MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 17 भगत जी

MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 17 भगत जी (कहानी, रामकुमार ‘भ्रमर’)

भगत जी पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर

भगत जी लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कहानीकार ने भगत जी को किन दुर्बलताओं से ऊँचा कहा है?
उत्तर:
कहानीकार ने भगत जी को मानवोचित दुर्बलताओं से ऊँचा कहा है।

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प्रश्न 2.
भगत जी पढ़े-लिखे लोगों से क्यों अच्छे थे?
उत्तर:
भगत जी पढ़े-लिखे लोगों से अच्छे थे, क्योंकि वे उनसे अधिक समझदारी और बुद्धिमानी से बात करते थे।

प्रश्न 3.
कुंभाराम, भगत जी को नास्तिक क्यों समझता था?
उत्तर:
कुंभाराम के साथ भगत जी मन्दिर नहीं गए थे। इसलिए वह उन्हें नास्तिक समझता था।

प्रश्न 4.
भगत जी मन्दिर क्यों नहीं गए थे?
उत्तर:
भगत जी को बीमार दीना की दवा लेने शहर जाना था। इसलिए वे मन्दिर नहीं गए।

प्रश्न 5.
कहानी का शीर्षक ‘भगत जी’ क्यों रखा गया है?
उत्तर:
कहानी का शीर्षक ‘भगत जी’ रखा गया है। वह इसलिए कि इसमें भगत जी के ही चरित्र को उभारा गया है।

भगत जी दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भगत जी का गाँववालों के साथ किस तरह का व्यवहार था?
उत्तर:
भगत जी का गाँववालों के साथ अपनापन, आत्मीय, भाईचारा, सहानुभूति, सदाशयता और मानवीयता का व्यवहार था।

प्रश्न 2.
भगत जी का नाम भगत जी क्यों पड़ा?
उत्तर:
भगत जी.का नाम भगत जी पड़ा। यह इसलिए कि वे नाम के भगत जी नहीं, बल्कि इन्सानियत के भगत थे।

प्रश्न 3.
मानव-सेवा ही सच्ची ईश्वर-सेवा है। ‘कथावस्तु के आधार पर स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:
‘मानवीय-सेवा’ ईश्वर की सच्ची सेवा है। ऐसा इसलिए कि ईश्वर दीन-दुखियों की सेवा और सहायता करने से प्रसन्न होता है। उसे दिखावटी पूजा-पाठ पसन्द नहीं। उसे यह तो कतई पसन्द नहीं कि दीन-दुखियों की सहायता और सेवा न करके कोई उसकी पूजा-भक्ति करे। ऐसा इसलिए कि इस तरह की पूजा-भक्ति सच्ची नहीं कही जा सकती है। इसके विपरीत मानव-सेवा करना ईश्वर सेवा है। इससे चारों ओर सुख और शान्ति होती है।

प्रश्न 4.
भगत जी के चरित्र की कौन-कौन-सी विशेषताएँ थीं?
उत्तर:
भगत जी के चरित्र की कई विशेषताएँ थीं ; जैसे-मानवीयता, सदाशयतापरोपकारिता, आत्मीयता, सरलता, निष्कपटता, कर्मठता, कर्तव्यपरायणता-सहनशीलता निराभिमानी आदि।

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प्रश्न 5.
कुंभाराम स्वयं को आस्तिक क्यों मानता था?
उत्तर:
कुंभाराम स्वयं को आस्तिक मानता था। यह इसलिए कि –

  1. उसने मन्दिर बनवा दिया था।
  2. वह रोज स्नान करके मन्दिर जाता था और रास्ते में चिल्ला-चिल्लाकर श्लोक पढ़ता जाता था।
  3. उसने अपने गले में तुलसी, रुद्राक्ष और अनेक मालाएँ डाल रखी थीं। 4. उसने अपने माथे पर त्रिपुंड लगा रखी थी।

भगत जी भाव विस्तार/पल्लवन

प्रश्न 1.

  1. पतझर के बूढ़े पेड़ की तरह कृशकाय।
  2. बसन्त के पहले दिन जैसे खिलती लजीली मुस्कान।
  3. अटकी पर कौन भगत नहीं हो जाता।

उत्तर:

1. पतझर से पेड़-पौधों के रूप फीके पड़ जाते हैं। उनका स्वरूप खोखला और शक्तिहीन दिखाई देने लगता है। उन्हें देखने से लगता है कि उनके बचपन और जवानी के दिन बीत गए हैं। अब वे वृद्धावस्था में आ गए हैं। फलस्वरूप उनमें कोई आकर्षण और सौन्दर्य नहीं रह गया है।

2. बसन्त को ऋतुराज भी कहा जाता हैं। इसका अर्थ है-ऋतुओं का राजा। बसन्त के आते ही मौसम सुहावना होने लगता है। धूप मधुर और सरसता में डूबकी लगाने लगती है। वह खिलती हुई युवती की तरह अपने आकर्षण को बढ़ाने लगती है। उसे देखने से ऐसा लगता है मानो कोई सुन्दर युवती लज्जा से भरी हुई मधुर मुस्कान बिखेर रही है।

3. सच्चा भगत बनना आसान नहीं है। यह इसलिए कि इसमें ऐसी-ऐसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जो कभी किसी को भी विचलित कर देने वाली होती हैं। लेकिन जो सच्चा भगत होता है, वह किसी भी कठिनाई का सामना करते हुए अपने जीवनोद्देश्य पर निरन्तर बढ़ता चला जाता है। इस प्रकार कहने-सुनने में भगत बनना तो आसान है। लेकिन होना वास्तव में इतना ही कठिन है। जीवन की उलझनों और जीवन के दायित्वों से पीछा छुड़ाते के लिए तो लोग भगत बन जाते हैं। यह किसी के लिए आसान है।

भगत जी भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित लोकोक्ति/मुह्मवरों का अर्थ लिखकर वाक्य बनाओ –
आग की तरह भभक उठना, शर्म से सिर झुकाना, आगे नाथ न पीछे पगहा।
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 17 भगत जी img-1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों से प्रत्यय अलग करो –
दानवता, भोलापन, मानवता, समझदारी, गहराई, मानसिक।
उत्तर:
MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 17 भगत जी img-2

प्रश्न 3.
पाठ में आए देशज शब्दों को छाँटकर उनके मानक रूप लिखिए।
उत्तर;
MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 17 भगत जी img-3

प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध रूप में लिखिए।

  1. भगतजी दुर्बलताओं से मनावोचित उठे हुए थे।
  2. भगत जी सबिमझदार बुद्धिमतीपूर्ण बातें करते हैं।
  3. भगत जी ने एक गाय पाल रखी है।
  4. पश्चाताप और ग्लानि से उसका अवरुद्ध कण्ठ रुद्ध हो गया।

उत्तर:

  1. भगत जी मानवोचित दुर्बलताओं से उठे हुए थे।
  2. भगत जी समझदारी और बुद्धिमत्तापूर्ण बातें करते हैं।
  3. भगत जी ने एक गाय पाल रखी है।
  4. पश्चाताप और ग्लानि से उसका कण्ठ अवरुद्ध हो गया।

भगत जी योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
कहानी का नाट्य रूपांतरण कर वार्षिक उत्सव में अभिनय करें।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्न छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल कर।

प्रश्न 2.
आपके आस-पास के वातावरण से कहानी के प्रमुख पात्र के व्यक्तित्व का व्यक्ति खोजिए, और उसके चरित्र की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्न छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल कर।

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प्रश्न 3.
अपने क्षेत्र में प्रचलित कहावतों को संगृहीत कर उसे सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्न छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल कर।

भगत जी परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

भगत जी लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भगत जी का किसमें अगला नाम है?
उत्तर:
भगत जी का सौ फीसदी गौतम, गाँधी की लिस्ट’ में अगला नाम है।

प्रश्न 2.
भगत जी को क्या चाह है?
उत्तर:
भगत जी को चाह है-खिले गुलाब की नाजुक पंखुड़ियों जैसे हँसते-खेलते बच्चों की।

प्रश्न 3.
भगत जी किससे परेशान रहे?
उत्तर:
भगत जी से जब कुंभाराम ने मन्दिर चलने के लिए कहा, तो उसके उत्तर में उन्होंने कहा था-मैंने कौन पाप किए हैं? वे अपनी इस बात के व्यंग्य नहीं समझ पाने से कई दिनों तक परेशान रहे।

प्रश्न 4.
कुंभाराम के नास्तिक कहने पर भगत जी ने क्या कहा?
उत्तर:
कुंभाराम के नास्तिक कहने पर भगतजी ने उससे कहा-“तुम मुझे नास्तिक इसलिए समझते हो, कुंभाराम कि तुम्हारी तरह मेरे माथे पर चंदन और गले में मालाएँ नहीं हैं। करें।

भगत जी दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भगत जी की चाह और उत्कण्ठा क्या है और क्यों?
उत्तर:
भगत जी की चाह है, खिले गुलाब की नाजुक पंखुड़ियाँ जैसे हँसते-खेलते बच्चों की। गाँव की नदी और बदरंग बस्ती में काले और बदरंग बच्चों के बीच रहने की। उन्हें उत्कण्ठा है-हरी-भरी लहलहाती धरती की शान्ति की। यह सब इसलिए कि वे उनमें उतने ही खुश हैं, जितना खुश भोर का सूरज दिखाई देता है।

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प्रश्न 2.
भगत जी कुंभाराम के कहने पर मन्दिर जाने में क्यों असमर्थ थे?
उत्तर:
भगत जी कुंभाराम के कहने पर मन्दिर जाने में असमर्थ थे। यह इसलिए कि उस समय उनके हाथ में केवल दूध का एक गिलास था। वे उसे मन्नू के घर देने जा रहे थे। उसका बच्चा बीमार था। वह अपनी गरीबी के कारण बच्चे को दूध नहीं पिला सकता था। उस दिन उन्हें दीना की दवा लेने ईक्कीस मील चलकर शहर भी जाना था। अगर वे नहीं जाते तो शायद दीना मर जाता। फिर उसके बाल-बच्चों का क्या होता!

प्रश्न 3.
‘भगत जी’ कहानी के केन्द्रीय भावों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रामकुमार ‘भ्रमर’-लिखित ‘भगत जी’ कहानी मानवता के विस्तार एवं प्रसार की कहानी है, जिसमें भगत जी के जीवन के माध्यम से मानव-मूल्यों को स्थापित किया गया है। भगत जी का चरित्र साधारणता में असाधारणता का बोध कराता है जिसमें आत्मीयता के साथ मानवीयता जीवित है। रचनाकार ने रोचक एवं सटीक शब्दों में भगतजी के व्यक्तित्व, कार्य व्यवहार एवं सदाशयता की चर्चा की है। भगत जी इन्सानियत की कीमत पर मान-मर्यादा की चिन्ता नहीं करते, उन्हें ज्ञानी होने का दर्प नहीं, सबके दुख को अपना दुःख मानकर पीड़ा का अनुभव करना वह अपना कर्त्तव्य समझते हैं। वे दीन-दुखी की दवा लेने इक्कीस मील चलकर शहर जाते हैं। कहानी में वे नाम के भगत जी नहीं वरन इन्सानियत के भगत दिखाई देते हैं।

भगत जी लेखक परिचय

प्रश्न 1.
राम कुमार ‘भ्रमर’ का संक्षित जीवन-परिचय देते हुए उनके साहित्य के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय:
श्री रामकुमार ‘भ्रमर’ का जन्म मध्य-प्रदेश के ग्वालियर जिले में 2.फरवरी, 1938.को हुआ था। आरंभिक शिक्षा समाप्ति के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त कर वे लेखन के क्षेत्र में कूद पड़े। आरंभ में उन्होंने पत्रकारिता लेखन में अपने को लगाया। इसके बाद 1969 से. उन्होंने स्वतंत्र लेखन के क्षेत्र में प्रवेश किया।

रचनाएं:
‘भ्रमर’ जी ऐसे रचनाकार हैं जिन्होंने गद्य की प्रायः सभी विधाओं में लिखा है-कहानी, उपन्यास, नाटक, व्यंग्य संस्मरण, रेखाचित्र आदि। परन्तु इसमें उनका कथाकार का रूप प्रधानं है। ‘भ्रमर’ जी ने महाभारत तथा श्रीकृष्ण के जीवन को अपने साहित्य-सृजन का विषय बनाया जो क्रमशः 12 तथा 10 खण्डीय उपन्यासों के रूप में प्रकाशित हुए हैं। भ्रमर जी की अन्य प्रमुख रचनाएँ कच्ची-पक्की दीवारें, सेतुकथा, फौलाद का आदमी आदि हैं। ..

महत्त्व:
‘भ्रमर’ जी की रचनाएं बहुमुखी हैं। उनमें राष्ट्रीयता के साथ सांस्कृतिक, सामाजिक और मानवता के स्वर प्रखर रूप में हैं। उनमें आधुनिक मूल्यों के साथ-साथ अतीत कालीन मूल्यों को व्याख्यायित करने की पूरी क्षमता दिखाई देती है। अपनी असाधारण साहित्यिक देन के फलस्वरूप उन्हें अनेक प्रकार से पुरस्कृत और सम्मानित किया गया है। उन्हें उत्तर-प्रदेश शासन द्वारा लगातार दो बार ‘अखिल भारतीय प्रेमचन्द पुरस्कार’ प्रदान किया गया है। उनकी अनेक-अनेक कहानियों और उपन्यासों पर कई फिल्में बन चुकी हैं। इसी प्रकार कई प्रकार के धारावाहिक भी समय-समय पर प्रसारित किए जा चुके हैं। संक्षेप में हम यह कह सकते हैं कि ‘भ्रमर’ जी हिन्दी साहित्य के अधिक सम्मानित व प्रतिष्ठित रचनाकार हैं।

भगत जी पाठ का सारांश

प्रश्न 1.
रामकुमार ‘भ्रमर’ लिखित कहानी ‘भगत’ जी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
रामकुमारं ‘भ्रमर’ लिखित कहानी ‘भगत जी’ मानवता को चित्रित करने वाली एक सामाजिक कहानी है। इस कहानी का सारांश इस प्रकार है –

भगत जी गाँधी, गौतम या ईसा मसीह की तरह घर-घर के आदर्श चित्र तो नहीं थे, फिर भी उनका नाम और महत्त्व अपने आस-पास में कम नहीं था। वे चमत्कारी पैगम्बर न होकर मानवता के जीते-जागते प्रमाण थे। इस प्रकार वे न अधिक शिक्षित थे और न कोई महान लेखक ही। फिर भी काफी विद्वान और समझदार थे। वे नेता-अभिनेता तो नहीं थे लेकिन धरती और धरती के धन बच्चे उन्हें बेहद प्रिय थे। इस प्रकार के अद्भुत गुणों के कारण वे भगत जी के नाम से प्रसिद्ध हो गए। कुंभाराम ठेकेदार ने गाँव में एक मन्दिर और धर्मशाला बनवाया था।

वह स्नान करके मन्दिर जाते समय नारे लगा रहे सत्तारूढ़ दल के विरोधियों की तरह जोर-जोर से श्लोक पढ़ता था। एक दिन भगत जी को सामने देखा तो उसने उन्हें मन्दिर चलने के लिए कहा। भगत जी ने कहा, “मैंने कौन पाप किए हैं?” लेकिन वे अपनी इस बात के व्यंग्य नहीं समझ पाए। कुंभाराम की नाराजगी को दूर करने के लिए उन्होंने उससे बात की तो उसने कह दिया कि वे नास्तिक हैं। भगत जी ने उसे समझाया कि वे उसे इसलिए नास्तिक लग रहे हैं कि उसकी तरह उनके माथे पर चन्दन और गले में मालाएँ नहीं हैं। इसे सुनकर उसने उन्हें वहाँ से चले जाने के लिए कहा तो उन्होंने उसे मनाने की कोशिश की।

फिर उसके पूछने पर उन्होंने उसे बतलाया कि वे उस दिन मन्दिर जाने के लिए इसलिए मना किए थे कि उन्हें गरीब दीना की दवा लेने इक्कीस मील चलकर शहर जाना था। अगर वह मर जाता तो उसके बाल-बच्चों का क्या होता। इक्कीस मील पैदल की ही तो बात थी। इसे सुनकर कुंभाराम बहुत लज्जित हुआ। उसे लगा कि वह मन्दिर पहुँचकर। ईश्वर की मूरत की जगह भगत जी को देख रहा है। पश्चाताप और ग्लानि से वह कुछ नहीं बोल पाया। उधर भगत जी उससे कह रहे थे-“तुम मेरे मन्दिर न जाने पर नाराज हो गए? चलो, मैं अभी मन्दिर चलता हूँ। चलो न।” उन्होंने कुंभाराम का हाथ पकड़कर खींचा, लेकिन वह तो बुत की तरह चुप था।

भगत जी संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या

प्रश्न 1.
भगत जी न तो अधिक पढ़े थे, न उन्होंने कोई पुस्तक ही लिखी और न उन्होंने मानवता और दानवता की फिलासफी पर किसी चौराहे पर कोई लेक्चर ही दिया। इसके बावजूद भगत जी कई पढ़े-लिखे लोगों से अच्छे हैं, और अन्य लोगों से अधिक समझदारी और बुद्धिमत्तापूर्ण बातें करते हैं।

शब्दार्थ:

  • फिलासफी – दर्शनशास्त्र।
  • लेक्चर – भाषण।

प्रसंग:
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी सामान्य भाग-1’ में संकलित और श्री रामकुमार ‘भ्रमर’-लिखित कहानी ‘भगत जी’ से उद्धृत है। इसमें लेखक ने कहानी के सर्वमुख पात्र भगत जी का महत्त्वांकन करते हुए कहा है कि –

व्याख्या:
भगत जी की अनेक विशेषताएँ थीं। वे देखने में साधारण होते हुए भी असाधारण थे। उन्होंने कोई उच्च स्तरीय शिक्षा नहीं प्राप्त की। उन्होंने कोई पुस्तकीय लेखन-कार्य नहीं किया। यह भी कि वे बहुत बड़े दार्शनिक और विचारक भी नहीं थे। फलस्वरूप उन्होंने बड़ी-बड़ी सभाओं में किसी प्रकार के दार्शनिक या सामाजिक-धार्मिक ही कोई विचार व्यक्त किए थे। ऐसा होने के बावजूद भगत जी किसी प्रकार के शिक्षित लोगों से महान और श्रेष्ठ थे। यही नहीं, उनमें समझदारी, बुद्धिमानी और दुनियादारी अनुमान से कहीं अधिक बढ़कर थी।

विशेष:

  1. भगत जी की असाधारण विशेषताओं का उल्लेख किया गया है।
  2. प्रचलित तत्सम और अंग्रेजी के प्रचलित शब्द हैं।
  3. शैली वर्णनात्मक है।
  4. यह अंश प्रेरक रूप में है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर
प्रश्न.

  1. भगत जी की क्या विशेषता है?
  2. भगतजी औरों से क्यों श्रेष्ठ हैं?

उत्तर:

  1. भगत जी अशिक्षित होने के बावजूद अधिक ज्ञानी थे।
  2. भगत जी औरों से कहीं अधिक व्यावहारिक हैं?

गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न (i)
भगत की उपर्युक्त विशेषताएँ किस प्रकार की हैं?
उत्तर:
भगत जी की उपर्युक्त विशेषताएँ प्रेरक रूप में हैं।

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प्रश्न 2.
कुंभाराम का सिर शर्म से झुक गया। उसे लगा कि वह मन्दिर में पहुँच गया है और ईश्वर की मूरत की जगह भगत जी को देख रहा है। पश्चाताप और ग्लानि से उसका कण्ठ अवरुद्ध हो गया। भगत जी कहे जा रहे थे, “तुम मेरे मन्दिर न जाने पर नाराज हो गए? चलो, मैं अभी मन्दिर चलता हूँ। चलो न!” उन्होंने कुंभाराम का हाथ पकड़कर खींचा, पर कुंभाराम बुत की तरह मौन था।

शब्दार्थ:

  • मूरत – मूर्ति।
  • ग्लानि – दुख।
  • अवरुद्ध – रुकना।
  • बुत – प्रतिमा, मूर्ति।

प्रसंग:
पूर्ववत। इसमें उस समय का उल्लेख किया गया है। जब भगत जी ने कुंभाराम से मन्दिर न जाने का कारण बतलाया। उससे चकित हुए कुंभाराम की दशा का चित्रांकन करते हुए लेखक ने कहा है कि –

व्याख्या:
मन्दिर न जाने का कारण जब भगत जी ने कुंभाराम को बतलाया तो उसने हैरान होते हुए कहा कि इतनी ठण्ड में वे दीना की दवा लेने इक्कीस मील चलकर शहर गए। उसे सुनकर भगत जी ने मुस्कराते हुए उससे कहा कि क्या हुआ? अरे, अगर दीना मर जाता तो उसके बाल-बच्चों का क्या होता? इक्कीस मील पैदल की ही तो बात थी। भगत जी की उन बातों को सुनकर कुंभाराम बहुत लज्जित हुआ। उसे उस समय यह अनुभव हुआ कि वह और कहीं नहीं, अपितु मन्दिर में ही खड़ा है और मन्दिर में वह भगवान की मूर्ति को नहीं; अपितु उनके स्थान पर भगत जी के ही दर्शन कर रहा है।

इससे उसे बहुत बड़ा पश्चाताप हुआ और ग्लानि भी। इससे उसका कण्ठ न खुल सका। दूसरी ओर भगत जी अपने पवित्र भावों में बहे जा रहे थे और कहे जा रहे थे कि वह उनके मन्दिर न जाने से नाराज हो गया है, तो कोई चिन्ता की बात नहीं। उसकी नाराजगी दूर करने के लिए वे अभी उसके साथ मन्दिर चलने के लिए तैयार हैं। इसलिए वह अब देर न करे। अभी-अभी वह उनके साथ चले। इस प्रकार भावुक होकर के भगत जी ने कुंभाराम का हाथ पकड़ तो लिया था लेकिन कुंभाराम मूर्ति की तरह चुपचाप रहा।

विशेष:

  1. भाषा में प्रवाह है।
  2. सम्पूर्ण कथन मर्मस्पर्शी है।
  3. भक्ति रस का प्रवाह है।
  4. भावात्मक और चित्रात्मक शैली है।
  5. बुत से कुंभाराम की उपमा दिए जाने से उपमा अलंकार है।
  6. वह अंश प्रेरक रूप में है।

गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर .
प्रश्न

  1. कुंभाराम का सिर शर्म से क्यों झुक गया?
  2. वह भगत जी को ईश्वर की मूर्ति के रूप में क्यों देख रहा था?

उत्तर:

  1. कुंभाराम का सिर शर्म से झुक गया। यह इसलिए कि वह भगत जी की मानवता और परोपकारिता के अद्भुत गुणों से अनजान था। वह उन्हें केवल नास्तिक समझता था और अपना विरोधी।
  2. वह भगत जी को ईश्वर की मूर्ति के रूप में देख रहा था। यह इसलिए कि वह एक ऐसे महान आत्मा के रूप में दिखाई दे रहे थे, जो ईश्वर के बहुत करीब पहुँच चुकी है।

गद्यांश पर आधारित बोधात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न

  1. कुंभाराम बुत की तरह क्यों मौन था?
  2. उपर्युक्त गद्यांश से भगत जी का कौन-सा चरित्र उभरकर आया है?

उत्तर:

1. कुंभाराम बुत की तरह मौन था। यह इसलिए कि वह भगत जी के मानवीय गुणों को न पहचान उन्हें हेय और नास्तिक समझ लिया था। जब उनके मानवीय गुण-चरित्र से वह परिचित हुआ, तब उसे भारी पश्चाताप और ग्लानि हुई। इससे उसकी बोलती बन्द हो गई।

2. उपर्युक्त गद्यांश से भगत जी का आत्मीय और मानवीय चरित्र उभरकर आया है।

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