MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 18 लोकमाता : अहिल्याबाई

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 18 लोकमाता : अहिल्याबाई

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 18 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) अहिल्याबाई को “लोकमाता” क्यों कहते हैं ?
उत्तर
अहिल्याबाई के शासनकाल में सम्पूर्ण प्रजा सुख और शान्ति से तथा समृद्धि से भरपूर थी, इसलिए लोग उन्हें लोकमाता कहते थे।

(ख) मल्हार राव ने अहिल्याबाई को किस राह पर आगे बढ़ाया ?
उत्तर
मल्हार राव ने अहिल्याबाई की आन्तरिक शक्तियों और क्षमताओं को पहचाना तथा अपने बेटे के समान ही राजनीति और यद्ध कला की शिक्षा दिलायी, घुडसवारी सिखलाई। इस तरह अहिल्याबाई को एक अच्छे शासक होने की राह पर आगे बढ़ाया।

(ग) अहिल्याबाई ने राज्य की बागडोर किन परिस्थितियों में संभाली?
उत्तर
भरतपुर के राजा सूरजमल ने मल्हार राव को वार्षिक कर नहीं दिया तो मल्हार राव ने भरतपुर पर आक्रमण कर दिया। तीन महीने तक चले इस भीषण युद्ध में अहिल्याबाई के पति खण्डेराव वीरगति को प्राप्त हुए। इस भीषण आघात से व्याकुल और आहत अहिल्याबाई ने जनकल्याण के लिए दृढ़तापूर्वक होल्कर राज्य की बागडोर अपने हाथों से संभाली।

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(घ) पेशवा राघोवा द्वारा आक्रमण किए जाने पर अहिल्याबाई ने क्या किया ?
उत्तर
पेशवा राघोवा द्वारा आक्रमण किए जाने पर अहिल्याबाई ने तुकोजी को पेशवा राघोवा से युद्ध करने के लिए भेजा और पेशवा राघोवा के लिए एक पत्र लिखा। इस पत्र में लिखा कि वह उनके पूर्वजों के राज्य को हड़पने का सपना न देखे। वह स्वयं नारी सेना लेकर युद्ध करेंगी। उसे (पेशवा को) नारी द्वारा हराये जाने का अपयश मिलेगा। यदि उसने विजय भी प्राप्त की तो उसके मुख पर एक विधवा के राज्य को हड़पने की कालिख लगेगी। पेशवा राघोवा पर इस बात का प्रभाव पड़ा और वह बिना युद्ध किये लौट गया। अहिल्याबाई ने होल्कर राज्य को अपनी बुद्धिमानी और दूरदर्शिता से भयमुक्त कर लिया।

(ङ) सौभागसिंह कौन था ? वह कैसे पकड़ा गया ?
उत्तर
सौभागसिंह रामपुरा का सरदार था। उदयपुर के राणा ने उसकी सहायता के लिए विशाल सेना भेजी। मन्दसौर के युद्ध क्षेत्र में भयानक युद्ध हुआ। तिरेसठ वर्षीय अहिल्याबाई ने युद्ध का संचालन किया। विरोधी सेना के छक्के छुड़ा दिये। सौभागसिंह को पकड़ लिया गया।

(च) भीलों द्वारा लूटपाट की समस्या अहिल्याबाई ने किस तरह निपटाई?
उत्तर
भीलों द्वारा लूटपाट की समस्या अहिल्याबाई ने अपने विवेक से निपटाई। अहिल्याबाई ने भीलों के सरदार को ही यात्रियों की सुरक्षा का दायित्व दे दिया। साथ ही, यह नियम भी बना दिया कि जिस इलाके में यात्रियों से लूटपाट होगी, तो वहाँ के भील उसकी भरपाई भी करेंगे। इस तरह इस समस्या से मुक्ति मिली।

(छ) “महारानी अहिल्याबाई का जीवन जनहित की मिसाल है”-स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
महारानी अहिल्याबाई का व्यक्तित्व जुझारू था। – उनमें चतुराई, बुद्धिमानी, राज्य संचालन की क्षमता थी। सम्पूर्ण – प्रजा सुखी और सम्पन्न थी। वह समस्याओं को तुरन्त निपटाती थी। सैनिकों के परिवारों की देखरेख करती थीं। कृषकों को । सुविधाएँ देती थीं। किसानों से कर बहुत कम लिया जाता था। उन्होंने उद्योग-धन्धों को भी बढ़ावा दिया।

उन्होंने विद्वानों, लेखकों, साहित्यकारों, ज्योतिषियों तथा कलाकारों को प्रोत्साहित किया। उन्हें राज्य में बसाया और उन्हें पुरस्कृत भी किया। इस तरह अहिल्याबाई का जीवन जनहित की मिसाल है। उन्होंने पूरे भारत में मन्दिर बनवाये। जरूरतमन्दों को कभी निराश नहीं होने दिया।

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प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) यात्री…………….होकर राज्य में विचरण करने लगे थे।
(ख) अहिल्याबाई ने 63 वर्ष की अवस्था में युद्ध का …………….. संचालन किया।
(ग) भारत के मन्दिर …………… कला के अनुपम उदाहरण
उत्तर
(क) निर्भय
(ख) कुशलता से
(ग) वास्तु।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग छाँटकर लिखिए
प्रशिक्षित, सशरीर, आघात, सुयोग्य, आहत, अपयश, वियोग, विजय, विचरण।
उत्तर
प्र, स, आ,सु, आ, अप, वि, वि, वि।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों के समक्ष दिए गए
विकल्पों में से सही मुहावरे का प्रयोग करके रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) अहिल्याबाई के सामने दिग्गजों के ………….
(कालिख लगाना, छक्के छूटना, हार नहीं मानना)

(ख) गृहकार्य में दक्ष वधू ने सबका ………….. है।
(मन मोह लेना, घुटने टेकना, रास न आना)

(ग) अनैतिक कार्यों की पोल खुलने से व्यक्ति के …………. है।
(मुँह पर रंग लगना, मुंह पर कालिख लगाना, मुँह पर छींटे मारना)

(घ) अहिल्याबाई की वीरता की सभी थे।
(भूरि-भूरि प्रशंसा करना, विचलित होना, निन्दा करना)

(ङ) अहिल्याबाई ने पेशवा के सामने …………… थे।
(पैर टेकना, सिर टेकना, घुटने न टेकना)

(च) विदेशी भी भारतीय नारियों की वीरता देखकर …………. थे।
(आँख मूंद लेते थे, दाँतों तले अंगुली दबा लेते, कानों पर हाथ रख लेते थे)
उत्तर
(क) छक्के छूट जाते
(ख) मन मोह लिया
(ग) मुँह पर कालिख लग जाती
(घ) भूरि-भूरि प्रशंसा करते
(ङ) घुटने नहीं टेके
(च) दाँतों तले अँगुली दबा लेते।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के स्त्रीलिंग रूप लिखिए
शीलवान, बुद्धिमान, सुत, घोड़ा, नाना, जेठ, सेठ, ठाकुर।
उत्तर
स्त्रीलिंग-शीलवती, बुद्धिमती, सुता, घोड़ी, नानी, जेठानी, सेठानी, ठकुराइन।

लोकमाता : अहिल्याबाई परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या 

1. “आप मेरे पूर्वजों द्वारा अपने कठिन परिश्रम से स्थापित किए हुए होल्कर राज्य को हड़प लेने का दिवा स्वप्न मत देखिए, मैं अपनी नारी सेना के साथ आपसे युद्ध करूंगी। आप हारे तो आपको एक नारी द्वारा पराजित होने का अपयश मिलेगा और जीत गए तो एक पुत्र के वियोग से व्यथित विधवा के राज्य को अकारण हड़प लेने की कालिख आपके मुंह पर लगेगी। इस बात पर विचार कर उत्तर दें। मैं अपनी नारी सेना के साथ आपसे युद्ध करने के लिए तैयार हूँ।”

सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश ‘लोकमाता : अहिल्याबाई’ नामक पाठ से अवतरित है। यह एक जीवनी है।

प्रसंग-होल्कर राज्य पर आक्रमण करने के लिए सेना सहित आये हुए पेशवा राघोवा के लिए अहिल्याबाई द्वारा लिखे पत्र का यह अंश है।

व्याख्या-अहिल्याबाई ने पत्र में लिखा कि होल्कर राज्य को उनके पूर्वजों ने बड़े ही परिश्रम से स्थापित किया है। तुम्हें इस राज्य को जबरन छीन लेने के लिए कल्पना नहीं करनी चाहिए यह विचार दिन में देखे सपने के समान होगा। मैंने तुमसे युद्ध करने का निश्चय कर लिया है। इस युद्ध में मेरी नारी सेना भाग लेगी जिसका संचालन में स्वयं (एक नारी) करूंगी। एक नारी के हाथ हार जाने पर तुम्हारा अपयश फैलेगा और यदि तुम जीत भी गए तो लोग कहेंगे कि तुमने एक विधवा के राज्य को छीन लिया जिसका पुत्र भी अभी-अभी मरा है। बिना किसी कारण तुमने राज्य छीन भी लिया, तो यह अपयश की कालिमा का टीका तुम्हारे माथे पर लगेगा। इन सभी बातों पर विचार करके मुझे उत्तर देने की कृपा करें। मैं युद्ध करने को तो तैयार हैं।

2. इस तरह जुझारू व्यक्तित्व की धनी रानी अहिल्याबाई ने अपने वाक् चातुर्य, बुद्धि कौशल से सत्ता का कुशलतापूर्वक संचालन कर जनता को सुखी किया। वह रोज दरबार लगातीं। प्रजा की समस्याओं का समाधान करतीं। वीरगति पाने वाले, सैनिकों एवं युद्ध में जाने वाले सैनिक परिवारों की सारी व्यवस्था स्वयं करतीं। वे कृषकों को सुविधाएँ देतीं। लगान के रूप में कृषि कर लिया जाता, जो बहुत कम होता, उसे भी वे जनहित के कार्यों में खर्च कर देतीं। अन्य उद्योगधन्धों को भी उन्होंने बढ़ावा दिया।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-अहिल्याबाई के व्यक्तित्व की विशेषताएँ बतायी गई हैं।

व्याख्या-अहिल्याबाई विपत्तियों से जूझने वाली महिला थीं। उनमें वाणी की चतुराई थी। वह बुद्धिमान थीं। इस तरह विशेष कौशल से चतुराईपूर्वक राज्य के ऊपर शासन कर रही थी। सभी प्रजा सुखी थी। वे प्रतिदिन ही अपने दरबार में उपस्थित होती थीं। अपनी प्रजा की सभी समस्याओं का हल वे अपने आप करती थीं। जितने भी सैनिक युद्ध में वीरगति प्राप्त कर चुके थे. उनके परिवारों तथा जो सैनिक युद्ध क्षेत्र में लड़ने के लिए गये हुए हैं, अथवा जाने वाले हैं, उनके परिवारों के सदस्यों की देख-रेख का काम अहिल्याबाई स्वयं ही किया करती थीं। इनके सुख-सुविधा के लिए वे स्वयं उत्तरदायित्व लेती थी। उन्होंने किसानों को अनेक तरह की सुविधाएँ दी थीं। किसानों से जो कृषि कर लिया जाता था। उसे अन्य उद्योगों के लगाने, उनके विकास में लगाया गया।

लोकमाता : अहिल्याबाई शब्दकोश

विद्रोह-विरोध करना, विरुद्ध होना; जनहित = जनता का हित, जन कल्याण; पारंगत = निपुण; विचलित = अस्थिर, हटना, डिगना; प्रत्युत्तर = उत्तर का उत्तर, उत्तर पाने पर दिया गया उत्तर; कूटनीति = छलकपट की नीति; दायित्व = जिम्मेदारी; दिग्गज = प्रकाण्ड, महान्; वज्राघात = विचलित: दिवास्वप्न = दिन में स्वप्न देखना संवेदना = समान दु:ख, समान वेदना; दाँतों तले अंगुली दबाना = अचम्भा करना; विचरण = घूमना; छक्के छूटना = भयभीत हो जाना; क्षीणकाय = कमजोर शरीर वाला, दुबले = पतले शरीर वाला; अपयश = बुराई: दूरदर्शिता = आगे की सोचना।

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