MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Solutions Chapter 24 अपनी राहें आप बचाओ
MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Chapter 24 प्रश्न-अभ्यास
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
(क) सही जोड़ी बनाइए
1. उन्नति में – (क) गान करो मल
2. अपना गौरव – (ख) आप बनाओ
3. पढ़ने में भी – (ग) अभिमान करो मत
4. अपनी राहें – (घ) चित्त लगाओ
उत्तर-
1. (ग)
2. (क)
3. (घ)
4. (ख)
प्रश्न (ख)
दिए गए शब्दों में से सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानो की पूर्ति कीजिए
1. दो क्षण………….ठीक नहीं है। (रूकना/चलना)
2. हंसते-हंसते…………..सीखो। (मरना/जीना)
3. संभल-संभल………….धरना सीखो। (कर/पग)
उत्तर-
1. रूकना,
2. मरना,
3. पग।
MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Chapter 24 अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए-
(क) कवि के अनुसार हमें किसमें चित्त लगाना चाहिए?
उत्तर-
कवि के अनुसार हमें पढ़ाई में भी चित्त लगाना चाहिए।
(ख) उन्नति होने पर मन में कौन-सा भाव नहीं आना चाहिए?
उत्तर-
उन्नति होने पर मन में अभियान नहीं आना चाहिए।
(ग) कवि ने हमें किस स्थिति में झुकने की सीख दी है?
उत्तर-
कवि ने हमें विपत्तियों के समय नहीं झुकने की सीख दी है।
(घ) कविता में हमें कहाँ रुकने की सलाह दी गई है?
उत्तर-
बिना ध्येय के पथ पर दो क्षण भी रुकना ठीक नहीं है।
MP Board Class 7th Hindi Sugam Bharti Chapter 24 लघु उत्तरीय प्रश्न
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन से पाँच वाक्य में लिखिए-
(क) कविता में हमें कहाँ-कहाँ संभलकर पग रखने की समझाइश दी गई है?
उत्तर-
कवि ने बच्चों को समझाया है कि जीवन के रास्ते पर अनेक कठनाइयाँ तथा परेशानियाँ उत्पन्न होंगी, और कभी तुम्हें कई तरह के लालच मिलेंगे। परंतु तुम संभलना और ध्यानपूर्वक इनमें से ठीक रास्ते का चुनाव करना अर्थात अपने पग ध्यान से रखना।
(ख) कवि ने अपना गौरव गान न करने के लिए क्यों कहा है?
उत्तर-
कवि ने बच्चों से विशेषत्या कहा है कि अपने जीवन में चाहे जितनी भी उन्नति करो परंतु अपनी तारीक अपने मुँह से कभी नहीं करना, इससे अभियान उत्पन्न होने का खतरा रहता है।
(ग) “अपनी राहें आप बनाओ” का क्या तातर्प्य है?
उत्तर-
“अपनी राहें आप बनाओ” से कवि का तात्पर्य यह है कि बच्चों को अपने जीवन का लक्ष्य स्वयं निर्धारित करना चाहिए अर्थात हमें दूसरों की होड नहीं करनी चाहिए क्योंकि सभी लोगों की परिस्थितियाँ भिन्न-भिन्न होती हैं।।
(घ) पाप कर्म करने से हमें क्यों डरना चाहिए?
उत्तर-
कवि ने कहा है कि जीवन का लक्ष्य पूर्ण करने के लिए हमें सत्कर्मे और सच्चे रास्ते को अपनाना चाहिए। इसके विपरीत यदि हम पाप कर्म को अपनाते हैं तो जीवन अवश्य भ्रष्ट हो जाता है। इसलिए हमें बुराइयों और गलत कार्यों से डरना चाहिए।
भाषा की बात
प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों का सही-सही उच्चारण कीजिए
चित्त, विपत्तियाँ, नम्र, ध्येय, रक्षा
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिएसंभल-संभल, कांटो, पदचिन्ह, रक्छा
उत्तर-
शब्द – शुद्ध वर्तनी
संभल-संभल – सँभल-सँभल
पदचिन्ह – पद चिह्न
कांटो – काँटों
रक्क्षा – रक्षा
प्रश्न 6.
पथ के कांटो पर फूलों पर, सँभल-सँभल पग धरना सीखो।
ऊपर दी गई पंक्ति में ‘फूल’ के विपरीत अर्थ में ‘कांटों’ शब्द का प्रयोग किया गया है। इसी तरह निम्नलिखित शब्दों के विपरीत अर्थ लिखिए-
आदर, उन्नति, नम्र, पाप, अधिकार
उत्तर-
शब्द विपरीत
आदर – निरादर
पाप – पुन्य
उन्नति – अवनति
अधिकार – अनाधिकार
नम्र – उग्र
प्रश्न 7.
निम्नलिखित बहुवचन शब्दों के एकवचन रूप लिखिए
राहें, कांटों, पापों, पाप, अधिकार
उत्तर-
शब्द एकवचन
राहें – राह
पापों – पाप
काँटों – काँटा
विपत्तियों – विपत्ती
अधिकारों – अधिकार
प्रश्न 8.
पर + उपकार दोनों शब्दों के अ और उ मिलाने पर अ + उ = ओ का विकार होता है और इनके मिलने से ‘परोपकार’ शब्द बनता है। इसी प्रकार निम्नलिखित शब्दों की संधि कीजिए-
उत्तर-
वीर + उचित = वीरोचित
चंद + उदय = चंद्रोदय
मानव + उचित = मानवोचित
महा + उत्सव = महोत्सव
सूर्य + उदय = सूर्योदय
अपनी राहें आप बचाओ पाठ का परिचय
प्रस्तुत कविता में कवि बच्चों को प्रगतिशील रहने के संदर्भ में वर्णन करते हुए कहते हैं-खेलने-कूदने के साथ पढ़ना-लिखना भी जरूरी है। किसी की नकल न करके, स्वयं अपनी मंजिल बनानी चाहिए। रास्ते में अनेक कठनाइयाँ आएंगी किंतु तुम ध्यान से चलना। तुम कभी भी अपनी कामयाबी पर घमण्ड मत करना। हमेशा दूसरों से प्यार से बोलना चाहिए। कभी भी अपनी तारीक अपने मुँह से नहीं करना चाहिए। तुम सर्वदा भलाई के काम करो। पाप से हमेशा दूर रहो। परेशानियाँ तो जिंदगी में आती ही हैं, लेकिन तुम उनसे कभी मत घबराना नहीं। अपनी आन के लिए सब कुछ करना सीखो।
अपनी राहें आप बचाओ संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या
1.
सबका आदर करना सीखो।
खेलो-कूदो खूब किंतु कुछ
पढ़ने में भी चित्त लगाओ।
मत खोजो पद चिह्न किसी के
अपनी राहें आप बनाओ।
पथ के काँटों पर, फूलों पर
संभल-संभल पग धरना सीखो।
शब्दार्थ-चित्त = मन।
संदर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘सुगम भारती’ (हिंदी सामान्य) भाग-7 के पाठ-24 ‘अपनी राहें आप बनाओ’ से ली गई है। इसके रचयिता दुष्यंत कुमार हैं।
प्रसंग-इसमें बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए कहा गया है।
व्याख्या-कवि बच्चों को समझाते हुए कहते हैं कि तुम्हें सभी लोगों का आदर करना चाहिए। खेलना-कूदना बहुत अच्छी बात है परंतु पढ़ाई में भी उतना ही मन लगाना चाहिए। किसी भी सफलता के कारणों के पीछे मत भागो बल्कि अपनी पहचान स्वयं बनाओ। जीवन में बुराइयों और अच्छाइयों दोनों का सामना करना पड़ता है। तुम्हे हमेशा अच्छाई के रास्ते को चुनना चाहिए।
विशेष-
- भाषा सरल एवं प्रवाहमय है।
- कवि ने बच्चों को सरलता से समझाया है।
2.
कभी भूलकर भी तो अपनी
उन्नति में अभियान करो मत।
नम्र बनो अपने ही मुँह से
अपना गौरव गान करो मत।
परोपकार के कार्य मत
पर पापों से डरना को।
शब्दार्थ-अभियान = घमण्ड, गौरव = बड़प्पन, महत्त्व।।
संदर्भ-पूर्ववत्।
प्रसंग : इसमें बच्चों को घमण्डी न बनने का संदेश दिया गया है।
व्याख्या : कवि ने आगे बच्चों से कहा है कि मन लगा कर जीवन में जो कुछ भी तुम हासिल करते हो, उस पर कभी घमण्ड मत करो। सबके साथ विन्रम बनो परंतु अपने मुँह से कभी अपनी तारीफ मत करो। जीवन में पापों और बुरे कामों से दूर रहकर सर्वदा भलाई के काम करो।
विशेष-
- भाषा सरल एवं प्रवाहमय है।
- कवि ने बच्चों से भलाई के कार्य करने पर बल दिया है।
3.
बिना ध्येय के पथ पर अपने
दो क्षण रुकना ठीक नहीं है।
विपत्तियाँ आती हैं लेकिन
उनमें झुकना ठीक नहीं है।
निज अधिकारों की रक्षा में
हँसते-हँसते मरना सीखो।
शब्दार्थ-ध्येय = लक्ष्य, उद्देश्य, परोपकार = दूसरों की भलाई।
संदर्भ-पूर्ववत् प्रसंग-इसमें बच्चों को आगे रहने पर बल दिया गया है।
व्याख्या-कवि ने बच्चे को समझाते हुए कहा है कि – जिस रास्ते पर कोई उद्देश्य न हो, उस और अपना समय नहीं गंवाना चाहिए। जिंदगी में कठनाइयाँ और परेशानियाँ तो आती ही रहती है किंतु कभी उनसे घबराना नहीं चाहिए और ना ही किसी कमजोरी के आगे झुकना चाहिए। अपने अधिकारों और कर्तव्यों के लिए सदैव अग्रसर रहना चाहिए।
विशेष-
- भाषा सरल एवं प्रवाहमय है।
- कठनाइयों के आगे नहीं झुकने पर बल दिया गया है।