MP Board Class 7th Special Hindi व्याकरण

MP Board Class 7th Special Hindi व्याकरण

संज्ञा

परिभाषा–किसी प्राणी, वस्तु, स्थान, भाव, गुण, दशा आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा के तीन भेद होते हैं

  1. जातिवाचक संज्ञा–एक ही जाति का बोध कराने वाले शब्द जातिवाचक संज्ञा कहलाते हैं; जैसे–पुस्तक, विद्यालय, घोड़ा, मनुष्य, लड़का आदि।
  2. व्यक्तिवाचक संज्ञा–जिस शब्द से किसी एक ही विशेष व्यक्ति का बोध हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे–राम, सीता, भोपाल, नर्मदा, गंगा आदि।
  3. भाववाचक संज्ञा–जिस संज्ञा से किसी पदार्थ के गुण–दोष, स्वभाव, अवस्था आदि का ज्ञान हो उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे–सुन्दरता, बचपन, बुढ़ापा आदि।

MP Board Solutions

लिङ्ग

परिभाषा–संज्ञा शब्द के जिस रूप से स्त्री अथवा पुरुष जाति का बोध होता है, उसे लिङ्ग कहते हैं। लिङ्ग दो प्रकार के होते हैं
(क) पुल्लिङ्ग,
(ख) स्त्रीलिङ्ग।

(क) पुल्लिङ्ग से किसी पुरुष जाति का बोध होता है; जैसे–राम, घोड़ा, बालक आदमी आदि।
(ख) स्त्रीलिङ्ग से किसी स्त्री जाति का बोध होता है; जैसे–लड़की, नारी, सीता आदि।।

वचन वचन दो प्रकार के होते हैं–
(क) एकवचन,
(ख) बहुवचन।

(क) जिन शब्दों से एक संख्या का बोध हो, एकवचन कहलाते हैं; जैसे–घर, दिन, पुस्तक आदि।
(ख) जिन शब्दों से एक से अधिक संख्या का बोध होता है, उन्हें बहुवचन कहते हैं; जैसे–पुस्तकें, लड़कियाँ आदि।

सर्वनाम

परिभाषा–जो शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किए जाते हैं, उन्हें सर्वनाम कहते हैं; जैसे–वह, हम, तुम, वे, मैं, यहाँ, वहाँ आदि।

सर्वनाम के भेद–सर्वनाम निम्नलिखित छः प्रकार के होते हैं–

  • पुरुषवाचक सर्वनाम,
  • निश्चयवाचक सर्वनाम,
  • अनिश्चयवाचक सर्वनाम,
  • सम्बन्धवाचक सर्वनाम,
  • प्रश्नवाचक सर्वनाम,
  • निजवाचक सर्वनाम।

विशेषण

परिभाषा–संज्ञा तथा सर्वनाम की विशेषता प्रकट करने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं; जैसे–सुन्दर बालक, मीठा फल, काला घोड़ा आदि। इनमें सुन्दर, मीठा, काला शब्द विशेषण हैं। वे क्रमशः बालक, फल, घोड़ा शब्दों (संज्ञा) की विशेषता बताते हैं।

विशेषण के प्रकार–विशेषण छः प्रकार के होते हैं-

  • गुणवाचक विशेषण,
  • संख्यावाचक विशेषण,
  • परिमाणवाचक विशेषण,
  • संकेतवाचक विशेषण,
  • व्यक्तिवाचक विशेषण,
  • प्रश्नवाचक विशेषण।

क्रिया

परिभाषा–जिन शब्दों से किसी वाक्य में कार्य का करना या होना पाया जाता है, उन्हें क्रिया कहते हैं; जैसे–जाना, खाना, पीना, उठना, बैठना. पढना आदि।

क्रिया के भेद–क्रिया दो प्रकार की होती है–

  1. अभिकर्मक (अकर्मक) क्रिया–जिस क्रिया में कर्म न होकर केवल कर्ता ही होता है, वह अकर्मक (अभिकर्मक)। क्रिया कहलाती है; जैसे–मोहन गया। वे हँसते हैं।
  2. सकर्मक क्रिया–जिस क्रिया में कर्म होता है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे–मोहन किताब लिखता है। इस वाक्य में लिखता है’ क्रिया का कर्म, ‘किताब’ है।

काल

परिभाषा–किसी भी क्रिया के होने या करने के समय को काल कहते हैं। काल तीन प्रकार के होते हैं

  • भूतकाल–जैसे–मोहन शहर गया।
  • वर्तमानकाल–जैसे–सीता गाना गा रही है।
  • भविष्यत्काल–जैसे–मैं पत्र लिखूगा।

MP Board Solutions

क्रिया–विशेषण

परिभाषा–किसी भी क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्दों को क्रिया–विशेषण कहते हैं; जैसे–घोड़ा तेज दौड़ता। है। इस वाक्य में ‘तेज’ शब्द क्रिया विशेषण है। इसमें ‘दौड़ता। है’ क्रिया की विशेषता बतायी जा रही है। अतः ‘तेज’ शब्द क्रिया–विशेषण हुआ।

सम्बन्ध बोधक परिभाषा–दो शब्दों में सम्बन्ध स्थापित करने वाले अव्ययों को सम्बन्धबोधक अव्यय कहते हैं; जैसे–छत के ऊपर चोर है। इस वाक्य में छत और चोर का सम्बन्ध ‘ऊपर’ के द्वारा बताया गया है अतः ऊपर’ शब्द सम्बन्धबोधक अव्यय है।

समुच्चय बोधक

परिभाषा–दो शब्दों, वाक्यों या वाक्यांशों को मिलाने वाले शब्द समुच्चयबोधक अव्यय कहलाते हैं; जैसे– राम और श्याम भाई–भाई हैं। राम श्याम को मिलाने वाला ‘और’ शब्द समुच्चयबोधक अव्यय है।

विस्मयादिबोधक

परिभाषा–विस्मय, हर्ष, विषाद, तिरस्कार, लज्जा, उत्साह, चिन्ता, घृणा आदि मनोभावों को प्रकट करने वाले अव्यय विस्मयबोधक कहलाते हैं;
जैसे–
हे ! हो ! हरे ! आदि।
मुहावरे तथा लोकोक्तियाँ

और उनके वाक्य प्रयोग
1. अक्ल का दुश्मन–मुर्ख।
प्रयोग–वह तो अक्ल का दुश्मन है, किसी की भी राय नहीं मानेगा।

2. अपना उल्लू सीधा करना–स्वार्थ सिद्ध करना।
प्रयोग–तुम्हें भले–बुरे से क्या मतलब ? तुम तो अपना उल्लू सीधा करो।

3. अंगूठा दिखाना–निराश कर देना।
प्रयोग–उसने रुपये लौटाने का वायदा किया था, फिर भी अँगूठा दिखा दिया।

4. आँखों का तारा–बहुत प्यारा।
प्रयोग–मोहन अपने माता–पिता की आँखों का तारा है।

5. आँख का अन्धा–मूर्ख।
प्रयोग–प्रत्येक व्यापारी चाहता है कि कोई आँख का अन्धा व्यक्ति ही उसके हाथ लगे।

6. अपमान के चूंट पीना–अपमान सहन करना।
प्रयोग–चुनाव में हार होने पर मुखिया अपमान का घूट पिये बैठा है। .

7. अन्धे की लकड़ी–एकमात्र सहारा।
प्रयोग–श्रवण कुमार अपने माता–पिता के लिए अन्धे की लकड़ी था।

8. आँखों में धूल झोंकना–धोखा देना।
प्रयोग–बाजार में ठग दुकानदार की आँखों में धूल झोंककर माल ले गये।

9. आँख दिखाना–डराना, धमकाना।
प्रयोग–छोटे बच्चों को कभी भी आँखें नहीं दिखानी चाहिए।

10. आँखें चुराना–छिपना।
प्रयोग–पहले तो सोचा नहीं, अब आँखें चुराते फिरते हो।

11. आँखों में खून उतरना–बहुत क्रोधित होना।
प्रयोग–अपराधी को देखते ही, मेरी आँखों में खून उतर आया।

12. आँखें बिछाना–स्वागत करना।
प्रयोग–राष्ट्रपति के आने पर जनता ने उनके सामने अपनी आँखे बिछा दीं।

13. ईंट से ईंट बजाना–सर्वनाश करना।
प्रयोग–भारत के वीरों ने अंग्रेजी राज्य की ईंट से ईंट बजा दी।

14.ईद का चाँद होना–बहुत कम दर्शन होना।
प्रयोग–दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी लोगों के लिए ईद का चाँद हो जाता है।

15. काम तमाम करना–मार डालना।
प्रयोग–शिकारी ने अपनी एक ही गोली से शेर का काम तमाम कर दिया।

16. काफूर होना–नष्ट होना।
प्रयोग–हामिद की बात सुनकर उसकी दादी का क्रोध काफूर हो गया।

17. गले न उतरना–समझ में न आना।
प्रयोग–आपकी कोई भी बात मेरे गले नहीं उतर रही है।

18. गंध भी न मिलना–कोई पता न चलना।
प्रयोग–मेरा मित्र जब से गया है, तब से अभी तक उसकी गंध भी नहीं मिल रही है।

19. टेढ़ी खीर–कठिन कार्य।
प्रयोग–भारत का प्रधानमंत्री बनना टेढ़ी खीर है।

20. छक्के छुड़ाना–घबरा देना।
प्रयोग–सन् 1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये।

21. ठण्डा होना–मर जाना।
प्रयोग–शिकारी की गोली लगते ही शेर ठण्डा पड़ गया।

22. नौ दो ग्यारह होना–भाग जाना।
प्रयोग–पुलिस को देखते ही चोर नौ दो ग्यारहे हो गये।

23. दंग रह जाना–आश्चर्यचकित होना।
प्रयोग–ताजमहल की कारीगरी देखकर विदेशी दंग रह जाते हैं।

24. पीठ दिखाना–भाग जाना।
प्रयोग–वीर पुरुष कभी भी युद्ध के मैदान से पीठ दिखाकर नहीं भागते।

25. धोबी का कुत्ता घर का न घाट का–कहीं का न रहना।
प्रयोग–मोहन ने चपरासी की नौकरी छोड़ दी, यह सोचकर कि अब अच्छी नौकरी करेगा। नौकरी तो उसे मिलती नहीं अतः उसकी दशा धोबी के कुत्ते जैसी है, जो न तो घर का है और न घाट का।

26. काला अक्षर भैंस बराबर–अनपढ़।
प्रयोग–मोहन के लिए काला अक्षर भैंस बराबर है।

27. एक पंथ दो काज–एक ही रास्ते से दो काम।
प्रयोग–वह 26 जनवरी का उत्सव देखने दिल्ली गया। लौटते हुए वह अपने भाई से भी मिल लिया। इस तरह उसने एक पंथ दो काज कर लिए।

28. आम के आम गुठलियों के दाम–एक वस्तु से दो लाभ लेना।
प्रयोग–अखबार पढ़ लेते हैं तथा उसे बेचकर पैसे भी प्राप्त कर लेते हैं, इस प्रकार आम के आम गुठलियों के दाम हो जाते हैं।

MP Board Solutions

तत्सम तथा तद्भव शब्द

MP Board Class 7th Special Hindi व्याकरण 1
MP Board Class 7th Special Hindi व्याकरण 2

विलोम शब्द

MP Board Class 7th Special Hindi व्याकरण 3
MP Board Class 7th Special Hindi व्याकरण 4
MP Board Class 7th Special Hindi व्याकरण 5

MP Board Solutions

पर्यायवाची शब्द।

  • अग्नि–पावक, अनल, आग, ज्वाला, दहन, कृशानु, वैशांदुर।
  • अमृत–सोम, अमीय, सुधा, पीयूष, सुरभोग।
  • आँख–लोचन, नयन, नेत्र, चक्षु, द्रग।
  • असुर–दानव, दैत्य, राक्षस, निशाचर, दनुज, तमोचर।
  • आकाश–व्योम, गगन, अम्बर, शून्य, अनन्त, अन्तरिक्ष।
  • घोड़ा–अश्व, तुरंग, वाजि, हय, घोटक, रवि–सुत।
  • इन्द्र–पुरन्दर, मघवा, सुरेन्द्र, सुरेश, सुरपति, देवराज।
  • पानी–जल, वारि, अम्बु, तोय, नीर, पय, सलिल।
  • कमल–जलज, वारिज, अम्बुज, तोयज, नीरज, पंकज, सरोज।
  • बादल–जलद, वारिद, अम्बुद, नीरद, तोयद, जलधर, मेघ।
  • समुद्र–जलधि, वारिधि, अम्बुधि, नीरधि, तोयधि, पयोधि, नदीश।
  • सूर्य–दिवाकर, दिनेश, भानु, भाष्कर, रवि, दिवाकर, प्रभातकर, पतंग।
  • चन्द्रमा–मयंक, शशि, राकेश, राकापति, सोम, हिमकर, रजनीश, निशाकर।
  • पृथ्वी–भू, भूमि, धरती, धरा, वसुधा, अवनि, मही, वसुन्धरा।
  • कोयल–कोकिला, पिक, वनप्रिय, परमृत, वसन्तदूत।
  • कामदेव–मदन, अनंग, मन्मथ, मनोज, मार।
  • गंगा–सुरनदि, देवसरि, देवपगा, त्रिपथगा, भागीरथी, देवनदी, जाह्नवी।
  • घर–धाम, गृह, सदन, भवन, मन्दिर, निकेतन।
  • तालाब–सर, तड़ाग, सरोवर, ताल, जलाशय, पुष्कर।
  • दिन–दिवस, वासर, दिवा, अह्न, द्यौस, दिवा।
  • नदी–सरिता, आपगा, तरंगिणी, नद, तटनी, सरि।
  • फूल–पुष्प, सुमन, कुसुम, प्रसून, पुहुप।
  • पक्षी–खग, पतंग, पखेरू, परिंदा, द्विज।
  • हवा–वायु, पवन, समीर, अनिल, मारूति, ब्यार।
  • पेड़–तरु, विटप, वृक्ष, पादप, द्रुम।
  • धनुष–चाप, कोदण्ड, धनु, सरासन, कमान।
  • नाव–नौका, नैया, तरिणी, तरी।
  • पत्थर–पाहन, पाषाण, प्रस्तर, उपल, अश्म।
  • पर्वत–अचल, नग, गिरि, भूधर, शैल।
  • पुत्र–तनय, सुत, आत्मज, नन्दन, तात।
  • बिजली–विद्युत, दामिनी, चपला, तड़ित, चंचला।
  • भौंरा–अलि, मधुकर, भ्रमर, मधुप, भुंग।
  • मोर–केकी, शिखी, मयूर, नीलकंठ, शिखण्डी।
  • यमुना–कालिन्दी, अर्कजा, रवितनया, कृष्णा, तरणि तनूजा।
  • राजा–नृप, भूप, महीप, नृपति, नरेश।
  • रात्रि–रजनी, निशा, यामिनी, विभावरी, रैन।
  • लक्ष्मी–रमा, श्री, चंचला, पद्मा, हरिप्रिया, कमला।
  • विष्णु–नारायण, हरि, श्रीपति, चतुर्भुज, उपेन्द्र।
  • सिंह–मृगराज, केहरि, केसरी, पंचानन।
  • सोना–स्वर्ण, कनक, हेम, कंचन, कुन्दन।
  • स्वर्ग–देवलोक, विष्णुलोक, सुरपुर, ब्रह्मलोक, बैकुण्ठ।
  • साँप–सर्प, नाग, भुजंग, विषधर, व्याल।
  • स्त्री–नारी, तिय, अबला, कामिनी, रमणी।
  • सरस्वती–शारदा, भारती, वीणावादिनि, हंस वाहिनी वागेश्वरी।
  • हाथी–गज, हस्ती, कुंजर, नयन्द, दन्ती।
  • मृग–सारंग, कुरंग, मृणीक, हिरण।

समास

परिभाषा–किन्हीं दो पदों (शब्दों) के योग को समास कहते हैं। समास का अर्थ संक्षिप्त होता है।
जैसे–

  • दिन–रात, माता–पिता आदि।

समास के भेद–समास छः प्रकार के होते हैं-
1. द्वन्द्व समास–इस समास में दोनों पद प्रधान होते हैं। बीच में ‘और’ शब्द का लोप होता है।
जैसे–

  • माता–पिता = माता और पिता।
  • भाई–बहन = भाई और बहन।
  • दिन–रात = दिन और रात।

2. द्विगु समास–जिस समास में पहला पद संख्यावाची विशेषण हो, वह द्विगु समास होता है।
जैसे–

  • त्रिभुवन = तीन भुवनों का समूह,
  • नवरत्न = नौ रत्नों का समूह।

3. कर्मधारय समास–जिसमें पहला पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य हो, तो वहाँ कर्मधारय समास होता है।
जैसे–

  • नीलकमल = नीला है जो कमल।
  • महादेव = महान है जो देव।
  • घनश्याम = घन के समान श्याम।

4. तत्पुरुष समास–जिस समास में उत्तर पद प्रधान होता है तथा बीच में विभक्तियों का लोप होता है, वह तत्पुष समास कहलाता है,
जैसे–

  • राम–भजन = राम का भजन।
  • राजपुत्र = राजा का पुत्र।
  • विद्याहीन = विद्या से हीन।

5. अव्ययीभाव समास–जिस समास में पहला पद अव्यय तथा दूसरा पद प्रधान होता है, वहाँ अव्ययीभाव समास होता है।
जैसे–
यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार, (यथा + शक्ति)।

  • यथोचित = यथा + उचित।
  • प्रतिदिन = प्रति + दिन।
  • अनुदिन = अनु + दिन।

6. बहुब्रीहि समास–जिस समास में किसी भी पद की प्रधानता न होते हुए अन्य तीसरे पद की प्रधानता होती है वहाँ बहुब्रीहि समास होता है।
जैसे–

  • दशानन = दस हैं आनन जिसके अर्थात् रावण।
  • नीलकंठ = नीला है कंठ जिसका अर्थात् महादेव।
  • लम्बोदर = लम्बा है उदर जिसका अर्थात् गणेशजी।

उदाहरण–
निम्नलिखित शब्दों के पद–विग्रह सहित समास लिखो-
MP Board Class 7th Special Hindi व्याकरण 6

MP Board Solutions

अलंकार

परिभाषा–जिस प्रकार किसी सुन्दरी की शोभा बढ़ाने के लिए कुछ आभूषणों का प्रयोग किया जाता है। उसी प्रकार भाषा रूपी सुन्दरी को सजाने के लिए कुछ शब्दों का प्रयोग करते हैं। उन्हें अलंकार कहते हैं।

अलंकार के भेद–अलंकार दो प्रकार के होते हैं
(1) शब्दालंकार,
(2) अर्थालंकार।
शब्दालंकार से शब्द में चमत्कार पैदा होता है। अर्थालंकार से अर्थ में चमत्कार पैदा होता है।

(क) शब्दालंकारों में अनुप्रास, यमक और श्लेष मुख्य
1. अनुप्रास अलंकार–जब एक ही अक्षर दो या दो से अधिक बार प्रयोग हो रहा हो, तो वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।
जैसे-
तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाये।
इस वाक्य में ‘त’ वर्ण कई बार आया है।
अत: यहाँ अनुप्रास अलंकार है।

2. यमक अलंकार–जिस वाक्य में एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आये तथा उनके अर्थ अलग–अलग हों, तो वहाँ यमक अलंकार होता है।
जैसे–
‘कनक–कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय’ में कनक शब्द दो बार प्रयुक्त हुआ है। पहले ‘कनक’ का अर्थ स्वर्ण (सोना) है तथा दूसरे ‘कनक’ का अर्थ है ‘धतूरा’। इसलिए यहाँ यमक अंलकार है।

3. श्लेष अलंकार–श्लेष शब्द का अर्थ है चिपका हुआ। जहाँ किसी एक शब्द का एक ही बार प्रयोग हो तथा उसके अर्थ अनेक हों, वहाँ श्लेष अलंकार होता है।
जैसे–
रहिमन पानी राखिये बिनु पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरे, मोती मानुस चून॥
इस पद्यांश में प्रयुक्त ‘पानी’ शब्द का अर्थ–चमक, प्रतिष्ठा, तथा जल है अतः यहाँ श्लेष अलंकार है।

(ख) अर्थालंकारों में उपमा, रूपक तथा उत्प्रेक्षा विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं-
1. उपमा–जहाँ एक वस्तु की समानता किसी दूसरी वस्तु से दिखायी जाती है, वहाँ उपमा अलंकार होता है। उपमां के चार भेद होते हैं– उपमेय, उपमान, धर्म, वाचक।
उदाहरण–
‘हरि पद कोमल कमल से।’ इस वाक्य में हरिपद उपमेय है, ‘कमल’ उपमान है ‘से’ वाचक है तथा ‘कोमल’ साधारण धर्म है।

2. रूपक–जहाँ उपमेय और उपमान को एक ही रूप दे दिया जाता है, तो वहाँ रूपक अलंकार होता है।
जैसे–
“चरण कमल बन्दी हरि राई।” – यहाँ पर ‘चरण’ उपमेय है, और ‘कमल’ उपमान है। दोनों को ही एक रूप दे दिया गया है, अतः यहाँ रूपक अलंकार है।

3. उत्प्रेक्षा–जहाँ उपमेय में उपमान की कल्पना की जाये, तो वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इसमें जनु, मनु, जानहु, मानहु, आदि शब्द ‘वाचक’ होते हैं।
उदाहरण–
सोहत ओढ़े पीत पट श्याम सलोने गात।
मनहु नीलमणि शैल पर आतप पर्यो प्रभात ॥
यहाँ श्रीकृष्ण के श्याम सलोने शरीर की समानता नीलमणि के पर्वत से की है, शरीर पर पीलावस्त्र नीलमणि के पर्वतरूपी श्यामवर्ण शरीर पर पड़ी हुई प्रातःकालीन धूप है।

MP Board Solutions

शब्दसमूह के लिए एक शब्द
शब्दसमूह   –         एक शब्द
1. कभी निष्फल न होने वाला – अमोघ
2. सम्पूर्ण संसार का स्वामी – अखिलेश
3. जो ईश्वर को नहीं मानता हो – नास्तिक
4. जो कभी न मरे – अमर
5. दूसरों का एहसान न मानता हो कृतघ्न या – अकृतज्ञ
6. जिसके माता–पिता हैं – सनाथ
7. जिसके माता–पिता न हों – अनाथ
8. बहुत अधिक बोलने वाला – वाचाल
9. बुराई करने वाला – निन्दक
10. दूसरों की भलाई करने वाला – परोपकारी
11. भ्रमण करने वाला – पर्यटक
12. दूसरे देश का रहने वाला – विदेशी
13. घोड़े बाँधने का स्थान – अस्तबल
14. गोद लिया पुत्र – दत्तक पुत्र
15. भाषण देने वाला – वक्ता
16. जो लिखना पढ़ना जानता हो – साक्षर
17. क्षणभर में नष्ट होने वाला – क्षणभंगुर
18. वह स्त्री जिसका पति मर चुका हो – विधवा
19. वह आदमी जिसकी स्त्री मर विधुर – चुकी हो
20. जो बिना बुद्धि का हो – निर्बुद्धि
21. जो बिना चरित्र का हो – चरित्रहीन
22. मांस खाने वाला – मांसाहारी
23. दूर तक की सोचने वाला। – दूरदर्शी
24. नीति का ज्ञाता – नीतिज्ञ
25. जिसे जीता न जा सके – अजेय
26. घृणा के योग्य – घृणित
27. जिसे सभी कामों में सफलता। सफल – मिली हो
28. ईश्वर में विश्वास करने वाला – आस्तिक
29. जो बूढ़ा न हो – अजर
30. सौ वर्ष का समय – शताब्दी
31. शरण में आया हुआ – शरणागत
32. आज्ञा मानने वाला – आज्ञाकारी
33. बहुत कम जानने वाला – अल्पज्ञ
34. दोपहर का समय – मध्याह्न
35. आकाश को छूने वाला – गगनचुम्बी
36. कम बोलने वाला – मितभाषी
37. दोपहर के बाद का समय – अपराह्न
38. पूजा के योग्य – पूज्य
39. सम्पूर्ण दिन का कार्यक्रम – दिनचर्या
40. जिसका जन्म पहले हुआ हो। – अग्रज
41. मांस न खाने वाला – शाकाहारी
42. जिसका कोई शत्रु न हो – अजातशत्रु
43. पति तथा पत्नी – दम्पत्ति
44. निष्फल न होने वाली – अचूक
45. जिसका आकार न हो – निराकार

MP Board Class 7th Hindi Solutions