MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 4 थके हुए कलाकार से

MP Board Class 10th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 4 थके हुए कलाकार से (कविता, धर्मवीर भारती)

थके हुए कलाकार से अभ्यास

कविता

प्रश्न 1.
अधबनी धरा पर अभी क्या-क्या बनना शेष है? (2015, 17)
उत्तर:
अधबनी धरा पर अभी चाँदनी पूरी तरह नहीं फैल पायी है। पुष्प की कली भी अभी अधखिली है। अभी तो इस धरा में भी अपूर्णता है, क्योंकि इसकी नींव का भी पता नहीं है। अभी तो संसार की सृष्टि का सृजन भी अधूरा है। इस कारण सभी वस्तुएँ अभी अपने आप में अपूर्ण हैं। इस धरा की सम्पूर्ण वस्तुओं का अभी विकास होना है।

प्राकृतिक वस्तुएँ इस बात का स्पष्ट संकेत दे रही हैं कि जिस भाँति उनका विकास अपूर्ण है, तद्नुकूल संसार की प्रगति भी अभी अवशेष है।

प्रश्न 2.
स्वर्ग की नींव का पता किस प्रकार लग सकता है? (2014, 17)
उत्तर:
स्वर्ग की नींव का पता अभी नहीं चल सकता है, क्योंकि धरा अभी अपूर्ण है। अतः सृष्टि का सृजन भी अपूर्ण है। अतः हे थके हुए कलाकार! तुम्हें प्रतिपल सजग रहकर धरती को स्वर्ग में परिणित करने के लिए चलते रहना चाहिए। तभी धरती पर स्वर्ग की नींव का पता चल सकता है।

प्रश्न 3.
कवि के अनुसार प्रलय से कलाकार को निराश क्यों नहीं होना चाहिए?
उत्तर:
कवि के अनुसार प्रलय से कलाकार को निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि निराश होने पर कलाकार अपनी कृति को पूर्ण नहीं कर सकता। कलाकार को अपनी कृति पूर्ण करने के लिए प्रतिपल जीवन के झंझाओं से जूझने के लिए तत्पर रहना चाहिए। सबल प्राणों से तभी जीवन का संचार होगा जबकि कलाकार बिना रुके अपने सृजन में निरन्तर लगा रहेगा, क्योंकि गति का नाम ही अमर जीवन है। निम्न कथन इस बात का द्योतक हैं, देखिए-
“प्राणदीप जूझे झंझा से, फिर भी मन्द प्रकाश न हो,मेरे मीत उदास न हो।”

MP Board Solutions

प्रश्न 4.
‘थके हुए कलाकार से’ कविता का केन्द्रीय भाव स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
थके हुए कलाकार से’ कविता के माध्यम से धर्मवीर भारती ने मानव को निरन्तर चलते रहने की प्रेरणा दी है।

कवि का कथन है कि हे देवता! तू सृष्टि की थकान का विस्मृत कर दे,क्योंकि धरती तो अभी अधूरी है। जिस मृदुल चाँदनी की कल्पना तुमने की थी, वह भी अधूरी है। ये जीवन सुगन्धि से युक्त नहीं है क्योंकि अभी कली पूर्णरूप से खिली नहीं है। इस अपूर्ण धरती पर स्वर्ग की नींव का कोई भी चिह्न नहीं है। अतः हे देवता! तू सृष्टि के सृजन को भूल कर निरन्तर चलता रह,क्योंकि चलने का अर्थ ही जीवन है। रुकने का अर्थ है सृजन को बन्द करना। यदि अन्धकार में रास्ता भूल गये हो अथवा कोई रोशनी की किरण नहीं मिल रही हो अथवा सूर्य कहीं बादलों में छिप गया हो; तुम्हें इस पथ में व्यवधान उत्पन्न करने वाली बाधाओं को परास्त करना हो। नई सृष्टि का रंगों का सपना विलुप्त हो जायेगा, यदि तुम रुक जाओगे तो संसार का सृजन रुक जायेगा। तुम्हें इस पथ पर व्यवधान से उत्पन्न होने वाली बाधाओं को परास्त करना है।

इस प्रकार इस अपूर्ण सृजन से तुम निराश मत होना और सृजन की थकान को भूलकर, यदि तुझे प्रलय से कोई निराशा हुई हो तो तुम अपनी अव्यवस्थित श्वांसों को झरोखों से शुद्ध वायु लेकर; उनमें प्राणों का संचार करना यदि कलाकार की बाँहें थक जायेंगी तो प्रलय भी अपूर्ण होगी और सृजन की योजना भी अधूरी होकर खो जायेगी।

अतः यदि इस प्रलय से तुझे निराशा हुई हो तो क्या पता इस नाश में कहीं पर मूच्छित जिन्दगी पड़ी हो अतः हे देवता! तू सृजन की थकान को भूल जा क्योंकि अभी इस धरती पर सभी वस्तुएँ अपूर्ण हैं।

प्रश्न 5.
कवि ने अधूरे सृजन से निराश न होने की बात कहकर क्या संकेत देना चाहा है?
उत्तर:
कवि ने अधूरे सृजन से निराश न होने की बात कहकर यह संकेत किया है कि हे मानव! तू निराश मत हो क्या पता इस निराशा में ही तुझे कोई आशा की किरण मिल जाये। कवि का अभिप्राय है कि कलाकार की बाहें चाहे कितनी भी थकी हों,उसे अपनी कला को अपूर्ण नहीं छोड़ना चाहिए।

कवि का कथन है कि कभी-कभी नष्ट वस्तुओं में भी जीवन होता है। कलाकार का कर्तव्य है उन वस्तुओं में जीवन डाल कर प्राणों का संचार कर दे।

जीवन में चाहे कितनी ही विपत्तियों के बादल मँडरायें,मानव को धैर्य नहीं खोना चाहिए। आशा ही एक ऐसा सम्बल जिसके माध्यम से मानव अपने मन-मन्दिर में आशा का भाव जाग्रत करके नई जिन्दगी जीने की प्रेरणा लेता है।

इस सन्दर्भ में निम्न कथन देखिये-
“जिनके जीवन में आशा नहीं, उनके लिये जगत ही तमाशा है।”

थके हुए कलाकार से महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

थके हुए कलाकार से बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘थके हुए कलाकार से’ कविता के रचयिता हैं
(क) अज्ञेय
(ख) संकलित
(ग) गजानन्द माधव
(घ) धर्मवीर भारती।
उत्तर:
(घ) धर्मवीर भारती।

प्रश्न 2.
‘थके हुए कलाकार से’ कविता के द्वारा कवि ने प्रेरणा दी है
(क) गति करने की
(ख) निरन्तर चलने की
(ग) निराश न होने की
(घ) निराश होने की।
उत्तर:
(ख) निरन्तर चलने की

प्रश्न 3.
सृष्टि का सृजनकर्ता कौन है?
(क) कलाकार
(ख) ईश्वर
(ग) मानव
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) ईश्वर

MP Board Solutions

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. अधूरी धरा पर नहीं है कहीं, अभी ………. की नींव का भी पता।
  2. अभी अधखिली ज्योत्स्ना की कली,नहीं जिन्दगी की …………. में सनी।
  3. रुका तू, गया रुक ………. का सृजन।

उत्तर:

  1. स्वर्ग
  2. सुरभि
  3. जग।

सत्य/असत्य

  1. ‘थके हुए कलाकार से’ कविता में धर्मवीर भारती ने निरन्तर चलते रहने की प्रेरणा दी है।
  2. कलाकार प्रलय होने पर कला को त्याग देता है।
  3. इस कविता में कवि ने प्राकृतिक उपमानों का प्रयोग नहीं किया है।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. असत्य
  3. असत्य

सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 4 थके हुए कलाकार से img-1
उत्तर:
1. → (ग)
2. → (क)
3. → (ख)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. ‘थके हुए कलाकार से’ के कृतिकार का नाम लिखिए। (2018)
  2. ‘थके हुए कलाकार से’ कविता में कवि ने क्या प्रेरणा दी है?
  3. कलाकार अपना सम्पूर्ण जीवन किसको समर्पित कर देता है?

उत्तर:

  1. धर्मवीर भारती
  2. निरन्तर चलने की
  3. कला को।

MP Board Class 10th Hindi Solutions