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MP Board Class 12th General Hindi Important Questions Chapter 2 नर से नारायण
ससंदर्भ व्याख्या कीजिए – बाबू गुलाबराय
1. “उस समय के अन्धकार में मेरी अव्यावहारिकता पर विद्युत् प्रकाश पड़ रहा था और सैलरों के निर्झर मेरी महान मूर्खता की सनाद घोषणा कर रहे थे। खैर, जैसे-तैसे दीपक का आयोजन हुआ। उसको झंझावात का सामना करना पड़ा। हथेली और अंचल से उसकी कहाँ तक रक्षा होती? मेरे चाकर देव पड़ोस से लालटेन लाए।हम लोग शान्तिपूर्वक सबके साथ भीतर घर में बैठ गए। सोचा कि चलो यह भी तजुर्बा हो गया।” (महत्वपूर्ण)
शब्दार्थ:
निर्झर = झरना, सनाद = ध्वनि, झंझावात = तेज हवा, तजुर्बा = अनुभव।
संदर्भ:
प्रस्तुत गद्यांश पाठ्य पुस्तक मकरंद भाग 2 पाठ 1 “नर से नारायण” से लिया गया है। इसके लेखक बाबू गुलाबराय जी हैं।
प्रसंग:
अवतरित गद्यांश में विद्युत् चले जाने पर जिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा उस का वर्णन एवं चित्रण किया गया है।
व्याख्या:
बिजली के चले जाने पर लेखक अपने किये पर प्रायश्चित करता है आज से विधिवत् कार्य करता तो मुझे विभिन्न कार्यों के लिए परेशान नहीं होना पड़ता जो प्रकाश के लिए यहाँ-वहाँ दौड़ना पड़ रहा था। जैसे-तैसे लेखक ने उस अनुभव को सीखा और आया हुआ तेज तूफान या हवा थम गई। मेरे चाकर देव पड़ोस में रहने वाले सज्जन से लालटेन की व्यवस्था की। फिर कहीं वह संकट टला। यह भी एक अनोखा अनुभव गुजरा जो लेखक नहीं भूल पाया।
विशेष:
- बीती हुई घटनायें भी जीने की कला सिखाती हैं एवं अनुभव रूपी भेंट देकर जाती हैं। जो अविस्मरणीय है।
- संस्कृतनिष्ठ शब्दावली का प्रयोग किया गया है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
त्राहि-त्राहि क्यों मची हुई थी? (म. प्र. 2009, 12)
उत्तर:
सितम्बर महीने तक बारिश न होने के कारण त्राहि-त्राहि मची हुई थी।
प्रश्न 2.
बच्चे क्यों प्रसन्न थे?
उत्तर:
बरसात के कारण छुट्टियाँ हो जाने से बच्चे प्रसन्न थे।
प्रश्न 3.
लेखक ने किन परिस्थितियों में स्वयं को नारायण कहा है? (म. प्र.2018)
उत्तर:
नारायण वह है, जो जल में वास करता है। लेखक को भी बाढ़ के कारण नारायण की तरह जल में वास करना पड़ रहा था।
प्रश्न 4.
लेखक ने अपने को अनंत का उपासक क्यों कहा है? (महत्वपूर्ण)
उत्तर:
स्वयं को किसी सीमा में आबद्ध न करने की प्रवृत्ति लेखक में है इसीलिए अपने को अनंत का उपासक कहा है।
प्रश्न 5.
बाइबल के किस आदर्श का उल्लेख किया गया है?
उत्तर:
अंधकार बहुत ज्यादा था। बाइबल के आदर्श दानी की भाँति दायाँ हाथ बाएँ हाथ की बात नहीं जान सकता था।
प्रश्न 6.
नाइग्राफॉल किसे कहा गया है?
उत्तर:
रोशनदान से बाढ़ के आते पानी को नाइग्राफॉल कहा गया है अर्थात् रोशनदानों के पानी का गिरना एक प्रपात की समानता रखता है वह दृश्य उपस्थित हो गया।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
वर्षा न होने के कारण लेखक ने अपनी वेदना को किस प्रकार व्यक्त किया है? (म. प्र. 2015)
उत्तर:
सितम्बर के महीने में पानी की त्राहि-त्राहि मची हुई थी। लेखक के खेत में बोई हुई चरी सूख रही थी। ज्वार की पत्तियाँ ऐंठ-ऐंठ कर बत्तियाँ बन गई थीं।
नव-उम्र पौधे मुरझाए हुए थे। गरीब किसान सूखे की मार से कराह उठे थे।
प्रश्न 2.
भीषण गर्मी के बाद प्रथम वर्षा के सुखद प्रभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
श्याम-घन को देखकर मन नाच उठता है। वर्षा की नन्हीं-नन्हीं बूंदों का शीतल स्पर्श अत्यंत सुखद एवं पुलकित कर देने वाला होता है। प्रथम वर्षा से सड़कें धुलकर स्निग्ध और चमकीली दिखाई देने लगती हैं। पेड़-पौधे धुले हुए एवं पवित्र गान करते प्रतीत होते हैं। खेतों में हर्ष एवं उमंग पसर जाता है।
प्रश्न 3.
‘दिग्गाहों से धूम उठे या जलधर उठे क्षितिज के’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
दसों दिशाएँ जल उठी। सारा धुंआ आकाश में छा गया। धरती और आकाश के मिलन-स्थल पर बादल उमड़ते-घुमड़ते दिखाई देने लगे। वर्षा की फुहारों से वातावरण मधुर हो उठा।
दो स्थितियों का चित्रण हुआ है जैसे भीषण गर्मी के कारण दिशाओं का जलना एवं धुआँ उठना या फिर क्षितिज के किनारे बादल उठते हुए दिखायी दिये जैसे ईश्वर ने सभी की प्रार्थना स्वीकार की हो।
लेखक इस बात का निर्णय नहीं कर पा रहा है कि क्षितिज पर भीषण गर्मी से जलने के कारण धुआँ उठ रहा है या क्षितिज से बादल उठ रहे हैं। आकाश में क्षितिज से बादल उमड़-घुमड़ रहे हैं।
प्रश्न 4.
जब बिजली चली गई तब लेखक को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा? (म. प्र. 2010)
उत्तर:
लेखक को प्रकाश के अभाव में लालटेन ढूँढना भी मुश्किल हुआ। लालटेन मिली तो उसमें मिट्टी का तेल नहीं था। दियासलाई ढूँढ़ने से भी नहीं मिल रही थी। टार्च ढूँढ़ने के लिए भी प्रकाश जुटाना सम्भव नहीं था। किसी तरह दीपक का प्रबन्ध किया गया किन्तु वह भी तेज हवा से बुझ गया। इस प्रकार लेखक को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
प्रश्न 5.
बाढ़-पीड़ितों की सहायता किस प्रकार की गई? (म. प्र. 2014, 17)
उत्तर:
बाढ़ पीड़ितों ने परिचितों के यहाँ आश्रय लिया। बाढ़ का पानी निकालने के लिए बाल्टी, परात, परोहे, फायर ब्रिगेड और मोटर पम्प का सहारा लिया गया।
बाढ़ पीड़ितों को लोगों ने वस्त्र-अन्न से खूब सहायता की। स्कूलों में बाढ़-पीड़ितों को आश्रय दिया गया। लेखक को भी किसी जैन बोर्डिंग में जाकर आश्रय लेना पड़ा।
प्रश्न 6.
(अ) “नारासु अयनं यस्य सः नारायणः” पंक्तियों का भाव विस्तार कीजिए।
उत्तर:
जिसका धर (नार) जल में हो वह नारायण। नारायण पोषण करने वाले हैं। इसलिए वर्षा का जल सृष्टि का पोषणकर्ता है लेखक का घर भी पानी में था।
इसलिए वह बिना किसी करनी के ही स्वयं को नारायण समझने लगा।
(ब) दियासलाई ज्योति स्वरूप परमात्मा बन गई।
उत्तर:
एकाएक बिजली के ठप्प होने से गहन अंधकार छा गया। अंधेरा अधिक होने के कारण दिया सलाई को बड़ी मुश्किल से ढूँढा गया लेकिन अंधेरे में घर में दियासलाई का मिलना भी कठिन था उस समय घर में दियासलाई का मिलना ऐसा था जैसे-ज्योतिस्वरूपज्योति एवं ज्योति स्रोत ईश्वर का मिलना, ईश्वर का मिलना कठिन होता है, वैसे ही गहन अंधकार में दियासलाई का मिलना परमात्मा के मिलने के समान हो गया था उस समय घरवालों के लिए दियासलाई ज्योतिस्वरूप परमात्मा के समान बन गई थी।
प्रश्न 7.
लेखक बाबू गुलाबराय का आनन्द आशंका में क्यों बदल गया? (म. प्र. 2016)
उत्तर:
लेखक का आनंद इसलिए आशंका में बदल गया क्योंकि उसके मकान के पीछे एक फुट पानी भर गया था और वह धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा था।
पानी के साथ-साथ लेखक की आशंका भी बढ़ती जा रही थी।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति विकल्पों के आधार पर कीजिए –
- नर से नारायण निबन्ध के लेखक …………………………… हैं। (गुलाबराय / रामचन्द्र शुक्ल) (म. प्र. 2012)
- ‘मेरी असफलताएँ’ प्रसिद्ध निबंध संग्रह के लेखक …………… हैं। (रामचन्द्र शुक्ल / गुलाबराय) (म. प्र. 2017)
उत्तर:
- गुलाबराय
- गुलाबराय।
प्रश्न 2.
सही विकल्प चुनिए –
1. नर से नारायण निबन्ध में लेखक ने बनर्जी साहब का निमंत्रण कब स्वीकार किया?
(क) जब बिजली गुल हो गई
(ख) जब बरामदें और शयनागार पर फर्श बैठ गया
(ग) जब तहखाने में साँप आ गया
(घ) जब उनका घर जलमग्न हो गया।
उत्तर:
(घ) जब उनका घर जलमग्न हो गया।
प्रश्न 3.
सत्य/असत्य का चयन कर लिखिए –
1. निबंध मन की सहज और उन्मुक्त उड़ान है। (म. प्र. 2018)
उत्तर:
सत्य।