MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य Chapter 7 मर्यादा

MP Board Class 11th Hindi Swati Solutions गद्य Chapter 7 मर्यादा

मर्यादा अभ्यास

मर्यादा अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘मर्यादा’ एकांकी में निहित है (2009)
(अ) सामाजिक आदर्श
(ब) पारिवारिक आदर्श
(स) सांस्कृतिक आदर्श
(द) धार्मिक आदर्श।
उत्तर:
(ब) पारिवारिक आदर्श।

प्रश्न 2.
इनमें से किस ग्रन्थ में पारिवारिक मर्यादा का सर्वोत्तम उदाहरण देखने को मिलता है?
(अ) गीता
(ब) रामायण (रामचरितमानस)
(स) कामायनी
(द) कठोपनिषद।
उत्तर:
(ब) रामायण (रामचरितमानस)।

प्रश्न 3.
संयुक्त परिवार की नींव है
(अ) सद्भाव और त्याग
(ब) भाईचारा
(स) परस्पर भावनाओं का सम्मान
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी।

MP Board Solutions

प्रश्न 4.
परिवार चलता है”
(अ) धन से
(ब) परिश्रम से
(स) सूझबूझ से
(द) इन सबके सामंजस्य से।
उत्तर:
(द) इन सबके सामंजस्य से।

प्रश्न 5.
जोड़ी बनाइएकिसको किस चीज का घमण्ड था?
जगदीश – डॉक्टर होने का
प्रदीप – सबसे अधिक कमाने का
विनय – सूझ-बूझ का
अशोक – परिश्रम का
उत्तर:
जगदीश – सूझ-बूझ का।
प्रदीप – परिश्रम का।
विनय – डॉक्टर होने का।
अशोक – सबसे अधिक धन कमाने का।

प्रश्न 6.
सुमन कौन थी और वह जगदीश के घर क्यों आई थी? (2015)
उत्तर:
सुमन जगदीश के छोटे भाई की पुत्री थी। वह जगदीश के घर रामायण सुनने के लिए आई थी।

प्रश्न 7.
रीता अपने जेठ जी जगदीश के घर क्यों आई थी?
उत्तर:
रीता का पति तीन वर्ष के लिए अमेरिका चला गया था। अत: रीता अपने जेठ जी जगदीश के घर रहने आई थी।

प्रश्न 8.
प्रदीप किस बात को कहने में शर्म अनुभव कर रहा था?
उत्तर:
प्रदीप को यह बात कहने में शर्म अनुभव हो रही थी कि उनका अपना गुजारा भी नहीं चलता था। किसी अन्य व्यक्ति को किस प्रकार संरक्षण दे पायेगा।

प्रश्न 9.
सुमन के ताऊजी और ताईजी के नाम लिखिए। (2016)
उत्तर:
सुमन के ताऊजी का नाम जगदीश और ताईजी का नाम मालती है।

MP Board Solutions

मर्यादा लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सपना देखने से पहले जगदीश क्या सोचता था?
उत्तर:
सपना देखने से पहले जगदीश सोचता था कि एक को कमाने का घमण्ड है, दूसरे को परिश्रम का, तीसरे को डॉक्टरी का, पर यह कोई जानता है कि यह घर मेरी सूझ-बूझ, मेरे प्रभाव के कारण चल रहा है। दूर-दूर तक मेरी पहुँच है। बड़े से बड़ा काम मैं देखते-देखते कर लेता हूँ।

प्रश्न 2.
प्राचीन संयुक्त परिवार के सदस्य किस प्रकार रहते थे? (2008)
उत्तर:
संयुक्त परिवार में परिवार के सभी सदस्य मिल-जुलकर रहते थे। परिवार का सबसे बुजुर्ग व्यक्ति मुखिया होता था। परिवार के समस्त सदस्यों को उसकी आज्ञा माननी पड़ती थी। सभी कार्यों में मुखिया की अनुमति अनिवार्य थी। मुखिया को परिवार के प्रत्येक व्यक्ति के प्रति प्रेम, सद्भावना बनाये रखने के लिए मर्यादा का पालन करना पड़ता था। एकमात्र मुखिया पर सम्पूर्ण परिवार निर्भर रहता था। सम्पूर्ण परिवार को एकसूत्र में बाँधने की जिम्मेदारी मुखिया की होती थी। संयुक्त परिवार में दादी, बाबा, चाचा, चाची, बेटे, बहुएँ एवं उन सबकी सन्तानें मिलकर रहती थीं।

मर्यादा दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बिखरे हुए परिवार को फिर एक होने में कौन-सी घटनाएं सहायक सिद्ध होती हैं? (2013)
उत्तर:
बिखरे हुए परिवार को फिर से एक होने में बहुत-सी छोटी-छोटी घटनाएँ सहायक सिद्ध होती हैं। प्रस्तुत एकांकी में बताया है कि परिवार विभाजन के उपरान्त छोटे भाई की पुत्री सुमन सुबह-सुबह रामायण सुनने के लिए अपने ताऊजी एवं ताईजी के पास आ जाती है। सुमन से पूछने पर पता चला कि उसके पापा ने उसे घर से भगा दिया क्योंकि वह प्रतिदिन पापा से रामायण की माँग करती थी। इस पर ताऊजी ने कहा-“हाँ, हाँ जा। जा तू रामायण सुन, मैं तेरे बाप के पास जाता हूँ। वाह वा। बच्चे को इस तरह ताड़ते हैं क्या समझा है उसने। समझ लिया कि अलग हो गये तो जैसे मैं मर गया। कोई बात है वाह ……… वा ………..

इसके पश्चात् जब छोटा भाई प्रदीप मिलता है तो बड़े भाई से कहता है-
“क्या बताऊँ-(एकदम) आप उसे यहीं रख लीजिये, वह आपके बिना नहीं रह सकती।” इस प्रकार की बातें परिवार को एकसूत्र में पुनः बाँधने में सहायक हैं।

छोटा भाई विनय जब विदेश में डाक्टरी पढ़ने जाता है तब यह प्रश्न उठता है कि उसकी बहू एवं बच्चों की देखभाल कौन करेगा। शर्म के कारण वह अपने भाई को पत्र में लिखकर भेजता है। इस बात को सुनकर बड़ा भाई जगदीश कहता है-
“प्रदीप, उसे लिख दो कि वह निश्चिन्त होकर अमेरिका जाये। उसकी बहू और बच्चे मेरे पास रहेंगे।”
यह घटना एक बार फिर से परिवार को बिखरने से रोकने में सहायक सिद्ध होती है।

जगदीश का भाई प्रदीप अपनी आर्थिक परेशानी का वर्णन अपने बड़े भाई से करता है तब वह उससे इस प्रकार कहता है-
“वाह-वा शर्म भी क्या पुरुषों का आभूषण है? अरे पागल यह बड़ा अच्छा अवसर है तीन वर्ष के लिए तू भी आ जा।” इसके पश्चात् अन्य घटना है।

जब जगदीश और प्रदीप आपस में बातें कर रहे थे तब उस वक्त वहाँ रीता का प्रवेश होता है। रीता तेजी से एकदम घबराई हुई वहाँ आती है और बताती है कि “परसों अनिल छत से गिर गया है और उसकी पैर की हड्डी टूट गई जिससे उसे ढाई महीने का प्लास्टर लगाया जाएगा।”

वह आगे बताती है कि वह परसों से अपने ताऊजी एवं ताईजी को याद कर रहा है। किसी की कोई बात नहीं सुनता। यह बात सुनकर जगदीश बहुत दुःखी होता है। वह कहता है-
“अनिल मुझे पुकारता रहा, और उसकी आवाज मुझ तक नहीं पहुँचने दी गई। यह सब क्या हो गया? अलग होते सब एक दूसरे के दुश्मन हो गए।”

यह सुनकर रीता बताती है कि उसे अस्पताल ले गए। उसके प्लास्टर लगवा दिया है लेकिन उसके पास अस्पताल में रुकने के लिए कोई नहीं है। वह कहती है कि-
“आज तो जानते हो इन्हें एक क्षण की भी फुर्सत नहीं मिलती है और मुझे सभा-सोसाइटी का काम रहता है।”
इस पर मालती कहती है कि “भला छोटा-सा बच्चा बिना अपनों के अस्पताल में कैसे रहेगा।”

रीता की बातें सुनकर जगदीश को क्रोध आता है। वह रीता से कहता है कि-
“भाई साहब ! कौन भाई साहब ! किसका भाई साहब ! भाई साहब होता तो परसों ही मैं अनिल के पास होता ! बहुत कमाते हो, जाओ बच्चों को घर ले आओ। एक नर्स रख लो ! नौकर रख लो।”

जब मालती से रहा नहीं गया तो वह कहती है-
“मैं चल रही हूँ, अस्पताल अनिल के पास। मैं अनिल को यहाँ ले आऊँगी, मैं देखभाल करूँगी उसकी, देखती हूँ कौन रोकता है मुझे।”
इस तरह आपस में वाद-विवाद चलता है। आखिर जगदीश मान जाता है। वह अनिल को लाने के लिए तैयार हो जाता है।

इससे रीता को अहसास होता है कि वह गलत थी। वह कहती है कि-
“मैं जान गई हूँ। मान गई हूँ मैं कि पैसा सब कुछ नहीं होता है।”
उपर्युक्त सभी घटनाएँ परिवार को एकसूत्र में पिरोने के लिए सहायक सिद्ध हुईं।

MP Board Solutions

प्रश्न 2.
एकांकी में उल्लेखित चौपाइयों के आधार पर रामचन्द्र जी और भरत जी की भेंट का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रस्तुत एकांकी में एकांकीकार ने भरत जी एवं रामचन्द्र जी की भेंट का जो चित्र प्रस्तुत किया है वह हृदयस्पर्शी एवं मार्मिक है। भरतजी की राम के प्रति जो निष्ठा है वह अनन्य एवं प्रशंसनीय है। स्वार्थ की भावना से वे कोसों दूर हैं। उनका स्वभाव छल-कपट से परे है। इसी कारण माताओं का उनके प्रति राम जैसा अनुराग ही है।
प्रस्तुत चौपाई इस सत्य को प्रमाणित करती है-
सरल सुभाय माय हित लाये।
अति हित मनहुँ राम फिर आये ।।
भेंटेउ बहुरि लखन लघु भाई।
सोकु सनेहु न हृदय समाई ॥

राम के वन गमन करने पर भरत प्रतिपल उनके विरह में व्यथित रहते हैं। येन-केन-प्रकारेण उनकी यह भावना है कि राम से किस प्रकार भेंट हो। वे राम से मिलने के लिए वन में प्रस्थान करते हैं। राम से भेंट के समय उनका हृदय गद्-गद् था। नेत्रों से अविरल अश्रुधारा प्रवाहित हो रही थी। राम से गले मिलते समय अभिभूत होकर उनके चरणों में गिर पड़े। भगवान् राम ने भरत को हृदय से लगा लिया। पर भरत के निम्न उद्गार दृष्टव्य हैं भरत बोले “मेरा स्थान यहाँ नहीं है मेरा स्थान तो आपके चरणों में है।” फिर वे भगवान के चरणों में पड़ गये-
“बरबस लिए उठाय उर लाए कृपानिधान।
भरत राम की मिलनि लखि बिसरे सबहि अपान॥”

प्रस्तुत एकांकी के माध्यम से विष्णु प्रभाकर ने,यह सन्देश देने का प्रयास किया है कि भरत और राम की भाँति ही परिवार के सभी भाइयों में स्नेह, त्याग एवं अपनत्व की भावना विद्यमान रहनी चाहिए। इस भावना से ही परिवार में निरन्तर स्नेह और सौहार्द्रपूर्ण वातावरण पल्लवित हो सकता है। लेखक ने एकांकी के माध्यम से संयुक्त परिवार के महत्त्व को प्रदर्शित किया है।

प्रश्न 3.
“अब हम किसी एक के नहीं रहेंगे एक-दूसरे के होंगे।” इस कथन के आधार पर संयुक्त परिवार की आधारशिला को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रस्तुत एकांकी में यह स्पष्ट है कि संयुक्त परिवार हमेशा सम्पन्न तथा खुशहाल होता है। संयुक्त परिवार में सब एक-दूसरे की सहायता करते हुए नजर आते हैं। वह स्वयं अपने आप में एक पूर्ण समाज के रूप में स्थापित रहता है। प्रस्तुत एकांकी में यह बताया गया है कि जब जगदीश के पास प्रदीप, रीता और सुमन आते हैं तो अपनी-अपनी परेशानी जगदीश को बताते हैं। सुमन रामायण सुनने आती है।

प्रदीप अपने बड़े भाई से कहता है भाईसाहब आप इसे अपने पास ही रखें। यह आपके बिना नहीं रह सकती। उसी समय रीता अनिल के गिरने की खबर लाती है तथा वह यह कहना चाहती है कि अनिल को जगदीश भाईसाहब अपने पास ही रखें। क्योंकि वह दिन भर ताऊजी की रट लगाये रहता है। भाईसाहब के पास रहने से उसकी देखभाल अच्छी तरह से हो जायेगी और अनिल का मन भी लगा रहेगा।

जब सुमन और जगदीश साथ-साथ रहते हैं तब वे इस बात को स्वीकार करते हैं कि हम समस्त परिवार के लिए ही जियेंगे। हम एक-दूसरे की दुःख-सुख में सहायता करेंगे। यही हमारा नैतिक धर्म हो ऐसा करके हमें प्रसन्नता का अनुभव होगा।

एकांकी का उद्देश्य है कि संयुक्त परिवार की परम्परा निरन्तर बनी रहे। परिवार सदा एक सूत्र में बँधा रहे। वह कभी टूटे नहीं और न ही किसी प्रकार का द्वेष एक-दूसरे प्रति आये। सब एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहें। इस प्रकार जगदीश का स्वप्न पूरा करने के लिए चारों भाई एक साथ खड़े हो गये। संयुक्त परिवार में यदि एकता हो तो वह कदापि टूटता नहीं है।

प्रश्न 4.
निम्नांकित गद्यांशों की सन्दर्भ एवं प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए
(अ) अपना मन नहीं ………………………… उनकी आन थी।
(आ) आज के जमाने ……………………. लेना नहीं चाहते।
उत्तर:
(अ) सन्दर्भ :
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक की ‘मर्यादा’ नामक एकांकी से अवतरित है। इसके लेखक ‘विष्णु प्रभाकर’ हैं।

प्रसंग :
प्रस्तुत कथन मालती का अपने पति जगदीश के व्यवहार पर आधारित है। संयुक्त परिवार में सब लोग हिलमिल कर रहते थे तथा सबकी भावनाओं का ध्यान रखते थे।

व्याख्या :
मालती कह रही है संयुक्त परिवार का वातावरण प्रेम तथा त्याग की भावना पर आधारित था। अपने मन की भावनाओं को दृष्टिपथ में रखते हुए परिवार के अन्य सदस्यों के प्रति भी उदार एवं सहृदय थे। संयुक्त परिवार के लोग स्वयं के लिए जीवित न रहकर परिवार के अन्य व्यक्तियों के लिए भी हित साधन में जुटे रहते थे। उनकी दृष्टि में कुटुम्ब ही सर्वोपरि था। अत: कुटुम्ब की मर्यादा को वे स्वयं ही मर्यादा ठहराते थे।

(आ) सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
जगदीश एवं उसकी पत्नी मालती के परिवार के विषय में उनके हृदयगत भावों का विवेचन है।

व्याख्या :
जगदीश का कथन है वह युग बीत गया जब मनुष्य बिना विचारे भेड़-बकरी की भाँति आचरण करते थे। आज का मानव चिन्तनशील एवं विवेक प्रधान है। वह सोच-समझकर ही किसी कार्य को करता है। वह स्वावलम्बी है। उसे दूसरों का सहारा लेकर जीवित रहना श्रेयस्कर प्रतीत नहीं होता। प्रदीप से जगदीश ने पूछा कि विनय ने अपने पत्र में क्या लिखा है ? इस सन्दर्भ में जानकारी लेने हेतु मैं जिज्ञासु हूँ।

प्रश्न 5.
इन पंक्तियों का भाव पल्लवन कीजिए (2008)
(अ) आज तो मर्यादाओं को फिर से पहचानना है।
(आ) वह जमाना लद गया जब एक का हुक्म चलता था।
(इ) कोई भी वस्तु अपने आप में सब कुछ नहीं है।
उत्तर:
भाव पल्लवन-
(अ) इस पंक्ति का आशय है कि आज का जमाना वह नहीं जब मनुष्य अपनी मर्यादा के लिए कुछ भी कर सकता है। आज व्यक्ति अपनी मर्यादा को भूलकर अपने स्वार्थ के लिए जी रहा है। जगदीश अपने बिखरे परिवार से बहुत दुःखी होते तथा वह स्वयं से कहते हैं। आज रामायण व महाभारत का युग नहीं जहाँ मनुष्य मर्यादा को जानता था। आज मनुष्य को अपनी मर्यादा की सीमा को एक बार फिर जानना पहचानना है।

(आ) मर्यादा नामक एकांकी में यह बताया है कि पहले जमाने में संयुक्त परिवारों में मुखिया होता था। वह घर के सदस्यों के लिए अपने आप नियम और शर्ते तय करता था। वह जो कह देता था वह पत्थर की लकीर होती थी। वहाँ कोई व्यक्ति स्वयं अपनी मर्जी से कुछ नहीं करता था। आज के जमाने में कोई किसी की इच्छा से अपना जीवन नहीं बिताना चाहता; न कोई किसी का हुक्म मानना चाहता। सब मनुष्य अपनी इच्छा का कार्य करना चाहते हैं।

(इ) प्रस्तुत एकांकी में लेखक यह कहना चाहता है कि मनुष्य कभी स्वयं में पूरा नहीं होता। उसे समय पर एक-दूसरे की आवश्यकता पड़ती है। किसी का किसी के बिना पूर्ण रूप नहीं होता है। मनुष्य स्वयं कभी कुछ नहीं कर सकता। उसे किसी न किसी सहारे की जरूरत होती है। संयुक्त परिवार भी कभी पूरा नहीं होता है और एकल परिवार भी कभी पूरा नहीं होता है। अतः लेखक कहना चाहता है कि कभी व्यक्ति को घमण्ड नहीं करना चाहिए।

MP Board Solutions

मर्यादा भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के हिन्दी रूप लिखिएगुलाम, कोशिश, खर्च, दुश्मन, चिट्ठी, औलाद, शर्म।
उत्तर:
गुलाम-दास; कोशिश-प्रयत्न; खर्च-व्यय; दुश्मन-शत्रु; चिट्ठी-पत्र; औलाद-सन्तान; शर्म-लज्जा।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यांश के लिए एक शब्द लिखिए
(अ) जिसे जीता न जा सके।
(आ) जिसके समान दूसरा न हो।
(इ) जो परिश्रम करने वाला हो।
(ई) जिसका कोई शुल्क न देना पड़े।(2016)
(उ) जिस स्त्री का पति मर गया हो।
(ऊ) जिसका बहुत प्रभाव हो।
उत्तर:
(अ) अजेय
(आ) अद्वितीय
(इ) परिश्रमी
(ई) निःशुल्क
(उ) विधवा
(ऊ) प्रभावशाली।

प्रश्न 3.
नीचे कुछ शब्द और उनके विलोम दिये गये हैं। आप शब्द और उनके विलोम की सही जोड़ी बनाइए
कठोर, गलत, कोमल, सही, सबल, सच, दुर्बल, खाद्य, उन्नति, अवनति, अखाद्य, झूठ।
उत्तर:
कठोर – कोमल
गलत – सही
सबल – दुर्बल
सच – झूठ
खाद्य – अखाद्य
उन्नति – अवनति

प्रश्न 4.
निम्नलिखित लोकोक्तियों का अपने वाक्यों में प्रयोग करो।
उत्तर:
(1) अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
वाक्य प्रयोग – कोई भी व्यक्ति अकेले कुछ नहीं कर सकता है, जैसे-अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता है।

(2) आम के आम गुठलियों के दाम।
वाक्य प्रयोग – समाचार-पत्र पढ़ लिया तथा उनकी रद्दी भी बेच दी। यह बात आम के आम गुठलियों के दाम के सदृश प्रमाणित हुई।

(3) ऊँची दुकान फीके पकवान।
वाक्य प्रयोग – सेठ दौलतराम नाम से ही दौलतराम है। वहाँ जाकर पता चला कि ऊँची दुकान फीके पकवान वाली बात है।

(4) खोदा पहाड़ निकली चुहिया।
वाक्य प्रयोग – हम ओरछा से कठिन यात्रा करके ऊटी घूमने के लिए गये परन्तु वहाँ जाकर पता चला कि खोदा पहाड़ निकली चुहिया।

(5) नाच न जाने आँगन टेढ़ा।
वाक्य प्रयोग – रेखा को रसोई में सब्जी बनानी नहीं आई तो उसने सब्जियों में ही मीन-मेख निकालना शुरू कर दिया। इस पर तो नाच न जाने आँगन टेढ़ा वाली बात सही बैठती है।।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित गद्य पंक्तियों में यथास्थान विराम-चिह्नों का प्रयोग कीजिए।
(अ) जगदीश तीव्रता से बन्द करो चुप हो जाओ मैं एक को भी नहीं जाने दूंगा अभी नहीं जाने दूंगा देखूगा कैसे घर से दूर जाता है-कैसे
(आ) जगदीश और प्रकाश मंजू किशोर और इलाहाबाद वाली ताई और सुधीर पप्पू कुणाल ये सब अच्छे नहीं हैं इन्हें तू प्यार नहीं करेगी।
उत्तर:
(अ) जगदीश-(तीव्रता से) बन्द करो, चुप हो जाओ, मैं एक को भी नहीं जाने दूंगा। अभी नहीं जाने दूंगा, देखेंगा, कैसे कोई घर से दूर जाता है ………. कैसे?
(आ) जगदीश-और प्रकाश, मीना, मंजू, किशोर और इलाहाबाद वाली ताई और सुधीर, पप्पू, कुणाल, ये सब अच्छे नहीं हैं? इन्हें तू प्यार नहीं करेगी?

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्द युग्मों के सामने कुछ विकल्प दिये गये हैं, आप सही विकल्प का चयन कीजिए
(क) कभी-कभी (सामासिक पद, द्विरुक्ति)
(ख) माँ-बाप (द्विरुक्ति, सामासिक पद)
(ग) सूझ-बूझ (अपूर्ण पुनरुक्त शब्द, पूर्ण पुनरुक्त शब्द)
(घ) देखते-देखते (अपूर्ण पुनरुक्त शब्द, पूर्ण पुनरुक्त शब्द)।
उत्तर:
(क) कभी-कभी – द्विरुक्ति पद।
(ख) माँ-बाप – सामासिक पद।
(ग) सूझ-बूझ – अपूर्ण पुनरुक्त शब्द।
(घ) देखते-देखते – पूर्ण पुनरुक्त शब्द।

MP Board Solutions

मर्यादा पाठका सारांश 

विष्णु प्रभाकर द्वारा लिखित मर्यादा एकांकी की कथावस्तु एक ऐसे संयुक्त परिवार से सम्बन्धित है जो पूर्णरूप से बिखरा हुआ है। एकांकी का प्रमुख पात्र जगदीश है। प्रदीप, विनय एवं अशोक जो जगदीश के भाई हैं अत्यन्त ही स्वार्थी प्रवृत्ति के हैं। हर भाई परिवार के प्रति स्वयं को ही समर्पित मानता है। जगदीश भी इस भावना से मुक्त नहीं है। इसी के फलस्वरूप परिवार की एकता छिन्न-भिन्न हो जाती है। इसका यह परिणाम निकलता है कि बालक संयुक्त परिवार के प्यार एवं निरीक्षण से वंचित हो जाते हैं। सुमन एवं अनिल इस बात के साक्षी हैं।

जगदीश उदार हृदय वाला है। वह अपने भाइयों की भूलों को क्षमा कर देता है। निष्कपट प्रेम और स्वार्थ को तिलांजलि देने पर ही परिवार मिल-जुलकर रह सकता है। इस एकांकी के माध्यम से लेखक ने पुनः संयुक्त परिवार की महत्ता को प्रतिपादित किया है।

मर्यादा कठिन शब्दार्थ

पहरुए = पहरेदार। इच्छाओं का दमन करना = इच्छाओं को रोकना, आत्मनियन्त्रण करना। घमण्ड = गर्व। निःश्वास = दीर्घ साँस लेना। निर्मम = निष्ठुर, कठोर। खास तौर = मुख्य रूप से। दुश्मन = शत्रु। सुभाय = स्वभाव। ताड़ना = डाँट-फटकार। कुबेर = देवताओं के कोषाध्यक्ष। बजीफा = छात्रवृत्ति। मंजूषा = पेटी। कॉरू = एक प्रसिद्ध राजा मूसा का चचेरा भाई जो बहुत धनवान पर बड़ा कंजूस था। बिसराई = भूल जाना। औलाद = सन्तान। दुर्बल = कमजोर । इन्सान = व्यक्ति।

मर्यादा संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

1. “अपना मन मारते नहीं थे, दूसरों का मन रखते थे। वे अपने लिए नहीं दूसरों के लिए, कुटुम्ब के लिए जीते थे। कुटुम्ब उनके लिए सब कुछ था। कुटुम्ब की आन उनकी आन थी। (2010)

सन्दर्भ :
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक की ‘मर्यादा’ नामक एकांकी से अवतरित है। इसके लेखक ‘विष्णु प्रभाकर’ हैं।

प्रसंग :
प्रस्तुत कथन मालती का अपने पति जगदीश के व्यवहार पर आधारित है। संयुक्त परिवार में सब लोग हिलमिल कर रहते थे तथा सबकी भावनाओं का ध्यान रखते थे।

व्याख्या :
मालती कह रही है संयुक्त परिवार का वातावरण प्रेम तथा त्याग की भावना पर आधारित था। अपने मन की भावनाओं को दृष्टिपथ में रखते हुए परिवार के अन्य सदस्यों के प्रति भी उदार एवं सहृदय थे। संयुक्त परिवार के लोग स्वयं के लिए जीवित न रहकर परिवार के अन्य व्यक्तियों के लिए भी हित साधन में जुटे रहते थे। उनकी दृष्टि में कुटुम्ब ही सर्वोपरि था। अत: कुटुम्ब की मर्यादा को वे स्वयं ही मर्यादा ठहराते थे।

विशेष :

  1. भाषा सरल, सुबोध एवं प्रवाहपूर्ण है।
  2. संयुक्त परिवार के विषय में निम्नलिखित कथन देखिए-
    “कोई नहीं पराया मेरा घर सारा संसार है।”

MP Board Solutions

2. आज के जमाने में लोग भेड़-बकरी नहीं हैं। उनके दिमाग है, वे सोचते हैं, ………. समझते हैं। वे अपने पर निर्भर रहना चाहते हैं। दूसरों का सहारा लेना नहीं चाहते। ……..”हाँ प्रदीप ! क्या लिखा है, विनय ने?

सन्दर्भ :
पूर्ववत्।

प्रसंग :
जगदीश एवं उसकी पत्नी मालती के परिवार के विषय में उनके हृदयगत भावों का विवेचन है।

व्याख्या :
जगदीश का कथन है वह युग बीत गया जब मनुष्य बिना विचारे भेड़-बकरी की भाँति आचरण करते थे। आज का मानव चिन्तनशील एवं विवेक प्रधान है। वह सोच-समझकर ही किसी कार्य को करता है। वह स्वावलम्बी है। उसे दूसरों का सहारा लेकर जीवित रहना श्रेयस्कर प्रतीत नहीं होता। प्रदीप से जगदीश ने पूछा कि विनय ने अपने पत्र में क्या लिखा है ? इस सन्दर्भ में जानकारी लेने हेतु मैं जिज्ञासु हूँ।

विशेष :

  1. आज का मनुष्य विवेकशील प्राणी है।
  2. वर्तमान युग में मानव स्वावलम्बी बनने का आकांक्षी है।
  3. भाषा बोधगम्य है। उर्दू शब्दों का प्रयोग है।

MP Board Class 11th Hindi Solutions