MP Board Class 8th Sanskrit Solutions Chapter 4 नीतिश्लोकाः

MP Board Class 8th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 4 नीतिश्लोकाः

MP Board Class 8th Sanskrit Chapter 4 अभ्यासः

Mp Board Class 8 Sanskrit Solution Chapter 4 प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरं लिखत(एक शब्द में उत्तर लिखो-)
(क) भार्या कीदृशी भवेत्? (पत्नी कैसी होनी चाहिए?)
उत्तर:
प्रियवादिनी। (प्रिय बोलने वाली)

(ख) विद्या कीदृशी भवेत्? (विद्या कैसी होनी चाहिए?)
उत्तर :
अर्थकरी। (धन का संग्रह कराने वाली)

(ग) युक्तं नीचस्य किं भवति? (उचित असमर्थ के लिए क्या हो जाता है?)
उत्तर:
दूषणम्। (अनुचित)

(घ) मनुष्यः मृत्यु कथम् आपद्यते? (मनुष्य मृत्यु कैसे प्राप्त करता है?)
उत्तर:
मोहात्। (मोह से)

(ङ) मित्रं कदा जानीयात्? (मित्र को कब जानना चाहिए?)
उत्तर:
आपत्सु। (आपत्तियों में)

Mp Board Class 8 Sanskrit Chapter 4 प्रश्न 2.
एकवाक्येन उत्तरं लिखत(एक वाक्य में उत्तर लिखो-)
(क) अजीर्णे विषं किम्? (अपच में विष क्या है?)
उत्तर:
अजीर्णे भोजनं विषम्। (अपच में भोजन विष है।)

(ख) दारिद्रयं कुत्र नास्ति? (दरिद्रता कहाँ नहीं है?)
उत्तर:
दारिद्रयं उद्योगे नास्ति। (दरिद्रता परिश्रम में नहीं है।)

(ग) मानवः नित्यं किं विचिन्तयेत्? (मनुष्य को सदा क्या सोचना चाहिए?)
उत्तर:
मानवः नित्यं मे किं छिद्रं को सङ्गो किम् अविनिपातितम् कुतः दोषः ममाश्रयेद् इति विचिन्तयेत्। (मनुष्य को सदा मुझमें क्या बुराई है, क्या आसक्ति है, वह कौन-सी वस्तु है जो पतनशील नहीं है। मुझमें दोष कहाँ से आते हैं, यह सोचना चाहिए।)

(घ) गुणेषु कः करणीयः करणीयम्? (गुणों के उपार्जन हेतु क्या करना चाहिए?)
उत्तर:
गुणेषु यत्नः करणीयः। (गुणों के उपार्जन हेतु प्रयास करना चाहिए।)

(ङ) अनभ्यासे किं विषम्? (अभ्यास न करने पर क्या विष है?)
उत्तर:
अनभ्यासे शास्त्रम् विषम्। (अभ्यास न करने पर शास्त्र विष है।)

Class 8 Sanskrit Chapter 4 Mp Board प्रश्न 3.
श्लोकांशान् यथायोग्यं योजयत(श्लोक के अंशों को ठीक-ठीक जोड़ो-)
Mp Board Class 8 Sanskrit Solution Chapter 4
उत्तर:
(क) → (ii)
(ख) → (iv)
(ग) → (v)
(घ) → (i)
(ङ) → (iii)

Mp Board Class 8 Sanskrit Solution प्रश्न 4.
शुद्धवाक्यानां समक्षम् ‘आम्’ अशुद्धवाक्यानां। समक्षं’न’ इति लिखत
(शुद्ध वाक्यों के सामने ‘आम्’ (हाँ) तथा अशुद्ध वाक्यों के सामने ‘न’ (नहीं) लिखो-)
(क) नित्यम् अर्थागमः अरोगिता च इति द्वयं भवेत्।
(ख) अमृतं विषं च द्वयं देहे प्रतिष्ठितम्।
(ग) उद्योगे दारिद्र्यम् अस्ति।
(घ) व्यसनेषु बान्धवान् जानीयात्।
(ङ) सत्येन अमृतम् आपद्यते।
उत्तर:
(क) आम्
(ख) आम्
(ग) न
(घ) आम्
(ङ) आम्।

Mp Board Solution Class 8 Sanskrit प्रश्न 5.
पदानां विभक्तिं वचनं च लिखत(शब्दों के विभक्ति और वचन लिखो-)
उत्तर:
Mp Board Class 8 Sanskrit Chapter 4

(नीति के श्लोकों में नीति होती है। जीवन के विषय में, समाज के विषय में, राष्ट्र के विषय में, धर्म, वैराग्य, संस्कार और परोपकार आदि के विषय में प्रामाणिक, अच्छा चिन्तन और वैज्ञानिक चिन्तन नीति के श्लोकों में पाया जाता है। संस्कृत में नीति को आधार बनाकर श्लोक रचना करने की और शतक (सौ श्लोकों का संग्रह) रचना करने की परम्परा अति प्राचीन है। वस्तुतः थोड़े शब्दों के द्वारा प्रतिष्ठित भावों का, उदात्त विचारों का और श्रेष्ठ विषयों का महत्वपूर्ण विवरण नीति के श्लोकों में पाया जाता है।

नीतिश्लोकाः हिन्दी अनुवाद

अर्थागमोनित्यमरोगिता च प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च।
वश्यश्च पुत्रोऽर्थकरी च विद्या षड् जीवलोकस्य सुखानि राजन्॥१॥

Mp Board Class 8th Sanskrit Solution अनुवाद :
हे राजन्! नित्य धन का आगम हो, निरोगता हो, पत्नी प्यारी हो और प्रिय बोलने वाली हो, आज्ञा का पालन करने वाला पुत्र हो और धन का संग्रह कराने वाली विद्या हो, ये छह संसार के सुख हैं।

अयुक्तं स्वामिनो युक्तं युक्तं नीचस्य दूषणम्।
अमृतं राहवे मृत्युः विषं शङ्करभूषणम्॥२॥

Mp Board Class 8 Sanskrit अनुवाद :
समर्थ (शक्तिशाली) व्यक्ति के लिए अनुचित भी उचित हो जाता है और नीचे स्तर के (असमर्थ) व्यक्ति के लिए उचित भी अनुचित हो जाता है। जैसे राहु को अमृत पीने से भी मृत्यु मिली और विषपान करना शंकरजी के लिए भूषण हो गया।

अमृतं चैव मृत्युश्च द्वयं देहे प्रतिष्ठितम्।
मृत्युमापद्यते मोहात् सत्येनापद्यतेऽमृतम्॥ ३॥

नीति श्लोक अर्थ सहित Class 8 अनुवाद :
अमरता और मृत्यु दोनों शरीर में स्थित हैं। मोह में फंसे रहने से मृत्यु प्राप्त होती है और सत्य को जानने से अमरता प्राप्त होती है।

आपत्सु मित्रं जानीयाद् युद्धे शूरं धने शुचिम्।
भार्या क्षीणेषु वित्तेषु व्यसनेषु च बान्धवान्।॥४॥

Mp Board 8th Class Sanskrit Solution अनुवाद :
मित्र को आपत्तियों में, शूरवीर को युद्ध में, पवित्रता को धन में, पत्नी को धन नष्ट हो जाने पर और भाई-बन्धुओं को संकटों में जानना (पहचानना) चाहिए।

आरोप्यते शिला शैले यत्नेन महता यथा।
निपात्यते क्षणेनाधः तथात्मा गुणदोषयोः॥५॥

Class 8 Sanskrit Mp Board Solution अनुवाद :
जैसे पर्वत पर शिला बहुत ही कठिनाई से चढ़ाई जाती है और एक क्षण में ही नीचे गिरा दी जाती है वैसे ही प्राणी गुण और दोष ग्रहण करता है। (अर्थात् गुण कठिनता से एवं दोष सरलता से ग्रहण करता है।)

उद्योगे नास्ति दारिद्रयं जपतो नास्ति पातकम्।
मौने च कलहो नास्ति नास्ति जागरिते भयम्॥६॥

कक्षा 8 संस्कृत पाठ 4 अनुवाद :
परिश्रम करने से दरिद्रता (गरीबी) नहीं रहती – है, भगवान् का नाम लेने से पाप नहीं रहते हैं। मौन (चुप) रहने। से लड़ाई-झगड़ा नहीं होता है और जागते रहने से (चोर आदि का) भय नहीं होता है।

किं छिद्रं को नु सङ्को मे किं वास्त्यविनिपातितम।
कुतो ममाश्रयेद् दोषः इति नित्यं विचिन्तयेत्॥७॥

Sanskrit Mp Board Class 8 अनुवाद :
मुझमें क्या बुराई है, क्या आसक्ति है अथवा वह कौन-सी वस्तु है जो पतनशील (नष्ट होने वाली) नहीं है। मुझमें दोष (बुराइयाँ) कहाँ से आते हैं, इनके विषय में सदा। सोचना चाहिए।

गुणेषु क्रियतां यत्नः किमाटोपैः प्रयोजनम्।
विक्रीयन्ते न घण्टाभिर्गावः क्षीरविवर्जिताः॥ ८॥

MP Board Class 8 Sanskrit Solution अनुवाद :
गुणों के उपार्जन में प्रयास करना चाहिए, बाहरी – आडम्बरों (दिखावों) से क्या लाभ है। क्योंकि घण्टे लटकाने से दूध न देने वाली गायें नहीं बिकती हैं।

निर्धनस्य विषं भोगो निस्सत्त्वस्य विषं रणम्।
अनभ्यासे विषं शास्त्रम् अजीर्णे भोजनं विषम्॥९॥

Mp Board Class 8 Sanskrit Book Solution अनुवाद :
निर्धन के लिए भोग-विलास विष है, अशक्त। (शक्तिहीन) के लिए युद्ध विष है, अभ्यास न करने के लिए। शास्त्र विष हैं (और) अपच होने पर भोजन विष है।

नीतिश्लोकाः शब्दार्थाः

अर्थागमः = धन का आगम। अरोगिता = निरोगता। वश्यः = आज्ञापालक। अर्थकरी = धन संग्रह कराने वाली। अयुक्तम् = अनुचित, अयोग्य। स्वामिनः = समर्थ जन का। युक्तम् = उचित वस्तु या उपयोगी वस्तु। अमृतम् = अमृत, अमरता। मृत्युमापद्यते = मृत्यु को पाता है। आपत्सु = आपत्तियों में। व्यसनेषु = संकटों के समय। जानीयात् = जानना चाहिए। आरोप्यते = चढ़ाई जाती है। निपात्यते = गिराई जाती है। तथात्मा = वैसे ही प्राणी, व्यक्ति। अधः = नीचे। उद्योगे = उद्यम करने पर। दारिद्रयम् = गरीबी। जपतः = भगवान् का नाम लेने वाले का। कलहः = लड़ाई-झगड़ा। छिद्रम् = दुर्बलता, गलती, बुराई। सङ्ग = आसक्ति। अविनिपातितम् = वह कौन-सी वस्तु जो पतनशील नहीं है। ममाश्रयेत् = मुझ में आते हैं। विचिन्तयेत् = चिन्तन करना चाहिए। गुणेषु = गुण के उपार्जन में। किमाटोपैः = बाहरी आडम्बरों से क्या। घण्टाभिः = घण्टे लटकाने से। क्षीरविवर्जिताः = दूध से रहित। भोगः = भोग-विलास। निस्सत्वस्य = अशक्त के लिए। अनभ्यासे = अभ्यास न करने पर। अजीर्णे = अपच में।

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