MP Board Class 11th Hindi Makrand Solutions Chapter 9 नई इबारत (कविता, भवानी प्रसाद मिश्र)
नई इबारत पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
नई इबारत लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कवि ने सोने से पहले कौन-से दो काम करने के लिए प्रेरित किया है?
उत्तर:
कवि ने सोने से पहले ‘कुछ लिख के और कुछ पढ़के’ ये दो काम करने के लिए प्रेरित किया है।
प्रश्न 2.
खेलते समय कौन-सी सावधानी रखना है?
उत्तर:
खेलते समय समझ-बूझ करके और किसी प्रकार की जिद न करके खेलते जाने की सावधानी रखना है।
प्रश्न 3.
कवि ने खेत की क्या विशेषता बताई है?
उत्तर:
कवि ने खेत की विशेषता बताई है कि वे खुले-फैले और धानी हैं। वे कभी-कभी हवा से डोलते हैं। वे कभी-कभी बरसात के झोकों से गद्गद हो उठते हैं। इस तरह वे कभी-कभी हर प्रकार की खुश्क और तर की शक्ति से प्रभावित होते रहते हैं।
नई इबारत दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कविता के माध्यम से कवि क्या सन्देश देना चाहता है?
उत्तर:
कविता के माध्यम से कवि यह सन्देश देना चाहता है कि हमें जीवन में आगे बढ़ते जाने के लिए हर समय कुछ-न-कुछ करते रहना चाहिए। इसके लिए कवि ने प्रकृति के विभिन्न रूपों-प्रतिरूपों के उदाहरण देकर यह सिद्ध करना चाहा है कि प्रकृति कभी भी निष्कर्म नहीं रहती है। वह पल-पल कर्मरत रहती है। इससे वह आने वाले हर दुःखों और कठिनाइयों का सामना करती हुई हमेशा आगे बढ़ती जाती है। प्रकृति के इस प्रक्रिया से हमें प्रेरणा लेकर अपने जीवन को समुन्नत और महान बनाते रहने का हमेशा ही प्रयास करना चाहिए।
प्रश्न 2.
कविता में प्रकृति के माध्यम से कवि ने कुछ सन्देश व्यक्त किए हैं, उनमें से किन्हीं दो को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कविता में प्रकृति के माध्यम से कवि ने कुछ सन्देश व्यक्त किए हैं। उनमें दो इस प्रकार हैं –
- सूरज ने किरणों की कलम से इबारत लिखी।
- हवा ने मन-ही-मन कुछ गुनगुनाया।
1. सूरज ने किरणों की कलम से इबारत लिखी:
उपर्युक्त सन्देश के द्वारा कवि ने मनुष्य को अपने पुरुषार्थ और कड़ी मेहनत से अपने जीवन को सुखद बनाने का सन्देश दिया है।
2. हवा ने मन ही मन कुछ गुनगुनाया:
उपर्युक्त सन्देश के द्वारा कवि ने मनुष्य को अपने जीवन में आने वाले दुखों और कठिनाइयों को डटकर खुशी-खुशी और बेफिक होकर सामना करने का सन्देश दिया है।
प्रश्न 3.
निष्क्रियता के सम्बन्ध में कवि ने कैसे संकेत किया है?
उत्तर:
निष्क्रियता के सम्बन्ध में. कवि ने इस प्रकार संकेत किया है –
“बिना समझे बिना बूझे खेलते जाना,
एक जिद को जकड़ लेकर ठेलते जाना,
गलत है, बेसूद है, कुछ रचके सो, कुछ गढ़के सो।”
नई इबारत भाव-विस्तार/पल्लवन
प्रश्न 1.
निम्नलिखित पद्यांश की व्याख्या कीजिए –
- “तू जिस जगह जागा सबेरे उस जगह से बढ़ के सो।”
- “दिनभर इबारत पेड़-पत्ती और पानी की।
बन्द घर की खुले फैले खेत धानी की।” - ‘एक जिद को जकड़ लेकर ठेलते जाना।’
- ‘जो इबारत लहर बनकर नदी पर दरसी।’
उत्तर:
1. “तू जिस जगह जागा सबेरे, उस जगह से बढ़के सो”:
उपर्युक्त पद्यांश के द्वारा कवि ने यह प्रकट करना चाहा है कि हमें अपने दैनिक जीवन में कुछ-न-कुछ श्रेष्ठ और प्रशंसनीय कार्य करते रहना चाहिए। इससे हमारा जीवन सार्थक और सफल हो सकेगा। फलस्वरूप हमें सुख और शान्ति प्राप्त होगी। यह सुख और शान्ति दूसरे के लिए सन्देश-स्वरूप होगी। खासतौर से उलझे, मुरझाए, हारे, थके और असफल लोगों के लिए। ऐसा करके ही हम दिन-प्रतिदिन अपने जीवन को आगे बढ़ा हुआ पा सकते हैं। यह तभी सम्भव है, जब हम जो कुछ करें, सोच-विचार कर करें। दृढ़संकल्प लेकर करें।
2. “दिन-भर इबारत पेड़-पत्ती और पानी की।
बन्द घर की खुले-फैले, खेत धानी की।”
उपर्युक्त पद्यांश के द्वारा कवि ने यह भाव व्यक्त करना चाहा है कि हमें अपने जीवन की एक-एक बातों का एक इबारत की तरह महत्त्व देना चाहिए। हमें अपने जीवन को सार्थक और उपयोगी बनाने के लिए प्रकृति के स्वच्छन्द स्वरूप को महत्त्व देते हुए उससे प्रेरणा लेनी चाहिए। इस दृष्टि से हमें पेड़-पत्ती, पानी, खुले-फैले खेत धानी की स्वच्छन्दता को अपने अन्दर उतारकर हमेशा हौसला रखते हुए आगे बढ़ते जाना चाहिए।
3. “एक जिद को जकड़ लेकर ठेलते जाना:
उपर्युक्त पद्यांश के द्वारा कवि ने यह भाव व्यक्त करना चाहा है कि हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए समझ-बूझ को साथ रखना चाहिए। इसके साथ-ही-साथ हमें किसी बच्चे की तरह कोई जिद या हठ लेकर नहीं बैठ जाना चाहिए। इससे हमारा जीवन आगे न बढ़कर वहीं जाम हो जाता है। यह एक सुखद और सफल जीवन के लिए किसी प्रकार अनुकूल और उचित नहीं है।
4. “जो इबारत लहर बनकर नदी पर दरसी”:
उपर्युक्त पद्यांश के द्वारा कवि ने यह भाव प्रकट करना चाहा है कि हमें जीवन में हमेशा ही आगे बढ़ने का प्रयास करते रहना चाहिए। इसके लिए यह बहुत जरूरी है कि हम नदी पर मचलती हुई एक लहर की तरह बड़े ही स्वच्छन्द और उमंग के साथ सामने वाली हर कठिनाइयों का सामना करते चलें। इसी से हमारे जीवन की सार्थकता सिद्ध होगी।
नई इबारत भाषा-अध्ययन
प्रश्न 1.
कविता में आए निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए –
खुश्क, उठा, बेसूद, जागना।
उत्तर:
नई इबारत योग्यता विस्तार
प्रश्न 1.
कवि ने सोने से पहले आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है, क्या आप प्रतिदिन विचार करते हैं, आपने आज क्या प्राप्त किया जो आपके जीवन को लक्ष्य की ओर प्रेरित कर सके। उन विचारों को सोने के पूर्व डायरी विधा में लिखने की आदत विकसित कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।
प्रश्न 2.
इसी प्रकार की प्रेरणाप्रद कविताओं को संकलित कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।
प्रश्न 3.
प्रेरणा देने वाली ऐसी ही अन्य कविताओं का संकलन कर उसे सुस्पष्ट अक्षरों में लिखकर विभिन्न अवसरों पर अपने साथियों को भेंट कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।
नई इबारत परीक्षोपयोगी अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
नई इबारत लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कवि ने जगने के बाद क्या काम करने के लिए प्रेरित किया है?
उत्तर:
कवि ने जगने के बाद उस जगह से आगे बढ़कर सोने के लिए प्रेरित किया है।
प्रश्न 2.
कवि ने कौन-सी इबारत के सुनहरे वर्क से मंन मढ़के सो जाने के लिए कहा है?
उत्तर:
कवि ने पेड़-पत्ती और पानी, बन्द घर की खुली-फैले खेत, धानी की, हवा की, बरसात की, हरेक खुश्क की, दिन-भर अपने और दूसरे की इबारत के सुनहरे वर्क से मन मढ़के सो जाने के लिए कहा है।
प्रश्न 3.
पंछी ने किसका नाम लेकर पुकारा?
उत्तर:
पंछी ने, सूरज ने अपने किरण की कलम से जो लिखा, उसी को पंछी ने नाम लेकर पुकारा।
नई इबारत दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कवि ने प्रकृति के किन-किन को किस रूप में चित्रित किया है और क्यों?
उत्तर:
कवि ने प्रकृति के विभिन्न रूपों को चित्रित किया है। कवि द्वारा चित्रित ये रूप हैं-सुबह-शाम, पेड़-पत्ती, पानी, खुले-फैले धानी खेत, हवा, बरसात, सूखा, नम, दैनिक क्रिया-व्यापार, सूरज, उसकी किरणें, पंछी, हवा, लहर, नदी आदि। इन्हें कवि ने प्रेरणादायक रूप में चित्रित किया है। यह इसलिए कि इनसे प्रेरणा लेकर मनुष्य अपने जीवन को महान बना सके।
प्रश्न 2.
प्रस्तुत कविता में सुबह जागना और रात को सोना का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में सुबह जागना और रात को सोना का भाव प्रेरक रूप में है। ये दोनों ही भाव जीवन मे आगे बढ़ते जाने के लिए प्रयुक्त हुए हैं। इनके माध्यम से कवि ने हमारे जीवन में उत्साह को लाते हुए हमेशा अपने को महान बनाने का सुझाव दिया है। उसका यह कहना है कि जब रात को सोते हैं, उससे पहले कुछ अच्छा और सराहनीय काम करें। फिर सुबह जगने पर और कुछ पहले से सराहनीय करने का दृढ़ संकल्प लें।
प्रश्न 3.
‘नई इबारत’ कविता के केन्द्रीय भाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में कवि ने जीवन में उत्साह का संचार करते हुए निरन्तर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दी है। उनके अनुसार जिस स्थिति में हम सुबह जागते हैं, उसी स्थिति में यदि रात्रि को सो जाते, हैं, तो हमारा जीवन अर्थपूर्ण नहीं हो पाता है। निरर्थक जिद किए बगैर कुछ रचके, कुछ गढ़के ही जीवन को सृजनात्मक बनाया जा सकता है। प्रकृति का सम्पूर्ण कार्य-व्यापार जीवन के नए पृष्ठ खोलने वाला है। प्रकृति की इस कर्म-शीलता से प्रेरणा लेकर जीवन में कठिनाइयों का सामना किया जाना ही उपयुक्त है। इस तरह के दृढ़निश्चय से ही जीवन के महत्त्व को प्रतिपादित किया जा सकता है।
नई इबारत कवि-परिचय
प्रश्न 1.
भवानी प्रसाद मिश्र का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनके साहित्य की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय:
भवानी प्रसाद मिश्र का जन्म मध्य-प्रदेश के होशंगाबाद जिले के टिगरिया गाँव में 28 मार्च 1914 को हुआ था। उनका आरम्भिक जीवन बड़े संघर्षों में बीता। उन्होंने बी.ए. तक शिक्षा प्राप्त की। 1942 के ‘भारत-छोड़ो’ आन्दोलन में उनका सक्रिय योगदान था। परिणामस्वरूप उन्हें तीन वर्ष का कारावास मिला। कारावास की अवधि में भी उन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा। सन् 1946 ई. से 1950 ई. तक उन्होंने वर्धा के महिला आश्रम में शिक्षण-कर्म किया। लगभग एक वर्ष तक “राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा” से सम्बद्ध रहे।
सन् 1952 से 1955 तक वे ‘कल्पना’ (हैदराबाद) के सम्पादन-विभाग से जुड़े रहे। इसके पश्चात् उन्होंने आकाशवाणी के बम्बई केन्द्र के “विविध भारती” कार्यक्रम का निर्देशन कार्य सँभाला। गाँधी जी के जीवन-दर्शन तथा रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कविताओं से वे विशेष रूप से प्रभावित हुए। जीवन के अन्तिम दिनों तक वे “गाँधी स्मारक निधि व सर्वसेवा संघ” से जुड़े रहे।
रचनाएँ:
श्री भवानी प्रसाद की मुख्य रचनाएँ हैं-‘गीत फरोश’, ‘चकित है दुःख’, ‘अँधेरी कविताएँ’, ‘बुनी हुई रस्सी’, ‘खुशबू के शिलालेख’, ‘कवितान्तर’, ‘त्रिकाल संध्या’ तथा ‘शतदल’ आदि।
साहित्यिक विशेषताएँ:
मिश्रजी सदा सरल व सहज भाषा-प्रयोग के पक्षपाती रहे हैं। सादगी व सरलता उनकी शैली की एक प्रमुख विशेषता है। उनकी कविताओं में एक ओर तो गाँधीवादी विचारधारा की अभिव्यक्ति मिलती है तो दूसरी ओर प्रकृति की विभिन्न छवियों की सजीव व सचित्र अभिव्यक्ति मिलती है। उनकी कविताओं में कहीं-कहीं आदर्शवाद व उपदेशात्मकता का भी स्वर मुखरित हुआ है।
नई इबारत पाठ का सारांश
प्रश्न 1.
भवानी प्रसाद मिश्र विरचित कविता ‘नई इबारत’ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
भवानी प्रसाद मिश्र विरचित कविता ‘नई इबारत’ एक उत्साहबर्द्धक कविता है। इसमें कवि ने हमें हमेशा आगे बढ़ने का उत्साह प्रदान किया है। कवि का कहना है कि हमें सोने से पहले कुछ लिख-पढ़कर ही रात को सोना चाहिए। इस प्रकार जब सुबह नींद खुले तो हम आगे बढ़ते हुए स्वयं को पाएं। एक बच्चे की तरह हमें बिना कुछ समझे-बूझे जिद करके बैठे रहना नहीं चाहिए। यह बिल्कुल ही गलत है। हमें तो जीवन में हमेशा ही कुछ रचते-गढ़ते रहना चाहिए। हमें तो दिनभर पेड़-पत्ती, पानी, खुले-फैले खेत, हवा, बरसात, नमी की इबारत के सुनहरे बर्फ से मन को मढ़कर रात को चुपचाप सो जाना चाहिए कि सवेरे नींद खुलने पर हम अपने को उस जगह से बढ़ा हुआ पा सकें।
कवि का पुनः कहना है कि सूरज ने किरणों की कलम से जो कुछ लिखा, उसे चिड़ियों ने पढ़ लिया। हवा ने जो कुछ गुनगुनाया, बरसात ने जो कुछ जल बरसाया और जो इबारत एक लहर की तरह नदी पर दिखाई दी, उस इबारत की यदि सीढ़िया हैं, तो हमें उस पर चढ़कर रात को ऐसे सो जाना चाहिए कि सुबह नींद खुलने पर हमें पहले से स्वयं को आगे बढ़ा हुआ पा सकें।
नई इबारत संदर्भ-प्रसंगसहित व्याख्या
प्रश्न 1.
कुछ लिखके सो कुछ पढ़के सो,
तू जिस जगह जागा सबेरे,
उस जगह से बढ़के सो।
जैसा उठा वैसा गिरा जाकर बिछौने पर,
तिफ्ल जैसा प्यार यह जीवन खिलौने पर,
बिना समझे बिना बूझे खेलते जाना,
एक जिद को जकड़ लेकर ठेलते जाना,
गलत है बेसूद है कुछ रचके सो कुछ गढ़के सो,
तू जिस जगह जागा सबेरे उस जगह से बढ़के सो।
शब्दार्थ:
- तिफ्ल – बच्चा।
- बेसूद – व्यर्थ, निरर्थक।
प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी सामान्य भाग-1’ में संकलित तथा भवानी प्रसाद मिश्र द्वारा विरचित कविता ‘नई इबारत’ शीर्षक से उद्धत है। इसमें कवि ने हमारे जीवन में उत्साह का संचार करते हुए हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हुए कहा है कि –
व्याख्या:
हमें कुछ लिखकर और कुछ पढ़कर रात को सोना चाहिए। फिर सुबह नींद खुलने पर पहले से स्वयं को आगे बढ़ा हुआ पाना चाहिए। कहने का भाव यह है कि जीवन में हमें हमेशा कुछ-न-कुछ ऐसे महान कार्य करते रहना चाहिए, जिससे हम हमेशा विकास करते हुए आगे बढ़ते जाएँ। कवि का पुनः कहना है कि जिस प्रकार कोई बच्चा बिछौने पर उठता-गिरता है, वैसे ही यह हमारा प्यारा जीवन समय रूपी खिलौने पर मचलता रहता है। यह एक नासमझ बच्चे की तरह बिना कुछ समझे-बूझे खेलता रहता है। वह एक बच्चे की तरह एक जिद को जकड़कर ठेलते जाता है। यह सचमुच में गलत है और व्यर्थ है। हमें तो कुछ-न-कुछ रचके और गढ़ के ही रात को सोना चाहिए। सुबह जब नींद खुले तो हम अपने-आपको पहले से आगे बढ़ा हुआ पाएँ।
विशेष:
- भाव प्रेरक रूप में है।
- शैली प्रेरणादायक है।
- वीर रस का प्रवाह है।
- प्रगतिशील विचारधारा है।
- शब्द मिश्रित हैं।
पद्यांश आधारित सौन्दर्य-बोध सम्बन्धी सम्बन्धी प्रश्नोत्तर
प्रश्न.
- प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौन्दर्य पर प्रकाश कीजिए।
- प्रस्तुत पद्यांश का काव्य-सौन्दर्य लिखिए।
- कवि ने बच्चे के उदाहरण से कौन-सी समानता लाने का प्रयत्न किया है?
उत्तर:
1. प्रस्तुत पद्यांश में कवि का कथन बड़ा ही सरस और हृदय को छूने वाला है। जीवन में हमेशा आगे बढ़ते जाने की कवि द्वारा प्रेरणा देना अधिक उत्साहबर्द्धक है। यह निराश, उदास और जीवन में हारे हुए व्यक्तियों के सोए हुए भावों को बड़े ही सुन्दर ढंग से प्रेरित करने वाला है। भाकों को जगाने के लिए कवि का मार्गदर्शन बड़े ही सटीक रूप में हुआ है। इस प्रकार यह पूरा पद्यांश अधिक सरस और भावबर्द्धक है।
2. प्रस्तुत पद्यांश की भाव-योजना सरल और हिन्दी-उर्दू मिश्रित शब्दों की है। तुकान्त शब्दावली के द्वारा वीर रस का संचार अधिक आकर्षक रूप में हुआ है। नपे-तुले भावों को नपे-तुले बिम्बों और प्रतीकों द्वारा प्रेरणादायक शैली में प्रस्तुत किया गया है। इससे यह पद्यांश सराहनीय है।
3. कवि ने बच्चे के उदाहरण से जीवन में असफल और लापरवाह रहने वाले लोगों के निरर्थक जीवन की समानता लाने का प्रयास किया है। इससे कवि के कहने का आशय सुस्पष्ट और प्रभावशाली बन गया है।
प्रश्न 2.
दिन-भर इबारत पेड़-पत्ती और पानी की
बन्द घर की खुले-फैले खेत धानी की
हवा की बरसात की हर खुश्क की तर की
गुजरती दिनभर रही जो आप की पर की
उस इबारत के सुनहरे वर्क से मन मढ़के सो
तू जिस जगह जागा सबेरे उस जगह से बढ़के सो।
लिखा सूरज ने किरन की कलम लेकर जो
नाम लेकर जिसे पंछी ने पुकारा सो
हवा जो कुछ गा गई बरसात जो बरसी
जो इबारत लहर बनकर नदी पर दरसी
उस इबारत की अगरचे सीढ़ियाँ हैं चढ़के सो
तू जिस जगह जागा सबेरे उस जगह से बढ़के सो।
शब्दार्थ:
- इबारत – लेख, रचना।
- खुश्क – शुष्क, सूखा।
- तर – सरस, रसमय, भींगा।
- पर की – दूसरों की।
- वर्क – सोने या चाँदी का अत्यन्त पतला पत्तर।
- दसी – दिखी।
- अगरचे – यदि।
प्रसंग – पूर्ववत्!
व्याख्या:
दिन-भर पेड़-पत्ती और पानी बन्द घर की, खले-फैले खेत-धानी की. हवा की, बरसात की, हरेक सूखापन और नमी की, अपने पर दिन-भर बीती बातों की और ऐसी अनेक बातों की सुनहरे वर्क के समान रचना मन में गढ़ते हुए चुपचाप रात को सो जाना चाहिए। इस प्रकार हम जब सुबह जगें, तो हम अपने आपको पहले से बढ़ा हुआ पावें। कहने का भाव यह है कि हमें हमेशा ही कुछ-न-कुछ करते हुए आगे बढ़ते रहने का प्रयास करना चाहिए। कवि का पुनः कहना है कि सूरज ने अपनी किरणों की कलम से जो कुछ लिखा, उसे पंछी ने उसी नाम से पुकारा। हवा ने जो कुछ गुनगुनाया, बरसात ने जो कुछ बरसाया और जो इबारत लहर बनकर नदी पर दिखाई दी, अगर उस इबारत की सीढ़ियाँ हैं, तो उस पर हमें चढ़कर रात को सो जाना चाहिए। फिर सुबह जब हम जगें तो हम अपने आपको पहले से कहीं आगे पावें। दूसरे शब्दों में, हमें हमेशा ही कुछ-न-कुछ करते हुए आगे बढ़ते रहने का प्रयास करते रहना चाहिए।
विशेष:
- प्रस्तुत पद्यांश भाववर्द्धक और आकर्षक है।
- शैली दृष्टान्त है।
- इस पद्यांश का मुख्य अलंकार मानवीकरण है।
- भाषा उर्दू के प्रचलित शब्दों और हिन्दी के सहज शब्दों की है।
- तुकान्त योजना है।
- वीर रस का संचार है।
पद्यांश पर आधारित सौन्दर्य बोध सम्बन्धी प्रश्नोत्तर
प्रश्न.
- प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रस्तुत पद्यांश के काव्य-सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए।
- प्रस्तुत पद्यांश का मुख्य भाव बतलाइए।
उत्तर:
1. प्रस्तुत पद्यांश में कवि द्वारा मनुष्य ने निरन्तर कर्मरत होने का उत्साह-पूर्ण भाव भरने का प्रयास अधिक सराहनीय सिद्ध हुआ है। इसके लिए कवि ने खुली प्रकृति के प्रत्येक स्वरूप की कर्मशीलता का भावपूर्ण चित्रांकन किया है। उन भावों को ‘इबारत के सुनहरे वर्क से मन मढ़के’ कहने का दृष्टान्त निश्चय ही सोए हुए भावों को जगाने की दिशा में एक सफल प्रयास कहा जा सकता है। सूरज, पंछी, हवा, बरसात आदि के उपमान बड़े ही भाववर्द्धक और प्रेरक हैं।
2. प्रस्तुत पद्यांश की दृष्टान्त-योजना न केवल उत्साहवर्द्धक है, अपितु अधिक सटीक और विषय के अनुकूल है। इसे सार्थक, प्रभावशाली और भावपूर्ण बनाने के लिए भाषा के शब्द-चयन सरल और सुबोध हैं। सूरज, पंछी, हवा और बरसात को मनुष्य की तरह कर्मरत रहने का उल्लेख मानवीकरण अलंकार का अनूठा उदाहरण है। इसमें चित्रात्मकता नामक विशेषता आ गई है। वीर रस के प्रवाह से प्रेरणादायक शैली हृदयस्पर्शी रूप में प्रवाहित हुई है।
3. प्रस्तुत पद्यांश का मुख्य भाव है-मनुष्य के सोए हुए भावों को जगाकर उसे निरन्तर कर्मरत बनाकर विकास करते जाने का उत्साह प्रदान करना।
पद्यांश पर आधारित विषय-वस्तु से सम्बन्धित प्रश्नोत्तर
प्रश्न.
- कवि ने किसे सुनहरे वर्क से मन को मढ़ने को कहा है?
- ‘जिस जगह जागा, सवेरे उस जगह से बढ़के सो’ का क्या आशय है?
उत्तर:
- कवि ने दिन-भर पेड़, पत्ती, पानी, बन्द घर, खुले-फैले खेत धानी, हवा, बरसात, सूखा, नमी आदि की इबारत के सुनहरे वर्क से मन को मढ़ने को कहा है।
- ‘जिस जगह जागा, सवेरे उस जगह से बढ़के सो’ का आशय यह है कि हम जो आज हैं आने वाले कल से कहीं बेहतर हों।