MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 17 और भी दूँ

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MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 17 और भी दूँ

MP Board Class 7th Hindi Bhasha Bharti Chapter 17 पाठ का अभ्यास

बोध प्रश्न

Class 7 Hindi कुछ और भी दूँ Chhattisgarh State Board Solutions प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(क) कवि मातृभूमि को क्या-क्या समर्पित करना चाहता है?
उत्तर
कवि मातृभूमि के लिए तन-मन-प्राण सब कुछ समर्पित करना चाहता है। वह अपने मस्तक, गीत तथा रक्त का एक-एक कण भी अपने देश की धरती के लिए अर्पित कर देना चाहता है। उसके मन में उठने वाली कल्पनाएँ तथा प्रश्न तथा सम्पूर्ण आयु (उम्र) भी मातृभूमि के लिए अर्पित करना चाहता है। सम्पूर्ण बाग-बगीचे, उनके फूल आदि मातृभूमि के लिए समर्पित हैं।

(ख) कवि अपने सर्वस्व समर्पण के बाद भी सन्तुष्ट क्यों नहीं है ?
उत्तर
कवि अपनी मातृभूमि की सेवा में सर्वस्व न्योछावर कर देना चाहता है। वह फिर भी सन्तुष्ट नहीं दिखता है। इसका कारण यह है कि वह इस सबके अतिरिक्त भी जो कुछ उसके पास है, उसे भी अर्पित कर देने की कामना करता है। कामनाएँ कभी भी शान्त नहीं हुआ करती।

(ग) कवि क्षमा-याचना क्यों कर रहा है?
उत्तर
कवि अपने गाँव, द्वार-घर-आँगन आदि सभी के प्रति अपने लगाव को छोड़कर मातृभूमि के लिए सर्वस्व प्रदान करना चाहता है। इसलिए वह इन सभी से क्षमा याचना करता है। इनकी अपेक्षा मातृभूमि के प्रति दायित्व महत्वपूर्ण है।

(घ) कविता का मुख्य सन्देश क्या है ?
उत्तर
कविता का मुख्य सन्देश है कि हम सभी अपनी मातृभूमि के लिए सर्वस्व त्यागकर उसकी सेवा करें। मोहरहित होकर तन-मन-प्राण से मातृभूमि की रक्षा के लिए तैयार रहें।

समर्पण पाठ कक्षा 7 MP Board प्रश्न 2.
निम्नलिखित भाव कविता की जिन पंक्तियों से प्रकट होते हैं, उन पंक्तियों को लिखिए
(क) मोहमाया के बन्धन को तोड़ना।
(ख) सम्पूर्ण आयु को समर्पण करना।
(ग) बलिदान के लिए तत्परता।
उत्तर
(क) तोड़ता हूँ मोह का बन्धन।
(ख) आयु का क्षण-क्षण समर्पित।
(ग) मन समर्पित, तन समर्पित, और यह जीवन समर्पित। चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी हूँ।

चाहता हूं कविता का प्रश्न उत्तर MP Board प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए

(क) प्रस्तुत कविता का मुख्य भाव क्या है?
(1) मातृभूमि के प्रति आदर।
(2) मातृभूमि के लिए सर्वस्व समर्पण की चाह।
(3) मातृभूमि की महानता का गुणगान।
(4) मातृभूमि से क्षमा याचना।
उत्तर
(2) मातृभूमि के लिए सर्वस्व समर्पण की चाह।

(ख) कवि अपने जीवन, घर-परिवार और गाँव से क्षमा याचना करता है, क्योंकि वह
(1) इनके प्रति दायित्व निर्वाह नहीं करना चाहता।
(2) इनकी अपेक्षा देश के प्रति दायित्व निर्वाह को महत्वपूर्ण मानता है।
(3) इनके प्रति दायित्व निभाने में स्वयं को असमर्थ पाता है।
(4) इनसे छुटकारा पाना चाहता है।
उत्तर
(2) इनकी अपेक्षा देश के प्रति दायित्व निर्वाह को महत्त्वपूर्ण मानता है।

भाषा अध्ययन

Aur Bhi Du Hindi Poem Question Answer MP Board प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के शुद्ध उच्चारण कीजिए
ऋण, स्वीकार, माँज, बाँध, शीश, आशीष, तृण।
उत्तर
उल्लिखित शब्दों को बार-बार पढ़िए और विशेष सावधानी से शुद्ध रूप में उच्चारण कीजिए। कठिनता के लिए अपने आचार्य महोदय की सहायता ले सकते हो।

Samarpan Poem By Ramavtar Tyagi Class 7 MP Board प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण एवं लेखन कीजिए
समर्पण पाठ कक्षा 7 MP Board
उत्तर
छात्र/छात्राएँ स्वयं करें।

Man Samarpit Tan Samarpit Question Answer MP Board प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए- .
समर्पित, आँगन, ध्वज, आशीष।
उत्तर

  1. मैं अपनी मातृभूमि के लिए सर्वस्व समर्पित करता हूँ।
  2. मेरे आँगन में फलदार पेड़ों के झुरमुट खड़े हैं।
  3. अपने हाथ में राष्ट्रीय ध्वज लिए हुए वीर सैनिक मातृभूमि की रक्षा के लिए आगे बढ़ रहे हैं।
  4. माँ का आशीष सदैव फलदायक होता है।

चाहता हूँ कविता का भावार्थ Class 7 MP Board प्रश्न 4.
इस कविता से अनुप्रास अलंकार वाली पंक्तियाँ छाँटकर लिखिए।
उत्तर

  1. मन समर्पित, तन समर्पित।
  2. गान अर्पित, प्राण अर्पित, रक्त का कण-कण समर्पित।
  3. शीश पर आशीष की छाया घनेरी।
  4. रक्त का कण-कण समर्पित।
  5. आयु का क्षण-क्षण समर्पित।
  6. नीड़ का तृण-तृण समर्पित।

Aur Bhi Du Hindi Poem Summary MP Board प्रश्न 5.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(क) माँ तुम्हारा ……..
(ख) ……………. फिर भी निवेदन
(ग) थाल में लाऊँ ……….
(घ) कर दया ………वह समर्पण।
उत्तर
(क) ऋण बहुत है, मैं अकिंचन,
(ख) किन्तु इतना कर रहा
(ग) सजाकर भाल जब भी
(घ) स्वीकार लेना।

Aur Bhi Doon Poem Summary In Hindi MP Board प्रश्न 6.
नीचे लिखे शब्दों के पर्यायवाची दी गई वर्ग पहेली से छाँटकर लिखिए
फूल, पृथ्वी, माथा, खून, गृह।
वर्ग पहेली
Class 7 Hindi कुछ और भी दूँ Chhattisgarh State Board Solutions
उत्तर
फूल-प्रसून, पुष्प, सुमन । पृथ्वी-वसुधा, धारिणी, धरा, धरती। माथा-मस्तक, भाल, कपाल। खून-रक्त, रुधिर, लहू। गृह-घर, आवास, वास।

और भी दूँ सम्पूर्ण पद्यांशों की व्याख्या

1. मन समर्पित, तन समर्पित,
और यह जीवन समर्पित।
चाहता हूँ देश की धरती,
तुझे कुछ और भी हूँ।

शब्दार्थ-समर्पित = अर्पित किया हुआ, सौंपा हुआ; तन = शरीर; जीवन = प्राण या जिन्दगी।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पंक्तियाँ “और भी ढूँ”, नामक कविता से अवतरित हैं। इसके रचयिता ‘रामावतार त्यागी’ हैं।

प्रसंग-कवि अपने प्रिय देश के लिए अपना सर्वस्व त्याग देने को तैयार है।

व्याख्या-कवि कहता है कि हे मेरे देश की धरती! तेरी सेवा के लिए मैं स्वयं तन-मन तथा अपने प्राण (सम्पूर्ण जिन्दगी) अर्पित करता हूँ। इस सब के अलावा दूसरी वस्तुएँ भी यदि मेरे पास है, तो उन्हें भी तेरे लिए अर्पित करने (त्यागने) के लिए तैयार हूँ।

2. माँ तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अकिञ्चन,
किन्तु इतना कर रहा, फिर भी निवेदन।
थाल में लाऊँ सजाकर भाल जब भी,
कर दया स्वीकार लेना वह समर्पण।

गान अर्पित, प्राण अर्पित,
रक्त का कण-कण समर्पित।
चाहता हूँ देश की धरती,
तुझे कुछ और भी हूँ।

शब्दार्थ-अकिञ्चन = दीन; भाल = मस्तक; समर्पण = अर्पित की हुई वस्तु; अर्पित = न्योछावर किया हुआ।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-कवि के अनुसार देशभक्त सर्वस्व अर्पित करने के बाद जो भी दूसरी वस्तु यदि उसके पास है तो वह उसे भी देश की सेवा में अर्पित कर देने को तैयार है।

व्याख्या-हे मातृभूमि, मुझ पर तेरे ऋण (कर्ज) का बोझ बहुत है। मैं दीन हूँ (उस कर्ज के बोझ को मैं किस तरह उठा सकूँगा)। फिर भी मैं यह निवेदन कर रहा हूँ कि जब भी अपने इस मस्तक को थाल में सजाकर लेकर आऊँ, तो मेरे इस समर्पण को (सेवा में दी गई इस वस्तु को) स्वीकार करने की कृपा करना। भक्ति भरा मेरा गीत भी तुम्हें अर्पित है, मेरे प्राण भी अर्पित हैं। साथ ही मेरे रक्त की (खून की) एक-एक बूंद भी तुम्हारे लिए अर्पित है। इस प्रकार हे मेरे देश की धरती ! मैं इसके अलावा भी कुछ और अर्पित करना चाहता हूँ।

3. माँज दो तलवार को, लाओ न देरी,
बाँध दो कसकर, कमर पर ढाल मेरी,
भाल पर मल दो, चरण की धूल थोड़ी,
शीश पर आशीष की छाया घनेरी,

स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित,
आयु का क्षण-क्षण समर्पित।
चाहता हूँ देश की धरती,
तुझे कुछ और भी हूँ।

शब्दार्थ-भाल = मस्तक; मल दो = लगा दो; आशीष = आशीर्वाद; घनेरी- घनी; स्वप्न- कल्पनाएँ, विचार; आयु = उम्र ; चरण = पैर।

मन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग-कवि अपनी मातृभूमि के आशीर्वाद को प्राप्त करके अपनी उम्र के प्रत्येक क्षण को देश की सेवा में अर्पित करना चाहता है।

व्याख्या-हे मातृभूमि-मेरी माँ! बिना किसी देर किए हुए तुम मुझे तलवार (युद्ध के लिए) दे दो। उसको और ढाल को-दोनों ही कसकर कमर में बाँध दो। साथ ही, मेरे मस्तक पर अपने चरणों (पैरों) की थोड़ी-सी धूल लगा दो तथा मेरे सिर पर अपने आशीर्वाद की घनी छाया कर दो (आशीर्वाद दीजिए)। मेरी कल्पनाएँ तथा मेरे प्रश्न सभी तेरी सेवा में अर्पित हैं। यहाँ तक कि मेरी उम्र का प्रत्येक क्षण भी तुम्हारी सेवा में अर्पित है। इस तरह, हे मेरे देश की धरती, मैं तुझे कुछ अन्य भी अर्पित कर देना चाहता हूँ।

4. तोड़ता हूँ मोह का बन्धन, क्षमा दो,
गाँव मेरे, द्वार घर-आँगन क्षमा दो;
आज सीधे हाथ में तलवार दे दो।
और बाएँ हाथ में ध्वज को थमा दो।

ये सुमन लो, यह चमन लो,
नीड़ का तृण-तृण समर्पित,
चाहता हूँ देश की धरती,
तुझे कुछ और भी हूँ।

शब्दार्थ-ध्वज पताका, झण्डा; थमा दो = पकड़ा दो सुमन = फूल; चमन = बगीचा; नीड़ = घोंसला; मोह = प्रेम।

सन्दर्भ-पूर्व की तरह।

प्रसंग- कवि अपने देश की सेवा के लिए सम्पूर्ण बन्धनों को समाप्त करके सब कुछ देश की सेवा में अर्पित कर देना चाहता है।

व्याख्या-हे मेरे देश ! तेरे लिए मैं मोह के (प्रेम के) जितने भी बन्धन है, उन सबको तोड़ देना चाहता हूँ। उसके लिए हे मेरे गाँव, तू मुझे क्षमा करना। मेरे घर-आँगन तथा द्वार, तुम सभी मुझे क्षमा करना। आज (अब समय आ गया है तब) तुम सभी मेरे सीधे हाथ में तलवार पकड़ा दो। इस तरह, हे मेरे देश ! ये सभी फूल, तथा बगीचा तथा मेरे घोंसले का तिनका-तिनका भी तेरी सेवा में अर्पित करता हूँ। इस प्रकार, मेरे पास जो भी अन्य वस्तु (यदि मेरे पास है) तो वह भी मैं, हे मेरे देश की धरती ! तेरी सेवा में अर्पित करता हूँ।

और भी दूँ शब्दकोश

समर्पित = त्यागा हुआ, अर्पित किया हुआ निवेदन = प्रार्थना; माँज = धोकर साफ कर दो, युद्ध के लिए; मोह = प्रेम; ध्वज – पताका, झण्डा; ऋण = कर्ज; भाल = मस्तक, माथा;आशीष = आशीर्वाद; सुमन = फूल, पुष्प; नीड़ = घोसा; अकिंचन = दीन; शीश = सिर; घनेरी-घनी; चमन – बगीचा; तृण = तिनका।