MP Board Class 10th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 9 रक्षाबंधन (कहानी, विश्वम्भरनाथ शर्मा ‘कौशिक’)
रक्षाबंधन अभ्यास
कहानी
प्रश्न 1.
धनश्याम ने अपनी माता और बहिन की खोज कहाँ-कहाँ की?
उत्तर:
घनश्याम एक स्वस्थ तथा सुन्दर युवक था। जो धन कमाने दक्षिण को गया था। इस दौरान उसका अपनी माँ तथा छोटी बहन से सम्पर्क टूट गया। जो उससे बिछुड़ गये उनको विभिन्न शहरों; जैसे-कानपुर, लखनऊ, उन्नाव आदि में तलाश किया। अन्त में जब उसकी काफी कोशिश के पश्चात् भी उसकी माँ तथा बहन न मिली, तो वह निराश हो गया।
प्रश्न 2.
नाटकीय ढंग से हुए माँ-बेटे और बहिन के मिलन दश्य का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
घनश्याम माँ तथा बहन से बिछुड़ने के पश्चात् नितान्त अकेला रह गया था। उसका एक मित्र अमरनाथ जो उसके भविष्य को लेकर चिन्तित रहता था; उसके लिए विवाह योग्य कन्या की तलाश में रहता था। काफी तलाश के पश्चात् अपने मित्र घनश्याम के योग्य एक कन्या देखी। वह अपने मित्र घनश्याम के साथ उस कन्या को देखने हेतु उसके घर पहुँचा उस कन्या का घर यहियागंज की गली में एक छोटा-सा मकान था। वहाँ उसकी माँ उसको देखकर बेहोश हो गई। अमरनाथ ने पानी लेकर घनश्याम की माता की आँखें तथा मुख धो दिये। थोड़ी देर में उसे होश आया। उसने आँखें खोलते ही फिर घनश्याम को देखा। वह शीघ्रता से उठकर बैठ गयी और बोली-ऐ, मैं क्या स्वप्न देख रही हूँ? घनश्याम क्या तू मेरा खोया घनश्याम है? या कोई और? माता ने पुत्र को उठाकर छाती से लगा लिया। लड़की यह सब देख सुनकर भैया-भैया कहती हुई घनश्याम से लिपट गयी घनश्याम ने देखा-लड़की कोई और नहीं,वही बालिका है जिसने पाँच वर्ष पूर्व उसके राखी बाँधी थी और जिसकी याद प्रायः उसे आया करती थी। इस प्रकार घनश्याम का अपनी माँ तथा बहन से मिलन हुआ।
प्रश्न 3.
“अमरनाथ एक सच्चा मित्र है।” क्यों कहा गया है? (2016)
उत्तर:
अमरनाथ एक सच्चा मित्र है,क्योंकि एक सच्चे मित्र में जो गुण होते हैं वह समस्त गुण अमरनाथ में हैं। घनश्याम एक सुन्दर धनी युवक है। वह अपने खोई माँ तथा बहिन के लिए चिन्तित रहता है। उसका मित्र अमरनाथ उसकी परिस्थितियों को समझता है। उसकी सहायता करने के लिए प्रयास करता रहता है।
हालांकि उसका मित्र घनश्याम धनी है। फिर भी वह उससे धन तथा अन्य किसी भी प्रकार के स्वार्थ की भावना नहीं रखता है। अमरनाथ के प्रयास से ही घनश्याम का बिछुड़ी हुई माँ तथा बहिन से मिलना होता है।
यद्यपि वह अपने विवाह के लिए कन्या देखने गया था लेकिन वहाँ उसकी मुलाकात अपनी खोई हुई माँ और बहिन से होती है। अमरनाथ में एक सच्चे मित्र का गुण है। जो अपने मित्र को अकेला परेशानियों में देखकर उसे छोड़ नहीं देता अपितु वह उसका हर परिस्थिति में साथ देता है। वास्तव में अमरनाथ एक उत्तम मित्र सिद्ध हुआ है।
इस सन्दर्भ में महाकवि तुलसी ने भी कहा है-
“धीरज, धर्म, मित्र और नारी,
आपति काल परखिए चारी।”
प्रश्न 4.
“यह सब मेरे ही कर्मों का फल है” घनश्याम के इस कथन के आलोक में माँ-बेटे के बिछुड़ने की घटना का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
घनश्याम एक पढ़ा-लिखा स्वस्थ, सुन्दर तथा महत्त्वाकांक्षी युवक था। जैसा कि युवावस्था में होता है प्रत्येक नवयुवक के मन में उमंगें होती हैं। उसी प्रकार धन कमाने की इच्छा भी घनश्याम को थी। परिणामस्वरूप घनश्याम धन कमाने दक्षिण को चला गया। वहाँ वह धन कमाने के लिए परिश्रम में इतना डूब गया कि उसको अपनी माँ तथा बहिन का ख्याल ही न रहा। परिणामस्वरूप जब वह धन कमाकर वापिस लौटा तो उसकी माँ तथा बहिन उससे निराश होकर कहीं चली गयीं। घनश्याम को अपनी गलती का आभास हुआ। उसने अपनी माँ तथा बहन को ढूँढ़ने का बहुत प्रयास किया वह विभिन्न शहरों में भटकता रहा लेकिन काफी प्रयास के पश्चात् भी उसकी माँ तथा बहिन नहीं मिलीं। निराश होकर वह कहने लगा यह सब मेरे कर्मों का फल है। क्योंकि न मैं इतना व्यस्त होता,न ही मेरा,मेरी माँ तथा बहिन से सम्पर्क टूटता अतः घनश्याम अब पछताने लगा। अतः किसी ने उचित ही कहा है-
“जो जस करहिं सो तस फल चाखा।”
प्रश्न 5.
प्रस्तुत कहानी के माध्यम से कहानीकार क्या सन्देश देना चाहता है?
उत्तर:
प्रस्तुत कहानी के माध्यम से कहानीकार ने यह बताने का प्रयत्न किया है कि खून के रिश्ते कभी झूठे नहीं होते हैं, क्योंकि यह सम्बन्ध भावात्मक होता है। व्यक्ति चाहे अपने प्रियजन से कितना भी दूर क्यों न हो लेकिन उसके हृदय में आत्मीयता अवश्य होती है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने यह बताने का प्रयत्न किया है कि मनुष्य को रुपया-पैसा कमाने के चक्कर में इतना व्यस्त नहीं होना चाहिए कि आपसी सम्बन्धी बिछुड़ जायें जीवन की धूप-छाँव में व्यस्त रहते हुए भी अपने प्रियजनों को कुछ समय अवश्य देना चाहिए।
रक्षाबन्धन कहानी के द्वारा लेखक ने भाई-बहन, माँ-पुत्र के रिश्तों की गरिमा को समझाते हुए उसका महत्त्व बताया है। लेखक का कथन है मानव को कर्म करते हुए अपने आत्मीय सम्बन्धों को भूलना नहीं चाहिए। यदि वे इस प्रकार की भूल करते हैं तो उन्हें जीवन भर पछतावे के अलावा कुछ नहीं मिलता है। इस कहानी के द्वारा लेखक सन्देश देना चाहता है कि धन और सत्ता के पीछे जो मानव आवश्यकता से अधिक भागता है,उसका परिणाम हमेशा दुःखद ही होता है। अतः आवश्यकता से अधिक धन कमाने के फेर में नहीं पड़ना चाहिए। जब मानव पारिवारिक सम्बन्धों को मन-मानस में गहराई से स्थान देता है,तब रोती हुई घटाओं में हँसती हुई बहारें बरसने लगती हैं। मुसीबतों का अँधेरा उजाले में परिवर्तित हो जाता है।
रक्षाबन्धन महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न
रक्षाबन्धन बहु-विकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
‘रक्षाबन्धन’ पाठ की विधा है (2014)
(क) कविता
(ख) कहानी
(ग) आत्मकथा
(घ) संस्मरण।
उत्तर:
(ख) कहानी
प्रश्न 2.
“सब तेरे ही कर्मों से नाश हो गया”; कथन किसका है?
(क) बालिका का
(ख) घनश्याम का
(ग) बालिका की माँ का
(घ) अमरनाथ का।
उत्तर:
(ग) बालिका की माँ का
प्रश्न 3.
घनश्याम की बहन का नाम क्या था? (2009)
(क) शारदा
(ख) सुन्दरी
(ग) श्यामा
(घ) सरस्वती।
उत्तर:
(घ) सरस्वती।
रिक्त स्थानों की पूर्ति
- राखी बंधवा कर युवक ने जेब में हाथ डाला और ……………… निकालकर बालिका को देने लगा।
- मेरे हृदय में सुख शान्ति नहीं तो धन किस ……………. की दवा है।
- आखिर यह …………… बाँधा किसने है?
उत्तर:
- दो रुपये
- मर्ज
- डोरा।
सत्य/असत्य
- घनश्याम अपनी माँ और बहिन से बिछुड़ा नहीं था।
- राखी का त्योहार श्रावणी कहा जाता है।
- घनश्याम के पिता का निधन हो गया था।
उत्तर:
- असत्य
- सत्य
- सत्य।
सही जोड़ी मिलाइए
उत्तर:
1. → (घ)
2. → (ख)
3. → (क)
4. → (ग)
एक शब्द/वाक्य में उत्तर
- श्रावण मास की पूर्णिमा को कौन-सा पर्व मनाया जाता है? (2009)
- घनश्याम के लिए सुन्दर सी दुल्हन किसने ढूँढ़ ली?
- “यह सब मेरे ही कर्मों का फल है।” कथन किसका है?
उत्तर:
- रक्षाबन्धन
- अमरनाथ ने
- घनश्याम का।