MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 1 कवितावली

MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 1 कवितावली (कविता, तुलसीदास)

कवितावली पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

कवितावली लघु-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कवि तुलसीदास ने किसके बालस्वरूप का वर्णन किया है?
उत्तर:
कवि तुलसीदास ने श्रीराम के बालस्वरूप का वर्णन किया है।

प्रश्न 2.
बालक राम की दन्त-पंक्ति की चमक की उपमा किससे दी गई है?
उत्तर:
बालक राम की दन्त-पंक्ति की चमक की उपमा ‘कुन्द’ नामक फूल की कली से दी गई है।

प्रश्न 3.
बालक राम किसको देखकर डर जाते हैं?
उत्तर:
बालक अपनी परछाईं को देखकर डर जाते हैं।

MP Board Solutions

कवितावली दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कविता के आधार पर बालक राम की सुन्दरता का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बालक श्रीराम के पैरों में धुंघरू हैं। कमल के समान कोमल हाथों में पहुँचियाँ और हृदय पर मन को हरने वाली मणियों की माला शोभा दे रही है। नए नीले कमल के समान उनके साँवले शरीर पर पीले रंग की झिंगुली (कपड़ा) झलक रही है। ऐसे बालक श्रीराम को अपनी गोद में लिए हुए राजा दशरथ अत्यधिक खुश हो रहे हैं। उन श्रीराम की आँखों रूपी भौरे कमल के समान सुन्दर उनके मुख रूपी पराग का आनन्द के साथ पान कर रहे हैं। यदि किसी के मन में ऐसे सुन्दर बाल रूप का ध्यान नहीं आया तो फिर इस संसार में रहने का क्या फल है। अर्थात् कुछ भी नहीं है।

प्रश्न 2.
कवि के अनुसार जीवन का सर्वोत्तम फल क्या है?
उत्तर:
कवि के अनुसार जीवन का सर्वोत्तम फल भगवान श्रीराम के बाल-रूप और उनकी बाल-लीलाओं का दर्शन कर लेना है। ऐसा इसलिए कि यह भगवदनुरक्ति – योग, तप और समाधि से कहीं अधिक बढ़कर है। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि अगर कोई भगवान श्रीराम के बाल-रूप और बाल-लीलाओं का दर्शन नहीं करता है, तो उसका जीवन गधों, सुअरों और कुत्तों के समान है। इसलिए उसका इस संसार में जीवित रहना बिल्कुल व्यर्थ है।

प्रश्न 3.
पाठ में आई तीन उपमाओं को उनके भाव सहित लिखिए।
उत्तर:
पाठ में आई तीन उपमाएँ और उनके भाव इस प्रकार हैं-
1. उपमा :
रंजित-अंजन नैन सुखंजन-जातक से-
भाव :
बालक श्रीराम की आँखें न केवल आकर्षक हैं, अपितु सुन्दर और विशाल भी हैं। उनकी आँखों की इन विशेषताओं को व्यंजित करने के लिए खंजन पक्षी के बच्चे की आँखों से उपमा देना अपने आप में एक सार्थक प्रयोग है।

2. अरविन्द सो आनन
भाव :
बालक श्रीराम का मुखमण्डल साधारण नहीं है। वह असाधारण और अधिक प्रभावशाली है। वह तो कमल के समान कोमल, आकर्षक और मनमोहक है। दूसरे शब्दों में यह कि राम का मुखमण्डल वैसे है, जैसे खिला हुआ कनल। इसलिए अत्यधिक मन को छू लेने वाला है।

3. झलकै दंतिया दुति दामिनी ज्यों
भाव :
बालक श्रीराम के दाँतों की चमक अद्भुत है। उसकी झलक बिजली की झलक के समान हृदयस्पर्शी है। उससे उनकी शारीरिक सुन्दरता में चार चाँद लग जाता है। इस प्रकार वह दर्शनीय और प्रेरक है।

कवितावली भाव-विस्तार/पल्लवन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव-विस्तार कीजिए
(क) कबहुँ ससि माँगत……….मोद भरै।
(ख) कही जग में फलु कौन जिएँ।
उत्तर:
(क) कबहुँ ससि माँगत………मोद भरै।
उपर्युक्त काव्य-पंक्तियों के द्वारा कवि ने बाल स्वभाव का सटीक उल्लेख करना चाहा है। कवि का यह मानना है कि बाल-स्वभाव बड़ा ही क्षणिक, अस्थिर और स्वाभिमानी होता है। इसलिए वह अपने सामने किसी की कुछ भी परवाह नहीं करता है। अपने नटखट और चंचल स्वभाव से अपने माता-पिता और अन्य परिजनों के दिलों को बाग-बाग कर देता है।

(ख) ‘कहाँ जग में फलु कौन जिएँ।’
उपर्युक्त काव्यांश में कवि बालक श्रीराम के प्रति अपनी एकमात्र भक्तिधारा को प्रवाहित करना चाहा है। इसलिए उसका यह मानना है कि यदि किसी के मन में सर्वाधिक सुन्दर बालक श्रीराम के बाल-सौन्दर्य का ध्यान न आया तो इस संसार में उसके जीते रहने का कोई फल नहीं है।

कवितावली भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखें
कमल, नेत्र, बालक, पग, नृप।
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 1 कवितावली img-1

प्रश्न 2.
कविता में से प्रत्ययांत (प्रत्यय से अन्त होने वाले) तीन शब्द खोजकर लिखिए
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 1 कवितावली img-2

MP Board Solutions

कवितावली योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
चन्द्रमा लेने की हठ से जुड़ा कोई अन्य प्रसंग या पद खोजें एवं कक्षा में सुनाएँ।
उत्तर:
योग्यता-विस्तार के उपर्युक्त सभी प्रश्नों के उत्तर छात्र/छात्रा अपने अध्यापक की सहायता से हल करें।

प्रश्न 2.
बालक की वेश-भूषा से सम्बन्धित कुछ वस्तुओं के नाम लिखें।
उत्तर:
योग्यता-विस्तार के उपर्युक्त सभी प्रश्नों के उत्तर छात्र/छात्रा अपने अध्यापक की सहायता से हल करें।

प्रश्न 3.
वात्सल्य सम्राट किसे माना जाता है, उनके पदों को खोजिए और कवितावली के इन पदों से उनकी तुलना कीजिए।
उत्तर:
योग्यता-विस्तार के उपर्युक्त सभी प्रश्नों के उत्तर छात्र/छात्रा अपने अध्यापक की सहायता से हल करें।

कवितावली परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

कवितावली लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कवि तुलसीदास ने श्रीराम के बाल स्वरूप का वर्णन कैसा किया है?
उत्तर:
कवि तुलसीदास ने श्रीराम के बाल स्वरूप का वर्णन बड़ा ही अद्भुत, रोचक और स्वाभाविक रूप में किया है।

प्रश्न 2.
बालक राम की आँखों की उपमा किससे दी गई है?
उत्तर:
बालक राम की आँखों की उपमा खंजन पक्षी के बच्चे की आँखों से। दी गई है।

प्रश्न 3.
माताएँ अपने बालकों की किस प्रकार की वाल-लीला को देखकर अपने मन में परमानन्दित हो उठती हैं?
उत्तर:
माताएँ अपने बालकों द्वारा अपने-अपने हाथों से तालियाँ बजा-बजा कर बाल-लीला करते हुए देखकर अपने मन में परमान्दित हो उठती हैं।

कवितावली दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कविता के आधार पर बालक श्रीराम के रूप-सौन्दर्य और बाल-लीला का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
‘बाल-रूप’ शीर्षक के अन्तर्गत संकलित पद महाकवि तुलसीदास की प्रमुख रचना ‘कवितावली’ से उद्धृत हैं। इन पदों में कवि ने राम के बाल-रूप सौन्दर्य का वर्णन किया है। इसके लिए कवि ने अनेक उपमाओं का आश्रय लिया है। उन उपमाओं के माध्यम से कवि ने राजा दशरथ के पुत्र श्रीराम के बाल-सौन्दर्य को चकित करने वाला, खंजन पक्षी के बच्चे के समान मन को लुभाने वाला और चन्द्रमा में खिले हुए दो नए नील-कमल के समान कहा है। ऐसे श्रीराम के चरणों में घुघरू, कमल के समान कोमल हाथों में पहुँचियाँ, और हृदय पर मनोहर मणियों की माला शोभा दे रही है। उनके साँवले शरीर पर पीले रंग की झिंगुली झलक रही है। उनकी आँखें रूपी भौरे कमल के समान सुन्दर मुँह रूपी मकरन्द का आनन्द के साथ पान कर रहे हैं। इससे उनका शरीर सुन्दर और आँखें कमल के समान लग रही हैं, जो कामदेव को भी लज्जित करने वाली हैं। उनकी दंतावलियां बिजली के समान चमक रही हैं। वे किलकारी मारते हुए बाल सुलभ लीलाएँ कर रहे हैं।

प्रश्न 2.
किसके जीवन को कवि ने सार्थक कहा है?
उत्तर:
कवि ने उस व्यक्ति के जीवन को सार्थक कहा है, जो श्रीराम के बाल रूप और बाल मनोविनोद में अपनी सच्ची श्रद्धा भावना रखता है। इसके विपरीत जीवन जीने वाले व्यक्ति के जीवन को निष्फल और निरर्थक माना है। उसके अनुसार ऐसे व्यक्तियों का जीवनतो गधों,सुअरोंऔर कुत्तों के समान है।फिर इस संसार में उनकेजीवनकाक्या अर्थ है?

प्रश्न 3.
प्रस्तुत कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता महाकवि तुलसीदास की अत्यधिक महत्त्वपूर्ण कविता है। इसमें उन्होंने श्रीराम के बाल-रूप का बड़ा ही रोचक उल्लेख किया है, तो उनकी बाल-लीलाओं के भी अनूठे चित्र खींचे हैं। इन दोनों ही प्रकार के चित्रों को मनमोहक बनाने के लिए उन्होंने सटीक उपमाओं का आश्रय लिया है। उनके ये चित्र बाल-मनोविज्ञान पर आधारित हैं। इसके लिए. कवि ने वात्सल्य रस को इस प्रकार प्रवाहित किया है कि उससे सहृदय पाठक रसमग्न हो उठता है। अन्ततः कवि ने उस व्यक्ति के जीवन को सार्थक माना है, जो राम के बालरूप और बाल-लीला से प्रेम रखता है।

MP Board Solutions

कवितावली कवि-परिचय

प्रश्न 1.
गोस्वामी तुलसीदास का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनके साहित्य की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय :
गोस्वामी तुलसीदास का जन्म सन् 1532 ई. में उत्तर-प्रदेश के बाँदा जिले के राजापुर गाँव में हुआ था। कुछ विद्वान उनका जन्म-स्थान सोरों (एटा) मानते हैं। उनके पिता का नाम श्री आत्माराम और माता का नाम हुलसी था। अभुक्त मूल नक्षत्र में जन्म लेने के कारण उनको अशुभ माना गया। इसलिए उनके माता-पिता ने उन्हें त्याग दिया। इससे उन्हें बचपन में अनेक प्रकार के कष्ट उठाने पड़े। सौभाग्य से उनकी भेंट बाबा नरहरिदास से हो गई। उन्होंने उन्हें शिक्षा और गुरु-मन्त्र दिया। उनकी योग्यता और नम्रता से प्रभावित होकर दीनबन्धु पाठक ने अपनी पुत्री रत्नावली का विवाह उनके साथ कर दिया। अपनी पत्नी रत्नावली से उनका बहुत अधिक प्यार था। कहा जाता है कि उसके अपने मायके चले जाने पर वे भी उफनती हुई नदी को पार कर उसके पास पहुँच गए। अर्द्धरात्रि में सामने देखकर उसने उन्हें इतना फटकरा कि वे संसार से विरक्त हो गए। वे राम-भक्ति में लीन हो गए। काशी जाकर उन्होंने शास्त्रों का अध्ययन-मनन किया। फिर भारत के प्रमुख तीर्थ-स्थानों की यात्रा करते हुए सन्त-महात्माओं का सत्संग किया। इसके बाद उन्होंने अनेक ग्रन्थ लिखे। उनका निधन सन् 1623 ई. में काशी के अस्सी घाट पर हो गया।

रचनाएँ :
तुलसीदास ने बारह ग्रन्थ लिखे हैं-रामचरितमानस, विनयपत्रिका कवितावली, दोहावली, गीतावली, बरवैरामायण, वैराग्य संदीपनी, रामलला नहछू, पार्वती मंगल, जानकी मंगल, रामाज्ञा प्रश्न और हनुमान बाहुक । इनमें रामचरितमानस सर्वाधिक प्रसिद्ध है। इसमें रामचरित्र को प्रेरणादायक रूप में प्रस्तुत किया गया है।

साहित्य की विशेषताएँ :
तुलसीदास रामभक्त थे। उन्होंने राम के अतिरिक्त अन्य देवी-देवताओं का भी गुणगान किया है।

(क) भाव पक्ष :
तुलसीदासं राम के अनन्य भक्त थे। उनके काव्य में राम के प्रति पूरी श्रद्धाभावना व्यक्त हुई है। लोक-कल्याण की भावना उनके काव्य में मुख्य रूप से है। उन्होंने प्रकृति के सभी रूपों का मोहक चित्रण किया है। राम-कथा के द्वारा उन्होंने अनेक मतों-सिद्धान्तों का खण्डन-मण्डन किया है। उन्होंने अपनी भक्ति भावना से सबको प्रभावित और आकर्षित किया है।

(ख) कला पक्ष :
तुलसीदास के काव्य की भाषा अवधी और ब्रज दोनों ही है। इन दोनों भाषाओं के अतिरिक्त उनके काव्य में संस्कृत, उर्दू, फारसी आदि के भी शब्द मिलते हैं। उन्होंने अपने काव्य में प्रचलित मुहावरों-कहावतों का सुन्दर प्रयोग किया है। उनके काव्य में सभी रसों के प्रयोग हुए हैं। उनकी कविताओं में दोहा, चौपाई, सोरठा, सवैया, कवित्त आदि छन्द हैं। उनके काव्य में अनुप्रास, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, सन्देह, अतिशयोक्ति आदि अलंकार यथास्थान प्रयुक्त हुए हैं। उन्होंने भावात्मक, वर्णनात्मक, चित्रात्मक आदि शैलियों के सफल प्रयोग किए हैं।

(ग) साहित्य में स्थान :
तुलसीदास का साहित्य एक ऐसी सरिता है, जिसमें स्नान करने से सभी प्रकार के क्लेश दूर हो जाते हैं, मन पवित्र हो जाता है और उसमें आस्था-विश्वास के अंकुर फूटने लगते हैं। तुलसीदास का गुणगान करते हुए किसी कवि ने ठीक ही कहा है-
सूर ससी, तुलसी रवी, उड्गन केसवदास।
अब के कवि खद्योत सम, जहँ-जहँ करत प्रकास॥

बाल-रूप की झाँकी भाव सारांश

कविता का सार

प्रश्न 1.
तुलसीदास द्वारा रचित ‘बाल-रूप’ शीर्षक के अंतर्गत संकलित पदों का सारांश लिखिए।
उत्तर:
‘बाल-रूप’ शीर्षक के अन्तर्गत संकलित पद महाकवि तुलसीदास की प्रमुख रचना ‘कवितावली’ से उद्धृत हैं। इन पदों में कवि ने राम के बाल-रूप सौन्दर्य का वर्णन किया है। इसके लिए कवि ने अनेक उपमाओं का आश्रय लिया है। उन उपमाओं के माध्यम से कवि ने राजा दशरथ के पुत्र श्रीराम के बाल-सौन्दर्य को चकित करने वाला, खंजन पक्षी के बच्चे के समान मन को लुभाने वाला और चन्द्रमा में खिले हुए दो नए नील-कमल के समान कहा है। ऐसे श्रीराम के चरणों में घुघरू, कमल के समान कोमल हाथों में पहुँचियाँ, और हृदय पर मनोहर मणियों की माला शोभा दे रही है। उनके साँवले शरीर पर पीले रंग की झिंगुली झलक रही है। उनकी आँखें रूपी भौरे कमल के समान सुन्दर मुँह रूपी मकरन्द का आनन्द के साथ पान कर रहे हैं। इससे उनका शरीर सुन्दर और आँखें कमल के समान लग रही हैं, जो कामदेव को भी लज्जित करने वाली हैं। उनकी दंतावलियां बिजली के समान चमक रही हैं। वे किलकारी मारते हुए बाल सुलभ लीलाएँ कर रहे हैं।

बाल-रूप की झाँकी संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

1. अवधेश के द्वारे सकारे गई सुत गोद कै भूपति लै निकसे।
अवलोकि हौं सोच बिमोचन को ठगि-सी रही, जे न ठगे धिक-से।।
तुलसी मन-रंजन रंजित-अंजन नैन सुखंजन-जातक-से।
सजनी ससि में समसील उभै नवनील सरोरुह से बिकसे ॥1॥

शब्दार्थ :
अवधेश-राजा दशरथ। सुत-पुत्र। भूपति-राजा। सकारे-सुबह। कै-लै-लेकर। अवलोकि-देखकर। सोच-विमोचन-शोक (दुख) से छुटकारा दिलाने वाले। हौं-मैं। ठगि-सी रही-चकित रह गई। खंजन-जातक-खंजन नाम के पक्षी का बच्चा। रंजित अंजन नैन-काजल लगे नेत्र। उभै-दो। नवनील-नए। सरोरुह-नील कमल। विकसे-खिले हुए।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद हमारी पाठ्य पुस्तक ‘सामान्य हिन्दी भाग-1’ में संकलित तथा महाकवि तुलसीदास विरचित काव्य-रचना कवितावली के ‘बाल-रूप की झाँकी शीर्षक से लिया गया है। इसमें महाकवि तुलसीदास ने श्रीराम की बाल-शोभा का आकर्षक चित्रण किया है। कवि ने इस विषय में कहा है कि-

व्याख्या :
एक सखी दूसरी सखी से कह रही है कि हे सखी! मैं सुबह अयोध्या के स्वामी दशरथ के महल के द्वार गई। उस समय राजा दशरथ अपने पुत्र रामचन्द्र को अपनी गोद में लेकर राजमहल से बाहर निकल रहे थे। मैं तो शोक से मुक्त करने वाले उन रामचन्द्र की सुन्दरता को देखकर चकित रह गई। उस अपार और अत्यधिक सुन्दरता को देखकर जो चकित न हो, उसे धिक्कार है। खंजन पक्षी के बच्चे के समान मन को लुभाने वाले काजल लगी हुई उनकी आँखें उस समय ऐसी लग रही थीं, मानो चन्द्रमा में दो नए और समान सुन्दरता वाले नील कमल खिले हुए हैं।

विशेष :

  1. बालक राम की आँखों की आकर्षक सुन्दरता का चित्रण है।
  2. खंजन पक्षी के बच्चों की आँखों की उपमा देने से उपमा अलंकार है।
  3. वात्सल्य रस का प्रवाह है।
  4. सवैया छन्द है।
  5. चित्रात्मक शैली है।

MP Board Solutions

पद पर आधारित सौन्दर्य-बोध सम्बन्धी प्रश्नोत्तर

प्रश्न.
(i) प्रस्तुत पद के भाव-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
(ii) प्रस्तुत पद के काव्य-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
(iii) ‘अवलोकि हौं………………………धिक से।’ का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए
उत्तर:
(i) प्रस्तुत पद में महाकवि तुलसीदास ने बालक श्रीराम के रूप-सौन्दर्य का आकर्षक चित्र खींचा है। यह चित्र बड़ा मनमोहक और रोचक होने के कारण प्रेरक भी है। कवि का मानना है कि बालक श्रीराम की सुन्दरता चकित करने वाली है। उस रूप-सौन्दर्य को देखकर जो चकित न हो, उसे धिक्कार है। काजल लगी उनकी आँखों की सुन्दरता खंजन-पक्षी के बच्चे की आँखों के समान बार-बार मन को लुभाने वाली है। इस प्रकार की उनकी आँखें वैसे ही सुन्दर दिखाई दे रही हैं, मानो चन्द्रमा में दो नए और समान सुन्दरता वाले नील कमल खिले हुए हों।

(ii) प्रस्तुत पद का काव्य-सौन्दर्य देखते ही बनता है। उसमें विशुद्ध ब्रज भाषा का प्रयोग किया गया है। खंजन पक्षी के बच्चों की आँखों और चन्द्रमा में खिल रहे कमलों से दी गई उपमा बड़ी सटीक और सार्थक रूप में है। ‘ठगे-से रह जाना’ मुहावरे का सफल प्रयोग हुआ है। वात्सल्य रस के प्रवाह से यह पद बड़ा ही सरस बन गया है। इस प्रकार इस पद में प्रस्तुत बिम्ब और प्रतीक चित्रात्मक शैली में होने से अधिक महत्त्वपूर्ण सिद्ध हो रहे हैं।

(iii) इसमें कवि तुलसीदास ने बालक श्रीराम के रूप को चकित करने वाला कहा है। इसके साथ ही ऐसे रूप-सौन्दर्य को देखकर चकित न होने वाले को धिक्कारा है। उससे कवि को बालक श्रीराम का अद्भुत सौन्दर्य प्रति एकमात्र प्रेम सिद्ध हो रहा है।
पद पर आधारित विषय-वस्तु से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर

प्रश्न.
(i) कवि और कविता का नाम लिखिए।
(ii) कविता का मुख्य विषय क्या है?
(iii) तुलसीदास ने बालक श्रीराम के रूप-सौन्दर्य को देखकर चकित न होने वाले को क्यों धिक्कारा है?
(iv) किसके माध्यम से बालक श्रीराम के रूप-सौन्दर्य पर प्रकाश डाला गया है?
उत्तर:
(i) कवि-तुलसीदास, कविता- ‘बालकाण्ड’ ।
(ii) बालक श्रीराम के अद्भुत रूप-सौन्दर्य का चित्रण।
(iii) एक सखी अपनी दूसरी सखी को सम्बोधित करते हुए कह रही है, इसके माध्यम से बालक श्रीराम के रूप-सौन्दर्य पर. प्रकाश डाला गया है।

2. पग नूपुर औ पहुँची करकंजनि मंजु बनी मनिमाल हिएँ।
नवनील कलेवर पीत अँगा झलकै पुलकैं नूपु गोद लिएँ।
अरबिन्दु सो आननु रूप मरंदु अनन्दित लोचन-भृग पिएँ।
मनमो न बस्यौ अस बालकु जौं तुलसी जगमें फलु कौन जिएँ॥2॥

शब्दार्थ :
पग-पैर। नूपुर-घुघुरू। करकजनि-कमल रूपी हाथों में। मंजु-सुन्दर। मनिमाल-मणियों की माला। हिए-हृदय। नवनील-नया नीला कमल। कलेवर-शरीर। पीत-पीला। झगा-झिंगुली (कपड़ा)। पुलके-प्रसन्न।नृप-राजा दशरथ। अरविन्द-कमल। आनन-मुखमण्डल। मरंद-पराग। लोचन-ग-आँख रूपी भौंरा।।

प्रसंग :
पूर्ववत्। इस पद में महाकवि ने बालक श्रीराम के शारीरिक सुन्दरता का चित्रण करते हुए कहा है कि-

व्याख्या :
बालक श्रीराम के पैरों में धुंघरू हैं। कमल के समान कोमल हाथों में पहुँचियाँ और हृदय पर मन को हरने वाली मणियों की माला शोभा दे रही है। नए नीले कमल के समान उनके साँवले शरीर पर पीले रंग की झिंगुली (कपड़ा) झलक रही है। ऐसे बालक श्रीराम को अपनी गोद में लिए हुए राजा दशरथ अत्यधिक खुश हो रहे हैं। उन श्रीराम की आँखों रूपी भौरे कमल के समान सुन्दर उनके मुख रूपी पराग का आनन्द के साथ पान कर रहे हैं। यदि किसी के मन में ऐसे सुन्दर बाल रूप का ध्यान नहीं आया तो फिर इस संसार में रहने का क्या फल है। अर्थात् कुछ भी नहीं है।

विशेष :

  1. बालक रान की शारीरिक सुन्दरता का मनमोहक चित्रण है।
  2. वात्सल्य रस का सुन्दर प्रवाह है।
  3. शैली चित्रमयी है।
  4. सवैया छन्द है।
  5. उपमा अलंकार है।

पद पर आधारित सौन्दर्य-बोध सम्बन्धी प्रश्नोत्तर

प्रश्न.
(i) प्रस्तुत पद के भाव-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
(ii) प्रस्तुत पद के काव्य-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
(iii) ‘नवनील कलेवर पीत अँगा, झलकै पुलकै नूपु गोद लिए’ काव्यांश में कौन-सा भाव व्यक्त हुआ है?
उत्तर:
(i) प्रस्तुत पद में कवि तुलसीदास ने बालक श्रीराम के रूप-सौन्दर्य का स्वाभाविक चित्रांकन किया है। बालक श्रीराम के पैरों में घुघुरू, हाथों में पहुँची, हृदय पर मोतियों की माला और पीला वस्त्र उनके साँवले शरीर पर असाधारण शोभा दे रहे हैं। उनकी आँखों के रूप-सौन्दर्य का रसपान भौरे कर रहे हैं। यह सम्पूर्ण चित्रण अपने आप में भाववर्द्धक और आकर्षक है। इसके लिए कवि ने उपयुक्त उपमाओं का चुनाव किया है। तुकान्त शब्दावली और चित्रमयी शैली में ढला हुआ यह पद बड़ा ही अनूठा है।

(ii) प्रस्तुत पद काव्य-सौन्दर्य, भाषा, शैली, रस, छन्द, प्रतीक और योजना की विविधता के कारण देखते ही बनता है। इसकी भाषा सरल और सपाट है, तो शैली विविधता लिए हुए चित्रमयी हो गई है। ‘झगा झलकै’ में अनुप्रास अलंकार है तो ‘अरबिन्दु सो आनन’ में उपमा अलंकार है। इसी प्रकार ‘लोचन-शृंग’ में रूपक अलंकार है। सम्पूर्ण पद सवैया छन्द में गीतबद्ध होकर अधिक सरस और हृदयस्पर्शी बन गया है।

MP Board Solutions

पद पर आधारित विषय-वस्तु से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर

प्रश्न.
(i) कवि और कविता का नाम लिखिए।
(ii) कविता का मुख्य विषय क्या है?
(iii) श्रीराम के किस रूप का वर्णन किया गया है?
उत्तर:
(i) कवि-तुलसीदास, कविता- ‘बालकाण्ड’।
(ii) कविता का मुख्य विषय है-श्रीराम के बाल-सौन्दर्य का आकर्षक और मनोहारी वर्णन करके उसे मन में उतारकर जीवन को सफल बनाने का उल्लेख करना है।
(iii) श्रीराम के बाल-रूप-सौन्दर्य का नखशिख वर्णन किया गया है?

3. तन की दुति स्याम सरोरुह लोचन कंज की मंजुलताई हरैं।
अति सुंदर सोहत, धूरि भरे छबि भूरि अनंग की दूरि धरै॥
दमकैं द॑तियाँ दुति दामिनी-ज्यौं किलक कल बाल-बिनोद करें।
अवधेस के बालक चारि सदा तुलसी-मन-मन्दिर में बिहरै ॥3॥

शब्दार्थ :
तन-शरीर। दुति-चमक। सरोरुह-कमल। लोचन-आँख। कंज-कमल। मंजुलताई-सुन्दरता, सुकोमलता। छवि-सुन्दर। भूरि-बहुत। अनंग-कामदेव। दंतिया-छोटे-छोटे दाँत। दुति-चमक। दामिनी-बिजली। ज्यों-जैसे। किलके-किलकारी। विनोद-मनोरंजन।

प्रसंग :
पूर्ववत्। इसमें कवि ने बालक श्रीराम के आकर्षक और कामदेव को लज्जित करने वाले रूप की सुन्दरता का उल्लेख किया है। कवि का कहना है कि-

व्याख्या :
बालक श्रीराम की शरीर की सुन्दरता साँवले कमल के समान चमक रही है। उनकी आँखें कमलों की सुन्दरता को हर रही हैं। धूल से धूसरित होने पर भी उनका शरीर इतना अधिक सुन्दर दिखाई दे रहा है उसके सामने कामदेव की सुन्दरता भी फीकी पड़ रही है। उनके छोटे-छोटे दाँतों की चमक बिजली के समान है। वे किलकारी मारते हुए अपने साथियों का मनोरंजन कर रहे हैं। कवि तुलसीदास का पुनः कहना है कि अयोध्या के राजा दशरथ के चारों बालक उनके मन-मन्दिर में सदैव विहार करें।

विशेष :

  1. बालक श्रीराम की शारीरिक सुन्दरता को बेजोड़ कहा गया है।
  2. भाषा शुद्ध ब्रजभाषा है।
  3. शैली चित्रमयी है।
  4. वात्सल्य का सुन्दर प्रवाह है।
  5. सम्पूर्ण वर्णन भाववर्द्धक रूप में है।

पद पर आधारित सौन्दर्य-बोध सम्बन्धी प्रश्नोत्तर

प्रश्न.
(i) प्रस्तुत पद के भाव-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
(ii) प्रस्तुत पद के काव्य-सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए।
(iii) ‘मन-मन्दिर में बिहरै’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(i) कवि तुलसीदास ने इस पद में यह बतलाने का प्रयास किया है कि बालक श्रीराम का साँवला शरीर धूल से भरा होने पर भी बहुत अधिक सुन्दर दिखाई दे रहा है इसलिए वह कामदेव की भी सुन्दरता को मात दे रहा है। उनकी आँखों की सुन्दरता कमल की सुन्दरता से बढ़कर है तो उनके दाँतों की चमक बिजली की चमक से कहीं अधिक चमकदार है। इस प्रकार बालक श्रीराम की शोभा पर ऐसा कौन है, जो अपने आपको निछावर न कर दे; अर्थात् हर कोई अपने आपको निछावर कर देने के लिए तैयार है।

(ii) प्रस्तुत पद में कवि ने श्रीराम के शारीरिक सौन्दर्य को हृदयस्पर्शी बनाने के लिए कई प्रकार की उपमाओं का आश्रय लिया है। उनके साँवले शरीर और आँखों की सुन्दरता के लिए कमल और दाँतों की चमक के लिए बिजली की चमक से तुलना की है। उनके साँवले शरीर को अत्यधिक सुन्दर बतलाने के लिए कामदेव की भी सुन्दरता को फीका कहा है। इस प्रकार इस पद में मुख्य रूप से उपमा अलंकार का बाहुल्य है, ‘मन-मन्दिर’ में रूपक अलंकार है। शृंगार रस का प्रवाह है। अभिधा शब्द-शक्ति है। इस पद में ब्रज भाषा की प्रचलित शब्दावली का प्रयोग हुआ है। शैली चित्रमयी है।

(iii) मन रूपी मंदिर में ईश्वर विचरण करते हैं। कवि यह दिखाना चाहता है कि ईश्वर का निवास हमारे मन में है।
पद पर आधारित विषय-वस्तु से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर

प्रश्न.
(i) कवि और कविता का नाम लिखिए।
(ii) कविता का मुख्य विषय क्या है?
(iii) बालक श्रीराम के रूप-सौन्दर्य को कौन और क्यों अपने में बसा लेना चाहता है?
उत्तर:
(i) कवि-तुलसीदास, कविता-‘बालकाण्ड’।
(ii) कविता का मुख्य विषय है-बालक श्रीराम की शारीरिक सुन्दरता कामदेव की सुन्दरता से बढ़कर बतलाते हुए उसे हृदयस्पर्शी बना लेने का प्रयास करना है।
(iii) बालक श्रीराम के रूप-सौन्दर्य को कवि तुलसीदास अपने हृदय में बसा लेना चाहते हैं। यह इसलिए कि वे श्रीराम के अनन्य भक्त हैं।

MP Board Solutions

बाललीला भाव सारांश

प्रश्न 1.
‘बाललीला’ कविता का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘बाललीला’ कवितांश महाकवि तुलसीदास की अमर रचना ‘कवितावली’ के ‘बालकाण्ड’ से उद्धृत है। राजा दशरथ के बालक कभी चन्द्रमा लेने का हठ करते हैं, तो कभी अपनी छाया को देखकर डर जाते हैं। कभी अपनी-अपनी तालियों को बजाकर अपनी माताओं को खुश कर देते हैं। कभी-कभी क्रोध में आकर अपनी मनचाही वस्तु को ले ही लेते हैं। उनके पैर कमल के समान कोमल और सुन्दर हैं। उनमें जूतियाँ शोभा दे रही हैं। वे अपने साथियों के साथ सरयू नदी के किनारे बाल-लीला करते हुए लोगों के मनों को मोह रहे हैं। ऐसे बालकों के प्रति जिनका प्रेम नहीं है, तो वे गधों और कुत्तों के समान हैं। फिर इस संसार में उनका जन्म लेना ही व्यर्थ है।

बाललीला संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

1. कबहूँ ससि माँगत आरि करें, कबहूँ प्रतिबिम्ब निहारि डरें।
कबहूँ करताल बजाइ कै नाचत मातु सबै मन मोद भरें।
कबहूँ रिसिआई कहैं हठिकै पुनि लेत सोई जेहि लागि अरैं।
अवधेस के बालक चारि सदा तुलसी-मन-मन्दिर में बिहरे॥

शब्दार्थ :
कबहुँ-कभी। ससि-चन्द्रमा। माँगत-माँगते हैं। आरि-करै-हठ करते हैं। प्रतिबिम्ब-परछाईं, छाया। निहारि-देखकर। करताल-हाथों से ताली बजाना। रिसिआई-क्रोध में आकर। सोई-वही। जेहि-जिसे। लागि अरै-अड़ जाते हैं।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सामान्य हिन्दी भाग-1’ में संकलित तथा कवि तुलसीदास विरचित काव्य-रचना ‘कवितावली’ के ‘बाल-लीला’ शीर्षक से ली गई है। इसमें कवि ने राजा दशरथ के चारों पुत्रों अर्थात् राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के बाललीला का स्वाभाविक चित्रांकन किया है। इस सम्बन्ध में कवि का कहना है कि-

व्याख्या :
राजा दशरथ के पुत्र कभी-कभी तो चन्द्रमा लेने का हठ करते हैं, तो कभी अपनी ही परछाई को देखकर डर जाते हैं। वे कभी-कभी अपने हाथों से तालियाँ . बजा-बजाकर अपनी माताओं को खुश कर देते हैं। वे कभी-कभी क्रोध में आते हैं, तो अपनी मनचाही वस्तु को लेने के लिए हठ करते हैं। फिर उसे लेकर ही वे शान्त होते हैं। इस प्रकार राजा दशरथ के चारों पुत्र उसके (कवि तुलसीदास) के मन रूपी मन्दिर में विहार करते हैं।

विशेष :

  1. सारा चित्रण स्वाभाविक है।
  2. ब्रजभाषा का यथोचित प्रयोग हुआ है।
  3. शैली चित्रमयी है।
  4. पद में वात्सल्य रस का प्रवाह है।

पद पर आधारित सौन्दर्य-बोध सम्बन्धी प्रश्नोत्तर

प्रश्न.
(i) प्रस्तुत पद का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
(ii) प्रस्तुत पद के काव्य-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
(iii) ‘कबहुँ रिसिआई कहै हठि के, पुनि लेत सोइ, जेहि लागि अरै’ से किस बाल-स्वभाव का पता लगता है?
उत्तर:
(i) प्रस्तुत पद का भाव-सौन्दर्य अत्यधिक भाववर्द्धक है। बाल-स्वभाव का सहज और सजीव चित्रण हुआ है। इसके लिए सरल और यथोचित वस्तु स्वरूपों को सामने लाया गया है। फिर उनसे रोचक लगने वाली स्थितियों को नपे-तुले भावों के द्वारा व्यक्त किया गया है। फलस्वरूप इस पद का भाव-सौन्दर्य अनूठा हो गया है।

(ii) प्रस्तुत पद का काव्य-सौन्दर्य भाव, भाषा, शैली और बिम्बों-प्रतीकों के सटीक प्रयोगों के कारण देखते ही बनता है। ब्रज भाषा की शब्दावली के द्वारा ‘कबहुँ’ पुनरुक्ति अलंकार का चमत्कार है, तो पूरे पद में वात्सल्य रस का सुन्दर प्रवाह है। बाल-स्वभाव के मनोवैज्ञानिक उल्लेख से कवि की असाधारण काव्य-प्रतिभा की पहचान हो रही है।

(iii) ‘कबहुँ रिसिआई कहै हठि कै, पुनि लेत सोई, जेहि लागि अरै’ से बाल-स्वभाव की मनोवैज्ञानिक दशा का पता लगता है। पद पर आधारित विषय-बोध से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर

प्रश्न.
(i) कवि और कविता का नाम लिखिए।
(ii) कविता का मुख्य भाव क्या है?
(iii) बाल-स्वभाव कैसा होता है?
उत्तर:
(i) कवि-तुलसीदास, कविता-‘बाल-लीला।’
(ii) स्वभाव के रोचक और हृदयस्पर्शी स्वरूपों का चित्रण करना।
(iii) बाल स्वभाव बड़ा ही चंचल, अस्थिर, स्वतन्त्र और हठी होता है।

2. पदकंजनि मंजु बनीं पनहीं धनुहीं सर पंकज-पानि लिएँ।
लरिका सँग खेलत डोलत हैं सरजू-तट चौहट हाट हिएँ।।
तुलसी अस बालक-सों नहिं नेहु कहा जप जोग समाधि किएँ।
नर वे खर सूकर स्वान समान कहो जगमें फल कौन जिएँ।

शब्दार्थ :
पदकंजनि-कमल के समान कोमल पैर। मंजु-सुन्दर। पनहीं-जूतियाँ। पानि-हाथ। लरिका-साथी। चौहट हाट-चारों ओर फैला हुआ बाजार। नेह-प्रेम। सूकर-सुअर। खर-गधा। श्वान-कुत्ता।

प्रसंग :
पूर्ववत्! इसमें कवि ने बालक श्रीराम के मनमोहक बाललीला का चित्रण किया है। कवि का कहना है कि-

व्याख्या :
बालक श्रीराम के पैर कमल के समान सुन्दर और कोमल हैं। उनकी जूतियाँ भी उसी तरह सुन्दर हैं और मन को मोहने वाली हैं। वे अपने साथियों के साथ सरयू नदी के किनारे स्थित बाजारों और चौराहों पर बाल-लीला करते हुए सबके मन को मोह रहे हैं। कवि का पुनः कहना है कि यदि ऐसे मनोहर बालक के प्रति जिसका प्रेमभाव नहीं है, उसे जप, योग और समाधि लेने से भी कुछ लाभ नहीं प्राप्त होगा। इस प्रकार के लोगों का जीवन तो गधों, सुअरों और कुत्ते के समान ही निरर्थक है। बतलाइए, इस संसार में उनके जीवन का क्या अर्थ है। उनका जीवन किसी प्रकार भी सार्थक नहीं है।

विशेष :

  1. बालक श्रीराम और भाइयों-मित्रों की स्वच्छन्दता का उल्लेख है।
  2. सवैया छन्द है।
  3. आध्यात्मिक स्वरूपों का उल्लेख यथार्थ रूप में है।
  4. ब्रजभाषा की शब्दावली है।

MP Board Solutions

पद पर आधारित सौन्दर्य-बोध सम्बन्धी प्रश्नोत्तर

प्रश्न.
(i) प्रस्तुत पद के भाव-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
(ii) प्रस्तुत पद का काव्य-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
(iii) किसका जीवन गधों, सुअरों और कुत्तों के समान है?
उत्तर:
(i) प्रस्तुत पद में बालक श्रीराम की बाल-लीला का चित्र खींचा है। यह चित्र स्वाभाविक होने के साथ भाववर्द्धक है। बालक श्रीराम की बाल-लीला को सरल और सहज रूप में प्रस्तुत कर उसे अधिक मनोरम बनाने का प्रयास सराहनीय है।
(ii) प्रस्तुत पद में चित्रित बालक श्रीराम के बाल स्वरूप को ब्रज भाषा की प्रचलित शब्दावली, रूपक, उपमा और अनुप्रास अलंकार से अलंकृत करने का सफल प्रयास किया गया है। सवैया छन्द और गीतात्मक शैली के कारण इस पद का आकर्षण और बढ़ गया है।
(iii) ऐसे व्यक्तियों का जीवन गधों, सुअरों और कुत्तों के समान है, जिनके मन को श्रीराम और उनके भाइयों की यह बालक्रीड़ा मोहित न कर पा रही हो। पद पर आधारित विषय-वस्तु से सम्बन्धी प्रश्नोत्तर

प्रश्न.
(i) कवि और कविता का नाम लिखिए।
(ii) प्रस्तुत पद का मुख्य भाव बताइए।
(iii) जप, योग और समाधि को निरर्थक क्यों कहा गया है?
उत्तर:
(i) कवि-तुलसीदास, कविता-‘बाल-लीला’।
(ii) प्रस्तुत पद का मुख्य भाव बालक श्रीराम के पैरों की सुन्दरता को आकर्षक रूप में प्रस्तुत करके उनके प्रति अपनी एकमात्र भक्ति-भावना प्रकट करना है।
(iii) जप, योग और समाधि को निरर्थक कहा गया है। ऐसा इसलिए कि बालक श्रीराम का बाल-सौन्दर्य और बाल-लीला के प्रति एकमात्र प्रेमभाव के सामने जप, योग और समाधि का कुछ भी महत्त्व नहीं है।

MP Board Class 11th Hindi Solutions