MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 16 पर्यावरण के मुद्दे

MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 16 पर्यावरण के मुद्दे

पर्यावरण के मुद्दे NCERT प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
घरेलू वाहित मल के विभिन्न घटक क्या हैं ? वाहित मल के नदी में विसर्जन से होने वाले प्रभावों की चर्चा कीजिए।
उत्तर
घरेलू वाहित मल में मुख्यतः जैव निम्नीकरण कार्बनिक पदार्थ होते हैं जिनका अपघटन जीवाणु व अन्य सूक्ष्म जीवों द्वारा होता है। इसके अतिरिक्त वाहित मल में अनेक प्रकार के निलंबित ठोस, रेत व सिल्ट कण, अकार्बनिक एवं कोलाइडी कण, मल, कपड़ा, खाद्य अपशिष्ट, कागज, रेशे आदि एवं घुले हुए पदार्थ (फॉस्फेट, नाइट्रेट, धातु आयन) होते हैं। नदियों में वाहित मल के विसर्जन फलस्वरूप ऑक्सीजन की कमी हो जाती है क्योंकि जैव निम्नीकरण से संबंधित सूक्ष्मजीव ऑक्सीजन की मात्रा का प्रयोग करने लगते हैं। इस कारण वाहित मल विसर्जन स्थल पर अनुप्रवाह जल में घुली O2, की मात्रा में तेजी से गिरावट आती है इसके कारण मछलियाँ तथा अन्य जलीय जीवों की मृत्यु दर में वृद्धि हो जाती है। इसी प्रकार वाहित मल में अनेक रोग-कारक सूक्ष्मजीव होते हैं । इस जल के उपयोग से पेचिश, टाइफाइड, पीलिया, हैजा आदि रोग हो सकते हैं।

प्रश्न 2.
आप अपने घर, विद्यालय या अन्य स्थानों में भ्रमण के दौरान जो अपशिष्ट उत्पन्न करते हैं उनकी सूची बनाइए। क्या आप उन्हें आसानी से कम कर सकते हैं ? कौन-से ऐसे अपशिष्ट हैं जिनको कम करना काठेन या असंभव है ?
उत्तर-
घर, विद्यालय या अन्य स्थानों पर निम्नलिखित अपशिष्ट होते हैं–कागज, प्लास्टिक की थैलियाँ, फलों एवं सब्जियों के छिलके, थर्मोकोल एवं प्लास्टिक धातु के कप-प्लेट, पेंसिल के टुकड़े, लेड, लकड़ी की छिलन, धातुओं के अपशिष्ट पदार्थ, टिन, पैक्स, चाक के टुकड़े, काँच के टुकड़े, फटे वस्त्र, वाहित मल आदि  अपशिष्टो को कम करना कठिन ही नहीं असंभव भी है, वे हैं-प्लास्टिक एवं पॉलीथीन की थैलियाँ, टिन, पैक्स, रिफिल,.प्लास्टिक की बोतल, प्लास्टिक के व्यर्थ सामान आदि।

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प्रश्न 3.
वैश्विक उष्णता (ग्लोबल वार्मिंग) में वृद्धि के कारणों और प्रभावों की चर्चा कीजिए। वैश्विक उष्णता वृद्धि को नियंत्रित करने के क्या उपाय हैं ?
अथवा
ग्रीन हाउस प्रभाव से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर
परिभाषा-वायुमंडल में CO2 तथा अन्य हानिकारक गैसों की मात्रा में वृद्धि होने के कारण पृथ्वी की सतह एवं वायुमंडल में होने वाली तापमान वृद्धि को ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं। मानवीय कारणों से CO2 की मात्रा में वृद्धि तथा इससे तापमान में होने वाली वृद्धि को सर्वप्रथम अमेरिकी वैज्ञानिक रोजर रेवेल 1957 ने ग्रीनहाउस प्रभाव नाम दिया।

पृथ्वी की सतह पर गैसों का आवरण ग्रीन हाउस के शीशे जैसा कार्य करता है अर्थात् यह सौर विकिरण को तो पृथ्वी पर जाने देता है परन्तु लंबी तरंगदैर्घ्य के विकिरण को अवशोषित कर लेता है। प्राकृतिक ग्रीन हाउस प्रभाव पृथ्वी की सतह के तापमान को 15°C पर गर्म करता है ग्रीन हाउस गैसों की अनुपस्थिति में पृथ्वी का तापमान 20°C गिर सकता है। परन्तु औद्योगिक क्रान्ति के बाद वायुमंडलीय CO2, CFC, CH4, हैलोजेन्स और अन्य गैसों की मात्रा में ये अत्यधिक वृद्धि।

ग्लोबल वार्मिंग के मुख्य कारण-

  • वृक्षों के अत्यधिक कटाई से CO2 गैस की वातावरण में वृद्धि होना।
  • जीवाश्म ईंधन (कोयला, पेट्रोलियम) आदि के आरंभिक या पूर्ण दहन से कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइक्साइड एवं नाइट्रोजन के ऑक्साइडों की मात्रा में वृद्धि।
  • रेफ्रिजिरेटरों एवं एयर कंडीशनरों में एरोसोल का उपयोग अग्निशमन यंत्रों तथा फोम के उपयोग से क्लोरोफ्लोरो कार्बन का वातावरण में एकत्रित होना। .
  • अनेक जैविक प्रक्रियाओं, कृषि कार्यों एवं अपशिष्टों के सड़ने से ग्रीन हाउस गैसों का वातावरण में एकत्रित होना।

ग्लोबल वार्मिंग के विनाशकारी परिणाम-

  • पृथ्वी का तापमान बढ़ने से पानी के वाष्पीकरण की दर बढ़ेगी जिससे उपलब्ध पानी में कमी आयेगी।
  • पृथ्वी का तापमान बढ़ने से ध्रुवों की बर्फ पिघलेगी जिससे समुद्र का जल स्तर बढ़ने से तटीय आबादी को, जीवन का खतरा हो जायेगा।
  • पेड़ पौधों एवं जंतुओं की मृत्यु दर बढ़ जायेगी।
  • जल एवं वायु प्रदूषण में तेजी से वृद्धि होगी।
  • असामयिक वृष्टि, अतिवृष्टि एवं अनावृष्टि एवं बाढ़ की संभावनाएँ बढ़ जायेंगी।

ग्लोबल वार्मिंग से बचने के उपाय-

  • वृक्षों के कटाई को प्रतिबंधित करना चाहिए तथा अधिकाधिक वृक्षारोपण करना चाहिए।
  • जीवाश्म ईंधन को मितव्ययिता से तथा पूर्णदहन हो, ऐसा उपयोग करना चाहिए।
  • क्लोरो फ्लोरो कार्बन को पूर्णतः प्रतिबंधित कर देना चाहिए।
  • रासायनिक खादों के प्रयोग को बंद करके जैविक खादों के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिये।
  • अधिकाधिक वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना चाहिए।

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प्रश्न 4.
कॉलम ‘अ’ और ‘ब’ में दिए गए मदों का मिलान कीजिए

कॉलम ‘अ’ – कॉलम ‘ब’

1. उत्प्रेरक परिवर्तक – (a) कणकीय पदार्थ
2. स्थिर वैद्युत अवक्षेपित्र – (b) कार्बन मोनोऑक्साइड और (इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपिटेटर) नाइट्रोजन ऑक्साइड
3. कर्णमफ (इयर मफ्स) – (c) उच्च शोर स्तर
4. लैंडफिल – (d) ठोस अपशिष्ट।
उत्तर
1. (b), 2. (a), 3. (c), 4. (d).

प्रश्न 5.
निम्नलिखित पर आलोचनात्मक टिप्पणी लिखिए
(क) सुपोषण (यूट्रोफिकेशन)
(ख) जैव आवर्धन (बायोलॉजिकल मैग्निफिकेशन)
(ग) भौमजल (भूजल) का अवक्षय और इसकी पुनःपूर्ति के तरीके।
उत्तर
(क) सुपोषण (Eutrophication)-जलाशय, घरेलू अपशिष्ट, फॉस्फेट, नाइट्रेट इत्यादि से या इसके अपघटन से उत्पादों के मिलने से पोषक पदार्थों से समृद्ध हो जाते हैं । इस परिघटना के कारण जलाशय अत्यधिक उत्पादक या सुपोषी हो जाते हैं, जिसे सुपोषण (Eutrophication) कहते हैं। पोषकों के मिलने से जल में शैवाल (Algae) की प्रचुर मात्रा में वृद्धि होती है। इस कारण प्रदूषित जल में शैवालों की मात्रा अत्यधिक हो जाती है और वह जलाशय की सतह पर फैल जाते हैं। शैवालों की अत्यधिक वृद्धि के कारण जल में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है जिसके फलस्वरूप जीव जंतुओं की मृत्यु दर बढ़ जाती है।

(ख) जैव आवर्धन (बायोलॉजिकल मैग्निफिकेशन)-बायोमैग्नीफिकेशन-कुछ कीटनाशक पदार्थ तथा हानिकारक पदार्थ जल में मिलकर जलीय जीवधारियों के माध्यम से विभिन्न पोषी स्तरों में पहुँचते हैं। प्रत्येक स्तर पर जैविक क्रियाओं से इनकी सान्द्रता में वृद्धि होती जाती है। इस क्रिया को जैविक आवर्धन (Bio magnification) कहते हैं।

(ग) भौमजल (भूजल) का अवक्षय और इसकी पुनःपूर्ति के तरीके (Depletion of under ground water and measures for its Recovery)-वर्षा की कमी, वनोन्मूलन अधिक सिंचाई, तालाब या गड्ढों में अधिक अपशिष्टों के जमा हो जाने तथा औद्योगिक इकाईयों में अत्यधिक जल की माँग के कारण भूजल का स्तर दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है। इस कारण से कई क्षेत्रों में भू-जल स्तर (Water level) न्यूनतम स्तर पर जा पहुँचा है। जल एक नवीकरणीय प्राकृतिक सम्पदा है, फिर भी इसकी सुचारू रूप से आपूर्ति करना आवश्यक हो गया है। गिरते हुए भू-जल स्तर की पुनः पूर्ति निम्नलिखित तरीकों से की जा सकती है

  • रैनवाटर हार्वेस्टिंग द्वारा वर्षा जल को एकत्र करके उसका उपयोग करना चाहिए।
  • तालाबों तथा गड्ढों में सफाई करके जमा मलबे को हटाना चाहिए।
  • वर्षा के जल को जलाशयों में संगृहित करना चाहिए।
  • कम भू-जल स्तर वाले क्षेत्रों में कम सिंचाई वाली फसलें उगानी चाहिए।

प्रश्न 6.
अन्टार्कटिका के ऊपर ओजोन छिद्र क्यों बनते हैं ? पराबैंगनी विकिरण के बढ़ने से हमारे ऊपर किस प्रकार प्रभाव पड़ेंगे?
अथवा
ओजोन छिद्र क्या है ? इसके प्रभाव लिखिए।
उत्तर
पृथ्वी के ऊपर ध्रुवों पर 6 कि.मी. तथा भूमध्य रेखा पर 17 कि. मी. की ऊँचाई पर समताप मण्डल स्थित है, जहाँ O3, की परत उपस्थित है जो पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करती है। अंटार्कटिका में हेली के केन्द्र पर ओजोन परत की मोटाई 33% रह गई है इसे ही ओजोन छिद्र कहते हैं। इस छिद्र के लिए CH4, N2O और CFCs जिम्मेदार हैं। CFCs गैस हैलोकार्बन वर्ग से संबंधित है। इनमें कार्बन और हैलोजन परमाणुओं वाली मानव निर्मित गैसों की श्रृंखला है। CFCs का उपयोग नोदक एयरोसॉल डिब्बों, एयर कंडीशनरों एवं फोम के निर्माण में हो रहा है। वायुमण्डल में CFCs के विघटन से क्लोरीन परमाणु बनते हैं जो O2, के अणुओं को नष्ट करते हैं। O2, की परत का क्षय हो रहा है।
CF2Cl2 —> CF2Cl+Cl
Cl+O3 —> CIO +O2
ClO+O —> Cl+O2
ओजोन छिद्र का प्रभाव-ओजोन परत की अनुपस्थिति में सूर्य से पराबैंगनी किरणें सीधी धरातल पर आ रही हैं जिससे कैंसर, मोतियाबिंद में वृद्धि हो रही है। मानव की प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है और न्यूक्लिक अम्ल भी प्रभावित हो रहा है। ये किरणें पौधों में प्रकाश संश्लेषण को भी प्रभावित करती हैं।

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प्रश्न 7.
वनों के संरक्षण और सुरक्षा में महिलाओं और समुदायों की भूमिका की चर्चा कीजिये।
उत्तर
वन संरक्षण हेतु हिमालय के अनपढ़ जनजातीय महिलाओं ने एक विशेष आन्दोलन दिसंबर, 1972 में प्रारंभ किया जो ‘चिपको आंदोलन’ के नाम में प्रसिद्ध हुआ। यह आन्दोलन उत्तराखण्ड के टिहरी गढ़वाल जिले में आरंभ हुआ। इन महिलाओं ने पेड़ों से चिपककर आंदोलन चलाया जिसके कारण इन्हें 1978 में पुलिस की गोलियों का शिकार होना पड़ा।

देश के अन्य भागों में जनजातियाँ इस आंदोलन से प्रेरित हुई और पेड़ों के विनाश के विरुद्ध आवाजें उठाई। इसी प्रकार सन् 1731 में राजस्थान में जोधपुर के निकट अमृता देवी उनकी तीन बेटियों और विश्नोई परिवार के सैकड़ों लोगों ने वृक्ष की रक्षा के लिए अपने प्राण गँवा दिये। इस प्रकार उन्होंने जंगल एवं जमीन की घरोहर को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

प्रश्न 8.
पर्यावरणीय प्रदूषण को रोकने के लिये एक व्यक्ति के रूप में आप क्या उपाय करेंगे?
उत्तर
पर्यावरणीय प्रदूषण को निम्नलिखित उपायों द्वारा कम किया जा सकता है

  1. हमें प्रत्येक उपलब्ध स्थान पर अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाना चाहिए।
  2. घरों में भोजन बनाने के लिए धुआँ रहित ईंधन, जैसे-LPG, गोबर गैस, सौर ऊर्जा आदि के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
  3. वाहनों के धुएँ को रोकने के लिए उसमें फिल्टर का प्रयोग करना चाहिए।
  4. पॉलीथीन की थैलियों के स्थान पर हमें कागज की थैली या कपड़े का थैला उपयोग में लाना चाहिए।
  5. कूड़ा-करकट डस्टबीन में ही डालना चाहिए।
  6. पानी का दुरुपयोग न कर उसका संरक्षण करना चाहिए।
  7. उत्सवों पर आतिशबाजी के प्रयोग पर रोक लगनी चाहिए।
  8. मल पदार्थ, गोबर तथा पौधे के अवशेषों को गड्ढे में डालना चाहिए। जिससे ह्यूमस का निर्माण हो सके।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित के बारे में संक्षेप में चर्चा कीजिये-
(क) रेडियो सक्रिय अपशिष्ट,
(ख) पुराने बेकार जहाज और ई. अपशिष्ट
(ग) नगर पालिक के ठोस अपशिष्ट।
उत्तर
(क) रेडियो सक्रिय अपशिष्ट (Radioactive wastages)- प्रदूषण निम्नलिखित प्रकार के होते हैं

(i) जल प्रदूषण-जल स्त्रोतों में होने वाले उन अवांछनीय परिवर्तन को जिससे जल प्रदूषित होता है, जल प्रदूषण कहते हैं। यह प्रदूषण वाहितमल, घरेलू बहिस्राव, औद्योगिक बहिस्राव, कृषि कार्यों, कीटनाशकों के प्रयोगों तथा औद्योगिक गतिविधियों के कारण होता है।

(ii) वायु प्रदूषण-वायुमण्डल में होने वाले ऐसे परिवर्तन जिनसे जीवों का नुकसान हो वायु प्रदूषण कहलाता है। यह मुख्यत: दहन क्रियाओं, औद्योगिक गतिविधियों, कृषि कार्यों में कीटनाशकों के प्रयोगों तथा औद्योगिक गतिविधियों के कारण होता है।

(iii) रेडियोऐक्टिव प्रदूषण-रेडियोऐक्टिव पदार्थों के कारण पैदा होने वाले प्रदूषण को रेडियोऐक्टिव प्रदूषण कहते हैं । परमाणु ऊर्जा के अपशिष्टों के कारण भी रेडियोऐक्टिव प्रदूषण होता है।

(iv)शोर प्रदूषण-अवांछनीय ध्वनि को शोर कहते हैं । वातावरण में फैली ऐसी अनियन्त्रित ध्वनि अथवा शोर को ध्वनि अथवा शोर प्रदूषण कहते हैं । यह प्रदूषण अनियन्त्रित ध्वनि, आतिशबाजी, लाउडस्पीकर, हवाई अड्डा, उद्योग इत्यादि से पैदा हुई ध्वनि के कारण होती है।

(v) मृदा प्रदूषण-मृदा में होने वाले हानिकारक परिवर्तनों को मृदा प्रदूषण कहते हैं । यह कीटनाशकों, खरपतवारनाशियों, उर्वरकों के प्रयोग के कारण होता है।

रेडियोऐक्टिव (विकिरण) प्रदूषण के कारण जीवों के ऊपर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं, जो बीमारियों के रूप में दिखाई देते हैं

  • ल्यूकीमिया तथा अस्थि कैंसर-रेडियोऐक्टिव प्रदूषण के कारण मनुष्य, गाय, बैल आदि जीवों में रुधिर तथा अस्थि का कैंसर होता है।
  • असामयिक बुढ़ापा-रेडियोऐक्टिव प्रदूषण के कारण जीवों की प्रजनन क्षमता घट जाती है तथा उनमें असामयिक बुढ़ापा आता है।
  • महामारी-विकिरण प्रदूषण के कारण जीवों में रोगजनकों के प्रति एन्टिटॉक्सिन उत्पादन की या रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है, जिसके कारण महामारी तेजी से फैलती है।
  • उत्परिवर्तन-इसके कारण जीवों में अचानक कुछ आनुवंशिक परिवर्तन पैदा हो जाते हैं।
  • तन्त्रिका तन्त्र तथा संवेदी कोशिकाएँ उत्तेजित हो जाती है।
  • बाह्य त्वचा पर घाव बन जाता है एवं आँख, आँत व जनन ऊतक प्रभावित होते हैं। इसके तात्कालिक प्रभाव के रूप में आँखों में जलन, डायरिया, उल्टी इत्यादि लक्षण दिखाई देते हैं। कैंसर होता है।

(ख) पुराने बेकार जहाज (Old useless ships)–पुराने बेकार मरम्मत के योग्य न रहने वाले जहाज, ठोस अपशिष्ट की तरह होते हैं । इन जहाजों को समुद्र तट पर तोड़कर कबाड़ (स्क्रेप) निकाला जाता है। जहाजों के स्क्रेप में अनेक विषाक्त पदार्थ जैसे-एस्बेस्टास, सीसा, पारा आदि निकल कर तटीय क्षेत्रों को प्रदूषित करते हैं।

ई-अपशिष्ट (e-wastes)-कम्प्यूटर व अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान जिन्हें मरम्मत करके ठीक-ठीक नहीं किया जा सकता, ई-अपशिष्ट कहलाते हैं। विकासशील देशों में ई-अपशिष्टों का पुनः चक्रण कर ताँबा, सिलिकॉन, निकिल एवं स्वर्ण धातु प्राप्त किया जाता है। इन देशों में पुनः चक्रण की क्रिया आधुनिक विधियों से करके हाथों द्वारा किया जाता है, जिससे ई-अपशिष्ट में मौजूद विषैले पदार्थ इन कार्य में जुड़े लोगों पर दुष्प्रभाव डालते हैं।

(ग) नगर पालिका के ठोस अपशिष्ट (Solid wastes of municipality)-नगर पालिक के ठोस अपशिष्टों में घरों, कार्यालयों, भंडारों, विद्यालयों आदि से रद्दी में फेंकी गई सभी चीजें आती है जो नगर पालिका द्वारा इकट्ठी की जाती है और इनका निपटान किया जाता है। इन्हें ठोस अपशिष्ट कहते हैं। इनमें आमतौर पर कागज, खाद्य अपशिष्ट, काँच, धातु, रबर, चमड़ा, वस्त्र आदि होते हैं। इनको जलाने से अपशिष्ट के आयतन में कमी आ जाती है, लेकिन यह सामान्यतः पूरी तरह जलता नहीं है और खुले में इसे फेंकने पर यह चूहों और मक्खियों के लिए प्रजनन स्थल का कार्य करता है। सैनेटरी लैंडफिल में अपशिष्ट को संघनन (Compaction) के बाद गड्ढा या खाई में डाला जाता है और प्रतिदिन धूल-मिट्टी (Dirt) से ढंक दिया जाता है।

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प्रश्न 10.
दिल्ली में वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने के लिए क्या प्रयास किये गये ? क्या दिल्ली में वायु की गुणवत्ता में सुधार हुआ।
उत्तर
वाहनों की संख्या अधिक होने के कारण दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर देश में सबसे अधिक है। 41 सर्वाधिक प्रदूषित नगरों में दिल्ली का स्थान चौथा है। इस स्थिति को देखकर भारत के न्यायालय ने भारत सरकार को निश्चित अवधि में प्रदूषण कम करने का उपाय करने बाबत् आदेश दिये कि सभी सरकारी वाहनों में डीजल के स्थान पर संपीड़ित प्राकृतिक गैस (CNG) का प्रयोग किया जाये। वर्ष 2002 के अंत तक सभी बसों को CNG. में परिवर्तित कर दिया गया।

CNG डीजल से बेहतर है, क्योंकि डीजल की तुलना में इसका दहन उच्च होता है तथा यह अन्य पेट्रोलियम पदार्थों से किफायती होता है, साथ ही दिल्ली में वाहन प्रदूषण को कम करने के अन्य उपाय भी किये गये हैं, जैसे-पुरानी गाड़ियों को धीरे-धीरे हटा देना, सीसा रहित पेट्रोल एवं डीजल का प्रयोग, कम गन्धक युक्त पेट्रोल और डीजल का प्रयोग, वाहनों में उत्प्रेरक परिवर्तनों का प्रयोग, वाहनों के लिए कठोर प्रदूषण स्तर लागू करना आदि। दिल्ली में किये गये उक्त प्रयासों के कारण यहाँ की वायु की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित के बारे में संक्षेप में चर्चा कीजिए
(क) ग्रीन हाऊस गैसें
(ख) उत्प्रेरक परिवर्तक
(ग) पराबैंगनी-B
उत्तर
(क) ग्रीन हाऊस गैसें (Green house gases)-वातावरण में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) मीथेन (CH4), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), नाइट्रस ऑक्साइड (N2O), क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) गैसें ग्रीनहाऊस गैसें कहलाती हैं। इन गैसों के अत्यधिक उत्सर्जन से पृथ्वी के तापक्रम में वृद्धि होती है।

(ख) उत्प्रेरक परिवर्तक (Catalytic converter)-महानगरों में स्वचालित वाहन वायुमण्डल प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। जैसे-जैसे सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ती है यह समस्या छोटे शहरों में भी पहुंच रही है। स्वचालित वाहनों का रखरखाव उचित होना चाहिए। उनमें सीसा रहित पेट्रोल या डीजल का प्रयोग होने से उत्सर्जित प्रदूषकों की मात्रा कम हो जाती है। उत्प्रेरक परिवर्तक में कीमती धातु प्लैटिनम-पैलेडियम और रेडियम लगे होते हैं, जो उत्प्रेरक (Catalyst) का कार्य करते हैं। ये परिवर्तन स्वचालित वाहनों में लगे होते हैं जो विषैले गैसों के उत्सर्जन को कम करते हैं।

(ग) पराबैंगनी-बी (Ultraviolet-B)-पराबैंगनी-B(UV-B) विकिरण एक बड़ी तरंगदैर्घ्य वाली किरण है तथा पृथ्वी के वायुमण्डल द्वारा पूरी तरह अवशोषित नहीं हो पाती। ये किरणें जीवधारियों को बड़े पैमाने पर हानि पहुँचाती है। UV-B, DNA को क्षतिग्रस्त करता है जिसके कारण उत्परिवर्तन (Mutation) हो सकता है। त्वचा की कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त तथा शरीर में विविध प्रकार के कैंसर उत्पन्न हो सकते हैं। इसके प्रभाव से त्वचा में बुढ़ापे के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। हमारी आँखों का कॉर्निया UV-B विकिरण का अवशोषण करता है। इसकी उच्च मात्रा होने पर कार्निया में शोथ होने लगता है, जिसे मोतियाबिंद (Cataract) कहा जाता है। UV-B प्रतिरक्षा तंत्र को भी प्रभावित करता है।

पर्यावरणीय मुद्दे अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
जीवाश्मीय ईंधन का दहन निम्नलिखित का मुख्य कारण है
(a) SO2 प्रदूषण
(b) नाइट्रोजन डाइ-ऑक्साइड
(c) नाइट्रस ऑक्साइड प्रदूषण
(d) नाइट्रिक ऑक्साइड प्रदूषण।
उत्तर
(a) SO2 प्रदूषण

प्रश्न 2.
ग्रीन हाउस प्रभाव का कारण वायुमण्डल में निम्नलिखित की सान्द्रता का बढ़ना है
(a) CO2
(b)CO
(c) O3
(d) नाइट्रोजन ऑक्साइड।
उत्तर
(a) CO2

प्रश्न 3.
वातावरण में O2, की मात्रा में कमी का दायित्व किस रसायन के फलस्वरूप है
(a) CFC
(b) NO2
(c)CO2
(d) SO2
उत्तर
(a) CFC

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प्रश्न 4.
निम्न में से कौन-सा सर्वाधिक भयंकर रेडियोऐक्टिव प्रदूषक है
(a) स्ट्रांशियम-90
(b) फॉस्फोरस-32
(c) सल्फर-35
(d) कैल्सियम-40.
उत्तर
(a) स्ट्रांशियम-90

प्रश्न 5.
अम्लीय वर्षा का कारण है
(a) सल्फर डाइ-ऑक्साइड प्रदूषण
(b) कार्बन मोनो-ऑक्साइड प्रदूषण
(c) पीड़कनाशी प्रदूषण
(d) धूल कण।
उत्तर
(a) सल्फर डाइ-ऑक्साइड प्रदूषण

प्रश्न 6.
कार्बन मोनो-ऑक्साइड एक प्रमुख प्रदूषक है
(a) जल का
(b) हवा का
(c) ध्वनि का
(d) मृदा का।
उत्तर
(b) हवा का

प्रश्न 7.
पौधे हवा के शोधक माने जाते हैं, निम्न क्रिया के कारण
(a) श्वसन
(b) प्रकाश-संश्लेषण
(c) वाष्पोत्सर्जन
(d) शुष्कन।
उत्तर
(b) प्रकाश-संश्लेषण

प्रश्न 8.
ओजोन परत को नुकसान पहुँचाने वाला प्रमुख प्रदूषक है
(a) ओजोन डाइ-ऑक्साइड
(b) कार्बन डाइ-ऑक्साइड
(c) कार्बन मोनो-ऑक्साइड
(d) नाइट्रोजन ऑक्साइड एवं फ्लोरोकार्बन
उत्तर
(d) नाइट्रोजन ऑक्साइड एवं फ्लोरोकार्बन

प्रश्न 9.
भोपाल गैस दुर्घटना में किस गैस का रिसाव हुआ था
(a) मेथिल आइसोसायनेट
(b) पोटैशियम आइसोथायोसायनेट
(c) सोडियम आइसो थायोसायनेट
(d) एथिल आइसोइनेट।
उत्तर
(a) मेथिल आइसोसायनेट

प्रश्न 10.
मिनिमाता रोग किसके कारण उत्पन्न होता है
(a) पेय जल में कार्बनिक प्रदूषक
(b) तेल उत्पन्य
(c) जल में पारद युक्त औद्योगिक कचरा
(d) वायुमंडलीय ऑर्गेनिक।
उत्तर
(c) जल में पारद युक्त औद्योगिक कचरा

प्रश्न 11.
ताजमहल को किससे खतरा है
(a) यमुना में आने वाले बाढ़
(b) तापक्रम द्वारा संगमरमर का वरण
(c) मथुरा रिफाइनरी से उत्पन्न प्रदूषक
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(c) मथुरा रिफाइनरी से उत्पन्न प्रदूषक

प्रश्न 12.
निम्न में से कौन वायुमंडलीय प्रदूषण उत्पन्न नहीं करेगा
(a) SO2
(b)CO2
(c)CO
(d) H2
उत्तर
(d) H2

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प्रश्न 13.
भोपाल गैस दुर्घटना कब हुई
(a) 1982
(b) 1984
(c) 1986
(d) 1988.
उत्तर
(c) 1986

प्रश्न 14.
ग्रीन हाउस प्रभाव में तापन का कारण होता है
(a) पृथ्वी पर आने वाले इन्फ्रारेड किरणें
(b) वायुमंडल की नमी
(c) वायुमंडलीय CO2
(d) वायुमंडलीय ओजोन।
उत्तर
(b) वायुमंडल की नमी

प्रश्न 15.
ग्रीन हाउस गैसें किससे संबंधित हैं–
(a) हरी शैवालों की अति वृद्धि
(b) वैश्विक तापमान में वृद्धि
(c) घरों में सब्जी की खेती
(d) टेरेस गार्डन का विकास।
उत्तर
(a) हरी शैवालों की अति वृद्धि

प्रश्न 16.
ग्रीन हाउस गैसें होती हैं
(a) CO2,CFC,CH2 ,NO2
(b) CO2,O2,N2,NO2,NH3
(c) CH4,N3,CO2,NH3
(d) CFC,CO2,NH3,H2
उत्तर
(d) CFC,CO2,NH3,H2

प्रश्न 17.
जल प्रदूषण किसके कारण होता है
(a) सल्फर डाइ-ऑक्साइड
(b) कार्बन डाइ-ऑक्साइड
(c) ऑक्सीजन
(d) औद्योगिक अपशिष्ट
उत्तर
(d) औद्योगिक अपशिष्ट

प्रश्न 18.
किस खेत से मीथेन गैस का उत्पादन होता है
(a) गेहूँ का खेत
(b) धान का खेत
(c) कपास का खेत
(d) मूंगफली का खेत।
उत्तर
(b) धान का खेत

प्रश्न 19.
प्रदूषित जल का उपचार किससे किया जाता है
(a) लाइकेन
(b) कवक
(c) फर्न
(d) फाइटो प्लैंक्टॉन।
उत्तर
(d) फाइटो प्लैंक्टॉन।

प्रश्न 20.
परिवहन से उत्पन्न गैस जो अचानक श्वास संबंधी रोग उत्पन्न हो सकता है
(a) CO
(b)CH4
(c)NO2
(d) क्लोरीन।
उत्तर
(a) CO

प्रश्न 21.
किस देश के द्वारा ग्रीन हाउस गैस का अधिकतम उत्पादन होता है
(a) भारत
(b) ब्रिटेन
(c) U.S.A.
(d) फ्रांस।
उत्तर
(c) U.S.A.

प्रश्न 22.
अम्लीय वर्षा से कौन अप्रभावित रहता है
(a) लिथोस्फीयर
(b) पौधे
(c) ओजोन परत.
(d) जन्तु।
उत्तर
(c) ओजोन परत.

प्रश्न 23.
ओजोन परत के छिद्र के कारण उत्पन्न होता है
(a) वैश्विक तापन
(b) प्रकाश संश्लेषण की दर में कमी
(c) अधिक UV किरणों का पृथ्वी पर आना
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर
(d) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 24.
भारत वर्ष में सबसे अधिक प्रदूषित नदी है
(a) गंगा
(b) यमुना
(c) गोमती
(d) गोदावरी।
उत्तर
(b) यमुना

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2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. चारों ओर फैले परिवेश को ………….कहते हैं।
2. पर्यावरण अध्ययन की प्रकृति …………… होती है।
3. …………. पृथ्वी पर जीवों का सर्वाधिक उच्च स्तर है।
4. …………….स्थान विशेष में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के प्राणियों, जीवाणुओं तथा कवकों का समूह है।
5. भू-पटल के ऊपर पाये जाने वाले वायु के विस्तार को ………….. कहते हैं।
6. विद्युत् चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के दृश्य रेंज को ………….. कहा जाता है।
7. मृदा की ऊर्ध्वाकार स्तरीय संरचना को ………….. कहते हैं।
8. …………. जल पौधों को सर्वाधिक रूप से उपलब्ध होता है।
9. ………….. मृदा में पाये जाने वाले जीवों के श्वसन के लिए आवश्यक होता है।
10. पृथ्वी पर जीवों के अस्तित्व के लिए मृत्यु एक ………….. घटना है।
11. जीवित रहने के लिए ………….. गैस आवश्यक है।
12. ……………. मछली, मच्छर के अण्डों एवं लार्वा का भक्षण करती है।
13. वनीकरण द्वारा वातावरणीय CO2, की मात्रा को …………… किया जा सकता है।
14. मृदा प्रदूषण ……………. के द्वारा होता है।
15. ओजोन परत सूर्य की …………. को अवशोषित करती है।
उत्तर

  1. पर्यावरण
  2. बहुविषयक
  3. जैवमंडल
  4. जैव-समुदाय
  5. वायुमंडल
  6. प्रकाश
  7. मृदा-परिच्छेदिका,
  8. केशिका
  9. ऑक्सीजन
  10. आवश्यक
  11. ऑक्सीजन
  12. गैम्बूशिया
  13. नियंत्रित,
  14. रासायनिक उर्वरकों,
  15. पराबैंगनी किरणों।

3. सही जोड़ी बनाइए

I. ‘A’ – ‘B’

1. अम्लीय वर्षा का कारण – (a)CO2
2. ग्रीन हाउस प्रभाव का कारण  – (b) SO2 प्रदूषण
3. वातावरण में O3 की मात्रा की कमी का कारण – (c) SO2 + NO2
4. जीवाश्मीय दहन का मुख्य कारण – (d) C.F.C.
उत्तर
1.(c), 2. (a), 3. (d), 4. (b)

II. ‘A’ – ‘B’

1. मच्छर नियंत्रण – (a) 1972 अधिनियम
2. शिकार पर रोक – (b) वनस्पति हानि
3. पेन (PAN) – (c) स्मॉग
4. ओजोन विघटन – (d) गैसों की स्क्रबिंग।
उत्तर
1. (c), 2.(a), 3. (b), 4. (d)

4. एक शब्द में उत्तर दीजिए

1. प्रभावकारी दशाओं का वह संपूर्ण योग जिसमें जीव पाये जाते हैं।
2 परस्पर प्रजनन करने वाले जीवों का समूह ।
3. किसी स्थान विशेष में पाये जाने वाले जीवों तथा निर्जीव कारकों के मध्य होने वाली अंतक्रिया से विकसित होने वाला तंत्र।
4. वायुमंडल का वह निचला हिस्सा जिसमें 90% से अधिक गैसें पायी जाती हैं।
5. बैंगनी रंग के प्रकाश से कम तरंगदैर्घ्य वाले प्रकाश की किरणें।
6. पौधे में पुष्पन क्रिया पर प्रकाश का प्रभाव।
7. मृदा में पाये जाने वाले सबसे छोटे आकार के कण।
8. गुरुत्वाकर्षण बल के कारण मृदा कणों के बीच रिसकर नीचे चले जाने वाला कण।
9. शुष्क स्थिति टालने के लिए कुछ ही समय में जीवन चक्र करने वाले पौधे।
10. लवणीय पर्यावरण में पाये जाने वाले पौधे।।
11. सुरक्षा के लिए एक जीव का दूसरे जीव का स्वरूप ग्रहण करना।
12. B.O.D. का पूरा नाम लिखिए।
13. वायु प्रदूषण करने वाली दो प्रमुख गैसों के नाम लिखिए।
14. मनुष्य की श्रवण क्षमता कितनी होती है ?
15. भारत की सबसे अधिक प्रदूषित नदी कौन-सी है ?
16 वातावरण में CO2 की सान्द्रता में वृद्धि होने से वातावरण के ताप में वृद्धि को क्या कहते हैं ?
17. D.D T. का पूरा नाम लिखिये।
18. पर्यावरण में CO2, की मात्रा कितनी होती है ?
19. किसके कारण धुएँ से आँखों में जलन पैदा होती है ?
20. विश्व-पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है ?
21. PAN का पूरा नाम लिखिए।
22. CFCs का पूरा नाम क्या है ?
23. भू-मण्डलीय तापन में CO2 का कितने प्रतिशत योगदान है ?
उत्तर

  1. पर्यावरण
  2. जाति
  3. पारिस्थितिक तंत्र
  4. क्षोभमंडल
  5. पराबैंगनी किरणें
  6. प्रकाश कालिता
  7. क्ले
  8. गुरुत्वाकर्षण जल
  9. इफिमीरल
  10. लवणोद्भिद
  11. अनुहरण
  12. Biological Oxygen Demand
  13. SO2, एवं CO2
  14. 10-12 डेसीबल
  15. गंगा
  16. ग्रीन हाऊस प्रभाव
  17. डाइक्लोरो डाइफिनाइल ट्राइक्लोरो एथेन,
  18. 0.03%,
  19. NO2
  20. 5 जून
  21. परॉक्सिल एसिटाइल नाइट्रेट,
  22. क्लोरो फ्लोरो कार्बन, 23.60%.

पर्यावरण के मुद्दे लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रदूषण की परिभाषा लिखिए।
उत्तर
“वायु, जल एवं मृदा के भौतिक, रासायनिक तथा जैविक गुणों में होने वाला ऐसा अवांछित परिवर्तन जो मनुष्य के साथ ही सम्पूर्ण परिवेश के प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक तत्वों को हानि पहुँचाता है उसे प्रदूषण कहते हैं।”

प्रश्न 2.
वायु प्रदूषण के कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर

  1. प्राकृतिक स्रोतों में ज्वालामुखी, दावाग्नि, अपशिष्ट आदि प्रमुख हैं।
  2. मानव निर्मित स्रोत परिवहन, घरेलू कार्यों में दहन, ताप बिजली घर, उद्योग, कृषि कार्य, पेंट, वार्निश, खनन, रेडियोधर्मिता दुर्घटनाएँ, आतिशबाजी, गुलाल, धूम्रपान वायु प्रदूषण उत्पन्न करती हैं।
  3. कालिख, धुआँ, धूल, एस्बेस्टॉस तन्तु, कीटनाशक पौधे के परागण, कवकों एवं जीवाणुओं के स्पोर्स वायु प्रदूषण आदि के उदाहरण हैं।
  4. जीवाश्म के अपूर्ण दहन से CO2 का निर्माण होता है।

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प्रश्न 3.
अम्ल वर्षा क्या है ? मनुष्य में इसके दो प्रभाव लिखिए।
उत्तर
जीवाश्मीय ईधनों के जलने पर ऑक्सीकरण के द्वारा सल्फर के ऑक्साइड (SO2और SO3) पैदा होती हैं । ये दोनों गैसें पानी से क्रिया करके सल्फ्यूरस एवं सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) बनाती हैं । वर्षा के दिनों में जीवाश्मीय ईंधन के जलने से बनी SO2, और SO3 वर्षा की बूंदों के साथ अम्लों के रूप में पृथ्वी पर गिरती हैं, इसे ही अम्ल वर्षा कहते हैं। मानव पर इसके दो

प्रभाव

  • त्वचा में जलन होती है तथा फफोले बन जाते हैं।
  • इसके कारण इन्फ्लुएंजा, ब्रोंकॉइटिस तथा न्यूमोनिया रोग होते हैं।

प्रश्न 4.
वायु प्रदूषण का पौधों पर प्रभाव लिखिए।
उत्तर
वायु प्रदूषण का पौधों पर प्रभाव-

  • वायु प्रदूषण मुख्यत: SO2 की सान्द्रता बढ़ने के कारण पौधों की पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं।
  • इनकी पत्तियों की कोशिकाएँ तथा क्लोरोफिल अपघटित होने लगती हैं अन्त में पत्तियाँ गिरती हैं और पौधे की मृत्यु हो जाती है।
  • पौधों की कायिक एवं जनन वृद्धि रुक जाती है, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है।
  • पौधे का विकास अवरुद्ध हो जाता है।

प्रश्न 5.
दहन क्रियाओं से होने वाले वायु प्रदूषण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
दहन क्रियाओं से अनेक प्रकार के प्रदूषण होते हैं । घरेलू कार्यों में दहन क्रियाओं से जहाँ एक ओर CO2,CO, SO2, जैसे गैसें उत्पन्न होती हैं वही, इस क्रिया में वायुमण्डल की ऑक्सीजन उपयोग में ली जाती है। इससे वातावरण में ऑक्सीजन की कमी होती है। इसी प्रकार अनेक विद्युत्-गृहों में पत्थर का कोयला जलाने से अन्य गैसें तथा धुआँ उत्पन्न होता है। कोयले की राख व्यर्थ पदार्थ के रूप में उड़कर वायुमण्डल में मिलती है। दहन क्रियाओं से होने वाले प्रदूषण में सर्वाधिक बढ़ोत्तरी वाहनों में जलने वाले ईंधन से होती है। डीजल वाहनों के धुएँ में अनेक हाइड्रोकार्बन, सल्फर तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड आदि होते हैं। पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के धुएँ में CO2 के अलावा सीसा भी होता है।

प्रश्न 6.
वायु प्रदूषण की रोकथाम हेतु उपाय लिखिए।
उत्तर
वायु प्रदूषण की रोकथाम हेतु उपाय-वायु प्रदूषण निम्नलिखित उपायों द्वारा रोका जा सकता

  • कल कारखानों को आबादी से दूर करके तथा इनमें शोधन यन्त्रों को लगाना।
  • नये वनों को लगाना तथा वनों की कटाई पर रोक लगाना।
  • अधिक धुआँ देने वाले वाहनों तथा संयन्त्रों पर प्रतिबंध लगाना।
  • बड़े नगरों में बगीचों, उद्यानों का विकास करना।
  • फैक्ट्रियों की चिमनियों को ऊँचा करना।
  • बस अड्डों तथा मोटर गैराजों को शहर से दूर करना।
  • वायु शोषक पादपों का वृक्षारोपण करना।
  • वायु प्रदूषण सम्बन्धी नियमों को बनाकर तथा उनका पालन करवाकर ।

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प्रश्न 7.
हरित गृह प्रभाव के नियंत्रण के कोई चार उपाय लिखिये।
उत्तर
हरित गृह प्रभाव के नियंत्रण के उपाय निम्नलिखित हैं

  • जीवाश्म ईंधनों के उपयोग में कमी लाई जाये।
  • वनों का विनाश रोका जाये तथा नये वन विकसित किये जायें।
  • हरित गृह गैसों के विसर्जन रोकने हेतु वित्तीय सहायता के साथ तकनीकी जानकारी दी जानी चाहिए।
  • ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों पर निर्भरता कम की जाये। नये ऊर्जा स्रोतों का विकास किया जाये।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
1. बायोमैग्नीफिकेशन,
2.UV-किरणें,
3. बायोडिग्रेडेबल प्रदूषक
4. नॉन-बायोडिग्रेडेबल प्रदूषक।
उत्तर-
1. बायोमैग्नीफिकेशन-कुछ कीटनाशक पदार्थ तथा हानिकारक पदार्थ जल में मिलकर जलीय जीवधारियों के माध्यम से विभिन्न पोषी स्तरों में पहुँचते हैं। प्रत्येक स्तर पर जैविक क्रियाओं से इनकी सान्द्रता में वृद्धि होती जाती है। इस क्रिया को जैविक आवर्धन (Bio magnification) कहते हैं।

2. पराबैंगनी किरणें या UV- किरणें-UV- किरणें वे प्रकाश कि हैं जिनकी तरंगदैर्ध्य 200 से 300 nm के बीच होता है। इन्हें हम सामान्य आँख से नहीं देख सकते हैं।

3. बायोडिग्रेडेबल प्रदूषक या निम्नीकरणीय प्रदूषक-जिन प्रदूषकों का सूक्ष्म जीवों की प्राकृतिक क्रियाओं द्वारा अहानिकारक पदार्थों में अपघटन किया जा सके, उन्हें जैव निम्नीकरणीय प्रदूषक कहते हैं। ये कम हानिकारक होते हैं । मल-मूत्र , कूड़ा-करकट इसी श्रेणी में आते हैं।

4.नॉन-बायोडिग्रेडेबल या जैव अनिम्नीकरणीय प्रदूषक-जिन प्रदूषकों का सूक्ष्म जीवों की प्राकृतिक क्रियाओं द्वारा अपघटन न किया जा सके उन्हें अनिम्नीकरणीय प्रदूषक कहते हैं। ये अपेक्षाकृत अधिक नुकसानदेह होते हैं। इनका प्रकृति में पुनर्चक्रण नहीं हो पाता। ऐल्युमिनियम, काँच, प्लास्टिक इसी श्रेणी में आते हैं।

प्रश्न 9.
SO2 का वातावरण पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर
MP Board Class 12th Biology Solutions Chapter 16 पर्यावरण के मुद्दे 1

प्रश्न 10.
जल अथवा वायु प्रदूषण के स्रोतों के केवल नाम लिखिए।
उत्तर
जल प्रदूषण के स्रोत-जल प्रदूषण के प्रमुख स्रोत निम्नानुसार हैं

(A) मानवीय स्रोत

  • वाहित मल
  • घरेलू बहिस्राव
  • कृषि बहिस्राव
  • औद्योगिक बहिस्राव
  • तैलीय प्रदूषण।

(B) प्राकृतिक स्रोत-कुछ लवण तथा तत्व प्राकृतिक रूप से जल में मिलकर प्रदूषण फैलाते हैं जैसेसीसा, आर्सेनिक, पारा, निकिल आदि। वायु प्रदूषण के स्रोत-वायु प्रदूषण के स्रोतों को सामान्यत: दो भागों में बाँटते हैं

(A) प्राकृतिक स्रोत-ज्वालामुखी का लावा, धूल, वन की आग के धुएँ तथा दलदल भूमि की CH4

(B) कृत्रिम स्रोत या मानवीय स्रोत–मानवीय स्रोत निम्नानुसार हैं दहन क्रियाएँ, औद्योगिक गतिविधियाँ, कृषि कार्य, कीटनाशकों का प्रयोग तक परमाणु ऊर्जा सम्बन्धी गतिविधियाँ।

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प्रश्न 11.
जलीय जीवों पर जल प्रदूषण के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
जलीय पादपों पर जल प्रदूषण के प्रभाव-

  • N2 तथा P की उपस्थिति के कारण जल सतह पर काई जम जाती है, जिससे सूर्य प्रकाश गहराई तक नहीं जाता है।
  • प्रदूषित जल में सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ जाती है।
  • जल में गाद जमती है।
  • जलीय तापमान बढ़ता है तथा O2, का अनुपात कम होता है।

जलीय जन्तुओं पर जल प्रदूषण का प्रभाव-जलीय वनस्पति पर ही जन्तु जीवन निर्भर रहता है। जलीय जन्तु जल प्रदूषण से निम्नलिखित प्रकार से प्रभावित होते हैं

  • B.O. D. की कमी के कारण जन्तु संख्या कम होते हैं।
  • स्वच्छ जल में पाये जाने वाले जन्तु समाप्त हो जाते हैं।
  • जन्तु विविधता कम होती है तथा मछलियों में तरह-तरह की बीमारियाँ होती हैं।
    जल से बाहर रहने वाले जीव भी प्रदूषित जल के उपयोग के कारण प्रभावित होते हैं।

प्रश्न 12.
जल प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण के उपाय बताइए।
उत्तर
जल प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं

  • प्रत्येक घर में सेप्टिक टैंक होना चाहिए।
  • जल स्रोतों में पशुओं को नहीं धोना चाहिए।
  • लोगों को नदी, तालाब, झील में स्नान नहीं करना चाहिए।
  • कीटनाशियों, कवकनाशियों इत्यादि के रूप में निम्नीकरण योग्य पदार्थों का प्रयोग करना चाहिए।
  • खतरनाक कीटनाशियों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। इन जल स्रोतों में पशुओं को भी नहीं धोना चाहिए।
  • जल स्रोतों के जल के शोधन पर विशिष्ट ध्यान देना चाहिए। बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में जल शोधन संयन्त्रों को लगाना चाहिए।

प्रश्न 13.
औद्योगिक कारणों से होने वाले वायु प्रदूषण का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर
वायु प्रदूषण मुख्यतः उद्योगों से निकले धुएँ एवं अपशिष्ट पदार्थों से ही होता है। कपड़ा उद्योगों, रासायनिक उद्योग, तेल शोधक कारखाने, गत्ता उद्योग एवं शक्कर उद्योग वायु प्रदूषण के मुख्य स्त्रोत हैं और H4S, SO2,CO2,CO, धूल, सीसा, ऐम्बेस्टॉस आर्सेनिक फ्लुओराइड, बेरिलियम तथा अनेक हाइड्रोकार्बन इन उद्योगों से निकले प्रमुख वायु प्रदूषक हैं । औद्योगिक क्षेत्रों के आस-पास के धुआँ को देखकर उद्योगों से होने वाले प्रदूषण को समझा जा सकता है। उद्योगों के कारण भारत के औद्योगिक शहर बहुत अधिक प्रदूषित हैं।

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प्रश्न 14.
ध्वनि प्रदूषण के स्रोत क्या हैं ? ध्वनि प्रदूषण के कोई चार प्रभाव लिखिए।
उत्तर
ध्वनि प्रदूषण के स्रोत (Sources of Noise Pollution)- ध्वनि प्रदूषण का स्रोत ध्वनि, शोर या आवाज ही है चाहे वह किसी भी प्रकार से पैदा हुई हो। टी. वी., रेडियों, कूलर, स्कूटर, कार, बस, ट्रेन, जहाज, रॉकेट, घरेलू उपकरण, वाशिंग मशीन, लाउड स्पीकर, स्टीरियो, टैंक, तोप तथा दूसरे सुरक्षात्मक उपकरणों के अलावा सभी प्रकार की आवाज करने वाले साधन उपकरण या कारक ध्वनि प्रदूषण स्रोत होते हैं।

ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव-ध्वनि प्रदूषण के प्रमुख प्रभाव निम्नानुसार हैं

  • सतत् शोर के कारण सुनने की क्षमता में कमी आती है।
  • ज्यादा शोर होने पर त्वचा में उत्तेजना पैदा होती है, जठर पेशियाँ संकीर्ण होती हैं और क्रोध तथा स्वभाव में उत्तेजना पैदा होती है।
  • शोर के कारण हृदय की धड़कन तथा रक्त दाब बढ़ता है और सिर दर्द, थकान, अनिद्रा आदि रोग होते हैं।
  • अधिक शोर के कारण ऐड्रीनल हॉर्मोनों का स्राव अधिक होता है।
  • यह कई उपापचयी क्रियाओं को प्रभावित करने के अलावा संवेदी तथा तन्त्रिका-तन्त्र को कमजोर बनाता है।

प्रश्न 15.
ध्वनि प्रदूषण से बचने के उपायों को लिखिए।
उत्तर
ध्वनि प्रदूषण से बचने के उपाय-ध्वनि प्रदूषण से निम्नलिखित उपायों द्वारा बचा जा सकता

  • ऐसे उपकरणों का निर्माण करना जो शोर या ध्वनि की तीव्रता को कम करें।
  • ध्वनि अवशोषकों का प्रयोग करना चाहिए।
  • मशीनों के साथ काम करने वाले व्यक्तियों को ध्वनि अवशोषक वस्त्रों को देना चाहिए।
  • पौधों को उगाकर भी ध्वनि प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
  • अनावश्यक शोर नहीं करना चाहिए। ध्वनि उत्पादक उपकरणों का आवश्यतानुसार ही प्रयोग करना चाहिए।
  • अनावश्यक ध्वनि पैदा करने वालों के खिलाफ कानून बनाकर उसका कड़ाई से पालन करवाना चाहिए।

प्रश्न 16.
प्रदूषण कितने प्रकार के होते हैं ? प्रत्येक का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर
प्रदूषण निम्नलिखित प्रकार के होते हैं

(i) जल प्रदूषण-जल स्त्रोतों में होने वाले उन अवांछनीय परिवर्तन को जिससे जल प्रदूषित होता है, जल प्रदूषण कहते हैं। यह प्रदूषण वाहितमल, घरेलू बहिस्राव, औद्योगिक बहिस्राव, कृषि कार्यों, कीटनाशकों के प्रयोगों तथा औद्योगिक गतिविधियों के कारण होता है।

(ii) वायु प्रदूषण-वायुमण्डल में होने वाले ऐसे परिवर्तन जिनसे जीवों का नुकसान हो वायु प्रदूषण कहलाता है। यह मुख्यत: दहन क्रियाओं, औद्योगिक गतिविधियों, कृषि कार्यों में कीटनाशकों के प्रयोगों तथा औद्योगिक गतिविधियों के कारण होता है।

(iii) रेडियोऐक्टिव प्रदूषण-रेडियोऐक्टिव पदार्थों के कारण पैदा होने वाले प्रदूषण को रेडियोऐक्टिव प्रदूषण कहते हैं । परमाणु ऊर्जा के अपशिष्टों के कारण भी रेडियोऐक्टिव प्रदूषण होता है।

(iv)शोर प्रदूषण-अवांछनीय ध्वनि को शोर कहते हैं । वातावरण में फैली ऐसी अनियन्त्रित ध्वनि अथवा शोर को ध्वनि अथवा शोर प्रदूषण कहते हैं । यह प्रदूषण अनियन्त्रित ध्वनि, आतिशबाजी, लाउडस्पीकर, हवाई अड्डा, उद्योग इत्यादि से पैदा हुई ध्वनि के कारण होती है।

(v) मृदा प्रदूषण-मृदा में होने वाले हानिकारक परिवर्तनों को मृदा प्रदूषण कहते हैं । यह कीटनाशकों, खरपतवारनाशियों, उर्वरकों के प्रयोग के कारण होता है।

पर्यावरण के मुद्दे दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रेडियोऐक्टिव प्रदूषण से होने वाली बीमारियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
रेडियोऐक्टिव (विकिरण) प्रदूषण के कारण जीवों के ऊपर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं, जो बीमारियों के रूप में दिखाई देते हैं

  • ल्यूकीमिया तथा अस्थि कैंसर-रेडियोऐक्टिव प्रदूषण के कारण मनुष्य, गाय, बैल आदि जीवों में रुधिर तथा अस्थि का कैंसर होता है।
  • असामयिक बुढ़ापा-रेडियोऐक्टिव प्रदूषण के कारण जीवों की प्रजनन क्षमता घट जाती है तथा उनमें असामयिक बुढ़ापा आता है।
  • महामारी-विकिरण प्रदूषण के कारण जीवों में रोगजनकों के प्रति एन्टिटॉक्सिन उत्पादन की या रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है, जिसके कारण महामारी तेजी से फैलती है।
  • उत्परिवर्तन-इसके कारण जीवों में अचानक कुछ आनुवंशिक परिवर्तन पैदा हो जाते हैं।
  • तन्त्रिका तन्त्र तथा संवेदी कोशिकाएँ उत्तेजित हो जाती है।
  • बाह्य त्वचा पर घाव बन जाता है एवं आँख, आँत व जनन ऊतक प्रभावित होते हैं। इसके तात्कालिक प्रभाव के रूप में आँखों में जलन, डायरिया, उल्टी इत्यादि लक्षण दिखाई देते हैं। कैंसर होता है।

प्रश्न 2.
आतिशबाजी से पर्यावरण में किस प्रकार का प्रदूषण फैलता है ? समझाइए।
उत्तर
आतिशबाजी का अर्थ विभिन्न उत्सवों के दौरान पटाखों तथा बारूद का अत्यधिक उपयोग से है। वैसे हम इसे खुशी के मौकों पर प्रयोग करते हैं, लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि यह हमें भविष्य में दुःख ही देगा। आतिशबाजी के कारण पर्यावरण में निम्न प्रकार से प्रदूषण फैलता है

  • वायु प्रदूषण-आतिशबाजो में प्रयुक्त विस्फोटकों से निकली हानिकारक गैसें जैसे-CO2,CO, SO2, इत्यादि वायु को प्रदूषित करती हैं, जिससे अनेक प्रकार की श्वास सम्बन्धी बीमारियाँ हो सकती हैं।
  • ध्वनि प्रदूषण-आतिशबाजी के कारण पैदा हुई ध्वनि, ध्वनि प्रदूषण पैदा करती है।
  • जल प्रदूषण-आतिशबाजी के कारण पैदा हुआ कचरा नालियों में मिलकर जल को प्रदूषित करता है। इसके फलस्वरूप कई विषैले पदार्थ भी पैदा होते हैं।

आतिशबाजी सबसे अधिक वायु प्रदूषण पैदा करती है। इसके कारण बहुत अधिक मात्रा में धुआँ पैदा होता है, जो सीधे वायुमण्डल में मिल जाता है । इसके अलावा इसके प्रभाव से बहुत अधिक मात्रा में धूल, वायु में कणीय प्रदूषक के रूप में मिल जाती है, जिसके साथ कुछ बारूद तथा दूसरे हानिकारक पदार्थों के कण भी होते हैं, जो भूमि पर गिरकर प्रदूषण पैदा करते हैं। आतिशबाजी की आवाज से व्यक्ति बहरा हो सकता है। उसका रक्त-दाब बढ़ सकता है तथा उसमें हृदयाघात व तन्त्रिकीय विकृति पैदा हो सकती है।

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प्रश्न 3.
‘वायु प्रदूषण’ पर एक निबंध लिखिए।
उत्तर
वायु प्रदूषणा-वायुमण्डल मे होने वाले ऐसे परिवर्तन जिनसे जीवों का नुकसान हो वायु प्रदूषण कहलाता है। यह मुख्यत: दहन क्रियाओं, औद्योगिक गतिविधियों, कृषि कार्यों में कीटनाशकों के प्रयोगों तथा औद्योगिक गतिविधियों के कारण होता है।

उत्तर.
वाय प्रदूषण के प्रभात्र-वायु प्रदूषण हमारे शरीर में तरह-तरह की विकृतियाँ पैदा करता है। इसके कुछ हानिकारक प्रभाव निम्नलिखित हैं

1. कारखानों की चिमनियों से निकलने वाली So,श्वास नली में जलन पैदा करती है तथा फेफड़ों को हानि पहुँचाती है। यह विभिन्न प्रकार के पौधों को क्षतिग्रस्त कर देती है। कुछ अधिपादप एवं लाइकेन SO2, से स्वतंत्र माध्यम में वहत तीव्रता से बढ़ते हैं। जन्तुओं में इसका प्रभाव श्वसन क्रिया पर सबसे अधिक पड़ता है।

2. नाइट्रस ऑक्साइड से फेफड़ों, आँखों व हृदय के रोग तथा ओजोन से आँख के रोग, खाँसी एवं सीने में दर्द होने लगता है। यह कई पौधों में वाष्पोत्सर्जन की दर बढ़ाकर भी उन्हें नुकसान पहुंचाती है।

3.P.A.N. प्रकाश प्रतिक्रिया में प्रकाशीय जल-अपघटन को रोककर, परितन्त्र का उत्पादन कम कर देती है। यह आँखों में जलन पैदा करके फेफड़ों को क्षति पहुँचाती है।

प्रश्न 4.
मुख्य वायु प्रदूषकों के नाम तथा उनके प्रभावों का पृथक्-पृथक् विवरण दीजिए।
उत्तर
मुख्य वायु प्रदूषक-मुख्य वायु प्रदूषकों के नाम तथा उनके प्रभाव निम्नानुसार हैं

  • कार्बन मोनोऑक्साइड-ये रुधिर के हीमोग्लोबीन से संयुक्त होकर उसकी ), सम्वहन क्षमता को प्रभावित करते हैं, जिसके कारण सिरदर्द, सुस्ती, कमजोरी, भाराल्पता इत्यादि की शिकायत होती है।
  • सल्फर डाइऑक्साइड-इसके कारण जन्तुओं में श्वास की बीमारी, श्लैष्मिक ज्वर (influenza) और न्यूमोनिया तथा अम्ल वर्षा के कारण त्वचीय रोग होते हैं। पौधों में इसकी कमी से पत्तियाँ सबसे अधिक प्रभावित होती हैं तथा उत्पादकता कम हो जाती है।
  • हाइड्रोजन सल्फाइड-इसके कारण पौधों में पतझड़ तथा जन्तुओं की आँख में जलन, गले में खराश तथा उल्टी आती है।
  • नाइट्रोजन के ऑक्साइड-इसके कारण पत्तियों में हरिमहीनता, पत्तियों में सड़न, पुष्प तथा फल का पतन होता है। मनुष्य तथा जन्तुओं में इसके कारण श्वसन सम्बन्धी बीमारियाँ होती हैं।
  • ऐरोसोल्स-ऐरोसोल्स ओजोन परत को प्रभावित करने वाले रसायन हैं, जिसके कारण अल्ट्रावायलेट किरणें पृथ्वी पर आकर जन्तु तथा पादपों को नुकसान पहुँचाती हैं।
  • अमोनिया-यह पौधों के बीजों के अंकुरण, जड़ एवं प्ररोह वृद्धि और पौधों में हरितलवक अपघटन को पैदा करती है। जन्तुओं में यह श्वास में कठिनाई पैदा करती है।
  • हाइड्रीजन क्लोराइड-इसके कारण पौधों की पत्तियाँ तथा जन्तुओं की आँख व श्वसन अंग प्रभावित होते हैं।
  • हाइड्रोकार्बन-इसके कारण पौधों में पीलेपन, पत्तियों की सड़न, कलिका का सूखना, पत्तों का छोटापन इत्यादि समस्याएँ पैदा होती हैं। जन्तुओं में इनके कारण आँख एवं नाक की म्यूकस ग्रन्थियाँ उत्तेजित हो जाती हैं। इसके कारण फेफड़ों का कैंसर भी होता है। उपर्युक्त के अलावा भी वायु में कई प्रदूषक और पाये जाते हैं, जो जीवों को किसी न किसी रूप में प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 5.
मृदा प्रदूषण को नियन्त्रित करने वाले उपायों को लिखिए।
उत्तर
निम्नलिखित उपायों को अमल में लाकर मृदा प्रदूषण के दर को काफी हद तक कम कर नियन्त्रित किया जा सकता है

  • ठोस तथा अनिम्नीकरण योग्य पदार्थों जैसे-लोहा, ताँबा, काँच, पॉलिथीन को मिट्टी में नहीं दबाना चाहिए।
  • रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशियों, शाकनाशियों आदि के प्रयोग को कम-से-कम करना चाहिए।
  • रासायनिक कीटनाशियों के स्थान पर जैव कीटनाशियों का प्रयोग करना चाहिए।
  • ठोस अपशिष्टों को मृदा में मिलाने के बजाय उनको गलाकर इनके चक्रीकरण पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  • अपशिष्ट पदार्थों को खुले में छोडने के बदले खोखले, बन्द स्थानों में संग्रहीत करना चाहिए।
  • मृदा-क्षरण (Soil erosion) को रोकने का तरीका अपनाना चाहिए साथ ही भूमि में भरपूर जल संचयन हो इसका ध्यान रखा जाना चाहिए।
  • जैव उर्वरकों के प्रयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • गोबर, कार्बनिक अपशिष्ट तथा मानव मल-मूत्र से जैव गैस उत्पादन पर ज्यादा बल देना चाहिए।
  • एकीकृत भूमि प्रबन्धन तकनीक को अपनाना चाहिए ताकि भूमि प्रदूषण के प्रत्येक पहलू पर समुचित ध्यान देकर भूमि प्रदूषण को रोका जा सके।

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प्रश्न 6.
भूमि प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
भूमि प्रदूषण के प्रमुख स्रोत निम्नलिखित हैं

  1. अम्ल वर्षा के घटक मृदा को प्रदूषित करते हैं।
  2. अवांछित कूड़ा-करकट जैसे-घरेलू अपमार्जक, पॉलिथीन आदि मृदा को प्रदूषित करते हैं।
  3. मृदा की लवणता, अनियन्त्रित फसल उत्पादन, अनियन्त्रित मल विसर्जन, अनियन्त्रित चराई इत्यादि कार्य मृदा को प्रदूषित करते हैं।
  4. उर्वरकों, कीटनाशियों, शाकनाशियों का अन्धाधुन्ध उपयोग मृदा की प्राकृतिक संरचना को परिवर्तित करता है।
  5. औद्योगिक अपशिष्ट निकिल, आर्सेनिक, कैडमियम मृदा प्रदूषण पैदा कर जीव-जन्तुओं को प्रभावित करते हैं।
  6. मलेरिया उन्मूलन में DDT का अत्यधिक उपयोग भी मृदा प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बना है, क्योंकि यह खाद्य श्रृंखला द्वारा मनुष्य के शरीर में पहुँच कर अल्सर, कैंसर जैसे खतरनाक रोगों को पैदा करता है।

प्रश्न 7.
विजिबल स्पेक्ट्रम से क्या तात्पर्य है ? सूर्य प्रकाश के विभिन्न स्पेक्ट्रम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखते हुए, UV किरणों का जैविक प्रणालियों पर प्रभाव लिखिए।
उत्तर
दृश्य स्पेक्ट्रम (वर्णक्रम)-सूर्य द्वारा उत्सर्जित विकिरण के 390 nm से 760 nm की तरंगदैर्ध्य की प्रकाश किरणों को मनुष्य की आँखें देख सकती हैं, इसे दृश्य स्पेक्ट्रम कहते हैं।
सूर्य प्रकाश के विभिन्न स्पेक्ट्रम-सूर्य के प्रकाश से निकलने वाले विकिरण अथवा प्रकाश को तीन भागों में बाँटते हैं

  • अल्ट्रावायलेट स्पेक्ट्रम-सूर्य प्रकाश के 200 से 390 nm तरंगदैर्ध्य वाले प्रकाश किरण पुंज को अल्ट्रावायलेट स्पेक्ट्रम कहते हैं। इसे हमारी आँखें नहीं देख सकतीं।
  • दृश्य स्पेक्ट्रम-390 से 760 nm तरंगदैर्ध्य की प्रकाश किरणों को दृश्य वर्णक्रम (visible spectrum) कहते हैं।
  • अवरक्त स्पेक्ट्रम या वर्णक्रम-सूर्य प्रकाश के 760 nm से अधिक तरंगदैर्ध्य की प्रकाश किरणों को अवरक्त वर्णक्रम (Infrared spectrum) कहते हैं । इसे भी हमारी आँखें नहीं देख सकती।

UV किरणों का जैविक प्रणालियों पर प्रभाव-UV किरणें कोशिकाओं के DNA को विकृत कर देती हैं, जिससे कोशिकाओं में DNA द्विगुणन एवं प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया रुक जाती है। इसके अलावा जन्तुओं में इनके प्रभाव से कैंसर, ट्यूमर, महामारी, आनुवंशिक विकृति जैसी समस्याएँ भी पैदा होती हैं।
पौधों में UV किरणों के प्रभाव से कई विषैले प्रकाश उत्पादों का संश्लेषण होता है, जिसके कारण इनकी मृत्यु हो जाती है।

यदि UV किरणों से प्रभावित जीव को कुछ देर तक सामान्य सूर्य के प्रकाश में रखा जाये तो इसका प्रभाव कुछ कम हो जाता है। UV किरणे काँच को पार नहीं कर पाती अर्थात् इसका प्रयोग करके हानिकारक प्रभाव से बचा जा सकता है।

प्रश्न 8.
आयोनाइजिंग एवं नॉन-आयोनाइजिंग रेडियोधर्मिता में अन्तर स्पष्ट कीजिए। इनके स्रोत तथा प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर
आयोनाइजिंग एवं नॉन-आयोनाइजिंग रेडियोधर्मिता में अन्तर-आयोनाइजिंग एवं नॉनआयोनाइजिंग विकिरण में निम्नलिखित अन्तर हैं

  • आयोनाइजिंग रेडियोधर्मिता रेडियोधर्मी पदार्थों के कारण पैदा होती है, जबकि नॉन-आयोनाइजिंग सूर्य की किरणों के कारण पैदा होती है।
  • आयोनाइजिंग विकिरण a,B, Y किरणों का बना होता है, जबकि नानआयोनाइजिंग विकिरण 200 से 390nm तक की तरंगदैर्घ्य वाली किरणों का बना होता है।
  • आयोनाइजिंग विकिरण जीव समुदाय के लिए बहुत अधिक हानिकारक होता है, जबकि नॉन-आयोनाइजिंग विकिरण अपेक्षाकृत कम हानिकारक होता है।
  • आयोनाइजिंग विकिरण का प्रभाव दीर्घगामी होता है, जबकि नॉन-आयोनाइजिंग विकिरण का प्रभाव जल्दी दिखाई देता है।

स्रोत-आयोनाइजिंग रेडियाधर्मिता के स्रोत प्रकृति में पाये जाने वाले रेडियोधर्मी पदार्थ होते हैं अर्थात् इनमें अल्फा, बीटा एवं गामा किरणें ही रेडियोधर्मिता पैदा करती हैं। नॉन-आयोनाइजिंग रेडियोधर्मिता का स्रोत सूर्य होता है।

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प्रश्न 9.
ध्वनि प्रदूषण के कारण और जीवधारियों पर इसके चार प्रभाव लिखिए।
उत्तर
ध्वनि प्रदूषण के कारण (स्रोत)-ध्वनि प्रदूषण का स्रोत ध्वनि, शोर या आवाज ही है, चाहे वह किसी भी प्रकार से पैदा हुई हो । टी.वी., रेडियो, कूलर प्कूटर, कार, बस, ट्रेन, प्लेन, रॉकेट, घरेलू उपकरण, वाशिंग मशीन, लाउडस्पीकर, स्टीरियो, टैंक, तोप तथा दूसरे सुरक्षात्मक उपकरणों के अलावा आवाज उत्पन्न करने वाले सभी प्रकार के साधन, उपकरण या कारक ध्वनि प्रदूषण के स्रोत होते हैं । उद्योग, कल-कारखाने तथा यान व हवाई अड्डे ध्वनि प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं।
ध्वनि प्रदूषण का जीवधारियों पर प्रभाव-इसके प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं

  • सतत् शोर के कारण सुनने की क्षमता में कमी आती है तथा आदमी के बहरा होने की सम्भावना बढ़ती है।
  • ज्यादा शोर होने पर त्वचा में उत्तेजना (Irritation) पैदा होती है, जठर पेशियाँ (Gastric muscles) संकीर्ण होती हैं और क्रोध तथा स्वभाव में उत्तेजना पैदा होती है।
  • शोर के कारण हृदय की धड़कन (Heart beating) तथा रक्त दाब (Blood pressure) बढ़ता है।
  • ध्वनि प्रदूषण के कारण सिर दर्द, थकान, अनिद्रा आदि रोग होते हैं ।
  • अधिक शोर के कारण ऐड्रीनल हॉर्मोन (Adrenal hormones) का स्राव अधिक होता है।
  • यह कई उपापचयी क्रियाओं को प्रभावित करने के अलावा संवेदी (Sensory) तथा तन्त्रिका तन्त्र (Nervous system) को कमजोर बनाता है।
  • अवांछित ध्वनि (शोर) के कारण मस्तिष्क का तनाव बढ़ता है, जिससे व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है।
  • तीव्र शोर के कारण हमारा पाचन तंत्र (Digestive system) प्रभावित होता है और पाचन (Digestion) क्रिया अनियमित हो जाती है। शोर के कारण अल्सर (Ulcer) की सम्भावना भी बढ़ती है।
  • ध्वनि प्रदूषण के कारण धमनियों में कोलेस्ट्रॉल का जमाव बढ़ता है, जिसके परिणामस्वरूप रक्तचाप (Blood pressure) भी बढ़ता है।
  • शोर के कारण हमारे शरीर का पूरा अन्तःस्रावी तन्त्र (Endocrine system) उत्तेजित हो जाता है।
  • शोर में लगातार रहने पर बुढ़ापा (Ageing) जल्दी आता है।

प्रश्न 10.
हरित गृह प्रभाव क्या है ? इनके चार प्रभावों का वर्णन कीजिये।
उत्तर
“मानव द्वारा निर्मित CO2 के कारण उत्पन्न कम्बल जैसे प्रभाव (Blanketing effect) के कारण पृथ्वी की सतह के तापमान में होने वाली क्रमिक वृद्धि को ही हरित गृह प्रभाव (Greenhouse effect) कहते हैं।
हरित गृह (ग्रीन हाउस) प्रभाव के दुष्परिणाम (प्रभाव)

(1) पृथ्वी की जलवायु पर प्रभाव (Efféct on global climate)-कार्बन-डाइऑक्साइड के अवरक्त लाल विकिरणों (Infrared radiations) के अवशोषक गुण के कारण ही CO2 को पृथ्वी का ताप निर्धारित करने वाला प्रमुख कारक माना गया है। ग्रीन हाउस गैसों (Green house gases) की मात्रा में वृद्धि के साथसाथ पृथ्वी के सभी भागों के तापमान में वृद्धि एकसमान (Uniform) नहीं होती है। तापमान में होने वाली वृद्धि ध्रुवों (Poles) में सर्वाधिक तथा कटिबंधों (Tropics) में सबसे कम होती है, अत: आइसलैण्ड (Iceland), ग्रीनलैण्ड (Green-land), स्वीडन (Sweden), नार्वे (Norway), फिनलैण्ड (Finland), अलास्का (Alaska) एवं साइबेरिया (Siberia) इससे सर्वाधिक प्रभावित हैं तथा ध्रुवों पर जमी बर्फ पिघलने लगी है।

(2) वनों पर हरित गृह प्रभाव का प्रभाव (Effect of Green house Effect on forests)-वायुमण्डलीय तापमान में वृद्धि होने के कारण केवल वही पेड़-पौधे जीवित रह पायेंगे जो कि इस उच्च तापमान को सहन कर सकेंगे। इसके साथ नये प्रकार की वनस्पतियों की उत्पत्ति होगी। शाकीय (Herbaceous) पौधे इस बढ़ते हुए तापमान में जीवित नहीं रह पायेंगे। कठोर काष्ठ (Hard wood) वाले पौधों का तेजी से विकास होगा। एक अनुमान के अनुसार वायुमण्डल में CO2 की मात्रा दुगुनी हो जाने पर हरित जैव भार (Green biomass) में अत्यधिक कमी आ जायेगी।

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(3) फसलों पर प्रभाव (Effect on crops)-हरित गृह प्रभाव के कारण वातावरण के तापमान में वृद्धि होने पर पौधों से होने वाले वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) एवं वाष्पीकरण (Evaporation) की दर में अत्यधिक वृद्धि होगी, अतः ऐसे पौधे जिनके लिये अधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, उनके लिये जल कमी की समस्या उत्पन्न हो जायेगी। इसके साथ-साथ ऐसी फसलें, जिन्हें एक निश्चित तापमान की आवश्यकता होती है, वे अधिक तापमान के कारण नष्ट हो जायेंगी। अधिक तापमान के कारण पौधों पर रोगों एवं कीटों का प्रकोप बढ़ जायेगा, फलतः उत्पादन में कमी आयेगी।

(4) ओजोन परत पर प्रभाव (Effect on ozone layer)-डॉ. इवान्स (Dr. Evans) के अनुसार, पिछले 12 वर्षों में हरित गृह प्रभाव के द्वारा पृथ्वी पर वापस आने वाले ऊष्मीय विकिरणों (Heat radiations) की मात्रा CFC (क्लोरोफ्लुओरो-कार्बन) की मात्रा में वृद्धि के साथ-साथ दुगुनी हो गयी है। CFC वायुमण्डल में उपस्थित ओजोन स्तर को अत्यधिक हानि पहुँचाती है। CFC के प्रकाश अपघटनी विघटन (Photolytic dissociation) के कारण क्लोरीन (Chlorine) गैस मुक्त होती है, जो कि ओजोन, (Ozone) के साथ क्रिया करके आण्विक ऑक्सीजन (Molecular oxygen) एवं क्लोरीन मोनोऑक्साइड (Chlorine Mono-oxide) का निर्माण करती है। यह क्लोरीन मोनोऑक्साइड वातावरण में उपस्थित आण्विक ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके ऑक्सीजन (O2) के अणुओं का निर्माण करके पुनः क्लोरीन (Cl) गैस मुक्त करती है।
नियंत्रण के उपाय

  • स्वचालित वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण को उत्प्रेरक संपरिवर्तकों के प्रयोग द्वारा ही नियंत्रित किया जा सकता है।
  • रेडियोधर्मी विकिरण के प्रभाव से बचने के लिए परमाणु विस्फोटों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहिए तथा परमाणु संयंत्रों में सुरक्षा हेतु विशेष प्रबंध करने चाहिए।

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