MP Board Class 10th Sanskrit Solutions Durva Chapter 1 शिवसङ्कल्पमस्तु (पद्यम्) (यजुर्वेदात्)
MP Board Class 10th Sanskrit Chapter 1 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
कक्षा 10 संस्कृत पाठ 1 प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत-(एक पद में उत्तर लिखो)
(क) मनः जाग्रतः कुत्र उदैति? (जाग्रत पुरुष का मन कहाँ जाता है?)
उत्तर:
मनः जाग्रतः दूरम उदैति। (जाग्रत पुरुष का मन दूर जाता है।)
(ख) प्रजानाम् अन्तः स्थितं किम्? (प्राणियों के अन्दर क्या स्थित है?)
उत्तर:
प्रजानाम् अन्तः मनः स्थितः। (प्राणियों में (के भीतर) मन स्थित है।)
(ग) मनसः ऋते किंचन किं न क्रियते? (मन के बिना क्या कुछ नहीं किया जाता है?)
उत्तर:
मनसः ऋते किंचन कर्म न क्रियते। (मन के बिना कुछ भी कर्म नहीं किया जाता।)
Class 10 Sanskrit Chapter 1 प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत-(एक वाक्य में उत्तर लिखिए-)
(क) मे मनः किम् अस्तु? (मेरा मन कैसा हो?)
उत्तर:
में मनः शिवसङ्कल्पम् अस्तु। (मेरा मन कल्याणकारी सङ्कल्प वाला हो।)
(ख) मनसा सप्तहोता कः तायते? (मन से सात होताओं वाला क्या सम्पादित किया जाता है।)
उत्तर:
मनसा सप्तहोता यज्ञः तायते। (मन से सात होताओं वाला यज्ञ सम्पादित किया जाता है।)
(ग) मनसि प्रजानां सर्वं किम् ओतम्? (मन में प्राणियों का सारा क्या भरा है?)
उत्तर:
मनसि प्रजानां सर्वं चित्तम् ओतम्। (मन में प्राणियों का सारा ज्ञान भरा है।)
MP Board Class 10 Science Solutions
Sanskrit Class 10 Chapter 1 Mp Board प्रश्न 3.
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत (नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए-)
(क) मनसा के यज्ञे विदथेषु कर्माणि कृण्वन्ति? (मन से कौन यज्ञ व ज्ञान-उपासनाओं में कर्म करते हैं?)
उत्तर:
मनसा अपसः धीराः मनीषणः यज्ञे विदथेषु कर्माणि कुर्वन्ति। (मन से कर्मवान्, धैर्यवान् और बुद्धिमान, पुरुष यज्ञ में व ज्ञान-उपासनाओं में कर्म करते हैं।)
(ख) अमृतेन किं परिगृहीतम्? (अमृत से क्या माना जाता है?)
उत्तर:
अमृतेन इंद भूतं भुवनं भविष्यत् सर्वम् परिगृहीतम्। (अमृत से भूतकाल, वर्तमान काल तथा भविष्यकाल की सांसारिक सारी वस्तुएँ मानी जाती हैं।
(ग) मनसि ऋचः साम यजूंषि कथं प्रतिष्ठिताः? (मन में ऋचाएँ, साममन्त्र व यजुर्मन्त्र कैसे स्थित हैं?)
उत्तर:
मनसि ऋचः सामः यजूंषि रथनाभौ अराः इव प्रतिष्ठिताः। (मन में ऋचाएँ, साममन्त्र व यजुर्मन्त्र, रथ चक्र की नाभि में तिल्लियों के समान स्थित हैं।)
Class 10th Sanskrit Chapter 1 प्रश्न 4.
प्रदत्तशब्दैः रिक्तस्थानानि पूरयत (दिए हुए शब्दों से रिक्त स्थान भरिए-)
(सप्तहोता, मनः ऋते)
(क) तन्मे ……………. शिवसङ्कल्पमस्तु।
उत्तर:
तन्मे मनः शिवङ्कल्पमस्तु।
(ख) यस्मान्न ……………. किंचन कर्म क्रियते।
उत्तर:
यस्मान्न ऋते किंचन कर्म क्रियते।
(ग) येन यज्ञस्तायते …………….
उत्तर:
येन यज्ञस्तायते सप्तहोताः।
Mp Board Class 10 Sanskrit Chapter 1 प्रश्न 5.
यथायोग्यं योजयत-(योग्यतानुसार (उचित रूप में) जोड़िए-)
उत्तर:
Mp Board Class 10th Sanskrit Chapter 1 प्रश्न 6.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् ‘आम् अशुद्धवाक्यानां समक्षम् ‘न’ इति लिखत –
(शुद्ध वाक्यों के सामने ‘आम्’ तथा अशुद्ध वाक्यों के सामने ‘न’ लिखिए-)
(क) मनः दूरङ्गमम् अस्ति।
(ख) मे मनः शिवसङ्कल्पं न अस्तु।
(ग) मनः अपूर्वम् अस्ति।
उत्तर:
(क) आम्
(ख) न
(ग) आम्।
Sanskrit Class 10 Mp Board प्रश्न 7.
एकवचनतः बहुवचने परिवर्तयत-(एकवचन से बहुवचन में बदलिए-)
उत्तर:
Mp Board Solution Class 10 Sanskrit पश्न 8.
रेखाङ्कितपदान्याधृत्य प्रदत्तशब्दैः प्रश्ननिर्माणं कुरुत –
(रेखांकितपदों के आधार पर दिए गए शब्दों से प्रश्न बनाइए-)।
(केन, कस्मिन्, कस्य)
(क) मनः सुप्तस्य यथा एव एति। (सोए हुए पुरुष का मन वैसे ही लौट आता है।)
उत्तर:
मनः कस्य तथा एव एति? (मन किसका वैसे ही लौट आता है?)
(ख) येन धीराः कर्माणि कृण्वन्ति। (जिसके द्वारा धैर्यवान् कर्म करते हैं।)
उत्तर:
केन धीराः कर्माणि कृण्वन्ति? (किसके द्वारा धैर्यवान् कर्म करते हैं?)
(ग) यस्मिन् वेदाः प्रतिष्ठिताः। (जिसमें वेद स्थित हैं।)
उत्तर:
कस्मिन् वेदाः प्रतिष्ठिताः? (किसमें वेद स्थित हैं?)
Sanskrit Class 10th Chapter 1 योग्यताविस्तार –
पाठे आगतान् मन्त्रान् कण्ठस्थ कुरुत।
(पाठ में आए हुए मन्त्रों को कण्ठस्थ करो।)
समूहे एकाकी वा मन्त्राणां पाठं कुरुत।।
(समूह में या अकेले मन्त्रों का पाठ (जप) करो।
शिवसङ्कल्पमस्तु पाठ का सार
प्रस्तुत पाठ में ‘यजुर्वेद’ से संकलित कुछ मंत्र हैं, जिनमें मन को पवित्र तथा कल्याणकारी सङ्कल्प वाला होने की प्रार्थना प्रभु से की गई है, जिससे प्राणियों के सभी इच्छित कार्य सम्पन्न हो सकें।
शिवसङ्कल्पमस्तु पाठ का अनुवाद
1. ॐयज्जायाग्रतो दूरमुदति दैवं तद् सुप्तस्य तथैवैति।
दूरङ्गमं ज्योतिषां ज्योतिरेकं तन्मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु ॥1॥
अन्वय:
यत् जाग्रतः दूरम् उदैति, यत् दैवम्, तत् सुप्तस्य तथा एव एति, यत् दूरङ्गमम्, यत् ज्योतिषाम् एकं ज्योतिः, तत् मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु।।
Mp Board Class 10 Sanskrit Solution शब्दार्था :
यत्-जो (मन)-The mind which; जाग्रतः-जाग्रत पुरुष का-of the waking person; उदैति-जाता है-goes; दैवम्-आत्मद्रष्टा-The viewer of self; सुप्तस्य-सोए हुए पुरुष का-of the sleeping person; एति-लौट आता है-returns, retreats; दूरङ्गमम्-भूत, भविष्य, वर्तमान सबको जानने वाला/दूर जाने वाला- one who goes far, one who knows the past, future and present; ज्योतिषाम्-इन्द्रियों का-of the senses; शिवसङ्कल्पम्-कल्याणकारी सङ्कल्प वाला-with resolve of welfare; अस्तु-हो-may be.
Class 10 Sanskrit Chapter 1 Question Answer अनुवाद :
हे प्रभु! जाग्रत पुरुष का जो मन दूर जाता है, जो आत्मद्रष्टा (स्वयं को देखने वाला) है, और वह सोए हुए पुरुष का वैसे ही लौट आता है, जो भूत, भविष्य व वर्तमान सबको जानने वाला है, जो सब इन्द्रियों की एक ज्योति (प्रकाशक) है, वह मेरा मन कल्याणकारी सङ्कल्प वाला हो।
कक्षा 10 संस्कृत अध्याय 1 सवाल जवाब English :
Mind of waking person goes far-views self-mind of sleeping person retreats. Mind knows all times-enlightens the senses. May it prove to be of beneficial and auspicious resolve.
2. ॐयेन कर्माण्यपसो मनीषिणो यज्ञे कृण्वन्ति विदधेषु धीरा।
यदपूर्वं यक्षमन्तः प्रजानां तन्मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु ॥2॥
अन्वय :
येन अपसः धीराः मनीषिणः यज्ञे विदथेषु कर्माणि कृण्वन्ति यत् अपूर्वम्, यक्षम्, प्रजानामन्तः, तत् से मनः शिवसङ्कल्पमस्तु।
Sanskrit Class 10 Chapter 1 शब्दार्था :
येन-जिस मन के द्वारा-Through which (mind); अपसः-कर्मवान् पुरुष-the person who performs actions; विदधेषु-ज्ञान या उपासनाओं में-in knowledge or worshipperform; कृण्वन्ति-करते हैं, यत्-जो मन-which (mind); अपूर्वम्-सर्वप्रथम उत्पन्न-primordial; यक्षम्-यज्ञ सम्पादन में समर्थ या पूज्य-capable of performing a sacrifice or adorable (venerable).
Class 10th Sanskrit Mp Board अनुवाद :
हे प्रभु! जिसके द्वारा कर्मवान्, धैर्यवान् तथा बुद्धिमान, पुरुष यज्ञ में, ज्ञान या उपासनाओं में कर्म करते हैं, जो सर्वप्रथम उत्पन्न है, यज्ञ सम्पादन में समर्थ है तथा जीवों के अन्दर है, वह मेरा मन कल्याणकारी सङ्कल्प वाला हो।
Mp Board Class 10th Sanskrit Solution English :
Mind inspires dutiful, forbearing and intelligent persons for performing sacrifices, seeking knowledge and doing worship. Primordial, capable of performing sacrifice and existing in all creatures.
3. ॐ यत्प्रज्ञानमुत चेतो धृतिश्च यज्जयोतिरन्तरमृतं प्रजासु।
यस्मान्न ऋते किंचन कर्म क्रियते तन्मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु ॥3॥
अन्वय :
यत् प्रज्ञानम्, उत चेतः, धृतिः च यत् प्रजासु अन्तः अमृतं ज्योतिः, यस्मात् ऋते किंचन कर्म न क्रियते, तत् मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु।
Sanskrit 10th Class Mp Board शब्दार्था :
प्रज्ञानम्-प्रकर्ष ज्ञान का साधन-Source of supreme knowledge; चेतः-सामान्य-विशेष ज्ञान कराने वाला-One who bestows general and special knowledge; धृतिः-धैर्य स्वरूप-forbearing; प्रजासु-जीवों में-among creatures; ज्योतिः-प्रकाशक है-Light (giver of light); किंचन-कुछ भी-nothing.
Sanskrit Mp Board Class 10 अनुवाद :
हे प्रभु! जो प्रकर्ष ज्ञान का साधन तथा सामान्य विशेष ज्ञान कराने वाला है, धैर्य स्वरूप है और जो जीवों के अन्दर अमर प्रकाशक है, जिसके बिना कोई भी कर्म नहीं किया जाता, ऐसा मेरा मन कल्याणकारी सङ्कल्प वाला हो।
Mp Board Class 10th Sanskrit English :
Mind-source of supreme knowledge, be tower of knowledge, forbearing-immortal light among creatures-promoter of all activities.
4. ॐ येनेदं भूतं भुवनं भविष्यत्परिगृहीतममृतेन सर्वम् ।
येन यज्ञस्तायते सप्तहोता तन्मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु ॥4॥
अन्वय :
येन अमृतेन इदं भूतं भविष्यत् सर्वम् परिगृहीतम्, येन सप्तहोता यज्ञः तायते, तत् मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु।
Mp Board Sanskrit Book Solution Class 10 शब्दार्था :
अमृतेन-अमर मन के द्वारा-Through immortal mind; भुवनम्-वर्तमान काल का-of the present; सर्वम्-सांसारिक सारी वस्तुएँ-all the worldly objects; परिगृहीतम्-माना जाता है-is considered (known as); सप्तहोता-सात होताओं वाला-by seven priests; तायते-सम्पादित किया जाता है-is performed.
Class 10 Sanskrit Mp Board Solutions अनुवाद :
हे प्रभु! जिसके अमृत मन के द्वारा भूतकाल, वर्तमान काल और भविष्यत काल की सारी सांसारिक वस्तुओं का ग्रहण किया जाता है, जिसके द्वारा सात होताओं वाला यज्ञ सम्पादित किया जाता है, वह मेरा मन कल्याणकारी सङ्कल्प वाला हो।
English-The mind-attains everything in all ages (past, present and future. Which causes the completion of seven-priestly sacrifices.
5. ॐयस्मिन्नृचः साम यजूंषि यस्मिन् प्रतिष्ठिताः रथनाभाविवार ।
यस्मिंश्चित्तं सर्वमोतं प्रजानां तन्मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु॥5॥
Mp Board Solution Class 10th Sanskrit शब्दार्था :
यस्मिन्-जिस मन में-in which (mind); साम-साम मन्त्र-hymns of Sama Veda; यजूंषि-यजुर्मन्त्र-hymns of Yajur Veda; रथनाभौ-रथ चक्र की नाभि में-in the axle (hub)of the wheel of the chariot; अराः इव-तिल्लियों की तरह-like the spokes; प्रज्ञानाम्-प्राणियों का-of the animate beings; चित्तम्-ज्ञान -knowledge; ओतभ-भरा है-is full (replete).
Mp Board 10th Sanskrit Solution अनुवाद :
हे प्रभु! जिस मन में ऋचाएँ, साम मन्त्र, यजुर्मन्त्र रथ चक्र की नाभि में तिल्लियों की तरह विराजमान हैं, जिस में प्राणियों का सारा ज्ञान भरा है, वह मेरा मन कल्याणकारी सङ्कल्प वाला हो।
English :
Mind-The container of Vedic hymns-full of all knowledge related to animate beings.