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MP Board Class 11th Biology Solutions Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन
कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन NCERT प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
स्तनधारियों की कोशिकाओं की औसत कोशिका-चक्र अवधि कितनी होती है ?
उत्तर:
स्तनधारियों की कोशिकाओं की औसत कोशिका-चक्र की अवधि 24-25 घण्टे होती है।
प्रश्न 2.
जीवद्रव्य विभाजन व केन्द्रक विभाजन में क्या अंतर है ?
उत्तर:
जीवद्रव्य विभाजन (Cytokinesis) में कोशिका-द्रव्य का विभाजन होता है जबकि केन्द्रक विभाजन (Karyokinesis) में कोशिका के केन्द्रक का विभाजन होता है।
प्रश्न 3.
अंतरावस्था में होने वाली घटनाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अंतरावस्था(इण्टरफेज) दो विभाजनों के बीच की अवस्था है, जिसमें निम्नलिखित तीन अवस्थाएँ पायी जाती हैं –
(i)G1फेज-इस अवस्था में प्रोटीन एवं RNA का संश्लेषण किया जाता है।
(ii) S फेज-इस अवस्था में DNA एवं हिस्टोन प्रोटीन का संश्लेषण होता है।
(ii) G2फेज-इस अवस्था में आवश्यक प्रोटीन तथा RNA का संश्लेषण किया जाता है तथा विभिन्न कोशिकांगों का निर्माण होता है।
प्रश्न 4.
कोशिका-चक्र की G0(प्रशांत अवस्था) क्या है ?
उत्तर:
वे कोशिकाएँ जो आगे विभाजित नहीं होती हैं तथा निष्क्रिय अवस्था में पहुँचती हैं, जिसे कोशिका, चक्र की प्रशांत अवस्था (G0) कहा जाता है। इस अवस्था की कोशिका उपापचयी रूप से सक्रिय होती है, लेकिन विभाजित नहीं होती, इनमें विभाजन जीव की आवश्यकता के अनुसार होता है।
प्रश्न 5.
सूत्री विभाजन को सम-विभाजन क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
सूत्री विभाजन को सम-विभाजन कहा जाता है, क्योंकि विभाजन के अंत में दो ऐसी कोशिकाएँ बनती हैं जिसमें गुणसूत्रों की संख्या जनक कोशिका के बराबर होती है।
इस विभाजन में जनक कोशिका के आनुवंशिक गुण पुत्री कोशिका में पहुँचते हैं । अतः इस विभाजन से आनुवंशिक समानता बनी रहती है।
प्रश्न 6.
कोशिका-चक्र की उस अवस्था का नाम बताइए, जिसमें निम्न घटनाएँ सम्पन्न होती हैं –
- गुणसूत्र तर्कु मध्य रेखा की ओर गति करते हैं।
- गुणसूत्र बिंदु का टूटना व अर्द्धगुणसूत्र का पृथक् होना।
- समजात गुणसूत्रों का आपस में युग्मन होना।
- समजात गुणसूत्रों के बीच विनिमय का होना।
उत्तर:
- मध्यावस्था (Metaphase)
- पश्चावस्था (Anaphase)
- अर्धसूत्री विभाजन-I (Meiosis-I) की युग्मपट्ट (Zygotene) अवस्था
- पैकीटीन (Pachytene) अवस्था।
प्रश्न 7.
निम्न के बारे में वर्णन कीजिए –
- सूत्रयुग्मन
- युगली
- काएज्मेटा।
उत्तर:
1. सूत्रयुग्मन (Synapsis):
कोशिका विभाजन की जायगोटीन अवस्था में समजात गुणसूत्रों के जोड़ा बनाने की प्रक्रिया को सूत्रयुग्मन या अन्तर्ग्रथन या सिनैप्सिस कहते हैं। सिनैप्सिस बनाने वाले गुणसूत्र अलग – अलग जनकों के होते हैं।
2. युगली (Bivalent):
जाइगोटीन अवस्था में समजात गुणसूत्रों द्वारा युग्मन करके सिनैप्सिस का निर्माण करने वाले गुणसूत्रों को बाइवैलेण्ट या डायड कहते हैं, क्योंकि उस समय गुणसूत्र दो की संख्या में दिखाई देते हैं।
3. काएज्मेटा (Chaismata):
अर्द्धसूत्री विभाजन के प्रोफेज-I के पैकीटीन अवस्था में समजात गुणसूत्रों के युग्मन के समय अर्द्ध गुणसूत्र जिस स्थान पर एक-दूसरे को स्पर्श कर जीन विनिमय करते हैं, वह स्थान डिप्लोटीन अवस्था में गुणसूत्रों के विलगाव (Terminalization) के क्रम में ‘X’ आकृतिकी संरचनाओं के रूप में परिलक्षित होता है, जिसे किएज्मेटा (Chiasmata) कहते हैं।
प्रश्न 8.
पादप व प्राणी कोशिका के कोशिकाद्रव्य विभाजन में क्या अंतर है ?
उत्तर:
कोशिका द्रव्य विभाजन-कोशिका विभाजन के समय केन्द्रक विभाजन के बाद कोशिकाद्रव्य विभाजन को साइटोकाइनेसिस या कोशिकाद्रव्य विभाजन कहते हैं, यह पादप एवं प्राणियों में दो अलग-अलग विधियों द्वारा होता है –
(a) कोशिका खाँच द्वारा इस कोशिकाद्रव्य विभाजन में कोशिका के मध्य में एक खाँच बनती है, जो बढ़कर कोशिका के कोशिकाद्रव्य को दो भागों में बाँट देती है। प्रत्येक भाग में एक केन्द्रक होता है, जन्तुओं में इसी प्रकार का विभाजन पाया जाता है।
(b) कोशिका प्लेट द्वारा इस कोशिकाद्रव्य विभाजन में कोशिका के मध्य गॉल्गीकाय तथा E.R. एकत्रित होकर एक पट बना देते हैं जो बाद में कोशिका भित्ति बन जाती है और कोशिका को दो भागों में बाँट देती हैं। प्रत्येक भाग में एक केन्द्रक होता है। यह विभाजन पादप कोशिकाओं में पाया जाता है।
प्रश्न 9.
अर्द्धसूत्री विभाजन के बाद बनने वाली चार संतति कोशिकाएँ कहाँ आकार में समान व कहाँ भिन्न आकार की होती हैं ?
उत्तर:
अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis) के बाद बनने वाली चार संतति कोशिकाएँ (daughter cells) अर्द्धसूत्री विभाजन II (Meiosis-II) के अंत्यावस्था II (Telophase-II) के अंत में आकार में कहीं पर समान और कहीं पर असमान होती हैं।
प्रश्न 10.
सूत्री विभाजन की पश्चावस्था तथा अर्द्धसूत्री विभाजन की पश्चावस्था-I में क्या अंतर है ?
उत्तर:
सूत्री विभाजन एवं अर्द्धसूत्री विभाजन की पश्चावस्था-I में अंतर –
1. सूत्री विभाजन (Mitosis division):
इसमें एक गुणसूत्र का एक अर्द्ध-गुणसूत्र। एक ध्रुव की ओर तथा दूसरा, दूसरे ध्रुव की ओर चला जाता है।
2. अर्द्धसूत्री विभाजन (Meiosis division):
इसमें एनाफेज-I में पूरा गुणसूत्र ध्रुवों की ओर जाता है, जबकि ऐनाफेज-II में गति समसूत्री ऐनाफेज के समान होती हैं।
प्रश्न 11.
सूत्री एवं अर्द्धसूत्री विभाजन में प्रमुख अंतरों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
दोनों ही कोशिका विभाजनों में कोशिकाओं की संख्या बढ़ती है तथा दोनों में गुणसूत्रों का विभाजन होता है। इन समानताओं के बावजूद दोनों विभाजनों में निम्नलिखित अन्तर पाये जाते हैं –
प्रश्न 12.
अर्द्धसूत्री विभाजन का क्या महत्व है?
उत्तर:
अर्द्धसूत्री विभाजन का महत्व –
- इसके कारण पीढ़ी-दर-पीढ़ी कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या एक समान बनी रहती है।
- इस विभाजन के कारण जनक के समान ही कोशिकाएँ पैदा होती हैं।
- इस विभाजन में जीन विनिमय होने के कारण यह नये गुणों के बनने में सहायता करता है।
- इसके कारण विभिन्नता पैदा होती है, जो जैव विकास के लिए आवश्यक है।
- इसके कारण एक द्विगुणित कोशिका से चार अगुणित कोशिकाएँ बनती हैं।
प्रश्न 13.
अपने शिक्षक के साथ निम्न के बारे में चर्चा कीजिए –
- अगुणित कीटों व निम्न श्रेणी के पादपों में कोशिका विभाजन कहाँ संपन्न होती है ?
- उच्च श्रेणी के पादपों की कुछ अगुणित कोशिकाओं में कोशिका विभाजन कहाँ नहीं होता है?
उत्तर:
1. निम्न श्रेणी के पादपों (क्लैमाइडोमोनास, स्पाइरोगायरा) में अगुणित बीज (Spores) युग्मकोद्भिद (Gametophyte) के निर्माण की प्रक्रिया में समसूत्री (Mitotic) कोशिका विभाजन पाया जाता है। जबकि अर्द्धसूत्री (Meiotic) विभाजन, इनके युग्मनज (Zygote) में अगुणित बीजाणु (Spores) के निर्माण के समय होता है।
2. उच्च श्रेणी के पादपों (Angiospores) में बीजाण्ड (Ovule) के भ्रूणपोष (Embryo sac) में पाये जाने वाले सखि (Synergids) एवं प्रतिध्रुवीय कोशिकाओं (Antipodal cell) में कोई भी कोशिका विभाजन नहीं पाया जाता है। अंत में ये कोशिकाएँ नष्ट हो जाती हैं।
प्रश्न 14.
क्या S – अवस्था में बिना डी. एन. ए. प्रतिकृति के सूत्री विभाजन हो सकता है ?
उत्तर:
नहीं, S प्रावस्था में बिना डी. एन. ए. प्रतिकृति (DNA replication) के सूत्री विभाजन संभव नहीं है। सूत्री विभाजन के लिए डी. एन. ए. की मात्रा का दुगुना होना आवश्यक है।
प्रश्न 15.
क्या बिना कोशिका विभाजन के डी. एन. ए. प्रतिकृति हो सकती है?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि कोशिका विभाजन के दौरान ही डी. एन. ए. प्रतिकृति व कोशिका वृद्धि होती है।
प्रश्न 16.
कोशिका विभाजन की प्रत्येक अवस्थाओं के दौरान होने वाली घटनाओं का विश्लेषण कीजिए और ध्यान दीजिए कि निम्नलिखित दो प्राचलों में कैसे परिवर्तन होता है –
- प्रत्येक कोशिका की गुणसूत्र संख्या (N)
- प्रत्येक कोशिका में DNA की मात्रा (C)।
उत्तर:
1. किसी भी जीव में कोशिका विभाजन की पूर्वावस्था (Prophase), मध्यावस्था (Metaphase) एवं पश्चावस्था (Anaphase) में गुणसूत्र की संख्या (N) दुगुनी हो जाती है। अंत्यावस्था (Telophase) में पुत्री कोशिकाओं (Daughter cell) के निर्माण के समय गुणसूत्रों की संख्या (N) आधी हो जाती है।
2. कोशिका विभाजन के दौरान विभिन्न अवस्थाओं में प्रत्येक कोशिका में DNA की मात्रा (C) में परिवर्तन होता है। कोशिका की पूर्वावस्था, मध्यावस्था एवं पश्चावस्था में DNA की मात्रा (C) दुगुनी होती है, लेकिन अंत्यावस्था में पुत्री कोशिका के निर्माण के समय इनकी मात्रा आधी हो जाती है।
कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
सही विकल्प का चयन कीजिए –
1. किएज्मेटा निर्मित होते हैं –
(a) डिप्लोटीन अवस्था में
(b) लेप्टोटीन अवस्था में
(c) पैकीटीन अवस्था में
(d) डाइकाइनेसिस अवस्था में।
उत्तर:
(c) पैकीटीन अवस्था में
2. सूत्री विभाजन में गुणसूत्रों का द्विगुणन होता है –
(a) प्रारम्भिक पूर्वावस्था में
(b) पश्च पूर्वावस्था में
(c) विभाजनान्तराल अवस्था में
(d) पश्च अन्त्यावस्था में।
उत्तर:
(b) पश्च पूर्वावस्था में
3. अर्द्धसूत्री विभाजन की प्रथम मध्यावस्था में सेण्ट्रोमियर –
(a) विभाजित होते हैं
(b) विभाजित नहीं होते
(c) विभाजित होकर पृथक् नहीं होते
(d) समान नहीं होते।
उत्तर:
(c) विभाजित होकर पृथक् नहीं होते
4. गुणसूत्र का वह भाग जहाँ पर गुणसूत्र विनिमय होता है उसे कहते हैं –
(a) क्रोमोमियर्स
(b) बाइवैलेन्ट
(c) किएज्मेटा
(d) सेण्ट्रोमियर।
उत्तर:
(c) किएज्मेटा
5. गुणसूत्रों की संख्या कब आधी हो जाती है –
(a) प्रोफेज-I
(b) ऐनाफेज-I
(c) मेटाफेज-I
(d) मेटाफेज-II.
उत्तर:
(b) ऐनाफेज-I
6. अर्द्धसूत्री विभाजन किसमें होता है –
(a) परागकण
(b) परागनलिका
(c) पराग मातृ कोशिका
(d) जनन कोशिका।
उत्तर:
(c) पराग मातृ कोशिका
7. तर्क तन्तु किसके बने होते हैं –
(a) प्रोटीन
(b) लिपिड
(c) सेल्यूलोज
(d) पेक्टिन।
उत्तर:
(a) प्रोटीन
8. युग्मन के समय गुणसूत्रों के मध्य युग्मन होता है –
(a) समान गुणसूत्रों के मध्य
(b) समजात गुणसूत्रों के मध्य
(c) विषमजात गुणसूत्रों में
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) समजात गुणसूत्रों के मध्य
9. क्रोमोसोम्स का द्विगुणन किस अवस्था में होता है –
(a) S अवस्था
(b) G अवस्था
(c) G2अवस्था
(d) M अवस्था।
उत्तर:
(a) S अवस्था
10. किस प्रकार के कोशिका विभाजन में गुणसूत्रों की संख्या में कमी होती है –
(a) मियोसिस
(b) माइटोसिस
(c) द्विविभाजन
(d) विदलन।
उत्तर:
(a) मियोसिस
11. माइटोसिस के समय कोशिका का कौन-सा अंगक लुप्त हो जाता है –
(a) प्लास्टिड
(b) प्लाज्मा झिल्ली
(c) केन्द्रिका
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) केन्द्रिका
12. समजात गुणसूत्रों की एक जोड़ी में चार क्रोमैटिड किस अवस्था में पाई जाती है –
(a) डिप्लोटिन
(b) पैकीटिन
(c) जाइगोटीन
(d) डायकाइनेसिस।
उत्तर:
(b) पैकीटिन
13. किएज्मेटा किसके स्थान को दर्शाते हैं –
(a) सिनैप्सिस
(b) डिस्जंक्शन
(c) क्रॉसिंग ओवर
(d) टर्मिनेलाइजेशन।
उत्तर:
(c) क्रॉसिंग ओवर
14. लैंगिक जनन में कोशिका विभाजन किस प्रकार का होता है –
(a) एमाइटोटिक
(b) माइटोटिक
(c) मियोटिक
(d) मियोटिक एवं माइटोटिक।
उत्तर:
(c) मियोटिक
15. कोशिका विभाजन को रोकने वाला रसायन किस पौधे से प्राप्त किया जाता है –
(a) क्राइसेन्थेमम
(b) कॉल्चिकम
(c) डल्बर्जिया
(d) क्रोकस।
उत्तर:
(b) कॉल्चिकम
16. स्पिण्डल तंतुओं का निर्माण किससे होता है –
(a) सेन्ट्रीओल
(b) केन्द्रक
(c) माइटोकॉन्ड्रिया
(d) सेन्ट्रोमियर।
उत्तर:
(d) सेन्ट्रोमियर।
17. कोशिका विभेदन होने तक कोशिका चक्र की कौन-सी अवस्था आ चुकी होती है –
(a)G0प्रावस्था
(b)G1 प्रावस्था
(c)G2प्रावस्था
(d) S-प्रावस्था।
उत्तर:
(a)G0प्रावस्था
18. कोशिका विभाजन का प्रेरण किसके द्वारा होता है –
(a) साइटोकाइनिन
(b) ऑक्सिन
(c) जिबरेलिन
(d) ए.बी.ए.।
उत्तर:
(a) साइटोकाइनिन
19. कोशिका विभाजन में कोशिका पट्टिका का निर्माण किस अवस्था में होता है –
(a) ऐनाफेज
(b) मेटाफेज
(c) टीलोफेज
(d) साइटोकाइनेसिस।
उत्तर:
(c) टीलोफेज
20. माइटोसिस में सेन्ट्रोमियर का विभाजन किस अवस्था में होता है –
(a) प्रोफेज
(b) मेटाफेज
(c) ऐनाफेज
(d) टीलोफेज।
उत्तर:
(c) ऐनाफेज
21. गुणसूत्रों के किस भाग से तर्कु तन्तु जुड़े रहते हैं –
(a) सेन्ट्रोमियर
(b) क्रोमोमियर
(c) क्रोमानिमा
(d) काइनेटोफोर।
उत्तर:
(d) काइनेटोफोर।
22. वह अवस्था जिसमें किएज्मेटा को देखा जा सकता है –
(a) लेप्टोटीन
(b) जाइगोटीन
(c) पैकीटीन
(d) डाइकाइनेसिस।
उत्तर:
(c) पैकीटीन
23. मियोसिस में किन कारणों से विभिन्नता उत्पन्न होती है –
(a) स्वतंत्र अपव्यूहन
(b) क्रॉसिंग ओवर
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) सहलग्नता।
उत्तर:
(c) (a) एवं (b) दोनों
24. गुणसूत्रों पर पाये जाने वाले क्रोमोमियर्स की संख्या होती है –
(a)250
(b)300
(c) 150
(d) 300 से अधिक।
उत्तर:
(a)250
25. टेरिडोफाइटा में रिडक्शन विभाजन होता है –
(a) गैमीट बनने के समय
(b) स्पोर बनने के बाद
(c) स्पोर बनने के समय
(d) गैमीट बनने के बाद।
उत्तर:
(c) स्पोर बनने के समय
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
- अर्द्धसूत्री विभाजन …………….. में होता है।
- सिनैप्टिकल जटिल का निर्माण ……………. अवस्था में होता है।
- अर्धसूत्री विभाजन के गुणसूत्र …………….. अवस्था में विभाजित होते हैं।
- डिप्लोटीन अवस्था में …………….. होता है।
- कैरियोकाइनेसिस में …………… का विभाजन होता है।
- जनक एवं संतति कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या बराबर होती है इसलिए इसे …………….. कहते हैं।
- मध्यावस्था में जिस तल पर गुणसूत्र पंक्तिबद्ध हो जाते हैं उसे …………………. कहते हैं।
उत्तर:
- जनन कोशिकाओं
- जाइगोटीन
- द्वितीय पश्चावस्था
- जीन विनिमय
- केन्द्रक
- समसूत्री विभाजन
- मध्यावस्था पट्टिका।
प्रश्न 3.
एक शब्द में उत्तर दीजिए –
- अर्द्धसूत्री विभाजन में दो गुणसूत्र के बीच बनने वाली रचना का नाम लिखिए।
- कोशिका झिल्ली में गर्त बनने से किस कोशिका में कोशिकाद्रव्य विभाजन होता है ?
- कोशिका में जीन्स की स्थिति कहाँ होती है ?
- किस कोशिका विभाजन द्वारा पौधों में युग्मक निर्माण होता है ?
- कोशिका विभाजन की किस अवस्था में गुणसूत्र मध्य रेखा पर स्थित हो जाते हैं ?
उत्तर:
- किएज्मा (किएज्मेटा)
- जन्तु कोशिका
- केन्द्रक के गुणसूत्र में
- अर्द्धसूत्री
- मेटाफेज।
प्रश्न 4.
उचित संबंध जोडिए –
उत्तर:
- (d) G2 उपावस्था
- (a) पूर्वावस्था
- (e) समसूत्री विभाजन
- (c) दो कोशिकाएँ
- (b) अगुणित संतति कोशिका
प्रश्न 5.
सत्य / असत्य बताइए –
- कोशिकीय विभाजन ही जीवन की सत्यता का आधार है।
- तंत्रिका कोशिका विभाजित होती है।
- कोशिकीय चक्र के M – चरण में वास्तविक केंद्रकीय विभाजन होता है।
- जीवाणु कोशिका का कोशिका चक्र 20 घंटे में पूरा होता है।
- तर्कुतन्तु गुणसूत्रों की गति को अनियंत्रित करते हैं।
उत्तर:
- सत्य
- असत्य
- सत्य
- असत्य
- असत्य।
कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
कोशिका विभाजन की किस अवस्था में क्रॉसिंग ओवर होती है ?
उत्तर:
अर्द्धसूत्री विभाजन के प्रोफेज की पैकीटीन अवस्था में क्रॉसिंग ओवर होती है।
प्रश्न 2.
ऐसे रसायन का नाम बताइए जो कोशिका विभाजन के अध्ययन हेतु गुणसूत्रों के अभिरंजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
उत्तर:
ऐसीटोकार्मिन (Acetocarmine) या ऐसीटोऑर्सिन नामक अभिरंजन का उपयोग कोशिका विभाजन · में गुणसूत्रों के अभिरंजन हेतु किया जाता है। .
प्रश्न 3.
समसूत्री विभाजन किन कोशिकाओं का लक्षण है ? उत्तर-समसूत्री विभाजन कायिक कोशिकाओं का लक्षण है। प्रश्न 4. अर्द्धसूत्री विभाजन किन कोशिकाओं में होता है ?
उत्तर:
यह विभाजन जनन कोशिकाओं में होता है, जिसके फलस्वरूप युग्मकों का निर्माण होता है और पीढ़ी-दर-पीढ़ी गुणसूत्रों की संख्या समान बनी रहती है।
प्रश्न 5.
प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन में पायी जाने वाली अवस्थाओं का नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रथम अर्द्धसूत्री विभाजन में निम्नलिखित अवस्थाएँ पायी जाती हैं –
(A) प्रोफेज प्रथम-इसमें पाँच उप-अवस्थाएँ होती हैं –
- लेप्टोटीन
- जाइगोटीन
- पैकीटीन
- डिप्लोटीन
- डायकाइनेसिस।
(B) मेटाफेज प्रथम
(C) ऐनाफेज प्रथम
(D) टिलोफेज प्रथम।
प्रश्न 6.
उस विधि का नाम बताइए, जिसके कारण आनुवंशिक स्थिरता, वृद्धि, अलैंगिक प्रजनन, पुनरावृत्ति तथा कोशिकाओं का प्रतिस्थापन होता है।
उत्तर:
समसूत्री विभाजन (Mitotic division)
प्रश्न 7. समसूत्री विष किसे कहते हैं ?
उत्तर:
कुछ रसायन ऐसे होते हैं, जो समसूत्री विभाजन को रोक देते हैं, इन्हें समसूत्री विष कहते हैं। कुछ प्रमुख समसूत्री विष निम्नलिखित हैं –
- कोल्चिसीन-यह विभाजन के समय त’ बनने की क्रिया को रोककर मध्यावस्था को स्थिर कर देता है।
- राइबोन्यूक्लिएज-यह प्रोफेज अवस्था को रोक देता है।
- मस्टर्ड गैस-गुणसूत्रों को खण्डित कर देता है।
प्रश्न 8.
एक पुष्पीय पादप के उन अंगों के नाम बताइए जहाँ अर्द्धसूत्री विभाजन सम्भव है।
उत्तर:
पुष्पीय पादप के पुंकेसर के परागकोष तथा स्त्रीकेसर के अण्डाशय में अर्द्धसूत्री विभाजन होता है।
कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
जीन विनिमय क्या है ? इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
अर्द्धसूत्री विभाजन की डिप्लोटीन अवस्था में होने वाली समजात गुणसूत्र खण्डों की अदलाबदली को जीन विनिमय या क्रॉसिंग ओवर कहते हैं। जब डिप्लोटीन अवस्था में विकर्षण के पैदा होने के कारण समजात गुणसूत्र अलग-अलग होना प्रारम्भ करते हैं तब ये आपस में कुछ स्थानों पर संलग्न रह जाते हैं इन स्थानों को किएज्मा कहते हैं।
इन स्थानों पर सिस्टर क्रोमैटिड टूटकर फिर से क्रॉस के रूप में जुड़ जाते हैं, लेकिन गुणसूत्रों के फिर से जुड़ने की इस क्रिया में क्रोमोनिमा की अदला-बदली (पुनर्योजन) हो जाती है। गुणसूत्रों के क्रोमोनिमा की इसी अदला-बदली को परस्पर जीन विनिमय (Crossing over) कहते हैं। अतः इस प्रक्रिया के कारण समजात गुणसूत्रों के बीच जीन विनिमय होता है।
महत्व:
- इसके कारण जीवों में विभिन्नता पैदा होती है।
- इसके कारण जीवों में अनुकूलन पैदा होता है।
- इसके कारण जीवों में विकासात्मक लक्षण बनते हैं।
- इसकी सहायता से गुणसूत्रों के आनुवंशिक मानचित्र बनाये जाते हैं।
- इसके कारण जीवों में नये लक्षण बनते हैं।
प्रश्न 2.
समसूत्री विभाजन के महत्व को लिखिए।
उत्तर:
समसूत्री विभाजन का महत्व –
- इस विभाजन के कारण जीवों में वृद्धि तथा विकास होता है।
- इस विभाजन के कारण जनक कोशिकाओं के समान ही सन्तति कोशिकाएँ बनती हैं।
- इस विभाजन के द्वारा घाव भरते हैं तथा मृत कोशिकाओं का प्रतिस्थापन भी इसी विभाजन के द्वारा होता है।
- इस विभाजन के द्वारा सूचनाओं का मातृ कोशिका से सन्तति कोशिका में प्रवाह होता है।
प्रश्न 3.
मियोसिस की ऐनाफेज प्रथम, माइटोटिक ऐनाफेज से किस बात में भिन्न है ? इसका पूरी प्रक्रिया पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
मियोसिस के ऐनाफेज – I में कोशिका के गुणसूत्रों की द्विगुणित संख्या में से आधे गुणसूत्र एक ध्रुव पर तथा आधे गुणसूत्र दूसरे ध्रुव पर जाते हैं, जबकि माइटोसिस में एक ही गुणसूत्र के अर्द्ध-गुणसूत्र सेण्ट्रोमियर से अलग होकर एक अर्द्ध-गुणसूत्र एक ध्रुव पर तथा दूसरा दूसरे ध्रुव पर जाता है। पूरी प्रक्रिया पर पड़ने वाला प्रभाव-मियोसिस के ऐनाफेज में आधे-आधे गुणसूत्र ध्रुवों पर जाने के कारण विभाजन पूर्ण होने पर दो ऐसी सन्तति कोशिकाएँ बनती हैं, जिनमें गुणसूत्रों की संख्या मूल संख्या की आधी हो जाती है, फलत: पीढ़ी-दर-पीढ़ी गुणसूत्रों की संख्या एक समान बनी रहती है।
प्रश्न 4.
किसी भी बहुकोशिकीय जीवधारी में दो प्रकार के कोशिका विभाजनों की आवश्यकता एवं महत्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
दो कोशिकीय विभाजनों की आवश्यकता-बहुकोशिकीय जीवों की संरचना तथा जैविक क्रिया जटिलता का. प्रदर्शन करती हैं। इस कारण इनमें दो प्रकार के विभाजनों की आवश्यकता पड़ती है, जिससे एक विभाजन (अर्द्धसूत्री) जनन कोशिकाओं में प्रजनन के समय हो जिससे गुणसूत्रों की संख्या में स्थिरता बनी रहे, जबकि दूसरा विभाजन ऐसा हो जो सामान्य कोशिकाओं की मरम्मत कर सके। दो प्रकार का विभाजन इन आवश्यकताओं को पूरा करता है।
महत्व:
इन दो प्रकार के विभाजनों के कारण ही कोशिकीय संलयन (निषेचन) के बाद भी जीवों तथा कोशिकाओं में पीढ़ी-दर-पीढ़ी गुणसूत्रों की संख्या समान बनी रहती है और टूट-फूट की मरम्मत तथा वृद्धि एवं विकास की क्रियाएँ भी संचालित होती हैं।
प्रश्न 5.
समसूत्री विभाजन की प्रोफेज तथा ऐनाफेज को चित्र सहित समझाइए।
उत्तर:
समसूत्री प्रोफेज:
- गुणसूत्र लम्बे, पतले धागे के समान पाये जाते हैं, जिसे क्रोमैटिन जाल कहते हैं।
- सेण्ट्रिओल गति करके ध्रुवों पर जाने लगते हैं।
- गुणसूत्र सेण्ट्रोमियर से जुड़े हुए दिखाई देने लगते हैं।
- केन्द्रकीय झिल्ली समाप्त हो जाती है।
समसूत्री ऐनाफेज:
- सेण्ट्रोमियर्स के विभाजन से दोनों क्रोमैटिड्स अलग हो जाते हैं एवं दो गुणसूत्र बना देते हैं।
- गुणसूत्र ध्रुवों की ओर गति करते हैं। 3. गुणसूत्र की संख्या एवं प्रकार स्पष्ट हो जाते हैं।
प्रश्न 6.
समसूत्री विभाजन की विभिन्न अवस्थाओं को चित्रित कीजिए।
उत्तर:
समसूत्री विभाजन (Mitosis cell division):
प्रश्न 7.
समसूत्री विभाजन की क्या विशेषताएँ हैं ? मेटाफेज का नामांकित चित्र बनाकर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विशेषताएँ:
- नई बनी कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या जनक कोशिका के समान होती है।
- एक कोशिका विभाजित होकर दो समान कोशिकाएँ बनाती हैं।
- यह विभाजन कायिक कोशिका में होता है तथा इसके कारण जीवों में वृद्धि होती है तथा घाव भरता है।
- जनक कोशिका के आनुवंशिक गुण पौत्रिक कोशिका में पहुँचते हैं। इस विभाजन से आनुवंशिक समानता बनी रहती है।
समसूत्री मेटाफेज:
- इस अवस्था में केन्द्रक कला तथा केन्द्रिका लुप्त हो जाती है।
- गुणसूत्र कोशिका की मध्यरेखा पर एकत्रित हो जाते हैं।
- गुणसूत्रों के अर्द्ध गुणसूत्र स्पष्ट एवं अलग हो जाते हैं।
- तर्क का निर्माण पूर्ण हो जाता है। टीप-चित्र के लिए उपर्युक्त प्रश्न क्रमांक 6 के चित्र D को देखिए।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिए –
- समसूत्री एवं अर्द्धसूत्री विभाजन
- गुणसूत्र एवं अर्द्ध-गुणसूत्र
- सेण्ट्रोमियर एवं क्रोमोमियर
- सेण्ट्रोसोम एवं सेण्ट्रिओल
- मेटाफेज-I एवं मेटाफेज-II
- जायगोटीन एवं पैकीटीन
- कोशिका खाँच एवं कोशिका प्लेट।
उत्तर:
1. समसूत्री एवं अर्द्धसूत्री विभाजन में अन्तर:
दोनों ही कोशिका विभाजनों में कोशिकाओं की संख्या बढ़ती है तथा दोनों में गुणसूत्रों का विभाजन होता है। इन समानताओं के बावजूद दोनों विभाजनों में निम्नलिखित अन्तर पाये जाते हैं –
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2. गुणसूत्र एवं अर्द्ध-गुणसूत्र में अन्तर:
क्रोमैटिन जाल ही कोशिका विभाजन के समय संघनित होकर एक विशिष्ट रचना बनाता है, जिसे गुणसूत्र कहते हैं, जबकि गुणसूत्र स्वयं दो कुण्डलित अर्धांशों का बना होता है, जिसे अर्द्ध-गुणसूत्र कहते हैं।
3. सेण्ट्रोमियर एवं क्रोमोमियर में अन्तर:
गुणसूत्रों में पाये जाने वाले प्राथमिक संकीर्णन को सेण्ट्रोमियर कहते हैं। यह गुणसूत्र को दो भुजाओं में बाँटकर उनके आकार को निर्धारित करता है, जबकि गुणसूत्र के अन्दर क्रोमैटीन तन्तु (क्रोमोनिमा) पर पायी जाने वाली गाँठ सदृश रचनाओं को क्रोमोमियर कहते हैं । सम्भवत: DNA अणु इन्हीं स्थानों पर क्रोमैटीन तन्तु से जुड़े होते हैं।
4. सेण्ट्रोसोम एवं सेण्ट्रिओल में अन्तर:
कोशिका के अन्दर तथा केन्द्रक के पास एक कलाविहीन कणीय कोशिकांग पाया जाता है, जिसे सेण्ट्रोसोम कहते हैं। सेण्ट्रिओल दो उप-इकाइयों का बना होता है, जो एक-दूसरे से समकोण पर स्थित होती है।
5. मेटाफेज-I एवं मेटाफेज-II में अन्तर –
मेटाफेज – I:
1. समजात गुणसूत्र जोड़े में कोशिका के मध्य में स्थित होते हैं।
2. इसमें सेण्ट्रोमियर विभाजित नहीं होता पूरा गुणसूत्र ध्रुवों की ओर जाता है।
मेटाफेज – II
1. इकहरे गुणसूत्र कोशिका के मध्य में स्थित होते हैं।
2. इसमें सेण्ट्रोमियर विभाजित होकर दो भाग बना देता है तथा अर्द्ध – गुणसूत्र ध्रुवों की ओर जाता है।
6. जायगोटीन एवं पैकीटीन में अन्तर:
जायगोटीन अवस्था में गुणसूत्र जोड़े में रहकर बाइवैलेण्ट अवस्था में रहता है, जबकि पैकीटीन में गुणसूत्रों के अर्द्ध-गुणसूत्र अलग होकर टेट्राड अवस्था में रहते हैं।
7. कोशिका खाँच एवं कोशिका प्लेट:
कोशिका खाँच वह रचना है, जिसमें कोशिका संकीर्णित होकर दो भागों में बँटती हैं, जबकि कोशिका प्लेट वह रचना है, जिसमें कोशिका के मध्य में कोशिकांग व्यवस्थित होकर एक प्लेट बनाते हैं फलतः कोशिका दो भागों में बँट जाती है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित का अर्थ स्पष्ट कीजिए –
- समजात गुणसूत्र
- बाइवैलेण्ट
- टेट्राड
- G2फेज।
उत्तर:
(i) समजात गुणसूत्र – एक समान गुणसूत्रों को समजात (Homologous) गुणसूत्र कहते हैं अगर ये गुणसूत्र एक साथ स्थित हों, तो उनकी सभी रचनाएँ हूबहू एकसमान होती हैं।
(ii) बाइवैलेण्ट-NCERT प्रश्न क्रमांक 7 का उत्तर देखिए।
(iii) टेट्राड-पैकीटीन अवस्था में समजात गुणसूत्रों के अर्द्ध – गुणसूत्र विभाजित होकर प्रत्येक गुणसूत्र को दो अर्द्धाशों अर्थात् तन्तुओं में बाँट देते हैं। इस कारण जोड़े के गुणसूत्र चार गुणसूत्रों के रूप में प्रतीत होने लगते हैं, तब समजात गुणसूत्रों के जोड़े को टेट्राड कहते हैं।
(iv)G2;फेज या द्वितीय वृद्धि उपअवस्था – कोशिकीय चक्र की वह उप-अवस्था है, जिसमें कोशिकीय संश्लेषण फिर से होता है। इस उप-अवस्था में माइटोकॉण्ड्रिया व क्लोरोप्लास्ट स्वविभाजित हो जाते हैं। सेण्ट्रिओल का विभाजन होकर दो सेट बन जाते हैं तथा स्पिण्डिल निर्माण प्रारम्भ हो जाता है। इस अवस्था में कोशिकीय पदार्थों का संश्लेषण फिर से होता है, इस कारण इसे G2 फेज कहते हैं।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से कौन-से कथन समसूत्री विभाजन की निम्नलिखित अवस्थाओं से सम्बन्धित हैं –
(A) प्रोफेज
(B) मेटाफेज
(C) ऐनाफेज
(D) टीलोफेज
(E) इण्टरफेज।
- केन्द्रक झिल्ली का पुनः निर्माण
- गुणसूत्र सर्वाधिक छोटे एवं मोटे
- गुणसूत्र कुण्डलित होने लगते हैं
- सेण्ट्रोमियर का दो भागों में विभाजन
- केन्द्रक सक्रिय होता है, किन्तु क्रोमोसोम स्पष्ट दिखाई नहीं देते हैं
- साइटोकाइनेसिस के बाद की अवस्था
- प्रत्येक गुणसूत्र दो अर्द्ध-गुणसूत्रों का बना दिखाई देता है।
उत्तर:
- टीलोफेज
- मेटाफेज
- टीलोफेज
- प्रोफेज
- प्रोफेज
- इण्टरफेज
- प्रोफेज।
कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
अर्द्धसूत्री विभाजन की क्रिया का नामांकित चित्रों सहित विवरण दीजिए तथा इसका महत्व लिखिए।
उत्तर:
अर्द्धसूत्री विभाजन-वह विभाजन है, जिसमें विभाजन के बाद चार ऐसी कोशिकाएँ बनती हैं, जिसमें गुणसूत्रों की संख्या मूल संख्या की आधी रह जाती है। यह विभाजन दो चरणों में पूरा होता है –
(A) अर्द्धसूत्री विभाजन प्रथम:
इसके द्वारा दो ऐसी कोशिकाएँ बनती हैं, जिनमें गुणसूत्रों की संख्या मूल कोशिका की आधी होती हैं। यह चार अवस्थाओं में पूरा होता है –
1. प्रोफेज-I:
इसमें पाँच उप अवस्थाएँ होती हैं –
- लेप्टोटीन – सेण्ट्रिओल ध्रुवों पर चले जाते हैं तथा गुणसूत्र स्पष्ट हो जाते हैं।
- जायगोटीन – समजात गुणसूत्र जोड़ा बनाते हैं।
- पैकीटीन – गुणसूत्रों के अर्द्ध-गुणसूत्र अलग होकर टेट्राड बना देते हैं, और उनमें अन्तर्ग्रथन हो जाता है तथा जीन विनिमय की क्रिया होती है।
- डिप्लोटीन-समजात गुणसूत्र विकर्षण के कारण अलग हो जाते हैं तथा उनमें जीन विनिमय पूर्ण हो जाता है।
- डायकाइनेसिस-गुणसूत्र दूर जाने लगते हैं । केन्द्रक तथा केन्द्रिका विलुप्त हो जाती हैं तथा तर्कु बन जाते हैं।
2. मेटाफेज-I:
समजात गुणसूत्र कोशिका के मध्य में आ जाते हैं, त’ पूर्ण विकसित हो जाते हैं।
3. ऐनाफेज-I:
समजात गुणसूत्रों में से एक, एक ध्रुव पर तथा दूसरा, दूसरे ध्रुव पर चला जाता है। अतः आधे गुणसूत्र एक ध्रुव पर तथा आधे दूसरे ध्रुव पर चले जाते हैं।
4. टीलोफेज:
केन्द्रिका तथा केन्द्रक फिर से बन जाते हैं अन्त में दो ऐसी कोशिकाएँ बनती हैं, जिनमें गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है।
कोशिकाद्रव्य विभाजन-दो केन्द्रक बनने के बाद कोशिका का कोशिकाद्रव्य भी खाँच या पट्ट निर्माण द्वारा दो भागों में बँट जाता है।
(B) अर्द्धसूत्री विभाजन द्वितीय:
यह समसूत्री विभाजन के समान होता है, जिसमें अर्द्धसूत्री विभाजन से बनी कोशिकाएँ दो-दो कोशिकाओं में विभाजित हो जाती हैं –
इसमें निम्नलिखित चार अवस्थाएँ होती हैं –
1. प्रोफेज – II:
प्रथम विभाजन की सन्तति कोशिकाओं के गुणसूत्र स्पष्ट हो जाते हैं। केन्द्रक तथा केन्द्रिका विलुप्त हो जाती हैं तथा तर्कु बन जाते हैं।
2. मेटाफेज-II:
गुणसूत्र के दोनों अर्द्ध-गुणसूत्र अलग होकर कोशिका के मध्य में आ जाते हैं।
3. ऐनाफेज-II:
अर्द्ध-गुणसूत्र अलग-अलग ध्रुवों पर चले जाते हैं और गुणसूत्र का रूप ले लेते हैं।
4. टीलोफेज-II:
प्रत्येक ध्रुव पर केन्द्रक बन जाता है। कोशिकाद्रव्य विभाजन-प्रथम विभाजन से बनी दोनों कोशिकाओं के दोनों केन्द्रकों के चारों तरफ कोशिकाद्रव्य भी विभाजित हो जाता है। इस प्रकार चार ऐसी कोशिकाएँ बन जाती हैं, जिनमें गुणसूत्रों की संख्या आधी हो जाती है।
अर्द्धसूत्री विभाजन का महत्व:
- इसके कारण पीढ़ी-दर-पीढ़ी कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या एक समान बनी रहती है।
- इस विभाजन के कारण जनक के समान ही कोशिकाएँ पैदा होती हैं।
- इस विभाजन में जीन विनिमय होने के कारण यह नये गुणों के बनने में सहायता करता है।
- इसके कारण विभिन्नता पैदा होती है, जो जैव विकास के लिए आवश्यक है।
- इसके कारण एक द्विगुणित कोशिका से चार अगुणित कोशिकाएँ बनती हैं।
प्रश्न 2.
कोशिका चक्र की आवश्यकता एवं महत्व को दर्शाते हुए उसकी विभिन्न अवस्थाओं में होने वाली घटनाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कोशिका चक्र की आवश्यकता एवं महत्व-एक कोशिका के अस्तित्व में आने से लेकर उसका विभाजन होने तक की क्रियाएँ संयुक्त रूप से कोशिका चक्र कहलाती हैं। कोशिका चक्र के कारण ही नई कोशिकाओं का निर्माण होता है, जिससे नई कोशिकाएँ बनकर घाव को भरती हैं।
इसके अलावा इसी के कारण ही पीढ़ी-दर-पीढ़ी गुणसूत्रों की संख्या एकसमान बनी रहती है। इसी के कारण जीवों में वृद्धि तथा विकास सम्भव हो पाता है एवं पुरानी कोशिकाओं की पुनर्स्थापना होती है अर्थात् कोशिकीय चक्र के बिना जीव अस्तित्व में नहीं रह पाएँगे। कोशिका चक्र की अवस्थाएँ-कोशिकीय चक्र में निम्नलिखित अवस्थाएँ पायी जाती हैं –
(A) अन्तरावस्था या विभाजनान्तराल या इण्टरफेज:
अंतरावस्था(इण्टरफेज) दो विभाजनों के बीच की अवस्था है, जिसमें निम्नलिखित तीन अवस्थाएँ पायी जाती हैं –
(i)G2 फेज-इस अवस्था में प्रोटीन एवं RNA का संश्लेषण किया जाता है।
(ii) S2 फेज-इस अवस्था में DNA एवं हिस्टोन प्रोटीन का संश्लेषण होता है।
(ii) G2फेज-इस अवस्था में आवश्यक प्रोटीन तथा RNA का संश्लेषण किया जाता है तथा विभिन्न कोशिकांगों का निर्माण होता है।
(B) विभाजन अवस्था या m – अवस्था:
इसमें कोशिका का मूल विभाजन होता है, जिससे 2 या 4 कोशिकाएँ बनती हैं। इसमें निम्नलिखित अवस्थाएँ पायी जाती हैं –
1. केन्द्रकीय विभाजन-इस प्रावस्था में विभाजित होने वाली कोशिका का केन्द्र विभाजित होकर दो अथवा चार केन्द्र बना देता है। यह विभाजन चार अवस्थाओं प्रोफेज, मेटाफेज, ऐनाफेज तथा टीलोफेज में पूर्ण होता है।
2. कोशिकाद्रव्य विभाजन या साइटोकाइनेसिस:
कोशिका द्रव्य विभाजन-कोशिका विभाजन के समय केन्द्रक विभाजन के बाद कोशिकाद्रव्य विभाजन को साइटोकाइनेसिस या कोशिकाद्रव्य विभाजन कहते हैं, यह पादप एवं प्राणियों में दो अलग-अलग विधियों द्वारा होता है –
(a) कोशिका खाँच द्वारा इस कोशिकाद्रव्य विभाजन में कोशिका के मध्य में एक खाँच बनती है, जो बढ़कर कोशिका के कोशिकाद्रव्य को दो भागों में बाँट देती है। प्रत्येक भाग में एक केन्द्रक होता है, जन्तुओं में इसी प्रकार का विभाजन पाया जाता है।
(b) कोशिका प्लेट द्वारा इस कोशिकाद्रव्य विभाजन में कोशिका के मध्य गॉल्गीकाय तथा E.R. एकत्रित होकर एक पट बना देते हैं जो बाद में कोशिका भित्ति बन जाती है और कोशिका को दो भागों में बाँट देती हैं। प्रत्येक भाग में एक केन्द्रक होता है। यह विभाजन पादप कोशिकाओं में पाया जाता है।