MP Board Class 10th Sanskrit व्याकरण शब्द रूप-प्रकरण
संज्ञा, सर्वनाम और विशेषणों में लिंग के अनुसार एवं शब्दों के अन्तिम स्वर अथवा अन्तिम व्यञ्जन के अनुसार परिवर्तन होता है। जिस प्रकार हिन्दी भाषा में कंर्ता, कर्म, करण आदि कारकों का सम्बन्ध प्रकट करने के लिए “ने, को, से/के द्वारा” इत्यादि चिन्ह संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि में जोड़े जाते हैं। उसी प्रकार संस्कृत भाषा में इन सम्बन्धों को प्रकट करने के लिए विभक्तियों के रूप रखे जाते हैं। इनमें हिन्दी के समान अलग से कोई चिह्न नहीं लगता है।
जैसे-
हिन्दी भाषा – संस्कृत भाषा
बालक ने → बालकः
बालक को → बालकम्
बालक से → बालकेन
दो बालकों को → बालकौ इत्यादि।
(I) संज्ञा शब्दों के रूप
अकारान्त पुल्लिङ्ग “राम” शब्द
निर्देश-‘राम’ शब्द के समान ही बालक, छात्र, नर, पुत्र, वानर इत्यादि शब्दों के रूप होते हैं।
इकारान्त पुल्लिङ्ग “कवि” शब्द
निर्देश-‘कवि’ शब्द के समान ही हरि, रवि, कपि, गिरि, अग्नि इत्यादि शब्दों के रूप बनेंगे।
उकारान्त पुल्लिङ्ग “साधु” शब्द
निर्देश- साधु’ शब्द के समान ही गुरु, भानु, तरु, पशु, रिपु इत्यादि शब्दों के रूप होते हैं।
ऋकारान्त पुल्लिङ्ग “पितृ” शब्द
निर्देश-‘पितृ’ शब्द के समान ही दातृ, भ्रातृ इत्यादि के रूप होते हैं।
हलन्त पुल्लिङ्ग “राजन्” शब्द
हलन्त पुल्लिङ्ग “भवत्” (आप) शब्द
निर्देश- भवत्’ शब्द के समान ही गच्छत्, धीमत्, श्रीमत्, बुद्धिमत् इत्यादि शब्दों के रूप होते हैं।
हलन्त पुल्लिङ्ग “आत्मन्” शब्द
निर्देश-‘आत्मन्’ शब्द के समान ही ब्रह्मन्, अध्वन् आदि के रूप होते हैं।
आकारान्त स्त्रीलिङ्ग “रमा” शब्द
निर्देश-‘रमा’ शब्द के समान ही बाला, बालिका, लता, छात्रा, माला, सीता इत्यादि शब्दों के रूप होते हैं।
इकारान्त स्त्रीलिङ्ग “मति” शब्द
निर्देश-‘मति’ शब्द के समान ही गति, औषधि, भूमि, जाति इत्यादि शब्दों के रूप होते हैं।
ईकारान्त स्त्रीलिङ्ग “नदी” शब्द
निर्देश-‘नदी’ शब्द के समान ही जननी, पार्वती, पत्नी, नारी इत्यादि शब्दों के रूप होते हैं।
ऋकारान्त स्त्रीलिङ्ग “मातृ” शब्द
निर्देश-‘मातृ’ शब्द के समान ही ‘दुहितृ’ इत्यादि शब्दों के रूप होते हैं।
अकारान्त नपुंसकलिङ्ग “फल” शब्द
निर्देश-‘फल’ शब्द के समान ही पुस्तक, गृह, पुष्प, वन | इत्यादि शब्दों के रूप होते हैं।
इकारान्त नपुंसकलिङ्ग “वारि” शब्द
निर्देश-‘मधु’ शब्द के समान ही वसु, अश्रु, अम्बु इत्यादि शब्दों के रूप होते हैं।
नकारान्त नपुंसकलिङ्ग “नामन्” शब्द
निर्देश-‘नामन्’ शब्द के समान हेमन्, प्रेमन्, व्योमन्, धामन्, दामन्, सामन्, लोमन् इत्यादि शब्दों के रूप होते हैं।
(II) सर्वनाम शब्दों के रूप
नोट-सर्वनाम शब्दों में सम्बोधन नहीं होता। इसलिए इनके रूप प्रथमा से सप्तमी विभक्ति तक ही चलते हैं, सम्बोधन में नहीं।
“अस्मद्” (मैं, हम) शब्द
“युष्मद्” (तू, तुम, तुझे) शब्द
पुल्लिङ्ग “तत्” (वह, उस) शब्द
स्त्रीलिङ्ग “तत्” शब्द
नपुंसकलिङ्ग “तत्” शब्द
पुल्लिङ्ग “एतत्” शब्द (यह)
स्त्रीलिङ्ग “एतत्” शब्द (यह)
नपुंसकलिङ्ग “एतत्” शब्द (यह)
पुल्लिङ्ग “किम्” (कौन, किस) शब्द
स्त्रीलिङ्ग “किम्” शब्द
नपुंसकलिङ्ग “किम्” शब्द
पुल्लिङ्ग “यत्” (जो) शब्द
स्त्रीलिङ्ग “यत्” शब्द
नपुंसकलिङ्ग “यत्” शब्द
पुल्लिङ्ग “इदम्” (यह, दस, ये, इन) शब्द
स्त्रीलिङ्ग “यत्” शब्द
नपुंसकलिङ्ग “इदम्” शब्द
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहु-विकल्पीय
प्रश्न १.
‘राम’ शब्द का षष्ठी विभक्ति का रूप है
(अ) रामः,
(ब) रामम्,
(स) रामेण,
(द) रामस्य।
२. ‘कवि’ शब्द का द्वितीया विभक्ति का रूप है
(अ) कविम्,
(ब) कविः
(स) कविना,
(द) कवेः।
३. ‘साधोः’ शब्द में विभक्ति है
(अ) प्रथमा,
(ब) द्वितीया,
(स) चतुर्थी,
(द) पंचमी।
४. ‘पित्रा’ शब्द में विभक्ति है
(अ) चतुर्थी,
(ब) तृतीया,
(स) प्रथमा,
(द) पंचमी।
५. ‘राज्ञः’ शब्द में विभक्ति है
(अ) प्रथमा,
(ब) षष्ठी
(स) सप्तमी,
(द) सम्बोधन।
उत्तर-
१. (द),
२. (अ),
३. (द),
४. (ब),
५. (ब)
रिक्त स्थान पूर्ति
१. ‘रामेण’ शब्द में ………………………………. विभक्ति है।
२. ‘रमायै’ शब्द ………………………………. विभक्ति का है।
३. ‘कवि’ शब्द द्वितीया विभक्ति बहुवचन का रूप ………………………………. है।
४. ‘साधुना’ शब्द में ………………………………. विभक्ति है।
५. ‘पितुः’ शब्द ………………………………. विभक्ति का है।
उत्तर-
१. तृतीया,
२. चतुर्थी,
३. कवीन्,
४. तृतीया,
५. षष्ठी।
सत्य/असत्य
१. ‘माम्’ रूप प्रथमा विभक्ति का है।
२. ‘राज्ञा’ रूप तृतीया विभक्ति में बनता है।
३. ‘तेन’ रूप में तृतीया विभक्ति है।
४. ‘रामे’ रूप प्रथमा विभक्ति से बनता है।
५. ‘रमायाः’ रूप पंचमी और षष्ठी विभक्ति में बनता है।
उत्तर-
१. असत्य,
२. सत्य,
३. सत्य,
४. असत्य,
५. सत्य।
जोड़ी मिलाइए
उत्तर-
१. → (iii)
२. → (i)
३. → (iv)
४. → (ii)
५. → (vi)
६. →(v)