MP Board Class 11th Special Hindi छन्द

MP Board Class 11th Special Hindi छन्द

छन्द शब्द छद् धातु से निष्पन्न होकर असन् प्रत्यय लगाने से बना है। इसका अर्थ है प्रसन्न करना, बाँधना अथवा आच्छादित करना। छन्द मात्रिक और वार्णिक भेदों के आधार पर ध्वनियों के क्रम से गति और यति के नियमों से बँधा होता है। इससे कविता में प्रवाह, लय और संगीतात्मकता की उत्पत्ति होती है। छन्दों के दो भेद हैं

1. मात्रिक और वर्णिक
[2008]

मात्राओं की गणना किए जाने वाले छन्दों को मात्रिक छन्द और वर्गों की संख्या तथा हस्व दीर्घ स्वरों की गणना किए जाने वाले छन्दों को वर्णिक छन्द कहते हैं।

2. कुण्डलियाँ
[2008, 09, 12]

कुण्डलियाँ छः पंक्तियों का छन्द है। इसके प्रथम दो दल दोहे के तथा अन्तिम चार दल रोला के होते हैं। इसके प्रत्येक चरण में 24-24 मात्राएँ होती हैं।
उदाहरण- 1
ऽऽ।।।। ऽ।।।।।।ऽऽ =24
सोई अवसर के परे को न सहै दुःख द्वन्द्व
ऽ।। ऽऽ ऽ।।। ऽ ऽ ऽ ।।ऽ। =24
जाय बिकाने डोम घर वै राजा हरिचन्द
वै राजा हरिश्चन्द करै मरघट रखवारी।
धरे तपस्वी भेष फिरे अर्जुन बलधारी।।
कह गिरिधर कविराय, तपै वह भीम रसोई।
को न करै घटि काम सरे अवसर के सोई।।

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उदाहरण 2
।।ऽ।।।।ऽ।।।।। ऽऽ ऽ ऽ।
“रहिये लट पट काटि दिन, बरु धामें मौ सोय।
छाँह न बाकी बैठिये, जो तरु पतरो होय।।” 13 + 11 = 24
ऽ।।।। ऽ ऽ। ऽ।।। ऽऽ ऽऽ
जो तरु पतरो होय एक दिन धोखा दै है।
जो दिन चले बयारि टूटि जर से जै हे।। 11 + 13 – 24
कह गिरधर’ कविराय, छाँह मोटे की गहिये।
पाती सब झरिजाय, तऊ छाया में रहिये।।

उदाहरण
3-“तुक बन्दी का बढ़ रहा, कविता में अति जोर।
लगे नाचने मुर्गे भी, समझ स्वयं को मोर।।
समझ स्वयं को मोर, अर्थ तक नहीं जानते।
पढ़ औरों से गीत, गर्व से रस बखानते।।
कहै कपिल समुझाय, चल रही है दलबन्दी।
कविता रोती आज हँस रही है तुकबन्दी।।

3. घनाक्षरी
[2008]

घनाक्षरी छन्द के प्रत्येक चरण में 32 वर्ण होते हैं। 8, 8, 8, 8 पर यति और अन्त में गुरु-लघु (51) आते हैं।
उदाहरण-
।।।ऽऽ।।।ऽ।ऽऽ। ऽ ऽ।
नगर से दूर कुछ, गाँव की सी बस्ती एक
।।ऽ।ऽ ऽऽऽ।।।।।।। = 32
हरे भरे खेतों के, समीप अति अभिराम।।
जहाँ पत्र जाल अन्तराल से झलकते हैं।
लाल खपरैल श्वेत छज्जों के सँवारे धाम।।

उदाहरण
1-“लखि घनश्याम तन, मोर है मगन मन,
सुमन सकल अलि गावहिं गुनन-गुनन।
जीवनि को जीवन-प्रदायक सबहिं विधि,
नाचैं बनसीकर सु-धारन छनन-छनन।।
सीतल सुगन्ध मन्द कहति त्रिविधि वायु,
मधुर-मधुर स्वप्न करति सनन-सनन।
हषीकेश सुषमा अलौकिक विलोकि अहो?
परम अगम सुख मिलतु जनन-जनन।।

उदाहरण
2. भूरी हरी घास आस-पास फूली सरसों है,
पीली-पीली बिन्दियों का चारों ओर है प्रसार।
कुछ दूर विरल सघन फिर और आगे,
एक रंग मिला चला पीत पारावार।।
गाढ़ी हरी श्यामता की तुंग राशि रेखा धनी,
बाँधती है दक्षिण की और उसे घेर घार।
जोड़ता है जिसे खुले नीचे नीले नभ मण्डल से,
धुंधली सी नीली नगमाला उठी धुआँधार।।

4. मन्दाक्रान्ता
[2014]

यह छन्द मगण, भगण, नगण दो तगण तथा दो गुरुओं के योग से बनता है। इसके प्रत्येक चरण में 17 वर्ण होते हैं। चौथे, छठे और सातवें वर्ण पर यति होती है।
उदाहरण-
ऽऽ ऽऽ।।।।। ऽ ऽ 1 ऽऽ। ऽ ऽ = 17 वर्ण
धाता द्वारा सृजित जग में हो धरा मध्य आ के
ऽऽऽऽ।।।।। ऽ।ऽ ऽ। ऽ ऽ
पाके खोये विभव कित प्राणियों ने अनेकों।
ऽऽऽऽ।।।।। ऽ ऽ ऽ ऽ । ऽऽ
जैसा प्यारा विभव ब्रज के हाथ से आज खोया।
ऽऽऽऽ।।।।। ऽऽ। ऽऽ।ऽऽ
पाके ऐसा विभव वसुधा में न खोया किसी ने।।

प्रश्नोत्तर

  • लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
काव्य की परिभाषा किन्हीं दो संस्कृत आचार्यों एवं एक हिन्दी आचार्य के अनुसार लिखिए। [2009]
उत्तर-
संस्कृत आचार्यों के अनुसार काव्य की परिभाषा-
(1) आचार्य विश्वनाथ ने “रसात्मकं वाक्यं काव्यम्” कहा है।
(2) पण्डितराज जगन्नाथ ने “रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम्”कहा है।
हिन्दी आचार्य के अनुसार काव्य की परिभाषा-प्रश्न संख्या 2 देखिए।

प्रश्न 2.
हिन्दी के एक आचार्य की काव्य की परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
हिन्दी में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की परिभाषा इस प्रकार है-“जिस प्रकार आत्मा की मुक्तावस्था ज्ञान दशा कहलाती है, उसी प्रकार हृदय की मुक्तावस्था रस दशा कहलाती है। हृदय की इसी मुक्ति साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द-विधान करती आई है उसे कविता कहते हैं।”

प्रश्न 3.
काव्य के प्रमुख भेद कौन-से माने गये हैं?
उत्तर-
भारतीय आचार्यों ने काव्य के दो प्रकार माने हैं—
(i) श्रव्य काव्य,
(ii) दृश्य काव्य।
श्रव्य काव्य-जिस काव्य की आनन्दानुभूति पढ़ने या सुनने से होती है, उसे श्रव्य काव्य कहते हैं; जैसे-कविता, कहानी आदि।
(ii) दृश्य काव्य-जिस काव्य की अनुभूति अभिनय आदि देखकर होती है, उसे दृश्य काव्य कहते हैं; जैसे—नाटक, प्रहसन आदि।

प्रश्न 4.
प्रबन्ध काव्य के प्रमुख भेद कौन-से हैं?
उत्तर–
प्रबन्ध काव्य के दो भेद माने गये हैं—

  • महाकाव्य,
  • खण्डकाव्य।

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प्रश्न 5.
महाकाव्य किसे कहते हैं? एक महाकाव्य का नाम लिखिए।
उत्तर—
महाकाव्य में किसी महापुरुष के जीवन का समग्र चित्रण होता है। इसमें मुख्य कथा के साथ प्रासंगिक कथाएँ भी होती हैं। इसमें शृंगार, वीर, शान्त आदि रसों की योजना की जाती है। इसकी कथा कुछ खण्डों, सर्गों, काण्डों आदि में विभाजित होती है। रामचरितमानस हिन्दी का श्रेष्ठ महाकाव्य है।

प्रश्न 6.
महाकाव्य एवं खण्डकाव्य की विशेषताएँ बताते हुए प्रमुख महाकाव्यों एवं खण्डकाव्यों के नाम लिखिए।
अथवा [2009]
खण्डकाव्य की दो विशेषताएँ बताइए। [2015]
अथवा
खण्डकाव्य के दो लक्षण एवं एक खण्डकाव्य एवं उसके रचनाकार का नाम लिखिए। [2016]
उत्तर—
प्रबन्ध काव्य के दो भेद-
(1) महाकाव्य एवं
(2) खण्डकाव्य माने गये हैं।

(1) महाकाव्य–महाकाव्य शब्द ‘महत्’ और ‘काव्य’ दो शब्दों के योग से बना है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार होती हैं—
(1) महाकाव्य में किसी महापुरुष के समग्र जीवन का चित्रण होता है।
(2) इसमें प्रमुख कथा के साथ-साथ प्रासंगिक कथाएँ भी होती हैं और
(3) इसमें वीर, शान्त एवं शृंगार रसों की योजना होती है; जैसे-साकेत, प्रियप्रवास महाकाव्य हैं।

(2) खण्डकाव्य-खण्डकाव्य में जीवन के एक खण्ड का चित्रण होता है। इसकी कथा स्वयं में पूर्ण होती है; जैसे—पंचवटी (मैथिलीशरण गुप्त), रश्मिरथी (रामधारी सिंह ‘दिनकर’) खण्डकाव्य हैं।

प्रश्न 7.
महाकाव्य और खण्डकाव्य में अन्तर बताइए। [2014, 17]
उत्तर—
(1) महाकाव्य में जीवन का समग्र चित्रण होता है, जबकि खण्डकाव्य में जीवन का खण्ड चित्र प्रस्तुत हो पाता है।
(2) महाकाव्य का आकार विस्तृत होता है किन्तु खण्डकाव्य का आकार सीमित होता है।
(3) महाकाव्य में कई सर्ग, खण्ड, काण्ड आदि होते हैं, जबकि खण्डकाव्य में कम सर्ग, खण्ड, काण्ड होते हैं।
(4) पात्रों, घटनाओं आदि की संख्या महाकाव्य में अधिक होती है, खण्डकाव्य में कम।

प्रश्न 8.
मुक्तक काव्य किसे कहते हैं? [2012]
उत्तर-
वह पद्य रचना जिसके छन्द स्वतः पूर्ण और स्वतन्त्र रहते हैं और किसी क्रम से संचालित नहीं होते हैं, मुक्तक काव्य कहलाते हैं; जैसे-बिहारी सतसई, दोहावली।

प्रश्न 9.
प्रबन्ध काव्य तथा मुक्तक काव्य में अन्तर बताइए। दो मुक्तक काव्यकारों के नाम लिखिए। [2009]
उत्तर-
प्रबन्ध काव्य में छन्दों का पूर्वापर सम्बन्ध होता है। इसमें छन्दों का क्रम बदलना सम्भव नहीं है जबकि मुक्तक काव्य में प्रत्येक छन्द का स्वतः पूर्ण अर्थ होता है। ये किसी क्रम से संचालित नहीं होते हैं। रामचरितमानस, प्रिय प्रवास प्रबन्ध काव्य हैं तथा बिहारी सतसई, सूर सागर मुक्तक रचनाओं के ग्रन्थ हैं।

मुक्तक काव्यकार—सूरदास, मीराबाई एवं बिहारी।

प्रश्न 10.
मुक्तक काव्य की दो विशेषताएँ बताते हुए एक मुक्तक काव्य रचना का नाम लिखिए।
उत्तर—
मुक्तक काव्य की दो विशेषताएँ इस प्रकार हैं
(i) मुक्तक काव्य के प्रत्येक छन्द का अर्थ स्वयं में पूर्ण होता है। इसके छन्दों का पूर्वापर सम्बन्ध नहीं होता है।
(ii) मुक्तक काव्य के छन्द किसी क्रम से संचालित नहीं होते हैं। ‘बिहारी सतसई’ हिन्दी की श्रेष्ठ मुक्तक काव्य कृति है।

प्रश्न 11.
काव्य में गुण कितने प्रकार के होते हैं? परिभाषित कीजिए। [2014]
अथवा
काव्य गुण के प्रकार लिखते हुए प्रसाद गुण की परिभाषा सोदाहरण दीजिए। [2009]
अथवा
काव्य में ओजगुण किसे कहते हैं? [2012]
उत्तर–
शब्द गुण तीन प्रकार के माने गये हैं-
(i) माधुर्य,
(ii) ओज एवं
(iii) प्रसाद।

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(i) माधुर्य—जिस काव्य के सुनने या पढ़ने से मन पुलकित हो उठे और कानों को मधुर प्रतीत हो, वहाँ माधुर्य गुण होता है।
(ii) ओज-जिस काव्य के सुनने या पढ़ने से चित्त की उत्तेजना वृत्ति जाग्रत हो, वह रचना ओज गुण सम्पन्न होती है।
(iii) प्रसाद-जिस रचना के सुनने या पढ़ने से हृदय प्रभावित हो, बुद्धि निर्मल बने, मन खिल उठे, उसमें प्रसाद गुण होता है।

प्रश्न 12.
शब्द-शक्ति किसे कहते हैं? इसके भेद बताइए। [2009]
उत्तर-
शब्द और अर्थ के सम्बन्ध को शब्द-शक्ति कहते हैं। यह सम्बन्ध ही शब्द का अर्थ व्यक्त करता है। शब्द-शक्ति के तीन प्रकार माने गये हैं –
(i) अभिधा,
(ii) लक्षणा एवं
(iii) व्यंजना।

प्रश्न 13.
अभिधा, लक्षणा तथा व्यंजना की परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
अभिधा—शब्द और अर्थ का साक्षात् सम्बन्ध अभिधा कहलाता है। परम्परागत रूप में प्रचलित मुख्य अर्थ का बोध कराने वाली शब्द-शक्ति अभिधा कहलाती है, जैसे—श्याम
का अर्थ काला।
लक्षणा–शब्द के मुख्य अर्थ में बाधा होने पर उसके सहयोग से रूढ़ि अथवा प्रयोजन के आधार पर अन्य अर्थ लक्षित कराने वाले शब्द-शक्ति लक्षणा कहलाती है; जैसे—’मोहन तो शेर है’ में लक्षणा के द्वारा शेर का अर्थ वीर निकलता है। [2009, 16]
व्यंजना—जब अभिधा और लक्षणा से अर्थ व्यक्त नहीं होता है तब व्यंजना शब्द-शक्ति की सहायता से व्यंग्यार्थ निकलता है। जैसे—’गंगा में घर है’ में गंगा के समान घर की पवित्रता प्रकट होती है। [2010]

प्रश्न 14.
छन्द की परिभाषा देते हुए उसके भेद बताइए। [2009, 17]
अथवा
छन्द किसे कहते हैं? इसके प्रमुख प्रकार बताइए। [2011]
उत्तर-
परिभाषा-वर्ण, मात्रा, यति, तुक आदि का ध्यान रखकर की गयी शब्द रचना छन्द कहलाती है। इससे काव्य में प्रवाह, संगीतात्मकता तथा प्रभावशीलता आ जाती है।
प्रकार-छन्द दो प्रकार के होते हैं-
(1) मात्रिक छन्द,
(2) वर्णिक छन्द।

  • मात्रिक छन्द-जिस छन्द में मात्राओं की गणना की जाती है उसे मात्रिक छन्द कहते [2015]
  • वर्णिक छन्द-वर्णिक छन्द में वर्गों की गणना की जाती है।

प्रश्न 15.
घनाक्षरी और कुण्डली छन्दों का अन्तर बताइए।
उत्तर-
कुण्डली मात्रिक छन्द है जबकि घनाक्षरी वर्णिक छन्द है। कुण्डली में छः चरण होते हैं। प्रथम दो चरण दोहा के तथा बाद के चार चरण रोला के होते हैं। प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ होती हैं। जबकि घनाक्षरी के प्रत्येक चरण में 32 वर्ण होते हैं। इसमें 8,8,8,8 पर यति और अन्त में गुरु-लघु आते हैं।

प्रश्न 16.
अलंकार की परिभाषा एवं भेद लिखिए। [2017]
उत्तर-
आचार्य दण्डी ने लिखा है ‘काव्य शोभाकरान्त धर्मान् अलंकारान् प्रचक्षते’ अर्थात् काव्य का सौन्दर्य बढ़ाने वाले धर्म अलंकार कहलाते हैं।

शब्द और अर्थ के आधार पर अलंकारों के तीन प्रकार माने गये हैं-
(i) शब्दालंकार,
(ii) अर्थालंकार, व
(iii) उभयालंकार।

प्रश्न 17.
निम्नलिखित में किस शब्द-शक्ति का प्रयोग हुआ है
(i) सुनील ने आसमान सिर पर उठा रखा है।
(ii) अपनी जन्मभूमि से सबको प्यार होता है।
(iii) रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरे मोती मानस चून।।
उत्तर—
इन पंक्तियों में शब्द-शक्तियाँ इस प्रकार हैं
(i) लक्षणा,
(ii) अभिधा,
(iii) व्यंजना।

प्रश्न 18.
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में अलंकार बताइए [2009]
(i) जान स्याम घनस्याम को, नाच उठे वन मोर।
(ii) सत्य कहहुँ हौं दीनदयाला।
बन्धु न होय मोर यह काला।।
(iii) मैं निज रोदन में राग लिए फिरता हूँ,
शीतल वाणी में आग लिए फिरता हूँ।
उत्तर-
(i) भ्रान्तिमान अलंकार,
(ii) अपहृति अलंकार,
(iii) विरोधाभास अलंकार।

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प्रश्न 19.
अलंकारों के प्रकारों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
अलंकारों के तीन प्रकारों का परिचय इस प्रकार है
(1) शब्दालंकार—जहाँ शब्द से काव्य की शोभा बढ़ती है, वहाँ शब्दालंकार होता है; जैसे–अनुप्रास, यमक, श्लेष आदि।
(2) अर्थालंकार-जिनमें अर्थ के कारण सौन्दर्य वृद्धि होती है, वे अर्थालंकार कहलाते हैं; जैसे—उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा आदि।
(3) उभयालंकार-कुछ अलंकारों में शब्द और अर्थ दोनों का चमत्कार विद्यमान रहता है, वे उभयालंकार कहलाते हैं।

प्रश्न 20.
सन्देह और भ्रान्तिमान अलंकारों में सोदाहरण अन्तर बताइए। [2008,09, 12, 13, 14]
उत्तर-
सन्देह अलंकार में उपमेय में उपमान का सन्देह रहता है तथा भ्रान्तिमान अलंकार में उपमेय का ज्ञान नहीं रहता है, भ्रमवश उसे उपमान समझ लिया जाता है। सन्देह में निरन्तर सन्देह बना ही रहता है कि यह है या नहीं, जबकि भ्रान्तिमान में भ्रम अन्ततः प्रतीति बन जाता है। अतः सन्देह में अनिश्चय तथा भ्रान्तिमान में निश्चय होता है।

उदाहरण सन्देह रस्सी है या साँप।
भ्रान्तिमान-रस्सी नहीं साँप है।

प्रश्न 21.
श्लेष अलंकार की परिभाषा लिखिए। [2015]
उत्तर-
जहाँ एक शब्द के एक से अधिक अर्थ निकलते हैं वहाँ श्लेष अलंकार होता है।

प्रश्न 22.
श्रृंगार रस और वीर रस में भेद बताइए। (कोई तीन) [2015]
उत्तर-
श्रृंगार रस और वीर रस में तीन भेद इस प्रकार हैं-
(1) श्रृंगार रस का स्थायी भाव ‘रति’ होता है जबकि वीर रस का स्थायी भाव उत्साह होता है।
(2) शृंगार रस में आलम्बन प्रेमी (नायक-नायिका) होते हैं किन्तु वीर रस का आलम्बन शत्रु होता है।
(3) श्रृंगार रस में माधुर्य गुण की अधिकता होती है जबकि वीर रस में ओज गुण का प्राधान्य पाया जाता है।

प्रश्न 23.
हास्य रस की परिभाषा एवं उदाहरण लिखिए। [2017]
उत्तर-
परिभाषा-विचित्र रूप, वेष, वाणी, चेष्टा आदि के कारण हृदय में जाग्रत हास भाव पुष्ट होकर हास्य रस में परिणत होता है।

उदाहरण—
बिन्ध्य के बासी उदासी तपोव्रतधारी महाबिनु नारि दुखारे।
गौतम तीय तरी, तुलसी, सो कथा सुनि भै मुनि वृंद सुखारे।
है हैं सिला सब चन्द्रमुखी परसे पद-मंजुल कंज तिहारे।
कीन्हीं भली रघुनायक जू करुना करि कानन को पगु धारे॥

  • अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पद्य के तीन प्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर—
पद्य के तीन प्रकार—
(i) प्रबन्ध काव्य,
(ii) मुक्तक काव्य, तथा
(iii) गीतिकाव्य, माने गये हैं।

प्रश्न 2.
हिन्दी के दो महाकाव्यों के नाम लिखिए।
उत्तर-
‘रामचरितमानस’ तथा ‘पद्मावत’ हिन्दी के श्रेष्ठ महाकाव्य हैं।

प्रश्न 3.
हिन्दी के दो खण्डकाव्यों के नाम लिखिए।
उत्तर—
‘पंचवटी’ तथा ‘कुरुक्षेत्र’ हिन्दी के श्रेष्ठ खण्डकाव्य हैं।

प्रश्न 4.
‘रसात्मकं वाक्यं काव्यम्’ किसकी परिभाषा है?
उत्तर—
‘रसात्मकं वाक्यं काव्यम्’ आचार्य विश्वनाथ द्वारा दी गई काव्य की परिभाषा है।

प्रश्न 5.
पण्डितराज जगन्नाथ ने काव्य की क्या परिभाषा दी है?
उत्तर-
पण्डितराज जगन्नाथ ने काव्य की परिभाषा देते हुए लिखा है-‘रमणीयार्थ प्रतिपादकःशब्द:काव्यम्’ अर्थात् रमणीय अर्थ का प्रतिपादन करने वाले शब्द ही काव्य कहलाते हैं।

प्रश्न 6.
आधुनिक काल के दो महाकाव्यों के नाम लिखिए। उत्तर-‘प्रियप्रवास’ तथा ‘कामायनी’ आधुनिक काल के प्रमुख महाकाव्य हैं।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित पंक्ति में गुण बताइए ‘हे, प्रभो आनन्ददाता ! ज्ञान हमको दीजिए।’
उत्तर-
इस पंक्ति में ‘प्रसाद गुण’ है। प्रश्न 8. ओज गुण का उदाहरण लिखिए। [2016]
उत्तर-
ओज गुण से युक्त दो पंक्तियाँ इस प्रकार हैं
“बुन्देले हरबोलों के मुख हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।”

प्रश्न 9.
वीर रसपूर्ण काव्य में किस गुण की अधिकता रहती है?
उत्तर–
वीर रसपूर्ण काव्य में ओज गुण’ की अधिकता रहती है।

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प्रश्न 10.
माधुर्य गुण युक्त काव्य में कैसे वर्गों का प्रयोग होता है?
उत्तर-
माधुर्य गुण युक्त काव्य में य, र, ल, ग, ज आदि कोमल वर्णों का प्रयोग होता है।

प्रश्न 11.
प्रसाद गुण युक्त काव्य में कैसे शब्दार्थ का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर-
प्रसाद गुण युक्त काव्य में सरल शब्दार्थ का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 12.
माधुर्य गुण किन रसों से युक्त काव्य में होता है?
उत्तर-
करुण, शृंगार या शान्त रसों से युक्त काव्य में माधुर्य गुण होता है।

प्रश्न 13.
शब्द-शक्ति किसे कहते हैं?
उत्तर–
शब्द और अर्थ के सम्बन्ध को शब्द-शक्ति कहते हैं।

प्रश्न 14.
अभिधा शब्द-शक्ति किसे कहते हैं?
उत्तर-
शब्द और अर्थ के साक्षात् सम्बन्ध को अभिधा शब्द-शक्ति कहते हैं; जैसे— स्वर्ण का अर्थ सोना।

प्रश्न 15.
“बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी।” में कौन-सी शब्द शक्ति है?
उत्तर-
इस पंक्ति में लक्षणा शब्द-शक्ति है।

प्रश्न 16.
“सूर्योदय हो गया।” में शब्द-शक्ति बताइए।
उत्तर-
सूर्योदय हो गया।’ का अर्थ है कि हमें जागकर शीघ्र विद्यालय जाना चाहिए। अतः इसमें व्यंजना शब्द-शक्ति है।

प्रश्न 17.
‘राकेश तो गधा है।’ में शब्द शक्ति बताइए।
उत्तर-
राकेश तो गधा है।’ में लक्षणा शब्द-शक्ति है।

प्रश्न 18.
‘प्रेम पर्यो चपल चुचाइ पुतरीन सों’ में कौन-सी शब्द शक्ति है?
उत्तर-
‘प्रेम पर्यो चपल चुचाइ पुतरीन सों’ में व्यंजना शब्द-शक्ति है।

प्रश्न 19.
वर्ण किसे कहते हैं?
उत्तर-
अक्षर को ही वर्ण कहते हैं, जैसे—क, ख, ग आदि।

प्रश्न 20.
निम्नांकित पंक्तियों में छन्द बताइए
सच्चे स्नेही अवनिजन के देश के श्याम जैसे।
राधा जैसे सदय-हृदया विश्व प्रेमानुरक्ता।।
हे विश्वात्मा! भरत भुव के अंक में और आवें।
ऐसी व्यापी विरह-घटना किन्तु कोई न होवे।।
उत्तर-
इन पंक्तियों में ‘मन्दाक्रान्ता’ छन्द का प्रयोग हुआ है।

प्रश्न 21.
निम्नांकित पद्य का छन्द बताइए-
“करनी विधि की देखिये, अहो न बरनी जाति।
हरनी के नीके नयन बसै विपिन दिन राति।।
बसै विपिन दिनराति बराबर बरही कीने।
कारी छवि कलकण्ठ किये फिर काक अधीने।।
बरनै दीनदयाल धीर धरते दिन धरनी।
बल्लभ बीच वियोग, विलोकहु निधि की करनी।।”
उत्तर—
इस पद्य का छन्द कुण्डली है।

प्रश्न 22.
छन्द के अंग बताइए।
उत्तर-
वर्ण, मात्रा, यति, चरण, तुक और गण छन्द के अंग होते हैं।

प्रश्न 23.
निम्नांकित पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है
किधी सूर को सर लग्यो, किधौं सूर की पीर।
किधौं सूर को पद लग्यो, रह-रह धुनत शरीर।।
उत्तर—
इन पंक्तियों में ‘सन्देह’ अलंकार है।

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प्रश्न 24.
निम्न पंक्तियों में कौन-से छन्द का प्रयोग हुआ है? स्पष्ट कीजिए
S SSS I III ISSIS SISS
“जो मैं कोई विहग उड़ता देखती व्योम में हूँ।
तो उत्कण्ठा विवश हो चित्त में सोचती हूँ।”
उत्तर—
इसमें 4,6 और 7 वर्णों पर यति होती है, इसलिए यह मन्दाक्रान्ता छन्द है।

प्रश्न 25.
‘कान्ह-दूत कैधो ब्रह्मदूत कै पधारे आय’ में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर-
कान्ह-दूत कैधो ब्रह्मदूत है पधारे आय’ में ‘सन्देह’ अलंकार है।

प्रश्न 26.
जहाँ विरोध न होते हुए भी विरोध प्रतीत हो वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?
उत्तर-
जहाँ विरोध न होते हुए भी विरोध प्रतीत हो वहाँ विरोधाभास’ अलंकार होता है।

प्रश्न 27.
वह कौन-सा अलंकार है जिसमें उपमेय में उपमान का भ्रम हो जाता है?
उत्तर-
जहाँ उपमेय में उपमान का भ्रम हो जाये वहाँ भ्रान्तिमान’ अलंकार होता है।

प्रश्न 28.
विरोधाभास अलंकार का उदाहरण लिखिए। [2016]
उत्तर-
“वा मुख की मधुराई कहा कहों,
मीठी लगे अँखियान लुनाई।” .

सम्पूर्ण अध्याय पर आधारित महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

  • बहु-विकल्पीय प्रश्न

1. ‘रसात्मकं वाक्यं काव्यम्’ परिभाषा है— [2009, 16]
(i) आचार्य विश्वनाथ की,
(ii) पण्डितराज जगन्नाथ की,
(iii) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की,
(iv) भामह की।

2. निम्नलिखित में से प्रबन्ध काव्य नहीं है [2009]
(i) साकेत,
(ii) सूरसागर,
(iii) कामायनी,
(iv) रामचरितमानस।

3. महाकाव्य में होता है [2010]
(i) जीवन का खण्ड चित्रण,
(ii) जीवन का वृहत् चित्रण,
(iii) दोहा छन्द,
(iv) उत्साह भाव।

4. इनमें से कौन-सा काव्य खण्डकाव्य नहीं है? [2012, 14]
(i) पंचवटी,
(ii) रश्मिरथी,
(iii) प्रियप्रवास,
(iv) सुदामा चरित।

5. महाकाव्य में कम-से-कम कितने सर्ग होने चाहिये? [2017]
(i) तीन,
(ii) पाँच,
(iii) चार,
(iv) आठ।

6. शब्द और अर्थ का साक्षात् सम्बन्ध होता है
(i) व्यंजना में,
(ii) लक्षणा में,
(iii) अभिधा में,
(iv) किसी में नहीं।

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7. चित्त की उत्तेजना वृत्ति से सम्बन्ध होता है
(i) ओज गुण का,
(ii) प्रसाद गुण का,
(iii) माधुर्य गुण का,
(iv) किसी का नहीं।

8. “राजा शिवराज के नगारन की धाक सुनि, केते बादशाहन की छाती दरकति है।” में गुण है
(i) माधुर्य,
(ii) ओज,
(iii) प्रसाद,
(iv) कोई नहीं।

9. छन्द कितने प्रकार के होते हैं?
(i) चार प्रकार के,
(iv) तीन प्रकार के,
(iii) पाँच प्रकार के,
(iv) दो प्रकार के।

10. काव्य की शोभा बढ़ाने वाले धर्म कहलाते हैं
(i) शब्द-शक्ति,
(ii) अलंकार,
(iii) छन्द,
(iv) गुण।

11. ‘रस्सी है या साँप’ में अलंकार है….
(i) उपमा,
(ii) रूपक,
(iii) भ्रान्तिमान,
(iv) सन्देह।

12. वीर, भयानक, रौद्र रसों में प्रधानता होती है [2011]
(i) माधुर्य गुण,
(ii) ओज गुण,
(iii) प्रसाद गुण,
(iv) शब्द गुण।

13. श्रृंगार रस का स्थायी भाव है [2015]
(i) रति,
(ii) जुगुप्सा
(iii) हास्य,
(iv) रौद्र।
उत्तर-
1. (i), 2. (ii), 3. (ii), 4.(i), 5. (iv), 6. (iv), 7. (i), 8. (ii), 9. (iv), 10. (ii), 11. (iv), 12. (ii), 13. (i)।

  • रिक्त स्थान पूर्ति

1. रामचरितमानस ……….. है। [2008]
2. खण्डकाव्य में जीवन का ………. चित्रण होता है।
3. वीर, भयानक तथा रौद्र रस पूर्ण काव्य में ………” गुण होता है।
4. माधुर्य गुण में ……….” वर्णों की प्रधानता होती है। [2010]
5. ‘भूरा तो उल्लू है’ में ………. शब्द-शक्ति है।
6. ‘प्रेम पर्यो चपल चुचाइ पुतरीन सौं’ में ……….” शब्द-शक्ति है।
7. शब्द के ……. प्रकार होते हैं।
8. वर्गों की गिनती के आधार पर जिस छंद की रचना होती है, उसे ….. छंद कहते हैं। [2016]
9. विरोध न होते हुए भी जहाँ विरोध का आभास हो, वहाँ ……… अलंकार होता है। [2009]
10. ‘मुख है किधौ मयंक है’ में ………. अलंकार है। 11. रस के ……….” अंग हैं। [2011]
12. दोहा छन्द ……….. काव्य है। [2012]
13. काव्य की शोभा बढ़ाने वाले धर्म ……….’ कहलाते हैं। [2014]
14. शान्त रस का स्थायी भाव ………. है।। [2017]
उत्तर-
1. महाकाव्य, 2. खण्ड, 3. ओज, 4. कोमल, 5. लक्षणा, 6. व्यंजना, 7. तीन, 8. वर्णिक, 9. विरोधाभास, 10. सन्देह, 11. चार, 12. मुक्तक, 13. अलंकार, 14. निर्वेद।

  • सत्य/असत्य

1. प्रबन्ध काव्य में जीवन का खण्ड चित्रण होता है।
2. पंचवटी एक महाकाव्य है। [2008]
3. ‘साकेत’ मैथिलीशरण गुप्त जी द्वारा रचित एक महाकाव्य है। [2017]
4. शब्द और अर्थ का साक्षात् सम्बन्ध अभिधा कहलाता है।
5. जिस छन्द में मात्राओं की गणना की जाती है, वह मात्रिक छन्द है। [2014]
6. वर्ण, मात्रा, यति, चरण, तुक एवं गण छन्द के अंग होते हैं।
7. जहाँ एक वर्ण की आवृत्ति बार-बार होती है, वहाँ यमक अलंकार होता है। [2015]
8. मन्दाक्रान्ता छन्द में 17 वर्ण होते हैं।
9. ‘रस्सी नहीं साँप है’ में भ्रान्तिमान अलंकार है।
10. स्थायी भाव, संचारी भाव, विभाव और अनुभाव रस के चार अंग हैं। [2008]
11. माधुर्य गुण शृंगार, वात्सल्य और शान्त रस में पाया जाता है। [2008]
12. मुक्तक काव्य में प्रत्येक छन्द अपने आपमें स्वतन्त्र नहीं होता है। [2008]
13. “क्रान्तिधात्रि ! कविते जाग उठ आडम्बर में आग लगा दे।” इस पंक्ति में माधुर्य गुण है। [2008]
14. ‘जुगन-जुगन समझावत हारा कहा न मानत कोई रे।’ इस पंक्ति में अनुप्रास अलंकार [2011]
15. जो भाव मानव हृदय में स्थायी रहते हैं, उन्हें संचारी भाव कहते हैं। [2008, 16]
16. रस को काव्य की आत्मा कहा जाता है। [2008]
17. प्रत्येक रस का एक-एक स्थायी भाव होता है। [2010]
उत्तर-
1. असत्य, 2. असत्य, 3. सत्य,4. सत्य, 5. सत्य, 6. सत्य, 7. असत्य, 8. सत्य, 9. सत्य, 10. सत्य, 11. सत्य, 12. असत्य, 13. असत्य, 14. असत्य, 15. असत्य, 16. सत्य, 17. सत्य।

जोड़ी मिलाइए
I. 1. महाकाव्य [2015] – (क) पण्डितराज जगन्नाथ
2. ‘रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम्’ परिभाषा है – (ख) रामचरितमानस
3. रसात्मकं वाक्यं काव्यम् [2010, 14] – (ग) व्यंजना
4. ‘चिन्मय नाक में दम किए रहता है’ में शब्द-शक्ति है – (घ) आचार्य विश्वनाथ
5. ‘राम का घर गंगा में है’ में शब्द-शक्ति है। – (ङ) माधुर्य लक्षणा
उत्तर-
1.→ (ख),
2. → (क),
3. → (घ),
4. →(ङ),
5. →(ग)।

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II. 1. जहाँ काव्य सुनने से मन पुलकित हो, वहाँ गुण होता है। – (क) वर्णिक छन्द
2. जिस छन्द में वर्गों की गणना की जाती है, उसे कहते हैं। – (ख) घनाक्षरी छन्द
3. जिसमें 32 वर्ण हों तथा 8,8,8,8 पर यति हो उसे कहते हैं – (ग) माधुर्य
4. जिसका अर्थ ‘चिपका हुआ’ [2017] – (घ) सन्देह अलंकार
5. जहाँ समानता से अप्रस्तुत का संशय हो जाय, वहाँ होता है – (ङ) श्लेष
उत्तर-
1. → (ग),
2. → (क),
3. → (ख),
4. → (ङ),
5. → (घ)।

  • एक शब्द /वाक्य में उत्तर

1. विस्तृत कलेवर वाले वाक्य को क्या कहते हैं?
2. जिस काव्य में प्रत्येक पद अपने आप में स्वतंत्र रहता है, उसे क्या कहते हैं? [2016]
3. गद्य-पद्य मिश्रित रचना को क्या नाम दिया गया है?
4. शब्द के प्रचलित अर्थ का बोध कराने वाली शब्द-शक्ति का क्या नाम है?
5. व्यंग्यार्थ को व्यक्त करने वाली शब्द-शक्ति को क्या कहते हैं? [2009]
6. जिस रचना को सुनने से चित्त में उत्तेजना पैदा होती है उसमें कौन-सा गुण होता है?
7. सरल शब्दार्थ का प्रयोग किस गुण में किया जाता है?
8. जहाँ भ्रमवश एक वस्तु में दूसरी की कल्पना की जाये, वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?
9. जब अनिश्चय की स्थिति लगातार बनी रहती है, तो कौन-सा अलंकार होता है? [2016]
10. जिसमें प्रथम दो चरण दोहा के तथा चार चरण रोला के हों वहाँ कौन-सा छन्द होता है?
11. ‘सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है’ में कौन-सा अलंकार है?
12. ‘पतन पाप पाखंड जले’ पंक्ति में कौन-सा अलंकार है? [2012, 14]
13. ‘तरनि तनुजा तट तमाल तरुवर बहु छाये’ पंक्ति में निहित अलंकार का नाम लिखिए। [2013]
14. ‘चारु चन्द्र की चंचल किरणें’ पंक्ति में कौन-सा अलंकार है? [2017]
उत्तर—
1. महाकाव्य, 2. मुक्तक काव्य 3. चम्पू, 4. अभिधा, 5. व्यंजना, 6. ओज, 7. प्रसाद में, 8. भ्रान्तिमान, 9. सन्देह अलंकार, 10. कुण्डलियाँ, 11. सन्देह, 12. अनुप्रास, 13. अनुप्रास, 14. अनुप्रास।

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