MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 1 लोकसंस्कृति की स्मृति रेखा : नर्मदा

MP Board Class 10th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 1 लोकसंस्कृति की स्मृति रेखा : नर्मदा (यात्रा वृत्तांत, डॉ. श्यामसुंदर दुबे)

लोक संस्कृति की स्मृति रेखा : नर्मदा अभ्यास

यात्रा वृत्तांत

प्रश्न 1.
अमरकंटक पहुँचने के लिए लेखक द्वारा बनाये गये मार्ग की रूपरेखा लिखिए।
उत्तर:
अमरकंटक पहुँचने के लिए लेखक ने कटनी और बिलासपुर को जोड़ने वाली रेलवे लाइन के पेण्ड्रा रोड स्टेशन पर प्रातःकाल अपनी आँखें खोलीं। पेंड्रा रोड से लगभग चालीस किलोमीटर की यात्रा बस द्वारा करनी थी।

रात का गहन अन्धकार हमारे चारों ओर था। हमारी जीप पहाड़ी की ऊँचाई पर चढ़ रही थी। चारों ओर वृक्ष थे। ये वृक्ष हवा के कारण तेजी से हिल रहे थे। ठण्ड के दिन थे। ठण्डी हवायें हमारे शरीर को छू रही थीं। इस प्रकार पहले रेल से फिर बस और जीप के द्वारा हमने अमरकंटक का मार्ग तय किया। इस प्रकार ऊँची-नीची पहाड़ियों और चट्टानों को पार करते हुए हम अमरकंटक पहुँचे।

प्रश्न 2.
‘कपिलधारा’ नामकरण से लेखक ने कपिलधारा को किस तरह व्याख्यायित किया है?
उत्तर:
कहा जाता है कि कभी इस स्थान पर कपिल मुनि ने तपस्या की थी। अमरकंटक तपस्या का स्थान है। यहाँ बैठकर न जाने कितने मुनियों ने तपस्या की थी। इस तथ्य को सत्य मानते हुए लेखक ने यह माना है कि कपिलमुनि ने यहीं पर तपस्या की थी।

नर्मदा की क्षीण धारा जब उसके वास्तविक स्वरूप को प्रकट नहीं कर पाती, तब वह ‘कपिलधारा’ के रूप में पर्वतों पर खड़ी ऊँचाई से कूदती है, तब नर्मदा स्फटिक जैसी सफेदी में प्रकट होती है। अतः कपिलधारा का नाम लेखक को बार-बार कपिला गाय से जोड़ रहा है। उसे ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो कपिलधारा का नामकरण कपिला गाय की सफेदी के आधार पर ही किया गया है क्योंकि नर्मदा का जलप्रपात अपनी आकृति व रंग-रूप में एकदम कपिला गाय की भाँति सफेद दिखाई देता है। इसी जलप्रपात के नीचे की ओर एक अन्य छोटा प्रपात है। यह प्रपात लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर है, इसे दूधधारा का नाम दिया गया।

इन नामकरणों के पीछे वास्तव में गाय का रूपक ही है। कपिलधारा के रूप में जब नर्मदा नीचे की ओर जाती है, तब भूमि पर पड़ी बड़ी-बड़ी चट्टानों की छाती पिचक जाती है।

अन्त में लेखक ने यही निष्कर्ष निकाला है कि कपिला गाय एवं कपिलमुनि की तपस्या के आधार पर कपिलधारा को व्याख्यापित किया गया है।

प्रश्न 3.
मधुछत्रों का वर्णन करते हुए लेखक ने मधु को प्राप्त करने की क्या विधि बतलाई है?
उत्तर:
मधुछत्रों का वर्णन करते हुए लेखक ने कहा है कि अमरकंटक के घने जंगलों के मध्य मधुछत्रों का निवास है। अमरकंटक अपने बीहड़ों में एक अनोखा मधु क्षरित करता है। इसे प्राप्त करने के लिए ऊँची-नीची पहाड़ियों को पार करके चट्टानों में लटके मधु छत्रों से मधु प्राप्त किया जा सकता है। मधु (शहद) में दो तत्त्व विद्यमान हैं-भय और हर्ष। भय मधुमक्खियों के काटने का तथा हर्ष मधु को प्राप्त करने का मधु को तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब हम भय को त्याग दें। भय रहित होकर ही मधु का पान हर्ष के साथ किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
कुआँ पर पनहारिनें क्या कर रही थीं? वे किसके गीत गा रही थीं?
उत्तर:
कुएँ पर पनहारिनें पानी भर रही थीं। वे नर्मदा माई के गीत गा रही थीं।

प्रश्न 5.
पुराणों में नर्मदा की उत्पत्ति का वर्णन किस तरह से किया गया है?
उत्तर:
पुराणों में नर्मदा की उत्पत्ति का वर्णन इस प्रकार है-
नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक है। नर्मदा जिस ऊँचाई से अपना आकार ग्रहण करती है,उसकी कोई भी निर्धारित सीमा नहीं है लेकिन नर्मदा बहुत शान्त नदी है और शान्ति से विस्तार लेती है। पुराणों में कहा जाता है कि नर्मदा नदी का जन्म शंकर जी के श्रम सीकर (पसीने की बूंदों) से हुआ है। शंकर जी के मस्तक पर जो श्रम के कारण पसीने की बूंदें थीं, उसी ने नर्मदा नदी का रूप लिया। ऐसा भी कहा जाता है कि आदि पुरुष के श्रम सीकरों से भी नर्मदा नदी का विस्तार सम्भव है। गोंडवाना की इस आदिभूमि पर करोड़ों वर्ष पूर्व नर्मदा का अस्तित्व था। इसी कारण इस नदी को सनातन नदी भी कहा जाता है। ऐसा पुराणों में उल्लेख है।

प्रश्न 6.
नर्मदा और सोन से सम्बन्धित लोककथा लिखिए। (2011)
उत्तर:
नर्मदा और सोन के विषय में इस प्रकार की लोककथा प्रचलित है-
ये लोककथाएँ इतिहास के अमृत कुण्ड हैं। ये धाराएँ इतिहास की हैं और अनेक रूपों में फूटती हैं। नर्मदा पश्चिम की ओर प्रवाहित हुई होगी लेकिन कुछ भू-भौतिक परिवर्तनों के कारण लोगों ने इसे कथा रूप दे दिया है।

संसार में ऐसा प्रचलित है कि सोन और नर्मदा की प्रणय कथा मिथकीय सृष्टि है। यह कथा अमरकंटक में ही जन्म लेती है।

महाभारत में भी इस तथ्य की चर्चा है। ऐसा कहा जाता है जो व्यक्ति शोण और ज्योति रथ्या नदी के संगम पर तर्पण करते हैं। वे अपने देवताओं और पितरों को प्रसन्न करते हैं।

सोन नदी अपने उद्गम स्थान से सैकड़ों फुट ऊँचाई से गिरती है। इसके विपरीत नर्मदा नदी उत्स कुण्ड से निकलकर शान्त भाव से बहती है।

नर्मदा की क्षीणधारा कपिल धारा के रूप में ऊँची पहाड़ियों से कूदती हुई श्वेत जलधारा के रूप में प्रवाहित होती है।

प्रश्न 7.
‘माई की बगिया’ का वर्णन अपने शब्दों में कीजिये।
उत्तर:
‘माई की बगिया’ नर्मदा के उत्स कुण्ड से थोड़ा ऊपर है। माई की बगिया पहाड़ी ढलान पर है। यह बगिया पहाड़ी को काटकर बनाई गयी है। यहाँ एक जल धारा भी प्रवाहित होती है। यहाँ पर अनेक मन्दिर भी हैं। बगीची का रूप सुव्यवस्थित नहीं है। यहाँ गुलबकावली के फूल खिले हुए हैं। माई की बगिया ऐतिहासिक तथ्यों की ओर संकेत करती है।

एक बात का बहुत आश्चर्य है माई तो नर्मदा नदी ही है। नर्मदा बचपन में अपने सखियों के साथ खेलने आती थीं। वे नाराज होकर पश्चिम की ओर गतिशील हो गयीं, तब उनकी सहेलियाँ उनके वियोग में गुलबकावली बन गयीं। यह एक सुन्दर और मनोहर स्थान है। यहाँ फूलों की एक विशेष प्रकार की दवा बनायी जाती है। यह दवा आँखों को ठण्डक पहुँचाती है और नेत्रों को निरोगी बनाती है।

प्रश्न 8.
“विपरीत से विपरीत को पार करने की ताकत हमें अमरकंटक से निकलने वाली एक सीधी-सादी नदी ने अपने वेगवान आचरण से दी है।” इस कथन से लेखक का क्या आशय है? लिखिए।
उत्तर:
लेखक का कथन है कि अमरकंटक से निकलने वाली नर्मदा नदी यद्यपि बहुत ही सरल और शान्त प्रवृत्ति की है, यह नदी एक प्रकार से नवीन जीवन प्रदान करने वाली है । लेखक ने इस नदी से अपनापन प्रकट करने का प्रयास करते हुए कहा है-जिस प्रकार नर्मदा नदी विषम परिस्थितियों में शान्त भाव से अडिग रहकर बहती है उसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति को विषम परिस्थितियों में इस शान्त नर्मदा नदी की भाँति जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए। लेखक के कथन का अभिप्राय है कि यह शान्त नर्मदा ऊँची-नीची पहाड़ियों और चट्टानों से निकलती हुई निरन्तर बहती रहती है और पत्थरों को भी झुका देती है। इसी प्रकार मानव को भी विषम परिस्थितियों में निभीकतापूर्वक निरन्तर नर्मदा की भाँति गतिशील रहना चाहिए।

वास्तव में लेखक ने मानव को नदी की भाँति जीवन में बढ़ने की प्रेरणा दी है। वैसे भी किसी ने उचित ही कहा है-
“गति ही जीवन है, रुकना ही मृत्यु है।”

प्रश्न 9.
‘सोन और नर्मदा का जलप्रवाह’ किन-किन दिशाओं में है? (2018)
उत्तर:
सोन अपने उद्गम के साथ ही सैकड़ों फुट की ऊँचाई से नीचे गिरती है, जबकि नर्मदा अपने उत्स कुण्ड से निकलकर एकदम शांत और सूक्ष्म रूप में बहती है।

लोक संस्कृति की स्मृति रेखा : नर्मदा महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

लोक संस्कृति की स्मृति रेखा : नर्मदा बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
माई की बगिया किस स्थान पर है?
(क) नर्मदा से ऊपर
(ख) घाटी में
(ग) नर्मदा से नीचे
(घ) पहाड़ी पर।
उत्तर:
(क) नर्मदा से ऊपर

प्रश्न 2.
कपिलधारा का नाम किस तपस्वी मुनि के नाम पर रखा गया?
(क) विश्वामित्र
(ख) दुर्वासा
(ग) द्रोणाचार्य
(घ) कपिल मुनि।
उत्तर:
(घ) कपिल मुनि।

प्रश्न 3.
नर्मदा जिस स्थान से अपना स्थान ग्रहण करती है वहाँ किस आराध्य का पवित्र स्थान है?
(क) राम
(ख) शंकर
(ग) कृष्ण
(घ) गणेश।
उत्तर:
(ख) शंकर

रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. अमरकंटक ही नहीं नर्मदा तो पूरे देश में …………… है।
  2. जब जल प्रपात नीचे गिरता है, तो वह अपने रंग में ………….. जैसा दिखता है।
  3. अमरकंटक ऐसा ही ………… क्षरित करता है।
  4. अमरकंटक की केन्द्रीय सत्ता तो ………. है। (2013)
  5. नर्मदा के उत्स कुण्ड से थोड़ा-सा ……….. चलने पर ‘माई की बगिया’ है। (2014)
  6. माई की बगिया में ………… के फूल खिलते हैं। (2015)

उत्तर:

  1. माई
  2. गाय
  3. मधु
  4. नर्मदा
  5. ऊपर
  6. गुलबकावली।

सत्य/असत्य

  1. नर्मदा नदी विश्व की आदि संस्कृति को अपने गर्भ में छिपाये हुए है।
  2. लोक कथाएँ इतिहास का अमृत कुण्ड हैं।
  3. अमरकंटक को स्मृतियों की भूमि नहीं कहा जा सकता है।
  4. माई की बगिया पहाड़ी ढलान पर है।
  5. नर्मदा का उद्गम स्थल नासिक है।

उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. सत्य
  5. असत्य

सही जोड़ी मिलाइए

MP Board Class 10th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 1 लोकसंस्कृति की स्मृति रेखा नर्मदा img-1
उत्तर:
1. → (ख)
2. → (ग)
3. → (क)

एक शब्द/वाक्य में उत्तर

  1. नर्मदा को जन्म देने वाले कौन हैं?
  2. जो अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं, वे क्या करते हैं?
  3. अमरकंटक अपनी बीहड़ता में क्या क्षरित करता है?

उत्तर:

  1. शंकर
  2. अग्निष्ठोम यज्ञ
  3. मधु।

MP Board Class 10th Hindi Solutions