MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 3 शल्य चिकित्सा के प्रवर्तक-सुश्रुत

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MP Board Class 10th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 3 शल्य चिकित्सा के प्रवर्तक-सुश्रुत (आलेख, डॉ. यतीश अग्रवाल)

शल्य चिकित्सा के प्रवर्तक-सुश्रुत अभ्यास

आलेख

Mp Board Solution Class 10 Chapter 3 प्रश्न 1.
‘सुश्रुत संहिता’ का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
उत्तर:
सुश्रुत संहिता में शल्य चिकित्सा, दंत चिकित्सा और अस्थि चिकित्सा का वर्णन मिलता है। सुश्रुत संहिता में 101 यन्त्रों का वर्णन है। इन यन्त्रों के नाम पक्षियों व पशुओं के नाम पर दिये गये हैं; जैसे-सिंहमुख, गृध्रमुख, मक्रमुख आदि। ये यन्त्र आधुनिक यन्त्रों की भाँति उपयोगी थे। इसके अतिरिक्त 20 और भी शल्य यन्त्रों का वर्णन है। इनके नाम हैं-मंडलाय, कर पत्र, मुद्रिका, बृहिमुख। ये औजार लोहे और चाँदी से बने होते थे। इनमें जंग न लगे, अतः उसकी सुरक्षा के लिए लकड़ियों के बने डिब्बों में इन औजारों को रखा जाता था। टाँके लगाने के लिए रेशमी धागों का प्रयोग किया जाता था। एक विशेष प्रकार की सुई का प्रयोग टाँके लगाने के लिए होता था। सुश्रुत संहिता में शल्य चिकित्सा की अनेक प्रकार की जानकारी दी गई है।

Sala Chikitsa Ke Pravartak Kaun The Mp Board Class 10 Chapter 3 प्रश्न 2.
मानव शरीर के भीतरी अंगों की बनावट की जानकारी प्राप्त करने की सुश्रुत युगीन पद्धति का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
उत्तर:
सुश्रुत युगीन पद्धति में मानव शरीर के अंगों की जानकारी प्राप्त करने के लिए उन्होंने एक अनोखी विधि खोज निकाली। पहले मृत शरीर को किसी भारी वस्तु से बाँधकर एक छोटी नहर में डाल दिया जाता था। एक सप्ताह के बाद बाहरी त्वचा और ऊतक फूल जाते थे, इसके बाद झाड़ियों और लताओं के बने बड़े-बड़े बुशों द्वारा उन्हें शरीर से अलग कर दिया जाता था। इससे शरीर के आन्तरिक अंगों की रचना स्पष्ट हो जाती थी।

सुश्रुत संहिता में अभ्यास करने के लिए तरबूज,ककड़ी,करेला आदि सब्जियों पर कई-कई दिन तक परीक्षण किया जाता था। टाँका लगाने के लिए कपड़ों और चमड़े पर सिलाई करके प्रशिक्षण दिया जाता है।

वासंती हिंदी सामान्य कक्षा 10 Pdf Mp Board Chapter 3 प्रश्न 3.
सुश्रुत संहिता के अनुसार शल्य चिकित्सा का प्रशिक्षण किस प्रकार दिया जाता था?
उत्तर:
सुश्रुत संहिता के अनुसार शल्य चिकित्सा का प्रशिक्षण विशेष प्रकार से दिया जाता था। शल्य कला का प्रारम्भिक प्रशिक्षण देने के लिए शिष्यों को कन्द-मूल, फल-फूल, पेड़-पौधों की लताओं,पानी से भरी मशकों,चिकनी मिट्टी के ढाँचों और मलमल से बने मानव पुतलों पर प्रतिदिन अभ्यास कार्य कराया जाता था। चीरा लगाने के लिए कई-कई दिन तक विभिन्न प्रकार की सब्जियों पर अभ्यास करना पड़ता था। अभ्यास के लिए विभिन्न फल व सब्जियों को प्रयोग करते थे।

अभ्यास के दौरान कमल के फूल की डण्डी शिरा (रक्तवाहिनी) बन जाती जिस प्रकार से कपड़ा सिला जाता है, उसी प्रकार से कपड़े या चमड़े पर टॉका लगाना सिखाया जाता था। पट्टी बाँधना सिखाने के लिए मानव पुतलों का सहारा लिया जाता था।

Mp Board Class 10th Hindi Navneet Chapter 3 प्रश्न 4.
सुश्रुत को शल्य चिकित्सा के अतिरिक्त अन्य किन रोगों की महत्त्वपूर्ण जानकारी थी? (2016)
उत्तर:
सुश्रुत मूलतः शल्य चिकित्सक थे,लेकिन उन्होंने क्षयरोग, कुष्ठ रोग,मधुमेह, हृदय रोग, एन्जाइना और विटामिन सी की कमी से होने वाले स्कर्वी रोग की महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।

Bhartiya Chikitsa Vigyan Ka Mp Board Class 10 Chapter 3 प्रश्न 5.
सुश्रुत संहिता में शल्य चिकित्सा की कौन-कौन सी विधियों का वर्णन किया गया है? (2010, 14)
उत्तर:
सुश्रुत संहिता में शल्य क्रिया की विस्तृत जानकारी दी गयी है। इसमें कुल 120 अध्याय हैं और इनको छः भागों में बाँटा गया है-सूत्रस्थान, निदानस्थान, शरीरस्थान, चिकित्सास्थान, कल्पस्थान और उत्तरस्थान सुश्रुत संहिता में शल्य चिकित्सा की विधियों की महत्त्वपूर्ण जानकारी है। इसके अतिरिक्त शल्य यन्त्रों का भी वर्णन है। दुर्घटनाओं में अथवा अस्त्र-शस्त्र के वार से फट गई आँतों के दो किनारों को एक-दूसरे से कैसे जोड़ा जाये, इसके लिए भी उन्होंने एक अनोखी तकनीक खोज निकाली। सुश्रुत-संहिता में शल्य चिकित्सा के लगभग हर महत्त्वपूर्ण पहलू पर विस्तृत जानकारी दी गई है; जैसे आपरेशन के बाद क्या-क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए, रोगी का आहार कैसा हो। घाव भर जाये, इसके लिए कौन-कौन सी औषधि देनी चाहिए आदि।

Shalya Chikitsa Ke Pravartak Kaun The Mp Board Class 10 Chapter 3 प्रश्न 6.
महर्षि सुश्रुत के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तारपूर्वक लिखिए।
उत्तर:
प्राचीनकाल में वाराणसी में गंगा के किनारे एक आयुर्वेद की पाठशाला थी। इस पाठशाला के आचार्य थे महर्षि सुश्रुत शल्य चिकित्सक के रूप में उनका यश दूर-दूर तक सम्पूर्ण दिशाओं में व्याप्त था।

वे काशी के राजा दिवोदास के शिष्य थे। सुश्रुत के प्रारम्भिक जीवन के विषय में अधिक जानकारी नहीं मिलती। उनके विषय में केवल इतनी जानकारी मिलती है कि उनके पिता का नाम विश्वामित्र था। उनका सारा जीवन गंगा नदी के तट पर गंगा की पावन लहरों के मध्य बीता था। बड़ा होने के बाद सुश्रुत का समय काशी के राजा तथा महान चिकित्साशास्त्री दिवोदास की देख-रेख में व्यतीत हुआ। वे अपने समय के अद्वितीय शल्य चिकित्सक हुए।

सुश्रुत ने अपने जीवन के बहुमूल्य क्षणों को शल्य चिकित्सा की नई तकनीकें खोजने के लिए उपयोग किया। प्राचीन भारत के चिकित्सक, चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में बहुत आगे थे।

प्रश्न 7.
भारतीय चिकित्सा विज्ञान का ‘स्वर्णयुग’ किसे कहा जाता है और क्यों?
उत्तर:
भारत के इतिहास में ईसा से 600 वर्ष पूर्व और सन् 1000 ई. तक का युग चिकित्सा विज्ञान का स्वर्ण युग माना जाता है क्योंकि अत्रेय, जीवक, चरक और वाग्भट्ट जैसे अनेक चिकित्साशास्त्रियों ने इसी युग में भारत की पवित्र धरती पर जन्म लेकर इस भूमि को सार्थक किया।

काशी,नालंदा और तक्षशिला आदि विद्यालयों में दूर-दूर से शिक्षार्थी आते और चिकित्सा विज्ञान में सिद्धहस्त होकर मानव कल्याण की प्रतिज्ञा करते । इस प्रकार वे अपना और अपने देश का नाम करते थे।

चिकित्सा, विज्ञान के कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यूनानी चिकित्सा पद्धति भारतीय चिकित्सा पद्धति पर आधारित है। इसी कारण इस युग को चिकित्सा विज्ञान का स्वर्णयुग माना जाता है।

शल्य चिकित्सा के प्रवर्तक-सुश्रुत महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

शल्य चिकित्सा के प्रवर्तक-सुश्रुत बहु-विकल्पीय प्रश्न 

प्रश्न 1.
महर्षि सुश्रुत विख्यात थे
(क) शिक्षण के लिए
(ख) शल्य चिकित्सा के लिए
(ग) सामाजिक सुधार के लिए
(घ) उपर्युक्त सभी के लिए।
उत्तर:
(ख) शल्य चिकित्सा के लिए

प्रश्न 2.
सुश्रुत संहिता में कुल मिलाकर अध्याय हैं-
(क) 100 अध्याय
(ख) 75 अध्याय
(ग) 61 अध्याय
(घ) 120 अध्याय।
उत्तर:
(घ) 120 अध्याय।

प्रश्न 3.
प्राचीनकाल में पट्टी का ज्ञान सिखाने के लिए प्रयोग किया जाता था
(क) मानव पुतलों का
(ख) जानवरों का
(ग) जीवित मनुष्यों का
(घ) पक्षियों का।
उत्तर:
(क) मानव पुतलों का

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. दिवोदास को भगवान ………… का अवतार कहा जाता था।
  2. शल्य चिकित्सा के प्रवर्तक ………….. हैं। (2009)
  3. सुश्रुत संहिता में …………. का वर्णन,प्रमुखतः मिलता है। (2011)

उत्तर:

  1. धन्वंतरी
  2. आचार्य सुश्रुत
  3. शल्य चिकित्सा।

सत्य/असत्य

  1. काशी नगरी सदा से ही शिक्षा का बड़ा केन्द्र रही है।
  2. शल्य चिकित्सा के जनक सुश्रुत हैं। (2018)
  3. प्राचीन भारत के चिकित्सकों को औषधि विज्ञान की व्यापक जानकारी नहीं थी।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. असत्य।

सही जोड़ी मिलाइए

Mp Board Solution Class 10 Chapter 3
उत्तर:
1. → (ग)
2. → (ख)
3. → (क)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. सुश्रुत के द्वारा लिखे गये ग्रन्थ का क्या नाम है?
  2. चीर-फाड़ के द्वारा की जाने वाली चिकित्सा को क्या कहते हैं।
  3. विटामिन सी की कमी से कौन-सा रोग हो जाता है?
  4. शल्य चिकित्सा के प्रवर्तक हैं। (2010)

उत्तर:

  1. सुश्रुत संहिता
  2. शल्य चिकित्सा
  3. स्कर्वी
  4. सुश्रुत।