MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Chapter 5 रक्षाबन्धनम्

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MP Board Class 7th Sanskrit Solutions Surbhi Chapter 5 रक्षाबन्धनम्

MP Board Class 7th Sanskrit Chapter 5 अभ्यासः

Mp Board Class 7 Sanskrit Chapter 5 प्रश्न 1.
एक शब्द में उत्तर लिखो
(क) द्वावपि अग्रजौ कुतः गृहं प्रत्यागच्छताम्? [दोनों बड़े भाई कहाँ से घर को लौटकर आये थे?]
उत्तर:
इन्दौरनगरात्

(ख) के उत्सवप्रियाः भवन्ति? [उत्सवप्रिय कौन हुआ करते हैं?]
उत्तर:
जनाः

(ग) कस्य वृद्ध्यर्थं उत्सवाः सहायकाः? [किसकी वृद्धि के लिए उत्सव सहायक होते हैं?]
उत्तर:
सुखस्य

(घ) श्रावणमासस्य कालः केषां मनांसि आह्लादयति? [श्रावण महीने का समय किनके मन को प्रसन्न करता हैं?]
उत्तर:
जनानां।

Mp Board Class 7th Sanskrit Chapter 5 प्रश्न 2.
एक वाक्य में उत्तर लिखो
(क) कै वर्षागीतानि गायन्ति नृत्यन्ति च? [वर्षा के गीत कौन गाते हैं और नाचते हैं?]
उत्तर:
लोकगायकाः वर्षागीतानि गायन्ति नृत्यन्ति च। [लोकगायक वर्षा के गीतों को गाते हैं और नाचते हैं।]

(ख) का रक्षासूत्रं बध्नाति? [राखी कौन बाँधती है?]
उत्तर:
भगिनी रक्षासूत्रम् बध्नाति। [बहन राखी बाँधती है।]

(ग) कर्मवती के रक्षासूत्रं प्रेषितवती? [कर्मवती ने किसके लिए राखी भेजी थी?]
उत्तर:
कर्मवती हुमायूँ नामाख्यं मुगलशासकं रक्षासूत्रं प्रेषितवती। [कर्मवती ने हुमायूँ नामक मुगलशासक के लिए राखी भेजी थी।]

(घ) के संस्कृति प्रकटी कुर्वन्ति? [संस्कृति को कौन प्रकट करते हैं?]
उत्तर:
उत्सवाः संस्कृति प्रकटी कुर्वन्ति। [उत्सव संस्कृति को प्रकट करते हैं।

Ke Sanskriti Prakriti Kurvanti Mp Board प्रश्न 3.
नीचे लिखे रेखांकित शब्दों के आधार पर प्रश्न बनाओ
(क) मयूराः स्वबर्ह प्रसार्य नृत्यन्ति।
(ख) बालिकाः नवयुवतयः दोलनक्रीडया प्रसन्नाः भवन्ति।
(ग) सैनिकाः अहर्निशः देशरक्षां कुर्वन्ति।
(घ) श्रावणमासस्य पौर्णिमायां रक्षाबन्धनपर्वं भवति।
उत्तर:
(क) के स्वबहँ प्रसार्य नृत्यन्ति?
(ख) बालिकाः नवयुवतयः कया प्रसन्नाः भवन्ति?
(ग) सैनिकाः अहर्निशं किम् कुर्वन्ति?
(घ) कस्य मासस्य पौर्णिमायां रक्षाबन्धनपर्वं भवति?

संस्कृत कक्षा 7 पाठ 5 Mp Board प्रश्न 4.
अर्थ के अनुसार जोड़ी का निर्माण करो
Mp Board Class 7 Sanskrit Chapter 5
उत्तर:
(क) → (4)
(ख) → (1)
(ग) → (2)
(घ) → (3)

Mp Board Class 7 Sanskrit Solution प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों के मूल शब्द, विभक्ति और वचन लिखो
(क) पौर्णिमायां
(ख) स्नेहेन
(ग) सुखस्य
(घ) सहायकाः।
उत्तर:
(क) पूर्णिमा-सप्तमी-एकवचन
(ख) स्नेह- तृतीया-एकवचन
(ग) सुख-षष्ठी-एकवचन
(घ) सहायक-प्रथमा-बहुवचन।

Mp Board Class 7th Sanskrit Solution प्रश्न 6.
कोष्ठक से उचित रूप चुनकर रिक्त स्थानों को पूरा करो
(क) अद्य त्वं बह्वाह्लादिता ………….। (अस्ति/असि)
(ख) सर्वे तूष्णी ……….। (भवतु/भवन्तु)
(ग) परश्वः रक्षाबन्धनपर्वं ………। (भविष्यति/भवति)
(घ) वर्षागीतानि गायन्ति ………..। (गायकाः/गायकः)
(ङ) स्वबहँ प्रसार्य नृत्यति ………….। (मयूराः/मयूरः)
उत्तर:
(क) असि
(ख) भवन्तु
(ग) भविष्यति
(घ) गायकाः
(ङ) मयूरः।

Mp Board Solution Class 7 Sanskrit प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों के आधार पर वाक्य निर्माण करो
(क) श्रावणमासे
(ख) मयूराः
(ग) सैनिकाः
(घ) लोकगायकाः।
उत्तर:
(क) श्रावणमासे पूर्णिमायाम् रक्षाबन्धनस्य उत्सवः भवति।
(ख) वर्षाकाले मयूराः स्वबर्ह प्रसार्य नृत्यन्ति।
(ग) सैनिकाः देशस्य रक्षार्थम् सर्वस्वम् त्यजन्ति।
(घ) लोकगायकाः श्रावणमासे गीतानि गायन्ति

कक्षा 7 संस्कृत पाठ 5 Mp Board प्रश्न 8.
पाठसे चुनकर सन्धि युक्त शब्दों को लिखो
(क) गै + अकः
(ख) नाम + आख्यम्
(ग) द्वौ + अपि
(घ) नृत्यन्ति + अपि।
उत्तर:
(क) गायकः
(ख) नामाख्यम्
(ग) द्वावपि
(घ) नृत्यन्त्यपि।

Class 7 Sanskrit Surbhi Mp Board प्रश्न 9.
निम्नलिखित शब्दों का सन्धि-विच्छेद करो-
(1) नायकः
(2) इत्यादि
(3) उभावपि
(4) राजाज्ञा।
उत्तर:
(1) नै + अकः
(2) इति + आदि
(3) उभौ + अपि
(4) राजा + आज्ञा।

रक्षाबन्धनम् हिन्दी अनुवाद

(कक्षायां छात्राः वार्तालापं कुर्वन्ति)

Sanskrit Class 7 Chapter 5 Mp Board घनश्यामः :
वर्षे! अद्य त्वं अति-आह्लादिता असि। किं कारणम्?

वर्णा :
आम्! घनश्याम! ह्यः मम द्वावपि अग्रजौ इन्दौरनगरात् गृहं प्रत्यागच्छताम्। नूनं परश्वः रक्षाबन्धनस्य पा. वनपर्व भविष्यति।

नृत्यन्ति Meaning In Hindi Mp Board मेघावती :
सत्वरं तूष्णी भवन्तु। आचार्यः आगच्छति।
(आचार्यः प्रविशति। छात्राः उत्तिष्ठन्ति अभिवादनं कुर्वन्ति च)

आचार्यः :
उपविशत! अस्माकं देशे के के प्रमुखाः उत्सवाः भवन्ति? मेघावति! त्वं वद।

मेघावती :
विजयादशमी, दीपावलिः, नवरोज्, ईद, होलिकोत्सवः, बैसाखी, ओणम्, मकर सङ्क्रान्तिः च।

Class 7 Sanskrit Chapter 5 Mp Board आचार्यः :
उचितम्। सम्प्रति श्रावणमासः। श्रावणमासस्य पौर्णिमायां रक्षाबन्धनपर्व भविष्यति। अद्य वयं रक्षाबन्धनम्’ इति निबन्धं पठिष्यामः।

अनुवाद :
(कक्षा में छात्र वार्तालाप करते हैं)

घनश्याम ;
हे वर्षा! आज तुम बहुत प्रसन्नचित्त हो! कारण क्या है?

वर्षा :
हाँ! घनश्याम! कल मेरे दोनों ही बड़े भाई इन्दौर नगर से घर लौटकर आ गये। निश्चय ही परसों रक्षाबन्धन का त्यौहार होगा।

मेघावती :
जल्दी ही चुप हो जाओ। आचार्य आ रहे हैं।
(आचार्य प्रवेश करते हैं। सभी छात्र खड़े हो जाते हैं और अभिवादन करते हैं।)

आचार्य :
बैठिये। हमारे देश में कौन-कौन से प्रमुख त्यौहार होते हैं। मेघावती! तुम बतलाओ।

मेघावती :
विजयादशमी (दशहरा), दीपावली, नवरोज, ईद, होली का त्यौहार, बैसाखी, ओणम और मकर संक्रान्ति।

आचार्य :
ठीक है। अब सावन का महीना है। सावन महीने की पूर्णमासी को रक्षाबन्धन का त्यौहार होगा। आज हम सब ‘रक्षाबन्धन’ शीर्षक निबन्ध को पढ़ेंगे।

जनाः उत्सवप्रियाः भवन्ति। सामाजिकतायाः विकासे उत्सवाः सहायकाः। सुखस्य वृद्धयर्थम् अपि ते सहायकाः। उत्सवाः समाजस्वभावं संस्कृतिञ्च प्रकटीकुर्वन्ति। भारते अनेके उत्सवाः भवन्ति। तेषु रक्षाबन्धनम् एकः प्रमुखः उत्सवः। अयं कालः जनानां मनासि आह्लादयति। पुनः पुनः वर्षन्त्यः जलधाराः जीवसृष्टि पुलकितां कुर्वन्ति। मयूराः स्वबर्ह प्रसार्य नृत्यन्ति। बालिका: नवयुवतयः च दोलनक्रीडया प्रसन्नाः भवन्ति। लोकगायकाः वर्षागीतानि गायन्ति नृत्यन्त्यपि।

अनुवाद :
मनुष्य उत्सवप्रिय होते हैं। सामाजिकता के विकास में उत्सव सहायक होते हैं। सुख की वृद्धि के लिए भी वे सहायक होते हैं। उत्सव समाज के स्वभाव को तथा संस्कृति को प्रकट करते हैं। भारत में अनेक उत्सव होते हैं। उनमें रक्षाबन्धन एक प्रमुख उत्सव है। यह अवसर मनुष्यों के मनों को प्रसन्न बनाता है। बार-बार बरसती हुई जल की धाराएँ जीवसृष्टि को पुलकायमान करती हैं। मोर अपने पंखों को फैलाकर नाचते हैं। बालिकाएँ और नई युवतियाँ झूलने के खेल से प्रसन्न होती हैं। लोकगायक वर्षा के गीत गाते हैं और नाचते भी हैं।

रक्षाबन्धनं सुरक्षायाः बन्धनं भवति। यस्मै रक्षासूत्रं दीयते सः सुरक्षावचनंददाति तद्वचनं प्राणपणेन पालयति च। वर्तमाने काले भगिनी भ्रातुः मस्तके तिलकं कृत्वा रक्षासूत्रं बध्नाति। तस्मै मिष्ठान्न भोजयति तस्य कृते मङ्गलकामनां च करोति। भ्राता अपि तस्याः रक्षायै वचनबद्धः भवति। कतिपयाः जनाः संस्थाः च सैनिकेभ्यः रक्षासूत्राणि प्रेषयन्ति। सैनिकाः अपि अहर्निशं प्राणर्पणेन देशरक्षां कुर्वन्ति। स्त्रियः बन्धितानां कृते रक्षासूत्रबन्धनार्थं कारागारं गच्छन्ति। सागरतटप्रदेशे जनाः सागरपूजां अपि कुर्वन्ति।

अनुवाद :
रक्षाबन्धन सुरक्षा का बन्धन होता है। जिसे राखी (रक्षासूत्र) दी जाती है, वह सुरक्षा का वचन देता है और उस वचन का पालन अपनी हथेली पर प्राण रखकर करता है। मौजूदा समय में बहन भाई के माथे पर तिलक करके राखी (रक्षासूत्र) बाँधती है। उसको मिठाई खिलाती है और उसके लिए कल्याण की कामना करती है। भाई भी उसकी रक्षा के लिए वचनबद्ध होता है। कुछ लोग और संस्थाएँ सैनिकों के लिए राखी भेजते हैं। सैनिक भी दिन-रात अपनी हथेली पर प्राण रख कर देश की रक्षा करते हैं। स्त्रियाँ बन्धन में पड़े लोगों के लिए (बन्दियों के लिए) राखी बाँधने के लिए कारागार (बन्दीगृह) जाती हैं। समुद्र के किनारे के प्रदेश में रहने वाले लोग समुद्र की भी पूजा करते हैं।

पुराणे एका कथा अस्ति। देवासुरसंग्रामे विजयप्राप्त्यर्थं इन्द्रपत्नी शची इन्द्रस्य रक्षासूत्रबन्धनम् अकरोत्। तदारभ्य रक्षाबन्धनोत्सवस्य आरम्भः इति। पुरा याज्ञिकाः पुरोहिताः यजमानस्य राज्ञः च कल्याणार्थं तेभ्यः रक्षासूत्रार्पणं कुर्वन्ति स्म।

श्रूयते खलु इतिहासस्य मध्ययुगे साम्राज्ञी कर्मवती हुमायूँ नामाख्यं मुगलशासकंबहुस्नेहेन रक्षासूत्रं प्रेषितवती। सः अपि श्रद्धया तत् स्वीकृतवान्। सः स्नेहेन भ्रातृभगिनीसम्बन्धस्य रक्षां अपि अकरोत्। एवं जातिधर्मनिरपेक्षः अय उत्सवः प्रवर्तते।

अनुवाद :
पुराणों में एक कथा है। देव और असुरों के संग्राम में विजय प्राप्त करने के लिए इन्द्र की पत्नी शची ने इन्द्र का राखी बन्धन किया। तब से लेकर रक्षाबन्धन का त्यौहार आरम्भ हुआ है। प्राचीन काल में यज्ञ कराने वाले पुरोहित यजमान के तथा राजा के कल्याण के लिए उन्हें राखी अर्पित किया करते थे।

सुना जाता है कि इतिहास के मध्य युग में महारानी कर्मवती ने हुमायूँ नामक मुगल शासक के लिए बड़े प्रेम से राखी भेजी। उसने भी श्रद्धा से उसे स्वीकार कर लिया। उसने प्रेमपूर्वक भाई और बहन के सम्बन्ध की रक्षा भी की। इस प्रकार यह उत्सव जाति और धर्म से निरपेक्ष है।

रक्षाबन्धनम् शब्दार्थाः

अति-आह्लादिता = (अति + आह्लादिता) अति प्रसन्न। अग्रजः = बड़ा भाई। प्रत्यागच्छताम् = (प्रति + आ + अगच्छ. ताम्) लौट आये। पावनम् = (पौ + अन्) = पवित्र। रक्षासूत्रं = राखी। आह्लादयति = प्रसन्न करता है। दोलनक्रीड़ा = झूला झूलने का खेल। स्वबर्हम् = अपने पंख को। प्रसार्य = फैलाकर। भोजयति = खिलाती है/खिलाता है। गायकः = (गै + अक:) = गायक। तूष्णीं = चुप होना। प्राणपणेन = हथेली पर प्राण रखकर। प्रवर्तते = होता है। बध्नाति = बाँधती है।