Students get through the MP Board Class 12th Hindi Important Questions General Hindi व्याकरण which are most likely to be asked in the exam.
MP Board Class 12th General Hindi व्याकरण Important Questions
दो या दो से अधिक शब्दों के ऐसे मेल को जिसमें उन शब्दों के बीच सम्बन्ध बताने वाले अन्य लोप हो जाते हैं, समास कहते हैं। (म. प्र. 2012)
यथा:
भाईबहिन = भाई और बहिन।
(बीच का सम्बन्ध बताने वाला शब्द ‘और’ लोप है।)
सामासिक पदों के बीच सम्बन्ध स्पष्ट करने के लिए विभक्तियों को रखना ‘विग्रह’ कहलाता है।
जैसे – भाईबहिन सामासिक शब्द हैं, इसका विग्रह ‘भाई और बहिन’ हुआ।
समास के प्रकार:
समास छः प्रकार के होते हैं –
1. अव्ययीभाव समास:
जब दो पदों में एक पद अव्यय तथा दूसरा पद संज्ञा होकर मेल होता है, उसे अव्ययी भाव समास कहते हैं।
उदाहरण –
इसी प्रकार:
आमरण, अनुरूप, हररोज, भरपेट, अतिकाल, धीरे-धीरे, समूल आदि अव्ययी भाव समास हैं।
2. तत्पुरुष समास:
यह ऐसे दो पदों का मेल है जिसमें बाद का पद प्रधान होता है। जैसे –
3. कर्मधारय समास:
इसमें पहला पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य होता है। जैसे – प्रधानाध्यापक, महापुरुष, घनश्याम।
प्रधान + अध्यापक = प्रधानाध्यापक (इसमें प्रधान’ विशेषण है) (म. प्र. 2009)
महा + पुरुष = महापुरुष (इसमें ‘महा’ विशेषण है)
घन + श्याम = घनश्याम (इसमें ‘घन’ विशेषण है)
इसी प्रकार:
लाल मिर्च, चरण-कमल, पीतांबर नीलगगन (नील + गगन) ‘नील’ विशेषण है।
4. द्विगु समास:
यह ऐसे पदों का मेल है जिसमें प्रथम पद संख्यावाचक विशेषण तथा दूसरा पद संज्ञा हो। जैसे – नवरत्न, त्रिभुवन, चतुष्पदी, चौमास। पंचवटी (पाँच वटों का समूह), त्रिकाल, नवरात्रि, चुतर्वेद (चार वेदों का समूह)।
5. द्वन्द्व समास:
दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों के बीच ‘और’ शब्द का लोप होता है। जैसे – (म. प्र. 2012, 16)
माता-पिता = माता और पिता (म. प्र. 2018)
राजारानी = राजा और रानी
दयाधर्म = दया और धर्म
अन्नजल = अन्न और जल
इसी प्रकार:
नामोनिशान, खाना-पीना, भीतर-बाहर, सोना-चाँदी, जलवायु।
6. बहुब्रीहि समास:
यह ऐसे पदों का मेल है जिससे बना तीसरा पद नवीन अर्थ देता है। जैसे-लम्बोदर-लम्बा है उदर जिसका अर्थात् गणेश। नीलकंठ-नीला है कंठ जिसका अर्थात् शंकर।
दशानन दस + आनन = रावण। पीताम्बर-जिसका वस्त्र पीला है अर्थात् श्रीकृष्ण। (म. प्र. 2013)
प्रश्न 1.
नीचे दिए समास युक्त पदों का विग्रह कीजिए –
उत्तर:
प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनिए –
1. “यथाशक्ति” में समास है –
(क) बहुब्रीहि समास
(ख) अव्ययीभाव समास
(ग) द्विगु समास
(घ) द्वन्द्व समास।
उत्तर:
(ख) अव्ययीभाव समास।
2. “नीलकंठ” में समास है – (म. प्र. 2016)
(क) द्वन्द्व समास
(ख) द्विगु समास
(ग) बहुब्रीहि समास
(घ) तत्पुरुष समास।
उत्तर:
(ग) बहुब्रीहि समास।
3. “अतल” शब्द का सही अर्थ है – (म. प्र. 2016)
(क) आग
(ख) धरातल
(ग) हवा
(घ) गहरा।
उत्तर:
(घ) गहरा।
4. ‘करुण रस’ का स्थायी भाव है – (म. प्र. 2013)
(क) रौद्र
(ख) क्रोध
(ग) शोक
(घ) हास।
उत्तर:
(ग) शोक।
5. कर्मधारय समास का उदाहरण है – (म. प्र. 2018)
(क) अष्टांग
(ख) दोराहा
(ग) माता-पिता
(घ) कनकलता।
उत्तर:
(ग) कनकलता।
प्रश्न 2.
उचित विराम चिन्हों का प्रयोग कीजिए –
‘मंत्री को फिक्र हुई अब कौन राज संभाले कौन राजा बने ऐसा चतुर आदमी कहाँ मिले कैसे मिले मंत्री को कुछ सूझ नहीं रहा था क्या करे राजा का चुनाव साधारण काम तो नहीं राज्य भर के जनता के हित अनहित का सवाल था।
उत्तर:
मंत्री को फिक्र हुई, अब कौन राज-काज सँभाले? कौन राजा बने? ऐसा चतुर आदमी आखिर कहाँ मिले, कैसे मिले? मंत्री इसी सोच में थे। मंत्री को कुछ सूझ नहीं रहा था, क्या करें?
राजा का चुनाव साधारण काम तो था नहीं …. राज्य भर की जनता के हित-अनहित का सवाल था।
प्रश्न 3.
‘रामाधार’ में संधि का नाम बताइए।
उत्तर:
दीर्घ स्वर संधि।
संक्षेपण
संक्षेपण हेतु आवश्यक नियम –
- मूल अवतरण को कम-से-कम दो-तीन बार अवश्य पढ़ना चाहिए तथा अवतरण में आये मुख्य भावों एवं विचारों का पता लगाना चाहिए।
- पूछे गये प्रश्नों का उत्तर अवतरण में ही ढूँढ़ना चाहिए।
- उत्तर संक्षिप्त हो और साफ हो। अनावश्यक शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए।
- अपठित गद्यांश का सारांश मूल का एक-तिहाई या आधा होना चाहिए। सारांश में अवतरण की सभी मुख्य बातें समाविष्ट हो जानी चाहिए।
- गद्यांश का शीर्षक छोटा हो तथा अवतरण केकेन्द्रीय भाव पर आधारित हो।
- गद्यांश के शीर्षक की खोज उसकी आरम्भ या अन्त की पंक्तियों में की जानी चाहिए।
प्रश्न 1.
संक्षेपण किसे कहते हैं? (म. प्र. 2018)
उत्तर:
एक समग्र भाव से पूर्ण अवतरण का पुन:सर्जन है। उसमें मूल अवतरण की सभी आवश्यक बातों को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इसमें क्रमबद्धता, स्पष्टता और प्रवाह होना आवश्यक है।
इसका आकार मूल अवतरण का 1/3 होता है। एक प्रकार से संक्षेपण मूल रचना का पुनः सर्जन है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
1. आज मानव जाति ऐसे चौराहे पर खड़ी है, जहाँ से वह चाहे तो उस मार्ग को चुन सकती है, जो विज्ञान और आध्यात्म के समन्वय से बनने वाली दुनिया की ओर ले जाता है और चाहे तो वह ऐसे रास्ते पर जा सकती है, जहाँ संपूर्ण मानव अपने से ही टकराकर चूर हो जाएगा।
हमें कौन-सा रास्ता चुनना है, यह सोचने में हम जितनी देर लगायेंगे उतना ही संकट बढ़ता जायेगा। यह निश्चित है कि यदि मनुष्य अपने को परमाणु अस्त्रों के भंवर में फँसने से बचा सका, तो आज उसने अपने प्रयलों से ऐसी वैज्ञानिक उपलब्धियाँ प्राप्त कर ली हैं, जिनके कारण वह शीघ्र ही विराट विश्व का नागरिक बन सकता है। (म. प्र. 1997, संभावित)
प्रश्न
- आज मानव-जाति के समक्ष कौन-सा भयावह संकट उत्पन्न हो गया है?
- आपस की टकराहट से बचने के लिए क्या किया जा सकता है?
- आज वैज्ञानिक उपलब्धियों का क्या दुरुपयोग हो रहा है?
- वैज्ञानिक उपलब्धियों से मनुष्य क्या लाभ उठा सकता है?
उत्तर:
- मानव जाति के सामने सबसे भयावह संकट यह उत्पन्न हो गया है कि वह या तो विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय से बनने वाली दुनिया की ओर जा सकती है या फिर वह ऐसे रास्ते पर जा सकती है जहाँ संपूर्ण मानव अपने से ही टकराकर चूर हो जायेगा।
- आपस की टकराहट से बचने के लिए विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय का मार्ग अपनाना होगा।
- वैज्ञानिक उपलब्धियों का उपयोग परमाणु अस्त्रों को बनाने में हो रहा है।
- वैज्ञानिक उपलब्धियों से मनुष्य विराट विश्व का नागरिक बन सकता है।
2. आज विज्ञान अपनी उन्नति के शिखर पर है। इस क्षेत्र में अनेक आविष्कार हुए हैं, उन सब में ‘परमाणु-शक्ति’ का आविष्कार विशेष महत्व का है। परमाणु शक्ति दो रूप वाली है इसका एक रूप जन-जीवन के भयंकर संहार में लग सकता है।
दूसरा रूप शान्तिमय उपयोग है, जिनके द्वारा विश्व में मानव का जीवन कल्याणमय बन सकता है।
प्रश्न
- उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
- गद्यांश का सारांश लिखिए।
उत्तर:
- शीर्षक – ‘परमाणु शक्ति’।
- सारांश – परमाणु शक्ति का आविष्कार विज्ञान का महत्वपूर्ण आविष्कार है। इसके सदुपयोग से मानव का जीवन कल्याणमय हो सकता है और दुरुपयोग से मानव जीवन का संहार भी हो सकता है।
3. आलस्य मनुष्य के शरीर व मन का सबसे बड़ा शत्रु है। जो व्यक्ति आलसी होता है वह सदा अपने को असहाय सा महसूस करता है। जरा-सी मुसीबत आने पर उसके हाथ-पाँव फूल जाते हैं।
वह ईश्वर को पुकारने लगता है। आलसी मनुष्य अपनी दृष्टि में दीन-हीन बनता है। वह समाज की नजरों में भी गिर जाता है। एक समय ऐसा आता है कि वह अपनी आदत को चाहकर भी नहीं बदल सकता।
प्रश्न
- उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक दीजिए।
- मनुष्य अपने को असहाय क्यों महसूस करता है?
उत्तर:
- शीर्षक – ‘आलस्य सबसे बड़ा शत्रु’।
- आलस्य के कारण मनुष्य अपने को असहाय समझता है।
4. गाँधी और रवीन्द्रनाथ एक हिमालय से निकलकर पूर्व और पश्चिम में बहने वाली गंगा और सिन्धु के समान दो धारायें हैं। रवीन्द्र और गाँधी आर्य संस्कृति की दो महान् देन हैं। एक में उसके हृदय की सुकुमारता और दूसरे में उसकी आत्मा की तेजस्विता चमक रही है।
दोनों इतने महान् हैं कि हमारी स्थिति कबीर के समान हो जाती है, “गुरु गोविन्द दोऊ खड़े काके लागूं पाय।” (म. प्र. 2001, संभावित)
प्रश्न
- उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक दीजिए।
- उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिये।
उत्तर:
- शीर्षक – ‘गाँधी और रवीन्द्रनाथ’।
- सारांश – गाँधी और रवीन्द्रनाथ दोनों महान् पुरुष एक हिमालय से निकलने वाली गंगा और सिन्धु के समान दो धाराओं की तरह हैं। दोनों महापुरुष आर्य संस्कृति की महान् उपलब्धि हैं।
5. “आत्मविश्वास का अर्थ अहंकार नहीं है।” अहंकार तथा आत्मविश्वास में बहुत अंतर है। आत्मविश्वास वस्तुतः आत्मज्ञान है। वह अपनी शक्तियों की सही पहचान का नाम है। आत्मविश्वास उस अनुभूति का नाम है जो व्यक्ति को उसकी योग्यता से प्राप्त होती है।
जब एक व्यक्ति किसी कार्य के विषय में अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा अपनी कार्य योग्यता अधिक समझता है, जो कार्य अन्य व्यक्तियों को कठिन अथवा असम्भव प्रतीत होता है, उसे वह सरल तथा सम्भव समझता है। यह आत्मविश्वास का परिणाम है। (म. प्र. 1999 P, 02 R)
प्रश्न
- उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
- गद्यांश का सारांश लिखिए।
उत्तर:
- शीर्षक – ‘आत्मविश्वास का फल’।
- सारांश – “आत्मविश्वास एक प्रकार का आत्मज्ञान ही है।”
हम अपनी शक्तियों की पहचान आत्म विश्वास के द्वारा ही कर सकते हैं। आत्मविश्वास से हमारी कार्य-क्षमताएँ, कार्य कुशलताएँ एवं कार्य की योग्यताएँ विकसित होती हैं। आत्मविश्वास का परिणाम है कठिनाई का निवारण एवं असम्भव को सम्भव बनाने की क्षमता का विकास।
6. अनुशासन विद्यार्थी का वरेण्य गुण है, अनुशासनहीन विद्यार्थी हर क्षेत्र में अपयश का कारण बनता है। उसकी प्रगति अवरुद्ध हो जाती है। अनुशासन की उपेक्षा करने वाला विद्यार्थी अनेक गुणों से वंचित रह जाता है।
देश का भावी नागरिक होने के कारण उसके लिए अनुशासन नितांत आवश्यक है।
प्रश्न
- उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
- गद्यांश का सारांश लिखिये।
उत्तर:
- शीर्षक – ‘विद्यार्थी और अनुशासन’।
- सारांश – अनुशासनहीन विद्यार्थी की प्रगति नहीं हो पाती। भावी नागरिक बनने के लिए विद्यार्थी में अनुशासन का होना नितांत आवश्यक है।
7. प्रत्येक सम्प्रदाय के लोग अपने-अपने धर्म और अपनी-अपनी संस्कृति के अनुसार जीवन व्यतीत करने में स्वतंत्र हैं। राष्ट्र किसी धर्म या संस्कृति में बाधक नहीं है और न एक सम्प्रदाय को दूसरे सम्प्रदाय के धर्म और संस्कृति में बाधक होना चाहिए।
धर्म एकता का द्योतक है। उसे पार्थक्य का साधन नहीं बनाना चाहिए। जो सम्प्रदाय अपने धर्म का आदर चाहता है उसे दूसरे धर्म का आदर करना चाहिए। सब धर्म मूल में एक ही हैं और वे मनुष्य के साथ व्यवहार सिखाते हैं। ईश्वर किसी सम्प्रदाय में सीमित नहीं हो सकता। इसलिए कबीर और गाँधी जैसे महात्माओं ने राम और रहीम की एकता मानी है।
प्रश्न
- गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
- गद्यांश का सारांश लगभग 40 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
- शीर्षक-‘साम्प्रदायिक एकता’।
- सारांश-धर्म एकता का प्रतीक है इसलिए एक सम्प्रदाय को दूसरे सम्प्रदाय के धर्म और संस्कृति का विरोध नहीं करना चाहिए। ईश्वर सर्वव्यापी है, इसलिए राम-रहीम को एक ही माना गया है।
8. व्यायाम करने से मनुष्य का शरीर सुगठित, स्वस्थ, सुन्दर एवं सुडौल बनता है। हजारों की भीड़ में से कसरती बदन वाला व्यक्ति सहज पहचाना जा सकता है। कसरत करने वाले व्यक्ति का शरीर तंत्र स्वस्थ बना रहता है। पाचन शक्ति मजबूत होती है। रक्त प्रवाह तेज होता है। आलस्य दूर भागता है। स्फूर्ति आती है। मांस-पेशियाँ लचीली हो जाती हैं, जिससे क्रिया शक्ति बढ़ जाती है, मन एवं तन दोनों स्वस्थ रहता है।
प्रश्न
- इस गद्यांश का शीर्षक दीजिए।
- व्यायाम से शरीर को कौन-से लाभ होते हैं?
उत्तर:
- शीर्षक – ‘व्यायाम से लाभ’।
- व्यायाम करने से मनुष्य का शरीर सुगठित, स्वस्थ, सुन्दर एवं सुडौल बनता है।
अनेकार्थी शब्द एवं समोच्चारित शब्द
परिभाषा:
एक से अधिक अर्थ देने वाले शब्द अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं। प्रसंग के अनुसार एक ही शब्द का एक स्थान पर एक अर्थ और दूसरे स्थान पर दूसरा अर्थ लिया जाता है। (म. प्र. 2018)
भिन्नार्थक समोच्चारित शब्द:
वे शब्द जिनका उच्चारण लगभग एक समान किन्तु अर्थ भिन्न-भिन्न होते हैं, समोच्चारित शब्द कहलाते हैं। इन्हें भिन्नार्थक युग्म या ईषत समरूपी भी कहते हैं। (म. प्र. 2010)
1. वात – बात (म. प्र. 2010)
वात (हवा):
घुटने में वात रोग हो गया है।
बात (कथन):
वह मुझसे बात नहीं करता।
2. वन – बन
वन (जंगल):
अमरकंटक में सघन वन है।
बन (बनना):
मेरा काम बन जाएगा।
3. अपेक्षा – उपेक्षा (म. प्र. 2009, 14)
अपेक्षा (तुलना):
आपसी संबंधों में हम अपेक्षा करते ही हैं।
उपेक्षा (अवहेलना):
वह अपनी उपेक्षा से आहत था।
4. चिंता – चिता
चिंता (सोच):
राम को परीक्षा में पास होने की चिंता लगी रहती है।
चिता (मृत्युशैय्या):
लोग चिता पर चढ़ जाते हैं, किन्तु चिंता से मुक्त नहीं हो पाते।
5. ओर – और
ओर (दिशा):
मोहन पूर्व दिशा की ओर गया है।
और (अन्य):
राम और मोहन घनिष्ठ मित्र हैं।
6. तरणी – तरणि (म. प्र. 2010)
तरणी (नाव):
नदी पर तरणी तैर सकती है।
तरणि (सूर्य):
तरणि की प्रखरता से सब बेचैन हैं।
7. सुत – सूत (म. प्र. 2009)
सुत (पुत्र):
राम दशरथ के सुत थे।
सूत (धागा):
कच्चा सूत पूजा में काम आता है।
8. क्षात्र – छात्र (म. प्र. 2017)
क्षात्र (क्षत्रिय):
देश की रक्षा क्षत्रिय धर्म है।
छात्र (विद्यार्थी):
छात्र देश के वास्तविक नागरिक हैं।
9. कुल – कूल
कुल (परिवार):
वह अच्छे कुल का है।
कूल (किनारा):
कृष्ण यमुना के कूल पर विचरण करते थे।
10. अंक – अंक (म. प्र. 2018)
अंक (गोद):
वह माँ के अंक में समा गया।
अंक (गणना):
उसे अंक का ज्ञान नहीं है।
11. हंस – हँस (म. प्र. 2014)
हंस (पक्षी):
मानसरोवर में हंस विचरण करते हैं।
हँस (हँसना):
उसकी बात पर सब हँस उठे।
12. खल – खाल
खल (दुष्ट):
वह खल प्रकृति का है।
खाल (चमड़ी):
उसकी खाल मोटी है।
13. दिन – दीन (म. प्र. 2017)
दिन (दिवस):
बाढ़ आए कई दिन बीत गए।
दीन (गरीब) दीन:
हीनों की मदद करनी चाहिए।
14. उतर – उत्तर (म. प्र. 2015)
उतर (नीचे):
बाढ़ का पानी नीचे उतर गया।
उत्तर (जवाब):
तुमने मेरी बात का कोई उत्तर नहीं दिया।
15. अंश – अंस (म. प्र. 2011)
अंश (हिस्सा):
मेरे पास भूमि के टुकड़े का कुछ अंश है।
अंस (कन्धा):
मेरे अंश में चोट है।
16. अवधि – अवधी (म. प्र. 2011, 18)
अवधि (समय):
परीक्षा की अवधि तीन घंटे है।
अवधी (भाग):
अवध अंचल में बोली जाने वाली भाषा अवधी है।
17. अलि – अली
अलि (भौंरा):
गुलाल के पौधे पर अलि गुंजन कर रहा है।
अली (सखी):
ब्रज में अली का समूह नृत्य करते हुए नजर आ रहा है।
18. शांत – श्रांत
शांत (चुपचाप):
वह शांत बैठा हुआ है।
श्रांत (थकान):
इस पथ का उद्देश्य श्रांत होकर रुकना नहीं है।
19. नींद – निन्द्य
नींद (निद्रा):
कुम्भकर्ण छ: मास निद्रा लेता था।
निन्दय (बुराई):
स्त्रियाँ निन्दय रस में पारंगत होती हैं।
20. जाति – जाती
जाति (वर्ण):
वह ब्राह्मण जाति का है।
जाती (जाना):
नीलम जाती है।
21. कांति – क्रांति
कांति (चमक):
सोने की कांति फीकी नहीं पड़ती।
क्रांति (विद्रोह):
1857 में क्रांति की आग भड़क उठी।
22. अगम – आगम
अगम (पूर्व ज्ञानी):
ज्योतिषी अगम ज्ञानी होते हैं।
आगम (आना):
आपका आगम कब होगा?
23. अतुल – अतल
अतुल (अनुपम):
उसका साहस अतुल है।
अतल (तलहटी):
समुद्र के अतल में कीमती पत्थर मिल सकते हैं।
24. अभय – उभय
अभय (निडर):
वह अभय है।
उभय (दोनों):
उभय पक्षों में समझौता हो गया।
25. आकर – आकार
आकर (भण्डार):
अन्न का सम्पूर्ण आकर उसके अधिकार में है।
आकार (रूप):
वह भूमि चतुर्भुज आकार की है।
26. आभरण – आवरण
आभरण (अलंकरण):
नारियाँ आभरण प्रिय होती हैं।
आवरण (ढंकना):
आवरण स्त्रियों की शोभा है।
27. बलि – बली
बलि (न्यौछावर):
यशोदा कृष्ण पर बलिहारी थी।
बली (बलिष्ठ):
रावण विद्वान होने के साथ-साथ बली भी था।
28. प्रसाद – प्रासाद
प्रसाद (भोग):
यह भगवान का प्रसाद है।
प्रासाद (महल):
कैकेयी प्रासाद में असंतुष्ट थी।
29. शोक – शौक
शोक (दुःख):
भरत को दशरथ की मृत्यु से शोक हुआ।
शौक (रुचि):
उसे आभूषण पहनने का शौक है।
30. शकल – सकल
शकल (टुकड़ा):
मैं भूमि का छोटा शकल भी उसे नहीं दूंगा।
सकल (सम्पूर्ण):
सकल भारतभूमि आर्यों की है।
31. गृह – ग्रह (म. प्र. 2012, 13, 15)
गृह (घर):
मैं गृह जा रहा हूँ।
ग्रह (नक्षत्र):
आकाश में नक्षत्र दिखाई दे रहे हैं।
32. शर – सर (म. प्र.2013)
शर (बाण):
राम के शर से रावण मारा गया।
सर (तालाब):
कमल तो सर में ही खिलता है।
33. अनिल – अनल
अनिल (हवा):
तेज अनिल चल रही है।
अनल (अग्नि):
भोजन पकाने के लिए अनल आवश्यक है।
34. अविलम्ब – अवलम्ब (म. प्र. 2010)
अविलम्ब (बिना रुके, शीघ्र):
छत्तीसगढ़ ऐक्सप्रेस अविलम्ब रायपुर पहुँच जायेगी।
अवलम्ब (सहारा):
मेरा बेटा मेरी जिंदगी का अवलम्ब है।
35. कर्म – काम (म. प्र. 2012)
कर्म (कार्य):
मनुष्य को अच्छा कर्म करना चाहिए।
काम (वासना):
राजा जयसिंह काम वासना लिप्त थे।
36. धाम – धान (म. प्र. 2012)
धाम (निवास स्थान):
सुदामा अपना धाम देखकर आश्चर्य में पड़ गये।
धान (अनाज):
किसान धान की लहलहाती फसल देखकर खुश हो गया।
37. वसन – व्यसन (म. प्र. 2013, 16, 17)
वसन (वस्त्र):
श्री कृष्ण ने पीले वसन धारण किए हैं।
व्यसन (बुरी आदत):
मदिरापान बुरा व्यसन है।
38. अभिराम – अविराम (म. प्र. 2018)
अभिराम (सुंदर);
सुनीता के चित्र में अभिराम झलकता है।
अविराम (लगातार):
हमें अपना कार्य अविराम गति से करना चाहिए।
पारिभाषिक एवं तकनीकी शब्द
परिभाषा:
जो शब्द विभिन्न शास्त्रों और विज्ञानों में ही प्रयुक्त होते हैं तथा सम्बद्ध शास्त्र या विज्ञान के प्रसंग में जिनकी परिभाषा दी जा सके पारिभाषिक शब्द कहलाते हैं।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित पारिभाषिक शब्दों के हिन्दी रूप लिखिए –
उत्तर:
प्रश्न 2.
कोई चार तकनीकी शब्द लिखिए। (म. प्र. 2015, 16, 17, 18)
उत्तर:
- हाइड्रोजन
- राडार
- नाइट्रोजन
- विकिरण
- पारिस्थितिकी
- तत्व
- पोषण
- जीवाश्म।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित भिन्नार्थक समोच्चारित शब्दों का अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
- तरणी-तरणि
- सुत-सूत। (म. प्र.2015)
उत्तर:
तरणी – नदी – हमें अभी तरणी पार करनी है।
तरणि – नाव – सभी यात्री तरणि से सकुशल घर आ गये।
सुत – पुत्र – पिताजी ने सुत की गलती पर उसे डाँटा।
सूत – धागा – महात्मा गाँधी सूत से कपड़े बनाते थे।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित अनेकार्थी शब्दों के दो अलग-अलग अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
- कनक
- गुरु। (म. प्र. 2015)
उत्तर:
1. कनक – सोना – दिन – प्रतिदिन कनक का मूल्य बढ़ रहा है।
– धतूरा – कनक के बीज खाने पर बच्चे की तबियत खराब हो गई।
2. गुरु – शिक्षक – हमें गुरु पर श्रद्धा रखनी चाहिए।
– मात्रा – पदों या दोहों में गुरु image 2 की मात्रा लगाते हैं।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित पारिभाषिक शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए – (म. प्र. 2015)
सच्चिदानंद, परमाणु, सहस्त्रार, माया।
उत्तर:
- सच्चिदानंद – सत् – चित् – आनंद – ईश्वर सच्चिदानंद हैं।
- परमाणु – अति सूक्ष्म अणु – परमाणु अस्त्र घातक है।
- सहस्रार – ब्रम्ह रन्ध्र – साधक की कुण्डली सहस्रार पहुँच गई।
- माया – लोभ – माया महापापिनी होती है।
प्रश्न 6.
पाँच पारिभाषिक शब्द लिखिए।
उत्तर:
- अतिक्रमण
- संप्रेषण
- रिसर्च
- कलेक्टर
- महाभियोग।
प्रश्न 7.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. ‘तकनीकी’ शब्द अंग्रेजी के ……….. ………… शब्द का हिन्दी पर्याय है। (टेक्निकल / टेक्नीशियन) (म. प्र. 2016)
उत्तर:
टेक्निकल।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित अनेकार्थी शब्दों के अलग-अलग अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
- घटा
- फेर। (म. प्र. 2017)
उत्तर:
1. घटा-बादल – आसमान में देखते-ही-देखते काली घटा छा गई।
कम होना – नदी का पानी धीरे-धीरे घटा।
2. फेर – घुमाना, फेरना-हरिप्रसाद सेवानिवृत्त के बाद अब दिनभर माला फेरते रहते हैं।
चक्कर-समय-समय का फेर है, आज सुख तो कल दुःख है।
वाक्य भेद और रूपांतरण
परिभाषा:
पूर्ण अर्थ की प्रतीति कराने वाले पद समूह को वाक्य कहते हैं। जैसे – कविता दूध पीती है। वाक्यों के भेद वाक्यों के भेद
अर्थ (विचार, भाव) की दृष्टि से – (म. प्र. 2009)
1. विधि वाचक:
जिस वाक्य से किसी बात के होने या करने का बोध हो। यथा-वह आम खाता है। राम घर जाता है।
2. निषेध वाचक:
जिस वाक्य से किसी बात के न होने का बोध हो। यथा-वह आम नहीं खाता। वह नहीं पढ़ता है। मेरे पिताजी आज दफ्तर नहीं गये। घर जाओ। काम बन्द करो, चुप रहो।
3. प्रश्न वाचक:
जिस वाक्य से किसी प्रकार के प्रश्न का बोध हो। यथा-तुम क्या कर रहे हो? तुम्हारा घर कहाँ है? यह कौन-सा नगर है? (म. प्र. 2011)
4. विस्मयादि बोधक:
जिस वाक्य से विस्मय या आश्चर्य, दु:ख, घृणा आदि का बोध हो। यथा – ओह! कैसी गर्मी है, मेरी जान निकली जा रही है। यह कौन है? शाबाश! तुम बहुत अच्छा दौड़े। मोहन क्रिकेट खेल रहा है।
अरे! मोहन क्रिकेट खेलने लगा। (म. प्र. 2013, 2016)
5. आदेश वाचक वाक्य:
जिस वाक्य से किसी बात के आदेश देने का बोध हो। यथा-राम पढ़ाई करो।
6. सन्देह वाचक:
जिस वाक्य से किसी बात का सन्देह, शंका या सम्भावना प्रकट हो। यथा-राम ने लिखा होगा। मैंने खाया होगा।
उदाहरण:
- महँगाई अब शायद ही कम हो।
- सम्भवतः वह आ जाए।
- मुझे आशा नहीं थी कि वह आएगा।
7. इच्छा वाचक वाक्य:
जिससे किसी प्रकार की इच्छा या शुभकामना प्रकट हो। यथा-ईश्वर आपकी यात्रा सफल करे। तुम दीर्घायु हो। भगवान तुम्हारा भला करे।
8. संकेत वाचक वाक्य:
जिस वाक्य में संकेत या शर्त का भाव रहता हो अर्थात् एक वाक्य दूसरे की सम्भावना पर निर्भर हो।
उदाहरण:
- यदि 33% अंक मिलते तो वह उत्तीर्ण हो जाता। (शर्त)
- वर्षा न होती तो फसल सूख जाती। (संकेत)
- यदि तुम घर चलो तो मैं भी चलूँ।
रचना की दृष्टि से वाक्य के प्रकार हैं – (म. प्र. 2014, 16, 18)
- साधारण वाक्य (सरल वाक्य)
- मिश्र वाक्य
- संयुक्त वाक्य।
1. साधारण वाक्य (सरल वाक्य):
जिस वाक्य में एक ही क्रिया होती है, उसे साधारण या सरल वाक्य कहते हैं। जैसे –
- मोहन भोजन कर रहा है।
- मोहनी ने अलका की पुस्तकें खरीदी।
2. मिश्र वाक्य:
जिस वाक्य में एक साधारण वाक्य के आश्रित अन्य साधारण वाक्य हों, उसे मिश्रवाक्य कहते हैं। जैसे –
- यह वही आदमी है जिसे हमने देखा है।
- मैं नहीं चाहता कि वह खेलकूद में भाग ले।
3. संयुक्त वाक्य:
जिस वाक्य में एक से अधिक मुख्य उपवाक्य हों, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं। ऐसे वाक्यों में संयोजक या विभाजक शब्द लगे रहते हैं, जैसे – और, या, किन्तु, परन्तु अथवा। उदाहरण
- राम घर जा रहा है और उसके साथ प्रदीप भी घर जा रहा था।
- मैं पढ़ता हूँ, तथा नौकरी भी करता हूँ।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार रूपान्तरित कीजिए –
1. बच्चे भी घर की गंगा जी में कागज की नावें तैराकर खुश हो रहे थे। (संयुक्त वाक्य) (म. प्र. 2009)
उत्तर:
बच्चों ने कागज की नावें बनाईं और घर की गंगा जी में तैराकर खुश हुए।
2. मेरी सौन्दर्योपासना अविचलित रही,क्योंकि ऐसा कई बार हो चुका था।
उत्तर:
कई बार मेरी सौन्दर्योपासना अविचलित रह चुकी है।
3. सुबह उठकर जल प्लावन का व्यापक एवं भयंकर दृश्य देखा। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
सुबह उठा, तो जल प्लावन का व्यापक एवं भयंकर दृश्य देखा।
4. मोहन पुस्तक खरीदकर पढ़ता है। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
मोहन ने कहा कि वह पुस्तक खरीदकर पढ़ता है।
5. समय बहुत खराब है, इसलिए देखभाल कर चलना चाहिए। (सरल वाक्य)
उत्तर:
खराब समय में देखभाल कर चलना चाहिए।
6. विद्वानों का सभी आदर करते हैं। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
जो विद्वान होते हैं, उनका सभी आदर करते हैं।
7. तुम परिश्रम करो और परीक्षा में सफल हो जाओ। (सरल वाक्य) (म. प्र. 2009)
उत्तर:
तुम परिश्रम करके परीक्षा में सफल हो जाओ।
8. राम पुस्तकें पढ़ता है जिससे उसे ज्ञान प्राप्त होता है। (संयुक्त वाक्य)
उत्तर:
राम पुस्तकें पढ़ता है जिससे उसे ज्ञान प्राप्त होता है।
9. वह पढ़ रहा है। (संदेह वाचक) (म. प्र. 2011)
उत्तर:
शायद वह पढ़ रहा हो।
10. यह आप क्यों पूछ रहे हो? (विस्मयादिबोधक) (म. प्र. 2011)
उत्तर:
अरे! यह आप क्यों पूछ रहे हैं।
11. मेरे पास बिगड़ी हुई घड़ी है? (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
मेरे पास जो घड़ी है – यह बिगड़ी हुई है।
12. बुखार कभी झाड़-फूंक से गया है। (विस्मयादिबोधक)
उत्तर:
अरे! बुखार कभी झाड़-फूंक से गया है।
13. पंडित जी मंदिर में पूजा कर रहे हैं। (आज्ञा वाचक)
उत्तर:
पंडित जी, मंदिर में पूजा करो।
14. वह गृह कार्य करके स्कूल जाता है। (संयुक्त वाक्य)
उत्तर:
वह गृह कार्य करता है फिर स्कूल जाता है।
15. प्रसिद्ध कवि कां सभी आदर करते हैं। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
जो प्रसिद्ध कवि होते हैं, उनका सभी आदर करते हैं।
16. मैं उन लोगों में से नहीं हूँ जो दवा देने के लिए भागते फिरें। (सरल वाक्य)
उत्तर:
मैं दवा लेने के लिए भागते फिरने वाले लोगों में से नहीं हूँ।
17. जो अपनी जान-पहचान के लोग हैं वे सदा प्रसन्न रहें। (सरल वाक्य)
उत्तर:
अपनी जान-पहचान के लोग सदा प्रसन्न रहें।
18. हम इसका श्रेय भारतीयों को देते हैं, जिन्होंने हमें गणना करना सिखाया। (सरल वाक्य)
उत्तर:
हमें गणना करना सिखाने का श्रेय भारतीयों को देना चाहिए।
19. भारत ने महत्त्वपूर्ण उद्योगों की स्थापना और आधारभूत ढाँचे के निर्माण को प्रेरित किया। (मिश्र वाक्य)
उत्तर:
जब भारत ने महत्त्वपूर्ण उद्योगों की स्थापना की, उसने आधारभूत ढाँचे का भी निर्माण किया।
20. बालक रो-रोकर चुप हो गया। (संयुक्त, वाक्य) (म. प्र. 2010)
उत्तर:
बालक रो रहा था और वह रोकर चुप हो गया।
21. आपको चुप रहना चाहिए। (आज्ञा वाचक) (म. प्र. 2009)
उत्तर:
आप चुप रहिए।
22. मैं पूर्ण रूप से शांति में हूँ! (निषेध वाचक)
उत्तर:
मैं पूर्ण रूप से शांति में नहीं हूँ।
23. अहा! कैसा सुन्दर दृश्य है? (विधि वाचक)
उत्तर:
कितना सुन्दर दृश्य है?
24. मजदूर परिश्रम करता है लेकिन उसका लाभ उसे नहीं मिलता। (साधारण वाक्य) (म. प्र. 2010)
उत्तर:
मजदूर का पारिश्रमिक नहीं मिला।
25. कुछ करने का अधिकार मुझे नहीं है। (प्रश्न वाचक)
उत्तर:
क्या मुझे कुछ करने का अधिकार नहीं है?
26. क्या वह फिर से चलने-फिरने लगी? (विधि वाचक)
उत्तर:
वह फिर से चलने-फिरने लगी है।
27. आपको चुप रहना चाहिए। (आज्ञावाचक वाक्य) (म. प्र. 2010)
उत्तर:
आप चुप रहो।
28. मेरी माँ वह है जो नदी किनारे बैठी है। (साधारण वाक्य) (म. प्र. 2013)
उत्तर:
नदी किनारे बैठने वाली मेरी माँ है।
29. (अ) स्वावलंबी व्यक्ति सदा सुखी रहते हैं। (मिश्र वाक्य) (म. प्र. 2014)
उत्तर:
जो व्यक्ति स्वावलंबी होते हैं, वे सदा सुखी रहते हैं।
(ब) स्वावलंबी व्यक्ति सदा सुखी रहते हैं। (संयुक्त वाक्य) (म. प्र. 2018)
उत्तर:
स्वावलंबी व्यक्ति जो हैं और वे सदा सुखी रहते हैं।
30. मयूर वन में नाचता है? (प्रश्न वाचक) (म. प्र. 2014)
उत्तर:
क्या मयूर वन में नाचता है?
31. मयूर वन में नाचता है? (इच्छार्थक) (म. प्र. 2015)
उत्तर:
शायद मयूर वन में नाचता होगा।
32. तुम्हारे बाहर जाते ही वह सो गया। (संयुक्त वाक्य) (म.प्र. 2015)
उत्तर:
तुम बाहर गए और वह सो गया।
33. लोकप्रिय लेखक का सभी सम्मान करते हैं। (मिश्रित वाक्य) (म. प्र. 2016)
उत्तर:
जो लोकप्रिय लेखक होते हैं उनका सभी सम्मान करते हैं।
34. गणित का प्रश्न-पत्र कठिन है। (निषेधात्मक वाक्य) (म. प्र. 2016)
उत्तर:
गणित का प्रश्न-पत्र कठिन नहीं है।
35. शशि गा और नाच रही है। (संयुक्त वाक्य) (म. प्र. 2017)
उत्तर:
शशि गाना गा रही है और नाच रही है।
36. अंशुल राजनगर में रहता है। (निषेधात्मक वाक्य) (म. प्र. 2017)
उत्तर:
अंशुल राजनगर में नहीं रहता।
37. वह फल खरीदने के लिए बाजार गया। (संयुक्त वाक्य) (म. प्र. 2018)
उत्तर:
उसे फल खरीदने थे इसलिए वह बाजार गया।
38. अशोक राजनगर में रहता है। (प्रश्नवाचक वाक्य) (म. प्र. 2012)
उत्तर:
क्या अशोक राजनगर में रहता है?
39. कठोर बनकर भी सहृदय रहो। (संयुक्त वाक्य) (म. प्र. 2012, 13)
उत्तर:
कठोर बनो और सहृदय भी रहो।
40. शीला रोज पढ़ने जाती है। (निषेधात्मक वाक्य) (म. प्र. 2012)
उत्तर:
शीला रोज पढ़ने नहीं जाती है।
प्रश्न 2.
नीचे लिखे वाक्यों के प्रकार बताइए –
(क) मैंने तुम्हें लिखना पसंद किया क्योंकि पढ़ने के समय तुम्हारा ही ध्यान मुझे बराबर रहता था।
(ख) मुझे मालूम है कि तुम्हारे कुछ पत्र यहाँ आए हैं।
(ग) गरीबी में ही सुख है।
उत्तर:
(क) संयुक्त वाक्य
(ख) मिश्र वाक्य
(ग) सरल वाक्य।
प्रश्न 3. एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए –
- ‘मयूर वन में नाचो’ वाक्य का प्रकार लिखिए। (म. प्र. 2013)
- प्रक्रिया सामग्री का तकनीकी शब्द क्या है?
उत्तर:
- आज्ञावाचक वाक्य
- सॉफ्टवेयर (Software)।
प्रश्न 4.
सत्य / असत्य कथन पहचानिए –
1. ‘माँ ने मारा, तो बालक रुठ गया’ सरल वाक्य है।
उत्तर:
असत्य। (म. प्र. 2014)
वाक्यगत अशुद्धि संशोधन –
प्रश्न 1.
अशुद्ध वाक्यों को शुद्ध कीजिए –
उत्तर:
मुहावरा और लोकोक्ति
प्रश्न 1.
मुहावरे एवं लोकोक्ति में अंतर बताइये। (म. प्र. 2012, 14, 16)
उत्तर:
मुहावरा:
ऐसा शब्द या वाक्यांश जो सामान्य से भिन्न किसी विलक्षण अर्थ का बोध कराए और सामान्य अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ में रूढ़ हो जाए, उसे मुहावरा कहते हैं। (म. प्र. 2011)
प्रश्न 2.
सत्य / असत्य कथन पहचानिए –
- ‘आस्तीन का साँप’ मुहावरे का आशय प्रिय मित्र है।
- ‘उल्टे बाँस बरेली को’ एक मुहावरा है।
- ‘एक अनार सौ बीमार’ मुहावरे का अर्थ है एक अनार खाकर बीमार होना।
उत्तर:
- असत्य
- असत्य
- असत्य। (म. प्र. 2016)
लोकोक्ति:
अपने में स्वतंत्र अर्थ रखने वाली लोक प्रचलित तथा सामान्यतः सारगर्भित, संक्षिप्त एवं वैचित्र्यपूर्ण उक्ति को लोकोक्ति या कहावत कहते हैं। उदाहरण (म. प्र. 2010)
1. घोड़ी नहीं चढ़े तो क्या बारात भी नहीं देखी-ज्ञानी बनना:
मोहन ने हिन्दी नहीं पढ़ी तो क्या हुआ उसे हिन्दी का बहुत ज्ञान है। उस पर यह कहावत चरितार्थ होती है कि घोड़ी नहीं चढ़ी तो क्या बारात भी नहीं देखी।
2. आम के आम गुठलियों के दाम-दुहरा लाभ:
धान से चावल निकालना और मूंसी से तेल निकालना तो वही हुआ आम के आम गुठलियों के दाम। (म. प्र. 2014)
3. हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और कथनी और करनी में अन्तर:
नेता लोग वोट, माँगते वक्त तो बड़े-बड़े वायदे करते हैं किन्तु करते कुछ नहीं हैं। वस्तुत: उनके हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और होते हैं।
4. अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत:
समय बीतने पर पछतावा-अब फेल होने पर रोने से क्या फायदा? अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।
5. आधी छाड़े सारी को धावै, आधी मिले न पूरी पावै:
प्राप्ति से असंतुष्ट-राम बी.एड. और बी.ए. एक साथ कर रहा है। उसके साथ यह कहावत न चरितार्थ हो जावे कि आधी छाड़े सारी को धावै, आधी मिले न पूरी पावै।
6. थोथा चना बाजे घना-अज्ञानी आत्ममुग्ध रहता है:
आजकल के पंडित पढ़ते-लिखते तो हैं नहीं किन्तु थोथा चना बाजे घना जैसे स्वयं पर मोहित रहते हैं। (म. प्र. 2014)
7. का वर्षा जब कृषि सुखानी-कार्य पूर्ण होने पर प्रयास करना:
आधा शहर जब प्यासों मरने लगा तब नगर-निगम ने नलकूप खोदना प्रारम्भ किया। यह तो वही हुआ कि का वर्षा जब कृषि सुखानी। (म. प्र. 2014)
8. सिमिट-सिमिट जल ‘भरहिं तलाबा-थोड़ा-थोड़ा मिलकर बहुत हो जाता है:
प्रतिमाह की सौ-सौ रुपए की बचत आज लाखों रुपए बन गई, इसी को कहते हैं कि सिमिट-सिमिट जल भरहिं तलाबा।
9. हाथ कंगन को आरसी क्या-प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या आवश्यकता:
राम सदैव अपना प्रत्येक कार्य सजगता एवं ईमानदारी से करता है उसे देखकर पिताजी ने कहा हाथ कंगन को आरसी क्या वाली कहावत चरितार्थ होती है। (म. प्र. 2015)
10. जैसे नाग नाथ वैसे साँप नाथ-दोनों विकल्पों से बुरा अन्त:
गाँव का राम सेवक शहर आया और सुन्दरलाल नामक युवक पर सहज ही विश्वास कर लिया लेकिन यह भी आपराधिक प्रवृत्ति का निकला यह तो वैसे ही हुआ जैसे नागनाथ वैसे साँपनाथ की कहावत लागू हुई। (म. प्र. 2015)
11. अंधा पीसे कुत्ता खाय-परिश्रम कोई करे और लाभ कोई उठाए:
बाँध पर मजदूर ने पसीने बहाए लेकिन ठेकेदारों ने लाभ उठाए इसे देखकर महेन्द्र ने कहा अंधा पीसे कुत्ता खाये। (म. प्र. 2017)
12. आँख के अंधे नाम नयनसुख-नाम के अनुसार गुण न होना:
नयनाभिराम को पढ़ने में चश्मा लगता है तब वह बड़ी मुश्किल से पढ़ पाता है। उसे देखकर एक सज्जन व्यक्ति ने कहा, आँख के अंधे नाम नयनसुख। (म. प्र. 2017)
भाव पल्लवन / भाव विस्तार
1. खाने-पीने में चिकनाई की कमी हुई कि काम की सारी चिकनाई खत्म:
खाने-पीने के शौकीन व्यक्ति को उसके मन माफिक भोजन देकर उत्तम कार्य कराया जा सकता है। अनादर पूर्वक या अवांछित भोजन देने से उसकी कार्य कुशलता तत्काल प्रभावित होने लगती है। ऐसे लोग धन के प्रति भी मोह नहीं रखते। स्वादिष्ट भोजन ही उनका सर्वस्व होता है। कई बार ऐसे भोजन के शौकीन लोग कार्य अधूरा छोड़कर बढ़ भी लेते हैं।
2. जाहि निकारो गेह ते कसन भेद कहि देइ:
घर से बहिष्कृत व्यक्ति बहुत खतरनाक होता है। अपने अपमान का बदला लेने का कोई अवसर वह नहीं छोड़ता। घर की अंदरूनी बातें भी वह सार्वजनिक कर देता है। रावण और विभीषण के प्रसंग में भी यही हुआ था। घर का भेदी विभीषण और सुग्रीव ने अपने अपमान का बदला कैसे लिया यह सर्वविदित है।
3. खग-मृग बंसत आरोग्य बन, हरि अनाथ के नाथ:
प्राकृतिक जीवन आरोग्यवर्धक होता है। वन में सभी पशु-पक्षी स्वस्थ रहते हैं। उनकी देखरेख कोई चिकित्सक भी नहीं करता। अनाथों का नाथ भगवान होता है। पशु-पक्षी स्वच्छ जल पीते हैं एवं शुद्ध वायु ग्रहण करते हैं। इन्हीं तत्वों के सहयोग से वे कभी बीमार नहीं पड़ते। अतः स्वस्थ एवं निरोग रहने के लिए प्राकृतिक जीवन अपनाना चाहिए। (म. प्र. 2011)
4. पुरुषत्व अभय का जनक है और देवत्व शांति का:
पुरुषार्थी व्यक्ति कभी डरता नहीं। निडरता वहीं निवास करती है, जहाँ पुरुषत्व होता है। मनुष्य में जब मानवता एवं देवत्व का विकास होने लगता है, तो सर्वत्र शांति छा जाती है। निर्भयता एवं शांति की उर्वर भूमि पर मानवता की फसल लहलहाती है।
5. बल अंधा है और उसकी गति पथ:
प्रदर्शक के अधीन हैं-शक्ति का बोध मनुष्य को अंधा बना देता है। शक्तिशाली मद के अधीन होता है। उसमें अच्छा-बुरा, उचित-अनुचित के विचार की शक्ति समाप्त हो जाती है। अत्याचार, अनाचार एवं अविवेक का जीवन में आधिक्य होने लगता है। बल का यदि सदुपयोग किया जाए तो मनुष्य का जीवन सफल भी हो सकता है।
6. हमारी संस्कृति की जड़ें आज भी काफी मजबूत हैं:
हमारे जीवन और आचार-विचार पर भारतीय संस्कृति एवं परम्परा का बहुत गहरा प्रभाव है। आज बदलते जीवन मूल्यों एवं आदर्शों के युग में भारतीय संस्कृति का महत्व है। भारतीय समाज में आज भी उन आदर्शों को श्रद्धा एवं विश्वास की दृष्टि से देखा जाता है। इससे प्रमाणित होता है कि हमारी संस्कृति की जड़ें भी काफी मजबूत हैं। संस्कृति के आदर्शों और मूल्यों को सरलता से समाप्त नहीं किया जा सकता।
7. विश्व एक बौद्धिक समाज में परिवर्तित हो रहा है:
वर्तमान युग बौद्धिक विकास का युग है। ज्ञान विज्ञान, शिक्षा-साहित्य, तकनीक आदि क्षेत्रों में नित नए अनुसंधान हो रहे हैं। परम्परागत ज्ञान की जगह हम आधुनिकतम ज्ञान को अपनाने के लिए आतुर हैं।
21 वीं शताब्दी बौद्धिकता के विकास की शताब्दी है। बौद्धिक प्रगति पर सामाजिक प्रगति निर्भर होती है। आज हमें समाज में जो विकास दिखाई देता है वह बौद्धिकता की देन है। (म. प्र. 2017)
8. अमीरी की तुलना में गरीबी अधिक सुखद है:
अमीरी का सम्बन्ध सुख से है और गरीबी का दुःख से किन्तु गरीबी या दुःख को महसूस न करने वाले का जीवन निरर्थक है। हजारों सुखों पर दुःख न्यौछावर है। सुखी व्यक्ति दुःख का मोल समझ ही नहीं सकता। दुःख हमारे जीवन को परिमार्जित करता है। वह हमें सीख देता है कि हम दूसरों को दुःख न दें। सुख में यह गुण नहीं है। (म. प्र. 2016)
9. प्रकृति पर विजय पाकर ही मनुष्य दम लेता है:
मनुष्य में अद्भुत जीवटता होती है। उसमें कभी हार न मानने की प्रवृत्ति भी पाई जाती है। वह प्रकृति से भी हार नहीं मानता। उसे जब-तब चुनौती देता रहता है। पृथ्वी के तल से अमूल्य भण्डार निकाल लेना, चाँद तक पहुँच जाना,आकाश में उड़ लेना क्या प्रकृति पर विजय नहीं है.
10. मान्यताएँ बदलकर हम अपना सिर मुंडा रहे हैं:
प्रत्येक देश, जाति और सम्प्रदाय की अपनी मान्यताएँ होती हैं। मान्यताओं से ही मनुष्य का अस्तित्व है। इन पर आघात किया जाना यदि बंद नहीं किया गया तो हम मिट जाएँगे। मान्यताओं को बदलकर या इन पर चोट कर हम किसी और का नहीं बल्कि अपना ही नुकसान कर रहे हैं।
11. आशा से आकाश थमा है:
मनुष्य विचारशील एवं कर्मशील प्राणी है। जीवन के विभिन्न क्रिया कलापों में उसे कभी जीत, तो कभी हार मिलती है। जीत का संबंध सफलता से एवं हार का संबंध असफलता से है।
असफलताओं से हमें हार नहीं मानना चाहिए। आशा और प्रयास वह मंत्र है, जो एक दिन हमें जीत के करीब ले जाते हैं, अत: जीवन में कभी आशा नहीं छोड़नी चाहिए।
12. विद्या से विनम्रता आती है:
विद्या से युक्त व्यक्ति या विद्यार्थी विनय का पात्र बनता है वह झुकना सीखता है उदण्डता नहीं विनम्रता से विद्यार्थी अपने स्वाभिमान की रक्षा कर सकता है। विनम्रता विद्यार्थी का वह गुण है जो गुरु के मार्ग पर चल कर ग्रहण किया जा सकता है जिससे व्यक्तित्व का चुनाव संभव होता है। (म. प्र. 2012)
13. ‘स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है’:
मनुष्य का जन्म एवं मृत्यु स्वतंत्र है इस पर किसी का अधिकार नहीं हर व्यक्ति स्वतंत्र है वह स्वतंत्रता के दायरे में रहते हुए अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग कर सकता है क्योंकि यह स्वतंत्रता उसे जन्म से प्राप्त होती है। (म. प्र. 2013)
14. पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले:
हे राहगीर पूर्व दिशा में चलने से पहले पथ की पहचान कर पूरी तरह सोच-विचार कर ले। अर्थात् जो लक्ष्य तय किया है उससे एक पग भी विचलित न हो। जिसके लिए किसी भी प्रकार से पछताना न पड़े।
कवि ने कहा है –
1. ‘वचन दिया सोचा नहीं होगा क्या परिणाम,
सोच-समझकर कीजिए जीवन में हर काम।’
2. ‘बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय।।’
15. पर उपदेश कुशल बहुतेरे:
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है समाज में मनुष्य जीवन बीताता और उसके बीच रहता है।
एक ऐसा वर्ग होता, जो समाज में दूसरों को शिक्षा देता है अच्छी ज्ञान की बातें बताता है तथा हर बात की सलाह देता है किन्तु ऐसे लोग बहुत कम होते हैं, जो शिक्षा ग्रहण कर स्वयं पालन करते हुए व्यावहारिक जीवन में अपनाए इसलिए शिक्षा देना आसान है किन्तु उसे अपने व्यवहार में उतारना कठिन है। (म. प्र. 2015)
16. दूर के ढोल सुहावने होते हैं:
दूर की साधारण वस्तु भी अच्छी लगती है अर्थात् जीवन में वास्तविक वस्तु का परीक्षण पास में रहकर ही किया जा सकता है। दूर से हर सुंदर दिखने वाली वस्तु बहुत सुंदर नहीं होती। इसी प्रकार जो ढोल दूर से सुहावने लगते हैं पास जाने पर कई बार उसकी ध्वनि कर्कश सुनाई पड़ती है। (म. प्र. 2018)
शब्द युग्म
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्द युग्मों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
तन-मन, श्रेय-प्रेय, हँसता-खेलता, टूटी-फूटी, बचा-खुचा।
उत्तर:
तन-मन:
मेरा तन-मन थक चुका है। (म. प्र. 2014, 16)
श्रेय-प्रेय:
लेखक आनंद और कर्त्तव्य तथा श्रेय-प्रेय का समन्वय करने स्कूल भी गया।
हँसता-खेलता:
नीलम का हँसता-खेलता संसार उजड़ गया। (म. प्र. 2014, 16)
टूटी-फूटी:
राम को टूटी-फूटी अंग्रेजी आती है।
बचा-खुचा:
नौकरानी को लोग बचा-खुचा खाना दे देते हैं।
प्रश्न 2.
दिए गए शब्द युग्मों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
कुल-कूल, अंक-अंक, हंस-हँस, खल-खाल, दिन-दीन (म. प्र. 2017)।
उत्तर:
कुल:
वह उच्च कुल में पैदा हुआ है। कूल-नदी के कूल पर मेला लगा हुआ है।
अंक:
माँ ने पुत्र को अंक में भर दिया। अंक-गणित में मुझे बहुत कम अंक मिले।
हंस:
हंस पक्षी मानसरोवर में विचरण करता है।
हँस:
कामिनी हँस रही थी।
खल:
रावण बहुत बड़ा खल था।
खाल:
गेण्ड़े की खाल बहुत मोटी होती है।
दिन:
तुम किस दिन मिलोगे? (म. प्र. 2017)
दीन:
दीन लोगों को नहीं सताना चाहिए।
प्रश्न 3.
‘शप्त-तप्त’ समोच्चरित शब्द युग्म है। इसी प्रकार के पाँच शब्द युग्म लिखिए –
उत्तर:
- ऐसा-वैसा
- जैसे-तैसे
- आधि-व्याधि
- अस्त्र-शस्त्र
- चट-पट।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्द युग्मों को वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
अपनी-अपनी, खाली-खाली, दो-दो, ठहरो-ठहरो, रोज-रोज।
उत्तर:
(अ) अपनी-अपनी-सभी अपनी-अपनी चलाने की कोशिश करते हैं।
(ब) खाली-खाली:
भिखारियों की झोली खाली-खाली ही रहती है।
(स) दो-दो:
मैंने तुम्हें दो-दो बार मना किया है।
(द) ठहरो-ठहरो:
पीछे से किसी ने आवाज दी-ठहरो-ठहरो।
(इ) रोज-रोज:
मैं रोज-रोज की चिक-चिक से ऊब चुका हूँ।
पर्यायवाची शब्द
महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1.
समानार्थी शब्दों की सही जोड़ी बनाइए –
उत्तर:
- खग-पक्षी
- उदधि-समुद्र
- अंबु-जल
- अंबुज-कमल। (म. प्र. 2009)
प्रश्न 2.
निम्नलिखित अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए –
- जो सब कुछ जानता हो – सर्वज्ञ
- जिसका पति मर चुका हो – विधवा
- जिसको जानते नहीं है – अजनबी। (म. प्र. 2013)
विलोम शब्द
उपसर्ग
मूल शब्दों के पूर्व लगाये जाने वाले शब्दों को उपसर्ग कहते हैं। (म. प्र. 2012)
यथा-आ + कृष्ट = आकृष्ट
प्रत्यय
मूल शब्दों के पशचात् लगाये जाने वाले शब्दों को प्रत्यय कहते हैं।
28. ‘अंचल’ में ‘इक’ प्रत्यय लगाने पर कौन-सा पारिभाषिक शब्द बनता है? (म. प्र. 2013)
उत्तर:
आंचलिक।
महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1.
वाला एवं ता प्रत्यय लगाकर दो-दो शब्द बनाइए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
‘अनुशासन’ शब्द में शासन शब्द के पूर्व ‘अनु’ उपसर्ग का प्रयोग हुआ है, इसी प्रकार ‘अनु’ उपसर्ग लगाकर कोई दो शब्द बनाइये। (संभावित)
उत्तर:
अनुमान, अनुगमन।
प्रश्न 3.
प्रभुत्व में त्व’ प्रत्यय है, ‘त्व’ लगाकर अन्य कोई दो शब्द लिखिए। (म. प्र. 2002 R)
उत्तर:
लघुत्व – लघु + त्व
गुरुत्व – गुरु + त्व।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों में से तत्सम, तद्भव और देशज शब्दों को छाँटिए मुख, दाँत, दूध, जननी, साँझ, जनि, तनक, कमल, पथिक, गैया, टेव।
उत्तर:
तत्सम:
मुख, जननी, कमल, पथिक।
तद्भव:
दाँत, दूध। (म. प्र. 2013)
देशज:
साँझ, जनि, तनक, गैया, टेव।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित तत्सम शब्दों के तद्भव रूप लिखिए –
घृत, निंद्रा, पर्ण, हस्त।
उत्तर:
प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों में से दो तत्सम शब्दों के तद्भव शब्द बनाइए। (म. प्र. 2013)
उत्तर:
प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों में से तत्सम, तद्भव और देशज एवं विदेशी शब्दों को पृथक्-पृथक् छाँटिए –
इलाका, किसान, फैशनेबल, प्रबंध, खुशामद, अफसर, खेत, पनियाई, जतन।
उत्तर:
तत्सम:
प्रबंध।
तद्भव:
किसान, खेत।
देशज:
पनियाई, जतन।
विदेशी:
इलाका, फैशनेबल, खुशामद, अफसर।
प्रश्न 8.
नीचे कुछ शब्द दिए जा रहे हैं, उनमें से ‘प्रत्यय’ पृथक् कर लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 9.
निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग अलग करके लिखिए –
उपसंहार, प्रत्युत्पन्न, असाधारण, अशिक्षित, अनपढ़।
उत्तर:
उप, प्रति, अ, अ, अन।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित शब्दों से प्रत्यय अलग करके लिखिए तेजस्विता, कौटुम्बिक, चरित्रवान, शासकीय, उत्कृष्टता।
उत्तर:
ता, इक, वान, इय, ता।
प्रश्न 11.
कोई चार पारिभाषिक शब्द लिखिए। (म. प्र. 2014)
उत्तर:
- अधिसूचना
- अतिक्रमण
- उपयंत्री
- संप्रेषण।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित विदेशी शब्दों के लिए हिन्दी शब्द लिखिए –
अमलदार, हासिल, खुद, कायम, आबदार, जिद्द।
उत्तर:
अमलदार-अधिकारी, हासिल-प्राप्त, खुद-स्वयं, कायम-अडिग, आबदार-चमकदार, जिद्द-हठ।
प्रश्न 13.
‘बच्चा’ मूल शब्द में पन’ प्रत्यय लगाकर बचपन’ शब्द बना है। इसी प्रकार ‘पन’ प्रत्यय लगाकर तीन शब्द बनाइए –
उत्तर:
लड़कपन, पागलपन, भोलापन।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दीजिए – (म. प्र. 2017)
- गाँधी जी के अनुसार सच्ची शिक्षा किसका बोध कराती है?
- गंगाजल का शब्द विग्रह होगा।
- जब सामासिक शब्द में विशेषण-विशेष्य का भाव हो या उपमेय उपमान का भाव हो, कहलाता है।
- रचना के आधार पर वाक्य में कितने भेद होते हैं?
- “कर” शब्द अंग्रेजी के किस शब्द का हिन्दी पर्याय है?
- अर्थ की दृष्टि से वाक्य के कितने भेद होते हैं? (म. प्र. 2018)
उत्तर:
- चरित्र निर्माण और कर्तव्य बोध
- गंगा का जल
- कर्मधारय समास
- तीन
- Tax
- आठ।
प्रश्न 15.
निम्नलिखित शब्दों में से तत्सम और तद्भव शब्दों को छाँटिए –
पत्ता, वाष्प, शत, साँस, प्रिय, सूखा, घट।
उत्तर:
तत्सम-वाष्प, शत, प्रिय, घट।
तद्भव:
पत्ता, साँस, सूखा।
प्रश्न 16.
निम्नलिखित शब्दों में से विदेशी और तत्सम शब्द छाँटिए –
वहशत, ग्रंथ, दहशत, दिमाग, सारस्वत, गैरजरूरी, सुटेबिल, जलयात्रा, अलमारी, समवाय, दुर्लभ, समीक्षा।
उत्तर:
तत्सम:
ग्रंथ, सारस्वत, जलयात्रा, समवाय, दुर्लभ, समीक्षा।
विदेशी:
वहशत, दहशत, दिमाग, गैरजरूरी, सुटेबिल, अलमारी।
प्रश्न 17.
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति दिये गये विकल्पों के आधार पर कीजिए –
- मेरे सपनों का भारत’ के लेखक ……….. हैं। (डॉ. अब्दुल कलाम/अब्दुल रहमान) (म. प्र. 2012)
- पर्वतराज ……………… बताया गया है। (अरावली पर्वत को/हिमालय पर्वत को)
- चक्रव्यूह में ……………… फँसा था। (अर्जुन / अभिमन्यु)
- गुरुता का ज्ञान ……………… अपेक्षित है। (जीवन जीने के लिए / जीवन में प्रेरणा के लिए)
- सूरदास ……………… अनन्य भक्त थे। (श्रीकृष्ण के श्रीराम के)
उत्तर:
- डॉ. अब्दुल कलाम
- हिमालय पर्वत को
- अभिमन्यु
- जीवन में प्रेरणा के लिए
- श्रीकृष्ण के।
प्रश्न 18,
सही जोड़ी बनाइये – (म. प्र. 2012)
उत्तर:
- (2)
- (1)
- (4)
- (3)
- (5)
प्रश्न 19.
सही जोड़ी बनाइये – (म. प्र. 2013)
उत्तर:
- (3)
- (5)
- (4)
- (2)
- (1)
प्रश्न 20.
सही जोड़ी बनाइये – (म. प्र. 2014)
उत्तर:
- (3)
- (4)
- (5)
- (2)
- (1)
प्रश्न 21.
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति दिये गये विकल्पों के आधार पर कीजिए –
- उद्यान में ………………. उड़ रहा। (अलि / अली) (म. प्र. 2015)
- बल और बुद्धि का वही संबंध है जो देह और ………….. का है। (प्राण / आँख)
- ‘नर से नारायण’ पाठ ………………. विधा है। (निबंध / संस्मरण)
- सूर के बालकृष्ण में ……………… की अभिलाषा का चित्रण है। (माँ देवकी / माँ यशोदा)
- चिन्तामणि निबंध संग्रह के लेखक ……………….. हैं। (बाबू गुलाबराय / आचार्य रामचन्द्र शुक्ल)
उत्तर:
- अलि
- आँख
- निबंध
- माँ यशोदा
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल।
प्रश्न 22.
सही जोड़ी बनाइये –
उत्तर:
- (3)
- (1)
- (2)
- (5)
- (4)
प्रश्न 23.
सही जोड़ी बनाइये – (म. प्र. 2016)
उत्तर:
- (3)
- (4)
- (5)
- (2)
- (1)
प्रश्न 24.
सही विकल्प चुनिए – (म. प्र. 2015)
1. ‘क्षति’ शब्द का सही अर्थ है –
(क) पृथ्वी
(ख) गिरना
(ग) हानि
(घ) पड़ना।
उत्तर:
(ग) हानि
2. अव्ययीभाव समास का उदाहरण है –
(क) भाई-बहिन
(ख) यथाशक्ति
(ग) सत्याग्रह
(घ) रसोई घर।
उत्तर:
(ख) यथाशक्ति
3. ‘यशोधरा की व्यथा’ कविता संबंधित है –
(क) पति
(ख) प्रभु
(ग) सखी
(घ) पुत्र।
उत्तर:
(क) पति
4. ‘जलज’ का अर्थ है –
(क) कमल
(ख) कुँआ
(ग) बादल
(घ) जल।
उत्तर:
(क) कमल
5. लेखक को कस्तूरबा के प्रथम दर्शन कब हुए – (म. प्र. 2017)
(क) 1914
(ख) 1917
(ग) 1925
(घ) 1915
उत्तर:
(घ) 1915
6. जलधर शब्द का सही अर्थ है – (म. प्र. 2017)
(क) आसमान
(ख) आकाश
(ग) बादल
(घ) पृथ्वी।
उत्तर:
(ग) बादल
7. तत्पुरुष समास का उदाहरण है – (म. प्र. 2017)
(क) यथाशक्ति
(ख) धर्मनिष्ठा
(ग) सत्याग्रह
(घ) भाई-बहिन।
उत्तर:
(ख) धर्मनिष्ठा
8. सिद्धार्थ की करुणा का प्रतीक है – (म. प्र. 2017)
(क) धूप
(ख) वर्षा
(ग) सूखा
(घ) वाष्प।
उत्तर:
(घ) वाष्प।
9. ‘बाल बाँका न होना’ का अर्थ है – (म. प्र. 2018)
(क) हानि होते-होते बचना
(ख) कुछ भी हानि न होना
(ग) कुछ भी असर न होना
(घ) कम असर होना।
उत्तर:
(ख) कुछ भी हानि न होना
प्रश्न 25.
सही जोड़ी बनाइए – (म. प्र. 2018)
उत्तर:
- (4)
- (6)
- (1)
- (5)
- (3)
प्रश्न 26.
सत्य / असत्य छाँटकर लिखिए –
- ग्राम पंचायत तत्सम शब्द है। (म. प्र. 2016)
- द्वन्द्व समास में दोनों पद प्रधान होते हैं। (म. प्र. 2017)
- भूषण की कविता अवधी भाषा में है। (म. प्र. 2017)
- भारत ने शून्य का आविष्कार किया है। (म. प्र. 2017)
- दैहिक, दैविक, मौलिक, ताप, त्रय नहीं माने जाते हैं। (म. प्र. 2017)
- सुभद्राकुमारी चौहान स्वतंत्रता आंदोलन में जेल गई थी। (म. प्र. 2017)
उत्तर:
- सत्य
- सत्य
- असत्य
- सत्य
- असत्य
- सत्य।
प्रश्न 27.
सही जोड़ी बनाइए –
उत्तर:
- (6)
- (1)
- (2)
- (5)
- (3)