Students get through the MP Board Class 11th Physics Important Questions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण which are most likely to be asked in the exam.
MP Board Class 11th Physics Important Questions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
दाब से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
किसी तल के एकांक क्षेत्रफल पर तल के लंबवत् लगने वाले बल को दाब कहते हैं अर्थात्
इसका मात्रक SI पद्धति में न्यूटन/वर्ग मीटर है। इसे पास्कल भी कहते हैं। इसका विमीय सूत्र [M1L-1T-2] है।
प्रश्न 2.
तरल किसे कहते हैं ? तरल दाब से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
तरल वह पदार्थ है जिसकी कोई निश्चित आकृति नहीं होती है तथा जिसमें प्रवाह का गुण पाया जाता है। द्रव तथा गैसें तरल हैं।
प्रति इकाई क्षेत्रफल पर तरल द्वारा लगाये गये दाब को तरल दाब कहते हैं।
प्रश्न 3.
तरल दाब के संचरण सम्बन्धी पास्कल का नियम लिखिये तथा इसके उपयोग बताइये।
उत्तर:
पास्कल के नियमानुसार यदि किसी तरल पर कहीं भी बाहर से दाब लगाया जाता है तो यह दाब सभी दिशाओं में समान तथा उतना ही (बिना कम हुए) संचरित हो जाता है।
उपयोग – द्रव चालित प्रेस, द्रव चालित लिफ्ट।
प्रश्न 4.
समान गहराई के मिट्टी के तेल, पानी तथा पारे में से किसके कारण तली पर दाब अधिकतम होगा तथा क्यों ?
उत्तर:
पारे के कारण तली पर दाब अधिकतम होगा क्योंकि दाब ≈ hdg (अर्थात् समान गहराई के लिए दाब ∝ d ) तथा इनमें से पारे का घनत्व सबसे अधिक है।
प्रश्न 5.
जलाशयों के बाँध की दीवारें तली में अधिक मोटी होती हैं, क्यों ?
उत्तर:
जलाशयों के बाँध की दीवारें तली में अधिक मोटी होती हैं क्योंकि गहराई बढ़ने से द्रव का दाब बढ़ता है अतः जलाशय की तली पर पानी का दाब अधिकतम होता है। इस अधिकतम दाब को सहन करने के लिए तली पर दीवारें अधिक मोटी होती हैं।
प्रश्न 6.
वायुमंडलीय दाब से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
पृथ्वी तल के प्रत्येक एकांक क्षेत्रफल पर वायु स्तंभ के कारण लगने वाले भार को वायुमंडलीय दाब कहते हैं।
प्रश्न 7.
मानक वायुमंडलीय दाब का मान कितना होता है ?
उत्तर:
1.013 x 105 न्यूटन /मीटर2 है।
प्रश्न 8.
“वायुमंडलीय दाब 760 मिमी. पारा है।” इस कथन का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
इसका तात्पर्य है कि वायुमंडलीय दाब 760 मिमी. ऊँचे पारे के स्तम्भ के दाब को संतुलित करता है।
प्रश्न 9.
वायुदाबमापी में पारे के तल पर क्या प्रभाव पड़ेगा यदि नली को तिरछा कर दिया जाये ?
उत्तर:
नली को तिरछा करने पर नली में पारा चढ़ेगा लेकिन नली में पारे के तल की ऊर्ध्वाधर ऊँचाई समान रहेगी।
प्रश्न 10.
बैरोमीटर में पारे के तल पर क्या प्रभाव पड़ेगा यदि नली में ऊपर की ओर एक छोटा छिद्र कर दिया जाये ?
उत्तर:
नली में ऊपर की ओर एक छोटा छिद्र करने पर नली में पारे का तल एकदम नीचे गिर जायेगा।
प्रश्न 11.
बैरोमीटर में पारे के तल पर क्या प्रभाव पड़ेगा यदि नली में पानी की एक बूंद प्रविष्ट करा दी जाये ?
उत्तर:
नली में पानी की बूंद प्रविष्ट कराने पर नली में पारे का तल जलवाष्प के दाब के कारण थोड़ा नीचे गिर जायेगा।
प्रश्न 12.
बैरोमीटर में पारे के तल पर क्या प्रभाव पड़ेगा यदि इसे पहाड़ पर ले जायें ?
उत्तर:
चूंकि पहाड़ पर वायुदाब कम होता है अत: बैरोमीटर को पहाड़ पर ले जाने पर नली में पारे का . तल नीचे गिर जायेगा।
प्रश्न 13.
ऊँचाई के साथ वायुमंडलीय दाब किस प्रकार बदलता है तथा क्यों ?
उत्तर:
ऊँचाई के साथ वायुमंडलीय दाब घटता जाता है क्योंकि पृथ्वी तल से ऊपर जाने पर वायुमंडल के स्तंभ की ऊँचाई कम होती जाती है तथा वायु का घनत्व कम होता जाता है।
प्रश्न 14.
टॉरिसिली का निर्वात् किसे कहते हैं ?
उत्तर:
बैरोमीटर की नली में पारे के तल के ऊपर निर्वात् होता है जिसे टॉरिसिली का निर्वात् कहते हैं।
प्रश्न 15.
वायुदाबमापी में कौन-सा द्रव प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर:
वायुदाबमापी में पारा प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 16.
ससंजक तथा आसंजक बलों का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ससंजक बल – एकं ही पदार्थ के अणुओं के मध्य लगने वाला आकर्षण बल को ससंजक बल कहते हैं।
आसंजक बल – विभिन्न पदार्थों के अणुओं के मध्य लगने वाले आकर्षण बल को आसंजक बल कहते हैं।
प्रश्न 17.
पृष्ठ तनाव से क्या समझते हो?
उत्तर:
द्रवों का एक विशेष गुण जिसके कारण उनका स्वतंत्र पृष्ठ एक तनी हुई झिल्ली की भाँति व्यवहार करता है, पृष्ठ तनाव कहलाता है।
अथवा
किसी द्रव का पृष्ठ तनाव वह बल है जो कि द्रव के पृष्ठ पर खींची गई किसी काल्पनिक रेखा की एकांक लंबाई पर पृष्ठ के तल में तथा रेखा के लंबवत् लगता है। इसका SI मात्रक न्यूटन/मीटर तथा विमीय सूत्र [M1L0T-2 है।
प्रश्न 18.
किसी द्रव के पृष्ठ तनाव को किस प्रकार कम किया जा सकता है ?
उत्तर:
ताप बढ़ाकर द्रव के पृष्ठ तनाव को कम किया जा सकता है क्योंकि ताप बढ़ने पर ससंजक बल कम हो जाता है।
प्रश्न 19.
गर्म सूप, ठण्डे की अपेक्षा अधिक स्वादिष्ट लगता है, क्यों?
उत्तर:
गर्म सूप का पृष्ठ तनाव ठण्डे सूप की अपेक्षा कम होता है। अत: गर्म सूप ठंडे की अपेक्षा जीभ के अधिक पृष्ठ क्षेत्रफल को घेरता है जिससे वह स्वादिष्ट लगता है।
प्रश्न 20.
स्पर्श कोण किसे कहते हैं ?
उत्तर:
द्रव के तल पर, ठोस के उस बिन्दु से जहाँ यह ठोस के स्पर्श में है, खींची गयी स्पर्श रेखा तथा द्रव के अन्दर डूबी हुई ठोस की सतह के बीच के कोण को उस द्रव का स्पर्श कोण कहते हैं।
प्रश्न 21.
केशिकत्व से आप क्या समझते हो?
उत्तर:
केशनली को किसी द्रव में डुबाने पर पृष्ठ तनाव के कारण द्रव का नली में ऊपर चढ़ना या नीचे उतरना केशिकत्व कहलाता है।
उदाहरण – लालटेन में बत्ती के धागों के बीच बनी केशनलियों द्वारा तेल ऊपर चढ़कर जलता है।
प्रश्न 22.
कपड़े पर मोम रगड़ने से कपड़ा वाटरप्रूफ बन जाता है, क्यों?
उत्तर:
कपड़े पर मोम रगड़ने से इसके धागों से बनी केशनलियों के सिरे बन्द हो जाते हैं, अतः कपड़ा वाटरप्रूफ बन जाता है।
प्रश्न 23.
थर्मामीटर की नली में पारा भरना कठिन होता है, क्यों?
उत्तर:
इसका कारण यह है कि पारे व काँच का स्पर्श कोण 135° होता है, अतः जब थर्मामीटर की नली के एक सिरे को पारे में डुबाते हैं तो उसमें पारे का तल नीचे गिरता है।
प्रश्न 24.
यदि निर्वात् में किसी केशनली को किसी द्रव में डुबोया जाये तो क्या उसमें द्रव ऊपर चढ़ेगा?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि निर्वात् में वायुमंडलीय दाब शून्य है।
प्रश्न 25.
बैरोमीटर तथा मैनोमीटर में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
बैरोमीटर की सहायता से वायुदाब का मापन होता है जबकि मैनोमीटर द्वारा किसी बर्तन के अन्दर की गैस का दाब मापा जाता है।
प्रश्न 26.
मनुष्य में उसके मस्तिष्क की अपेक्षा पैरों में रक्तदाब अधिक क्यों होता है ?
उत्तर:
मस्तिष्क की अपेक्षा पैरों पर रक्त स्तम्भ की ऊँचाई अधिक होती है अत: मस्तिष्क की अपेक्षा पैरों में रक्तदाब अधिक होता है।
प्रश्न 27.
किसी स्थान पर वायुदाब को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
- वायुमंडल की ऊँचाई,
- वायुमंडल का घनत्व,
- गुरुत्वीय त्वरण g |
प्रश्न 28.
द्रव चालित लिफ्ट किस सिद्धांत पर कार्य करती है ?
उत्तर:
पास्कल वेन नियम पर।
प्रश्न 29.
भारी बोझ ढोने वाले ट्रकों के दायर चौड़े बनाये जाते हैं, क्यों?
उत्तर:
ताकि क्षेत्रफल अधिक होने के कारण दाब कम रहे और पहिये सड़क में न धंसे।
प्रश्न 30.
कुंद (Blunt) चाकू से किसी वस्तु को काटने में बड़ी कठिनाई होती है जबकि तेज धार वाले ब्लेड से कोई वस्तु सुगमतापूर्वक कट जाती है, क्यों ?
उत्तर:
कुंद चाकू की धार मोटी हो जाने के कारण उसका क्षेत्रफल अधिक होता है जिससे चाकू पर बल लगाने पर धार कम दाब डालती है और हमें काटते समय कठिनाई होती है। जबकि तेज धार के ब्लेड की धार का क्षेत्रफल कम होने के कारण ब्लेड पर लगाने पर धार अधिक दाब डालती है जिससे वस्तु सुगमता से कट जाती है।
प्रश्न 31.
वायुमंडल में बहुत अधिक ऊपर जाने पर हमारी रक्त नलियों के फटने का भय क्यों रहता है ?
उत्तर:
अधिक ऊँचाई पर वायुदाब बहुत कम हो जाता है अतः उसकी तुलना में मनुष्य के शरीर के भीतर की वायु और रक्त का दाब अधिक हो जाता है, दाब की इस अधिकता के कारण मुँह, कान, नाक आदि से रक्त स्राव होने लगता है और रक्त नलियों के फटने का भय हो जाता है।
प्रश्न 32.
नगरों में पानी की टंकी अधिक ऊँचाई पर बनाई जाती है, क्यों?
उत्तर:
ताकि घरों में पानी के टंकियों में पानी का दाब अधिक रहे तथा मकानों की ऊपरी मंजिल पर भी पानी सुगमता से पहुँच सके।
प्रश्न 33.
काँच की केशिकानली में पानी और पारे का मेनिस्कस कैसा होता है ?
उत्तर:
अवतल, उत्तल।
प्रश्न 34.
किसी द्रव का पृष्ठ तनाव किस ताप पर शून्य होता है ?
उत्तर:
क्रान्तिक ताप पर।
प्रश्न 35.
1 बार तथा 1 टॉर का अर्थ समझाइये।
उत्तर:
1 बार-यह मौसम विज्ञान में दाब का मात्रक होता है।
1 बार = 1 x 105 न्यूटन/ मीटर2 = 105 पॉस्कल
1 टॉर – यह भी दाब का मात्रक है जिसे टॉरिसिली के नाम पर रखा गया है।
1 टॉर = 133.20 पास्कल।
प्रश्न 36.
किसी द्रव की पृष्ठीय फिल्म का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
द्रव के स्वतंत्र पृष्ठ से आण्विक परास की गहराई तक द्रव का भाग पृष्ठीय फिल्म कहलाता है। पृष्ठीय फिल्म में स्थित सभी अणु नीचे की ओर आकर्षण बल का अनुभव करते हैं।
प्रश्न 37.
पृष्ठ ऊर्जा को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
द्रव के स्वतंत्र पृष्ठ के एकांक क्षेत्रफल पर जो स्थितिज ऊर्जा संचित रहती है, उसे पृष्ठीय ऊर्जा कहते हैं।
प्रश्न 38.
श्यानता किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसी तरल का वह गुण जिसके कारण इसकी विभिन्न पर्तों के मध्य आपेक्षिक गति का विरोध होता है, श्यानता कहलाता है।
प्रश्न 39.
आदर्श तरल से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
वह तरल जिसमें श्यानता तथा संपीड्यता दोनों ही शून्य होते हैं, आदर्श तरल कहलाता है।
प्रश्न 40.
धारारेखीय प्रवाह से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
जब कोई तरल इस प्रकार प्रवाहित होता है कि उसका प्रत्येक कण उसी मार्ग पर गति करता है जिस मार्ग पर उससे पहले वाला कण चलकर आगे बढ़ चुका है तो तरल के प्रवाह को धारारेखीय प्रवाह कहते हैं।
प्रश्न 41.
द्रव के विक्षुब्ध प्रवाह से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
जब तरल के कणों की गति अनियमित तथा टेढ़ी-मेढ़ी होती है तो तरल के प्रवाह को विक्षुब्ध प्रवाह कहते हैं।
प्रश्न 42.
क्या कारण है कि नदी के किनारे पर जल के प्रवाह का वेग कम तथा बीच में अधिक होता है ?
उत्तर:
इसका कारण यह है कि धारारेखीय प्रवाह में किनारों के संपर्क की पर्तों का वेग शून्य होता है तथा जैसे-जैसे किनारों से दूर हटते जाते हैं, पर्तों का वेग बढ़ता जाता है।
प्रश्न 43.
क्या प्रवाहित द्रव में दो धारारेखाएँ परस्पर काट सकती हैं ? कारण सहित समझाइये।
उत्तर:
प्रवाहित द्रव में दो धारारेखाएँ परस्पर नहीं काट सकती हैं। इसका कारण यह है कि धारा रेखा के किसी बिन्दु पर खींची गयी स्पर्शरेखा उस बिन्दु पर द्रव के वेग की दिशा प्रदर्शित करती है। यदि दो धारा रेखाएँ एक-दूसरे को काटेंगी तो कटान बिन्दु पर द्रव के वेग की दो दिशाएँ होंगी जो कि असंभव है।
प्रश्न 44.
किसी असमान अनुप्रस्थ परिच्छेद वाली नली में बहने वाले जल का दाब नली के सँकरे भाग की अपेक्षा चौड़े भाग में अधिक होता है, क्यों?
उत्तर:
सातत्य समीकरण से a1ν1 = a2ν2
स्पष्ट है कि यदि a2 > a1 तो ν2 < ν1
अब बर्नूली प्रमेय से क्षैतिज तल के लिए \(\frac { 1 }{ 2 }\)dν12 + p1 = \(\frac { 1 }{ 2 }\)dν22 + P2
यदि ν2 < ν1 तो P1 < P2
अर्थात् a2 < a1 तो P1 < P2
अत: चौड़े भाग में द्रव का दाब अधिक तथा संकरे भाग में द्रव का दाब कम होगा।
प्रश्न 45.
बर्नूली प्रमेय के तीन व्यावहारिक उपयोग बताइये।
उत्तर:
- फिल्टर पंप,
- स्प्रेयर,
- वेन्चुरीमीटर।
प्रश्न 46.
स्टोक का नियम लिखिए।
उत्तर:
इस नियमानुसार जब कोई गोलाकार ठोस जिसकी त्रिज्या r है, किसी श्यान द्रव (श्यानता गुणांक η ) में एक नियत वेग ν से गिरता है तो गति की दिशा के विपरीत गोले पर एक श्यान बल F = 6πηrν लगता है।
प्रश्न 47.
क्रान्तिक वेग से क्या समझते हो?
उत्तर:
किसी तरल के प्रवाह का वह अधिकतम वेग जहाँ तक उसका प्रवाह धारारेखीय प्रवाह रहता है, क्रान्तिक वेग कहलाता है।
प्रश्न 48.
श्यानता का आण्विक सिद्धांत लिखिए।
उत्तर:
द्रव में श्यानता उसके अणुओं के मध्य लगने वाले ससंजक बलों के कारण होती है जब द्रव की विभिन्न पर्तों के बीच आपेक्षिक गति होती है तो अणुओं के बीच की दूरी बढ़ जाती है। अतः ससंजक बल इसका विरोध करते हैं। श्यानता तरल पदार्थों का गुण होता है। गैसों में द्रवों की तुलना में श्यानता कम होती है।
प्रश्न 49.
गहरा जल शान्त क्यों बहता है ?
उत्तर:
बर्नूली प्रमेय के अनुसार, दाब अधिक होने पर तरल कम वेग से बहता है। जल जितना अधिक गहरा होता है, उसका स्थैतिक दाब उतना ही अधिक होता है फलस्वरूप गहरा जल, कम वेग से अर्थात् शान्त बहता है।
प्रश्न 50.
पास-पास लटकी दो हल्की गेंदों के बीच फूंक मारने से गेंदें एक-दूसरे की ओर आकर्षित हो जाती हैं, क्यों?
उत्तर:
दोनों गेंदों के बीच फूंक मारने से वायु का वेग बढ़ जाता है फलस्वरूप बर्नूली प्रमेय के अनुसार दोनों गेंदों के बीच दाब कम हो जाता है अत: बाहरी दाब के कारण दोनों गेंदें पास-पास आ जाती हैं।
प्रश्न 51.
संतुलित भौतिक तुला के पलड़े के नीचे तेजी से हवा चलाने पर पलड़ा नीचे झुक जाता है, क्यों?
उत्तर:
पलड़े के नीचे तेजी से हवा चलाने पर बर्नूली प्रमेय के अनुसार वायुदाब कम हो जाता है। ऊपर वायुदाब अधिक होने के कारण पलड़ा नीचे झुक जाता है।
प्रश्न 52.
तेज रेलगाड़ी के प्लेटफॉर्म से गुजरने पर कूड़ा – करकट रेलगाड़ी की ओर आकर्षित होने लगता है, कारण समझाइये।
उत्तर:
जब तेज रेलगाड़ी प्लेटफॉर्म से गुजरती है तो बर्नूली प्रमेय के अनुसार वहाँ पर दाब एकाएक कम हो जाता है फलस्वरूप कूड़ा – करकट रेलगाड़ी की ओर आकर्षित होने लगता है।
प्रश्न 53.
कार की आकृति ऊपर से नीचे की ओर ढलानदार क्यों बनायी जाती है ?
उत्तर:
कार की इस तरह की आकृति को धारारेखीय आकृति कहा जाता है। इस तरह वायु द्वारा कार पर लगाया गया श्यान बल न्यूनतम हो जाता है।
प्रश्न 54.
आकाश में बादल तैरते हुए क्यों मालूम पड़ते हैं ?
उत्तर:
बादल संघनित जलवाष्प के कणों से बना होता है। ये कण वायु की श्यानता के कारण बहुत धीरेधीरे ही नीचे आ सकते हैं। यही कारण है कि वे आकाश में तैरते दिखाई देते हैं।
प्रश्न 55.
क्या बर्नूली का प्रमेय विक्षुब्ध प्रवाह के लिए भी सत्य है ?
उत्तर:
नहीं, बर्नूली का प्रमेय केवल धारारेखीय प्रवाह के लिए ही सत्य है।
प्रश्न 56.
ताजे जल से भरी एक टंकी की दीवार में एक छेद है जिससे जल बाहर निकलता है यदि छेद बड़ा हो जाये तो क्या जल के बाहर निकलने का वेग बदल जायेगा ? क्या प्रति सेकण्ड बाहर निकलने वाले जल का आयतन बदल जायेगा?
उत्तर:
चूँकि बहि:स्राव वेग छिद्र के आकार पर निर्भर नहीं करता अत: वेग वही रहेगा परन्तु आयतन बदल जायेगा।
प्रश्न 57.
यदि टंकी में ताजे जल के स्थान पर मिट्टी का तेल भर दें, तो क्या मिट्टी के तेल का बाहर निकलने का वेग बदल जायेगा?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि बहि:स्राव वेग द्रव के घनत्व पर निर्भर नहीं करता।
प्रश्न 58.
बर्नूली प्रमेय के अनुसार एकसमान त्रिज्या के क्षैतिज पाइप में जल का दाब एकसमान रहना चाहिये परन्तु वास्तव में यह घटता जाता है, इसका क्या कारण है ?
उत्तर:
जल को क्षैतिज पाइप में बहने के लिये जल के श्यान बल के विरुद्ध कार्य करने के लिए ऊर्जा चाहिये। यह ऊर्जा जल की दाब ऊर्जा से प्राप्त होती है अत: जल का दाब घटता जाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
स्पष्ट कीजिए क्यों-
(a) 6 किमी ऊँचाई पर वायुमण्डलीय दाब समुद्र तल पर वायुमण्डलीय दाब का लगभग आधा हो जाता है, यद्यपि वायुमण्डल का विस्तार 100 किमी से अधिक ऊँचाई तक है।
(b) यद्यपि दाब, प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाला बल होता है तथापि द्रव स्थैतिक दाब एक अदिश राशि है।
उत्तर:
(a) क्योंकि वायु का घनत्व 6 km के बाद कम होने लगता है।
(b) पास्कल नियम के अनुसार द्रव पर आरोपित दाब सभी दिशाओं में समान रूप से संचरित होता है अतः इसकी कोई निश्चित दिशा नहीं है।
प्रश्न 2.
पारे का काँच के साथ स्पर्शकोण अधिक होता है, जबकि जल का काँच के साथ स्पर्शकोण न्यून कोण होता है। स्पष्ट कीजिए क्यों?
उत्तर:
जब द्रव की एक बूंद किसी ठोस सतह पर डाली जाती है तब ठोस-हवा (TSA) ठोस-द्रव (TSL) एवं द्रव-हवा (TLA) अन्तरापृष्ठों पर पृष्ठ तनाव कार्य करते हैं।द्रव का ठोस के साथ स्पर्श कोण निम्न सूत्र से दिया जाता है-
cosθ = \(\frac{\mathrm{T}_{\mathrm{SA}}-\mathrm{T}_{\mathrm{SL}}}{\mathrm{T}_{\mathrm{LA}}}\)
पारे-काँच के लिए TSA < TSL अत: cosθ का मान ऋणात्मक है एवंθ का मान 90° से अधिक होता है।
जल-काँच के लिए TSA < TSL अत: cosθ का मान धनात्मक होता है एवं θ का मान 90° से कम होता
प्रश्न 3.
स्पष्ट कीजिए क्यों-
(a) किसी द्रव का पृष्ठ तनाव पृष्ठ के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता है।
(b) यदि किसी बाह्य बल का प्रभाव न हो, तो दव बूंद की आकृति सदैव गोलाकार होती है।
उत्तर:
(a) पृष्ठ तनाव द्रव के सतह पर खींची काल्पनिक रेखा के इकाई लम्बाई पर कार्यरत लम्बवत् स्पर्शी बल के बराबर होता है, यह बल पृष्ठ के क्षेत्रफल से स्वतंत्र है । अतः पृष्ठ तनाव पृष्ठ के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता।
(b) बाह्य बल के अनुपस्थिति में द्रव पर केवल पृष्ठ तनाव के कारण बल कार्य करेगा जिसके कारण वह कम क्षेत्रफल घेरती है, गोलीय पृष्ठ का क्षेत्रफल दिए हुए आयतन के लिए न्यूनतम होता है, अतः द्रव की बूंद. गोलाकार होती है।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित के कारण स्पष्ट कीजिए-
(a) किसी कागज की पट्टी को क्षैतिज रखने के लिए आपको कागज पर ऊपर की ओर हवा फूंकनी चाहिए, नीचे की ओर नहीं।
(b) जब हम किसी जल की टोंटी को अपनी ऊँगलियों द्वारा बंद करने का प्रयास करते हैं, तो ऊँगलियों के बीच की खाली जगह से तीव्र जलधाराएँ फूट निकलती हैं।
उत्तर:
(a) जब कागज के ऊपर फूंक मारें तो हवा का वेग बढ़ने के कारण बर्नूली प्रमेय के अनुसार दाब कम हो जाता है किन्तु कागज के नीचे वायुमण्डलीय दाब नियत बना रहता है एवं कागज की पट्टी क्षैतिज बना रहता है।
(b) सातत्य समीकरण \(\left(v \propto \frac{1}{\mathrm{~A}}\right)\) के अनुसार जब हम जल की टोंटी को ऊँगलियों द्वारा बंद करते हैं तो उसके परिच्छेद का क्षेत्रफल कम हो जाता है और जल अधिक वेग से बाहर निकलने लगता है।
प्रश्न 5.
हाइड्रोलिक या द्रव चालित लिफ्ट का सिद्धांत समझाइये।
उत्तर:
चित्र में X तथा Y दो बेलनाकार बर्तन हैं जो एक क्षैतिज नली T से आपस में जुड़े हैं। दोनों बर्तनों में वायुदाब पिस्टन P1 तथा P2 क्रमशः लगे हों तथा बर्तनों में द्रव भरा है। माना इनके अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल क्रमशः A1 व A2 है (जहाँ A1 < A2)।
अब यदि पिस्टन P1 पर बल F1 लगाया जाता है तो पिस्टन पर आरोपित दाब = \(\frac{F_{1}}{A_{1}}\), यही दाब द्रव द्वारा पिस्टन P2 पर संचरित हो जाता है जिसके फलस्वरूप पिस्टन P2 पर ऊपर की ओर बल F2 लगता है जिससे वह ऊपर उठता है अर्थात् पिस्टन P2पर दाब = \(\frac{F_{1}}{A_{1}}\)
∴ पिस्टन P2 पर बल F2 = दाब × क्षेत्रफल
या F2 = \(\frac{F_{1}}{A_{1}}\) × A2 =
चूँकि A1 < A2अत: F2 > F1
अर्थात् कम क्षेत्रफल वाले पिस्टन पर कम दाब लगाकर अधिक क्षेत्रफल वाले पिस्टन पर अधिक बल लगाया जा सकता है। इस प्रकार पिस्टन के P2 ऊपर यदि कोई बोझ रख दिया जाये तो उसे पिस्टन P1 पर बहुत कम बल लगाकर ही ऊपर उठाया जा सकता है, यही हाइड्रोलिक लिफ्ट का सिद्धांत है।
प्रश्न 6.
d घनत्व वाले द्रव के भीतर द्रव तल से h गहराई पर द्रव के दाब के लिए सूत्र स्थापित कीजिये।
उत्तर:
चित्र में एक बर्तन में द्रव भरा है। माना द्रव के भीतर बिन्दु O के समीप किसी तल के क्षेत्रफल A के ऊपर h ऊँचाई का द्रव स्तम्भ है।
द्रव स्तम्भ का आयतन = आधार का क्षेत्रफल × ऊँचाई
= A.h
द्रव का द्रव्यमान = आयतन × घनत्व
= Ahd जहाँ d द्रव का घनत्व है।
द्रव स्तम्भ द्वारा तल पर लगाया गया बल द्रव स्तंभ का भार = A.hdg.
द्रव स्तम्भ का भार = A.hdg.
अतः दाब = – \(\frac{\text { Ahdg }}{A}\) = hdg
= द्रव की गहराई × घनत्व × g.
प्रश्न 7.
जब एक समतल काँच की प्लेट पर शुद्ध जल गिरता है तो वह फैल जाता है लेकिन जब पारा गिरता है तो वह छोटी-छोटी गोलियाँ बनाता है, क्यों?
उत्तर:
इसका कारण यह है कि जल के अणुओं तथा काँच के अणुओं के मध्य आसंजक बल का मान जल के स्वयं के अणुओं के मध्य ससंजक बल की अपेक्षा अधिक होता है अतः जब जल काँच की प्लेट पर गिरता है तो वह फैल जाता है। इसके विपरीत पारे के अणुओं तथा काँच के अणुओं के मध्य आसंजक बल का मान, पारे के स्वयं के अणुओं के मध्य ससंजक दाब की अपेक्षा कम होता है अत: पारा प्लेट पर गिरने पर छोटीछोटी गोलियाँ बनाता है।
प्रश्न 8.
पास्कल का नियम क्या है ? लिखिए तथा सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
इस नियमानुसार “यदि कोई द्रव संतुलन में है तो उसके प्रत्येक भाग पर दाब एकसमान होता है (यदि गुरुत्व की उपेक्षा की जा सके)।
व्युत्पत्ति – माना किसी द्रव के अन्दर दो बिन्दु O1 तथा O2 हैं। O1O2 अक्ष वाले लंबवृत्तीय बेलन की कल्पना करो। इस बेलन के दोनों फलक वृत्तीय होंगे जिनके केन्द्र O1 और O2 हैं। बेलन के अन्दर द्रव संतुलन में है। अतः O1 तथा O2 केन्द्र वाले वृत्तीय फलकों पर लगने वाले बल बेलन की सतहों पर लगने वाले बलों के लंबवत् होंगे।
यदि O1 केन्द्र वाले वृत्तीय फलक पर कार्य करने वाला बल F1 हो, तो O1 पर दाब P1 = \(\frac{F_{1}}{A}\)
अतः F1 = P1A
इसी प्रकार यदि O2 केन्द्र वाले वृत्तीय फलक पर लगने वाला बल F2 हो, तो O2 पर दाब P2 = \(\frac{F_{2}}{A}\)
एवं F2 = P2A.
चूँकि द्रव संतुलनावस्था में है।
अतः F1 = F2
या P1A = P2A
P1 = P2
अत: O1 तथा O2 पर दाब एकसमान है।
चूँकि O1 तथा O2 कोई भी दो बिन्दु हैं अतः द्रव के प्रत्येक भाग (या बिन्दु) पर दाब एकसमान होता है।
प्रश्न 9.
पास्कल नियम पर गुरुत्व का प्रभाव दर्शाइए।
उत्तर:
माना किसी बर्तन में ρ घनत्व वाला एक द्रव भरा है। द्रव के अन्दर एक ही ऊर्ध्वाधर रेखा पर A तथा B दो बिन्दु हैं, A ऊपर तथा B नीचे है। उनके बीच की दूरी h है।
AB अक्ष वाले एक बेलन की कल्पना कीजिए जिसके प्रत्येक अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A तथा ऊँचाई h है।
इस काल्पनिक बेलन का भार = द्रव्यमान × g
= आयतन × घनत्व × g
= Ah.g
यह भार ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर कार्य करेगा। यदि बिन्दु A तथा B पर दाब क्रमशः P1 तथा P2 हों, तो ऊपर के फलक पर नीचे की ओर लगने वाला बल = दाब × क्षेत्रफल
F1 = P1A
इसी प्रकार निचले फलक पर ऊपर की ओर लगने वाला बल
F2 = P2A
चूँकि द्रव संतुलनावस्था में है,
अतः F1 + Ahg – F2 = 0
या P1A + Ahg – P2A = 0
अतः (P2 – P1) A = Ahg
या P2 – P1 = hg
इस सूत्र से स्पष्ट है कि गुरुत्व के कारण द्रव के अन्दर एक ही ऊर्ध्वाधर रेखा पर स्थित बिन्दुओं में दाबान्तर होता है।
प्रश्न 10.
शुद्ध जल की बजाय साबुन के घोल से मैले कपड़े धोना आसान होता है, क्यों ?
उत्तर:
पानी में साबुन या डिटर्जेंट डालने से पानी का पृष्ठ तनाव शुद्ध पानी की तुलना में कम हो जाता है अतः साबुन के घोल की एक बूंद शुद्ध पानी की एक बूंद की अपेक्षा कपड़े के अधिक क्षेत्रफल को भिगोती है। इस प्रकार साबुन का घोल कपड़े के उन छोटे-छोटे छिद्रों में भी पहुँच पाता है जहाँ शुद्ध पानी नहीं पहुँच जाता तथा अपने साथ मैल चिपकाकर बाहर निकाल लाता है। अतः साबुन का घोल, शुद्ध पानी की अपेक्षा अधिक सफाई करता है।
प्रश्न 11.
किसान बरसात के बाद भूमि की जुताई करता है, क्यों?
उत्तर:
खेतों में पानी पौधों तथा पेड़ों के तनों में बनी केशनलियों द्वारा ऊपर चढ़कर टहनियों तथा पत्तियों तक पहुँचता है। पानी बरसने के बाद किसान मिट्टी की ऊपरी सतह को जोत डालते हैं जिससे मिट्टी में बनी केशनलियाँ टूट जाती हैं तथा नीचे का पानी पौधों के उपयोग में आ जाता है। यदि जुताई न की जाये तो पानी केशनलियों द्वारा सतह पर आ जायेगा और वाष्पन के कारण उड़कर व्यर्थ हो जायेगा।
प्रश्न 12.
यदि उपग्रह के अन्दर एक केशनली को जल में डुबाया जाये तो क्या होगा?
उत्तर:
उपग्रह में भारहीनता होती है। अर्थात् g = 0
अतः सूत्र Rh = \(\frac{2 T}{d g}\) से Rh = ∞
अर्थात् केशनली की पूरी लंबाई तक जल चढ़ जावेगा तथा जल का स्वतंत्र पृष्ठ समतल हो जावेगा। जल केशनली से बाहर नहीं निकलेगा।
प्रश्न 13.
टॉरिसिली के वायुदाब सम्बन्धी प्रयोग का वर्णन कीजिये। इससे वायुदाब कैसे मापा जाता है ?
उत्तर:
टॉरिसिली ने सर्वप्रथम वायुमंडलीय दाब को मापने के लिए ऐतिहासिक प्रयोग किया इसे टॉरिसिली का प्रयोग कहते हैं। वायुमंडलीय दाब को मापने के लिए प्रयुक्त उपकरण को बैरोमीटर या वायुदाबमापी कहते हैं।
इसमें मजबूत काँच की बनी एक मीटर लंबी नली होती है जिसका एक सिरा बन्द होता है। नली को पूर्णतः पारे से भर दिया जाता है। अब खुले सिरे को अँगूठे से दबाकर पारे से भरे बर्तन में इस प्रकार उलटकर रख देते हैं कि नली का खुला सिरा पारे के अन्दर हो। ध्यान रहे वायु का बुलबुला नली में प्रवेश न करने पाये। नली में पारे का तल धीरे-धीरे गिरने लगता है और एक निश्चित ऊँचाई पर आकर उसका गिरना रुक जाता है। इस स्थिति में बर्तन में पारे के तल से नली में पारे के तल की ऊँचाई अर्थात् नली में पारे के स्तम्भ की ऊँचाई 76 सेमी होती है। नली में पारे के स्तम्भ के ऊपर खाली स्थान में पूर्णतः निर्वात् होता है इसे टॉरिसिली का निर्वात कहते हैं।
नली में पारा अपने भार के कारण नीचे आता है। जबकि वायुमंडल की वायु उसे दबाकर ऊपर चढ़ाने का प्रयास करती है जब पारे के स्तम्भ के भार के कारण दाब वायुमंडलीय दाब के बराबर हो जाता है तो पारा ठहर जाता है। इस प्रकार नली में पारे के स्तम्भ की ऊँचाई से वायुमंडलीय दाब को मापा जाता है।
प्रश्न 14.
पृष्ठ तनाव को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं ? वे पृष्ठ तनाव को किस प्रकार प्रभावित करते हैं ?
उत्तर:
पृष्ठ तनाव को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-
(1) द्रव में विलेय पदार्थ – यदि विलेय द्रव में अत्यधिक घुलनशील हो तो द्रव का पृष्ठ तनाव बढ़ जाता है किन्तु यदि विलेय द्रव में कम घुलनशील हो तो पृष्ठ तनाव घट जाता है। जैसे – पानी में साबुन डालने पर पानी का पृष्ठ तनाव घट जाता है।
(2) द्रव के पृष्ठ का संदूषण – यदि द्रव के पृष्ठ पर धूल के कण या कोई चिकनाई, विद्यमान है तो द्रव का पृष्ठ तनाव घट जाता है।
(3) द्रव का ताप – सामान्यतया ताप बढ़ाने पर पृष्ठ तनाव कम हो जाता है क्योंकि ताप बढ़ाने पर ससंजक बल का मान कम हो जाता है।
सूत्र के रूप में T = T0(1 – α.t)
जहाँ T = t°C पर पृष्ठ तनाव, T0 = 0°C पर पृष्ठ तनाव तथा α = पृष्ठ तनाव के लिए ताप गुणांक है।
प्रश्न 15.
समझाइये कि कोई द्रव केशनली में क्यों ऊपर चढ़ता है ?
उत्तर:
मानलो केशनली को ऐसे द्रव में डुबोया गया है जो काँच को भिगोता है। केशनली में इस द्रव का मेनिस्कस अवतल होता है। मानलो द्रव केशनली में ऊपर नहीं चढ़ता है। द्रव की सतह के ठीक नीचे बिन्दुओं A तथा B की कल्पना करो। मानलो एक अन्य बिन्दु C मेनिस्कस के ऊपर है।
मेनिस्कस की अवतल सतह की ओर दाब उत्तल सतह की ओर के दाब से अधिक होता है। इस दाब आधिक्य का मान \(\frac{2 T}{R}\) होता है जहाँ T पृष्ठ तनाव तथा R मेनिस्कस की वक्रता त्रिज्या है।
बिन्दु C पर दाब वायुमंडलीय दाब P के बराबर है। अतः बिन्दु B पर दाब = P – \(\frac{2 T}{R}\)
बिन्दु A पर दाब वायुमंडलीय दाब P के बराबर है। बिन्दु A तथा बिन्दु B द्रव के अन्दर एक ही क्षैतिज रेखा पर हैं। अत: दोनों बिन्दुओं पर दाब समान होना चाहिए। स्पष्ट है कि केशनली में द्रव इतनी ऊँचाई तक चढ़ जायेगा जिससे कि बिन्दु B पर द्रव स्तम्भ का दाब \(\frac{2 T}{R}\) हो जाये। इस प्रकार बिन्दु B पर कुल दाब
P – \(\frac{2 T}{R}+\frac{2 T}{R}\) = P होगा।
प्रश्न 16.
क्या कारण है कि तेज आँधी-तूफान में टिन की छतें उड़ जाती हैं ?
उत्तर:
जब आँधी में वायु बहुत तीव्र वेग से टिन की छत के ऊपर से प्रवाहित होती है तो बली की प्रमेयानुसार छत के ऊपर की वायु का दाब बहुत कम हो जाता है जबकि छत के नीचे कमरे के अन्दर की वायु के दाब में कोई परिवर्तन नहीं होता है। यह वायुमंडलीय दाब के बराबर बना रहता है अत: दाबान्तर के कारण टिन की छतें ऊपर उड़कर दूर जा गिरती हैं।
प्रश्न 17.
क्रान्तिक वेग क्या है ? यह किन-किन कारकों पर निर्भर करता है ? रेनॉल्ड्स संख्या के साथ इसका क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर:
क्रान्तिक वेग-अति लघु उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 47 देखें।
रेनॉल्ड्स के अनुसार किसी केशनली में प्रवाह के लिए क्रान्तिक वेग का मान
- द्रव के घनत्व d के व्युत्क्रमानुपाती,
- केशनली की त्रिज्या r के व्युत्क्रमानुपाती तथा
- द्रव की श्यानता η के अनुक्रमानुपाती होता है।
अर्थात् क्रान्तिक वेग νc ∝ \(\frac{\eta}{r d}\) या νc = \(\frac{K . \eta}{r. d}\)
जहाँ K = नियतांक है जिसे रेनॉल्ड संख्या कहते हैं। इसका मान केशनली के लिए लगभग 1000 होता है।
प्रश्न 18.
किसी द्रव के धारारेखीय तथा विक्षुब्ध प्रवाह में अन्तर समझाइये।
उत्तर:
धारारेखीय तथा विक्षुब्ध प्रवाह में अन्तर-
धारारेखीय प्रवाह | विक्षुब्ध प्रवाह |
1. किसी बिन्दु से गुजरने वाले प्रत्येक कण का वेग परिमाण व दिशा में समान रहता है। | 1. किसी बिन्दु से गुजरने वाले प्रत्येक कण का वेग भिन्न-भिन्न हो सकता है। |
2. द्रव के प्रवाह का वेग क्रान्तिक वेग से कम होता है। | 2. द्रव के प्रवाह का वेग क्रान्तिक वेग से अधिक होता है। |
3. कणों का मार्ग सरल रेखीय या वक्रीय होता है। | 3. कणों का मार्ग अनियमित तथा टेढ़ा-मेढ़ा होता है। |
प्रश्न 19.
श्यानता सम्बन्धी न्यूटन का नियम लिखिए। इस नियम की सहायता से श्यानता गुणांक की परिभाषा लिखकर उसका मात्रक बताइये तथा इसका विमीय सूत्र भी लिखिये।
उत्तर:
न्यूटन के अनुसार, द्रव के किन्हीं दो परतों के बीच स्पर्शरखीय श्यान बल F-
(i) परतों के क्षेत्रफल A के अनुक्रमानुपाती होता है।
(ii) परतों के मध्य वेग प्रवणता \(\frac{d v}{d x}\) के अनुक्रमानुपाती होता है।
इस प्रकार F ∝ A
तथा F ∝ \(\frac{d v}{d x}\)
दोनों को मिलाकर लिखने पर,
F ∝ A.\(\frac{d v}{d x}\)
या F = -η.A.\(\frac{d v}{d x}\)
जहाँ η नियतांक है जिसे द्रव का श्यानता गुणांक कहते हैं। यह द्रव की प्रकृति पर निर्भर करता है । ऋण चिन्ह इसको दर्शाता है कि श्यान बल द्रव के प्रवाह की विपरीत दिशा में कार्य करता है।
उपर्युक्त सूत्र में यदि A = 1 तथा \(\frac{d v}{d x}\) = 1 हो, तो
F = -η
अतः किसी द्रव का श्यानता गुणांक द्रव के अन्दर उस स्पर्शरेखीय बल के बराबर होता है, जो इकाई क्षेत्रफल वाली उन परतों के मध्य कार्य करता है जिनके मध्य वेग प्रवणता इकाई हो।
श्यानता गुणांक का SI मात्रक न्यूटन /मीटर x सेकण्ड है। इसका विमीय सूत्र [M1L-1T-1] है।
प्रश्न 20.
श्यानता गुणांक की विमाएँ ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
चूँकि
प्रश्न 21.
सीमान्त वेग किसे कहते हैं ? किसी श्यान द्रव में गिरने वाले गोले के सीमान्त वेग की गणना कीजिये।
उत्तर:
सीमान्त वेग – किसी श्यान माध्यम में ऊर्ध्वाधर नीचे गिरते हुए पिण्ड के नियत वेग को सीमांत वेग कहते हैं।
माना एक सूक्ष्म गोलाकार वस्तु जिसकी त्रिज्या a तथा जिसके पदार्थ का घनत्व d है, श्यानता गुणांकn तथा घनत्व σ वाले द्रव में गुरुत्व के अधीन स्वतंत्रतापूर्वक गिरती है। गिरती हुई वस्तु पर तीन बल कार्य करते हैं-
- वस्तु का भार, जो ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर कार्य करता है।
- द्रव का उत्प्लावन बल, जो ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर कार्य करता है।
- श्यान बल, जो ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर कार्य करता है। अब
वस्तु का भार = आयतन × घनत्व × g
= \(\frac { 4 }{ 3 }\)πa3dg
द्रव का उत्प्लावन बल = हटाये गये द्रव का भार
= \(\frac { 4 }{ 3 }\)πa3σg
अतः वस्तु का परिणामी भार = \(\frac { 4 }{ 3 }\)πa3dg – \(\frac { 4 }{ 3 }\)πa3σg
ऊपर की ओर कार्य करने वाला द्रव का श्यान बल
F = 6πηaν
यदि वस्तु सीमान्त वेग v से नीचे गिरती हो तो,
श्यान बल = वस्तु का परिणामी भार
6πηaν = \(\frac { 4 }{ 3 }\)(d – σ)g
अतः ν = \(\frac{2}{9} \frac{a^{2}(d-\sigma) g}{\eta}\)
प्रश्न 22.
द्रव के प्रवाह का सातत्य समीकरण स्थापित कीजिए।
उत्तर:
माना कोई द्रव एक असमान अनुप्रस्थ परिच्छेद वाली नली AB में धारारेखीय प्रवाह से प्रवाहित हो रहा है। द्रव का धनत्व d है, सिरे A पर नली के अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल a1 द्रव के प्रवाह का वेगν1 एवं सिरे B पर नली के परिच्छेद का क्षेत्रफल a2 तथा द्रव के प्रवाह का वेग ν2 है।
सिरे A से बहने वाला द्रव 1 सेकण्ड में ν1 दूरी तय करेगा अत: सिरे A से प्रति सेकण्ड प्रवेश करने वाले द्रव का आयतन = a1ν1
अतः सिरे A से प्रति सेकण्ड प्रवेश करने वाले द्रव का द्रव्यमान = a1ν1d
एवं सिरे B से प्रति सेकण्ड बाहर निकलने वाले द्रव का द्रव्यमान = a2ν2d
चूँकि प्रवाह धारारेखीय है, अतः
a1ν1d = a2ν2d
या a1ν1 = a2ν2 = नियतांक
∴ a . ν = नियतांक।
प्रश्न 23.
किसी बहते हुए द्रव में कौन-कौन-सी ऊर्जाएँ होती हैं ? एकांक आयतन के लिए इनके व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
किसी बहते हुए द्रव में तीन प्रकार की ऊर्जाएँ होती हैं-
(i) गतिज ऊर्जा – यदि m द्रव्यमान का कोई द्रव v वेग से बह रहा हो तो उसकी गतिज ऊर्जा = \(\frac{1}{2}\) mν2
द्रव के एकांक द्रव्यमान की गतिज ऊर्जा = \(\frac{1}{2} \frac{m v^{2}}{m}\) \(\frac{1}{2}\)ν2
पुन: यदि m द्रव्यमान के इस द्रव का आयतन V हो तो द्रव के एकांक आयतन की गतिज ऊर्जा
= \(\frac{1}{2} \frac{m v^{2}}{m}\) = dgh
∴ \(\frac{m}{V}\) = d = घनत्व
∴ एकांक आयतन की गतिज ऊर्जा = \(\frac{1}{2}\)dν2.
(ii) स्थितिज ऊर्जा – यदि m द्रव्यमान का कोई द्रव, पृथ्वी तल से 1 ऊँचाई पर हो तो उसकी स्थितिज ऊर्जा = mgh.
अतः द्रव के एकांक द्रव्यमान की स्थितिज ऊर्जा = \(\frac{m g h}{m}\) = gh.
द्रव के एकांक आयतन की स्थितिज ऊर्जा = \(\frac{m g h}{V}\) = dgh.
(iii) दाब ऊर्जा – द्रव के प्रवाह के लिए द्रव पर दाब आरोपित किया जाता है जिसके कारण उनमें दाब ऊर्जा होती है।
यदि द्रव के क्षेत्रफल A पर P दाब आरोपित करने से द्रव x दूरी तक बहे तो
द्रव की दाब ऊर्जा = किया गया कार्य
= बल × दूरी = दाब × क्षेत्रफल × दूरी
= PAx
द्रव की दाब ऊर्जा = P.V.
जहाँ V = A.x = द्रव का आयतन
अतः द्रव के एकांक आयतन की दाब ऊर्जा = \(\frac{P . V}{V}\) = P
एवं द्रव के एकांक द्रव्यमान की दाब ऊर्जा \(=\frac{P . V}{m}=\frac{P}{\frac{m}{V}}=\frac{P}{d} .\)
प्रश्न 24.
क्या कारण है कि एक पिंग-पोंग की गेंद फव्वारे से निकलती हुई पानी के तेज धारा के ऊपर टिकी रहती है ?
उत्तर:
बर्नूली के सिद्धांत के अनुसार जब फव्वारे से पानी की तेज धारा (अधिक वेग) से निकलती है तो उसके आसपास के स्थान पर दाब बहुत कम हो जाता है अत: पिंग-पोंग की गेंद तेज धारा को छोड़कर एक ओर (धारा के बाहर) गिरना चाहती है, लेकिन उसके चारों ओर की बाह्य हवा उसके पुनः तेज धारा की ओर (कम दाब के क्षेत्र में) दबा देती है और बाहर निकलकर गिरने से रोकती है अत: गेंद तेज धारा के ऊपर टिकी रहती है।
प्रश्न 25.
स्टोक नियम क्या है ? विमीय विश्लेषण की विधि से इसके व्यंजक की स्थापना कीजिए।
उत्तर:
स्टोक नियम – अति लघु उत्तरीय प्रश्न क्रमांक 46 देखें।
माना श्यान बल F, गोले की त्रिज्या r की a घात पर उसके वेग ν की b घात पर तथा द्रव के श्यानता गुणांक η की c घात पर निर्भर करता है।
अर्थात् F ∝ raνbηc
या F = K.raνbηc, जहाँ K = विमाहीन नियतांक है। …(1)
दोनों ओर की राशियों के विमीय सूत्र लिखने पर,
[M1L1T-2] = [L]a [LT-1]b[M1L-1T-1]c = [M]c [L]a + b – c[T]-b -c दोनों ओर की विमाएँ बराबर करने पर,
c = 1
या a + b – c = 1
या -b -c = -2
अतः हल करने पर a = 1,b = 1,c=1
∴ समी. (1) में ये मान रखने पर,
F = K.η.
प्रश्न 26.
उड़ने से पूर्व हवाई जहाज को हवाई पटरी पर कुछ दूर तक दौड़ाया जाता है, क्यों?
उत्तर:
ऐसा करने से इसके सम्पर्क की वायु का वेग बढ़ जाता है। अब हवाई जहाज की धारारेखीय आकृति के कारण, इसके ऊपर की वायु पर्तों का वेग, नीचे की वायु पर्तों के वेग की अपेक्षा अधिक हो जाता है अतः बर्नूली प्रमेय के अनुसार इसके ऊपर वायु का दाब, नीचे के वायुदाब की अपेक्षा कम हो जाता है तथा इस दाबान्तर के कारण हवाई जहाज पर एक उत्थापक बल (ऊपर की ओर) लगता है जिससे हवाई जहाज ऊपर उठने लगता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
बर्नूली का प्रमेय लिखकर सिद्ध कीजिए।
अथवा
सिद्ध कीजिए कि बहते हुए द्रव की ऊर्जाओं का वेग सदैव नियत रहता है।
अथवा
बर्नूली का प्रमेय लिखिए तथा सिद्ध कीजिए कि P + \(\frac { 1 }{ 2 }\)ν2 + dgh= नियतांक।
उत्तर:
इस प्रमेयानुसार, जब कोई आदर्श तरल किसी नली में धारारेखीय प्रवाह से प्रवाहित होता है तो इसके मार्ग के प्रत्येक बिन्दु पर इसके एकांक द्रव्यमान या एकांक आयतन की कुल ऊर्जा (दाब ऊर्जा, गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का योग) नियत रहती है। इसे बर्नूली का प्रमेय कहते हैं।
गणितीय प्रमाण – माना कोई आदर्श द्रव एक असमान अनुप्रस्थ परिच्छेद वाली नली XY में बह रहा है।
A तथा B नली के दो अनुप्रस्थ परिच्छेद हैं जिनके क्षेत्रफल A1 तथा A2 हैं। परिच्छेद A पर द्रव के प्रवाह का वेग ν1 एवं दाब P1 तथा B पर द्रव के प्रवाह का वेग ν2 दाब P2है।
पृथ्वी तल से A की ऊँचाई h1 तथा B की ऊँचाई h2 है एवं नली में बहने वाले द्रव का घनत्व d है।
तब परिच्छेद A पर द्रव पर लगने वाला बल = दाब × क्षेत्रफल = P1A
अतः परिच्छेद A से प्रति सेकण्ड निकलने वाले द्रव पर किया गया कार्य
= बल × दूरी = P1A1ν1
एवं परिच्छेद B से प्रति सेकण्ड निकलने वाले द्रव पर किया गया कार्य
= P2A2ν2
अतः द्रव पर किया गया कुल कार्य
= P1A1ν1 – P2A2ν2 …(1)
परन्तु अविरतता के सिद्धांत से,
A1ν1 = A2ν2
अतः प्रति सेकण्ड बहने वाले द्रव का द्रव्यमान = आयतन × घनत्व
m = A1ν1d = A2ν2d
अतः A1ν1 = A2ν2 = \(\frac{m}{d}\)
समी. (1) में, मान रखने पर,
द्रव पर किया गया कुल कार्य = \(P_{1} \frac{m}{d}-P_{2} \frac{m}{d}=\left(P_{1}-P_{2}\right) \frac{m}{d}\)
A पर प्रति सेकण्ड बहने वाले द्रव की स्थितिज ऊर्जा mgh1 तथा B पर mgh2 अतः द्रव की स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि = mgh2 – mgh1 = mg (h2 – h1)
A पर प्रति सेकण्ड बहने वाले द्रव की गतिज ऊर्जा \(\frac{1}{2}\)mν12 तथा B पर \(\frac{1}{2}\)mν22
अतः द्रव की गतिज ऊर्जा में वृद्धि = \(\frac{1}{2}\)mν22 – \(\frac{1}{2}\)mν12 = \(\frac{1}{2}\)m(ν22– ν12)
परन्तु ऊर्जा संरक्षण नियम से,
द्रव पर किया गया कार्य = स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि + गतिज ऊर्जा में वृद्धि
या P + dgh + \(\frac{1}{2}\)dν2 = एक नियतांक …(3)
अतः द्रव के एकांक द्रव्यमान की कुल ऊर्जा नियत रहती है।
\(\frac{p}{d}\) + gh + \(\frac{1}{2}\)ν2 = नियतांक …(4)
अतः द्रव के एकांक आयतन की कुल ऊर्जा नियत रहती है।
प्रश्न 2.
वेन्चुरीमीटर द्वारा द्रव के प्रवाह की दर ज्ञात कीजिए।
अथवा
बर्नूली प्रमेय का एक अनुप्रयोग समझाइये।
अथवा
वेन्चुरीमीटर में दो स्थानों पर नली के अनुप्रस्थ परिच्छेद के क्षेत्रफल A1 तथा A2 हैं तथा वहाँ दाब में अन्तर द्रव की ऊँचाई h के बराबर है। नली में से प्रति सेकण्ड बहने वाले द्रव के आयतन का सूत्र स्थापित कीजिए।
उत्तर:
वेन्चुरीमीटर बर्नूली प्रमेय पर आधारित एक ऐसा उपकरण है जिसकी सहायता से किसी नली में बहने वाले पानी के प्रवाह की दर ज्ञात की जा सकती है।
वेन्चुरीमीटर की बनावट चित्र में प्रदर्शित की गयी है। इसमें AB एक क्षैतिज नली होती है जिसके बीच का भाग R संकीर्ण होता है। इसके साथ दो ऊर्ध्वाधर नलियाँ M तथा N जुड़ी रहती हैं।
मानलो A पर नली के अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल A1 पानी के प्रवाह का वेग ν1तथा दाब P1 है। R पर नली के अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल A2 पानी के प्रवाह का वेग ν2 तथा दाब P2 है चूँकि नली क्षैतिज है अत: बर्नूली प्रमेय से,
P1 + \(\frac{1}{2}\)dν12 = P2 + \(\frac{1}{2}\)dν22
या P1 – P2 = \(\frac{1}{2}\)d(ν22 – ν12) …(1)
परन्तु अविरतता के सिद्धान्त से,
A1ν1 = A2ν2 = Q = पानी के प्रवाह की दर
अतः ν1 = \(\frac{Q}{A_{1}}\) तथा ν2 = \(\frac{Q}{A_{2}}\)
समीकरण (1) में मान रखने पर,
यदि नलियों M तथा N में पानी के तल का अन्तर h हो, तो
P1 – P2 = hdg
समीकरण (2) में मान रखने पर,
प्रश्न 3.
टॉरिसिली का प्रमेय लिखिए तथा सिद्ध कीजिये।
उत्तर:
इस प्रमेयानुसार किसी पिण्ड से किसी द्रव का बहि:स्राव वेग उस वेग के बराबर होता है जिसे कोई वस्तु द्रव के स्वतंत्र पृष्ठ से उस छिद्र तक स्वतंत्रतापूर्वक गिरते हुए प्राप्त कर लेता है।
माना चित्रानुसार किसी टंकी में H ऊँचाई तक द्रव भरा हुआ है। द्रव की स्वतंत्र सतह से h गहराई पर टंकी में एक छिद्र है तब छिद्र 5 में से द्रव बहने लगेगा। टंकी में बने छिद्र में से जिस वेग से कोई द्रव बाहर निकलता है, उसे उस द्रव का । बहिःस्राव वेग कहते हैं।
द्रव के स्वतंत्र पृष्ठ पर गतिज ऊर्जा 0 तथा स्थितिज ऊर्जा
अधिकतम होगी। अतः द्रव के स्वतंत्र पृष्ठ पर एकांक आयतन की कुल ऊर्जा
= P + 0 + dgh
= P + dgh
जहाँ P = वायुमंडलीय दाब तथा d= द्रव का घनत्व है। इसी तरह छिद्र S पर एकांक आयतन की कुल
ऊर्जा = P + \(\frac{1}{2}\)dν2 + dg(H – h)
जहाँ ν = बहि:स्राव वेग है।
अतः बर्नूली प्रमेय से,
P + dgH = P + \(\frac{1}{2}\)dν2 + dg(H – h)
अतः dgH = \(\frac{1}{2}\)dν2 + dgH – dgh
या \(\frac{1}{2}\)dν2 = dgh
या ν2 = 2gh
या ν = \(\sqrt{2 g h}\)
यदि कोई वस्तु h ऊँचाई से स्वतन्त्रतापूर्वक छोड़ी जाये (u = 0) तो गति के तृतीय समीकरण से,
ν2 = u2 + 2gh
ν2 = 2gh
∴ ν = \(\sqrt{2 g h}\)
अत: किसी छिद्र से किसी द्रव का बहि:स्राव वेग उस वेग के बराबर होता है जिसे कोई वस्तु द्रव के स्वतंत्र पृष्ठ से उस छिद्र तक स्वतंत्रतापूर्वक गिरते हुए प्राप्त कर लेता है।
प्रश्न 4.
किसी द्रव की पृष्ठ ऊर्जा के लिए व्यंजक निगमित कीजिए तथा इससे सिद्ध कीजिए कि पृष्ठ तनाव का संख्यात्मक मान पृष्ठ ऊर्जा के बराबर है।
उत्तर:
चित्र में तार का आयताकार फ्रेम ABCD है जिस पर एक बार GH स्वतंत्रता से आगे-पीछे खिसक सकता है। फ्रेम को साबुन के घोल में डुबाकर एक फिल्म बना ली जाती है। इस फिल्म के दो पृष्ठ हैं एक ऊपर तथा दूसरा नीचे। पृष्ठ तनाव के कारण यह फिल्म सिकुड़ने का प्रयास करती है तथा तार GH पर एक बल F = T × 2l अन्दर की ओर लगता है जहाँ T द्रव का पृष्ठ तनाव तथा l तार GH उसकी लंबाई है। यहाँ पर फिल्म के दो पृष्ठों के कारण लंबाई 2l ली गयी हैं।
स्पष्टत: तार GH को अपने ही स्थान पर बनाये रखने के लिए इस पर एक बल F बाहर की ओर लगाना पड़ेगा। यदि बल F द्वारा तार GH को x दूरी तक खिसकाया जाये तो तार पर किया गया कार्य (= स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि)
W = F.x
लेकिन F = T × 2l
W = T × 2l.x = T × ΔA
जहाँ ΔA = 2lx = पृष्ठ के क्षेत्रफल में वृद्धि
या कार्य = पृष्ठ तनाव × पृष्ठ के क्षेत्रफल में वृद्धि
यदि ΔA = 1 तो w =T
अतः पृष्ठ के एकांक क्षेत्रफल में संचित स्थितिज ऊर्जा (अर्थात् पृष्ठ ऊर्जा) = पृष्ठ तनाव।
प्रश्न 5.
द्रव की बूंद के अन्दर अतिरिक्त दाब के लिए सूत्र स्थापित कीजिए।
उत्तर:
द्रव की बूंद गोलाकार होती है तथा इसकी बाह्य सतह उत्तल होती है। अतः सतह पर स्थित प्रत्येक अणु पर पृष्ठ तनाव के कारण एक परिणामी बल अन्दर की ओर कार्य करता है। फलस्वरूप बूंद के अन्दर दाब बाहर के दाब से अधिक होता है।
मानलो बूंद की त्रिज्या R तथा उसके अन्दर अतिरिक्त दाब P है, इस अतिरिक्त दाब P के कारण बूंद की सतह के लंबवत् बाहर की ओर बल कार्य करता है।
मानलो बूंद के अन्दर अतिरिक्त दाब के कारण उसकी त्रिज्या R से बढ़कर (R + ΔR) हो जाती है।
अत: अतिरिक्त दाब के द्वारा किया गया कार्य = बल × दूरी
= दाब × क्षेत्रफल × दूरी
= P × 4πR2 × ΔR
बूंद के पृष्ठीय क्षेत्रफल में वृद्धि – अधिकतम पृष्ठीय क्षेत्रफल – प्रारंभिक पृष्ठीय क्षेत्रफल
= 4π( R + ΔR)2 – 4πR2
चूँकि 4π(ΔR)2) का मान बहुत ही कम होता है अत: इसकी उपेक्षा करने पर।
अतः पृष्ठीय ऊर्जा में वृद्धि = पृष्ठ तनाव × पृष्ठीय क्षेत्रफल में वृद्धि
= T.8πRΔR
अतिरिक्त दाब के कारण पृष्ठीय ऊर्जा में वृद्धि होती है।
अतः P × 4πR2ΔR = T × 8πRΔR
अतः P = \(\frac{2 T}{R}\)
प्रश्न 6.
बुलबुले के अन्दर अतिरिक्त दाब के लिए सूत्र स्थापित कीजिए।
उत्तर:
बुलबुले में हवा के कारण दो पृष्ठ होते हैं–एक अन्दर और दूसरा बाहर।
मानलो बुलबुले की त्रिज्या R है। इसके अन्दर अतिरिक्त दाब के कारण बाहर की ओर.बल कार्य करता है जो पृष्ठ तनाव के कारण बल द्वारा संतुलित होता है।
मानलो अतिरिक्त दाब P के कारण बुलबुले की त्रिज्या R से बढ़कर(R + ΔR) हो जाती है।
अत: अतिरिक्त दाब द्वारा किया गया कार्य = बल × दूरी
= दाब × क्षेत्रफल × दूरी = P.4πR2ΔR
बुलबुले में दो स्वतंत्र पृष्ठ होते हैं अतः
बुलबुले के पृष्ठीय क्षेत्रफल में वृद्धि = 2[4π (R + ΔR)2 – 4π R2] = 16π RΔR
अतः पृष्ठीय ऊर्जा में वृद्धि = T.16π RΔR
अतिरिक्त दाब के कारण पृष्ठीय ऊर्जा में वृद्धि होती है।
अतः P.4π R2ΔR = T.16π RΔR
या P = \(\frac{4 T}{R}\)
उपर्युक्त व्यंजक से स्पष्ट है कि द्रव बूंद या बुलबुले के अन्दर अतिरिक्त दाब त्रिज्या के व्युत्क्रमानुपाती होता है। इस प्रकार छोटी बूंद या बुलबुले के अन्दर अतिरिक्त दाब बड़ी बूंद या बुलबुले की अपेक्षा अधिक होता है।
प्रश्न 7.
केशिकीय उन्नयन विधि द्वारा जल के पृष्ठ तनाव ज्ञात करने का व्यंजक सिद्ध कीजिए।
अथवा
काँच की केशनली में चढ़े जल स्तम्भ की ऊँचाई h1 नली की आन्तरिक त्रिज्या r तथा जल के पृष्ठ तनाव T में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
उत्तर:
जब किसी केशनली को जल में डुबाते हैं तो केशनली के अन्दर जल का पृष्ठ अवतल होता है।
अवतल पृष्ठ के ठीक नीचे जल में दाब, पृष्ठ के ऊपर के दाब से \(\frac{2 T}{R}\) कम होता है,जहाँ T जल का पृष्ठ तनाव तथा R वक्रपृष्ठ की त्रिज्या है। यदि जल के पृष्ठ के ऊपर बाह्य दाब, वायुमंडलीय दाब के बराबर (= P) है तो केशनली के बाहर, जल के समतल पृष्ठ के ठीक नीचे भी दाब P होगा लेकिन केशनली के अन्दर जल के
अवतल पृष्ठ के नीचे दाब \(\left(P-\frac{2 T}{R}\right)\) होगा। चूंकि एक ही ऊँचाई पर स्थित सभी बिन्दुओं का दाब समान होता है अत: केशनली के अन्दर जल के अवतल पृष्ठ के नीचे दाब की कमी \(\frac{2 T}{R}\) को पूरा करने के लिये बाहर से जल केशनली में एक निश्चित ऊँचाई h तक चढ़ता है। ताकि h ऊँचाई तक चढ़े जल के स्तम्भ का दाब \(\frac{2 T}{R}\) के बराबर हो जाये अर्थात्
hdg = \(\frac{2 T}{R}\)
जहाँ d जल का घनत्व तथा g गुरुत्वीय त्वरण है।
अत: यदि जल काँच के लिये स्पर्श कोण θ केशनली की त्रिज्या r तथा अवतल पृष्ठ की वक्रता त्रिज्या
R है तो चित्र (iii) से,
cos θ = \(\frac{r}{R}\)
या R = \(\frac{r}{\cos \theta}\)
अतः hdg = \(\frac{2 T}{\frac{r}{\cos \theta}}\) या h = \(\frac{2 T \cos \theta}{r d g}\)
या T = \(\frac{r h d g}{2 \cos \theta}\)
आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
ऊँची एड़ी के जूते पहने 50 kg संहति की कोई बालिका अपने शरीर को 1.0 cm व्यास की एक वृत्ताकार एड़ी पर संतुलित किए हुए है। क्षैतिज फर्श पर एड़ी द्वारा आरोपित दाब ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया हुआ है- बालिका का द्रव्यमान = 50 kg
वृत्ताकार एड़ी का व्यास = 1.0 cm, त्रिज्या r = 0.5 cm = 0.5 × 10-2m
वृत्ताकार एड़ी का क्षेत्रफल = πr2 = 3.14 × (0.5 × 10-2)2
= 7.85 × 10-5m2
एड़ी पर आरोपित बल F = mg
= 50 × 9.8 = 490 N
दाब P = \(\frac{F}{A}=\frac{490}{7.85 \times 10^{-5}}\) = 6.24 × 106 N/m2.
प्रश्न 2.
टॉरिसिली के वायुदाबमापी में पारे का उपयोग किया गया था। पास्कल ने ऐसा वायुदाबमापी 984kgm-3 घनत्व की फ्रेंच शराब का उपयोग करके बनाया। सामान्य वायुमंडलीय दाब के लिए शराब स्तंभ की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
सामान्य वायुमंडलीय दाब = पारे के 76 cm स्तंभ द्वारा आरोपित दाब
= \(\frac{76}{100}\) × 9.8 × 13600 Pa = 1.01 × 105 Pa
प्रश्नानुसार, यदि फ्रेंच शराब के स्तंभ की ऊँचाई h हो तो
hρg = 1.01 × 105
h × 984 × 98 = 1.01 × 105
या h = \(\frac{1 \cdot 01 \times 10^{5}}{984 \times 9 \cdot 8}\) = 10.5m.
प्रश्न 3.
किसी आदर्श वायुयान के परीक्षण प्रयोग में वाय सुरंग के भीतर पंखों के ऊपर और नीचे के पृष्ठों पर वायु-प्रवाह की गतियाँ क्रमश: 70 m/s तथा 63 m/s हैं। यदि पंख का क्षेत्रफल 2.5 m2 है तो उस पर आरोपित उत्थापक बल परिकलित कीजिए।वायु का घनत्व 1.3 kg m-3 लीजिए।
उत्तर:
बर्नूली के प्रमेय अनुसार,
P1 + \(\frac { 1 }{ 2 }\)ρν12 = P2 + \(\frac { 1 }{ 2 }\)ρν22
(नियत ऊँचाई के लिए)
या P2 – P1 = \(\frac { 1 }{ 2 }\)ρ(ν12 – ν22)
P2 – P1 = \(\frac { 1 }{ 2 }\) × 1.3(702 – 632)
P2 – P1 = \(\frac { 1 }{ 2 }\) × 1.3(70 + 63)(70 – 63)
P2 – P1 = \(\frac { 1 }{ 2 }\) × 1.3 × 133 × 7 = 605.15 N/m2
पंख पर आरोपित उत्थापक बल,
F = (P2 – P1)A
= 605.15 × 2.5
= 1512.875N.
प्रश्न 4.
3.00 mm त्रिज्या की किसी पारे की बूंद के भीतर कमरे के ताप पर दाब क्या है ? 20°C ताप पर पारे का पृष्ठ तनाव 4.65 × 10-1Nm-1है। यदि वायुमंडलीय दाब 1.01 × 10 5Pa है, तो पारे की बूंद के भीतर दाब-आधिक्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार, पारे के बूँद की त्रिज्या r = 3.00 mm = 3 × 10-3m
बाह्यदाब
P = 1.01 × 105 Pa
∵ Pi – P0 = \(\frac{2 T}{r}\) (T = पृष्ठ तनाव)
Pi – P0 = \(\frac{2 \times 4 \cdot 65 \times 10^{-1}}{3 \times 10^{-3}}\) = 310 N/m2
या Pi – P0 = 310
या आन्तरिक दाब Pi = 310 + P0
= 310 + 1.01 × 105
= 0.0031 × 105 + 1.01 × 105
= 1.013 × 105 N/m2.
प्रश्न 5.
जल की कितनी गहराई पर दाब वायुमंडलीय दाब का दुगुना होगा जबकि वायुमंडलीय दाब 1 × 10 न्यूटन/मीटर है ?
उत्तर:
माना अभीष्ट गहराई h मीटर है।
तब प्रश्नानुसार,
h गहराई पर जल का दाब + वायुमंडलीय दाब = 2 × वायुमंडलीय दाब
या h गहराई पर जल का दाब = वायुमंडलीय दाब
h × 1 × 103 × 9.8 = 1 × 105
∴ h = \(\frac{1 \times 10^{5}}{1 \times 10^{3} \times 9 \cdot 8}\)
= 10.20 मीटर। उत्तर
प्रश्न 6.
5 सेमी त्रिज्या का साबुन का बुलबुला बनाने के लिए कितना कार्य करना पड़ेगा? साबुन के घोल का पृष्ठ तनाव 3 × 10-2 न्यूटन /मीटर है।
उत्तर:
दिया है- r = 5 सेमी = \(\frac{5}{100}=\frac{1}{20}\) मीटर
T = 3 × 10-2 न्यूटन /मीटर
साबुन के बुलबुले में दो पृष्ठ होते हैं अतः इसके दोनों पृष्ठों का क्षेत्रफल
A = 2 × 4πr² = 8π\(\left(\frac{1}{20}\right)^{2}\)
= 8 × 3.14 × \(\frac{1}{20}\) × \(\frac{1}{20}\) = 628 × 10-4 वर्ग मीटर
अब सूत्र W = TA से,
W = 3 × 10-2 × 628 × 10-4 = 1884 × 10-6 जूल।
प्रश्न 7.
किसी द्रव की एक बड़ी बूंद समान आकार की 8 बूंदों में विभक्त की जाती है। इस हेतु आवश्यक कार्य की गणना कीजिए। बड़ी बूंद की त्रिज्या R तथा द्रव का पृष्ठ तनाव T है।
उत्तर:
बड़ी बूँद की त्रिज्या = R, छोटी बूंद की त्रिज्या = r
1 बड़ी बूंद का आयतन = 8 छोटी बूंदों का आयतन
\(\frac{4}{3}\)πR3 = 8 × \(\frac{4}{3}\)πr3
या 8r3 = R3
या 2r = R
∴ r = \(\frac{R}{2}\)
बड़ी बूँद का संपूर्ण पृष्ठ = 4πR2
8 छोटी बूंदों का संपूर्ण पृष्ठ = 8 × 4π\(\left(\frac{R}{2}\right)^{2}\)
= 8πR2
∴ पृष्ठ क्षेत्रफल में वृद्धि A = 8πR2 – 4πR2 = 4πR2
अतः आवश्यक कार्य W = T.A
= T.4πR2 = 4πTR2.
प्रश्न 8.
दो केशनलियाँ जिनके व्यास क्रमशः 2 मिमी तथा 2.5 मिमी हैं एक-एक करके जल में खड़ी की जाती हैं। यदि दूसरी नली में
जल 11.4 मिमी चढ़ता है तो पहली नली में कितना जल चढ़ेगा?
उत्तर:
rh = नियतांक
अतः r1h1 = r2h2
या \(\frac{h_{1}}{h_{2}}=\frac{r_{2}}{r_{1}}\)
दिया है – 2r1 = 2 मिमी अतः r1 = 1 मिमी, 2r2 = 2.5 मिमी अतः r2 = 1.25 मिमी, h2 = 11.4 मिमी
उपर्युक्त सूत्र में मान रखने पर,
\(\frac{h_{1}}{11 \cdot 4}=\frac{1 \cdot 25}{1}\)
अतः h1 = 11.4 × 1.25 = 14.25 मिमी।
प्रश्न 9.
एक केशिका नली की त्रिज्या 0.4 मिमी है। इसे जल में सीधा डुबाने पर जल कितनी ऊँचाई तक चढ़ेगा? यदि नली को क्षैतिज से 60° झुका दें तो जल इसके अन्दर कितनी लंबाई घेरेगा? जल का पृष्ठ तनाव 7 × 10-2 न्यूटन/मीटर एवं घनत्व 103 किग्रा. /मीटर2 है।
उत्तर:
दिया है – r = 0.4 मिमी = 0.4 10-3 मीटर, T = 7 × 10-2न्यूटन/मीटर, d = 103 किग्रा/मीटर3
सूत्र – T = \(\frac{r h d g}{2}\)
अतः h = \(\frac{2 T}{r d g}\) = \(\frac{2 \times 7 \times 10^{-2}}{0 \cdot 4 \times 10^{-3} \times 10^{3} \times 9.8}\)
या h = \(\frac{14 \times 10^{-2}}{3 \cdot 92}\) = 3.57 × 10-2मीटर = 3.57सेमी
प्रश्नानुसार, यदि केशिका नली को क्षैतिज से θ कोण पर झुका दिया जाये तो
sinθ = \(\frac{h}{l}\)
या l =\(\frac{h}{\sin \theta}=\frac{3 \cdot 57}{\sin 60^{\circ}}=\frac{3 \cdot 57}{0 \cdot 866}\) = 4.12 सेमी।
प्रश्न 10.
यदि बैरोमीटर को पृथ्वी तल से किसी ऊँचाई तक ले जाने से पारे का तल 1 सेमी नीचे गिरता है तो अनुमानतः वह ऊँचाई कितनी होगी ? पारे का घनत्व = 13.6 × 103 किग्रा/मीटर3 वायु का घनत्व = 1.29 किग्रा /मीटर3।
उत्तर:
माना h1 = 1 सेमी= 0.01 मीटर, पारे की ऊँचाई वायुमंडल की ऊँचाई के h2बराबर है।
चूँकि h1d1g = h2d2g
∴ 0.01 × 13.6 × 103 × g = h2 × 1.29 × g
या h2 = \(\frac{136}{1 \cdot 29}\) = 105 मीटर (लगभग)।
प्रश्न 11.
“वायुमंडलीय दाब 760 मिमी पारा है।” इस कथन से क्या तात्पर्य है ? वायुमंडलीय दाब का मान न्यूटन/मीटर2 में ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
वायुमंडलीय दाब 760 मिमी पारा है। इस कथन का अर्थ है कि वायुमंडलीय दाब 760 मिमी. ऊँचाई के पारे के स्तम्भ के दाब के बराबर है।
सूत्र – P= hdg, से वायुमंडलीय दाब
P = 1.013 × 105 न्यूटन/मीटर2।
प्रश्न 12.
साबुन के घोल का पृष्ठ तनाव 1.9 × 10-2 न्यूटन/मीटर है। 2 सेमी व्यास के बुलबुले के दोनों ओर दाबान्तर कितना होगा ?
उत्तर:
प्रश्नानुसार, T = 1.9 × 10-2 न्यूटन/मीटर
बुलबुले का व्यास = 2 सेमी
∴ बुलबुले की त्रिज्या R = 1.0 सेमी = 10-2 मीटर
चूँकि बुलबुले के दो पृष्ठ होते हैं अतः बुलबुले के दोनों ओर दाबान्तर
या P = 7.6 न्यूटन/मीटर2।
प्रश्न 13.
0.1 मिमी त्रिज्या की केशनली में पानी 15 सेमी ऊँचाई तक ऊपर चढ़ता है, यदि पानी काँच का स्पर्श कोण लगभग शून्य है तो पानी का पृष्ठ तनाव ज्ञात कीजिए। पानी का घनत्व =103 किग्रा/ मीटर3।
उत्तर:
दिया है – r = 0.1 मिमी = 1 × 10-4 मीटर, h = 15 सेमी = 0.15 मीटर θ = 0°, अतः cos θ = 1,d = 103 किग्रा/मीटर3
सूत्र – T = \(\frac{r h d g}{2 \cos \theta}\) से T = \(\frac{\left(1 \times 10^{-4}\right) \times 0 \cdot 15 \times\left(10^{3}\right) \times 9 \cdot 8}{2 \times 1}\)
T = 7.35 × 10-2 न्यूटन/मीटर।
प्रश्न 14.
दो काँच के गोले जिनकी त्रिज्या R तथा 2R हैं एक द्रव में जिसका श्यानता गुणांक n है, छोड़े जाते हैं, दोनों गोलों के सीमान्त वेगों का अनुपात ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
चूँकि सीमान्त वेग ∝ (गोले की त्रिज्या)2
अर्थात् ν ∝ r2
अतः\(\frac{v_{1}}{v_{2}}=\frac{r_{1}^{2}}{r_{2}^{2}}\) या \(\frac{v_{1}}{v_{2}}=\left(\frac{R}{2 R}\right)^{2}=\frac{1}{4}\)
∴ ν1 : ν2 = 1 : 4
प्रश्न 15.
एक नली का व्यास 2 सेमी है। इसमें स्तरीय प्रवाह के लिए पानी की अधिकतम औसत चाल क्या होगी ? पानी का श्यानता गुणांक 0.001 न्यूटन सेकण्ड/मीटर2 है।
उत्तर:
ν = \(\frac{K . \eta}{d . D}\)
दिया ह – D = 2 सेमी = 0.02 मीटर, η = 0.001 न्यूटन सेकण्ड /मीटर2
स्तरीय प्रवाह के लिए K का अधिकतम मान 2000 है।
d = 1000 किग्रा /मीटर3
सूत्र में मान रखने पर, ν = \(\frac{2000 \times 0 \cdot 001}{1000 \times 0 \cdot 02}\)
या ν = \(\frac{0 \cdot 002}{0 \cdot 02}=\frac{0 \cdot 2}{2}=\frac{2}{20}=\frac{1}{10}\) = 0.1 मी/सेकण्ड।
प्रश्न 16.
एक असमान परिच्छेद वाले क्षैतिज पाइप में जल बह रहा है किसी बिन्दु A पर जल का वेग बिन्दु B पर जल के वेग का चार गुना है। बिन्दु A पर पाइप का व्यास, बिन्दु B के सापेक्ष कितना होगा?
उत्तर:
माना बिन्दु A पर पाइप का व्यास d1 है तथा बिन्दु B पर व्यास d2 है। बिन्दु A पर पाइप का परिच्छेद क्षेत्रफल a1 = \(\frac{\pi d_{1}^{2}}{4}\)
तथा बिन्दु B पर पाइप का परिच्छेद क्षेत्रफल a2 = \(\frac{\pi d_{1}^{2}}{4}\)
प्रश्नानुसार, बिन्दु A पर जल का वेग ν1 = 4 × बिन्दु B पर जल का वेग V2 अर्थात् ν1 = 4ν2
सातत्य समीकरण से, a1ν1 = a2ν2
या \(\frac{\pi d_{1}^{2}}{4} \times v_{1}=\frac{\pi d_{2}^{2}}{4} \times 4 v_{1}\)
या d12 = 4d22
∴ d1 = 2d22
अर्थात् बिन्दु A पर पाइप का व्यास, बिन्दु B के सापेक्ष दुगुना होगा।
प्रश्न 17.
एक टंकी की दीवार में जल के स्वतंत्र तल से 40 मीटर नीचे एक छिद्र है। छिद्र से जल के बहिःस्राव का वेग ज्ञात कीजिए। यदि छिद्र की त्रिज्या 1 मिमी हो तो जल के प्रवाह की दर ज्ञात कीजिए।(g= 9.8 मीटर/से2)
उत्तर:
प्रश्नानुसार, h = 40 मीटर, r = 1 मिमी = 10-3 मीटर
अतः छिद्र का क्षेत्रफल d = πr2 = 3.14 × (10-3)2
a = 3.14 × 10-6 वर्ग मीटर
छिद्र से जल के बहिःस्राव का वेग ν = \(\sqrt{2 g h}\)
\(=\sqrt{2 \times 9 \cdot 8 \times 40}\)
= 28 मीटर/सेकण्ड
जल के प्रवाह की दर Q = a × ν
= (3.14 × 10-6) × 28
= 8.79 × 10-5 मीटर/सेकण्ड।
प्रश्न 18.
समान त्रिज्या की पानी की आठ बूंदें वायु में सीमान्त चाल 5 सेमी/सेकण्ड से गिर रही हैं। यदि वे मिलकर एक बूंद बना लें तो इस बूंद की अन्त्य चाल क्या होगी?
उत्तर:
माना एक छोटी बूंद की त्रिज्या r है तथा बड़ी बूंद की त्रिज्या R है।
प्रश्नानुसार,
8 छोटी बूंद का आयतन = 1 बड़ी बूंद का आयतन
अर्थात् 8 × \(\frac{4}{3}\)πr3 = \(\frac{4}{3}\)πR3
या R = 2r
चूँकि अन्त्य चाल ν ∝ r2
अतः \(\frac{v_{1}}{v_{2}}=\left(\frac{r}{R}\right)^{2}\)
या ν2 = ν1\(\left(\frac{R}{r}\right)^{2}\)
= 5 × (2)2 = 20 सेमी /सेकण्ड।
प्रश्न 19.
0.0015 मिमी त्रिज्या की जल की बूंदें वायु में गिर रही हैं। यदि वायु का श्यानता गुणांक 1.8 × 10-6 किग्रा/ मीटर × सेकण्ड हो तो बूँद की सीमान्त चाल क्या होगी? वायु का घनत्व नगण्य है।
उत्तर:
दिया है – a = 0.0015 मिमी = 0.0015 × 10-3 मीटर = 1.5 × 10-6 मीटर
d = जल का घनत्व = 1 × 103 किग्रा /मीटर3, σ = 0, η = 1.8 × 10-6 किग्रा /मीटर × सेकण्ड
= 2.72 × 10-3 मीटर × सेकण्ड।
प्रश्न 20.
एक 0.02 मीटर2 अनुप्रस्थ परिच्छेद के पाइप में जल 2 मीटर / सेकण्ड से प्रवाहित हो रहा है। यदि पाइप का परिच्छेद घटाकर आधा कर दिया जाये तो उसमें जल प्रवाह की चाल क्या होगी?
उत्तर:
A1 = 0.02 मीटर2 A2 = 0.01 मीटर, ν1 = 2 मीटर /सेकण्ड, ν2 = ?
सूत्र से,A1ν1 = A2ν2
∴ ν2 = \(\frac{A_{1} v_{1}}{A_{2}}=\frac{0 \cdot 02 \times 2}{0 \cdot 01}\)
या ν2 = 4 मीटर/सेकण्ड।
प्रश्न 21.
एक असमान परिच्छेद के क्षैतिज पाइप में जल प्रवाहित हो रहा है। एक स्थान पर जहाँ दाब 10 सेमी जल के बराबर है, वहाँ जल का वेग 30 सेमी/सेकण्ड है। एक अन्य स्थान पर जहाँ दाब पहले स्थान के दाब का आधा है, जल का वेग क्या होगा?
उत्तर:
P1 = hdg = 10 × 1 × 980 = 9800,ν1 = 30 सेमी/सेकण्ड
P2 = \(\frac{P_{1}}{2}\) = 4900
सूत्र से, P1 + \(\frac { 1 }{ 2 }\) dν12 = P2 + \(\frac { 1 }{ 2 }\)dν22
या \(\frac { 1 }{ 2 }\) × 1 × ν22 = P1 – P2 + \(\frac { 1 }{ 2 }\)dν12
\(\frac{v_{2}^{2}}{2}\) = 9800 – 4900 +\(\frac { 1 }{ 2 }\) × 1 × 900 = (4900+ 450) × 2 = 10700
∴ ν2 = 103.4 सेमी/सेकण्ड।
प्रश्न 22.
एक वेन्चुरीमीटर को पानी के पाइप से जोड़ा जाता है। वेन्चुरीमीटर के दाब का पाठ 3.5 × 105 न्यूटन/मी2 है। जबकि पाइप बन्द होता है तथा जब पाइप खुला होता है तो पाठ 3.5 × 105 न्यूटन/मीटर है। पाइप में बहते पानी का वेग ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार,ν1 = 0 (जबकि पाइप बन्द है),d = 1 × 103 किग्रा/मीटर3, P1 = 3.5 × 105न्यूटन/ मीटर2, P = 3 × 105 न्यूटन/मीटर2
बर्नूली के प्रमेय से, P1 + \(\frac { 1 }{ 2 }\) dν12 = P2 + \(\frac { 1 }{ 2 }\)dν22
या ν22 = \(\frac{2}{d}\)(P1 – P2) + ν12
या ν22 = \(\frac{2}{1 \times 10^{3}}\)
× 3.5 × 105 – 3.0 × 105) = 100
∴ ν2 = 10 मीटर/ सेकण्ड।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
सही विकल्प चुनकर लिखिए
प्रश्न 1.
वायुमंडलीय दाब का अचानक कम होना निम्न बात का सूचक है-
(a) वर्षा होने की संभावना
(b) सूखा मौसम
(c) तूफान आने की सूचना
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) तूफान आने की सूचना
प्रश्न 2.
हाइड्रोलिक लिफ्ट की कार्य विधि आधारित है-
(a) पास्कल के नियम पर
(b) आर्कमिडीज सिद्धांत पर
(c) बॉयल के नियम पर
(d) बर्नूली के नियम पर।
उत्तर:
(a) पास्कल के नियम पर
प्रश्न 3.
एक शांत एवं स्वस्थ व्यक्ति का प्रकुंचक तथा प्रसारण रक्तचाप होता है-
(a) पारे का 140 mm/80 mm
(b) पारे का 120 mm/80 mm
(c) पारे का 160 mm/90 mm
(d) पारे का 80 mm/120 mm.
उत्तर:
(b) पारे का 120 mm/80 mm
प्रश्न 4.
निम्न में से किस स्थिति में नली में द्रव का प्रवाह अधिक रेखीय होगा-
(a) कम त्रिज्या की नली से अधिक श्यान व उच्च घनत्व का द्रव बहे
(b) कम त्रिज्या की नली से अधिक श्यान व कम घनत्व का द्रव बहे
(c) ज्यादा त्रिज्या की नली में कम श्यानता व उच्च घनत्व का द्रव बहे
(d) ज्यादा त्रिज्या की नली में कम श्यानता व कम घनत्व का द्रव बहे।
उत्तर:
(b) कम त्रिज्या की नली से अधिक श्यान व कम घनत्व का द्रव बहे
प्रश्न 5.
ताप बढ़ने पर द्रव की श्यानता-
(a) बढ़ जाती है
(b) शून्य हो जाती है
(c) कम हो जाती है
(d) कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
उत्तर:
(c) कम हो जाती है
प्रश्न 6.
बर्नूली का प्रमेय आधारित है-
(a) संवेग संरक्षण पर
(b) दाब संरक्षण पर
(c) ऊर्जा संरक्षण पर
(d) द्रव्यमान संरक्षण पर।
उत्तर:
(c) ऊर्जा संरक्षण पर
प्रश्न 7.
वर्षा की बूंद गोलाकार होती है, इसका कारण है-
(a) गुरुत्व बल
(b) श्यानता
(c) वायुमण्डलीय दाब
(d) पृष्ठ तनाव।
उत्तर:
(d) पृष्ठ तनाव।
प्रश्न 8.
ताप बढ़ने पर द्रव का पृष्ठ तनाव-
(a) बढ़ जाती है।
(b) शून्य हो जाती है
(c) कम हो जाती है
(d) कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
उत्तर:
(c) कम हो जाती है
प्रश्न 9.
यदि साबुन के घोल के ‘a’ त्रिज्या के बुलबुले को बनाने में Eऊर्जा खर्च होती है तो 4a त्रिज्या का बुलबुला बनाने में कितनी ऊर्जा की व्यय होगी
(a) E
(b) 8 E
(c) 16 E
(d) 4 E.
उत्तर:
(c) 16 E
प्रश्न 10.
झील की तली की गहराई से आधी गहराई पर स्थित किसी बिन्दु पर दाब झील की तली परदाब का
\(\frac{2}{3}\) है। झील की गहराई होगी-
(a) 10 मीटर
(b) 20 मीटर
(c) 60 मीटर
(d) 30 मीटर।
उत्तर:
(b) 20 मीटर
प्रश्न 11.
किसी द्रव का स्पर्श कोण जो कि एक काँच के तल को गीला करता है, होगा-
(a) 0°
(b) 90°
(c) 90° से अधिक
(d) 90° से कम।
उत्तर:
(d) 90° से कम।
प्रश्न 12.
काँच की केशनली को पारे में डुबाने पर-
(a) नली में पारे का तल चढ़ता है
(b) नली में पारा चढ़ता है और बाहर बहने लगता है
(c) नली में पारे का तल गिरता है
(d) नली में पारे का तल गिरता है, न चढ़ता है।
उत्तर:
(c) नली में पारे का तल गिरता है
प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से कौन-सी घटना पृष्ठ तनाव से संबंधित नहीं है-
(a) कपूर के एक टुकड़े का पानी के ऊपर नाचना
(b) छोटी पारे की बूंद का गोलाकार होना
(c) किसी पात्र में रखे द्रव को हिलाकर छोड़ देने पर, थोड़ी देर में द्रव का स्थिर हो जाना
(d) पारा काँच के पात्र को गीला नहीं करता है।
उत्तर:
(c) किसी पात्र में रखे द्रव को हिलाकर छोड़ देने पर, थोड़ी देर में द्रव का स्थिर हो जाना
प्रश्न 14.
एक अच्छे स्नेहक के लिए होना चाहिए-
(a) उच्च श्यानता
(b) कम श्यानता
(c) मध्यवर्ती श्यानता
(d) उच्च घनत्व।
उत्तर:
(a) उच्च श्यानता
2. सही जोड़ियाँ बनाइए
(I)
खण्ड ‘अ | खण्ड ‘ब’ |
1. वर्षा के बाद किसान का खेत जोतना | (a) डिटर्जेन्ट का उपयोग |
2. पृष्ठ तनाव | (b) दाब कम होता है |
3. अवतल गोलीय पृष्ठ के नीचे | (c) केशिकत्व |
4. उत्तल गोलीय पृष्ठ के नीचे | (d) आसंजक बल |
5. पानी के ऊपर तेल का फैलना | (e) दाब अधिक होता है। |
उत्तर:
1. (c) केशिकत्व
2. (a) डिटर्जेन्ट का उपयोग
3. (b) दाब कम होता है
4. (e) दाब अधिक होता है।
5. (d) आसंजक बल
(II)
खण्ड ‘अ’ | खण्ड ‘ब’ |
1. श्यान बल F | (a) \(\frac{\mathrm{K} \cdot \eta}{\rho \mathrm{D}}\) |
2. क्रांतिक वेग | (b) A.ν = नियतांक |
3. सीमान्त वेग ν | (c) P+ \(\frac{1}{2}\)dν2 + dgh = नियतांक |
4. अविरतता का सिद्धान्त | (d) \(\frac{-\eta A d v}{d x}\) |
5. बर्नूली का प्रमेय | (e) \(\frac{2}{9} \frac{r^{2}(d-\sigma) g}{\eta}\)। |
उत्तर:
1. (d) \(\frac{-\eta A d v}{d x}\)
2. (a) \(\frac{\mathrm{K} \cdot \eta}{\rho \mathrm{D}}\)
3. (e) \(\frac{2}{9} \frac{r^{2}(d-\sigma) g}{\eta}\)।
4. (b) A.ν = नियतांक
5. (c) P+ \(\frac{1}{2}\)dν2 + dgh = नियतांक.
3. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. पारे के एक मिलीमीटर स्तम्भ द्वारा आरोपित दाब को ………………. कहते हैं।
उत्तर:
एक टॉर
2. मस्तिष्क के अपेक्षा मानव का पैरों पर रक्तचाप ……………….. होता है।
उत्तर:
अधिक
3. व्यापक रूप में द्रवों का पृष्ठ तनाव ताप बढ़ने पर …………………. है।
उत्तर:
घटता
4. गैसों की श्यानता ताप बढ़ने पर …………… है जबकि द्रवों की श्यानता ताप बढ़ने पर …………….. है।
उत्तर:
बढ़ती घटती
5. जल में डिटर्जेंट मिलाने पर उसका ………………….. घट जाता है।
उत्तर:
पृष्ठ तनाव
6. बहते हुए द्रव में ………………. प्रकार की ऊर्जा होती है।
उत्तर:
तीन
7. जब रेनॉल्ड संख्या का मान 0 से 2000 के बीच रहता है तो द्रव का प्रवाह ……….. प्रवाह होता है।
उत्तर:
धारारेखीय
8. प्वॉइज ……………….. का CGS मात्रक है।
उत्तर:
श्यानता गुणांक
9. जो तरल असम्पीड्य और अश्यान होता है उसे ………….,तरल कहते हैं।
उत्तर:
आदर्श
10. पारा काँच को नहीं भिगोता क्योंकि आसंजक बल का मान ससंजक बल से …………….. होता है।
उत्तर:
कम
4. सत्य / असत्य बताइए
1. द्रव स्थैतिक दाब एक सदिश राशि है।
उत्तर:
असत्य
2. किसी द्रव का पृष्ठ तनाव पृष्ठ के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता है।
उत्तर:
सत्य
3. पारे का काँच के साथ स्पर्शकोण अधिक होता है।
उत्तर:
सत्य
4. पैराशूट की सहायता से कूदने वाले व्यक्ति का वेग प्रारंभ में बढ़ता है, फिर नियत हो जाता है।
उत्तर:
सत्य
5. ताप बढ़ने पर गैसों की श्यानता घटती है।
उत्तर:
असत्य
6. पृष्ठ तनाव आंकिक रूप से पृष्ठ ऊर्जा के तुल्य होता है।
उत्तर:
सत्य
7. ग्रीस, शहद से कम श्यान होती है।
उत्तर:
असत्य
8. प्रवाहित द्रव में दो धारारेखाएँ एक-दूसरे को नहीं काट सकतीं।
उत्तर:
असत्य