MP Board Class 8th Sanskrit Solutions Chapter 15 देवी अहिल्या

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MP Board Class 8th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 15 देवी अहिल्या

MP Board Class 8th Sanskrit Chapter 15 अभ्यासः

Mp Board Class 8 Sanskrit Chapter 15 प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत(एक शब्द में उत्तर लिखो-)
(क) अहिल्यायाः जन्मग्रामः कः? (अहिल्या का जन्म कां ग्राम कौन-सा है?)
उत्तर:
चौण्डी। (चौण्डी)

(ख) अहिल्यायाः व्यक्तित्वं कथं वर्तते? (अहिल्या का व्यक्तित्व कैसा है?)
उत्तर:
बहुमुखिप्रतिभासम्पन्नम्। (बहुमुखी प्रतिभा से सम्पन्न)

(ग) राजवाड़ा कुत्र अस्ति? (राजवाड़ा कहाँ है?)
उत्तर:
इन्दौर नगरे। (इन्दौर नगर में)

(घ) माहिष्मती कस्य राजधानी आसीत्? (माहिष्मति किसकी राजधानी थी?)
उत्तर:
सहस्रार्जुनस्य। (सहस्रार्जुन की)

(ङ) सुशीलाबाई-माणकोजी इति अनयोः पुत्री का आसीत्। (सुशीलाबाई-माणकोजी इन दोनों की पुत्री कौन थी?)
उत्तर:
अहिल्याबाई। (अहिल्याबाई)

Mp Board Class 8 Sanskrit Solution Chapter 15 प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत(एक वाक्य में उत्तर लिखो-)
(क) लेखनप्रतियोगिता के विषयम् अधिकृत्य आसीत्? (लेखन प्रतियोगिता किस विषय को आधार बनाकर थी?)
उत्तर:
लेखनप्रतियोगिता ‘विक्रमादित्य-भोजराजाभ्याम् पोषिते मालवक्षेत्रे अहिल्यायाः प्रजावात्सल्यम्’ इति विषयम् अधिकृत्य आसीत्। (लेखन प्रतियोगिता ‘विक्रमादित्य और भोजराजा के द्वारा पोषित मालव क्षेत्र में अहिल्या का प्रजा प्रेम’ इस विषय को आधार बनाकर थी।)

(ख) अहिल्याबाई कदा जन्म अलभत? (अहिल्याबाई ने कब जन्म लिया?)
उत्तर:
अहिल्याबाई पञ्चविंशत्युत्तरसप्तदश ख्रिस्ताब्दे (१७२५) मईमासस्य एकत्रिंशे (३१) दिनाङ्के जन्म अलभत्। (अहिल्याबाई ने सत्रह सौ पच्चीस (1725) ईस्वी में मई महीने की इकत्तीस (31) तारीख को जन्म लिया।)

(ग) अहिल्याबाई कीदृशी महिला आसीत्? (अहिल्याबाई कैसी महिला थीं?)
उत्तर:
अहिल्याबाई प्रजावत्सला, धर्मपरायणा, न्यायनिष्ठा च महिला आसीत्। (अहिल्याबाई प्रजावत्सल, धर्मपरायण और न्यायनिष्ठ महिला थीं।)

(घ) महेश्वरस्थानस्य उल्लेखः कुत्र कुत्र वर्तते? (महेश्वर स्थान का उल्लेख कहाँ-कहाँ है?)
उत्तर:
महेश्वरस्थानस्य उल्लेखः रामायणमहाभारतग्रन्थयोः बौद्ध-जैनधर्मग्रन्थेषु वर्तते। (महेश्वर स्थान का उल्लेख रामायण-महाभारत ग्रन्थों में और बौद्ध-जैन धर्म ग्रन्थों में है।)

(ङ) कीदृशी अहिल्याबाई सदा राजते? (कैसी अहिल्याबाई सदा सुशोभित होती हैं?)
उत्तर:
धर्मार्थकाममोक्षेषु निरता अहिल्याबाई सदा राजते। (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष में लगी हुई अहिल्याबाई सदा सुशोभित होती हैं।)

Class 8 Sanskrit Chapter 15 Mp Board प्रश्न 3.
रेखाङ्कितपदम् आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत(रेखांकित शब्द के आधार पर प्रश्न निर्माण करो-)
(क) अहम् मालवप्रदेशतः आगच्छामि। (कुतः) (मैं मालव प्रदेश से आ रहा हूँ।)
उत्तर:
अहम् कुतः आगच्छामि। (मैं कहाँ से.आ रहा हूँ?)

(ख) अहिल्याबाईखण्डेरावस्यपत्नीआसीत्।(कस्य) (अहिल्याबाई खण्डेराव की पत्नी थीं।)
उत्तर:
अहिल्याबाई कस्य पत्नी आसीत्। (अहिल्याबाई किसकी पत्नी थीं।)

(ग) रघुवंशकाव्ये महिष्मतिवर्णनम् अस्ति। (कुत्र) (रघुवंश काव्य में महिष्मति वर्णन है।)
उत्तर:
कुत्र महिष्मतिवर्णनम् अस्ति? (कहाँ महिष्मति का वर्णन है?)

(घ) अहिल्यायाः विद्याप्रीतिः असामान्या आसीत्। (कथम्) (अहिल्या का विद्या के प्रति प्रेम असामान्य था।)
उत्तर:
अहिल्यायाः विद्याप्रीतिः कथम् आसीत्? (अहिल्या का विद्या के प्रति प्रेम कैसा था?)

(ङ) राज्ञा महिष्मता निर्मिता माहिष्मती। (केन) (राजा महिष्मत् के द्वारा माहिष्मती का निर्माण किया गया।)
उत्तर:
केन निर्मिता माहिष्मती? (किसके द्वारा माहिष्मती का निर्माण किया गया?)

8th Class Sanskrit Chapter 15 Mp Board प्रश्न 4.
समुचितमेलनं कुरुत(सही मेल करो-)
Mp Board Class 8 Sanskrit Chapter 15
उत्तर:
(क) → (iii)
(ख) → (iv)
(ग) → (ii)
(घ) → (v)
(ङ) → (i)

Mp Board Class 8 Chapter 15 Sanskrit प्रश्न 5.
उचितपदेन रिक्तस्थानम् पूरयत(उचित शब्द से रिक्त स्थान की पूर्ति करो-)
(क) भवान् कुतः …………। (आगच्छति/आगच्छसि)
(ख) माहिष्मतीनाम्ना …………. प्रसिद्धः। (महेश्वरः/उज्जयिनी)
(ग) राजवाड़ास्थानां …………. वर्तते। (प्रेक्षणीयं/उपेक्षणीयम्)
उत्तर:
(क) आगच्छति
(ख) महेश्वरः
(ग) प्रेक्षणीयम्।

Class 8 Sanskrit Chapter 15 Question Answer Mp Board प्रश्न 6.
भिन्नशब्दं चिनुत(भिन्न शब्द चुनो-)
(क) कुतः, किम्, कुत्र, कथम्, मित्रम्।
(ख) श्रोतुम्, गन्तुम्, नेतुम्, समागत्य, ज्ञातुम्।
(ग) नर्मदा, क्षिप्रा, शिवना, चम्बल, हिमालयः।
(घ) विंशति, अशीति, नवतिः, षष्ठिः, द्रोणः।
(ङ) रामायणम्, महाभारतम्, पुराणम्, काव्यम्, कालिदासः।
उत्तर:
(क) मित्रम्
(ख) समागत्य
(ग) हिमालयः
(घ) द्रोणः
(ङ) कालिदासः।

देवी अहिल्या हिन्दी अनुवाद

Class 8 Sanskrit Chapter 15 Mp Board अञ्जना :
हरिः ॐ! भ्रातः भवान् कुल आगच्छति?

अङ्केश: :
भगिनी, मालवप्रदेशतः आगच्छन् अस्मि।

Class 8 Sanskrit Chapter 15 Solution Mp Board अञ्जना :
तव जन्मदेश: मध्यप्रदेशस्य मालवक्षेत्रे वर्तते किम्? तत्र को विशेषः?

अङ्केश :
आम्! विक्रमादित्य-भोजराजाभ्यामपोषिते मालवक्षेत्रे अहिल्यायाः प्रजावात्सल्यम् इति विषयम् अधिकृत्य लेखनप्रतियोगिता आसीत्।

अञ्जना :
तर्हि, कथय मे अहिल्यावृत्तम्। श्रोतुम् इच्छामि।

Class 8th Sanskrit Chapter 15 Mp Board अनुवाद :
अंजना-हलो! भाई आप कहाँ से आ रहे हो?

अंकेश :
बहन, मालव प्रदेश से आ रहा हूँ।

Class 8th Sanskrit Chapter 15 Solution Mp Board अंजना :
तुम्हारा जन्म का स्थान मध्य प्रदेश के मालव क्षेत्र में है क्या? वहाँ क्या विशेष है?

अंकेश :
हाँ! विक्रमादित्य और भोज राजा के द्वारा पोषित मालव क्षेत्र में अहिल्या का प्रजा प्रेम’ इस विषय के आधार पर लेखन प्रतियोगिता थी।

Sanskrit Class 8 Chapter 15 Mp Board अंजना :
तो, मुझे अहिल्या का चरित्र बताओ। सुनना चाहती हूँ।

अङ्केशः :
सुशीलाबाई-माणकोजी इति। अनयोः सुपुत्री आसीत्। अहिल्याबाई महाराष्ट्रस्य चौण्डीग्रामे पंचविंशत्युत्तरसप्तदश ख्रिस्ताब्दे (१७२५) मईमासस्य एकत्रिंशे (३१) दिनाङ्के जन्म अलभत।

अञ्जना :
नर्मदा-क्षिप्रा-शिवनाचम्बलनदीभिः सम्पन्नस्य मालवक्षेत्रस्य वधूः खण्डेरावस्य पत्नी खलु अहिल्याबाई?

अङ्केश :
आम! सूबेदार मलाररावस्य पुत्रवधूः मालवप्रजानां सर्वस्वम् आसीत्। अहिल्यायाः व्यक्तित्वं बहुमुखि प्रतिभासम्पन्नं वर्तते स्म। एषा प्रजावत्सला, धर्मपरायणा, न्यायनिष्ठा महिला आसीत्। इन्दौरनगरे तस्याः राजवाड़ा क्षेत्रं सुन्दरम् पवित्रं च अस्ति। अद्यापि राजवाड़ास्थलम् इन्दौरनगरस्य हृदयमिव प्रेक्षणीयं वर्तते। अत्र देशविदेशेभ्यः यात्रिकाः दर्शनार्थम् आगच्छन्ति।

अनुवाद :
अंकेश :
(अहिल्याबाई) सुशीलाबाई और माणकोजी इन दोनों की सुपुत्री थी। अहिल्याबाई ने महाराष्ट्र के चौण्डी ग्राम में सत्रह सौ पच्चीस (1725) ईस्वी में मई महीने की इकत्तीस (31) तारीख को जन्म पाया।

अंजना :
नर्मदा, क्षिप्रा, शिवना और चम्बल नदियों से सम्पन्न मालव क्षेत्र की वधू और खण्डेराव की पत्नी क्या अहिल्याबाई थीं ?

अंकेश :
हाँ! सूबेदार महारराव की पुत्रवधू मालव की प्रजा की सब कुछ थी। अहिल्या का व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा से सम्पन्न रहता था। वह प्रजा से प्रेम करने वाली, धर्मपरायण, न्यायनिष्ठ महिला थीं। इन्दौर नगर में उनका राजवाड़ा क्षेत्र सुन्दर और पवित्र है। आज भी राजवाड़ा स्थल इन्दौर नगर के हृदय की तरह देखने योग्य है। यहाँ देश-विदेश से यात्री दर्शन के लिए आते हैं।

अञ्जना :
स्मर न तस्याः धर्मनिष्ठाम्। स्वपुत्रस्य मालेरावस्य मरणानन्तरं नर्मदातीरम् इन्दौरसमीपस्थम् महेश्वरस्थानं राजधानी चकार।

अङ्केश :
पुनः पुनः स्मरतु। प्राचीनकालतः अवन्तिकानाम्नी प्रसिद्धा उज्जयिनी, माहिष्मतीनाम्ना प्रशस्तः महेश्वरञ्चेति स्थानद्वयं मालवक्षेत्रे अन्तर्भवति।

अञ्जना :
राज्ञा महिष्मता निर्मिता माहिष्मती अधुना ‘महेश्वरनगरमेव’ अस्ति। अनूपदेशस्य राज्ञः सहस्रर्जुनस्य राजधानी अपि आसीत्।

अनुवाद :
अंजना-उनकी धर्म निष्ठा को याद कर रहा हूँ। अपने पुत्र मालेराव की मृत्यु के बाद नर्मदा के किनारे इन्दौर के पास महेश्वर (नामक) स्थान को राजधानी बनाया।

अंकेश :
फिर से याद करो। प्राचीन काल से अवन्तिका नाम की प्रसिद्ध उज्जयिनी और माहिष्मती नाम से प्रशंसनीय महेश्वर ये दोनों स्थान मालव क्षेत्र के अन्तर्गत हैं।

अंजना :
राजा महिष्मत् के द्वारा निर्मित माहिष्मती अब ‘महेश्वर’ नगर ही है। अनूपदेश के राजा सहस्रार्जुन की राजधानी भी थी।

अङ्केश: :
अथ किम्! रामायण-महाभारतग्रन्थयोः बौद्धजैनधर्मग्रन्थेषु अपि महेश्वरस्य उल्लेखो वर्तते। कालिदासविरचिते. रघुवंशे माहिष्मती-वर्णनमस्ति। आदिशङ्करमण्डनमिश्रयोः मध्ये शास्त्रार्थचर्चा महेश्वरस्थाने एव अभवत्, एतदेव पुण्यक्षेत्रम् अहिल्यायाः राजधानी च अभवत्।

अञ्जना :
अहिल्याबाई धीरा, शासनप्रवीणा च आसीत् इति पठितवती।

अङ्केश: :
आम्! आम्, सत्यं खल। तस्याः शासनव्यवस्था, अर्थनीतिः, रक्षानीतिः, विद्याप्रीतिः च विशिष्टा इति ज्ञायते।

अनुवाद :
अंकेश :
और क्या! रामायण महाभारत ग्रन्थों में और बौद्ध जैन धर्म ग्रन्थों में भी महेश्वर का उल्लेख है। कालिदास के द्वारा रचित रघुवंश (महाकाव्य) में माहिष्मती का वर्णन है। आदि शंकराचार्य और मण्डनमिश्र के बीच शास्त्रार्थ चर्चा महेश्वर स्थान पर ही हुई और यही पुण्यक्षेत्र अहिल्या की राजधानी हुई।

अंजना :
अहिल्याबाई धीरे और शासन में प्रवीण थीं ऐसा पढ़ा है।

अंकेश :
हाँ! हाँ! निश्चय ही सत्य है। उनकी शासन व्यवस्था, अर्थनीति, रक्षानीति और विद्या के प्रति प्रेम अद्वितीय था, ऐसा जाना जाता है।

अञ्जना :
अहो भाग्यम् मालवक्षेत्रस्य। जयतु कीर्तिशेषा अहिल्याबाई।

अङ्केश: :
जयतु, जयतु लोकमाता अहिल्याबाई।

उभौ :
सर्वंसहा जितक्रोधाऽहिल्याबाईति कीर्तिता।
धर्मार्थकाममोक्षेषु निरता राजते सदा॥

अनुवाद :
अंजना :
ओह! मालव क्षेत्र का भाग्य। केवल यश के रूप में जीने वाली अहिल्याबाई की जय हो।

अंकेश :
लोकमाता अहिल्याबाई की जय हो, जय हो।

दोनों :
धरती क्रोध को जीतने वाली अहिल्याबाई से प्रसिद्ध हुई। जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष में सदा लगी हुई सुशोभित होती हैं।

देवी अहिल्या शब्दार्थाः

प्रजावत्सल्यम् = प्रजा प्रेम। दम्पती = पति और पत्नी। पञ्चविंशत्युत्तरसप्तदश = 1725, (पंचविंशति = 25, उत्तरे = आगे, सप्तदश = 17)। एकत्रिंश=31 अलभत = पाया/प्राप्त किया। सर्वस्वम् = सब कुछ। बहुमुखीप्रतिभासम्पन्नम् = बहुत प्रकार की प्रतिभा से सम्पन्न। विशिष्टा = अद्वितीय, विशिष्ट। कीर्तिशेषा = केवल यश के रूप में जाने वाली। सहा = धरती। जितक्रोधा= क्रोध को जीतने वाली। धर्मार्थकाममोक्षेषु = धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष में। चतुर्विधपुरुषार्थाः = चत्वारः धर्मः, अर्थः, कामः, मोक्षश्च।