MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 4 राष्ट्रीय एकीकरण
MP Board Class 8th Social Science Solutions Chapter 4 अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए –
(1) राष्ट्रीय एकीकरण में नागरिकों के मन में कौन-सी भावना व्याप्त रहती है?
(क) राष्ट्रीयता की भावना
(ख) धार्मिक भावना
(ग) जातीयता की भावना
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) राष्ट्रीयता की भावना
2. संविधान में कितनी भारतीय भाषाओं को अधिसूचित किया गया है?
(क) 14
(ख) 18
(ग) 22
(घ) 261
उत्तर:
(ग) 22
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(1) भारतीय संविधान में …………. मौलिक अधिका का प्रावधान है।
(2) अशोक चिह्न हमारा ………… प्रतीक चिह्न है।
(3) प्राचीन काल में वर्ण व्यवस्था ………. पर आधारित थी।
(4) भारत का विभाजन सन् ………… में हुआ।
उत्तर:
- 6
- राष्ट्रीय
- कर्म
- 1947 ई।
MP Board Class 8th Social Science Chapter 4 अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 3.
(1) राष्ट्रीय एकीकरण का अर्थ क्या है?
उत्तर:
राष्ट्रीय एकीकरण का अर्थ राष्ट्र में रहने वाले निवासियों के बीच जाति, पंथ, क्षेत्र और भाषा का भेदभाव किए बिना सुख-दुःख की एकता की भावना का होना है।
(2) पंथ्र निरपेक्षता से क्या आशय है?
उत्तर:
पंथ निरपेक्षता का आशय प्रत्येक धर्म के अनुयायी को धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार देने व किसी धर्म के प्रति भेदभाव न करने से है।
(3) विविधता में एकता का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
विविधता में एकता से अभिप्राय लोगों में वेशभूषा, खाना-पीना, रहने के तौर-तरीके और उपासना पद्धतियों में अन्तर होने के बावजूद सभी में राष्ट्रीय हितों को लेकर एकता का होना है।
MP Board Class 8th Social Science Chapter 4 लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 4.
(1) जाति प्रथा के प्रमुख दोषों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जाति प्रथा के प्रमुख दोष इस प्रकार हैं –
- जाति व्यवस्था समाज को उच्च व निम्न वर्ग में बाँटती है।
- उच्च जातियाँ छोटी जातियों का शोषण करती हैं।
- जातिगत भेदभाव कठोर हो जाते हैं।
- जातियों का दबाव राजनीति को प्रभावित करता है।
- जाति प्रथा से देश की एकता और आर्थिक प्रगति में बाधा आती है।
(2) हमारे राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
राष्ट्रीय ध्वज-तिरंगा, राष्ट्रगान-जन-गण-मन, राष्ट्रीय गीत-वन्दे मातरम्, राष्ट्रीय चिह्न-अशोक चिह्न आदि हमारे राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न हैं।
MP Board Class 8th Social Science Chapter 4 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 5.
(1) मौलिक अधिकारों एवं कर्तव्यों पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
मौलिक अधिकार:
भारतीय संविधान में 6 मौलिक अधिकारों का प्रावधान है। ये मूल अधिकार भारतीय नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के समान रूप से प्राप्त हैं। नागरिकों को विकास के अवसर प्रदान करने के लिये मौलिक अधिकारों और समानता, स्वतन्त्रता और सामाजिक न्याय आदि का प्रावधान है। इन संवैधानिक प्रावधानों के अन्तर्गत समाज के कमजोर वर्गों अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों को संरक्षण प्राप्त है। प्रत्येक समुदाय को अपने धर्म एवं भाषा आदि की स्वतन्त्रता प्राप्त है।
मौलिक कर्तव्य:
मौलिक कर्तव्यों का भी भारतीय संविधान में उल्लेख है। भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह संविधान और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे। सभी नागरिकों को भारत की एकता और अखण्डता हेतु राष्ट्र की सेवा को सदैव तैयार रहना चाहिए तथा बन्धुत्व की भावना का निर्माण और सार्वजनिक सम्पत्ति की सुरक्षा करनी चाहिए।
(2) पृथकतावाद का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
देश से अलग होकर अपना स्वतन्त्र राज्य बनाने की माँग करना पृथकतावाद है। क्षेत्रवाद की अति आक्रामक अवस्था पृथकतावाद को जन्म देती है। कई जाति और भाषा के लोग यहाँ रहते हैं। कभी-कभी अपनी उपेक्षा महसूस करने पर ये पृथक् राज्य बनाने की माँग करने लगते हैं। प्रायः सीमावर्ती राज्यों में इस प्रकार की प्रवृत्ति पाई जाती है, जिसके दुष्परिणाम से पृथकतावाद की भावना प्रबल होने लगती है।
इस भावना को देश की अस्थिरता में रुचि रखने वाली बाहरी ताकतों द्वारा भड़काया जाता है। देश के अन्दर रहने वाले कुछ लोग भी अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए इस प्रकार की भावनाओं का प्रयोग करते हैं। राष्ट्र विरोधी और कट्टरपंथी लोग तो हिंसक साधनों एवं आतंकवादी तरीकों तक का प्रयोग करने लगते हैं। पृथकतावाद की प्रवृत्ति राष्ट्रीय एकता के लिए गम्भीर चुनौती है।
(3) राष्ट्रीय एकीकरण के सहायक तत्वों का वर्णनकीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय एकीकरण के सहायक तत्व इस प्रकार हैं –
(i) समान मौलिक अधिकार:
भारतीय संविधान में 6 मौलिक अधिकारों का प्रावधान है। ये मूल अधिकार भारतीय नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के समान रूप से प्राप्त हैं। इनमें समानता, स्वतन्त्रता और सामाजिक न्याय का प्रावधान है।
(ii) समान मौलिक कर्तव्य:
भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह संविधान और उसके आदर्शों, संस्थाओं,राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे। सभी नागरिकों को भारत की एकता और अखण्डता हेतु राष्ट्र की सेवा को सदैव तैयार रहना चाहिए और सार्वजनिक सम्पत्ति की सुरक्षा करनी चाहिए।
(iii) पंथ निरपेक्ष:
हमारे संविधान ने भारत को एक पंथ निरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया है। प्रत्येक धर्म के अनुयायी को धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार है। सरकार किसी धर्म के प्रति भेदभाव नहीं करती।
(iv) समान प्रतीक चिह्न:
हमारे राष्ट्रीय चिह्न-राष्ट्रीय ध्वज-तिरंगा, राष्ट्रगान-जन-गण-मन, राष्ट्रगीत-वन्देमातरम्, राष्ट्रीय चिह्न-अशोक चिह्न आदि हैं तथा ये राष्ट्रीय भावना व राष्ट्रीय एकीकरण को बल प्रदान करते हैं।
(v) पर्यटन:
पर्यटन से हम एक-दूसरे के निकट आते हैं। एक-दूसरे की विशेषताओं और समस्याओं को समझते हैं, जिसके कारण समान भाव, विचार और दृष्टिकोण विकसित होता है।
(4) राष्ट्रीय एकता में बाधक तत्वों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय एकता में बाधक प्रमुख तत्व इस प्रकार हैं –
(i) साम्प्रदायिकता:
साम्प्रदायिकता का अर्थ है, ऐसी भावनाएँ व क्रियाकलाप जो अपने सम्प्रदाय और उसकी विशेषताओं को तो श्रेष्ठ समझें तथा दूसरे के सम्प्रदाय और विश्वासों को हीन समझें। साम्प्रदायिकता हमारे देश की एकता के लिए मुख्य खतरा है।
(ii) भाषावाद:
असुरक्षा की भावना से ग्रस्त होकर भिन्न भाषायी समूह अपने भाषायी हितों को राष्ट्रहित से अधिक प्राथमिकता देने लगते हैं। वे अपनी मातृभाषा से प्रेम और दूसरी भाषाओं के प्रति संकीर्णता और घृणां की भावना रखने लगते हैं। इस प्रकार की प्रवृत्ति राष्ट्रीय एकता को कमजोर करती है।
(iii) जातिवाद:
जाति एक ऐसी इकाई है, जिसके सदस्य आपस में ही शादी-विवाह और खानपान के नियमों में बँधे रहते हैं। वर्तमान में शिक्षा के प्रसार, विज्ञान और औद्योगिक विकास तथा शहरीकरण से जाति व्यवस्था के बंधन शिथिल हुए हैं। भारत के संविधान में छुआछूत एवं जातिगत भेदभाव को गैर-कानूनी घोषित किया गया है।
(iv) आतंकवाद:
वांछित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए हिंसा का सुनियोजित प्रयोग आतंकवाद है। आतंकवादी विचारधारा के लोग भय व आतंक के द्वारा अपने विचार मनवाना चाहते हैं। धार्मिक कट्टरता से प्रेरित लोग निर्दोष व्यक्तियों की जान लेने के लिए मरने-मारने की घटनाओं में भाग लेते हैं।
(v) पृथकतावाद:
देश से अलग होकर अपना स्वतन्त्र राज्य बनाने की माँग करना पृथकतावाद है। कभी-कभी अपने उपेक्षा महसूस करने पर राज्य या धर्मविशेष के लोग अपना पृथक राज्य बनाने की माँग करने लगते हैं, जिसके दुष्परिणाम से पृथकतावाद की भावना प्रबल होने लगती है।