MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 14 लोकमान्यतिलकः

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MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 14 लोकमान्यतिलकः

MP Board Class 7th Sanskrit Chapter 14 अभ्यासः

Mp Board Class 7 Sanskrit Chapter 14 प्रश्न 1.
एक शब्द में उत्तर लिखो
(क) लोकमान्यतिलकः कः आसीत्? [लोकमान्य तिलक कौन थे?]
उत्तर:
महान देशभक्तः

(ख) तिलक: केन उपाधिना विभूषितः? [तिलक किस उपाधि से विभूषित थे?]
उत्तर:
लोकमान्यः इति

(ग) तिलकस्य प्रभावेण देशे का सञ्जाता? [तिलक के प्रभाव से देश में क्या हो गई?]
उत्तर:
नवचेतना

(घ) तिलकः कस्मिन् मासे दिवङ्गतः? [तिलक किस महीने में स्वर्गवासी हो गये?]
उत्तर:
अगस्तमासे

(ङ) कस्य सहायतां प्रभुः करोति? [प्रभु किसकी सहायता करता है?]
उत्तर:
कर्मशीलस्य।

Class 7 Sanskrit Chapter 14 Hindi Translation प्रश्न 2.
एक वाक्य में उत्तर लिखो
(क) तिलकस्य जन्मस्थानं कुत्र अस्ति? [तिलक का जन्म स्थान कहाँ है?]
उत्तर:
तिलकस्य जन्म स्थानं महाराष्ट्र प्रान्ते रत्नगिरि मण्डले अस्ति। [तिलक का जन्म स्थान महाराष्ट्र प्रान्त के रत्नगिरि मण्डल में है।]

(ख) तिलकस्य जनकः कः आसीत? [तिलक के पिता कौन थे?]
उत्तर:
तिलकस्य जनकः गङ्गाधरः एक कुशल शिक्षकः लेखकः च आसीत्। [तिलक के पिता गंगाधर एक कुशल शिक्षक और लेखक थे।]

(ग) तिलकः छात्रजीवने कं निश्चयम् अकरोत्? [तिलक ने छात्र जीवन में क्या निश्चय किया था?]
उत्तर:
तिलक: छात्रजीवने निश्चयम् अकरोत् यत् “अहं शासकीय सेवां न करिष्यामि” आजीवनं भारतस्य स्वतन्त्रतायाः कृते सङ्घर्षम् करिष्यामि च। [तिलक ने छात्र जीवन में निश्चय किया कि “मैं शासकीय सेवा नहीं करूंगा।” आजीवन भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करूंगा।

(घ) तिलकेन कः ग्रन्थः रचितः? [तिलक ने किस ग्रंथ की रचना की?]
उत्तर:
तिलकेन ‘गीतारहस्य’ नामक ग्रन्थम् अरचयत्। [तिलक ने ‘गीता रहस्य’ नामक ग्रन्थ की रचना की।]

(ङ) तिलकः किम् अघोषयत्? [तिलक ने क्या घोषणा की?]
उत्तर:
तिलकः अघोषयत् “स्वराज्य मम जन्मसिद्धः अधिकारः अस्ति।” [तिलक ने घोषणा की “स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है।”]

Mp Board Class 7 Sanskrit Chapter 14 Hindi Translation प्रश्न 3.
रेखांकित शब्द के आधार पर प्रश्न निर्माण करो
(क) लोकमान्य तिलक: महान् देशभक्तः आसीत्।
(ख) तिलकः राष्ट्रसेवायाः कृते संलग्नः अभवत्।
(ग) जनजागरणस्य कृते सः शिवराजोत्सवस्य गणोशोत्सवस्य च प्रारम्भम् अकरोत्।
(घ) कर्मशीलस्य सहायतां प्रभुः करोति।
(ङ) तिलकः भारतभालस्य ‘तिलकम्’ इव भाति।
उत्तर:
(क) कः महान् देशभक्तः अस्ति?
(ख) तिलकः कस्य कृते संलग्नः अभवत्?
(ग) कस्य कृते सः शिवराजोत्सवस्य गणोशेत्सवस्य च प्रारम्भम् अकरोत्?
(घ) कस्य सहायतां प्रभुः करोति?
(ङ) कः भारतभालस्य ‘तिलकम्’ इव भाति।

प्रश्न 4.
अधोलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्दों को लिखो
(क) जनकः
(खा) निर्भयः
(ग) मिथ्या
(घ) परमेश्वरः
(ङ) भालः।
उत्तर:
(क) पिता
(ख) भयरहितः
(ग) असत्यम्
(घ) परमात्मा
(ङ) मस्तकः।

प्रश्न 5.
अधोलिखित शब्दों के विलोम शब्दों को लिखो
(क) निर्दोषः
(ख) स्वतन्त्रता
(ग) अस्ति
(घ) जन्म
(ङ) उद्यमहीनः
उत्तर:
(क) सदोषः
(ख) परतन्त्रता
(ग) नास्ति
(घ) मरणम्
(ङ) कर्मशीलः।

प्रश्न 6.
उचित शब्दों से रिक्त स्थानों को पूरा करो-
(लोकमान्यः, भारतभालस्य, अस्माकं, संलग्नः, अगस्तमासस्य)
(क) तिलक: राष्ट्रसेवायाः कृते ………….. अभवत्।
(ख) तिलकमहोदयः ……….. देशस्य गौरवम्।
(ग) ……….. प्रथमदिनाङ्के १९२० तमे वर्षे सः दिवङ्गतः।
(घ) तिलकः …………. तिलकम् इव भाति।
(ङ) सः ………… इति उपाधिना विभूषितः।
उत्तर:
(क) संलग्नः
(ख) अस्माकं
(ग) अगस्तमासस्य
(घ) भारतभालस्य
(ङ) लोकमान्यः।

प्रश्न 7.
सन्धि करो
(क) शिवराज + उत्सवः
(ख) गणेश + उत्सवः
(ग) तस्य + उपरि
(घ) परम + आत्मा
(ङ) परम + ईश्वरः।
उत्तर:
(क) शिवराजोत्सवः
(ख) गणेशोत्सवः
(ग) तस्योपरि
(घ) परमात्मा
(ङ) परमेश्वरः।

प्रश्न 8.
चतुर्थी विभक्ति के स्थान पर षष्ठी विभक्ति के साथ ‘कृते’ शब्द जोड़कर लिखो।
(क) त्यागाय
(ख) ग्रामाय
(ग) नगराय
(घ) विद्यालयाय
(ङ) समाजाय।
उत्तर:
(क) त्यागस्य कृते
(ख) ग्रामस्य कृते
(ग) नगरस्य कृते
(घ) विद्यालयस्य कृते
(ङ) समाजस्य कृते।

लोकमान्यतिलकः हिन्दी अनुवाद

लोकमान्यबालगङ्गाधरतिलकः महान देशभक्तः आसीत्। महाराष्ट्रप्रान्ते रत्नगिरिमण्डले जुलाईमासस्य त्रयोविंशतितमे दिनाङ्के, १८५६ ख्रिस्ताब्दे तस्य जन्म अभवत्। तस्य जनकः गङ्गाधरः कुशलशिक्षकः लेखकः च आसीत्।

तिलकः गणितस्य, संस्कृतभाषायाः, विधिशास्त्रस्य च प्रकाण्डपण्डितः आसीत्। सः छात्रजीवने एव निश्चयम् अकरोत् यत् “अहं शासकीयसेवां न करिष्यामि।” आजीवनं भारतस्य स्वतन्त्रतायाः कृते सङ्घर्षं करिष्यामि च इति। – सः अघोषयत्, ‘स्वराज्यं मम जन्मसिद्धः अधिकारः अस्ति।’

अनुवाद :
लोकमान्य बालगंगाधर तिलक महान देशभक्त थे। महाराष्ट्र प्रान्त के रत्नगिरि मण्डल में जुलाई के महीने की तेईसवीं तारीख को सन् १८५६ में उनका जन्म हुआ। उनके पिता गंगाधर एक कुशल शिक्षक और लेखक थे।

तिलक गणित के, संस्कृत भाषा के तथा विधिशास्त्र (कानून) के प्रकाण्ड पण्डित थे। उन्होंने छात्रजीवन में ही निश्चय कर लिया था कि “मैं शासकीय सेवा नहीं करूँगा।” और जीवनपर्यन्त भारत की आजादी के लिए संघर्ष करूँगा।

उन्होंने घोषणा की “स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है।”

तिलकः राष्ट्रसेवायाः कृते संलग्नः अभवत्। जनजागरणस्य कृते सः शिवराजोत्सवस्य गणेशोत्सवस्य च प्रारम्भम् अकरोत्। सः केसरी-मराठेति समाचारपत्रयोः सम्पादनं च अकोरत्। तिलकमहोदयस्य प्रभावेण देशे स्वतन्त्रायै नवचेतना सञ्जाता। सः लोकमान्यः इति उपाधिना विभूषितः। तस्य प्रभावम् असहमानाः आंग्लाः तस्योपरि राजद्रोहस्य मिथ्याभियोगं न्यायालये प्रस्तुतवन्तः। न्यायाधीशेन सः षट्वर्षभोग्येन कारावासेन दण्डितः। सः निर्भयम् अवदत्, “अस्मात् न्यायालयात् परमेश्वरस्य न्यायालयः उच्चतरः अस्ति। तस्मिन् अहं निर्दोषः अस्मि।” कारागारे सः ‘गीतारहस्य’ नामक ग्रन्थम् अरचयत्।

अनुवाद :
तिलक राष्ट्रसेवा के लिए संलग्न हो गये। जनजागरण के लिए उन्होंने शिवराजोत्सव को और गणेशोत्सव को प्रारम्भ किया। उन्होंने केसरी और मराठा नामक दो समाचार पत्रों का सम्पादन किया। तिलक महोदय के प्रभाव से देश में स्वतन्त्रता के लिए नवचेतना उत्पन्न हो गयी। उन्हें लोकमान्य की उपाधि से विभूषित किया। उनके प्रभाव को सहन न करते हुए अंग्रेजों ने उनके ऊपर राजद्रोह का झूठा अभियोग न्यायालय में प्रस्तुत किया। न्यायाधीश ने उन्हें छः वर्ष तक के कारावास भोगने से दण्डित किया। उन्होंने निर्भय होकर कहा-“इस न्यायालय से परमात्मा का न्यायालय अपेक्षाकृत ऊँचा है। उसमें मैं निर्दोष हूँ।” कारागार में ही उन्होंने ‘गीता रहस्य’ नामक ग्रन्थ की रचना की।

सः महान् कर्मयोगी आसीत्। सः अकथयत् “उद्यमहीनस्य सहायतां परमात्मा अपि न करोति। कर्मशीलस्य सहायतां प्रभुः करोति।”

अगस्तमासस्य प्रथमदिनाङ्के १९२० तमे वर्षे सः दिवंगतः। सत्यम्! बालगङ्गाधरतिलकमहोदयः अस्माकं देशस्य गौरवम्।

केनापि सुष्ठुउक्तम्, “तिलकः” भारतभालस्य तिलकम्’ इव भाति।

अनुवाद :
वे महान कर्मयोगी थे। उन्होंने कहा था-“उद्यमहीन की (आलसी की) सहायता परमात्मा भी नहीं करता है। कर्मशील (व्यक्ति) की सहायता प्रभु करते हैं।”

अगस्त महीने की पहली तारीख को सन् १९२० ई. में उनका स्वर्गवास हो गया। सत्य है! बालगंगाधर तिलक महोदय हमारे देश के गौरव थे।

किसी ने ठीक ही कहा है “तिलक” भारतवर्ष के मस्तक के तिलक की भाँति शोभा पाते हैं।

लोकमान्यतिलकः शब्दार्थाः

जनकः = पिता। कृते = लिए। असहमाना=सहन न करने वाले। आंग्लाः = अंग्रेज। तस्योपरि = उनके ऊपर। मिथ्या = झूठा। प्रस्तुतवन्तः = प्रस्तुत किया। निर्दोषः = दोषरहित। अरचयत् = रचना की। दिवङ्गतः = मृत्यु हो गई।