश्न 15.
सेकण्ड लोलक किसे कहते हैं ? इसकी प्रभावकारी लंबाई की गणना कीजिए।
उत्तर:
सेकण्ड लोलक-अति लघु उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 12 देखें।
सेकण्ड लोलक की प्रभावकारी लंबाई लगभग 100 सेमी होती है
हम जानते हैं कि सरल लोलक का आवर्तकाल
T = 2π\(\sqrt{\frac{l}{g}}\)
या T2 = 4π2\(\left(\frac{l}{g}\right)\)
या l \(=\frac{g T^{2}}{4 \pi^{2}}\)
सेकण्ड लोलक के लिए T = 2 सेकण्ड
एवं समुद्र तल पर 45° अक्षांश पर g का प्रामाणिक मान = 981 सेमी/सेकण्ड2
l = \(\frac{981 \times 2 \times 2}{4 \times(3 \cdot 14)^{2}}\) = 99.34 सेमी
l = 100 सेमी (लगभग)
अर्थात् सेकण्ड लोलक की प्रभावकारी लम्बाई लगभग 100 सेमी होती है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गणितीय गणना द्वारा सिद्ध कीजिए कि यदि आयाम कम हो तो सरल लोलक की गति, सरल आवर्त गति होती है। लोलक के आवर्तकाल का सूत्र स्थापित कीजिए।
उत्तर:
MP Board Class 11th Physics Important Questions Chapter 14 दोलन 13
चित्र में एक सरल लोलक प्रदर्शित है। माना लोलक की प्रभावकारी लंबाई l है तथा लोलक का द्रव्यमान m है।
जब लोलक अधिकतम विस्थापित स्थिति B पर है तो उस पर लगने वाले बल हैं-
(i) लोलक का भार mg ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर तथा
(ii) डोरी में तनाव T डोरी के अनुदिश निलंबन बिन्दु O की ओर। भार mg को दो घटकों में वियोजित करने पर घटक mg cosθ डोरी के अनुदिश (तनाव T के विपरीत) और घटक mg sinθ डोरी के लंबवत् (मध्यमान स्थिति की ओर) होगा। घटक mg sin θ ही लोलक को इसकी माध्य स्थिति A पर लाने की चेष्टा करता है, इसे प्रत्यानयन बल कहते हैं।

अतः प्रत्यानयन बल = mg sin θ ( माध्य स्थिति A की ओर)
यदि लोलक का आयाम कम है अर्थात् कोण θ छोटा है तो
sin θ ≈ \(\frac{x}{l}\)
अतः प्रत्यानयन बल = mgθ = mg.\(\frac{x}{l}\) ….(1)
यहाँ x लोलक का विस्थापन (= AB) और l लोलक की प्रभावकारी लंबाई है।
लेकिन बल = द्रव्यमान × त्वरण
समी. (1) से,MP Board Class 11th Physics Important Questions Chapter 14 दोलन 14
= g.\(\frac{x}{l}\)
अर्थात् त्वरण = \(\frac{g}{l}\) × विस्थापन
MP Board Class 11th Physics Important Questions Chapter 14 दोलन 15 …(2)
चूँकि लोलक का त्वरण, उसके विस्थापन x के अनुक्रमानुपाती है अत: लोलक की गति सरल आवर्त गति होती है।
सरल लोलक का आवर्तकाल T= 2πMP Board Class 11th Physics Important Questions Chapter 14 दोलन 16
∴ समी. (2) से, T = 2π \(\sqrt{\frac{l}{g}}\)

प्रश्न 2.
पृथ्वी की त्रिज्या R से तुलनीय लंबाई l के सरल लोलक के आवर्तकाल के लिए सूत्र की स्थापना कीजिए। यदि सरल लोलक की लंबाई
(i) पृथ्वी की त्रिज्या R (≈6400 किमी) की आधी,
(ii) अनन्त है तो आवर्तकाल का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
MP Board Class 11th Physics Important Questions Chapter 14 दोलन 17
मानाकि एक सरल लोलक की लंबाई l है जो पृथ्वी की त्रिज्या R के सापेक्ष नगण्य नहीं है। चित्र से स्पष्ट है कि
कोणीय विस्थापन की स्थिति में (अर्थात् B पर) लोलक पर लगने वाला प्रत्यानयन बल = लोलक के भार mg (BC की ओर ) का OB के लंबवत् घटक।
अर्थात्
प्रत्यानयन बल F = mg sin(θ + Φ) ≈ mg(θ + Φ)
(क्योंकि कोण θ तथा Φ अत्यल्प हैं)
लेकिन θ = \(\frac{x}{l}\) = तथा Φ = \(\frac{x}{R}\)
जहाँ x गोलक का रेखीय विस्थापन है।
∴ प्रत्यानयन बल = mg\(\left(\frac{x}{l}+\frac{x}{R}\right)\)
= mgx\(\left(\frac{1}{l}+\frac{1}{R}\right)\) = mg\(\left(\frac{l+R}{l R}\right)\)x
चूँकि प्रत्यानयन बल ∝ विस्थापन
अतः लोलक की गति सरल आवर्त गति होगी।
लेकिन त्वरण = बल / द्रव्यमान
त्वरण = g\(\left(\frac{l+R}{l . R}\right)\)
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या T = 5075 सेकण्ड
या T = 84.6 मिनट।

प्रश्न 3.
सरल आवर्त गति में कण की स्थितिज ऊर्जा तथा गतिज ऊर्जा का व्यंजक निगमित कीजिए तथा सिद्ध कीजिए कि कण की सम्पूर्ण यांत्रिक ऊर्जा नियत रहती है।
उत्तर:
गतिज ऊर्जा – सरल आवर्त गति करते हुए कण का वेग
ν = ω\(\sqrt{A^{2}-y^{2}}\)
यदि द्रव्यमान m हो तो कण की गतिज ऊर्जा
MP Board Class 11th Physics Important Questions Chapter 14 दोलन 19
स्थितिज ऊर्जा – सरल आवर्त गति में कण में उत्पन्न त्वरण का मान ।
α = -ω2y.
परन्तु न्यूटन के गति के द्वितीय नियम से,
बल = द्रव्यमान × त्वरण
यदि कण का द्रव्यमान m हो तो कण पर लगने वाला प्रत्यानयन बल
F = -mα = mω2y.

चूँकि प्रत्यानयन बल सदैव साम्य स्थिति की ओर दिष्ट होता है अतः कण के विस्थापन को बनाये रखने के लिए प्रत्यानयन बल के बराबर परन्तु विपरीत दिशा में एक बल कण पर लगाना होगा। इस बल का मान साम्य स्थिति पर शून्य है तथा साम्य स्थिति से दूर हटने पर इसका मान बढ़ता जाता है।

अतः कण पर लगा मध्यमान बल F = \(\frac{0+m \omega^{2} y}{2}\) = \(\frac{1}{2}\)mω2y
अतः कण को y दूरी विस्थापित करने में किया गया कार्य
W = बल × विस्थापन
या W = \(\frac{1}{2}\)mω2y × y = \(\frac{1}{2}\)mω2y2
यही कार्य कण में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है, अतः कण की स्थितिज ऊर्जा
P.E. = \(\frac{1}{2}\)mω2y2 ….(2)

सम्पूर्ण ऊर्जा – सरल आवर्त गति करते हुए कण की संपूर्ण ऊर्जा
E = K.E.+P.E.= \(\frac{1}{2}\)mω2 (A2 – y2) + \(\frac{1}{2}\)mω2y2
या E = \(\frac{1}{2}\)mω2 A2. …(3)
समी. (3) कण की संपूर्ण ऊर्जा का व्यंजक है, चूँकि m,ω, A नियत राशि हैं अत: E भी नियत होगा।
इस प्रकार सरल आवर्त गति करते हुए कण की यांत्रिक ऊर्जा नियत रहती है।

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आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
सरल आवर्त गति करते हुए कण का आवर्तकाल 2 सेकण्ड है। समय t = 0 से कितने । समय बाद उसका विस्थापन उसके आयाम का आधा होगा?
उत्तर:
प्रश्नानुसार, T = 2 सेकण्ड, विस्थापन y = \(\frac{a}{2}\)
∴ ω = 22.22 = π रेडियन/सेकण्ड
समी. y = a sin ωt से, \(\frac{a}{2}\) = a sin ωt
या sin ωt = \(\frac{1}{2}\) = sin \(\frac{π}{6}\)
∴ ωt = \(\frac{π}{6}\)
या πt = \(\frac{π}{6}\)
∴ t = \(\frac{1}{6}\) सेकण्ड।

प्रश्न 2.
एक सरल लोलक की लंबाई \(\frac{39 \cdot 2}{\pi^{2}}\) मीटर है। यदि g = 9.8 मी/से2 हो तो लोलक के आवर्तकाल की गणना कीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार, l = \(\frac{39 \cdot 2}{\pi^{2}}\) मीटर, g = 9.8 मी/ से2
अत: सूत्र T = 2π\(\sqrt{\frac{l}{g}}\)में मान रखने पर,
T = 2π\(\sqrt{\frac{39 \cdot 2}{\pi^{2} \times 9 \cdot 8}}=\frac{2 \pi}{\pi} \sqrt{\frac{39 \cdot 2}{9 \cdot 8}}\)
या T = 2 × 2 = 4 सेकण्ड।

प्रश्न 3.
सरल आवर्त गति करते हए कण का आवर्तकाल 2 सेकण्ड तथा कम्पन का आयाम 5 सेमी है। इसकी गति का समीकरण लिखिए-
(i) गति प्रारंभ करने के 1.5.सेकण्ड बाद कण का विस्थापन तथा वेग कितना होगा?
(ii) कितने समय बाद कण का विस्थापन 2.5 सेमी होगा?
(iii) कण का अधिकतम वेग तथा अधिकतम त्वरण कितना होगा? यह माना जाये कि कण अपनी माध्य स्थिति से गति प्रारंभ करता है ?
उत्तर:
प्रश्नानुसार, T = 2 सेकण्ड, a = 5 सेमी
ω = \(\frac{2 \pi}{T}=\frac{2 \pi}{2}\) π =3.14 रेडियन/सेकण्ड
चूँकि कण अपनी माध्य स्थिति से दोलन प्रारंभ करता है अतः गति का समीकरण निम्नलिखित होगा-
y = a sinωt = 5sin πt (सेमी)

(i) t = 1.5 सेकण्ड बाद
y = 5sin 1.5π = -5 सेमी
t = 1.5 सेकण्ड बाद u = aω cos ωt
अतः t = 1.5 सेकण्ड बाद u = 5 × πcos(π × 1.5) = 5π cos1.5π = 0

(ii) समीकरण y = 5 sin πt से y = 2.5 सेमी के लिए
2.5 = 5sin πt
या sin πt = \(\frac{2 \cdot 5}{5}=\frac{1}{2}=\sin \frac{\pi}{6}\)
∴ πt = \(\frac{\pi}{6}\)
या t = \(\frac{1}{6}\) सेकण्ड।

(iii) कण का अधिकतम वेग-
umax = aω
या umax = 5 x 3.14 = 15.7 सेमी/सेकण्ड
कण का अधिकतम त्वरण fmax = – ω2a
= -(3.14)2 x 5 = -49.3 सेमी/सेकण्ड2

प्रश्न 4.
एक सरल लोलक प्रति मिनट 60 दोलन करता है इसकी लंबाई ज्ञात कीजिए (जबकि g = 981 सेमी /सेकण्ड2)।
उत्तर:
MP Board Class 11th Physics Important Questions Chapter 14 दोलन 20
सूत्र – T = 2π \(\sqrt{\frac{l}{g}}\)से,
l = \(\frac{g T^{2}}{4 \pi^{2}}=\frac{981 \times(1)^{2}}{4 \times(3 \cdot 14)^{2}}\)
या l = 24.87 सेमी।

प्रश्न 5.
किसी ग्रह पर गुरुत्वीय त्वरण का मान पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण के मान का 1/4 है। यदि किसी सरल लोलक का आवर्तकाल पृथ्वी पर 2-0 सेकण्ड है तो उसका आवर्तकाल उस ग्रह पर कितना होगा?
उत्तर:
आवर्तकाल T = 2π\(\sqrt{\frac{l}{g}}\) अर्थात् T ∝ \(\frac{1}{\sqrt{g}}\)
∴ \(\frac{T_{2}}{T_{1}}=\sqrt{\frac{g_{1}}{g_{2}}}\)
प्रश्नानुसार, g1 = g,g2 = \(\frac{g}{4}\),T1 = 2 सेकण्ड, T2 = ?
∴ \(\frac{T_{2}}{T_{1}}=\sqrt{\frac{g}{\frac{g}{4}}}=\sqrt{4}\) = 2
∴ T2 = 2T1 = 2 × 2 = 4 सेकण्ड।
अत: ग्रह पर सरल लोलक का आवर्तकाल 4 सेकण्ड होगा।

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प्रश्न 6.
\(\frac{9 \cdot 8}{\pi^{2}}\) मीटर लंबाई के सरल लोलक का आवर्तकाल कितना होगा ? ऐसे लोलक को क्या कहते हैं ? (g = 9.8 मी/से2)
उत्तर:
l = \(\frac{9 \cdot 8}{\pi^{2}}\) तथा g = 9.8 मी/ से2
MP Board Class 11th Physics Important Questions Chapter 14 दोलन 21
ऐसे लोलक को (जिसका आवर्तकाल 2 सेकण्ड है) सेकण्डी लोलक कहते हैं।

प्रश्न 7.
100 सेमी तथा 110.25 सेमी लंबाई के दो लोलक एक साथ दोलन करना प्रारंभ करते हैं। कितने दोलनों के पश्चात् वे पुनः एक साथ दोलन करने लगेंगे ?
उत्तर:
माना 100 सेमी लंबाई के लोलक का दोलनकाल T1 है,तो
T1 2π\(\sqrt{\frac{100}{g}}\)
यदि 110.25 सेमी लंबाई के लोलक का दोलनकाल T2 है,तो
T22π\(\sqrt{\frac{110 \cdot 25}{g}}\)
स्पष्टः  T1<T2
अतः पुनः एक साथ दोलन करने के लिए यदि बड़ा लोलक । दोलन करता है तो छोटा लोलक (n + 1) दोलन करेगा अर्थात्
(n+1)T1 = nT2
या (n+1) × 2π\(\sqrt{\frac{100}{g}}\) = n × 2π\(\sqrt{\frac{110 \cdot 25}{g}}\)
या (n+1) × 10 = n × 10.5
या n(10.5 – 10) = 10
या n = \(=\frac{100}{5}\) = 20.
अर्थात् बड़े लोलक के 20 (या छोटे लोलक के 21) दोलनों के पश्चात् वे पुनः एक साथ दोलन करने

प्रश्न 8.
सेकण्डी लोलक की लंबाई
(i) पृथ्वी सतह पर (g = 9.8 मी/से2),
(ii) चन्द्रमा सतह पर (g= 1.65 मी/से2) ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
सेकण्डी लोलक के लिए T= 2 सेकण्ड होता है।
अत: सूत्र T = 2π\(\sqrt{\frac{l}{g}}\) में T = 2 सेकण्ड रखने पर,
l = \(\frac{g}{\pi^{2}}\)

(i) पृथ्वी सतह पर g = 9.8m/s2
∴ l = \(\frac{9 \cdot 8}{(3 \cdot 14)^{2}}\) = 0.99 मीटर।

(ii) चन्द्रमा सतह पर g = 1.65 मी/से2
अतः l = \(\frac{1 \cdot 65}{\pi^{2}}\)
l = 0.167 मीटर (लगभग)।

प्रश्न 9.
200 न्यूटन प्रति मीटर बल नियतांक वाली किसी आदर्श स्प्रिंग से 98 किग्रा द्रव्यमान का लटका पिण्ड दोलन कर रहा है। इसका आवर्तकाल कितना होगा?
उत्तर:
प्रश्नानुसार, m = 98 किग्रा, k = 200 न्यूटन /मीटर
आवर्तकाल T = 2π \(\sqrt{\frac{m}{k}}\)
या T = 2π\(\sqrt{\frac{98}{200}}\) = 2 × \(\sqrt{\frac{98}{200}}\) 3.14\(\sqrt{\frac{98}{200}}\)
∴ T = 4.396 सेकण्ड।

प्रश्न 10.
सरल आवर्त गति करते हुए पिण्ड की कुल ऊर्जा E है। जिस क्षण, कण का विस्थापन आयाम का आधा है, उस क्षण गतिज ऊर्जा कितनी है ? स्थितिज ऊर्जा कितनी है ?
उत्तर:
सरल आवर्त गति करने वाले कण की कुल ऊर्जा
E = \(\frac { 1 }{ 2 }\)mω2A2 ….(1)
सरल आवर्त गति करने वाले कण की गतिज ऊर्जा
K.E.=\(\frac { 1 }{ 2 }\)mω2(A2 – y2) …(2)
प्रश्नानुसार, y = \(\frac { A }{ 2 }\) = लेने पर,
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प्रश्न 11.
एक सरल आवर्त गति करने वाले कण का त्वरण जब वह माध्य स्थिति से 2 सेमी दूर है, 2 सेमी/सेकण्ड है तो उसका आवर्तकाल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है- y = 2 सेकण्ड, α = 2 सेमी/सेकण्ड2
∴ T = 2π \(\sqrt{\frac{y}{\alpha}}\) में मान रखने पर,
T = 2 × 3.14\(\sqrt{\frac{2}{2}}\) = 6.28 सेकण्ड।

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प्रश्न 12.
एक वस्तु सरल आवर्त गति कर रही है। उसका आवर्तकाल. 2 सेकण्ड तथा आयाम 2 मीटर है। वस्तु की अधिकतम चाल क्या होगी?
उत्तर:
T = 2 सेकण्ड, a = 2 मीटर
अतः आवर्तकाल ज्ञात = aω =\(a \times \frac{2 \pi}{T}=\frac{2 \times 2 \times 3 \cdot 14}{2}\)
= 2 × 3.14 = 6.28 मीटर /सेकण्ड।

प्रश्न 13.
किसी कमानीदार तुला का पैमाना 0 से 50 किग्रा तक अंकित है और पैमाने की लंबाई 20 सेमी है। इस तुला में लटकाया गया कोई पिण्ड, जब विस्थापित करके मुक्त किया जाता है, 0.6 सेकण्ड आवर्तकाल से दोलन करता है। पिण्ड का भार कितना है ?
उत्तर:
दिया है-अधिकतम भार या बल = 50 × 9.8 = 490 न्यूटन
अधिकतम प्रसार = 20 सेमी = 0.2 मीटर
तुला के कमानी या स्प्रिंग का नियतांक k = \(\frac{F}{x}=\frac{490}{0 \cdot 2}\)
= 2450 न्यूटन/मीटर
आवर्तकाल का सूत्र T = 2π\(\sqrt{\frac{m}{k}}\)से,
m = \(\frac{T^{2} k}{4 \pi^{2}}=\frac{0.6 \times 0 \cdot 6 \times 2450}{4 \times 3 \cdot 14 \times 3 \cdot 14}\)
या m = \(\frac{0.36 \times 2450}{4 \times 9.86}=\frac{882}{39 \cdot 44}\)
= 22.36 किग्रा।

प्रश्न 14.
1200 न्यूटन/मीटर कमानी स्थिरांक की कोई कमानी चित्र में दर्शाए अनुसार किसी क्षैतिज मेज से जुड़ी है। कमानी के मुक्त सिरे से 3 किग्रा द्रव्यमान का । कोई पिण्ड जुड़ा है। इस पिण्ड को एक ओर 2 सेमी दूरी तक खींच कर मुक्त किया जाता है,
MP Board Class 11th Physics Important Questions Chapter 14 दोलन 24
(i) पिण्ड के दोलन की आवृत्ति,
(ii) पिण्ड का अधिकतम त्वरण तथा
(iii) पिण्ड की अधिकतम चाल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है- k = 1200 न्यूटन/मीटर
m = 3 किग्रा
अधिकतम विस्थापन a = 2 सेमी = 0.02 मीटर
(i) ∴ T = 2π\(\sqrt{\frac{m}{k}}\), υ = \(\frac{1}{T}\)
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(ii) अधिकतम त्वरण α = ω2a
∵ ω = \(\sqrt{\frac{k}{m}}\) ⇒ ω2 = \(\frac{k}{m}\)
अतः α = \(\frac{k}{m}\) × a = \(\frac{1200}{3}\) × 0.02 = 8 मीटर सेकण्ड

(iii) अधिकतम वेग νmax = ωa = \(\sqrt{\frac{k}{m}}\) × a
= \(\sqrt{\frac{1200}{3}}\) × 0.02
= 20 × 0.02 = 0.40 मीटर/सेकण्ड।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनकर लिखिए-

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सा व्यंजक सरल आवर्त गति को प्रदर्शित नहीं करता है-
(a) x = Asin(ωt + δ)
(b) x = Bcos(ωt + Φ)
(c) x = A tan(ωt + Φ)
(d) x = A sinωt cosωt
उत्तर:
(c) x = A tan(ωt + Φ)

प्रश्न 2.
सरल आवर्त गति करते हुए एक कण का आवर्तकाल T सेकण्ड एवं आयाम a मीटर है।
माध्य स्थिति से \(\frac{a}{\sqrt{2}}\) मीटर की दूरी पर स्थित बिन्दु तक पहुँचने में इसके द्वारा लिया गया न्यूनतम समय है-
(a) T
(b) \(\frac{\mathrm{T}}{4}\)
(c) \(\frac{\mathrm{T}}{8}\)
(d) \(\frac{\mathrm{T}}{16}\)
उत्तर:
(c) \(\frac{\mathrm{T}}{8}\)

प्रश्न 3.
एक सरल आवर्त गति करने वाले कण का आयाम a तथा आवर्तकाल T है। इसका अधिकतम वेग होगा-
(a) \(\frac{4 a}{\mathrm{~T}}\)
(b) \(\frac{2 a}{\mathrm{~T}}\)
(c) 2π\(\sqrt{\frac{a}{\mathrm{~T}}}\)
(d) \(\frac{2 \pi a}{\mathrm{~T}}\)
उत्तर:
(d) \(\frac{2 \pi a}{\mathrm{~T}}\)

प्रश्न 4.
सरल आवर्त गति में त्वरण-
(a) आयाम की स्थिति पर अधिकतम होता है
(b) साम्य स्थिति पर अधिकतम होता है
(c) नियत होता है
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) आयाम की स्थिति पर अधिकतम होता है

प्रश्न 5.
सरल आवर्त गति में किसी क्षण कण के त्वरण और विस्थापन का अनुपात किसकी माप है-
(a) स्प्रिंग नियतांक
(b) कोणीय आवृत्ति
(c) (कोणीय आवृत्ति)
(d) प्रत्यानयन बल।
उत्तर:
(c) (कोणीय आवृत्ति)

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प्रश्न 6.
विस्थापन जब आयाम का आधा है तब स्थितिज ऊर्जा तथा कुल ऊर्जा का अनुपात होगा-
(a) \(\frac{1}{2}\)
(b) \(\frac{1}{4}\)
(c) 1
(d) \(\frac{1}{8}\)
उत्तर:
(b) \(\frac{1}{4}\)

प्रश्न 7.
सरल आवर्त गति में क्या नियत रहता है-
(a) प्रत्यानयन बल
(b) गतिज ऊर्जा
(c) स्थितिज ऊर्जा
(d) आवर्तकाल।
उत्तर:
(d) आवर्तकाल।

प्रश्न 8.
सरल लोलक का ‘l’ तथा ‘T’ के मध्य ग्राफ प्राप्त होता है-
(a) अतिपरवलय
(b) परवलय
(c) सरल रेखा
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) परवलय

प्रश्न 9.
एक स्प्रिंग से कोई द्रव्यमान m लटकाकर दोलन कराने पर आवर्तकाल T है। स्प्रिंग को अब दो बराबर भागों में विभक्त कर किसी एक भाग से वही द्रव्यमान लटकाने पर आवर्तकाल होगा-
(a) \(\frac{\mathrm{T}}{2}\)
(b) \(\frac{\mathrm{T}}{\sqrt{2}}\)
(c) \(\sqrt{2} \mathrm{~T}\)
(d) 2T
उत्तर:
(b) \(\frac{\mathrm{T}}{\sqrt{2}}\)

प्रश्न 10.
अनुनाद उदाहरण है-
(a) स्वरित्र का
(b) प्रणोदित दोलनों का
(c) स्वतंत्र दोलनों का
(d) अवमंदित दोलनों का।
उत्तर:
(b) प्रणोदित दोलनों का

2. सही जोड़ियाँ बनाइए

(I)
खण्ड ‘अ’ – खण्ड ‘ब’
1. सरल आवर्त गति में अधिकतम गतिज ऊर्जा – (a) 2π MP Board Class 11th Physics Important Questions Chapter 14 दोलन 26
2. सरल आवर्त गति में अधिकतम स्थितिज ऊर्जा – (b) नियत रहती है
3. सरल आवर्त गति में सम्पूर्ण ऊर्जा – (c) माध्य स्थिति में
4. सरल आवर्त गति में त्वरण – (d) अधिकतम विस्थापन की स्थिति में
5. सरल आवर्त गति में आवर्तकाल – (e) विस्थापन के अनुक्रमानुपाती।
उत्तर:
1. (c) माध्य स्थिति में,
2. (d) अधिकतम विस्थापन की स्थिति में,
3. (b) नियत रहती है,
4. (e) विस्थापन के अनुक्रमानुपाती,
5. (a) 2π MP Board Class 11th Physics Important Questions Chapter 14 दोलन 26

(II)

खण्ड ‘अ’ खण्ड ‘ब’
1. चन्द्रमा की गति (a) प्रणोदित दोलनों की विशेष अवस्था
2. अनुनाद (b) ऊर्जा तथा संवेग संरक्षण
3. सरल लोलक की गति (c) आवर्ती गति
4. यांत्रिक तरंगें (d) मूल आवृत्ति
5. कम्पन की न्यूनतम सम्भव आवृत्ति (e) सरल आवर्त गत।

उत्तर:
1. (c) आवर्ती गति,
2. (a) प्रणोदित दोलनों की विशेष अवस्था,
3. (e) सरल आवर्त गति,
4. (b) ऊर्जा तथा संवेग संरक्षण,
5. (d) मूल आवृत्ति।

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3. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करना …………… गति का उदाहरण है।
उत्तर:
आवर्ती

2. आवर्त गति में वह न्यूनतम समय अंतराल जिसके पश्चात् गति स्वयं को दोहराती है, ………………कहलाता है।
उत्तर:
आवर्तकाल

3. प्रति सेकण्ड होने वाली आवर्त गतियों की संख्या को …………… कहते हैं।
उत्तर:
आवृत्ति

4. पृथ्वी के केन्द्र पर सरल लोलक का आवर्तकाल …………… होता है।
उत्तर:
अनंत

5. सेकण्ड लोलक की लम्बाई लगभग …………… सेमी होती है।
उत्तर:
1 मीटर (100 सेमी)

6. एक स्प्रिंग का बल नियतांक k है। यदि स्प्रिंग को तीन बराबर भागों में काट दिया जाये तो प्रत्येक टुकड़े का बल नियतांक …………… होगा।
उत्तर:
3k

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4. सत्य/असत्य बताइए

1. प्रत्येक सरल आवर्त गति, आवर्ती होती है।
उत्तर:
सत्य

2. सभी आवर्ती गतियाँ, सरल आवर्त गतियाँ होती हैं।
उत्तर:
असत्य

3. सरल आवर्त गति में कुल ऊर्जा आयाम के वर्ग के समानुपाती होती है।
उत्तर:
सत्य

4. एक कण का सरल आवर्त गति में त्वरण हमेशा शून्य होता है।
उत्तर:
असत्य

5. सरल लोलक का दोलनकाल लोलक के लंबाई के वर्गमूल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
उत्तर:
सत्य

6. सरल लोलक का दोलनकाल गुरुत्वीय त्वरण के वर्गमूल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
उत्तर:
सत्य

7. संरल लोलक का दोलनकाल लोलक के द्रव्यमान, आकार व पदार्थ पर निर्भर करता है।
उत्तर:
असत्य

MP Board Class 11th Physics Important Questions Chapter 14 दोलन

8. सरल आवर्त गति में त्वरण न्यूनतम होने की दशा में वेग अधिकतम होता है।
उत्तर:
सत्य

9. पुल से गुजरते हुए सैनिकों को कदम मिलाकर चलने को कहा जाता है।
उत्तर:
असत्य

10. कठोर स्प्रिंग का दोलनकाल नरम स्प्रिंग की तुलना में कम होता है।
उत्तर:
सत्य

11. सरल लोलक का आवर्तकाल एक दिन नहीं हो सकता।
उत्तर:
सत्य