MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 5 कर्मवीर

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MP Board Class 10th Hindi Vasanti Solutions Chapter 5 कर्मवीर (अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’)

कर्मवीर पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

कर्मवीर लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर 

कर्मवीर कविता के प्रश्न उत्तर प्रश्न 1.
कवि ने कर्मवीर किसे कहा है?
उत्तर-
कवि ने असंभव को संभव कर दिखाने वाले को कर्मवीर कहा है।

Karmveer Kavita Ka Bhavarth प्रश्न 2.
भाग्य के भरोसे कौन नहीं रहता है?
उत्तर-
कर्मवीर भाग्य के भरोसे नहीं रहता है।

Class 10 Hindi Chapter 5 Mp Board प्रश्न 3.
बुरे दिन भी भले कब हो सकते हैं?
उत्तर-
बुरे दिन भी भले तब हो सकते हैं, जब कर्मवीर शीघ्र ही अपने बुरे दिनों को अच्छे दिनों में बदलने में लग जाते हैं।

Mp Board Class 10 Hindi Chapter 5 प्रश्न 4.
‘संपदा मन से करोड़ों की नहीं जो जोड़ते’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘संपदा मन से करोड़ों की नहीं जो जोड़ते’ का आशय यह है कि कर्मवीर अपने वर्तमान-भविष्य की तनिक भी चिंता नहीं करते हैं। उन्हें अपने सुख-आराम का कुछ भी ध्यान-ख्याल नहीं होता है। वे तो परोपकार और परमार्थी ही होते हैं।

Mp Board Class 10th Hindi Chapter 5 प्रश्न 5.
‘कर्मवीर’ कविता से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर-
‘कर्मवीर’ कविता एक प्रेरक और भाववर्द्धक कविता है। फलस्वरूप इस कविता से हमें अनेक प्रकार की प्ररेणा मिलती है। हमें किसी प्रकार की कठिनाइयों से घबड़ाना नहीं चाहिए। हमें भाग्यवादी नहीं बनना चाहिए। कितना भी कठिन काम क्यों न हो, हमें उसे देखकर घबड़ाना नहीं चाहिए। इस प्रकार की हमें अनेक प्रेरणाएँ प्रस्तुत कविता से मिलती हैं।

कर्मवीर दीर्घ-उत्तरीय प्रश्नोत्तर

Karmveer Poem Question Answer In Hindi प्रश्न 1.
कर्मवीर मनुष्य की विशेषताएँ लिखिए।।
उत्तर-
देखिए-कविता का सारांश।।

Karmveer Manushya Ki Visheshtaen Bataiye प्रश्न 2.
कर्मवीर मनुष्य के मार्ग में कैसी-कैसी बाधाएँ आती हैं?
उत्तर-
कर्मवीर मनुष्य के मार्ग में अनेक प्रकार की बाधाएँ आती हैं। कभी उनके सामने आकाश को छूने वाले पहाड़ों के शिखर आ जाते हैं। तो कभी आठों पहर अंधेरा से भरे जंगल। उनके सामने कभी विशाल समुद्र की गरजती हुई लहरें और चारों ओर फैली हुई भयानक आग की लपटें आ जाती हैं।

Karamveer Kavita Ka Saransh प्रश्न 3.
किसी भी कार्य को बीच में न छोड़ने से क्या लाभ होता है?
उत्तर-
किसी भी कार्य को बीच में न छोड़ने से लाभ यह होता है कि वह कार्य पूरा हो जाता है। इससे बड़ी राहत और खुशी मिलती है।

Karmveer Kavita Ka Saransh प्रश्न 4.
कर्मवीर कौन-कौन से बड़े काम करके दिखा देते हैं?
उत्तर-
कर्मवीर अनेक प्रकार के बड़े-बड़े काम करके दिखा देते हैं। वे पर्वतों को काटकर सड़कें बना देते हैं। रेगिस्तान में नदियाँ बहा देते हैं। समुद्र की गहराइयों में बेड़ा चला देते हैं और जंगलों में भी यह मंगल रचा देते हैं।

Karmveer Poem Question Answer प्रश्न 5.
‘जंगलों में भी महामंगल रचा देते हैं।’ इस पंक्ति का भाव विस्तार कीजिए।
उत्तर-
‘जंगलों में भी महामंगल रचा देते हैं। इस पंक्ति का भाव यह है कि कर्मवीर बड़े बहादुर होते हैं। उनमें असंभव को संभव कर दिखाने की पूरी क्षमता होती है। इस प्रकार उनके लिए कोई भी चीज़ बड़ी या छोटी नहीं होती है और न तो दुख और न कष्टकर।

कर्मवीर भाषा-अनुशीलन

Bhagya Ke Bharose Kaun Nahin Rahata प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
फूलना-फलना, आकाश छूना, कलेजा काँपना, मुँह मोड़ना, गगन के तारे तोड़ना, जंगल में मंगल करना।
उत्तर-
कर्मवीर कविता के प्रश्न उत्तर

Karamveer Kavita Ka Question Answer प्रश्न 2.
नीचे लिखे शब्दों के पर्यायवाची लिखिए. पुष्प, जल हाथ, भूमि, सूर्य
उत्तर-
Karmveer Kavita Ka Bhavarth MP Board Class 10

Karmveer Kavita Ka Arth प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों का संधि-विच्छेद कर नामोल्लेख कीजिए
दुर्गम, उज्ज्वल, उपाध्याय, विद्यार्थी, सदाचार।।
उत्तर-
Class 10 Hindi Chapter 5 Mp Board MP Board

कर्मवीर योग्यता-विस्तार

Karmveer Poem Summary In Hindi प्रश्न 1.
यह कविता कठोर परिश्रम करने की प्रेरणा देती है। इसी भाव पर आधारित अन्य कवियों की कविताएँ खोजकर पढ़िए।

प्रश्न 2.
कर्मवीर की तरह धर्मवीर, दयावीर और दानवीर भी होते हैं। इन तीनों प्रकार के वीरों के चरित्र संकलित कीजिए।

प्रश्न 3.
कर्मवीर एक महत्त्वपूर्ण पत्रिका रही है। इसी प्रकार की मध्यप्रदेश से प्रकाशित हिंदी पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर-
उपर्युक्त प्रश्नों को छात्र/छात्रा अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से हल करें।

कर्मवीर परीक्षोपयोगी अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

कर्मवीर योग्यता-विस्तार

प्रश्न (क)
‘कर्मवीर असंभव को संभव कर देते हैं’-यह बात कवि किन पंक्तियों में व्यक्त की है? उन्हें पढ़कर सुनाइए।
उत्तर-
‘कर्मवीर असंभव को संभव कर देते हैं।’ यह बात कवि ने निम्न पंक्तियों में व्यक्त की है चिलचिलाती धूप को जो चाँदनी देवें बना। काम पड़ने पर करें जो शेर का भी सामना॥ जो कि हँस-हँस के चबा लेते हैं लोहे का चना। है कठिन कुछ भी नहीं जिनके है जी में यह ठना॥ कोस कितने ही चलें पर वे कभी थकते नहीं। कौन सी है गाँठ जिसको खोल वे सकते नहीं।

प्रश्न (ख)
कवि के मन में संपन्न देशों की सफलता का कारण क्या है?
उत्तर-
कवि कर्मवीर व्यक्तियों के परिश्रम को संपन्न देशों की सफलता का कारण मानता है। आज जितने भी देश, संपन्न और उन्नत दिखाई देते हैं, वे ऐसे ही संपन्न और उन्नत नहीं हो गए। कर्मवीर, अध्यवसायी और साहसी व्यक्तियों के प्रयत्नों से ही वे उन्नत हुए हैं।

प्रश्न (ग)
किस प्रकार के लोग जीवन में असफल होते हैं?
उत्तर-
निठल्ले, निकम्मे, आलसी, भाग्य भरोसे रहने वाले व्यक्ति जीवन में असफल रहते हैं। जो व्यक्ति काम को मन लगाकर नहीं करते, काम को शुरू करके, उसे बीच में अधूरा छोड़ देते हैं, वे भी जीवन में सफल नहीं हो पाते। जो लोग विघ्न और बाधाओं को देख घबरा जाते हैं, वे भी जीवन में सफल नहीं हो पाते।

प्रश्न (घ)
जीवन में दुखी होकर कौन लोग पश्चात्ताप करते हैं?
उत्तर-
जो लोग आलसी और कर्महीन होते हैं और केवल दिवास्वप्न देखने में ही लगे रहते हैं, वे लोग जीवन में दुखी होकर पश्चात्ताप करते हैं। जो अपना कार्य मन लगाकर नहीं करते और कोई बाधा या विघ्न पड़ने पर अपना कार्य बीच में अधूरा छोड़ देते हैं, वे लोग ही जीवन में दुखी और पश्चात्ताप करते देखे गए हैं।

प्रश्न 3.
रिक्त स्थानों की पूर्ति दिए गए विकल्पों में से उचित शब्द के चयन से कीजिए।
1. कर्मवीर अनेक प्रकार के विघ्न आने पर नहीं ……………..हैं। (घबराते, पछताते)
2. भाग्य के भरोसे रहते हैं. …………। (कर्मवीर, आलसी)
3. करोड़ों की संपदा मन से जोड़ते हैं ………….। (कर्मवीर, सुविधाभोगी)
4. एक बार काम को आरंभ करके बीच में …………………. छोड़ देते हैं। (कर्महीन, – साहसी)
5. कर्मवीरों का गौरवपूर्ण इतिहास है ……………….। (आध्यात्मिक विकास, भौतिक विकास)
उत्तर-
1. घबराते,
2. आलसी,
3. सुविधाभोगी,
4. कर्महीन,
5. भौतिक विकास।

प्रश्न 3.
दिए गए कथनों के लिए सही विकल्प चुनिए

1. देखकर बाधा विविध
(क) पछताते नहीं,
(ख) देखते नहीं,
(ग) मानते नहीं,
(घ) घबराते नहीं।
उत्तर-
(घ) घबराते नहीं।

2. काम कितना हो कठिन, किंतु.
(क) उकताते नहीं,
(ख) समझते नहीं,
(ग) पछताते नहीं,
(घ) करते नहीं।
उत्तर-
(क) उकताते नहीं,

3. घने जंगलों में रहता है अंधेरा
(क) एक पहर,
(ख) दोनों पहर,
(ग) आठों पहर,
(घ) चारों पहर।
उत्तर-
(ग) आठों पहर,

4. आसमान के फूल बातों से नहीं
(क) करते हैं,
(ख) तोड़ते हैं,
(ग) चुनते हैं,
(घ) समझते हैं।
उत्तर-
(ख) तोड़ते हैं,

5. जंगलों में रचा देते हैं
(क) शहर,
(ख) मेला,
(ग) मंगल,
(घ) गाँव।
उत्तर-
(ग) मंगल,

प्रश्न 4.
सही जोड़ी का मिलान कीजिए
दादा कामरेड – सरदारपूर्ण सिंह
रोटी का राग – दिवाकर वर्मा
तुलसी के राम – श्रीमन्नारायण अग्रवाल
चन्दन वन में राम – डॉ. प्रेमभारती
आचरण की सभ्यता – यशपाल
उत्तर-
दादा कामरेड – यशपाल
रोटी का राग – श्रीमन्नारायण अग्रवाल
तुलसी के राम – डॉ. प्रेमभारती
चन्दन वन में आग – दिवाकर वर्मा
आचरण की सभ्यता – सरदारपूर्ण सिंह।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित कथन सत्य हैं या असत्य? वाक्य के आगे लिखिए-
1. ‘हरिऔध’ का पूरा नाम है-अयोध्यासिंह उपाध्याय
2. ‘कर्मवीर’ कविता में कर्म की चेतना है।
3. कर्मवीरों के कभी बुरे दिन नहीं आते हैं।
4. किसी काम को बीच में छोड़ने का लाभ होता है।
5. कर्मवीर हर समय फूले-फले रहते हैं।
उत्तर-
1. सत्य,
2. सत्य,
3. असत्य,
4. असत्य,
5. सत्य

प्रश्न 6.
एक शब्द में उत्तर दीजिए-
1. भाग्य के भरोसे रहना चाहिए।
2. भीड़ में कौन चंचल बनते हैं?
3. क्या कर्मवीर कभी नाकाम होते हैं?
4. क्या कर्मवीर काम को आरंभ करके बीच में छोड़ देते हैं?
5. कर्मवीरों ने किसकी सारी क्रिया निकाली है?
उत्तर-
1. नहीं,
2. कर्मवीर,
3. नहीं,
4. नहीं,
5. कर्मवीर।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
(क) ‘कर्मवीर’ कविता में किसका उल्लेख है?
उत्तर-
‘कर्मवीर’ कविता में कर्मवीरों का उल्लेख है।

(ख) विघ्नों के बार-बार आने पर कर्मवीर क्या करते हैं?
उत्तर-
विघ्नों के बार-बार आने पर कर्मवीर उनसे घबड़ाते नहीं हैं, अपितु उनका डटकर सामना करते हैं।

(ग) घने जंगल में क्या रहता है?
उत्तर-
घने जंगल में आठों पहर घना अंधेरा रहता है।

कर्मवीर कवि-परिचय

जीवन-परिचय-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ का जन्म सन् 1865 ई. में उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले के निज़ामाबाद कस्बे में हुआ था। नार्मल की परीक्षा पास कर उन्होंने अध्यापन का कार्य शुरू कर दिया था। कई वर्ष तक वे कानूनगो के पद पर भी कार्य करते रहे।

सरकारी नौकरी से अवकाश ग्रहण कर उन्होंने हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी में अवैतनिक अध्यापक के रूप में कार्य किया। वे उर्दू, फारसी और संस्कृत के विद्वान थे। स्वाध्याय द्वारा ही उन्होंने इन भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया है। सन् 1945 ई. में उनका निधन हो गया।

प्रमुख रचनाएँ- प्रियप्रवास, वैदेही वनवास पारिजात, रसकलश, चोखे-चौपदे आदि अनेक ग्रंथों की उन्होंने रचना की थी।

भाषा-शैली-कविवर अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ की भाषा-शैली में प्रवाह और ओज है। उसमें भावों का जैसा उच्चस्तरीय प्रवाह है, वैसे ही शब्दों के चुनाव भी। दूसरे शब्दों में, यह कि कविवर ‘हरिऔध’ की भाषा की शब्दावली तत्सम शब्दों की है। ऐसे तत्सम शब्द उनकी भाषा के हैं जो बहुत प्रचलित होकर अपने अर्थ-भाव को गम्भीरता के साथ व्यक्त करते हैं। इस प्रकार के शब्दों से ढली हुई शैली सरल, चलती-फिरती और भावपूर्ण है। उसमें गीत, प्रभाव और अभिप्राय की त्रिवेणी प्रवाहित हुई है।

साहित्य में स्थान-अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ आधुनिक युग के मूर्धन्य कवियों में गिने जाते हैं। खड़ी बोली और ब्रजभाषा दोनों पर ही उनका समान अधिकार था। उनकी रचनाओं में एक ओर सरल हिन्दी का सौन्दर्य देखने को मिलता है तो दूसरी ओर समास युक्त तत्सम शब्दों का सुन्दर प्रयोग भी दिखाई देता है। मुहावरों और बोल-चाल के शब्दों का सुंदर प्रयोग भी उनके काव्य में उपलब्ध है। ‘प्रिय-प्रवास’ उनका लोकप्रिय महाकाव्य है। इसमें उन्होंने श्रीकृष्ण को लोकनायक के रूप में चित्रित किया है, अवतार के रूप में नहीं।

कर्मवीर कविता का सारांश

अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ ने अपनी कविता कर्मवीर में परिश्रमी, साहसी और वीरतापूर्ण कार्य करने वाले व्यक्तियों का गुणगान किया है। सच्चा कर्मवीर व्यक्ति विघ्न और बाधाओं से नहीं घबराता। कठिन-से-कठिन कार्य को भी वह हँसते-हँसते पूरा कर लेता है। बड़े-से-बड़े संकट भी उसे अपने काम से विचलित नहीं कर सकता। वह जिस काम को आरम्भ करता है उसे समाप्त करके ही छोड़ता है। वह किसी कार्य को बीच में अधूरा नहीं छोड़ता।ऐसे कर्मवीर व्यक्तियों से ही देश और मानव-जाति का कल्याण होगा।

कर्मवीर संदर्भ-प्रसंग सहित व्याख्या

1. देखकर वाधा विविध, बहुत विघ्न घबराते नहीं।
रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं।
काम कितना ही कठिन हो किंतु उकताते नहीं।
भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं॥
हो गए इक आन में उनके बुरे दिन भी भले।
सब जगह सब काल में वे ही मिले फूले-फले।

शब्दार्थ-बाधा-रुकावट। विविध-अनेक प्रकार के। विघ्न-बाधा। उकताते-तंग आते, ऊबते। इक आन में शीघ्र ही। फूले-फले-सम्पन्न, खुशहाल।

सन्दर्भ-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी सामान्य’ में संकलित अयोध्यासिंह उपाध्याय विरचित ‘कर्मवीर’ कविता से है।

प्रसंग-इसमें कविवर अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ ने कर्मवीर व्यक्तियों के लक्षणों और उनकी सफलता को स्पष्ट किया है।

व्याख्या-कवि कर्मवीर व्यक्तियों की विशेषताओं का बखान करता हुआ कहता है कि जो व्यक्ति अनेक प्रकार की बाधाओं और विघ्नों को देखकर नहीं घबराते और भाग्य के भरोसे पर ही अपने-आपको नहीं छोड़ देते, वे वीर होते हैं। जो वीर व्यक्ति कठिन-से-कठिन काम को भी मन लगाकर करते हैं, काम करने से ऊबते नहीं वे जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।
जो व्यक्ति बहुत-से लोगों के बीच धीरतापूर्वक व्यवहार करते हैं, जो चंचलता प्रकट नहीं करते और अपना काम निश्चल होकर करते रहते हैं, वे शीघ्र की अपने बुरे दिनों को भी अच्छे दिनों में बदलने में सफल होते हैं। ऐसे ही कर्मवीर व्यक्ति सब स्थानों पर सम्पन्न और खुशहाल मिलते हैं। सभी कालों में ऐसे ही व्यक्तियों का बोलबाला रहता है।

विशेष-
1. सहज और सरस भाषा में कर्मवीर व्यक्तियों की विशेषताएँ स्पष्ट की गई हैं।
2. यह अंश वीर रस में प्रवाहित है।

सौन्दर्य बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर

(क) भाव-सौन्दर्य

प्रश्न-1. उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश की भाव-योजना बड़ी ही ओजस्वी और प्रेरक है। इससे सोए हुए भाव अचानक फड़क उठते हैं। कुछ कर गुजरने की तमन्ना होने लगती है। पुरुषार्थ की तरंगें जोर मारने लगती हैं। दूसरी ओर कायरों की अकर्मता की धिक्कार भी सुनाई देती है। इस प्रकार प्रस्तुत पद्यांश का भाव-सौन्दर्य अधिक प्रशंसनीय है।

(ख) शिल्प-सौन्दर्य

प्रश्न-1.
उपर्युक्त पद्यांश के शिल्प-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश का शिल्प-सौन्दर्य तत्सम और तद्भव शब्दों की योजना से प्रस्तुत प्रेरक भावों से भरा हुआ है। अनुप्रास अलंकार से अलंकृत और मुहावरों से मंडित यह पद्यांश अपने शिल्प के सौंदर्य को विशेष रूप से आकर्षित कर रहा है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न-1.
उपर्युक्त पद्यांश का आशय स्पष्ट किजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश में कर्मवीरों की कर्मवीरता की विशेषता को रेखांकित किया गया है। कर्मवीरों की जिंदगी उनके कर्म के वैभव पर आधारित होती है। इसे बखूबी स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है।

2. व्योम को छूते हुए दुर्गम पहाड़ों के शिखर।
वे घने जंगल जहाँ रहता है तम आठों पहर॥
गरजती जल-राशि की उठती हुई ऊँची लहर।
आग की भयदायिनी फैली दिशाओं में लवर।
ये कँपा सकती कभी जिसके कलेजे को नहीं।
भूलकर भी वह नहीं नाकाम रहता है कहीं।

शब्दार्थ-व्योम-आकाश। दुर्गम-जिन्हें पार करना कठिन हो। पहर-तीन घंटे का एक पहर होता है। जल-राशि-सागर। भयदायिनी-भय पैदा करने वाली, डरावनी। लवर-आग की लपेट, ज्वाला। कलेजा-मन, हृदय। नाकाम-असफ़ल। कलेजा कंपाना-डराना।

संदर्भ-पूर्ववत्। प्रसंग-इसमें कवि ने कर्मवीर की विशेषताओं का चित्रण किया है।

व्याख्या-ऐसे साहसी, परिश्रमी और कर्मवीर व्यक्ति जो साहसपूर्वक अपना काम करने में लगे रहते हैं, कभी भी अपने कार्य में असफल नहीं होते।

आकाश को छूने वाली पर्वत की ऊँची-ऊँची चोटियाँ जहाँ चढ़ना बहुत कठिन होता है, और वे घने जंगल जहाँ आठों पहर अंधेरा रहता है। दिन में सूर्य की किरणें भी जहाँ नहीं पहुँच पाती ऐसे स्थानों पर भी जो कर्मवीर पहुँच जाते हैं, वे कभी भी अपने कार्य में विफल नहीं होते।

विशाल सागर की ज़ोर-ज़ोर से गर्जन करती लहरें और चारों ओर फैली हुई भयानक आग की लपटें जिस कर्मवीर के हृदय को विचलित नहीं कर पातीं, वह कर्मवीर अपने कार्य में कभी नाकाम नहीं रहता।

भाव यह है कि जो कर्मवीर संकटों का सामना करने से नहीं घबराते और अपना कार्य परिश्रम और ईमानदारी के साथ करते रहते हैं, वे जीवन में सदा सफल होते हैं। वे ही अपना लक्ष्य प्राप्त करने में सफल होते हैं।

विशेष-
1. कर्मवीर कठिन-से-कठिन कार्य भी सफलतापूर्वक करते हैं। इस तथ्य को प्रेरक रूप दिया गया है।
2. शैली चित्रमयी है।

सौन्दर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर

(क) भाव-सौन्दर्य

प्रश्न-1.
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौन्दर्य पुष्ट भावों से भरा हुआ है। कर्मवीरों की कर्मवीरता की वास्तविकता की सुन्दर झाँकी प्रस्तुत की गई है। इससे प्रस्तुत पद्यांश रोचक और भाववर्द्धक रूप में प्रस्तुत होने के फलस्वरूप अधिक महत्त्वपूर्ण बन गया है।

(ख) शिल्प-सौन्दर्य

प्रश्न-2.
उपर्युक्त पद्यांश के शिल्प-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश की भाव-भाषा-ओजस्वी और उत्साहवर्द्धक है। मुहावरों की झड़ी लगाकर वीररस का प्रवाह अद्भुत रूप में है। मिश्रित शब्द-प्रयोग से कथ्य . का तथ्य सहज रूप में स्पष्ट हो रहा है। बिम्ब और प्रतीक यथास्थान हैं।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न-1.
उपर्युक्त पद्यांश का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश में कर्मवीरों की असाधारण और बेजोड़ कर्मवीरता को प्रकाशित किया गया है। उनके कार्य स्वयं के लिए नहीं अपितु सभी के लिए सुखद और अपेक्षित होते हैं। इस आधार पर वे हर जगह और हर समय सम्मानित और प्रतिष्ठित होते हैं।

3. काम को आरंभ करके यों नहीं जो छोड़ते।
सामना करके नहीं जो भूल कर मुँह मोड़ते॥
जो गगन के फूल बातों से वृथा नहीं तोड़ते।
सम्पदा मन से करोड़ों की नहीं जो जोड़ते॥
बन गया हीरा उन्हीं के हाथ से है कारबन।
काँच को करके दिखा देते हैं वे उज्ज्वल रतन॥

शब्दार्थ-सामना करना-मुकाबला करना। मुँह मोड़ना-पीछे हटना। गगन के फूल बातों से तोड़ना-केवल बातें करना, दिवा स्वप्न देखना। मन से करोड़ों की संपदा जोड़ना-असंभव कल्पनाएँ करना। कारबन-कोयला। काँच-शीशा। उज्ज्वल रतन-चमकीला, मूल्यवान रत्न।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-कवि ने कर्मवीर व्यक्तियों की सफलताओं का सजीव चित्र उतारा है।

व्याख्या-कर्मवीर व्यक्ति काम आरंभ करके उसे बिना किसी कारण के बीच में अधूरा नहीं छोड़ते। वे काम या तो आरंभ ही नहीं करते और यदि काम आरंभ कर देते हैं तो उसे पूरा करके ही छोड़ते हैं।

यदि ऐसे कर्मवीर व्यक्ति एक बार किसी बाधा या संकट का सामना करने का निश्चय कर लेते हैं तो वे भूलकर भी मुँह नहीं मोड़ते। वे साहसपूर्वक सामने आई बाधाओं, कठिनाइयों आदि को दूर करके ही शान्त होते हैं।

कर्मवीर व्यक्ति केवल बातें-ही-बातें नहीं करते। वे काम में विश्वास रखते हैं। ऐसे व्यक्ति ऐसी कल्पना ही नहीं करते जो असंभव हो। वे ख्याली पुलाव नहीं पकाते। ऐसे साहसी कर्मवीर व्यक्तियों के हाथ में पड़ा हुआ कोयला भी हीरा बन जाता है। काँच को भी वे मूल्यवान रत्न में बदल देते हैं। कर्मवीर व्यक्ति अपने परिश्रम से मूल्यहीन वस्तु को मूल्यवान बना देते हैं।

विशेष-
1. भाषा सरल और भावपूर्ण है।
2. सामना करना, गगन के फूल बातों से तोड़ना, मुँह मोड़ना जैसे मुहावरों का सुंदर प्रयोग है।
3. भाषा भावानुरूप है।

सौन्दर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर

(क) भाव-सौंदर्य

प्रश्न-1.
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश की भाव-सौंदर्य धारा प्रवाह है। उसमें स्वस्थता, ओजस्विता, तरंगिता, उत्साहवर्द्धकता जैसी अनूठी और हृदयस्पर्शी विशेषताओं को देखा जा सकता · है। इससे भावों की क्रमबद्धता और उपयुक्ता सही रूप में प्रस्तुत हुई है।

(ख) शिल्प-सौंदर्य

प्रश्न-1.
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश का शिल्प-सौन्दर्य की उपयुक्तता इसकी भाषा-शैली, बिम्ब-विधान, प्रतीक-योजना आदि से परिपुष्ट है। वीर रस के प्रवाह को बढ़ाने वाली भाषा मिश्रित है, तो शैली चित्रात्मक और भावात्मक दोनों ही है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न-1.
उपर्युक्त पद्यांश का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश में कर्मवीरों की कर्मवीरता को सामने लाने का प्रयास किया। गया है। कर्मवीर अपने कर्म के प्रति अडिग और अटल होते हैं। वे अपने कर्म-पथ से कभी पीछे नहीं हटते हैं। उनका हर कदम स्वयं के लिए न होकर औरों के लिए ही होता है। इस प्रकार वे अपनी अद्भुत मिसाल कायम करते रहते हैं।

4. पर्वतों को काटकर सड़कें बना देते हैं वे।
सैंकड़ों मरुभूमि में नदियाँ बहा देते हैं वे॥
गर्भ में जल-राशि के बेड़ा चला देते हैं वे।
जंगलों में भी महा-मंगल रचा देते हैं वे॥
भेद नभ-तल का उन्होंने बहुत बतला दिया।
है उन्होंने ही निकाली तार की सारी क्रिया।।

शब्दार्थ-पर्वतों को काट कर सड़कें बनाना-कठिन कार्य करना। मरुभूमि-रेगिस्तान, रेतीली, अनुपजाऊ भूमि। जल-राशि-सागर। बेड़ा-जहाजों या नावों का समूह। जंगल में मंगल रचना-निर्जन स्थान में भी उत्सव मनाना (चहल-पहल होना)। भेद बतलाना-रहस्य स्पष्ट करना। नभ-तल-आकाश और पृथ्वी। तार क्रिया-तार से किए जाने वाले काम।

संदर्भ-पूर्ववत्।

प्रसंग-इसमें ‘हरिऔध’ जी ने यह स्पष्ट किया है कि ‘कर्मवीर’ के प्रयत्नों के फलस्वरूप ही बड़े-बड़े कार्य हुए हैं।

व्याख्या-पर्वतों को काटकर वहाँ सड़कें बना देना सरल कार्य नहीं। पर जो लोग ऐसा कार्य करते हैं, वे ही संसार में महान कार्य करने में सफल होते हैं। ऐसे कर्मवीर और साहसी व्यक्ति रेगिस्तान में भी नदियों की धारा को लाने में सफल होते हैं।

कर्मवीर व्यक्ति विशाल और गहरे सागरों में जहाजों के बेड़े चलाने में समर्थ होते हैं। ऐसे व्यक्ति ही जंगलों में भी चहल-पहल और धूम-धाम पचा देते हैं। निर्जन स्थानों पर भी ऐसे व्यक्ति उत्सव का वातावरण पैदा कर देते हैं।

साहसी, कर्मवीर व्यक्तियों के परिश्रम के फलस्वरूप ही नभ और पृथ्वी से संबंधित अनेक रहस्यों का पता चल पाया है। तार के माध्यम से कई नए-नए कार्य किए जाने लगे हैं। दूरदर्शन, रेडियो, बिजली, टेलीफोन आदि का आविष्कार तार की क्रियाओं का परिणाम है।

स्पष्ट है कि संसार के रूप में परिवर्तन लाने का श्रेय कर्मवीर व्यक्तियों को ही जाता है।

विशेष-
1. सरल और प्रवाहमय भाषा का सुंदर प्रयोग है।
2. कर्मवीर व्यक्तियों के कार्यों का सटीक चित्रण है।
3. कवि का भाषा पर पूर्ण अधिकार स्पष्ट दिखाई देता है।

सौन्दर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर

(क) भाव-सौंदर्य

प्रश्न-1.
उपर्युक्त पद्यांश का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश का भावधारा प्रवाह है, सरस है और उत्साहवर्द्धक है। कर्मवीरों की विशेषताओं को स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत करने की भाव-योजना लाक्षयिक है। इस प्रकार प्रस्तुत हुआ भाव-सौंदर्य प्रशंसनीय है।

(ख) शिल्प-सौंदर्य

प्रश्न-1.
उपर्युक्त पद्यांश के शिल्प-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश का शिल्प-सौन्दर्य अद्भुत कर्मवीरता को रेखांकित करने में समर्थ है। तत्सम और तद्भव दोनों ही शब्द साथ-साथ प्रयुक्त हुए हैं। भावात्मक और चित्रात्मक शैली वीर रस के रस से मग्न हुई आकर्षक लग रही है।

विषय-वस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तर

प्रश्न-1.
उपर्युक्त पद्यांश का आशय लिखिए।
उत्तर-
उपर्युक्त पद्यांश में कर्मवीर किस प्रकार असाधारण, असंभव, अद्भुत और बेजोड़ कर्म करके अपनी वीरता का परिचय देते हैं, इसे सुस्पष्ट करने का प्रयास किया गया है। इससे उनके प्रेरक स्वरूप को भी प्रस्तुत करने के आशय को अस्वीकारा नहीं जा सकता है।