MP Board Class 11th Special Hindi Sahayak Vachan Solutions Chapter 11 समय का मोल

MP Board Class 11th Special Hindi सहायक वाचन Solutions Chapter 11 समय का मोल

समय का मोल अभ्यास प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

प्रश्न 1.
लेखक ने यौवन को जीवन का मक्खन क्यों कहा है?
उत्तर:
लेखक का कथन है कि यदि व्यक्ति इस उम्र में अपने समय का सदुपयोग रचनात्मक कार्यों में करता है तो उसका परिणाम निश्चित ही अच्छा प्राप्त होता है जो जीवन के अन्य पड़ावों में प्राप्त नहीं हो पाता है। अतः लेखक ने इसको जीवन का मक्खन कहा है।

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प्रश्न 2.
लेखक ने ऐसा क्यों कहा है कि “शिखर के बजाए तलहटी में ही जीवन कट जाएगा?”
उत्तर:
यदि व्यक्ति ने अपने जीवन काल के सबसे ऊर्जावान समय जवानी को मनोरंजन, अवकाश और व्यसनों आदि में व्यर्थ व्यतीत कर दिया और वह जागरूक नहीं हो पाया कि यह समय तो सर्वश्रेष्ठ उपयोग में लेने का था तो निश्चित ही वह सफलता के शिखर को छूने से वंचित रह जायेगा। इसीलिए लेखक का कथन है कि “शिखर के बजाए तलहटी में ही जीवन कट जाएगा।”

प्रश्न 3.
“हम पसीने की कमाई खर्च करके विष खरीदते हैं।” इस पंक्ति से लेखक का क्या आशय है?
उत्तर:
लेखक का आशय है मनोरंजन जीवन के महत्त्व को कम करने वाला रह गया है। जब मन दुःखी हो, अवसादग्रस्त या थका हो तभी मनोरंजन की आवश्यकता होती है। जिस प्रकार बिना भूख लगे खाने से कष्ट हो जाता है, उसी प्रकार मन को रंजन में लगा देने का भी परिणाम अच्छा नहीं आता, मन भटक जाता है, प्रमादी हो जाता है। आज जिस प्रकार रंजन हो रहा है वह तो मन तक पहुँचता ही नहीं। अखबार, मैंगजीनों का चटपटापन जीवन में प्रतिदिन धीमे विष की तरह मन को दूषित करता है। अत: लेखक का कथन है कि हम मनोरंजन पर पसीने की कमाई खर्च करके विष खरीदते हैं।

प्रश्न 4.
प्रबंधन के गुरु की बात जीवन को किस प्रकार सार्थक बनाती है?
उत्तर:
प्रबंधन गुरु का कहना है कि प्रत्येक कार्य को उसके परिणाम को ध्यान में रखकर ही करना चाहिए। परिणाम ही जीवन का लक्ष्य बनता है और उसी के अनुसार व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण होता है। यही बात जीवन को सार्थक बनाती है।

प्रश्न 5.
जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिए?
उत्तर:
जीवन का लक्ष्य ‘घटिया विषय से दूरी और सर्वश्रेष्ठ का चुनाव’ होना चाहिए। सत्संगति पाकर व्यक्ति का जीवन स्वयं श्रेष्ठता को प्राप्त कर लेता है जैसे कि “जो कुछ गंधी दे नहीं, तो भी वास सुवास।”

प्रश्न 6.
व्यक्तित्व का विकास कैसे होता है?
उत्तर:
जीवन का लक्ष्य कार्य का परिणाम होता है और उसी के अनुरूप मन में चेतना की जागृति हो जाती है और उसी तरह के व्यक्तित्व का निर्माण हो जाता है।

समय का मोल अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवन मूल्यों का कार्य क्या है?
उत्तर:
जीवन मूल्यों का प्रमुख कार्य जीवन का मूल्य बनाए रखना है।

प्रश्न 2.
लेखक ने जवानी को क्या कहा है?
उत्तर:
लेखक ने जवानी को जीवन का मक्खन कहा है।

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समय का मोल पाठ का सारांश

प्रस्तावना :
लेखक व्यक्ति को समय के मूल्य को समझने के लिए प्रेरित कर रहा है। यदि व्यक्ति समय के मूल्य को स्वयं नहीं समझ सका तो कोई दूसरा उसे नहीं समझायेगा और उसका पूरा जीवन व्यर्थ ही निकल जायेगा। अतः जीवन का मुख्य कार्य समय के मूल्य को समझना ही है।

समय के मूल्य की समझ आवश्यक :
आज व्यक्ति को सोचने की आवश्यकता है कि वह जिस मार्ग पर जा रहा है, उसकी मंजिल कहाँ है? समय कम है, मार्ग भटकने पर उसे मार्ग दर्शन किससे मिलेगा? क्योंकि मार्ग की दिशा पूछने में भी अपने आप में शर्म महसूस करता है।

समय के मूल्य को जानने के लिए कार्य के उद्देश्य को नहीं भूलना होगा। हम घर से जिस कार्य को करने निकले हैं, उसे पूरा न करके व्यर्थ की बातों में दोस्तों के साथ समय व्यर्थ न गवाएँ। हमें याद रहे कि हमें दुकान से क्या खरीदना है? टी. वी. चलाने के बाद टी. वी. में क्या देखना है? अच्छे और बुरे, आवश्यक और अनावश्यक, लाभ और हानि के बीच भेद को पहचानना होगा। यदि इस भेद को न जानकर हमने समय गँवा दिया और हम अपने कार्य पूर्ण नहीं कर पाये तो यह स्पष्ट है कि हमें समय की कीमत का अहसास नहीं है।

समय का सदुपयोग :
हम कहते हैं, जवानी जीवन का मक्खन है। जो इस उम्र में कार्य करते हैं, उसी का फल हमें पूरी उम्र व्यतीत करने के लिए मिल जाता है। परन्तु हमें याद रखना है कि इसका एक-एक क्षण कीमती है, व्यर्थ में एक क्षण भी नष्ट न होने पाये।

यदि हमने जवानी को मनोरंजन बना दिया, अवकाश का समय मान लिया और हम जागरूक नहीं हुए कि यह तो तपस्या का समय है, सफलता के शिखर को छूने का समय है तो निश्चित है कि हम जीवन के सर्वश्रेष्ठ काल का उपयोग नहीं कर पायेंगे।

हमें मनोरंजन के सही अर्थ को समझना होगा। जब मन दुःखी होता है, अवसादग्रस्त या थका होता है, तब मनोरंजन की आवश्यकता होती है। आज का मनोरंजन जीवन के महत्व को कम करने वाला रह गया है। हमें चिन्तनशील विषय पढ़ने-देखने में अच्छे नहीं लगते। सिनेमा, फैशन आदि ऐसे विषय नहीं हैं कि जिन पर घण्टों चर्चा की जाए। अखबार, मैगजीनों का चटपटापन धीमे विष की भाँति मन को दूषित कर रहा है। हमें समय का सदुपयोग करना ही होगा तभी हम जीवन के लक्ष्य को पा सकेंगे।

संकल्प :
आज हमें संकल्प करना ही होगा कि हम अनावश्यक कुछ नहीं करेंगे। समय का रचनात्मक कार्यों में ही उपयोग करेंगे। समय लौटकर नहीं आता। समय ही तो जीवन है। यह हमें हमेशा याद रखना होगा। कार्य का परिणाम ही जीवन का लक्ष्य होता है और इसको हम तभी प्राप्त कर सकते हैं जब हम अच्छे लोगों के सामीप्य में आयें और सार्थक करें-
महाजनस्य संसर्गः कस्य नोन्नति कारकः।

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